• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest कर्ज और फर्ज - एक कश्मकश

manu@84

Well-Known Member
8,829
12,253
174
ऐसी कहानी कम ही पढ़ने को मिलती है! लजीज लेखन, कामुकता से लबरेज
बहुत बहुत शुक्रिया, आप जैसे सभी पढ़ने वाले हो तो कहानी अपने आप ही लजीज हो जाती, कहानीकार की रूह तो आप पढ़ने वाले ही है।

धन्यवाद इसी तरह अपने मंतव्य लिखती रहिये।
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
43,871
114,490
304
10,293
43,202
258
ये दोनो हसबैंड वाइफ - अरूण सर और कुसुम मैडम - किसी के दिमाग के पल्ले नही पड़ने वाले । कब और क्या सोचने लगे , कब और क्या करने लगे - ये विधाता भी समझ न पाए ।
अरूण सर का कहना है - उन्हे अपनी पत्नी को गैर के साथ अंतरंग संबंध स्थापित करने से कोई भी परहेज नही है लेकिन शर्त यह है कि वह सम्बन्ध उनकी मौजदूगी मे बने । फिर तो उन्हे भी प्रीति के साथ सेक्सुअल सम्बन्ध बनाते समय कुसुम को साथ मे रखना चाहिए था । या जब वो रिंकी के साथ सेक्सुअल सम्बन्ध बनाएंगे तब कुसुम को उस वक्त साथ रखेंगे ।
यह सब बकवास और बेफिजूल की बातें है । अवैध संबंध चोरी - चुपके और किसी के नजर मे आए हुए वगैर ही स्थापित होते है । अब यदि अरूण सर को कुकोल्डिंग का स्वाद चखना है और चखकर आनंद उठाना है तो उन्हें यह सम्बन्ध " चोरी - चोरी चुपके - चुपके " देखकर ही करना होगा ।
अन्यथा वो कुसुम के सामने कन्फेशन करे कि वो उसके पीठ पीछे कौन कौन सा गुल खिलाए है । अपने सारे सेक्सुअल कर्मों का लेखा - जोखा पेश करे ।

बहुत ही बेहतरीन अपडेट मानु भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग।
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
22,155
58,629
259
बहुत बहुत आभार शुक्रिया आपके खूबसूरत मंतव्य के लिए जिसमे आपने मुझ जैसे नोशिखीये लेखक को अपने पसंदीदा लेखकों की सूची में रखा।

धन्यवाद
Abhi londa javaan ho gaya Hai. Nosikhiya kyu bol raha hai be?😀
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
22,155
58,629
259
ये दोनो हसबैंड वाइफ - अरूण सर और कुसुम मैडम - किसी के दिमाग के पल्ले नही पड़ने वाले । कब और क्या सोचने लगे , कब और क्या करने लगे - ये विधाता भी समझ न पाए ।
अरूण सर का कहना है - उन्हे अपनी पत्नी को गैर के साथ अंतरंग संबंध स्थापित करने से कोई भी परहेज नही है लेकिन शर्त यह है कि वह सम्बन्ध उनकी मौजदूगी मे बने । फिर तो उन्हे भी प्रीति के साथ सेक्सुअल सम्बन्ध बनाते समय कुसुम को साथ मे रखना चाहिए था । या जब वो रिंकी के साथ सेक्सुअल सम्बन्ध बनाएंगे तब कुसुम को उस वक्त साथ रखेंगे ।
यह सब बकवास और बेफिजूल की बातें है । अवैध संबंध चोरी - चुपके और किसी के नजर मे आए हुए वगैर ही स्थापित होते है । अब यदि अरूण सर को कुकोल्डिंग का स्वाद चखना है और चखकर आनंद उठाना है तो उन्हें यह सम्बन्ध " चोरी - चोरी चुपके - चुपके " देखकर ही करना होगा ।
अन्यथा वो कुसुम के सामने कन्फेशन करे कि वो उसके पीठ पीछे कौन कौन सा गुल खिलाए है । अपने सारे सेक्सुअल कर्मों का लेखा - जोखा पेश करे ।

बहुत ही बेहतरीन अपडेट मानु भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग।
Ab ise kahte hai post 📫 ka postmortem. 😁. Kyu Manu bhaiya
 

Sanju@

Well-Known Member
4,863
19,637
158
अपने गुस्से को काबू कर मुझे धमकी (चेतावनी) देते हुए उन्होंने अपनी उंगलियों को दिखाते हुए कहा 'मैं नहीं चाहती कि मेरी बेटी जूली की शादी इन सब चीजों से प्रभावित हो। किसी को भी इस बारे में पता नहीं चलना चाहिए। मुझे परवाह नहीं है कि आप किस के साथ क्या कर रहे हो, लेकिन एक परिवार के रूप में हमारी प्रतिष्ठा दांव पर नहीं लगनी चाहिए। वरना, इसका अंजाम बहुत बुरा होगा।'

अपनी सासु की इन बातों को सुनकर मैं पूरी तरह से चुप रहा। लेकिन इस दौरान मुझे इस बात का एहसास हुआ कि उन्हें रिंकी की बिल्कुल भी परवाह नहीं थी। अगर उन्हें रिंकी की परवाह की होती, तो वह मुझसे कभी ऐसा नहीं कहती। वह मुझे डराती या धमकाती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मैं भी काफी खुश था कि उन्हें मेरे अफेयर से कोई दिक्कत नहीं थी। बशर्ते मैं इसे बस छुपाकर रखूं। मुझे यह अच्छे से पता था कि मैं यह सब बहुत आसानी से कर सकता हूं।

वही दूसरी तरफ अपनी नानी की बातें, ताने, धमकी या चेतवानी सुन कर रिंकी सोच में डूब गई. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि उस की कामुक् जवानी और जिस्मानी भूख की वजह से अनायास जो स्थिति बन गई है, उस से कैसे निपटा जाए. काफी सोचविचार के बाद रिंकी ने अपने दिल को
और अपनी गीली चूत को इस हिदायत के साथ समझाया कि वह अब अपने पापा पर बुरी नजर नहीं डालेगी। और मैने जब उससे वापस मैरिज हॉल में साथ चलने के लिए कहा तो तबियत सही नही है और वो सोना चाहती है केहकर मुझे रवाना कर दिया।

मैं मैरिज हॉल में वापस चला गया।

अब रोशनी मंद थी और एक बहुत ही सेक्सी गाना बज रहा था। बारात में आये हुए बाराती लड़के, लड़किया, लुगाईया, भाभिया, बच्चे बूढ़े जवान सब फुल मस्ती में उछल उछल कर बेहद सेक्सी हरकतो के साथ डांस कर रहे थे। कुछ अपने महिला रिश्तेदारों के कूल्हों और चूचे भी डांस की आड़ में बड़ी चालाकी से दबा दबा कर मजे ले रहे थे।

मैं अपनी पत्नी की तलाश कर रहा था लेकिन वह वहां नहीं थी। अचानक मैंने हॉल के कोने में कुसुम को उसके पुराने प्रेमी दिनेश के साथ बैठे हुए देखा। बातों के दौरान कभी कभी दोनों हँसी मसकरी भी कर रहे थे और दूसरे जोड़ों का नृत्य देख रहे थे। हस्ती हुई मेरी बीवी बहुत ही हसीन लग रही थी।

मैंने उनके बारे में अधिक स्पष्ट दृष्टिकोण लेने के लिए करीब जाने की कोशिश की।
लेकिन कुछ सोचकर मैंने और करीब जाने का विचार छोड़ दिया और एक मेज पर बैठ गया जहां मैं खुद को छुपा सकता था और दिनेश के साथ कुसुम को देख सकता था।

मुझे इस तरह अकेला बैठा देख मेरे साढू (प्रीति के डॉक्टर पति) ना जाने कहाँ से आन टपके। जब उन्होंने मुझे कुसुम को दिनेश के साथ बातें करते देखते हुए देखा तो वह मुस्कुराये और मुझसे कहा- " काफी पुराना और गहरा याराना लगता है "। क्यों?? आपका क्या ख्याल है प्रोफेसर साहब...????

हाँ... शायद, मैने जबाब दिया।

दिनेश डांस करने वाले जोड़ों की ओर इशारा करते हुए कुसुम को कुछ कह रहा था और वह मुस्कुरा कर सिर हिला रही थी।
कुछ मिनट के बाद दोनों एक दूसरे के साथ काफी कंफर्टेबल नजर आते हैं। कुसुम उस दिनेश की संगति का पूरा लुत्फ उठा रही थी। अब दिनेश एक वेटर को इशारे से बुलाता है और कुछ ऑर्डर करता है।
इस बीच उनकी बातचीत जारी रही।

अब वह अपनी कुर्सी कुसुम की कुर्सी के पास ले आया और कुसुम के कान के पास मुँह लाकर कुछ कहने लगा। उसकी बात सुनकर कुसुम ने अपनी आँखें नीची कर लीं और अपना सिर हिला दिया। निश्चय ही उसने कुसुम को कुछ शरारती और फड़फड़ाने वाली बात कह दी थी जिससे कुसुम को शर्मिंदगी महसूस होती है।

अब वेटर वापस परोसने के लिए आता है। उसने कुछ मूंग की दाल के गरम मंगोडे के साथ दो काफी के कप परोसे। दोनों काफी की चुस्की लेने लगते हैं। उनकी बातचीत जारी रही लेकिन अब बातचीत के दौरान दिनेश ने कुसुम की जांघ पर हाथ रखा और सहलाने लगा। कुसुम ने इस पर गौर किया लेकिन विरोध नहीं किया।

काफी खत्म करने के बाद दिनेश ने कुसुम के कान में कुछ कहा। कुसुम नटखट मुस्कान के साथ उठ जाती है और दोनों डीजे के डांस फ्लोर पर चले जाते हैं। और दोनों नाचने लगते हैं।

दिनेश ने कुसुम की कमर पर हाथ रखा और उसे अपने पास ले आया और एक रोमांटिक सेक्सी गाने " तेरा बीमार मेरा दिल, मेरा जीना हुआ मुश्किल " पर नाचने लगा। डांस के दौरान कभी-कभी कुसुम के स्तन उसके सीने को छू जाते थे। वह भी दिनेश के साथ डांस एन्जॉय करती नजर आ रही थी.

डांस के दौरान उसने फिर से अपना मुंह कुसुम के कान के पास लाया और कुछ फुसफुसाया। कुसुम ने अपना सिर हिलाया और दोनों हॉल के एक अंधेरे कोने में जाकर नाचने लगे। वह दिनेश से कुछ कह रही थी।
निश्चित रूप से शायद वह उससे कह रही थी कि उसका पति जल्दी वापस नहीं आएगा।

दिनेश मुस्कुरा रहा था और मेरी पत्नी को अपने बहुत करीब लाकर नाचने लगा।
वह लगभग दिनेश की बांहों में थी। उसके स्तन दिनेश की छाती से दब गए थे। अब दिनेश का हाथ उसके कूल्हों पर था और वह नाचते हुए उसके कूल्हों को सहला रहा था। कुसुम भी कुछ शरारती महसूस करने लगी, उसने दिनेश की कमर को भी कस कर पकड़ लिया। अचानक दिनेश उसके गाल पर एक चुंबन देता है। वापसी में कुसुम ने भी दिनेश के गाल पर एक चुंबन देती है।

कुसुम के व्यवहार से मैं बहुत हैरान था।
कुसुम दिनेश के पूरे वश में थी। दिनेश का लंड उसकी पैंट में सख्त हो रहा था। वह कुसुम की जाँघों पर अपना लंड रगड़ने लगा। कुसुम अब गर्म महसूस कर रही थी।
कभी-कभी दिनेश भी मेरी पत्नी कुसुम के स्तन दूसरे हाथ से दबा देता था। इन हरकतों से वह उत्तेजित हो रही थी। मेरी वाइफ चीटिंग सेक्स के लिए तैयार दिख रही थी.मेरे दिल में एक अजीब सी लहर उठ गई ,साला जिस फेंटेसी के बारे में सोच कर एक्ससाइटेट हो जाता हु ,क्या सच में वो होने वाला था,और अगर वो होगा तो क्या मैं उसे सम्हाल पाऊंगा ..????

मेरे मस्तिष्क में विचारों का झंझावात निरंतर बना हुआ था। मै प्रकृति के इस पर-पुरुष और पर-स्त्री आकर्षण को समझने की कोशिश कर रहा था। आमतौर पर माना जाता है कि असंतुष्ट पत्नी और पत्नी की उपेक्षा के कारण कामसुख से वंचित पति ही इधर उधर, किसी अन्य की ओर आकर्षित होते हैं और अपनी दमित इच्छाओं को पूरा करने की कोशिश करते हैं।

लेकिन कुसुम के साथ तो ऐसा नहीं था.
मैने और कुसुम ने तो जी भर के एक दूसरे की देह का दोहन किया था। सभी संभव आसनों का प्रयोग करके एक दूसरे को हर तरह का शारीरिक सुख पहुंचाया था।
हमारे बीच तो आज तक कहा सुनी भी नहीं हुई थी. फिर ऐसा क्या हो गया कि सुबह से दिनेश का चेहरा कुसुम की आंखों के सामने से हट नहीं रहा था?

उधर दिनेश तो जैसे इस स्वर्णिम अवसर का लाभ उठाने के चक्कर में था, उसे ऐसा लग रहा था जैसे कुदरत ने उसे यह मौका इसलिए दिया है, जिससे वह कुसुम जैसे तरोताजा फल का स्वाद ले सके। कुसुम को ज़रा भी अंदाजा नहीं था कि डांस करते हुए दिनेश जानबूझकर अपने लंड को सहला और दबा रहा था क्योंकि वह उसकी कामवासना को सुलगाना और भड़काना चाह रहा था।

वह इस स्थिति का मजा भी ले रही थी, साथ ही साथ इन विशेष कामोद्दीपक परिस्थितियों में वह अपने मन को बहकने से रोक भी रही थी। वह समझ रही थी कि घटनाक्रम किस ओर बढ़ रहा था. और वह यह भी जान रही थी कि दुविधा केवल उसको है।

दिनेश तो पूरी तरह से इस अवसर का लाभ उठाते हुए कुसुम के साथ ‘विशेष प्रणय संबंध’ स्थापित करना चाह रहा था। डांस करते हुए बीच-बीच में उसके स्तन् दिनेश के हाथ में छू जाते तो कुसुम के तन-बदन में तरंगे सी उठने लगती. दिनेश तो ठहरा मर्द, कुसुम के स्तनों के स्पर्श सुख से उसके लंड की नस-नस में सनसनी हो रही थी।

दिनेश ने हिम्मत बटोरी और कुसुम के कंधे पर हाथ रखते हुए उसके कान में कहा- कुसुम एक बात कहूं?

कुसुम का पूरा शरीर झनझना उठा, उसने कहा- कहिए।

दिनेश ने कहा- कुसुम, तुमने कुदरत के इस संयोग पर गौर किया कि जूली की वरमाला देखने के बाद ही मेरी पत्नी बच्चे के साथ घर चली गई और इस वक्त तुम्हारे पति भी रिंकी के साथ हॉस्पिटल के लिए निकल गए। उन दोनों के जाने के बाद इस भरी मेहफिल में सिर्फ हम दोनों ही तन्हा हैं। क्या तुम्हें यह नहीं लगता कि प्रकृति यह चाहती है कि हमें अपनी तनहाई दूर करते हुए इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए? जब से तुम इस शादी में आई हो, मेरा दिल तुमसे मिलन के लिए तड़प रहा है, क्या तुम्हारे मन में भी मेरे लिए कुछ कोमल भावनाएं हैं? या नहीं?

कुसुम के मुंह से एक शब्द भी नहीं निकला, वह गूंगी गुड़िया सी खड़ी सुनती तथा सोचती रही कि दिनेश ने कैसे उसके सामने इतना सब बोल दिया!

दिनेश ने फिर कहा- कुसुम, मेरी बात का जवाब दो. क्या मैं तुम्हें बिल्कुल पसंद नहीं? क्या हम इस वीराने में बहार ला सकते हैं या नहीं? कुछ तो बोलो कुसुम!

कुसुम ने कहा- अरुण को फोन करना है, मैं ऊपर कमरे में जाती हूं! और वह बिना कुछ जवाब दिए वहा से जाने लगी.

पीछे से दिनेश ने कहा- कुसुम, मैं तुम्हारे जबाब का इंतजार कर रहा हूं।

कुसुम उसे अब उस तरह से मना नही कर रही थी जैसा उसने शाम में किया था, लग रहा था की अगर दिनेश थोड़ी कोशिस करे तो कुछ हो जाएगा, कुसुम के व्यव्हार में भी एक चेंज था शायद वो भी दिनेश के साथ अपने जिस्मानी रिश्ते को आगे ले जाना चाहती थी ,और शायद इसका दोषी मैं ही था क्योकि मैंने ही उसे ये छूट दे दी थी ,

कुसुम आहिस्ता आहिस्ता से हॉल से बाहर निकल के ऊपर की ओर जा रही थी और, उसके कानों में अभी तक दिनेश के प्रणय निवेदन के लिए कहे शब्द गूंज रहे थे। शाम की उसकी छोटी सी चूक ( दिनेश को रात रोकने की गलती) ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी थी कि वह खुद नहीं समझ पा रही थी कि वह करना क्या चाहती है।

उसने मेरे (अरुण) के बारे में सोचा जो बहुत खुले विचारों और बड़े दिल वाला है, इतना ही नहीं वह उसको जी जान से प्यार भी करता है। फिर उसका मन भटकने पर उतारू क्यों है?

क्या वह दिनेश के प्रणय निवेदन को स्वीकार कर ले? क्या कुछ पलों का आनंद, उसके जीवन को तनाव और दुख से भर तो नहीं देगा? क्या एक पर-पुरुष के पास जाकर, वह अरुण की मोहब्बत का अपमान तो नहीं करेगी?

इस पर उसके मन ने बहकाने वाला तर्क किया कि रोज घर का सादा खाना खाने वाला व्यक्ति, जब कभी बाहर चाट पकौड़ी, पिज़्ज़ा बर्गर आदि खा लेता है तो क्या उससे, घर के खाने का अपमान हो जाता है? क्या एक रात दिनेश के साथ गुजार लेने से, उसके मन में अरुण के लिए जो प्यार है, वह कम हो जाएगा?

पोर्न वीडियो देखते हुए क्या हर स्त्री और पुरुष, उस से कामोत्तेजना प्राप्त नहीं करता? उससे आनंद लेना, क्या इंसान के मन में दबी हुई, नये स्वाद की लालसा का परिणाम नहीं?

क्या पति पत्नी और वो के प्रेम पर आधारित कोई एक भी फिल्म ऐसी है, जिसने दर्शकों की कामुकता को बढ़ाया हो? जवाब मिलेगा- शायद नहीं। वास्तविकता यह है कि विवाहेत्तर संबंधों से झूझती जिंदगी ही रिश्तों में सनसनी उत्पन्न करने की क्षमता रखती है।

फिर कब तक किसी स्त्री का चरित्र, केवल चूत के पैमाने से तोला जाता रहेगा?
कोई स्त्री एकनिष्ठ होकर भी बहुत बुरी हो सकती है। कोई एक से अधिक मर्दों के साथ संबंध रख कर भी अपने कृतित्व से महान हो सकती है।

इसलिए प्रश्न इस बात का है कि ‘पेट की भूख और जिस्म की भूख को, एक समान महत्व क्यों नहीं दिया जा सकता?’ क्या नए स्वाद की शौकीन जुबान और विविधता पसंद दिमाग, एक ही चेहरे और एक ही जिस्म से ऊब नहीं जाता? और क्या इंसान के जीवन में यही ऊब, यही नीरसता, पारिवारिक तनाव को जन्म नहीं देती?

इतना तो कुसुम को विश्वास था कि यदि बाद में अरुण को उसने बता भी दिया तो वह खुले मन से, उसकी मन स्थिति को समझते हुए, उसके क्षणिक भटकाव को ज्यादा तूल नहीं देगा। किंतु अनिर्णय का शिकार तो वह स्वयं थी।

वह सोच रही थी कि लोग यह गलत समझते हैं कि औरत की चूत में केवल एक प्राकृतिक सील ही होती है, जिसे पहली चुदाई में पति या प्रेमी तोड़ता है।

वास्तव में औरत की चूत में नैतिक बंधनों वाली एक सील और होती है, जिसे पहला गैर मर्द तोड़ता है। पहली बार किसी गैर मर्द के पास जाने के पहले, औरत को बहुत हिम्मत जुटाना पड़ती है। कई तरह की शंका, कुशंका उसे घेरे रहती है, उसे इन आशंकाओं से बाहर निकल कर, मन को नया आनंद दिलाने के लिए प्रण करना पड़ता है।

फिर जब पहले पर पुरुष द्वारा, स्त्री की यह दूसरी सील टूट जाती है तो उसके साथ स्त्री की झिझक, उसका संकोच भी टूट जाता है और उसमें कभी भी, कहीं भी, किसी के भी साथ, संबंध बनाने का साहस आ जाता है।

अब धीरे धीरे उसका मन भी दिनेश की इस बात पर यकीन करने लगा कि कुदरत ने उन दोनों को, एक नया आनंद उठाने के लिए ही, यह स्वर्णिम अवसर प्रदान किया है।

कुसुम मुड़ी, दिनेश को पलट कर देख कर मुसुकराई फिर उसने आँखों ही आँखों से दिनेश को होटल की छत पर आने का इशारा किया और कामवासना के प्रभाव में बेसुध होकर बढ़ चली अपने जीवन के पहले गैर मर्द के इंतजार में........??

"प्रोफ़ेसर अरुण कुमार आज तो तेरी बीवी कुसुम शत प्रतिशत चुदेगी " मेरे साढू के इन शब्दों के साथ ठाहके वाली हँसी ने मेरी तंद्रा भंग की....... यह सुनकर मुझे बहुत घबराहट हुई मेरे दिल में एक डर उठा,एक अजीब सा डर .. कुसुम की इस हरकत ने मुझे थोड़ा चिंता में डाल दिया था ।

"नही" साढू साहब आपकी गलतफेहमी है, कुसुम मुझे धोख़ा नही देगी, वो शादीशुदा है, मेरी पत्नी है, और मुझसे बहुत मोहब्बत करती है... मैने सब कुछ समझते हुए भी अंजान बनते हुए अपने साढू को जबाब दिया।

"मोहब्बत"........ इस शब्द को दोहराते हुए मेरे साढू बहुत जोर जोर से हँसने लगे.... और टेबल पर रखे नैपकीं पेपर से अपना मुह पोछते हुए बोले.... "मोहब्बत" भृष्टाचार की तरह होती है, जो कभी खतम नही होती है.... बस उसमें बाबुओ का तबादला होता रहता है....! समझे बरखुरदार अरुण कुमार।

साढू की इस बात ने मुझे थोड़ा और चिंता में डाल दिया था । और मैंने कुसुम और दिनेश के बीच दखल देने का फैसला किया और उन्हे वही बैठा छोड़ दिनेश के पीछे पीछे होटल की ओर आहिस्ता आहिस्ता से कदम बढ़ाने लगा। और मैं हर बढ़ते हुए कदम के साथ एक सोच में डूब गया।

दिनेश को लेकर नही क्योकि वो भले ही मेरी बीवी कुसुम का पुराना प्रेमी था लेकिन वो उतना स्योर् नही था की कुसुम जैसी लड़की के साथ कुछ गलत कर पाए, और कुसुम में ये काबिलियत थी की उसे वो अपनी उंगलियों में नचा सकती थी ,लेकिन मुझे चिंता हो रही थी कुसुम के लिए ,वो दिनेश को सही तरीके से मना नही कर पा रही थी , वो अपने पुराने यार से चुदने के लिए छत पर जा रही थी, मुझे समझ नही आ रहा था की मेरी कुसुम को हो क्या रहा है कही ये मेरे द्वारा फैलाया गया चूतियापा तो नही जिसके कारण कुसुम ऐसा करने जा रही है।

मुझे यकीन था की कुसुम कोई भी गलत कदम नही उठाएगी ,वो समझदार थी ,और गलत कदम का मतलब था की किसी भी के साथ संबंध नई बनाएगी लेकिन दिनेश के साथ ….ये कहना तो अभी मुश्किल था,सबसे ज्यादा चिंता वाली बात ये थी की अगर उसने ऐसा किया तो मेरा रियेक्सन क्या होगा,क्या मैं गुस्सा होंउंगा,या मजे लूंगा जैसा मैं उसे कहता हु,...अभी तो मुझे भी नही पता था ...?? ?

सीढ़ी चढ़ते हुए कुसुम ने पीछे मुड़ कर देखा कि दिनेश आते हुए बेफिजूल की जलती हुई लाइट की स्विच बंद करता हुआ आ रहा है जिससे बरामदे में थोड़ा सा अंधेरा हो जाये और किसी रिश्तेदार की, उस पर नज़र पड़ने की भी कोई आशंका नहीं रहे। कुसुम मन ही मन दिनेश की इस सावधानी पर मुस्कुरा उठी।

दूसरी ओर मेरे दिमाग की हवाइयां उड़ रही थी और मै छत की तरफ जल्दी जल्दी भाग रहा था… अब कितना भी तेज भागु 5 मिनट तो लगेंगे ही, तब तक तो साले अपना काम पूरा कर चुके होंगे पर मैं भागा, धड़कने तो ऐसे भी तेज थी मैं शायद ही जिंदगी ने कभी इतना तेज भागा था,पता नही क्या सुरूर से चढ़ गया था मेरे अंदर ….

जब मैं छत पर पहुँचा तब तक मेरी हालत पूरी तरह से खराब थी मेरी धड़कने ऐसे चल रही थी जैसे राजधानी एक्सप्रेस, लग रहा था अब मारा तब मारा, छत का गेट अंदर से बंद था,

मादरचोद ये क्या है, मैने तुरंत दीवाल पर चढ़ कर छिप कर छत पर मेरी बीवी की हो रही रासलीला देखने का निर्णय लिया।

दिनेश ने कुसुम को जब छत पर खड़ी अकेली सैक्सी ब्लाउस में से छलकते स्तनों को देखा तो उसका दिल बल्लियों उछलने लगा, अब इस बात में तो कोई संशय नहीं था कि कुसुम ने चुदने के इरादे से ही, उसको छत पर आने का इशारा किया था।

दिनेश ने अपनी बाहें फैला दी और कुसुम दिनेश के सीने से लग के पूरे सुकून के साथ उसके दिल की धड़कनों को सुनने लगी।
कुसुम को दिनेश की बाहों में सुरक्षा का वो ही अहसास हो रहा था, जो अपने पति की बाहों में होता है।

दिनेश ने कहा- ओह कुसुम, आई लव यू!
और उसके माथे पर एक चुंबन ले लिया।

कुसुम पहले पर पुरुष के पहले चुम्बन से सिहर उठी; उसकी आंखें बंद हो गईं।

दिनेश ने कुसुम की दोनों बंद आंखें भी चूम ली। कुसुम का समूचा अस्तित्व कमजोर पड़ रहा था, वह फिर सोचने लगी कि हे भगवान, यह मैं क्या करने जा रही हूं?

उसके बाद दिनेश ने कुसुम की ठुड्ढी पर हाथ रखकर, कुसुम के चेहरे को ऊपर उठाया. कुसुम की आंखें बंद थी और होंठ कंपकपा रहे थे।

इतने में दिनेश के लरजते होंठ कुसुम के सुर्ख गुलाब की दो पत्तियों जैसे अधरों पर ठहर गए और जुबान कुसुम के नाज़ुक होठों का रस लेने लगी।

जब कोई मर्द किसी स्त्री के होठों को चूमता है तो उसका एक हाथ स्वतः ही उसके बूब्स पर पहुंच जाता है। दिनेश का दाहिना हाथ, कुसुम के बांए उरोज तक पहुंच गया, दिनेश होंठ चूसते हुए कुसुम के बांए स्तन को सहलाने लगा।

कुसुम के शरीर का अंग अंग कामाग्नि में सुलगने लगा। यह वो पल था जहां से अब वापस लौटना असंभव था। कुसुम ने अब पूरी तरह बहाव के साथ बहने का निश्चय कर लिया और दिनेश की काम आसक्ति के सामने समर्पण करने की ठान ली।

दिनेश ने कुसुम की ब्लाउस की पीठ पर बंधी रेशमी धागे की डोर खींच दी..... ।


जारी है..........✍️
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है
लगता है कुसुम दिनेश से चुदने वाली है जो खुद दूसरी औरतों को चोदने के फिराक में रहता है आज जब खुद की बीवी किसी ओर से चुदने वाली है तो प्रोफेसर साहब परेशान हो रहे हैं ये सब उसकी गलती का ही परिणाम है
 

Sanju@

Well-Known Member
4,863
19,637
158
दिनेश ने कुसुम की ब्लाउस की पीठ पर बंधी रेशमी धागे की डोर खींच दी..... ।

परनारी की बदन की खुशबू से मस्त दिनेश ने कुसुम की चिकनी पीठ देख कर उससे पूछ ही लिया- कुसुम, एक बात तो बताओ, तुम खुद भी चुदने के लिए मानसिक रूप से तैयार थी? फिर मुझे तरसा क्यों रही थी?

कुसुम ने कहा- नहीं, मैं एकदम तैयार नहीं हो गई थी बल्कि दुविधा में थी। मेरा एक मन मुझे तुम्हारी तरफ धकेल रहा था, दूसरा मन मेरे पैरों में नैतिकता की बेड़ी डाल रहा था।

फिर कुसुम हंसकर बोली- लेकिन मुझे पता नहीं क्यों इस बात का अंदाज़ा था मेरे गुंडे … कि तुम अपने मकसद में कामयाब हुए बिना मुझे छोड़ने वाले नहीं हो इसलिए मैंने सोचा कि अपनी तरफ से भी तैयारी तो कर ही ली जाए।

दिनेश कुसुम की बातों से खुश था, इस पर कुसुम ने मुस्कुराते हुए कहा- अरुण ने तो मेरी प्राकृतिक सील तोड़ी है लेकिन हर औरत की एक स्वनिर्मित सील और होती है, जिसे पहला गैर मर्द तोड़ता है। मेरी वह सील आज तुम तोड़ोगे मेरे रा…जा!
दिनेश के मुंह से निकला- वाह कुसुम, क्या नई थ्योरी लेकर आई हो मेरी रानी!

कुसुम की बात से दिनेश का जोश बढ़ गया।
कुसुम पीठ किये हुए मेरी ओर खड़ी हुई थी उसकी आंखें अब बंद थी, मैं साइड में से उसे देख पा रहा था,इसलिए बस एक तरफ का चेहरा ही मुझे दिखाई दे रहा था।

अचानक ही देखते ही देखते कुसुम का मुह खुला,मुझे कोई आवाज तो सुनाई नही दे रही थी पर ये एक्सप्रेशन शायद ही कोई मर्द पहचान ना पाए, हा लंड के किसी के अंदर घुसने से बना एक्सप्रेशन… वो हल्के से मुह का खुल जाना… मुह के खुलते ही उसका शरीर भी थोड़ा ऊपर को हुआ और फिर से अपनी जगह पर आ गया,मुझे बस कुसुम के एक्सप्रेशं ही दिख रहा था,शायद वो थोड़ी और नीचे हुई थी,ये सोचकर ही मेरा खून खोल गया कि क्या दिनेश कुसुम के कपड़ो के ऊपर से ही अपने लंड को घुसेड़ने का प्रयास कर रहा है, मैं इंतजार कर रहा था कि शायद वो उसके साड़ी ब्लाउस खोल कर नँगा करेगा । पर ये क्या उसने कुसुम को गोद मे ही उठा लिया ,शायद उसके कमर में हाथ डालकर उसे उठाया था ,मुझे उसके हाथ ही दिखाई दिए,

मैं मजबूर होकर देख रहा था, कभी कभी वो ऊपर नीचे होती पर दोनो ही एक दूजे के होठो के रसपान में ही व्यस्त थे,फिर कुसुम नीचे उतर गयी इसबार उसका चेहरा मेरी तरफ घुमा था,आंखे बंद थी और शरीर जल्दी जल्दी *ऊपर नीचे होने लगा था, कुसुम ने अपने होठो को अपने दांतों में दबा रखा था,उसके हाथ अपने चेहरे पर जाते तो कभी आगे बढ जाते….

उसके चेहरे पर उत्तेजना के भाव साफ दिख रहे थे,माथे पर पसीने की कुछ बूंदे आ रही थी,काश मैं उसकी आवाज भी सुन पता जरूर वो साला उसे कुछ कह रहा होगा,तभी उसका मजबूत सा हाथ जो सीधे कुसुम के गले से होता हुआ उसकी ब्लाउस के अंदर घुसा दिया,साला मेरी जान के स्तनों को इतने बेरहमी से मसल रहा था, कुसुम जरूर जोरो से आहे भर रही थी उसके होठ खुले हुए थे और मैं उसे महसूस कर पा रहा था,उसने अपना हाथ बाहर निकाला और अब वो अपने हाथ के सहारे कुसुम पर झुक गया,उसके दोनों हाथ कुसुम के दोनो स्तनों पर थे साला मेरी बीवी को पूरे जोर में चोदने की तैयारी कर रहा था,

मादरचोद ये क्या है,ये तो अभी अभी लाइन मरना शुरू किया था,और अब ... यार कुसुम है क्या सेक्स मशीन, इतनी जल्दी तो रंडी भी सौदा फिक्स नही करती...

इसके बाद मुझे आगे देखना ही व्यर्थ लगा,कुछ दिल में टूट सा गया था,क्या था मुझे नही पता,मेरे ही आँखों के सामने मेरी ही पत्नी इतनी रात में मेरी मौजूदगी में….. जो हो रहा था मुझे इससे दुख तो नही पर मेरे लिए ये किसी भी प्रकार की खुशी भी नही थी,मुझे लगा था की कुसुम कम से कम चुदने में तो समय लेगी पर ये जानना बड़ा ही आश्चर्यजनक था की शाम तक दिनेश उसे पटा रहा था अभी वो उसके साथ ऐसी हरकत…..

शायद वो मुझे बता कर के ये सब करती तो मुझे उतना अजीब नही लगता, एक नवजवान से लड़का जो मुझे सुबह से पूरी शादी में सर सर कह कर पुकार रहा था , मादरचोद मेरी ही बीवी को मेरे ही सामने चोदने पर उतारू है, वो भी सिर्फ एक दिन उसकी तारीफ करके।

माथा तो खनक गया था पर शायद कुसुम इतनी भी जल्दी पटने वाली लड़की नही थी,शायद वो कुसुम को पहले भी चोद चुका हो जब से मैं उसे नही जानता,ऐसे भी कुसुम के रिश्ते में उसका रिश्तेदार (मामा) है…...ह्म्म्म हो तो सकता है ,या नही भी चलो जो भी हो मेरी बीवी ने तो अपने कारनामे दिखा ही दिए और वो मेरी मौजूदगी में गैर मर्द से चुदने को बेताब हो चुकी थी तो अब डर कहे का,साला अब कहे की शर्म हाय ,वो मस्ती करे तो मैं पीछे क्यो रहू,तो क्या उसे दुसरो से चुदते हुए देखना ही मेरी नियति है,..............मेरे दिमाग में एक लहर सी उठी नही नही नही!

यार वो मेरी ब्याहता है, मेरी जीवन संगिनी है, मेरी पत्नी है, मेरे परिवार की इज्जत है, मुझे उसे रोकना होगा अभी भी ज्यादा देर नही हुई है, अभी चुदाई शुरु नही है, हा अरुण वो अभी चुदी नही है और रोको उसे, रोक लो, बचा लो उसे चुदने से।

मैं अपना हाथ अंदर डाल कर गेट खोलने लगा,इस मादरचोद को क्या हो गया जो अभी तक नही खुल रहा है,मैंने मन में ही कहा, छत पर लगे पुराने लोहे के गेट ने मेरी आने की सूचना शायद अंदर तक दे दी हो,इतना आवाज करता था कि कोई भी समझ जाएं, मैं अंदर गया तो दिनेश को कुसुम से दूर खड़ा पाया,उसने पहली नजर में मुझे ऐसे देखा जैसे साला मुझे मार ही डालेगा,शायद मैंने जल्दी आके उसका खेल बिगड़ दिया था,15 मिनट तो दिए थे इनलोगो को अब क्या रात भर इनके लिए "बेगाने की शादी में अब्दुल्ला दीवाना" बन कर घूमता फिरू… मैं फिर मन मे सोचा,

लेकिन दिनेश ने अपने एक्सप्रेशन तुरंत बदले और आगे बढ़कर मुझसे हाथ मिलाया,मैं भी अपने होठों पर झूठे एक्सप्रेशन लाने में कामयाब रहा,

“ अरुण सर वो कुसुम को नीचे हॉल में थोड़ी घबराहट और बेचैनी सी हो रही थी सो हम दोनों छत पर खुली हवा में आ गये।
its गुड फ़ॉर हेल्थ “

मेरी तो सांसे ही थोड़ी देर ले लिए रुक गयी , मादरचोद मेरी बीवी को छत पर लाकर चोदना चाहता है, मैंने मन में कहा ,

“बढ़िया किये दिनेश कभी कभी खुली छत पर रात के अंधेरे में हवा खाने जरूर आना चाहिए”

दिनेश के चहरे में एक मुस्कान आ गयी,और मैं सब जानते हुए भी अनजान बने मुस्कुरा रहा था...

फिर कुसुम कि प्रतिक्रिया देखने के लिए रुके बगैर ही दिनेश जल्दी से पीछे मुड़ा और तेज़ कदमो के साथ छत से बाहर निकल गया.

हतप्रभ सी कुसुम उसे जाते हुये देखती रही ! उसे यकीन नहीं हो रहा था कि अभी अभी कुसुम ने उसे Kiss किया था, वो भी खुद उसकी मर्ज़ी से. कुछ देर वैसे ही मूर्ति बने खड़े रहने के बाद उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कुराहट खेल गई, और उसके मुँह से निकला.

" पागल !!! ".

दिनेश के जाते ही इस बार मैने छत का दरवाज़ा बंद करके कुसुम से पूछा

" कब कर रही हो दूसरी शादी ? "

" Shut up अरुण ! ". कुसुम मुझे देखे बगैर बोली और अपने मोबाइल में समय देखने लगी.

" अपने प्रेमी के साथ साथ मुझे भी साथ रखोगी या मुझे तलाक दे दोगी ? ". मैने फिर से पूछा.

कुसुम मुड़कर वापस मेरे पास आई और मेरे गाल पकड़कर प्यार से बोली.

" इतनी आसानी से तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ने वाली मैं ! ".

मेरे और कुसुम के बीच एक अजीब तरह कि जुगलबंदी थी, हम दोनों एक दूसरे को खूब समझते थें. और ठीक ऐसा ही हुआ भी !

" सब कुछ दिखा दिया उस चुतिये को ??? ". मैने गुस्सा होते हुये पूछा.

कुसुम मुस्कुराई, और मेरा हाथ अपने हाथ में पकड़कर मुझे अपनी साड़ी के ऊपर ऊपर अपनी चूत पर सटाते हुये बोली.

" इसे छोड़कर ! ".

मैने अपना हाथ कुसुम कि चूत से हटाकर उसकी हाथ कि पकड़ से छुड़ा लिया और वहाँ से जाने के लिया मुड़ा.

" अब तुम्हें क्या हुआ ? ". कुसुम ने मेरा हाथ पीछे से पकड़ कर मुझे रोकते हुये पूछा.

" I don't like all this कुसुम ! ". मैने गर्दन घुमाकर पीछे अपनी पत्नि को देखते हुये कहा.

" What you don't like ? ये कुछ नया तो नहीं ? ". कुसुम ऐसे बोली जैसे उसे मेरे इस बर्ताव पर यकीन ना हो रहा हो. " कितनों के सामने मैं नंगी हुई हूँ अरुण... हम दोनों ये जानते हैं और हम दोनों को ये पसंद है और हमें इसमें मज़ा आता है ! ".

" बेबी... मुझे ये लड़का पसंद नहीं ! ". मै पीछे मुड़कर कुसुम के पास आया और उसके गाल पर हाथ रखकर शांति से बोला.

" तो मुझे कौन सा पसंद है... इनफैक्ट मुझे तुम छोड़कर कोई और पसंद ही नहीं अरुण ! ". कुसुम ने अपने गाल पर रखे मेरे हाथ को चूमते हुये कहा.

" ये लड़का मुसीबत बनेगा बता दे रहा हूँ मैं. तुम्हें आई लव यू बोल कर गया है हरामी ! ".

" I think मैं उसका पहला Crush हूँ... उसकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं होगी I am sure ! ". कुसुम ने हँसते हुये कहा. " तुम तो बस ... रिलैक्स करो ! ".

मै कुछ क्षण के लिए रुका, एक लंबी गहरी साँस ली, और फिर कुसुम को अपनी बांहों में भरकर बोला.

" Look बेबी... मैं तुम्हारे बारे में हर तरह कि Fantasy करता रहता हूँ... तुम्हें किसी गैर आदमी के साथ बिस्तर पर देखने कि ख्वाहिश रखता हूँ ! मगर ये भी सच है कि मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता ! ".

" ये सब क्या बोल रहे हो अरुण ? Have you lost it or what ?? ". कुसुम आश्चर्य से बोली. " मैं दूसरे मर्दो से तुम्हारे कहने पर फ़्लर्ट करती हूँ, ताकि हमारी शादीशुदा ज़िन्दगी Spice up हो, ना कि किसी गैर मर्द के करीब जाने पर मैं तुमसे दूर चली जाऊँ ! ".

" मैं सिर्फ इतना ही चाहता हूँ बेबी कि तुम्हें पता रहे कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ ! ". मैने धीरे से कहा.

" दुबारा कभी ऐसा मत सोचना अरुण ! ". कुसुम ने अपना चेहरा मेरे सीने में छुपाते हुये कहा.

(हम दोनों पति पत्नि को एक दूसरे पर पूरा भरोसा था, मगर ये कभी भी संभव नहीं था कि कुसुम अपने पति के मन कि बात पूरी तरह से समझ ले और मै उसके मन कि बात ! कोई किसी के चाहे जितना भी करीब हो, एक दूसरे के मन कि बात सौ प्रतिशत जान पाना मुमकिन ही नहीं... ना मुमकिन है???)

मैं खुद भी आश्चर्य में था की कुसुम सब कुछ सच बता रही थी … मेरे चहरे के भाव शायद उसने समझ लिए

“अरे फिक्र मत करो मैं सम्हाल लुंगी उसे “

कुसुम तो हल्के से हँसी लेकिन मेरे चहरे की रंगत अभी भी वैसी ही थी ..

“क्या हुआ है आपको ..”

“मुझे दिनेश की नही तुम्हारे बारे में फिक्र हो रही है,क्या तुम खुद को सम्हाल पाओगी..???”

मेरी बात से कुसुम लगभग सकपका सी गई

“ऐसा क्यो बोल रहे हो “
“ऐसा क्या हो गया की तुम इतने अपसेट हो गये “ कुसुम को जैसे सांप सूंघ गया… वो घबराई हुई बोली

“कुसुम तुम मुझसे कुछ छुपा तो नई रही,”मैंने उसपर एक भेदक दृष्टि डाली

“नही नही कुछ भी नही ..”

“जानती हो ना मैं कौन हु ,लोग मुझे प्रोफेसर कहते है , रोज ना जाने कितने स्टूडेंट को पाठ पढ़ाता शिखाता हू और मेरी ही बीवी मुझे ही पढ़ा शिखा रही है तो ये दुखद बात है “

कुसुम इस बार बुरी तरह से घबरा गई थी, कोई बात थी जिसका उसने मेरे सामने खुलासा नही किया था और वो उसके दिल में डर बनकर पैदा हो रहा था..

“मैं उसे कंट्रोल नही कर पा रही हु “
आखिर कुसुम ने मुह खोल दिया

“मतलब “

“मतलब वो आगे बढ़ना चाहता है और मैं उसे कंट्रोल नही कर पा रही “

कुसुम की नजर नीची थी और वो थोड़ी डरी हुई भी थी ..

“तो तुम क्या चाहती हो “

उसने नजर उठाई ..

“आपको क्या लगता है ..?”

उसका जवाब मेरे लिए मुश्किल पैदा करने वाला था

“मुझे क्या लगेगा “

मैंने अपना पल्ला झड़ते हुए कहा.
“क्यो आपको क्यो नही लगेगा,आप ही तो कहते थे ना की दूसरे के साथ देखकर आपको उत्तेजना का अहसास होता है ,तो अब बताओ की आपको क्या लगता है ..”

अब मैं बुरी तरह से झेंप गया था
“तुम बात को बदल रही हो कुसुम मैंने पहले पूछा था “


कुसुम के चहरे में एक व्यंगात्मक मुस्कान आ गई


“बात को मैं नही आप बदल रहे हो ,जिस चीज के लिए इतने दिनों से मेरा दिमाग बदलने की कोशिस कर रहे थे आज वो सामने है अब बोलो की आपको क्या चाहिए,मैं सब में तैयार हु “


कुसुम की बात से मैं बुरी तरह से हिल चुका था,मेरा ही फैलाया गया शनिश्चर मंझे भी अपने चपेट में ले रहा था ,दुनिया के लिए मैं एक माहिर पढ़ा लिखा प्रोफेसर था लेकिन ये मामला तो दिल का था ,मेरे इमोशन का था ना की दिमाग का …


मैं अपने को कही ना कही हारा हुआ फील कर रहा था मेरे पास कुसुम के सवाल का कोई भी जवाब नही था…


मैं बस अपनी नजर नीचे किये हुए अपने सोच में पड़ा था ,की कुसुम के चहरे की मुस्कान और भी गहरी हो गई


“मुझे पता था की आप का रियेक्सन ऐसा ही होने वाला है,मैंने जब दिनेश से आपको मिलवाया था उस समय देखा था आपको की आपको मेरे दूसरे के साथ होने पर क्या होता है,जान खुद को धोखा देना बंद करो आप मुझसे प्यार ही नही करते बल्कि आपको मुझे बांटना भी नही चाहते ,मान लो इस बात को की आप मुझे किसी और के साथ नही देख सकते …”


कुसुम इतना बोलकर मुह फेर कर दूसरी ओर खड़ी हो गई ,मुझे लगा जैसे किसी ने मेरे मुह में एक जोर का थप्पड़ मार दिया हो ,मैंने तो इंग्लिश फ़िल्मों में देख रखा था की ये सब कितना आसान होता है,एक पति अपने पत्नी को बताता है की उसे क्या चाहिए फिर पत्नी भी किसी मोटे लंड की चाह में उसका साथ देती है और अपने पति को जलाती है ,और पति दूसरे मर्द के साथ अपनी बीवी को देखकर हिलाता है,बीवी दूसरे का मोटा लंड और सेक्स की क्षमता से खुस हो जाती है और मजे से सेक्स करती है …


सब कितना आसानी से हो जाता है ,मैं भी यही सोचा करता था की मैं भी एक दिन कुसुम को दूसरे के साथ देखूंगा तो मेरा भी खड़ा हो जाएगा ,वो बेडरूम में होगी और मैं अपना लिंग मसलूंगा ...लेकिन ….लेकिन सच्चाई कुछ और ही थी ,कुसुम ने मुझे एक अजीब सा दर्पण दिखा दिया था,मैं तो यही सोचता था की मैं बहुत ही मॉर्डन ख्यालात का व्यक्ति हु जिसे अपनी पत्नी की खुसी के सामने कुछ नही दिखेगा,उसे खुस देखकर मैं भी खुस हो जाऊंगा और खुश ही क्यो उत्तेजित भी हो जाऊंगा लेकिन यंहा तो कुछ और ही हो रहा था ,


मैं पहली बार अपने को भावनात्मक रूप से इतना कमजोर पा रहा था , मैंने एक गहरी सांस ली और एक सिगरेट जलाकर चुपचाप ही कुसुम के पास गया, कुसुम इस समय अपने बालो को संवारते हुए छत से नीचे देख रही थी ,उसके सभी अंग अपने चरम में मुझे मोहित कर रहे थे और मैं एक टक उसे देख रहा था ,वो मेरी तरफ मुह करके खड़ी हो गई …


मुझे इस चिंता में देखकर उसका भी चहरा उतर गया… वो मेरे गालो को सहलाने लगी और मेरे आंखों में देखने लगी ..


“क्यो अपने को तकलीफ दे रहे हो ,मान भी जाओ के सच क्या है ..”उसके आंखों में कुछ आंसू दमक रहे थे


“लेकिन मैं…”


“उन इंग्लिश फ़िल्मों के पीछे क्यो पड़ रहे हो ,वो सच नही है वो सिर्फ फिल्मे है बस ...और आप वैसे नही हो ,मैंने भी आपके कारण कुछ इंग्लिश फिल्मे देख ली और मुझे समझ आया की आप तो उनमे से कोई भी नही हो ..आप मुझे बिस्तर में संतुष्ट करते हो ,और आप कोई नपुसंक् इंसान भी नही हो ,असल में आपको आजतक किसी चीज के सामने मैंने झुकते हुए नही पाया है,आप तो जिस्म और मन से ही इतने फौलादी हो फिर क्यो आप ऐसे बनने की चाह रखते हो


….मैंने आपकी फेंटेसी क्या कहते है उसे cuckolding के बारे में काफी पढ़ा उसमे एक अल्फा होता है और एक बीटा ,बीटा अपनी पत्नी को अल्फा मेन से सेक्स करवाता है और खुस होता है क्योकि उसे लगता है की एक अल्फा उससे कही ज्यादा उसकी पत्नी को खुस करता है लेकिन क्या आपको लगता है की आप एक बीटा हो,नही जान आप ही तो वो अल्फा हो जिसकी कोई भी लड़की दीवानी हो जाती है ,आप सच्चे मर्द हो ,आपकी ये फेंटेसी ही झूठी है ..’


कुसुम मुझसे लिपट कर रोने लगी ,लेकिन मैं अब भी अजीब सी उलझन में था,मुझे भी पता था की कुसुम ने कुछ गलत नही कहा है,मैं बिस्तर में और समाज में दोनो ही रूप से कुसुम को संतुष्ट करता था, मैं खुद ही इतना सेक्सी था कि हर औरत मेरे साथ सोने को तैयार थी ,लेकिन फिर भी पता नही दिल के किसी कोने से ये आवाज आ रही थी की ये आइडिया बेहद ही उत्तेजक है …


“आप अब भी नही समझ रहे है ...है ना..अच्छा चलो अगर मैं कहु की मैं सच कह रही हु ,,और मैं दिनेश से बेहद प्यार करती हु और उसके साथ सोना चाहती हु तो आप क्या कहोगे…”


कुसुम की बात से मैं फिर से हिल गया,मैं कुछ कह ही नही पा रहा था,उसने मेरे चहरे को जोरो से पकड़ लिया और मेरे आंखों में देखने लगी ..


“बस एक ही बात बोलो जो आपके दिल में आ रही है,अब आप मुझसे कोई भी झूट नही बोलोगे “


मैं उसके आंखों में देखने लगा ,उसके उस मासूम चहरे को देखने लगा ,उसकी वो बड़ी बड़ी आंखे जिसमे मेरे लिए असीम प्यार झलक रहा था,उसका वो नाजुक बदन जो अभी सिल्क और सेटिन की साड़ी से ढंका हुआ था और उसके करीब होने का अहसास ही मुझे उसकी कोमलता का बयान कर रही थी ,


“शायद मैं उसे मार डालूं ..”


मेरे मुह से बस इतना ही निकला और कुसुम के चहरे में एक मुस्कान गहरा गई ,वो मुझसे लिपट गई ..


“बोला था ना आपको …’
वो मेरे सीने को चूमने लगी ,मैं अपनी ही दुनिया में खोया हुआ था,जैसे कोई व्यक्ति एक बेहद हसीन सपना टूटने पर खो जाता है ,मुझे यकीन ही नही हों रहा था की मेरी सच्चाई अखिर ये है,मैंने तो अपने को कुछ और ही सोचा था ,उन फ़िल्मों के हीरो की तरह जो की हॉट वाईफ और cuckolding पर बनाई जाती है!


(दोस्तो सच में फिल्मे, फिल्मे ही होती है ,असल जीवन में ये हॉट वाईफ और cuckolding की फेंटेसी जिस्मानी से कही ज्यादा इमोशनल होती है ,मैं उन्ही पहलुओं को उजागर करने की एक चेष्टा में हु जिसके माध्यम से इन फेंटेसी को और अच्छी तरह से समझा जा सके और इस स्टोरी को सच्चाई के करीब ले जाया जा सके...ताकि पढ़ने में ऐसा ना लगे की ये क्या चुतियापा है ऐसा कभी होता है क्या ???जैसा मुझे ऐसी स्टोरी को पढ़ते हुए लगता है ...मैं कुछ तह की खोज में हु जिसे मैं स्टोरी के माध्यम से उखाड़ना चाहता हु जो ये बता सके की आखिर ये होती क्या है )


कुसुम मेरे सीने से लगी हुई मुझे अपना प्यार दे रही थी ,मेरे हाथ उसके बालो पर चले गए थे,और मैं उसकी कोमलता को ... जो मैं किसी के साथ बाटने की ख्वाहिश रखता था ..सहलाते हुए ये सोच रहा था की क्या मैं सच में इसे किसी और के साथ बांट पाऊंगा ….और मेरा मन मुझे बस ये ही कह रहा था की इसका जवाब तो तुझे भी नही पता.......


“तो क्या सोचा अपने “


कुसुम की आवाज से मैं थोड़ा चौका,ना जाने कितने समय हो चुके थे मुझे अपने ही ख्यालों में खोए हुए …


“क्यो मुझे फंसा रही हो “


उसकी मुस्कान बेहद ही गहरी हो गई ..


“आखिर मान ही गए ना “


“हा लेकिन फिर भी कुछ अजीब सी गुदगुदी होती है जब सोचता हु की कोई दूसरा ..”
उसने मेरे होठो में अपनी उंगली रख दी ..
“बहुत हो गया अब ,..”


वो थोड़े देर कुछ सोचने लगी..फिर अचानक ही बोल पड़ी “अच्छा एक काम करते है ..क्यो ना ऐसा करते है की मैं अपनी जिंदगी जीयू आप अपनी ,लेकिन अब मुझसे कोई उम्मीद मत करना की मैं आपको कुछ बताऊंगी ...किसी भी लड़के के बारे में “


मैं हँस पड़ा “पता है ना की मैं कौन हु ,कैसे छिपाओगी .”


वो मुस्कुरा उठी “हम्म्म्म तो मेरी जासूसी करोगे ..चलो देखते है कितनी करोगे ,”


“अच्छा तो कुछ प्लान कर रही हो ..”


“अब तो सोचना ही पड़ेगा कुछ ,बस आप अपने को काबू में रखना ,वरना किसी को सच में मार बैठोगे..” उसके होठो में एक शरारती मुस्कान आ गई ..


“क्या तुम सच में कुछ करने वाली हो “
मैं थोड़ा गंभीर था,


“बहुत बोलते थे ना अब देखना,जलने का सारा शौक पूरा कर दूंगी मैं आपका “
वो शरारत से बोलकर मुझे अकेला छोड़ नीचे चली गई, मैं बुरी तरह से कांप गया आखिर ये करने क्या वाली थी ...????


जारी है...... ✍️
प्रोफेसर साहब ने बीच में जाकर बेचारे दिनेश का KLPD कर दिया बेचारे ने बड़ी मुस्किल से कुसुम को चोदने का प्लान बनाया था और उसका यह प्लान सक्सेस भी हो जाता अगर अरुण बीच में जाकर न रोकता तो अब कोन सा कांड करने वाली है कुसुम???
 

manu@84

Well-Known Member
8,829
12,253
174
Shandar update
बहुत बहुत धन्यवाद भाई
 
  • Like
Reactions: Raj_sharma

manu@84

Well-Known Member
8,829
12,253
174
ये दोनो हसबैंड वाइफ - अरूण सर और कुसुम मैडम - किसी के दिमाग के पल्ले नही पड़ने वाले । कब और क्या सोचने लगे , कब और क्या करने लगे - ये विधाता भी समझ न पाए ।
अरूण सर का कहना है - उन्हे अपनी पत्नी को गैर के साथ अंतरंग संबंध स्थापित करने से कोई भी परहेज नही है लेकिन शर्त यह है कि वह सम्बन्ध उनकी मौजदूगी मे बने । फिर तो उन्हे भी प्रीति के साथ सेक्सुअल सम्बन्ध बनाते समय कुसुम को साथ मे रखना चाहिए था । या जब वो रिंकी के साथ सेक्सुअल सम्बन्ध बनाएंगे तब कुसुम को उस वक्त साथ रखेंगे ।
यह सब बकवास और बेफिजूल की बातें है । अवैध संबंध चोरी - चुपके और किसी के नजर मे आए हुए वगैर ही स्थापित होते है । अब यदि अरूण सर को कुकोल्डिंग का स्वाद चखना है और चखकर आनंद उठाना है तो उन्हें यह सम्बन्ध " चोरी - चोरी चुपके - चुपके " देखकर ही करना होगा ।
अन्यथा वो कुसुम के सामने कन्फेशन करे कि वो उसके पीठ पीछे कौन कौन सा गुल खिलाए है । अपने सारे सेक्सुअल कर्मों का लेखा - जोखा पेश करे ।

बहुत ही बेहतरीन अपडेट मानु भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग।
😂🤣😂😜😂 सर जी आपके शब्दों ने हँसा हँसा कर आँख से आँसू निकाल दिये.... मजा आ गया, बेहतरीन विश्लेन गजब है 😂🤣😂😂😂🤣

इसी तरह बरसते रहिये शब्दों के साथ ✍️
धन्यवाद
 
Top