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Incest कर्ज और फर्ज - एक कश्मकश

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Ek number

Well-Known Member
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’’ ‘‘प्लीज कुसुम , समझा करो.
उधर से फोन कट चुका था. मैं सिर पकड़ कर बैठ गया.

मैने मेरे साथ लेटी हुई अपनी बेटी पर नज़र डाली तो मैने अपने अंदर अपराधबोध महसूस किया जैसे वो जानती हो कि मैं क्या सोच रहा था और मुझे वैसा नही सोचना चाहिए था क्योंकि वो अब अपनी मम्मी की जगह ले चुकी थी.

रिंकी की निगाहें मुझ पर टिकी थीं. निगाहें चुराता हुआ मैं दूसरी तरफ मुह कर बैठ गया. मुझे स्वयं पर आश्चर्य हो रहा था कि ऐसा कैसे हो गया?

पापा तो फिर क्या सोचा है, आपने...???

क्या मतलब...??? मैने आश्चर्य से पूछा।

मतलब ये कि आपको अब मेरी मम्मी कुसुम से ज्यादा प्यार है या मुझसे.. ???

गलतफेहमी है तेरी , मुझे तुझसे और तेरी मम्मी दोनों से एक जैसा प्यार है, इसलिए मै कल तेरी मम्मी से मिलने के लिए उसके पास जा रहा हूँ।

मैने और मेरी बेटी ने उस रात कुछ बुझे हुए अनमने मन से प्यार किया. वो इस बात से नाखुश थी कि मुझे उसे छोड़ कर कल उसकी मम्मी के पास जाना पड़ रहा है। और जिसकी वजह से हम दोनो को एक दूसरे के प्यार के बिना रहना होगा.

अपनी बाहों में लेते हुए मैने उसे धृड़तापूर्वक बताया कि मुझे उसका इस तरह परेशान और व्याकुल होना बिल्कुल अच्छा नही लग रहा था . यह एक और बदलाव था जिसकी हम दोनो को आदत डालनी थी और उस हिसाब से खुद को व्यवस्थित करना था. उसे मेरी बात समझ आ गयी थी शायद इसीलिए इसके बाद उसके चुंबनो में फिर से गर्माहट लौट आई थी. वो अपनी व्यथा भूलकर वापस अपने रंग में आ गयी थी.

लेकिन उसके चेहरे पर एक अंजानी शंका का भय का भाव था जिसे मैं समझ नही सकता था मगर मुझे उस समय इसकी कोई परवाह भी नही थी. मैं बस कुछ साबित करना चाहता था और हमारे बीच संबंध बनाने के बाद उस रात पहली दफ़ा ऐसा हुआ था जब मैने उसे अपने लिए, अपने मज़े के लिए ज़्यादा चोदा था, ना कि जितना उसके मज़े के लिए, जैसा मैं पहले करता था और जैसे ही मेरा स्खलन हुआ मेरा सारा दम निकल गया. उसके हाव भाव से जाहिर था वो थोड़ी असमंजस में थी, उलझन में थी मगर मुझे अब थोड़ी देर सोना था क्यॉंके सवेरा होने में ज़्यादा वक़्त नही बचा था।

अगले दिन शाम में अपनी कॉलेज की ड्यूटी खतम कर सीधा दिमापुर की ओर निकल गया। कुछ 1-2 घंटो के सफर के बाद मै अपने गंतव्य पहुँचा और वहा से सीधा ऑटो लेकर कुसुम के क्वार्टर के पास लगे बड़े से नीम के पेड़ के नीचे खड़ा होकर उसका ऑफिस से वापस आने का इंतजार करने लगा। चूंकि मुझे ये अच्छे से पता था वो अभी ऑफिस में होगी और मै उसे सरप्रिज़ देना चाहता था।

करीब आधे घंटे के इंतजार के बाद मुझे नयी नवेली लाल रंग की अल्टो कार मेरी दिशा में आती हुई दिखाई दी। निशिचित् ही उसमे कुसुम ही होगी और मै उसे एकदम से उपस्थित होकर सर्परिजे दूंगा ये सोच कर मै थोड़ा सा पेड़ की आड़ में छिप गया।

जैसे ही कार रुकी और उसमे से जब कुसुम निकल कर बाहर आई तो मै खुद सर्परिसे हो गया। कुसुम के इस नये अवतार को देख मेरी आँखे फटी रह गयी। मै ठगा सा उसे बस देखता रह गया.।


आज कुसुम ने एक ब्लैक टॉप और ब्लू जीन्स पहने हुई थी ,उसके सभी शेप बड़े ही खूबसूरत लग रहे थे, मेरी कुसुम साड़ी से सलवार कुर्ता और अब जीन्स तक आ चुकी थी ,कोई भी बड़ी बात नही की कुछ दिनों में वो स्कर्ट वगेरह भी पहनने शुरू कर दे, वो अपने साथ एक बेग भी ले जाती थी पता नही उसमे क्या था, शायद उसे भी चेक करू कभी….कुसुम के उभरे हुए कर्व को देखकर मैं भी मोहित हो गया , कुसुम ने गाड़ी लॉक की और क्वाटर के बाहर लगे छोटे से दरवाजे को खोलने वाली थी, जब मैंने उसे आवाज दी…... कुसुम...!

मेरी आवाज सुन कुसुम ऐसे चौंकी, जैसे चोरी करते हुए रंगेहाथ पकड़ ली गई हो.
वो मुंह पर हाथ रखते हुए बोली, ‘‘हाय दैया, तो आप हो...??

मैने मुस्कुराहट देते हुए पूछा, ‘‘क्या बात है जान, मेरा आना तुमको अच्छा नहीं लगा?’’

कुसुम हैरानी से जल्दी से मेरे पास आयी पर मैं तब तक उसकी नयी कार के पास आ कर उसे निहार रहा था, उसने मुझे देखा मैं थोड़ा सीरियस सा फेस बना कर वही खड़ा था , कुसुम जरूर ये समझ चुकी थी की कुछ तो गड़बड़ है शायद उसे ये लग रहा था की उसका ये मुझे बिना बताये जीन्स पहनना मुझे पसंद नही आया होगा या और कुछ , ऐसे भी उसका जीन्स बहुत ही कामुक लग रहा था,पिछवाड़े का पूरा प्रदर्शन और साथ ही उसके कसे हुए स्तनों की चोटी।

ऐसे भी उसके स्तन बहुत ही बड़े और आकर्षक थे… कुसुम इस अहसास से अपनी नजर झुककर मेरे सामने खड़ी हो गयी …...मैं कुछ बोलता उससे पहले ही बोलने लगी…

“जान मुझे माफ कर दो मैंने आपसे बिना पूछे ही ये कपड़े पहन लिए मैं इसे अभी चेंज करती हु..”

आज मुझे पता चला की अगर सुंदर हॉट वाइफ अथवा लड़की कसे हुए कपड़े पहन ले तो क्या होता है साले सभी ठरकी लोग हमे ही देख रहे थे और हमे कहना गलत है क्योकि वो सिर्फ कुसुम को ही देख रहे थे…….।

मैंने भी धयन दिया तो मैं भी थोड़ा चौक गया क्योकि मेरी कुसुम का कसा हुआ हुस्न इस वक्त देखने के लायक ही था ,उसके स्तन ऐसे भी बहुत ही बड़े और कसे हुए थे वो पूरे अपने सुरूर में किसी चोटी की तरह से दिखाई पड़ रहे थे ,लेकिन मुख्य आकर्षण तो उसके जीन्स में कसे हुए पिछवाडे (नितंब) थे जो इतने टाइट और इतने गजब के थे की मुझे भी एक बार लगा की साला छोड़ो सब को और घुस जाओ कुसुम को लेकर उसकी अल्टो कार में ,

कुसुम के उभरे हुए कूल्हे उसके पिछवाड़े के दोनो फांकों को साफ साफ अलग कर रहे थे थोड़ी देर में ही उसने मुझे भी उसे देखता पाया और खुद ही शर्मा गयी ,

“चलो घर के अंदर चलते है …….”

“अरे क्या हुआ ,”

“अरे अब अंदर चलो प्लीज् “

“बताओ तो सही की क्या हुआ है “

“नही सभी मुझे ऐसे देख रहे है तो आपको बुरा लगेगा और ये बहुत ही टाइट है ,मैं इसे चेंज कर लेती हु “

मेरे चहरे पर एक मुस्कुराहट आ गई , भगवान सभी को इतनी समझदार बीवी दे ,........'बस वो आपकी ही रहे किसी और की नही' मेरी बीवी में हर वो चीज थी जो एक मर्द चाहता है, पर बस एक चीज ऐसी थी जो शायद की कोई मर्द चाहे ,जी हाँ अपनी पत्नी का किसी दूसरे मर्द से जिस्मानी संबंध……।

“अरे जान अगर तुम यहाँ ऐसा शर्माओगी तो ऑफिस में काम कैसे करती होगी, वहां भी तो लड़के आते होंगे ना “

तब तक वो घर की ओर मुड़ चुकी थी ,

“अरे वहां की बात अलग है पर यहां आपके सामने ये सब अच्छा नही लग रहा।

मेरे सामने अच्छा नही लग रहा मतलब मेरे पीछे सब अच्छा लगता हैं , वहां रे मेरी कुसुम …….

“आप बुरा मत मानना पर आपके सामने मुझे कोई घूरे ये मुझे अच्छा नही लगता,और आप ना हो तो मुझे कोई भी फर्क नही पड़ता की कौन क्या कर रहा है………क्या देख रहा है.....क्या कह रहा है??????

"मैं बस कुसुम पर शक ही कर सकता था अभी तक, मैंने देखा तो नही था की वो क्या करती है, और जो देखा था, वो बहुत ही कम था"

और हम घर के अंदर पहुँच गए मैंने उसे इशारे से दरवाजा बंद करने को कहा ,

बैठो, मैं नहा कर आती हूं...’’

इतना कह कर कुसुम फिर बाथरूम में नहाने को मुड़ी, लेकिन मैने उस का हाथ पकड़ कर रोक लिया.

उस समय मेरी आंखें लाल सुर्ख हो रही थीं और सारा बदन जोश के मारे कांपा जा रहा था. मैने आव देखा न ताव तुरंत कुसुम को अपनी बांहों में भरते हुए कहा, ‘‘जो नहाना था, वह तुम सुबह ही नहा चुकी हो, इसलिए अब तुम्हें मैं नहलाऊंगा...’’

कुसुम सिकुड़ते हुए बोली, ‘‘बड़े बेशर्म हो जी आप ... हटो, मुझे कपड़े तो बदलने लेने दो...’’

‘‘जल्दी क्या है... फिर पहन लेना कपड़े. पहले उतारने दो, इतनी गरमी है, थोड़ी देर ऐसे ही बदन ठंडा होने दो. फिर जो नहाना हम कराएंगे, उस में कपड़ों का क्या काम...’’ कहते कहते मैने कुसुम को और जोर से भींच लिया.

वो कुछ देर तक मेरी बाहों में कसमसाती रही और मौका पाकर छिटक कर मुझसे दूर भाग कर बाथरूम में घुस गयी और दरवाजे बंद करते हुए बोली जो करना है वो रात को करना।

आज की रात मेरे लिए मेरे लिए बड़ी बेताबी की रात होने वाली थी, कुसुम रात में थोड़ी सुस्त दिखी,

“क्या हुआ जान,आज बड़ी सुस्त लग रही ही,काम से थक गई हो लगता है,”

मैने उसे अपने ऊपर खिंचते हुए कहा…वो मेरी बांहो में मचल कर समा गई..

“हा जान काम बहुत हो जा रहा है,इतना काम करने की आदत नही है मुझे...दिन भर काम करने वालो से कचकच, भला हो ऑफिस बॉय का वो पूरा दौड़भाग के काम सम्हाल लेता है वरना मैं अकेली तो …..उफ्फ्फ जल्दी से मेरा प्रमोशन के साथ वापस अपने शहर में ट्रांसफर हो जाय तो थोड़ा आराम आएगा”

कुसुम मेरे सीने में मचलने लगी,मैं उसके होठो को अपने उंगलियों से सहलाते हुए एक उंगली उसके मुह में डाल दिया वो हल्के से उसे चूसने लगी,


मेरी कुसुम बला की खूबसूरती, हर एक अंग जैसे बड़ी मेहनत से तराशा गया हो,होठो पर प्यारी ही मुस्कान और आंखों में बेपनाह प्यार, उसके नजरो की नजाकत से ही दिल मे एक सुकून भर जाता था, उसने अपनी मदभरे नयनो से मुझे देखा, इतनी चाहत इतना प्यार….

मैं उसे देखकर खुद को रोक ही नही पाया, और उसके आंखों पर अपने होठो को रख दिया, उसके चेहरे की मुस्कान और भी गहरा गयी.. और वो फिर से मचलती हुई मेरे सीने से लग गयी…

आज मैं इससे ज्यादा बढ़ना भी नही चाहता था बस चाहता था कि उसे महसूस करू, अपनी रूह तक उसकी कोमलता को पहुचने दु...उसके कोमल अंगों को बस हल्के हाथों से सहला रहा था,और वो भी मेरे सीने में सर रखे बस सो रही थी ,मैंने भी अपनी आंखें बंद कर ली और अपने हाथों को उसके शरीर से लिपटा कर गहरी सांसे ले अपनी जान को महसूस करने लगा...ना जाने कब हम दोनों ही नींद के आगोश में चले गए थे..

जब नींद खुली तो सुबह हो चुकी थी कुसुम अब भी उसी तरह मेरे ऊपर लेटी हुई थी मैं फिर से उसे निहारने लगा,वो सौंदर्य की प्रतिमा सोते हुए भी इतनी प्यारी लग रही थी….

अचानक मुझे याद आये वो शब्द जो कुसुम ने मेरे बाहों के आगोश में कहे थे "उफ्फ्फ जल्दी से मेरा प्रमोशन के साथ वापस अपने शहर में ट्रांसफर हो जाय तो थोड़ा आराम आएगा”

मैंने फिर कुसुम के सुकून की नींद में सोते हुए चेहरे को देखा … एक अनजानी सी खुशी ने मुझे घेर लिया, पर साथ ही एक अनजाना सा दुख भी था…।


जारी है.... ✍️
Nice update
 

Kuresa Begam

Member
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’’ ‘‘प्लीज कुसुम , समझा करो.
उधर से फोन कट चुका था. मैं सिर पकड़ कर बैठ गया.

मैने मेरे साथ लेटी हुई अपनी बेटी पर नज़र डाली तो मैने अपने अंदर अपराधबोध महसूस किया जैसे वो जानती हो कि मैं क्या सोच रहा था और मुझे वैसा नही सोचना चाहिए था क्योंकि वो अब अपनी मम्मी की जगह ले चुकी थी.

रिंकी की निगाहें मुझ पर टिकी थीं. निगाहें चुराता हुआ मैं दूसरी तरफ मुह कर बैठ गया. मुझे स्वयं पर आश्चर्य हो रहा था कि ऐसा कैसे हो गया?

पापा तो फिर क्या सोचा है, आपने...???

क्या मतलब...??? मैने आश्चर्य से पूछा।

मतलब ये कि आपको अब मेरी मम्मी कुसुम से ज्यादा प्यार है या मुझसे.. ???

गलतफेहमी है तेरी , मुझे तुझसे और तेरी मम्मी दोनों से एक जैसा प्यार है, इसलिए मै कल तेरी मम्मी से मिलने के लिए उसके पास जा रहा हूँ।

मैने और मेरी बेटी ने उस रात कुछ बुझे हुए अनमने मन से प्यार किया. वो इस बात से नाखुश थी कि मुझे उसे छोड़ कर कल उसकी मम्मी के पास जाना पड़ रहा है। और जिसकी वजह से हम दोनो को एक दूसरे के प्यार के बिना रहना होगा.

अपनी बाहों में लेते हुए मैने उसे धृड़तापूर्वक बताया कि मुझे उसका इस तरह परेशान और व्याकुल होना बिल्कुल अच्छा नही लग रहा था . यह एक और बदलाव था जिसकी हम दोनो को आदत डालनी थी और उस हिसाब से खुद को व्यवस्थित करना था. उसे मेरी बात समझ आ गयी थी शायद इसीलिए इसके बाद उसके चुंबनो में फिर से गर्माहट लौट आई थी. वो अपनी व्यथा भूलकर वापस अपने रंग में आ गयी थी.

लेकिन उसके चेहरे पर एक अंजानी शंका का भय का भाव था जिसे मैं समझ नही सकता था मगर मुझे उस समय इसकी कोई परवाह भी नही थी. मैं बस कुछ साबित करना चाहता था और हमारे बीच संबंध बनाने के बाद उस रात पहली दफ़ा ऐसा हुआ था जब मैने उसे अपने लिए, अपने मज़े के लिए ज़्यादा चोदा था, ना कि जितना उसके मज़े के लिए, जैसा मैं पहले करता था और जैसे ही मेरा स्खलन हुआ मेरा सारा दम निकल गया. उसके हाव भाव से जाहिर था वो थोड़ी असमंजस में थी, उलझन में थी मगर मुझे अब थोड़ी देर सोना था क्यॉंके सवेरा होने में ज़्यादा वक़्त नही बचा था।

अगले दिन शाम में अपनी कॉलेज की ड्यूटी खतम कर सीधा दिमापुर की ओर निकल गया। कुछ 1-2 घंटो के सफर के बाद मै अपने गंतव्य पहुँचा और वहा से सीधा ऑटो लेकर कुसुम के क्वार्टर के पास लगे बड़े से नीम के पेड़ के नीचे खड़ा होकर उसका ऑफिस से वापस आने का इंतजार करने लगा। चूंकि मुझे ये अच्छे से पता था वो अभी ऑफिस में होगी और मै उसे सरप्रिज़ देना चाहता था।

करीब आधे घंटे के इंतजार के बाद मुझे नयी नवेली लाल रंग की अल्टो कार मेरी दिशा में आती हुई दिखाई दी। निशिचित् ही उसमे कुसुम ही होगी और मै उसे एकदम से उपस्थित होकर सर्परिजे दूंगा ये सोच कर मै थोड़ा सा पेड़ की आड़ में छिप गया।

जैसे ही कार रुकी और उसमे से जब कुसुम निकल कर बाहर आई तो मै खुद सर्परिसे हो गया। कुसुम के इस नये अवतार को देख मेरी आँखे फटी रह गयी। मै ठगा सा उसे बस देखता रह गया.।


आज कुसुम ने एक ब्लैक टॉप और ब्लू जीन्स पहने हुई थी ,उसके सभी शेप बड़े ही खूबसूरत लग रहे थे, मेरी कुसुम साड़ी से सलवार कुर्ता और अब जीन्स तक आ चुकी थी ,कोई भी बड़ी बात नही की कुछ दिनों में वो स्कर्ट वगेरह भी पहनने शुरू कर दे, वो अपने साथ एक बेग भी ले जाती थी पता नही उसमे क्या था, शायद उसे भी चेक करू कभी….कुसुम के उभरे हुए कर्व को देखकर मैं भी मोहित हो गया , कुसुम ने गाड़ी लॉक की और क्वाटर के बाहर लगे छोटे से दरवाजे को खोलने वाली थी, जब मैंने उसे आवाज दी…... कुसुम...!

मेरी आवाज सुन कुसुम ऐसे चौंकी, जैसे चोरी करते हुए रंगेहाथ पकड़ ली गई हो.
वो मुंह पर हाथ रखते हुए बोली, ‘‘हाय दैया, तो आप हो...??

मैने मुस्कुराहट देते हुए पूछा, ‘‘क्या बात है जान, मेरा आना तुमको अच्छा नहीं लगा?’’

कुसुम हैरानी से जल्दी से मेरे पास आयी पर मैं तब तक उसकी नयी कार के पास आ कर उसे निहार रहा था, उसने मुझे देखा मैं थोड़ा सीरियस सा फेस बना कर वही खड़ा था , कुसुम जरूर ये समझ चुकी थी की कुछ तो गड़बड़ है शायद उसे ये लग रहा था की उसका ये मुझे बिना बताये जीन्स पहनना मुझे पसंद नही आया होगा या और कुछ , ऐसे भी उसका जीन्स बहुत ही कामुक लग रहा था,पिछवाड़े का पूरा प्रदर्शन और साथ ही उसके कसे हुए स्तनों की चोटी।

ऐसे भी उसके स्तन बहुत ही बड़े और आकर्षक थे… कुसुम इस अहसास से अपनी नजर झुककर मेरे सामने खड़ी हो गयी …...मैं कुछ बोलता उससे पहले ही बोलने लगी…

“जान मुझे माफ कर दो मैंने आपसे बिना पूछे ही ये कपड़े पहन लिए मैं इसे अभी चेंज करती हु..”

आज मुझे पता चला की अगर सुंदर हॉट वाइफ अथवा लड़की कसे हुए कपड़े पहन ले तो क्या होता है साले सभी ठरकी लोग हमे ही देख रहे थे और हमे कहना गलत है क्योकि वो सिर्फ कुसुम को ही देख रहे थे…….।

मैंने भी धयन दिया तो मैं भी थोड़ा चौक गया क्योकि मेरी कुसुम का कसा हुआ हुस्न इस वक्त देखने के लायक ही था ,उसके स्तन ऐसे भी बहुत ही बड़े और कसे हुए थे वो पूरे अपने सुरूर में किसी चोटी की तरह से दिखाई पड़ रहे थे ,लेकिन मुख्य आकर्षण तो उसके जीन्स में कसे हुए पिछवाडे (नितंब) थे जो इतने टाइट और इतने गजब के थे की मुझे भी एक बार लगा की साला छोड़ो सब को और घुस जाओ कुसुम को लेकर उसकी अल्टो कार में ,

कुसुम के उभरे हुए कूल्हे उसके पिछवाड़े के दोनो फांकों को साफ साफ अलग कर रहे थे थोड़ी देर में ही उसने मुझे भी उसे देखता पाया और खुद ही शर्मा गयी ,

“चलो घर के अंदर चलते है …….”

“अरे क्या हुआ ,”

“अरे अब अंदर चलो प्लीज् “

“बताओ तो सही की क्या हुआ है “

“नही सभी मुझे ऐसे देख रहे है तो आपको बुरा लगेगा और ये बहुत ही टाइट है ,मैं इसे चेंज कर लेती हु “

मेरे चहरे पर एक मुस्कुराहट आ गई , भगवान सभी को इतनी समझदार बीवी दे ,........'बस वो आपकी ही रहे किसी और की नही' मेरी बीवी में हर वो चीज थी जो एक मर्द चाहता है, पर बस एक चीज ऐसी थी जो शायद की कोई मर्द चाहे ,जी हाँ अपनी पत्नी का किसी दूसरे मर्द से जिस्मानी संबंध……।

“अरे जान अगर तुम यहाँ ऐसा शर्माओगी तो ऑफिस में काम कैसे करती होगी, वहां भी तो लड़के आते होंगे ना “

तब तक वो घर की ओर मुड़ चुकी थी ,

“अरे वहां की बात अलग है पर यहां आपके सामने ये सब अच्छा नही लग रहा।

मेरे सामने अच्छा नही लग रहा मतलब मेरे पीछे सब अच्छा लगता हैं , वहां रे मेरी कुसुम …….

“आप बुरा मत मानना पर आपके सामने मुझे कोई घूरे ये मुझे अच्छा नही लगता,और आप ना हो तो मुझे कोई भी फर्क नही पड़ता की कौन क्या कर रहा है………क्या देख रहा है.....क्या कह रहा है??????

"मैं बस कुसुम पर शक ही कर सकता था अभी तक, मैंने देखा तो नही था की वो क्या करती है, और जो देखा था, वो बहुत ही कम था"

और हम घर के अंदर पहुँच गए मैंने उसे इशारे से दरवाजा बंद करने को कहा ,

बैठो, मैं नहा कर आती हूं...’’

इतना कह कर कुसुम फिर बाथरूम में नहाने को मुड़ी, लेकिन मैने उस का हाथ पकड़ कर रोक लिया.

उस समय मेरी आंखें लाल सुर्ख हो रही थीं और सारा बदन जोश के मारे कांपा जा रहा था. मैने आव देखा न ताव तुरंत कुसुम को अपनी बांहों में भरते हुए कहा, ‘‘जो नहाना था, वह तुम सुबह ही नहा चुकी हो, इसलिए अब तुम्हें मैं नहलाऊंगा...’’

कुसुम सिकुड़ते हुए बोली, ‘‘बड़े बेशर्म हो जी आप ... हटो, मुझे कपड़े तो बदलने लेने दो...’’

‘‘जल्दी क्या है... फिर पहन लेना कपड़े. पहले उतारने दो, इतनी गरमी है, थोड़ी देर ऐसे ही बदन ठंडा होने दो. फिर जो नहाना हम कराएंगे, उस में कपड़ों का क्या काम...’’ कहते कहते मैने कुसुम को और जोर से भींच लिया.

वो कुछ देर तक मेरी बाहों में कसमसाती रही और मौका पाकर छिटक कर मुझसे दूर भाग कर बाथरूम में घुस गयी और दरवाजे बंद करते हुए बोली जो करना है वो रात को करना।

आज की रात मेरे लिए मेरे लिए बड़ी बेताबी की रात होने वाली थी, कुसुम रात में थोड़ी सुस्त दिखी,

“क्या हुआ जान,आज बड़ी सुस्त लग रही ही,काम से थक गई हो लगता है,”

मैने उसे अपने ऊपर खिंचते हुए कहा…वो मेरी बांहो में मचल कर समा गई..

“हा जान काम बहुत हो जा रहा है,इतना काम करने की आदत नही है मुझे...दिन भर काम करने वालो से कचकच, भला हो ऑफिस बॉय का वो पूरा दौड़भाग के काम सम्हाल लेता है वरना मैं अकेली तो …..उफ्फ्फ जल्दी से मेरा प्रमोशन के साथ वापस अपने शहर में ट्रांसफर हो जाय तो थोड़ा आराम आएगा”

कुसुम मेरे सीने में मचलने लगी,मैं उसके होठो को अपने उंगलियों से सहलाते हुए एक उंगली उसके मुह में डाल दिया वो हल्के से उसे चूसने लगी,


मेरी कुसुम बला की खूबसूरती, हर एक अंग जैसे बड़ी मेहनत से तराशा गया हो,होठो पर प्यारी ही मुस्कान और आंखों में बेपनाह प्यार, उसके नजरो की नजाकत से ही दिल मे एक सुकून भर जाता था, उसने अपनी मदभरे नयनो से मुझे देखा, इतनी चाहत इतना प्यार….

मैं उसे देखकर खुद को रोक ही नही पाया, और उसके आंखों पर अपने होठो को रख दिया, उसके चेहरे की मुस्कान और भी गहरा गयी.. और वो फिर से मचलती हुई मेरे सीने से लग गयी…

आज मैं इससे ज्यादा बढ़ना भी नही चाहता था बस चाहता था कि उसे महसूस करू, अपनी रूह तक उसकी कोमलता को पहुचने दु...उसके कोमल अंगों को बस हल्के हाथों से सहला रहा था,और वो भी मेरे सीने में सर रखे बस सो रही थी ,मैंने भी अपनी आंखें बंद कर ली और अपने हाथों को उसके शरीर से लिपटा कर गहरी सांसे ले अपनी जान को महसूस करने लगा...ना जाने कब हम दोनों ही नींद के आगोश में चले गए थे..

जब नींद खुली तो सुबह हो चुकी थी कुसुम अब भी उसी तरह मेरे ऊपर लेटी हुई थी मैं फिर से उसे निहारने लगा,वो सौंदर्य की प्रतिमा सोते हुए भी इतनी प्यारी लग रही थी….

अचानक मुझे याद आये वो शब्द जो कुसुम ने मेरे बाहों के आगोश में कहे थे "उफ्फ्फ जल्दी से मेरा प्रमोशन के साथ वापस अपने शहर में ट्रांसफर हो जाय तो थोड़ा आराम आएगा”

मैंने फिर कुसुम के सुकून की नींद में सोते हुए चेहरे को देखा … एक अनजानी सी खुशी ने मुझे घेर लिया, पर साथ ही एक अनजाना सा दुख भी था…।


जारी है.... ✍️
Nice update sir jee 👌
Per Chhota update hai.
 
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अरूण साहब के दोनो हाथों मे लड्डू बरकरार रहे , यह सोचकर अपनी पत्नि कुसुम के पास दीमापुर चले गए ।

वहां कुसुम के पहनावे मे आए ट्रांसफार्मरेशन को देखा ।
इस ट्रांसफार्मरेशन की वजह से आए उसके हुस्न मे आए बदलाव को देखा । उसकी हैसियत मे आए उछाल को देखा । उसकी नई नवेली कार को देखा ।
अब यह सब देखने के बाद भला कोई भी इंसान अपनी मिल्कियत को यूं कैसे इग्नोर कर सकता है !

" बड़े कांटे हैं इस राह पर " - इसलिए अरूण साहब , धीरे चलना और सम्भल कर चलना ।

बहुत ही बेहतरीन अपडेट मानु भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट।
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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’’ ‘‘प्लीज कुसुम , समझा करो.
उधर से फोन कट चुका था. मैं सिर पकड़ कर बैठ गया.

मैने मेरे साथ लेटी हुई अपनी बेटी पर नज़र डाली तो मैने अपने अंदर अपराधबोध महसूस किया जैसे वो जानती हो कि मैं क्या सोच रहा था और मुझे वैसा नही सोचना चाहिए था क्योंकि वो अब अपनी मम्मी की जगह ले चुकी थी.

रिंकी की निगाहें मुझ पर टिकी थीं. निगाहें चुराता हुआ मैं दूसरी तरफ मुह कर बैठ गया. मुझे स्वयं पर आश्चर्य हो रहा था कि ऐसा कैसे हो गया?

पापा तो फिर क्या सोचा है, आपने...???

क्या मतलब...??? मैने आश्चर्य से पूछा।

मतलब ये कि आपको अब मेरी मम्मी कुसुम से ज्यादा प्यार है या मुझसे.. ???

गलतफेहमी है तेरी , मुझे तुझसे और तेरी मम्मी दोनों से एक जैसा प्यार है, इसलिए मै कल तेरी मम्मी से मिलने के लिए उसके पास जा रहा हूँ।

मैने और मेरी बेटी ने उस रात कुछ बुझे हुए अनमने मन से प्यार किया. वो इस बात से नाखुश थी कि मुझे उसे छोड़ कर कल उसकी मम्मी के पास जाना पड़ रहा है। और जिसकी वजह से हम दोनो को एक दूसरे के प्यार के बिना रहना होगा.

अपनी बाहों में लेते हुए मैने उसे धृड़तापूर्वक बताया कि मुझे उसका इस तरह परेशान और व्याकुल होना बिल्कुल अच्छा नही लग रहा था . यह एक और बदलाव था जिसकी हम दोनो को आदत डालनी थी और उस हिसाब से खुद को व्यवस्थित करना था. उसे मेरी बात समझ आ गयी थी शायद इसीलिए इसके बाद उसके चुंबनो में फिर से गर्माहट लौट आई थी. वो अपनी व्यथा भूलकर वापस अपने रंग में आ गयी थी.

लेकिन उसके चेहरे पर एक अंजानी शंका का भय का भाव था जिसे मैं समझ नही सकता था मगर मुझे उस समय इसकी कोई परवाह भी नही थी. मैं बस कुछ साबित करना चाहता था और हमारे बीच संबंध बनाने के बाद उस रात पहली दफ़ा ऐसा हुआ था जब मैने उसे अपने लिए, अपने मज़े के लिए ज़्यादा चोदा था, ना कि जितना उसके मज़े के लिए, जैसा मैं पहले करता था और जैसे ही मेरा स्खलन हुआ मेरा सारा दम निकल गया. उसके हाव भाव से जाहिर था वो थोड़ी असमंजस में थी, उलझन में थी मगर मुझे अब थोड़ी देर सोना था क्यॉंके सवेरा होने में ज़्यादा वक़्त नही बचा था।

अगले दिन शाम में अपनी कॉलेज की ड्यूटी खतम कर सीधा दिमापुर की ओर निकल गया। कुछ 1-2 घंटो के सफर के बाद मै अपने गंतव्य पहुँचा और वहा से सीधा ऑटो लेकर कुसुम के क्वार्टर के पास लगे बड़े से नीम के पेड़ के नीचे खड़ा होकर उसका ऑफिस से वापस आने का इंतजार करने लगा। चूंकि मुझे ये अच्छे से पता था वो अभी ऑफिस में होगी और मै उसे सरप्रिज़ देना चाहता था।

करीब आधे घंटे के इंतजार के बाद मुझे नयी नवेली लाल रंग की अल्टो कार मेरी दिशा में आती हुई दिखाई दी। निशिचित् ही उसमे कुसुम ही होगी और मै उसे एकदम से उपस्थित होकर सर्परिजे दूंगा ये सोच कर मै थोड़ा सा पेड़ की आड़ में छिप गया।

जैसे ही कार रुकी और उसमे से जब कुसुम निकल कर बाहर आई तो मै खुद सर्परिसे हो गया। कुसुम के इस नये अवतार को देख मेरी आँखे फटी रह गयी। मै ठगा सा उसे बस देखता रह गया.।


आज कुसुम ने एक ब्लैक टॉप और ब्लू जीन्स पहने हुई थी ,उसके सभी शेप बड़े ही खूबसूरत लग रहे थे, मेरी कुसुम साड़ी से सलवार कुर्ता और अब जीन्स तक आ चुकी थी ,कोई भी बड़ी बात नही की कुछ दिनों में वो स्कर्ट वगेरह भी पहनने शुरू कर दे, वो अपने साथ एक बेग भी ले जाती थी पता नही उसमे क्या था, शायद उसे भी चेक करू कभी….कुसुम के उभरे हुए कर्व को देखकर मैं भी मोहित हो गया , कुसुम ने गाड़ी लॉक की और क्वाटर के बाहर लगे छोटे से दरवाजे को खोलने वाली थी, जब मैंने उसे आवाज दी…... कुसुम...!

मेरी आवाज सुन कुसुम ऐसे चौंकी, जैसे चोरी करते हुए रंगेहाथ पकड़ ली गई हो.
वो मुंह पर हाथ रखते हुए बोली, ‘‘हाय दैया, तो आप हो...??

मैने मुस्कुराहट देते हुए पूछा, ‘‘क्या बात है जान, मेरा आना तुमको अच्छा नहीं लगा?’’

कुसुम हैरानी से जल्दी से मेरे पास आयी पर मैं तब तक उसकी नयी कार के पास आ कर उसे निहार रहा था, उसने मुझे देखा मैं थोड़ा सीरियस सा फेस बना कर वही खड़ा था , कुसुम जरूर ये समझ चुकी थी की कुछ तो गड़बड़ है शायद उसे ये लग रहा था की उसका ये मुझे बिना बताये जीन्स पहनना मुझे पसंद नही आया होगा या और कुछ , ऐसे भी उसका जीन्स बहुत ही कामुक लग रहा था,पिछवाड़े का पूरा प्रदर्शन और साथ ही उसके कसे हुए स्तनों की चोटी।

ऐसे भी उसके स्तन बहुत ही बड़े और आकर्षक थे… कुसुम इस अहसास से अपनी नजर झुककर मेरे सामने खड़ी हो गयी …...मैं कुछ बोलता उससे पहले ही बोलने लगी…

“जान मुझे माफ कर दो मैंने आपसे बिना पूछे ही ये कपड़े पहन लिए मैं इसे अभी चेंज करती हु..”

आज मुझे पता चला की अगर सुंदर हॉट वाइफ अथवा लड़की कसे हुए कपड़े पहन ले तो क्या होता है साले सभी ठरकी लोग हमे ही देख रहे थे और हमे कहना गलत है क्योकि वो सिर्फ कुसुम को ही देख रहे थे…….।

मैंने भी धयन दिया तो मैं भी थोड़ा चौक गया क्योकि मेरी कुसुम का कसा हुआ हुस्न इस वक्त देखने के लायक ही था ,उसके स्तन ऐसे भी बहुत ही बड़े और कसे हुए थे वो पूरे अपने सुरूर में किसी चोटी की तरह से दिखाई पड़ रहे थे ,लेकिन मुख्य आकर्षण तो उसके जीन्स में कसे हुए पिछवाडे (नितंब) थे जो इतने टाइट और इतने गजब के थे की मुझे भी एक बार लगा की साला छोड़ो सब को और घुस जाओ कुसुम को लेकर उसकी अल्टो कार में ,

कुसुम के उभरे हुए कूल्हे उसके पिछवाड़े के दोनो फांकों को साफ साफ अलग कर रहे थे थोड़ी देर में ही उसने मुझे भी उसे देखता पाया और खुद ही शर्मा गयी ,

“चलो घर के अंदर चलते है …….”

“अरे क्या हुआ ,”

“अरे अब अंदर चलो प्लीज् “

“बताओ तो सही की क्या हुआ है “

“नही सभी मुझे ऐसे देख रहे है तो आपको बुरा लगेगा और ये बहुत ही टाइट है ,मैं इसे चेंज कर लेती हु “

मेरे चहरे पर एक मुस्कुराहट आ गई , भगवान सभी को इतनी समझदार बीवी दे ,........'बस वो आपकी ही रहे किसी और की नही' मेरी बीवी में हर वो चीज थी जो एक मर्द चाहता है, पर बस एक चीज ऐसी थी जो शायद की कोई मर्द चाहे ,जी हाँ अपनी पत्नी का किसी दूसरे मर्द से जिस्मानी संबंध……।

“अरे जान अगर तुम यहाँ ऐसा शर्माओगी तो ऑफिस में काम कैसे करती होगी, वहां भी तो लड़के आते होंगे ना “

तब तक वो घर की ओर मुड़ चुकी थी ,

“अरे वहां की बात अलग है पर यहां आपके सामने ये सब अच्छा नही लग रहा।

मेरे सामने अच्छा नही लग रहा मतलब मेरे पीछे सब अच्छा लगता हैं , वहां रे मेरी कुसुम …….

“आप बुरा मत मानना पर आपके सामने मुझे कोई घूरे ये मुझे अच्छा नही लगता,और आप ना हो तो मुझे कोई भी फर्क नही पड़ता की कौन क्या कर रहा है………क्या देख रहा है.....क्या कह रहा है??????

"मैं बस कुसुम पर शक ही कर सकता था अभी तक, मैंने देखा तो नही था की वो क्या करती है, और जो देखा था, वो बहुत ही कम था"

और हम घर के अंदर पहुँच गए मैंने उसे इशारे से दरवाजा बंद करने को कहा ,

बैठो, मैं नहा कर आती हूं...’’

इतना कह कर कुसुम फिर बाथरूम में नहाने को मुड़ी, लेकिन मैने उस का हाथ पकड़ कर रोक लिया.

उस समय मेरी आंखें लाल सुर्ख हो रही थीं और सारा बदन जोश के मारे कांपा जा रहा था. मैने आव देखा न ताव तुरंत कुसुम को अपनी बांहों में भरते हुए कहा, ‘‘जो नहाना था, वह तुम सुबह ही नहा चुकी हो, इसलिए अब तुम्हें मैं नहलाऊंगा...’’

कुसुम सिकुड़ते हुए बोली, ‘‘बड़े बेशर्म हो जी आप ... हटो, मुझे कपड़े तो बदलने लेने दो...’’

‘‘जल्दी क्या है... फिर पहन लेना कपड़े. पहले उतारने दो, इतनी गरमी है, थोड़ी देर ऐसे ही बदन ठंडा होने दो. फिर जो नहाना हम कराएंगे, उस में कपड़ों का क्या काम...’’ कहते कहते मैने कुसुम को और जोर से भींच लिया.

वो कुछ देर तक मेरी बाहों में कसमसाती रही और मौका पाकर छिटक कर मुझसे दूर भाग कर बाथरूम में घुस गयी और दरवाजे बंद करते हुए बोली जो करना है वो रात को करना।

आज की रात मेरे लिए मेरे लिए बड़ी बेताबी की रात होने वाली थी, कुसुम रात में थोड़ी सुस्त दिखी,

“क्या हुआ जान,आज बड़ी सुस्त लग रही ही,काम से थक गई हो लगता है,”

मैने उसे अपने ऊपर खिंचते हुए कहा…वो मेरी बांहो में मचल कर समा गई..

“हा जान काम बहुत हो जा रहा है,इतना काम करने की आदत नही है मुझे...दिन भर काम करने वालो से कचकच, भला हो ऑफिस बॉय का वो पूरा दौड़भाग के काम सम्हाल लेता है वरना मैं अकेली तो …..उफ्फ्फ जल्दी से मेरा प्रमोशन के साथ वापस अपने शहर में ट्रांसफर हो जाय तो थोड़ा आराम आएगा”

कुसुम मेरे सीने में मचलने लगी,मैं उसके होठो को अपने उंगलियों से सहलाते हुए एक उंगली उसके मुह में डाल दिया वो हल्के से उसे चूसने लगी,


मेरी कुसुम बला की खूबसूरती, हर एक अंग जैसे बड़ी मेहनत से तराशा गया हो,होठो पर प्यारी ही मुस्कान और आंखों में बेपनाह प्यार, उसके नजरो की नजाकत से ही दिल मे एक सुकून भर जाता था, उसने अपनी मदभरे नयनो से मुझे देखा, इतनी चाहत इतना प्यार….

मैं उसे देखकर खुद को रोक ही नही पाया, और उसके आंखों पर अपने होठो को रख दिया, उसके चेहरे की मुस्कान और भी गहरा गयी.. और वो फिर से मचलती हुई मेरे सीने से लग गयी…

आज मैं इससे ज्यादा बढ़ना भी नही चाहता था बस चाहता था कि उसे महसूस करू, अपनी रूह तक उसकी कोमलता को पहुचने दु...उसके कोमल अंगों को बस हल्के हाथों से सहला रहा था,और वो भी मेरे सीने में सर रखे बस सो रही थी ,मैंने भी अपनी आंखें बंद कर ली और अपने हाथों को उसके शरीर से लिपटा कर गहरी सांसे ले अपनी जान को महसूस करने लगा...ना जाने कब हम दोनों ही नींद के आगोश में चले गए थे..

जब नींद खुली तो सुबह हो चुकी थी कुसुम अब भी उसी तरह मेरे ऊपर लेटी हुई थी मैं फिर से उसे निहारने लगा,वो सौंदर्य की प्रतिमा सोते हुए भी इतनी प्यारी लग रही थी….

अचानक मुझे याद आये वो शब्द जो कुसुम ने मेरे बाहों के आगोश में कहे थे "उफ्फ्फ जल्दी से मेरा प्रमोशन के साथ वापस अपने शहर में ट्रांसफर हो जाय तो थोड़ा आराम आएगा”

मैंने फिर कुसुम के सुकून की नींद में सोते हुए चेहरे को देखा … एक अनजानी सी खुशी ने मुझे घेर लिया, पर साथ ही एक अनजाना सा दुख भी था…।


जारी है.... ✍️
Bohot khoob manu. Superb update 👏 professor arun. Jo ki patni bhakt bhi hai. Wapis kusum ke pas pahuch bhi gaya. Use jeans 👖 pahni hui kusum ke darsan bhi hue. o uski peeth peeche kuch bhi kar sakti hai. Ho sakta hai wo arun ko chutia bana rahi ho or isi liye thaki ho ki office. Me kabaddi khel k aai ho👍
Awesome update 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Update पोस्ट कर दिया एक गुजारिश के साथ आप सभी ज्यादा से ज्यादा शब्दों की बारिश से अपने रिव्यू, प्रतिक्रिया, विचार, शिकायते, खूबियां, कमिया, गालियाँ जिसको जैसा ठीक लगे.......बस इस कहानी को अपना प्यार, आशीर्वाद दे...... 🙏🙏🙏
Update ke font ko 18 pe rakha karo👍
 
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U.and.me

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’’ ‘‘प्लीज कुसुम , समझा करो.
उधर से फोन कट चुका था. मैं सिर पकड़ कर बैठ गया.

मैने मेरे साथ लेटी हुई अपनी बेटी पर नज़र डाली तो मैने अपने अंदर अपराधबोध महसूस किया जैसे वो जानती हो कि मैं क्या सोच रहा था और मुझे वैसा नही सोचना चाहिए था क्योंकि वो अब अपनी मम्मी की जगह ले चुकी थी.

रिंकी की निगाहें मुझ पर टिकी थीं. निगाहें चुराता हुआ मैं दूसरी तरफ मुह कर बैठ गया. मुझे स्वयं पर आश्चर्य हो रहा था कि ऐसा कैसे हो गया?

पापा तो फिर क्या सोचा है, आपने...???

क्या मतलब...??? मैने आश्चर्य से पूछा।

मतलब ये कि आपको अब मेरी मम्मी कुसुम से ज्यादा प्यार है या मुझसे.. ???

गलतफेहमी है तेरी , मुझे तुझसे और तेरी मम्मी दोनों से एक जैसा प्यार है, इसलिए मै कल तेरी मम्मी से मिलने के लिए उसके पास जा रहा हूँ।

मैने और मेरी बेटी ने उस रात कुछ बुझे हुए अनमने मन से प्यार किया. वो इस बात से नाखुश थी कि मुझे उसे छोड़ कर कल उसकी मम्मी के पास जाना पड़ रहा है। और जिसकी वजह से हम दोनो को एक दूसरे के प्यार के बिना रहना होगा.

अपनी बाहों में लेते हुए मैने उसे धृड़तापूर्वक बताया कि मुझे उसका इस तरह परेशान और व्याकुल होना बिल्कुल अच्छा नही लग रहा था . यह एक और बदलाव था जिसकी हम दोनो को आदत डालनी थी और उस हिसाब से खुद को व्यवस्थित करना था. उसे मेरी बात समझ आ गयी थी शायद इसीलिए इसके बाद उसके चुंबनो में फिर से गर्माहट लौट आई थी. वो अपनी व्यथा भूलकर वापस अपने रंग में आ गयी थी.

लेकिन उसके चेहरे पर एक अंजानी शंका का भय का भाव था जिसे मैं समझ नही सकता था मगर मुझे उस समय इसकी कोई परवाह भी नही थी. मैं बस कुछ साबित करना चाहता था और हमारे बीच संबंध बनाने के बाद उस रात पहली दफ़ा ऐसा हुआ था जब मैने उसे अपने लिए, अपने मज़े के लिए ज़्यादा चोदा था, ना कि जितना उसके मज़े के लिए, जैसा मैं पहले करता था और जैसे ही मेरा स्खलन हुआ मेरा सारा दम निकल गया. उसके हाव भाव से जाहिर था वो थोड़ी असमंजस में थी, उलझन में थी मगर मुझे अब थोड़ी देर सोना था क्यॉंके सवेरा होने में ज़्यादा वक़्त नही बचा था।

अगले दिन शाम में अपनी कॉलेज की ड्यूटी खतम कर सीधा दिमापुर की ओर निकल गया। कुछ 1-2 घंटो के सफर के बाद मै अपने गंतव्य पहुँचा और वहा से सीधा ऑटो लेकर कुसुम के क्वार्टर के पास लगे बड़े से नीम के पेड़ के नीचे खड़ा होकर उसका ऑफिस से वापस आने का इंतजार करने लगा। चूंकि मुझे ये अच्छे से पता था वो अभी ऑफिस में होगी और मै उसे सरप्रिज़ देना चाहता था।

करीब आधे घंटे के इंतजार के बाद मुझे नयी नवेली लाल रंग की अल्टो कार मेरी दिशा में आती हुई दिखाई दी। निशिचित् ही उसमे कुसुम ही होगी और मै उसे एकदम से उपस्थित होकर सर्परिजे दूंगा ये सोच कर मै थोड़ा सा पेड़ की आड़ में छिप गया।

जैसे ही कार रुकी और उसमे से जब कुसुम निकल कर बाहर आई तो मै खुद सर्परिसे हो गया। कुसुम के इस नये अवतार को देख मेरी आँखे फटी रह गयी। मै ठगा सा उसे बस देखता रह गया.।


आज कुसुम ने एक ब्लैक टॉप और ब्लू जीन्स पहने हुई थी ,उसके सभी शेप बड़े ही खूबसूरत लग रहे थे, मेरी कुसुम साड़ी से सलवार कुर्ता और अब जीन्स तक आ चुकी थी ,कोई भी बड़ी बात नही की कुछ दिनों में वो स्कर्ट वगेरह भी पहनने शुरू कर दे, वो अपने साथ एक बेग भी ले जाती थी पता नही उसमे क्या था, शायद उसे भी चेक करू कभी….कुसुम के उभरे हुए कर्व को देखकर मैं भी मोहित हो गया , कुसुम ने गाड़ी लॉक की और क्वाटर के बाहर लगे छोटे से दरवाजे को खोलने वाली थी, जब मैंने उसे आवाज दी…... कुसुम...!

मेरी आवाज सुन कुसुम ऐसे चौंकी, जैसे चोरी करते हुए रंगेहाथ पकड़ ली गई हो.
वो मुंह पर हाथ रखते हुए बोली, ‘‘हाय दैया, तो आप हो...??

मैने मुस्कुराहट देते हुए पूछा, ‘‘क्या बात है जान, मेरा आना तुमको अच्छा नहीं लगा?’’

कुसुम हैरानी से जल्दी से मेरे पास आयी पर मैं तब तक उसकी नयी कार के पास आ कर उसे निहार रहा था, उसने मुझे देखा मैं थोड़ा सीरियस सा फेस बना कर वही खड़ा था , कुसुम जरूर ये समझ चुकी थी की कुछ तो गड़बड़ है शायद उसे ये लग रहा था की उसका ये मुझे बिना बताये जीन्स पहनना मुझे पसंद नही आया होगा या और कुछ , ऐसे भी उसका जीन्स बहुत ही कामुक लग रहा था,पिछवाड़े का पूरा प्रदर्शन और साथ ही उसके कसे हुए स्तनों की चोटी।

ऐसे भी उसके स्तन बहुत ही बड़े और आकर्षक थे… कुसुम इस अहसास से अपनी नजर झुककर मेरे सामने खड़ी हो गयी …...मैं कुछ बोलता उससे पहले ही बोलने लगी…

“जान मुझे माफ कर दो मैंने आपसे बिना पूछे ही ये कपड़े पहन लिए मैं इसे अभी चेंज करती हु..”

आज मुझे पता चला की अगर सुंदर हॉट वाइफ अथवा लड़की कसे हुए कपड़े पहन ले तो क्या होता है साले सभी ठरकी लोग हमे ही देख रहे थे और हमे कहना गलत है क्योकि वो सिर्फ कुसुम को ही देख रहे थे…….।

मैंने भी धयन दिया तो मैं भी थोड़ा चौक गया क्योकि मेरी कुसुम का कसा हुआ हुस्न इस वक्त देखने के लायक ही था ,उसके स्तन ऐसे भी बहुत ही बड़े और कसे हुए थे वो पूरे अपने सुरूर में किसी चोटी की तरह से दिखाई पड़ रहे थे ,लेकिन मुख्य आकर्षण तो उसके जीन्स में कसे हुए पिछवाडे (नितंब) थे जो इतने टाइट और इतने गजब के थे की मुझे भी एक बार लगा की साला छोड़ो सब को और घुस जाओ कुसुम को लेकर उसकी अल्टो कार में ,

कुसुम के उभरे हुए कूल्हे उसके पिछवाड़े के दोनो फांकों को साफ साफ अलग कर रहे थे थोड़ी देर में ही उसने मुझे भी उसे देखता पाया और खुद ही शर्मा गयी ,

“चलो घर के अंदर चलते है …….”

“अरे क्या हुआ ,”

“अरे अब अंदर चलो प्लीज् “

“बताओ तो सही की क्या हुआ है “

“नही सभी मुझे ऐसे देख रहे है तो आपको बुरा लगेगा और ये बहुत ही टाइट है ,मैं इसे चेंज कर लेती हु “

मेरे चहरे पर एक मुस्कुराहट आ गई , भगवान सभी को इतनी समझदार बीवी दे ,........'बस वो आपकी ही रहे किसी और की नही' मेरी बीवी में हर वो चीज थी जो एक मर्द चाहता है, पर बस एक चीज ऐसी थी जो शायद की कोई मर्द चाहे ,जी हाँ अपनी पत्नी का किसी दूसरे मर्द से जिस्मानी संबंध……।

“अरे जान अगर तुम यहाँ ऐसा शर्माओगी तो ऑफिस में काम कैसे करती होगी, वहां भी तो लड़के आते होंगे ना “

तब तक वो घर की ओर मुड़ चुकी थी ,

“अरे वहां की बात अलग है पर यहां आपके सामने ये सब अच्छा नही लग रहा।

मेरे सामने अच्छा नही लग रहा मतलब मेरे पीछे सब अच्छा लगता हैं , वहां रे मेरी कुसुम …….

“आप बुरा मत मानना पर आपके सामने मुझे कोई घूरे ये मुझे अच्छा नही लगता,और आप ना हो तो मुझे कोई भी फर्क नही पड़ता की कौन क्या कर रहा है………क्या देख रहा है.....क्या कह रहा है??????

"मैं बस कुसुम पर शक ही कर सकता था अभी तक, मैंने देखा तो नही था की वो क्या करती है, और जो देखा था, वो बहुत ही कम था"

और हम घर के अंदर पहुँच गए मैंने उसे इशारे से दरवाजा बंद करने को कहा ,

बैठो, मैं नहा कर आती हूं...’’

इतना कह कर कुसुम फिर बाथरूम में नहाने को मुड़ी, लेकिन मैने उस का हाथ पकड़ कर रोक लिया.

उस समय मेरी आंखें लाल सुर्ख हो रही थीं और सारा बदन जोश के मारे कांपा जा रहा था. मैने आव देखा न ताव तुरंत कुसुम को अपनी बांहों में भरते हुए कहा, ‘‘जो नहाना था, वह तुम सुबह ही नहा चुकी हो, इसलिए अब तुम्हें मैं नहलाऊंगा...’’

कुसुम सिकुड़ते हुए बोली, ‘‘बड़े बेशर्म हो जी आप ... हटो, मुझे कपड़े तो बदलने लेने दो...’’

‘‘जल्दी क्या है... फिर पहन लेना कपड़े. पहले उतारने दो, इतनी गरमी है, थोड़ी देर ऐसे ही बदन ठंडा होने दो. फिर जो नहाना हम कराएंगे, उस में कपड़ों का क्या काम...’’ कहते कहते मैने कुसुम को और जोर से भींच लिया.

वो कुछ देर तक मेरी बाहों में कसमसाती रही और मौका पाकर छिटक कर मुझसे दूर भाग कर बाथरूम में घुस गयी और दरवाजे बंद करते हुए बोली जो करना है वो रात को करना।

आज की रात मेरे लिए मेरे लिए बड़ी बेताबी की रात होने वाली थी, कुसुम रात में थोड़ी सुस्त दिखी,

“क्या हुआ जान,आज बड़ी सुस्त लग रही ही,काम से थक गई हो लगता है,”

मैने उसे अपने ऊपर खिंचते हुए कहा…वो मेरी बांहो में मचल कर समा गई..

“हा जान काम बहुत हो जा रहा है,इतना काम करने की आदत नही है मुझे...दिन भर काम करने वालो से कचकच, भला हो ऑफिस बॉय का वो पूरा दौड़भाग के काम सम्हाल लेता है वरना मैं अकेली तो …..उफ्फ्फ जल्दी से मेरा प्रमोशन के साथ वापस अपने शहर में ट्रांसफर हो जाय तो थोड़ा आराम आएगा”

कुसुम मेरे सीने में मचलने लगी,मैं उसके होठो को अपने उंगलियों से सहलाते हुए एक उंगली उसके मुह में डाल दिया वो हल्के से उसे चूसने लगी,


मेरी कुसुम बला की खूबसूरती, हर एक अंग जैसे बड़ी मेहनत से तराशा गया हो,होठो पर प्यारी ही मुस्कान और आंखों में बेपनाह प्यार, उसके नजरो की नजाकत से ही दिल मे एक सुकून भर जाता था, उसने अपनी मदभरे नयनो से मुझे देखा, इतनी चाहत इतना प्यार….

मैं उसे देखकर खुद को रोक ही नही पाया, और उसके आंखों पर अपने होठो को रख दिया, उसके चेहरे की मुस्कान और भी गहरा गयी.. और वो फिर से मचलती हुई मेरे सीने से लग गयी…

आज मैं इससे ज्यादा बढ़ना भी नही चाहता था बस चाहता था कि उसे महसूस करू, अपनी रूह तक उसकी कोमलता को पहुचने दु...उसके कोमल अंगों को बस हल्के हाथों से सहला रहा था,और वो भी मेरे सीने में सर रखे बस सो रही थी ,मैंने भी अपनी आंखें बंद कर ली और अपने हाथों को उसके शरीर से लिपटा कर गहरी सांसे ले अपनी जान को महसूस करने लगा...ना जाने कब हम दोनों ही नींद के आगोश में चले गए थे..

जब नींद खुली तो सुबह हो चुकी थी कुसुम अब भी उसी तरह मेरे ऊपर लेटी हुई थी मैं फिर से उसे निहारने लगा,वो सौंदर्य की प्रतिमा सोते हुए भी इतनी प्यारी लग रही थी….

अचानक मुझे याद आये वो शब्द जो कुसुम ने मेरे बाहों के आगोश में कहे थे "उफ्फ्फ जल्दी से मेरा प्रमोशन के साथ वापस अपने शहर में ट्रांसफर हो जाय तो थोड़ा आराम आएगा”

मैंने फिर कुसुम के सुकून की नींद में सोते हुए चेहरे को देखा … एक अनजानी सी खुशी ने मुझे घेर लिया, पर साथ ही एक अनजाना सा दुख भी था…।


जारी है.... ✍️

’’ ‘‘प्लीज कुसुम , समझा करो.
उधर से फोन कट चुका था. मैं सिर पकड़ कर बैठ गया.

मैने मेरे साथ लेटी हुई अपनी बेटी पर नज़र डाली तो मैने अपने अंदर अपराधबोध महसूस किया जैसे वो जानती हो कि मैं क्या सोच रहा था और मुझे वैसा नही सोचना चाहिए था क्योंकि वो अब अपनी मम्मी की जगह ले चुकी थी.

रिंकी की निगाहें मुझ पर टिकी थीं. निगाहें चुराता हुआ मैं दूसरी तरफ मुह कर बैठ गया. मुझे स्वयं पर आश्चर्य हो रहा था कि ऐसा कैसे हो गया?

पापा तो फिर क्या सोचा है, आपने...???

क्या मतलब...??? मैने आश्चर्य से पूछा।

मतलब ये कि आपको अब मेरी मम्मी कुसुम से ज्यादा प्यार है या मुझसे.. ???

गलतफेहमी है तेरी , मुझे तुझसे और तेरी मम्मी दोनों से एक जैसा प्यार है, इसलिए मै कल तेरी मम्मी से मिलने के लिए उसके पास जा रहा हूँ।

मैने और मेरी बेटी ने उस रात कुछ बुझे हुए अनमने मन से प्यार किया. वो इस बात से नाखुश थी कि मुझे उसे छोड़ कर कल उसकी मम्मी के पास जाना पड़ रहा है। और जिसकी वजह से हम दोनो को एक दूसरे के प्यार के बिना रहना होगा.

अपनी बाहों में लेते हुए मैने उसे धृड़तापूर्वक बताया कि मुझे उसका इस तरह परेशान और व्याकुल होना बिल्कुल अच्छा नही लग रहा था . यह एक और बदलाव था जिसकी हम दोनो को आदत डालनी थी और उस हिसाब से खुद को व्यवस्थित करना था. उसे मेरी बात समझ आ गयी थी शायद इसीलिए इसके बाद उसके चुंबनो में फिर से गर्माहट लौट आई थी. वो अपनी व्यथा भूलकर वापस अपने रंग में आ गयी थी.

लेकिन उसके चेहरे पर एक अंजानी शंका का भय का भाव था जिसे मैं समझ नही सकता था मगर मुझे उस समय इसकी कोई परवाह भी नही थी. मैं बस कुछ साबित करना चाहता था और हमारे बीच संबंध बनाने के बाद उस रात पहली दफ़ा ऐसा हुआ था जब मैने उसे अपने लिए, अपने मज़े के लिए ज़्यादा चोदा था, ना कि जितना उसके मज़े के लिए, जैसा मैं पहले करता था और जैसे ही मेरा स्खलन हुआ मेरा सारा दम निकल गया. उसके हाव भाव से जाहिर था वो थोड़ी असमंजस में थी, उलझन में थी मगर मुझे अब थोड़ी देर सोना था क्यॉंके सवेरा होने में ज़्यादा वक़्त नही बचा था।

अगले दिन शाम में अपनी कॉलेज की ड्यूटी खतम कर सीधा दिमापुर की ओर निकल गया। कुछ 1-2 घंटो के सफर के बाद मै अपने गंतव्य पहुँचा और वहा से सीधा ऑटो लेकर कुसुम के क्वार्टर के पास लगे बड़े से नीम के पेड़ के नीचे खड़ा होकर उसका ऑफिस से वापस आने का इंतजार करने लगा। चूंकि मुझे ये अच्छे से पता था वो अभी ऑफिस में होगी और मै उसे सरप्रिज़ देना चाहता था।

करीब आधे घंटे के इंतजार के बाद मुझे नयी नवेली लाल रंग की अल्टो कार मेरी दिशा में आती हुई दिखाई दी। निशिचित् ही उसमे कुसुम ही होगी और मै उसे एकदम से उपस्थित होकर सर्परिजे दूंगा ये सोच कर मै थोड़ा सा पेड़ की आड़ में छिप गया।

जैसे ही कार रुकी और उसमे से जब कुसुम निकल कर बाहर आई तो मै खुद सर्परिसे हो गया। कुसुम के इस नये अवतार को देख मेरी आँखे फटी रह गयी। मै ठगा सा उसे बस देखता रह गया.।


आज कुसुम ने एक ब्लैक टॉप और ब्लू जीन्स पहने हुई थी ,उसके सभी शेप बड़े ही खूबसूरत लग रहे थे, मेरी कुसुम साड़ी से सलवार कुर्ता और अब जीन्स तक आ चुकी थी ,कोई भी बड़ी बात नही की कुछ दिनों में वो स्कर्ट वगेरह भी पहनने शुरू कर दे, वो अपने साथ एक बेग भी ले जाती थी पता नही उसमे क्या था, शायद उसे भी चेक करू कभी….कुसुम के उभरे हुए कर्व को देखकर मैं भी मोहित हो गया , कुसुम ने गाड़ी लॉक की और क्वाटर के बाहर लगे छोटे से दरवाजे को खोलने वाली थी, जब मैंने उसे आवाज दी…... कुसुम...!

मेरी आवाज सुन कुसुम ऐसे चौंकी, जैसे चोरी करते हुए रंगेहाथ पकड़ ली गई हो.
वो मुंह पर हाथ रखते हुए बोली, ‘‘हाय दैया, तो आप हो...??

मैने मुस्कुराहट देते हुए पूछा, ‘‘क्या बात है जान, मेरा आना तुमको अच्छा नहीं लगा?’’

कुसुम हैरानी से जल्दी से मेरे पास आयी पर मैं तब तक उसकी नयी कार के पास आ कर उसे निहार रहा था, उसने मुझे देखा मैं थोड़ा सीरियस सा फेस बना कर वही खड़ा था , कुसुम जरूर ये समझ चुकी थी की कुछ तो गड़बड़ है शायद उसे ये लग रहा था की उसका ये मुझे बिना बताये जीन्स पहनना मुझे पसंद नही आया होगा या और कुछ , ऐसे भी उसका जीन्स बहुत ही कामुक लग रहा था,पिछवाड़े का पूरा प्रदर्शन और साथ ही उसके कसे हुए स्तनों की चोटी।

ऐसे भी उसके स्तन बहुत ही बड़े और आकर्षक थे… कुसुम इस अहसास से अपनी नजर झुककर मेरे सामने खड़ी हो गयी …...मैं कुछ बोलता उससे पहले ही बोलने लगी…

“जान मुझे माफ कर दो मैंने आपसे बिना पूछे ही ये कपड़े पहन लिए मैं इसे अभी चेंज करती हु..”

आज मुझे पता चला की अगर सुंदर हॉट वाइफ अथवा लड़की कसे हुए कपड़े पहन ले तो क्या होता है साले सभी ठरकी लोग हमे ही देख रहे थे और हमे कहना गलत है क्योकि वो सिर्फ कुसुम को ही देख रहे थे…….।

मैंने भी धयन दिया तो मैं भी थोड़ा चौक गया क्योकि मेरी कुसुम का कसा हुआ हुस्न इस वक्त देखने के लायक ही था ,उसके स्तन ऐसे भी बहुत ही बड़े और कसे हुए थे वो पूरे अपने सुरूर में किसी चोटी की तरह से दिखाई पड़ रहे थे ,लेकिन मुख्य आकर्षण तो उसके जीन्स में कसे हुए पिछवाडे (नितंब) थे जो इतने टाइट और इतने गजब के थे की मुझे भी एक बार लगा की साला छोड़ो सब को और घुस जाओ कुसुम को लेकर उसकी अल्टो कार में ,

कुसुम के उभरे हुए कूल्हे उसके पिछवाड़े के दोनो फांकों को साफ साफ अलग कर रहे थे थोड़ी देर में ही उसने मुझे भी उसे देखता पाया और खुद ही शर्मा गयी ,

“चलो घर के अंदर चलते है …….”

“अरे क्या हुआ ,”

“अरे अब अंदर चलो प्लीज् “

“बताओ तो सही की क्या हुआ है “

“नही सभी मुझे ऐसे देख रहे है तो आपको बुरा लगेगा और ये बहुत ही टाइट है ,मैं इसे चेंज कर लेती हु “

मेरे चहरे पर एक मुस्कुराहट आ गई , भगवान सभी को इतनी समझदार बीवी दे ,........'बस वो आपकी ही रहे किसी और की नही' मेरी बीवी में हर वो चीज थी जो एक मर्द चाहता है, पर बस एक चीज ऐसी थी जो शायद की कोई मर्द चाहे ,जी हाँ अपनी पत्नी का किसी दूसरे मर्द से जिस्मानी संबंध……।

“अरे जान अगर तुम यहाँ ऐसा शर्माओगी तो ऑफिस में काम कैसे करती होगी, वहां भी तो लड़के आते होंगे ना “

तब तक वो घर की ओर मुड़ चुकी थी ,

“अरे वहां की बात अलग है पर यहां आपके सामने ये सब अच्छा नही लग रहा।

मेरे सामने अच्छा नही लग रहा मतलब मेरे पीछे सब अच्छा लगता हैं , वहां रे मेरी कुसुम …….

“आप बुरा मत मानना पर आपके सामने मुझे कोई घूरे ये मुझे अच्छा नही लगता,और आप ना हो तो मुझे कोई भी फर्क नही पड़ता की कौन क्या कर रहा है………क्या देख रहा है.....क्या कह रहा है??????

"मैं बस कुसुम पर शक ही कर सकता था अभी तक, मैंने देखा तो नही था की वो क्या करती है, और जो देखा था, वो बहुत ही कम था"

और हम घर के अंदर पहुँच गए मैंने उसे इशारे से दरवाजा बंद करने को कहा ,

बैठो, मैं नहा कर आती हूं...’’

इतना कह कर कुसुम फिर बाथरूम में नहाने को मुड़ी, लेकिन मैने उस का हाथ पकड़ कर रोक लिया.

उस समय मेरी आंखें लाल सुर्ख हो रही थीं और सारा बदन जोश के मारे कांपा जा रहा था. मैने आव देखा न ताव तुरंत कुसुम को अपनी बांहों में भरते हुए कहा, ‘‘जो नहाना था, वह तुम सुबह ही नहा चुकी हो, इसलिए अब तुम्हें मैं नहलाऊंगा...’’

कुसुम सिकुड़ते हुए बोली, ‘‘बड़े बेशर्म हो जी आप ... हटो, मुझे कपड़े तो बदलने लेने दो...’’

‘‘जल्दी क्या है... फिर पहन लेना कपड़े. पहले उतारने दो, इतनी गरमी है, थोड़ी देर ऐसे ही बदन ठंडा होने दो. फिर जो नहाना हम कराएंगे, उस में कपड़ों का क्या काम...’’ कहते कहते मैने कुसुम को और जोर से भींच लिया.

वो कुछ देर तक मेरी बाहों में कसमसाती रही और मौका पाकर छिटक कर मुझसे दूर भाग कर बाथरूम में घुस गयी और दरवाजे बंद करते हुए बोली जो करना है वो रात को करना।

आज की रात मेरे लिए मेरे लिए बड़ी बेताबी की रात होने वाली थी, कुसुम रात में थोड़ी सुस्त दिखी,

“क्या हुआ जान,आज बड़ी सुस्त लग रही ही,काम से थक गई हो लगता है,”

मैने उसे अपने ऊपर खिंचते हुए कहा…वो मेरी बांहो में मचल कर समा गई..

“हा जान काम बहुत हो जा रहा है,इतना काम करने की आदत नही है मुझे...दिन भर काम करने वालो से कचकच, भला हो ऑफिस बॉय का वो पूरा दौड़भाग के काम सम्हाल लेता है वरना मैं अकेली तो …..उफ्फ्फ जल्दी से मेरा प्रमोशन के साथ वापस अपने शहर में ट्रांसफर हो जाय तो थोड़ा आराम आएगा”

कुसुम मेरे सीने में मचलने लगी,मैं उसके होठो को अपने उंगलियों से सहलाते हुए एक उंगली उसके मुह में डाल दिया वो हल्के से उसे चूसने लगी,


मेरी कुसुम बला की खूबसूरती, हर एक अंग जैसे बड़ी मेहनत से तराशा गया हो,होठो पर प्यारी ही मुस्कान और आंखों में बेपनाह प्यार, उसके नजरो की नजाकत से ही दिल मे एक सुकून भर जाता था, उसने अपनी मदभरे नयनो से मुझे देखा, इतनी चाहत इतना प्यार….

मैं उसे देखकर खुद को रोक ही नही पाया, और उसके आंखों पर अपने होठो को रख दिया, उसके चेहरे की मुस्कान और भी गहरा गयी.. और वो फिर से मचलती हुई मेरे सीने से लग गयी…

आज मैं इससे ज्यादा बढ़ना भी नही चाहता था बस चाहता था कि उसे महसूस करू, अपनी रूह तक उसकी कोमलता को पहुचने दु...उसके कोमल अंगों को बस हल्के हाथों से सहला रहा था,और वो भी मेरे सीने में सर रखे बस सो रही थी ,मैंने भी अपनी आंखें बंद कर ली और अपने हाथों को उसके शरीर से लिपटा कर गहरी सांसे ले अपनी जान को महसूस करने लगा...ना जाने कब हम दोनों ही नींद के आगोश में चले गए थे..

जब नींद खुली तो सुबह हो चुकी थी कुसुम अब भी उसी तरह मेरे ऊपर लेटी हुई थी मैं फिर से उसे निहारने लगा,वो सौंदर्य की प्रतिमा सोते हुए भी इतनी प्यारी लग रही थी….

अचानक मुझे याद आये वो शब्द जो कुसुम ने मेरे बाहों के आगोश में कहे थे "उफ्फ्फ जल्दी से मेरा प्रमोशन के साथ वापस अपने शहर में ट्रांसफर हो जाय तो थोड़ा आराम आएगा”

मैंने फिर कुसुम के सुकून की नींद में सोते हुए चेहरे को देखा … एक अनजानी सी खुशी ने मुझे घेर लिया, पर साथ ही एक अनजाना सा दुख भी था…।


जारी है.... ✍️
MaaN Gaye Professor Ko
Kabhi Tharki To Kabhi BhauT Heen SULJha Hua
SAAS Ka Number AyeGa ?
🤤🫡
🔥👌
 

Raja jani

आवारा बादल
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Update पोस्ट कर दिया एक गुजारिश के साथ आप सभी ज्यादा से ज्यादा शब्दों की बारिश से अपने रिव्यू, प्रतिक्रिया, विचार, शिकायते, खूबियां, कमिया, गालियाँ जिसको जैसा ठीक लगे.......बस इस कहानी को अपना प्यार, आशीर्वाद दे...... 🙏🙏🙏
 
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