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Incest कर्ज और फर्ज - एक कश्मकश

manu@84

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अध्याय - 27 --- " आखिर क्यों "


शायद कुसुम को मेरा अपनी खुद की औलाद के लिए तड़पना सुकून सा दे रहा था. मैने जो उस के साथ विश्वासघात किया था, बिना उस की किसी गलती के उस को जो वेदना दी थी, उस की यह सजा तो मुझ को मिलनी ही चाहिए थी.


कुसुम से तलाकनामा मिलने के कुछ दिनों बाद मैने और रिंकी ने शादी कर ली. अरुण और रिंकी कहीं दूर रहने लग गए यहा तक तो ठीक था लेकिन मेरे माता-पिता (कुसुम के सास ससुर) को जब पता चला कि अरुण और रिंकी ने शादी कर ली है, तो उन्होंने मुझसे सारे रिश्ते नाते तोड़ दिए। उन्होंने सारी संपत्ति अपनी बहू कुसुम के नाम कर दी और सख्त हिदायत दी कि कुसुम बेटा कभी भी अपने पति को माफ नहीं करना । चाहे जिंदगी में किसी भी उम्र में वह तुम्हारे पास वापस आए ।


कुसुम हमेशा सोचती क्या मैं अपने पति को खुश नहीं रख पाई या मेरा सावला रंग उसे पसंद नहीं आया? कितनी ही बातें उसके मन में चलती रहती । क्या किया जा सकता था । समाज में जो बेइज्जती हुई वह अलग अपनी ही कोख से जन्मी बेटी सौतन बन गई । यह तो समझ से परे था कहां गलती हो गई ।


कुसुम के मां बाप भी अब क्या करते , वह तो और ज्यादा शर्मिंदा थे । अपनी ही एक बेटी (नातिन) ने दूसरे बेटी के घर को तबाह कर दिया, नष्ट कर दिया । कम से कम अरुण को तो यह समझना चाहिए था कि इतना पढ़ा लिखा समझदार होने के बाबजूद ये सब किया । अब उनके भविष्य का क्या होगा? जिसके माता पिता ही ऐसे हैं उनके बच्चे कैसे होंगे? उनकी शादी कहां होगी ? किससे होगी ? काश अरुण ने कुछ सोचा होता ।


दोनों ही परिवारों ने मुझ से और रिंकी से अपने सारे रिश्ते तोड़ डाले मै और रिंकी अपनी दुनिया में मस्त हो गए लेकिन एक समय आया जब मेरा रिंकी से मन भर गया। और मुझे फिर से कुसुम से मिलने की बेचनी होने लगी।


कुसुम चाहती तो मुझ को सजा दिलवा सकती थी क्योंकि मैने उसकी बेटी के साथ जो किया था वो किसी अपराध से कम नही था । ऊपर से मै सरकारी नौकरी में था। लेकिन उसने ऐसा कुछ भी नहीं किया और यही बात मुझे बहुत खलने लगी की मैंने कुसुम के साथ कितना गंदा काम किया और कुसुम ने कुछ भी नहीं बोला।


इधर रिंकी भी बहुत अच्छा महसूस नहीं कर रही थी । उसे लगता था कि उसने गलत किया है । उसने विश्वास तोड़ा है अपने परिवार का ,अपनी मां का, अपनी मौसियो का । किस मुंह से अपने परिवार का सामना कर पाएगी । उसे भी समझ में आने लगा कि ये सब कुछ जो हुआ वो सिर्फ उसके तन की प्यास थी, ना कि मन की । क्या किया जा सकता था जो होना था, हो चुका था ।


इसी तरह 6 महीने बीत गए । 1 दिन रिंकी के पेट में जोरदार दर्द हुआ । डॉक्टर से दिखाया तो पता चला उसे कैंसर है । वह भी अंतिम स्टेज का । वह अपने घर वापस जाना चाहती थी । अपनी मम्मी के पास अपनी मम्मी की गोद में सर रखकर माफी मांगना चाहती थी । पर वह किस मुंह से जाती । वह तो खुद मम्मी बनना चाहती थी । लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था । रिंकी अब नहीं रही।


मै वापस जाना चाहता था अपने घर । अपने माता पिता के पास अपने प्यारे से बेटे के पास और अपनी पत्नी कुसुम के पास । लेकिन मुझे कोई उपाय नहीं दिख रहा था । मैने कितने ही बार अपने घर में फोन किया पर किसी ने मुझसे बात नहीं की । मै माफी मांगना चाहता था । मै वापस आना चाहता था । शायद सारे रास्ते बंद थे । मै अभी भी आस लगाए था कि मै एक दिन अपने घर वापस जरूर जाऊंगा ।


और फिर एक दिन बहुत हिम्मत कर वापस अपने घर चला गया । लेकिन मेरे माता-पिता ने मुझे माफ नहीं किया, ना ही घर में घुसने दिया । अपने छोटे से बेटे से बात करना चाहता था उसे गोद में लेकर प्यार करना चाहता था । कुसुम ने भी मुझसे मुंह फेर लिया ।मानो पूछ रही हो कि हमें किस बात की सजा तुमने दी थी ? आज जब मेरी सौतन नहीं रही तो तुम वापस आ गए और अगर वह जिंदा रहती तो.........????


समाप्त.........!


मै SANJU ( V. R. ) बड़े भाई के शब्द रूपी आशीर्वाद और स्नेह के बडौलत ही इस कहानी को समाप्ति की दिशा में ले जाने मे सफल हुआ हू, भैया के लिखे शब्द हमेशा मुझे आगे लिखने के लिए होंसला देते रहे है, लिखा हुआ को पढ़ना सहज नही होता है, जब तक लिखने वाले और पढ़ने वाले के मनोभाव समतुल्य ना हो, जरा सा भी मनोभाव मे विकार हुआ तो लिखा हुआ काला आखर भैस बराबर हो जाता है😁 संजू भईया की सबसे बड़ी खूबी यही है कि वो अंत से ही शुरु करते है, अर्थात पिछला update जहा समाप्त होता है, और नया जहा से शुरु होता है,

संजू भैया की तरह ही अन्य मै सभी पाठकों का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ आपके सहयोग के बिना कहानी को अपनी मंजिल तक लेकर जाना नामुमकिन था, बिना पाठकों के सहयोग, अभाव में ना जाने कितने लेखक कहानियों को अधूरा छोड़ देते है....!

धन्यवाद..... 🙏🏻
 

manu@84

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Behtreen update
Superb update manu bhai 👌🏻 arum ne bina soche samjhe jo raayta failaya haiuska parinaam to use bhogna hi tha, Kusum ki koi galti nahi hai. Na hi rinki itni badi gunahgaar hai jitna arum, kyu ki wo sab kuch jante samjhte hue aisa kadam uthaya hai jo use nahi karna tha :nope: Rahi baat Kusum ki to usne bacche ko hath bhi nahi lagane diya to achha hi kiya👍 kyu ki arun isi layak tha. Us bho..di wale ko bhi seal pack chahiye thi:D Usne ek baar bhi ye nahi socha ki rinki uski beti hai, or Kusum us se pyar karti hai.
Awesome update again 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
💥💥💥💥💥💥💥💥💥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
Update पोस्ट कर दिया एक गुजारिश के साथ आप सभी ज्यादा से ज्यादा शब्दों की बारिश से अपने रिव्यू, प्रतिक्रिया, विचार, शिकायते, खूबियां, कमिया, गालियाँ जिसको जैसा ठीक लगे.......बस इस कहानी को अपना प्यार, आशीर्वाद दे...... 🙏🙏🙏
 

manu@84

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Shandar update
Mind blowing story
Ye Kya Se

Kya Hogya

🥳
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manu@84

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Shandaar update sir ji ☺️
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manu@84

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Friendship ended with Rekha Rani❌❌, now kuresa begam is my best friend🤝🤝
अब क्या ही कहूं !
प्रथम संतान के जन्म का सुख , बच्चे के बाल क्रीडा के आनंद लेने का सुख से बढ़कर कोई सुख नही होता ।
सिर्फ माता पिता नही पुरा परिवार , सभी दोस्त , सम्बन्धी इस मौके का जश्न मनाते हैं ।
और अरूण साहब ने यहां ऐसी इबारत लिखी जिसकी जितनी भी निंदा की जाए कम है ।
कुसुम के तकदीर मे पति सुख शायद था ही नही । कम उम्र मे उसकी शादी हुई वह असफल हुई । दूसरी शादी की तो हसबैंड ने धोखा दिया ।
मै दिल से कामना करता हूं कि कुसुम अपने बच्चे पर अरूण साहब का छाया तक न पड़ने दे । वह इन सभी लोगों से कहीं दूर गुमनाम रहकर अपने बच्चे की परवरिश करे ।

अरूण साहब ने जो कुछ किया उसका फल उन्हे देर सवेर मिलना ही मिलना है । लेकिन मुझे विश्वास है अरूण साहब से विपरीत कुसुम अवश्य सुख , चैन और शांति की जीवन गुजर बसर करेगी ।

बेहतरीन अपडेट मानु भाई ।
आउटस्टैंडिंग अपडेट ।
कुसुम भी अपना छिनाल पन खत्म करे और अपना बच्चे के साथ खुश रहे और अरुण को करी सजा मिले
Update पोस्ट कर दिया एक गुजारिश के साथ आप सभी ज्यादा से ज्यादा शब्दों की बारिश से अपने रिव्यू, प्रतिक्रिया, विचार, शिकायते, खूबियां, कमिया, गालियाँ जिसको जैसा ठीक लगे.......बस इस कहानी को अपना प्यार, आशीर्वाद दे...... 🙏🙏🙏
 

manu@84

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A
aapki kahani meri favourite mein se ek hai
Update ka besabri se intazar rehta hai aur Kai baar repeat bhi padta hoon itni mujhe pasand hai
Haan a jaroor hai main jyada comments nahi kar pata padne aur scene mehsus karne mein hi reh jata hai
Lekin ab is liye kar raha hoon ki mujhe aapki kahani me kuch kami mehsoos hui ki agar ho sake toh jara har female kirdar ki kapdon ki zikra jyada kare kya kya pahani hai bra panty slips parkar ka rang fittings shape size kaisi dikti hai bra panty purani hai ya nai hai daag hai ya ...........
Bra panty ko sukte hue dekhar uttejit hona unko chuuna churakar chumna sungna ..........
Aur ek baat normally a hota hai writers hamesha likhte hai voh designer bra pahani thi jab ki Aisa nahi hota woh normal routine may pahanwsli ho toh jyada real aur uttejit karne wali hoti hai Aisa Mai samajta hoon
Aur mai chahta hoon ki aapki hi likhi Hui a paragraph Gents ke taraf se ho please lekin jara vistar se
तभी मुझे अपनी बेटी रिंकी के मैसेज का ध्यान आया उसने लिखा था ............
(अब मेरी वासना भी चरम पर थी.. पलंग पर पापा का लाल रंग का अंडरवियर था जिस पर हल्के सफेद रंग का चमकीला सा पदार्थ लगा हुआ था.. ..मैंने अंडरवियर को उल्टा किया और मेरी वासना उस अंडरवियर को मेरे होठों तक ले गई और मूतने वाले कट के पास लगे सफेद सूख चुके पदार्थ को मैंने जीभ से चाट लिया..आह ..क्या स्वाद था उसका.. हल्का नमकीन.. और उसमें से आ रही पापा के लंड की खुशबू.. आह.. नाक में लगाकर सूघती रही और चाटती रही..)

मै समझ गया रिंकी मेरे अंडरवियर को चूम कर अपनी प्यासे होंठो की प्यास बुझाती है। रिकी और मेरी मम्मी का एक ही कमरा है, मेरी मम्मी की अनुपस्थि में रिंकी ही पूरे कमरे की मालकिन है। मै कमरे के अंदर दाखिल हुआ और कपबोर्ड को खोल कर देखा तो मेरी सारी चड्डिया मेरी बेटी ने बहुत प्यार से सहेज कर रखी थी।

हाय मेरी बेटी रिंकी तू अपने पापा से इतना प्यार करती हैं.... मै मन ही मन बोला, मुझे अपनी बेटी पर बहुत प्यार आ रहा था। मैने सारी चड्डिया ना उठाते हुए सिर्फ अभी पहनने के लिए एक चड्डी कपबोर्ड में से ले ली। और वापस अपने कमरे में कपड़े पहनकर तैयार होकर मॉल घूमने चला गया।
Please isko jarur editing karke likhe
Next update kab tak aayga dear
Shandar lajavab
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Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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Ant !!!!

Good 👍 👍
 
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आप ने कहानी बहुत जल्द ही समाप्त कर दिया । मुझे लगा शायद इस कहानी मे बहुत सारे ट्विस्ट देखने को मिलेंगे , शायद अरूण को अपनी गलती का एहसास होगा , शायद रिंकी को अपने करनी का पछतावा होगा और शायद कहानी के अंत तक सबकुछ ठीक ठाक हो जाएगा ।
मनुष्य गलतियों का पिटारा होता है । ऐसा कौन मनुष्य है जिसने अपने जीवन मे कभी गलती की ही न हो ! सभी से गलतियाँ होती है लेकिन यह भी सत्य है कि कभी न कभी उसे उन गलतियों का आभास भी होता है ।
अपनी गलती को स्वीकार करना कोई शर्मिंदगी की बात नही होती । यह बड़े जीगर वालों का काम है । और यह भी सत्य है कि जो लोग ऐसा करते हैं उन्हें कोई समझे या न समझे पर उनके दिल , उनकी आत्मा को संतुष्टी अवश्य मिलती है ।
मुझे दुख है रिंकी जैसी अल्प वर्षीय लड़की के मौत की । मुझे अफसोस है कुसुम के दुर्भाग्य नसीब की । मुझे क्रोध है अरूण के विहेवियर पर ।
काश , वक्त रहते अरूण को बुद्धि आ गई होती !

आप ने अपनी इस कहानी को अपने मंजिल तक पहुंचाया , इसके लिए आप को बहुत बहुत धन्यावाद । मुझे विश्वास है आप की यह सफर आगे भी जारी रहेगी । आप के कलम की यात्रा आगे भी जारी रहेगी ।

आप ने मुझे हमेशा बड़े भाई की तरह सम्मान दिया इसके लिए आप को विशेष आभार व्यक्त करता हूं ।

बहुत बढ़िया लिखे आप । इसी तरह से लोगों का मनोरंजन करते रहिए और प्यार बांटते रहिए ।

खुबसूरत कहानी मानु भाई ।
 
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