Sanju@
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Awesome updateअध्याय - 26 --- " विनाश काले विपरीत बुद्धि ""
वो मुझसे लिपट गई और मैं उससे,जिस्म में कोई आग तो नही थी बस अहसास था एक दूसरे के होने का अहसास...मैं उसके बालो को हल्के हल्के ही सहला रहा था वही वो आंखे बंद किये मेरे कंधे पर ही लेटी थी...हमारे रिश्ते में आगे क्या होने वाला था इस बात की गारेंटी दोनो में कोई नही दे सकता था,
दूसरी तरफ मेरी ससुराल में अचानक से रिंकी के हमेशा के लिए वापिस आ जाने से हलचल मचनी शुरु हो गयी थी. कुसुम की मां भी सब कुछ समझ चुकी थी. उन्हे अपनी बेटी कुसुम के भाग्य पर तरस आ रहा था. बेचारी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उसके घर में उसके विरुद्ध क्या चल रहा था ?
घर की ऐसी बातें जब घर से बाहर निकल जाती हैं तो अन्य घरों में दुगुनी तेजी पहुँच जाती हैं. सास ने अप्रत्यक्ष रूप से अपनी दोनो बेटियों जूली और प्रीति को भी बता दिया.
हालांकि जूली भी शादी से पहले अपने जीजा यानी मुझ पर लट्टू थी, और वो ही सब करना चाहती थी जो अभी रिंकी करने पर तुली है. लेकिन शादी के बाद उसे रिश्तों की मर्यादा मे बंधना आ गया था, जबकि प्रीति ने जीजा के साथ बनाये हुए शारीरिक संबंध को एक खूबसूरत हादसा समझ कर भुला दिया था, और उसे अपने जीजा अरुण पर गर्व भी था, वो प्यार से जीजा का माथा चूमना चाहती थी क्योकि शादीशुदा साली के साथ शारीरिक संबंध बनाने के उपरांत उसके बदन पर मौजूद तिलों का राज, जीजा ने अपने तक ही सीमित रखा था.
इसलिए दोनो ने अच्छी मौसी का फर्ज निभाते हुए मेरी सास को सलाह दी कि रिंकी अब बड़ी हो गयी , और उसकी जल्द से जल्द शादी कर दो और रिंकी की शादी की बात घर में होने लगी लेकिन रिंकी हमेशा शादी को मना कर देती । मैं शादी नहीं करूंगी मौसियो से बोलती की नाना नानी को कौन देखेगा? आप दोनो तो चली गई . मैं नाना नानी दोनों को छोड़कर कहीं नहीं जाने वाली । मैं हमेशा दोनों के साथ ही रहूंगी, नाना और नानी भी दोनों मिलकर उसे समझाते कि बेटा लड़कियों की शादी जरूरी है ।हम लोग कब तक तुम्हें संभालेंगे? एक समय आएगा कि हमारा अंत हो जाएगा | फिर तुम्हारा क्या होगा? तुम किसके सहारे जियोगी ?
जूली जो की रिंकी कि मौसी होने के साथ साथ सहेली भी थी उसने भी समझाया रिंकी मेरी बात मान लो तुम्हारी सुंदरता को देखकर अच्छे-अच्छे घरों से रिश्ते आ रहे हैं । अच्छे से लड़के को पसंद कर के उस के साथ शादी कर लो । अगर तुम्हें कोई पसंद हो तो तुम बताओ । मैं उसी से तुम्हारी शादी करवा दूंगी । पर रिंकी हमेशा मना कर देती कि नहीं मुझे शादी नहीं करनी तो नहीं करनी ।
***
वक्त अपनी गति से निरंतर चल रहा था रिंकी के कॉलेज का पहला सेमेस्टर ख़त्म हो चुका था, आज रिंकी की सहेली श्रुति का जन्मदिन था.
श्रुति ने अपनी कुछ लोकल फ़्रेंड्ज़ को पार्टी के लिए बुलाया था. और पार्टी करने फ़्रेंड्ज़ के साथ सिटी मॉल चल दी. उन्होंने उस दिन काफ़ी मज़ा-मस्ती की. श्रुति की सहेलियाँ उसके लिए एक केक लेकर आयीं थी —अपना फ़ेवरेट चोक्लेट केक देख वह बहुत ख़ुश हुई. पूरा दिन इसी तरह हँसते-खेलते और खाते पीते बीत गया, कब शाम हो गयी उन्हें पता भी न चला. वे सब अब अपने-अपने घर के लिए निकलने लगीं. आख़िर में रिंकी और उसकी फ़्रेंड श्रुति ही रह गए.
‘आर यू नॉट लीविंग?’ रिंकी ने श्रुति को जाने का नाम न लेते देख पूछा. उसने सोचा था सब के चले जाने के बाद साथ साथ घर के लिए निकलेगी.
‘या या…यू गो रिंकी, आइ विल गो बाय मायसेल्फ़.’ श्रुति बोली.
‘अरे, हाउ केन आइ गो लीविंग यू हियर?’ रिंकी बोली, ‘ हम दोनों तो साथ मे चलने वाले थे…’
‘हाहाहा…आइ एम नॉट गोइंग होम सिली (बेवक़ूफ़).’ श्रुति ने खिखियाकर कहा.
‘वट डू यू मीन?’ रिंकी ने आश्चर्य से पूछा.
‘अरे यार, सोमेश आ रहा है मुझे लेने, मैंने घर पर बहाना बनाया है और बोला है कि आज तेरे पास रुकूँगी…’ श्रुति ने रिंकी को आँख मारते हुए कहा. सोमेश उसका बॉयफ़्रेंड था.
‘हैं…’ रिंकी ने बड़ी-बड़ी आँखें कर के पूछा, ‘तुम उसके साथ रहोगी रात भर?’
‘हाहाहा…हाँ भयी मेरी प्यारी 'पापा की परी'… वी विल हैव सम फ़न टुनाइट…’ श्रुति ने उसे फिर आँख मारी.
‘ ओह माई गोड…’ रिंकी से और कुछ कहते न बना.
तभी श्रुति का फ़ोन बज उठा, सोमेश बाहर आ गया था. श्रुति मुस्कुराते हुए उठ खड़ी हुयी,
‘ओके रिंकी , थैंक्स, अब तुम जा सकती हो…बहुत मज़ा आया आज…काफ़ी पैसे दिये थे मेरे मोम एंड डेड ने उड़ाने के लिए इस बार.’
‘हुह…’ पैसों का ज़िक्र सुन रिंकी ने मुँह बनाया, फिर मुस्का कर बोली, ‘ एंजॉय toinght.’ बाय
श्रुति के जाने के बाद रिंकी एक ऑटो लेकर अपने नानी के घर आ गयी. रास्ते में वह यही सोच रही थी कि श्रुति कितनी चालू निकली, अपने बॉयफ़्रेंड के साथ ‘फ़न’ करेगी मेरा बहाना लेकर. ‘चलो जो भी करे मुझे क्या करना है.’ तब तक उसका नानी का घर आ गया था.
इधर दूसरी तरफ श्रुति को सोमेश ने विश किया अच्छे भविष्य की कामना किया गले लगाया। बोला आज रात की पार्टी के लिए एक होटल में रात के लिए उसने कमरा भी वही बुक किया है, बोला कि यार तेरा बर्थडे इस बार अच्छे से मनाना चाह रहा हूँ।
श्रुति सोची कि ऐसा मौका पता नहीं कितने दिन बाद आएगा तो किसी बात के लिए मना नहीं कि वह जो जो कहते गया श्रुति हां में हां मिलाते गई।
रात को दोनों 8:00 बजे होटल पहुंचे वहां खाना खाए अपने कमरे में गए बड़ा सा केक का इंतजाम था एक बुके भी रखा हुआ था, केक काटे अपने बॉय फ्रेंड को खिलाई उसने भी खिलाया और फिर गले लगा लिया।
धीरे-धीरे करके दोनो करीब आ गये और होंठ को चूमने लगे. श्रुति की वासना भी भड़क उठी थी. और धीरे-धीरे सारे कपड़े उतार दिए पूरी तरह से नंगी हो गई, उसने तुरंत उसका लोड़ा पकड़ ली और चूसने लगी। और फिर अपना चुत चुसवाने के लिए बेड पर लेट गई श्रुति की नशीली आंखें सोमेश को इशारा दे रही थी की आ और मुझे चूस ले। वह तुरंत ही श्रुति की चुत को चूसने लगा। अब वो आह आह कर रही थी। पांच सात मिनिट की चूत चुसायी के बाद वो बोली अब बस करो देर मत करो मुझे खुश कर दो यही मेरा बर्थडे का गिफ्ट होगा।
सोमेश भी तुरंत श्रुति के दोनों पैरों को अलग अलग किया और अपना लौड़ा उसकी चूत पर लगाकर जोर से धक्का देने लगा. श्रुति मजे भी ले रही थी और उसे दर्द भी हो रहा था सोमेश धक्के पर धक्के दिए जा रहा था श्रुति की चूचियां हिल रही थी। वो बीच बीच में चूचियों को दबोच रहा था।
नीचे से श्रुति खुद धक्के दे रही थी ऊपर से वह धक्के दे रहा था. करीब दस पंद्रह मिनिट बाद दोनो झड़ गये फिर दोनों एक दूसरे के बाहों में बाहें डाल कर लेटे रहे श्रुति का बॉय फ्रेंड उसकी चूचियों को सहला रहा था। और वो बाल खोलकर बेड पर लेटी थी
कुछ देर बाद सोमेश बोला यार श्रुति एक बात बता तेरी दोस्त रिंकी का चक्कर किसके साथ चल रहा है, उसके बूब्स बड़े-बड़े दिखाई दे रहे थे, तंग कपड़े से साफ पता चल रहा था कि उसकी चूचियां कितनी बड़ी है. रिंकी तो कली से खिलता फूल बन गयी है, आज तो मै भी उस पर फिदा हो गया.....!
"सोमेश सच ही कह रहा था क्योंकि रिंकी के चूचे पूरे 34D के साइज के थे. चूतड़ भी 36 के साइज से ज्यादा ही थे. कमर 30 के साइज की. रंग गोरा और आंखें एकदम शर्मिला टैगोर की तरह. हर कोई उस पर फिदा था"
(श्रुति ने मन ही मन कहा कि अबे चूतिये रिंकीया को कली से फूल तो उसके पापा बहुत पहले ही बना चुके है, मगर तुझे नहीं पता है इस बारे में.)
अपने बॉय फ्रेंड के सवाल का जबाब देने मे तो पहले तो श्रुति ना-नुकर कर मुकरति रही, 'मुझे कुछ भी नही पता' लेकिन उसके प्रेमी के जोर देने पर उसके मुह से धीरे धीरे से सच निकलने लगा. जबकि श्रुति ने रिंकी से वादा किया था कि उसका 'पापा के साथ सेक्स वाले रिश्तों की बात' किसी को नही बताएगी लेकिन वो ठेहरी एक स्त्री (लड़की) जाति, तो कब तक किसी भी राज/बात को सीने में दबा कर रख सकती थी.
" दुनिया का सबसे बड़ा सच ये भी है कि अपने पसंदीदा मर्द की बाहों के आगोश में बिस्तर पर लड़की/औरत अपने सारे राज खोल देती है । पलंग समस्त स्त्री जाति के लिए एक बेहतरीन जगह होती है,जहा वो अपराधी भी बनती है, और सजा देने वाली भी "
श्रुति ने अपने प्रेमी को रिंकी और उसके पापा के रिश्तों की दास्ताँ विस्तार से बताने लगी...! वो भी एक वादे के साथ कि वो ये बात किसी और से नही कहेगा.... उसका प्रेमी उकसा उकसा कर और भी ज्यादा मजे लेते हुए पूछ रहा था, और वो बताती जा रही थी.
श्रुति की पूरी बात सुनकर उसका प्रेमी हस्ते हुए बोला - यह तो हर कोई करता है. आज के डिजिटल युग में अक्सर फैमिली के लोगों के बीच में यह सब होना आम बात है श्रुति तू इस छोटी सी बात को बताने में इतने भाव खा रही थी ?
श्रुति अपने बॉय फ्रेंड को अजीब सी नजरों से देख रही थी असल में उसकी भी यही सोच थी कि सेक्स में कोई रिश्ता नहीं होता है. अगर कोई रिश्ता होता है बस लंड और चूत का होता है. अपने बॉय फ्रेंड की बातों को सुन कर श्रुति के अंदर एक अलग सा रोमांच भर गया.
वही दूसरी तरफ श्रुति का प्रेमी मन ही मन रिंकी का नाम जपते हुए श्रुति के दूधों को पी रहा था और चूत को सहला ला रहा था श्रुति भी पूरी मस्ती में खोयी हुयी थी. उसके मुंह से कामुक सिसकारी निकल रही थी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… जोर से करो … पी जाओ … मेरे दूधों को काट लो … आह्ह … बहुत मजा आ रहा है.
उसके बाद दोनो नहीं रुके और श्रुति के प्रेमी ने उसकी चूत को रात में तीन बार पूरा निचोड़ कर रख दिया.
***
दूसरी ओर उसी रात कुसुम के साथ समागम के बाद मै बेड पर लेटा हुआ था. कुसुम बाथरूम में थी. तभी मेरी नज़र अपने फ़ोन पर गयी, जिसकी नोटिफ़िकेशन लाइट जल रही थी. यह सोच कर कि देखें इतनी रात में किसने मेसेज किया हैं मैने फ़ोन उठा कर देखा. सिर्फ़ एक ही मेसेज था. वो भी मेरी लाडो रिंकी का..!
‘‘आप ने अपनी जिंदगी में मेरी जगह क्या सोची है, क्या हमारा चंद दिनों का ही साथ था या फिर सात जन्मों का?’’
मेसेज पढ़ते ही मेरा बदन शोला हो उठा था. मै कुछ समझ नहीं पा रहा था क्या करू, माथे पर पसीने की कुछ बूँदें छलक आयीं थी. तभी कुसुम बाथरूम से निकल आयी, मैने आनन-फ़ानन में फ़ोन एक तरफ़ रख दिया और सोने की एक्टिंग करने लगा. नींद मेरी आँखो से कोसों दूर थी, ख्वाहिशों की आंच मन में अजीब सी बेचैनी पैदा कर रही थी. एक बार फिर से रिंकी के प्रति मेरा रुझान बढ़ने लगा. दिलोदिमाग में बार बार उसी का खयाल उमड़ रहा था.
एक करवट लेटे मै सोचता रहा कि आखिर रिंकी के लिए क्या ऐसा करू कि वो खुश रह सकें, उसे भी उसके हिस्से की खुशिया मिल सकें । मैने अगले दिन उसके कॉलेज की छुट्टी के बाद उससे मिल कर उसे समझाने का फैसला लिया... !
मै रिंकी के कॉलेज के गेट के बाहर खड़ा था. बाहर कई सारे लड़के लड़कियां घूम रहें थे...... साथ ही साथ एक निर्भया पोलिस जीप थी जिसमे लेडी और जेंट्स पुलिस वाले बैठे थे.
दरवाजे के अंदर से रिंकी और उसकी दो और सहेली बाहर की ओर आ रही थी मुझे नाम नही पता था उस वक्त तक..... उसके साथ कॉलेज के दरवाजे की ओर आ रही थी..रिंकी सबसे साइड में थी और बीच में एक और सबसे लास्ट मे एक थी........
रिंकी जैसे ही दरवाजे के पास आई मैने अपनी बाइक निकली और फिर रिंकी को उस पर बैठने का इशारा किया...... सामने उसकी सहेलिया खड़ी थी इसलिए मुझे रिंकी से थोड़ी दूरी बनानी पड़ी...... रिंकी ने मेरे कंधे पर अपना एक हाथ रखा और मुझ को चलने का इशारा किया. उसकी सहेलियों ने उसे बाय कह कर अपने अपने रास्ते चली गई.
थोड़ी दूर जाने पर रिंकी थोड़ा आगे सरक कर मेरे और नज़दीक आ गयी......इस वक़्त उसका एक हाथ मेरी कमर पर था तो दूसरा हाथ मेरी पीठ पर.......रास्ता बहुत खराब था जिसकी वजह से मुझ को बार बार ब्रेक लेने पड़ रहे थे....हर ब्रेक पर रिंकी धीरे धीरे मेरे और करीब आती जा रही थी.......अब तक रिंकी मुझसे से पूरी तरह से सटकर बैठ चुकी थी.......अब उसके दोनो कसे हुए उरोज मेरी पीठ पर चुभ रहें थे....... मै भी उसके दोनो बूब्स को अपने पीठ पर महसूस कर परमआनंद का अनुभव कर रहा था.
मेरी हाथों की रोयें अब पूरे खड़े हो चुके थे.. मगर मैने ऐसी कहीं कोई हरकत नहीं कि जिससे उसे ये लगे की मै उसके उरोजो को अपनी पीठ पर महसूस कर रहा हू.. रिंकी और ज्यादा से सरककर मेरे और करीब आ गयी और अपने दोनो उभारों का वजन पूरा मेरी पीठ पर डाल दिया.......मैने एक बार पीछे उसकी तरफ पलट कर देखा मगर उसे कुछ नहीं कहा......और पहले की तरह बाइक चलाने लगा.......मुझे अब पूरा यकीन था कि मेरे लिंग् का खून पूरी तरह से गरम हो चुका है..आधे घंटे के बाद मेरा ससुराल आ गया..मैने थोड़ी दूर पर बाइक रोक दी.
‘‘क्या अब हमारे रिश्ते के लिए जरूरी नहीं है कि हम दोनों को एकदूसरे को मिल कर करीब से एकदूसरे का एहसास करना चाहिए.’’ रिंकी जैसे तैसे ये शब्द मुझसे कह पायी.
रिंकी की आवाज़ में कपकपाहट थी. मै उसके चेहरे पर पसीने को भी सॉफ महसूस कर रहा था. वो मुझसे बस इतना बोल कर और चुपचाप बाइक से उतर गयी..
‘‘जरूर, जब तुम कहो…’’ कहते हुए मैंने उसे पीछे से बांहों में भर लिया. उस ने मेरी तरफ चेहरा किया तो मैं यह देख कर विचलित हो उठा कि उस की आंखों से आंसू निकल रहे थे. तो वह सीने से लग गई, ‘‘आई लव यू…’’
‘‘आई नो डियर, बट क्या हुआ तुम्हें?’’
‘‘कुछ नही…’’ कह कर रिंकी मुसकराते हुए मेरे सीने से लग गई और मैंने भी पूरी मजबूती के साथ उसे बांहों में भर लिया. मैने एक बार फिर से उसके उरोजो के उभार को अपने सीने पर महसूस किया था.. यक़ीनन आज बहुत दिनों के बाद अपनी बेटी को आलिंगन करते हुए मेरा लंड खड़ा हो चुका था......
चंद सेकंड के आलिंगन के बाद ना चाहते हुए भी हम दोनों अलग अलग खड़े हो गये
और मै अपने पेंट मे खड़े लंड को अड्जस्ट करने लगा. मुझे ऐसा करते देख रिंकी अपने चेहरे पर मुसकान लाने से नहीं रोक पाई.....
और फिर हम अपने अपने घर की दिशा की तरफ चल दिये.
मैंने उसे स्वीकृति तो दे दी मगर मन में एक कसक सी उठ रही थी . शायद यह मेरी जिंदगी का सबसे बड़ी भूल साबित होने वाली थी ।
मुझ को पता था कि मै गलत कर रहा हू, रिंकी को भी पता था । लेकिन हमारा प्रेम रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था । अगले दिन से रिंकी और मैने अपने अपने कॉलेज में जाना बंद कर दिया और धीरे धीरे हम होटल में भी मिलने लगे यह आने-जाने मिलने मिलाने का सिलसिला 15 दिन तक लगातार चलता रहा।
और एक दिन मेरी सास ने मुझे रिंकी को गली के नुक्कड़ पर छोड़ते हुए देख लिया और उनको यकीन हो गया कि बाप बेटी की रास लीला फिर से शुरु हो गयी । उन्होंने रिंकी को समझाया भी कि अपनी ही सगी माँ के घर को मत उजाड़ । डायन भी अपने घर को छोड़ देती है। तू तो डायन से भी गई गुजरी है । पर रिंकी कहां सुनने वाली थी । वह तो अपने ही विचारों में खोई रहती और वही करती जो करना चाहती। मेरी सास ने अबकी बार फिर से अपनी बेटी कुसुम को कुछ नहीं बताया कि उसका पति और बेटी क्या गुल खिला रही है । शायद बता देती तो कुछ बच जाता ।
जारी है......