HalfbludPrince
मैं बादल हूं आवारा
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आजकल भी लोग इस्तेमाल करते है क्या फेस बुकफ़ेसबुक पर गलत संगत में है प्रोफ़ेसर भाई।
किसी दिन कोई नीचे से ज्ञान का डंडा दे गया तो बोलते नहीं बनेगा।
आजकल भी लोग इस्तेमाल करते है क्या फेस बुकफ़ेसबुक पर गलत संगत में है प्रोफ़ेसर भाई।
किसी दिन कोई नीचे से ज्ञान का डंडा दे गया तो बोलते नहीं बनेगा।
Hain kuch manu@84 jaise adhed.....आजकल भी लोग इस्तेमाल करते है क्या फेस बुक
अरे भाई?आजकल भी लोग इस्तेमाल करते है क्या फेस बुक
ये सब फेसबुक की आदत का चक्कर है। वहां अति ज्ञाता लोग हैं, हर जगह ज्ञान घुसेड़ कर ही मानते हैं, ऐसे ही हैं अपने मनु भैया
लगता हैं तुम दोनो मिल कर आज मेरी लेकर रहोगे,फ़ेसबुक पर गलत संगत में है प्रोफ़ेसर भाई।
किसी दिन कोई नीचे से ज्ञान का डंडा दे गया तो बोलते नहीं बनेगा।
Achcha Update hai bhai..अबेडकर नगर, पुलिस थाने की ओर एक हाथ से लाठी का सहारा लिए एक पैर से लंगलाडता हुआ एक आदमी धीरे धीरे चलता जा रहा है..... उस आदमी की आँखों मे दर्द और गुस्से का मिला जुला असर साफ दिखाई दे रहा है। उसके लड़खाते कदम किसी बहुत बड़ी घटना के घटित होने का इशारा कर रहे है।
पुलिस थाने में दाई तरफ कुर्सी पर एक पुलिस वाला हाथ में खैनी घिसता हुआ दूसरे पुलिस वाले से हँस हँस कर बातें कर रहा है, जबकि दरवाजे के पास दो पुलिस वाले खड़े होकर मैदान में फोन पर बात करती हुयी लेडी पुलिस वाली की जिस्म की नुमाइश की आपस में चर्चा कर रहे हैं।
दरवाजे पर खड़े दोनों पुलिस वालो को बीच में से थाने में प्रवेश करते हुए उस आदमी की नजरे पूरे थाने में उस शक्स को ढूढ़ रही है जिसे अपने साथ हुए वाक्ये को साझा कर सके।
कहो लगड़ महाराज....??? अब कहा गांड मरायी करके आये हो...??
केबिन मे से बाहर आते हुए काँधे पर तीन स्टार लगाए दरोगा ने उस आदमी से तंज कसते हुए कहा।
दरोगा के तंज देने की अदा से जाहिर हो रहा था कि वो लगडा आदमी किसी गुनाह मे पहले भी थाने में आ चुका है।
यादव जी... मै सरेंडर करने आया हू। मैने दो लोगों की हत्त्या की है...... उस आदमी ने कपकपाते हुए होंठो से कहा।
इतना सुनते ही थाने में मौजूद अन्य पुलिस वालों ने उस आदमी को चारो ओर से घेर लिया।
किन दो लोगों को मार कर आया... साले मादरचोद...... इस बार दरोगा उसकी कॉलर पकड़ते हुए बोला।
कुछ देर के लिए वो आदमी चुप रहा।
मादरचोद चमरा बक ना....??? पीछे से एक लाठी उस आदमी की गांड पर मारते हुए एक पुलिस वाला बोला।
अपनी प प प पत्नी..... और.... ब ब बेटे को।
बड़ी दर्द भरी रुवास के साथ वो आदमी फूट फूट कर रोते हुए बोला।
सारे थाने में मौजूद पुलिस वाले दंग थे... दरोगा उस आदमी की ओर बड़े गौर से देख रहा था उसे समझ नहीं आ रहा था वो उस आदमी की गांड तोड़े या दिलासा दे।
थाने में उस आदमी की रुवास की आवाज गूँज रही थी। कुछ देर की खामोशी के बाद दरोगा ने पूछा....!
लाशें कहाँ है....????
मेरे घर पर...!
इतना सुनते ही दरोगा ने दूसरे पुलिस वाले को उस आदमी को लॉक अप मे बंद करने का इशारा कर साथी पुलिस वालों के साथ गाड़ी में बैठ कर उस आदमी के घर की दिशा में चल दिया।
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वार्ड न 11, अबेडकर नगर, एक घर के सामने भीड़ जमा थी, एक 17-18 साल की लड़की खून से लथपथ लाशो को देखती हुई एकदम से जिंदा लाश की तरह खामोश बैठी थी.... उसके आँसू से भरी आँखों से एक-एक आँसू रह-रह कर रिस रहा था। तमाशाबीन भीड़ में खड़े लोग आपस में कानाफूसि कर रहे थे।
पुलिस वेन का साइरन सुन भीड़ तितर बितर होने लगी। दरोगा यादव ने दल बल के साथ पूरे घर को अपनी निगरानी में ले लिया। और लाशों को बड़े गौर से देखने लगे, साथ ही साथ हत्त्या मे उपयोग किये गए क्रिकेट के बल्ले पर लगे खून के निशान को देख रहे थे।
घर के अंदर लाशो के पास जवान लड़की के पास जाकर दरोगा ने पूछा...!
तुम कौन हो...??
लड़की जिंदा लाश बनी हुई थी।
मृतक तुम्हारी माँ और भाई है...???
लड़की गूंगी बुत बनी हुई थी।
तुम्हारे अलावा और कौन है यहाँ...???
वो लड़की सिर्फ उन लाशों को ही टक-टकी लागये देख रही थी, मुह से खामोश, उसकी आँखो से बहते हुए आँसू दरोगा को उन लाशों से उसका रिश्ता बयाँ कर रहे थे।
दरोगा यादव ने लड़की की खामोशी को तोड़ कर बयान लेने का प्रयास करना इस वक्त ठीक नहीं समझा और साथी पुलिस वालों को एंबुलेंस बुला कर लाशों को पोस्ट मार्टम करवाने के लिए जिला अस्पताल एवम एक लेडी पुलिस को घर में ड्यूटी पर रहने की बोल कर वापस थाने की ओर चल दिये।
थाने पहुँच कर दरोगा सीधा अपने केबिन मे घुस गया और मेज पर रखे पानी से भरे ग्लास को एक सांस मे पी कर एक गंभीर सोच मे सुस्ताने लगा।
उधर लॉक अप मे बंद वो लंगड़ा आदमी भी रोते बिलखते सिसकते हुए अपनी जिंदगी के बीते पन्नों को पलट रहा था.... और ये जानने का प्रेयास कर रहा था कि इस सबका असली गुनेहगार कौन है...????
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बीती जिंदगी का पेज - १ (परिवार)
कानपुर शहर के अंबेडकर नगर में राजाराम जाटव (उम्र 38 साल) के परिवार में पत्नी मोतिरानी (उम्र 34 साल), एक बेटी कलावती (उम्र 18* शादीशुदा), और एक बेटा बिल्लू जाटव उम्र (18 साल) उसकी पत्नी सोना कुमारी उर्फ सोनिया उम्र (18* साल) सहित छोटा सा परिवार रहता है। बिल्लू गाँव, कस्बो, छोटे-छोटे शहरों में लगने वाले मेलों मे मौत का कुवा मे मोटर साइकिल चलाता था। उसकी मोटर साइकिल पर बड़े बड़े अक्षरों में " बिजली के टावर (खंभा) और चमार के पावर से बच कर रहना " लिखा रहता था। इस तरह के तेवर और रोब झाड़ने की वजह उसके स्थानीय दलित संगठनो एवम भीम आर्मी मे सकीर्यता होने से आई थी। बिल्लू जब भी मौत के कुवा मे अपनी मोटर साइकिल उड़ाता तब सिर्फ एक ही गाना डीजे पर बजाया जाता था.........!
"" हमारा नाम बागड़ बिल्ला है..
बीबी का नाम चांदी का छल्ला है...
हमारा नाम बागड़ बिल्ला है..""
मेले लाइन में होने की वजह से बिल्लू को शराब्,जुवा व अन्य नशे का भी शौक लग गया था।
( निम्न वर्ग अथवा निचली जातियों की सबसे बड़ी खूबसूरती यही है कि उनके परिवारों में बच्चो की शादी 18 साल पूरे होते-होते ही कर दी जाती हैं चाहे लड़की-लड़का पढ़ रहा हो अथवा कोई भी आर्थिक कार्य नही कर रहा हो। निम्न जाति वाले बच्चो को जवानी के सुख भोगने मे कभी भी कोताही नही बरतते है। बेटे बेटियों की जवानी उफान पर आते ही माँ-बाप उनकी जवानी की आग शांत करने की पर्मानेट व्यवस्ता कर देते है..... जबकि इसके उलट उच्च जातियों में बेटे बेटी 25-30, 30-35 साल के बूढ़े घोड़े-घोड़ी नही हो जाते माँ बाप उनके ब्याह के बारे में सोचते ही नही। मेरी समझ से इसकी वजह होती हैं उच्च शिक्षा की चाह, बेटे को अपने पैरो पर खड़े होकर जिम्मेदारी निभाने की तत्परता जांचना और बेटे बेटियों की पढाई पर किये गए खर्चो की वसूली, और जब तक कमाउ बेटा अपने पैरो पर खड़ा होता है तब तक उसका खड़ा होना बंद हो जाता है और तो और जब तक माँ बाप बेटो बेटियों की तीन-चार साल की कमाई निचोड़ नही लेते तब तक उन्हे बच्चों के लिए आये हुए वैविहिक रिश्तों में इंट्रेस्ट ही नही आता। फिर जब कमाउ पूत (बेटे-बेटी) "अपनी बढ़ती उम्र और ढलती जवानी की" जिस्मानी भूख मिटाने के लिए खुद ही जुगाड़ लगाने के चक्कर में किसी गलत संगत (ईश्क बाजी, वैश्या गमन) में नही पड़ जाते तब तक माँ बाप को बेटे बेटियों की जवानी का अहसास ही नही होता। " महान दार्शनिक ओशो ने भी शादी व्यवस्ता के लिए आजकल के उच्च जातियों के मां बाप पर बहुत ही सुंदर कटाक्ष किया है")
कोई नहीं, लाश सोनिया की है, कहानी बिल्लू कीAchcha Update hai bhai..
Suspense se bhara...
Dekhte hain aakhir Rajaram ne apni biwi aur bete ko kyu nipta diya..
Wo ladki kaun hai jo laasho ko dekh kar to Rahi hai.. kalavati ya soniya..