Update 2 ... Achcha episode diya Manu bhai... Kaafi sawaal liye hue hain kahani abhi tak..अंततः अपनी गंभीर सोच की मुद्रा से बाहर निकल कर दरोगा यादव अपनी जेब में से एक wills nevy cut सिगरेट् सुलगाते हुए कुर्सी से उठ कर अपने केबिन मे से बाहर आते ही एक पुलिस वाले (मुंशी) को पंचनामा बनाने के लिए उस आदमी को स्टोर रूम में पूछताछ करने के लिये लाने की कहते है।
कुछ देर बाद पुलिस वाला (मुंशी) हाथ में पंचनामा की फाइल और उस आदमी के साथ स्टोर रूम में आता है। दरोगा कुर्सी पर बैठे हुए उस आदमी को बड़ी गौर से देखे जा रहा था।
चल इधर बैठ....!
मुंशी उस आदमी को जमीन पर बैठने की बोल खुद स्टूल पर बैठ कर फाइल मे से पेपर निकाल कर लिखने के लिए तैयार है।
वो आदमी उकडू की तरह जमीं पर बैठ जाता है..... और अभी भी किसी गहरी सोच मे डूबा हुआ है।
सोच जब गहरी हो जाती हैं... तो फैसले बदल देती हैं...बिल्लू, काश तूने अपनी बीवी और बेटे को मारने से पहले इतनी गहराई से सोचा होता तो आज वो दोनों जिंदा होते और तू यहाँ इस तरह नही बैठा होता।.............दरोगा ने बिल्लू की सोच की तंद्रा भंग करते हुए कहा।
मैने जो किया उसका मुझे रत्ती भर भी अफसोस नहीं है.......... यादव साहब.. मै तो अभी सिर्फ ये सोच रहा हूँ.... शायद अगली एक कोशिश तकदीर बदल दे,,
जहर तो जब चाहे खाया जा सकता है...!!.......बिल्लू ने यादव से एक सिगरेट् मांगते हुए मुस्कुरा कर जबाब दिया।
बिल्लू तेरी बीवी का नाम क्या था...??? दरोगा ने भी उसे मुस्कुरा कर सिग्रेट देते हुए पूछा....!
सोनिया....... लेकिन मै उसे प्यार से सोना बुलाता था...!
जब इतना प्यार करता था... तो फिर मारा क्यों उसे...????
वो क्या है ना, यादव साहब... मेरी सोना... को.... सोना... बहुत पसंद था, इसलिए उसे हमेशा के लिए सुला दिया..... ह्म्म्म बिल्लू एक तंज भरी मुस्कान देते हुए बोला।
बिल्लू की तंज भरी मुस्कान देख यादव का पारा तो चढा... लेकिन उसने खुद को काबू करते हुए फिर से पूछा....!
और तेरे बेटे का नाम क्या था....????
बंटू कुमार....
और उमर.....????
18-19 साल शायद....!
देख बिल्लू तूने खुद ही थाने में आकर सरेंडर कर अपना जुर्म कबूल किया है, तो ज्यादा सवाल-जबाब की जरूरत तो नहीं है, मेरे... तेरे किस्से मे इंट्रेस्ट की सिर्फ दो वजह है पहली वजह -- पांचवी तक हम एक ही स्कूल की एक ही क्लास मे पढ़े है......और दूसरी वजह -- जो आदमी जेल में अपने अच्छे आचरण से एक साल की रियायत पाकर कल ही मिली हुई सात साल की सजा को भुगत कर जेल से रिहा हुआ है वो आदमी आज अपनी बीवी बेटे को इतनी बेरहमी कैसे मार सकता है.........?? सच सुनने को उत्सुक दरोगा यादव ने बिल्लू से कहा।
चल बता पहले किसे मारा बीवी को या बेटे को....????
बीवी को.....! जब बेटा उसे बचाने आया तो उसे भी मारना पड़ा।
और क्यों मारा....???
मुझे शराब् के लिए पैसे चाहिए थे, और मेरी बीवी मुझे पैसे दे नही रही थी, बेटा भी अपनी माँ का साथ दे रहा था....मैने दो घंटे तक बर्दाश्त किया, जब मेरा गुस्सा मेरे काबू से बाहर हो गया तब मैने गुस्से में आकर उन दोनों को मार दिया......सिगरेट् का आखिरी कश के धुन्ये को मुह से फूंकते हुए बिल्लू ने जबाब दिया।
भोसड़ी के तूने पिछले 6 साल में जेल में काम करके जो पैसे कमाए थे उन पैसों से मूत पी आता ......??????? दरोगा यादव इस बार थोड़े सख्ती से बोले।
जेल में कमाए हुए पैसे भी मेरी बीबी के पास ही थे....!!!!!! बिल्लू अभी भी नरम स्वर में था।
(( भादवि 302, 307 एवम तीन साल से अधिक मिले कारवास के सजाये हफ्ता अपराधी अथवा कैदी को तेहसिल जेल से सेंटर जेल में ट्रांसफर कर दिया जाता जाता है, सेंटर जेल संभाग स्तर पर बनी होती... वहा पर बंद कैदियों को देनिक वेतन भोगी के प्रक्रिया तहत योग्यतानुसार काम दिया जाता है और उक्त अर्जित धन राशि को कैदियों के आगामी जीवन में रिहाई के वक्त भरण पोषण के लिए सौंप दिया जाता है... इसे कैदी अर्जित पारितोषिक कहा जाता है))))
मै तेरी नस नस से वाकीब हू, पूरा सच तो तू बोलने से रहा..... और तो और तूने खुद ही थाने में आकर सरेंडर किया है, इसलिए मै तेरी कंबल परेड भी नही कर रहा हूँ इसलिए बेहतरी इसी मे है जो जो पूछा जाये सीधा सीधा जबाब देता जा....... दरोगा यादव ने इस बारी प्यार से धमकाते हुए बिल्लू से कहा।
तेरी एक जवान बेटी भी है....???
बेटी का जिक्र होते ही बिल्लू एकदम से खामोश हो गया..... उसके चेहरे का रंग, उसके हाव-भाव बदल गये... उसकी आँखों में हल्के आँसू भी उभर आये।
बोल ना गांडू....... मुंशी गाली देते हुए बिल्लू से बोला।
बिल्लू चुप ही रहा.....!!!!!!
लगता है बिल्लू तू अपनी बेटी से बहुत प्यार करता है....????
हाँ...! बिल्लू अपनी आँख में रिस्ते हुए आँसू की बूंद पोछते हुए बोला।
क्या नाम है.. उसका...????
बुलुबुल....!
जब तू अपनी बीवी और बेटे को जानवरो की तरह मार रहा था....तेरी बेटी कहाँ थी उस वक्त....????
स्कूल गयी थी....... बिल्लू बड़ा ही शान्त होकर जबाब दिया.........।
अपनी बीवी और बेटे को मारते हुए अपनी बेटी का ख्याल नही आया...????
वो क्या है ना यादव जी... गुस्से में आदमी को कुछ भी ख्याल नही आता, उसका दिमाग काम करना बंद कर देता है... और जब दिमाग की बत्ती जलती है... तब तक उस आदमी की दुनिया अंधेरे से भर चुकी होती है।
तूने ये सोचा है कि अब तेरी बेटी का क्या होगा...????
बिल्लू भावुक हो गया....!
दरोगा भी बिल्लू को भावुक देख कर कुछ पल के लिए खामोश हो गया।
यादव जी... और भी कुछ पूछना है। बिल्लू ने अपनी एक टांग सीधी करते हुए मुंशी से पूछा।
दरोगा यादव ने ना मे मुंडी हिलाई।
यादव साहब मै आपसे कुछ पूछूँ..??? बिल्लू ने दरोगा की तरफ मुस्कुरा कर कहा।
पूछो..????
आपकी फैमिली मे कौन कौन है...????
मै...., मेरी वाइफ और तेरे बेटे की उम्र का मेरा एक्लोता बेटा।
एक्लोता है.... तो आपका लाडला भी होगा...??? बिल्लू ने मुस्कुरा कर पूछा।
मेरा तो उतना लाडला नही है... लेकिन अपनी माँ का बहुत लाडला है...!
यादव साहब बुरा मत मानना...जिंदगी का सच बता रहा हूँ...माँ-बेटे का एक हद हद से ज्यादा लाड़, एक दिन बाप के लोंडे लगा देता है.... बिल्लू हस्ता हुआ बोला।
हट भोसड़ी के..... लेकर जाओ इसे बंद करो। दरोगा ने मुंशी को आदेश देते हुए कहा।
बिल्लू के जाने के बाद दरोगा यादव अपने मोबाइल से बिल्लू के घर पर तैनात महिला पुलिस कर्मी को फोन लगाता है...!
हैलो....!
उषा मैडम क्या स्टेट्स है...??? बिल्लू की लड़की बयान देने के लिए तैयार है....????
पता नही सर..... वो अभी तक सिसक रही है..! मै जाकर पूछूँ क्या....????
रहने दो.... उषा मैडम....!
लेकिन क्यों सर....?????
क्योकि...., रोती हुयी औरत.... और.... हँसता हुआ मर्द कभी सच नही बोलते..... औरत के आँसू और मर्द की हँसी मे बहुत गहरे राज छिपे होते है.....! जब उस लड़की के आँखों के आँसू सूख जाये तब मुझे फोन कर देना, इस किस्से मे बिल्लू की लड़की अहम कड़ी है। इतना केहकर दरोगा यादव फोन काट देता है।
उधर बिल्लू को फिर से लॉक अप मे बंद कर दिया जाता है और बिल्लू फिर से अपनी बीती हुई जिंदगी के पन्ने उलटने लगता है....!
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बीती हुयी जिंदगी पेज - 2 (प्यार भरा परिवार)
चाँदनी रात में आसमां से हल्की हल्की ओस कीं बूंदे टपक रही थी, पूरा कमरा दूधिया रोशनी से जगमगा रहा था.... म्युज़िक प्लेयर मे बहुत ही रोमांटिक मधुर गीत की आवाज आ रही थी...!
सुन साहिबा सुन.... प्यार की धुन..!
सनम तेरी सूरत लागे...हावड़े का पुल पुल पुल सुन साहिबा सुन.... प्यार की धुन..!
"कुदरत का क्या करिश्मा है, कि एक नारी की नग्न काया मर्दों को बेकाबू और उत्तेजित कर देती है"
बिल्लू ने पास ही पड़े चार तकिये सोनिया की कमर के नीचे लगा कर उसे इस तरह लेटा दिया कि उसकी गर्दन तकिये से पीछे की तरफ हो गई, और उसके उन्नत उभार तकिये के ऊपर होने की वजह से और ज्यादा ऊँचे उठ गये और पेट एक फिसल पट्टी की तरह से बन गया। अब तो बिल्लू ने उसके पैर जितने चौड़े वो कर सकती थी उतने कर दिए और उसके हाथ भी उठा कर सर के ऊपर ही कर दिए। उसकी बगल भी निहायत ही साफ़ और रोम-रहित थी इस तरह अब सोनिया बहुत ही अश्लील और उत्तेजक मुद्रा में पड़ी हुई थी, उसकी छातियाँ इतनी ज्यादा तन गई थी कि उनमें से उसकी रक्त शिराएँ भी चमक रही थी, उसके बाएँ वक्ष पर एक गहरा काला तिल भी था,
" वक्ष पर तिल वाली लड़कियाँ बहुत ज्यादा उत्तेजक और कामी प्रवृति की होती हैं और उनके पति उनसे सदैव सुखी और संतुष्ट रहते हैं।"
सोनिया का तो हाल बुरा हो चुका था! बहुत कम घरेलू औरतें ऐसी होती हैं जिनके दोनों वक्ष एक साथ खींचे, सहलाये और चूसे जा रहे हों। सोनिया अब बेकाबू होती जा रही थी और अपने कूल्हे और चूतड़ उछालने लगी थी।
उसने अपनी बीवी के चूतड़ सहलाते हुए पूछा- कैसा लग रहा जानेमन...????
सोनिया की उत्तेजक आवाजों से वो कमरा गूंजने लगा। वो अचानक उठी, पलटी और चूत फैला कर चिल्लाने लगी- अब शुरु करो ना....????
बिल्लू ने अनजान बनते हुए कहा- क्या कह रही हो मेरी शोना? मेरी समझ में नहीं आ रहा है।
ये सुन सोनिया का सब्र जवाब दे गया और वो देसी भाषा पर आ गई- ओह मेरे बिल्लू राजा! मुझे चोदो यार! चुदाई करो जल्दी जल्दी! अब रहा नहीं जा रहा! अपने लण्ड से प्यास बुझा मेरी चूत की जल्दी! जल्दी!
और यहां बिल्लू का भी हाल बुरा था, उसने भी समय व्यर्थ न गंवाते हुए जल्दी से लण्ड पर कंडोम चढ़ाया, सोनिया को पैर चौड़े करने को कहा और उसकी चूत के दोनों होंठ पूरे फैलाते हुए अपना लण्ड घुसा दिया और सोनिया ने जोर से सिसकारी निकालते हुए उसे जोर से भींच लिया कि उसके नाख़ून से बिल्लू की पीठ पर खून तक निकल आया।
वो इतना ज्यादा हल्ला मचा रही थी कि आखिर में बिल्लू ने अपने होंठों से उसका मुँह बंद किया और फिर उसकी चुदाई जारी रखी…।
“ओह जान तुम तो किसी भी लड़के को अपना दीवाना ही बना दोगी..” बिल्लू के मुह से यही निकला जब उसने सोनिया की चूत में अपना वीर्य उड़ेल दिया…।
बिल्लू थका हुआ उसके ऊपर पड़ा हुआ था वही सोनिया बिल्लू के सर को सहलाती हुई शांत पड़ी थी,जब बिल्लू ने उसकी आंखों में देखा तो उसकी आंखों में एक अजीब सी हलचल थी और होठो पर एक कातिल मुस्कान…।
“अच्छा,लेकिन मुझे तो लगता है की मैं आपकी दीवानी बन चुकी हु ,आपके प्यार के आगे मेरी हुस्न की क्या मजाल है,जब से हमारी शादी हुई है आपके प्यार की कशिश ने मुझे आपकी दीवानी ही बना दिया है…”
सोनिया के होंठो से छलकते हुए शब्दों के प्याले को बिल्लू ने अपने होठो में भर लिया …
“तुम्हारे हुस्न और सच्चाई ,तुम्हारी ये प्यारी सी आंखे और भरे हुए होठो से छलकते हुए रस के प्याले,….तुम जब हंसती हो तो लगता है की चांद खिल गया है,तुम्हारा रूठा हुआ चहरा भी इतना प्यारा है की दिल करता है अपना सब कुछ तुम्हारे कदमो में रख दु …”
बिल्लू की आवाज में सोनिया के लिए बस प्यार ही प्यार था..
“इतना ही प्यार करते हो तो कोई दूसरी नौकरी या काम क्यों नही कर लेते... इस तरह हर रोज " मौत के कुवें " मे अपनी जान की बाजी लगाना...वो बस कुछ हजार रुपयों के लिए….” अगर किसी दिन कुछ हो गया तो सोचा है मेरा क्या होगा....????
“ सोनिया तुम्हे पता है एक स्टंट मेन की बहादुरी और हिम्मत के पीछे उसकी पत्नी का हाथ होता है अगर पत्नी मज़बूती से न खड़ी हो तो स्टंट करने की नौकरी बहुत मुश्किल है" वैसे अब ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है... बस कुछ सालों की बात है फिर मै ये नौकरी छोड़ दूंगा।
बिल्लू और सोनिया की धड़कने फिर से अपने गति में आ रही थी और उस शांति में बचा था बस प्यार...लिपटे हुए शरीर पर बस एक होने का अहसास था..।
बिल्लू ने अपनी बीवी सोनिया को उमर के 20 बरस पूरे होने से पहले ही उसे दो बच्चो की मम्मी बना दिया था। सोनिया के दो बच्चे थे और उनका नाम बड़े ही प्यार से बिल्लू ने अपने नाम के अक्षर से ही रखा था बेटी बुलबुल कुमारी और बेटा बंटू कुमार। दोनों ही बच्चो मे सिर्फ एक साल का अंतर था। बुलबुल, बंटू से एक साल बड़ी थी।
वक्त की रफ्तार अपनी गति से चलती रहती है, साले सिर्फ केलण्डर के पन्नों के साथ अपने अंक बदलती रहती है। लेकिन बदलती हुई सालों, महीनों और तारीखो के बीच एक वो तारीख आती हैं, जिससे व्यक्ति और उसके परिवार की तकदीर बदल जाती हैं। इसी बदलते हुए वक्त के साथ साथ बिल्लू और सोनिया के शादी को तेरह वर्ष बीत गये थे, दोनों बच्चे बुलबुल और बंटू की उम्र ने दहाई का आंकडा पार कर लिया था।
आईने के सामने अपने स्त्री सौंदर्य को निहारते हुए सोनिया खड़ी खड़ी आज सोच रही थी...... अगर पति स्टंट मेन मिल जाए तो गुरुर के साथ साथ दर्द भी बराबर का देता है अब देखो ना बिल्लू आए थे पता ही नहीं चला कब एक हफ्ता ख़त्म हो गया …आज चले गये मन उदास हैं ब्याकूल हैं … बिल्लू जब चले जाते हैं तो लगभग एक से दो महीने बाद आते हैं ….और उन महीनों में बहुत सारे काम ऐसे होते हैं …जो मेरे लिए कर पाना मुश्किल हो जाता है … और फिर मुझे बेसब्री से इंतज़ार रहता है, कि कब आएंगे और कब मेरा काम ख़त्म होगा।
फिर वो आते हैं बस हम लग जाते हैं अपने काम निपटाने में और धीरे धीरे करके दिन कटने लग जाते हैं जब जाने का 1-2 दिन बचता है तब पता चलता है यार ये एक हफ्ता हो गया ऐसा लग रहा है कल ही आए थे, फिर बहुत सारी बातें मन ही मन में रह जाती हैं फिर अगले एक डेढ़ महीने का इंतज़ार......?????
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Billu ne na puri baat kholi daaroga Yadav ko aur na hi Bulbul is stithi mein hai ke kuch jawab dekh sakey...
Guzre hue dino mein se agar koi jhalak humein mili bhi to wo Sona aur Billu ke bedroom scene ki aur cut ho kar din aagey badhe to bachche bade ho gaye...
Bohot achcha lekhan style aur desi bhasha.. bohot umdah....