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Incest कसूरवार कौन....पति...पत्नी...या...????(आशिक पति और माशूक पत्नी के प्रेम पर आधारित सजी सच्ची अफवाहों पर केंद्रित कहानी)

manu@84

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उम्दा :applause:

बहुत सुंदर लेखनी है भाई, हमेशा की तरह। पति की मजबूरी और बाप की बेबसी का अदभुत चित्रण।

प्यार और हवस के डूबे नए नवेले पति पत्नी का भी उतना ही सुंदर वर्णन। गजब
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manu@84

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Update 2 ... Achcha episode diya Manu bhai... Kaafi sawaal liye hue hain kahani abhi tak..

Billu ne na puri baat kholi daaroga Yadav ko aur na hi Bulbul is stithi mein hai ke kuch jawab dekh sakey...

Guzre hue dino mein se agar koi jhalak humein mili bhi to wo Sona aur Billu ke bedroom scene ki🤪 aur cut ho kar din aagey badhe to bachche bade ho gaye...

Bohot achcha lekhan style aur desi bhasha.. bohot umdah....
Interesting story
Keep it up
Shaandar jabardast mast update 🔥 🔥
सबसे पहले आप को अपनी दूसरी स्टोरी ( USC को छोड़कर ) के लिए हार्दिक बधाई मानु भाई ।

स्टोरी का शिर्षक पढ़कर प्रतीत होता है कि यह एक औरत के बेवफाई की कहानी है । लेकिन कहते हैं न कि कोई भी यूं ही बेवफा नही होता । कुछ न कुछ वजह अवश्य होता है ।
यह कहानी एक दलित परिवार की है । ( आप से यह निवेदन है कि निम्न जाति की जगह दलित शब्द का प्रयोग करें ) वैसे राजनीति मे दलित का और उसमे भी जाटव समाज का सांसद और विधायक चुनने मे काफी बड़ी भुमिका होती है । सभी क्षेत्र मे तो नही पर देश के अनेकों हिस्से मे इनकी संख्या बहुत ही अधिक है ।

बिल्लू ने पहले सात साल की सजा काटी फिर छूटने के बाद घर पर अपनी बीवी और बच्चे की हत्या कर दी ।
पहला सवाल ही यही है कि उसे किस जुर्म की सजा मिली थी ? दूसरा सवाल यह है कि क्या वह वास्तव मे शराब के पैसे न दिए जाने पर अपनी पत्नी की हत्या कर दी ?
ऐसा लगता तो नही है , जबकि सच कहूं तो हकीकत मे ऐसा कई बार हुआ है ।

खैर देखते हैं , फिलहाल कहानी शुरुआत फेज मे है इसलिए हम ज्यादा कयास भी नही लगा सकते ।

( एक और बात - बल्लू का पल भर मे रोना और पल भर मे हंसना कहीं से भी नही जंचता । अगर किसी को बहुत अधिक सदमा लगा हो , या पागलपन का शिकार हो गया हो , मानसिक अवस्था निस्तेज हो चुकी हो तब ही ऐसा व्यवहार होता है )

खुबसूरत अपडेट मानु भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
कहानी बहुत सधी हुई गति से आगे बढ़ रही है ,यही दक्षता कायम रहे ये उम्मीद है
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manu@84

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nyi kahani ke liye bahut badhai, kafi acchi suruwat hai , lgta hai bahut maza aane wala hai , bahut badia
भाईसाहब,
मैने अभी तक आपकी कहानी पढ़ी नहीं है, इसलिए मैं कहानी पर, उसके पात्रों पर, कथानक पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा, क्योंकि पढ़े बिना प्रतिक्रिया देना अनुचित मानता हूं।

मुझे यह समझ में नहीं आता "सच्ची अफवाह" क्या होती है। मेरे ज्ञान में अफवाह उस खबर को कहा जाता है जिसका स्त्रोत अनुसरणीय हो, जिसकी सत्यता को परखा नहीं गया है या परखना संभव ही नहीं है; जो पूर्ण सत्य भी हो सकती है, आंशिक सत्य भी हो सकती है या पूर्ण असत्य भी हो सकती है। उसके विपरीत सच्ची खबर की सत्यता पर कोई संदेह हो ही नहीं सकता, वह कभी अफवाह हो ही नहीं सकती। तो यह "सच्ची अफवाह" क्या होती है?
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Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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चार लोग क्या कहते हैं, उसका सजीव वर्णन।

बढ़िया अपडेट :applause:
 

rhyme_boy

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अगली सुबह बिल्लू का घर रिश्तेदारों से भरा हुआ था, बिल्लू की बीवी सोनिया और उसके बेटे की अंतिम शव यात्रा की तैयारी हो रही थी। बिल्लू की बेटी की आंखो के आँसू सूख तो जरूर गए थे....लेकिन सूखे हुए आँसुओ के निशान उसकी आँखों में साफ नजर आ रहे थे। अधिकतर रिश्तेदार शोक कम.....कानाफूसि मे ज्यादा लगे हुए थे। तीन-तीन, चार-चार लोगों के समूह घर के बाहर अपनी-अपनी बुद्धि स्तर पर इस पूरे हत्याकांड की समीक्षा कर अपने अपने मत देकर फैसले सुना रहे थे।


सच्चाई छुपाई जा रही थी , अफवाहे उड़ाई जा रही थी, कहानी कुछ और थी बताई कुछ और ही जा रही थी.......!


मातमी घर में, इस मातमी समय
में जो रिश्तेदार नही आ पाये थे वो अपने-अपने घरों में अफ़वाहो से भरी बातों से सुलग रहे थे और जो रिश्तेदार आ चुके थे वो अपनी-अपनी बातों से बिल्लू की बेटी बुलबुल के तन-मन को सुलगाने मे कोई कसर नही छोड़ रहे थे। कुछ रिश्तेदार दिखावटी शोक के साथ बिल्लू को कोस रहे थे और कुछ रिश्तेदार बनावटी संवेदना के साथ बिल्लू की बेटी बुलबुल के भविष्य की चिंता कर रहे थे...??? बुलबुल अपनी बुआ कलावती के कंधे पर सर रखे हुए इन सच्चे रिश्तेदारों की सच्ची असलियत को पहचान रही थी। अगर इन रिश्तेदारों की भीड़ में मृत शवों पर किसी की आँखों में दुख के असली आँसू थे तो वो थी बुलबुल की बुआ कलावती....!


(कलावती और सोनिया दोनों पक्की सहेलिया थी, सोनिया अक्सर कलावती के साथ स्कूल जाती थी और कभी कभी देर होने पर बिल्लू उन दोनों को अपनी मोटर साइकिल पर छोड़ दिया करता था। धीरे धीरे सोनिया और बिल्लू एक दूसरे को पसंद करने लगे थे... जाति-बिरादरी, आर्थिक स्थिति एक जैसी होने की वजह से बिल्लू और सोनिया की शादी में कोई अड़चन नही हुई.. और दोनों के परिवार वालों ने खुशी खुशी दोनों को सदा सुखी जीवन जीने का आशीर्वाद दिया था।)


बरामदे के पीछे सबसे कोने में सर पर घूघट डाले बैठी जिला इटावा से आई चार औरते शोक व्यक्त करते हुए आपस में फुसफुस्सा रही थी...।


शराब् तो हमाओ आदमी पियत...पर कभी मार पिटाई नही करत है...पहली औरत दूसरी औरत के कान में फूसफुस्सायी,


जिजि पियत तो हमाओ आदमी भी, एक बार बाने हाथ उ उठाओ तो... लेकिन हमने वा, कि उल्टी खटिया खड़ी कर दयि.. ता दिन से आज दिन तक हमाए आदमी ने हाथ लगाए की कोशिस ना करी....!

हमें तो लगत है जे शराब् की वजह से ना भओ....! तीसरी औरत ने पहली और दूसरी औरत की बात काटते हुए अपनी बात रखी।


तो फिर तुम बताओ भरतना वाली.. जे सब के पीछे का वजह हती....???
पहली और दूसरी औरत दोनों एक साथ बोली।


मोये तो लगत है "सोनिया...,छिनरिया होए गयी थी".....बिल्लुआ इत्ते साल से जेल में बंद हतो... सोनिया लगी होएगी काउ के संग.. ????


तेइसो....ओ मोरी मैया...जिजि, जे का कह रही...???
पहली और दूसरी औरत दोनों एक साथ चोंकते हुए बोली।


जेई हमें भ्यास रही है...! वा को पेहनन नही देखो तुमने जिजि..., वा कबहु दोय-,,,,कबहु तीन हुक वारे ब्लाउस पहनत हती....!चौथी औरत तीसरी औरत की बात का पूर्ण समर्थन करते हुए बोली।


इन चारों औरतों की खुसर फुसर की फुसफुसाहट सुन बगल से बैठी एक अन्य औरत इनकी तरफ बड़े ही गौर से घूरने लगी...!


अपनी तरफ इस तरह घूरता देख इन चारों औरतो ने अपने-अपने मुह में साड़ी के पल्लू के कोने दबा कर एक दूसरे को चुप होने का इशारा करते हुए.....होए गयी बस, अब चुप रओ...!!


कुछ मिनिट की खामोशी के बाद चारों औरतो की ज्ञान चर्चा फिर से शुरु हुई।


सोनिया कौ के संग लगी थी.. ???? पहली औरत ने अपना ज्ञान बढ़ाने के लिए अगला सवाल किया...!


जे मोय का पतो... बिल्लुआ पतो होगो वा से पूछ लियो
.. ???? तीसरी औरत ने तंज कसते धीरे से बोली ह्म्म्म।

जे सब तो ठीक है...जिजि,...पर बिल्लुआ ने मोड़ा काये मार दओ...??? तीनों औरते एक साथ सोनिया को छिनरियाँ कहने वाली औरत से अगला सवाल करती हैं...!


वो औरत इस सवाल का जबाब देने ही वाली थी कि पुलिस के साईरन की आवाज घर के बाहर से आने लगी।


पुलिस आय गयी..... पुलिस आय गयी। कह चारों औरते फिर से शोक मुद्रा में आ गयी।


जैसे ही घर के बाहर सायरन देते हुए एक पुलिस की गाड़ी आई.. गाड़ी में से दो पुलिस वालों के साथ बिल्लू भी नीचे उतरा...! बिल्लू को देखते ही घर के बाहर खड़ी सगे संब्ंधियो की भीड़ आपस में धीरे धीरे खुसर फुसर करने लगी..।


भीड़ में खड़े कुछ बुधजीवियो के लिए बड़े ही आश्चर्य का विषय था तीन स्टार रेंक का पुलिस दरोगा यादव अपनी ही बीवी बेटे की हत्त्या करने वाले अपराधी बिल्लू के साथ खुद गाड़ी में लेकर इस वक्त यहाँ क्यों आया था...????


बिल्लू उस भीड़ की नजरों से नजरे बचाता हुआ अपने घर के बरामदे मे दाखिल हो गया। बिल्लू को देखते ही उसके सास ससुर उसकी छाती पर हाथ पटकते हुए बस एक ही सवाल कर रहे थे.....????


आखिर ये सब तूने क्यो किया....?????


बिल्लू के पास उस वक्त इस सवाल का कोई जबाब नही था वो तो बस कफन मे लिपटे अपनी प्यारी बीवी सोनिया और अपने जवान बेटे के मृत शव को देख रहा था। उसकी आँखों में से आँसुओ का सैलाब उमड़ रह था।


ये आँसुओ का उमड़ता हुआ सैलाब पश्चताप था, या इंसाफ इस सवाल का जबाब खुद बिल्लू के पास नही था।


जब बिल्लू की नजर सूखी पथरायी आँखों के साथ जिंदा लाश बनी बैठी अपनी बेटी बुलबुल पर पड़ी तो बिल्लू से रहा नही गया और उसके मुह से सिर्फ एक ही शब्द निकला बुलबुल...!


अपने बाप के मुह से अपना नाम सुनते ही बुलबुल उठ कर अपने पापा के सीने से लिपट कर फुट फुट कर रोने लगी...! दोनों बाप बेटी को इस तरह रोते बिलखते देख कलावती दोनों को चुप करते हुए कहती हैं


बस करो.... जो होना था, सो हो गया...!


दुःख का ये मंजर
और बाप बेटी का रोना धोना पांच-सात मिनिट चल ही रहा था कि पीछे से दरोगा यादव की आवाज आती हैं बहुत हुआ....?? अब चलो अंतिम संस्कार करने भी जाना है....!


बिल्लू ने दरोगा यादव की तरफ देख कर अपने आँसू पोछते हुए हा, मे मुंडी हिलाई। दोनों ही मृत शव को उठाने के लिए लोग आगे आये और बिल्लू अपनी रोती हुई बेटी से लिपटा खड़ा उसको दिलासा दे रहा था।


जैसे ही लोगो का बरामदे मे से निकलना शुरु हुआ बिल्लू अपनी रोती हुई बेटी बुलबुल के कान में बहुत धीरे से फुसफुसाते हुए बोला.....!


""" बुलबुल इस किस्से का......,अपने हिस्से का.......,सच......मेंने पुलिस दरोगा यादव को बता दिया है...... इस किस्से का.....; तेरे हिस्से का......; सच......तू पुलिस दरोगा को यादव बता देना """""

भीम नाम सत्य है... भीम नाम सत्य है... के नारों के साथ धीरे धीरे शव यात्रा गली के नुक्कड़ पर पहुँची थी कि तभी नुक्कड़ पर बनी पंडितजी लाइट एण्ड डीजे साउंड दुकान पर किसी सरफिरे शरारती अथवा खुरापाती लड़के ने बहुत तेज आवाज में गाना बजाना शुरू कर दिया।


"तेरी मेहरबानियां... तेरी कदरदानिया...!
कुर्बान तुझ पर, मेरी जिंदग़ानिया....!!"

अपनी बीवी सोनिया और बेटे संजू की चिता को आग देने के बाद बिल्लू पुलिस वेन मे बैठ कर फिर से अपनी बीती जिंदगी के पन्ने उलटने लगा.....!


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बीती हुयी जिंदगी पेज - 3 (योवना आरंभ : स्वभाव में बदलाव)


फिर वो आते हैं बस हम लग जाते हैं अपने काम निपटाने में और धीरे धीरे करके दिन कटने लग जाते हैं जब जाने का 1-2 दिन बचता है तब पता चलता है यार ये एक हफ्ता हो गया ऐसा लग रहा है कल ही आए थे, फिर बहुत सारी बातें मन ही मन में रह जाती हैं फिर अगले एक डेढ़ महीने का इंतज़ार......?????


अब आगे.......!
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किसी भी सामान्य पत्नी की तरह ही जीवन था सोनिया का. कुछ देर बाद नहाने के बाद, डॉ भीम राव अम्बेडकर की तस्वीर को नमन कर, तैयार होकर और चाय नाश्ता करने बिल्लू किचन में आया और आते ही अपनी प्यारी पत्नी को पिछे से गले लगा लिया. सोनिया तब पोहा का डब्बा बंद ही कर रही थी. एक शरारती पति की तरह बिल्लू ने सोनिया के ब्लाउज पर हाथ फेरना शुरू कर दिया......!


“तुम फिर शुरू हो गए? छोडो न… बुलबुल-संजू बड़े हो गये है, देख लेंगे…तो क्या सोचेंगे, अभी छोड़ दो. आज रात को जो चाहो वो कर लेना. वैसे भी मैं कहाँ भागी जा रही हूँ.”, सोनिया ने अपनी पति की बांहों से खुद को छुडाते हुए कहा.


पर पति की बांहों से आज़ाद होना आसान कहाँ होता है? पत्नियों के लिए..! बिल्लू ने सोनिया को तब तक न छोड़ा जब तक सोनिया ने उसे अपने होंठो पर किस करने नहीं दिया.....!


(बिल्लू के स्वभाव में अब काफी बदलाव आ गया था, उसने अब मौत के कुँवे मे गाड़ी खुद गाड़ी चलाना बंद कर दिया था, बल्कि चार साझेदारों के साथ खुद का ही मौत के कुवें का खेल दिख्वाना शुरू कर कर दिया था..... चारों साझेदारों ने साल भर अलग अलग शहरों में लगने वाले मेलों को शहरों के हिसाब से बाँट लिया था... जिससे अब बिल्लू को साल में सिर्फ पांच-छे महीने ही अपनी परिवार से दूर रहना पड़ता था...। साथ ही साथ अब उसने दलित संगठनो, और स्थानीय दलित राजनीतिक पार्टियों में ज्यादा से ज्यादा भाग लेना शुरु कर दिया था... उसको एक दलित पार्टी ने अपनी पार्टी का सचिव के पद का दायित्व भी सौंप दिया था।


स्थानीय पार्टी के सचिव बनने पर भी बिल्लू को खुशी नही मिल रही थी क्योकि उसके नाम से छपे लेटर हेड पर लिखी शिकायते, सिफ़ारिशों पर कभी भी किसी भी विभाग में कोई भी कार्यवाही नही की जाती थी... इसलिए वो शासन-प्रशासन से खुन्नस् खाये रहता था। और इस वजह से बिल्लू अंदर ही अंदर कुछ बड़ा करने की सोचता रहता... जिससे उसकी दलित समाज और दलित राजनीति मे एक मिसाल बन जाये।)


और मेरे संजय दत्त....???? तैयार हो गया....?????? अपने बेटे संजू को स्कूल ड्रेस में बरामदे मे बैठा देख, कहते हुए वो अपनी पत्नी को किचिन् मे अकेली खड़ा छोड़ घर के बरामदे आ गया।


हाँ....... पापा... !, बड़े ही रूखे और बेमन से संजू ने जबाब दिया।


(संजू के बेमन और रूखे स्वभाव का बड़ा ही विचित्र कारण था..... दरसल खेल के मैदान से लेकर, स्कूल और बाजार में शायद ही उसका कोई ऐसा दिन बीतता हो जब किसी को संजू ने उसे लड़की बताकर खुसपुसाते हुए न सुना हो।


इसका कारण संजू का चेहरा तो था ही जो बिल्कुल गोरा, चिकना और स्मूथ था, ऊपर से उसकी आंखें। हां, उसकी आंखें इतनी काली थीं कि कई बार जो पहली बार देखता था वो यह पूछता था कि क्या उसने काजल लगाया है????


यह कम था क्या जो उसने अपने बाल भी कंधे तक बढ़ा रखे थे। जिसकी वजह थी उसका बाप..... जिसे अपने बेटे संजू को संजय दत्त बनाने का भूत चढ़ा था। बिल्लू को खलनायक का संजय दत्त पसंद था तो उसे लगता था कि उसका बेटा गोरा है, लंबे बालों में संजय दत्त लगेगा। क्योकि बिल्लू का खुद के चेहरे का पक्का रंग था। इसलिए उसने अपने बेटे के बाल बढ़ाना शुरू किए थे।


एक कारण यह भी था कि संजू का चेहरा शरीर के मुकाबले छोटा था। बड़े बालों से वह थोड़ा भरा हुआ और आकर्षक दिखता था।


संजू बचपन से ही मोटा और थुलथुला भी था। जब खेलने लगा, तो उसके बाप बिल्लू को उसको शारीरिक फिट करने का भूत चढ़ा। संजू दुबला होता गया। लेकिन हाथ-पैर तो पतले हुए पर कमर के चारों और की चर्बी और कूल्हे अधिक कम नहीं हुए। शरीर के मुकाबले चेहरा उसका हमेशा से ही छोटा था। अब वह और छोटा हो गया। वजन कम होने से छाती पर जमा चर्बी लटकने लगी।


चलते वक्त बड़े-बड़े कूल्हे हिलते थे और दौड़ते वक्त छाती। गोरा बदन, छोटा चेहरा, कजरारी आंखें, लंबे बाल और शरीर की ऐसी बनावट। पूरे स्कूल के लड़के उसे लड़की बुलाने लगे थे
। लेकिन इस सबका उसके बाप बिल्लू को पता ही नहीं था।


इन्ही तानो की वजह से संजू अब स्कूल ना जाने के नये नये बहाने खोजता अपनी माँ सोनिया के लाड़ मे तो बहाने काम कर जाते लेकिन अपने बाप के आगे उसके बहाने फैल हो जाते।)


बुलबुल ओ बुलबुल.... तैयार हो गयी..???


काहे इतनी जोर जोर से गला फाड़ कर पूरा घर सर पर उठाये हो...????? किचिन से निकल कर बुलबुल के कमरे की ओर जाते हुए सोनिया बोली.....!


बुलबुल के कमरे के बाहर से ही सोनिया ने आवाज़ दी… “बुलबुल”.


बाथरूम मे ही खड़े खड़े बुलबुल आईने मे खुद को देख रही थी तो उसे लगा कि उसके स्तन कुछ ज्यादा उठे और उभरे हुए लग रहे है। और दोनों स्तनों के बीच गहराई भी ज्यादा दिख रही थी। ब्रा के अंदर जो सॉफ्ट लेयर थी उसकी वजह से उसके स्तन और बड़े लग रहे थे। उसे लगा कि शायद उसने स्ट्रेप्स को कुछ ज्यादा छोटा कर दिया है तभी उसके स्तन ज्यादा उभरे हुए और बड़े लग रहे है।


इसलिए उसने उन्हे फिर से एडजस्ट करने की कोशिश की पर फिर भी स्तनों के उभार पर कुछ ज्यादा फर्क न पड़ा। “अब तो मम्मी से ही हेल्प लेनी पड़ेगी”, बुलबुल ने सोचा। और फिर उसने अपनी पोनीटैल को खोल और अपने लंबे बालों को सामने लाकर अपने स्तनों के बीच की गहराई को उनसे ढंकने की कोशिश करने लगी। उस वक्त लाल रंग की ब्रा उसके स्किन के रंग पर अच्छी तरह से निखर रही थी और बुलबुल अपने बालों को सहेजते हुए बेहद खूबसूरत लग रही थी।


उसके बाद बुलबुल ने अपनी यूनिफॉर्म की सलवार पहनने लगी। सलवार का आकार कुछ ऐसा था कि वो उसके कूल्हों पर बिल्कुल फिट आ रही थी। उसने सलवार का नाड़ा कुछ वैसे ही बांधा जैसे अक्सर वो अपनी अन्य सलवार का बांधती थी।


अब बाथरूम से बाहर निकलने से पहले उसने एक बार फिर से खुद को एक साइड पलटकर देखा तब उसे एहसास हुआ कि उसके स्तन आज लगभग मम्मी के स्तनों के बराबर लग रहे है। मम्मी को याद करते ही उसके चेहरे पर खुशी आ गई। साथ ही अपने स्तनों के बड़े आकार को देखकर उसे एक संकोच भी हो रहा था। किसी तरह संकोच करते हुए वो अपने सीने को अपने हाथों और बालों से ढँकते हुए बाथरूम से बाहर आई।


“क्या हुआ? तेरा चेहरा इतना मुरझाया हुआ क्यों है?”, सोनिया ने पूछा।


मम्मी .. वो बात ये है ..”, बुलबुल नजरे झुकाकर कहने मे झिझक महसूस कर रही थी।


हाँ, बोल न”, सोनिया बोली।


“मम्मी, बात ये है कि मुझे लगता है कि इस ब्रा मे कुछ प्रॉब्लेम है। इसे पहनकर मेरे साइज़ मे कुछ फर्क आ गया है।”, किसी तरह से शरमाते हुए बुलबुल ने बात कह ही दी।


सोनिया ने मुसकुराते हुए बुलबुल का हाथ हटाया और बोली,”पगली, सब ठीक तो लग रहा है। ये पुश अप ब्रा है। इसका तो काम ही है कि स्तनों को थोड़ा लिफ्ट दे।”


मम्मी!”, बुलबुल शरमाते हुए सोनिया को रोकने की कोशिश करने लगी।


“चल अब ज्यादा शर्मा मत। उभरे हुए शेप के साथ ब्रा तुझ पर और निखर कर आएगी। ले अब ये कुर्ता पहन ले।”


बुलबुल ने अपनी मम्मी की ओर जरा शंका से देखा। उसकी मम्मी अभी भी उसी चंचलता के साथ बुलबुल की ओर देख रही थी। “अरे देख क्या रही है। जल्दी पहनकर आ न!” मै जब तक तेरा टिफिन लगाती हू...तेरे पापा तेरा नाम लेकर नीचे कितना शोर मचा रहे हैं....??


बुलबुल भी चुपचाप बाथरूम मे आ गयी।

आखिर मम्मी को ये नई ब्रा देने की क्या जरूरत पड़ गई? मेरे पास तो पहले ही कई ब्रा है”, बुलबुल मन ही मन सोचते हुए उसने मम्मी की दी हुई लाल रंग की ब्रा की ओर देखा। थोड़ी प्लेन सी थी मगर बेहद खूबसूरत थी। जैसी ब्रा उसके पास पहले से थी, उनमे जो फूल पत्ती के प्रिन्ट थे उसे वो पसंद नहीं आती थी। मगर ये ब्रा कुछ अलग थी। फेमिनीन होते हुए भी थोड़ी न्यूट्रल डिजाइन थी उसकी और उसे बेहद अच्छी लग रही थी।


फिर भी कुछ तो अलग था उस ब्रा में जो वो समझ नहीं पा रही थी। उसने स्ट्रेप्स मे अपने हाथ डाले और जब पीछे हुक लगाने की कोशिश की तब उसे महसूस हुआ कि यह ब्रा अंदर से कुछ सॉफ्ट थी जिसकी वजह से उसके निप्पल को कुछ आराम लग रहा था। “चलो कम्फ्टबल तो है यह ब्रा।”, बुलबुल ने मन ही मन सोचा और फिर कंधे पर ब्रा के स्ट्रेप्स की लंबाई एडजस्ट करने लगी।


इतने दिनों मे वह ये तो सिख चुकी थी कि नई ब्रा के साथ लंबाई एडजस्ट करनी पड़ती है। लड़कों की बनियान की तरह नहीं कि बस सीधे पहन लो बिना कुछ सोचे समझे। लड़कियों को हर कपड़े मे कुछ न कुछ ध्यान देना पड़ता है.....!!!!!


उधर अपने बाप के साथ बात करने के बाद से संजू थोडा चिडचिडा सा गया था. बाप से बिना कुछ कहे ही वो बरामदे के बाहर आँगन में आ गया. वो कुछ देर बाहर अकेले में समय बिताना चाहता था. पर शायद ये उसके नसीब में नहीं था......?????
Update 3 Ek aur umdah update....

Maatam ke scene ko kya khoob sateek andaaz mein prastut kiya hai manu@84 bhai..... Saare shubhchintak rishtedaar kisi bhi maut ke ghar mein aise hi aate hain aur apni "SACHCHI" sahanubhuti vyakt kar kaanaphusi mein lagey rehte hain aur bas 1 second ke afsos ke baad ye sab drama chalta hai...

Dekhte hain ab BulBul apne hisse ka kya sach batati hai Daaroga ko....

Aur beete din ki baat kahein to... bohot hi dilchasp vistaar mein Sanju ke baare mein dikhaya... Aur Wahi jawan hoti BulBul ke bade stan aur us ki bra ki kashmakash dekhne ko bhi mili... bas panty reh gayi 😂

manu@84 bhai ne bra ki thesis hi likh daali....itna detailed mein bra ke baare mein kabhi nahi padha.... 🤣🤣 👙

इतने दिनों मे वह ये तो सिख चुकी थी कि नई ब्रा के साथ लंबाई एडजस्ट करनी पड़ती है। लड़कों की बनियान की तरह नहीं कि बस सीधे पहन लो बिना कुछ सोचे समझे। लड़कियों को हर कपड़े मे कुछ न कुछ ध्यान देना पड़ता है.....!!!!!
 
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malikarman

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अंततः अपनी गंभीर सोच की मुद्रा से बाहर निकल कर दरोगा यादव अपनी जेब में से एक wills nevy cut सिगरेट् सुलगाते हुए कुर्सी से उठ कर अपने केबिन मे से बाहर आते ही एक पुलिस वाले (मुंशी) को पंचनामा बनाने के लिए उस आदमी को स्टोर रूम में पूछताछ करने के लिये लाने की कहते है।


कुछ देर बाद पुलिस वाला (मुंशी) हाथ में पंचनामा की फाइल और उस आदमी के साथ स्टोर रूम में आता है। दरोगा कुर्सी पर बैठे हुए उस आदमी को बड़ी गौर से देखे जा रहा था।


चल इधर बैठ....!


मुंशी
उस आदमी को जमीन पर बैठने की बोल खुद स्टूल पर बैठ कर फाइल मे से पेपर निकाल कर लिखने के लिए तैयार है।


वो आदमी उकडू की तरह जमीं पर बैठ जाता है..... और अभी भी किसी गहरी सोच मे डूबा हुआ है।

सोच जब गहरी हो जाती हैं... तो फैसले बदल देती हैं...बिल्लू, काश तूने अपनी बीवी और बेटे को मारने से पहले इतनी गहराई से सोचा होता तो आज वो दोनों जिंदा होते और तू यहाँ इस तरह नही बैठा होता।.............दरोगा ने बिल्लू की सोच की तंद्रा भंग करते हुए कहा।


मैने जो किया उसका मुझे रत्ती भर भी अफसोस नहीं है.......... यादव साहब.. मै तो अभी सिर्फ ये सोच रहा हूँ.... शायद अगली एक कोशिश तकदीर बदल दे,,
जहर तो जब चाहे खाया जा सकता है...!!
.......बिल्लू ने यादव से एक सिगरेट् मांगते हुए मुस्कुरा कर जबाब दिया।


बिल्लू तेरी बीवी का नाम क्या था...??? दरोगा ने भी उसे मुस्कुरा कर सिग्रेट देते हुए पूछा....!


सोनिया....... लेकिन मै उसे प्यार से सोना बुलाता था...!


जब इतना प्यार करता था... तो फिर मारा क्यों उसे...????


वो क्या है ना, यादव साहब... मेरी सोना... को.... सोना... बहुत पसंद था, इसलिए उसे हमेशा के लिए सुला दिया..... ह्म्म्म बिल्लू एक तंज भरी मुस्कान देते हुए बोला।


बिल्लू की तंज भरी मुस्कान देख यादव का पारा तो चढा... लेकिन उसने खुद को काबू करते हुए फिर से पूछा....!


और तेरे बेटे का नाम क्या था....????


संजू कुमार....


और उमर.....????


18-19 साल शायद....!


देख बिल्लू तूने खुद ही थाने में आकर सरेंडर कर अपना जुर्म कबूल किया है, तो ज्यादा सवाल-जबाब की जरूरत तो नहीं है, मेरे... तेरे किस्से मे इंट्रेस्ट की सिर्फ दो वजह है पहली वजह -- पांचवी तक हम एक ही स्कूल की एक ही क्लास मे पढ़े है......और दूसरी वजह -- जो आदमी जेल में अपने अच्छे आचरण से एक साल की रियायत पाकर कल ही मिली हुई सात साल की सजा को भुगत कर जेल से रिहा हुआ है वो आदमी आज अपनी बीवी बेटे को इतनी बेरहमी कैसे मार सकता है.........?? सच सुनने को उत्सुक दरोगा यादव ने बिल्लू से कहा।


चल बता पहले किसे मारा बीवी को या बेटे को....????


बीवी को.....! जब बेटा उसे बचाने आया तो उसे भी मारना पड़ा।


और क्यों मारा....???


मुझे शराब् के लिए पैसे चाहिए थे, और मेरी बीवी मुझे पैसे दे नही रही थी, बेटा भी अपनी माँ का साथ दे रहा था....मैने दो घंटे तक बर्दाश्त किया, जब मेरा गुस्सा मेरे काबू से बाहर हो गया तब मैने गुस्से में आकर उन दोनों को मार दिया......सिगरेट् का आखिरी कश के धुन्ये को मुह से फूंकते हुए बिल्लू ने जबाब दिया।


भोसड़ी के तूने पिछले 6 साल में जेल में काम करके जो पैसे कमाए थे उन पैसों से मूत पी आता ......??????? दरोगा यादव इस बार थोड़े सख्ती से बोले।


जेल में कमाए हुए पैसे भी मेरी बीबी के पास ही थे....!!!!!! बिल्लू अभी भी नरम स्वर में था।


(( भादवि 302, 307 एवम तीन साल से अधिक मिले कारवास के सजाये हफ्ता अपराधी अथवा कैदी को तेहसिल जेल से सेंटर जेल में ट्रांसफर कर दिया जाता जाता है, सेंटर जेल संभाग स्तर पर बनी होती... वहा पर बंद कैदियों को देनिक वेतन भोगी के प्रक्रिया तहत योग्यतानुसार काम दिया जाता है और उक्त अर्जित धन राशि को कैदियों के आगामी जीवन में रिहाई के वक्त भरण पोषण के लिए सौंप दिया जाता है... इसे कैदी अर्जित पारितोषिक कहा जाता है))))


मै तेरी नस नस से वाकीब हू, पूरा सच तो तू बोलने से रहा..... और तो और तूने खुद ही थाने में आकर सरेंडर किया है, इसलिए मै तेरी कंबल परेड भी नही कर रहा हूँ इसलिए बेहतरी इसी मे है जो जो पूछा जाये सीधा सीधा जबाब देता जा....... दरोगा यादव ने इस बारी प्यार से धमकाते हुए बिल्लू से कहा।


तेरी एक जवान बेटी भी है....???

बेटी का जिक्र होते ही बिल्लू एकदम से खामोश हो गया..... उसके चेहरे का रंग, उसके हाव-भाव बदल गये... उसकी आँखों में हल्के आँसू भी उभर आये।


बोल ना गांडू....... मुंशी गाली देते हुए बिल्लू से बोला।


बिल्लू चुप ही रहा.....!!!!!!


लगता है बिल्लू तू अपनी बेटी से बहुत प्यार करता है....????


हाँ...! बिल्लू अपनी आँख में रिस्ते हुए आँसू की बूंद पोछते हुए बोला।


क्या नाम है.. उसका...????


बुलुबुल....!


जब तू अपनी बीवी और बेटे को जानवरो की तरह मार रहा था....तेरी बेटी कहाँ थी उस वक्त....????


स्कूल गयी थी....... बिल्लू बड़ा ही शान्त होकर जबाब दिया.........।


अपनी बीवी और बेटे को मारते हुए अपनी बेटी का ख्याल नही आया...????


वो क्या है ना यादव जी... गुस्से में आदमी को कुछ भी ख्याल नही आता, उसका दिमाग काम करना बंद कर देता है... और जब दिमाग की बत्ती जलती है... तब तक उस आदमी की दुनिया अंधेरे से भर चुकी होती है।


तूने ये सोचा है कि अब तेरी बेटी का क्या होगा...????


बिल्लू भावुक हो गया....!


दरोगा भी बिल्लू को भावुक देख कर कुछ पल के लिए खामोश हो गया।


यादव जी... और भी कुछ पूछना है। बिल्लू ने अपनी एक टांग सीधी करते हुए मुंशी से पूछा।


दरोगा यादव ने ना मे मुंडी हिलाई।


यादव साहब मै आपसे कुछ पूछूँ..??? बिल्लू ने दरोगा की तरफ मुस्कुरा कर कहा।


पूछो..????


आपकी फैमिली मे कौन कौन है...????


मै...., मेरी वाइफ और तेरे बेटे की उम्र का मेरा एक्लोता बेटा।


एक्लोता है.... तो आपका लाडला भी होगा...??? बिल्लू ने मुस्कुरा कर पूछा।


मेरा तो उतना लाडला नही है... लेकिन अपनी माँ का बहुत लाडला है...!


यादव साहब बुरा मत मानना...जिंदगी का सच बता रहा हूँ...माँ-बेटे का एक हद हद से ज्यादा लाड़, एक दिन बाप के लोंडे लगा देता है.... 😁😜😂 बिल्लू हस्ता हुआ बोला।


हट भोसड़ी के
..... लेकर जाओ इसे बंद करो। दरोगा ने मुंशी को आदेश देते हुए कहा।


बिल्लू के जाने के बाद दरोगा यादव अपने मोबाइल से बिल्लू के घर पर तैनात महिला पुलिस कर्मी को फोन लगाता है...!


हैलो....!


उषा मैडम क्या स्टेट्स है...??? बिल्लू की लड़की बयान देने के लिए तैयार है....????


पता नही सर..... वो अभी तक सिसक रही है..! मै जाकर पूछूँ क्या....????


रहने दो.... उषा मैडम....!


लेकिन क्यों सर....?????


क्योकि...., रोती हुयी औरत.... और.... हँसता हुआ मर्द कभी सच नही बोलते..... औरत के आँसू और मर्द की हँसी मे बहुत गहरे राज छिपे होते है.....! जब उस लड़की के आँखों के आँसू सूख जाये तब मुझे फोन कर देना, इस किस्से मे बिल्लू की लड़की अहम कड़ी है। इतना केहकर दरोगा यादव फोन काट देता है।


उधर बिल्लू को फिर से लॉक अप मे बंद कर दिया जाता है और बिल्लू फिर से अपनी बीती हुई जिंदगी के पन्ने उलटने लगता है....!


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बीती हुयी जिंदगी पेज - 2 (प्यार भरा परिवार)


चाँदनी रात में आसमां से हल्की हल्की ओस कीं बूंदे टपक रही थी, पूरा कमरा दूधिया रोशनी से जगमगा रहा था.... म्युज़िक प्लेयर मे बहुत ही रोमांटिक मधुर गीत की आवाज आ रही थी...!


सुन साहिबा सुन.... प्यार की धुन..!
सनम तेरी सूरत लागे...हावड़े का पुल पुल पुल 😜😂😁 सुन साहिबा सुन.... प्यार की धुन..!


"कुदरत का क्या करिश्मा है, कि एक नारी की नग्न काया मर्दों को बेकाबू और उत्तेजित कर देती है"


बिल्लू ने पास ही पड़े चार तकिये सोनिया की कमर के नीचे लगा कर उसे इस तरह लेटा दिया कि उसकी गर्दन तकिये से पीछे की तरफ हो गई, और उसके उन्नत उभार तकिये के ऊपर होने की वजह से और ज्यादा ऊँचे उठ गये और पेट एक फिसल पट्टी की तरह से बन गया। अब तो बिल्लू ने उसके पैर जितने चौड़े वो कर सकती थी उतने कर दिए और उसके हाथ भी उठा कर सर के ऊपर ही कर दिए। उसकी बगल भी निहायत ही साफ़ और रोम-रहित थी इस तरह अब सोनिया बहुत ही अश्लील और उत्तेजक मुद्रा में पड़ी हुई थी, उसकी छातियाँ इतनी ज्यादा तन गई थी कि उनमें से उसकी रक्त शिराएँ भी चमक रही थी, उसके बाएँ वक्ष पर एक गहरा काला तिल भी था,


" वक्ष पर तिल वाली लड़कियाँ बहुत ज्यादा उत्तेजक और कामी प्रवृति की होती हैं और उनके पति उनसे सदैव सुखी और संतुष्ट रहते हैं।"


सोनिया का तो हाल बुरा हो चुका था! बहुत कम घरेलू औरतें ऐसी होती हैं जिनके दोनों वक्ष एक साथ खींचे, सहलाये और चूसे जा रहे हों। सोनिया अब बेकाबू होती जा रही थी और अपने कूल्हे और चूतड़ उछालने लगी थी।


उसने अपनी बीवी के चूतड़ सहलाते हुए पूछा- कैसा लग रहा जानेमन...????


सोनिया की उत्तेजक आवाजों से वो कमरा गूंजने लगा। वो अचानक उठी, पलटी और चूत फैला कर चिल्लाने लगी- अब शुरु करो ना....????


बिल्लू ने अनजान बनते हुए कहा- क्या कह रही हो मेरी शोना? मेरी समझ में नहीं आ रहा है।


ये सुन सोनिया का सब्र जवाब दे गया और वो देसी भाषा पर आ गई- ओह मेरे बिल्लू राजा! मुझे चोदो यार! चुदाई करो जल्दी जल्दी! अब रहा नहीं जा रहा! अपने लण्ड से प्यास बुझा मेरी चूत की जल्दी! जल्दी!


और यहां बिल्लू का भी हाल बुरा था, उसने भी समय व्यर्थ न गंवाते हुए जल्दी से लण्ड पर कंडोम चढ़ाया, सोनिया को पैर चौड़े करने को कहा और उसकी चूत के दोनों होंठ पूरे फैलाते हुए अपना लण्ड घुसा दिया और सोनिया ने जोर से सिसकारी निकालते हुए उसे जोर से भींच लिया कि उसके नाख़ून से बिल्लू की पीठ पर खून तक निकल आया।

वो इतना ज्यादा हल्ला मचा रही थी कि आखिर में बिल्लू ने अपने होंठों से उसका मुँह बंद किया और फिर उसकी चुदाई जारी रखी…।


“ओह जान तुम तो किसी भी लड़के को अपना दीवाना ही बना दोगी..” बिल्लू के मुह से यही निकला जब उसने सोनिया की चूत में अपना वीर्य उड़ेल दिया…।


बिल्लू थका हुआ उसके ऊपर पड़ा हुआ था वही सोनिया बिल्लू के सर को सहलाती हुई शांत पड़ी थी,जब बिल्लू ने उसकी आंखों में देखा तो उसकी आंखों में एक अजीब सी हलचल थी और होठो पर एक कातिल मुस्कान…।


“अच्छा,लेकिन मुझे तो लगता है की मैं आपकी दीवानी बन चुकी हु ,आपके प्यार के आगे मेरी हुस्न की क्या मजाल है,जब से हमारी शादी हुई है आपके प्यार की कशिश ने मुझे आपकी दीवानी ही बना दिया है…”


सोनिया के होंठो से छलकते हुए शब्दों के प्याले को बिल्लू ने अपने होठो में भर लिया …


“तुम्हारे हुस्न और सच्चाई ,तुम्हारी ये प्यारी सी आंखे और भरे हुए होठो से छलकते हुए रस के प्याले,….तुम जब हंसती हो तो लगता है की चांद खिल गया है,तुम्हारा रूठा हुआ चहरा भी इतना प्यारा है की दिल करता है अपना सब कुछ तुम्हारे कदमो में रख दु …”


बिल्लू की आवाज में सोनिया के लिए बस प्यार ही प्यार था..


“इतना ही प्यार करते हो तो कोई दूसरी नौकरी या काम क्यों नही कर लेते... इस तरह हर रोज " मौत के कुवें " मे अपनी जान की बाजी लगाना...वो बस कुछ हजार रुपयों के लिए….” अगर किसी दिन कुछ हो गया तो सोचा है मेरा क्या होगा....????


“ सोनिया तुम्हे पता है एक स्टंट मेन की बहादुरी और हिम्मत के पीछे उसकी पत्नी का हाथ होता है अगर पत्नी मज़बूती से न खड़ी हो तो स्टंट करने की नौकरी बहुत मुश्किल है" वैसे अब ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है... बस कुछ सालों की बात है फिर मै ये नौकरी छोड़ दूंगा।


बिल्लू और सोनिया की धड़कने फिर से अपने गति में आ रही थी और उस शांति में बचा था बस प्यार...लिपटे हुए शरीर पर बस एक होने का अहसास था..।
बिल्लू ने अपनी बीवी सोनिया को उमर के 20 बरस पूरे होने से पहले ही उसे दो बच्चो की मम्मी बना दिया था। सोनिया के दो बच्चे थे और उनका नाम बड़े ही प्यार से बिल्लू और सोनिया ने अपने नाम के अक्षर से ही रखा था बेटी बुलबुल कुमारी और बेटा संजू कुमार। दोनों ही बच्चो मे सिर्फ एक साल का अंतर था। बुलबुल, संजू से एक साल बड़ी थी।


वक्त की रफ्तार अपनी गति से चलती रहती है, साले सिर्फ केलण्डर के पन्नों के साथ अपने अंक बदलती रहती है। लेकिन बदलती हुई सालों, महीनों और तारीखो के बीच एक वो तारीख आती हैं, जिससे व्यक्ति और उसके परिवार की तकदीर बदल जाती हैं। इसी बदलते हुए वक्त के साथ साथ बिल्लू और सोनिया के शादी को तेरह वर्ष बीत गये थे, दोनों बच्चे बुलबुल और संजू की उम्र ने दहाई का आंकडा पार कर लिया था।


आईने के सामने अपने स्त्री सौंदर्य को निहारते हुए सोनिया खड़ी खड़ी आज सोच रही थी...... अगर पति स्टंट मेन मिल जाए तो गुरुर के साथ साथ दर्द भी बराबर का देता है अब देखो ना बिल्लू आए थे पता ही नहीं चला कब एक हफ्ता ख़त्म हो गया …आज चले गये मन उदास हैं ब्याकूल हैं … बिल्लू जब चले जाते हैं तो लगभग एक से दो महीने बाद आते हैं ….और उन महीनों में बहुत सारे काम ऐसे होते हैं …जो मेरे लिए कर पाना मुश्किल हो जाता है … और फिर मुझे बेसब्री से इंतज़ार रहता है, कि कब आएंगे और कब मेरा काम ख़त्म होगा।


फिर वो आते हैं बस हम लग जाते हैं अपने काम निपटाने में और धीरे धीरे करके दिन कटने लग जाते हैं जब जाने का 1-2 दिन बचता है तब पता चलता है यार ये एक हफ्ता हो गया ऐसा लग रहा है कल ही आए थे, फिर बहुत सारी बातें मन ही मन में रह जाती हैं फिर अगले एक डेढ़ महीने का इंतज़ार......?????


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अगली सुबह बिल्लू का घर रिश्तेदारों से भरा हुआ था, बिल्लू की बीवी सोनिया और उसके बेटे की अंतिम शव यात्रा की तैयारी हो रही थी। बिल्लू की बेटी की आंखो के आँसू सूख तो जरूर गए थे....लेकिन सूखे हुए आँसुओ के निशान उसकी आँखों में साफ नजर आ रहे थे। अधिकतर रिश्तेदार शोक कम.....कानाफूसि मे ज्यादा लगे हुए थे। तीन-तीन, चार-चार लोगों के समूह घर के बाहर अपनी-अपनी बुद्धि स्तर पर इस पूरे हत्याकांड की समीक्षा कर अपने अपने मत देकर फैसले सुना रहे थे।


सच्चाई छुपाई जा रही थी , अफवाहे उड़ाई जा रही थी, कहानी कुछ और थी बताई कुछ और ही जा रही थी.......!


मातमी घर में, इस मातमी समय
में जो रिश्तेदार नही आ पाये थे वो अपने-अपने घरों में अफ़वाहो से भरी बातों से सुलग रहे थे और जो रिश्तेदार आ चुके थे वो अपनी-अपनी बातों से बिल्लू की बेटी बुलबुल के तन-मन को सुलगाने मे कोई कसर नही छोड़ रहे थे। कुछ रिश्तेदार दिखावटी शोक के साथ बिल्लू को कोस रहे थे और कुछ रिश्तेदार बनावटी संवेदना के साथ बिल्लू की बेटी बुलबुल के भविष्य की चिंता कर रहे थे...??? बुलबुल अपनी बुआ कलावती के कंधे पर सर रखे हुए इन सच्चे रिश्तेदारों की सच्ची असलियत को पहचान रही थी। अगर इन रिश्तेदारों की भीड़ में मृत शवों पर किसी की आँखों में दुख के असली आँसू थे तो वो थी बुलबुल की बुआ कलावती....!


(कलावती और सोनिया दोनों पक्की सहेलिया थी, सोनिया अक्सर कलावती के साथ स्कूल जाती थी और कभी कभी देर होने पर बिल्लू उन दोनों को अपनी मोटर साइकिल पर छोड़ दिया करता था। धीरे धीरे सोनिया और बिल्लू एक दूसरे को पसंद करने लगे थे... जाति-बिरादरी, आर्थिक स्थिति एक जैसी होने की वजह से बिल्लू और सोनिया की शादी में कोई अड़चन नही हुई.. और दोनों के परिवार वालों ने खुशी खुशी दोनों को सदा सुखी जीवन जीने का आशीर्वाद दिया था।)


बरामदे के पीछे सबसे कोने में सर पर घूघट डाले बैठी जिला इटावा से आई चार औरते शोक व्यक्त करते हुए आपस में फुसफुस्सा रही थी...।


शराब् तो हमाओ आदमी पियत...पर कभी मार पिटाई नही करत है...पहली औरत दूसरी औरत के कान में फूसफुस्सायी,


जिजि पियत तो हमाओ आदमी भी, एक बार बाने हाथ उ उठाओ तो... लेकिन हमने वा, कि उल्टी खटिया खड़ी कर दयि.. ता दिन से आज दिन तक हमाए आदमी ने हाथ लगाए की कोशिस ना करी....!

हमें तो लगत है जे शराब् की वजह से ना भओ....! तीसरी औरत ने पहली और दूसरी औरत की बात काटते हुए अपनी बात रखी।


तो फिर तुम बताओ भरतना वाली.. जे सब के पीछे का वजह हती....???
पहली और दूसरी औरत दोनों एक साथ बोली।


मोये तो लगत है "सोनिया...,छिनरिया होए गयी थी".....बिल्लुआ इत्ते साल से जेल में बंद हतो... सोनिया लगी होएगी काउ के संग.. ????


तेइसो....ओ मोरी मैया...जिजि, जे का कह रही...???
पहली और दूसरी औरत दोनों एक साथ चोंकते हुए बोली।


जेई हमें भ्यास रही है...! वा को पेहनन नही देखो तुमने जिजि..., वा कबहु दोय-,,,,कबहु तीन हुक वारे ब्लाउस पहनत हती....!चौथी औरत तीसरी औरत की बात का पूर्ण समर्थन करते हुए बोली।


इन चारों औरतों की खुसर फुसर की फुसफुसाहट सुन बगल से बैठी एक अन्य औरत इनकी तरफ बड़े ही गौर से घूरने लगी...!


अपनी तरफ इस तरह घूरता देख इन चारों औरतो ने अपने-अपने मुह में साड़ी के पल्लू के कोने दबा कर एक दूसरे को चुप होने का इशारा करते हुए.....होए गयी बस, अब चुप रओ...!!


कुछ मिनिट की खामोशी के बाद चारों औरतो की ज्ञान चर्चा फिर से शुरु हुई।


सोनिया कौ के संग लगी थी.. ???? पहली औरत ने अपना ज्ञान बढ़ाने के लिए अगला सवाल किया...!


जे मोय का पतो... बिल्लुआ पतो होगो वा से पूछ लियो
.. ???? तीसरी औरत ने तंज कसते धीरे से बोली ह्म्म्म।

जे सब तो ठीक है...जिजि,...पर बिल्लुआ ने मोड़ा काये मार दओ...??? तीनों औरते एक साथ सोनिया को छिनरियाँ कहने वाली औरत से अगला सवाल करती हैं...!


वो औरत इस सवाल का जबाब देने ही वाली थी कि पुलिस के साईरन की आवाज घर के बाहर से आने लगी।


पुलिस आय गयी..... पुलिस आय गयी। कह चारों औरते फिर से शोक मुद्रा में आ गयी।


जैसे ही घर के बाहर सायरन देते हुए एक पुलिस की गाड़ी आई.. गाड़ी में से दो पुलिस वालों के साथ बिल्लू भी नीचे उतरा...! बिल्लू को देखते ही घर के बाहर खड़ी सगे संब्ंधियो की भीड़ आपस में धीरे धीरे खुसर फुसर करने लगी..।


भीड़ में खड़े कुछ बुधजीवियो के लिए बड़े ही आश्चर्य का विषय था तीन स्टार रेंक का पुलिस दरोगा यादव अपनी ही बीवी बेटे की हत्त्या करने वाले अपराधी बिल्लू के साथ खुद गाड़ी में लेकर इस वक्त यहाँ क्यों आया था...????


बिल्लू उस भीड़ की नजरों से नजरे बचाता हुआ अपने घर के बरामदे मे दाखिल हो गया। बिल्लू को देखते ही उसके सास ससुर उसकी छाती पर हाथ पटकते हुए बस एक ही सवाल कर रहे थे.....????


आखिर ये सब तूने क्यो किया....?????


बिल्लू के पास उस वक्त इस सवाल का कोई जबाब नही था वो तो बस कफन मे लिपटे अपनी प्यारी बीवी सोनिया और अपने जवान बेटे के मृत शव को देख रहा था। उसकी आँखों में से आँसुओ का सैलाब उमड़ रह था।


ये आँसुओ का उमड़ता हुआ सैलाब पश्चताप था, या इंसाफ इस सवाल का जबाब खुद बिल्लू के पास नही था।


जब बिल्लू की नजर सूखी पथरायी आँखों के साथ जिंदा लाश बनी बैठी अपनी बेटी बुलबुल पर पड़ी तो बिल्लू से रहा नही गया और उसके मुह से सिर्फ एक ही शब्द निकला बुलबुल...!


अपने बाप के मुह से अपना नाम सुनते ही बुलबुल उठ कर अपने पापा के सीने से लिपट कर फुट फुट कर रोने लगी...! दोनों बाप बेटी को इस तरह रोते बिलखते देख कलावती दोनों को चुप करते हुए कहती हैं


बस करो.... जो होना था, सो हो गया...!


दुःख का ये मंजर
और बाप बेटी का रोना धोना पांच-सात मिनिट चल ही रहा था कि पीछे से दरोगा यादव की आवाज आती हैं बहुत हुआ....?? अब चलो अंतिम संस्कार करने भी जाना है....!


बिल्लू ने दरोगा यादव की तरफ देख कर अपने आँसू पोछते हुए हा, मे मुंडी हिलाई। दोनों ही मृत शव को उठाने के लिए लोग आगे आये और बिल्लू अपनी रोती हुई बेटी से लिपटा खड़ा उसको दिलासा दे रहा था।


जैसे ही लोगो का बरामदे मे से निकलना शुरु हुआ बिल्लू अपनी रोती हुई बेटी बुलबुल के कान में बहुत धीरे से फुसफुसाते हुए बोला.....!


""" बुलबुल इस किस्से का......,अपने हिस्से का.......,सच......मेंने पुलिस दरोगा यादव को बता दिया है...... इस किस्से का.....; तेरे हिस्से का......; सच......तू पुलिस दरोगा को यादव बता देना """""

भीम नाम सत्य है... भीम नाम सत्य है... के नारों के साथ धीरे धीरे शव यात्रा गली के नुक्कड़ पर पहुँची थी कि तभी नुक्कड़ पर बनी पंडितजी लाइट एण्ड डीजे साउंड दुकान पर किसी सरफिरे शरारती अथवा खुरापाती लड़के ने बहुत तेज आवाज में गाना बजाना शुरू कर दिया।


"तेरी मेहरबानियां... तेरी कदरदानिया...!
कुर्बान तुझ पर, मेरी जिंदग़ानिया....!!"

अपनी बीवी सोनिया और बेटे संजू की चिता को आग देने के बाद बिल्लू पुलिस वेन मे बैठ कर फिर से अपनी बीती जिंदगी के पन्ने उलटने लगा.....!


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बीती हुयी जिंदगी पेज - 3 (योवना आरंभ : स्वभाव में बदलाव)


फिर वो आते हैं बस हम लग जाते हैं अपने काम निपटाने में और धीरे धीरे करके दिन कटने लग जाते हैं जब जाने का 1-2 दिन बचता है तब पता चलता है यार ये एक हफ्ता हो गया ऐसा लग रहा है कल ही आए थे, फिर बहुत सारी बातें मन ही मन में रह जाती हैं फिर अगले एक डेढ़ महीने का इंतज़ार......?????


अब आगे.......!
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किसी भी सामान्य पत्नी की तरह ही जीवन था सोनिया का. कुछ देर बाद नहाने के बाद, डॉ भीम राव अम्बेडकर की तस्वीर को नमन कर, तैयार होकर और चाय नाश्ता करने बिल्लू किचन में आया और आते ही अपनी प्यारी पत्नी को पिछे से गले लगा लिया. सोनिया तब पोहा का डब्बा बंद ही कर रही थी. एक शरारती पति की तरह बिल्लू ने सोनिया के ब्लाउज पर हाथ फेरना शुरू कर दिया......!


“तुम फिर शुरू हो गए? छोडो न… बुलबुल-संजू बड़े हो गये है, देख लेंगे…तो क्या सोचेंगे, अभी छोड़ दो. आज रात को जो चाहो वो कर लेना. वैसे भी मैं कहाँ भागी जा रही हूँ.”, सोनिया ने अपनी पति की बांहों से खुद को छुडाते हुए कहा.


पर पति की बांहों से आज़ाद होना आसान कहाँ होता है? पत्नियों के लिए..! बिल्लू ने सोनिया को तब तक न छोड़ा जब तक सोनिया ने उसे अपने होंठो पर किस करने नहीं दिया.....!


(बिल्लू के स्वभाव में अब काफी बदलाव आ गया था, उसने अब मौत के कुँवे मे गाड़ी खुद गाड़ी चलाना बंद कर दिया था, बल्कि चार साझेदारों के साथ खुद का ही मौत के कुवें का खेल दिख्वाना शुरू कर कर दिया था..... चारों साझेदारों ने साल भर अलग अलग शहरों में लगने वाले मेलों को शहरों के हिसाब से बाँट लिया था... जिससे अब बिल्लू को साल में सिर्फ पांच-छे महीने ही अपनी परिवार से दूर रहना पड़ता था...। साथ ही साथ अब उसने दलित संगठनो, और स्थानीय दलित राजनीतिक पार्टियों में ज्यादा से ज्यादा भाग लेना शुरु कर दिया था... उसको एक दलित पार्टी ने अपनी पार्टी का सचिव के पद का दायित्व भी सौंप दिया था।


स्थानीय पार्टी के सचिव बनने पर भी बिल्लू को खुशी नही मिल रही थी क्योकि उसके नाम से छपे लेटर हेड पर लिखी शिकायते, सिफ़ारिशों पर कभी भी किसी भी विभाग में कोई भी कार्यवाही नही की जाती थी... इसलिए वो शासन-प्रशासन से खुन्नस् खाये रहता था। और इस वजह से बिल्लू अंदर ही अंदर कुछ बड़ा करने की सोचता रहता... जिससे उसकी दलित समाज और दलित राजनीति मे एक मिसाल बन जाये।)


और मेरे संजय दत्त....???? तैयार हो गया....?????? अपने बेटे संजू को स्कूल ड्रेस में बरामदे मे बैठा देख, कहते हुए वो अपनी पत्नी को किचिन् मे अकेली खड़ा छोड़ घर के बरामदे आ गया।


हाँ....... पापा... !, बड़े ही रूखे और बेमन से संजू ने जबाब दिया।


(संजू के बेमन और रूखे स्वभाव का बड़ा ही विचित्र कारण था..... दरसल खेल के मैदान से लेकर, स्कूल और बाजार में शायद ही उसका कोई ऐसा दिन बीतता हो जब किसी को संजू ने उसे लड़की बताकर खुसपुसाते हुए न सुना हो।


इसका कारण संजू का चेहरा तो था ही जो बिल्कुल गोरा, चिकना और स्मूथ था, ऊपर से उसकी आंखें। हां, उसकी आंखें इतनी काली थीं कि कई बार जो पहली बार देखता था वो यह पूछता था कि क्या उसने काजल लगाया है????


यह कम था क्या जो उसने अपने बाल भी कंधे तक बढ़ा रखे थे। जिसकी वजह थी उसका बाप..... जिसे अपने बेटे संजू को संजय दत्त बनाने का भूत चढ़ा था। बिल्लू को खलनायक का संजय दत्त पसंद था तो उसे लगता था कि उसका बेटा गोरा है, लंबे बालों में संजय दत्त लगेगा। क्योकि बिल्लू का खुद के चेहरे का पक्का रंग था। इसलिए उसने अपने बेटे के बाल बढ़ाना शुरू किए थे।


एक कारण यह भी था कि संजू का चेहरा शरीर के मुकाबले छोटा था। बड़े बालों से वह थोड़ा भरा हुआ और आकर्षक दिखता था।


संजू बचपन से ही मोटा और थुलथुला भी था। जब खेलने लगा, तो उसके बाप बिल्लू को उसको शारीरिक फिट करने का भूत चढ़ा। संजू दुबला होता गया। लेकिन हाथ-पैर तो पतले हुए पर कमर के चारों और की चर्बी और कूल्हे अधिक कम नहीं हुए। शरीर के मुकाबले चेहरा उसका हमेशा से ही छोटा था। अब वह और छोटा हो गया। वजन कम होने से छाती पर जमा चर्बी लटकने लगी।


चलते वक्त बड़े-बड़े कूल्हे हिलते थे और दौड़ते वक्त छाती। गोरा बदन, छोटा चेहरा, कजरारी आंखें, लंबे बाल और शरीर की ऐसी बनावट। पूरे स्कूल के लड़के उसे लड़की बुलाने लगे थे
। लेकिन इस सबका उसके बाप बिल्लू को पता ही नहीं था।


इन्ही तानो की वजह से संजू अब स्कूल ना जाने के नये नये बहाने खोजता अपनी माँ सोनिया के लाड़ मे तो बहाने काम कर जाते लेकिन अपने बाप के आगे उसके बहाने फैल हो जाते।)


बुलबुल ओ बुलबुल.... तैयार हो गयी..???


काहे इतनी जोर जोर से गला फाड़ कर पूरा घर सर पर उठाये हो...????? किचिन से निकल कर बुलबुल के कमरे की ओर जाते हुए सोनिया बोली.....!


बुलबुल के कमरे के बाहर से ही सोनिया ने आवाज़ दी… “बुलबुल”.


बाथरूम मे ही खड़े खड़े बुलबुल आईने मे खुद को देख रही थी तो उसे लगा कि उसके स्तन कुछ ज्यादा उठे और उभरे हुए लग रहे है। और दोनों स्तनों के बीच गहराई भी ज्यादा दिख रही थी। ब्रा के अंदर जो सॉफ्ट लेयर थी उसकी वजह से उसके स्तन और बड़े लग रहे थे। उसे लगा कि शायद उसने स्ट्रेप्स को कुछ ज्यादा छोटा कर दिया है तभी उसके स्तन ज्यादा उभरे हुए और बड़े लग रहे है।


इसलिए उसने उन्हे फिर से एडजस्ट करने की कोशिश की पर फिर भी स्तनों के उभार पर कुछ ज्यादा फर्क न पड़ा। “अब तो मम्मी से ही हेल्प लेनी पड़ेगी”, बुलबुल ने सोचा। और फिर उसने अपनी पोनीटैल को खोल और अपने लंबे बालों को सामने लाकर अपने स्तनों के बीच की गहराई को उनसे ढंकने की कोशिश करने लगी। उस वक्त लाल रंग की ब्रा उसके स्किन के रंग पर अच्छी तरह से निखर रही थी और बुलबुल अपने बालों को सहेजते हुए बेहद खूबसूरत लग रही थी।


उसके बाद बुलबुल ने अपनी यूनिफॉर्म की सलवार पहनने लगी। सलवार का आकार कुछ ऐसा था कि वो उसके कूल्हों पर बिल्कुल फिट आ रही थी। उसने सलवार का नाड़ा कुछ वैसे ही बांधा जैसे अक्सर वो अपनी अन्य सलवार का बांधती थी।


अब बाथरूम से बाहर निकलने से पहले उसने एक बार फिर से खुद को एक साइड पलटकर देखा तब उसे एहसास हुआ कि उसके स्तन आज लगभग मम्मी के स्तनों के बराबर लग रहे है। मम्मी को याद करते ही उसके चेहरे पर खुशी आ गई। साथ ही अपने स्तनों के बड़े आकार को देखकर उसे एक संकोच भी हो रहा था। किसी तरह संकोच करते हुए वो अपने सीने को अपने हाथों और बालों से ढँकते हुए बाथरूम से बाहर आई।


“क्या हुआ? तेरा चेहरा इतना मुरझाया हुआ क्यों है?”, सोनिया ने पूछा।


मम्मी .. वो बात ये है ..”, बुलबुल नजरे झुकाकर कहने मे झिझक महसूस कर रही थी।


हाँ, बोल न”, सोनिया बोली।


“मम्मी, बात ये है कि मुझे लगता है कि इस ब्रा मे कुछ प्रॉब्लेम है। इसे पहनकर मेरे साइज़ मे कुछ फर्क आ गया है।”, किसी तरह से शरमाते हुए बुलबुल ने बात कह ही दी।


सोनिया ने मुसकुराते हुए बुलबुल का हाथ हटाया और बोली,”पगली, सब ठीक तो लग रहा है। ये पुश अप ब्रा है। इसका तो काम ही है कि स्तनों को थोड़ा लिफ्ट दे।”


मम्मी!”, बुलबुल शरमाते हुए सोनिया को रोकने की कोशिश करने लगी।


“चल अब ज्यादा शर्मा मत। उभरे हुए शेप के साथ ब्रा तुझ पर और निखर कर आएगी। ले अब ये कुर्ता पहन ले।”


बुलबुल ने अपनी मम्मी की ओर जरा शंका से देखा। उसकी मम्मी अभी भी उसी चंचलता के साथ बुलबुल की ओर देख रही थी। “अरे देख क्या रही है। जल्दी पहनकर आ न!” मै जब तक तेरा टिफिन लगाती हू...तेरे पापा तेरा नाम लेकर नीचे कितना शोर मचा रहे हैं....??


बुलबुल भी चुपचाप बाथरूम मे आ गयी।

आखिर मम्मी को ये नई ब्रा देने की क्या जरूरत पड़ गई? मेरे पास तो पहले ही कई ब्रा है”, बुलबुल मन ही मन सोचते हुए उसने मम्मी की दी हुई लाल रंग की ब्रा की ओर देखा। थोड़ी प्लेन सी थी मगर बेहद खूबसूरत थी। जैसी ब्रा उसके पास पहले से थी, उनमे जो फूल पत्ती के प्रिन्ट थे उसे वो पसंद नहीं आती थी। मगर ये ब्रा कुछ अलग थी। फेमिनीन होते हुए भी थोड़ी न्यूट्रल डिजाइन थी उसकी और उसे बेहद अच्छी लग रही थी।


फिर भी कुछ तो अलग था उस ब्रा में जो वो समझ नहीं पा रही थी। उसने स्ट्रेप्स मे अपने हाथ डाले और जब पीछे हुक लगाने की कोशिश की तब उसे महसूस हुआ कि यह ब्रा अंदर से कुछ सॉफ्ट थी जिसकी वजह से उसके निप्पल को कुछ आराम लग रहा था। “चलो कम्फ्टबल तो है यह ब्रा।”, बुलबुल ने मन ही मन सोचा और फिर कंधे पर ब्रा के स्ट्रेप्स की लंबाई एडजस्ट करने लगी।


इतने दिनों मे वह ये तो सिख चुकी थी कि नई ब्रा के साथ लंबाई एडजस्ट करनी पड़ती है। लड़कों की बनियान की तरह नहीं कि बस सीधे पहन लो बिना कुछ सोचे समझे। लड़कियों को हर कपड़े मे कुछ न कुछ ध्यान देना पड़ता है.....!!!!!


उधर अपने बाप के साथ बात करने के बाद से संजू थोडा चिडचिडा सा गया था. बाप से बिना कुछ कहे ही वो बरामदे के बाहर आँगन में आ गया. वो कुछ देर बाहर अकेले में समय बिताना चाहता था. पर शायद ये उसके नसीब में नहीं था......?????
Shandar update
 
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चार लोग क्या कहते हैं, उसका सजीव वर्णन।

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शुक्रिया आभार अभिनंदन... 🙏🏻
 
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