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deeppreeti

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छोटी छोटी मस्त कहानियो का एक संग्रह एक पाठक ने भेजा है उसे पोस्ट कर रहा हूँ

संग्रह मेरा नहीं हैं और अन्य साइट पर भी उपलब्ध हैं ..

अपडेट आपको रेगुलर मिलेंगे

आशा है आपको पसंद आएँगी


INDEX

1.
एक नम्बर के हरामी बूढ़े

कुछ घटनाएँ ऐसी होती हैं जिसमें आदमी खूद-ब-खुद खिंचता चला जाता है। चाहे वो चाहे या न चाहे। आदमी कितना भी समझदार हो लेकिन कभी-कभी उसकी समझदारी उसे ले डूबती है। ऐसी ही एक घटना मेरे साथ हुई थी। जिसे आज तक मेरे अलावा कोई नही जानता है। शुरआत इसी कहानी से ...

Update 01, Update 02, Update 03, Update 04.


2. पत्नी की खूबसूरत दोस्त की चुदाई

मैं-कुणाल और मेरी पत्नी- शिप्रा कानपुर में रहती हैं। मेरी पत्नी की चचेरी बहन में से एक टीना की शादी हो रही है। यह उदयपुर में एक गंतव्य शादी होती है। शिप्रा और तेना वास्तव में एक दूसरे के करीब हैं। रेशम बचपन से शिप्रा की सबसे अच्छी दोस्त है। रेशम अपनी शादी के बाद उदयपुर में रह रही है।
रेशम ने हमारी (मेरी और शिप्रा) से एक साल पहले शादी कर ली। इसलिए हम व्यक्ति से नहीं मिले। शिप्रा और रेशम हमेशा एक-दूसरे के संपर्क में रहे हैं और वे वास्तव में एक मजबूत बंधन साझा करते हैं। .....

Update 01, Update 02, Update 03, Update 04. Update 05 Update 06

3. लंड छोटा या बड़ा नही होता


नौकरानी ने बताया लंड छोटा या बड़ा नही होता.. मेरा नाम रेमो है. मेरी उम्र 24 साल की है. मै दिल्ली के एक अमीर घर का इकलौता वारिस हूँ. मेरे घर पर मेरे पापा और मम्मी के अलावा और कोई नहीं रहता. मेरे पापा एक जाने माने बिजनसमैन हैं. मम्मी घर पर ही रहती हैं. घर काफी बड़ा होने के कारण घर के काम काज करने घर में एक नौकरानी भी रख ली गयी है. नौकरानी का नाम मोहिनी है. वो बिहार के किसी गाँव की थी. उम्र कोई 25- 26 साल की होगी. तीन बच्चों की माँ होने के बावजूद देखने में काफी खुबसूरत भी थी. लेकिन मेरा ध्यान उस पर नही जाता था. मै अपने कालेज से आ कर सीधे अपने कमरे में चला जाता और अपना काम करता.मोहिनी सुबह के छः बजे ही आ जाती थी जब सभी कोई सोये रहते थे. वो आ कर सबसे पहले सभी कमरों की सफाई करती थी.एक दिन घर में पापा और मम्मी नहीं थे . वो दोनों मेरे मामा के यहाँ गए थे. उस रात मै अपने कंप्यूटर पर ब्लू फिल्म देख रहा था. मै आराम से नंगा हो कर पूरी रात फिल्म देखता रहा. फिल्म देखने के दौरान मैंने 3 बार मुठ मार लिया.


Part 01 Part 02 Part 03 Part 04 Part 05


4. सेलगर्ल रेशमा

चोद गयेे बालम, मुझे हय अकेला छोड़ गये
एक बहुत पुराने गाने कि तलाश थी मुझे। इसे मुकेश और लता ने गाया था। फ़िल्म का नाम मुझे याद नहीं था। सिर्फ़ गाने के बोल ही याद थे। कुछ इस तरह था वो गाना---छोड़ गये बालम, मुझे हय अकेला छोड़ गये। सीडी, कैसेटों की दुकानों मे काफ़ी ढूंढा, पर नहीं मिला। किसी ने कहा कि शायद लैमिन्ग्टन रोड पर मिल जाये।

Part 01 Part 02 Part 03 Part 04

5. रेणुका और पूजा की पूजा

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6. गाँव की डॉक्टर साहिबा


दोपहर की कड़ी धूप मे श्रीमती काव्या शर्मा एक देहाती गाँव के कच्चे रास्ते पे अपनी एक सामान की बैग लेकर खड़ी थी. मई का महीना था तो छुटियो के दिन थे. हर दम देल्ही रहने वाली एक हाइ प्रोफाइल महिला डॉ. काव्या अपनी यह छुटिया बिताने के लिए अपने नानी के गाँव मे जाने का प्रोग्राम बना चुकी थी. डॉ काव्या के बारे मे बताए तो यू समझ लीजिए के जिसका जनम ही सिर्फ़ लोगो के अंदर वासना उभारकर उनको तड़पाना था. काव्या एक 28 साल की शादी शुदा संभोग की देवी थी.

Part 01 Part 02 Part 03


7. ठरकी राजा की रखैल

ऐसे देश की कहानी जहाँ का राजा बहुत ही क्रूर, ठरकी और कामोत्तेजित है, उसके देश में लड़कियाँ जैसे ही जवान होती हैं, उन्हें राजा के पास एक महीने के लिए भेज दिया जाता है और वो उनकी रखैल बना लेर्ता है और उनका कामार्य भंग करता है, उन्हें भोगता है और एक महीने बाद उन्हें अपने घर वापिस भेज देता है।



8. पलंग तोड़ कबड्डी और पलंग पोलो
 
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aamirhydkhan

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बहुत उम्दा
 

deeppreeti

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8. पलंग तोड़ कबड्डी और पलंग पोलो

UPDATE 01


मैं पुणे में, इंजिनियरिंग कर रहा हूँ।

उम्र 22 साल, रंग गोरा और मजबूत कद काठी।

सेक्स के बारे में, उस समय मैं ज़्यादा कुछ नहीं जानता था।

बस कभी कभार पेड़ पर, झाड़ियों में छुप कर गाँव की लड़कियों और औरतों को नहाते और उनको अपनी छातियों को मलते देखा है।

मेरी गाँव में, काफ़ी लंबी चौड़ी जमींदारी है।

बड़ी सी हवेली है। नौकर चाकर।

घर में, वैसे तो कई लोग हैं। पर, मुख्य हैं – मेरे पापा, माँ, चाचा और चाची।

राघव, हमारी हवेली का मुख्य नौकर है और उसकी पत्नी, जमुना मुख्य नौकरानी।

मेरे पापा, करीब 52 के होंगे और माँ करीब 48 की।

मेरा जन्म, इस हवेली में हुआ है और यहीं पर मैंने अपना पूरा बचपन और जवानी के कुछ साल बिताए हैं।

राघव की उम्र, तकरीबन 42 की होगी और जमुना की करीब 36–37 की।

उनकी बेटी श्रुति की उम्र, तकरीबन 17-18 की होगी। जो की, मेरे से करीब 5 साल छोटी थी।


बचपन में, श्रुति मेरे साथ ही ज़्यादातर रहती थी।

मैं उसे पढ़ाता था और हम साथ में खेला भी करते थे।

हमारा पूरा परिवार, राघव और जमुना को बहुत मानता था।

मैं तांगे पर बैठा था और तांगा, अपनी रफ़्तार से दौड़ रहा था।

मेरे गाँव का इलाक़ा, अभी भी काफ़ी पिछड़ा हुआ है और रास्ते की हालत तो बहुत ही खराब थी।

जैसे तैसे, मैं अपने गाँव के करीब पहुँचा।

यहाँ से मुझे, करीब पाँच किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी थी।

शाम हो आई थी।

मैंने जल्दी जल्दी, चलना शुरू कर दिया।

गाँव पहुँचते पहुँचते, रात हो गई थी।

मेरे घर का दरवाजा, खुला हुआ था।

मुझे ताजूब नहीं हुआ क्योंकि मेरे परिवार का यहाँ काफ़ी दबदबा है।

मैं अंदर घुसा और सोच रहा थे की सब कहाँ गये और तभी मुझे, श्रुति दिखाई पड़ी।

मैंने उसको आवाज़ लगाई।

वो तो एकदम से हड़बड़ा गई और खुशी से दौड़ कर, मेरे सीने से आ लगी।

उसने मुझे, अपने बाहों में भर लिया।

मैंने भी उसको अपनी बाहों में भर कर, ऊपर उठा लिया और उसे घुमाने लगा।

वो डर गई और नीचे उतारने की ज़िद करने लगी।

मैंने उसकी एक ना सुनी और उसे घूमता ही रहा।

तभी एकदम अचानक से, मुझे उसकी “जवानी” का एहसास हुआ।

एकदम से गदराई हुई छाती, मेरे सीने से दबी हुई थी।

एक करेंट सा लगा, मुझे।

रोशनी हल्की थी, इसलिए मैं चाह कर भी उसकी चूचियाँ नहीं देख पाया पर देखने की क्या ज़रूरत थी।

मैं उसके बूब्स का दबाव, भली भाँति समझ रहा था।

मैंने धीरे से, श्रुति को उतार दिया।

श्रुति खड़ी होकर, अपनी उखड़ी हुई साँस को व्यवस्थित करने लगी।

मैं उस साधारण रोशनी में भी, उसके सीने के उतार चढ़ाव को देख रहा था।

एक मिनट बाद, वो मेरी तरफ झपटी और मेरे सीने पे मुक्के मारने लगी।

मैं हंसता हुआ, उसकी तरफ लपका तो वो भागने लगी।

मैंने पीछे से, उसको दबोच लिया।

वो, हंस रही थी।

मुझे उसकी निश्चल हँसी, बहुत ही प्यारी लगी लेकिन मेरे मन में “शैतान” जागने लगा था।

जब मैंने उसको दबोचा तो जान बुझ कर, मैं उसके पीछे हो गया और पीछे से ही उसको अपने बाहों के
घेरे में ले लिया।

बचपन के साथी थे, हम इसलिए उसको कोई एतराज नहीं था।

ऐसा, मैं सोच रहा था।

मैंने धीरे से, अपना उल्टा हाथ उसके सीधे मम्मे पर रख दिया और बहुत ही हल्के से दबा भी दिया।

हे भगवान!! मैंने कभी भी सोचा ना था की लौंडिया की चूची दबाने में, इतना मज़ा आता है।

मेरे मुँह से एक सिसकारी, निकलते निकलते रह गई।

मैंने उसे यूँ ही दबाए हुए पूछा – घर के सब लोग, कहाँ गये हैं.. !!

उसने उसी मासूमियत से जवाब दिया की सब लोग पास के गाँव में शादी में गये हैं और घर पर उसके माँ और पिताजी के अलावा और कोई नहीं है.. !!

बात करते हुए, मैं उसकी चूची को सहला रहा था।

वो घाघरा चोली में थी और उसने कोई ब्रा नहीं पहनी थी।

मैं बता नहीं सकता, साहब की मैं कौन से आसमान पर उड़ रहा था।

उसकी मस्त चूची का ये एहसास ही, मुझे पागल किए दे रही थी।

पर मैं हैरान था की उसकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया क्यूँ नहीं हो रही है।

हम आँगन में खड़े थे और मैं बहुत हल्के हल्के, उसकी चूचियों को सहला रहा था और वो हंस हंस के मुझसे बात किए जा रही थी।

उसने खुद को मुझसे छुड़ाने की ज़रा भी कोशिश नहीं की।

मुझे एक झटका सा लगा।

क्या श्रुति एकदम इनोसेंट (मासूम) है और उसे सेक्स के बारे में कुछ भी नहीं पता।

मेरे मन ने मुझे धिक्कारा और मैं एक दम से, जैसे होश में आया और श्रुति को छोड़ दिया।

फिर उसने मेरा सूटकेस उठाया और हम दोनों, मेरे कमरे की तरफ चल पड़े।

नहा धो कर, मैंने शॉर्ट और बनियान पहन लिया और अपने कमरे की खिड़की पर खड़ा हो गया।

हमारे गाँव में लाइट कम ही आती है, इसलिए लालटेन से ही ज़्यादातर काम होता है।

बरामदे की लालटेन की रोशनी आँगन में पड़ रही थी और चाँद की रोशनी भी।

तभी मैंने जमुना को, आँगन में आते हुए देखा।

उसके हाथ में, कुछ सामान था।

वो सामान को एक तरफ रख कर खड़ी हुई थी की आँगन में, मेरे चाचा ने प्रवेश किया।

चाचा – क्या रे, जमुना.. !! भैया भाभी, सब आए की नहीं.. !!

जमुना – कहाँ मालिक, अभी कहाँ.. !! उनको तो लौटने में, काफ़ी देर हो जाएगी.. !!

चाचा – और राघव.. !!

जमुना – वो तो शहर गये हैं.. !! कुछ कोर्ट का काम था.. !! बड़े मालिक ने भेजा है.. !! शायद, आज ना आ पाए.. !!

चाचा – हूँ.. !! तो फिर आज पूरे घर में कोई नहीं है.. !!

जमुना – जी मालिक.. !!

चाचा – अच्छा, ज़रा पानी पिला दे.. !!

मैं अपनी खिड़की पर ही खड़ा था, जो की दूसरी मंज़िल पर है।

उन दोनों को ही, मेरे आगमन का पता नहीं था।

चाचा खटिया पर बैठ कर, अपने मूँछो पर ताव दे रहे थे।

अचानक, वो उठे और उन्होंने धीरे से दरवाजा बंद कर दिया।

उनकी ये हरकत, मुझे बड़ी अजीब लगी।

दरवाज़ा बंद करने की क्या ज़रूरत थी।

मेरा माथा ठनका।

मैं कुछ सोच पता इसके पहले ही, जमुना एक प्लेट में गुड और जग में पानी ले कर आई।

चाचा ने पानी पिया और उठ खड़े हुए।

जमुना जैसे ही जग लेकर घूमी, चाचा ने उसका हाथ पकड़ लिया।

कहानी को बीच में रोकते हुए, मैं जमुना के बारे मैं कुछ बता दूँ।

एकदम, “मस्त माल” है।

5 फीट 4 इंच की लंबाई, मेहनत कश शरीर, पतली कमर, भरा पूरा सीना – 36 साइज़। एकदम से उठाव लिया हुआ, मानो उसके स्तन आपको चुनौती दे रहे हो की आओ और ध्वंस कर दो, इन गगनचुंबी पर्वत की चोटियों को।भारी भारी गाण्ड, मानो दो बड़े बड़े खरबूजे। जब चलती है तो गाँव वालों में, हलचल मच जाती है।

सारे गाँव वाले राघव से जलते थे की साले ने क्या तक़दीर पाई है।

मस्त चोदता होगा, यह जमुना को और जमुना भी इसे निहाल कर देती होगी।

मैंने खुद कई बार लोगों को उसकी छातियों की तरफ या फिर, उसके गाण्ड की तरफ ललचाई नज़रों से घूरते हुए देखा है।

मैं तब, इसका मतलब नहीं जानता था।

खैर, चाचा के इस बर्ताव से जमुना हड़बड़ा गई।

चाचा ने उसे अपनी तरफ खींचा तो वो जैसे होश में आए।

जमुना – मालिक, ये आप क्या कर रही हैं.. !!

चाचा – क्यों क्या हुआ.. !! तू मेरी नौकरानी है.. !! तुझे मुझे हर तरह से, खुश रखना चाहिए.. !!

जमुना – नहीं मालिक.. !! मैं और किसी की बीवी हूँ.. !!

चाचा – साली, रांड़.. !! नखरे मारती है.. !! सालों से, कम से कम 100 बार तुझे चोद चुका हूँ.. !! कौन जाने, श्रुति मेरी बेटी है या राघव की.. !!

जमुना ने ठहाका लगाया और बोली – अरे मालिक, आपको तो गुस्सा आ गया.. !! आओ, मेरे मालिक मेरा दूध पिलो और अपना दिमाग़ ठंडा करो.. !! असल में, मैं तो खुद कब से इस घड़ी का इंतज़ार कर रही थी की किसी दिन यह घर खाली मिले और श्रुति के बापू भी घर में ना रहें.. !! उस दिन आप के साथ, “पलंग कबड्डी” खेला जाए.. !! पर मालिक, मैं औरत हूँ.. !! थोड़ा नखरा दिखना तो बनता है.. !! आपने तो मुझे रांड़ बना दिया.. !! वैसे, सच में मालिक आप बड़ा मस्त चोदते हैं.. !! मैं तो आपके चोदने के बाद, 2–3 दिन श्रुति के बापू को छूने भी नहीं देती.. !! इतना “नशा” रहता है, आपसे चुद कर.. !!

इतना कहते कहते, जमुना ने चाचा की धोती में हाथ डाल दिया।

चाचा भी उसकी दोनों मस्त चूचियों पर पिल पड़े और ज़ोर ज़ोर से, उसे दबाने और मसलने लगे।

जमुना ने चाचा का हथोड़ा बाहर निकाला और उसे ज़ोर से चूमने लगी।

मैं खिड़की पर खड़ा सब देख रहा था और मन ही मन, सोच रहा था की कैसे इस जमुना को चोदा जाए।

अगर मौका मिले तो उसको “ब्लैक मेल” किया जा सकता है।

घर पर शायद संभव ना हो सके पर बहाने से, उसे खेत में ले जाकर तो चोद ही सकते हैं।

अभी भी साली, क्या मस्त माल लगती है।

मेरे मुँह में, जैसे पानी आ गया।

मेरा लण्ड, हरकत करने लगा था।

तभी जमुना ने, चाचा से कहा – मालिक, आज तो घर में कोई नहीं है.. !! क्यों ना आज, कमरे में आराम से “चुदाई चुदाई” खेले.. !! हर बार, आप मुझे खेत में ही चोदे हैं.. !! वो भी हड़बड़ी में.. !! आज मैं, आपको पूरा सुख देना चाहती हूँ और पूरा सुख लेना भी चाहती हूँ.. !!

चाचा भी फ़ौरन तैयार हो गये और जमुना को गोद में उठा कर, अपने कमरे की तरफ चल दिए।

मैं थोड़ा दुखी हो गया क्यों की अब ये चुदाई देखने को नहीं मिलेगी।

चाचा का कमरा, आँगन के पास निचली मंज़िल में था।

मेरे कमरे के बाहर, छत के दूसरे कोने में दो कमरे और एक बाथरूम बना हुआ था।

राघव का परिवार, उसी में रहता था।

जारी रहेगी
 
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deeppreeti

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8. पलंग तोड़ कबड्डी और पलंग पोलो

UPDATE 02


मैंने श्रुति को अपने कमरे की तरफ, आते हुए सुना।

मैंने झट से अपना लण्ड शॉर्ट के अंदर किया और बाहर की तरफ आया।

श्रुति सामने से, आ रही थी। मैं तुरंत दरवाजे के पीछे छुप गया और जैसे ही, श्रुति मेरे कमरे के सामने से निकली मैंने पीछे से उसको दबोच लिया।

मैं सावधान था इसलिए मेरा एक हाथ, उसके मुँह पर और एक हाथ उसके सीने पर रखा और ज़ोर से उसकी लेफ्ट चूची को दबा दिया।

श्रुति के मुँह से एक घुट घुटि चीख निकल गई पर मुँह पे हाथ होने की वजह से, चीख बाहर नहीं निकली।

जब उसने मुझे देखा तो राहत की साँस लेते हुए, बोली – छोटे मालिक.. !! अपने तो मुझे डरा ही दिया था.. !!

मैने उसके मुँह से अपना हाथ हटाया और फिर पीछे से दोनों हाथ, उसकी दो चूचियों पर रखा और ज़ोर से दबा दिया।

वो हड़बड़ा गई और बोली – क्या करते हो.. !! दर्द होता है.. !!

मैंने फिर से, उसकी दोनों चूचियों को ज़ोर से दबाया।

उसने सवालिया निगाहों से मुझे देखा और कहा – आज, आपको हुआ क्या है.. !! ऐसे भी कोई दबाता है क्या.. !! मुझे लगता नहीं क्या.. !! और झट से, मेरे से दूर चली गई।

मेरे मुँह में, पानी भरा हुआ था।

क्या मस्त चुचे थे, यार।

एकदम.. !! एकदम.. !! अब क्या बोलूं। आप समझ जाइए।

मेरा मन तो उसका दूध पीने का कर रहा था।

लेकिन, उसकी बातों ने ये सिद्ध कर दिया था की वो एकदम भोली है और सेक्स के बारे में कुछ नहीं जानती।

मुझे लगा की मेरी किस्मत खुलने वाली है।

आज तो मैं इसको, चोद कर ही रहूँगा।

ज़्यादा से ज़्यादा, ये अपनी माँ से शिकायत करेगी और मेरे पास जमुना को काबू में रखने का “तुरुप का इक्का” तो था ही।

साली, नीचे कमरे में चाचा से चुदवाने की तैयारी कर रही थी।

मैंने श्रुति से पूछा – तुझे दुख रहा है.. !!

श्रुति – हाँ.. !!

मैं – ला, अच्छे से दबा दूँ.. !! नहीं तो हमेशा, ऐसा ही दुखेगा.. !!

श्रुति झट से, मेरे पास आ गई।

मैंने उसकी छातियों को, हौले हौले दबाया।

वो कुछ ना बोली, बस ऐसे ही खड़ी रही।

कोई “एक्सप्रेशन” भी नहीं था, चेहरे पर।

मुझे पूरा विश्वास हो गया की सचमुच, उसे कुछ पता नहीं है।

मैंने एक प्लान बनाया और उससे बोला – एक मिनट, मेरे कमरे में बैठ और मैं अभी आता हूँ.. !!
मैं नीचे उतरा।

मुझे पता ही था की चाचा और जमुनिया के अलावा, घर मैं सिर्फ़ मैं और श्रुति ही थे।

चाचा और जमुनिया की लापरवाही की मुझे पूरी आशा थी इसलिए मैंने बगल के कमरे में जा कर, दरवाजे के की होल से अंदर झाँका।

सिर्फ़ चाचा ही दिख रही थे और वो हाथ में ग्लास ले कर, पलंग पर बैठे थे।

जमुनिया, शायद नहाने गई थी।

मैं घूम कर बाथरूम के पीछे गया और खिड़की के साइड से झाँक कर देखा तो मेरा अंदाज़ा सही निकला।

जमुनिया, पूरी नंगी हो कर नहा रही थी।

बाथरूम में, कमरे की रोशनी आ रही थी।

वो पर्याप्त तो नहीं थी पर फिर भी मैं जमुनिया को उस रूप मैं देख कर पगला गया।
हाय!! क्या मस्त लग रही थी।

पानी उसके जिस्म पर गिर रहा था और पूरा बदन एकदम “मलाई मक्खन” की तरह दिख रहा था।
वो बड़ी बड़ी चूचियाँ, जो आज तक सबके लिए सपना थीं, मेरे आँखों के सामने “नंगी” थीं।

बड़ी मुश्किल से, मैंने अपने आप को संभाला और और आगे बढ़ कर पीछे के स्टोर रूम में चला गया।
खोजते खोजते, मुझे दरवाजे में एक बड़ा छेद दिखाई दिया।

आँखें गड़ाई तो अंदर चाचा के कमरे का पूरा सीन दिखाई पड़ रहा था।

मेरी इच्छा तो वही रुक कर, चाचा से जमुनिया की चुदाई की पूरी फिल्म देखने का था पर ऊपर श्रुति बैठी थी।

उसको चोदने की इच्छा, इस फिल्म से ज़्यादा मायने रखती थी।

मैं ये सोच रहा था की श्रुति को कैसे पटाया जाए।

वो तो सेक्स के बारे में, कुछ भी नहीं जानती थी।

जब ऊपर पहुँचा तो देखा, वो मेरे कमरे पर कुर्सी पर बैठी है।

मैंने उससे, बात चीत शुरू की।

मैं – श्रुति और सुना.. !! आज कल, क्या हो रहा है.. !!

श्रुति – कुछ नहीं.. !! बस, ऐसे ही.. !!

मैं – तो सारा दिन बस मटरगस्ति हो रही है.. !! पढ़ाई लिखाई का क्या हुआ.. !!

श्रुति – नहीं.. !! अब, मैं स्कूल नहीं जाती.. !! घर पर ही रहती हूँ.. !!

मैं धीरे से उसके पीछे खड़ा हो गया और उसके कंधों पर हाथ रख कर बोला – और सेक्स.. !! कभी सेक्स किया है.. !!

श्रुति – क्या बोले.. !! मैं कुछ समझी नहीं.. !!

मैं – तुझे सेक्स के बारे में, कुछ नहीं पता.. !!

श्रुति – नहीं.. !! ई क्या होता है.. !!

मैं – वो जिंदगी का सबसे बड़ा आनंद होता है.. !! अच्छा, एक बात बता.. !! तेरे माँ बापू, तेरी शादी की बात नहीं करते.. !!

श्रुति (शरमाते हुए) – हाँ करते हैं ना.. !! जब तब, मुझे टोकते रहते हैं.. !! ये मत करो, वो मत करो.. !! अब तेरी शादी होने वाली है.. !! वहाँ ससुराल में, यही सब करेगी क्या.. !! ऐसे.. !! मेरे को तो, उसकी कोई बात ही समझ में नहीं आती है.. !!

मैंने उसे धीरे से अपनी ओर खींचा और उसे अपने बाहों में भर कर बोला – तू तो बहुत भोली है.. !!

इतनी बड़ी हो गई पर है बिल्कुल बच्ची ही.. !!

वो मेरे से चिटक गई और गुस्से से बोली – मैं बच्ची नहीं हूँ.. !!

मैंने कहा – अच्छा.. !! और हँसने लगा।

तो उसने तुरंत साँस भर कर अपना सीना फूला लिया और बोली – देखो.. !! क्या मैं बच्ची लगती हूँ.. !! नहीं ना.. !! मैं अब बड़ी हो गई हूँ.. !!

मैंने हंसते हंसते, उसको अपनी बाहों में भर लिया और उसका सिर चूम लिया।

मैंने फिर धीरे धीरे उसके होठों पर एक छोटा सा किस किया तो वो बोली – छोड़िए ना.. !! क्या करते हो.. !!

मैंने उससे कहा – तुम बड़ी तो हो गई हो.. !! पर, अब तुम्हें बड़े वाले काम भी करने होंगे.. !! वो मेरी तरफ देखने लगी.. !!

मैंने पूछा – सच बता, कभी क्या तूने अपने माँ पापा को “पलंग पोलो” खेलते देखा है.. !!

श्रुति – क्या.. !! मैं समझी नहीं.. !!

मैं – तेरे माँ पापा, रात को साथ सोते हैं.. !!

श्रुति – हाँ.. !!

मैं – तो फिर, तू कहाँ सोती है.. !!

श्रुति – बगल वाले, कमरे में.. !!

मैं – तूने कभी रात को माँ पापा के कमरे में उनको बिना बताए, झाँक कर देखा है.. !!

श्रुति – नहीं.. !! मैं जब रात को सोती हूँ तो फिर सुबह ही मेरी नींद खुलती है, वो भी माँ के जगाने पर.. !! बहुत चिल्लाती है, वो.. !! कहती है की मैं एकदम बेहोश सोती हूँ.. !! रात को कोई अगर, मेरा गला भी काट जाएगा तो मुझे पता भी नहीं चलेगा.. !! और वो हंसने लगी।

मैंने अपना जाल फेंका – तू जानना चाहेगी की रात को तेरे सोने के बाद, तेरे माँ पापा कैसे “पलंग पोलो” खेलते हैं.. !!

श्रुति – सच में, आप मुझे दिखाएँगें.. !!

मैं – हाँ!! पर एक शर्त है की तू एकदम मुँह पे ताला लगा कर रहेगी.. !! चाहे कुछ भी हो जाए, एक आवाज़ नहीं निकलेगी.. !!

श्रुति – ठीक है.. !!

मैं – खा, मेरी कसम.. !!

श्रुति (झिझकते हुए) – आपकी कसम.. !!

मैं श्रुति को लेकर, नीचे उतरा।

मैंने इशारा कर दिया था की कोई आवाज़ ना हो।

मैं श्रुति को, उसकी “माँ की चुदाई” दिखाने ले जा रहा था।

उसके बाद, मैं उसको आज की रात ही भरपूर चोद कर युवती से औरत बनाने वाला था।
दबे पाँव, हम स्टोर रूम में आ गये।

मैंने छेद में आँख लगाई तो देखा, जमुनिया एकदम नंगी हो कर चाचा के लिए जाम बना रही थी और चाचा बिस्तर पर बैठ कर, अपने हथियार में धार दे रहे थे।

जमुनिया के हाथ से ग्लास लेकर, चाचा ने साइड टेबल पर रखा और जमुनिया को अपनी तरफ खींच लिया।

जमुनिया मुस्कुराते हुए, उनके पास आ गई।

चाचा ने अपने दोनों हाथों से उसके दोनों “अमृत कलश” को थाम लिया और उसे सहलाते हुआ बोले – आज तो बहुत मज़ा आएगा.. !! लगता है, आज तेरी जवानी फिर से वापस आ गई है, जमुना.. !! मां कसम, बड़ा मज़ा आ रहा है.. !!

फिर दोनों, एक दूसरे के लिप्स चूसने लगे।

मैं धीरे से हटा और श्रुति को भीतर देखने का इशारा किया।

श्रुति ने छेद में आँख डाल कर, देखना शुरू किया।

मैं तैयार था।

जैसे ही, श्रुति ने भीतर देखा उसकी तो जैसे साँस ही रुक गई।

वो झटके से ऊपर उठी तो मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया और स्टोर रूम से बाहर ले आया। श्रुति के पैरों मैं जैसे जान ही नहीं रह गई थी।

मैं उसे खींचता हुआ, थोड़ी दूर पर ले गया।

फिर, मैंने उसके मुँह से हाथ हटाया।

उसने बड़ी अजीब सी नज़रों से मुझे देखा और कहा – ये क्या हो रहा था, भीतर.. !! माँ, कैसे मालिक के सामने ऐसे खड़ी थी और मालिक ये क्या कर रहे थे.. !!

अब मैं, वाकई दंग रह गया।

एक जवान गाँव की 16-17 साल की लड़की और उसे सेक्स के बारे में, कुछ भी नहीं पता।
सच में.. !! ???

मैंने श्रुति के चेहरे को अपने दोनों हाथों में भर कर उसके हाथ पर एक चुंबन लगा दिया और बोला – इसे ही “पलंग पोलो” कहते हैं.. !!

वो दोनों “जवानी का खेल” खेल रहे हैं। जो की हर मर्द एक औरत के साथ खेलता है।

तुम भी खेलोगी, एक दिन और तुम्हें बहुत ही मज़ा आएगा।

ये इंसान की जिंदगी का, सबसे बड़ा आनंद होता है।

और देखना चाहोगी.. !! – मैंने पूछा।

वैसे तुम्हें बता दूँ अभी तो ये बस शुरुआत ही है.. !! इस खेल में, अभी दोनों खिलाड़ी बड़े बड़े पैंतरे दिखाएँगें.. !!

श्रुति के चेहरे पर, अजीब सा “भाव” था।

वो आगे बढ़ी और फिर से, छेद में आँख गड़ा कर देखने लगी।

चाचा पलंग पर पैर फैला कर बैठे थे और जमुनिया का स्तन चूस रहे थे।

एक हाथ में, एक स्तन दबोचे हुए थे और दूसरे हाथ से, उसकी गाण्ड सहला रहे थे। उनका मुँह, दूध पीने में व्यस्त था।

जमुनिया, अपने दोनों हाथों से चाचा का लण्ड सहला रही थी।

फिर उसने अपने आप को छुड़ाया और चाचा के लौड़े पर टूट पड़ी।

उसने पूरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और “चुसूक चुसूक” चूसने लगी, जैसे जिंदगी में पहली बार, लोलीपोप चूस रही हो।

चाचा की आँखें आनंद से बंद हुई जा रही थीं और उनके मुँह से आनंद की सीत्कार निकल रही थी – आह ओफफ्फ़.. !! और ज़ोर से, मेरी रानी.. !! और ज़ोर से.. !! कितना मज़ा आ रहा है.. !!
करीब पाँच मिनट तक, ये चलता रहा।

फिर मैंने श्रुति को हटाया और खुद आँख लगा के देखने लगा।

चाचा अब जमुनिया को पलंग पर लिटा कर, उसकी चूत चूस रहे थे।

तभी श्रुति ने मुझे हटाया और खुद, फिर से देखने लगी।

उसका चेहरा तमतमा रहा था और उसकी साँसें तेज हो रही थीं।

मैं उसके सीने के उतार चढ़ाव को बखूबी महसूस कर रहा था।

जारी रहेगी
 
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deeppreeti

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6. गाँव की डॉक्टर साहिबा

Part 24

काव्या और नजमा दोनों आगे बढ़ते है पक्के रास्ते से. कुछ घर आगे निकल कर काव्या को कुछ खाना पकने की सुगन्ध आती है काव्या को वो सुगंध इतनी अच्छी लगती है कि काव्या वहीं खडी हो जाती है और देखने लगती है कि यह इतना सुगंधित और खुशबु दार खाना कोन पका रहा है यह सुगंध तो मैंने जब लास्ट टाइम अपने पति के साथ 5 स्टार होटल गयी थी वहां यह सैम खुशबु आयी थीं खाने में से. पर यहां गाँव में कोन है...?


फिर अचानक नजमा को कुछ याद आता है और उसके हाथ पैर फूलने लगते है और वो काव्या से बोलती है मैडम मुझको कुछ जरूरी काम आ गया है यही पास में. मैं बस ये दस मिनट में आती हू काम निपटा कर आप इधर ही पैड के नीचे खड़ी रखियेगा कहीं जाएगा नहीं. फिर वो वहा से चली जाती है काव्या को उधर ही छोड़ कर.


फिर जिस घर से खाने की स्वादिष्ट सुगंध आ रही थी उसी घर की बालकनी मै काव्या एक औरत को खडी हुई देखती है कुछ सेकंड देखने के बाद फिर वो औरत भी देखती है काव्या को और कुछ देर बाद वो अपनी बालकनी से नीचे उतर कर घर के बाहर गेट के पास आती है और बोलती है आप कोन हो मैडम पहले तो कभी नहीं देखा आपको इधर.


काव्या - हा, मैं कल ही आयी हूं गाँव में. मेरी दादी का घर है इधर. पर आप कोन और ये घर पर खाना आप बना रही थी क्या.


औरत - मेरा नाम सुमन मिश्रा है. और ये मेरा ही घर है और ऑफकोर्स यह मेरा घर है तो लंच भी में ही बना रही थी. वेसे तेरा क्या नाम है...?


चलो आपको सुमन के बारे में बता देते है सुमन मिश्रा. इस गाँव के सबसे बड़े किसान के साथ साथ गांव के पंडित जी की इकलौती बहू. सुमन मिश्रा की उमर 31 साल है. रंग गौरा गाँव के
गौरा पन के हिसाब से. सुमन को इस गाँव की हीरोइन भी कह दोगे तो भी कोई प्रॉब्लम नही होगी. सुमन काफी सेक्सी दिखती है. गाँव के कितने नौजवान और बूढे उसके लिये पागल है
पर सुमन किसी को भाव नहीं देती है. गाँव की सभी औरते और लड़किया सुमन की बात मानती है. सुमन की काफी इज़्ज़त और सम्मान है गाँव की औरतों में. और इस सबके अलावा सुमन जैसा स्वादिष्ट खाना कोई नहीं पकाता पूरे गाँव में.

सुमन के पति का नाम दीपक मिश्रा हैं. दीपक अपने पिताजी के खेतों को संभालता है और खेतों में ट्रैक्टर चलाता. दीपक इसके साथ साथ गाँव में हार्डवेयर की शॉप भी चलाता है जहां पर कभी वो या कभी उसका भाई मोहन बैठता है.


अब यहां समस्या यह है कि सुमन को पता नहीं है कि काव्या कोन है उसने तो बस काव्या को नजमा के साथ देखा इसलिये सुमन काव्या के साथ सीधे मुह बात नहीं कर रही थीं. काव्या को
सुमन का यह रूढ़ बर्ताव कुछ अजीब लग रहा था. काव्या को यह समझ ही नहीं आ रहा था की उसने कहा कुछ गलत कर दिया या बोल दिया जो सुमन ऐसे बरताव कर रही है. अब काव्या भी थोड़ा डट कर अपना परिचय देती है .


काव्या - माय सेल्फ काव्या अग्रवाल. और मैं डॉक्टर हु. मैं यहां मेरे दादी और मेरे रणधीर अंकल की पोती हू. इधर हवेली में ही रह रही हूँ. दो दिन से.

रणधीर और हवेली का नाम सुनते ही सुमन के तो मानो होश ही उड़ जाते है उसको अपनी गलती का तुरंत एहसास हो जाता है. सुमन तो कबसे काव्या को नजमा के साथ देख कर शहर की कोई वेश्या समझ रही थी. सुमन को भी थोड़ा अजीब तो लग रहा था कि ऐसी पढ़ी लिखी सुन्दर अच्छे घर की दिखने वालीं औरत नजमा के साथ कैसे हो सकती है. पर अब उसको समझ में आया.


सुमन - सॉरी मैडम, मैंने आपको पहचाना नहीं. आपसे ऐसे ही उल्टे-सीधे तरीके से बोला. वो तो मैंने आपको नजमा के साथ देखा इसलिए.... फिर सुमन खुद को आगे बोलने से रोक देती है.


काव्या - नजमा के साथ देखा क्या...? आप कहना क्या चाहती हो.


अब सुमन समझ जाती है कि शायद काव्या को नजमा के बारे में कुछ भी नहीं पता इसलिये वो ऐसे पूछ रही है और शायद ये सही समय भी नहीं है नजमा के बारे में बात करने का. क्योंकि
नजमा किसी भी समय आ सकती है वापस.


सुमन - अरे मैडम वो सब छोड़ो आप अन्दर आओ. आप पहली बार हमारे घर आयी है अन्दर तो आओ.

अब काव्या को कुछ अजीब लगता है कि अचानक सुमन का बरताव इतना बदल कैसे गया.

काव्या - अरे नहीं नहीं वो नजमा अभी आती ही होगी. वो मुझको गाँव गुमा रही है. वो कहा मुझको ढूंढती रहेगी.

सुमन - वो तो बाहर खड़ी रहेगी. उसकी चिन्ता मत करो आप अन्दर आओ.

काव्या - ठीक है, पर एक शर्त पर.....

सुमन - क्या मैडम....

काव्या - तुम मुझको बार बार ये मैडम करके नहीं बुलाएगी तो.

सुमन - तो फिर क्या...?

काव्या - सिर्फ काव्या.

सुमन - अरे नहीं आप तो हमारी मैडम ही है और आप ऊपर से डॉक्टर भी है.

काव्या - मैं कुछ नहीं सुनूँगी, तुम सिर्फ काव्या ही बोलो जस्ट ऐ फ्रेंड. मै यह मैडम शब्द सुन सुन कर थक गयी हू यहां इस गाँव में आकर. वरना मैं अन्दर नहीं आएँगी.

सुमन - ठीक है काव्या. अब तो अन्दर आ जाओ. पर काव्या तुम भी मुझको सिर्फ सुमन ही बुलाना जस्ट ऐ फ्रेंड.

काव्या - ओके

अब काव्या घर के अन्दर आ जाती है इस समय घर में सिर्फ सुमन और उसकी सासु ही थी. काव्या को अन्दर आते देख उसकी सासु को कुछ अच्छा नहीं लगता. पर जब सुमन काव्या के बारे में अपनी सासु माँ को सब कुछ बताती है तो वो भी फिर काव्या को काफी इज़्ज़त देती है और सुमन को कुछ बोल कर वहां से चली जाती है. अब काव्या और सुमन काफी देर तक अलग अलग बाते करते है. फिर सुमन रसोई में जाकर काव्या के लिये उसने जो खाना बनाया था वो ले आती है.

सुमन - काव्या लो टेस्ट करो मेरे हाथ का खाना. ना नहीं बोलना तुम फर्स्ट टाइम् आयी हो मेरे घर पर.

काव्या भी खाने की मन मोहक सुगंध के सामने ना नहीं बोल पाती और खाना टेस्ट कर लेती.

काव्या - सुमन मुझको तो यकीन ही नहीं हो रहा कि ऐसा खाना मुझको गाँव में खाने मिल रहा है ये तो एक दम मैंने फाइव स्टार रेस्टोरेंट में खाया था वैसा है एक दम.

काव्या फिर काफी तारीफ करती है खाने की और राज पूछती है इस स्वाद और जायके का.

सुमन - ऐसा कुछ नहीं है काव्या बस नॉर्मल फूड ही तो है. अगर तुम पूछ ही रही हो तो बता देती हूं मैंने मास्टर्स शेफ का कोर्स कर रखा है. अपनी बी. साइंस की स्टडी के साथ साथ. मेरे
पापा के से. शादी से पहले. मैं शादी से पहले शहर में रहती थी. इसलिये बस.

काव्या - क्या बात कर रही हो ये तो वहीं कोर्स है जो सभी बड़ी होटल के खाना पकाने वाले करते है. और तुम इतनी पढ़ी लिखी हो. मुझको तुमारी बातों से लगा ही था.

फिर काव्या और सुमन ऐसे ही बात करती रहती है कभी अपने अपने पति की तो कभी अपनी स्टूडेंट लाइफ की. कभी अपनी सासु की और दोनों काफी अच्छी सहेलियाँ बन जाती हैं. काव्या
को तो मानो आज काफी अच्छा लग रहा था. उसको अपना कोई दोस्त मिल गया हो ऐसा लग रहा था. काव्या को तो सुमन को छोड़ कर जाने का मन ही नहीं हो रहा था पर वो दादी
के दिये समय से पहले घर पहुंचाना चाहती थी.


फिर दोनों बात करती करती घर के गेट के पास आ जाती है.

काव्या - यार सुमन देख ना ये नजमा आयी भी नहीं पता नहीं कहाँ चली गयी. कितनी लापरवाह लेडि है. और मुझको पूरा गाँव घुमाने कि बात कर रही थी. अब पता नहीं उसका कब
तक मुझको उसका इन्तेज़ार करना पड़ेगा.

सुमन - नाम मत ले उसका तू भी बार बार. और वेसे काव्या मै तुझको उससे कहीं ज्यादा अच्छी तरह से गाँव घुमा दूंगी. तू बोलेगी तब. और तुझको उसका इन्तेज़ार करने की कोई जरूरत नहीं है उस पागल गंदी वैश्या की.

काव्या - क्या..........वैश्या.....? क्या मतलब...

सुमन - मेरा मतलब कामवाली की.

काव्या - नहीं नहीं सुमन तू मुझको पूरी बात बता. मुझको जानना है कि नजमा से तू इतना क्यों चिढ़ती है तू क्या मेरी दादी भी बहुत चिढ़ती है. मुझको अभी बता. और वैश्या का क्या
मतलब है.....?

सुमन - देख काव्या अभी यह सही जगह नहीं है इन सब बातों के लिये. मेरी सासु माँ ने सुना तो काफी डाटेंगी मुझको. और वेसे भी हम दोनों कल मिलेगी तो बात करेगे ना. गाँव घूमते
घूमते. तू टेंशन मत ले. बस तू नजमा से थोड़ा दूर रहना. उसकी बातों में मत आना. और उसके साथ कहीं भी नहीं जाना.

काव्या - यार पर मुझको जानना था. कोई नहीं कल पक्का है ना....?

सुमन - हाँ यार

काव्या - लेकिन अब मैं घर कैसे जाऊँ.

सुमन - इतनी सी बात रुक मैं अपनी स्कूटी से तुझको छोड आती हु. पर मुझको अपनी सासु माँ से पूछना पड़ेगा क्योंकि मुझको भी घर से ज्यादा बाहर जाने की परमिशन नहीं है रुक में पूछ कर और स्कूटी की चाभी लेकर आती हू.

काव्या - अरे कहा परेशान हो रही हो मैं चली जाऊँगी.

सुमन - पागल है क्या गाँव का माहौल तुझको पता नहीं है रुक इधर में आती हू...

तभी घर के गेट के पास एक रिक्शा आ कर रुकता है जिसे देख कर काव्या के पैरों के नीचे से जमीन खिसक जाती है.

आप लोगों ने अनुमान तो लगा ही दिया होगा ये रिक्शा किसका है........?


हाँ यह रिक्शा में और कोई नहीं सत्तू और सुलेमान थे. सत्तू जैसे ही रिक्शा को रोकता है घर के पास वेसे ही सुलेमान रिक्शा में से अपना मुह बाहर निकाल कर बोलता है नमस्ते मैडम पहचाना हमको. हम वहीं जो आपको गाँव लेकर आये थे अपनी रिक्शा में इस सत्तू और हमारी बेगम सलमा के साथ. पहचाना के नाही...

काव्या को मानो एक झटके में कल के दिन की पूरी घटना आँखों के सामने से निकल जाती है.

काव्या - हाँ हाँ आपको पहचान लिया.

काव्या सुमन के सामने अब खुद को काफी बेबस मेहसूस कर रही थी. उसको लग रहा था कि ये सुलेमान सुमन के सामने पता नहीं और क्या क्या बोल देगा. कहीं सुमन कुछ गलत नहीं समझ लें.

सुलेमान - मैडम कहीं जाना है क्या आपको. हम छोड देते है.

तभी सुमन काव्या के पास आती है

सुमन - नहीं नहीं मै काव्या को हवेली छोड दूँगी तुम जाओ.

काव्या और सुमन को एक साथ खड़ी देख कर तो सुलेमान और सत्तू का लंड ही खड़ा हो जाता है उनके पैंट और पाजामे में. सुलेमान का तो मन कर रहा था कि यही अभी के अभी सुमन और काव्या को नंगा करके उनकी साड़ी उतार कर चोदना शुरू कर दें. यही दोनों का बाजा बजा दे. दोनों को चलने लायक भी स्थिति में नहीं छोड़े. पर वो ऐसा कर नहीं सकता था. उसकी
इतनी हिम्मत और औकात नहीं थी. सोचता हर कोई करने की हिम्मत और ताकत किसी में नहीं होती.

सत्तू - क्यों मैडम आपको हम पर भरोसा नहीं है क्या. कल के दिन तो आपको इतना दूर से लाकर छोड़ा था आपको हवेली आज क्या हुआ. हमारा काम है रिक्शा चला कर छोड़ना.

अब काव्या भी काफी घबरा गयी थी उसको डर था कि कहीं ये दोनों कल की पूरी घटना को बोलने नहीं बैठ जाये. काव्या सुमन की दोस्ती को बिलकुल नहीं खोना चाहती थी. अब काव्या
ने सुमन की और देखा और बोला

काव्या - सुमन तुम इतनी टेंशन मत लो मैं चली जाऊँगी. हवेली यही तो है पास में. वेसे तुम इतना कहा परेशान होगी.

सुमन को तो बिलकुल भी यकीन नहीं हो रहा था कि काव्या क्या बोल रही है और वो इनके साथ जायेगी. पर अब सुमन की भी यह मुसीबत थी कि कोई देख ना ले इन दोनों को यहा उसके
और काव्या के साथ. क्योंकि उसके ससुर के आने का समय भी हो गया है पर

सुमन - पर क्यों काव्या.....?

पर क्यों काव्या यह शब्द ही बता रहे थे कि सुमन की बिलकुल भी इच्छा नहीं थी कि काव्या इनके साथ जाये. पर अब काव्या भी सुमन को फटा फट बाय बोल कर रिक्शा में बैठ जाती हैं
और सत्तू भी फट से रिक्शा शुरू करके वहां से निकल जाता है.

इधर सुमन अपने मन में घर के अंदर जाते जाते सोचती है कि कल मुझको काव्या को बहुत कुछ बताना पड़ेगा गाँव के बारे में, नजमा और ये दो कलूटे रिक्शा वालो के बारे में. काव्या के लिये यह सब जानना काफी आवश्यक है......

जारी रहेगी
 
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मित्रो और पाठको को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये

कहानी जल्द आगे बढ़ाने का पूरा प्रयास रहेगा
 

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6. गाँव की डॉक्टर साहिबा

Part 25



अब रिक्शा हवेली की और बढ़ रहा था. काव्या सुलेमान से काफी दूरी बना कर बैठी थी. इधर सुलेमान भी जानता था कि दस मिनट में हवेली आ जायेगी. इसलिये उसने अपना खेल खेलना शुरू कर दिया. अब वह पहले की तरह काव्या से चिपकने की कोशिश नहीं कर रहा था. सुलेमान रिक्शा के एक कोने में चुपचाप बैठा हुआ काव्या को देख कर रोने की कोशिश करता है और अजीब से मुह बनाता है. काव्या अब समझ गयी थी कि सुलेमान कुछ कहना चाहता है पर बोल नहीं पा रहा...

काव्या - सुलेमान जी क्या आपकी हेल्थ कुछ अच्छी नहीं लग रही. आपको कुछ हुआ है क्या आपकी पत्नी ठीक तो है क्या नाम है अपनी वाइफ का यानी पत्नी का.

सुलेमान - ( मगरमच्छ के आसु निकालते हुए ) सलमा नाम है मैडम ! का बताये आपको कल वो अपने मायके जा रही है शायद हमेशा के लिये.

काव्या - क्यों ऐसा क्या हुआ.......?

सुलेमान - मैडम उसको लगता है कि मैं उसकी बीमारी का इलाज नहीं करवा सकता. क्योंकि मैं गरीब हू हमको कोण देखेगा कोण डॉक्टर इलाज करेगा.

काव्या - अरे इतनी सी बात आप को मैंने बोला तो था कि मैं अपनी पत्नी का इलाज कर दूंगी तो फिर इतना बड़ा फैसला क्यों ले रही है सलमा. देख लीजिये आप मैं तो तैयार हु.

सुलेमान - क्या मैडम जी सही मै. मुझको तो यकीन नहीं हो रहा आप करेगी ईलाज वो भी मुफ्त में.

काव्या - हाँ आपको यह बात मैंने कल भी बोली थी और आज भी बोल रही हूँ.

तभी सुलेमान सत्तू को बोलता है अबे ओये सत्तू सुना नहीं क्या तूने मैडम ने क्या बोला वो मेरी बेगम का इलाज करने को तैयार है तू चल ऑटो अपनी झोपड़ी की तरफ गुमा ले. चल जल्दी कर

यह सुनते ही काव्या को तो जैसे कोई शौक लग गया हो.

काव्या - नहीं नहीं सुलेमान जी मेरे कहने का मतलब यह नहीं था कि मैं अभी के अभी ही आपकी पत्नी का इलाज करुँगी. अभी तो मुझको घर पहुंचना है जल्दी से जल्दी.

सुलेमान - मैडम नहीं आपको अभी ही चलना होगा मेरे साथ वरना कल तक तो मेरी बेगम जोरु निकल जायेगी.

काव्या - सुलेमान जी आप समझ क्यों नहीं रहे है कि मुझको अभी हवेली पहुंचना पड़ेगा. मेरी दादी ने मुझको एक निश्चित समय दिया हुआ है उस पर अगर मैं नहीं पहुंची तो समस्या खड़ी हो सकती है. दादी रणधीर अंकल को बोल सकती है.

रणधीर का नाम सुनते ही सुलेमान और सत्तू का मुह उतर जाता है. सुलेमान की तो सारी गर्मी ही निकल जाती है.

अब सुलेमान थोड़ा ज्यादा रोने का नाटक करता हुआ काव्या के थोड़ा पास जाकर उसका एक हाथ पकड़ लेता है. यह देख काव्या को बहुत अजीब लगता है पर वो एक डॉक्टर भी थी इसलिये उसने इसका विरोध नहीं किया.

सुलेमान - मैडम अगर आज आप नहीं आयेगी तो कल सुबह तक तो मेरी जोरु उसके मायके हमेशा के लिये चली जायेगी.

अब सुलेमान काव्या के बिना आस्तीन वाले ब्लाउज पर अपने काले हाथ को फेरता हुआ एक अलग सी आवाज में बोला आप समझ रही है मैं क्या बोल रहा हू.

अब तो जैसे काव्या के शरीर के सारे रोंगटे खड़े हो जाते है सुलेमान के ऐसा करते हुए. काव्या के पूरे शरीर में आग सी दोड़ जाती है यह आग क्या थी वो उसको नहीं मालूम पर अब काव्या खुद को शांत करती है और सुलेमान को अपने पास से थोड़ा अलग करती है और एक दम कोने में चली जाती है.

काव्या - देखो सुलेमान जी आप एक काम करो अपनी पत्नी को आप शाम को हवेली ले आओ. मैं वहां उसका ईलाज कर लुंगी.

सुलेमान - नहीं मैडम जी हमरा और गाँव के किसी भी आदमी का हवेली में आना मना है. और मेरी बेगम इतनी समस्या में कहीं बाहर जा भी नहीं सकती. आप ही को घर आना पड़ेगा.

काव्या अब सुलेमान की चिकनी छुपाती बातों को कुछ कुछ समझ रही थी पहले सलमा का उसके मायके जाना कल के कल. और आज कहीं घर से बाहर निकलने जैसी स्थिति भी नहीं होना. अब काव्या को लगता है जरूर कुछ ना कुछ गडबड है. सुलेमान जी कुछ छुपा रहे है शायद. पर काव्या एक डॉक्टर है उसको हमेशा खुद से ज्यादा अपने पेशेंट यानी मरीजों की चिन्ता रहती है इसलिये अब काव्या किसी भी बात का विरोध नहीं कर रही थी.

काव्या - सुलेमान जी अब आप ही देख लीजिये मैं क्या कर सकती हूं आपके लिये. आप ही कोई तरीका बता दीजिये.

अब सुलेमान तो जैसे किसी पागल की तरह खुश हो जाता है उसको लगता है कि उसने काव्या को अपनी बातों में रख लिया. अब सुलेमान काव्या के सामने एक प्रस्ताव रखता है पर इस बार वह पहले से भी ज्यादा काव्या के पास जाकर उसके गोरे और कोमल हाथो को कस के पकड़ कर बोलता है

सुलेमान - मैडम मेरे पास एक तरीका है मेरी समस्या का अगर आप बुरा नहीं माने और ना नहीं बोले तो आपको बताउ...?

काव्या को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि सुलेमान बार बार उसका हाथ क्यों पकड़ रहा. इस बार तो कुछ ज्यादा ही जोर से पकड़ कर रखा था. इसलिए काव्या ने जल्दी से बोला हा बताओ में बुरा नहीं मानूगी. आप बोलो.

अब सुलेमान गंदी हसी निकालते हुए बोलता है

सुलेमान - मैडम एक तरीका है आप क्यों ना आज रात को मेरी खोली में आ जाओ मेरी बेगम को देखने और इलाज करने के वास्ते.....

सुलेमान के पजामे में टेंट बनता देख और उसकी रात में आने वाली बात सुनते अब काव्या की गर्मी और बढ़ जाती है उसको अब अपनी चुत मैं कुछ पानी जैसा महसूस हो रहा था. और साथ ही सुलेमान के काले हाथो को अपने गोरे कलाई और भुजा पर घूमते देख कर तो हालत अब बिगड़ रही थी. उसको आज तक किसी पराये या दूसरे मर्द ने ऐसे नहीं सहलाया था. पर अब काव्या खुद को होश में लाती है ईन सब वाक्यों के बीच कहीं ना कहीं अब काव्या को भी हल्का हल्का मजा आ रहा था. पर साथ ही काव्या को गिल्टी भी फिल् हो रहा था.

पर अब काव्या यह सब छोड़ सुलेमान की बात का जवाब देती है

काव्या - क्या सुलेमान जी आप क्या बोल रहे हो यह असंभव है मैं रात को नहीं आ सकती. दादी जी नहीं मानेगी और वेसे भी मुझको रात को हवेली छोड़ने की इजाजत नहीं मिलेगी. मुझको रात को नहीं आना.

सुलेमान - मैडम जी सिर्फ मेरी बेगम के वास्ते आधे घण्टे के लिये आप आ जाओ. ये सत्तू आपको लेने आ जायेगा और छोड़ भी देगा.

काव्या - सुलेमान जी आप समझ नहीं रहे है मुझको रात को कहीं भी जाने की इजाजत नहीं मिलेगी दादी से. मैं नहीं आ सकती. प्लीज समझिये.

सुलेमान - फिर तो एक ही तरीका है कि मै सलमा को हमेशा के लिये जाने दु. और मेरा घर परिवार उजड़ जाये. आप को तो काफी खुशी मिलेगी यह देख कर. मुझको सब पता है आप अमीर घर की हो कहा मेरे जैसे गरीब की झोपड़ी मैं आएगी. वो भी एक गैर धर्मी के यहा.

काव्या - देखो सुलेमान जी आप जो बोल रहे है वैसी कोई बात नहीं है मैं आपकी सिर्फ मदद ही करना चाहती हूं. पर मैं मजबूर हू आपको समझना पड़ेगा.

सुलेमान अब थोड़ा गुस्से में आता है अपना खेल बिगाड़ते देख कर. और थोड़ी तेज आवाज में बोलता है क्या मजबूरी है आपकी आप आधा घंटा नहीं निकाल सकती मेरे लिये..... मैं पराया हू
क्या......?

सुलेमान - आप एक काम करो अगर आप सही में मेरी मदद करना चाहती हो तो आप रात को 9 बजे जब सब सो जाएंगे तब आप आपकी हवेली के पीछे वाले गेट से बाहर आ जाना किसी को भी बिना बताये. मैं सत्तू के साथ रिक्शा ले कर खड़ा रहूँगा. आप जल्दी से मेरी बेगम को देख लेना इलाज कर देना और मैं आपको वापस छोड़ दूँगा हवेली में. किसी को भी नहीं पता चलेगा और आपकी दादी भी कुछ नहीं बोलेगी.

काव्या को अब बहुत कुछ समझ में आ रहा था कि सुलेमान आज ही इतना जोर क्यों दे रहा है. पर हो सकता है सुलेमान जी सच भी बोल रहे हो. और यह तरीका भी सही है किसी को पता भी नहीं चलेगा और मुझको सुलेमान जी से छुटकारा भी मिल जायेगा. साथ ही सलमा का इलाज भी हो जायेगा.

अब काव्या काफी कुछ सोच कर और एक डर के साथ सुलेमान को हाँ बोल देती है पर एक शर्त के साथ की सुलेमान इसके बारे में किसी को नहीं बतायेगा. सुलेमान भी हाँ बोल देता है. फिर हवेली आ जाती है और काव्या तुरंत ही रिक्शा से उतर कर सत्तू को कुछ रुपये दे कर हवेली में चली जाती है.

अब सुलेमान और सत्तू काव्या को हवेली जाने देख पीछे से देखते है और काव्या की गांड को देख कर सत्तू अपने लण्ड में हाथ डालकर हिलाने लगता है और बोलता है वाह सुलेमान भाईजान मान गए आपको क्या फंसाया है आपने इस डॉक्टरीया को.

सुलेमान - देख मादरचोद मेरी किस्मत कैसे चमकने वाला है तू देखता जा बस. पहले तू यहा से निकल कोई देख लेगा तो सब गडबड हो जायेगा.

और दोनों कलूटै वहां से निकल जाते है.

जारी रहेगी
 

deeppreeti

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पत्नी की खूबसूरत दोस्त की चुदाई

Update 03


मैं अब थोड़ा हताश हो रहा था, मैं उसे चाहता था। उसकी तरफ देखकर मुझे मुश्किल हो रही थी। मैं अभी भी अपने शॉर्ट्स में था। शिप्रा आसपास थी। मैं किसी भी संकेत को छोड़ना चाहता हूं या उसे संदेहास्पद बनाने के लिए कुछ भी करना चाहता हूं।

मैं जल्दी से शॉवर लेने चला गया। अपने सारे कपड़े उतार कर मैंने अपना लंड हाथ में पकड़ रखा था। मेरे लंड के सिरे पर थोड़ा सा प्री-कम, पहले से ही लीक हो रहा था, मेरा लंड एक ज्वालामुखी की तरह फूटना चाहता था और कुछ मलाईदार सह को बाहर निकाल रहा था, लेकिन मैंने नहीं किया। मैं उसके लिए अपनी वासना की थोड़ी सी भी कमी नहीं करना चाहता था। मैं चुपचाप था आशावादी उसे जल्द ही मुझे मिल रहा है। तो मैंने उसके बारे में सोच कर हस्तमैथुन करके अपनी वासना को नहीं मारा। मैं अपने सह की एक भी बूंद को खोना नहीं चाहता था, ताकि मैं उसके मुंह को पूरी तरह से भर सकूं, जब वह मुझे एक ब्लोजॉब देता है या मेरे अंडकोष में पर्याप्त सह संग्रहित होता है, जब वह अपने अद्भुत जोड़ी के ऊपर सह लेती है। बूब्स का। जल्द ही मैंने कुछ महिलाओं के हंसने की आवाज़ें सुनीं और मैं अपने सपने देखने के दिन से बाहर आ गया।
जल्द ही हम तैयार हैं और होटल के लिए रवाना हो गए। यह वास्तव में शहर के बाहरी इलाके में एक रिसॉर्ट था। हमें पहुँचने में लगभग 50 मिनट लगे। जैसे ही हम पहुंचे शिप्रा के अधिकांश चचेरे भाई वहाँ हमारा इंतजार कर रहे थे। सभी को रेशम की उपस्थिति से बहुत खुशी हुई। अभिवादन और आलिंगन काफी समय तक चला। यह स्पष्ट था कि रेशम ने परिवार के साथ एक बहुत मजबूत बंधन साझा किया। वह उनके लिए बेटी की तरह थी।

जल्द ही मेहमान आने शुरू हो गए, जगह शांत हो गई। समारोह और समारोह शुरू हो गए थे। लेकिन मैं अभी भी रेशम को अपने दिमाग से बाहर नहीं निकाल सका। वह हमेशा दृष्टि में थी। मेरी नजरें उस पर सबसे ज्यादा गुदगुदाती थीं। हर जगह उसका पीछा करते हुए वह चली गई। वो भी देख रही थी। हमारी आँखें हर बार मिलतीं, वह मुझे एक मुस्कान देती। मुझे एहसास हुआ कि वह ज्यादातर समय मुझ पर नजर रखती थी। लेकिन हमारे आसपास की भीड़ के कारण हम एक दूसरे से ज्यादा बात नहीं कर सके। अंत में मुझे उससे बात करने के लिए कुछ पल मिलते हैं। शिप्रा अपने किसी रिश्तेदार से इस बीच बात कर रही थी।

मैं – यहाँ बहुत सारी खूबसूरत महिलाओं में से आप सबसे अच्छी दिखती हैं।

रेशम – सच! , प्रशंसा के लिए धन्यवाद।

मैं – आप लोगों के लिए ग्रूमिंग क्लासेस चला रहे होंगे।

रेशम – आपको महिलाओं के साथ प्रशंसा और इश्कबाज़ी करने के लिए कक्षाएं चलनी चाहिए।

लेकिन कुणाल कृपया थोड़ा और सतर्क रहें, शिप्रा के चचेरे भाई बहुत शरारती हैं, अगर वे कुछ देखते हैं तो वे उन्हें छेड़ने का मौका नहीं छोड़ेंगे। यह हम दोनों के लिए वाकई शर्मनाक होगा।

मैं – किसी को इतनी भव्यता से नहीं देखना वास्तव में कठिन है।

मैं अपनी जेब से अपना फोन निकालता हूं और मैं उसे “हैलो प्रिटी लेडी” का पाठ सुनाता हूं, वह फोन चेक करती है। उसके होठों पर मुस्कान फैल गई। उसने मुझे “हेलो मिस्टर हैंडसम” लिखा और हम दोनों हँसी में फूट पड़े।

मैं – क्या यह बेहतर है?

रेशम – हम्म, यह थोड़ा सुरक्षित है

दिन बीतता जा रहा है और हम अब फोन पर संवाद कर रहे थे। हमारी मजेदार चैट और उसके साथ मेरी थोड़ी छेड़खानी जारी है। अंत में सभी लोग शाम के लिए तैयार हो रहे थे। बरात के आने का समय हो गया था। जल्द ही लोग रिसेप्शन लॉन में इकट्ठा होने लगते हैं। मैंने अपने आप को ब्लैक ट्राउज़र, सफेद शर्ट और ब्लेज़र पहना।

रेशम ने गुलाबी और हरे रंग का लंहगा पहना था। इतनी सुंदर और भव्य दिखना कोई अड़चन नहीं थी, मुझे पहले से ही पता था कि वह जो भी पहनती है उसमें वह बहुत खूबसूरत दिखती है। लेकिन फिर भी इस बार जब मैं उसे देखता हूं तो मेरे दिल की धड़कन रुक जाती है और फिर जोर से धड़कता है। वह एक ताजा फूल की तरह ग्रेसफुल और नाजुक दिख रही थी।

शिप्रा, रेशम और कुछ अन्य लोग हमसे जुड़ते हैं और हम एक बड़ा समूह बनाते हैं। हम शाम का आनंद लेते हुए हँसते हुए बात करते हुए अपना समय बिताते हैं। जल्द ही ग्रूम फैमिली का आगमन होता है। शिप्रा और रेशम समूह को छोड़ देती है और दुल्हन और दूल्हे के बीच माला के आदान-प्रदान के लिए स्टेज पर उसके साथ तीना के कमरे में जाती है।


समारोह के तुरंत बाद, पुरुष बार काउंटर पर ड्रिंक्स का आनंद ले रहे हैं। मैं वहां कुछ चचेरे भाइयों के साथ हूं। कुछ समय में मैंने नोटिस किया कि शिप्रा और रेशम कुछ दूरी पर बैठकर मॉकटेल का आनंद ले रहे हैं।

मैने रेशम को मेसेज किया “कुछ पेय के लिए मेरे साथ आओ”

रेशम – “काश मैं भी ऐसा कर पाती, पर यहाँ मेरे लिए यह संभव नहीं है”

मुझे – “चलो फिर बाहर जाना है”

रेशम – “हा हा, क्या तुम पागल हो, मैं यहां लोगों को क्या बताऊंगा, मैं तुम्हारे साथ कुछ ड्रिंक्स के लिए जा रहा हूं”

मैं- “आपको इतना ईमानदार होने की जरूरत नहीं है, एक कॉलेज गर्ल हो, कुछ कक्षाएं’ बंक करें

रेशम – इसका क्या मतलब है, मैं तुम्हें नहीं मिला ??

मैं – हो सकता है कि आप घर वापस जाना चाहते हों और हो सकता है कि आप ठीक न हों और अपने घर पर आराम करना चाहते हों।

रेशम – “हे भगवान। आप चाहते हैं कि मैं बीमार होने का नाटक करूं? ताकि मैं घर वापस जा सकूं ”

मैं- “मैं तुम्हें वापस छोड़ने से ज्यादा खुश रहूंगा; हम साथ में कुछ पेय का भी आनंद ले सकते हैं ”

उसने मुझे वापस पाठ नहीं किया। मैं बेसब्री से मेरा फोन चेक करता रहता हूं। कुछ समय में मैंने शिप्रा और रेशम को अपनी ओर चलते देखा।

शिप्रा- सुनो डियर, रेशम ठीक नहीं है। मुझे लगता है कि उसे एक डॉक्टर को देखने की जरूरत है। वह घर वापस जाना चाहती है। क्या करे?

मुझे – “चलो उसे पास के डॉक्टर के पास ले चलो”

रेशम – नहीं, मैं ठीक हो जाऊंगा, बस मुझे घर छोड़ दो कुणाल। इस बार आप लोगों को इतनी असुविधा होने का मुझे खेद है।

शिप्रा- कोई रास्ता नहीं रेशम। पहले आप डॉक्टर के पास जाते हैं, फिर अगर आप चाहते हैं कि कुणाल आपको वापस घर छोड़ देगा।

अंत में हम चीजों को काम करते हैं और हम निष्कर्ष निकालते हैं कि मैं रेशम को एक डॉक्टर के पास ले जाऊंगा और फिर उसे वापस घर ले जाऊंगा और फिर शादी में वापस आऊंगा। तेना के साथ शिप्रा वापस रहेगी।

अगले कुछ मिनटों में रेशम मेरी कार में आगे की सीट पर बैठी है और मैं गाड़ी चला रहा हूं। वह अभी हुई चीजों के बारे में सोचकर हँसना बंद नहीं कर सकती।

रेशम – आप एक असली शैतान हैं। आपने मुझे अपने सबसे अच्छे दोस्त से झूठ बोला।

मैं – इसका गुड कभी-कभी थोड़ा शरारती हो जाता है। तो लेडी अब हम कहाँ जा रहे हैं? डॉक्टर के पास?

रेशम – हा हा, मुझे घर ले चलो।

मैं तेजी से गाड़ी चलाता हूं और हम उसके घर पहुंचते हैं। मैं ट्रंक से स्कॉच की एक बोतल निकालता हूं जिसे मैंने कुछ समय के लिए बफर स्टॉक के रूप में छिपाया था। वह बोतल देखती है और मुस्कुराती है।

कहानी आगे जारी है
 

deeppreeti

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पत्नी की खूबसूरत दोस्त की चुदाई

Update 04


हम अंदर जाते हैं, दरवाजा बंद करते हैं। मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था, मैं थोडा घबरा रहा था और गोज़बम्प्स का अनुभव कर रहा था। उसे बेचैनी भी लग रही थी। उसके चेहरे पर मुस्कान इस समय कृत्रिम लग रही थी। हम दोनों चीजों की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन हम में से कोई भी 1 कदम नहीं बना रहा था।

वह खुद को एक सोफे पर गिराती है, अपनी ऊँची एड़ी के जूते उतारती है और वह मुझे देखकर मुस्कुराती है।

मैं – आप को तंग किया जाना चाहिए?

रेशम – थोड़ा। उसने सिर हिलाया

मैं सोफे के पीछे खड़ा हूं। मैं थोड़ा झुकता हूं और अपने चेहरे को उसके करीब लाता हूं, उसके उभरे हुए स्तन को देखता हूं।

मैं – मैं तुम्हारी गर्दन पर थोड़ी मालिश कर दूं। तुम अच्छा महसूस करोगे।

मैंने उसके कंधे पर धीरे से हाथ रखा। वह उन्हें उठाती है, मेरी उंगलियों को अपने हाथ में रखती है।

रेशम – ना। अम्म नं। इट्स ओके, कुणाल। मैं ठीक हो जाऊँगा। आओ यहाँ बैठो।

मुझे उसके स्वर में संकोच हुआ। मैं अपने हाथ पीछे ले गया और मैं और झुक गया। मेरा चेहरा उसके करीब था।

मैं – आराम रेशम। इसके सिर्फ दो हमारे यहाँ, शिप्रा यहाँ नहीं है, उसके चचेरे भाई यहाँ नहीं हैं। यहां जो कुछ भी होता है वह सिर्फ हमारे बीच होता है। चलो इन क्षणों को बर्बाद न करें।

वह मुस्कुराता है और मेरी आँखों में वापस देखता है। मैं आगे बढ़ता हूं और मैं उसके होंठों को धीरे से स्पर्श करता हूं। मैं अपना चेहरा उसके पास रखता हूँ। उसने मुझे धीरे से वापस चूमा। मैं उसे उसके ठोड़ी, गाल और माथे से अधिक चुंबन, हर बार जब मैं उसे चूमने वह मुझे वापस चूमा,

मैं उसके कानों से फुसफुसाया “आज रात मेरी हो।”

रेशम – मैं तुम्हारा सब कुछ हूँ।


मैं सोफे के सामने आ गया। मैं उसका हाथ माँगता हूँ, उसने धीरे से मेरी हथेली पर रख दिया। मैं उसका स्टैंड मेरे करीब कर देता हूं। मेरा दाहिना हाथ उसकी कमर के आसपास चला जाता है और मैं उसे मजबूती से पकड़ लेता हूं। उसने अपने पैर की उंगलियों को मेरे पैरों पर रख दिया। मुझे उसके नाजुक कोमल शरीर का अहसास होता है।


मेरी पकड़ टाइट हो जाती है, इसलिए मेरा लंड पत्थर की तरह है, उसे लगा होगा कि उसकी जांघों के खिलाफ। उसके फर्म बूब्स को मेरी छाती के खिलाफ दबाया गया। वह जोर से सांस ले रही थी। हर बार जब उसने साँस खींची तो मैं अपनी ठुड्डी उसकी गर्दन पर महसूस कर सकता था। हर बार जब वह साँस लेता है तो उसके स्तन मेरे सीने के ऊपर और नीचे हिलते हैं। उसे इतने करीब से पकड़ना एक अद्भुत एहसास था। वह एक फूल, नरम और नाजुक की तरह महसूस करती थी।
हम एक-दूसरे को तीव्र निगाहों से देखते हैं। मैंने अपने होंठ उसके ऊपर रख दिए और हमने गहरी चुसाई की। मेरी जीभ उसके मुँह में चली जाती है और उसकी मेरी। हम एक दूसरे का पता लगाते हैं और यह लंबे समय तक जारी रहता है, वह गर्म और मीठा महसूस करती है। मेरे होंठ उसके निचले होंठ चूसते हैं मैं धीरे से उसकी ठुड्डी को काटता हूं। वह मेरे बालों के माध्यम से अपनी उंगलियां चलाती है और धीरे से मेरे सिर को पीछे खींचती है। वह जोर से सांस ले रही थी और वह कम स्वर में कराह रही थी। हम दोनों अब तक सुपर हॉर्नी थे। मैं अपने हाथ में उसके चेहरे पकड़ और फिर उसकी एक और गहरी फ्रेंच चुंबन कि लंबे समय तक रहता है पर अपने होंठ रख दिया। हम दोनों एक दूसरे की जीभ, होंठ चूसते हैं और कभी-कभी धीरे से एक दूसरे को काटते हैं।

उसने मुझे सोफे पर धक्का दे दिया; वह मेरी जांघों पर अपने घुटनों के बल बैठ गई और अलग-अलग फैल गई। वह मेरे खिलाफ झूठ बोलता है; वह खुद को ढीला कर लेती है और अपने शरीर का वजन खान पर डाल देती है। मैंने अपनी बाहें उसके चारों ओर डाल दीं। उसके पास पकड़; उसके रसीले स्तन मेरे चेहरे के ठीक सामने थे। उसके उभरे हुए कर्व मेरी ठुड्डी को छू रहे थे। मैंने अपना हाथ धीरे से उनके ऊपर रख दिया और धीरे-धीरे मैंने उनकी बाईं बूब को अपनी हथेली में पकड़ना शुरू कर दिया। मैं उन्हें देखने के लिए अब और इंतजार नहीं कर सकता था, लेकिन उसने जो ब्लाउज पहना था, उसने मुझे अंदर से झांकने का ज्यादा मौका नहीं दिया। मैंने उसका ब्लाउज उतार दिया। वह मुझे उसके शरीर से निकालने में मदद करती है। वह अपने हाथों को अपने ब्लाउज से बाहर निकालती है और उसे फर्श पर फेंक देती है। उसकी त्वचा के रंग की ब्रा में उसकी चिकनी गहरी दरार मेरे सामने थी। उसके डी कप साइज़, उसकी फेयर स्मूद स्किन ने उसे सेक्स देवी या अप्सरा का सच्चा इंसान बना दिया। उसकी ब्रा के स्ट्रिप्स और बैंड वास्तव में पतले थे और शायद ही उसके कर्व्स को पकड़ सके। मैं अपनी जीभ से उसकी दरार को छूता हूँ। मैंने उसकी त्वचा को आइस-क्रीम की तरह चाटा। मैं ही वह अपने दरार के मध्य में चुंबन और फिर मैं धीरे से उसके स्तन से अधिक मेरी उंगली चलाने के लिए, उसकी त्वचा शहद की तरह चिकनी महसूस किया। मैं उसके स्तन देख हर बार वह एक गहरी सांस आकर्षित प्यार करता था। मैं उसे सब उसके स्तन, कंधे और गले से अधिक चुंबन। मैंने अपने दांतों से उसकी ब्रा की पट्टी पकड़ ली और मैंने उसे अपने कंधे से नीचे खींचते हुए बताया कि उसके स्तन नुकीले और उभरे हुए हैं। मैं उसे कुछ और समय के लिए इस तरह देखना चाहता था, लेकिन मैं अपने आग्रह को पकड़ नहीं सका।


मैं अपना सिर उसके चॉकलेट स्तन मेरे मुंह में डालने के लिए आगे बढ़ा। मैं उसकी चूची को अपने मुँह के अंदर ले लेता हूँ और उसे जोर से चूसता हूँ, मैं अक्सर उसे अपनी जीभ की सतह से चाटता हूँ और कभी-कभी अपनी जीभ की नोक से उसे छेड़ता हूँ। जब मैं लंबे समय तक उसकी बाईं चूची को चूसता रहा, तो मेरा हाथ उसके दायें बूब के साथ खेलता रहा। मैं कभी-कभी उसके दाहिने निप्पल को धीरे से और थोड़ा मुश्किल से चुटकी में दबा देता हूँ, लेकिन उसे लग रहा था कि मैं उसके शरीर के साथ जो कुछ भी कर रहा हूँ, उसका आनंद ले रहा हूँ। जैसा कि मैंने उसे बहुत मुश्किल से चूसा, मैंने उसकी बाईं निप्पल को अपनी लार से गीला कर दिया। उसने मेरा सिर अपनी बाहों में पकड़ लिया और मेरे चेहरे को अपने स्तन के खिलाफ दबा दिया। मैं उसे सब कुछ खत्म स्तन चुंबन। मैंने अपनी जीभ से पूरे बूब्स को चाटा। फिर दाहिने निप्पल पर मैंने उसे अपनी जीभ की नोक से चिढ़ाया। मेरी जीभ की नोक से उसके निपल्स पर हलकों को बनाते हुए और उसके निप्पल को काटते हुए, वह जोर से कराहती है।


उसका नाजुक शरीर मेरे भीतर एक आग जगाता है और मैं उसे वास्तव में कठिन बकवास करना चाहता था। मैं अब मजे से उसकी कराह सुनने को उत्सुक था। मैंने दृढ़ता से उसे उसकी कमर के चारों ओर पकड़ा और उसे सोफे पर नीचे लाया। मैं अपने पैरों पर खड़ी हो जाती हूं। वह मुझे उसकी आँखों में उत्सुकता से देखती है। मैंने अपनी पतलून से बेल्ट उतार दी। मैंने अनबटन किया और फिर धीरे से अपने पतलून को खोल दिया। मैंने इसे अपने घुटनों पर गिरा दिया, मैं उसके सामने अपने ग्रे ब्रीफ्स में खड़ा था, मेरा लंड हार्ड एन इरेक्ट, एक बड़ा उभार अंदर। मैं उसकी आँखों में देखता हूँ लेकिन उसकी आँखें मेरे इरेक्शन को घूर रही थीं। वो अपने निचले होंठ को काट रही थी और मेरे लंड को देख कर बहुत तड़प रही थी। मैं सोफे के करीब जाता हूँ n वह आँखों में देखता है। मैं उससे कम स्वर में पूछता हूं।
“मेरे लोलीपॉप खाना चाहते हैं”


उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रखा और फिर उसे अपनी हथेली में पकड़ लिया। वह वास्तव में कठिन है और मुझे स्ट्रोक शुरू होता है। उसके अंदर की बुरी लड़की अपने रंग दिखाने के लिए अधीर हो रही थी। वह मेरी कच्छा नीचे खींचती है और मुझसे पूछती है कि मेरे पैरों से पतलून पूरी तरह से दूर हो। मैं अपने लंड को उसके होंठों पर लगाने के लिए उत्सुक था, लेकिन वह जल्दबाज़ी में नहीं लग रही थी। वह अपने हाथ में मुर्गा रखती है और उसे धीरे से हिलाती है। मेरे शाफ्ट पर उसके नरम हाथ मुझे स्टील की तरह सख्त बनाते हैं। वह मुझसे कहती है कि अपने हाथों को मेरे बट के पीछे से बंद रखो। वह मेरे लंड पर थूकती है, और फ़ौरन पीछे की ओर खींचती है। मेरा साफ बड़ा गुलाबी टॉप वाकई लॉलीपॉप की तरह लग रहा था। और फिर उसने अचानक से मेरे लंड को थप्पड़ मारा। वह उसे फिर से जल्दी से थप्पड़ मारती है। अह्ह्ह्हह्ह मैं दर्द में झड़ जाती हूँ। एक दुष्ट क्रूर मुस्कान उसके चेहरे पर फैल गई। वह मेरी मुर्गा के साथ खेलता है, यह संपर्क में आए और यह पथपाकर, तो वह अपने होंठ मेरे लिंग की नोक के करीब लाता है, वह यह चुंबन, मैं पीछे से मेरे हाथ को रिहा n मैं उसके बालों के माध्यम से चलाते हैं। मैंने उसके सिर को पीछे खींचा और मैंने कहा “मुझे खाओ – रेशू”


वह मेरे ऊपर जीभ रखती है और वह उसे आइसक्रीम की तरह चाटती है। उसने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और उसने अपनी जीभ को मेरे गुलाबी टॉप के ऊपर टिका दिया, फिर उसे आइसक्रीम कोन की तरह चाटने लगी। वो उस पर लार टपकाती है और फिर मेरा लंड उसके मुँह में डाल देती है। वह इसे अपने मुंह में रखकर खेलती है, उसे अपनी जीभ से रगड़ती है और धीरे से मेरे लंड को अपने दांतों से पकड़ती है। फिर वो धीरे-धीरे उसे चूसने लगी; उसके सिर को आगे पीछे धीरे-धीरे घुमाते हुए। वह अपने होंठों से मेरे लंड के ऊपर एक कस के पकड़ लेती है। हर बार जब वह मेरे लंड को अपने मुँह से अंदर-बाहर करती है, तो मुझे उसके रसीले होंठ मेरे लंड की हर नस पर महसूस होते हैं। उसने जो सनसनी पैदा की वह अद्भुत थी, यह मेरे जीवन में अब तक का सबसे अच्छा सिरदर्द था। मैंने उसके सिर को अपने हाथ में पकड़ लिया और मैं धीरे-धीरे उसके मुँह को चोदने लगा। जैसे ही मैं उसके सिर को पकड़ कर उसके बाल पकड़ता हूँ, वह मेरी आँखों में झाँकती है। हमारे बीच एक गहन संपर्क था और मैंने अपने लंड को उसके मुँह तक गहरा धकेल दिया। मैंने अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया और उसने अपने होंठों से मेरे लंड के चारों ओर एक सख्त पकड़ के साथ जवाब दिया। मैं कुछ देर तक उसके मुँह को चोदता रहा और हम आँख मिलाते रहे। मेरा लंड अब सह के साथ लोड हो रहा था और मैं उसके मुँह में ज्वालामुखी की तरह फटने की कगार पर था। मैं खुद को रोक लेता हूं। मेरे लंड से थोड़ा सा प्रीरम लीक हो गया। मुझे थोडा शर्मिंदगी महसूस हुई, उसे होश आया, और उसने मेरे लंड को अपने मुँह से बाहर निकाला और लंड के सुपारे को चाटा। प्रीटम को चाटना और निगलना। “आपका सह स्वाद वास्तव में अच्छा कुणाल है।” यह सुनकर मुझे राहत मिली और हम दोनों इस पर हंस पड़े।

मैं झुकता हूँ और उसे अपनी बाहों में लेता हूँ। मैं उसे बेडरूम में ले गया और बिस्तर पर लिटा दिया। मैं उसके बगल में लेट गया, हम एक दूसरे को स्मूच करते हैं, और वह लुढ़क जाती है और ऊपर आती है। वह मेरी शर्ट खोलना n मेरी छाती को चूम। उसने मेरी बनियान उतारी और मैंने उसे उतार दिया। उसे नाजुक नरम हाथों से उसने मुझे छाती पर मालिश, वह मुझे सब कुछ खत्म हो चुंबन और वह धीरे से मुझे काटता है। वो मेरे ऊपर लेट गई। उसके बड़े स्तन मेरे थोड़े से बालों वाली छाती के खिलाफ दब गए। मेरे नग्न सीने पर उसके नग्न स्तन वास्तव में अच्छा लगा। मैंने उसे नीचे लाने के लिए रोल किया।


मैं बिस्तर से नीचे उतर गया। मैं अपने घुटनों पर जाता हूं, मैं उसे बिस्तर के कोने पर खींचता हूं। उसका ऊपरी शरीर आराम से बिस्तर पर टिका होता है और उसके पैर फर्श से लटक जाते हैं। मैं उसे घाघरा अंदर मेरे सिर रख दिया, मैं उसके पैरों, घुटनों चुंबन और उसकी जांघों को सभी तरह से चला गया, और मैं उसे अपनी जीभ से चाटना और उसके पहले से ही गीला जाँघिया के ऊपर से उसे बिल्ली चुंबन। गीला दाग उसकी योनी की दरार पर शांत था। उसके रस से सराबोर उसकी गीली चूत की सुखद खुशबू फूलों जैसी महसूस हो रही थी। मैं उसे उसे बिल्ली के दरार पर कई बार चुंबन। मैं उसके घाघरा का तल पकड़ता हूं और मैं उसे तब तक उठाता हूं, जब तक वह बेकार नहीं जाता। वो एक सेक्सी लेयर्ड ब्लैक पैंटी में थी। मैं नीचे गया, उसकी पैंटी नीचे खींची। उसकी योनी के आस-पास के नितंब के छंटे हुए बालों ने इसे सुपर सेक्सी बना दिया। मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रखा और मैंने उसे धीरे से थप्पड़ मारा।


म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म वह जाता है। मैंने उसकी गीली रसीली चूत के होठों को अपनी उँगलियों से फैलाया और मैंने अपनी जीभ उसके अंदर डाल दी। वह जोर से कराहती है, गर्म, नमकीन और गाढ़ा पानी का रस उसके योनी से मेरे मुंह में रिसता है। मैं इसे साफ चाटता हूं, लेकिन यकीन है कि वह इससे काफी गीला था। मैं फर्श पर लेट गया और उसे अपने चेहरे पर बैठने का इशारा किया। वह अपना घाघरा निकालती है, वह अपनी टांगों के साथ मेरी छाती के दोनों ओर फैल जाती है। वह बहुत सुंदर लग रही थी पूरी तरह से नंगी, मेरे सामने खड़ी थी, उसकी आँखों में वासना और थोड़ी बेशर्मी।


मैंने उसका हाथ अपने हाथ में पकड़ लिया और वह झुक गई। उसके घुटने मेरे चेहरे के बीच से अलग हो गए। मैंने अपनी जीभ उसके फूल पर रख दी। उसने अपने लंड को मेरे होंठों पर रगड़ा और मैंने अपनी जीभ उसके अंदर गहरी डाल दी, जितनी गहरी जा सकती थी। और मैं उसे चाटना शुरू कर दिया और उसे चूसना शुरू कर दिया, बस कुछ ही सेकंड में वह इसे किसी भी लंबे समय तक पकड़ नहीं सका और वह एक गहन संभोग के माध्यम से चला जाता है, उसके गर्म नमकीन रस उसकी चूत से मेरे मुंह में टपकता है और मैं इसे अपने गले के नीचे महसूस कर सकता था , मेरी जीभ पर एक नमकीन खट्टा स्वाद छोड़ रहा है। अगले कुछ सेकंड में उसकी चूत ने मुँह से नमकीन पदार्थ की एक बड़ी मात्रा बाहर निकाली और मैंने उसके प्रत्येक बूंद को चाटने और निगलने का प्रयास किया, वह खुद को पूरी तरह से महसूस करती है और मुझे बहुत अच्छा लगा।

एक बेहद खूबसूरत महिला, वासना, बेशर्म और नग्न उसकी गर्म रस के साथ मेरी प्यास बुझाने, एक आदमी के लिए और क्या चाह सकता है। यह स्वर्ग में होने जैसा था और वह एक अप्सरा थी जो मुझे प्रसन्न करती थी।


मैं उसकी चूत को अपने संभोग के माध्यम से चोदने के बाद चाटता रहा और अपने मुँह में छुड़ाने के बाद उसे भी मजा आ रहा था। उसने अपनी चूत मेरे मुँह पर रगड़ दी। मैं कभी-कभी इसे चाटता हूं कभी-कभी इसे चूसता हूं और कई बार मैं उसके नाजुक फूल को चोट नहीं पहुंचाने के लिए उसे धीरे से काटता हूं। मैं उसे थोड़ा उठने के लिए कहता हूं ताकि मैं अपनी जीभ को उसकी योनी से खेलता देख सकूं। वह अपना आसन बदलती है; वह अपना रुख मेरे चेहरे से थोड़ा ऊपर उठाती है। अब मैं उसके चारों ओर बड़े करीने से छंटे बालों के साथ उसकी सेक्सी भूरी चूत देख सकता था। मैंने उसकी दरार को आइसक्रीम की तरह चाट लिया; यह उसके सह के साथ अभी भी गर्म n नम था। सह के लंबे पतले धागे ने उसे चाटा। यह किसी तरह मुझे याद दिलाता है कि मेरे पास कंडोम नहीं है। मैंने उसे अपनी बाहों को उसके चारों ओर डालते हुए पकड़ लिया, मैं फर्श से उठ गया, क्योंकि उसके पास मेरी गर्दन के आसपास हथियार हैं और उसके पैर मेरे बट के पीछे बंद हैं। मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और मैं उसके ऊपर। मेरे लंड का टोपा उसकी चूत की दरार को छू रहा है। मैं उसके कान में फुसफुसाया। “मेरे पास कंडोम नहीं है”।


वह मुझे देखती है। “ओह कुणाल, दिस इज स्टुपिड, आपको एक पैक खरीदना चाहिए था जब हम वापस आ रहे थे”

मैं – मैं इसके बारे में बहुत निश्चित नहीं था, और मुझे थोड़ा डर था कि यह आपको अपमानित कर सकता है।

रेशम – अच्चा, तुमने क्या सोचा, मैं वापस क्यों आया, मैंने इतना नाटक क्यों बनाया; सिर्फ तुम्हारे साथ पेय के एक जोड़े के लिए। और बाई को प्रतीक्षा करें, जिसे एक महिला को चोदने के लिए कंडोम की जरूरत है, जब आप अपनी आंखों से ऐसा कर सकते हैं। और वह हंसी मुझे थोड़ा शर्मिंदा महसूस कर रही है। कुणाल ने मुझे आपका ध्यान आकर्षित करने में मज़ा नहीं दिया, मैं आपके साथ इतना दोस्ताना नहीं था, मैंने आपको हमेशा प्रिय संकेत दिए।

मैं – “तुम बहुत ज्यादा बात करते हो, मैं उसे अपने नीचे जकड़ लेता हूं, मैं अपने नितंब को ऊपर की ओर उठाता हूं और मैंने एक शक्तिशाली स्ट्रोक के साथ अपना लंड उसकी चूत में गहराई तक डाल दिया।

आआऊऊच शी मून्स जोर से। वह मुझे कस कर पकड़ती है; उसकी बाँहों ने मेरी गर्दन को मजबूती से पकड़ लिया। मैं अपना लंड उसकी चुत में गहराई तक घुसाता रहा।

मैं – अगर मेरे पास मेरे साथ कंडोम होता; मुझे तुम्हारी गर्म गीली चूत का यह अद्भुत अहसास छूट गया होगा। मेरे लंड को अपनी चूत की गर्मी और गीले रस में भीगने दो। मुझे आप के बीच में कुछ भी नहीं के साथ महसूस करते हैं, चलो मेरा मुर्गा तुम्हारा गीला गीला मांस के खिलाफ रगड़ना। मुझे बिना कंडोम के चोदो।

रेशम – आप पहले से ही कंडोम के बिना मेरे अंदर हैं; एहतियात के तौर पर मुझे सुबह एक गोली ले आओ। मुझे भी अपने अंदर अपने बड़े कड़क लंड का एहसास पसंद है। कुणाल ने मेरी चूत की चुदाई की। मुझे अच्छे तरीके से इंडो। अपने लंड का रस मेरी चूत के रस में मिला दे, और उसे बहने दे।


उसकी बात को सुनकर, मैंने अपने डिक को बाहर निकाला और मैं उसे एक शक्तिशाली स्ट्रोक के साथ फिर से प्रवेश करता हूं, वह कुछ दर्द के साथ विलाप करती है लेकिन बहुत खुशी होती है। इस स्टोक के साथ मैं फिर से उसके गर्म सफेद पानी को टपकने और अपने लंड को पूरी तरह से ढकने का अनुभव कर सकता था। उसने मुझे गहरे तक जाने के लिए अपने पैर फैला दिए। मैं धीरे-धीरे आगे बढ़ना शुरू करता हूं, ताकि मैं अपने मुर्गा को उसकी चूत के खिलाफ रगड़ महसूस कर सकूं और वह इसे अपनी योनी में जा रहा महसूस कर सके। हर जोर के साथ, मैंने यह सुनिश्चित किया कि मैं उसके सबसे गहरे संभावित स्थान पर पहुँचूँ। वह इतनी गर्म और गीली थी कि मैं आसानी से अपने लंड को अन्दर-बाहर कर सकता था। मैं उसकी चूत को जोर जोर से हिलाने लगा, मैंने अपने लंड की सबसे ज्यादा लम्बाई बाहर खींची और फिर एक झटके से उसके अंदर डाल दी, मेरी हरकत अब तेज़ हो गई थी, मैंने बड़ी ताकत और ताकत से उसकी चुदाई की, वो ज़ोर से कराह उठी; लेकिन मैंने इसकी परवाह नहीं की, मैं अपने डिक के साथ उसकी चूत पर जोर से मारता रहा। उसने अपनी टांगें मेरी कमर के चारों ओर लपेट लीं और उसने अपने नाख़ून मेरी पीठ में गड़ा दिए जैसे ही मैं उसे पूरे जोश में चोदने लगा। मैं सबसे तेजी से संभव गति से अंदर और बाहर जाता हूं, केवल तब धीमा होता हूं जब मैं उसके अंदर कमिंग के कगार पर था। यह मिशनरी चुदाई लंबे समय तक जारी रहती है।


उसके बाद मैंने अपने लंड से उसकी चूत पर हाथ फेरना बंद कर दिया, मैंने उसे अपने अंदर गहराई तक घुसाए रखा। उसके ऊपर लेटकर हम


दोनों एक दूसरे की आँखों में देखते हैं; हम चुंबन और गहरा चुंबन फिर से हमारे जीभ एक दूसरे के मुंह की मिठास का पता लगाने दे।
मैं बिस्तर से नीचे उतर गया। मेरे पैरों को अलग कर दें और मैं उसे अपने चेहरे के साथ बिस्तर के कोने पर आने के लिए कहता हूँ। मैंने उसके नितंब के नीचे तकिया लगा दिया; उसने अपने पैर फैला दिए और मैंने अपना लंड अंदर डाल दिया। मैंने उसे जोरदार झटके देने शुरू कर दिए।
स्थिति ने मुझे उसके नग्न शरीर और उसके सुंदर चेहरे और उसके भावों का एक अद्भुत दृश्य दिया, जबकि मैं उसे चोदता हूँ, उसके बूब्स हर बार मेरे लंड को अन्दर-बाहर करते हुए उछलते-कूदते हैं। गहराई तक पहुँचने के लिए यह आसन मेरे लिए बहुत सुविधाजनक था। हर जोर के साथ मेरा चड्डी उसके बट के खिलाफ मारा। मेरे चूतड़ों से उसके चूतड़ टकराने की आवाज और उसकी कराह से कमरा भर गया। उसके हाथ बिस्तर की चादर से लिपट गए; जब मैंने उसके लंड को जोर से हिलाया तो उसने अपना निचला होंठ थोड़ा सा हिलाया।


वह मुझसे कुछ देर रुकने को कहती है और वह जल्दी से अपने हाथों और घुटनों पर, एक डॉगी स्टाइल में चली जाती है। बिस्तर के विपरीत एक बड़ा दर्पण था जिसने मुझे उसके इस कुतिया मुद्रा में उसके बारे में एक उत्कृष्ट दृष्टिकोण दिया था, उसके बड़े स्तन नीचे लटकते हुए बड़े लग रहे थे, उसके निपल्स ने इशारा किया और खड़े हो गए और उसके दाहिने कंधे की तरफ उसके बाल उसके दाहिनी ओर लटकते हुए बाधा डाल रहे थे दर्पण में इसका दृश्य। वह बहुत गर्म लग रही थी, मुझे कुत्ते की तरह उसे चोदने का इंतज़ार कर रही थी। लेकिन अपना लंड अंदर डालने से पहले मैं नीचे झुक गया और मैंने उसकी चूत पर थूक लगाया और फिर मैंने उसे चाटना शुरू कर दिया। मैंने उसकी चूत को पूरी तरह से अपने मुँह में डाल कर खाया। मैंने उसकी चूत के होंठ चाटे। मैं इस मुद्रा में अपनी जीभ गहरी नहीं डाल सकता था, लेकिन मैं उसकी दरार की पूरी लंबाई चाट सकता था, मैंने उसके नितंब को जोर से थप्पड़ मारा, मैंने उसके बाल पकड़ लिए और उसके सिर को खींच दिया, मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया और मैं उसके ऊपर झुक गया, मैं उसके बूब्स को दुसरे हाथ से चोदता हूँ जैसे मैं चोदता हूँ मैं अब उसकी असली बुर चोदने के मूड में था। मेरे हाथ ने उसके बूब को बहुत मजबूती से पकड़ लिया, मैंने उसे जोर से निचोड़ लिया। मैंने उसे बैल की तरह पीटा। मेरी जांघ की जोरदार आवाज़ उसके नितंब और उसके मूंस पर फिर से कमरे पर चुप्पी तोड़ती है। मैं हमें आईने में चुदाई करते हुए देखता हूँ, उसके स्तन झूलते हैं और हम चुदाई करते हैं।


रेशू भी मिरर व्यू का आनंद ले रही थी, ज्यादातर समय वह आईने में देखती थी कि मुझे कुतिया की तरह हावी कर रही थी। मैं उसकी मीठी अधीनता से थोड़ा विचलित हो गया था, यह उसके व्यवहार के विपरीत शांत था। मुझे उस पर जीतने का एहसास मेरे लिए बहुत संतोषजनक था।

कहानी आगे जारी है
 

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पत्नी की खूबसूरत दोस्त की चुदाई

Update 05


मुझे अब थोड़ी सी मेहनत हो रही थी और मेरा लंड भी उतना ही भरा हुआ था, मुझे एक ब्रेक चाहिए था वरना मुझे सह लेना पड़ेगा। मैंने अपना लंड निकाल लिया, और वो पलटी और बिस्तर पर लेट गई। वह अपने पैर की अंगुली मेरे नंगे सीने पर रखती है; थोड़ा सा बल लगाने से वह मुझे पीछे धकेल देती है।

रेशु – “तुम बहुत निर्दयी हो और मतलबी हो, तुम एक जानवर की तरह चोदते हो, मुझे लगा कि तुम मुझसे रानी की तरह धीरे से पेश आओगे”

मैं – “इसके लिए क्षमा करें, लेकिन मैं सिर्फ अपनी वासना का विरोध नहीं कर सका, आपको इतना सहज और नाजुक लगा कि मैंने नियंत्रण खो दिया”

जबकि हम बात करते हैं कि वह अपने पैर की अंगुली को फिर से मेरी छाती पर रखती है, मेरे शरीर को धीरे से रगड़ती है और धीरे से उसे मेरे उभरे हुए लंड तक ले आती है। वह उसे पैर की अंगुली से धीरे से रगड़ती है; वह मेरे डिक के साथ खेलता है, मेरे शरीर के खिलाफ उसे नाजुक पैर की अंगुली से दबाता है।

रेशु – “आपको किसी भी चीज़ के लिए खेद नहीं है; मैंने आपके शरीर के लिए जो कुछ भी किया, मैंने आपका पूरा आनंद लिया, मैंने आपके साथ बिस्तर पर एक-एक स्पर्श का आनंद लिया।

मैं उसे बिस्तर में शामिल करता हूं। वह लुढ़क जाती है और मेरे ऊपर आ जाती है। वह अपने होंठ मेरे ऊपर रखती है और हम गहराई से धू-धू करते हैं। फिर वह उसके निप्पल को मुंह में डालती है और मैं उसे जोर से चूसता हूं, वह पूरे शरीर पर अपने बड़े बड़े सेक्सी बूब्स रगड़ती हुई नीचे चली जाती है। उसने मेरे लंड को अपने बूब्स के बीच रख दिया। वो अपने चिकने मुलायम बूब्स से मेरे लंड की अच्छी मालिश कर देती है। फिर उसने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ कर अपने स्तन के ऊपर रगड़ा, उसने मेरे लंड के छेद को अपने निप्पल पर रखा और उसने जोर से हिलाया। फिर अपनी जीभ की नोक का उपयोग करके वह मेरे डिक को चिढ़ाता है।


लंड को हाथ में पकड़ कर वो मेरे लंड पर बैठ गई और उसे अपने अंदर सरका लिया। वह अपने पूरे शरीर का भार मेरी जाँघों पर डालते हुए नीचे आती है ताकि मेरा लंड उसकी चूत में सबसे गहरे तक घुस जाए। वह कुछ समय तक उसे अपनी चूत के अंदर नहीं घुमाने देती। मैंने अपनी हथेलियाँ उसके स्तन पर रख दीं। मैं उन्हें अपने हाथों में धीरे से कप देता हूं। वो मेरे लंड पर धीमी लय में उछलने लगती है और इसी तरह उसके बूब्स को सहलाता है।


मैं उससे प्यार करता था कि वह चीजों का प्रभार ले रहा है। बिस्तर पर उसके नीचे लेटने से मुझे उसके सेक्सी नंगे बदन पर अपनी आँखों को दावत देने का मौका मिला। मैं उसके मांस के हर इंच, उसकी हर अभिव्यक्ति पर ध्यान देता हूं, वह सेक्स की देवी की तरह सुपर सुंदर लग रही थी। उसकी खूबसूरती को लेकर सब कुछ इतना परफेक्ट लग रहा था।
वह मुझे तेज गति से चला रहा था, उसके स्तन मेरे हाथों में उछल गए, उसने कुछ समय बाद ऐसा करना बंद कर दिया।
वो पूरी तरह से अपना वजन मेरी जाँघों पर डालते हुए नीचे आई, मेरा लंड उसके अंदर गहरा हो गया, वो अपनी चूत को मेरे लंड के ऊपर से सहलाने लगी। उसकी चूत की गीली गर्मी ने मेरे लंड पर एक अद्भुत सनसनी पैदा कर दी और यह उसके लंड के अंदर घुसा, उसने महसूस किया कि मेरा लंड उसके अंदर गहरे तक धंस रहा है और वह उसे जोर से पकड़ती है। मैंने अपना नितंब ऊपर किया और मैं उसके नीचे लेटकर चोदना शुरू कर दिया। जब मैं नीचे से चोदता हूँ तो वह अपने स्तन मेरे मुँह पर रखने के लिए आगे झुकती है, मैंने उसके निप्पल को अपने मुँह में रख लिया, मैंने उसके निप्पल को अपने दाँतों के बीच रख दिया और उसे जोर से काट लिया। वह ज़ोर से कराहती है, उसने मुझे मेरे गाल पर थप्पड़ मारा और फिर वह नीचे आई और उसने मेरी ठुड्डी और होंठ काटे।


हम अब खुद पर नियंत्रण खो रहे थे और बहुत गहन संभोग का अनुभव करने वाले थे। वह वापस उठती है और फिर से मेरे लंड पर जोर जोर से पेलने लगती है। उसने बहुत तेज गति से ऊपर और नीचे उछाल दिया और फिर उसने मेरे लंड के ऊपर अपनी चूत से गोलाकार हरकत की। पूरी तरह से नीचे आकर उसने फिर से मेरा लंड पकड़ लिया और फिर जोर से पेल दिया। मेरा लंड भारी हो रहा था और सह से भरा हुआ था, किसी भी समय मलाई के मोटे सह को शूट करने और बाहर निकालने के लिए तैयार था।

वह ज़ोर से कराहती है। मुझे लगता है कि उसका रस मेरे लंड पर टपकता है, पूरी तरह से उसे ढकते हुए, मेरे लंड को भिगो देता है। उसकी रिहाई की मात्रा काफी अधिक लग रही थी; ऐसा लगा जैसे गर्म शहद मेरे डिक पर डाला जा रहा है।


उसकी चूत की गर्मी महसूस हो रही थी। मैं इसे अब और पकड़ नहीं सकता था। मैंने उसे बता दिया कि जल्दी से उत्तेजना चरम पर पहुंच जाती है।

मैं – “मिठाई गर्म है और परोसने के लिए तैयार है”।


वह मुस्कुराई और नीचे उतर गई। नीचे जाते हुए उसने अपने स्तन मेरी जाँघों पर और अपने होंठ मेरे लंड पर रख दिए। वह इसे धीरे चूम लेती है। उसे अपने नरम हाथ में पकड़कर उसने अपने मुँह में डाल लिया और मुझे उड़ा दिया, उसे लॉलीपॉप की तरह चूसते हुए, अगले ही पल मैं ज्वालामुखी की तरह फट गया, उसके मुँह को मोटी मलाई के साथ भर दिया। मैं उसके सुंदर चेहरे को देखता हूं, वह मेरे मुंह में अपने डिक के साथ मेरी आंखों में देखता है, और फिर वह अपनी आंखें बंद कर लेता है और अपने मुंह को कम करके पूरी तरह से मेरे लंड को उसके मुंह में डाल देता है, लेकिन वह मेरा सह निगल नहीं करता है, अपना मुंह रखते हुए मेरे मोटे सह से भर कर उसने अपना मुँह थोड़ा चौड़ा किया और अपने मुँह से वापस मेरे लंड पर गिरा दिया। उसने कुछ लार के साथ मेरे लंड पर थूका, फिर उसने मेरे लंड को अपनी जीभ से चाटा और उसने कुछ मलाईदार सह वापस अपनी जीभ पर ले लिए। फिर अपने मुंह को मेरे डिक के ऊपर रख कर उसने उसे उड़ा दिया। मुर्गा को उसके मुंह में रखने से वह उस पर अपनी जीभ फिराती है। वह मेरे सह के हर बूंद को वापस अपने मुँह में ले लेती है। वह यह सुनिश्चित करने के लिए मेरे लंड को अपने दांतों से धीरे से दबाती है कि उसे उसके मुंह में आखिरी बूंद भी मिले।


फिर लॉलीपॉप उसके मुंह से बाहर निकालती है, वह उसके मुंह में सह के साथ खेलता है, वह उसे इधर-उधर घुमाता है और उसके रसदार लाल होंठों पर कुछ ले आता है और कुछ को उसकी ठुड्डी तक नीचे जाने देता है, जबकि वह बाकी को निगल जाती है। फिर जो कुछ बचा था उसे निगलने के लिए उसने अपनी जीभ से उसके होंठ चाटे। उसकी ठोड़ी से वह सह को अपनी उंगलियों पर ले जाता है और उसे अपने दाहिने निप्पल पर रगड़ता है और फिर अपनी उंगली को साफ करने के लिए उसे अपने मुंह में डालकर चाटता है।

मैं उसकी इस फूहड़ सेक्सी व्यवहार से हैरान था, वह शुरू में बहुत प्यारी और परिष्कृत लग रही थी, लेकिन वह बिस्तर में एक असली सेक्सी फूहड़ कुतिया थी।


हम एक साथ शॉवर में जाते हैं, मैं अपनी बाईं पोशाक को फिर से शादी में शामिल होने के लिए तैयार करता हूं। जाने से पहले हम वादा करते हैं कि जब भी वासना हम दोनों के ऊपर हावी हो जाएगी, हम एक-दूसरे को फिर से वासना की हत्या करने के लिए उपलब्ध कराएंगे।
 

aamirhydkhan

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बहुत बढ़िया दोस्त वाह वाह

clap
 
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