• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Horror कामातुर चुड़ैल! (Completed)

chawla sahab

Member
119
312
63
बात सर्दियों की है, रात 9 बजे, एक बड़े से घर में मौजूद सारे सदस्य बैठे टीवी देख रहे थे।

देव, घर के मुखिया (45), और शहर के जाने माने उद्योगपति।

सुषमा, उनकी पत्नी (42), गृहणी।

नूपुर, बड़ी बहू (21), बड़े बेटे राजा (22), सेना में कैप्टन, की पत्नी।

सम्राट, छोटा बेटा (20), अभी कॉलेज में पढ़ता है, और अपने पिता के काम को भी जरूरत के समय देखता है। (नायक)

राजा अभी अपनी ड्यूटी पर है, शादी के दूसरे दिन ही उसको किसी सीक्रेट मिशन के लिए बुला लिया गया है, और पिछले 1 महीने से वो वापस नही आया है।

धीरे धीरे सब अपने अपने कमरों में सोने को जानें लगे, और अंत में वहां बस सम्राट बचता है वहां, रात के करीब १२ बजे वो भी टीवी बंद करते हुए अपने कमरे में सोने चला जाता है।

उसका कमरा घर की ऊपरी मंजिल में था, जहां बस एक गेस्ट रूम ही था, घर के बाकी सदस्यों के कमरे नीचे ही बने हुए थे।

सम्राट जैसे ही अपने कमरे में आता है, उसे अपने बेड पर एक बहुत ही खूबसूरत २०-२२ साल की युवती बैठी दिखाई देती है जिसने एक जींस और टॉप पहना हुआ था, लड़की एकदम दूध की तरह साफ रंग की थी, जिसका चेहरा बेहद आकर्षक था। उसका बदन जैसे सांचे में ढाला हुआ था। हल्का भरा बदन और उस अपर एकदम अनुपात अनुसार वक्ष और नितम्ब, जिनका आकार न कम न ही ज्यादा था। और सबसे हसीन थीं उसकी आंखे, झील से गहरी नीली आंखें, जिनमे कोई एक बार बार देखे तो डूबता चला जाय...


sexy-devil
उस युवती को देख सम्राट थोड़ा आश्चर्यचकित हो कर पूछता है, "आप कौन, और इस समय मेरे घर में कैसे आईं?"

युवती (मुस्कुराते हुए बेड से उठ कर सम्राट के करीब आती है): मैं कौन, और यहां कैसे आई, इन बातों में वक्त क्यों बर्बाद करना? आओ और बस मेरी बाहों में समा जाओ।
Bahut badhiya start h bro
 
  • Like
Reactions: Sanju@ and Riky007

chawla sahab

Member
119
312
63
अपडेट २#

अब तक आपने पढ़ा..

युवती (मुस्कुराते हुए बेड से उठ कर सम्राट के करीब आती है): मैं कौन, और यहां कैसे आई, इन बातों में वक्त क्यों बर्बाद करना? आओ और बस मेरी बाहों में समा जाओ।
_____________________________________

अब आगे....



सम्राट उसकी ओर आश्चर्य से देखता है, और उसकी नजरें जैसे ही युवती से मिलती हैं, सम्राट की सुधबुध खो सी जाती है, और वो युवती सम्राट को अपनी बाहों में भर लेती है, और उसके आधारों को चूमने लगती है। सम्राट जो की किसी और दुनिया में गुम हो चुका था, वो भी उस युवती का साथ देने लगता है।

दोनो में एक होड़ लगी थी कि कौन दूसरे के अधरों का रसपान ज्यादा कर सकता है। तभी उस युवती ने अपनी जीभ को सम्राट के मुंह में धकेल दिया जिससे सम्राट को नया अनुभव मिला और वो उसकी जीभ के स्वाद का मजा लेने लगा। साथ ही साथ उसके हाथ युवती केबदन पर घूमते हुए उसके उभारों को महसूस करने लगे। युवती सम्राट को उसके बेड पर ले कर आती है, और आधारों को छोड़ कर उसकी शर्ट को उतारने लगती है। उधर सम्राट की हालत ऐसी होती है जैसे उससे किसी ने उसका सबसे प्यारा खिलौना छीन लिया हो, मगर तभी वो युवती उसके सीने को चूमते हुए अपने एक हाथ से सम्राट की पैंट को भी खोलने लगती है।

सम्राट बेसब्र हो कर अपने हाथ से उसके स्तनों को दबाने लगता है, तो वो युवती उठ कर अपनी टीशर्ट उतार देती है, और उसके उन्नत स्तन सम्राट के आंखों के सामने आ कर उसकी आमंत्रण देने लगते हैं, सम्राट आगे बढ़ते हुए एक स्तन पर अपना मुंह लगता है, और दूसरे के हाथों से सहलाने लगता है, युवती अपने एक हाथ से उसके सर को अपने वक्षों पर दबाते हुए दूसरे से सम्राट के लंड को मसलने लगती है, जिससे सम्राट की सिसकारी निकल पड़ती है। थोड़ी देर बाद वो युवती फिर से उठती है और अपनी जींस भी निकाल फेकती है, और दुबारा से सम्राट की छाती पर बैठ जाती है मगर इस बार उसके मुंह की तरफ पीठ करके, और आगे झुक कर सम्राट के लंड को अपनी जीभ से चाटने लगती है, सम्राट ने ये सब पढ़ा और देखा भर था, पर जीवन में पहले बार उसके साथ पहली बार हो रहा था, उतेजना के आसमान पर पहुंच चुका था वो।

युवती की गुलाबी फूल जैसी साफ और चिकनी योनि सम्राट के मुंह के सामने थी, और वो योनि के मदहोश करने वाली गंध उसकी उत्तेजना को और बढ़ा ही रही थी। और अभी तक के अर्जित ज्ञान को इकट्ठा करते हुए, उसने अपने मुंह योनि से लगाया और उससे बहते हुए काम रस का को चखने लगा। उससे इतनी उत्तेजना बर्दास्त नही हुई और वो भरभरा कर युवती के मुंह में झड़ गया। युवती ने भी उसके वीर्य को पूरी तरह से गटकते हुए उसके लंड को पूरी तरह से चाट कर साफ कर दिया।

फिर वो वापस घूम कर सम्राट के मुंह की तरफ आ गई और उसके पूरे चेहरे पर चुम्बानो की झड़ी लगा दी, और धीरे धीरे नीचे आते हुए उसकी गर्दन को चूमने और चाटने लगी, उसकी गरमा गरम खुरदुरी जीभ ने तुरंत अपना असर दिखाना शुरू कर दिया जो सम्राट के लंड में दिखना शुरू हो गया, गर्दन से नीचे आते हुए वो अब उसके सीने पर वही हरकत करने लगी, और एकदम से उसके चुचकों को अपने मुंह में भर कर चूस लिया, इसी के साथ सम्राट एक बार फिर उत्तेजना के शिखर पर पहुंच गया। युवती ने ये महसूस करते ही अपनी योनि को उसके लंड पर लगाते हुए उस पर सवार हो गई।

सम्राट को ऐसा लगा जैसे उसका लुंड किसी गरम भट्टी में चला गया हो, योनि की दीवारों ने लंड को जकड़ कर रखा था, युवती ने जोर लगा कर लंड को अपने भीतर लेना चालू किया और दोनो की सिसकारी एक साथ फूट पड़ी, दोनो के चेहरे पर दर्द की लकीर दिखने लगी, मगर कामोतेजना की आग के आगे वो दर्द जरा भी टिक न पाया, और बिस्तर पर एक घमासान सा छिड़ गया, दोनो एक दूसरे को अपने अंदर लेने की होड़ में लग गए। कभी सम्राट ऊपर तो कभी युवती ऊपर, दोनो एक दूसरे को चूमने और चाटने लगे थे। ये घमासान करीब आधे घंटे तक चला और दोनो लगभग एक साथ ही स्खलित हुए।

इसी के साथ सम्राट थकान से चूर हो कर उस युवती बाहों में सो गया।


कुछ समय बाद बाहर सड़क पर एकदम अंधेरे में एक काला साया एक ओर जाते हुए दिखता है, और जिस दिशा में वो साया जा रहा होता है, वहां अंधकार और भयानक हो जाता है, सड़क के किनारे जलते बल्ब खुद ब खुद बुझ जा रहे थे, सड़क के आवारा कुत्ते जो शायद ही किसी पर न भौंकते हों, दुम दबा कर पता नही किस कोने में जा छुपे थे। वो साया कोने पर मौजूद एक कब्रिस्तान के अंदर गया, और एक अट्टहास सा गूंज गया, और एक आवाज, जो कह रही थी, "मैं कल फिर आऊंगी।"
Nicely updated bro
 
  • Like
Reactions: Sanju@ and Riky007

chawla sahab

Member
119
312
63
अपडेट ३#

अब तक आपने पढ़ा...

वो साया कोने पर मौजूद एक कब्रिस्तान के अंदर गया, और एक अट्टहास सा गूंज गया, और एक आवाज, जो कह रही थी, "मैं कल फिर आऊंगी।"

अब आगे:


कुछ महीनों पहले....

आज सम्राट के स्कूल का आखिरी दिन था, उसका बारहवीं का रिजल्ट आ चुका था और अब पूरी क्लास स्कूल छोड़ कॉलेज की जिंदगी शुरू होने का बेसब्री से इंतजार कर रही थी। आज स्कूल ने रिजल्ट में अच्छा करने वालों को सम्मानित करने के लिए सबको बुलाया था। सम्राट ने लड़कों में सबसे ज्यादा नंबर लाय थे तो उसे भी सम्मानित किया गया था। उससे ज्यादा नंबर आरती के आए थे, आरती एक बला की खूबसूरत लड़की है, जिसे सम्राट बचपन से ही पसंद करता है, मगर आज तक ये कहने की हिम्मत उसे नही हुई। दोनो के घर भी आस पास ही थे और बचपन से दोनो साथ ही खेले और बड़े थे, फिर भी सम्राट आज तक हिम्मत नही कर पाया आरती से कुछ कहने की।

शिव और गोपाल सम्राट के चढ्ढी बड़ी यानी की बचपन के दोस्त और सब एक साथ ही पढ़ते थे, उन्होंने सम्राट को उदास देख उससे पूछा, "क्या बात है भाई, आज सब इतने खुश हैं, तू फिर भी मुंह लटकाए बैठा है?"

सम्राट: "भाई आज स्कूल का आखिरी दिन है, अब पता नही हम सब साथ में पढ़े या अलग अलग कॉलेज में जाए, बस यही सोच कर परेशान हूं।"

गोपाल: ये सोच के परेशान है या आरती के बारे में सोच के परेशान है कि वो किसी और जगह पढ़ने न चली जाए, हमारा तो पहले से ही डिसाइडेड है की **** कॉलेज से पहले बीबीए और फिर एमबीए करके अपना बिजनेस सम्हालना है।

शिव: हां यही बात है, देख सम्राट, आज बोल दे, कब तक फट्टू बना घूमता रहेगा?

सम्राट: हां भाई आज कुछ तो करना ही पड़ेगा।

तभी उनको आरती आती हुई दिखती है, तो सम्राट उठ कर उसकी ओर जाता है।

सम्राट: आरती, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।

आरती: हैं बोलो सम्राट?

सम्राट: यहां नही, कहीं अकेले में, प्लीज!!

आरती कुछ सोच कर मुस्कुराते हुए: अच्छा बोलो कहा चलना है?

सम्राट उसको ले कर एक क्लास में घुस जाता है।

आरती: हां अब बोलो सम्राट, ऐसी क्या बात करनी है कि ऐसे एकांत में ले कर आए हो?

सम्राट कुछ घबराते हुए: वा वो क्या है न आरती, वो में ये कह रहा था न कि, वो मैं, मैं तुमसे कह रहा था...


आरती: अरे अब मैं तुम वो से आगे भी बढ़ो जल्दी।

सम्राट: अच्छा बोलता हूं पर एक वादा करो पहले, मैं जो भी कहूं, उससे हमारी दोस्ती पर कोई फर्क नही पड़ता चाहिए।

आरती (मुस्कुराते हुए): वो तो पड़ेगा ही।

सम्राट: अरे यार, फिर मैं नही बोलूंगा।

आरती: क्या नही बोलोगे? मेरे दोस्त हो तुम, और मुझसे ही छुपाओगे?

सम्राट (हड़बड़ाते हुए): दोस्त हूं तो क्या ये भी बता दूं कि तुमसे प्यार करता हूं.... उफ्फ ये क्या बोल दिया मैने (सर पर हाथ मरते हुए)

आरती (थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए): ये नही बोलना था तो क्या बोलना था? और किस बात को बोलने के लिए इधर आए थे हम?

अब सम्राट पूरी तरह से घबरा जाता है: देखो आरती, अगर जो तुमको बुरा लगा हो तो मैं माफी चाहता हूं, पर प्लीज अपनी दोस्ती पर कोई बात न आए।

आरती: और अगर जो बुरा न लगा हो तो?

सम्राट: तो भी, समझो यार... क्या? मतलब तुमको इससे कोई एतराज नहीं, मतलब तुम भी??

आरती: अरे बुद्धू, मैं तो कबसे वेट कर रही थी कि तुम कब ये मुझे बोलोगे?

सम्राट: आरती मैं डरता था कि कहीं तुम ना न बोल दो, बस इसीलिए, लेकिन आज बहुत हिम्मत करके बोला तुमको, क्योंकि क्या पता आज के बाद हम कब मिलें?

आरती: कब मिलें क्या मतलब? तुम *** कॉलेज में ही एडमिशन लोगे न, फिर?

सम्राट: मतलब तुम भी उसी में एडमिशन लोगी? ओह माय गॉड!! पर तुम तो शायद बाहर जाने वाली थी ना?

आरती: थी बाबा, लेकिन जब तुम यहां हो तो भला मैं दूसरी जगह कैसे रहूंगी?? और वैसे भी राम्या और शिवानी, मुझसे कोई बात नही छुपाती, उन्होंने बताया की तुम तीनों वहां पढ़ोगे, और इसीलिए हम तीनों ने भी वहीं पढ़ने का सोचा।

सम्राट: तो फिर चलो सब साथ में सेलिब्रेट करते हैं।

आरती: बिल्कुल।

क्लास से बाहर निकलते ही शिव राम्या और गोपाल शिवानी भी बाहर उनका वेट कर रहे थे।

शिवानी: तो आखिर लैला मजनू को एक दूसरे के बारे में पता चल ही गया?

सम्राट (शर्माते हुए): इन दोनो के चलते आरू को सब पता था, पर इन दोनो ने मुझे आज तक नही बताया। (फिर शिव और गोपाल दोनो को घूर कर देखने लगता है)

राम्या: अरे नाराज न हो, इनको भी अभी ही पता चला है कि आरु भी तुमको चाहती है पहले से। हमने आज तक इनको बताया ही नहीं। (और इसी के साथ तीनो लड़कियां हसने लगती हैं)

सम्राट, झेपते हुए: अच्छा चलो, कहां चला जाय आज एंजॉय करने केलिए??

शिवानी: तुम दोनो आज अकेले समय बिताओ, हम सब कल साथ में पब चलेंगे।

आरती: नही, हम आज ही चलेंगे, बाकी सम्राट मेरा और मैं सम्राट की ही हूं, सारा समय हमारा ही है।

ये सुन कर सब मुस्कुरा कर अपनी सहमति देते हैं, और फिर सब पब के लिए निकल जाते हैं। वहां खूब मस्ती करने के बाद सारे लोग नदी के किनारे जा कर सूर्यास्त का नजारा लेते हुए बातें कर रहे हैं।

गोपाल: यार मैं सोच रहा हूं कि हम सब मिल कर कहीं घूमने चलें, किसी एडवेंचर ट्रिप पर।

सम्राट: ये तो बढ़िया आइडिया है, क्यों आरू?

आरती: हां, लेकिन कहां जाया जाए?

शिव: महेंद्रगढ़ चलें?

राम्या: वो जहां लोग कहते है की किसी गुप्त कमरे में कोई खजाना छुपा है?

शिव: हां, वही, मेरे चाचा आजकल वहीं पोस्टेड हैं, वो पुरातत्व विभाग में ही हैं न, उनको इंचार्ज बना कर भेजा है वहां, मुझे कई बार बुला चुके हैं।

गोपाल: वाह चलो फिर खजाना भी ढूंढ लिया जाएगा।

शिव: बात करता हूं कोई खास दिन ही जाना होगा उसके लिए, अमावस्या को शायद।

सम्राट: चलो फिर उनसे बात करके दिन फिक्स करते हैं।


फिर सब अपने अपने घर को चले जाते हैं।

------------------------------------------



रात का कोई पहर था, सम्राट एक पुराने महल के अंदर अकेला भटक रहा था, तभी वो एक कमरे में जाता है, और उसके अंदर जाते ही कमरे में उजाला हो जाता है, और उसकी नजर सामने दीवाल पर लटकी एक तस्वीर पर जाती है, जिसमे एक बला की खूबसूरत युवती थी, जिसकी आंखे बेहद खूबसूरत थी। देखते ही देखते वो युवती उस तस्वीर से बाहर आ कर सम्राट के सामने खड़ी हो जाती है, और अपनी बाहें फैलाते हुए कहती है: आखिर तुम आ ही गए कुमार। कितने बरसों से मैं तुम्हारा इंतजार कर रही हूं यहां.....
Nicely updated bro great going
 
  • Like
Reactions: Sanju@ and Riky007

chawla sahab

Member
119
312
63
अपडेट ४#

अब तक आपने पढ़ा...


देखते ही देखते वो युवती उस तस्वीर से बाहर आ कर सम्राट के सामने खड़ी हो जाती है, और अपनी बाहें फैलाते हुए कहती है: आखिर तुम आ ही गए कुमार। कितने बरसों से मैं तुम्हारा इंतजार कर रही हूं यहां.....


अब आगे...

तभी सम्राट की नींद खुल जाती है और वो पसीने पसीने हो चुका था, एसी में भी इतना पसीना देख वो भी चौंक गया। घड़ी देखी तो सुबह के ४ बजे थे। वो सपने के बारे सोचने लगता है, था तो वो एक सपना ही, मगर उसे सच के जैसा लगा, वो युवती भी उसे कुछ जानी पहचानी लगी थी। ऐसे ही सोचते हुए उसकी नींद पूरी तरह से उड़ चुकी थी और वैसे भी आधे घंटे बाद उसको उठना ही है, तो अभी ही क्यों नही। वो जोगिंग के लिए निकल जाता है।

ऐसे ही कुछ दिन बीत जाते हैं, दोस्तों के साथ मस्ती मजाक और आरती के साथ सकून भरे लम्हे उसे उस सपने को भूला देते हैं। एक दिन जैसे ही वो जोगिंग से वापस आया तो उसके पिता, देव जी ड्राइंग रूम में तैयार बैठे थे।

देव: अरे बेटा, आ गया जोगिंग से?

सम्राट: गुड मॉर्निंग पापा, आप इतनी सुबह कहीं जा रहे हैं क्या?

देव: हां बेटा, फैक्ट्री के कुछ ऑर्डर्स लेने दिल्ली जाना है, तुम आज फैक्ट्री चले जाना।

तभी सुषमा जी रसोई से बाहर आते हुए: आईए नाश्ता बन गया है, जल्दी आ कर लीजिए।

देव: हां आया, चलो बेटा तुम भी सब लोग साथ में नाश्ता करेंगे।

सभी, देव, सम्राट और सुषमा जी नाश्ता करते हैं, और कुछ देर बाद देव अपने ड्राइवर के साथ दिल्ली के लिए निकल जाते हैं।

थोड़ी देर बाद सम्राट भी अपनी कार से फैक्ट्री की ओर चल देता है, उसने आरती को पहले ही कॉल करके बता दिया था कि वो उसे उसके घर के पास मिलेगा, जो फैक्ट्री के रास्ते में ही पड़ता था। एक चौराहे पर आरती उसको मिल जाती है और दोनो कार से सम्राट की फैक्ट्री की ओर चल देते हैं।

फैक्ट्री में पहुंचते ही एक अधेड़ आदमी गेट के पास खड़ा था, जिसे देख कर सम्राट मुस्कुराते हुए: नमस्ते रघु काका।

(रघुवीर, देव के साथ शुरू से ही हैं, उन्हीं के हमउम्र हैं, फैक्ट्री का सारा काम काज यही देखते हैं। इनका रुझान पूजा पाठ में ज्यादा है। राजा और सम्राट को बच बचपन से ही देखते आए हैं, और दोनो को बहुत प्यार भी करते हैं, और वो दोनो भी इनका बहुत सम्मान करते हैं।)

रघु: नमस्ते छोटे मालिक।

सम्राट: काका, आपसे कितनी बार कहा है कि मुझे छोटे मालिक मत बोला कीजिए।

रघु: अच्छा सम्राट बेटे, क्या करूं बरसों की आदत है।

सम्राट: अब आदत बदलिए काका, और इनसे मिलिए, आरती मेरी दोस्त। और आरती ये रघु काका, इस फैक्ट्री के करता धर्ता।

आरती: नमस्ते काका।

रघु: खुश रहो बेटा, और सम्राट बेटा ये आपकी दोस्त है या? अब आपको बचपन से जनता हूं, कम से कम मुझसे तो न छुपाओ।

सम्राट (शर्माते हुए): काका आप तो सब जान गए लेकिन अभी पापा को ये बात मत बताइएगा।

रघु: अरे बेटा, आप मेरे बेटे जैसे हैं, जब तक आप नही कहेंगे ये बात किसी को नही बताऊंगा, जैसे आप दोनो ऑफिस में बैठिए, मैं कुछ खाने को भिजवाता हूं।

सम्राट: नही काका, वो बाद में अभी तो काम करना है पहले।

रघु: ठीक है, आरती बेटा आप आइए मेरे साथ, मैं आपको फैक्ट्री दिखता हूं।

सम्राट ऑफिस की तरफ निकल जाता है, और आरती रघु के साथ फैक्ट्री देखने।

१ घंटे बाद रघु आरती को लेकर ऑफिस में आता है,जहां सम्राट भी लगभग अपना काम खत्म कर चुका होता है।

रघु: सम्राट बेटा, काम हो गया आपका?

सम्राट: जी काका लगभग हो ही गया है।

थोड़ी देर बाद सम्राट का काम खत्म हो जाता है, और वो आरती के साथ बाहर अपनी कार में आ कर बैठ कर निकल जाता है।

आरती: अब कहां चलना है?

सम्राट: बस देखते जाओ।

और ये बोल कर वो कार को स्पीड बढ़ा देता है, कुछ समय बाद दोनो एक पहाड़ी के ऊपर पहुंच जाते हैं, जहां से शहर का बड़ा ही खूबसूरत नजारा दिख रहा था, बहुत ही शांत जगह थी वो, और एकांत में भी।

वहां पहुंच कर दोनो एक दूसरे के गले लग जाते हैं। और कुछ देर में दोनो के होंठ एक दूसरे से जुड़ जाते हैं।

जोश में आ कर सम्राट के हाथ आरती की पीठ से होते हुए उसके स्तनों की ओर बढ़ते हैं, और जैसे ही आरती को ये अहसास होता है वो किस तोड़ते हुए सम्राट का हाथ पकड़ लेती है और मुस्कुराते हुए न में गर्दन हिला देती है।

आरती: नही सम्राट, ये सब शादी के बाद। मुझे पता है की हमारी उम्र है एंजॉय करने की, लेकिन अभी के लिए इतना ही काफी है। कुछ शादी के लिए भी बचा कर रखना होगा हमें।

सम्राट: बिल्कुल आरती, बिना तुम्हारी सहमति के कुछ भी नहीं। लेकिन कम से कम तुमको मैं अपनी बाहों में तो ले सकता हूं ना?

आरती खुद से उसके गले लगते हुए: बिल्कुल, इसके लिए कब मना है?

ऐसे ही कुछ समय बिताने के बाद दोनो वापस चल देते हैं।

शहर पहुंचते ही आरती कहती है कि उसे भूख लगी है, तो सम्राट एक रोड साइड होटल के किनारे रोक कर कुछ खाने पीने का सामान लेने लगता है, और आरती भी उतर कर अपने हाथ पैर सीधा करने के लिए थोड़ा आगे जा कर घूमने लगती है।

तभी सम्राट के कंधे पर एक हाथ आता है, और वो पलट कर देखता है। सामने अनिल अंकल थे, जो उसके पापा के सबसे अच्छे दोस्त थे।

अनिल जी: अरे सम्राट बेटा, इधर क्या कर रहे हो?

सम्राट (हड़बड़ाते हुए) : कुछ नही अंकल, किसी काम से इधर आया था, तो भूख लग गई। आप यहां?

अनिल: अरे बेटा, निशा का एग्जाम है, सेकंड सिटिंग में, उसे ही छोड़ने जा रहा था, लेकिन गाड़ी में कोई प्राब्लम हो गई, तुमको देखा तो सोचा तुम्हारी हेल्प ले लूं।

सम्राट: अरे अंकल, इसमें हेल्प वाली कौन बात है, आप आदेश करें।

(इसी बीच आरती को समझ आ गया कि कोई जानने वाला मिल गया है, इसीलिए वो सम्राट को इशारा करके कुछ आगे चली गई)

अनिल: तो फिर तुम निशा को उसके कॉलेज तक छोड़ दो फिर, मैं गाड़ी ठीक करवाने का इंतजाम करता हूं।

सम्राट हामी भर देता है, और अनिल निशा को बुलाने चला जाता है, आरती भी उधर ही खड़ी होती है। तभी बारिश होने लगती है, तो अनिल आरती को देख पूछता है, "बेटा आप क्या ऑटो का वेट कर रहे हो?"

आरती: जी अंकल।

अनिल: पर इधर ऑटो बहुत देर में मिलेगा, आपको कोई ऐतराज न हो तो आप उस गाड़ी से चली जाओ, मेरी बेटी भी जायेगी उसमे। वरना आप भीग जाएगी।

आरती: थैंक्यू अंकल, सच में इधर ऑटो जल्दी नही मिलते, मैं आपकी बेटी साथ चली जाती हूं।

निशा और आरती दोनो को साथ आता देख सम्राट को आश्चर्य होता है। तभी निशा आगे आ कर बैठ जाती है, और आरती पीछे।

निशा: हेलो सम्राट!! आजकल मिलते भी नही तुम?

(निशा, अनिल की बेटी है जो सम्राट से एक साल बड़ी है और अभी कॉलेज से b com फर्स्ट ईयर कर रही है। दोनो बचपन से एक दूसरे के जानते हैं, और लगभग हमउम्र होने के कारण दोस्त जैसे हैं)

सम्राट: हाय निशा, असल में मेरा इंटर था तो उसी में बिजी था मैं, कुछ दिन पहले ही तो फ्री हुआ हूं, तो पापा ने अपने साथ फैक्ट्री में लगा लिया। और तुम बताओ कैसी हो? और ये कौन?

निशा: मैं बढ़िया, और सॉरी ये आरती हैं, इनको शहर में जाना है और ऑटो नही मिला तो पापा ने कहा की साथ ले चलने।

सम्राट: ओह, अच्छा है, वरना भीग जाती यहां।

ये बोल कर सम्राट कार बढ़ा देता है, और निशा से इधर उधर की बात करते हुए ड्राइव करता है। साथ ही साथ बैक मिरर से आरती से भी उसकी आंखों आंखों में बात होती रहती है। थोड़ी देर में निशा का कॉलेज आ जाता है।

निशा: अच्छा अब मैं चलती हूं।

सम्राट, पीछे मुड़ कर: आरती आप कहां जाएंगी?

आरती: वो चौक तक, यहां से ऑटो मिल जायेगा, तो मैं भी उतर जाती हूं

निशा: अरे, आप बैठो, सम्राट उधर ही जायेगा, बस आगे आ कर बैठ जाओ, वरना ये बेचारा ड्राइवर लगेगा।

ये सुन कर सब हंसने लगते हैं, और निशा उतार जाती है। आरती भी आगे आ कर बैठ जाती है, और दोनो निशा को बेस्ट ऑफ़ लक बोल आगे बढ़ जाते हैं।

आरती: बाल बाल बचे आज तो।

सम्राट: अभी इतनी खुश न हो, ये निशा बहुत तेज है, अगर जो उसे जरा भी शक होगा तो वो अनिल अंकल को बता देगी, और वो पापा को।

आरती: फिर??..

सम्राट: फिर का फिर देखेंगे, अभी घर चलो।

सम्राट आरती को उसके घर के पास छोड़ अपने घर आ जाता है।


अगले दिन जैसे ही वो नाश्ते की टेबल पर पहुंचता है तो उसे देव और सुमित्रा की बातें सुनाई पड़ती हैं जो किचन से आ रही होती हैं।


देव: अनिल ने बोला की उसने लड़की देखी है, दोनो की जोड़ी अच्छी है, उसने लड़की के घर का भी सब पता कर लिया है और कल हम मिलने चल रहे हैं उनसे, अब इस घर में शहनाई बजने में देर नहीं करनी चाहिए.....
Nicely great updated bro
 
  • Like
Reactions: Sanju@ and Riky007

chawla sahab

Member
119
312
63
अपडेट #५

अब तक आपने पढ़ा -

अगले दिन जैसे ही वो नाश्ते की टेबल पर पहुंचता है तो उसे देव और सुषमा की बातें सुनाई पड़ती हैं जो किचन से आ रही होती हैं।

देव: अनिल ने बोला की उसने लड़की देखी है, दोनो की जोड़ी अच्छी है, उसने लड़की के घर का भी सब पता कर लिया है और कल हम मिलने चल रहे हैं उनसे, अब इस घर में शहनाई बजने में देर नहीं करनी चाहिए.....

अब आगे :-


सुषमा: आप बिलकुल सही कह रहे हैं, मैं सम्राट को तैयार होने बोल देती हूं, सब लोग चलते हैं वहां।


देव: हां ये सही है।

इतना सुन कर सम्राट की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता और वो आरती को मैसेज कर देता है कि मां पापा तुम्हारे घर आ रहे हैं, अपने रिश्ते की बात करने।

तभी सुषमा जी रसोई से बाहर आती हैं और सम्राट को देखते ही

सुषमा: अरे सम्राट बेटा, जल्दी से तैयार हो जाओ, हम किसी खास जगह जाना है, और जरा ढंग के कपड़े पहनना।

सम्राट (अनजान बनते हुए): कहां मां?

सुषमा (मुस्कुराते हुए): चलो तो, सब पता चल जायेगा।

थोड़ी देर में तीनो तैयार हो कर कार से निकल जाते हैं।

इधर आरती भी सम्राट का मैसेज पढ़ कर खूब खुश हो जाती है और अच्छे से तैयार हो कर अपनी बालकनी में खड़े हो कर सबका इंतजार करने लगती है।

देव जी खुद ही कार चला रहे थे, और जैसे जैसे आरती का घर नजदीक आ रहा था, वैसे वैसे सम्राट की खुशी बढ़ती ही जा रही थी। मगर कार आरती की गली में न मुड़ कर सीधे ही चली जाती है, और सम्राट के मुंह से निकल जाता है: अरे पापा, आप गलत जा रहे हैं शायद?

देव जी (सम्राट को घूरते हुए): अनिल ने तुझे भी पता बताया था क्या??

सम्राट (घबराते हुए): न.. नही, वो दरअसल मुझे लगा हम फैक्ट्री जा रहे हैं।

इधर आरती भी कार को सीधे जाते देख मायूस हो जाती है, और सम्राट को फोन लगाने लगती है।

उधर सम्राट को भी कुछ समझ नही आता और वो आरती का फोन काट देता है। कुछ समय बाद गाड़ी एक घर के सामने रुकती है, और वहां एक सज्जन जो देव जी के उम्र के ही थे, सबका स्वागत करते हैं।

देव जी: नमस्कार वशिष्ठ जी, ये है मेरी पत्नी सुषमा। और ये सम्राट है।

सब एक दूसरे का अभिवादन करते है और घर के अंदर जाते हैं।

वशिष्ठ जी एक बैंक में उच्च पद पर थे, उनकी पत्नी अनिता, और एक ही बेटी, नुपुर थी। छोटा सा परिवार था इनका। नूपुर अपने नाम की तरह ही खुशमिजाज और हरफनमौला थी। वो सम्राट से कोई २ साल की बड़ी थी, और अभी ग्रेजुएशन के फाइनल ईयर में आई थी।

सभी औपचारिकताओं के बाद सुषमा ने सम्राट को एक तरफ आने का इशारा किया, दोनो मां बेटे बाहर की ओर जा कर बात करते हैं।

सुषमा: तो कैसी लगी नूपुर?

सम्राट: अच्छी लगी मां, लेकिन वो मुझसे बड़ी है तो कैसे??

सुषमा: तुझे बड़ी है तो क्या हुआ? है तो लायक न अपने घर की बहू बनने के?

सम्राट: तो क्या आप लोग ने तय कर लिया है?

सुषमा: हां हम दोनो का तो पक्का है, पर तेरी रजामंदी जरूरी है।

सम्राट: मां, एक बात है, वो मैं किसी और को पसंद करता हूं, और वो भी मुझे पसंद करती है। लेकिन जो आप और पापा कहेंगे, मैं वही करूंगा।

सुषमा आंखे बड़ी करके सम्राट को देखती है। और पूछती है: तू कहना क्या चाहता है??

सम्राट: यही मां, की में किसी और को पसंद करता हूं।

सुषमा (सम्राट का कान पकड़ते हुए): तेरी शादी कौन कर रहा है अभी बेवकूफ? और कौन है वो लड़की?

सम्राट (झेंपते हुए): फिर? हम यहां क्यों?

सुषमा: अपने भाई से पहले तुझे शादी करनी है, वो भी अभी इतनी सी उम्र में ही? रुक अभी तेरे पापा को बताती हूं।

सम्राट: अरे मां कान छोड़ो, में तो शादी से बचने के लिए ऐसा बोला, और आप लोग ने भी तो कुछ बताया नही, और मुझसे क्यों पूछ रहे हो आप? भैया से पूछो।

सुषमा: राजा ने तुझे ही कहा था ना की पहले तू हां करेगा, तभी वो लड़की देखेगा।

सम्राट: ओह मां मैं तो भूल ही गया था। और प्लीज अब तो कान छोड़ो मेरा।

सुषमा उसका काम छोड़ कर फिर पूछती है: हां अब बता नूपुर कैसी लगी, और वो लड़की कौन है?

सम्राट: नूपुर भाभी मुझे अच्छी लगी मां, और वो कोई नही है मैने बस शादी से बचने के लिए झूठ बोला था।

सुषमा: अभी समय नही है, लेकिन तू बचेगा नही, तुझे बताना ही पड़ेगा, समझा?

सम्राट: अच्छा अभी अंदर चलो मां, वरना पापा गुस्सा करेंगे।

दोनो अंदर जाते हैं, और सुषमा अपनी तरफ से हां बोल देती है, राजा को भी वहीं से खबर कर दी जाती है, तो वो भी २ दिन में आने की बात कहता है। सभी २ दिन बाद फिर से मिलने का फैसला करते हैं।

सम्राट अंदर से बहुत खुश होता है जब उसे पता चलता है कि नूपुर उसकी भाभी बनने वाली है, और उसका और आरती का सीक्रेट अभी सीक्रेट ही है। वो मौका लगते है आरती को फोन लगता है, पर उसका फोन स्विच ऑफ आता है।

वहां से निकल कर सम्राट अपनी बाइक उठा कर सीधे आरती के घर की ओर जाता है, वो साथ साथ आरती का फोन भी लगता है जो लगातार स्विच ऑफ आ रहा होता है। वो फिर शिवानी को फोन लगा कर आरती से बात कराने को कहता है, क्योंकि शिवानी और आरती का घर आस पास ही था। शिवानी कुछ देर बाद सम्राट को बताती है की आरती घर पर नही है, और किसी को बताई भी नही जा कि वो जहां जा रही है।

सम्राट कुछ सोचता है और फिर अपनी बाइक ले कर घाट पर जाता है, क्योंकि उसे पता होता है कि आरती चाहे खुश हो या दुखी, वो घाट पर अपना समय जरूर बिताती है। और जैसा सम्राट ने सोचा था, आरती वहीं घाट पर उसे मिलती है। आरती ने रो रो कर अपनी आंखे सूजा ली थी। सम्राट उसके पास बैठ जाता है।

आरती: अब क्यों आए हो यहां, जाओ जिससे शादी हो रही है उसके पास बैठो।

सम्राट: अरे मेरी बिल्लो, मुझे बहुत बड़ी गलत फहमी हो गई थी, और एक बात सुनो, चाहे जो भी हो जाय, शादी तो मैं बस तुमसे ही करूंगा, या फिर जान ही दे दूंगा।

ये सुनते ही आरती सम्राट के मुंह पर अपना हाथ रख देती है: मरे तुम्हारे दुश्मन, और आगे से ऐसी बात करना भी नही, वरना तुमसे पहले मेरी जान जायेगी।

ये सुनते ही सम्राट आरती को कस कर गले से लगा लेता है।

कुछ देर बाद आरती उसको धक्का दे कर कहती है: हटो दूर मुझसे, प्यार का नाटक मुझसे और शादी किसी और से कर रहे हो?

सम्राट (आरती का हाथ पकड़ते हुए): अरे मेरी मां, मुझे गलतफहमी हो गई थी, पहले तो भैया की शादी होगी ना? उनके लिए ही मां पापा लड़की देखने गए थे।

आरती (मुस्कुराते हुए): मतलब वो तुम्हारी बात नहीं कर रहे थे?

सम्राट: नही यार, वो अनिल अंकल का नाम बीच में आया तो मैं हमारे बारे में सोचने लगा था।

ये सुन कर आरती सम्राट के गले लग जाती है।

कुछ देर दोनो वहां रुक कर वापस घर लौट जाते हैं।

२ दिन बाद राजा घर आता है, और अगले दिन नूपुर से मिलता है। दोनों एक दूसरे को पसंद कर लेते हैं। और शादी की तारीख भी २० दिन बाद की ही निकल जाती है, दोनो परिवार सहमत हो जाते हैं और आनन फानन में शादी की तैयारी होने लगती है।


शादी का दिन भी पलक झपकते ही आ जाता है और राजा और नूपुर की शादी खूब धूम धाम से होती है, सभी खूब एंजॉय करते हैं।


शादी के ३ दिन बाद ही राजा को उसके बेस से फोन आता है, और उसे वापस ड्यूटी पर आने को कहा जाता है, जहां उसे किसी जरूरी मिशन पर जाने को कहा जाता है। देव जी ये सुन कर बहुत नाराज होते है, और राजा को रिजाइन करने को कहते हैं। नूपुर उनको समझती है कि अभी उसे जाने दे क्योंकि राजा के लिए अभी उसका कर्तव्य ज्यादा जरूरी है। राजा भी कहता है कि अभी जाने दीजिए, मिशन पूरा होते ही वो रिजाइन दे कर वापस आ जायेगा।

नूपुर भारी मन से राजा को विदा करती है। उसकी नम आंखें देख सभी उदास हो जाते हैं। सम्राट जिसे नूपुर अपनी बड़ी बहन की तरह लगने लगी थी, वो हर समय उसके आगे पीछे घूम कर उसका मन बहलाने की कोशिश करता रहता था, जिससे नूपुर का भी मन लगा रहता था।

इसी तरह दिन बीत रहे थे। नूपुर के कारण सम्राट अपने दोस्तों को ज्यादा समय नहीं दे पा रहा था, हां आरती के साथ वो किसी न किसी तरह से समय निकाल मिल ही लेता था वो। एक दिन ऐसे ही सारे दोस्त आपस में मिले तो तो फिर से महेंद्रगढ़ जाने की बात छिड़ी, और २ दिन बाद का प्रोग्राम बन गया क्योंकि अमावस्या उसी दिन पड़ रही थी।

सम्राट नूपुर को ये प्रोग्राम बताता है तो वो सम्राट के लिए खुश होती है। पर सम्राट उसे भी चलने कहता है, जिसे वो मना कर देती है, पर सम्राट सा कहती है कि उसे कोई हॉरर मूवी दिखाने, सम्राट उसके लिए अगले रात का कहता है।


अगली रात को सम्राट अपने कमरे में मूवी लगता है और नूपुर के साथ बैठ कर देखने लगता है, देव जी और सुमित्रा सोने चले जाते हैं। ये एक हॉलीवुड मूवी थी, दोनो मूवी देखने में मगन हो जाते हैं, तभी उसमे एक हॉट सीन आ जाता है, जिसे देख कर दोनों ही कुछ गरम हो जाते हैं, और एक दूसरे की ओर देखते हैं। नूपुर एकदम से आगे बढ़ कर सम्राट के होंटो से अपने होंठ मिला देती है.....
Great update brother
 
  • Like
Reactions: Sanju@ and Riky007

chawla sahab

Member
119
312
63
अपडेट ६#

अब तक आपने पढ़ा -


अगली रात को सम्राट अपने कमरे में मूवी लगता है और नूपुर के साथ बैठ कर देखने लगता है, देव जी और सुमित्रा सोने चले जाते हैं। ये एक हॉलीवुड मूवी थी, दोनो मूवी देखने में मगन हो जाते हैं, तभी उसमे एक हॉट सीन आ जाता है, जिसे देख कर दोनों ही कुछ गरम हो जाते हैं, और एक दूसरे की ओर देखते हैं। नूपुर एकदम से आगे बढ़ कर सम्राट के होंटो से अपने होंठ मिला देती है.....

अब आगे -



कुछ सेकंड के लिए तो सम्राट भी भौचक्का हो जाता है, फिर एकदम से वो एक हाथ से नुपुर को पीछे करते हुए खड़ा हो जाता है।

सम्राट: भाभी, ये क्या कर रहीं हैं आप??

नूपुर (थोड़ा नजर चुराते हुए): सम्राट, देखो तुम्हारे भाई ने तुम्हे मेरा खयाल रखने कहा था ना।

सम्राट: तो?

नूपुर: तो? तुम्हारा भाई मेरी प्यास जगा कर चला गया है देश की सेवा करने, तो तुम ही मेरी प्यास बुझ दो।

सम्राट: भाभी, ये क्या कह रहीं हैं आप?? मैं तो आपको अपनी बड़ी बहन मानता हूं, और आप ऐसा खयाल रखती हैं मेरे लिए?

नूपुर: देखो सम्राट, ये जिस्म की आग है, और अगर जो ये जरूरत से ज्यादा भड़क जाय तो ये परिवार की मान मर्यादा को तहस नहस कर देती है। इसीलिए मैं तुमको ३ दिन का समय देती हूं, या तो तुम मेरी प्यास बुझा दो, या फिर मैं इसे घर के बाहर कहीं बुझा लूंगी।

ये कह कर नूपुर वहां से चली गई।

सम्राट सोच में पड़ गया, एक तरफ तो वो अपने परिवार के मान को बरकरार रखना चाहता था, वहीं दूसरी तरफ वो नूपुर में अपनी बहन देखता था, साथ साथ वो अपने भाई से भी बहुत प्यार करता था, और उसे भी धोखा नहीं दे सकता था। यही सब सोचते सोचते उसे नींद आ जाती है।

सुबह सम्राट अपने समय से उठता है, आज उसे महेंद्रगढ़ जाना था, लेकिन कल रात हुए घटनाक्रम से उसका मूड उखड़ा हुआ था। उठते ही उसने आरती को फोन करके नदी के घाट पर मिलने के लिए बुलाया।

कुछ समय बाद दोनो नदी के किनारे बैठे थे।

आरती: सम्राट, क्या बात है, इतने परेशान क्यों हो तुम?

सम्राट: कैसे बताऊं और क्या बताऊं तुमको मैं?

आरती: मुझको भी नही बताओगे तुम?

सम्राट: तुमको कैसे नही बताऊंगा।

फिर कुछ सोचने लगता है। आरती को भी लगता है की कुछ विशेष बात है जिसके लिए सम्राट को शायद शब्द नही मिल राय हैं, इसीलिए वो सम्राट को सोचने का पूरा मौका देती है। कुछ समय बाद सम्राट बोलना शुरू करता है।

देखी आरती, जो मैं तुमको बताने जा रहा हूं, उसे सुन कर तुम मुझे या मेरे परिवार में किसी को गलत न समझना।

आरती: बोलो सम्राट, मैं तुमको कभी गलत नही समझ सकती, अव्वल तो तुम कुछ गलत काम कभी करोगे नही, और अगर जो कभी किया भी, तो वो तुम्हारी कोई मजबूरी होगी, इतना मुझे तुम पर विश्वास है। अब बेझिझक तुम बताओ ऐसी कौन सी बात है जो तुम्हे इस तरह से परेशान कर रही है?

सम्राट हिम्मत करके रात की सारी बातें आरती को बता देता है। ये सुन कर आरती भी सोच में पड़ जाती है।

थोड़ी देर बाद आरती सम्राट से कहती है: देखी सम्राट, मुझे लगता है कि भाभी ने जो करा वो बस हीट ऑफ मोमेंट था, उनकी भी कुछ शारीरिक जरूरतें है जो भैया के जाने के बाद पूरी नहीं हुई हैं, ऐसे में उनका तुमको चूमना और वो सब कहना बस उसी के कारण हुआ। मुझे लगता है कि अब वो सही हो गई होंगी, और तुमको भी ये सब भूल जाना चाहिए।

सम्राट: मैं भी समझता हूं की उनकी कुछ जरूरतें हैं, और वो चुम्बन भी आवेश में ही हुआ, लेकिन उसके बाद जो कुछ भी उन्होंने कहा, वो मुझे चिंतित कर रहा है। अगर जो वो ये सब घर के बाहर करने की सोच रही हैं तो सोचो क्या होगा फिर?

आरती: अच्छा अभी २ दिन का समय दिया है न उन्होंने, तो २ दिन बाद ही उनसे बात करना। और अभी चलो, हम महेंद्रगढ़ भी चलना है, जाओ तैयार हो और हम निकलें।

सम्राट: पर मेरा मन नहीं कर रहा है।

आरती: देखी बाबा घर में रहोगे तो यही सब सोचते रहोगे, घूमने चलोगे तो ध्यान बटा रहेगा। और वैसे भी हमको ज्यादा समय मिलेगा साथ बिताने के लिए।

सम्राट कुछ देर सोचता है, फिर: हां आरू तुम सही कह रही हो। चलो आधे घंटे में हम निकलते हैं।

फिर सम्राट सबको मैसेज करके तैयार होने को कहता है और अपने घर चला जाता है। कुछ देर बाद वो तैयार हो कर नीचे आता है, और देव जी और सुषमा से इजाजत ले गाड़ी से निकल जाता है, नूपुर को उसने दूर से ही बताया कि वो जा रहा है, और नूपुर भी उससे कुछ खींची खींची रहती है।

गाड़ी में सारे लोग बैठ जाते हैं, आगे सम्राट गाड़ी ड्राइव कर रहा था, उसके साथ आरती थी, बीच वाली सीट पर शिव और राम्या और आखिरी सीट पर गोपाल शिवानी संग बैठा था। महेंद्रगढ़ उनके शहर से लगभग ५ घंटे की दूरी पर था, इसीलिए बारी बारी से सबने ड्राइव किया और दोपहर बाद वो महेंद्रगढ़ पहुंचते हैं, और शिव के चाचा के घर पर गाड़ी रोकते हैं।

शिव के चाचा एक रिटायर्ड फौजी हैं जिनकी खुद की एक सिक्योरिटी एजेंसी है, उसी को अभी महेंद्रगढ़ किले की सुरक्षा की जिम्मेदारी मिली हुई है, इसीलिए उसके चाचा ने वहां पर एक मकान किराए पर ले रखा है। जब वो लोग उनके घर पहुंचे उस समय उसके चाचा उनका ही इंतजार कर रहे थे, और सबके पहुंचते ही खुशी खुशी सबका स्वागत किया। कुछ हल्का फुल्का नाश्ता करने के बाद, चाचा ने उन सबको आराम करने को कहा, क्योंकि वो जिस काम से आए थे वो रात को ही होना था।

आरती चाचा से बात करना चाहती थी किले के विषय में, जिसे सुन कर सब वहीं बैठे रहे।

चाचा: बोलो बेटा क्या जानना है आपको?

आरती: बस उस किले के बारे में कुछ जानकारी।

चाचा: हम्म्म, वो किला राणा वंश के राजा महेन्द्र राणा ने कोई ५०० साल पहले बनवाया था। वो किला और ये शहर उनके ही नाम पर है। उनके वंश के लोग अभी भी यहां के राजा हैं, और अभी शहर में ही उनका राजमहल है। किले से वो लोग करीब २०० साल पहले ही निकल गए थे। कहते हैं कि उस समय के राजा सुरेंद्र राणा ने एकदम से सबको किला खाली करने का दिया था, और आपाधापी में सब किले को छोड़ शहर में आ गए।

सम्राट: मगर एकदम से किले को क्यों छोड़ा गया?

चाचा: इसकी भी कई कहानियां है, कोई कहता है कि किसी जादूगरनी ने कोई टोटका किया था जिस कारण से वो सब जल्दी से जल्दी बाहर आ गए, कोई कहता है की राजा सुरेंद्र ने कुछ ऐसा कर दिया था जिस कारण वहां रहना उनके लिए प्राण घातक हो जाता। एक कहानी जो सबसे दिलचस्प है, और उसको मानने का कारण भी है, कि उनकी इकलौती पुत्री एकदम से कहीं गायब हो गई थी, जिसे शायद किसी जादूगरनी ने किया, या वो कहीं भा गई, और इसी गम में राजा अब उस किले में और नही रहना चाहते थे।

आरती: और इस कहानी को ज्यादा ठोस मानने का क्या कारण था??

चाचा: राणा वंश में हमेशा बड़ी संतान ही अगला राजा या रानी होता है, लड़का होना जरूरी नहीं है। सुरेंद्र राणा की एक ही बेटी थी, पर सुरेंद्र राणा के बाद उनका भतीजा सुखदेव राणा राजा बना। बस इसीलिए उनकी बेटी वाली थियोरी ज्यादा सटीक लगती है।

शिव: और ये खजाने का क्या चक्कर है।

चाचा: कहते हैं कि जब किले को छोड़ कर सब जा रहे थे, तब राजा सुरेंद्र ने खजाने को अहिमंत्रित कर के छुपा दिया, और वो अब सिर्फ खजाने के असली मालिक को अमावस्या वाली रात को ही मिलेगा। कहा जाता है की अमावस्या को एक दरवाजा दिखता है और जो इस दरवाजे को खोल पाएगा, खजाना उसका हो जायेगा। इसी कारण राजपरिवार और पुरातत्व विभाग ने इस किले में रात का प्रवेश बंद कर रखा है, पहले कई हादसे भी हो चुके हैं वहां, पर अभी तक खुशकिस्मती से किसी की जान नही गई।

शिवानी: बुरा मत मानिएगा चाचाजी, लेकिन आप तो वहां की सुरक्षा देखते हैं, फिर आप हमको क्यों जाने दे रहे हैं??

चाचा: बेटा मैं सुरक्षा देखता हूं, पर ऐसे खोज करना मेरा शौक है, और वैसे तो मैं अकेला भी जा सकता हूं वहा, पर कोई साथ हो तो ज्यादा मजा आता है। और मैं एक किताब भी लिख रहा हूं ऐसी जगहों के बारे में, तो इस जगह को भी उसमे जोड़ लूंगा।

तभी चाचा का फोन बजने लगता है और वो उसको सुनने के बाद बच्चो को आराम करने कह कर बाहर चले जाते हैं।

चाचा वापस रात को 9 बजे के करीब लौटते हैं, और सबको तैयार होने बोलते हैं। वो चार छोटे बैग अपने साथ ले कर रख लेते हैं। बाहर मौसम कुछ खराब सा हो रहा था, तेज हवाएं चल रही थी, जो अमूमन ठंड के मौसम में नही होता। सब चाचा की जीप में बैठ कर निकल जाते हैं। किला शहर से कोई २० किलोमीटर दूर जंगलों में था, सब १०:३० के करीब में किले के बाहर खड़े थे।

चाचा: तुम सब गाड़ी में रुको, में पहले एक चक्कर लगा कर आता हूं की कही कोई और भी तो नही आ गया है किले में, क्योंकि अमावस्या की रात को कई बार लोग चोरी छिपे घुस आते हैं खजाने के चक्कर में।

आधे घंटे बाद चाचा वापस आए और जीप समेत सबको किले के अंदर ले गए।

बाहर प्रांगण में जीप छोड़ सब एक छोटी सी चढ़ाई चढ़ कर मुख्य किले में प्रवेश करते हैं। सब बीच आंगन में खड़े होते है, तभी चाचा कहते हैं

चाचा: देखो बच्चों, वैसे तो कई लोग उस दरवाजे और खजाने के चक्कर में आए हैं, और लगभग इस किले का चप्पा चप्पा ढूंढ चुके हैं। लेकिन फिर भी हम एक ट्राई कर सकते हैं। इस समय हम किले के बीचों बीच खड़े हैं, और चारो ओर कमरे बने हैं। मैं समझता हूं कि हमको चार ग्रुप में बट जाना चाहिए इससे पूरे किले की खोज एक साथ हो जायेगी।

सब सहमत हो जाते हैं, और सम्राट, आरती एक ग्रुप, शिव राम्या दूसरा, गोपाल शिवानी तीसरा और चाचा, जो अपने साथ अपने ड्राइवर को भी लाय थे, चौथा ग्रुप बन जाते हैं। चाचा सबको अपने साथ ले हुए बैग देते हैं, उस बैग में एक टार्च, एक्स्ट्रा बैटरी, रस्सी, चाकू, फर्स्ट एड बॉक्स वगैरा जैसी जरूरत की चीजें थी।

सब किले के अलग अलग हिस्से में चले जाते हैं।

सम्राट और आरती अपने वाले हिस्से में पहुंचते ही बैग से टार्च निकल लेते हैं, क्योंकि किले के अंदरूनी हिस्से में लाइट की कोई व्यवस्था नहीं थी। वो दोनो एक एक करके सारे कमरों में देख रहे थे, मगर उन्हें कोई सफलता नहीं मिली। कुछ एक घंटों में दोनो ने अपने वाले हिस्से को पूरा छान मारा पर उन्हें कुछ नही मिला। दोनो वापस लौटने लगे, तभी आरती की नजर जमीन में बने एक दरवाजे पर गई, उसने सम्राट को वो दिखते हुए कहा: इसे तो हमने देखा ही नहीं।

सम्राट: हां, रुको मैं इससे खोलने की कोशिश करता हूं।

सम्राट जोर लगा कर उस दरवाजे को उठता है, जो कुछ जोर लगाने पर खुल जाता है। आरती जब खुले हुए हिस्से में टार्च से देखती है तो नीचे की ओर जाती हुई सीढियां दिखती है। दोनो उसमे उतर जाते हैं।

अंदर एक बड़ा सा हॉल था, जिसके चारो ओर छोटे छोटे कमरे थे, जिनके दरवाजे सलाखों से बने थे, देखने में ये जगह जेल जैसी लग रही थी। इसके अलावा और कुछ नही था वहां। दोनो वापस ऊपर आ जाते हैं, और ऊपर आते ही सम्राट के हाथों से उसका बैग फिसल कर नीचे तहखाने में गिर जाता है।


सम्राट आरती को बाहर जाने का बोल, वापस नीचे बैग लेने जाता है, जहां सारा सामान बैग से निकल कर फ़ैल गया होता है। सम्राट चीजे समेटने लगता है, तभी उसे एक कोने में रोशनी जैसी दिखती है। सम्राट उत्सुकता से उधर जाता है, और ऐसा लगता है की दीवाल के पीछे से रोशनी आ रही है, सम्राट इधर उधर देखता है तो दीवाल पर उसे कोई लिपि दिखती है, जिसे देखते ही सम्राट को।लगता है वो उसे पढ़ सकता है, वो कोई मंत्र जैसा होता है, और सम्राट के उसे पढ़ते ही, दीवाल एक तरफ खिसक जाती है, और अंदर एक सुंदर सा कमरा दिखता है, जिसमे मशाल से रोशनी हो रही होती है.......
Good update brother
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
17,917
35,698
259
अपडेट १२#

अब तक आपने पढ़ा..


आरती सम्राट को चूमते चूमते उसके शरीर पर हाथ भी चला रही होती है, और तभी वो उसके लंड को पकड़ लेती है, जिससे सम्राट की झटका सा लगता है और वो तुरंत अलग हो कर आरती को घूरने लगता है.......

अब आगे -

सम्राट: आरु, ये क्या कर रही हो।

आरती (हंसते हुए): क्या कर रही हूं? तुमको प्यार...

सम्राट: पर ऐसे? नही आरू, तुमने कहा था कि सब शादी के बाद, फिर?

आरती: सम्राट, अब जब सब सही है, हमारी शादी होनी ही है, तो फिर अभी ही क्यों नही?

सम्राट: क्योंकि तुमने ही मना किया है। और वही सही है।

आरती: तो अब मैं ही तो कर रही हूं। सम्राट, सब सही है, जब सारी दुनिया मजे ले रही है तो हम क्यों नहीं? प्लीज सम्राट अब क्या ही दिक्कत है?

सम्राट: पर आरू....

आरती आगे बढ़ कर सम्राट के होटों से अपने होंठ जोड़ देती है और सम्राट आगे कुछ नही बोल पाता। आरती उसका हाथ पकड़ कर अपने स्तनों पर रख कर दबाने लगती है, सम्राट भी धीरे धीरे मदहोश होने लगता है और खुद से ही आरती के स्तन को दबाने लगता है, आरती सम्राट के पैंट से उसका लंड बाहर निकाल कर हाथ से सहलाने लगती है। सम्राट भी जोर जोर से उसके होठों को चूसने लगता है।

आरती अपने होंठो को छुड़ा कर नीचे बैठ कर उसका लंड चूसने लगती है, और सम्राट के हाथ उसके बालों में घूमने लगते हैं। तभी सम्राट आरती को झटके से अपने से दूर कर देता है।

आरती: क्या हुआ, मजा नही आ रहा क्या?

सम्राट: आरु, मुझे भी करना है, पर ऐसे नही, पहली बार है अपना तो कुछ सही जगह पर तो हो। यहां इस तरह प्यार नही लगता ये।

आरती (सम्राट के नजदीक आ कर) : तुम क्या ये सब ले कर बैठे हो, और यहां आता ही कौन है, जो इतना परेशान हो रहे हो तुम? आओ ना यही सही जगह है।

सम्राट: नही, यहां तो बिल्कुल नही।

आरती (उदास होते हुए): फिर कहां, और कब?

सम्राट: अभी चलो यहां से, फिर बताता हूं सब।

दोनो वापस आ जाते हैं। और ऐसे ही ३ दिन बीत जाते हैं, आरती रोज सम्राट को फोन कर के जगह का पूछती है, और उसके इस प्रश्न से सम्राट बहुत चिंता में पड़ जाता है कि आखिर उसे हुआ क्या है?

ऐसे ही तीसरे दिन शाम के आरती का फोन आता है।

सम्राट: हेलो आरु।

आरती (घबराई सी आवाज में): सम्राट, तुम जल्दी से मेरे घर आ जाओ।

सम्राट (चिंता में): क्या हुआ आरू, तुम इतना घबराई हुई क्यों हो?

आरती: सम्राट, मां पापा घर पर नही है, और मैं अभी अकेली हूं, मुझे लगता है की घर में कोई घुस गया है। प्लीज जल्दी आओ, मुझे बहुत डर लग रहा है।

सम्राट: बस मैं १० मिनट में पहुंच रहा हूं।

और सम्राट फौरन आरती के घर की ओर निकल जाता है।

सम्राट आरती के घर पहुंच कर बेल बजाता है लेकिन कोई हलचल नहीं दिखती उसे। कुछ देर इंतजार करने के बाद सम्राट दरवाजे को छूता है और वो खुल जाता है। सम्राट अंदर जाते हुए आरती को आवाज देता है तो उसे आरती की आवाज आती है।

आरती: सम्राट, तुम आ गए, अंदर आओ, और दरवाजा बंद करके आना।

सम्राट ये सुन कर दरवाजा लगा देता है, और अंदर की ओर बढ़ता है, वो बैठक में पहुंच कर फिर से आरती को आवाज देता है।

आरती: बस सामने वाले कमरे में आ जाओ सम्राट, मैं तुम्हारा बेसब्री से इंतजार कर रही हूं।

सम्राट सामने वाले कमरे में जाता है, और वहां उसे आरती बेड पर लेटी हुई मिलती है, उसने वही कपड़े पहने हुए थे, जो सम्राट ने उस सपने में मौजूद युवती को पहने देखे थे। आरती उन कपड़ों में बला की खूबसूरत लग रही थी।

सम्राट को देखते ही आरती उठ कर उसके पास गई और उसके गले लगते ही बोली: कितनी देर कर दी सम्राट आने में।

सम्राट: आरु कौन घुसा तुम्हारे घर में? रुको पहले मुझे देखने दो।

आरती (शर्माते हुए): कोई नही सम्राट, बस तुमको बुलाने के लिए मैंने झूठ बोला था। अब तुम प्यार करने के लिए अच्छी लगा ढूंढ रहे थे, और आज मां पापा भी बाहर है, तो इस घर से अच्छी जगह क्या हो सकती है। आओ ना सम्राट, मैं कितना तड़प रही हूं तुम्हारे लिए।

सम्राट, थोड़ा पीछे होते हुए: ये क्या कह रही आरू, जब से तुम मामा के घर से आई हो, तब से क्या हो गया है तुम्हे? पता है न अभी हम लोग को पहले पढ़ाई पूरी करनी है, ये सब तो उम्र भर चलता ही रहेगा, लेकिन पहले हम लोग अच्छे से सैटल हो कर शादी तो कर ले, वरना एक बार इन चक्करों में पड़े तो इसी में रम जायेंगे।

आरती: क्या सम्राट, बस एक बार ही तो करना है।

सम्राट: नही आरु, ये सब क्या है, मेरी आरु तो ऐसी नही थी। पहले शांति से बैठो और ठंडे दिमाग से सोचो कि क्या हमे ये सब शादी के पहले करना चाहिए?

आरती (थोड़ा झुंझलाते हुए): क्या सम्राट, मैं खुद सामने से बोल रही हूं करने और तुम ये बेमतलब की बातें ले कर बैठ गए? कुछ मेरा भी खयाल करो।

सम्राट: मेरा भी खयाल करो, मतलब? आरू क्या बकवास कर रही हो तुम, जबकि तुम ही इन सब बातो को पहले कोई तवज्जो नहीं देती थी, क्या हुआ है। मैं घर जा रहा हूं वापस, और तुम आराम से इस बात पर विचार करो।

ये बोल कर सम्राट वापस मुड़ता है, तभी उसे आरती की चीख सुनाई देती है.....
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
17,917
35,698
259
एक चुड़ैल युविका, दूसरी भाभी, और अब आरती 😕
का करवा रहे हो भाई 😳😳

Sahi kaha apne bhai icha he mar jati h....
Is baar rajasthan garmi se bacha raha jiski umid sapno mai bhikoyi nahi kar sakta h

Nice update

Nice update.....

Baba asimanand nikal liye shayad :cry: bohot achhe insan the par chudel ka chakkar maut se takkar.

Chudel ka Arati ka rup lena aur samrat ke lode pe daka dalna uski adat thi jo ek mahine tak chali. Ab sawal ye he ke wo samrat ka kya ukhad sakti he ? Kya usne Arati ke sharir me pravesh kiya he ? Ya fir wo sirf uska roop leke aayi he ?

Hum intjaar karenge :evillaugh:

Nice update

Bahut hi shaandar update diya hai Riky007 bhai....
Nice and lovely update....

रक्षा सूत्र काम कर गया... प्यासी चुडेल को परेशां कर गया। असीमानंद महाराज की जय हो 😆

असीमानंद महाराज की असीम अनुकंपा से चि. सम्राट पुत्र रिकी 007 का चि. आरती का मधुर मिलन कॉलि पहाड़ी की तलहटी में संपन होने वाला है... समस्त लंड धारियों को आमंत्रित किया जाता है कि अधिक से अधिक संख्या में उपशथि दर्ज कराये। 🙏😜

Nice update

Starting k baad next episode nhi milta

बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट है
आरती तो एक दम बदल गई है लगता है बाबा निकल लिए और युविका आरती के शरीर में प्रवेश कर गई है

Behtareen update he Riky007 Bhai,

Yuvika ne lagta he Aseemanand ka kaam tamam kar diya he...........aur aarti ke rup me samrat ke sath pahadi par aayi..................kahi ye is chuma chati me raksha sutra na khol de.............

Keep posting Bhai

ufff very

Hot story

Update mat dalna

Very very nyc stori dear

Bahut hi behtarin update hai… 👏🏻👏🏻👏🏻
Waiting for next update 👏🏻👏🏻👏🏻

Good update brot
New update posted.

देरी के लिए क्षमाप्रार्थी हूं, लेकिन अब कहानी जल्दी ही खत्म होगी। 🙏🏽
 

Ajju Landwalia

Well-Known Member
3,257
12,750
159
अपडेट १२#

अब तक आपने पढ़ा..

आरती सम्राट को चूमते चूमते उसके शरीर पर हाथ भी चला रही होती है, और तभी वो उसके लंड को पकड़ लेती है, जिससे सम्राट की झटका सा लगता है और वो तुरंत अलग हो कर आरती को घूरने लगता है.......

अब आगे -

सम्राट: आरु, ये क्या कर रही हो।

आरती (हंसते हुए): क्या कर रही हूं? तुमको प्यार...

सम्राट: पर ऐसे? नही आरू, तुमने कहा था कि सब शादी के बाद, फिर?

आरती: सम्राट, अब जब सब सही है, हमारी शादी होनी ही है, तो फिर अभी ही क्यों नही?

सम्राट: क्योंकि तुमने ही मना किया है। और वही सही है।

आरती: तो अब मैं ही तो कर रही हूं। सम्राट, सब सही है, जब सारी दुनिया मजे ले रही है तो हम क्यों नहीं? प्लीज सम्राट अब क्या ही दिक्कत है?

सम्राट: पर आरू....

आरती आगे बढ़ कर सम्राट के होटों से अपने होंठ जोड़ देती है और सम्राट आगे कुछ नही बोल पाता। आरती उसका हाथ पकड़ कर अपने स्तनों पर रख कर दबाने लगती है, सम्राट भी धीरे धीरे मदहोश होने लगता है और खुद से ही आरती के स्तन को दबाने लगता है, आरती सम्राट के पैंट से उसका लंड बाहर निकाल कर हाथ से सहलाने लगती है। सम्राट भी जोर जोर से उसके होठों को चूसने लगता है।

आरती अपने होंठो को छुड़ा कर नीचे बैठ कर उसका लंड चूसने लगती है, और सम्राट के हाथ उसके बालों में घूमने लगते हैं। तभी सम्राट आरती को झटके से अपने से दूर कर देता है।

आरती: क्या हुआ, मजा नही आ रहा क्या?

सम्राट: आरु, मुझे भी करना है, पर ऐसे नही, पहली बार है अपना तो कुछ सही जगह पर तो हो। यहां इस तरह प्यार नही लगता ये।

आरती (सम्राट के नजदीक आ कर) : तुम क्या ये सब ले कर बैठे हो, और यहां आता ही कौन है, जो इतना परेशान हो रहे हो तुम? आओ ना यही सही जगह है।

सम्राट: नही, यहां तो बिल्कुल नही।

आरती (उदास होते हुए): फिर कहां, और कब?

सम्राट: अभी चलो यहां से, फिर बताता हूं सब।

दोनो वापस आ जाते हैं। और ऐसे ही ३ दिन बीत जाते हैं, आरती रोज सम्राट को फोन कर के जगह का पूछती है, और उसके इस प्रश्न से सम्राट बहुत चिंता में पड़ जाता है कि आखिर उसे हुआ क्या है?

ऐसे ही तीसरे दिन शाम के आरती का फोन आता है।

सम्राट: हेलो आरु।

आरती (घबराई सी आवाज में): सम्राट, तुम जल्दी से मेरे घर आ जाओ।

सम्राट (चिंता में): क्या हुआ आरू, तुम इतना घबराई हुई क्यों हो?

आरती: सम्राट, मां पापा घर पर नही है, और मैं अभी अकेली हूं, मुझे लगता है की घर में कोई घुस गया है। प्लीज जल्दी आओ, मुझे बहुत डर लग रहा है।

सम्राट: बस मैं १० मिनट में पहुंच रहा हूं।

और सम्राट फौरन आरती के घर की ओर निकल जाता है।

सम्राट आरती के घर पहुंच कर बेल बजाता है लेकिन कोई हलचल नहीं दिखती उसे। कुछ देर इंतजार करने के बाद सम्राट दरवाजे को छूता है और वो खुल जाता है। सम्राट अंदर जाते हुए आरती को आवाज देता है तो उसे आरती की आवाज आती है।

आरती: सम्राट, तुम आ गए, अंदर आओ, और दरवाजा बंद करके आना।

सम्राट ये सुन कर दरवाजा लगा देता है, और अंदर की ओर बढ़ता है, वो बैठक में पहुंच कर फिर से आरती को आवाज देता है।

आरती: बस सामने वाले कमरे में आ जाओ सम्राट, मैं तुम्हारा बेसब्री से इंतजार कर रही हूं।

सम्राट सामने वाले कमरे में जाता है, और वहां उसे आरती बेड पर लेटी हुई मिलती है, उसने वही कपड़े पहने हुए थे, जो सम्राट ने उस सपने में मौजूद युवती को पहने देखे थे। आरती उन कपड़ों में बला की खूबसूरत लग रही थी।

सम्राट को देखते ही आरती उठ कर उसके पास गई और उसके गले लगते ही बोली: कितनी देर कर दी सम्राट आने में।

सम्राट: आरु कौन घुसा तुम्हारे घर में? रुको पहले मुझे देखने दो।

आरती (शर्माते हुए): कोई नही सम्राट, बस तुमको बुलाने के लिए मैंने झूठ बोला था। अब तुम प्यार करने के लिए अच्छी लगा ढूंढ रहे थे, और आज मां पापा भी बाहर है, तो इस घर से अच्छी जगह क्या हो सकती है। आओ ना सम्राट, मैं कितना तड़प रही हूं तुम्हारे लिए।

सम्राट, थोड़ा पीछे होते हुए: ये क्या कह रही आरू, जब से तुम मामा के घर से आई हो, तब से क्या हो गया है तुम्हे? पता है न अभी हम लोग को पहले पढ़ाई पूरी करनी है, ये सब तो उम्र भर चलता ही रहेगा, लेकिन पहले हम लोग अच्छे से सैटल हो कर शादी तो कर ले, वरना एक बार इन चक्करों में पड़े तो इसी में रम जायेंगे।

आरती: क्या सम्राट, बस एक बार ही तो करना है।

सम्राट: नही आरु, ये सब क्या है, मेरी आरु तो ऐसी नही थी। पहले शांति से बैठो और ठंडे दिमाग से सोचो कि क्या हमे ये सब शादी के पहले करना चाहिए?

आरती (थोड़ा झुंझलाते हुए): क्या सम्राट, मैं खुद सामने से बोल रही हूं करने और तुम ये बेमतलब की बातें ले कर बैठ गए? कुछ मेरा भी खयाल करो।

सम्राट: मेरा भी खयाल करो, मतलब? आरू क्या बकवास कर रही हो तुम, जबकि तुम ही इन सब बातो को पहले कोई तवज्जो नहीं देती थी, क्या हुआ है। मैं घर जा रहा हूं वापस, और तुम आराम से इस बात पर विचार करो।


ये बोल कर सम्राट वापस मुड़ता है, तभी उसे आरती की चीख सुनाई देती है.....

Kaafi dino baad update aayi Riky007 Bhai

Lekin badhiya aayi ekdum mast.............

Aarti ke sharir me shayad chudail ghus gayi he...........

Dekhte he aage kya hota he
 

parkas

Well-Known Member
26,853
59,982
303
अपडेट १२#

अब तक आपने पढ़ा..

आरती सम्राट को चूमते चूमते उसके शरीर पर हाथ भी चला रही होती है, और तभी वो उसके लंड को पकड़ लेती है, जिससे सम्राट की झटका सा लगता है और वो तुरंत अलग हो कर आरती को घूरने लगता है.......

अब आगे -

सम्राट: आरु, ये क्या कर रही हो।

आरती (हंसते हुए): क्या कर रही हूं? तुमको प्यार...

सम्राट: पर ऐसे? नही आरू, तुमने कहा था कि सब शादी के बाद, फिर?

आरती: सम्राट, अब जब सब सही है, हमारी शादी होनी ही है, तो फिर अभी ही क्यों नही?

सम्राट: क्योंकि तुमने ही मना किया है। और वही सही है।

आरती: तो अब मैं ही तो कर रही हूं। सम्राट, सब सही है, जब सारी दुनिया मजे ले रही है तो हम क्यों नहीं? प्लीज सम्राट अब क्या ही दिक्कत है?

सम्राट: पर आरू....

आरती आगे बढ़ कर सम्राट के होटों से अपने होंठ जोड़ देती है और सम्राट आगे कुछ नही बोल पाता। आरती उसका हाथ पकड़ कर अपने स्तनों पर रख कर दबाने लगती है, सम्राट भी धीरे धीरे मदहोश होने लगता है और खुद से ही आरती के स्तन को दबाने लगता है, आरती सम्राट के पैंट से उसका लंड बाहर निकाल कर हाथ से सहलाने लगती है। सम्राट भी जोर जोर से उसके होठों को चूसने लगता है।

आरती अपने होंठो को छुड़ा कर नीचे बैठ कर उसका लंड चूसने लगती है, और सम्राट के हाथ उसके बालों में घूमने लगते हैं। तभी सम्राट आरती को झटके से अपने से दूर कर देता है।

आरती: क्या हुआ, मजा नही आ रहा क्या?

सम्राट: आरु, मुझे भी करना है, पर ऐसे नही, पहली बार है अपना तो कुछ सही जगह पर तो हो। यहां इस तरह प्यार नही लगता ये।

आरती (सम्राट के नजदीक आ कर) : तुम क्या ये सब ले कर बैठे हो, और यहां आता ही कौन है, जो इतना परेशान हो रहे हो तुम? आओ ना यही सही जगह है।

सम्राट: नही, यहां तो बिल्कुल नही।

आरती (उदास होते हुए): फिर कहां, और कब?

सम्राट: अभी चलो यहां से, फिर बताता हूं सब।

दोनो वापस आ जाते हैं। और ऐसे ही ३ दिन बीत जाते हैं, आरती रोज सम्राट को फोन कर के जगह का पूछती है, और उसके इस प्रश्न से सम्राट बहुत चिंता में पड़ जाता है कि आखिर उसे हुआ क्या है?

ऐसे ही तीसरे दिन शाम के आरती का फोन आता है।

सम्राट: हेलो आरु।

आरती (घबराई सी आवाज में): सम्राट, तुम जल्दी से मेरे घर आ जाओ।

सम्राट (चिंता में): क्या हुआ आरू, तुम इतना घबराई हुई क्यों हो?

आरती: सम्राट, मां पापा घर पर नही है, और मैं अभी अकेली हूं, मुझे लगता है की घर में कोई घुस गया है। प्लीज जल्दी आओ, मुझे बहुत डर लग रहा है।

सम्राट: बस मैं १० मिनट में पहुंच रहा हूं।

और सम्राट फौरन आरती के घर की ओर निकल जाता है।

सम्राट आरती के घर पहुंच कर बेल बजाता है लेकिन कोई हलचल नहीं दिखती उसे। कुछ देर इंतजार करने के बाद सम्राट दरवाजे को छूता है और वो खुल जाता है। सम्राट अंदर जाते हुए आरती को आवाज देता है तो उसे आरती की आवाज आती है।

आरती: सम्राट, तुम आ गए, अंदर आओ, और दरवाजा बंद करके आना।

सम्राट ये सुन कर दरवाजा लगा देता है, और अंदर की ओर बढ़ता है, वो बैठक में पहुंच कर फिर से आरती को आवाज देता है।

आरती: बस सामने वाले कमरे में आ जाओ सम्राट, मैं तुम्हारा बेसब्री से इंतजार कर रही हूं।

सम्राट सामने वाले कमरे में जाता है, और वहां उसे आरती बेड पर लेटी हुई मिलती है, उसने वही कपड़े पहने हुए थे, जो सम्राट ने उस सपने में मौजूद युवती को पहने देखे थे। आरती उन कपड़ों में बला की खूबसूरत लग रही थी।

सम्राट को देखते ही आरती उठ कर उसके पास गई और उसके गले लगते ही बोली: कितनी देर कर दी सम्राट आने में।

सम्राट: आरु कौन घुसा तुम्हारे घर में? रुको पहले मुझे देखने दो।

आरती (शर्माते हुए): कोई नही सम्राट, बस तुमको बुलाने के लिए मैंने झूठ बोला था। अब तुम प्यार करने के लिए अच्छी लगा ढूंढ रहे थे, और आज मां पापा भी बाहर है, तो इस घर से अच्छी जगह क्या हो सकती है। आओ ना सम्राट, मैं कितना तड़प रही हूं तुम्हारे लिए।

सम्राट, थोड़ा पीछे होते हुए: ये क्या कह रही आरू, जब से तुम मामा के घर से आई हो, तब से क्या हो गया है तुम्हे? पता है न अभी हम लोग को पहले पढ़ाई पूरी करनी है, ये सब तो उम्र भर चलता ही रहेगा, लेकिन पहले हम लोग अच्छे से सैटल हो कर शादी तो कर ले, वरना एक बार इन चक्करों में पड़े तो इसी में रम जायेंगे।

आरती: क्या सम्राट, बस एक बार ही तो करना है।

सम्राट: नही आरु, ये सब क्या है, मेरी आरु तो ऐसी नही थी। पहले शांति से बैठो और ठंडे दिमाग से सोचो कि क्या हमे ये सब शादी के पहले करना चाहिए?

आरती (थोड़ा झुंझलाते हुए): क्या सम्राट, मैं खुद सामने से बोल रही हूं करने और तुम ये बेमतलब की बातें ले कर बैठ गए? कुछ मेरा भी खयाल करो।

सम्राट: मेरा भी खयाल करो, मतलब? आरू क्या बकवास कर रही हो तुम, जबकि तुम ही इन सब बातो को पहले कोई तवज्जो नहीं देती थी, क्या हुआ है। मैं घर जा रहा हूं वापस, और तुम आराम से इस बात पर विचार करो।


ये बोल कर सम्राट वापस मुड़ता है, तभी उसे आरती की चीख सुनाई देती है.....
Bahut hi badhiya update diya hai Riky007 bhai....
Nice and beautiful update....
 
Top