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Horror कामातुर चुड़ैल! (Completed)

parkas

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अपडेट १३#

अब तक आपने पढ़ा -

ये बोल कर सम्राट वापस मुड़ता है, तभी उसे आरती की चीख सुनाई देती है.....

अब आगे।

पीछे मुड़ कर जब सम्राट देखता है तो आरती उसे हवा में झूलती दिखाई देती है, और जमीन पर युविका थी। आरती की आंखों में दहशत थी, और वो कतार दृष्टि से सम्राट को देख रही थी।

सम्राट ने आश्चर्य से युविका की और देखा।

युविका: सम्राट मेरे साथ रति क्रिया करो वरना मैं तुम्हारी आरु को।मौत दे दूंगी।

सम्राट: युविका, छोड़ दो आरू को, और जो करना है मेरे साथ करो।

युविका: सबसे पहले अपने हाथ में बढ़ा धागा खोलो, वरना वो मुझे भस्म कर देगा।

इतना सुनते ही सम्राट युविका की तरफ भागा और युविका को पकड़ना चाहा, उसने युविका का हाथ पकड़ा मगर कुछ हुआ नही। सम्राट: ये देख कुछ नही हुआ, अब छोड़ आरू को।

युविका: वो इसलिए क्योंकि तुमने मुझे छुआ, मैने नही, फिर भी मैं आरती को नीचे उतरती हूं, और तुम तब तक धागा खोलो।

इधर जैसे ही आरती नीचे आती है, घर के दरवाजे को कोई खटखटाता है, और सम्राट का नाम पुकारता है। युविका सम्राट को दरवाजा खोलने कहती है और खुद अदृश्य हो जाती है।

सम्राट के दरवाजा खोलते ही एक वृद्ध व्यक्ति उसको साइड करते हुए अंदर चले आए और कुछ बुदबुदाते हुए एक ओर पानी का छिड़काव किया। जिससे वहां पर मौजूद युविका नजर आने लगी। उसको देखते ही वृद्ध व्यक्ति ने दुबारा से कुछ मंत्र पढ़ कर फूंका और युविका वहीं पर खड़े खड़े कसमसाने लगी।

फिर वृद्ध व्यक्ति ने आरती की तरफ कुछ मंत्र पढ़े और आरती वहीं पर बेहोश हो कर गिर गई। तब तक सम्राट इस व्यक्ति के पास आ चुका था।

वृद्ध व्यक्ति: सम्राट, मैं असीमानंद का गुरु हूं, प्रज्ञानंदन। मैं आज ही हिमालय से लौटा, और आते ही मुझे पता चला की असीमानंद की मृत्यु हो गई है। मैने अपनी शक्तियों द्वारा पता लगाया तो इस चुड़ैल के बारे में पता चला। असीमानंद ने इसकी शक्तियों को बहुत कम करके आंका था, इसीलिए उस बेचारे की हत्या इसने कर दी।

सम्राट: पर गुरु जी, ये मेरे और आरती के पीछे क्यों पड़ी है।

प्रज्ञानंदन: क्योंकि तुम सब पिछले जन्म में जुड़े हुए थे। और तुमको पा कर न सिर्फ इसकी पिछली जन्म की अभिलाषा पूर्ण होगी, ये खुद भी इतनी शक्तिशाली हो जायेगी कि इसको रोकना मेरे बस में भी नही होगा।

सम्राट: पर इसने जो कहानी बताई उसमे तो...

प्रज्ञानंदन: सब झूठ बोला था तुमसे ताकि ये तुमसे संभोग करके धीरे धीरे तुमको प्राप्त कर ले, और अपनी सिद्धियां भी।

सम्राट: पर...

प्रज्ञानंदन: अब यही सारी बात बताएगी तुमको।

इतना कहते ही उन्होंने फिर से कोई मंत्र पढ़ा जिससे युविका तड़पने लगी।

युविका: ए बुड्ढे, जल्दी खोल मुझे वरना मैं खुद से मुक्त हुई तो तबाही मचा दूंगी चारों ओर।

प्रज्ञानंदन: मुझे पता है कि क्या कर सकती है, लेकिन तुझे नही पता कि मैं क्या कर सकता हूं, चल अब सच्चाई बता सारी खुद से।

युविका: नही बताऊंगी।

फिर से एक मंत्र और, और युविका का तड़पना और बढ़ गया।


युविका: बताती हूं, सब बताती हूं....
Bahut hi shaandar update Diya hai Riky007 bhai....
Nice and lovely update....
 

kas1709

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अपडेट १३#

अब तक आपने पढ़ा -

ये बोल कर सम्राट वापस मुड़ता है, तभी उसे आरती की चीख सुनाई देती है.....

अब आगे।

पीछे मुड़ कर जब सम्राट देखता है तो आरती उसे हवा में झूलती दिखाई देती है, और जमीन पर युविका थी। आरती की आंखों में दहशत थी, और वो कतार दृष्टि से सम्राट को देख रही थी।

सम्राट ने आश्चर्य से युविका की और देखा।

युविका: सम्राट मेरे साथ रति क्रिया करो वरना मैं तुम्हारी आरु को।मौत दे दूंगी।

सम्राट: युविका, छोड़ दो आरू को, और जो करना है मेरे साथ करो।

युविका: सबसे पहले अपने हाथ में बढ़ा धागा खोलो, वरना वो मुझे भस्म कर देगा।

इतना सुनते ही सम्राट युविका की तरफ भागा और युविका को पकड़ना चाहा, उसने युविका का हाथ पकड़ा मगर कुछ हुआ नही। सम्राट: ये देख कुछ नही हुआ, अब छोड़ आरू को।

युविका: वो इसलिए क्योंकि तुमने मुझे छुआ, मैने नही, फिर भी मैं आरती को नीचे उतरती हूं, और तुम तब तक धागा खोलो।

इधर जैसे ही आरती नीचे आती है, घर के दरवाजे को कोई खटखटाता है, और सम्राट का नाम पुकारता है। युविका सम्राट को दरवाजा खोलने कहती है और खुद अदृश्य हो जाती है।

सम्राट के दरवाजा खोलते ही एक वृद्ध व्यक्ति उसको साइड करते हुए अंदर चले आए और कुछ बुदबुदाते हुए एक ओर पानी का छिड़काव किया। जिससे वहां पर मौजूद युविका नजर आने लगी। उसको देखते ही वृद्ध व्यक्ति ने दुबारा से कुछ मंत्र पढ़ कर फूंका और युविका वहीं पर खड़े खड़े कसमसाने लगी।

फिर वृद्ध व्यक्ति ने आरती की तरफ कुछ मंत्र पढ़े और आरती वहीं पर बेहोश हो कर गिर गई। तब तक सम्राट इस व्यक्ति के पास आ चुका था।

वृद्ध व्यक्ति: सम्राट, मैं असीमानंद का गुरु हूं, प्रज्ञानंदन। मैं आज ही हिमालय से लौटा, और आते ही मुझे पता चला की असीमानंद की मृत्यु हो गई है। मैने अपनी शक्तियों द्वारा पता लगाया तो इस चुड़ैल के बारे में पता चला। असीमानंद ने इसकी शक्तियों को बहुत कम करके आंका था, इसीलिए उस बेचारे की हत्या इसने कर दी।

सम्राट: पर गुरु जी, ये मेरे और आरती के पीछे क्यों पड़ी है।

प्रज्ञानंदन: क्योंकि तुम सब पिछले जन्म में जुड़े हुए थे। और तुमको पा कर न सिर्फ इसकी पिछली जन्म की अभिलाषा पूर्ण होगी, ये खुद भी इतनी शक्तिशाली हो जायेगी कि इसको रोकना मेरे बस में भी नही होगा।

सम्राट: पर इसने जो कहानी बताई उसमे तो...

प्रज्ञानंदन: सब झूठ बोला था तुमसे ताकि ये तुमसे संभोग करके धीरे धीरे तुमको प्राप्त कर ले, और अपनी सिद्धियां भी।

सम्राट: पर...

प्रज्ञानंदन: अब यही सारी बात बताएगी तुमको।

इतना कहते ही उन्होंने फिर से कोई मंत्र पढ़ा जिससे युविका तड़पने लगी।

युविका: ए बुड्ढे, जल्दी खोल मुझे वरना मैं खुद से मुक्त हुई तो तबाही मचा दूंगी चारों ओर।

प्रज्ञानंदन: मुझे पता है कि क्या कर सकती है, लेकिन तुझे नही पता कि मैं क्या कर सकता हूं, चल अब सच्चाई बता सारी खुद से।

युविका: नही बताऊंगी।

फिर से एक मंत्र और, और युविका का तड़पना और बढ़ गया।


युविका: बताती हूं, सब बताती हूं....
Nice update....
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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अपडेट १३#

अब तक आपने पढ़ा -

ये बोल कर सम्राट वापस मुड़ता है, तभी उसे आरती की चीख सुनाई देती है.....

अब आगे।

पीछे मुड़ कर जब सम्राट देखता है तो आरती उसे हवा में झूलती दिखाई देती है, और जमीन पर युविका थी। आरती की आंखों में दहशत थी, और वो कतार दृष्टि से सम्राट को देख रही थी।

सम्राट ने आश्चर्य से युविका की और देखा।

युविका: सम्राट मेरे साथ रति क्रिया करो वरना मैं तुम्हारी आरु को।मौत दे दूंगी।

सम्राट: युविका, छोड़ दो आरू को, और जो करना है मेरे साथ करो।

युविका: सबसे पहले अपने हाथ में बढ़ा धागा खोलो, वरना वो मुझे भस्म कर देगा।

इतना सुनते ही सम्राट युविका की तरफ भागा और युविका को पकड़ना चाहा, उसने युविका का हाथ पकड़ा मगर कुछ हुआ नही। सम्राट: ये देख कुछ नही हुआ, अब छोड़ आरू को।

युविका: वो इसलिए क्योंकि तुमने मुझे छुआ, मैने नही, फिर भी मैं आरती को नीचे उतरती हूं, और तुम तब तक धागा खोलो।

इधर जैसे ही आरती नीचे आती है, घर के दरवाजे को कोई खटखटाता है, और सम्राट का नाम पुकारता है। युविका सम्राट को दरवाजा खोलने कहती है और खुद अदृश्य हो जाती है।

सम्राट के दरवाजा खोलते ही एक वृद्ध व्यक्ति उसको साइड करते हुए अंदर चले आए और कुछ बुदबुदाते हुए एक ओर पानी का छिड़काव किया। जिससे वहां पर मौजूद युविका नजर आने लगी। उसको देखते ही वृद्ध व्यक्ति ने दुबारा से कुछ मंत्र पढ़ कर फूंका और युविका वहीं पर खड़े खड़े कसमसाने लगी।

फिर वृद्ध व्यक्ति ने आरती की तरफ कुछ मंत्र पढ़े और आरती वहीं पर बेहोश हो कर गिर गई। तब तक सम्राट इस व्यक्ति के पास आ चुका था।

वृद्ध व्यक्ति: सम्राट, मैं असीमानंद का गुरु हूं, प्रज्ञानंदन। मैं आज ही हिमालय से लौटा, और आते ही मुझे पता चला की असीमानंद की मृत्यु हो गई है। मैने अपनी शक्तियों द्वारा पता लगाया तो इस चुड़ैल के बारे में पता चला। असीमानंद ने इसकी शक्तियों को बहुत कम करके आंका था, इसीलिए उस बेचारे की हत्या इसने कर दी।

सम्राट: पर गुरु जी, ये मेरे और आरती के पीछे क्यों पड़ी है।

प्रज्ञानंदन: क्योंकि तुम सब पिछले जन्म में जुड़े हुए थे। और तुमको पा कर न सिर्फ इसकी पिछली जन्म की अभिलाषा पूर्ण होगी, ये खुद भी इतनी शक्तिशाली हो जायेगी कि इसको रोकना मेरे बस में भी नही होगा।

सम्राट: पर इसने जो कहानी बताई उसमे तो...

प्रज्ञानंदन: सब झूठ बोला था तुमसे ताकि ये तुमसे संभोग करके धीरे धीरे तुमको प्राप्त कर ले, और अपनी सिद्धियां भी।

सम्राट: पर...

प्रज्ञानंदन: अब यही सारी बात बताएगी तुमको।

इतना कहते ही उन्होंने फिर से कोई मंत्र पढ़ा जिससे युविका तड़पने लगी।

युविका: ए बुड्ढे, जल्दी खोल मुझे वरना मैं खुद से मुक्त हुई तो तबाही मचा दूंगी चारों ओर।

प्रज्ञानंदन: मुझे पता है कि क्या कर सकती है, लेकिन तुझे नही पता कि मैं क्या कर सकता हूं, चल अब सच्चाई बता सारी खुद से।

युविका: नही बताऊंगी।

फिर से एक मंत्र और, और युविका का तड़पना और बढ़ गया।


युविका: बताती हूं, सब बताती हूं....

अच्छा है, लेकिन न जाने क्यों ऐसा लग रहा है कि आप उकता गए हैं।
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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अच्छा है, लेकिन न जाने क्यों ऐसा लग रहा है कि आप उकता गए हैं।
लग मुझको भी ऐसा ही रहा है, वैसे इस भाग को ज्यादा खीच नही सकता था, क्योंकि अगले में फ्लैश बैक चलेगा।
 

Ajju Landwalia

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Bahut hi badhiya update he Riky007 Bhai

kuch fast forward mode par aa gayi he story.............mujhe aisa lagta he

Keep posting Bhai
 

sunoanuj

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Bahut barhiya or bahut hee jaldi main likha gaya update … waiting for next update 👏🏻👏🏻👏🏻
 
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अपडेट १३#

अब तक आपने पढ़ा -

ये बोल कर सम्राट वापस मुड़ता है, तभी उसे आरती की चीख सुनाई देती है.....

अब आगे।

पीछे मुड़ कर जब सम्राट देखता है तो आरती उसे हवा में झूलती दिखाई देती है, और जमीन पर युविका थी। आरती की आंखों में दहशत थी, और वो कतार दृष्टि से सम्राट को देख रही थी।

सम्राट ने आश्चर्य से युविका की और देखा।

युविका: सम्राट मेरे साथ रति क्रिया करो वरना मैं तुम्हारी आरु को।मौत दे दूंगी।

सम्राट: युविका, छोड़ दो आरू को, और जो करना है मेरे साथ करो।

युविका: सबसे पहले अपने हाथ में बढ़ा धागा खोलो, वरना वो मुझे भस्म कर देगा।

इतना सुनते ही सम्राट युविका की तरफ भागा और युविका को पकड़ना चाहा, उसने युविका का हाथ पकड़ा मगर कुछ हुआ नही। सम्राट: ये देख कुछ नही हुआ, अब छोड़ आरू को।

युविका: वो इसलिए क्योंकि तुमने मुझे छुआ, मैने नही, फिर भी मैं आरती को नीचे उतरती हूं, और तुम तब तक धागा खोलो।

इधर जैसे ही आरती नीचे आती है, घर के दरवाजे को कोई खटखटाता है, और सम्राट का नाम पुकारता है। युविका सम्राट को दरवाजा खोलने कहती है और खुद अदृश्य हो जाती है।

सम्राट के दरवाजा खोलते ही एक वृद्ध व्यक्ति उसको साइड करते हुए अंदर चले आए और कुछ बुदबुदाते हुए एक ओर पानी का छिड़काव किया। जिससे वहां पर मौजूद युविका नजर आने लगी। उसको देखते ही वृद्ध व्यक्ति ने दुबारा से कुछ मंत्र पढ़ कर फूंका और युविका वहीं पर खड़े खड़े कसमसाने लगी।

फिर वृद्ध व्यक्ति ने आरती की तरफ कुछ मंत्र पढ़े और आरती वहीं पर बेहोश हो कर गिर गई। तब तक सम्राट इस व्यक्ति के पास आ चुका था।

वृद्ध व्यक्ति: सम्राट, मैं असीमानंद का गुरु हूं, प्रज्ञानंदन। मैं आज ही हिमालय से लौटा, और आते ही मुझे पता चला की असीमानंद की मृत्यु हो गई है। मैने अपनी शक्तियों द्वारा पता लगाया तो इस चुड़ैल के बारे में पता चला। असीमानंद ने इसकी शक्तियों को बहुत कम करके आंका था, इसीलिए उस बेचारे की हत्या इसने कर दी।

सम्राट: पर गुरु जी, ये मेरे और आरती के पीछे क्यों पड़ी है।

प्रज्ञानंदन: क्योंकि तुम सब पिछले जन्म में जुड़े हुए थे। और तुमको पा कर न सिर्फ इसकी पिछली जन्म की अभिलाषा पूर्ण होगी, ये खुद भी इतनी शक्तिशाली हो जायेगी कि इसको रोकना मेरे बस में भी नही होगा।

सम्राट: पर इसने जो कहानी बताई उसमे तो...

प्रज्ञानंदन: सब झूठ बोला था तुमसे ताकि ये तुमसे संभोग करके धीरे धीरे तुमको प्राप्त कर ले, और अपनी सिद्धियां भी।

सम्राट: पर...

प्रज्ञानंदन: अब यही सारी बात बताएगी तुमको।

इतना कहते ही उन्होंने फिर से कोई मंत्र पढ़ा जिससे युविका तड़पने लगी।

युविका: ए बुड्ढे, जल्दी खोल मुझे वरना मैं खुद से मुक्त हुई तो तबाही मचा दूंगी चारों ओर।

प्रज्ञानंदन: मुझे पता है कि क्या कर सकती है, लेकिन तुझे नही पता कि मैं क्या कर सकता हूं, चल अब सच्चाई बता सारी खुद से।

युविका: नही बताऊंगी।

फिर से एक मंत्र और, और युविका का तड़पना और बढ़ गया।


युविका: बताती हूं, सब बताती हूं....
बढ़िया भाग है मित्र, इसका तो अंदाजा हो चला था के हो ना हो आरू युविका के वश में है और अब मैं युविका के मुह से जारी सच्चाई जानने के लिए सम्राट जितना ही उत्सुक हु
 

dhparikh

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ये बोल कर सम्राट वापस मुड़ता है, तभी उसे आरती की चीख सुनाई देती है.....

अब आगे।

पीछे मुड़ कर जब सम्राट देखता है तो आरती उसे हवा में झूलती दिखाई देती है, और जमीन पर युविका थी। आरती की आंखों में दहशत थी, और वो कतार दृष्टि से सम्राट को देख रही थी।

सम्राट ने आश्चर्य से युविका की और देखा।

युविका: सम्राट मेरे साथ रति क्रिया करो वरना मैं तुम्हारी आरु को।मौत दे दूंगी।

सम्राट: युविका, छोड़ दो आरू को, और जो करना है मेरे साथ करो।

युविका: सबसे पहले अपने हाथ में बढ़ा धागा खोलो, वरना वो मुझे भस्म कर देगा।

इतना सुनते ही सम्राट युविका की तरफ भागा और युविका को पकड़ना चाहा, उसने युविका का हाथ पकड़ा मगर कुछ हुआ नही। सम्राट: ये देख कुछ नही हुआ, अब छोड़ आरू को।

युविका: वो इसलिए क्योंकि तुमने मुझे छुआ, मैने नही, फिर भी मैं आरती को नीचे उतरती हूं, और तुम तब तक धागा खोलो।

इधर जैसे ही आरती नीचे आती है, घर के दरवाजे को कोई खटखटाता है, और सम्राट का नाम पुकारता है। युविका सम्राट को दरवाजा खोलने कहती है और खुद अदृश्य हो जाती है।

सम्राट के दरवाजा खोलते ही एक वृद्ध व्यक्ति उसको साइड करते हुए अंदर चले आए और कुछ बुदबुदाते हुए एक ओर पानी का छिड़काव किया। जिससे वहां पर मौजूद युविका नजर आने लगी। उसको देखते ही वृद्ध व्यक्ति ने दुबारा से कुछ मंत्र पढ़ कर फूंका और युविका वहीं पर खड़े खड़े कसमसाने लगी।

फिर वृद्ध व्यक्ति ने आरती की तरफ कुछ मंत्र पढ़े और आरती वहीं पर बेहोश हो कर गिर गई। तब तक सम्राट इस व्यक्ति के पास आ चुका था।

वृद्ध व्यक्ति: सम्राट, मैं असीमानंद का गुरु हूं, प्रज्ञानंदन। मैं आज ही हिमालय से लौटा, और आते ही मुझे पता चला की असीमानंद की मृत्यु हो गई है। मैने अपनी शक्तियों द्वारा पता लगाया तो इस चुड़ैल के बारे में पता चला। असीमानंद ने इसकी शक्तियों को बहुत कम करके आंका था, इसीलिए उस बेचारे की हत्या इसने कर दी।

सम्राट: पर गुरु जी, ये मेरे और आरती के पीछे क्यों पड़ी है।

प्रज्ञानंदन: क्योंकि तुम सब पिछले जन्म में जुड़े हुए थे। और तुमको पा कर न सिर्फ इसकी पिछली जन्म की अभिलाषा पूर्ण होगी, ये खुद भी इतनी शक्तिशाली हो जायेगी कि इसको रोकना मेरे बस में भी नही होगा।

सम्राट: पर इसने जो कहानी बताई उसमे तो...

प्रज्ञानंदन: सब झूठ बोला था तुमसे ताकि ये तुमसे संभोग करके धीरे धीरे तुमको प्राप्त कर ले, और अपनी सिद्धियां भी।

सम्राट: पर...

प्रज्ञानंदन: अब यही सारी बात बताएगी तुमको।

इतना कहते ही उन्होंने फिर से कोई मंत्र पढ़ा जिससे युविका तड़पने लगी।

युविका: ए बुड्ढे, जल्दी खोल मुझे वरना मैं खुद से मुक्त हुई तो तबाही मचा दूंगी चारों ओर।

प्रज्ञानंदन: मुझे पता है कि क्या कर सकती है, लेकिन तुझे नही पता कि मैं क्या कर सकता हूं, चल अब सच्चाई बता सारी खुद से।

युविका: नही बताऊंगी।

फिर से एक मंत्र और, और युविका का तड़पना और बढ़ गया।


युविका: बताती हूं, सब बताती हूं....
Nice update...
 

Thakur

असला हम भी रखते है पहलवान 😼
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अब तक आपने पढ़ा -

ये बोल कर सम्राट वापस मुड़ता है, तभी उसे आरती की चीख सुनाई देती है.....

अब आगे।

पीछे मुड़ कर जब सम्राट देखता है तो आरती उसे हवा में झूलती दिखाई देती है, और जमीन पर युविका थी। आरती की आंखों में दहशत थी, और वो कतार दृष्टि से सम्राट को देख रही थी।

सम्राट ने आश्चर्य से युविका की और देखा।

युविका: सम्राट मेरे साथ रति क्रिया करो वरना मैं तुम्हारी आरु को।मौत दे दूंगी।

सम्राट: युविका, छोड़ दो आरू को, और जो करना है मेरे साथ करो।

युविका: सबसे पहले अपने हाथ में बढ़ा धागा खोलो, वरना वो मुझे भस्म कर देगा।

इतना सुनते ही सम्राट युविका की तरफ भागा और युविका को पकड़ना चाहा, उसने युविका का हाथ पकड़ा मगर कुछ हुआ नही। सम्राट: ये देख कुछ नही हुआ, अब छोड़ आरू को।

युविका: वो इसलिए क्योंकि तुमने मुझे छुआ, मैने नही, फिर भी मैं आरती को नीचे उतरती हूं, और तुम तब तक धागा खोलो।

इधर जैसे ही आरती नीचे आती है, घर के दरवाजे को कोई खटखटाता है, और सम्राट का नाम पुकारता है। युविका सम्राट को दरवाजा खोलने कहती है और खुद अदृश्य हो जाती है।

सम्राट के दरवाजा खोलते ही एक वृद्ध व्यक्ति उसको साइड करते हुए अंदर चले आए और कुछ बुदबुदाते हुए एक ओर पानी का छिड़काव किया। जिससे वहां पर मौजूद युविका नजर आने लगी। उसको देखते ही वृद्ध व्यक्ति ने दुबारा से कुछ मंत्र पढ़ कर फूंका और युविका वहीं पर खड़े खड़े कसमसाने लगी।

फिर वृद्ध व्यक्ति ने आरती की तरफ कुछ मंत्र पढ़े और आरती वहीं पर बेहोश हो कर गिर गई। तब तक सम्राट इस व्यक्ति के पास आ चुका था।

वृद्ध व्यक्ति: सम्राट, मैं असीमानंद का गुरु हूं, प्रज्ञानंदन। मैं आज ही हिमालय से लौटा, और आते ही मुझे पता चला की असीमानंद की मृत्यु हो गई है। मैने अपनी शक्तियों द्वारा पता लगाया तो इस चुड़ैल के बारे में पता चला। असीमानंद ने इसकी शक्तियों को बहुत कम करके आंका था, इसीलिए उस बेचारे की हत्या इसने कर दी।

सम्राट: पर गुरु जी, ये मेरे और आरती के पीछे क्यों पड़ी है।

प्रज्ञानंदन: क्योंकि तुम सब पिछले जन्म में जुड़े हुए थे। और तुमको पा कर न सिर्फ इसकी पिछली जन्म की अभिलाषा पूर्ण होगी, ये खुद भी इतनी शक्तिशाली हो जायेगी कि इसको रोकना मेरे बस में भी नही होगा।

सम्राट: पर इसने जो कहानी बताई उसमे तो...

प्रज्ञानंदन: सब झूठ बोला था तुमसे ताकि ये तुमसे संभोग करके धीरे धीरे तुमको प्राप्त कर ले, और अपनी सिद्धियां भी।

सम्राट: पर...

प्रज्ञानंदन: अब यही सारी बात बताएगी तुमको।

इतना कहते ही उन्होंने फिर से कोई मंत्र पढ़ा जिससे युविका तड़पने लगी।

युविका: ए बुड्ढे, जल्दी खोल मुझे वरना मैं खुद से मुक्त हुई तो तबाही मचा दूंगी चारों ओर।

प्रज्ञानंदन: मुझे पता है कि क्या कर सकती है, लेकिन तुझे नही पता कि मैं क्या कर सकता हूं, चल अब सच्चाई बता सारी खुद से।

युविका: नही बताऊंगी।

फिर से एक मंत्र और, और युविका का तड़पना और बढ़ गया।


युविका: बताती हूं, सब बताती हूं....
Sab fast hua lag raha he prr sahi bhi he ko ke hona he hai

Pr kahani ke kai sire baaki he
 
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