अपडेट १०#
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अब रोज रात को यही होने लगा। सम्राट शारीरिक रूप से थोड़ा सा कमजोर दिखने लगा था, उसे भी अक्सर थकान और नींद आती रहती थी। और थोड़ा मुरझाया से दिखने लगा था। इस बीच आरती अपने मामा के घर गई हुई थी तो दोनो की मुलाकात भी नही हो पाई थी। एक सप्ताह बाद की बात है, शाम के समय सम्राट घाट की तरफ से लौट रहा था, तभी एक बाग के पास उसे एक आवाज आई।
आवाज: सम्राट, जरा रुकना......
अब आगे...
सम्राट पीछे मुड़ कर देखता है तो उसको एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति दिखाई देता है, थोड़ा ध्यान से देखने पर उसको याद आता है कि ये वही है जिसने कुछ समय पहले उसकी फैक्ट्री वाली जमीन पर कुछ पूजा करवाई थी और वो रघु के जानने वाले हैं, इनका नाम असीमानंद है।
सम्राट उनको देख कर प्रणाम करता है।
असीमानंद: सम्राट बेटा, आप किस चक्कर में पड़ गए हैं?
सम्राट (हड़बड़ाते हुए): जी क्या मतलब? मैं किस चक्कर में पडूंगा?
असीमानंद: तो फिर आपकी ये हालत कैसे हो गई? मुझे साफ साफ दिखाई दे रहा है कि कोई बुरा साया आपके संपर्क में है, मुझे पूरी बात बताएं, मैं अवश्य आपकी मदद करूंगा। भरोसा रखिए मुझ पर, रघु मेरे भाई जैसा है, मैं आपका कोई बुरा नही चाहूंगा।
सम्राट: जी चाचा जी, मैं तो उसकी मदद करना चाहता हूं, इसमें मेरा बुरा क्या होगा?
असीमानंद: बेटा ऐसे साए, मतलब भूत प्रेत डायन चुड़ैल, ये सब मनुष्य से बस एक ही काम ले सकते हैं, और वो है उनकी खुद की काली शक्तियों को बढ़ाना। हम मनुष्य सिर्फ और सिर्फ उनके लिए एक आहुति भर ही हैं, जिसे वो अलग अलग तरह से अपने अनुष्ठान के लिए प्रयोग करते हैं। आप बेझिझक मुझे पूरी बात बताएं।
सम्राट थोड़ा हिचकिचाते हुए असीमानंद को युविका के बारे में पूरी बात बता देता है, सिवाय अपने महेंद्रगढ़ जाने की बात के।
असीमानंद ये सुन कर गहरी सोच में पड़ जाता है, और कहता है, "एक काम करो, आज घर पर मत रुको, कल सुबह मुझे यहीं पर १० बजे मिलना, में कुछ उपाय करता हूं, जितना हो सके उस बला से दूर रहो। वो एक बहुत ही शक्तिशाली चुड़ैल है, जिसे संसर्ग करने के लिए स्थूल शरीर की आवश्यकता नही है। अब वो किस कारण से आपस संसर्ग कर रही है, ये तो मैं तभी पता लगा सकता हूं जब मैं उसको अपने वश में कर लूं, पर उसके लिए मुझे तुम्हारी जरूरत पड़ेगी। कल आप मुझे यहां मिलिए, और आज उसे दूर ही रहिए।"
फिर असीमानंद चले जाते हैं, और सम्राट सोच में डूब जाता है की आखिर वो रात कहां बिताए। तभी उसको गोपाल का फोन आता है।
गोपाल: सम्राट, भाई आज क्या नाइटआउट करे, में आज घर में अकेला हूं, तू और शिव आजा, बीयर पीते हैं और मस्ती करते हैं।
सम्राट तुरंत हां बोल कर नूपुर को फोन मिलता है।
सम्राट: भाभी, आज मैं गोपाल और शिव के साथ नाइटआउट कर रहा हूं, प्लीज आप मां पापा को माना लीजिएगा न।
नूपुर: बिल्कुल माना लूंगी, पर मुझे भी कुछ चाहिए बदले में।
सम्राट: हां बोलिए न भाभी क्या चाहिए?
नूपुर: जाओ एंजॉय करो, समय आने पर ले लूंगी मैं।
सम्राट भाभी से बात करके गोपाल के घर निकल जाता है।
तीनों रात में खूब मस्ती करते हैं और सुबह सम्राट तय समय पर असीमानंद से मिलने गोपाल के घर से सीधे ही निकल जाता है।
कुछ देर बाद ही असीमानंद सम्राट को मिलता है।
असीमानंद: बेटा ये रक्षा सूत्र लो, और किसी भी तरह इसे उस के हाथ पर बांध देना, जैसे ही ये उसके हाथ पर बंधेगा, उसकी शक्तियां क्षीण हो जाएंगी, और मैं उसको काबू में कर लूंगा, रात को बस मुझे किसी तरह से अपने कमरे में या पास में कहीं छुपा देना। याद रखो की जब तक ये सूत्र उसके हाथ को छू न जाय, उसे इसके बारे में पता नही लगना चाहिए।
सम्राट: जी चाचाजी, हो जायेगा। आप रात ११ बजे घर के पास आ कर मुझे कॉल कर लीजिएगा, मैं आपको घर में छुपा लूंगा।
पर मन ही मन सम्राट युविका को धोखा नही देना चाहता था। वो कश्मकश में था इस बात को ले कर।
फिर सम्राट अपने घर वापस आ जाता गई। जैसे ही वो अपने मुहल्ले में पहुंचता है, उसे नुक्कड़ पर पुलिस और भीड़ दिखाई देती है। सम्राट पास पहुंच कर माजरा समझने की कोशिश करता है तो उसे पता चलता है कि किसी अज्ञात व्यक्ति का शव मिला है, और उसकी बहुत ही बूरी हालत है, ऐसा लगता है जैसे किसी ने उसके शरीर से पूरा खून ही निचोड़ लिया हो। ये सुन कर सम्राट का ध्यान युविका की तरफ चला जाता है, और उसे याद आता है कि जिस रात उसकी युविका से बात हुई थी, उस रात भी एक ऐसा ही शव मिला था। ये सोचते ही सम्राट के शरीर में झुरझुरी सी दौड़ने लगती है।
जैसे जैसे शाम होने लगी सम्राट की चिंता बढ़ती जा रही थी, कि वो कैसे किसी को धोखा दे सकता है। तभी उसे आरती का फोन आता है।
आरती: हेलो सम्राट, कैसे हो, आज कल मुझे भूल गए हो शायद तुम?
सम्राट: नही आरती, में सांस लेना भूल सकता हूं पर तुमको कभी नहीं, हम शरीर से भले ही अलग हों पर दिल से हमेशा एक दूसरे से जुड़े रहेंगे।
आरती: अच्छा जी! बहुत फिल्मी डायलॉग मार रहे हो। पर फोन नही कर पाते हो? अच्छा क्या कर रहे हो वैसे?
सम्राट: अभी तो कुछ नही, बस तुम्हे ही याद कर रहा था। अच्छा तुमसे कुछ पूछना है।
आरती: हां बोलो।
सम्राट: अगर हम अपनी समझ में किसी की मदद कर रहे हो, और वो मदद के बदले हमको धोखा दे रहा हो, तो क्या हम भी उसको धोखा दे सकते हैं, जिससे हमारा नुकसान होने से बच जाय?
आरती: देखी सम्राट, हम दूसरे की मदद तभी कर सकते हैं जब हम खुद सही से होंगे, और अगर जो मदद लेने वाला हम धोखा दे कर नुकसान पहुंचा रहा है तो खुद को बचाने के लिए हम जो भी करें वो सही है। वैसे हुआ क्या है, वो बताओ?
सम्राट: बताऊंगा आरू, पर तुम वापस आओ तब।
फिर दोनो कुछ इधर उधर की बातें करके फोन रख देते हैं।
आरती सम्राट का संबल है, उससे बात करके सम्राट को बहुत हल्का महसूस होता है। आरती की बात सुन कर सम्राट के मन का बोझ उतर जाता है और वो अपनी तैयारी में लग जाता है।
रात ११ बजे जब सब सो चुके होते हैं तो उसे असीमानंद का फोन आता है, और वो उनको चुपचाप से घर के अंदर ला कर छुपा देता है। असीमानंद ने एक रक्षा सूत्र सम्राट को भी बांध दिया ताकि युविका अपनी शक्तियों से सम्राट को तत्काल कोई नुकसान न पहुंचा पाए।
तय समय पर वही मदहोश करने वाली सुगंध आने लगती है, और असीमानंद जैसे ही ये महसूस करता है, वो मंत्रों के जाप को शुरू कर देता है और उस सुगंध का प्रभाव उस पर नही पड़ता।
युविका सम्राट के कमरे में आ कर उसके गले लग जाती है, सम्राट तुरंत ही उसके सर के पीछे अपनी उंगलियों को फेरते हुए उसके अधरो को चूमने लगता है और दूसरे हाथ से उसके स्तनों को मसलने लगता है, युविका भी उत्तेजित होने लगती है और अपनी आंखें बंद करके सम्राट का साथ देने लगती है। जैसे ही सम्राट को मौका दिखता है, वो फौरन ही रक्षा सूत्र निकल कर युविका के हाथ में बांध देता है.....