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Horror कामातुर चुड़ैल! (Completed)

komaalrani

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अपडेट २#

अब तक आपने पढ़ा..

युवती (मुस्कुराते हुए बेड से उठ कर सम्राट के करीब आती है): मैं कौन, और यहां कैसे आई, इन बातों में वक्त क्यों बर्बाद करना? आओ और बस मेरी बाहों में समा जाओ।
_____________________________________

अब आगे....



सम्राट उसकी ओर आश्चर्य से देखता है, और उसकी नजरें जैसे ही युवती से मिलती हैं, सम्राट की सुधबुध खो सी जाती है, और वो युवती सम्राट को अपनी बाहों में भर लेती है, और उसके आधारों को चूमने लगती है। सम्राट जो की किसी और दुनिया में गुम हो चुका था, वो भी उस युवती का साथ देने लगता है।

दोनो में एक होड़ लगी थी कि कौन दूसरे के अधरों का रसपान ज्यादा कर सकता है। तभी उस युवती ने अपनी जीभ को सम्राट के मुंह में धकेल दिया जिससे सम्राट को नया अनुभव मिला और वो उसकी जीभ के स्वाद का मजा लेने लगा। साथ ही साथ उसके हाथ युवती केबदन पर घूमते हुए उसके उभारों को महसूस करने लगे। युवती सम्राट को उसके बेड पर ले कर आती है, और आधारों को छोड़ कर उसकी शर्ट को उतारने लगती है। उधर सम्राट की हालत ऐसी होती है जैसे उससे किसी ने उसका सबसे प्यारा खिलौना छीन लिया हो, मगर तभी वो युवती उसके सीने को चूमते हुए अपने एक हाथ से सम्राट की पैंट को भी खोलने लगती है।

सम्राट बेसब्र हो कर अपने हाथ से उसके स्तनों को दबाने लगता है, तो वो युवती उठ कर अपनी टीशर्ट उतार देती है, और उसके उन्नत स्तन सम्राट के आंखों के सामने आ कर उसकी आमंत्रण देने लगते हैं, सम्राट आगे बढ़ते हुए एक स्तन पर अपना मुंह लगता है, और दूसरे के हाथों से सहलाने लगता है, युवती अपने एक हाथ से उसके सर को अपने वक्षों पर दबाते हुए दूसरे से सम्राट के लंड को मसलने लगती है, जिससे सम्राट की सिसकारी निकल पड़ती है। थोड़ी देर बाद वो युवती फिर से उठती है और अपनी जींस भी निकाल फेकती है, और दुबारा से सम्राट की छाती पर बैठ जाती है मगर इस बार उसके मुंह की तरफ पीठ करके, और आगे झुक कर सम्राट के लंड को अपनी जीभ से चाटने लगती है, सम्राट ने ये सब पढ़ा और देखा भर था, पर जीवन में पहले बार उसके साथ पहली बार हो रहा था, उतेजना के आसमान पर पहुंच चुका था वो।

युवती की गुलाबी फूल जैसी साफ और चिकनी योनि सम्राट के मुंह के सामने थी, और वो योनि के मदहोश करने वाली गंध उसकी उत्तेजना को और बढ़ा ही रही थी। और अभी तक के अर्जित ज्ञान को इकट्ठा करते हुए, उसने अपने मुंह योनि से लगाया और उससे बहते हुए काम रस का को चखने लगा। उससे इतनी उत्तेजना बर्दास्त नही हुई और वो भरभरा कर युवती के मुंह में झड़ गया। युवती ने भी उसके वीर्य को पूरी तरह से गटकते हुए उसके लंड को पूरी तरह से चाट कर साफ कर दिया।

फिर वो वापस घूम कर सम्राट के मुंह की तरफ आ गई और उसके पूरे चेहरे पर चुम्बानो की झड़ी लगा दी, और धीरे धीरे नीचे आते हुए उसकी गर्दन को चूमने और चाटने लगी, उसकी गरमा गरम खुरदुरी जीभ ने तुरंत अपना असर दिखाना शुरू कर दिया जो सम्राट के लंड में दिखना शुरू हो गया, गर्दन से नीचे आते हुए वो अब उसके सीने पर वही हरकत करने लगी, और एकदम से उसके चुचकों को अपने मुंह में भर कर चूस लिया, इसी के साथ सम्राट एक बार फिर उत्तेजना के शिखर पर पहुंच गया। युवती ने ये महसूस करते ही अपनी योनि को उसके लंड पर लगाते हुए उस पर सवार हो गई।

सम्राट को ऐसा लगा जैसे उसका लुंड किसी गरम भट्टी में चला गया हो, योनि की दीवारों ने लंड को जकड़ कर रखा था, युवती ने जोर लगा कर लंड को अपने भीतर लेना चालू किया और दोनो की सिसकारी एक साथ फूट पड़ी, दोनो के चेहरे पर दर्द की लकीर दिखने लगी, मगर कामोतेजना की आग के आगे वो दर्द जरा भी टिक न पाया, और बिस्तर पर एक घमासान सा छिड़ गया, दोनो एक दूसरे को अपने अंदर लेने की होड़ में लग गए। कभी सम्राट ऊपर तो कभी युवती ऊपर, दोनो एक दूसरे को चूमने और चाटने लगे थे। ये घमासान करीब आधे घंटे तक चला और दोनो लगभग एक साथ ही स्खलित हुए।

इसी के साथ सम्राट थकान से चूर हो कर उस युवती बाहों में सो गया।


कुछ समय बाद बाहर सड़क पर एकदम अंधेरे में एक काला साया एक ओर जाते हुए दिखता है, और जिस दिशा में वो साया जा रहा होता है, वहां अंधकार और भयानक हो जाता है, सड़क के किनारे जलते बल्ब खुद ब खुद बुझ जा रहे थे, सड़क के आवारा कुत्ते जो शायद ही किसी पर न भौंकते हों, दुम दबा कर पता नही किस कोने में जा छुपे थे। वो साया कोने पर मौजूद एक कब्रिस्तान के अंदर गया, और एक अट्टहास सा गूंज गया, और एक आवाज, जो कह रही थी, "मैं कल फिर आऊंगी।"
हॉरर की विधा कठिनतम विधाओं में है और साथ साथ आप देवनागरी में लिख रहे हैं बहुत साधुवाद
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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हॉरर की विधा कठिनतम विधाओं में है और साथ साथ आप देवनागरी में लिख रहे हैं बहुत साधुवाद
धन्यवाद आपको।

सच में हॉरर लिखना बहुत कठिन है। ऊपर से मेरे जैसा लेखक, जिसे लिखना ही नही आता😂😂

वैसे आशा है आपको कुछ पसंद आए ये।

बाकी मुझे हिंदी देवनागरी में ही लिखना और पढ़ना पसंद है। और रोमन में इंग्लिश।
 

Riky007

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अगले अपडेट की प्रतीक्षा में
बस भाई जी, कल आ जायेगा फाइनल अपडेट
 
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Riky007

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सोचा था इस अपडेट में पूरी कर दूंगा, लेकिन हो नही पाया। पर इस बार ये अगले हफ्ते में संपूर्ण हो जायेगी। कोई डिले नही होगा आगे।
 
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Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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#अपडेट २०

अब तक आपने पढ़ा -

आज जब जंगली भैंसे की बलि दी गई, उसके बाद युविका को कपाल के ऊपर कुछ परछाई दिखने लगी और उसके कानो में आवाज आई....

अब आगे -




"मैं प्रसन्न हुई राजकुमारी, और अब मैं तुम्हारी हुई। तुम मुझसे अपने मनोभाव से ही बात कर सकती हो, बोलने की जरूरत नहीं है। और तुम्हारे इस गुरु को पता नही लगना चाहिए कि मैं यहां हूं। बस तुम्हे एक भेंट अभी मुझे चढ़ानी होगी, और वो तुम्हारे इस गुरु कि ही होगी। बोलो करोगी ये?"


"हां बिलकुल।" मन में ये सोचते ही युविका ने अघोरी की तरफ बढ़ते हुए उसके आधारों को चूमना शुरू कर दिया, ये दोनो के बीच इतने सहज ढंग से होने लगा था की अघोरी भी आराम से उसका साथ देने लगा।


युविका ने अघोरी के लिंग को पकड़ कर उसे जमीन पर लेटा दिया और खुद वो उसके ऊपर सवार हो कर अपने स्तनों को उसके मुंह में डाल दिया। अघोरी पूरी मदहोशी में युविका के स्तनों को चूसते हुए उसके नितम्बों को सहला रहा था।


उधर युविका ने मौका देख पास पड़ा खड़ग अपने हाथ में ले लिए और एकदम से एक ही वार में अघोरी की गर्दन काट दी, और उसके खून को उसी कपाल पर चढ़ा कर अघोरी के सर को हवन कुंड में होम कर दिया।


ऐसा करते ही जोर की हवाएं चलने लगी और एक अट्टहास गूंज उठा।


"राजकुमारी, मुझे इस बलि की आवश्यकता नहीं थी। लेकिन ये न सिर्फ एक धूर्त था जो तुम्हारे जरिए मुझे पाना चाहता था, बल्कि मेरी साधना में संभोग की भी कोई जरूरत नहीं थी, लेकिन इसने फिर भी तुम्हारे शरीर का भोग किया। बस इसीलिए इसकी बलि चढ़वाई। अब तुम मुझे साध चुकी हो इसीलिए मेरा कर्तव्य है कि इसके जैसे धूर्तों से तुम्हारी रक्षा करना। बोलो राजकुमारी किस वास्तु की चाह है तुम्हे?"


"युविका प्रेम की, में अपने प्रेम को पाना चाहती हूं।"


"राजकुमारी हम उस व्यक्ति के शरीर को ही तुम्हारे बस में कर सकते हैं, उसका मन तुम्हे ही जीतना होगा। किसी के मन के काबू करना किसी भी शक्ति के बस में नही है राजकुमारी। तुम उसका नाम बताओ, हम अभी उसे यह ले कर आते हैं।"


ये सुन कर युविका के मन को बड़ी ठेस पहुंचती है कि वो इतना कुछ करने के बाद भी कुमार को प्राप्त नही कर सकती थी। वो बहुत जोर से रोने लगती है, और फिर मन ही मन प्रण करती है कि अब वो प्रेम से दूर रहेगी, और इन काली शक्तियों के बल पर अपने राज्य का विस्तार करेगी। और यही बात वो अपनी शक्तियों से बताती है।


"इसके लिए राजकुमारी तुमको हमे और साधना होगा। और उसके लिए हमें और बलि चाहिए, और उसमे नर बलि भी शामिल है, जो चढ़ानी पड़ेगी हर अमावस्या को। और एक बात राजकुमारी,इस साधना में चूंकि इस धूर्त ने संभोग भी किया था, तो इसका असर भी तुम पर पड़ेगा, और तुम्हारी कामेक्छा भी बहुत बढ़ जाएगी, और इससे तुमको ही पार पाना होगा, वरना ये तुम्हे भस्म कर देगी।"


"अब अपने राज्य में वापस लौट जाओ।"


युविका महेंद्रगढ़ में वापस आ गई थी, अब तक कुमार और सुनैना की शादी भी हो चुकी थी और वो दोनो सुखी दांपत्य जीवन जी रहे थे। युविका भले ही अब अपने प्रेम को पाने की इच्छा त्याग चुकी थी, लेकिन कुमार आज भी उसके मन मंदिर में बसा हुआ था। हालांकि वो जिद्दी चाहे जितनी हो, सुनैना से उसे कभी बैर नहीं रहा, इसीलिए वो सुनैना को कोई नुकसान नहीं पहुंचना चाहती थी। अब उसके मन में बस अपने राज्य की भलाई और विस्तार ही था।


लेकिन उसकी कामाग्नि उसके स्वभाव और दिमाग को बदल रहा था। उसने अपने कुछ विश्वास पत्रों को इक्कठा करके एक निजी सेना बना ली थी, और उसे अपनी शक्तियों द्वारा बहुत ही खूंखार बना दिया था। युविका की कमाग्नि दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही थी, और उसे संभोग के लिए उकसाती रहती थी, हालांकि संपूर्णानंद के अलावा अभी तक उसने किसी से भी संभोग किया नही था, लेकिन उसकी तड़प अब उसके बर्दास्त के बाहर जा रही थी।


ऐसे ही एक दिन जब वो जंगल से जा रही थी तभी उसकी नज़र एक नवयुवक पर पड़ती है जो जंगल में लकड़ियां काट रहा होता है, उसके सुडौल बदन को देख युविका बुरी तरह से मचल जाती है, और अपनी सेना द्वारा उसे अगवा करवा कर महल के एक गुप्त कमरे में ले जाती है। और वहां उसके साथ वो संभोग करने लगती है। और जैसे जैसे युविका उस युवक से संभोग करती जाती, वैसे वैसे ही उस युवक के शरीर से खून कम होता जा रहा था। युविका की काली शक्तियां उस युवक का सारा खून चूस लेती हैं। और अंत में वो युवक अकाल मौत मर जाता है।


उसके बाद ये सिलसिला चल पड़ता है, क्योंकि युविका भले ही खुद ये न करना चाहती हो, लेकिन उसके अंदर मौजूद काली शक्ति उससे ये सब करवाती रहती थी। धीरे धीरे राज्य में नौजवान बड़ी तादात में गायब होना शुरू हो गए, और ये बात महराज सुरेंद्र तक भी पहुंची।


महराज ने तुरंत ही दरबार से कुछ लोगों को इसकी जांच के लिए नियुक्त कर दिया। युविका उस समय दरबार में मौजूद नही थी, तो उसे इस बात की जानकारी नहीं लगी। जांच में उन लोगों ने कुछ युवकों के शरीर को जंगल में पाया, और उनकी हालत देख तुरंत ही महराज को सूचित करके बुलाया गया।


जैसे ही महराज सुरेंद्र ने उन लाशों की स्तिथि देखी, उन्हें इसके पीछे काली शक्तियों के होने का शक हुआ, और वो वहीं से अपने कुलगुरु से मिलने के लिए निकल गए।


कुलगुरू अचानक से महराज को देख कर उनके आने का प्रयोजन पूछा। और महराज ने उन्हें सारी बातें बता दी। ये सुनते ही कुलगुरु सोच में डूब गए और भैंरवी को तत्काल ही बुलवा लिया।


कुलगुरु: भैंरवी बटुकनाथ को जितनी जल्दी हो सके बुलवाओ, महेंद्रगढ़ पर एक बहुत बड़ी आफत आई हुई है।


ये सुनते ही भैंरवी बटुकनाथ को बुलाने के लिए निकल गई, और कुलगुरु ने महराज को भी अपने ही पास रोक लिया।


अगले दिन सुबह सुबह भैंरवी बटुकनाथ को ले कर आश्रम पहुंच गई, और आते ही कुलगुरु और महराज ने उन्हें सारी बात बताई।


ये सुनते ही बटुकनाथ मुस्कुराते हुए कुलगुरु और भैंरवीं को देखने लगे।


कुलगुरु: क्या हुआ बटुक, हमें ऐसे क्यों देख रहे हो कि जैसे इसमें हमारा ही कोई हाथ है।


बटुकनाथ: गुरुवर, अगर जैसा मैं समझ रहा हूं, और वैसा ही हुआ, तो इसमें आपका और भैंरवी का ही हाथ है।


"क्या मतलब?" कुलगुरु ने पूछा।


"नियति से छेड़छाड़ की है आपने गुरुवर, कुछ तो अनहोनी होनी ही थी। दुख इस बात का है इसमें निर्दोष लोगों की जान जा रही है।" बटुकनाथ ने सोचते हुए कहा।


महराज ने व्यथित हो कर बटुकनाथ को देखा।


"भैंरवी, तुमने कुछ दिन पहले युविका को मेरे पास भेजा था, क्या वो वापस आ कर तुमसे मिली?" बटुकनाथ ने भैंरवी को देख कर पूछा।


"नही तो गुरुदेव।" भैंरवी ने उलझन भरे लहजे में पूछा, "मुझे लगा आपने उसे समझा दिया होगा, और वो समझ गई होगी।"


"महराज युविका कितने दिनों के बाद वापस आई थी।" इस बार सवाल महराज के लिए था।


महराज: "जी कोई एक महीने से ज्यादा दिन पर। मगर आप युविका के बारे में क्यों पूछ रहे हैं? बात तो हमारे राज्य में आए संकट को लेकर हो रही है न, इसमें युविका के भैंरवी के पास आने से क्या हुआ आखिर?"


"महराज ये संकट उसी के कारण आया है शायद। मैं अभी दावे से तो ये नही कह सकता, लेकिन मुझे इसमें कोई शक भी नहीं लग रहा है की वही कारण है इन घटनाओं का।" बटुकनाथ ने कहा।


"मगर क्यों?" भैंरवी ने दुख भरे अंदाज में पूछा।


"युविका को मैने समझा कर भेजा तो था, लेकिन मुझे लगता नही कि उसे वो बात इतनी आसानी से समझ आई होगी। और फिर मेरे आश्रम से जाने के बाद भी वो कई दिनों के बाद ही अपने घर गई। और सबसे बड़ी बात, जब वो मेरे आश्रम में आई थी, उसी समय संपूर्णानद भी आश्रम के आस पास ही था, और यही मेरे शक करना का मुख्य कारण है।" बटुकनाथ ने भैरवी और कुलगुरु को देखते हुए कहा।



"क्या, संपूर्णानंद?"....
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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युविका एक रियासत की राजकुमारी थी । वो राजा की एकमात्र संतान थी । अगर वो चाहती तो क्षणभर मे कुमार को बंदी बनवा देती । उसे अपने हुस्न के जलवे दिखाकर उत्तेजित करती और अपनी मंशा पुरी कर लेती ।
या फिर नैना के हत्या का भय दिखाकर उसके साथ विवाह भी कर सकती थी ।
वह कोई साधारण औरत नही थी । वह अपने पावर का प्रयोग कर बहुत कुछ कर सकती थी ।
लेकिन उसने कुमार को पाने के लिए बहुत ही गलत रास्ते का चुनाव किया । एक बदसूरत और कपटी अघोरी से अपनी इज्ज़त का सौदा कर बैठी ।
उसे बहुत लोगों ने समझाया । प्रेम का अर्थ समझाया । लेकिन अफसोस , उसपर कोई भी असर नही हुआ ।

बहुत ही खूबसूरत अपडेट रिकी भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग।

Nice update....

Aghori ke to dono hath me ladoo hai

Behtreen update




"Ghori" nahi, "Aghori"!

😂😂😆😆

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intezaar rahega Riky007 bhai....

इन्तजार रहेगा

Intezar rhega

intezaar rahega....
अपडेट पोस्टेड।

पता है मार खाने वाला काम किया है, लेकिन क्या करूं मन नही कर रहा था इतने दिनो से। लेकिन अब कर रहा है, तो इस हफ्ते में कंप्लीट कर दूंगा पक्का।
 
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