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पहली के हिसाब से तो बुरी ही है, ऊपर से इतने दिन लगा दिए, तो करेला चढ़ा नीम हो गई।Are aisa mat bol yar, itni bhi buri nahi thi Waise acha samapan kiya kahani ka
पहली के हिसाब से तो बुरी ही है, ऊपर से इतने दिन लगा दिए, तो करेला चढ़ा नीम हो गई।Are aisa mat bol yar, itni bhi buri nahi thi Waise acha samapan kiya kahani ka
So to haiपहली के हिसाब से तो बुरी ही है, ऊपर से इतने दिन लगा दिए, तो करेला चढ़ा नीम हो गई।
To Samrath ko us tahkhane se ek JHUDA mila jise usne apne pass surakshit rakh liya kisi khas mauke per Aartii ko dene ke leye or Chacha se jhuth bol dia kuch na milne ka bol keअपडेट ७#
अब तक आपने पढ़ा -
सम्राट चीजे समेटने लगता है, तभी उसे एक कोने में रोशनी जैसी दिखती है। सम्राट उत्सुकता से उधर जाता है, और ऐसा लगता है की दीवाल के पीछे से रोशनी आ रही है, सम्राट इधर उधर देखता है तो दीवाल पर उसे कोई लिपि दिखती है, जिसे देखते ही सम्राट को।लगता है वो उसे पढ़ सकता है, वो कोई मंत्र जैसा होता है, और सम्राट के उसे पढ़ते ही, दीवाल एक तरफ खिसक जाती है, और अंदर एक सुंदर सा कमरा दिखता है, जिसमे मशाल से रोशनी हो रही होती है.......
अब आगे -
कमरे के अंदर कोई नही था, सम्राट ने देखा वहां कमरे के बीचों बीच एक ताबूत जैसा कुछ रखा था। सम्राट उसके पास जा कर उसे खोलने की कोशिश करता है, और थोड़ी मशक्कत के बाद वो खुल जाता है। अंदर रेत की सिवा कुछ नहीं था। सम्राट उस रेत के अंदर हाथ डालता है तो उसके हाथ कुछ लगता है। वो एक रोना का रत्न जड़ित चूड़ा था, जो काफी सुंदर और मूल्यवान था। सम्राट उसे देखते हुए कमरे में चारों ओर और कुछ ढूंढने लगा, मगर और कुछ भी नही मिला वहां। वो निराश होकर बाहर आ गया। उसके कमरे के बाहर पैर रखते ही मशाल अपने आप ही बुझ गई और दरवाजा भी पहले की तरह बंद हो गया। सम्राट ने फौरन उस लिपि को पढ़ने की कोशिश की, मगर इस बार उसे कुछ भी समझ नही आ रहा था। ये बात उसे बड़ी अजीब लगी। उसने वो चूड़ा अपने बैग में रख लिया। उसे वो इतना पसंद आया था कि वो किसी को भी इसके बारे में नही बताना चाहता था। फिर वो वापस ऊपर आ गया और सबसे मिला।
वहीं उस तहखाने में एक घटना और हुई, जिस पर सम्राट की नजर नहीं पड़ी। जैसे ही सम्राट ने वो ताबूत खोला, वैसे ही उसमे से एक काले धुएं की एक लकीर निकल कर कमरे से बाहर चली गई, जिसपर सम्राट की नजर नहीं पड़ी। उस लकीर रूपी धुएं के बाहर निकलते ही आसमान में जोरदार बिजली कड़कने लगी, और हवाएं और तेज चलने लगी।
जब सम्राट बाहर निकल कर सबसे मिला तो मौसम बहुत खराब हो चुका था। सारे लोग उसका ही इंतजार कर रहे थे।
चाचा: कुछ मिला?
सम्राट: नही चाचा जी, वो असल में बैग गिर गया था नीचे, वही लेने रुक गया था मैं। आप में से किसी को कुछ मिला क्या?
चाचा: नही, हम सब भी खाली हाथ ही हैं, लगता है वो सब बस अफवाह ही है। अब सब जल्दी चलो मौसम बहुत खराब हो रहा है। अभी हम जंगल भी पर करना है।
सब जल्दी से बाहर निकलते हैं, और अपनी गाड़ी में बैठ वापस चल देते हैं। रास्ते में मौसम और खराब होने लगा, हवा इतनी जोर से चलने लगी की कई जगह तो ऐसा लगता था की कोई पेड़ टूट कर गाड़ी पर न गिर जाय, बारिश भी मूसलाधार होने लगी, अंधेरा इतना भयानक हो गया कि, गाड़ी की हैडलाइट में भी कुछ साफ नजर नहीं आ रहा था। ऐसा लग रहा था कि जैसे प्रकृति उनको वहां से बाहर न जाने देना चाहती हो। वो तो ड्राइवर इन रास्तों का इतना अभ्यस्त था कि बिना किसी परेशानी के वो गाड़ी जंगल से बाहर ले आया। और कुछ ही समय में सब चाचा के घर पहुंच गए। पूरी रात बारिश और तूफान चलता रहा।
सुबह अच्छी सुहावनी थी, सब वापस लौटने को तैयार थे, सम्राट ने चुपके से वो चूड़ा अपने समान में रख लिया था। उसने तय कर लिया था की ये चूड़ा वो किसी अच्छे दिन आरती को दे देगा। नाश्ता करके सब हंसी खुशी वापस लौट जाते हैं। शाम तक सब वापस अपने शहर पहुंच जाते हैं।
इतनी लंबी ड्राइव से थका हुआ सम्राट अपने कमरे में जाते ही सो जाता है। रात को खाने के समय सुषमा जी उसे उठाने आती है।
खाना खा कर सब टीवी देखने लगते हैं, सब धीरे धीरे अपने कमरों में जा कर सो जाते हैं। सबसे आखिरी में सम्राट भी अपने कमरे में पहुंचता है।
उसकी नींद सुबह नूपुर की आवाज से खुलती है। ठंड के कारण वो रजाई ओढ़े सो रहा था, और नूपुर उसे चाय देने आई थी। ये उस रात के बाद दोनो की पहली एकांत में मुलाकात थी।
सम्राट नूपुर को देखते ही जग गया और रजाई से बाहर निकला, निर्वस्त्र.........
Ye wala update read kerke mujhe yad aagya mai bhool gaya tha bhai story read krte karteअपडेट ८ -
अभी तक आपने पढ़ा....
उसकी नींद सुबह नूपुर की आवाज से खुलती है। ठंड के कारण वो रजाई ओढ़े सो रहा था, और नूपुर उसे चाय देने आई थी। ये उस रात के बाद दोनो की पहली एकांत में मुलाकात थी।
सम्राट नूपुर को देखते ही जग गया और रजाई से बाहर निकला, निर्वस्त्र........
अब आगे -
सम्राट को ऐसा देखते ही नूपुर पीछे मुड़ गई, और बोली: सम्राट, ये क्या हरकत है?
उधर सम्राट को भी जैसे ये आभास हुआ की वो किस हालत में है, वो वापस से रजाई में घुस गया। और अंदर रखी अपनी पैंट को पहन लिया।
सम्राट: भाभी, सॉरी, शायद थकान के कारण मुझे होश नही रहा। I'm really sorry!
नूपुर: कोई बात नही, अब मैं घूम जाऊं?
सम्राट: हां भाभी।
नूपुर वापस घूमती है और दोनो एक दूसरे को शर्मिंदा नजरों से देखते हैं।
सम्राट: भाभी आप मेरे रूम में क्यों, वो भी इतनी सुबह?
नूपुर (नजरें झुका कर): सम्राट, मुझे तुमसे अकेले में कुछ बात करनी थी।
सम्राट: बोलिए भाभी।
नूपुर: सम्राट, उस रात मुझे पता नही क्या हो गया था, सॉरी सम्राट, मैं पता नही किस झोंक में वो सब बोल गई। मेरा ऐसा कुछ इंटेंशन नही है सम्राट। हो सके तो मुझे माफ कर दो, और वो सब भूल जाओ।
सम्राट: भाभी, आपकी बात सुन कर मुझे सुकून मिला। सच मानिए पहले तो मैं भी बहुत गुस्सा था आपसे। मगर फिर किसी ने मुझे समझाया कि आपने वो सब जरूर किसी भावना में बह कर कहा होगा, और अभी आप खुद ही उन बातों के लिए शर्मिंदा होंगी।
नूपुर: वो तो मैं हूं सम्राट।
थोड़ा रुक कर, "हैं!! ऐसी बातें तुम किससे शेयर करते हो?? लेट मी गेस। आरती??
सम्राट (शर्माते हुए): हां भाभी।
नूपुर (मुस्कुराते हुए): मुझे पहले से ही पता था, शादी में देखा मैने तुम दोनो को, तभी समझ आ गया था। कब मिलवा रहे हो मुझे वैसे उससे?
सम्राट: आज ही मिल लीजिए, नेक काम में देरी कैसी??
नूपुर: चलो, फिर आज शाम को मिलते हैं अपनी देवरानी कम बहन से। और चलो जल्दी नीचे आओ, नाश्ता करने।
इतना बोल कर नूपुर सम्राट के कमरे से चली जाती है।
नूपुर के जाने के बाद सम्राट रात में जो हुआ उसे सोचने लगता है कि वो कोई सपना था या सच में ही उसने रात में किसी के साथ सेक्स किया? अगर जो सपना था तो उसके सारे कपड़े कैसे उतर गए? क्योंकि उसे ट्राउजर पहन कर सोने की आदत थी, और अगर जो वो सच था, तो वो लड़की आखिर थी कौन, कहां से आई, और अभी कहां गायब हो गई??
यही सब सोचते सोचते सम्राट तैयार हो कर नीचे आ जाता गई और नाश्ता करके बाहर चला जाता है।
घाट पर वो आरती से मिलता है।
आरती: बड़े खुश लग रहे हो? लगता है भाभी को अपनी गलती का अहसास हो गया?
सम्राट: हां आरू, भाभी उस बात से बहुत शर्मिंदा थी, इसीलिए २ दिन से हमारी बातचीत भी नही ही हुई, आज सुबह उन्होंने ही मेरे पास आ कर माफी मांगी उन सब बातों के लिए।
आरती: तभी आज तुम्हारा चेहरा इतना खिला है।
सम्राट: नही एक और कारण है। भाभी तुमसे मिलना चाहती है, वो भी आज शाम में।
आरती (आश्चर्य से): मुझसे क्यों?
सम्राट: डांटने के लिए।
आरती (थोड़ा डरते हुए): पर मैने क्या किया?
सम्राट (हंसते हुए): अरे मेरी बुद्धू, उनको हमारे बारे में पता है, शादी वाले दिन से ही। उन्होंने खुद ही गेस किया, और आज मुझसे पूछा, तो मैने बता दिया। इसीलिए वो अपनी बहना और होने वाली देवरानी से मिलना चाहती हैं।
इतना सुनते ही आरती सम्राट के गले लग जाती है और उसके आधारों को हल्के से चूम लेती है।
कुछ देर बाद सम्राट घर वापस आ जाता है, और अपने कमरे में जाते ही उसे कल रात की घटना याद आती है, वो सोचता है कि उसने कोई सपना देखा था, लेकिन उसके कपड़े कैसे खुले फिर, क्योंकी वो कपड़े खोल कर कभी नही सोता है। इसी सब उधेड़बुन में शाम हो जाती है और वो नूपुर को ले कर घाट पर पहुंच जाता है, जहां आरती पहले से ही मौजूद रहती है।
नूपुर आरती को देखते ही उसे गले लगा लेती है। सब कुछ बातें करते हैं, थोड़ी देर बाद तीनों रेस्टुरेंट में चले जाते हैं कुछ खाने पीने। रात को सम्राट और नूपुर आरती को उसके घर के पास छोड़ कर वापस आ जाते हैं, रास्ते में सम्राट नूपुर से पूछता है की उसको आरती कैसी लगी?
नूपुर: मेरी बहन है अच्छी नही लगेगी क्या? बहुत प्यारी है, में तो उसको जल्दी से जल्दी अपने साथ घर में देखना चाहती हूं, बस आपके भैया आ जाएं फिर मैं ही सबसे बात कर लूंगी।
सम्राट: पर भाभी, कम से कम हमारी पढ़ाई तो पूरी हो जाने दीजिए। इतनी भी अभी क्या जल्दी है?
नूपुर: जल्दी नही, लेकिन कम से कम सब फिक्स तो कर ही सकते हैं, और पढ़ाई का क्या, शादी के बाद भी हो जायेगी। खैर अभी पहले अपने भैया को तो आने दो वापस, उसके बाद ही ये सब होगा। तब तक आप दोनो एंजॉय करो। (नूपुर सम्राट को आंख मरते हुए)
ये सुन कर सम्राट शर्मा जाता है।
ऐसे ही हंसी मजाक करते दोनो घर पहुंच जाते हैं। सम्राट अपने कमरे में जाते ही पहले दरवाजा अंदर से लॉक कर देता है। और वो बिस्तर पर जागते हुए लेट जाता है, आज उसे देखना था की क्या वाकई कोई उसके कमरे में आया था? थोड़ी देर बाद उसे एक सुगंध आती है और वो मदहोश हो जाता है.....
भाई साहब meme वाली दुकान क्यों बंद हो गयी..??? अभी तो बढ़िया धंधा चल रहा थाअंतिम भाग पोस्ट कर दिया है मित्रों
ऐसी बुरी कहानी लिखने के लिए क्षमा प्रार्थी हूं
Ye Yuvika ki kahani badi dilchasp hai lekin mukti paane ka ye tarika bada ajeeb hai shuru me Samrath ne Yuviki Kai kahani sun ke pighal gaya or Yuvika mukti ke leye maan gaya lekin ab to Samrath sharirk roop se sahi nahi laga rah hai eeasa lagta yaha bat kuch or he hai ye tarika mukti ka nahi lagta mujheअपडेट ९#
अब तक आपने पढ़ा -
ऐसे ही हंसी मजाक करते दोनो घर पहुंच जाते हैं। सम्राट अपने कमरे में जाते ही पहले दरवाजा अंदर से लॉक कर देता है। और वो बिस्तर पर जागते हुए लेट जाता है, आज उसे देखना था की क्या वाकई कोई उसके कमरे में आया था? थोड़ी देर बाद उसे एक सुगंध आती है और वो मदहोश हो जाता है.....
अब आगे -
सुबह सम्राट की आंख किसी के दरवाजा खटखटाने से खुलती है, और वो फिर से खुद को निर्वस्त्र अवस्था में पाता है। वो तुरंत कपड़े पहन कर दरवाजा खोलता है तो सामने नूपुर चाय लिए खड़ी थी।
नूपुर: गुड मॉर्निंग सम्राट, क्या बात है आज भी जोगिंग पर नही गए?
सम्राट: हां भाभी आज भी नींद आपके आने से ही खुली है, पता नही क्यों इतनी नींद आ रही है आज कल?
नूपुर (हंसते हुए): आरती से रात भर बात करते होंगे और क्या?
सम्राट (झेंपते हुए): नही भाभी, वो अपने समय की बहुत पाबंद है, १० बजे के बाद कोई फोन पर बात नही होती।
नूपुर: अच्छा अब चलती हूं, तैयार हो कर आइए नाश्ता करने आइए नीचे।
सम्राट भी कमरे के अंदर आ जाता है, और रात के बारे में सोचने लगता है, उसे फिर यहीं याद आता है की परसों रात वाली लड़की आई थीं, और वही सब हुआ था, लेकिन ये यादें बहुत धुंधली थीं, जैसे कोई सपना हो। सम्राट ये तय करता है कि आज रात वो किसी भी तरह से जागता रहेगा।
बाकी का दिन सामान्य रूप से निकल जाता है, और रात को फिर सम्राट अपने कमरे में आता है। आज वो अपने साथ एक मास्क के कर आया था, और इस बार वो बेड पर खुद न सो कर तकिए को इस तरह से लगा देता है कि लगे कोई सोया है। और वो खुद दरवाजे के पास बैठ कर लाइट बंद कर देता है।
कुछ ही देर बाद उसे फिर से वही खुशबू आती है, और वो तुरंत अपने मुंह पर वो मास्क लगा लेता है। और फिर तभी अचानक उसे महसूस होता है की कोई साया उसके पलंग के पास खड़ा है। ये देखते ही सम्राट उठ कर लाइट जला देता है, सामने एक बहुत ही आकर्षक युवती खड़ी थी, जो तकिए पर पड़ी चादर उठा कर उधर ही देख रही थी।
सम्राट (तेज आवाज में): कौन हो तुम? और इस कमरे में ऐसे कैसे आ जाती हो?
ये सुन कर वो युवती सम्राट की तरफ मुड़ती है, उसकी आंखों में एक अलग सा आकर्षण होता है।
युवती: मेरा नाम युविका है। और मैं महेंद्रगढ़ के राजा सुरेंद्र की पत्नी हूं।
सम्राट (सहमते हुए): क्या मतलब, वो तो कई साल पहले थे, और तुम अभी मेरे सामने कैसे??
युविका: हां मैं एक आत्मा हूं, अभी कुछ दिन पहले तुम वहां गए थे न, वहीं तुमने मुझे मुक्त कर दिया था।
सम्राट: आत्म?? और मुक्त कर दिया था तो यहां कैसे?
युविका: हां कैद से मुक्त किया था। जो बक्सा तुमने खुला था मुझे उसी में कैद कर दिया गया था।
सम्राट: पर कैसे?
युविका: मैं एक गरीब घर के बेटी थी, मेरे पिता मछुवारे थे, एक बार सुरेंद्र राणा के नजर मुझ पर पड़ी, उस समय मैं सिर्फ १८ बरस की थी, और वो ४५ से भी ज्यादा के थे। मैं उनको भा गई तो उन्होंने मेरे पिता से मेरा हाथ मांग लिया। उनकी पहली पत्नी की कुछ समय पहले ही मृत्यु हुई थी। मेरे पिताजी तुरंत मान गए, और कुछ ही समय में मेरी उनसे शादी हो गई। वो मुझे हर तरह से खुश रखने का प्रयत्न करते, और कई हद तक वो कामयाब भी थे। पर उनकी उम्र इतनी ज्यादा थी मुझसे की कई बार मैं शारीरिक रूप से प्यासी रह जाती थी। एक बार पता चला कि पड़ोसी देश के राजा ने सीमा पर कुछ घुसपैठ कर दी है, जिसे सुन वो खुद ही उसका जायजा लेने चले गए। और मैं इधर महल में अकेले ही रह गई। उसी समय एक दास से मेरी नजदीकियां बढ़ने लगी, और एक दिन हम दोनो में सारे शारीरिक बंधन टूट गए। उसने मुझे बहुत तृप्त कर दिया, और उसी रात हमने २ बार संभोग किया। फिर तीसरी बार कर ही रहे थे की महराज वापस लौट आएं और हमें उसी अवस्था में देख उस दास को वहीं मौत के।घाट उतार दिया, और फौरन ही अपने राजगुरु को बुलवा कर मुझे सजा के तौर पर मार देने का फैसला उन्हें सुना दिया। राजगुरु ने मुझे उस बक्से में बंद करवा कर पिघली हुई रेत से मेरे शरीर को खत्म कर दिया और बक्से के अभिमंत्रित कर के मेरी आत्मा के उसी में कैद कर दिया। (ये कहते कहते उसके आंखों से आंसू बहने लगते हैं।
सम्राट (जो पहले ही कुछ हद तक उसकी आंखों के सम्मोहन में था, उसे युविका से सहानभूति होने लगती है।): पर तुम ये सब मेरे साथ क्यों कर रही हो, और तुम्हारी मुक्ति का क्या उपाय है, बताओ मैं कोशिश करूंगा की तुम्हे मुक्ति मिले, क्योंकि अब इतने दिनो की सजा तो काट ही ली तुमने।
युविका, रोते हुए: इसीलिए मैं तुम्हारे साथ वो कर रही थी, जब मेरी हत्या की गई थी उस समय मैं रतिक्रिया में लीन थी, तो मेरी मुक्ति का भी वही उपाय है, अगर जो में किसी के साथ एक पूरे माह तक रोज संभोग करूं तो मेरी मुक्ति हो जायेगी। क्या तुम करोगे मेरी मदद?
सम्राट (जो थोड़ा पिघल गया था उसके आंसुओं से): देखो मुझे थोड़ा समय दो, ऐसे कैसे?
युविका: मैं समझ सकती हूं। ठीक है, जब तुमको लगे की तुम मेरी मदद करना चाहते हो तो उसी चूड़े को चूम लेना, मैं आ जाऊंगी। अभी चलती हूं मैं।
ये कह कर वो युविका गायब हो जाती है।
सम्राट अपने बिस्तर पर लेट कर सोचने लगता है कि क्या किया जाय। वैसे ये ऐसा मसला था जिसमे वो किसी की राय भी नही ले सकता था। और वो जानते हुए आरती से धोखा भी नही कर सकता था। उसी उधेड़बुन में उसका मन अंत में उसे ये कह कर मना लिया है की ये एक भलाई का ही तो काम है, धोखा नही है कोई।
फिर वो सो जाता है, आज सुबह वो अपने समय से उठ कर जोगिंग पर निकाल जाता है। बाकी का दिन भी रोज की तरह निकल जाता है।
रात को सम्राट जब अपने कमरे में आता है तो अपने अलमारी से उस चूड़े को निकल कर चूम लेता है, और कुछ ही देर में वो युविका उसके सामने आ जाती है।
युविका: क्या तुम तैयार हो?
सम्राट: हां।
ये सुनते ही युविका सम्राट के गले लग जाती है, और उसके अधरो को अपने अधरों की गिरफ्त में ले लेती है। ऐसा करते ही सम्राट के शरीर में बिजली कौंध जाती है, हालांकि २ बार पहले भी उनके बीच संबंध बन चुका था, मगर इस बार सम्राट पूरी तरह से होश में था। धीरे धीरे सम्राट भी उसके आधारों को चूसने लगा, उसका स्वाद सम्राट को हर पल उत्तेजित करता जा रहा था। उसके हाथ खुद ब खुद युविका के शरीर कर चलने लगे, उधर युविका भी सम्राट की पीठ पर हाथ फेरने लगी।
कुछ समय बाद उसने चुम्बन को तोड़ा तो सम्राट को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके सबसे प्रिय खिलौने को उसे छीन लिया हो। और वो फिर से युविका की ओर बढ़ा, तभी युविका ने उसे हाथ से रोकते हुए अपने ऊपर के कपड़ों को खोल दिया, उसके उन्नत वक्ष सम्राट के सामने आ गए, जिनको देखते ही सम्राट का लंड झटके से खड़ा हो गया।
सम्राट ने आगे बढ़ कर उसके दाएं चुचक को अपने मुंह में भर लिया, आह क्या स्वाद था उनका, एकदम शहद की तरह, और दूसरे से उसके पूरे वक्ष को अपने हाथ में भर कर धीरे धीरे मसलने लगता है, युविका भी आहें भरती हुई अपने एक हाथ से सम्राट का सर सहलाने लगती है, और दूसरे हाथ को उसके शर्ट के अंदर डाल कर सम्राट के सीने पर फेरने लगती है। सम्राट बारी बारी दोनो स्तनों को चूमता चूसता हुआ युविका के सपाट पेट की ओर जाने लगता है और उसकी नाभी पर पहुंच कर उसे चूमने लगता है, युविका भी उत्साहित हो कर सम्राट के सिर पर दबाव बनाने लगती है।
थोड़ी देर बाद सम्राट और नीचे होता हुआ, उसके नीचे के कपड़े भी खोल देता है, उसके सामने युविका की रस छोड़ती हुई योनि होती है, जिसे वो जीभ लगा कर चाट लेता है, उसके मुंह में योनि का खट्टा मीठा स्वाद आ जाता है और युविका के मुंह से एक तेज सिसकारी निकल जाती है, और वो बेड पर बैठ जाती है, जिसके कारण सम्राट के मुंह के सामने उसकी योनि और खुल कर दिखने लगती है, ये देखते ही सम्राट युविका की योनि को चूसने और जीभ से कुरेदने लगता है। युविका भी अपने चरम पर पहुंच जाती है और उसकी योनि से भारभरा कर पानी छूट जाता है, जिससे सम्राट का पूरा चेहरा भीग जाता है। फिर युविका सम्राट में अपने ऊपर ले कर उसके पूरे चेहरे को चाट के साफ कर देती है। और धीरे धीरे सम्राट के सारे कपड़े भी उतार देती है, और सम्राट के लंड हाथ से पकड़ कर हिलाते हुए उसके सीने को चूमने लगती है। सम्राट के मुंह से भी आह निकल जाती है, जल्दी ही उसका लंड युविका के गर्म मुंह के अंदर होता है और उसकी खुरदुरी जीभ लंड के सुपाड़े से छेड़छाड़ कर रही होती है, सम्राट भी जल्दी ही उत्तेजना के शिखर पर पहुंच कर युविका के मुंह में स्खलित हो जाता है और युविका भी अच्छे से चाट कर लंड को पूरा साफ कर देती है, जिस कारण सम्राट वापस उत्तेजित हो जाता है और युविका को बेड पर पीठ के बाल लिटा कर उसकी टांगों के बीच आ जाता है, और अपने लंड को युविका की योनि पर रगड़ने लगता है, युविका भी आहें भरती हुई सम्राट से लंड को अंदर डालने को कहती है, और सम्राट एक जोर का धक्का लगाता है जिससे उसे अहसास होता है की युविका की योनि एकदम कसी हुई है और भट्टी की तरह गर्म है, दोनो के मुंह से सीत्कार निकलती है और थोड़ी देर दोनो उसी तरह पड़े रहते हैं कुछ क्षण के बाद सम्राट अपनी कमर को हिलाना शुरू करता है और युविका उसका साथ देने लगती है। कई मिनटों तक दोनो एक दूसरे के धक्कों का उत्तर धक्कों के साथ दिए जा रहे थे। तभी युविका का शरीर अकड़ने लगता है और सम्राट भी अपने चरम पर पहुंचने वाला होता है, सम्राट युविका से पूछता है की कहां निकालना है तो युविका उसे ऐसे ही रहने को कहती है सम्राट के धक्कों की गति बढ़ने लगती है और दोनो एक साथ ही स्खलित हो जाते हैं।
सम्राट हांफते हुए युविका के ऊपर ढेर हो जा है, और युविका भी उसे अपने बाहों के घेरे में ले कर लंबी लंबी सांसे भरने लगती है। कुछ समय बाद सम्राट उसके ऊपर से उठता है और बाथरूम चला जाता है। जब वो बाहर आता है तो युविका कमरे में मजूद नही होती। ये देख सम्राट भी सो जाता है।
अब रोज रात को यही होने लगा। सम्राट शारीरिक रूप से थोड़ा सा कमजोर दिखने लगा था, उसे भी अक्सर थकान और नींद आती रहती थी। और थोड़ा मुरझाया से दिखने लगा था। इस बीच आरती अपने मामा के घर गई हुई थी तो दोनो की मुलाकात भी नही हो पाई थी। एक सप्ताह बड़की बात है, शाम के समय सम्राट घाट की तरफ से लौट रहा था, तभी एक बाग के पास उसे एक आवाज आई।
आवाज: सम्राट, जरा रुकना......
हॉरर लिखना ही मुश्किल काम है, और उसका अंत और भी खतरनाक होता है। बस इसीलिए अंत में अटका भी और भटका भी।Kahani achi thi per ending thoda gadbada gayi.. sayad aapka man nahi tha, ub gaye the issue story se jobl bhi karan ki vajah se ye story ka aesa any huva, Varna story achi chal rahi thi.
Shandaar updateअपडेट २३# अंतिम भाग
अब तक आपने पढ़ा -
उसके बाद सम्राट ही उस कक्ष में प्रवेश करके युविका को उस संदूक से बाहर लाया।
फ्लैशबैक खतम
अब आगे -
युविका के अतीत को बताते बताते आरती भी होश में आ गई थी। इधर सम्राट और आरती दोनो को अपना अतीत याद आ जाता है।
आरती उठ कर युविका के करीब जाते हुए, "युवी तूने इतना सब कर लिया, पर एक बार कम से कम मुझेसे तो अपने दिल का हाल कहती, मुझे पता होता तो मैं खुद ही पीछे हट जाती।"
युविका, "तुम्हारे पीछे हटने से क्या कुमार मेरा हो जाता? जो बात मुझे मेरे पिताजी, भैंरवी मौसी, बटुकनाथ और खुद कुमार समझता रहा कि किसी के प्रेम को जबरदस्ती नहीं पाया जा सकता, वो बात इतना सब करने के बाद समझ आई मुझे।"
सम्राट, "युवी, ऐसा नहीं था कि मुझे तुमसे प्रेम नही था, पर वो प्रेम प्रेमी वाला न होकर मित्रता वाला था, और आज भी है। मैं बस यही चाहता हूं कि अब तुम इन काली शक्तियों का साथ छोड़ दो।"
युविका, "अब मैं भी इनका साथ छोड़ना चाहती हूं, लेकिन ये मुझसे हो नही पा रहा है, जितना मैं इनसे छूटने की कोशिश करती हूं, ये मुझमें उतनी ही कामेक्षा बढ़ती जा रही है।"
सभी की नजर प्रज्ञानंद पर जाती है।
प्रज्ञानंद, " मैं युविका की आत्मा को इन शक्तियों से मुक्ति दिला सकता हूं , पर उसके लिए मुझे युविका का शरीर, या उससे जुड़ी कोई चीज चाहिए, ताकि अनुष्ठान में उसका होम किया जा सके, तभी वो शक्तियां युविका की आत्मा को छोड़ेंगी।"
तभी घर के दरवाजे पर कोई दस्तक देता है। प्रज्ञानंद सम्राट को दरवाजा खोलने का इशारा करते हैं।
सम्राट दरवाजे को थोड़ा सा खोल कर देखता है तो बाहर उसकी भाभी नुपुर खड़ी दिखती है।
"भाभी, आप इस समय यहां?" सम्राट आश्चर्य से पूछता है।
"अभी मैं तुम्हारी भाभी नही, भैंरवी हूं। और तुम लोगो की मदद करने आई हूं कुमार।" नुपुर ने कहा।
"क्या, कैसे?"
नुपुर, सम्राट को चूड़ा दिखाते हुए , जो सम्राट महेंद्रगढ़ से लाया था, "ऐसे, अब जल्दी से अन्दर चलो।"
दोनो अंदर आते हैं, और नुपुर युविका की ओर देखते हुए, "मुझे माफ कर दे पुत्री, शायद मेरी उसी भूल का हिसाब करने के लिए मुझे वापस से तुम लोग के साथ जन्म दिया है ईश्वर ने।"
प्रज्ञानंद ने अपना अनुष्ठान आरंभ कर दिया था, और जैसे जैसे वो आगे बढ़ रहा था, मौसम अपना रुख बदलते जा रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे हवाएं सब कुछ अपने साथ उड़ा ले जायेंगी, बिजली इतनी जोर से कड़क रही थी की लगा जैसे आज सबकुछ उसकी चपेट में आ कर राख हो जायेगा। नुपुर आरती को अपने सीने से लगाए उसे सांत्वना दे रही थी, और सम्राट उस अनुष्ठान में आहुति डाल रहा था।
प्रज्ञानंद, "अब ये चूड़ा इस अग्नि को भेट चढ़ाओ सम्राट, तभी युविका को वो शक्तियां छोड़ेंगी। और युविका तुम इसके बाद किसी मनुष्य योनि के ही जन्म लेगी, पर आगे से इस बात का ध्यान रखना कि अपने स्वार्थ सिद्ध करने के लिए ऐसी शक्तियों से छेड़छाड़ नही करनी चाहिए।"
इतना बोलते ही प्रज्ञानंद ने सम्राट को इशारा किया और उसने वो चूड़ा की अग्नि में आहुति कर दी। इसी के साथ युविका की एक जोरदार चीख गूंज गई। और फिर सब शांत हो गया।
इसी के साथ प्रज्ञानंद ने भभूत को सबके ऊपर छिड़क दिया, "इससे आप सब के चेतन मन से पूर्व जन्म वाली सारी यादें मिट जाएंगी।"
ये बोल कर प्रज्ञानंद वहां से चले गए।
कुछ देर बाद,
आरती, "सम्राट क्या हुआ था मुझे?"
सम्राट, "तुमने मुझे कॉल करके बुलाया था किसी जरूरी काम का बोल कर, जब मैं यहां आया तो देखा तुम्हे काफी तेज बुखार था, और इसीलिए मैं भाभी के साथ यहां आ गया था। अब तुम्हारी तबियत सही लग रही है ना?"
आरती, "हां बस बदन में दर्द है थोड़ा मेरे।"
नुपुर, "आराम करो बहुत तबियत खराब थी तुम्हारी।"
सुबह होने वाली थी, सम्राट ने नुपुर और आरती को आराम करने कहा और वो भी दूसरे कमरे में लेट गया।
कुछ देर आराम करने के बाद सम्राट और नुपुर अपने घर चले गए, आरती की हालत भी अब सही थी, और कुछ देर बाद उसके मां पिताजी भी आ गए।
इधर सम्राट के घर पहुंचते ही पता चला कि राजा भी अपने मिशन में कामयाब होकर वापस आ गया है, और अब उसने सेना की नौकरी छोड़ कर घर रहने का फैसला कर लिया है।
एक साल बाद:
आज सम्राट और आरती की शादी है, घर का माहौल खुशियों से भरा हुआ है, और हो भी क्यों न, एक साथ दो नए सदस्य घर में जो आने वाले हैं। नुपुर भी मां बनने वाली है। फेरों के खत्म होते ही नुपुर को दर्द होने लगता है, और सब आनन फानन में उसे ले कर हॉस्पिटल पहुंचते हैं। नुपुर को लेबर रूम में ले जाया जाता है और सब बाहर इंतजार करने लगते हैं।
2 घंटे बाद एक बच्चे के रोने की आवाज आती है, और कुछ देर बाद नर्स आ कर बताती है कि बच्ची हुई है, आप लोग आइए।
सब, राजा, देव जी, सुषमा, सम्राट और आरती अंदर आते हैं। नुपुर भी होश में होती है। सबके आने के बाद नर्स बच्ची की साफ सफाई के बाद ला कर नुपुर की गोद में दे देती है।
बच्ची का चेहरा देखते ही नुपुर, सम्राट और आरती एक साथ
"युविका..."