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Horror कामातुर चुड़ैल! (Completed)

Thakur

असला हम भी रखते है पहलवान 😼
Prime
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अंतिम भाग पोस्ट कर दिया है मित्रों 😌

ऐसी बुरी कहानी लिखने के लिए क्षमा प्रार्थी हूं 🙏🏼
Lalla kahani puri to hui :dontmention:
Kher sahi kahani thi
 
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युविका को आखिरकार प्रेत योनि से मुक्ति मिली । उसके पूर्व जन्म के आचरण गलत थे , उसके कर्म बुरे थे । अपनी हवस शांत करने के लिए सैकड़ो नौजवानों की बली उसके बुरे कर्म ही थे ।
वैसे उसके इस हालत और निम्फोमाॅनियाक चरित्र के लिए अघोरी जिम्मेदार था । लेकिन वह प्यार का सही अर्थ भी तो समझ नही पाई थी । प्यार मे कुछ पाने की लालसा नही कुछ देने की जज्बात होती है । समर्पण का भाव होता है । त्याग की भावना होती है ।
लेकिन यह भी सच था कि युविका को उस वक्त सही मार्गदर्शन नही मिला । चाहे कुमार हो , चाहे उसकी सहेली हो , चाहे उसके पिता श्री हो , चाहे कुलगुरू हो या चाहे भैरवी उर्फ नुपुर हो ; किसी ने भी उसकी बात , उसकी प्रेम , उसकी जिद को सीरियस नही लिया और इसका परिणाम था उसका अघोरी के सम्पर्क मे आना ।

खैर अंत भला तो सब भला । युविका को अंततः मुक्ति मिली लेकिन जब सम्राट , आरती और नुपुर की पूर्व जन्म की यादें हमेशा के लिए धूमिल हो गई तब फिर कैसे वह सब नुपुर की नवजात संतान को युविका कहकर सम्बोधित कर सकते हैं ? यादें विस्मृत हो जाने के बाद युविका से सम्बंधित हर बात भूल जानी चाहिए थी ।

बेहतरीन स्टोरी रिकी भाई ।
देर से ही सही पर यह कहानी अपने मंजिल तक तो पहुंची । नेक्स्ट स्टोरी का इंतजार रहेगा ।
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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S

Shandaar update
धन्यवाद भाई 🙏🏼
Dobara shuru se padhni padegi
बिलकुल ऐसे बीच में छोड़िए तो पढ़नी ही पड़ेगी
Lalla kahani puri to hui :dontmention:
Kher sahi kahani thi
Thanks bhai 🙏🏼
युविका को आखिरकार प्रेत योनि से मुक्ति मिली । उसके पूर्व जन्म के आचरण गलत थे , उसके कर्म बुरे थे । अपनी हवस शांत करने के लिए सैकड़ो नौजवानों की बली उसके बुरे कर्म ही थे ।
वैसे उसके इस हालत और निम्फोमाॅनियाक चरित्र के लिए अघोरी जिम्मेदार था । लेकिन वह प्यार का सही अर्थ भी तो समझ नही पाई थी । प्यार मे कुछ पाने की लालसा नही कुछ देने की जज्बात होती है । समर्पण का भाव होता है । त्याग की भावना होती है ।
लेकिन यह भी सच था कि युविका को उस वक्त सही मार्गदर्शन नही मिला । चाहे कुमार हो , चाहे उसकी सहेली हो , चाहे उसके पिता श्री हो , चाहे कुलगुरू हो या चाहे भैरवी उर्फ नुपुर हो ; किसी ने भी उसकी बात , उसकी प्रेम , उसकी जिद को सीरियस नही लिया और इसका परिणाम था उसका अघोरी के सम्पर्क मे आना ।

खैर अंत भला तो सब भला । युविका को अंततः मुक्ति मिली लेकिन जब सम्राट , आरती और नुपुर की पूर्व जन्म की यादें हमेशा के लिए धूमिल हो गई तब फिर कैसे वह सब नुपुर की नवजात संतान को युविका कहकर सम्बोधित कर सकते हैं ? यादें विस्मृत हो जाने के बाद युविका से सम्बंधित हर बात भूल जानी चाहिए थी ।

बेहतरीन स्टोरी रिकी भाई ।
देर से ही सही पर यह कहानी अपने मंजिल तक तो पहुंची । नेक्स्ट स्टोरी का इंतजार रहेगा ।
रिव्यू के लिए धन्यवाद भाई जी 🙏🏼

यादें चेतन मन से हटी, अवचेतन मन में वो यादें अभी भी हैं, इसीलिए।

नेक्स्ट स्टोरी अब शायद USC में ही देखने को मिले, क्योंकि अभी कोई प्लॉट है ही नही दिमाग में। जो है वो USC के लायक है।
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Abhishek Kumar98

Well-Known Member
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बात सर्दियों की है, रात 9 बजे, एक बड़े से घर में मौजूद सारे सदस्य बैठे टीवी देख रहे थे।

देव, घर के मुखिया (45), और शहर के जाने माने उद्योगपति।

सुषमा, उनकी पत्नी (42), गृहणी।

नूपुर, बड़ी बहू (21), बड़े बेटे राजा (22), सेना में कैप्टन, की पत्नी।

सम्राट, छोटा बेटा (20), अभी कॉलेज में पढ़ता है, और अपने पिता के काम को भी जरूरत के समय देखता है। (नायक)

राजा अभी अपनी ड्यूटी पर है, शादी के दूसरे दिन ही उसको किसी सीक्रेट मिशन के लिए बुला लिया गया है, और पिछले 1 महीने से वो वापस नही आया है।

धीरे धीरे सब अपने अपने कमरों में सोने को जानें लगे, और अंत में वहां बस सम्राट बचता है वहां, रात के करीब १२ बजे वो भी टीवी बंद करते हुए अपने कमरे में सोने चला जाता है।

उसका कमरा घर की ऊपरी मंजिल में था, जहां बस एक गेस्ट रूम ही था, घर के बाकी सदस्यों के कमरे नीचे ही बने हुए थे।

सम्राट जैसे ही अपने कमरे में आता है, उसे अपने बेड पर एक बहुत ही खूबसूरत २०-२२ साल की युवती बैठी दिखाई देती है जिसने एक जींस और टॉप पहना हुआ था, लड़की एकदम दूध की तरह साफ रंग की थी, जिसका चेहरा बेहद आकर्षक था। उसका बदन जैसे सांचे में ढाला हुआ था। हल्का भरा बदन और उस अपर एकदम अनुपात अनुसार वक्ष और नितम्ब, जिनका आकार न कम न ही ज्यादा था। और सबसे हसीन थीं उसकी आंखे, झील से गहरी नीली आंखें, जिनमे कोई एक बार बार देखे तो डूबता चला जाय...


sexy-devil
उस युवती को देख सम्राट थोड़ा आश्चर्यचकित हो कर पूछता है, "आप कौन, और इस समय मेरे घर में कैसे आईं?"

युवती (मुस्कुराते हुए बेड से उठ कर सम्राट के करीब आती है): मैं कौन, और यहां कैसे आई, इन बातों में वक्त क्यों बर्बाद करना? आओ और बस मेरी बाहों में समा जाओ।
Bahut jabardast introduction aur bahut badiya start hai
 
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Logan(Wolverine)

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अपडेट २३# अंतिम भाग

अब तक आपने पढ़ा -

उसके बाद सम्राट ही उस कक्ष में प्रवेश करके युविका को उस संदूक से बाहर लाया।

फ्लैशबैक खतम

अब आगे -


युविका के अतीत को बताते बताते आरती भी होश में आ गई थी। इधर सम्राट और आरती दोनो को अपना अतीत याद आ जाता है।

आरती उठ कर युविका के करीब जाते हुए, "युवी तूने इतना सब कर लिया, पर एक बार कम से कम मुझेसे तो अपने दिल का हाल कहती, मुझे पता होता तो मैं खुद ही पीछे हट जाती।"

युविका, "तुम्हारे पीछे हटने से क्या कुमार मेरा हो जाता? जो बात मुझे मेरे पिताजी, भैंरवी मौसी, बटुकनाथ और खुद कुमार समझता रहा कि किसी के प्रेम को जबरदस्ती नहीं पाया जा सकता, वो बात इतना सब करने के बाद समझ आई मुझे।"

सम्राट, "युवी, ऐसा नहीं था कि मुझे तुमसे प्रेम नही था, पर वो प्रेम प्रेमी वाला न होकर मित्रता वाला था, और आज भी है। मैं बस यही चाहता हूं कि अब तुम इन काली शक्तियों का साथ छोड़ दो।"

युविका, "अब मैं भी इनका साथ छोड़ना चाहती हूं, लेकिन ये मुझसे हो नही पा रहा है, जितना मैं इनसे छूटने की कोशिश करती हूं, ये मुझमें उतनी ही कामेक्षा बढ़ती जा रही है।"


सभी की नजर प्रज्ञानंद पर जाती है।

प्रज्ञानंद, " मैं युविका की आत्मा को इन शक्तियों से मुक्ति दिला सकता हूं , पर उसके लिए मुझे युविका का शरीर, या उससे जुड़ी कोई चीज चाहिए, ताकि अनुष्ठान में उसका होम किया जा सके, तभी वो शक्तियां युविका की आत्मा को छोड़ेंगी।"

तभी घर के दरवाजे पर कोई दस्तक देता है। प्रज्ञानंद सम्राट को दरवाजा खोलने का इशारा करते हैं।

सम्राट दरवाजे को थोड़ा सा खोल कर देखता है तो बाहर उसकी भाभी नुपुर खड़ी दिखती है।

"भाभी, आप इस समय यहां?" सम्राट आश्चर्य से पूछता है।

"अभी मैं तुम्हारी भाभी नही, भैंरवी हूं। और तुम लोगो की मदद करने आई हूं कुमार।" नुपुर ने कहा।

"क्या, कैसे?"

नुपुर, सम्राट को चूड़ा दिखाते हुए , जो सम्राट महेंद्रगढ़ से लाया था, "ऐसे, अब जल्दी से अन्दर चलो।"

दोनो अंदर आते हैं, और नुपुर युविका की ओर देखते हुए, "मुझे माफ कर दे पुत्री, शायद मेरी उसी भूल का हिसाब करने के लिए मुझे वापस से तुम लोग के साथ जन्म दिया है ईश्वर ने।"

प्रज्ञानंद ने अपना अनुष्ठान आरंभ कर दिया था, और जैसे जैसे वो आगे बढ़ रहा था, मौसम अपना रुख बदलते जा रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे हवाएं सब कुछ अपने साथ उड़ा ले जायेंगी, बिजली इतनी जोर से कड़क रही थी की लगा जैसे आज सबकुछ उसकी चपेट में आ कर राख हो जायेगा। नुपुर आरती को अपने सीने से लगाए उसे सांत्वना दे रही थी, और सम्राट उस अनुष्ठान में आहुति डाल रहा था।

प्रज्ञानंद, "अब ये चूड़ा इस अग्नि को भेट चढ़ाओ सम्राट, तभी युविका को वो शक्तियां छोड़ेंगी। और युविका तुम इसके बाद किसी मनुष्य योनि के ही जन्म लेगी, पर आगे से इस बात का ध्यान रखना कि अपने स्वार्थ सिद्ध करने के लिए ऐसी शक्तियों से छेड़छाड़ नही करनी चाहिए।"

इतना बोलते ही प्रज्ञानंद ने सम्राट को इशारा किया और उसने वो चूड़ा की अग्नि में आहुति कर दी। इसी के साथ युविका की एक जोरदार चीख गूंज गई। और फिर सब शांत हो गया।

इसी के साथ प्रज्ञानंद ने भभूत को सबके ऊपर छिड़क दिया, "इससे आप सब के चेतन मन से पूर्व जन्म वाली सारी यादें मिट जाएंगी।"

ये बोल कर प्रज्ञानंद वहां से चले गए।

कुछ देर बाद,

आरती, "सम्राट क्या हुआ था मुझे?"

सम्राट, "तुमने मुझे कॉल करके बुलाया था किसी जरूरी काम का बोल कर, जब मैं यहां आया तो देखा तुम्हे काफी तेज बुखार था, और इसीलिए मैं भाभी के साथ यहां आ गया था। अब तुम्हारी तबियत सही लग रही है ना?"

आरती, "हां बस बदन में दर्द है थोड़ा मेरे।"

नुपुर, "आराम करो बहुत तबियत खराब थी तुम्हारी।"

सुबह होने वाली थी, सम्राट ने नुपुर और आरती को आराम करने कहा और वो भी दूसरे कमरे में लेट गया।

कुछ देर आराम करने के बाद सम्राट और नुपुर अपने घर चले गए, आरती की हालत भी अब सही थी, और कुछ देर बाद उसके मां पिताजी भी आ गए।

इधर सम्राट के घर पहुंचते ही पता चला कि राजा भी अपने मिशन में कामयाब होकर वापस आ गया है, और अब उसने सेना की नौकरी छोड़ कर घर रहने का फैसला कर लिया है।

एक साल बाद:

आज सम्राट और आरती की शादी है, घर का माहौल खुशियों से भरा हुआ है, और हो भी क्यों न, एक साथ दो नए सदस्य घर में जो आने वाले हैं। नुपुर भी मां बनने वाली है। फेरों के खत्म होते ही नुपुर को दर्द होने लगता है, और सब आनन फानन में उसे ले कर हॉस्पिटल पहुंचते हैं। नुपुर को लेबर रूम में ले जाया जाता है और सब बाहर इंतजार करने लगते हैं।

2 घंटे बाद एक बच्चे के रोने की आवाज आती है, और कुछ देर बाद नर्स आ कर बताती है कि बच्ची हुई है, आप लोग आइए।

सब, राजा, देव जी, सुषमा, सम्राट और आरती अंदर आते हैं। नुपुर भी होश में होती है। सबके आने के बाद नर्स बच्ची की साफ सफाई के बाद ला कर नुपुर की गोद में दे देती है।

बच्ची का चेहरा देखते ही नुपुर, सम्राट और आरती एक साथ


"युविका..."


VERY GOOD ENDING UPDATE
 
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avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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Lost track of this story long back.. can't even remember the characters.
So, this calls for a reread. I hope you finished it in a strong manner.
 

Logan(Wolverine)

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#अपडेट 21

अब तक आपने पढ़ा -


"महराज ये संकट उसी के कारण आया है शायद। मैं अभी दावे से तो ये नही कह सकता, लेकिन मुझे इसमें कोई शक भी नहीं लग रहा है की वही कारण है इन घटनाओं का।" बटुकनाथ ने कहा।

"मगर क्यों?" भैंरवी ने दुख भरे अंदाज में पूछा।

"युविका को मैने समझा कर भेजा तो था, लेकिन मुझे लगता नही कि उसे वो बात इतनी आसानी से समझ आई होगी। और फिर मेरे आश्रम से जाने के बाद भी वो कई दिनों के बाद ही अपने घर गई। और सबसे बड़ी बात, जब वो मेरे आश्रम में आई थी, उसी समय संपूर्णानद भी आश्रम के आस पास ही था, और यही मेरे शक करना का मुख्य कारण है।" बटुकनाथ ने भैरवी और कुलगुरु को देखते हुए कहा।

"क्या, संपूर्णानंद?"


अब आगे -


दोनो कुलगुरु और भैंरवी के मुंह खुले रह गए बटुकनाथ के बात सुन कर

"ऐसा क्या हुआ गुरुवर, आप इतने चिंतित क्यों हो गए हैं?" महराज ने आश्चर्य से पूछा।

"चिंता की ही बात है राजन, क्योंकि अगर जो संपूर्णानंद का कुछ भी हाथ इस संकट में है, तो समझ लीजिए मुसीबत बहुत ही भयंकर होगी। क्योंकि वो न सिर्फ मेरा गुरु भाई है, बल्कि वो अघोर के उस रूप का साधक हो गया है, जो केवल विनाश की ओर ले जाती है, और युविका का उसके संपर्क में आना भी आपके राज्य में व्याप्त संकट का कारण हो सकता है।"

"मैं अभी अपनी डाकनी शक्ति से संपूर्णानंद का पता लगाने की कोशिश करती हूं।" भैंरवी ने खड़े होते हुए कहा।


बटुकनाथ भी खड़े होते हुए, "गुरुवर और राजन, आप आराम करिए, मुझे भी कुछ साधनाएं करनी पड़ेगी। हम परसों प्रातः ही आपके राज्य की ओर प्रस्थान करेंगे।"

ये बोल कर बटुकनाथ जंगल की ओर चल दिए, और भैंरवी अपनी कुटिया में चली गई।

दो दिन बाद, सब लोग पुनः सवेरे एकत्रित हुए। बटुकनाथ को देखते हुए भैंरवीं ने कहा, "संपूर्णानंद का कुछ पता नहीं चल पाया गुरुदेव।"

"हम्म्म, मुझे लगा था की आपकी शक्तियां काम नही कर पाएंगी इस मामले में, खैर वो किसी जिंदा इंसान को ही ढूंढ पाती, मारे हुए को कहां तलाश कर पाएंगी।"

कुलगुरु, "अर्थात?"

"अर्थात, संपूर्णानंद की मृत्यु हो चुकी है, और उसको मरने वाली वही , लेकिनअघोरी शक्ति है जिसके बल पर वो शक्तिशाली बनना चाहता था। पर उसकी मृत्यु का सही कारण मुझे नहीं पता।"

राजन, "गुरुदेव, अब आगे क्या, मेरी प्रजा क्या ऐसे ही सजा भुगतेगी?"

"नही राजन, हम सब अभी चलते हैं, भैंरवी, गुरुवर, आप दोनो भी चलने की तैयारी करें, लगता है, शायद मुझे आप की भी जरूरत पड़े महेंद्रगढ़ में।"

शाम होते होते सारे लोग महेंद्रगढ़ की सीमा में प्रवेश कर चुके थे। बटुकनाथ की योजना के अनुसार, राजन के अलावा सब वहीं जंगलों में ही विश्राम करते हैं, और राजा अकेले ही महल चले जाते हैं, जहां वो सबको यही बताते हैं कि कुलगुरू कुछ समय पश्चात ही यहां आ कर कुछ उपाय कर पाएंगे।

इधर, रात को ही बटुकनाथ और भैंरवी अपनी साधना में बैठ गए, और कुछ समय बाद ही उनकी साधना में अनेक प्रकार के विघ्न पड़ने लगे, जैसे कभी कोई भयंकर जंगली जानवर आ जाता तो कभी आंधी पानी के लक्षण बन जाते। लेकिन बटुकनाथ ने साधना स्थल के चारो ओर ऐसा सुरक्षा चक्र बनाया था कि कोई भी साधारण काली शक्ति उसे पार नहीं कर पाई और नष्ट हो गई।

रात गहरी होते होते बटुक नाथ ने युविका की शक्ति द्वारा बुना हुआ सुरक्षा जाल तोड़ दिया था, और रात के तीसरे पहर (second last quater) में वो सब राजमहल के भीतर आ चुके थे।


और महल के एक गुप्त तहखाने में फिर से साधना शुरू हो गई। मगर इस बार साधना शुरू होने के कुछ समय पश्चात ही घनघोर तूफान पूरे महल पर मंडराने लगा, और युविका तमतमाई सी उस तहखाने में आ गई। और उसने आते ही राजा को गले से उठा कर दूर फेंक दिया, और फिर वो बाकी तीनों की ओर बढ़ने लगी, उसकी तिलस्मी तलवार उसके हाथ में आ चुकी थी और भैंरवी की गर्दन की ओर उसका वार होने ही वाला था...

Very interesting N THRILLING UPDATE RIKKY007 bro
 
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बाकी SANJU ( V. R. ) भाई जी, आप कब लिख रहे है नई कहानी?
बहुत मुश्किल है अब और कुछ भी लिखना । बड़ी मुश्किल से हफ्ते मे तीन चार अपडेट पढ़ पाता हूं । और कुछ लिखने के लिए तो बहुत अधिक टाइम की जरूरत पड़ती है ।
 
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