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Adultery कामुक काजल -जासूसी और मजा

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Chutiyadr

Well-Known Member
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:congrats: For completed 10k views on your story thread.....
dhanywad bhai :)
aise ye 10M hoga tab dete yaar 10k me kya dhanywad dena :lol1:
aise aap logo ki hi kripa dristi hai ki is critical time me jab sabhi writers isi bat se pareshan hai ki readers nahi hai padhne wale ,us time me bhi aap log meri storyy ko pyar dete ho iske liye aap sabhi ka dhanywad :love:
 

Shetan

Well-Known Member
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Bahot chhota update he sir please request he bhale hi late do par bada update do. Taki pyas bhujne ki bajae jag jae hamari
 

Rahul

Kingkong
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Yash420

👉 कुछ तुम कहो कुछ हम कहें 👈
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अध्याय 3
ये मेरे आँखों के सामने ही हो रहा था , काजल उसी सोफे में बैठी थी जन्हा वो सुबह बैठी थी और मानिकलाल उसके कंधो को धीरे धीरे सहला रहा था , मणिक की नज़ारे मुझसे मिली लेकिन वो रुका नहीं बल्कि उसके चेहरे में मुस्कान खिल गयी , मैं थोडा आगे बढ़ा तो ये देख कर रुक गया की अब काजल रो नहीं रही थी बल्कि मानिक के छाती में उगे काले घने बालो से खेल रही थी , ये मेरे आँखों के सामने ही हो रहा था की मेरी मासूम सी प्यारी बीवी एक ऐयाश मर्द के साथ इतने इत्मिनान के साथ बैठी हो ,

“नीलम जी चली गई तो क्या हुआ मैं तो हु न “

मानिक ने बड़े ही प्यार से काजल के बालो को सहलाया और उसके माथे में एक चुम्मन दिया , काजल ने अपनी आंखे उठाई उसकी आंखे वैसे ही गीली थी जैसे की आज सुबह मैंने देखी थी , लेकिन होंठों में एक मुस्कान फ़ैल चुकी थी , उसने आँखों को आधा बंद करते हुए अपने होठ मानिक के सामने कर दिए ,

मानिक की आंखे मेरी लाल जलती हुई आँखों से जा मिली उसके होंठों की मुस्कान और भी गहरा गई थी , वो मुझे ही देखते हुए अपने होंठों को काजल से होंठों में रगड़ने लगा था , काजल बेताब सी हो गई थी और उसके होंठों को अपने होंठों में सामने लगी , उसकी ये बेताबी मेरे लिए आश्चर्य का कारक थी ,

“काजल ये क्या कर रही हो “ मैं चिल्लाना चाहता था लेकिन चिल्ला नहीं पाया , मेरी प्यारी बीवी अपने होंठों को मानिक के होंठों से मिलाये हुए थी और मेरी उपस्तिथि में भी मस्त होकर उसका साथ दे रही थी , मेरी आवाज मानो वही दब सी गई हो ये मुझे क्या हो रहा था , मेरी सांसे बढ़ने लगी मैं अपने हाथ पाँव भी नहीं हिला पा रहा था ,

अचानक वो हुआ जिससे मेरी सांसे ही रुक गई

काजल ने मुस्कुराते हुए मुझे देखा ,

“मुझे ये पसंद है , इसका मांसपेशियों से भरा शारीर , शर्ट से झांकते बालो के गुच्छे , शारीर से आती मर्दाना सुगंध , असली मर्द लगता है मुझे “

काजल ने ये मेरी आँखों में देखते हुए कहा था , उसने एक चुम्मन मानिक के छाती में भी दे दी , मानिक ने भी अपने हाथो को जैसे आजादी दे दी हो वो काजल की पीठ को सहलाते हुए उसके निताम्भो तक अपने हाथ को फेर रहा था , मैं इसे साफ साफ देख सकता था की उसके हाथ काजल के भारी लेकिन सुडोल निताम्भो में खेल रहे थे , उसने हल्का सा दबाव ही बढाया था की काजल चुहक उठी

“यंहा नहीं बेडरूम में चलते है “

काजल की आवाज में एक मदहोशी थी , एक मतवालापन था , एक मादकता थी , उसकी हिरनी सी चंचल आँखों में नशा सा उतर आया था , वो इठलाते हुए खड़ी हुई और आकार मेरे होंठों को सहलाने लगी ,

“मजा आया “ उसने अपने चिरपरिचित मादक आवाज में मुझसे पूछा

“काजल ये तुम ठीक नहीं कर रही हो “

“अच्छा लेकिन तुम्हारा बाबु तो बिलकुल खड़ा हो गया है “

उसने जोरो से मेरे लिंग को सहलाया

“आह ...काजल ये तुम .... आह काजल तुम ये “

“मजा आ रहा है ..?? “

“हां लेकिन तुम ये गलत कर रही हो “

“क्या गलत्त कर रही हु ??”

“मानिकलाल अच्छा आदमी नहीं है ...”

“इतने रात को तुम्हें मानिकलाल की याद कैसे आ गई “

मैं चुप हो गया था , मेरी आंखे हडबडाहट में खुल गयी , मैं अपने बिस्तर में था और सामने काजल मुझे आश्चर्य से देख रही थी , मेरे पैजामे में मेरा लिंग बिल्कुल ही ताना हुआ खड़ा था , शायद काजल के कोमल हाथो के स्पर्श ने उसे और भी उत्तेजित कर दिया था , काजल मुझे अजीब निगाहों से देख रही थी , मेरे माथे में पसीना था और होंठ सुख रहे थे , मुझे याद आया की मैं नीलम जी के घर से आकर जल्दी सो गया था , वही काजल आज दुखी थी इसलिए वो भी आकर जल्दी ही सो गई थी ..

मैंने पास रखी घडी देखी अभी 4 बज रहे थे स्वाभाविक था की अभी सुबह के 4 बजे थे , काजल को देख ऐसा लग रहा था जैसे वो पहले ही जाग गई हो , वो अब भी मुझे घूरे जा रही थी ..

“तुम क्या देख रहे थे , और तुम्हारे सपने में मानिकलाल कब से आने लगा , और मुझे किस चीज से मना कर रहे थे ..”

मैं जैसे ही थोडा ठीक हुआ काजल ने सवालो की झड़ी ही लगा दी

“वो मैं ... वो सब छोडो तुम कब जागी “

“बहुत देर हो गए नींद ही नहीं आ रही थी , किचन में गई चाय बना कर पी लिया थोडा इधर उधर भी घूम लिया , फिर कमरे में आई तो देखा की तुम्हारे चेहरे में पसीना था , मैं थोड़ी घबरा गई की तुम्हें हुआ क्या है , फिर तुम बोलने लगे की काजल ये गलत है , और तुम्हारा ये बाबू बिलकुल टेंट बनकर खड़ा था , मुझे लगा की तुम मेरे बारे में कोई सपना देख रहे हो लेकिन ये मानिकलाल ??”

“ओह ... छोडो वो सब दिन भर का कचरा रात में दिमाग में घूमता रहता है , आज जल्दी उठ ही गए है तो गार्डन हो आये मूड भी थोडा फ्रेश लगेगा “

काजल ने भी हामी भर दी थी ...

मैंने भगवान का शुक्रिया किया की मैं सपना देख रहा था , लेकिन मैं इस सपने में उत्तेजित क्यों हो रहा था ???? मैंने इसे अपने दिमाग से निकालने में ही अपनी भलाई समझी ...
manmohak Update 👏👏👏
Dr Sahab
 

Kingsingh

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Bhai ye story cuckold theme par based to nhi hai , aur agar hai to pehle bata do bhai kyuki mujhe zara bi pasand nhi .
 
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