Lucky-the-racer
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nice update ..chandani ka sex karte huye hording ko dekhna ...अध्याय १रात का अँधेरा छा गया था , सन्नाटे में केवल गाडियों की आवाजे ही आ रही थी , एक अँधेरी गली में कुछ कुत्ते अपसगुन का संकेत देते हुए रो रहे थे , ये बदनाम गलिया थी जो शाम होते ही रोशन हो जाती थी लेकिन इनकी रोशनी में भी एक अँधेरा था , रात का एक पहर बीत चूका था और अब इन गलियों में या तो कुत्ते घुमा करते थे या इन्सान के भेष में कुत्तो की जिंदगी जीने वाले , कुछ शराबी लड्खाते दिख जाया करते तो कही जिस्म की हवस मिटाते कुछ तथाकथित अमीर लोग ..
अधिकतर ये गलिया पीछे के रास्तो में खुलती थी जन्हा आगे के रास्तो में जगमगाते क्लब हुआ करते , जन्हा शराब और शबाब की भरपूर नुमाइश हुआ करती और जब शराब के नशे में चूर कोई अपने अंदर के शैतान को तृप्त करने की ख्वाहिश करता तो पीछे के दरवाजे से उन अँधेरी गलियों में आ जाता जो शैतान की गली थी ...
शहर के जगमगाहट और कोलाहल से दूर या कहे उसी कोलाहल का दूसरा स्वरुप ..
ऐसे ही एक गली में एक शराबी, नशे में धुत एक लड़की के जिस्म से खेल रहा था , अभी अभी शोर शराबे से भरे क्लब में उस लड़की ने उस अमीर कहे जाने वाले इन्सान को लुभाया था जो रोज ही यंहा नए नए हुस्न की खोज में आ जाता , और वो आज उसके नसीब में वो लड़की आई थी जिसके सपने वो कई दिनों से देख रहा था , वो नशीली थी , भरपूर शरीर के साथ मादकता जैसे उसके अंग अंग से टपकती थी , चेहरे में एक अजब का आकर्षण फैला हुआ था , उस शराबी ने उससे उचे दाम में सोदा किया था लेकिन आज वो भी हैरान था की जिस लकड़ी के लिए वो इतना तरसा है उसने आज उसे सामने से ऑफर दिया, अब वो दोनों पीछे की गली में अपनी ही मस्ती में डूबे हुए थे , वो लड़का कमसिन जवानी के खिलते यौवन को मसलने में बेताब था , और पूरी शिद्दत से यौवन के उभार को मसल रहा था , साथ ही साथ वो उसे दीवार से लगाये हुए उसके गले और होंठों को चूम रहा था ,
लेकिन वो लड़की....?
उसकी नजर दूर लगे एक होल्डिंग पर थी जिसमे एक बड़ी सी तस्वीर लगी थी , तस्वीर देश के सबसे मशहूर अदाकार में से एक की , उस अदाकार के हसते हुए चेहरे को देखकर उस लड़की की आँखों में आग जैसे उतरने लगता , लेकिन आखो का आग चेहरे में आई एक कातिल मुस्कान के आगे फीकी लगने लगती , उस लड़की की मनोदशा को समझ पाना किसी के लिए भी मुश्किल था , होंठों में मुस्कान और आँखों में आग , उसने उस लड़के को जोरो से अपनी ओर खिंच लिया ...
“अब अंदर भी कर दे बहुत प्यासी हु “
लड़की की मादक आवाज सुन लड़का जोश से भर गया और तुरंत ही लड़की के स्कर्ट को उपर उठा कर उसकी योनी को कपड़ो के परदे से आजाद कर दिया , अपने लिंग को सहलाते हुए उसने कोमल योनि की दीवार से रगड़ते हुए प्रवेश करवा दिया ..
“आह कितनी गर्म है तू चांदनी , कितने दिनों से इन्तजार कर रहा था “
धक्के लगाते हुए वो लड़का जैसे स्वर्ग की सैर करने लगा था वही वो लड़की जिसका नाम चांदनी था और काम जिस्म बेचना, वो बस आँखों में आग लिए उस बड़े बेनर को देख रही थी जिसपर उस अदाकार की फोटो थी , साथ ही साथ चांदनी के चेहरे में एक अजीब सी मुस्कान भी फैली हुई थी , वो मुस्कान आम मुस्कान नहीं थी उसमे गुस्सा था , दर्द था, बेचैनी भी, लेकिन एक सुकून भी फैला हुआ था , अचानक वो हँस पड़ी , वो लड़का थोड़े अचरज से उसे देखने लगा
“क्या हुआ ..??”
“कुछ नहीं तुम करते रहो “ चांदनी ने मुस्कुराते हुए कहा ,किसी के लिंग का उसकी योनी में आना जाना बड़ी सामान्य सी बात थी लेकिन आज उसे इसमें बहुत मजा आ रहा था .......
इधर
घने खुले हुए बाल थे लेकिन सर में पुलिस की टोपी पहन रखी थी , माथे में लाल लेकिन छोटी सी बिंदी चमक रही थी , वो पुलिस की ड्रेस वाली शर्ट पहने हुए थी और कंधे में 3 स्टार लगा हुआ था , शर्ट के दो बटन उपर से खुले हुए थे जिससे उसके उन्नत और पुष्ट वक्ष झांकते हुए प्रतीत हो रहे थे , मैं मंत्रमुग्ध हुए बस उसे निहारे जा रहा था उसके होंठों में एक कातिलाना मुस्कान थी और हाथो में पुलिसिया डंडा ....
उसने आखिर अपने चहरे में गुस्सा लाते हुए मुझसे कहा
“इस गुस्ताखी की आपको क्या सजा दी जाये मिस्टर देव “
“मेडम मुझे छोड़ दीजिए मैंने कोई बड़ी गलती नहीं की है “
“अच्छा तो इसे तुम छोटी गलती समझते हो , सजा तो तुम्हे मिलेगी वो भी अभी “
उसने दुसरे हाथ में एक हथकड़ी पकड़ ली
“नहीं प्लीज मुझे हथकड़ी मत लगाइए “
मैंने खुद को सिकोड़ते हुए कहा
“अरे ऐसे कैसे नहीं लगाऊ अगर भाग गए तो “
उसने मेरे हाथो में हथकड़ी लगा दी और मेरे हाथ बिस्तर से बांध दिया ,
जी हाँ सही पढा आपने , बिस्तर से
वो बिस्तर में चढ़ गयी और अपने पैर मेरे सीने में रख दिया
“अब तो सजा मिलेगी देव बाबु “
उसके गोरे पैरो में एक पायल थी और नजर उठाने पर मुझे उसकी लाल पेंटी भी साफ साफ दिखने लगी , उसने केवल एक शर्ट पहन रखी थी , पुलिसिया शर्ट
वो अपने पैरो को मेरे सीने में मसलने लगी थी , उसके कोमल पैर मेरे सीने में उगे घने बालो पर रगड़ खा रहे थे, वो मेरी आँखों में देख मुस्कुराते हुए अपनी पेंटी को धीरे धीरे उतरने लगी ,
शादी को एक साल हो चुके थे लेकिन मैं अब भी इसकी हरकतों से आश्चर्य में भर जाता , इसकी अदाओ का दीवाना हो जाता , ये थी मेरी मस्तीखोर , चुलबुली और मेरे दिल की धड़कन ...
मेरी बीवी काजल
मेरे हाथ बिस्तर से बंधे हुए थे, वो झुककर मेरे होंठों में अपने होंठों को डाल चूसने लगी , मेरे सीने में अपने नर्म होंठों को चलाने लगी , उसके होंठों का स्पंदन पाकर मैं गुदगुदी से मचल जाता था और मेरा यु मचलना उसकी निर्दोष खिलखिलाहट का सबब बनता ,
आज उसका दिन था वो जैसे चाहे वैसे मुझसे खेल रही थी , उसने चूम चूम कर मेरे पुरे चहरे को गिला कर दिया था अब वो धीरे धीरे मेरे कपडे भी निकलने लगी ,
मैं कुछ ही देर में नग्न था ,मेरा लिंग किसी सांप की तरह फुंकार मार रहा था
उसने हलके हाथो से मेरे लिंग को छुवा
“क्यों मिस्टर देव सजा कैसी लगी “
“ओओह डार्लिंग “ उत्तेजना में मेरे मुह से निकल गया
उसने तुरंत ही मेरे मुह को दबा दिया
“डार्लिंग नहीं मेडम “
“सॉरी मेडम जी “
“गुड ‘
वो मुस्कुराते हुए मेरे लिंग तक अपने होंठों को ले गयी और एक ही झटके में उसे अपने मुह में ले लिया
“आआअह्हह्हह्ह “
मैं मजे में सिस्कारिया ले रहा था
उसने शरारत से अपने दांतों को हलके से मेरे लिंग में गडा दिया
“आआअह्हह्हह काजल प्लीज”
मैं मीठे दर्द से उछल गया था
वो खिलखिलाकर कर हँसाने लगी
“जब मेरी बेचारी मुनिया (उसकी योनि जिसे प्यार से वो मुनिया कहती थी और मेरे लिंग को बाबू ) को चाट चाट कर दांतों से खा जाते हो तब तो ये दर्द याद नहीं आता तुम्हे “
वो फिर से मेरे लिंग की उपर की चमड़ी को हटाते हुए अपने हलके दांतों से उस संवेदनशील जगह को कुरेदने लगी , मैं हल्के दर्द और मजे में पागल हुआ जा रहा था उसने अपने गिले होंठों को बड़ी ही खूबी से मेरे लिंग में चलाना शुरू कर दिया , मैं उत्तेजना में बेचैन हो रहा था , मैं उसके बालो को पकड़ना चाहता था लेकिन मैं मजबूर था मेरे हाथ बिस्तर से बंधे हुए थे , अब मेरा खुद में काबू रख सकना भी मुश्किल हो रहा था , मैं झाड़ने के करीब आ चूका था ..
“काजल नहीं बेबी “ मैं उसे रोकना तो नहीं चाहता था लेकिन फिर भी मेरे मुह से ये निकल रहा था , काजल मेरे हालत को बखूबी समझती थी और वो उसका मजा भी ले रही थी ..
उसने तेजी से मुह चलाना शुरू कर दिया , उसके दांत भी कभी कभी मेरे संवेदनशील जगह पर लग जाते तो मेरे मुह से सिसकियाँ ही निकल जाती ..
मैं खुद को सम्हाल नहीं पाया और अपना गर्म लावा उसके मुह में ही छोड़ने लगा , उसने भी खुद को रोका नहीं और मेरे लिंग से मेरा पूरा वीर्य निचोड़ कर अपने गले से नीचे उतारने लगी ...
मैं वही ढेर हो चूका था और गहरी सांसे लेता हुआ लेटा था ..
“मजा आया “
उसने मेरे गालो को सहलाते हुए कहा
“बहुत ज्यादा “ मैंने अपना मुह उसकी तरफ कर दिया वो मेरे होंठों में अपने होंठों को डालकर चूसने लगी थी ........
उसकी गर्म सांसे मेरे सांसो से टकरा रही थी उसके कोमल होंठों को चूसने से मेरा लिंग भी धीरे धीरे अपना आकार बढ़ाने लगा था जिसे देखकर वो हँस पड़ी
‘बाबु फिर से जाग रहा है “ उसने खिलखिलाते हुए कहा
“हाँ लेकिन इस बार अपनी मुनिया से मिलना चाहता है “ मैंने हलके से उसके कानो में कह दिया
वो मुस्कुराते हुए खड़ी हुई और अपना शर्ट उतार कर रख दिया , वो मेरी वर्दी थी जिसे वो अभी तक पहने हुए थी , वो फिर से मेरे सीने में पैर रखकर अपनी कमर मटकाने लगी , वो पूर्ण नग्न थी और उसका संगमरमर सा जिस्म मेरे आँखों के आगे खेलने लगा था , उसके जिस्म का हर कटाव शानदार था , वो तो खुद ही शानदार थी ..उसका नर्म मलाईदार , गद्देदार पिछवाडा मेरे सामने था , मैं उसकी नरमी और गर्मी के अहसास को प्राप्त करने के लिए मचल उठा था ,
उसके उभरे हुए वक्ष किसी पहाड़ से अपना सर उठाये हुए मुझे उन्हें मुह में भरने को लालायित कर रहे थे ,वही उसके जन्घो के बीच की मांस की दरार बार बार मेरा ध्यान खिंच रही थी , वो अपनी कमर मटकाने लगी जिससे उसके शानदार उठे हुए नितंभ मेरे सामने बलखाने लगे थे ..
“अब मत तड़फाओ अपने बाबु को ,बाबु मुनिया से मिलने को बेचैन हुआ जा रहा है “
मैं मचलने लगा था मेरा लिंग भी फुंकार मार कर बार बार उपर निचे हो रहा था , वो मादकता से मुस्कुराते हुए बिना कुछ बोले ही मेरे लिंग को अपने हाथो में लेकर उसे अपनी मंजिल तक पहुचने लगी , मेरा लिंग उसके योनी से मिलकर ही जान गया की योनी पूर्ण रूप से गर्म हो चुकी है और आसानी से उस गर्म और चिपचिपे द्रव्य से भरी हुई योनी में मेरा अकड़ा हुआ लिंग सरकने लगा ..
हम दोनों ही उस अहसास में खो रहे थे जो चमड़ीयो के इस मिलन से हमें मिल रहा था , कहने को मात्र ये चमड़ी का मिलन ही था लेकिन इस मिलन में हमारे दिल भी मिल रहे थे , हमारी भावनाए जाग रही थी और हम एक दुसरे के प्रति खुद को समर्पित करते जा रहे थे , काजल ने अपने समर्पण का भाव मेरे होंठों में खुद के होंठों को डालकर दे दिया वो मुझसे लिपट कर सिसकियाँ लेने लगी थी , उसकी मादकता मुझे और भी उत्तेजित कर रही थी मैंने उसे पकड़ना चाहा लेकिन मेरे हाथ बंधे हुए थे ,मेरा उतावलापन देख वो हलके हलके हँसाने लगी और खुद ही अपनी कमर हलके हलके हिलाने लगी , जैसे जैसे समय बीत रहा था उसकी भी सांसे तेज हो रही थी और वो अपने कमर को तेजी से चलाने लगी , उसकी सांसे बहत्त ही तेज हो गयी थी वही हाल मेरा भी था , वो बहुत ही तेजी से मेरे उपर उछल रही थी , हम दोनों ही उत्तेजना में मचलने लगे थे और हम दोनों एक ही साथ झरने लगे , मैं उसकी योनी को अपने वीर्य से भिगोने लगा था वो भी मेरा साथ देते हुए अपने रस को मेरे लिंग में छोड़ रही थी ..
ऐसा लगा जैसे उसके योनी के रस में भीगकर मेरा लिंग और भी पुष्ट हो गया हो , हम दोनों ही एक दूसरे के बांहों में सो गए थे ..
सुबह मेरी नीन्द फोन के घनघनाने से खुली
मैंने देखा की काजल मेरे बाजु में सोई हुई है और फोन की आवाज से उसकी नींद ही खुल चुकी थी , मेरे हाथो की हथकडिया निकाल दी गयी थी मैं उसे अपने बांहों में समेटे सो रहा था ,
“इतनी सुबह कौन मर गया , ढ़ंग से सोने भी नहीं देते “
वो हल्के स्वर में बुदबुदाई ,मैंने मुस्कुराते हुए फोन फोन उठा लिया
“क्या ??? कब ??? ओह , ओके मैं आता हु “
मेरी बात सुनकर काजल समझ चुकी थी की कुछ बड़ा हो गया है ,
“नीलम देवी ..”
मेरी बात सुनकर काजल उछल कर बैठ गई
“क्या हुआ नीलम देवी को “
“नीलम देवी ने जहर खाकर खुदखुशी कर ली “
“क्या ???”
काजल के चहरे पर ऐसे भाव थे जैसे उसे अब भी मेरे बात पर भरोसा नहीं आ रहा हो
“ऐसा नहीं हो सकता ऐसा नहीं हो सकता “
काजल झुन्झुलाई मैंने काजल को सम्हाला वो रोते हुए मेरे बांहों में आ गई
“ऐसा नहीं हो सकता देव वो ऐसा कैसे कर सकती है “
मैं बिना कुछ बोले बस उसे सहला रहा था
नीलम देवी फिल्म इंडस्ट्री जानी मानी कलाकार थी , अपने ज़माने में उनकी अदाओ पर मरने वालो की लाइन लगी होती , काजल भी उनकी बहुत पड़ी फेन थी, नीलम देवी आजकल काम न मिलने के कारन परेशान थी और शहर से दूर अपने फॉर्म हाउस में रहती थी , मैं और काजल उन्हें पर्सनली भी जानते थे , काजल उनके लिए दीवानी थी, एक बार सिक्योरिटी के सिलसिले में हम मिले थे और तब से काजल और मैं उनसे अक्सर मिलते , हम उनसे मिलने उनके फॉर्म हाउस भी जाया करते , वो काजल को बहुत पसंद करती थी और अपनी बेटी की तरह प्यार देती ..
मुझे पता था की काजल के लिए उनकी कितनी अहमियत है ..
लेकिन मुझे वंहा जल्दी ही जाना था ये केस हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण था और मेरी पूरी टीम वंहा पहुचने वाली थी
“मूझे जाना होगा काजल ..”
“मैं भी चलू ..??”
“तुम्हें वंहा कैसे ले जा सकता हु बेबी “
“प्लीज् जान , मैं उन्हें अंतिम बार देखना चाहती हु “
मैं सोच में पड़ गया था,
“ठीक है तुम मानिकलाल के साथ रहना शायद वो भी वही होगा “
मानिकलाल नीलम जी का भतीजा था और हमारा परिचित भी , हम दोनों ही वंहा से तेजी से निकले
suspense se bhara update ..nilam ki khudkhushi karna aur letter type kiya hai computer se ..अध्याय 2मिडिया और लोगो की भीड़ को हटाते हुए मैं अंदर पंहुचा , मन का दुःख अभी भी ख़त्म नहीं हुआ था
हमारे डी.जी.(डायरेक्ट जनरल ऑफ़ पुलिस -प्रदेश के पुलिस का मुखिया ) मेहता साहब ने सक्त हिदायत दी थी की मिडिया को इन सबसे दूर रखा जाये और उतना ही बताया जाये जितना की जरुरी है , मुझे और मेरी टीम को इन्वेस्टीगेशन का काम दिया गया था और साथ ही हिदायत भी थी की इसे आत्महत्या कहकर केस को जल्द ही क्लोज करे ...
बंगले के उपरी मंजिल में एक बड़ा सा कमरा नीलम देवी का था , अपने तनहाई के दिनों में वो इस बड़े बंगले में 2 नौकरों के साथ रहती थी जो की पति पत्नी थे ..
उनके कमरे में फोरेंसिक और पुलिस की टीम पहले ही पहुच चुकी थी साथ ही साथ मेरे टीम के सदस्य भी थे जो मेरा ही इन्तजार कर रहे थे ,
बड़े से बिस्तर में नीलम जी की लाश पड़ी हुई थी हाथ में से छुटी हुई जहर की बोतल अभी भी बिस्तर में पड़ी थी ,कुछ गोलिया अभी भी उनके इर्द गिर्द थी , शायद इसे ही खाकर उन्होंने जान दी थी , मुझे देखकर इंस्पेक्टर वेदांत और बाकी लोगो ने पहले तनकर सेल्यूट ठोका और फिर अपने काम में लग गए ..
“क्रिस्टल क्लियर केस है देव , सुसाइड नोट भी मिला है जिसमे नीलम देवी के सिग्नेचर है “
मेरी सहयोगी सीक्रेट सर्विस और इंटेलिजेंस की ऑफिसर और मेरी एक्स गर्लफ्रेंड पूर्वी पांडये मेरे बाजु में आकर खड़ी हो गयी उसके हाथो में सुसाइड नोट था
मैंने सुसाइड नोट ध्यान से पढा उसके अनुसार काम न मिलने और अकेलेपन के कारण उन्होंने आत्महत्या कर ली थी , पुलिस और हमारा काम महज खानापूर्ति का ही था हमें रिपोर्ट फाइल करनी थी और केस बंद करना था ..
“हूमम्म और कोई सबूत “
मैंने एक बार पूर्वी की और देखा
“अरे सर अब इसमें क्या सबूत ढूँढना केस तो साफ ही दिख रहा है “ पास खड़ा हुआ वेदांत बोल उठा
“केस इतना साफ़ भी नहीं वेदांत “ कोई कुछ समझ पता उससे पहले एक बला की खुबसूरत महिला सभी को जैसे चीरते हुए अंदर आई ,
“काजल तुम.... तुम्हारा यंहा क्या काम .... ??”
पूर्वी ने बड़े ही आश्चर्य से काजल को देखा और फिर मुझे घूरने लगी
“देव ये क्राइम सिन है और तुम अपनी बीवी को यंहा लेकर आ गए “
पूर्वी ने मुझे खा जाने वाली नजरों से देखा
“इसे देव ने नहीं मैंने बुलाया है , ये भी नीलम जी के बहुत करीब थी “
काजल के पीछे एक और शख्स प्रगट हुआ ये मानिकलाल था नीलम देवी का भतीजा और शायद एक मात्र रिश्तेदार,
“वो तो ठीक है लेकिन यंहा हमें केस का इन्वेस्टीगेशन करना है , प्लीज् आप लोग बहार जाइये “
पूर्वी बोल ही रही थी की काजल नीलम देवी के लाश के पास पहुच गयी , उसकी आँखों में आंसू आ गए थे , उसने अपने आंसुओ से भरी आँखों से मुझे देखा
“प्लीज काजल बहार चलो हमें अपना काम करने दो , पोस्टमार्टम के बाद पुलिस बॉडी को घर वालो के हवाले कर देगी “
काजल बिना कुछ बोले ही कमरे से बहार जाने लगी ,अचानक उसकी नजर उस ख़त पर पड़ी , उसने वो ख़त पढ़ा
“ये तो कंप्यूटर से टाइप किया गया है “काजल ने थोड़ी जल्दबाजी में कहा
“तो क्या हुआ इस पर साइन तो असली है “पूर्वी ऐसे भी काजल के यंहा होने से नाखुश थी उसे ऐसी बाते कहते देख वो और भी गुस्से में आ गई
“हाँ लेकिन ...”
“काजल प्लीज् बहार जाओ “
मैं नहीं चाहता था की काजल के कारण कोई बखेड़ा खड़ा हो जाए
काजल बिना कुछ् बोले ही वंहा से जा चुकी थी
“काजल बुआ कभी आत्महत्या नहीं कर सकती , लेकिन उन्होंने वो दवाई क्यों ली होगी “
मानिकलाल काजल के साथ बैठा हुआ रो रहा था , मानिकलाल एक 35 साल का पुरुष था जो की नीलम देवी का भतीजा था , साथ ही साथ उनके बाद सारी जायजाद का अकेला वारिस भी , देखने में किसी हीरो के माफिक 6 फूट 2 इंच का लम्बा चौड़ा, तगड़ा व्यक्ति था, सपना भी हीरो बनने का ही था नीलम जी के पहचान का फायदा उठा कुछ फिल्मो में उसे लिया भी गया था लेकिन उसकी एक्टिंग स्किल्स बहुत ही ख़राब थी , नीलम जी की पूरी दौलत को उड़ाने का ठेका भी उसी ने उठा रखा था काम धाम कुछ था नहीं बस पार्टियों में शराब और शबाब का शौक पाले हुए था , लडकियों को हिरोइन बनाने के झांसे में फंसा कर उनसे मनमानी करने के कारनामे में भी वो सिध्हस्त था , दिक्कत ये थी की फिल्म इंडस्ट्री में कई बड़े लोगो से उसकी पहचान भी थी और सुना है की वो लडकियों से डील करके उन्हें देहव्यापार के धंधे में भी घुसा देता था , लेकिन सभी चीजे इतने साफ सुथरे तरीको से होते की ये बस एक शक था किसी के पास कोई साबुत नहीं , इसलिए वो बड़े ही इज्जत से घुमा करता ..
काजल उसका हाथ अपने हाथो में लिए उसे सांत्वना दे रही थी
“नीलम जी मेरे भी माँ के सामान थी मानिक , वो मैंने उन्हें कई तरह की मुसीबतों का सामना करते देखा है लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी , पता नहीं कैसे ..”
काजल फिर से रो पड़ी , इस बार मानिक ने उसका सर अपने कंधे में रख लिया और हाथो को काजल के गले से दूसरी तरफ ले जाकर उसे अपने सीने में अपना सर रखकर रोने की आजादी दे दी , मैं अभी अंदर के कमरे से उन्हें देख रहा था ,काजल को मनिक की असलियत का नहीं पता था लेकिन मुझे पता था की मानिक कितना बड़ा कमीना है , वो काजल के नाजुक कंधो को सहला रहा था और मैं दूर से ही काजल के लिए उसके आँखों में आये हवास को साफ़ साफ़ देख सकता था , मैं उनके ओर बढ़ने ही वाला था की पूर्वी ने मुझे रोक लिया ..
“फोरंसिक टेस्ट से साफ़ है की इन्ही गोलियों से इनकी मौत हुई है “
“ओओह कौन सा केमिकल फार्मूला है ये “
“फोस्फोसायनाइड ... DNT बनाने में भी यूज होता है “
पूर्वी की बात सुन मैं जोरो से चौका
“DNT में .... ??”
DNT आजकल भारी मात्र में उपयोग में लाये जाने वाला एक ड्रग्स था, बड़े घरो के लोगो में तेजी से फेमस हो रहे इस ड्रग्स की सप्लाई कबीर किया करता था , दुबई में बैठा एक अंडरवर्ड डॉन , जो कभी एक सामान्य सा मुजरिम हुआ करता था , लेकिन आज ड्रग्स , देहव्यापार और हथियार के अवेध बिजनेस का किंग बन चूका था ..
“इसे रिपोर्ट में डालना है न “
पूर्वी ने मुझे ख्यालो से निकाला
“बिलकुल लेकिन ये बात मेंसन मत करना की ये DNT में भी ये मिला होता है “
पूर्वी मेरी बात सुन अपने काम में भीढ़ गई वही मैं दूर सोफे में बैठे मानिक और काजल को देख रहा था , मानिक के होंठों में एक मुस्कान थी और वो रोते हुए काजल के कंधो को सहला रहा था ......
मैं उनके ही ओर चल दिया
मैं बिलकुल उनके पीछे ही खड़ा था
“काजल उदास नहीं होते “
मेरी आवाज सुन काजल उससे अलग जरूर हुई लेकिन वही बैठी रही
“नीलम जी आत्महत्या कैसे कर सकती है देव , कोई कारन नहीं था की वो ऐसा करती “
“हम्म मैं इन्वेस्टीगेशन में इस बात का ध्यान रखूँगा फिक्र मत करो , अगर उनके साथ कुछ बुरा हुआ हो तो जरूर पता चल जायेगा , तुम घर जाओ “
“अरे काजल जी को यही रहने दीजिये देव साहब , वंहा वो अकेली हो जाएगी “
मानिक और काजल दोनों ही मुझे देख रहे थे
“अभी वो यंहा क्या करेगी ?? बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए ले जाना है अब , मैं थोडा बीजी रहूँगा ‘
“तो मैं तो हु न इनके साथ “
मानिक के होंठों में एक हलकी मुस्कान थी
“धन्यवाद मानिक , लेकिन मेरे ख्याल से काजल को घर चले जाना चाहिए “
“हाँ ठीक है मैं जाती हु “काजल भी वंहा से उठने लगी
साथ ही मानिक भी उठ गया
“मैं इन्हें घर छोड़ देता हु “
“नहीं आपसे कुछ पुछ्ताज करनी है आप रुकिए “ मैं काजल को बहार तक छोड़ने आ गया
ye to shuru hote hi khatm ho gaya ..अध्याय 3ये मेरे आँखों के सामने ही हो रहा था , काजल उसी सोफे में बैठी थी जन्हा वो सुबह बैठी थी और मानिकलाल उसके कंधो को धीरे धीरे सहला रहा था , मणिक की नज़ारे मुझसे मिली लेकिन वो रुका नहीं बल्कि उसके चेहरे में मुस्कान खिल गयी , मैं थोडा आगे बढ़ा तो ये देख कर रुक गया की अब काजल रो नहीं रही थी बल्कि मानिक के छाती में उगे काले घने बालो से खेल रही थी , ये मेरे आँखों के सामने ही हो रहा था की मेरी मासूम सी प्यारी बीवी एक ऐयाश मर्द के साथ इतने इत्मिनान के साथ बैठी हो ,
“नीलम जी चली गई तो क्या हुआ मैं तो हु न “
मानिक ने बड़े ही प्यार से काजल के बालो को सहलाया और उसके माथे में एक चुम्मन दिया , काजल ने अपनी आंखे उठाई उसकी आंखे वैसे ही गीली थी जैसे की आज सुबह मैंने देखी थी , लेकिन होंठों में एक मुस्कान फ़ैल चुकी थी , उसने आँखों को आधा बंद करते हुए अपने होठ मानिक के सामने कर दिए ,
मानिक की आंखे मेरी लाल जलती हुई आँखों से जा मिली उसके होंठों की मुस्कान और भी गहरा गई थी , वो मुझे ही देखते हुए अपने होंठों को काजल से होंठों में रगड़ने लगा था , काजल बेताब सी हो गई थी और उसके होंठों को अपने होंठों में सामने लगी , उसकी ये बेताबी मेरे लिए आश्चर्य का कारक थी ,
“काजल ये क्या कर रही हो “ मैं चिल्लाना चाहता था लेकिन चिल्ला नहीं पाया , मेरी प्यारी बीवी अपने होंठों को मानिक के होंठों से मिलाये हुए थी और मेरी उपस्तिथि में भी मस्त होकर उसका साथ दे रही थी , मेरी आवाज मानो वही दब सी गई हो ये मुझे क्या हो रहा था , मेरी सांसे बढ़ने लगी मैं अपने हाथ पाँव भी नहीं हिला पा रहा था ,
अचानक वो हुआ जिससे मेरी सांसे ही रुक गई
काजल ने मुस्कुराते हुए मुझे देखा ,
“मुझे ये पसंद है , इसका मांसपेशियों से भरा शारीर , शर्ट से झांकते बालो के गुच्छे , शारीर से आती मर्दाना सुगंध , असली मर्द लगता है मुझे “
काजल ने ये मेरी आँखों में देखते हुए कहा था , उसने एक चुम्मन मानिक के छाती में भी दे दी , मानिक ने भी अपने हाथो को जैसे आजादी दे दी हो वो काजल की पीठ को सहलाते हुए उसके निताम्भो तक अपने हाथ को फेर रहा था , मैं इसे साफ साफ देख सकता था की उसके हाथ काजल के भारी लेकिन सुडोल निताम्भो में खेल रहे थे , उसने हल्का सा दबाव ही बढाया था की काजल चुहक उठी
“यंहा नहीं बेडरूम में चलते है “
काजल की आवाज में एक मदहोशी थी , एक मतवालापन था , एक मादकता थी , उसकी हिरनी सी चंचल आँखों में नशा सा उतर आया था , वो इठलाते हुए खड़ी हुई और आकार मेरे होंठों को सहलाने लगी ,
“मजा आया “ उसने अपने चिरपरिचित मादक आवाज में मुझसे पूछा
“काजल ये तुम ठीक नहीं कर रही हो “
“अच्छा लेकिन तुम्हारा बाबु तो बिलकुल खड़ा हो गया है “
उसने जोरो से मेरे लिंग को सहलाया
“आह ...काजल ये तुम .... आह काजल तुम ये “
“मजा आ रहा है ..?? “
“हां लेकिन तुम ये गलत कर रही हो “
“क्या गलत्त कर रही हु ??”
“मानिकलाल अच्छा आदमी नहीं है ...”
“इतने रात को तुम्हें मानिकलाल की याद कैसे आ गई “
मैं चुप हो गया था , मेरी आंखे हडबडाहट में खुल गयी , मैं अपने बिस्तर में था और सामने काजल मुझे आश्चर्य से देख रही थी , मेरे पैजामे में मेरा लिंग बिल्कुल ही ताना हुआ खड़ा था , शायद काजल के कोमल हाथो के स्पर्श ने उसे और भी उत्तेजित कर दिया था , काजल मुझे अजीब निगाहों से देख रही थी , मेरे माथे में पसीना था और होंठ सुख रहे थे , मुझे याद आया की मैं नीलम जी के घर से आकर जल्दी सो गया था , वही काजल आज दुखी थी इसलिए वो भी आकर जल्दी ही सो गई थी ..
मैंने पास रखी घडी देखी अभी 4 बज रहे थे स्वाभाविक था की अभी सुबह के 4 बजे थे , काजल को देख ऐसा लग रहा था जैसे वो पहले ही जाग गई हो , वो अब भी मुझे घूरे जा रही थी ..
“तुम क्या देख रहे थे , और तुम्हारे सपने में मानिकलाल कब से आने लगा , और मुझे किस चीज से मना कर रहे थे ..”
मैं जैसे ही थोडा ठीक हुआ काजल ने सवालो की झड़ी ही लगा दी
“वो मैं ... वो सब छोडो तुम कब जागी “
“बहुत देर हो गए नींद ही नहीं आ रही थी , किचन में गई चाय बना कर पी लिया थोडा इधर उधर भी घूम लिया , फिर कमरे में आई तो देखा की तुम्हारे चेहरे में पसीना था , मैं थोड़ी घबरा गई की तुम्हें हुआ क्या है , फिर तुम बोलने लगे की काजल ये गलत है , और तुम्हारा ये बाबू बिलकुल टेंट बनकर खड़ा था , मुझे लगा की तुम मेरे बारे में कोई सपना देख रहे हो लेकिन ये मानिकलाल ??”
“ओह ... छोडो वो सब दिन भर का कचरा रात में दिमाग में घूमता रहता है , आज जल्दी उठ ही गए है तो गार्डन हो आये मूड भी थोडा फ्रेश लगेगा “
काजल ने भी हामी भर दी थी ...
मैंने भगवान का शुक्रिया किया की मैं सपना देख रहा था , लेकिन मैं इस सपने में उत्तेजित क्यों हो रहा था ???? मैंने इसे अपने दिमाग से निकालने में ही अपनी भलाई समझी ...
डॉ साहब ! स्टोरी जहां घुमाने का मन हो , वहां घुमाएं पर फिर से टाइम ट्रैवल मत करवा देना ।dhanywad sanju bhai
ha murder mistery to hai hi lekin uske sathh sath storyy aur bhi kai jagah ghumegi ...
ye story thoda alag hi kism ki hone wali hai aisa mujhe lag raha hai , aage dekhte hai
Excellent updateअध्याय 3ये मेरे आँखों के सामने ही हो रहा था , काजल उसी सोफे में बैठी थी जन्हा वो सुबह बैठी थी और मानिकलाल उसके कंधो को धीरे धीरे सहला रहा था , मणिक की नज़ारे मुझसे मिली लेकिन वो रुका नहीं बल्कि उसके चेहरे में मुस्कान खिल गयी , मैं थोडा आगे बढ़ा तो ये देख कर रुक गया की अब काजल रो नहीं रही थी बल्कि मानिक के छाती में उगे काले घने बालो से खेल रही थी , ये मेरे आँखों के सामने ही हो रहा था की मेरी मासूम सी प्यारी बीवी एक ऐयाश मर्द के साथ इतने इत्मिनान के साथ बैठी हो ,
“नीलम जी चली गई तो क्या हुआ मैं तो हु न “
मानिक ने बड़े ही प्यार से काजल के बालो को सहलाया और उसके माथे में एक चुम्मन दिया , काजल ने अपनी आंखे उठाई उसकी आंखे वैसे ही गीली थी जैसे की आज सुबह मैंने देखी थी , लेकिन होंठों में एक मुस्कान फ़ैल चुकी थी , उसने आँखों को आधा बंद करते हुए अपने होठ मानिक के सामने कर दिए ,
मानिक की आंखे मेरी लाल जलती हुई आँखों से जा मिली उसके होंठों की मुस्कान और भी गहरा गई थी , वो मुझे ही देखते हुए अपने होंठों को काजल से होंठों में रगड़ने लगा था , काजल बेताब सी हो गई थी और उसके होंठों को अपने होंठों में सामने लगी , उसकी ये बेताबी मेरे लिए आश्चर्य का कारक थी ,
“काजल ये क्या कर रही हो “ मैं चिल्लाना चाहता था लेकिन चिल्ला नहीं पाया , मेरी प्यारी बीवी अपने होंठों को मानिक के होंठों से मिलाये हुए थी और मेरी उपस्तिथि में भी मस्त होकर उसका साथ दे रही थी , मेरी आवाज मानो वही दब सी गई हो ये मुझे क्या हो रहा था , मेरी सांसे बढ़ने लगी मैं अपने हाथ पाँव भी नहीं हिला पा रहा था ,
अचानक वो हुआ जिससे मेरी सांसे ही रुक गई
काजल ने मुस्कुराते हुए मुझे देखा ,
“मुझे ये पसंद है , इसका मांसपेशियों से भरा शारीर , शर्ट से झांकते बालो के गुच्छे , शारीर से आती मर्दाना सुगंध , असली मर्द लगता है मुझे “
काजल ने ये मेरी आँखों में देखते हुए कहा था , उसने एक चुम्मन मानिक के छाती में भी दे दी , मानिक ने भी अपने हाथो को जैसे आजादी दे दी हो वो काजल की पीठ को सहलाते हुए उसके निताम्भो तक अपने हाथ को फेर रहा था , मैं इसे साफ साफ देख सकता था की उसके हाथ काजल के भारी लेकिन सुडोल निताम्भो में खेल रहे थे , उसने हल्का सा दबाव ही बढाया था की काजल चुहक उठी
“यंहा नहीं बेडरूम में चलते है “
काजल की आवाज में एक मदहोशी थी , एक मतवालापन था , एक मादकता थी , उसकी हिरनी सी चंचल आँखों में नशा सा उतर आया था , वो इठलाते हुए खड़ी हुई और आकार मेरे होंठों को सहलाने लगी ,
“मजा आया “ उसने अपने चिरपरिचित मादक आवाज में मुझसे पूछा
“काजल ये तुम ठीक नहीं कर रही हो “
“अच्छा लेकिन तुम्हारा बाबु तो बिलकुल खड़ा हो गया है “
उसने जोरो से मेरे लिंग को सहलाया
“आह ...काजल ये तुम .... आह काजल तुम ये “
“मजा आ रहा है ..?? “
“हां लेकिन तुम ये गलत कर रही हो “
“क्या गलत्त कर रही हु ??”
“मानिकलाल अच्छा आदमी नहीं है ...”
“इतने रात को तुम्हें मानिकलाल की याद कैसे आ गई “
मैं चुप हो गया था , मेरी आंखे हडबडाहट में खुल गयी , मैं अपने बिस्तर में था और सामने काजल मुझे आश्चर्य से देख रही थी , मेरे पैजामे में मेरा लिंग बिल्कुल ही ताना हुआ खड़ा था , शायद काजल के कोमल हाथो के स्पर्श ने उसे और भी उत्तेजित कर दिया था , काजल मुझे अजीब निगाहों से देख रही थी , मेरे माथे में पसीना था और होंठ सुख रहे थे , मुझे याद आया की मैं नीलम जी के घर से आकर जल्दी सो गया था , वही काजल आज दुखी थी इसलिए वो भी आकर जल्दी ही सो गई थी ..
मैंने पास रखी घडी देखी अभी 4 बज रहे थे स्वाभाविक था की अभी सुबह के 4 बजे थे , काजल को देख ऐसा लग रहा था जैसे वो पहले ही जाग गई हो , वो अब भी मुझे घूरे जा रही थी ..
“तुम क्या देख रहे थे , और तुम्हारे सपने में मानिकलाल कब से आने लगा , और मुझे किस चीज से मना कर रहे थे ..”
मैं जैसे ही थोडा ठीक हुआ काजल ने सवालो की झड़ी ही लगा दी
“वो मैं ... वो सब छोडो तुम कब जागी “
“बहुत देर हो गए नींद ही नहीं आ रही थी , किचन में गई चाय बना कर पी लिया थोडा इधर उधर भी घूम लिया , फिर कमरे में आई तो देखा की तुम्हारे चेहरे में पसीना था , मैं थोड़ी घबरा गई की तुम्हें हुआ क्या है , फिर तुम बोलने लगे की काजल ये गलत है , और तुम्हारा ये बाबू बिलकुल टेंट बनकर खड़ा था , मुझे लगा की तुम मेरे बारे में कोई सपना देख रहे हो लेकिन ये मानिकलाल ??”
“ओह ... छोडो वो सब दिन भर का कचरा रात में दिमाग में घूमता रहता है , आज जल्दी उठ ही गए है तो गार्डन हो आये मूड भी थोडा फ्रेश लगेगा “
काजल ने भी हामी भर दी थी ...
मैंने भगवान का शुक्रिया किया की मैं सपना देख रहा था , लेकिन मैं इस सपने में उत्तेजित क्यों हो रहा था ???? मैंने इसे अपने दिमाग से निकालने में ही अपनी भलाई समझी ...
देव भगवान का शुक्रिया अदा कर रहा है कि वो सब सपना था । लेकिन कहानी के शीर्षक से लगता है कि काजल तो अपने जलवे बिखेरेगी । और वो भी देव जी को दिखा दिखा कर ।अध्याय 3ये मेरे आँखों के सामने ही हो रहा था , काजल उसी सोफे में बैठी थी जन्हा वो सुबह बैठी थी और मानिकलाल उसके कंधो को धीरे धीरे सहला रहा था , मणिक की नज़ारे मुझसे मिली लेकिन वो रुका नहीं बल्कि उसके चेहरे में मुस्कान खिल गयी , मैं थोडा आगे बढ़ा तो ये देख कर रुक गया की अब काजल रो नहीं रही थी बल्कि मानिक के छाती में उगे काले घने बालो से खेल रही थी , ये मेरे आँखों के सामने ही हो रहा था की मेरी मासूम सी प्यारी बीवी एक ऐयाश मर्द के साथ इतने इत्मिनान के साथ बैठी हो ,
“नीलम जी चली गई तो क्या हुआ मैं तो हु न “
मानिक ने बड़े ही प्यार से काजल के बालो को सहलाया और उसके माथे में एक चुम्मन दिया , काजल ने अपनी आंखे उठाई उसकी आंखे वैसे ही गीली थी जैसे की आज सुबह मैंने देखी थी , लेकिन होंठों में एक मुस्कान फ़ैल चुकी थी , उसने आँखों को आधा बंद करते हुए अपने होठ मानिक के सामने कर दिए ,
मानिक की आंखे मेरी लाल जलती हुई आँखों से जा मिली उसके होंठों की मुस्कान और भी गहरा गई थी , वो मुझे ही देखते हुए अपने होंठों को काजल से होंठों में रगड़ने लगा था , काजल बेताब सी हो गई थी और उसके होंठों को अपने होंठों में सामने लगी , उसकी ये बेताबी मेरे लिए आश्चर्य का कारक थी ,
“काजल ये क्या कर रही हो “ मैं चिल्लाना चाहता था लेकिन चिल्ला नहीं पाया , मेरी प्यारी बीवी अपने होंठों को मानिक के होंठों से मिलाये हुए थी और मेरी उपस्तिथि में भी मस्त होकर उसका साथ दे रही थी , मेरी आवाज मानो वही दब सी गई हो ये मुझे क्या हो रहा था , मेरी सांसे बढ़ने लगी मैं अपने हाथ पाँव भी नहीं हिला पा रहा था ,
अचानक वो हुआ जिससे मेरी सांसे ही रुक गई
काजल ने मुस्कुराते हुए मुझे देखा ,
“मुझे ये पसंद है , इसका मांसपेशियों से भरा शारीर , शर्ट से झांकते बालो के गुच्छे , शारीर से आती मर्दाना सुगंध , असली मर्द लगता है मुझे “
काजल ने ये मेरी आँखों में देखते हुए कहा था , उसने एक चुम्मन मानिक के छाती में भी दे दी , मानिक ने भी अपने हाथो को जैसे आजादी दे दी हो वो काजल की पीठ को सहलाते हुए उसके निताम्भो तक अपने हाथ को फेर रहा था , मैं इसे साफ साफ देख सकता था की उसके हाथ काजल के भारी लेकिन सुडोल निताम्भो में खेल रहे थे , उसने हल्का सा दबाव ही बढाया था की काजल चुहक उठी
“यंहा नहीं बेडरूम में चलते है “
काजल की आवाज में एक मदहोशी थी , एक मतवालापन था , एक मादकता थी , उसकी हिरनी सी चंचल आँखों में नशा सा उतर आया था , वो इठलाते हुए खड़ी हुई और आकार मेरे होंठों को सहलाने लगी ,
“मजा आया “ उसने अपने चिरपरिचित मादक आवाज में मुझसे पूछा
“काजल ये तुम ठीक नहीं कर रही हो “
“अच्छा लेकिन तुम्हारा बाबु तो बिलकुल खड़ा हो गया है “
उसने जोरो से मेरे लिंग को सहलाया
“आह ...काजल ये तुम .... आह काजल तुम ये “
“मजा आ रहा है ..?? “
“हां लेकिन तुम ये गलत कर रही हो “
“क्या गलत्त कर रही हु ??”
“मानिकलाल अच्छा आदमी नहीं है ...”
“इतने रात को तुम्हें मानिकलाल की याद कैसे आ गई “
मैं चुप हो गया था , मेरी आंखे हडबडाहट में खुल गयी , मैं अपने बिस्तर में था और सामने काजल मुझे आश्चर्य से देख रही थी , मेरे पैजामे में मेरा लिंग बिल्कुल ही ताना हुआ खड़ा था , शायद काजल के कोमल हाथो के स्पर्श ने उसे और भी उत्तेजित कर दिया था , काजल मुझे अजीब निगाहों से देख रही थी , मेरे माथे में पसीना था और होंठ सुख रहे थे , मुझे याद आया की मैं नीलम जी के घर से आकर जल्दी सो गया था , वही काजल आज दुखी थी इसलिए वो भी आकर जल्दी ही सो गई थी ..
मैंने पास रखी घडी देखी अभी 4 बज रहे थे स्वाभाविक था की अभी सुबह के 4 बजे थे , काजल को देख ऐसा लग रहा था जैसे वो पहले ही जाग गई हो , वो अब भी मुझे घूरे जा रही थी ..
“तुम क्या देख रहे थे , और तुम्हारे सपने में मानिकलाल कब से आने लगा , और मुझे किस चीज से मना कर रहे थे ..”
मैं जैसे ही थोडा ठीक हुआ काजल ने सवालो की झड़ी ही लगा दी
“वो मैं ... वो सब छोडो तुम कब जागी “
“बहुत देर हो गए नींद ही नहीं आ रही थी , किचन में गई चाय बना कर पी लिया थोडा इधर उधर भी घूम लिया , फिर कमरे में आई तो देखा की तुम्हारे चेहरे में पसीना था , मैं थोड़ी घबरा गई की तुम्हें हुआ क्या है , फिर तुम बोलने लगे की काजल ये गलत है , और तुम्हारा ये बाबू बिलकुल टेंट बनकर खड़ा था , मुझे लगा की तुम मेरे बारे में कोई सपना देख रहे हो लेकिन ये मानिकलाल ??”
“ओह ... छोडो वो सब दिन भर का कचरा रात में दिमाग में घूमता रहता है , आज जल्दी उठ ही गए है तो गार्डन हो आये मूड भी थोडा फ्रेश लगेगा “
काजल ने भी हामी भर दी थी ...
मैंने भगवान का शुक्रिया किया की मैं सपना देख रहा था , लेकिन मैं इस सपने में उत्तेजित क्यों हो रहा था ???? मैंने इसे अपने दिमाग से निकालने में ही अपनी भलाई समझी ...
अध्याय 3ये मेरे आँखों के सामने ही हो रहा था , काजल उसी सोफे में बैठी थी जन्हा वो सुबह बैठी थी और मानिकलाल उसके कंधो को धीरे धीरे सहला रहा था , मणिक की नज़ारे मुझसे मिली लेकिन वो रुका नहीं बल्कि उसके चेहरे में मुस्कान खिल गयी , मैं थोडा आगे बढ़ा तो ये देख कर रुक गया की अब काजल रो नहीं रही थी बल्कि मानिक के छाती में उगे काले घने बालो से खेल रही थी , ये मेरे आँखों के सामने ही हो रहा था की मेरी मासूम सी प्यारी बीवी एक ऐयाश मर्द के साथ इतने इत्मिनान के साथ बैठी हो ,
“नीलम जी चली गई तो क्या हुआ मैं तो हु न “
मानिक ने बड़े ही प्यार से काजल के बालो को सहलाया और उसके माथे में एक चुम्मन दिया , काजल ने अपनी आंखे उठाई उसकी आंखे वैसे ही गीली थी जैसे की आज सुबह मैंने देखी थी , लेकिन होंठों में एक मुस्कान फ़ैल चुकी थी , उसने आँखों को आधा बंद करते हुए अपने होठ मानिक के सामने कर दिए ,
मानिक की आंखे मेरी लाल जलती हुई आँखों से जा मिली उसके होंठों की मुस्कान और भी गहरा गई थी , वो मुझे ही देखते हुए अपने होंठों को काजल से होंठों में रगड़ने लगा था , काजल बेताब सी हो गई थी और उसके होंठों को अपने होंठों में सामने लगी , उसकी ये बेताबी मेरे लिए आश्चर्य का कारक थी ,
“काजल ये क्या कर रही हो “ मैं चिल्लाना चाहता था लेकिन चिल्ला नहीं पाया , मेरी प्यारी बीवी अपने होंठों को मानिक के होंठों से मिलाये हुए थी और मेरी उपस्तिथि में भी मस्त होकर उसका साथ दे रही थी , मेरी आवाज मानो वही दब सी गई हो ये मुझे क्या हो रहा था , मेरी सांसे बढ़ने लगी मैं अपने हाथ पाँव भी नहीं हिला पा रहा था ,
अचानक वो हुआ जिससे मेरी सांसे ही रुक गई
काजल ने मुस्कुराते हुए मुझे देखा ,
“मुझे ये पसंद है , इसका मांसपेशियों से भरा शारीर , शर्ट से झांकते बालो के गुच्छे , शारीर से आती मर्दाना सुगंध , असली मर्द लगता है मुझे “
काजल ने ये मेरी आँखों में देखते हुए कहा था , उसने एक चुम्मन मानिक के छाती में भी दे दी , मानिक ने भी अपने हाथो को जैसे आजादी दे दी हो वो काजल की पीठ को सहलाते हुए उसके निताम्भो तक अपने हाथ को फेर रहा था , मैं इसे साफ साफ देख सकता था की उसके हाथ काजल के भारी लेकिन सुडोल निताम्भो में खेल रहे थे , उसने हल्का सा दबाव ही बढाया था की काजल चुहक उठी
“यंहा नहीं बेडरूम में चलते है “
काजल की आवाज में एक मदहोशी थी , एक मतवालापन था , एक मादकता थी , उसकी हिरनी सी चंचल आँखों में नशा सा उतर आया था , वो इठलाते हुए खड़ी हुई और आकार मेरे होंठों को सहलाने लगी ,
“मजा आया “ उसने अपने चिरपरिचित मादक आवाज में मुझसे पूछा
“काजल ये तुम ठीक नहीं कर रही हो “
“अच्छा लेकिन तुम्हारा बाबु तो बिलकुल खड़ा हो गया है “
उसने जोरो से मेरे लिंग को सहलाया
“आह ...काजल ये तुम .... आह काजल तुम ये “
“मजा आ रहा है ..?? “
“हां लेकिन तुम ये गलत कर रही हो “
“क्या गलत्त कर रही हु ??”
“मानिकलाल अच्छा आदमी नहीं है ...”
“इतने रात को तुम्हें मानिकलाल की याद कैसे आ गई “
मैं चुप हो गया था , मेरी आंखे हडबडाहट में खुल गयी , मैं अपने बिस्तर में था और सामने काजल मुझे आश्चर्य से देख रही थी , मेरे पैजामे में मेरा लिंग बिल्कुल ही ताना हुआ खड़ा था , शायद काजल के कोमल हाथो के स्पर्श ने उसे और भी उत्तेजित कर दिया था , काजल मुझे अजीब निगाहों से देख रही थी , मेरे माथे में पसीना था और होंठ सुख रहे थे , मुझे याद आया की मैं नीलम जी के घर से आकर जल्दी सो गया था , वही काजल आज दुखी थी इसलिए वो भी आकर जल्दी ही सो गई थी ..
मैंने पास रखी घडी देखी अभी 4 बज रहे थे स्वाभाविक था की अभी सुबह के 4 बजे थे , काजल को देख ऐसा लग रहा था जैसे वो पहले ही जाग गई हो , वो अब भी मुझे घूरे जा रही थी ..
“तुम क्या देख रहे थे , और तुम्हारे सपने में मानिकलाल कब से आने लगा , और मुझे किस चीज से मना कर रहे थे ..”
मैं जैसे ही थोडा ठीक हुआ काजल ने सवालो की झड़ी ही लगा दी
“वो मैं ... वो सब छोडो तुम कब जागी “
“बहुत देर हो गए नींद ही नहीं आ रही थी , किचन में गई चाय बना कर पी लिया थोडा इधर उधर भी घूम लिया , फिर कमरे में आई तो देखा की तुम्हारे चेहरे में पसीना था , मैं थोड़ी घबरा गई की तुम्हें हुआ क्या है , फिर तुम बोलने लगे की काजल ये गलत है , और तुम्हारा ये बाबू बिलकुल टेंट बनकर खड़ा था , मुझे लगा की तुम मेरे बारे में कोई सपना देख रहे हो लेकिन ये मानिकलाल ??”
“ओह ... छोडो वो सब दिन भर का कचरा रात में दिमाग में घूमता रहता है , आज जल्दी उठ ही गए है तो गार्डन हो आये मूड भी थोडा फ्रेश लगेगा “
काजल ने भी हामी भर दी थी ...
मैंने भगवान का शुक्रिया किया की मैं सपना देख रहा था , लेकिन मैं इस सपने में उत्तेजित क्यों हो रहा था ???? मैंने इसे अपने दिमाग से निकालने में ही अपनी भलाई समझी ...