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dhanywad sam bhaiAacha update hai dr. Sahab
intajaar rahega
dhanywad sam bhaiAacha update hai dr. Sahab
intajaar rahega
bhai 2500 se jyda word ka update hai aur kitna bada chahiye , bachche ki jaan logo kyaBahut badhiya dr sahab,,,,
Jaldi ke chakkar me update ka size hi kam kar diya,,,
dhanywad subham bhaiAakrat Mumbai aaya aur aate hi kaam par lag gaya. Purane ghar se jo cheeze use mili thi unhe le kar wo aisi jagah 0ahucha jaha kya kya hota hai iske bare me dusra koi soch bhi nahi sakta. Khair wo banda bhi uska purani sathi hi tha aur wo aakrat ko achhe se jaanta tha yaha tak ki usi ne uska huliya theek kiya tha. Ab wo paise se fir se apna huliya theek karwayega. Aakrat ke paas kaafi paisa jama tha lekin is gorakhdhandhe ka kya chakkar hai? Wahi usne kaha ki kajal achha khel gayi thi aur ab main kheluga...matlab kajal waisi nahi thi jaisa wo dikha rahi thi shuru se. Ab ye kya Pench ghused diya dr sahab??? Khair let's see,,,,
nice update ..kuch sawal paida ho gaye hai ki aakrut ko uski yaddasht mil gayi to kya dev banne par uski yaddasht chali gayi thi ???..अध्याय 26मैंने मुंबई पहुचते ही पहले एक ठिकाना ढूंढा , अब ये करना मेरे लिए मुशिकल नहीं रह गया था , उन्हें घर में ही छोड़ कर मैं काम से निकल पड़ा ..
शाम का समय था जब मैं अपने पुराने घर पंहुचा था , कई दिनों से शायद वंहा कोई नहीं आया था इसलिए जगह जगह में मकडियो ने जाल बना लिया था ,मेरे पास कोई चाबी नहीं थी लेकिन मैं यंहा कई सालो तक रहा था , मैंने उन जगहों में ढूंढा जन्हा अक्सर हम चाबी रखते थे , और मुझे चाबी मिल गई जिसे शायद मैंने ही रखी थी , वक्त की कमी थी और मैं नहीं चाहता था की यंहा कोई मुझे देख ले , मैंने तुरंत अपना काम शुरू कर दिया ,,
अपने बेडरूम में जाकर मैं सीधे वंहा के टॉयलेट में पहुचा,
मुझे याद आया की काजल को शावर लेना पसंद नहीं था , ये बाद याद करते ही मेरे होठो में अजीब सी मुस्कान आ गई , काजल को याद करते ही मैं हँस पड़ा था , वो अच्छा खेल गई थी ,कोई बात नहीं अब मैं खेलूँगा …
मैंने शावर के ढक्कन को खोला जो की कई दिनों से बंद होने के कारण जाम हो चूका था , थोड़ी मसक्कत के बाद वो खुल गया और उसमे से मैंने एक पुडिया निकाली , पोलीथिन की उस पुडिया को मैंने जेब में डाल लिया ..
अब मुझे दूसरी पुडिया की जरुरत थी जिसे मैंने टॉयलेट सिट के अंदर छिपाया था , उसके लिए मुझे उसे तोडना पड़ा था लेकिन मैंने अपनी दोनों अमानतो को हासिल कर लिया था ..
मैं वंहा से जैसे आया था चुप चाप वैसे ही निकल गया ..
मुंबई का सराफा बाजार , जन्हा करोडो नहीं अरबो के लेनदेन रोज ही होते है , कई लीगल और कई इनलीगल कामो वाला ये मार्किट लोगो के शोर से गूंज रहा था , मैं एक अपना मुह मास्क से छिपाए हुए और बालो को ढककर चल रहा था , मुझे पता था की मेरा चहरा इतना अजीब है की यंहा लोग अगर मुझे देख ले तो मैं एक आकर्षण का केंद्र बन जाऊंगा …
आगे बढ़ते हुए मैं उस रोशनी से जगमाती सडक से होकर एक अँधेरी गली में घुस गया , थोड़े आगे जाते ही मुझे कुछ पुराणी दुकाने दिखने लगी , दिखने में ये किसी झोपडी की तरह खास्तहाल दिखती थी लेकिन जानने वाले जानते थे की रोशन सडक में बने बड़े बड़े शोरुम से ज्यदा का धंधा यंहा पर होता है , वो भी चुपचाप …
थोडा आगे जाकर मैं ऐसे ही एक पुराने जर्जर हो चुके से दूकान में घुस गया , वंहा एक सेठ टाइप का आदमी सफ़ेद गद्दे पर बैठा हुआ वंहा बैठे कुछ और लोगो से गपिया रहा था , मुझे देखते ही वो सभी सतर्क हो गए और सेठ थोड़े अदब से बैठ गया ..
“कहो जनाब क्या चाहिए …??”
सेठ के बोलने पर मैंने एक बार वंहा बैठे हुए लोगो को देखा
“माणिक सुरसती लेना है “
मेरे बोलते ही सेठ ने तुरंत ही उन सभी को वंहा से जाने को बोला और मेरे आगे बोलने का इतजार करने लगा
“आई डी 1121 “
मेरे आई डी बोलते ही वो मेरे चहरे को घूरने लगा जैसे मुझे पहचानने की कोशिस कर रहा हो
“मत घूरो पहचान नहीं पाओगे काम सुनो समय नहीं है “
मैंने अपने घर से लाई दोनों छोटे छोटे पेकेट जेब से निकाल कर उसके सामने रख दिए , वो उसे उठाते हुए मुझे अपने साथ उपर आने को बोल उपर चला गया , उपर का मंजर और भी निराला था , जैसे कोई कबाड़ खाना हो , सभी सामान इधर उधर बिखरे पड़े थे , उसने वही से एक मखमली कपडे में लिपटी ट्रे निकाली और खुर्सी में खुद बैठ गया , मैं भी उसके सामने से एक खुर्सी लेकर बैठ चूका था , उसने उस ट्रे में मेरी लाइ पुडिया को खोलकर डाल दिया …
पेकेट में रखे सारे हीरे उसके सामने जगमगाने लगे थे , उसकी आँखों में चमक आ गई , उसने एक हिरा उठा कर देखा ..
“खालिस जैसा की आप हमेशा लाते है “
उसने मुस्कुराते हुए कहा
मैंने मौन हामी भर दी
“कितने चाहिए ..??”
उसने दूसरा सवाल किया
“10 उसी पते पर भिजवा दो जिसमे हर महीने रूपये भिजवाते हो , और 5 मुझे कैस चाहिए “
सेठ के होठो में मुस्कान आ गई
“बिलकुल कल तक पैसा पहुच जायेगा और कैस अभी ले जाना .. लेकिन कुछ 25 और बच जायेगा “
“कोई नहीं वो रखो जब जरुरत होगी ले लूँगा “
सेठ ने हामी भर दी
मैंने उसे लगभग 35 करोड़ के हीरे दिए थे मेरा 5 करोड़ उसके पास पहले से जमा था जिसे वो थोडा थोडा करके हर महीने मेरे घर सालो से पंहुचा रहा था , वो 20% के कमीशन में काम करता था लेकिन आदमी बिलकुल भरोसे वाला, मैं देव बनने के बाद से ही उसके बारे में भूल चूका था ,गैरी की दवाई ने मुझे अब फिर से पूरी तरह से आकृत बना दिया था , वो सभी राज मुझे याद आ चुके थे जो मैं हुआ करता था , मैंने अपने भविष्य के लिए बहुत कुछ काम करके रखा था जो अब मुझे याद आ गए थे ..
मेरी माँ के लिए वासिम को अपनी हवेली बेचनी पड़ी थी जबकि मेरे पास इतना पैसा था की मैं आराम से उनका इलाज करवा सकता था , खैर ये मेरी नियति थी मेरे कर्म जिसका प्रकोप तो मुझे भुगतना ही था ..
सेठ उठकर उन कबाड़ो में कुछ ढूंढने लगा और एक पुरानी सी पेटी निकाली , पेटी से उसने 5 करोड़ निकाल कर मेरे सामने रख दिया था और मेरे हीरो को धूल से भरे एक दराज में डाल दिया ..
कोई अगर यंहा गलती से पहुच भी जाए तो यंहा की हालत देखकर वो अंदाजा भी नहीं लगा पायेगा की यंहा अरबो के हीरे और कैश ऐसे ही पड़े रहते है , दो हजार के नोटों की 250 गद्दिया उसने एक पोलीथिन में डालकर मुझे दे दी जैसे वो करोडो रूपये नहीं बल्कि राशन का सामान हो , एक साधारण से और पुराने से दिखने वाले थैली को उसने मेरी ओर बढ़ा दिया , कोई देखता तो सोचता की शायद कोई मजदुर सब्जिया लेकर जा रहा होगा ..
मैंने बिना कुछ कहे अपने पैसे उठाये और वंहा से निकल गया ..
ऑटो लेकर मैं फिर से एक चाल में पंहुचा जन्हा एक छोटी सी क्लिनिक थी , सालो से ये क्लिनिक वही पर थी और उसकी हालत भी अंग्रेज ज़माने के दवाखानो सी ही थी , बाहर बोर्ड लगा हुआ था .. डॉ सुकाराम दुबे , 12 वी पास , बायोलॉजी ..
उसे देखकर मेरे होठो में मुस्कान आ गई , पुलिस और स्वस्थ विभाग वाले सुकाराम को कई बार चेता चुके थे की वो बिना किसी डॉ की डीग्री के प्रेक्टिस ना करे लेकिन वो था की सालो से यही टिका हुआ था , और गरीबो का तो जैसे मसीहा ही हो , सिर्फ 10 रूपये में इलाज वो भी दवाइयों के साथ, स्वस्य्थ महकमा भी इनसे परेशां हो चूका था , हर बार ही इसे कोई बड़ा पोलिटिशियन बचा लेता उन्हें भी कभी समझ नहीं आया की आखिर ये आदमी है क्या ..
खैर मैं अंदर आया तो लगभग 70 साल के सुकाराम भीड़ से घिरा हुआ था , मुझे देखते ही वो रुक गया ..
“तर्पण भेदन करवाना है डॉ साहब “
मैंने उसे देखते ही कहा , उसके चहरे में अजीब से भाव उभरे उसने हामी में सर हिलाया ,और वंहा बैठे अपने एक असिस्टेंट को बुला लिया ..
“तू देख मैं इनके साथ आ रहा हु “
वो मुझे अपने साथ उस जर्जर बिल्डिंग के उपर वाले माले पर ले गए
“आई डी ..??”
“1121…?”
उन्होंने मुझे घुर कर देखा
मैंने अपना पूरा चहरा उनके सामने खोल दिया था
“तुम्हे क्या हो गया , भुने हुए मुर्गे लग रहे हो “
उन्होंने अपने चश्मे को ठीक करते हुए कहा
“मत पूछो बड़ी लम्बी कहानी है ..”
“माल ..??”
“कितना लगेगा ..??”
“देखो ऐसे तो पूरी तरह प्लास्टिक सर्जरी करनी पड़ेगी , तुम्हे कितना करवाना है ??”
“इतना की आराम से घूम सकू , “
“हम्म्म पुराना चहरा तो गया तुम्हारा , लगता है किसी दुसरे का चहरा भी लगाये थे अपने उपर , उसी के वजह से ये हाल हुआ है , उपर के चहरे को जलाकर निकाला गया है , किसने किया ये ..”
“गैरी ..”
गैरी का नाम सुनकर वो उछल गया
“साला अब भी जिन्दा है … कमाल हो गया मुझे तो लगा था मर गया होगा “
मैं हँस पड़ा
“मैंने भी नहीं सोचा था की आप भी जिन्दा होगे “
मेरे मजाक से वो भी हँस पड़ा
“हम लोग ब्लैक कोबरा के डॉ है ऐसे थोड़ी ना मर जायेंगे , ठीक है 2 करोड़ कैश “
मैंने अपने झोले से 2 करोड़ निकाल कर उनके हाथो में रख दिया उन्होंने उसे वही खड़े खड़े उन पैसो को साइड में फेक दिया और अपने जेब से पेन निकाल कर एक पता लिखकर मुझे दिया ..
“कल आ जाओ यंहा पर , सुबह 5 बजे काम हो जाएगा “
“आप करोगे ???”
मेरे सवाल पर वो थोडा हँसा
“अरे नहीं नए लड़के आये है वो कर देंगे , लेकिन उन सालो में हमारे जैसा दम नहीं है , हम बिना किसी खास मशीन के ये सब कर देते है अब उन्हें करोडो की मशीने लगती है “
मैंने एक बार उसे देखा
“बिना मशीनों के आप ये करते हो “
मैंने अपने चहरे की ओर दिखाया , वो हँस पड़ा
“गैरी ने जंगल में इतना कर दिया वो क्या कम है … कल सुबह “
इतना बोलकर वो रुक्सत हो गया साथ ही मैं भी ……
===========
मैंने अपना बेसिक काम कर लिया था , यंहा कमरे में आने पर मैं सामने का नजारा देखकर हँस पड़ा , आर्या आराम से कुर्सी में बैठी हुई थी और वांग उसके पैर दबा रहा था …
आर्या ने एक छोटी सी स्कर्ट पहन रखी थी जो उसने जिद करके ली थी और अंदर कुछ भी नहीं , उसके पैर वांग के कंधे में थे , वो आराम से आँखे बंद कर लेटी हुई थी वही वांग की नजर स्कर्ट में से झांकते हुए उसके दोनों जांघो के बीच की जगह पर थी , आर्या की कोमल गुलाबी पंखुड़िया उसे साफ साफ दिखाई दे रही थी जिसे वो ललचाई निगाहों से देख रहा था ,
अब आर्या ने ये अनजाने में किया था या जानबूझ कर ये मुझे पता नहीं लेकिन आज वांग की किस्मत जैसे खुल गई हो ..
मेरी आहट पाकर दोनों ही थोड़े हडबडा गए
“बहुत दर्शन करवा रही हो अपने आशिक को “
मैंने आर्या को थोडा ताना मारा
“क्यों नहीं यही तो मेरा सच्चा आशिक है , आपको तो मेरी कुछ भी नहीं पड़ी , “
“ओह तो सिर्फ दिखा को रही हो दे भी दो बेचारे को “
आर्या ने गुस्से से मेरी ओर देखा और फिर वांग की ओर , आर्या ने बड़े प्यार से वांग के चहरे में हाथ सहलाया और उसकी भाषा में बोली
“बहुत इतजार किया है तुमने मेरा तुम्हे इसका फल जरुर मिलेगा “
वांग की आँखों में चमक आ गयी थी , वो ख़ुशी में भरा हुआ मेरी ओर देखने लगा , उसका बलिष्ट देह भी उसकी मासूमियत को नहीं छिपा पता है , उसे देखकर मैं हँसने लगा ..
“चलो अब सो जाओ कल बड़ा दिन है , और मुझे बहुत काम है “
दोनों ने अपने सर हां में हिला दिए ….
Nice update sir jiअध्याय 27मैं सुबह सुबह ही डॉ सुकाराम के बताये पते पर पहुच चूका था , मेरे साथ आर्या और वांग भी थे ..
ये एक बहुत ही बड़ा हॉस्पिटल था , वांग और आर्या तो बस उसकी बिल्डिंग को ही देखने में व्यस्त हो गए थे , जैसा डॉ ने मुझे बताया था मैं उस कमरे तक पहुच गया और आराम से वंहा जाकर लेट गया ..
वो कमरा किसी 5 स्टार होटल के डिलक्स कमरे की तरह था , पेशेंट के लिए सर्वसुविधा युक्त बिस्तर के अलावा एक बड़ा सा सोफा भी रखा गया था , बड़े से LED स्क्रीन पर एक इंग्लिस मूवी चल रही थी , और कमरा AC की ठंडक से पूरी तरह से ठंडा था , वांग और आर्य के लिए ये कोई अजूबे से कम नहीं था , वो हर चीज को छू छू कर देख रहे थे , टीवी को देखकर वो कूदने लगे थे , मैंने उन्हें थोडा शांत रहने के लिए कहा , तभी आर्य ने पता नहीं कहा से एक चाकू निकाल लिया और लड़ने की मुद्रा में आ गयी , वही हाल वांग का भी था उसे कुछ नहीं मिला तो उसने ऑक्सीजन का सिलेंडर ही उठा लिया था , मैं उन्हें देख कर चौकते हुए टीवी की ओर देखा उसमे एक आदमी बड़ी सी तलवार लिए खड़ा हुआ दिख रहा था ,मुझे समझते देर नहीं लगी की ये लोग इस आदमी को असली समझ रहे है मैं तुरंत ही टीवी के सामने खड़ा हो गया ..
“ये सब नकली है , देखो “
मैंने रिमोट से चेनल चेंग किया और छूकर भी दिखाया वो लोग भी डरे हुए उसे देखने लगे लेकिन जैसे ही उन्हें समझ आया की ये सब नकली है वो कूदते हुए मेरे हाथो से रिमोट लेकर टीवी के सामने खड़े हो गए आर्या चेनल चेज करती और फिर दोनों ही ख़ुशी से खुद उठते , उन लोगो को देखकर मैंने अपना माथा पकड लिया था लेकिन किया भी क्या जा सकता था , वो तो न्यूज़ चेनल को देखकर भी ऐसे खुश हो रहे थे जैसे कोई पोर्न देख लिया हो ..
ये सब चल ही रहा था की डॉ सुकाराम और उनके साथ कुछ और भी लोग वंहा आये ..
आर्या और वांग को जैसे इनसे कोई फर्क ही नहीं पड़ा हो वो तो अपने ही मगन थे …
“ये दोनों नमूने कौन है ??”
डॉ की बात पर मैं थोडा मुस्कुराया
“ये गैरी की पोती है और ये उसी काबिले का एक लड़का है ..”
“ओह तभी … ऐसे लड़की के तेवर बड़े ही गर्म लगते है … खैर तुम तैयार हो “
मैंने हां में सर हिलाया
“तो इन लोगो को यही रहने दो तुम चलो ओपरेशन 10 घंटे भी चल सकता है “
मैंने हामी में सर हिलाया और जाकर पहले टीवी का वायर ही खिंच कर निकाल दिया , मैंने सभी से थोड़े देर का वक्त माँगा , टीवी के बंद होने पर आर्या गुस्से से मुझे खा जाने की निगाह से देख रही थी ..
“पहले मेरी बात सुनो फिर दिन भर ये कर लेना “
मैंने भी उसे थोडा डांटते हुआ कहा
“बोलो “
उसे रूखे हुए स्वर में बोली
“देखो मेरे चहरे का ओपरेशन होने वाला है , हो सकता है की तुम लोग इसके बाद मुझे पहचान भी ना पाओ , तो एक कोड याद रखो 1441, आपरेशन के बाद तुम लोग मुझे ये कोड पूछना अगर मैं ना बोल पाऊ तो बचकर यंहा से निकल जाना और सीधे गैरी के पास समझी … मुझे आज का पूरा दिन भी लग सकता है , तो इस कमरे से बाहर मत जाना , तुम लोगो का खाना यंहा पहुच जायेगा , अगर मैं 20 घंटे के बाद भी ना आऊ तो जो लोग मुझे ले जा रहे है उन लोगो का चहरा याद रखो तुम लोगो को उन्हें पकड़ना होगा और धमका कर मेरे बारे में पूछना होगा , समझे ..”
आर्या ने हां में सर हिलाया
“अच्छा बताओ कोड क्या है ??”
मेरी बात सुनकर दोनों चुप हो गए , वांग को तो ऐसे भी कुछ समझ नही रहा था आर्या भी चुप थी
“भूल गई ..कुछ दूसरा कोड रखो “
मैं परेशान हो गया था , अब इन्हें नंबर याद नहीं रह पाएंगे , मैंने वांग को देखा
“तू ही कुछ बोल दे “
मेर कहने पर वांग खुश हो गया और मेरे सामने आ गया
“गुरु चोद आर्या , वांग देखे चूत “
वो ऐसे खुश होकर बोल रहा था जैसे अपनी शादी की खबर सुना रहा हो , आर्या उसके बात से हँस पड़ी
“ठीक है यही कोड होगा “
आर्या ने हँसते हुए कहा , मैंने भी मुस्कुरा कर हां कह दिया
“अब इसे चालू करो “
आर्या ने जैसे मुझे हुक्म दिया हो मैंने फिर से टीवी शुरू कर दिया , वो लोग मुझे लेने आये लेकिन इस बार आर्या और वांग ने मुझे ले जाने आये सभी लोगो को बड़े ही गौर से देख लिया था ….
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एक इंजेक्शन के बाद मुझे पता नहीं की कितने समय तक मेरा ओपरेशन चला , जब नींद खुली तो मैंने खुद को उसी कमरे में पाया , मेरे पुरे चहरे में पट्टी बंधी हुई थी , मुझे आँख खोला देख आर्या मेरे पास आ गई
“कोड बताओ “
“क्या ??”
उन दोनों ने एक दुसरे को देखा और आर्या ने चाकू निकाल कर सीधे मेरे गले में लगा दिया
“कौन हो तुम “
“अरे मैं ही हु , तुम ये क्या कर रही हो “
“इसकी तो आवाज भी अलग लग रही है ??”
आर्या ने वांग को देखते हुए कहा और चाकू को और भी पास ले आई
“गुरु चोद आर्या , वांग देखे चूत “
मैंने झट से बोला और आर्या ने तुरंत ही चाकू हटा दिया , मैंने भी रहत की साँस ली कोड भूल गया होता तो आज तो गए थे काम से ..
वो दोनों रिलेक्स होकर टीवी के सामने बैठ गए थे , सामने पोगो पर कार्टून देखकर वो किसी बच्चो की तरह खुश हो रहे थे … मैं जानता था की ये लोग पहली बार कार्टून देख रहे होंगे और वो इतने घुस चुके थे की उनको डिस्टर्ब करना अपनी मौत को दावत देने जैसा था ..
मैंने भी उन्हें बिना डिस्टर्ब किये चुप चाप सोना पसंद किया …….
मेरे सामने दर्पण था और मेरी पट्टीया निकाली जा रही थी , अपने चहरे को देख कर मैं खुद ही हैरान हो गया था , काम बहुत ही सफाई से किया गया था , अब ना तो मेरा चहरा देव जैसे था ना ही आकृत जैसे , ये एक नए शख्सियत का जन्म था …
चहरे पर कई घाव के निशान अभी भी थे लेकिन त्वचा खुरदुरी नहीं रह गयी थी , वो दुनिया के सामने मुझे चहरा छिपाने की कोई जरुरत नहीं थी , हां ये निशान मुझे थोडा खूंखार जरुर बना रहे थे लेकिन कोई बात नहीं ..
2 दिन में ही हमने हॉस्पिटल छोड़ दिया था , मैं दोनों को लेकर शहर से थोड़े बाहर एक जगह पर पहुच गया , ये एक फॉर्म हॉउस था जिसे मैंने बहुत ही सस्ते में ख़रीदा था और सभी यादो की तरह इसे भी भूल चूका था , मुझे अब यही से ओपरेट करना था इसलिए मैंने डॉ सुकाराम से कहकर पहले अपना , आर्या और वांग का अलग नाम से पहचान पत्र बनवा लिया , मैंने अपना नाम विकाश सेठ चुना था, ये नाम मैंने दिल्ली के अंडरवर्ड के एक बड़े नाम से लिया था , जिसे कभी मैंने ही मारा था लेकिन वो नाम मैंने जिन्दा रखा था , अब वो मेरे काम आने वाला था , मेरे पास अब सब था आधार कार्ड , पेन कार्ड , पासपोर्ट सब जो मुझे विशाल बनाते थे , नए नामो से मैंने सभी के लिए मोबाईल और सिम कार्ड भी उठा लिया था , साथ ही एक बाइक और एक कार भी ले लिया …
अपने फार्म हॉउस पहुचने के बाद मुझे आर्या और वांग को आधुनिक हथियारों का प्रसिक्षण भी देना था , उन्हें गाड़ी चलाना, मोबाईल का उपयोग , इन्टरनेट का उपयोग ये सब चीजे भी मुझे सिखानी थी ताकि वो मेरी कुछ मदद कर सके …
मैंने उनकी ट्रेनिंग भी शुरू कर दी , मुझे पता था की ये इतने काबिल है की थोड़े उपयोग के बाद ये खुद ही चीजो को सिखने लगेंगे …
“कितना बड़ा घर है …”
आर्या घर को देखकर खुश हो गई थी , मैं उन्हें तहखाने में ले गया …
तहखाना भी बहुत बड़ा था लेकिन पूरी तरह से खाली , सिवाय कुछ संदूको के ..
और सामने एक गोलाकार बोर्ड लगा हुआ था , साथ ही साथ जिम का कुछ सामान और आदमी के कुछ पुतले एक कोने में रखे थे , ये ट्रेनिंग जोन था जन्हा मुझे इन दोनों जंगलियो को प्रसिक्षित करना था ..
मैंने संदुख खोले …
“ये सब क्या है “
आर्या इन नए खिलौनों को देखने लगी
“इन्हें कहते है बंदूख, जैसे तुम्हारा तीर कमान होता है वैसे ही इससे भी निशाना लगाया जाता है “
उसने गोलियों को हाथ में लिया
“ये क्या है ??”
“ये गोलिया है जैसे तीर होता है वैसे ही ये जाकर किसी को लग जाए तो सामने वाला मर भी सकता है “
आर्या हँस पड़ी
“हमारा इतना लम्बा तीर लगने पर भी लोग बच जाते है और इतनी छोटी सी चीज से क्या होगा “
मैं उसकी बात का जवाब ना देकर एक बंदूख को लोड किया और सामने लगे गोले पर फायर कर दिया , गोली की आवाज से मनो सभी के कान फट गए , वांग को तुरंत ही लड़ने के पोजीशन में आ गया था वही आर्या ने भी चाकू निकाल लिया और इधर उधर देखने लगी ..
“इधर उधर मत देखो ये इससे निकली है और जाकर उसे लगी है “
आर्य और वांग के चहरे में आश्चर्य भर गया था ,
“इतना तेज ये तो मुझे दिखाई भी नहीं दिया “
आर्या के चहरे में एक सहज आश्चर्य था
“चला कर देखोगी “
मैंने वो बंदूख उसे थमा दी और निशाने की ओर घुमा दिया , तीर कमान से उसका निशान अचूक था अब देखना था की बंदूख में कैसा है
धाय….
आर्या ने गोली चलाई और गोली उपर लगे बल्ब पर जा लगी , वही आर्या को जोर का झटका भी लगा , मैं पेट पकड कर हसने लगा जो उसे बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा था उसने अपना मुह बनाया जैसे कह रही हो की तुझे तो मैं दिखा कर रहूंगी , और उसने गोलियों की बोछार कर दी 5 वि गोली जाकर उस गोले को लगी , मुझे उम्मीद नही थी की वो इतने जल्दी सिख जायेगी , गोले में गोली लगने के बाद वो मुझे बड़े ही गर्व से देख रही थी ..
“हम्म्म गुड , प्रक्टिस करो , अब तीर कमान से नहीं इससे लड़ना पड़ेगा …
पूरा दिन सामान को जमाने में निकल गया था ,प्रेक्टिस का पूरा सामान जमा कर और बेसिक चीजो के बारे में समझा कर हम बाहर आये , वंहा किचन की चीजो को भी जमा दिया था , वांग बार बार गैर चालू करता और उसे बंद करता , उसे आग जलाने में बहुत ही मजा आ रहा था , मैंने उन्हें कुछ बेसिक चीजे समझाई , आर्या भले ही हमेशा जंगलो में रही हो लेकिन गैरी के संपर्क के कारन उसे बाहरी दुनिया के बारे में बहुत कुछ पता था …
खाना शाम होते ही खाना खाकर मैंने उन्हें पप्रेक्टिस के लिए बोल दिया और खुद शहर की ओर निकल गया …
मुझे अब अपने काम में लगना था सबसे पहला काम था एक इजी टारगेट जिससे जानकारी निकलवाई जा सके , और मेरे लिए सबसे इजी था मानिकलाल ….
मैंने एक फोन लगाया और …
“कोड 1121 “
सामने वाले के फोन उठाते ही मैंने कहा , उधर से एक ख़ामोशी सी बिखर गई थी
“कहा हो आप ???”
“काम की बात सुन मानिक का पता बता अभी …”
और मैंने फोन काट दिया , थोड़े ही देर बाद मेरे पास एक मेसेज आ गया था , जिसे देखकर मैं मुस्कुरा उठा
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रात का समय था और शमा जैसे अभी रंगीन होनी शुरू हुई थी , ये बंगला नीलिमा देवी का था , अंदर पार्टी शुरू हो चुकी थी, गाने की आवाजे बाहर तक आ रही थी , मैं अपनी नयी ऑडी कार को सीधे बंगले के अंदर घुसा दिया ..
मैंने एक ब्रांड न्यू अरमानी सूट पहन रखा था , हाथो में एक गोल्डन कलर की घडी जिसकी कीमत 20 लाख थी और मुह में एक सिगार , ऐसे वो वंहा कई गार्ड खड़े थे लेकिन मेरे हुलिए को देख किसी ने मुझे रोकने की हिम्मत ही नहीं की ,
वंहा मानो शराब और शबाब की नदिया बह ही थी , कई लडकिया बिकनी पहने शराब परोस रही थी वही कई रहिसजादे ड्रग्स खीचने में मस्त थे , कुछ भी कहो लेकिन मानिक शहर से बाहर बने नीलम देवी के बंगले का सही उपयोग कर रहा था , इतने दिनों में वो अपने साथ हुए सभी हादसों को मानो भूल चूका था , वंहा मुझे फिल्म दुनिया के कई बड़े लोग भी दिख गए , हां एक चहरा मुझे चौकाने वाला जरुर दिखा वो थी निशा कपूर उर्फ़ चांदनी …
चांदनी वही लड़की थी जन्हा से ये स्टोरी शुरू हुई थी , कमाल की लग रही थी वो , सफ़ेद रंग के चमकीले पोशाक में उसका कसा हुआ बदन और भी मनमोहक लग रहा था , मानिक किसी अच्छे मेजबान की तरह सभी से हँस कर मिल रहा था , वही निशा भी शराब की मस्ती में झूम रही थी ये कभी ऐसे पार्टियों में रंडी की हैसियत से आया करती थी अब तो शरद की पूरी जायजाद की मालकिन बनकर मजे ले रही थी , मैंने एक ड्रिंक उठाई और उसके पास जाकर खड़ा हो गया , उसने एक बार मुझे घुरा …
“हेल्लो चांदनी , बड़े मजे में हो “
वो जैसे हडबडा गई हो …
शायद बहुत दिनों के बाद ये नाम सुना था , अब तो उसे निशा कपूर कहलाने की आदत बन गई होगी ..
“मैंने आपको पहचाना नहीं “
वो नशे में जरुर थी लेकिन चांदनी नाम सुनकर शायद उसका नशा थोडा कम हो गया था …उसने मुझसे अदब से बात की ..
“मैं वो हु जिसने तुम्हे नीलम और शरद तक पहुचाया , ताकि तुम उन्हें मार सको , और फिर पुलिस से भी बच सको “
चांदनी का पूरा नशा ही जैसे गायब हो गया था , उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे खिंचा , मैं उसकी भावनाओ को समझ सकता था …
हम एकांत में जा रहे थे तभी हमें मानिक मिल गया ..
“अरे निशा कहा जा रही हो अभी तो पार्टी शुरू हुई है , …”
वो मुझे घूरने लगा
“मैंने आपको पहचाना नहीं “
मैंने भी अपना हाथ आगे बढ़ा लिया
“मैं दिल्ली से आया हु , निशा का खास दोस्त हु , कभी शरद और नीलम जी से भी अच्छी दोस्ती थी मेरी , भगवन उनकी आत्मा को शांति दे , तुम शायद मानिक हो राइट …”
उसके चहरे में थोडा आश्चर्य जरुर आया लेकिन वो खुश था ..
“जी मैं मानिक हु “ उसने मुझसे हाथ मिलाया
“मैं विकाश … विकाश सेठ “
मानिक की मानो आंखे फट गई थी
“दि विकाश सेठ ???? अंडर वर्ड के बेताज बादशाह …आज तक आपको किसी ने नहीं देखा बस आपका नाम सुना है , खुशनसीबी है की आप यंहा आये ”
मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुराया
“हम्म्म मेरा चहरा देखना और मुझे पहचानना लोगो के लिए अच्छा नही होता, तुम अब उन खास लोगो में हो जो मुझे पहचानते है ,अब ये जाकर कबीर को मत बता देना , मैं जानता हु की तुम उसके चमचे हो , आगे तो तुम समझदार हो “
मानिक ने अपने दांत निकाल लिए
“कैसी बात करते है सर कभी नहीं … ऐसे भी आप यंहा आये है तो और मुझे अपनी पहचान बताई है तो जरुर इसकी कोई वजह होगी , आशा करता हु की उस वजह में मेरा भी फायदा होगा “
साला मानिक हमेशा से चिंदी ही रहा ,बिलकुल अपने बाप की तरह कमीना ,मैंने उसके कंधे पर हाथ रख दिया
“मैंने कहा था ना की तुम समझदार हो , अब मुझे चांदनी से कुछ बाते करनी है “
मानिक बिना कुछ बोले ही वंहा से निकल गया था ,
हम एक कमरे में थे और चांदनी मेरे सामने खड़ी थी , उसने हाथ जोड़ लिए
“मैंने आपको कभी नहीं देखा लेकिन आप यंहा आये है तो जरुर कोई बात होगी , मेरी जिंदगी बढ़िया चल रही है मुझे फिर से उस नरक में नहीं जाना है “
मैंने हँसते हुए उसे देखा
“तुम्हे उस नरक से निकालने के लिए तो तुम्हारी मदद की थी , फिक्र मत करो , मैं यंहा किसी और काम से आया हु जिसमे मुझे तुम्हारी और मानिक की मदद चाहिए , लेकिन उससे पहले तुम्हे देख कर मुझे कुछ और करने का मन कर रहा है “
कमरे की AC तो फुल थी लेकिन फिर भी चांदनी को पसीना आ रहा था , वही उसके सफ़ेद चमकीले गाउन में उसके सुड़ोल शरीर को देखकर मेरा हर समय तैयार लिंग और भी कड़ा होने लगा था,वो मेरे पेंट में एक तम्बू बना चूका था , मेरे बोलते ही चांदनी की नजर मेरे तम्बू में गई और उसके होठो में एक मुस्कान आ गई , आती भी क्यों न मैं जो उसे मांग रहा था वो तो उसमे पुरानी खिलाडी रह चुकी थी ..
मेरे बिना कुछ बोले ही वो अपने घुटनों में बैठ चुकी थी और मेरा झिप खोलकर मेरे सामान को अपने मुह में रख चुकी थी …
उसके इस रंडीपने को देखकर मेरे आँखों में एक तस्वीर उभर आई और मेरा लिंग और भी कड़ा हो गया …. मेरे जेहन में बस एक ही नाम चल रहा था ………..काजल
majedar update ..aarya aur vang hospital me tv ko dekhkar maje me doob gaye ,अध्याय 27मैं सुबह सुबह ही डॉ सुकाराम के बताये पते पर पहुच चूका था , मेरे साथ आर्या और वांग भी थे ..
ये एक बहुत ही बड़ा हॉस्पिटल था , वांग और आर्या तो बस उसकी बिल्डिंग को ही देखने में व्यस्त हो गए थे , जैसा डॉ ने मुझे बताया था मैं उस कमरे तक पहुच गया और आराम से वंहा जाकर लेट गया ..
वो कमरा किसी 5 स्टार होटल के डिलक्स कमरे की तरह था , पेशेंट के लिए सर्वसुविधा युक्त बिस्तर के अलावा एक बड़ा सा सोफा भी रखा गया था , बड़े से LED स्क्रीन पर एक इंग्लिस मूवी चल रही थी , और कमरा AC की ठंडक से पूरी तरह से ठंडा था , वांग और आर्य के लिए ये कोई अजूबे से कम नहीं था , वो हर चीज को छू छू कर देख रहे थे , टीवी को देखकर वो कूदने लगे थे , मैंने उन्हें थोडा शांत रहने के लिए कहा , तभी आर्य ने पता नहीं कहा से एक चाकू निकाल लिया और लड़ने की मुद्रा में आ गयी , वही हाल वांग का भी था उसे कुछ नहीं मिला तो उसने ऑक्सीजन का सिलेंडर ही उठा लिया था , मैं उन्हें देख कर चौकते हुए टीवी की ओर देखा उसमे एक आदमी बड़ी सी तलवार लिए खड़ा हुआ दिख रहा था ,मुझे समझते देर नहीं लगी की ये लोग इस आदमी को असली समझ रहे है मैं तुरंत ही टीवी के सामने खड़ा हो गया ..
“ये सब नकली है , देखो “
मैंने रिमोट से चेनल चेंग किया और छूकर भी दिखाया वो लोग भी डरे हुए उसे देखने लगे लेकिन जैसे ही उन्हें समझ आया की ये सब नकली है वो कूदते हुए मेरे हाथो से रिमोट लेकर टीवी के सामने खड़े हो गए आर्या चेनल चेज करती और फिर दोनों ही ख़ुशी से खुद उठते , उन लोगो को देखकर मैंने अपना माथा पकड लिया था लेकिन किया भी क्या जा सकता था , वो तो न्यूज़ चेनल को देखकर भी ऐसे खुश हो रहे थे जैसे कोई पोर्न देख लिया हो ..
ये सब चल ही रहा था की डॉ सुकाराम और उनके साथ कुछ और भी लोग वंहा आये ..
आर्या और वांग को जैसे इनसे कोई फर्क ही नहीं पड़ा हो वो तो अपने ही मगन थे …
“ये दोनों नमूने कौन है ??”
डॉ की बात पर मैं थोडा मुस्कुराया
“ये गैरी की पोती है और ये उसी काबिले का एक लड़का है ..”
“ओह तभी … ऐसे लड़की के तेवर बड़े ही गर्म लगते है … खैर तुम तैयार हो “
मैंने हां में सर हिलाया
“तो इन लोगो को यही रहने दो तुम चलो ओपरेशन 10 घंटे भी चल सकता है “
मैंने हामी में सर हिलाया और जाकर पहले टीवी का वायर ही खिंच कर निकाल दिया , मैंने सभी से थोड़े देर का वक्त माँगा , टीवी के बंद होने पर आर्या गुस्से से मुझे खा जाने की निगाह से देख रही थी ..
“पहले मेरी बात सुनो फिर दिन भर ये कर लेना “
मैंने भी उसे थोडा डांटते हुआ कहा
“बोलो “
उसे रूखे हुए स्वर में बोली
“देखो मेरे चहरे का ओपरेशन होने वाला है , हो सकता है की तुम लोग इसके बाद मुझे पहचान भी ना पाओ , तो एक कोड याद रखो 1441, आपरेशन के बाद तुम लोग मुझे ये कोड पूछना अगर मैं ना बोल पाऊ तो बचकर यंहा से निकल जाना और सीधे गैरी के पास समझी … मुझे आज का पूरा दिन भी लग सकता है , तो इस कमरे से बाहर मत जाना , तुम लोगो का खाना यंहा पहुच जायेगा , अगर मैं 20 घंटे के बाद भी ना आऊ तो जो लोग मुझे ले जा रहे है उन लोगो का चहरा याद रखो तुम लोगो को उन्हें पकड़ना होगा और धमका कर मेरे बारे में पूछना होगा , समझे ..”
आर्या ने हां में सर हिलाया
“अच्छा बताओ कोड क्या है ??”
मेरी बात सुनकर दोनों चुप हो गए , वांग को तो ऐसे भी कुछ समझ नही रहा था आर्या भी चुप थी
“भूल गई ..कुछ दूसरा कोड रखो “
मैं परेशान हो गया था , अब इन्हें नंबर याद नहीं रह पाएंगे , मैंने वांग को देखा
“तू ही कुछ बोल दे “
मेर कहने पर वांग खुश हो गया और मेरे सामने आ गया
“गुरु चोद आर्या , वांग देखे चूत “
वो ऐसे खुश होकर बोल रहा था जैसे अपनी शादी की खबर सुना रहा हो , आर्या उसके बात से हँस पड़ी
“ठीक है यही कोड होगा “
आर्या ने हँसते हुए कहा , मैंने भी मुस्कुरा कर हां कह दिया
“अब इसे चालू करो “
आर्या ने जैसे मुझे हुक्म दिया हो मैंने फिर से टीवी शुरू कर दिया , वो लोग मुझे लेने आये लेकिन इस बार आर्या और वांग ने मुझे ले जाने आये सभी लोगो को बड़े ही गौर से देख लिया था ….
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एक इंजेक्शन के बाद मुझे पता नहीं की कितने समय तक मेरा ओपरेशन चला , जब नींद खुली तो मैंने खुद को उसी कमरे में पाया , मेरे पुरे चहरे में पट्टी बंधी हुई थी , मुझे आँख खोला देख आर्या मेरे पास आ गई
“कोड बताओ “
“क्या ??”
उन दोनों ने एक दुसरे को देखा और आर्या ने चाकू निकाल कर सीधे मेरे गले में लगा दिया
“कौन हो तुम “
“अरे मैं ही हु , तुम ये क्या कर रही हो “
“इसकी तो आवाज भी अलग लग रही है ??”
आर्या ने वांग को देखते हुए कहा और चाकू को और भी पास ले आई
“गुरु चोद आर्या , वांग देखे चूत “
मैंने झट से बोला और आर्या ने तुरंत ही चाकू हटा दिया , मैंने भी रहत की साँस ली कोड भूल गया होता तो आज तो गए थे काम से ..
वो दोनों रिलेक्स होकर टीवी के सामने बैठ गए थे , सामने पोगो पर कार्टून देखकर वो किसी बच्चो की तरह खुश हो रहे थे … मैं जानता था की ये लोग पहली बार कार्टून देख रहे होंगे और वो इतने घुस चुके थे की उनको डिस्टर्ब करना अपनी मौत को दावत देने जैसा था ..
मैंने भी उन्हें बिना डिस्टर्ब किये चुप चाप सोना पसंद किया …….
मेरे सामने दर्पण था और मेरी पट्टीया निकाली जा रही थी , अपने चहरे को देख कर मैं खुद ही हैरान हो गया था , काम बहुत ही सफाई से किया गया था , अब ना तो मेरा चहरा देव जैसे था ना ही आकृत जैसे , ये एक नए शख्सियत का जन्म था …
चहरे पर कई घाव के निशान अभी भी थे लेकिन त्वचा खुरदुरी नहीं रह गयी थी , वो दुनिया के सामने मुझे चहरा छिपाने की कोई जरुरत नहीं थी , हां ये निशान मुझे थोडा खूंखार जरुर बना रहे थे लेकिन कोई बात नहीं ..
2 दिन में ही हमने हॉस्पिटल छोड़ दिया था , मैं दोनों को लेकर शहर से थोड़े बाहर एक जगह पर पहुच गया , ये एक फॉर्म हॉउस था जिसे मैंने बहुत ही सस्ते में ख़रीदा था और सभी यादो की तरह इसे भी भूल चूका था , मुझे अब यही से ओपरेट करना था इसलिए मैंने डॉ सुकाराम से कहकर पहले अपना , आर्या और वांग का अलग नाम से पहचान पत्र बनवा लिया , मैंने अपना नाम विकाश सेठ चुना था, ये नाम मैंने दिल्ली के अंडरवर्ड के एक बड़े नाम से लिया था , जिसे कभी मैंने ही मारा था लेकिन वो नाम मैंने जिन्दा रखा था , अब वो मेरे काम आने वाला था , मेरे पास अब सब था आधार कार्ड , पेन कार्ड , पासपोर्ट सब जो मुझे विशाल बनाते थे , नए नामो से मैंने सभी के लिए मोबाईल और सिम कार्ड भी उठा लिया था , साथ ही एक बाइक और एक कार भी ले लिया …
अपने फार्म हॉउस पहुचने के बाद मुझे आर्या और वांग को आधुनिक हथियारों का प्रसिक्षण भी देना था , उन्हें गाड़ी चलाना, मोबाईल का उपयोग , इन्टरनेट का उपयोग ये सब चीजे भी मुझे सिखानी थी ताकि वो मेरी कुछ मदद कर सके …
मैंने उनकी ट्रेनिंग भी शुरू कर दी , मुझे पता था की ये इतने काबिल है की थोड़े उपयोग के बाद ये खुद ही चीजो को सिखने लगेंगे …
“कितना बड़ा घर है …”
आर्या घर को देखकर खुश हो गई थी , मैं उन्हें तहखाने में ले गया …
तहखाना भी बहुत बड़ा था लेकिन पूरी तरह से खाली , सिवाय कुछ संदूको के ..
और सामने एक गोलाकार बोर्ड लगा हुआ था , साथ ही साथ जिम का कुछ सामान और आदमी के कुछ पुतले एक कोने में रखे थे , ये ट्रेनिंग जोन था जन्हा मुझे इन दोनों जंगलियो को प्रसिक्षित करना था ..
मैंने संदुख खोले …
“ये सब क्या है “
आर्या इन नए खिलौनों को देखने लगी
“इन्हें कहते है बंदूख, जैसे तुम्हारा तीर कमान होता है वैसे ही इससे भी निशाना लगाया जाता है “
उसने गोलियों को हाथ में लिया
“ये क्या है ??”
“ये गोलिया है जैसे तीर होता है वैसे ही ये जाकर किसी को लग जाए तो सामने वाला मर भी सकता है “
आर्या हँस पड़ी
“हमारा इतना लम्बा तीर लगने पर भी लोग बच जाते है और इतनी छोटी सी चीज से क्या होगा “
मैं उसकी बात का जवाब ना देकर एक बंदूख को लोड किया और सामने लगे गोले पर फायर कर दिया , गोली की आवाज से मनो सभी के कान फट गए , वांग को तुरंत ही लड़ने के पोजीशन में आ गया था वही आर्या ने भी चाकू निकाल लिया और इधर उधर देखने लगी ..
“इधर उधर मत देखो ये इससे निकली है और जाकर उसे लगी है “
आर्य और वांग के चहरे में आश्चर्य भर गया था ,
“इतना तेज ये तो मुझे दिखाई भी नहीं दिया “
आर्या के चहरे में एक सहज आश्चर्य था
“चला कर देखोगी “
मैंने वो बंदूख उसे थमा दी और निशाने की ओर घुमा दिया , तीर कमान से उसका निशान अचूक था अब देखना था की बंदूख में कैसा है
धाय….
आर्या ने गोली चलाई और गोली उपर लगे बल्ब पर जा लगी , वही आर्या को जोर का झटका भी लगा , मैं पेट पकड कर हसने लगा जो उसे बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा था उसने अपना मुह बनाया जैसे कह रही हो की तुझे तो मैं दिखा कर रहूंगी , और उसने गोलियों की बोछार कर दी 5 वि गोली जाकर उस गोले को लगी , मुझे उम्मीद नही थी की वो इतने जल्दी सिख जायेगी , गोले में गोली लगने के बाद वो मुझे बड़े ही गर्व से देख रही थी ..
“हम्म्म गुड , प्रक्टिस करो , अब तीर कमान से नहीं इससे लड़ना पड़ेगा …
पूरा दिन सामान को जमाने में निकल गया था ,प्रेक्टिस का पूरा सामान जमा कर और बेसिक चीजो के बारे में समझा कर हम बाहर आये , वंहा किचन की चीजो को भी जमा दिया था , वांग बार बार गैर चालू करता और उसे बंद करता , उसे आग जलाने में बहुत ही मजा आ रहा था , मैंने उन्हें कुछ बेसिक चीजे समझाई , आर्या भले ही हमेशा जंगलो में रही हो लेकिन गैरी के संपर्क के कारन उसे बाहरी दुनिया के बारे में बहुत कुछ पता था …
खाना शाम होते ही खाना खाकर मैंने उन्हें पप्रेक्टिस के लिए बोल दिया और खुद शहर की ओर निकल गया …
मुझे अब अपने काम में लगना था सबसे पहला काम था एक इजी टारगेट जिससे जानकारी निकलवाई जा सके , और मेरे लिए सबसे इजी था मानिकलाल ….
मैंने एक फोन लगाया और …
“कोड 1121 “
सामने वाले के फोन उठाते ही मैंने कहा , उधर से एक ख़ामोशी सी बिखर गई थी
“कहा हो आप ???”
“काम की बात सुन मानिक का पता बता अभी …”
और मैंने फोन काट दिया , थोड़े ही देर बाद मेरे पास एक मेसेज आ गया था , जिसे देखकर मैं मुस्कुरा उठा
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रात का समय था और शमा जैसे अभी रंगीन होनी शुरू हुई थी , ये बंगला नीलिमा देवी का था , अंदर पार्टी शुरू हो चुकी थी, गाने की आवाजे बाहर तक आ रही थी , मैं अपनी नयी ऑडी कार को सीधे बंगले के अंदर घुसा दिया ..
मैंने एक ब्रांड न्यू अरमानी सूट पहन रखा था , हाथो में एक गोल्डन कलर की घडी जिसकी कीमत 20 लाख थी और मुह में एक सिगार , ऐसे वो वंहा कई गार्ड खड़े थे लेकिन मेरे हुलिए को देख किसी ने मुझे रोकने की हिम्मत ही नहीं की ,
वंहा मानो शराब और शबाब की नदिया बह ही थी , कई लडकिया बिकनी पहने शराब परोस रही थी वही कई रहिसजादे ड्रग्स खीचने में मस्त थे , कुछ भी कहो लेकिन मानिक शहर से बाहर बने नीलम देवी के बंगले का सही उपयोग कर रहा था , इतने दिनों में वो अपने साथ हुए सभी हादसों को मानो भूल चूका था , वंहा मुझे फिल्म दुनिया के कई बड़े लोग भी दिख गए , हां एक चहरा मुझे चौकाने वाला जरुर दिखा वो थी निशा कपूर उर्फ़ चांदनी …
चांदनी वही लड़की थी जन्हा से ये स्टोरी शुरू हुई थी , कमाल की लग रही थी वो , सफ़ेद रंग के चमकीले पोशाक में उसका कसा हुआ बदन और भी मनमोहक लग रहा था , मानिक किसी अच्छे मेजबान की तरह सभी से हँस कर मिल रहा था , वही निशा भी शराब की मस्ती में झूम रही थी ये कभी ऐसे पार्टियों में रंडी की हैसियत से आया करती थी अब तो शरद की पूरी जायजाद की मालकिन बनकर मजे ले रही थी , मैंने एक ड्रिंक उठाई और उसके पास जाकर खड़ा हो गया , उसने एक बार मुझे घुरा …
“हेल्लो चांदनी , बड़े मजे में हो “
वो जैसे हडबडा गई हो …
शायद बहुत दिनों के बाद ये नाम सुना था , अब तो उसे निशा कपूर कहलाने की आदत बन गई होगी ..
“मैंने आपको पहचाना नहीं “
वो नशे में जरुर थी लेकिन चांदनी नाम सुनकर शायद उसका नशा थोडा कम हो गया था …उसने मुझसे अदब से बात की ..
“मैं वो हु जिसने तुम्हे नीलम और शरद तक पहुचाया , ताकि तुम उन्हें मार सको , और फिर पुलिस से भी बच सको “
चांदनी का पूरा नशा ही जैसे गायब हो गया था , उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे खिंचा , मैं उसकी भावनाओ को समझ सकता था …
हम एकांत में जा रहे थे तभी हमें मानिक मिल गया ..
“अरे निशा कहा जा रही हो अभी तो पार्टी शुरू हुई है , …”
वो मुझे घूरने लगा
“मैंने आपको पहचाना नहीं “
मैंने भी अपना हाथ आगे बढ़ा लिया
“मैं दिल्ली से आया हु , निशा का खास दोस्त हु , कभी शरद और नीलम जी से भी अच्छी दोस्ती थी मेरी , भगवन उनकी आत्मा को शांति दे , तुम शायद मानिक हो राइट …”
उसके चहरे में थोडा आश्चर्य जरुर आया लेकिन वो खुश था ..
“जी मैं मानिक हु “ उसने मुझसे हाथ मिलाया
“मैं विकाश … विकाश सेठ “
मानिक की मानो आंखे फट गई थी
“दि विकाश सेठ ???? अंडर वर्ड के बेताज बादशाह …आज तक आपको किसी ने नहीं देखा बस आपका नाम सुना है , खुशनसीबी है की आप यंहा आये ”
मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुराया
“हम्म्म मेरा चहरा देखना और मुझे पहचानना लोगो के लिए अच्छा नही होता, तुम अब उन खास लोगो में हो जो मुझे पहचानते है ,अब ये जाकर कबीर को मत बता देना , मैं जानता हु की तुम उसके चमचे हो , आगे तो तुम समझदार हो “
मानिक ने अपने दांत निकाल लिए
“कैसी बात करते है सर कभी नहीं … ऐसे भी आप यंहा आये है तो और मुझे अपनी पहचान बताई है तो जरुर इसकी कोई वजह होगी , आशा करता हु की उस वजह में मेरा भी फायदा होगा “
साला मानिक हमेशा से चिंदी ही रहा ,बिलकुल अपने बाप की तरह कमीना ,मैंने उसके कंधे पर हाथ रख दिया
“मैंने कहा था ना की तुम समझदार हो , अब मुझे चांदनी से कुछ बाते करनी है “
मानिक बिना कुछ बोले ही वंहा से निकल गया था ,
हम एक कमरे में थे और चांदनी मेरे सामने खड़ी थी , उसने हाथ जोड़ लिए
“मैंने आपको कभी नहीं देखा लेकिन आप यंहा आये है तो जरुर कोई बात होगी , मेरी जिंदगी बढ़िया चल रही है मुझे फिर से उस नरक में नहीं जाना है “
मैंने हँसते हुए उसे देखा
“तुम्हे उस नरक से निकालने के लिए तो तुम्हारी मदद की थी , फिक्र मत करो , मैं यंहा किसी और काम से आया हु जिसमे मुझे तुम्हारी और मानिक की मदद चाहिए , लेकिन उससे पहले तुम्हे देख कर मुझे कुछ और करने का मन कर रहा है “
कमरे की AC तो फुल थी लेकिन फिर भी चांदनी को पसीना आ रहा था , वही उसके सफ़ेद चमकीले गाउन में उसके सुड़ोल शरीर को देखकर मेरा हर समय तैयार लिंग और भी कड़ा होने लगा था,वो मेरे पेंट में एक तम्बू बना चूका था , मेरे बोलते ही चांदनी की नजर मेरे तम्बू में गई और उसके होठो में एक मुस्कान आ गई , आती भी क्यों न मैं जो उसे मांग रहा था वो तो उसमे पुरानी खिलाडी रह चुकी थी ..
मेरे बिना कुछ बोले ही वो अपने घुटनों में बैठ चुकी थी और मेरा झिप खोलकर मेरे सामान को अपने मुह में रख चुकी थी …
उसके इस रंडीपने को देखकर मेरे आँखों में एक तस्वीर उभर आई और मेरा लिंग और भी कड़ा हो गया …. मेरे जेहन में बस एक ही नाम चल रहा था ………..काजल
बेहतरीन लाजबाब कमाल का अपडेट अब कहानी सही लाइन पर जा रही है सबकी फटेगी बारी बारीअध्याय 27मैं सुबह सुबह ही डॉ सुकाराम के बताये पते पर पहुच चूका था , मेरे साथ आर्या और वांग भी थे ..
ये एक बहुत ही बड़ा हॉस्पिटल था , वांग और आर्या तो बस उसकी बिल्डिंग को ही देखने में व्यस्त हो गए थे , जैसा डॉ ने मुझे बताया था मैं उस कमरे तक पहुच गया और आराम से वंहा जाकर लेट गया ..
वो कमरा किसी 5 स्टार होटल के डिलक्स कमरे की तरह था , पेशेंट के लिए सर्वसुविधा युक्त बिस्तर के अलावा एक बड़ा सा सोफा भी रखा गया था , बड़े से LED स्क्रीन पर एक इंग्लिस मूवी चल रही थी , और कमरा AC की ठंडक से पूरी तरह से ठंडा था , वांग और आर्य के लिए ये कोई अजूबे से कम नहीं था , वो हर चीज को छू छू कर देख रहे थे , टीवी को देखकर वो कूदने लगे थे , मैंने उन्हें थोडा शांत रहने के लिए कहा , तभी आर्य ने पता नहीं कहा से एक चाकू निकाल लिया और लड़ने की मुद्रा में आ गयी , वही हाल वांग का भी था उसे कुछ नहीं मिला तो उसने ऑक्सीजन का सिलेंडर ही उठा लिया था , मैं उन्हें देख कर चौकते हुए टीवी की ओर देखा उसमे एक आदमी बड़ी सी तलवार लिए खड़ा हुआ दिख रहा था ,मुझे समझते देर नहीं लगी की ये लोग इस आदमी को असली समझ रहे है मैं तुरंत ही टीवी के सामने खड़ा हो गया ..
“ये सब नकली है , देखो “
मैंने रिमोट से चेनल चेंग किया और छूकर भी दिखाया वो लोग भी डरे हुए उसे देखने लगे लेकिन जैसे ही उन्हें समझ आया की ये सब नकली है वो कूदते हुए मेरे हाथो से रिमोट लेकर टीवी के सामने खड़े हो गए आर्या चेनल चेज करती और फिर दोनों ही ख़ुशी से खुद उठते , उन लोगो को देखकर मैंने अपना माथा पकड लिया था लेकिन किया भी क्या जा सकता था , वो तो न्यूज़ चेनल को देखकर भी ऐसे खुश हो रहे थे जैसे कोई पोर्न देख लिया हो ..
ये सब चल ही रहा था की डॉ सुकाराम और उनके साथ कुछ और भी लोग वंहा आये ..
आर्या और वांग को जैसे इनसे कोई फर्क ही नहीं पड़ा हो वो तो अपने ही मगन थे …
“ये दोनों नमूने कौन है ??”
डॉ की बात पर मैं थोडा मुस्कुराया
“ये गैरी की पोती है और ये उसी काबिले का एक लड़का है ..”
“ओह तभी … ऐसे लड़की के तेवर बड़े ही गर्म लगते है … खैर तुम तैयार हो “
मैंने हां में सर हिलाया
“तो इन लोगो को यही रहने दो तुम चलो ओपरेशन 10 घंटे भी चल सकता है “
मैंने हामी में सर हिलाया और जाकर पहले टीवी का वायर ही खिंच कर निकाल दिया , मैंने सभी से थोड़े देर का वक्त माँगा , टीवी के बंद होने पर आर्या गुस्से से मुझे खा जाने की निगाह से देख रही थी ..
“पहले मेरी बात सुनो फिर दिन भर ये कर लेना “
मैंने भी उसे थोडा डांटते हुआ कहा
“बोलो “
उसे रूखे हुए स्वर में बोली
“देखो मेरे चहरे का ओपरेशन होने वाला है , हो सकता है की तुम लोग इसके बाद मुझे पहचान भी ना पाओ , तो एक कोड याद रखो 1441, आपरेशन के बाद तुम लोग मुझे ये कोड पूछना अगर मैं ना बोल पाऊ तो बचकर यंहा से निकल जाना और सीधे गैरी के पास समझी … मुझे आज का पूरा दिन भी लग सकता है , तो इस कमरे से बाहर मत जाना , तुम लोगो का खाना यंहा पहुच जायेगा , अगर मैं 20 घंटे के बाद भी ना आऊ तो जो लोग मुझे ले जा रहे है उन लोगो का चहरा याद रखो तुम लोगो को उन्हें पकड़ना होगा और धमका कर मेरे बारे में पूछना होगा , समझे ..”
आर्या ने हां में सर हिलाया
“अच्छा बताओ कोड क्या है ??”
मेरी बात सुनकर दोनों चुप हो गए , वांग को तो ऐसे भी कुछ समझ नही रहा था आर्या भी चुप थी
“भूल गई ..कुछ दूसरा कोड रखो “
मैं परेशान हो गया था , अब इन्हें नंबर याद नहीं रह पाएंगे , मैंने वांग को देखा
“तू ही कुछ बोल दे “
मेर कहने पर वांग खुश हो गया और मेरे सामने आ गया
“गुरु चोद आर्या , वांग देखे चूत “
वो ऐसे खुश होकर बोल रहा था जैसे अपनी शादी की खबर सुना रहा हो , आर्या उसके बात से हँस पड़ी
“ठीक है यही कोड होगा “
आर्या ने हँसते हुए कहा , मैंने भी मुस्कुरा कर हां कह दिया
“अब इसे चालू करो “
आर्या ने जैसे मुझे हुक्म दिया हो मैंने फिर से टीवी शुरू कर दिया , वो लोग मुझे लेने आये लेकिन इस बार आर्या और वांग ने मुझे ले जाने आये सभी लोगो को बड़े ही गौर से देख लिया था ….
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एक इंजेक्शन के बाद मुझे पता नहीं की कितने समय तक मेरा ओपरेशन चला , जब नींद खुली तो मैंने खुद को उसी कमरे में पाया , मेरे पुरे चहरे में पट्टी बंधी हुई थी , मुझे आँख खोला देख आर्या मेरे पास आ गई
“कोड बताओ “
“क्या ??”
उन दोनों ने एक दुसरे को देखा और आर्या ने चाकू निकाल कर सीधे मेरे गले में लगा दिया
“कौन हो तुम “
“अरे मैं ही हु , तुम ये क्या कर रही हो “
“इसकी तो आवाज भी अलग लग रही है ??”
आर्या ने वांग को देखते हुए कहा और चाकू को और भी पास ले आई
“गुरु चोद आर्या , वांग देखे चूत “
मैंने झट से बोला और आर्या ने तुरंत ही चाकू हटा दिया , मैंने भी रहत की साँस ली कोड भूल गया होता तो आज तो गए थे काम से ..
वो दोनों रिलेक्स होकर टीवी के सामने बैठ गए थे , सामने पोगो पर कार्टून देखकर वो किसी बच्चो की तरह खुश हो रहे थे … मैं जानता था की ये लोग पहली बार कार्टून देख रहे होंगे और वो इतने घुस चुके थे की उनको डिस्टर्ब करना अपनी मौत को दावत देने जैसा था ..
मैंने भी उन्हें बिना डिस्टर्ब किये चुप चाप सोना पसंद किया …….
मेरे सामने दर्पण था और मेरी पट्टीया निकाली जा रही थी , अपने चहरे को देख कर मैं खुद ही हैरान हो गया था , काम बहुत ही सफाई से किया गया था , अब ना तो मेरा चहरा देव जैसे था ना ही आकृत जैसे , ये एक नए शख्सियत का जन्म था …
चहरे पर कई घाव के निशान अभी भी थे लेकिन त्वचा खुरदुरी नहीं रह गयी थी , वो दुनिया के सामने मुझे चहरा छिपाने की कोई जरुरत नहीं थी , हां ये निशान मुझे थोडा खूंखार जरुर बना रहे थे लेकिन कोई बात नहीं ..
2 दिन में ही हमने हॉस्पिटल छोड़ दिया था , मैं दोनों को लेकर शहर से थोड़े बाहर एक जगह पर पहुच गया , ये एक फॉर्म हॉउस था जिसे मैंने बहुत ही सस्ते में ख़रीदा था और सभी यादो की तरह इसे भी भूल चूका था , मुझे अब यही से ओपरेट करना था इसलिए मैंने डॉ सुकाराम से कहकर पहले अपना , आर्या और वांग का अलग नाम से पहचान पत्र बनवा लिया , मैंने अपना नाम विकाश सेठ चुना था, ये नाम मैंने दिल्ली के अंडरवर्ड के एक बड़े नाम से लिया था , जिसे कभी मैंने ही मारा था लेकिन वो नाम मैंने जिन्दा रखा था , अब वो मेरे काम आने वाला था , मेरे पास अब सब था आधार कार्ड , पेन कार्ड , पासपोर्ट सब जो मुझे विशाल बनाते थे , नए नामो से मैंने सभी के लिए मोबाईल और सिम कार्ड भी उठा लिया था , साथ ही एक बाइक और एक कार भी ले लिया …
अपने फार्म हॉउस पहुचने के बाद मुझे आर्या और वांग को आधुनिक हथियारों का प्रसिक्षण भी देना था , उन्हें गाड़ी चलाना, मोबाईल का उपयोग , इन्टरनेट का उपयोग ये सब चीजे भी मुझे सिखानी थी ताकि वो मेरी कुछ मदद कर सके …
मैंने उनकी ट्रेनिंग भी शुरू कर दी , मुझे पता था की ये इतने काबिल है की थोड़े उपयोग के बाद ये खुद ही चीजो को सिखने लगेंगे …
“कितना बड़ा घर है …”
आर्या घर को देखकर खुश हो गई थी , मैं उन्हें तहखाने में ले गया …
तहखाना भी बहुत बड़ा था लेकिन पूरी तरह से खाली , सिवाय कुछ संदूको के ..
और सामने एक गोलाकार बोर्ड लगा हुआ था , साथ ही साथ जिम का कुछ सामान और आदमी के कुछ पुतले एक कोने में रखे थे , ये ट्रेनिंग जोन था जन्हा मुझे इन दोनों जंगलियो को प्रसिक्षित करना था ..
मैंने संदुख खोले …
“ये सब क्या है “
आर्या इन नए खिलौनों को देखने लगी
“इन्हें कहते है बंदूख, जैसे तुम्हारा तीर कमान होता है वैसे ही इससे भी निशाना लगाया जाता है “
उसने गोलियों को हाथ में लिया
“ये क्या है ??”
“ये गोलिया है जैसे तीर होता है वैसे ही ये जाकर किसी को लग जाए तो सामने वाला मर भी सकता है “
आर्या हँस पड़ी
“हमारा इतना लम्बा तीर लगने पर भी लोग बच जाते है और इतनी छोटी सी चीज से क्या होगा “
मैं उसकी बात का जवाब ना देकर एक बंदूख को लोड किया और सामने लगे गोले पर फायर कर दिया , गोली की आवाज से मनो सभी के कान फट गए , वांग को तुरंत ही लड़ने के पोजीशन में आ गया था वही आर्या ने भी चाकू निकाल लिया और इधर उधर देखने लगी ..
“इधर उधर मत देखो ये इससे निकली है और जाकर उसे लगी है “
आर्य और वांग के चहरे में आश्चर्य भर गया था ,
“इतना तेज ये तो मुझे दिखाई भी नहीं दिया “
आर्या के चहरे में एक सहज आश्चर्य था
“चला कर देखोगी “
मैंने वो बंदूख उसे थमा दी और निशाने की ओर घुमा दिया , तीर कमान से उसका निशान अचूक था अब देखना था की बंदूख में कैसा है
धाय….
आर्या ने गोली चलाई और गोली उपर लगे बल्ब पर जा लगी , वही आर्या को जोर का झटका भी लगा , मैं पेट पकड कर हसने लगा जो उसे बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा था उसने अपना मुह बनाया जैसे कह रही हो की तुझे तो मैं दिखा कर रहूंगी , और उसने गोलियों की बोछार कर दी 5 वि गोली जाकर उस गोले को लगी , मुझे उम्मीद नही थी की वो इतने जल्दी सिख जायेगी , गोले में गोली लगने के बाद वो मुझे बड़े ही गर्व से देख रही थी ..
“हम्म्म गुड , प्रक्टिस करो , अब तीर कमान से नहीं इससे लड़ना पड़ेगा …
पूरा दिन सामान को जमाने में निकल गया था ,प्रेक्टिस का पूरा सामान जमा कर और बेसिक चीजो के बारे में समझा कर हम बाहर आये , वंहा किचन की चीजो को भी जमा दिया था , वांग बार बार गैर चालू करता और उसे बंद करता , उसे आग जलाने में बहुत ही मजा आ रहा था , मैंने उन्हें कुछ बेसिक चीजे समझाई , आर्या भले ही हमेशा जंगलो में रही हो लेकिन गैरी के संपर्क के कारन उसे बाहरी दुनिया के बारे में बहुत कुछ पता था …
खाना शाम होते ही खाना खाकर मैंने उन्हें पप्रेक्टिस के लिए बोल दिया और खुद शहर की ओर निकल गया …
मुझे अब अपने काम में लगना था सबसे पहला काम था एक इजी टारगेट जिससे जानकारी निकलवाई जा सके , और मेरे लिए सबसे इजी था मानिकलाल ….
मैंने एक फोन लगाया और …
“कोड 1121 “
सामने वाले के फोन उठाते ही मैंने कहा , उधर से एक ख़ामोशी सी बिखर गई थी
“कहा हो आप ???”
“काम की बात सुन मानिक का पता बता अभी …”
और मैंने फोन काट दिया , थोड़े ही देर बाद मेरे पास एक मेसेज आ गया था , जिसे देखकर मैं मुस्कुरा उठा
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रात का समय था और शमा जैसे अभी रंगीन होनी शुरू हुई थी , ये बंगला नीलिमा देवी का था , अंदर पार्टी शुरू हो चुकी थी, गाने की आवाजे बाहर तक आ रही थी , मैं अपनी नयी ऑडी कार को सीधे बंगले के अंदर घुसा दिया ..
मैंने एक ब्रांड न्यू अरमानी सूट पहन रखा था , हाथो में एक गोल्डन कलर की घडी जिसकी कीमत 20 लाख थी और मुह में एक सिगार , ऐसे वो वंहा कई गार्ड खड़े थे लेकिन मेरे हुलिए को देख किसी ने मुझे रोकने की हिम्मत ही नहीं की ,
वंहा मानो शराब और शबाब की नदिया बह ही थी , कई लडकिया बिकनी पहने शराब परोस रही थी वही कई रहिसजादे ड्रग्स खीचने में मस्त थे , कुछ भी कहो लेकिन मानिक शहर से बाहर बने नीलम देवी के बंगले का सही उपयोग कर रहा था , इतने दिनों में वो अपने साथ हुए सभी हादसों को मानो भूल चूका था , वंहा मुझे फिल्म दुनिया के कई बड़े लोग भी दिख गए , हां एक चहरा मुझे चौकाने वाला जरुर दिखा वो थी निशा कपूर उर्फ़ चांदनी …
चांदनी वही लड़की थी जन्हा से ये स्टोरी शुरू हुई थी , कमाल की लग रही थी वो , सफ़ेद रंग के चमकीले पोशाक में उसका कसा हुआ बदन और भी मनमोहक लग रहा था , मानिक किसी अच्छे मेजबान की तरह सभी से हँस कर मिल रहा था , वही निशा भी शराब की मस्ती में झूम रही थी ये कभी ऐसे पार्टियों में रंडी की हैसियत से आया करती थी अब तो शरद की पूरी जायजाद की मालकिन बनकर मजे ले रही थी , मैंने एक ड्रिंक उठाई और उसके पास जाकर खड़ा हो गया , उसने एक बार मुझे घुरा …
“हेल्लो चांदनी , बड़े मजे में हो “
वो जैसे हडबडा गई हो …
शायद बहुत दिनों के बाद ये नाम सुना था , अब तो उसे निशा कपूर कहलाने की आदत बन गई होगी ..
“मैंने आपको पहचाना नहीं “
वो नशे में जरुर थी लेकिन चांदनी नाम सुनकर शायद उसका नशा थोडा कम हो गया था …उसने मुझसे अदब से बात की ..
“मैं वो हु जिसने तुम्हे नीलम और शरद तक पहुचाया , ताकि तुम उन्हें मार सको , और फिर पुलिस से भी बच सको “
चांदनी का पूरा नशा ही जैसे गायब हो गया था , उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे खिंचा , मैं उसकी भावनाओ को समझ सकता था …
हम एकांत में जा रहे थे तभी हमें मानिक मिल गया ..
“अरे निशा कहा जा रही हो अभी तो पार्टी शुरू हुई है , …”
वो मुझे घूरने लगा
“मैंने आपको पहचाना नहीं “
मैंने भी अपना हाथ आगे बढ़ा लिया
“मैं दिल्ली से आया हु , निशा का खास दोस्त हु , कभी शरद और नीलम जी से भी अच्छी दोस्ती थी मेरी , भगवन उनकी आत्मा को शांति दे , तुम शायद मानिक हो राइट …”
उसके चहरे में थोडा आश्चर्य जरुर आया लेकिन वो खुश था ..
“जी मैं मानिक हु “ उसने मुझसे हाथ मिलाया
“मैं विकाश … विकाश सेठ “
मानिक की मानो आंखे फट गई थी
“दि विकाश सेठ ???? अंडर वर्ड के बेताज बादशाह …आज तक आपको किसी ने नहीं देखा बस आपका नाम सुना है , खुशनसीबी है की आप यंहा आये ”
मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुराया
“हम्म्म मेरा चहरा देखना और मुझे पहचानना लोगो के लिए अच्छा नही होता, तुम अब उन खास लोगो में हो जो मुझे पहचानते है ,अब ये जाकर कबीर को मत बता देना , मैं जानता हु की तुम उसके चमचे हो , आगे तो तुम समझदार हो “
मानिक ने अपने दांत निकाल लिए
“कैसी बात करते है सर कभी नहीं … ऐसे भी आप यंहा आये है तो और मुझे अपनी पहचान बताई है तो जरुर इसकी कोई वजह होगी , आशा करता हु की उस वजह में मेरा भी फायदा होगा “
साला मानिक हमेशा से चिंदी ही रहा ,बिलकुल अपने बाप की तरह कमीना ,मैंने उसके कंधे पर हाथ रख दिया
“मैंने कहा था ना की तुम समझदार हो , अब मुझे चांदनी से कुछ बाते करनी है “
मानिक बिना कुछ बोले ही वंहा से निकल गया था ,
हम एक कमरे में थे और चांदनी मेरे सामने खड़ी थी , उसने हाथ जोड़ लिए
“मैंने आपको कभी नहीं देखा लेकिन आप यंहा आये है तो जरुर कोई बात होगी , मेरी जिंदगी बढ़िया चल रही है मुझे फिर से उस नरक में नहीं जाना है “
मैंने हँसते हुए उसे देखा
“तुम्हे उस नरक से निकालने के लिए तो तुम्हारी मदद की थी , फिक्र मत करो , मैं यंहा किसी और काम से आया हु जिसमे मुझे तुम्हारी और मानिक की मदद चाहिए , लेकिन उससे पहले तुम्हे देख कर मुझे कुछ और करने का मन कर रहा है “
कमरे की AC तो फुल थी लेकिन फिर भी चांदनी को पसीना आ रहा था , वही उसके सफ़ेद चमकीले गाउन में उसके सुड़ोल शरीर को देखकर मेरा हर समय तैयार लिंग और भी कड़ा होने लगा था,वो मेरे पेंट में एक तम्बू बना चूका था , मेरे बोलते ही चांदनी की नजर मेरे तम्बू में गई और उसके होठो में एक मुस्कान आ गई , आती भी क्यों न मैं जो उसे मांग रहा था वो तो उसमे पुरानी खिलाडी रह चुकी थी ..
मेरे बिना कुछ बोले ही वो अपने घुटनों में बैठ चुकी थी और मेरा झिप खोलकर मेरे सामान को अपने मुह में रख चुकी थी …
उसके इस रंडीपने को देखकर मेरे आँखों में एक तस्वीर उभर आई और मेरा लिंग और भी कड़ा हो गया …. मेरे जेहन में बस एक ही नाम चल रहा था ………..काजल