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Adultery कामुक काजल -जासूसी और मजा

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TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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354
अध्याय 27
मैं सुबह सुबह ही डॉ सुकाराम के बताये पते पर पहुच चूका था , मेरे साथ आर्या और वांग भी थे ..
ये एक बहुत ही बड़ा हॉस्पिटल था , वांग और आर्या तो बस उसकी बिल्डिंग को ही देखने में व्यस्त हो गए थे , जैसा डॉ ने मुझे बताया था मैं उस कमरे तक पहुच गया और आराम से वंहा जाकर लेट गया ..
वो कमरा किसी 5 स्टार होटल के डिलक्स कमरे की तरह था , पेशेंट के लिए सर्वसुविधा युक्त बिस्तर के अलावा एक बड़ा सा सोफा भी रखा गया था , बड़े से LED स्क्रीन पर एक इंग्लिस मूवी चल रही थी , और कमरा AC की ठंडक से पूरी तरह से ठंडा था , वांग और आर्य के लिए ये कोई अजूबे से कम नहीं था , वो हर चीज को छू छू कर देख रहे थे , टीवी को देखकर वो कूदने लगे थे , मैंने उन्हें थोडा शांत रहने के लिए कहा , तभी आर्य ने पता नहीं कहा से एक चाकू निकाल लिया और लड़ने की मुद्रा में आ गयी , वही हाल वांग का भी था उसे कुछ नहीं मिला तो उसने ऑक्सीजन का सिलेंडर ही उठा लिया था , मैं उन्हें देख कर चौकते हुए टीवी की ओर देखा उसमे एक आदमी बड़ी सी तलवार लिए खड़ा हुआ दिख रहा था ,मुझे समझते देर नहीं लगी की ये लोग इस आदमी को असली समझ रहे है मैं तुरंत ही टीवी के सामने खड़ा हो गया ..
“ये सब नकली है , देखो “
मैंने रिमोट से चेनल चेंग किया और छूकर भी दिखाया वो लोग भी डरे हुए उसे देखने लगे लेकिन जैसे ही उन्हें समझ आया की ये सब नकली है वो कूदते हुए मेरे हाथो से रिमोट लेकर टीवी के सामने खड़े हो गए आर्या चेनल चेज करती और फिर दोनों ही ख़ुशी से खुद उठते , उन लोगो को देखकर मैंने अपना माथा पकड लिया था लेकिन किया भी क्या जा सकता था , वो तो न्यूज़ चेनल को देखकर भी ऐसे खुश हो रहे थे जैसे कोई पोर्न देख लिया हो ..
ये सब चल ही रहा था की डॉ सुकाराम और उनके साथ कुछ और भी लोग वंहा आये ..
आर्या और वांग को जैसे इनसे कोई फर्क ही नहीं पड़ा हो वो तो अपने ही मगन थे …
“ये दोनों नमूने कौन है ??”
डॉ की बात पर मैं थोडा मुस्कुराया
“ये गैरी की पोती है और ये उसी काबिले का एक लड़का है ..”
“ओह तभी … ऐसे लड़की के तेवर बड़े ही गर्म लगते है … खैर तुम तैयार हो “
मैंने हां में सर हिलाया
“तो इन लोगो को यही रहने दो तुम चलो ओपरेशन 10 घंटे भी चल सकता है “
मैंने हामी में सर हिलाया और जाकर पहले टीवी का वायर ही खिंच कर निकाल दिया , मैंने सभी से थोड़े देर का वक्त माँगा , टीवी के बंद होने पर आर्या गुस्से से मुझे खा जाने की निगाह से देख रही थी ..
“पहले मेरी बात सुनो फिर दिन भर ये कर लेना “
मैंने भी उसे थोडा डांटते हुआ कहा
“बोलो “
उसे रूखे हुए स्वर में बोली
“देखो मेरे चहरे का ओपरेशन होने वाला है , हो सकता है की तुम लोग इसके बाद मुझे पहचान भी ना पाओ , तो एक कोड याद रखो 1441, आपरेशन के बाद तुम लोग मुझे ये कोड पूछना अगर मैं ना बोल पाऊ तो बचकर यंहा से निकल जाना और सीधे गैरी के पास समझी … मुझे आज का पूरा दिन भी लग सकता है , तो इस कमरे से बाहर मत जाना , तुम लोगो का खाना यंहा पहुच जायेगा , अगर मैं 20 घंटे के बाद भी ना आऊ तो जो लोग मुझे ले जा रहे है उन लोगो का चहरा याद रखो तुम लोगो को उन्हें पकड़ना होगा और धमका कर मेरे बारे में पूछना होगा , समझे ..”
आर्या ने हां में सर हिलाया
“अच्छा बताओ कोड क्या है ??”
मेरी बात सुनकर दोनों चुप हो गए , वांग को तो ऐसे भी कुछ समझ नही रहा था आर्या भी चुप थी
“भूल गई ..कुछ दूसरा कोड रखो “
मैं परेशान हो गया था , अब इन्हें नंबर याद नहीं रह पाएंगे , मैंने वांग को देखा
“तू ही कुछ बोल दे “
मेर कहने पर वांग खुश हो गया और मेरे सामने आ गया
“गुरु चोद आर्या , वांग देखे चूत “
वो ऐसे खुश होकर बोल रहा था जैसे अपनी शादी की खबर सुना रहा हो , आर्या उसके बात से हँस पड़ी
“ठीक है यही कोड होगा “
आर्या ने हँसते हुए कहा , मैंने भी मुस्कुरा कर हां कह दिया
“अब इसे चालू करो “
आर्या ने जैसे मुझे हुक्म दिया हो मैंने फिर से टीवी शुरू कर दिया , वो लोग मुझे लेने आये लेकिन इस बार आर्या और वांग ने मुझे ले जाने आये सभी लोगो को बड़े ही गौर से देख लिया था ….
==========
एक इंजेक्शन के बाद मुझे पता नहीं की कितने समय तक मेरा ओपरेशन चला , जब नींद खुली तो मैंने खुद को उसी कमरे में पाया , मेरे पुरे चहरे में पट्टी बंधी हुई थी , मुझे आँख खोला देख आर्या मेरे पास आ गई
“कोड बताओ “
“क्या ??”
उन दोनों ने एक दुसरे को देखा और आर्या ने चाकू निकाल कर सीधे मेरे गले में लगा दिया
“कौन हो तुम “
“अरे मैं ही हु , तुम ये क्या कर रही हो “
“इसकी तो आवाज भी अलग लग रही है ??”
आर्या ने वांग को देखते हुए कहा और चाकू को और भी पास ले आई
“गुरु चोद आर्या , वांग देखे चूत “
मैंने झट से बोला और आर्या ने तुरंत ही चाकू हटा दिया , मैंने भी रहत की साँस ली कोड भूल गया होता तो आज तो गए थे काम से ..
वो दोनों रिलेक्स होकर टीवी के सामने बैठ गए थे , सामने पोगो पर कार्टून देखकर वो किसी बच्चो की तरह खुश हो रहे थे … मैं जानता था की ये लोग पहली बार कार्टून देख रहे होंगे और वो इतने घुस चुके थे की उनको डिस्टर्ब करना अपनी मौत को दावत देने जैसा था ..
मैंने भी उन्हें बिना डिस्टर्ब किये चुप चाप सोना पसंद किया …….
मेरे सामने दर्पण था और मेरी पट्टीया निकाली जा रही थी , अपने चहरे को देख कर मैं खुद ही हैरान हो गया था , काम बहुत ही सफाई से किया गया था , अब ना तो मेरा चहरा देव जैसे था ना ही आकृत जैसे , ये एक नए शख्सियत का जन्म था …
चहरे पर कई घाव के निशान अभी भी थे लेकिन त्वचा खुरदुरी नहीं रह गयी थी , वो दुनिया के सामने मुझे चहरा छिपाने की कोई जरुरत नहीं थी , हां ये निशान मुझे थोडा खूंखार जरुर बना रहे थे लेकिन कोई बात नहीं ..
2 दिन में ही हमने हॉस्पिटल छोड़ दिया था , मैं दोनों को लेकर शहर से थोड़े बाहर एक जगह पर पहुच गया , ये एक फॉर्म हॉउस था जिसे मैंने बहुत ही सस्ते में ख़रीदा था और सभी यादो की तरह इसे भी भूल चूका था , मुझे अब यही से ओपरेट करना था इसलिए मैंने डॉ सुकाराम से कहकर पहले अपना , आर्या और वांग का अलग नाम से पहचान पत्र बनवा लिया , मैंने अपना नाम विकाश सेठ चुना था, ये नाम मैंने दिल्ली के अंडरवर्ड के एक बड़े नाम से लिया था , जिसे कभी मैंने ही मारा था लेकिन वो नाम मैंने जिन्दा रखा था , अब वो मेरे काम आने वाला था , मेरे पास अब सब था आधार कार्ड , पेन कार्ड , पासपोर्ट सब जो मुझे विशाल बनाते थे , नए नामो से मैंने सभी के लिए मोबाईल और सिम कार्ड भी उठा लिया था , साथ ही एक बाइक और एक कार भी ले लिया …
अपने फार्म हॉउस पहुचने के बाद मुझे आर्या और वांग को आधुनिक हथियारों का प्रसिक्षण भी देना था , उन्हें गाड़ी चलाना, मोबाईल का उपयोग , इन्टरनेट का उपयोग ये सब चीजे भी मुझे सिखानी थी ताकि वो मेरी कुछ मदद कर सके …
मैंने उनकी ट्रेनिंग भी शुरू कर दी , मुझे पता था की ये इतने काबिल है की थोड़े उपयोग के बाद ये खुद ही चीजो को सिखने लगेंगे …
“कितना बड़ा घर है …”
आर्या घर को देखकर खुश हो गई थी , मैं उन्हें तहखाने में ले गया …
तहखाना भी बहुत बड़ा था लेकिन पूरी तरह से खाली , सिवाय कुछ संदूको के ..
और सामने एक गोलाकार बोर्ड लगा हुआ था , साथ ही साथ जिम का कुछ सामान और आदमी के कुछ पुतले एक कोने में रखे थे , ये ट्रेनिंग जोन था जन्हा मुझे इन दोनों जंगलियो को प्रसिक्षित करना था ..
मैंने संदुख खोले …
“ये सब क्या है “
आर्या इन नए खिलौनों को देखने लगी
“इन्हें कहते है बंदूख, जैसे तुम्हारा तीर कमान होता है वैसे ही इससे भी निशाना लगाया जाता है “
उसने गोलियों को हाथ में लिया
“ये क्या है ??”
“ये गोलिया है जैसे तीर होता है वैसे ही ये जाकर किसी को लग जाए तो सामने वाला मर भी सकता है “
आर्या हँस पड़ी
“हमारा इतना लम्बा तीर लगने पर भी लोग बच जाते है और इतनी छोटी सी चीज से क्या होगा “
मैं उसकी बात का जवाब ना देकर एक बंदूख को लोड किया और सामने लगे गोले पर फायर कर दिया , गोली की आवाज से मनो सभी के कान फट गए , वांग को तुरंत ही लड़ने के पोजीशन में आ गया था वही आर्या ने भी चाकू निकाल लिया और इधर उधर देखने लगी ..
“इधर उधर मत देखो ये इससे निकली है और जाकर उसे लगी है “
आर्य और वांग के चहरे में आश्चर्य भर गया था ,
“इतना तेज ये तो मुझे दिखाई भी नहीं दिया “
आर्या के चहरे में एक सहज आश्चर्य था
“चला कर देखोगी “
मैंने वो बंदूख उसे थमा दी और निशाने की ओर घुमा दिया , तीर कमान से उसका निशान अचूक था अब देखना था की बंदूख में कैसा है
धाय….
आर्या ने गोली चलाई और गोली उपर लगे बल्ब पर जा लगी , वही आर्या को जोर का झटका भी लगा , मैं पेट पकड कर हसने लगा जो उसे बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा था उसने अपना मुह बनाया जैसे कह रही हो की तुझे तो मैं दिखा कर रहूंगी , और उसने गोलियों की बोछार कर दी 5 वि गोली जाकर उस गोले को लगी , मुझे उम्मीद नही थी की वो इतने जल्दी सिख जायेगी , गोले में गोली लगने के बाद वो मुझे बड़े ही गर्व से देख रही थी ..
“हम्म्म गुड , प्रक्टिस करो , अब तीर कमान से नहीं इससे लड़ना पड़ेगा …
पूरा दिन सामान को जमाने में निकल गया था ,प्रेक्टिस का पूरा सामान जमा कर और बेसिक चीजो के बारे में समझा कर हम बाहर आये , वंहा किचन की चीजो को भी जमा दिया था , वांग बार बार गैर चालू करता और उसे बंद करता , उसे आग जलाने में बहुत ही मजा आ रहा था , मैंने उन्हें कुछ बेसिक चीजे समझाई , आर्या भले ही हमेशा जंगलो में रही हो लेकिन गैरी के संपर्क के कारन उसे बाहरी दुनिया के बारे में बहुत कुछ पता था …
खाना शाम होते ही खाना खाकर मैंने उन्हें पप्रेक्टिस के लिए बोल दिया और खुद शहर की ओर निकल गया …
मुझे अब अपने काम में लगना था सबसे पहला काम था एक इजी टारगेट जिससे जानकारी निकलवाई जा सके , और मेरे लिए सबसे इजी था मानिकलाल ….
मैंने एक फोन लगाया और …
“कोड 1121 “
सामने वाले के फोन उठाते ही मैंने कहा , उधर से एक ख़ामोशी सी बिखर गई थी
“कहा हो आप ???”
“काम की बात सुन मानिक का पता बता अभी …”
और मैंने फोन काट दिया , थोड़े ही देर बाद मेरे पास एक मेसेज आ गया था , जिसे देखकर मैं मुस्कुरा उठा
============
रात का समय था और शमा जैसे अभी रंगीन होनी शुरू हुई थी , ये बंगला नीलिमा देवी का था , अंदर पार्टी शुरू हो चुकी थी, गाने की आवाजे बाहर तक आ रही थी , मैं अपनी नयी ऑडी कार को सीधे बंगले के अंदर घुसा दिया ..
मैंने एक ब्रांड न्यू अरमानी सूट पहन रखा था , हाथो में एक गोल्डन कलर की घडी जिसकी कीमत 20 लाख थी और मुह में एक सिगार , ऐसे वो वंहा कई गार्ड खड़े थे लेकिन मेरे हुलिए को देख किसी ने मुझे रोकने की हिम्मत ही नहीं की ,
वंहा मानो शराब और शबाब की नदिया बह ही थी , कई लडकिया बिकनी पहने शराब परोस रही थी वही कई रहिसजादे ड्रग्स खीचने में मस्त थे , कुछ भी कहो लेकिन मानिक शहर से बाहर बने नीलम देवी के बंगले का सही उपयोग कर रहा था , इतने दिनों में वो अपने साथ हुए सभी हादसों को मानो भूल चूका था , वंहा मुझे फिल्म दुनिया के कई बड़े लोग भी दिख गए , हां एक चहरा मुझे चौकाने वाला जरुर दिखा वो थी निशा कपूर उर्फ़ चांदनी …
चांदनी वही लड़की थी जन्हा से ये स्टोरी शुरू हुई थी , कमाल की लग रही थी वो , सफ़ेद रंग के चमकीले पोशाक में उसका कसा हुआ बदन और भी मनमोहक लग रहा था , मानिक किसी अच्छे मेजबान की तरह सभी से हँस कर मिल रहा था , वही निशा भी शराब की मस्ती में झूम रही थी ये कभी ऐसे पार्टियों में रंडी की हैसियत से आया करती थी अब तो शरद की पूरी जायजाद की मालकिन बनकर मजे ले रही थी , मैंने एक ड्रिंक उठाई और उसके पास जाकर खड़ा हो गया , उसने एक बार मुझे घुरा …
“हेल्लो चांदनी , बड़े मजे में हो “
वो जैसे हडबडा गई हो …
शायद बहुत दिनों के बाद ये नाम सुना था , अब तो उसे निशा कपूर कहलाने की आदत बन गई होगी ..
“मैंने आपको पहचाना नहीं “
वो नशे में जरुर थी लेकिन चांदनी नाम सुनकर शायद उसका नशा थोडा कम हो गया था …उसने मुझसे अदब से बात की ..
“मैं वो हु जिसने तुम्हे नीलम और शरद तक पहुचाया , ताकि तुम उन्हें मार सको , और फिर पुलिस से भी बच सको “
चांदनी का पूरा नशा ही जैसे गायब हो गया था , उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे खिंचा , मैं उसकी भावनाओ को समझ सकता था …
हम एकांत में जा रहे थे तभी हमें मानिक मिल गया ..
“अरे निशा कहा जा रही हो अभी तो पार्टी शुरू हुई है , …”
वो मुझे घूरने लगा
“मैंने आपको पहचाना नहीं “
मैंने भी अपना हाथ आगे बढ़ा लिया
“मैं दिल्ली से आया हु , निशा का खास दोस्त हु , कभी शरद और नीलम जी से भी अच्छी दोस्ती थी मेरी , भगवन उनकी आत्मा को शांति दे , तुम शायद मानिक हो राइट …”
उसके चहरे में थोडा आश्चर्य जरुर आया लेकिन वो खुश था ..
“जी मैं मानिक हु “ उसने मुझसे हाथ मिलाया
“मैं विकाश … विकाश सेठ “
मानिक की मानो आंखे फट गई थी
“दि विकाश सेठ ???? अंडर वर्ड के बेताज बादशाह …आज तक आपको किसी ने नहीं देखा बस आपका नाम सुना है , खुशनसीबी है की आप यंहा आये ”
मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुराया
“हम्म्म मेरा चहरा देखना और मुझे पहचानना लोगो के लिए अच्छा नही होता, तुम अब उन खास लोगो में हो जो मुझे पहचानते है ,अब ये जाकर कबीर को मत बता देना , मैं जानता हु की तुम उसके चमचे हो , आगे तो तुम समझदार हो “
मानिक ने अपने दांत निकाल लिए
“कैसी बात करते है सर कभी नहीं … ऐसे भी आप यंहा आये है तो और मुझे अपनी पहचान बताई है तो जरुर इसकी कोई वजह होगी , आशा करता हु की उस वजह में मेरा भी फायदा होगा “
साला मानिक हमेशा से चिंदी ही रहा ,बिलकुल अपने बाप की तरह कमीना ,मैंने उसके कंधे पर हाथ रख दिया
“मैंने कहा था ना की तुम समझदार हो , अब मुझे चांदनी से कुछ बाते करनी है “
मानिक बिना कुछ बोले ही वंहा से निकल गया था ,
हम एक कमरे में थे और चांदनी मेरे सामने खड़ी थी , उसने हाथ जोड़ लिए
“मैंने आपको कभी नहीं देखा लेकिन आप यंहा आये है तो जरुर कोई बात होगी , मेरी जिंदगी बढ़िया चल रही है मुझे फिर से उस नरक में नहीं जाना है “
मैंने हँसते हुए उसे देखा
“तुम्हे उस नरक से निकालने के लिए तो तुम्हारी मदद की थी , फिक्र मत करो , मैं यंहा किसी और काम से आया हु जिसमे मुझे तुम्हारी और मानिक की मदद चाहिए , लेकिन उससे पहले तुम्हे देख कर मुझे कुछ और करने का मन कर रहा है “
कमरे की AC तो फुल थी लेकिन फिर भी चांदनी को पसीना आ रहा था , वही उसके सफ़ेद चमकीले गाउन में उसके सुड़ोल शरीर को देखकर मेरा हर समय तैयार लिंग और भी कड़ा होने लगा था,वो मेरे पेंट में एक तम्बू बना चूका था , मेरे बोलते ही चांदनी की नजर मेरे तम्बू में गई और उसके होठो में एक मुस्कान आ गई , आती भी क्यों न मैं जो उसे मांग रहा था वो तो उसमे पुरानी खिलाडी रह चुकी थी ..
मेरे बिना कुछ बोले ही वो अपने घुटनों में बैठ चुकी थी और मेरा झिप खोलकर मेरे सामान को अपने मुह में रख चुकी थी …
उसके इस रंडीपने को देखकर मेरे आँखों में एक तस्वीर उभर आई और मेरा लिंग और भी कड़ा हो गया …. मेरे जेहन में बस एक ही नाम चल रहा था ………..काजल
Bahut khoob. Dev urf aakrat Mishra ab naye chehre aur naye naam ke sath saamne aa chuka hai. Vikas Sheth jo ki underworld ka din tha uska naam use kiya hai to zaahir hai ki iske peeche koi tagdi vajah hogi. Khair abhi to nisha urf chandni ke sath maze le raha hai. Dekhte hain aage kya hota hai. Wang aur Aarya ko bhi practice me laga diya hai. Ab ye dekhna dilchasp hoga ki kajal se saamna hone ke baad kya hota hai aur ye jaanne ki bhi utsukta hai ki kajal ne kaun sa khel khel gayi thi,,,,:waiting:
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
32,052
58,489
304
पहला भाग
बहुत ही बेहतरीन शुरुआत महोदय,
कहानी कलकत्ता की है जिनमे दो स्थानों को दिखाया गया है। एक बदनाम गली और एक पुलिस का घर। कहानी बदनाम गली से शुरू होती है। जहां पर कोई क्लब है जिसमें एक लड़का चांदनी नामकी लड़की के लिए रोज आता है, शराब पीता है अन्य लड़कियों के जिस्म को मुंहमांगे दामों पर खरीदता है, अपनी इच्छा पूरी करता है और चला जाता है। आज उसे चांदनी ने स्वयं आगे बढ़कर अपना जिस्म सौंपा था। सेक्स करते समय प्रचार के लिए छत के ऊपर लगाई गई बड़ी होर्डिंग में मशहूर अदाकार को देखकर चांदनी की आंखे जलने लगती हैं ऐसा लगता है कि जैसे कोई पुरानी अदावत है दोनों में।।
उधर दूसरी तरफ पुलिस अधिकारी की बीवी काजल, जो पुलिस का ड्रेस पहनकर अपने पति देव को अपनी तरफ आकर्षित कर रही है। अपने हुश्न का जलवा दिखा रही है। शायद दोनों को सेक्स करते समय अलग अलग फैंटसी पसंद है आज पुलिस और मुजरिम की फंतासी कर रहे हैं दोनों। दोनों सेक्स करके सो जाते हैं। सुबह की खबर धमाकेदार होती है काजल और देव के लिए। मशहूर अदाकारा नीलम देवी ने आत्महत्या कर ली। कहीं ये वही तो नहीं हैं जिसकी तस्वीर होर्डिंग पर लगी थी। शायद ये आत्महत्या न होकर हत्या हो जिसे चांदनी ने अंजाम दिया हो।🤔🤔🤔
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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दूसरा भाग
बहुत ही बेहतरीन
घटनास्थल पर पुलिस महानिदेशक के आदेशानुसार पत्रकारों और सामान्य जन मानुष का अंदर आना वर्जित कर दिया गया, पत्रकारों को बस उतनी ही जानकारी देने का निदेश दिया गया जितनी जरूरी है। वेदांत, जो देव का सहयोगी है के अनुसार मामला एकदम साफ है और आत्महत्या का है। पूर्वी जो कि देव की पूर्व प्रेमिका है उसके अनुसार भी मामला आत्महत्या का है क्योंकि सुसाइट नोट में हस्ताक्षर नीलम देवी के थे। यहां पर दोनों सौतन काजल और पूर्वी का आमना सामना हो गया तो दोनों कैसे एक दूसरे को बर्दाश्त करती। एक बात मुझे समझ नहीं आती कि देव और पूर्वी पुराने प्रेमी प्रेमिका होकर एक साथ काम कैसे कर लेते हैं मयतलब कुछ अजीब नहीं लगता दोनों को।
माणिक, जो नीलम देवी का भतीजा और अब नीलम देवी की मौत के बाद उनकी पूरी ज्यायजात का अकेला उत्तराधिकारी है बहुत ही अय्यास और चरित्रहीन इंसान है जो लड़कियों को फिल्मों में काम देनेके बहाने उन्हें देह व्यापार के धंधे में धकेलता है, लेकिन आज तक पुलिस को कोई सुबूत नहीं मिला उसके खिलाफ। कहीं ऐसा तो नहीं है कि माणिक ही नीलम देवी की आत्महत्या के पीछे हो, क्योंकि वो कोई काम धाम नहीं करता बस आवरागरदी करता रहता है। शायद नीलम देवी ने कुछ कह होगा तो उन्हें मार डाला इसने।। अब उसकी हवसी नजर काजल पर है। जिसे देव अच्छे से पहचान रहा है इसलिए उसने काजल को घर जाने के लिए बोल दिया।।
 

Mahi Maurya

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तीसरा भाग
हास्यास्पद और बेहतरीन।
लगता है दिन में माणिक की हवस भारी नजर जो काजल पर घूम रही थी उसने देव पर बहुत गहरा असर डाला है। माणिक रात में देव के सपने में आया और तो और उसने काजल के बदन को अच्छे से सहलाया वो भी देव की आंखों में देखते हुए। साथ मे काजल के मदभरे होंठों का भी रसपान किया। ये देखकर देव का बाबू सपने में ही खड़ा हो गया।
इतने से भी देव का पेट नहीं भरा तो काजल और माणिक शयनकक्ष में जाकर धमाचौकड़ी करेंगे ये भी देख लिया,🤣🤣🤣 देव बड़बड़ाते हुए उठ कर बैठ गया। माणिक अच्छा आदमी नहीं है जब इसके बारे में काजल ने पूछा तो देव ने बात ही बदल दी और काम के बोझ का बहाना बना दिया।।
 

Mahi Maurya

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चौथा भाग
बहुत ही बेहतरीन और शानदार।
जब देव सो रहा था तो माणिक से चैटिंग पर बात कर रही थी काजल। काजल ने माणिक को पार्क में मिलने के लिए बुलाया और बातों बातों के दौरान उसे अपनी पहाड़ियों के बीच की गहराई भी दिखा दी। ये सब देव ने भी देखा और उसका बाबूलाल खड़ा हो गया। कहीं ये देव कॉकोल्ड तो नहीं है जो अपनी बीवी को गैर मर्द के साथ मस्ती करते देखकर खुश होता है। देव के बाबूलाल का बार बार अंगड़ाई लेना इस बात की तरफ इशारा तो कर रहा है।🤔🤔🤔
औरतों को आजतक ब्रह्मा भी नहीं समझ पाए तो देव बाबू क्या समझेंगे। औरतों की हर एक बात में कोई न कोई राज़ होता है। काजल को लगता है कि माणिक ही नीलम देवी का कातिल है जिसका सुबूत पुलिस नहीं जुटा सकी। अब काजल अपने हुश्न का जलवा दिखाकर माणिक से सच उगलवाने वाली है। देव को जब ये पता चला तो वो काजल को समझाने लगा, लेकिन अपने बाबूलाल के हाथों मजबूर हो गया।।
 

Mahi Maurya

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update 1-4 done.....

Kya doctor.....kua chutiyapa laga diya aapne....fir se wahi sab....

Yaar aise hi pati milte hai kya aapko...jo saale biwi ko gair mard ke sath dekh jar garam hote hai....aur fir biwi ko rokte bhi nhi....

Wo jante hai ki biwi unse kuch chhipa rahi hai...fir bhi koi action nhi...ulta uski aankho me dar dekh kar use haseen manjar dikhta hai....kya gaandu pati hai yaar....

abhi tak kajal ek seedi-sadi grahni hai....ab ek badmaas aourat banne lagi....fir last ne ye bhi bata dena ki wo to professional danger women thi.....chhipi hui thi....koi secret mission han ga...aur ye case v wahi solve jaregi...badle me pati ki dam se bajegi...

Aur haa....khas baat....kahi se drchutiya aayge....pati ka dost ya patni ka....

patni ja hua to sara case baad me samjhayga.....aur oati ja hua to oati ki dosti ko taak oar rakh kar uski oatni ka sarh dega....bhale hi pahle kabhi na mila ho...

aur fir bhi kajal aur drchutiya ek-dusre ka bharosha kar ke aage badege...aur ant me bolege ki hum sath the.....

aur fir bade dil wala pati ek randi type patni ko maaf kar ke khyshaal jindgi jiyega....

ye sab isliye likha ki plz ye sab mat repeate kar dena....bore ho gaye ye padh kar...koi to twist aisa rakhna ki lage ki pati sach me mard hai..

baki....carry on......
आपकी कहानियां भी इसी तरह की होती हैं महोदय, बेटा अपनी मां और बहन को दूसरे के साथ देखता है। पति अपनी पत्नी को दूसरे के साथ देखता है।।

सबका लिखने का अपना अपना कलेवर है महोदय, डॉक्टर साहब के पास हर बीमारी का इलाज है फिर चाहे वो कॉकोल्ड नामक बीमारी ही क्यों न हो।🤣🤣
 

Raja jani

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आपकी कहानियां भी इसी तरह की होती हैं महोदय, बेटा अपनी मां और बहन को दूसरे के साथ देखता है। पति अपनी पत्नी को दूसरे के साथ देखता है।।

सबका लिखने का अपना अपना कलेवर है महोदय, डॉक्टर साहब के पास हर बीमारी का इलाज है फिर चाहे वो कॉकोल्ड नामक बीमारी ही क्यों न हो।🤣🤣
सबसे साधारण बात नही पसंद तो मत पढ़ो खतम बात।
 

Mahi Maurya

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पाँचवाँ भाग
मस्त मस्त है
देव का खबरी नदीम जो शायद कभी जयारम की दुनिया से जुड़ा रहा होगा, से पता चला देव को कि कबीर आ रहा है। कबीर जयारम की दुनिया का अंतरराष्ट्रीय सरगना जिसे देव कब से अपने शिकंजे में कसना चाहता था। कबीर कभी इमरान का दाया हाथ हुआ करता था, लेकिन पैसे और ताकत के लोभ में इमरान के साथ गद्दारी करके उसकी जगह ले ली। राशिद और लाला दो भरोसेमंद पंटर थे कबीर के।
सबा जो काजल की सहेली थी वो भी माणिक को जानती है और उसके साथ माणिक से मिलने जा रही है काजल, लेकिन जाने से पहले वो देव के साथ रोमांस करना चाहती है और गर्म गर्म बातें करके देव को उत्साहित करती है। दोनों जब अपने काम को अंजाम देने वाले थे तभी माणिक वहां पर आ जाता है। कबाब में हड्डी साला।।
 
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