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andypndy

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अपडेट -20, पार्टी की रात

काया का दिमाग़ और जिस्म दुविधा मे फसा हुआ था, जब से उसने कय्यूम के इनविटेशन की बात सुनी थी तभी से जिस्म मे रह रह कर झुरझुरी उठ रही थी, ऊपर से कल बाबू के साथ की हुई हरकत उसे जाने के लिए उत्साहित कर रही थी.

हालांकि काया को कोई ग्लानि या पछतावा सा नहीं था, क्युकी रोहित बिल्कुल ही नाकाम साबित हो रहा था.

काया के जिस्म की आग उसे सोचने समझने का अवसर ही कहां दे रही थी.

दिमाग़ तो कहा रहा था जो हो गया सो हो गया, लेकिन दूसरी और कय्यूम के मजबूत विशालकाय लंड की एक झलक आ के निकल जाती, जांघो के बीच का हिस्सा कुलबुलाने लगता.



घर.... रररऱ.... खरररर...... करती कार उबड़ खाबाड़ रास्ते पर चली जा रही थी, गांव कबका पार हो गया था,



काया बाहर चांदनी रौशनी मे नहाये खेतो को निहारे जा रही थी.

कितना हसीन होता है गांव का दृश्य, कितना साफ स्वच्छ... मनमोहक.



"लो जी साब आ गया कय्यूम भाई का महल " फारुख की आवाज़ से काया का ध्यान टुटा.



रोहित पहले भी इस घर मे आ चूका था, लेकिन काया ने जैसे ही सामने का नजारा देखा उसका मन हिकारात से भर उठा.



बड़े से लोहे के गेट के पीछे एक फुटपाथ चला जा रहा था जो की एक मकान पर ख़त्म होता था.

फुटपाथ के दोनों तरफ बकरी, मुर्गे थे, खीचड़ था.



अजीब सी स्मेल से सरोबर था इलाका.



"छी.... रोहित ये कैसी जगह है?" काया ने नाक भौ सिकोड ली.



"इग्नोर करो अब धंधा ही यहीं है तो क्या करे " रोहित आगे चल पड़ा, पीछे पीछे काया.



"बड़े बाबू आइये आइये स्वागत है आपका" अचानक ही एक भारी आवाज़ गूंज उठी सामने ही उस आवाज़ का मालिक कय्यूम हाथ फैलाये खड़ा था.



काया ने सर उठा देखा हलकी पिली रौशनी मे भयानक काला राक्षसनुमा इंसान कय्यूम खड़ा था, लुंगी और बनियान पहने.



कय्यूम ने रोहित को गले से लगा लिया, लेकिन नजर पीछे काया पर ही टिकी हुई थी.



जैसे ही काया पर नजर पड़ी कय्यूम ने जोर से रोहित को भींच लिया, लगता था जैसे शेर के चुंगल मे मेमना हो.



सामने नजारा देख काया के चेहरे पे smile आ गई.



"आइये... मैडम. जी.... ममम... मेरा मतलब काया जी " आज कय्यूम ने हक़ से रोहित के सामने ही काया को उसके नाम से पुकारा था.



काया चुपचाप कय्यूम और रोहित के बाजु से निकल गई,



एक भीनी सी कामुक महक कय्यूम के नाथूनो मे पड़ी, कय्यूम का तो दिल बाग़ बाग़ हो गया.



आगे काया कसी हुई साड़ी मे चली जा रही थी, चल क्या रही थी गांड मटका रही थी.



पीछे पीठ पर सिर्फ एक लाल डोरी का सहारा था, बाकि नंगी गोरी पीठ.



पीठ के नीचे गांड से बस थोड़ा ही ऊपर काया ने साड़ी कसी हुई थी.



"उउउफ्फ्फ...." कय्यूम के मुँह से निकल गया.

"कक्क.. कक... क्या हुआ?" काया ने पलट कर देखा.



"कक्क...कुछ नहीं... आइये बड़े बाबू बैठिये " कय्यूम ने ध्यान वहाँ से हटा लिया.



काया ने देखा अंदर से घर काफ़ी शानदार था, महंगे फर्नीचर थे.



"गुड इवनिंग सर " सामने से दो शख्स खड़े हो गए.



"अरे आरती, सुमित तुम?" रोहित ने आश्चर्य से कय्यूम की तरफ देखा



"बड़े बाबू पुरे स्टाफ को ही दावत पे बुलाया है, आइये "



सामने ही सोफा लगा था, उसके पीछे डाइनिंग टेबल साइड मे किचन जहाँ से नॉनवेज बनने की मस्त खुसबू आ रही थी.



काया ने आरती को आज पहली बार देखा था, हालांकि वो उसी बिल्डिंग के निचले माले लार रहती थी लेकिन कभी मिलना नहीं हुआ, इत्तेफ़ाकान आज दोनों आमने सामने थे.



" नमस्ते काया जी " आरती ने काया का अभिवादन किया



"नमस्ते आरती जी " काया ने भी उत्तर दिया दोनों साथ ही बैठ गई.



काया को राहत महसूस हुई, दिनभर से जी आशंका उसके जहन मे खलबली मचा रही थी वो बेकार थी, कय्यूम का कोई गलत इरादा नहीं था.



अब जा कर काया का दिल दिमाग़ हल्का हुआ,.



वो खुद की सोच पर मुस्कुरा दी, क्या करती कय्यूम के साथ पिछला वाक्य कुछ अच्छा नहीं रहा था.



काया और आरती मे बातचीत शुरू हो गई थी,



वही सुमित, रोहित कय्यूम कुछ बात कर रहे थे.



काया ने नोटिस किया जैसा बाबू ने बताया था वैसे तो नहीं थी आरती, हाँ थोड़ी सावली थी, लेकिन चुस्त दुरुस्त जिस्म की मालकिन थी.



साड़ी पहनी बैठी आरती का जिस्म भरा हुआ था, इसका अंदाजा इसी बात से लग जाता था की पल्लू बार बार फिसल के नीचे आता तो आरती पकड़ वापस ऊपर करती.



दो मोटे सुडोल स्तन अपनी झलक दिखा ही जाते.

ना जाने क्यों काया ये सब देख रही थी.

आरती आज कोई उम्र के 40 के पड़ाव पर थी, सादे सिंपल कपड़ो मे रहने वाली आरती को देख आज सभी अचंभित थे.

कहीं ना कहीं काया भी जलन महसूस करने लगी थी.


अक्सर औरतों मे ऐसा हो जाता है, कय्यूम, रोहित सुमित आरती को बार बार देख ले रहे थे.



"वाह कय्यूम भाई पकवान बना भी दिए " अचानक रोहित की आवाज़ ने सभी का ध्यान उस ओर खिंच लिया



"नहीं बड़े बाबू बन रहा है, अकेला इंसान क्या क्या करे "



"आप अकेले रहते है बीवी बच्चे नहीं है?" काया ने हैरानी से पूछा.



काया कय्यूम के साइड ही बैठी थी, उसके बाजु मे आरती फिर दूसरे सोफे पर कय्यूम के सामने रोहित और सुमित बीच मे टेबल रखा था.



"बीवी तो मायके ही रहती है, अब बीवी नहीं तो बच्चे कहां से आएंगे" कय्यूम ने ऊपर से नीचे तक काया का अच्छे से मुयाना किया.



काया को जान के धक्का लगा जिस इंसान की इतनी धाक है, धौंस है, इलाके का दादा है वो अकेला रहता है, सरल दिल थी काया.



"पानी लाता हूँ " कय्यूम उठने लगा.



"आप रहने दीजिये मै लाती हूँ " काया एक मुश्कान के साथ उठ खड़ी हुई



अब घर मे औरत नहीं थी तो उसका फ़र्ज बनता था ये.



ऐसी ही थी काया साफ दिल, जिस से मिल ले उसे ख़ुश कर देती.



सामने ही फ्रिज था, सामने ही किचन.



"वाह बड़े बाबू आप बहुत खुसनसीब है काया जी जैसी औरत मिली आपको "



काया किचन से 4 गिलास गिलास और फ्रिज से पानी की बोत्तल ले आई.



"ये लीजिये" पानी सर्व हो गया काया वापस कय्यूम के पास ही जम गई.



"गट... सुक्रिया काया जी, आप चिकेन तो खा लेती है ना?" कय्यूम ने गिलास सामने टेबल पर रखते हुए कहां.



"हाँ कॉलेज मे खा लिया करती थी दोस्तों के साथ, शादी के बाद अब मौका मिला है " काया ने दिल की बात कहा दी.



"फिर क्या है... आप उंगलियां चाटती रह जाएगी " कय्यूम ने इशारा अपनी ऊँगली की तरफ किया.



काया झेम्प गई लेकिन साथ ही होंठो पर मुस्कुराहट थी.



"और आप आरती जी? "



"अअअ.... हाँ... क्यों नहीं मै तो शौकीन हूँ "



"आपकी तबियत देख के ही लगता है " सुमित ने आरती की टांग खिंचते हुए कहां



"क्या लगता है बताना तो " आरती ने तुरंत आखरी बड़ी कर सुमित को दुत्कार दिया.



"कककक... कुछ... नहीं " सुमित किसी मैंने की तरह सिमट कर रह गया.



माहौल खुशनुमा हो गया था, सभी सुमित को देख ठहाके लगा बैठे.



आरती को ज्यादा मज़ाक पसंद नहीं आता था, खासकर उसके शरीर को ले कर.







"फारुख.... ओह... फारुख.... " कय्यूम ने फारुख को आवाज़ लगा दी.



"जी... जी... दादा?"



"मेहमान आ गए है आइटम लाओ भाई " कय्यूम रोहित को देख मुस्कुरा दिया.



काया और आरती कय्यूम की बात का मतलब समझ ना सकी



फारुख तुरंत ही एक महँगी विदेशी बोत्तल के साथ उपस्थित हुआ.



"अच्छा.... तो ये भी प्रोग्राम था," काया ने रोहित की ओर आंखे बड़ी करते हुए कहां.



"काया जी बस एक दो पेग ही लेंगे " जवाब कय्यूम ने दिया



काया जानती थी रोहित ज्यादा पिने का आदि नहीं है, उसके दिल मे एक अंजानी सी खलबली मच गई,



लेकिन इत्मीनान भी था की वो अकेली नहीं है यहाँ.



"लेकिन मै नहीं पीती ये सब?" काया ने सीधा जवाब दिया



"कोल्ड्रिंक्स भी है ना, आप बस साथ दे देना" कय्यूम ने ही जवाब दिया.



शादी के बाद काया रोहित और उसके दोस्तों के साथ बैठी थी एक दो बार, लेकिन वो उसका घर था.



हालांकि कय्यूम से कोई डर नहीं था., ना जने वो खुद भी इस रोमांच को महसूस कर रही थी,



"लेकिन मेरे को चालेगा एक दो पेग " आरती बीच मे बोल पड़ी.



"आरती जी आप पीती है " रोहित हैरान था काया भी..



"पिछले 10 साल से अकेली हूँ, कभी कभी पी लेती हूँ, लेकिन बस थोड़ी सी,



आज पार्टी का माहौल है तो चल जाता है " आरती ने दिल की बात कहा दी.



आज सभी ने आरती के जीवन का वो पहलु महसूस किया जो सिर्फ अकेली औरत के हिस्से है.



कौन समझ सकता है की अकेली औरत कैसे जिंदगी जीती होंगी.



ना पति, ना बच्चे.... सिर्फ वो अकेली और उसकी बोरिंग जिंदगी.



आज आरती को मौका मिला था उड़ान भरने का मना नहीं कर सकी.



कितने अकेले होते है लोग, कैसा होता होगा ये अकेलेपन का जीवन.



आज काया के सामने दो लोग थे जो अकेलेपन को भोग रहे थे, नीरस खाली जिंदगी.



"अच्छा ही है ये तो.." काया ने आरती के कंधे पर हाथ रख सहानुभूति दी



कय्यूम तुरंत फ्रिज से कोल्ड्रिंक्स ले आया.



गिलास सज गए, काजू की प्लेट लग गई.



चार पेग दारू और एक कोल्डड्रिंक का तैयार हो चूका था.



"चियर्स.... टन से सभी के गिलास टकरा गए



"सही बताऊ कय्यूम भाई मुझे उम्मीद नहीं थी इस गांव मे ऐसी दारू भी मिल सकती है " रोहित ने पहला घुट लगाते हुए कहां.



"क्यों नहीं बड़े बाबू आपके लिए कुछ भी " कय्यूम ने भी एक घुट लगा लिया.



बातो का सिलसिला शुरू हो चूका था.



"आप अकेले कैसे रह लेते है " काया अभी तक वही थी वो कय्यूम को इमेजिन नहीं कर पा रही थी, इतना बड़ा आदमी अकेला क्यों है?



"मतलब...? "



"मतलब बिना बीवी के?" काया के मन मे कोतुहाल था.



कय्यूम थोड़ा नजदीक सरक आया था " आदत हो गई काया जी अब तो "



कय्यूम ने अपना हाथ काया की जाँघ पर रख हटा लिया, जैसे उसकी कोई यार हो.



काया चोंकि लेकिन रोहित की तरफ देखा उसका ध्यान उधर नहीं था.



काया ने वापस पीठ सोफे से टिका ली.



मात्र उस एक स्पर्श से काया के जिस्म मे गर्मी का संचार हो गया था.



पेग ख़त्म हो चुके थे, दूसरा पेग तैयार हो गया.



"काया जी अब सब्जी चला देंगी एक बार कहीं जल ना जाये " कय्यूम ने आग्रह किया



"अअअ... हाँ हाँ... बिल्कुल " काया उठ के चल दी.



सब्जी का ढक्कन उठाया सससन्ननीफ्फ..... वाकई बहुत शानदार खुसबू थी.



बाहर "नहीं नहीं कय्यूम. जी मेरा अभी यही चलेगा आप लोग अपना कंटिन्यू कीजिये " आरती कय्यूम को पेग बनाने से रोक रही थी.



इस कोशिश मे आरती का पल्लू फिर से सरका गया, इस बार ऐसा सरका की जमीन ही चाट गया.



एकाएक सन्नाटा सा छा गया, सभी की नजरें उस गोलाई पर जा पड़ी जो लगभग ब्लाउज से बाहर दी.



तीनो के गले सुख गए थे, आरती बाहर से हमेशा ढकी रहती थी लेकिन अंदर की थोड़ी सी खूबसूरती नर सभी मर्दो को विचलित कर दिया.



माहौल मे गर्मी सी आ गई थी.



"आप तो वाकई बहुत अच्छा बनाते है" काया वापस आ कर बैठ गई.



काया की आवाज़ से सभी का ध्यान भंग हुआ, आरती का पल्लू भी ठिकाने आ गया था.



ना जाने क्यों आरती ने उस तेज़ी से पल्लू नहीं उठाया जैसा उसे करना चाहिए था, शायद शराब की पहली घूंट ने उसे रिलैक्स कर दिया था



"घर के मसाले इस्तेमाल करता हूँ काया जी, अच्छे से कूट के डालता हूँ, बनाने और खाने मे मजा आ जाता है "



"पक्का आप चाटती रह जाएगी " कय्यूम ने वापस से अपने हाथ काया की जाँघ पर रख दिए.



लेकिन इस बार हटाए नहीं.



काया की सांस टंग गई, उसने एक नजर रोहित की तरफ देखा वो पिने मे मसगुल था.



काया की नजर कय्यूम से जा मिली, ना जाने नजरों मे क्या था कय्यूम के हाथ काया की जांघो से रगड़ खाते हुए अलग हो गए.



"आप लोग ताश खेलते है क्या?" कय्यूम ने पेग पीते हुए पूछा.



"पार्टी का माहौल है , ताश तो बनती है क्यों सर " सुमित ने कय्यूम का समर्थन किया.



"मुझे तो नहीं आता " काया ने वापस से असमर्थता जाता दी.



"कोई नी आप मेरे साथ खेलना " कय्यूम ने जवाब दिया



"अअअ... आप के साथ?" काया हकला गई



"एक दो गेम मे आप सीख जाएगी " कय्यूम ने बड़ी आसानी से काया को अपनी साइड कर लिया.



"लेकिन शर्त रखते है जो जीतेगा उसे ही पेग मिलेगा बाकि को नहीं " कय्यूम ने अजीब सी शर्त रख दी थी.



"क्या कय्यूम भाई ये भी कोई शर्त हुई, मुझे तो अच्छे से आता भी नहीं खेलना " रोहित ने मन मामोस कर कहां.



"बिना शर्त की भी कोई ताश होती है बड़े बाबू?"



सभी लोग हस पडे, वाकई बिना शर्त के ताश का कोई मजा नहीं.



कय्यूम पत्ते ले आया.



"तीन पत्ती खेलते है, आसान गेम है " कय्यूम ने पत्ते बाट दिए



सबसे पहले आरती ने अपने पत्ते उठाते हुए एक घूंट चूसक लिया "क्या यार " और वापस पत्ते वही फेंक दिए.



"रोहित ने उठाये उसे समझ नहीं आया, उसने पत्ते रख लिए.



"सुमित ने भी देखे और खुशी से बांन्छे खील उठी," कय्यूम भाई ये पेग तो मेरा ही है "



सुमित ने अतिउत्साह मे पत्ते टेबल पर दे मारे," 555, पंजा, पंजा, पंजा " बड़ी बात थी.



बारी कय्यूम की थी " 241" सड़े हुए पत्ते, कय्यूम ने पत्ते काया को दिखाते हुए पटक दिए.



बारी रोहित की थी, उसे समझ तो नहीं आया लेकिन पत्ते सामने रख दिए गुलाम, गुलाम, गुलाम



"वाह वाह... बड़े बाबू क्या किस्मत पाई है " कय्यूम चीख उठा.



"ममम... मतलन रोहित जीत गए " काया खुशी से चहक उठी जैसे कोई बढ़ा इनाम जीत लिया हो, जीत तो है



जीत ही होती है.



अगला पेग बना सिर्फ एक रोहित के लिए,



रोहित के चेहरे पे किसी युद्ध मे जीते योद्धा की तरह मुश्कान थी.. गट.... गटक... गाटाक... रोहित ने खुशी के मारे एक बार मे पूरा गिलास खाली कर दिया.



वो समझ ही ना सका की उसकी जीत मे हार छुपी है.



अब सभी को इस खेल का मजा आने लगा था.



अगली बाजी फिर लग गई, पत्ते कय्यूम ने बाट दिए.



इस बार फिर से रोहित जीत गया, लेकिन इस बार काया के चेहरे पे निराशा थी, क्युकी उसका गेम पार्टनर गेम हार रहा था.



रोहित के लिए एक पेग और बन गया,



बाट यहाँ अब शराब की थी ही नहीं, बाट थी हार जीत की,.



काया कय्यूम मे साथ थी, कय्यूम काया को लेटर दिखता और पटक देता.



"बड़े बाबू ऐसी कैसी किस्मत पाई है आपने "



"अअअ.... अपना ऐसा ही है " तीसरा पेग भी रोहित ने डकार लिया लेकिन इस बार उसकी जबान लड़खड़ा गई.



अगली बाजी फिर से लग गई,.



कय्यूम ने पत्ते काया की तरफ घुमाये, काया ने हैरानी से कय्यूम को देखा, जैसे पूछ रही हो क्या करना है?



सभी इस खेल मे डूब गए थे.



"काया जी आरती जी देख रही है, थोड़ा साइड आ जाइये " कय्यूम ने आरती को देखते हुए कहां.



काया भी मशगूल थी, ना सोचा ना समझा सीधा कय्यूम जे सोफे के हत्थे पर जा बैठी.



बैठी क्या उसकी जाँघे कय्यूम के बाजुओं से जा लगी, एक हल्का सा कर्रेंट दोनों के शरीर मे दौड़ गया, लेकिन इस वक़्त परवाह किसे थी.



खेल आगे बढ़ा......



"ययययई....... य्येई... कय्यूम जीत गया था जिसका जश्न काया ने मनाया " वो सभी को ठेंगा दिखाती सोफे के हत्थे के और पीछे जा चिपकी.



"क्या कय्यूम भाई मै कब जीतूंगा, ये कैसी शर्त रख दी आपने " सुमित मायुस सा हो गया उसे एक पेग भी नसीब नहीं हुआ था.



"भई गेम तो ऐसा ही होता है, कय्यूम ने एक छोटा सा पेग बना गटक लिया "



काया ख़ुश थी अपनी जीत से, कय्यूम की जीत उसकी जीत.



अगली बाजी फिर से लगी जिसे फिर से कय्यूम ने जीत लिया.



"क्या कय्यूम यार तुम तो खिलाडी निकले " रोहित ने दारू कय्यूम के गिलास मे उडेल दी.

"लो काया जी " कय्यूम ने गिलास काया की तरफ बढ़ा दिया.

"ममम.... मै नहीं पीती "

"आप खेल मे मेरी हिस्सेदार है, तो इनाम भी तो बराबर बटेगा ना " कय्यूम की दलील मे दम था.

काया इस माहौल मे ढल गई थी, उसे मजा आ रहा था.
लेकिन एक नजर उसने रोहित की ओर देखा, हैसे इज़ाज़त मांग रही हो.

वैसे भी जब आरती पी सकती है तो वो क्यों नहीं.

रोहित ने गर्दन हिला हामी भर दी, फिर क्या था कय्यूम ने ग्लास काया के हाथो मे थमा दिया.
काया के हाथ कांप रहे थे, ये वो पहली बार कर रही थी


सससनणीयफ्फ्फ्फफ्फ्फ़..... ग्लास पास ला कर उसने एक स्मेल ली, खुसबू अच्छी थी मीठी मीठी.

गट... गटक... गाटाक.... कर काया ने एक बार मे पूरा पेग हलक मे उतार लिया.. एक जलता सा लावा उसे गले से होता हुआ नाभि के कहीं आस पास जा कर गुम हो गया.

"उउउउफ्फ्फ...... हहहम्ममफ्फ्फ्फफ्फ्फ़..... कैसे पीते है आप लोग ये " काया ने ग्लास वही टेबल पर दे मारा.

हाहाहाहाहा.... वहाँ मौजूद सभी लोग काया पे हस पडे, काया का बोलने का तरीका ही ऐसा था.

जैसे किसी बच्चे ने मिन्नतें की हो..

अगली बाज़ी फिर लगी, लेकिन इस बार कय्यूम पत्ते काया को नहीं दिखा रहा था जबकि काया खुद पीछे झुक कर पत्ते देख रही थी, जिस वजह से उसका जिस्म कय्यूम के कंधे पर जा टिका, उसके सुडोल स्तन कय्यूम के कंधे को सहलाने लगे.
उसके जिस्म मे एक गर्मी का संचार हो रहा था.

ये पारी आरती ने जीती, उसके लिए एक ओग तैयार हो गया.

ये खेल चलता रहा, आगे के सभी 10 गेम रोहित और सुमित जीते.

काया और आरती मौज मे थी, हल्का हलका सा शुरूर सुकून दे रहा रहा.

काया का जिस्म कय्यूम से सटा जा रहा था, रोहित सुमित झूम रहे थे.

ऐसा मालूम पड़ता था जन्मो के बिछड़े दोस्त आज मिले है.

पार्टी अपने पुरे शबाब पर थी.

क्या रंग लाएगी ये पार्टी?

देखते है... बने रहिये
 
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Thakur a

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Bhai new update to lajawab hai great come back from maja a Gaya padhakar bus ab yahi request hai ki update thoda jaldi jaldi Dene ki koshish Karna please
 
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andypndy

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Bhai new update to lajawab hai great come back from maja a Gaya padhakar bus ab yahi request hai ki update thoda jaldi jaldi Dene ki koshish Karna please
, थैंक्स bro, अब यही कहानी चलेगी 👍
 

malikarman

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काया का दिमाग़ और जिस्म दुविधा मे फसा हुआ था, जब से उसने कय्यूम के इनविटेशन की बात सुनी थी तभी से जिस्म मे रह रह कर झुरझुरी उठ रही थी, ऊपर से कल बाबू के साथ की हुई हरकत उसे जाने के लिए उत्साहित कर रही थी.

हालांकि काया को कोई ग्लानि या पछतावा सा नहीं था, क्युकी रोहित बिल्कुल ही नाकाम साबित हो रहा था.

काया के जिस्म की आग उसे सोचने समझने का अवसर ही कहां दे रही थी.

दिमाग़ तो कहा रहा था जो हो गया सो हो गया, लेकिन दूसरी और कय्यूम के मजबूत विशालकाय लंड की एक झलक आ के निकल जाती, जांघो के बीच का हिस्सा कुलबुलाने लगता.

घर.... रररऱ.... खरररर...... करती कार उबड़ खाबाड़ रास्ते पर चली जा रही थी, गांव कबका पार हो गया था,

काया बाहर चांदनी रौशनी मे नहाये खेतो को निहारे जा रही थी.
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कितना हसीन होता है गांव का दृश्य, कितना साफ स्वच्छ... मनमोहक.

"लो जी साब आ गया कय्यूम भाई का महल " फारुख की आवाज़ से काया का ध्यान टुटा.

रोहित पहले भी इस घर मे आ चूका था, लेकिन काया ने जैसे ही सामने का नजारा देखा उसका मन हिकारात से भर उठा.

बड़े से लोहे के गेट के पीछे एक फुटपाथ चला जा रहा था जो की एक मकान पर ख़त्म होता था.

फुटपाथ के दोनों तरफ बकरी, मुर्गे थे, खीचड़ था.

अजीब सी स्मेल से सरोबर था इलाका.

"छी.... रोहित ये कैसी जगह है?" काया ने नाक भौ सिकोड ली.

"इग्नोर करो अब धंधा ही यहीं है तो क्या करे " रोहित आगे चल पड़ा, पीछे पीछे काया.

"बड़े बाबू आइये आइये स्वागत है आपका" अचानक ही एक भारी आवाज़ गूंज उठी सामने ही उस आवाज़ का मालिक कय्यूम हाथ फैलाये खड़ा था.

काया ने सर उठा देखा हलकी पिली रौशनी मे भयानक काला राक्षसनुमा इंसान कय्यूम खड़ा था, लुंगी और बनियान पहने.

कय्यूम ने रोहित को गले से लगा लिया, लेकिन नजर पीछे काया पर ही टिकी हुई थी.

जैसे ही काया पर नजर पड़ी कय्यूम ने जोर से रोहित को भींच लिया, लगता था जैसे शेर के चुंगल मे मेमना हो.

सामने नजारा देख काया के चेहरे पे smile आ गई.

"आइये... मैडम. जी.... ममम... मेरा मतलब काया जी " आज कय्यूम ने हक़ से रोहित के सामने ही काया को उसके नाम से पुकारा था.

काया चुपचाप कय्यूम और रोहित के बाजु से निकल गई,

एक भीनी सी कामुक महक कय्यूम के नाथूनो मे पड़ी, कय्यूम का तो दिल बाग़ बाग़ हो गया.

आगे काया कसी हुई साड़ी मे चली जा रही थी, चल क्या रही थी गांड मटका रही थी.

पीछे पीठ पर सिर्फ एक लाल डोरी का सहारा था, बाकि नंगी गोरी पीठ.

पीठ के नीचे गांड से बस थोड़ा ही ऊपर काया ने साड़ी कसी हुई थी.

"उउउफ्फ्फ...." कय्यूम के मुँह से निकल गया.ad677e14317528830a38683c8bdcf4a3

"कक्क.. कक... क्या हुआ?" काया ने पलट कर देखा.

"कक्क...कुछ नहीं... आइये बड़े बाबू बैठिये " कय्यूम ने ध्यान वहाँ से हटा लिया.

काया ने देखा अंदर से घर काफ़ी शानदार था, महंगे फर्नीचर थे.

"गुड इवनिंग सर " सामने से दो शख्स खड़े हो गए.

"अरे आरती, सुमित तुम?" रोहित ने आश्चर्य से कय्यूम की तरफ देखा

"बड़े बाबू पुरे स्टाफ को ही दावत पे बुलाया है, आइये "

सामने ही सोफा लगा था, उसके पीछे डाइनिंग टेबल साइड मे किचन जहाँ से नॉनवेज बनने की मस्त खुसबू आ रही थी.

काया ने आरती को आज पहली बार देखा था, हालांकि वो उसी बिल्डिंग के निचले माले लार रहती थी लेकिन कभी मिलना नहीं हुआ, इत्तेफ़ाकान आज दोनों आमने सामने थे.

" नमस्ते काया जी " आरती ने काया का अभिवादन किया

"नमस्ते आरती जी " काया ने भी उत्तर दिया दोनों साथ ही बैठ गई.

काया को राहत महसूस हुई, दिनभर से जी आशंका उसके जहन मे खलबली मचा रही थी वो बेकार थी, कय्यूम का कोई गलत इरादा नहीं था.

अब जा कर काया का दिल दिमाग़ हल्का हुआ,.

वो खुद की सोच पर मुस्कुरा दी, क्या करती कय्यूम के साथ पिछला वाक्य कुछ अच्छा नहीं रहा था.

काया और आरती मे बातचीत शुरू हो गई थी,

वही सुमित, रोहित कय्यूम कुछ बात कर रहे थे.

काया ने नोटिस किया जैसा बाबू ने बताया था वैसे तो नहीं थी आरती, हाँ थोड़ी सावली थी, लेकिन चुस्त दुरुस्त जिस्म की मालकिन थी.

साड़ी पहनी बैठी आरती का जिस्म भरा हुआ था, इसका अंदाजा इसी बात से लग जाता था की पल्लू बार बार फिसल के नीचे आता तो आरती पकड़ वापस ऊपर करती.

दो मोटे सुडोल स्तन अपनी झलक दिखा ही जाते.94837ed8a840737aecbb813946217879

ना जाने क्यों काया ये सब देख रही थी.

आरती आज कोई उम्र के 40 के पड़ाव पर थी, सादे सिंपल कपड़ो मे रहने वाली आरती को देख आज सभी अचंभित थे.

कहीं ना कहीं काया भी जलन महसूस करने लगी थी.

अक्सर औरतों मे ऐसा हो जाता है, कय्यूम, रोहित सुमित आरती को बार बार देख ले रहे थे.

"वाह कय्यूम भाई पकवान बना भी दिए " अचानक रोहित की आवाज़ ने सभी का ध्यान उस ओर खिंच लिया

"नहीं बड़े बाबू बन रहा है, अकेला इंसान क्या क्या करे "

"आप अकेले रहते है बीवी बच्चे नहीं है?" काया ने हैरानी से पूछा.

काया कय्यूम के साइड ही बैठी थी, उसके बाजु मे आरती फिर दूसरे सोफे पर कय्यूम के सामने रोहित और सुमित बीच मे टेबल रखा था.

"बीवी तो मायके ही रहती है, अब बीवी नहीं तो बच्चे कहां से आएंगे" कय्यूम ने ऊपर से नीचे तक काया का अच्छे से मुयाना किया.

काया को जान के धक्का लगा जिस इंसान की इतनी धाक है, धौंस है, इलाके का दादा है वो अकेला रहता है, सरल दिल थी काया.

"पानी लाता हूँ " कय्यूम उठने लगा.

"आप रहने दीजिये मै लाती हूँ " काया एक मुश्कान के साथ उठ खड़ी हुई

अब घर मे औरत नहीं थी तो उसका फ़र्ज बनता था ये.

ऐसी ही थी काया साफ दिल, जिस से मिल ले उसे ख़ुश कर देती.

सामने ही फ्रिज था, सामने ही किचन.

"वाह बड़े बाबू आप बहुत खुसनसीब है काया जी जैसी औरत मिली आपको "

काया किचन से 4 गिलास गिलास और फ्रिज से पानी की बोत्तल ले आई.

"ये लीजिये" पानी सर्व हो गया काया वापस कय्यूम के पास ही जम गई.

"गट... सुक्रिया काया जी, आप चिकेन तो खा लेती है ना?" कय्यूम ने गिलास सामने टेबल पर रखते हुए कहां.

"हाँ कॉलेज मे खा लिया करती थी दोस्तों के साथ, शादी के बाद अब मौका मिला है " काया ने दिल की बात कहा दी.

"फिर क्या है... आप उंगलियां चाटती रह जाएगी " कय्यूम ने इशारा अपनी ऊँगली की तरफ किया.

काया झेम्प गई लेकिन साथ ही होंठो पर मुस्कुराहट थी.

"और आप आरती जी? "

"अअअ.... हाँ... क्यों नहीं मै तो शौकीन हूँ "

"आपकी तबियत देख के ही लगता है " सुमित ने आरती की टांग खिंचते हुए कहां

"क्या लगता है बताना तो " आरती ने तुरंत आखरी बड़ी कर सुमित को दुत्कार दिया.

"कककक... कुछ... नहीं " सुमित किसी मैंने की तरह सिमट कर रह गया.

माहौल खुशनुमा हो गया था, सभी सुमित को देख ठहाके लगा बैठे.

आरती को ज्यादा मज़ाक पसंद नहीं आता था, खासकर उसके शरीर को ले कर.



"फारुख.... ओह... फारुख.... " कय्यूम ने फारुख को आवाज़ लगा दी.

"जी... जी... दादा?"

"मेहमान आ गए है आइटम लाओ भाई " कय्यूम रोहित को देख मुस्कुरा दिया.

काया और आरती कय्यूम की बात का मतलब समझ ना सकी

फारुख तुरंत ही एक महँगी विदेशी बोत्तल के साथ उपस्थित हुआ.

"अच्छा.... तो ये भी प्रोग्राम था," काया ने रोहित की ओर आंखे बड़ी करते हुए कहां.

"काया जी बस एक दो पेग ही लेंगे " जवाब कय्यूम ने दिया

काया जानती थी रोहित ज्यादा पिने का आदि नहीं है, उसके दिल मे एक अंजानी सी खलबली मच गई,

लेकिन इत्मीनान भी था की वो अकेली नहीं है यहाँ.

"लेकिन मै नहीं पीती ये सब?" काया ने सीधा जवाब दिया

"कोल्ड्रिंक्स भी है ना, आप बस साथ दे देना" कय्यूम ने ही जवाब दिया.

शादी के बाद काया रोहित और उसके दोस्तों के साथ बैठी थी एक दो बार, लेकिन वो उसका घर था.

हालांकि कय्यूम से कोई डर नहीं था., ना जने वो खुद भी इस रोमांच को महसूस कर रही थी,

"लेकिन मेरे को चालेगा एक दो पेग " आरती बीच मे बोल पड़ी.

"आरती जी आप पीती है " रोहित हैरान था काया भी..

"पिछले 10 साल से अकेली हूँ, कभी कभी पी लेती हूँ, लेकिन बस थोड़ी सी,

आज पार्टी का माहौल है तो चल जाता है " आरती ने दिल की बात कहा दी.

आज सभी ने आरती के जीवन का वो पहलु महसूस किया जो सिर्फ अकेली औरत के हिस्से है.

कौन समझ सकता है की अकेली औरत कैसे जिंदगी जीती होंगी.

ना पति, ना बच्चे.... सिर्फ वो अकेली और उसकी बोरिंग जिंदगी.

आज आरती को मौका मिला था उड़ान भरने का मना नहीं कर सकी.

कितने अकेले होते है लोग, कैसा होता होगा ये अकेलेपन का जीवन.

आज काया के सामने दो लोग थे जो अकेलेपन को भोग रहे थे, नीरस खाली जिंदगी.

"अच्छा ही है ये तो.." काया ने आरती के कंधे पर हाथ रख सहानुभूति दी

कय्यूम तुरंत फ्रिज से कोल्ड्रिंक्स ले आया.

गिलास सज गए, काजू की प्लेट लग गई.

चार पेग दारू और एक कोल्डड्रिंक का तैयार हो चूका था.

"चियर्स.... टन से सभी के गिलास टकरा गए

"सही बताऊ कय्यूम भाई मुझे उम्मीद नहीं थी इस गांव मे ऐसी दारू भी मिल सकती है " रोहित ने पहला घुट लगाते हुए कहां.

"क्यों नहीं बड़े बाबू आपके लिए कुछ भी " कय्यूम ने भी एक घुट लगा लिया.

बातो का सिलसिला शुरू हो चूका था.

"आप अकेले कैसे रह लेते है " काया अभी तक वही थी वो कय्यूम को इमेजिन नहीं कर पा रही थी, इतना बड़ा आदमी अकेला क्यों है?

"मतलब...? "

"मतलब बिना बीवी के?" काया के मन मे कोतुहाल था.

कय्यूम थोड़ा नजदीक सरक आया था " आदत हो गई काया जी अब तो "

कय्यूम ने अपना हाथ काया की जाँघ पर रख हटा लिया, जैसे उसकी कोई यार हो.

काया चोंकि लेकिन रोहित की तरफ देखा उसका ध्यान उधर नहीं था.

काया ने वापस पीठ सोफे से टिका ली.

मात्र उस एक स्पर्श से काया के जिस्म मे गर्मी का संचार हो गया था.

पेग ख़त्म हो चुके थे, दूसरा पेग तैयार हो गया.

"काया जी अब सब्जी चला देंगी एक बार कहीं जल ना जाये " कय्यूम ने आग्रह किया

"अअअ... हाँ हाँ... बिल्कुल " काया उठ के चल दी.

सब्जी का ढक्कन उठाया सससन्ननीफ्फ..... वाकई बहुत शानदार खुसबू थी.

बाहर "नहीं नहीं कय्यूम. जी मेरा अभी यही चलेगा आप लोग अपना कंटिन्यू कीजिये " आरती कय्यूम को पेग बनाने से रोक रही थी.

इस कोशिश मे आरती का पल्लू फिर से सरका गया, इस बार ऐसा सरका की जमीन ही चाट गया.

एकाएक सन्नाटा सा छा गया, सभी की नजरें उस गोलाई पर जा पड़ी जो लगभग ब्लाउज से बाहर दी.

तीनो के गले सुख गए थे, आरती बाहर से हमेशा ढकी रहती थी लेकिन अंदर की थोड़ी सी खूबसूरती नर सभी मर्दो को विचलित कर दिया.

माहौल मे गर्मी सी आ गई थी.

"आप तो वाकई बहुत अच्छा बनाते है" काया वापस आ कर बैठ गई.

काया की आवाज़ से सभी का ध्यान भंग हुआ, आरती का पल्लू भी ठिकाने आ गया था.

ना जाने क्यों आरती ने उस तेज़ी से पल्लू नहीं उठाया जैसा उसे करना चाहिए था, शायद शराब की पहली घूंट ने उसे रिलैक्स कर दिया था

"घर के मसाले इस्तेमाल करता हूँ काया जी, अच्छे से कूट के डालता हूँ, बनाने और खाने मे मजा आ जाता है "

"पक्का आप चाटती रह जाएगी " कय्यूम ने वापस से अपने हाथ काया की जाँघ पर रख दिए.

लेकिन इस बार हटाए नहीं.

काया की सांस टंग गई, उसने एक नजर रोहित की तरफ देखा वो पिने मे मसगुल था.

काया की नजर कय्यूम से जा मिली, ना जाने नजरों मे क्या था कय्यूम के हाथ काया की जांघो से रगड़ खाते हुए अलग हो गए.

"आप लोग ताश खेलते है क्या?" कय्यूम ने पेग पीते हुए पूछा.

"पार्टी का माहौल है , ताश तो बनती है क्यों सर " सुमित ने कय्यूम का समर्थन किया.

"मुझे तो नहीं आता " काया ने वापस से असमर्थता जाता दी.

"कोई नी आप मेरे साथ खेलना " कय्यूम ने जवाब दिया

"अअअ... आप के साथ?" काया हकला गई

"एक दो गेम मे आप सीख जाएगी " कय्यूम ने बड़ी आसानी से काया को अपनी साइड कर लिया.

"लेकिन शर्त रखते है जो जीतेगा उसे ही पेग मिलेगा बाकि को नहीं " कय्यूम ने अजीब सी शर्त रख दी थी.

"क्या कय्यूम भाई ये भी कोई शर्त हुई, मुझे तो अच्छे से आता भी नहीं खेलना " रोहित ने मन मामोस कर कहां.

"बिना शर्त की भी कोई ताश होती है बड़े बाबू?"

सभी लोग हस पडे, वाकई बिना शर्त के ताश का कोई मजा नहीं.

कय्यूम पत्ते ले आया.

"तीन पत्ती खेलते है, आसान गेम है " कय्यूम ने पत्ते बाट दिए

सबसे पहले आरती ने अपने पत्ते उठाते हुए एक घूंट चूसक लिया "क्या यार " और वापस पत्ते वही फेंक दिए.

"रोहित ने उठाये उसे समझ नहीं आया, उसने पत्ते रख लिए.

"सुमित ने भी देखे और खुशी से बांन्छे खील उठी," कय्यूम भाई ये पेग तो मेरा ही है "

सुमित ने अतिउत्साह मे पत्ते टेबल पर दे मारे," 555, पंजा, पंजा, पंजा " बड़ी बात थी.

बारी कय्यूम की थी " 241" सड़े हुए पत्ते, कय्यूम ने पत्ते काया को दिखाते हुए पटक दिए.

बारी रोहित की थी, उसे समझ तो नहीं आया लेकिन पत्ते सामने रख दिए गुलाम, गुलाम, गुलाम

"वाह वाह... बड़े बाबू क्या किस्मत पाई है " कय्यूम चीख उठा.

"ममम... मतलन रोहित जीत गए " काया खुशी से चहक उठी जैसे कोई बढ़ा इनाम जीत लिया हो, जीत तो है

जीत ही होती है.

अगला पेग बना सिर्फ एक रोहित के लिए,

रोहित के चेहरे पे किसी युद्ध मे जीते योद्धा की तरह मुश्कान थी.. गट.... गटक... गाटाक... रोहित ने खुशी के मारे एक बार मे पूरा गिलास खाली कर दिया.

वो समझ ही ना सका की उसकी जीत मे हार छुपी है.

अब सभी को इस खेल का मजा आने लगा था.

अगली बाजी फिर लग गई, पत्ते कय्यूम ने बाट दिए.

इस बार फिर से रोहित जीत गया, लेकिन इस बार काया के चेहरे पे निराशा थी, क्युकी उसका गेम पार्टनर गेम हार रहा था.

रोहित के लिए एक पेग और बन गया,

बाट यहाँ अब शराब की थी ही नहीं, बाट थी हार जीत की,.

काया कय्यूम मे साथ थी, कय्यूम काया को लेटर दिखता और पटक देता.

"बड़े बाबू ऐसी कैसी किस्मत पाई है आपने "

"अअअ.... अपना ऐसा ही है " तीसरा पेग भी रोहित ने डकार लिया लेकिन इस बार उसकी जबान लड़खड़ा गई.

अगली बाजी फिर से लग गई,.

कय्यूम ने पत्ते काया की तरफ घुमाये, काया ने हैरानी से कय्यूम को देखा, जैसे पूछ रही हो क्या करना है?

सभी इस खेल मे डूब गए थे.

"काया जी आरती जी देख रही है, थोड़ा साइड आ जाइये " कय्यूम ने आरती को देखते हुए कहां.

काया भी मशगूल थी, ना सोचा ना समझा सीधा कय्यूम जे सोफे के हत्थे पर जा बैठी.

बैठी क्या उसकी जाँघे कय्यूम के बाजुओं से जा लगी, एक हल्का सा कर्रेंट दोनों के शरीर मे दौड़ गया, लेकिन इस वक़्त परवाह किसे थी.

खेल आगे बढ़ा......

"ययययई....... य्येई... कय्यूम जीत गया था जिसका जश्न काया ने मनाया " वो सभी को ठेंगा दिखाती सोफे के हत्थे के और पीछे जा चिपकी.

"क्या कय्यूम भाई मै कब जीतूंगा, ये कैसी शर्त रख दी आपने " सुमित मायुस सा हो गया उसे एक पेग भी नसीब नहीं हुआ था.

"भई गेम तो ऐसा ही होता है, कय्यूम ने एक छोटा सा पेग बना गटक लिया "

काया ख़ुश थी अपनी जीत से, कय्यूम की जीत उसकी जीत.

अगली बाजी फिर से लगी जिसे फिर से कय्यूम ने जीत लिया.

"क्या कय्यूम यार तुम तो खिलाडी निकले " रोहित ने दारू कय्यूम के गिलास मे उडेल दी.

"लो काया जी " कय्यूम ने गिलास काया की तरफ बढ़ा दिया.

"ममम.... मै नहीं पीती "

"आप खेल मे मेरी हिस्सेदार है, तो इनाम भी तो बराबर बटेगा ना " कय्यूम की दलील मे दम था.

काया इस माहौल मे ढल गई थी, उसे मजा आ रहा था.

लेकिन एक नजर उसने रोहित की ओर देखा, हैसे इज़ाज़त मांग रही हो.

वैसे भी जब आरती पी सकती है तो वो क्यों नहीं.

रोहित ने गर्दन हिला हामी भर दी, फिर क्या था कय्यूम ने ग्लास काया के हाथो मे थमा दिया.

काया के हाथ कांप रहे थे, ये वो पहली बार कर रही थी,

सससनणीयफ्फ्फ्फफ्फ्फ़..... ग्लास पास ला कर उसने एक स्मेल ली, खुसबू अच्छी थी मीठी मीठी.

गट... गटक... गाटाक.... कर काया ने एक बार मे पूरा पेग हलक मे उतार लिया.. एक जलता सा लावा उसे गले से होता हुआ नाभि के कहीं आस पास जा कर गुम हो गया.

"उउउउफ्फ्फ...... हहहम्ममफ्फ्फ्फफ्फ्फ़..... कैसे पीते है आप लोग ये " काया ने ग्लास वही टेबल पर दे मारा.

हाहाहाहाहा.... वहाँ मौजूद सभी लोग काया पे हस पडे, काया का बोलने का तरीका ही ऐसा था.

जैसे किसी बच्चे ने मिन्नतें की हो..

अगली बाज़ी फिर लगी, लेकिन इस बार कय्यूम पत्ते काया को नहीं दिखा रहा था जबकि काया खुद पीछे झुक कर पत्ते देख रही थी, जिस वजह से उसका जिस्म कय्यूम के कंधे पर जा टिका, उसके सुडोल स्तन कय्यूम के कंधे को सहलाने लगे.

उसके जिस्म मे एक गर्मी का संचार हो रहा था.

ये पारी आरती ने जीती, उसके लिए एक ओग तैयार हो गया.

ये खेल चलता रहा, आगे के सभी 10 गेम रोहित और सुमित जीते.

काया और आरती मौज मे थी, हल्का हलका सा शुरूर सुकून दे रहा रहा.

काया का जिस्म कय्यूम से सटा जा रहा था, रोहित सुमित झूम रहे थे.

ऐसा मालूम पड़ता था जन्मो के बिछड़े दोस्त आज मिले है.

पार्टी अपने पुरे शबाब पर थी.

क्या रंग लाएगी ये पार्टी?

देखते है... बने रहिये
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काया की माया, अपडेट -21


कय्यूम मे घर पार्टी अपने शबाब पर थी. रोहित सुमित हलक तक दारू पी चुके थे, मस्ती मे झूम रहे थे.



इस दौरान एक बार फिर से कय्यूम भी जीता.



"लो कय्यूम भाई हिचहम... अब आपकी बारी, रोहित ने गिलास भर दिया.



कय्यूम ने बिना हिचके गिलास उठा लिया, और पास बैठी काया की तरफ बड़ा दिया.



"न्नन्न... ना.... बाबा मै नहीं पीती " काया ने साफ मना कर दिया.



"क्यों नहीं मेरी हार जीत मे आप भी आधे की हिस्सेदार है, ये तो पीना पड़ेगा " कय्यूम ने काया का हाथ पकड़ गिलास पर रख दिया.. एक मजबूत खुर्दरे हाथ से काया का जिस्म कांप गया.



"क्या काया जी...





. कभी कभी चलता है " आरती ने फाॅर्स किया.





अब माहौल ही ऐसा बन गया था.



काया ने एक नजर रोहित की तरफ देखा, रोहित भी उसे हि देख रहा था, शायद वो उसकी दुविधा समझ गया था..



"हिचहहम्म्म..... पी लो यार एक से क्या होता है," पेग रोहित ने ही बनाया था



काया भी क्या करती "गट... गटक.... गटाक... करती एक बार मे उसने पूरी शराब से भरी ग्लास को हलक मे उडेल लिया.



याकककक..... खो... खो.... वेक...." काया को उबकाई आ गई, गाले से एक गर्म लावा निकल पेट को गर्म करने लगा.



"ये... ये... पानी " कय्यूम ने तुरंत पानी की बोत्तल काया को थमा दी.



"क्या काया जी आराम से पिने वाली चीज है, एक दम से अंदर लोगी तो तकलीफ होंगी ही ना "



"काया को सुनाई नहीं दे रहा था, उसे दिखाई दे रहा था, सिर्फ पानी से भरी बोत्तल....



गुलप.... गुलप.... करती काया ने आधी बोत्तल डकार ली और आधी गले के रास्ते बहती ब्लाउज मे समा गई.



"उउउफ्फ्फ..... कक्क.. कैसे पी लेते है आप लोग " काया को राहत महसूस हुई अंदर से भी और बाहर से भी.



वहाँ मौजूद सभी लोगो के चेहरे पे मुस्कान आ गई, काया की हड़बड़ी देख कर.



बस कय्यूम सकते मे बैठा था क्युकी उसकी नजर काया के भीगे ब्लाउज पर टिकी थी, जो की गीली हो के स्तन से चिपक गया था.. सामने से काया ढकी हुई थी लेकिन काया कय्यूम के साइड बैठी थी.



गिले स्तन कय्यूम साफ महसूस कर सकता था.



"अब नहीं पियूँगी " काया ने कय्यूम की तरफ देख शिकायती लहजे मे कहां.



लेकिन उसकी नजर तुरंत ही उसे चुभती सी महसूस हुई, इस चुभन मे एक गर्मी थी जो काया ने भी महसूस की.



आज पहली बार काया ने हिम्मत दिखाते हुए पल्लू को खींच एक साइड कर दिया, जिस से उसका एक स्तन साफ नजर आने लगा.



ना जाने क्यों आज उसे अपने जिस्म की नुमाइश मे मजा आ रहा था.


एक दो गेम और चले.



फिर... चलो खाना खाते है यार...



सुमित ने बीच मे बोला, हालांकि भूख तो सभी को लग आई थी.



"हम लोग लगा देते है" काया और आरती उठ खड़े हुए.



"हमारा यही ले आना " रोहित ने उठने की कोशिश की लेकिन बेकार गई



"आप लोग तो नॉनवेज खायेंगे ना हिचहह्म्म... सुमित ने भी समर्थन किया.



************



कुछ ही मिनटों मे सुमित और रोहित पीछे सोफे पर ढेर पड़े थे, खाना आधा अधूरा ही पड़ा था.



रसोई के साइड डाइनिंग टेबल पर कय्यूम, काया और आरती जमे हुए थे.



"ये थोड़े कच्चे ही है " काया ने रोहित की तरफ इशारा करते हुए आरती को कहाँ.



"हो जाता है, ऐसे मौके पर"



लो जी... आ गया लाजवाब गोश्त.



कय्यूम बर्तन उठाये चला आ रहा रहा,



काया और आरती के नाथूने शानदार खुसबू से नबर गए.



"वाह... कय्यूम जी लजीज बनाया लगता है, " आरती के मुँह मे पानी आ गया.



काया का भी यही हाल था वो तो वैसे भी बरसो बाद नॉनवेज खाने वाली थी.



"लो ये जनाब तो लुढ़क लिए " कय्यूम की नजर सामने सुमित रोहित पर जा पड़ी.



सभी ने उन्हें इग्नोर किया, ध्यान खाने पर था.



कय्यूम मैन सीट पर जा बैठा, दाएं तरफ आरती और बाएँ तरफ काया बैठी थी.



अब इंतज़ार करना मुश्किल था, कय्यूम ने ढक्क्न खोल दिए.



उउफ्फ्फ... क्या खुसबू थी, कय्यूम ने तुरंत ही लेग पीस और कुछ गोश्त दोनों को परोस दिए.



"वाह कय्यूम जी पता नहीं था आप इतना अच्छा बनाते है " काया ने पहला निवाला खाते हुए कहाँ.



"कहाँ था ना ऊँगली चाटती रह जाओगी " कय्यूम ने ना जाने किस विचार से अपने हाथ की बीच वाली ऊँगली को मुँह मे चूसते हुए कहाँ.



काया सन्न सी रह गई, मोटी शोरबे मे डूबी ऊँगली, चटकारे ले के चाटी थी कय्यूम ने.



आरती ने भी तारीफ की, जवाब मे कय्यूम ने टेबल के नीचे से आरती की जांघो को सहला दिया.



"इस्स्स.... कय्यूम जी " आरती के मुँह से हलकी सिस्कारी सी निकली, आरती आज बरसो बाद जीवन मे नायपन महसूस कर रही थी, जिस्म मे कुलबुलाहत से महसूस कर रही थी.



एक इंसान को और क्या चाहिए प्यार और स्वादिष्ट भोजन.



आज सब कुछ यहाँ था.



कय्यूम के स्पर्श मे एक प्यार था, अजीब सी गर्मी थी.



आरती ने कय्यूम के हाथ को हटाने की जरा भी कोशिश नहीं की.



काया खाने मे बिजी थी, इधर कय्यूम और आरती की नजरें आपस मे मिल गई थी, आरती को कय्यूम का मर्दाना स्पर्श पसंद आ रहा था.



आरती की अमौखिक स्वस्कृति ने कय्यूम के हौसले बढ़ा दिए थे, कय्यूम का हाथ आरती की जांघो पर रेंगने लगा.



आरती के माथे पर पसीने की लेकिर साफ देखी जा सकती थी.



"लेग पीस को ऐसे खाया खाया जाता है काया जी " कय्यूम ने प्लेट से लेग पीस ले कर पूरा मुँह मे डाल सुडप कर चूस लिया सससससस.... ड़ड़ड़ड़ऊऊप्पप्प..... और फिर मुँह से निकाल काट खाया, जैसे कोई जानवर हो.



काया और आरती दोनों ये तरीका देख सन्न रह गए.



"मममम... ममममममई.... मुझसे तो नहीं होगा " काया जैसे तैसे बोल गई.



हालांकि कय्यूम की इस हरकत ने आरती का जिस्म वासना से भर दिया था, बोला काया को था लेकिन नजरें आरती पर थी.



कय्यूम ने बातो ही बातो मे आरती की साड़ी जांघो तक चढ़ा दी थी.



काया सामने ही थी फिर भी ना जाने क्यों आरती ने कोई विरोध नहीं किया, या फिर वो इस अवस्था मे थी ही नहीं.



"आप कुछ खा नहीं रही आरती जी " काया की आवाज़ से जैसे आरती सकपका गई.



"हहह... हाँ... हाँ.... खाती हूँ " आरती ने झट से लेग पीस उठा चूस किया.



"ऐसे नहीं थोड़ा और अच्छे से चूस के काटो आरती जी " कय्यूम ने आरती की जांघो को मसल दिया.



"आअह्ह्ह..... " अचानक हमले से आरती चिहूक सी गई.



काया ने सामने देख, आरती कय्यूम को चोर नजरों से देख रही थी.



काया को कुछ गड़बड़ जरूर लगी, लेकिन सब ठीक ही पाया



टेबल के नीचे आरती की हालात बुरी थी, कय्यूम के दबाव से आरती ने जाँघे फैला ली थी.


पैंटी किनारे लग गई थी, कय्यूम की उंगलियां आरती की चुत रुपी खजाने को टटोल रही थी, जैसे कय्यूम गर्माहट चेकनकर रहा हो..


आरती की चुत के भीतर ज्वालामुखी फटने की हालात मे था.


उउउफ्फ्फ.... आरती सर इधर उधर कर रही थी, हाथ से निवाला फिसल वापस प्लेट मे गिर गया था.


"कक्क.... क्या हुआ आरती " काया से आरती की हालात देखी नहीं जा रही थी.


आरती की तरफ से कोई जवाब नहीं था,

"आपको पता है काया जी, चिकन लेग पीस कैसे खाया जाता है " कय्यूम का सवाल अजीब था, तरीका अजीब था.


"कक्क... कैसे खाते है " काया की जबान लड़खड़ा गई थी, समझ आ गया था कुछ तो गड़बड़ है.


कय्यूम की उंगलियां लगातार आरती की जांघो के बीच चल रही थी, पैंटी के ऊपर से ही चुत को टटोल रही थी.


कय्यूम बहुत आगे बढ़ गया था, आरती की पूरी सहमति थी.


10 साल बाद वो मर्दाने अहसास को महसूस कर रही थी, सांसे चढ़ जा रही थू, माथे से पसीना चु रहा था,


स्तन भारी हो गए थे. कैसे और क्यों माना करती वो कय्यूम को, आरती को कोई फर्क नहीं था सामने काया बैठी है क्या सोचेगी.


बस ये जांघो के बीच जलती आग बुझनी चाहिए थी.


सामने काया हक्की बक्की उसे ही देखे जा रही रही.


कय्यूम ने प्लेट से लेग पीस उठा मुँह मे ठूस चूस लिया ससससद्धिप्प्पम... ससस......


काया सिर्फ कय्यूम को देखे जा रही थी, खाना तो कबका बंद हो गया था, दिल किसी अनहोनी की आशंका से कांप रहा था.


कय्यूम ने टेबल को धक्का दे आगे को सरका दिया.

काया और आरती के बीच से टेबल खिसकती चली गई.



काया सामने का नजारा देख हैरान रह गई, मुँह खुला का खुला रह गया, उसे इसकी उम्मीदवार कतई नहीं थी.



सामने आरती की साड़ी कमर टक चढ़ी हुई थी, मोटी मोटी चिकनी जाँघे सफ़ेद रौशनी मे चमक उठी,



जांघो के बीच गीली कच्छी बिल्कुल चुत से चिपकी पड़ी रही, जिसे कय्यूम की उंगलियां टटोल रही थी.

काया के होश फकता हो गए,

अभी काया और कुछ सोचती की, कय्यूम ने आरती की जांघो के किनारे ऊँगली डाल कच्छी को साइड कर दिया.



और दूसरे हाथ मे थामे चिकेन को... भछह्ह्ह्हहम्म्म..... फच.... च... च.... से आरती की खुली हुई जांघो के बीच दे मारा.



आआआहबह....... उउउउफ्फ्फ..... आउच....

काया और आरती दोनों एक साथ चीख पड़ी, आरती की चुत इस कद्र गीली थी की चिकन लेग पीस पूकककक....fachhhhhh.... करता आरती की चुत मे जा धसा.



आरती उत्तेजना अचानक हवस से चीख पड़ी, तो काया कय्यूम की हैवानियत देख चीख उठी.


"ऐसे भी चिकेन खाया जाता है काया जी " कय्यूम ने काया की ओर देख के कहाँ.

"उउउफ्फ्फ... कय्यूम जी आअह्ह्ह.... आउच..." कय्यूम ने लेग पीस का पिछला हिस्सा पकड़ लेग पीस को बाहर खिंचा, फिर वापस अंदर धकेल दिया.


काया के सामने सब कुछ हो रहा था, वो कभी आरती को देखती तो कभी कय्यूम को, तो कभी दर से पीछे सकते रोहित को..
काया का गला सुख गया था, किसी सपने की तरह सब कुछ अचानक से बदल गया था.


आरती तो आनंद के सातवे आसमान पे रही, उसे काया से कोई लेना देना नहीं था, आज रुकना नहीं था,


उसने जितना हो सकता था उतनी जाँघे खोल दी., गर्दन कुर्सी पर पीछे की ओर गिर गई.

धच... धच... पच.. पच.... करता कय्यूम लेग पीस चुत मे घुसेड़े जा रहा था, चुत के पानी के साथ साथ चिकेन पर लगा मसला बाहर को चु रहा था.


"देखा काया जी कैसे आरती जी चुत से लेग पीस खा रही है " कय्यूम बार बार काया को इस खेल मे शामिल कर ले रहा रहा.

काया भी कैसे इस दृश्य को इग्नोर करती, ऐसा कभी हो ही नहीं सकता था.. ये सब कुछ अनोखा था ना आज तक कभी देखा ना सुना.

काया का जिस्म भी उबलने लगा, कय्यूम का जानवर वाला रूप उसकी नाभि के नीचे गुदगुदी मचा रहा था.

"आरती जी कैसा लग रहा है ".
"इस्स्स.... कय्यूम जी अंदर.... जोर से..आअह्ह्ह... " आरती तड़प रही थी, मचल रही थी.
सारी शर्म लज्जा त्याग दी थी.
तभी कय्यूम कुर्सी से उतर घुटनो के बल जा बैठा, उसका मुँह आरती की जांघो के बीच जा धसा.

लप... लप... लापक... लपड़.... करता चुत से निकले मसाले को चाटने लगा,.

कय्यूम चुत का चाटोरा था, कभी पूरी चुत की लकीर को जीभ से सहलाता तो कभी चुत के ऊपरी हिस्से मे उभरे हुए तने को छेड़ने लगता, आरती की हालात बहुत बुरी थी,

सर इधर उधर पटक रही थी, कय्यूम के सर को अपनी चुत पर दबा रही थी, उत्तेजना की अधिकता ने आरती की सोचने समझने की शक्ति छीन ली थी.

सामने काया तो ये सब देख के पिघली जा रही थी.

कय्यूम आरती की चुत चाट रहा था लेकिन उसे लगा जैसे उसकी जांघो के बीच मुँह धसा दिया हो.

काया ने अपनी जांघो को भींच लिया, उसे वहाँ से हट जाना चाहिए था, लेकिन नहीं उसके पैरो मे जान नहीं थी वो कुर्सी पर ही जमीं रही.
जिस्म मे चीटिया रेंगने लगी.

"आअह्ह्ह... कय्यूम्म्म्म... उउउफ्फ्फ्फ़.... जोर. से " आरती के हाथ कय्यूम के सर पर जा टिके, कमर ऊपर उठ कय्यूम के मुँह मे घुसने लगी.

लगता था आज आरती पूरा उसे चुत मे डाल लेगी.

कय्यूम लपा लप आरती की चुत चाटे जा रहा था, चिकन लेग पीस चुत मे दनादन चल रहा था.
फच... फच... फच... पुछक... पिच... पुच... की आवाज़ गूंजने लगी थी.

आरती कराह रही थी, सामने काया का जिस्म गर्मी से पसीने छोड़ रहा था.

चुत कुलबुलाने लगी थी.

दिल मे जलन सी हो रही थी आरती से, कय्यूम की छुवन उसका लंड काया के सामने तेरने लगा.

ना जाने क्यों कय्यूम का काला मोटा लंड देखने की उसकी इच्छा होने लगी, लेकिन कय्यूम आरती की चुत चाटने मे बिजी था.

काया को याद आया बाबू ने बताया था लड़के चुत चाटते है.

लेकिन आज वो खुद लाइव देख रही थी.



आअह्ह्ह.... इस्स्स.... क्क्युयुम....... इस्स्स... आउच.. उउफ्फ्फ...



मेरा आने वाला है उउउफड़...



आरती गांड उठा उठा के कुर्सी पर पटकने लगी, कय्यूम के सर को चुत मे घुसेड़ने लगी, चुत का छल्ला लेग पीस पर जकड़ने लगा.



आआहहहह.... कय्यूम... जी फाचक.... फच... पिच... फचाकककक..... से आरती की चुत ने पानी की बौछार छोड़ दी.



बौछार इतनी तेज़ थी की, लेग पीस झटके से बाहर फिकता हुआ चला गया, कय्यूम के चेहरा पूरा चुत रस से सन गया.



10 सालो बाद वो इस कद्र झाड़ी थी,

फच... पिच... पिच... करती चुत बहे जा रही थी.

सामने काया को काटो तो खून नहीं, उसकी चुत से भी पानी छूटने को तैयार था, काया ने जा जांघो के बीच हाथ डाल अपनी चुत को जबरजस्त तरीके से भींच लिया.

उउउफ्फ्फ.... उईस्स्स...... काया के मुँह से सिस्कारी फुट पड़ी.


उसने जैसे तैसे खुद की चुत को बहने से रोक लिया था.

समाने आरती हांफ रही थी, जिस्म ढीला पढ़ गया था, जाँघे पूरी तरह से फैली हुई थी,

गीली चिकनी चुत साफ चमक रही थी.

हमफ़्फ़्फ़... हमफ़्फ़्फ़....

"देखा काया जी ऐसे खाते है लेग पीस "

काया कुछ ना बोली उसकी आँखों मे सुलगते अँगारे थे, उसकी नजर कय्यूम की लुंगी मे बने उभार पर थी


उसकी कमजोरी मर्दाना अंग देखना फिर से उजागर होने लगी थी.

तो क्या कय्यूम यही रुकेगा?

काया भी शामिल होंगी इस खेल मे?

देखते है बने रहिये...
 
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malikarman

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काया की माया, अपडेट -21





कय्यूम मे घर पार्टी अपने शबाब पर थी. रोहित सुमित हलक तक दारू पी चुके थे, मस्ती मे झूम रहे थे.

इस दौरान एक बार फिर से कय्यूम भी जीता.

"लो कय्यूम भाई हिचहम... अब आपकी बारी, रोहित ने गिलास भर दिया.

कय्यूम ने बिना हिचके गिलास उठा लिया, और पास बैठी काया की तरफ बड़ा दिया.

"न्नन्न... ना.... बाबा मै नहीं पीती " काया ने साफ मना कर दिया.

"क्यों नहीं मेरी हार जीत मे आप भी आधे की हिस्सेदार है, ये तो पीना पड़ेगा " कय्यूम ने काया का हाथ पकड़ गिलास पर रख दिया.. एक मजबूत खुर्दरे हाथ से काया का जिस्म कांप गया.

"क्या काया जी...


. कभी कभी चलता है " आरती ने फाॅर्स किया.


अब माहौल ही ऐसा बन गया था.

काया ने एक नजर रोहित की तरफ देखा, रोहित भी उसे हि देख रहा था, शायद वो उसकी दुविधा समझ गया था..

"हिचहहम्म्म..... पी लो यार एक से क्या होता है," पेग रोहित ने ही बनाया था

काया भी क्या करती "गट... गटक.... गटाक... करती एक बार मे उसने पूरी शराब से भरी ग्लास को हलक मे उडेल लिया.

याकककक..... खो... खो.... वेक...." काया को उबकाई आ गई, गाले से एक गर्म लावा निकल पेट को गर्म करने लगा.

"ये... ये... पानी " कय्यूम ने तुरंत पानी की बोत्तल काया को थमा दी.

"क्या काया जी आराम से पिने वाली चीज है, एक दम से अंदर लोगी तो तकलीफ होंगी ही ना "

"काया को सुनाई नहीं दे रहा था, उसे दिखाई दे रहा था, सिर्फ पानी से भरी बोत्तल....

गुलप.... गुलप.... करती काया ने आधी बोत्तल डकार ली और आधी गले के रास्ते बहती ब्लाउज मे समा गई.

"उउउफ्फ्फ..... कक्क.. कैसे पी लेते है आप लोग " काया को राहत महसूस हुई अंदर से भी और बाहर से भी.

वहाँ मौजूद सभी लोगो के चेहरे पे मुस्कान आ गई, काया की हड़बड़ी देख कर.

बस कय्यूम सकते मे बैठा था क्युकी उसकी नजर काया के भीगे ब्लाउज पर टिकी थी, जो की गीली हो के स्तन से चिपक गया था.. सामने से काया ढकी हुई थी लेकिन काया कय्यूम के साइड बैठी थी.

गिले स्तन कय्यूम साफ महसूस कर सकता था.

"अब नहीं पियूँगी " काया ने कय्यूम की तरफ देख शिकायती लहजे मे कहां.

लेकिन उसकी नजर तुरंत ही उसे चुभती सी महसूस हुई, इस चुभन मे एक गर्मी थी जो काया ने भी महसूस की.

आज पहली बार काया ने हिम्मत दिखाते हुए पल्लू को खींच एक साइड कर दिया, जिस से उसका एक स्तन साफ नजर आने लगा.

ना जाने क्यों आज उसे अपने जिस्म की नुमाइश मे मजा आ रहा था. e2c24bf47fa37aa4973f5428bcd118ef

एक दो गेम और चले.

फिर... चलो खाना खाते है यार...

सुमित ने बीच मे बोला, हालांकि भूख तो सभी को लग आई थी.

"हम लोग लगा देते है" काया और आरती उठ खड़े हुए.

"हमारा यही ले आना " रोहित ने उठने की कोशिश की लेकिन बेकार गई

"आप लोग तो नॉनवेज खायेंगे ना हिचहह्म्म... सुमित ने भी समर्थन किया.

************

कुछ ही मिनटों मे सुमित और रोहित पीछे सोफे पर ढेर पड़े थे, खाना आधा अधूरा ही पड़ा था.

रसोई के साइड डाइनिंग टेबल पर कय्यूम, काया और आरती जमे हुए थे.

"ये थोड़े कच्चे ही है " काया ने रोहित की तरफ इशारा करते हुए आरती को कहाँ.

"हो जाता है, ऐसे मौके पर"

लो जी... आ गया लाजवाब गोश्त.

कय्यूम बर्तन उठाये चला आ रहा रहा,

काया और आरती के नाथूने शानदार खुसबू से नबर गए.

"वाह... कय्यूम जी लजीज बनाया लगता है, " आरती के मुँह मे पानी आ गया.

काया का भी यही हाल था वो तो वैसे भी बरसो बाद नॉनवेज खाने वाली थी.

"लो ये जनाब तो लुढ़क लिए " कय्यूम की नजर सामने सुमित रोहित पर जा पड़ी.

सभी ने उन्हें इग्नोर किया, ध्यान खाने पर था.

कय्यूम मैन सीट पर जा बैठा, दाएं तरफ आरती और बाएँ तरफ काया बैठी थी.

अब इंतज़ार करना मुश्किल था, कय्यूम ने ढक्क्न खोल दिए.

उउफ्फ्फ... क्या खुसबू थी, कय्यूम ने तुरंत ही लेग पीस और कुछ गोश्त दोनों को परोस दिए.

"वाह कय्यूम जी पता नहीं था आप इतना अच्छा बनाते है " काया ने पहला निवाला खाते हुए कहाँ.

"कहाँ था ना ऊँगली चाटती रह जाओगी " कय्यूम ने ना जाने किस विचार से अपने हाथ की बीच वाली ऊँगली को मुँह मे चूसते हुए कहाँ.

काया सन्न सी रह गई, मोटी शोरबे मे डूबी ऊँगली, चटकारे ले के चाटी थी कय्यूम ने.

आरती ने भी तारीफ की, जवाब मे कय्यूम ने टेबल के नीचे से आरती की जांघो को सहला दिया.37549

"इस्स्स.... कय्यूम जी " आरती के मुँह से हलकी सिस्कारी सी निकली, आरती आज बरसो बाद जीवन मे नायपन महसूस कर रही थी, जिस्म मे कुलबुलाहत से महसूस कर रही थी.

एक इंसान को और क्या चाहिए प्यार और स्वादिष्ट भोजन.

आज सब कुछ यहाँ था.

कय्यूम के स्पर्श मे एक प्यार था, अजीब सी गर्मी थी.

आरती ने कय्यूम के हाथ को हटाने की जरा भी कोशिश नहीं की.

काया खाने मे बिजी थी, इधर कय्यूम और आरती की नजरें आपस मे मिल गई थी, आरती को कय्यूम का मर्दाना स्पर्श पसंद आ रहा था.

आरती की अमौखिक स्वस्कृति ने कय्यूम के हौसले बढ़ा दिए थे, कय्यूम का हाथ आरती की जांघो पर रेंगने लगा.

आरती के माथे पर पसीने की लेकिर साफ देखी जा सकती थी.

"लेग पीस को ऐसे खाया खाया जाता है काया जी " कय्यूम ने प्लेट से लेग पीस ले कर पूरा मुँह मे डाल सुडप कर चूस लिया सससससस.... ड़ड़ड़ड़ऊऊप्पप्प..... और फिर मुँह से निकाल काट खाया, जैसे कोई जानवर हो.

काया और आरती दोनों ये तरीका देख सन्न रह गए.

"मममम... ममममममई.... मुझसे तो नहीं होगा " काया जैसे तैसे बोल गई.

हालांकि कय्यूम की इस हरकत ने आरती का जिस्म वासना से भर दिया था, बोला काया को था लेकिन नजरें आरती पर थी.

कय्यूम ने बातो ही बातो मे आरती की साड़ी जांघो तक चढ़ा दी थी.

काया सामने ही थी फिर भी ना जाने क्यों आरती ने कोई विरोध नहीं किया, या फिर वो इस अवस्था मे थी ही नहीं.

"आप कुछ खा नहीं रही आरती जी " काया की आवाज़ से जैसे आरती सकपका गई.

"हहह... हाँ... हाँ.... खाती हूँ " आरती ने झट से लेग पीस उठा चूस किया.

"ऐसे नहीं थोड़ा और अच्छे से चूस के काटो आरती जी " कय्यूम ने आरती की जांघो को मसल दिया.

"आअह्ह्ह..... " अचानक हमले से आरती चिहूक सी गई.

काया ने सामने देख, आरती कय्यूम को चोर नजरों से देख रही थी.

काया को कुछ गड़बड़ जरूर लगी, लेकिन सब ठीक ही पाया

टेबल के नीचे आरती की हालात बुरी थी, कय्यूम के दबाव से आरती ने जाँघे फैला ली थी.tumblr-nq68mn6tcp1tpeblqo3-500



पैंटी किनारे लग गई थी, कय्यूम की उंगलियां आरती की चुत रुपी खजाने को टटोल रही थी, जैसे कय्यूम गर्माहट चेकनकर रहा हो..

आरती की चुत के भीतर ज्वालामुखी फटने की हालात मे था.

उउउफ्फ्फ.... आरती सर इधर उधर कर रही थी, हाथ से निवाला फिसल वापस प्लेट मे गिर गया था.

"कक्क.... क्या हुआ आरती " काया से आरती की हालात देखी नहीं जा रही थी.

आरती की तरफ से कोई जवाब नहीं था,

"आपको पता है काया जी, चिकन लेग पीस कैसे खाया जाता है " कय्यूम का सवाल अजीब था, तरीका अजीब था.

"कक्क... कैसे खाते है " काया की जबान लड़खड़ा गई थी, समझ आ गया था कुछ तो गड़बड़ है.

कय्यूम की उंगलियां लगातार आरती की जांघो के बीच चल रही थी, पैंटी के ऊपर से ही चुत को टटोल रही थी.

कय्यूम बहुत आगे बढ़ गया था, आरती की पूरी सहमति थी.

10 साल बाद वो मर्दाने अहसास को महसूस कर रही थी, सांसे चढ़ जा रही थू, माथे से पसीना चु रहा था,

स्तन भारी हो गए थे. कैसे और क्यों माना करती वो कय्यूम को, आरती को कोई फर्क नहीं था सामने काया बैठी है क्या सोचेगी.

बस ये जांघो के बीच जलती आग बुझनी चाहिए थी.

सामने काया हक्की बक्की उसे ही देखे जा रही रही.

कय्यूम ने प्लेट से लेग पीस उठा मुँह मे ठूस चूस लिया ससससद्धिप्प्पम... ससस......

काया सिर्फ कय्यूम को देखे जा रही थी, खाना तो कबका बंद हो गया था, दिल किसी अनहोनी की आशंका से कांप रहा था.

कय्यूम ने टेबल को धक्का दे आगे को सरका दिया.

काया और आरती के बीच से टेबल खिसकती चली गई.

काया सामने का नजारा देख हैरान रह गई, मुँह खुला का खुला रह गया, उसे इसकी उम्मीदवार कतई नहीं थी.

सामने आरती की साड़ी कमर टक चढ़ी हुई थी, मोटी मोटी चिकनी जाँघे सफ़ेद रौशनी मे चमक उठी,

जांघो के बीच गीली कच्छी बिल्कुल चुत से चिपकी पड़ी रही, जिसे कय्यूम की उंगलियां टटोल रही थी.

काया के होश फकता हो गए, shocked-keerthysuresh



अभी काया और कुछ सोचती की, कय्यूम ने आरती की जांघो के किनारे ऊँगली डाल कच्छी को साइड कर दिया.

और दूसरे हाथ मे थामे चिकेन को... भछह्ह्ह्हहम्म्म..... फच.... च... च.... से आरती की खुली हुई जांघो के बीच दे मारा.

आआआहबह....... उउउउफ्फ्फ..... आउच.....20230411-110733

काया और आरती दोनों एक साथ चीख पड़ी, आरती की चुत इस कद्र गीली थी की चिकन लेग पीस पूकककक....fachhhhhh.... करता आरती की चुत मे जा धसा.

आरती उत्तेजना अचानक हवस से चीख पड़ी, तो काया कय्यूम की हैवानियत देख चीख उठी.

"ऐसे भी चिकेन खाया जाता है काया जी " कय्यूम ने काया की ओर देख के कहाँ.

"उउउफ्फ्फ... कय्यूम जी आअह्ह्ह.... आउच..." कय्यूम ने लेग पीस का पिछला हिस्सा पकड़ लेग पीस को बाहर खिंचा, फिर वापस अंदर धकेल दिया.

काया के सामने सब कुछ हो रहा था, वो कभी आरती को देखती तो कभी कय्यूम को, तो कभी दर से पीछे सकते रोहित को..

काया का गला सुख गया था, किसी सपने की तरह सब कुछ अचानक से बदल गया था.

आरती तो आनंद के सातवे आसमान पे रही, उसे काया से कोई लेना देना नहीं था, आज रुकना नहीं था,

उसने जितना हो सकता था उतनी जाँघे खोल दी., गर्दन कुर्सी पर पीछे की ओर गिर गई.

धच... धच... पच.. पच.... करता कय्यूम लेग पीस चुत मे घुसेड़े जा रहा था, चुत के पानी के साथ साथ चिकेन पर लगा मसला बाहर को चु रहा था.

"देखा काया जी कैसे आरती जी चुत से लेग पीस खा रही है " कय्यूम बार बार काया को इस खेल मे शामिल कर ले रहा रहा.

काया भी कैसे इस दृश्य को इग्नोर करती, ऐसा कभी हो ही नहीं सकता था.. ये सब कुछ अनोखा था ना आज तक कभी देखा ना सुना.

काया का जिस्म भी उबलने लगा, कय्यूम का जानवर वाला रूप उसकी नाभि के नीचे गुदगुदी मचा रहा था.

"आरती जी कैसा लग रहा है ".

"इस्स्स.... कय्यूम जी अंदर.... जोर से..आअह्ह्ह... " आरती तड़प रही थी, मचल रही थी.

सारी शर्म लज्जा त्याग दी थी.

तभी कय्यूम कुर्सी से उतर घुटनो के बल जा बैठा, उसका मुँह आरती की जांघो के बीच जा धसा.

लप... लप... लापक... लपड़.... करता चुत से निकले मसाले को चाटने लगा,.nude-licking-clit-gif-4.

कय्यूम चुत का चाटोरा था, कभी पूरी चुत की लकीर को जीभ से सहलाता तो कभी चुत के ऊपरी हिस्से मे उभरे हुए तने को छेड़ने लगता, आरती की हालात बहुत बुरी थी,

सर इधर उधर पटक रही थी, कय्यूम के सर को अपनी चुत पर दबा रही थी, उत्तेजना की अधिकता ने आरती की सोचने समझने की शक्ति छीन ली थी.

सामने काया तो ये सब देख के पिघली जा रही थी.

कय्यूम आरती की चुत चाट रहा था लेकिन उसे लगा जैसे उसकी जांघो के बीच मुँह धसा दिया हो.

काया ने अपनी जांघो को भींच लिया, उसे वहाँ से हट जाना चाहिए था, लेकिन नहीं उसके पैरो मे जान नहीं थी वो कुर्सी पर ही जमीं रही.

जिस्म मे चीटिया रेंगने लगी.

"आअह्ह्ह... कय्यूम्म्म्म... उउउफ्फ्फ्फ़.... जोर. से " आरती के हाथ कय्यूम के सर पर जा टिके, कमर ऊपर उठ कय्यूम के मुँह मे घुसने लगी.

लगता था आज आरती पूरा उसे चुत मे डाल लेगी.



कय्यूम लपा लप आरती की चुत चाटे जा रहा था, चिकन लेग पीस चुत मे दनादन चल रहा था.

फच... फच... फच... पुछक... पिच... पुच... की आवाज़ गूंजने लगी थी.

आरती कराह रही थी, सामने काया का जिस्म गर्मी से पसीने छोड़ रहा था.

चुत कुलबुलाने लगी थी.

दिल मे जलन सी हो रही थी आरती से, कय्यूम की छुवन उसका लंड काया के सामने तेरने लगा.

ना जाने क्यों कय्यूम का काला मोटा लंड देखने की उसकी इच्छा होने लगी, लेकिन कय्यूम आरती की चुत चाटने मे बिजी था.

काया को याद आया बाबू ने बताया था लड़के चुत चाटते है.

लेकिन आज वो खुद लाइव देख रही थी.

आअह्ह्ह.... इस्स्स.... क्क्युयुम....... इस्स्स... आउच.. उउफ्फ्फ...

मेरा आने वाला है उउउफड़...

आरती गांड उठा उठा के कुर्सी पर पटकने लगी, कय्यूम के सर को चुत मे घुसेड़ने लगी, चुत का छल्ला लेग पीस पर जकड़ने लगा.

आआहहहह.... कय्यूम... जी फाचक.... फच... पिच... फचाकककक..... से आरती की चुत ने पानी की बौछार छोड़ दी.

बौछार इतनी तेज़ थी की, लेग पीस झटके से बाहर फिकता हुआ चला गया, कय्यूम के चेहरा पूरा चुत रस से सन गया.

10 सालो बाद वो इस कद्र झाड़ी थी,22036497

फच... पिच... पिच... करती चुत बहे जा रही थी.

सामने काया को काटो तो खून नहीं, उसकी चुत से भी पानी छूटने को तैयार था, काया ने जा जांघो के बीच हाथ डाल अपनी चुत को जबरजस्त तरीके से भींच लिया.

उउउफ्फ्फ.... उईस्स्स...... काया के मुँह से सिस्कारी फुट पड़ी.

उसने जैसे तैसे खुद की चुत को बहने से रोक लिया था.20211209-115854

समाने आरती हांफ रही थी, जिस्म ढीला पढ़ गया था, जाँघे पूरी तरह से फैली हुई थी,

गीली चिकनी चुत साफ चमक रही थी.20210804-213151

हमफ़्फ़्फ़... हमफ़्फ़्फ़....

"देखा काया जी ऐसे खाते है लेग पीस "

काया कुछ ना बोली उसकी आँखों मे सुलगते अँगारे थे, उसकी नजर कय्यूम की लुंगी मे बने उभार पर थी.

उसकी कमजोरी मर्दाना अंग देखना फिर से उजागर होने लगी थी.

तो क्या कय्यूम यही रुकेगा?

काया भी शामिल होंगी इस खेल मे?

देखते है बने रहिये....
Awesome update
 
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