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अध्याय १
नमस्कार दोस्तो। मेरा नाम सविता हैं। मैं ४५ वर्ष की महिला हूं। हम लोग राजस्थान के एक छोटे से गांव में रहते हैं। मेरा जन्म एक बहुत ही साधारण से परिवार में हुआ। १७ बसंत निकलते मेरे रूप यौवन में गजब का निखार आ गया। जिसको देख मेरे बापू ने मेरे लिए लड़का ढूंढना शुरू कर दिया। और १८ बसंत निकलते ही मेरा विवाह दूर गांव के एक जमींदार के बेटे के साथ करवा दिया। सुशांत सिंह मेरे पति का नाम जो बहुत ही सीधे आदमी हैं, ना उनको कोई लोभ ना ही कोई मोह। पर मेरे देवर रंजीत सिंह एक बहुत ही गिरे हुए इंसान हैं। उनकी आंखों से वासना टपकती रहती और वो हर औरत को अपने नीचे लाने का सोचते। अपनी बीवी के होते हुए न जाने उनकी कितनी ही महिलाओं से संबंध थे। पर एक बार जो उनके नीचे आ गई वो हमेशा उनके नीचे आने को त्यार रहती। पर मेरी देवरानी (नंदिनी) हमेशा उनके प्यार को तरसती रहती।
इसी बीच मेरे ससुर ठाकुर शमशेर सिंह को कमर से नीचे हिस्से में फालिश मार गया और वो बिस्तर पर हो गए। उन्होंने ये एलान कर दिया जो भी उनका वंश आगे बढ़ाएगा वो ही सारी प्रॉपर्टी का मालिक होगा। ऐसे करते ही ६ साल निकल गए और मुझे ४ चांद सी बेटियां हुई और नंदिनी को ३ बेटियां पर किसी को बेटा नहीं हुआ। मुझे भी हल्का सा लालच आ गया था की किसी तरह मैं ठकुराइन बन जाऊ पर मेरे पति सुशांत को कोई फरक नही पढ़ रहा था। वो भले और उनकी दुनिया। इसी बीच मेरी भाभी कुछ दिन के लिए आई और मेरी समस्या उनको भी पता लगी तो उन्होंने मुझे इसका समाधान एक तांत्रिक बताया। मैं भी लालच में आ गई और उनके साथ इस तांत्रिक से मिलने गई।
तांत्रिक ने मेरी समस्या सुनी और मुझसे बोला: तेरी समस्या का निधान मैं कर दूंगा लेकिन तू मुझे क्या देगी।
मैं: जो भी मांगो बाबा रुपया पैसा हीरे मोती मैं सब दूंगी।
तांत्रिक: ये सब का मुझे कोई मोह नहीं हैं बस एक वचन दे तू कभी इस बालक को कुछ भी करने से नहीं रोकेगी क्युकी ये बालक जो तेरे गर्भ से इस धरती पर आएगा वो शैतान की संतान होगी और तेरे रोकने पर उसका विकास पूर्ण रूप से रूक जाएगा और तेरे परिवार का सर्वनाश होगा। बोल मंजूर हैं।
मैं: मुझे मंजूर हैं बाबा।
तांत्रिक ने मेरी उंगली को काट कर खून निकाला और हवन कुंड की अग्नि में समर्पित कर दिया और बोला अब तू इस वचन से बाध्य हैं और चाह कर भी पीछे नहीं हट सकती। और अब इस का परिणाम भी तुझे बता दू। तेरे गर्भ धारण करते ही तेरा पति हमेशा के लिए नुपांसक हो जायेगा। तू इस बालक की माता भी होगी और बीवी भी। तू आगे चल कर इस बालक से सात पुत्रों को जन्म देगी। तेरे परिवार में और भी बहुत कुछ होगा जो अभी मैं तुझको नही बता सकता क्योंकि मेरे स्वामी शैतान अभी मना कर रहे हैं। आज से तू भी शैतान की उपासक हैं और हर अमावस्या को व्रत रखेंगी और रात को मांस और मदिरा के सेवन से इस व्रत को खोलेगी। फिर उस तांत्रिक ने मुझे एक शीशी दी और कहा कि इसे अपने पति को आज रात मदिरा में मिलाके पीला देना और संभोग आज रात जरूर करना और आज के बाद कभी भी मेरे पास मत आना।
मैं लालच में आंधी हो गई थी और इस का परिणाम न समझ सकी। शुरू मैं तो मुझे अपने आप से घिन आती थी पर अब मैं सोचती हूं की मुझे इस से अच्छा वरदान नही मिल सकता। खैर छोड़ो कहानी पर वापस चलते हैं। जैसा तांत्रिक ने कहा मैंने वैसे ही किया। पूरे एक महीने बाद मैने गर्भ धारण किया और जैसा तांत्रिक ने बोला था वैसे ही हुआ। गर्भ धारण करते ही मेरे पति का लिंग शिथिल हो गया पर और भी कुछ हुआ।
पति के साथ साथ मेरे देवर और नंदोई दोनो नुपानसक हो गए। ये बात मुझे मेरी देवरानी और ननद ने बताई क्युकी औरतों मैं अक्सर ऐसे बाते होती हैं। मैं बहुत अचंभे में थी कई बार मन किया की में तांत्रिक के पास जाऊ पर नहीं गई क्युकी उसने मुझे मना किया था।
पर मेरी ये कुरबानी भी बेकार गई। सातवे महीने में ही देवर ने नंदोई के साथ मिलके सारी प्रॉपर्टी अपने नाम करा ली। पर ससुर जी ने हमारे नाम एक फॉर्महाउस और १०० बीघा खेत छोड़ दिए। मेरे पति संतुष्ट थे। उन्हे कोई फरक नही पड़ा। मेरी डिलीवरी से पहले ही ससुर जी स्वर्ग सिधार गए। सासु मां तो पहले ही जा चुकी थी।
९ महीने मैं मैने एक लड़के को जन्म दिया जो की भूजुंग काला था। लड़का बड़ा होने लगा और स्कूल जाने लगा सब जमींदार का लड़का हैं इसलिए कोई उसको मुंह पे कुछ नही बोलता था पर सब पीठ पीछे उसे बोलते थे " काला नाग"।