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Incest काला नाग

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अध्याय १



नमस्कार दोस्तो। मेरा नाम सविता हैं। मैं ४५ वर्ष की महिला हूं। हम लोग राजस्थान के एक छोटे से गांव में रहते हैं। मेरा जन्म एक बहुत ही साधारण से परिवार में हुआ। १७ बसंत निकलते मेरे रूप यौवन में गजब का निखार आ गया। जिसको देख मेरे बापू ने मेरे लिए लड़का ढूंढना शुरू कर दिया। और १८ बसंत निकलते ही मेरा विवाह दूर गांव के एक जमींदार के बेटे के साथ करवा दिया। सुशांत सिंह मेरे पति का नाम जो बहुत ही सीधे आदमी हैं, ना उनको कोई लोभ ना ही कोई मोह। पर मेरे देवर रंजीत सिंह एक बहुत ही गिरे हुए इंसान हैं। उनकी आंखों से वासना टपकती रहती और वो हर औरत को अपने नीचे लाने का सोचते। अपनी बीवी के होते हुए न जाने उनकी कितनी ही महिलाओं से संबंध थे। पर एक बार जो उनके नीचे आ गई वो हमेशा उनके नीचे आने को त्यार रहती। पर मेरी देवरानी (नंदिनी) हमेशा उनके प्यार को तरसती रहती।

इसी बीच मेरे ससुर ठाकुर शमशेर सिंह को कमर से नीचे हिस्से में फालिश मार गया और वो बिस्तर पर हो गए। उन्होंने ये एलान कर दिया जो भी उनका वंश आगे बढ़ाएगा वो ही सारी प्रॉपर्टी का मालिक होगा। ऐसे करते ही ६ साल निकल गए और मुझे ४ चांद सी बेटियां हुई और नंदिनी को ३ बेटियां पर किसी को बेटा नहीं हुआ। मुझे भी हल्का सा लालच आ गया था की किसी तरह मैं ठकुराइन बन जाऊ पर मेरे पति सुशांत को कोई फरक नही पढ़ रहा था। वो भले और उनकी दुनिया। इसी बीच मेरी भाभी कुछ दिन के लिए आई और मेरी समस्या उनको भी पता लगी तो उन्होंने मुझे इसका समाधान एक तांत्रिक बताया। मैं भी लालच में आ गई और उनके साथ इस तांत्रिक से मिलने गई।


तांत्रिक ने मेरी समस्या सुनी और मुझसे बोला: तेरी समस्या का निधान मैं कर दूंगा लेकिन तू मुझे क्या देगी।

मैं: जो भी मांगो बाबा रुपया पैसा हीरे मोती मैं सब दूंगी।

तांत्रिक: ये सब का मुझे कोई मोह नहीं हैं बस एक वचन दे तू कभी इस बालक को कुछ भी करने से नहीं रोकेगी क्युकी ये बालक जो तेरे गर्भ से इस धरती पर आएगा वो शैतान की संतान होगी और तेरे रोकने पर उसका विकास पूर्ण रूप से रूक जाएगा और तेरे परिवार का सर्वनाश होगा। बोल मंजूर हैं।

मैं: मुझे मंजूर हैं बाबा।

तांत्रिक ने मेरी उंगली को काट कर खून निकाला और हवन कुंड की अग्नि में समर्पित कर दिया और बोला अब तू इस वचन से बाध्य हैं और चाह कर भी पीछे नहीं हट सकती। और अब इस का परिणाम भी तुझे बता दू। तेरे गर्भ धारण करते ही तेरा पति हमेशा के लिए नुपांसक हो जायेगा। तू इस बालक की माता भी होगी और बीवी भी। तू आगे चल कर इस बालक से सात पुत्रों को जन्म देगी। तेरे परिवार में और भी बहुत कुछ होगा जो अभी मैं तुझको नही बता सकता क्योंकि मेरे स्वामी शैतान अभी मना कर रहे हैं। आज से तू भी शैतान की उपासक हैं और हर अमावस्या को व्रत रखेंगी और रात को मांस और मदिरा के सेवन से इस व्रत को खोलेगी। फिर उस तांत्रिक ने मुझे एक शीशी दी और कहा कि इसे अपने पति को आज रात मदिरा में मिलाके पीला देना और संभोग आज रात जरूर करना और आज के बाद कभी भी मेरे पास मत आना।

मैं लालच में आंधी हो गई थी और इस का परिणाम न समझ सकी। शुरू मैं तो मुझे अपने आप से घिन आती थी पर अब मैं सोचती हूं की मुझे इस से अच्छा वरदान नही मिल सकता। खैर छोड़ो कहानी पर वापस चलते हैं। जैसा तांत्रिक ने कहा मैंने वैसे ही किया। पूरे एक महीने बाद मैने गर्भ धारण किया और जैसा तांत्रिक ने बोला था वैसे ही हुआ। गर्भ धारण करते ही मेरे पति का लिंग शिथिल हो गया पर और भी कुछ हुआ।

पति के साथ साथ मेरे देवर और नंदोई दोनो नुपानसक हो गए। ये बात मुझे मेरी देवरानी और ननद ने बताई क्युकी औरतों मैं अक्सर ऐसे बाते होती हैं। मैं बहुत अचंभे में थी कई बार मन किया की में तांत्रिक के पास जाऊ पर नहीं गई क्युकी उसने मुझे मना किया था।

पर मेरी ये कुरबानी भी बेकार गई। सातवे महीने में ही देवर ने नंदोई के साथ मिलके सारी प्रॉपर्टी अपने नाम करा ली। पर ससुर जी ने हमारे नाम एक फॉर्महाउस और १०० बीघा खेत छोड़ दिए। मेरे पति संतुष्ट थे। उन्हे कोई फरक नही पड़ा। मेरी डिलीवरी से पहले ही ससुर जी स्वर्ग सिधार गए। सासु मां तो पहले ही जा चुकी थी।


९ महीने मैं मैने एक लड़के को जन्म दिया जो की भूजुंग काला था। लड़का बड़ा होने लगा और स्कूल जाने लगा सब जमींदार का लड़का हैं इसलिए कोई उसको मुंह पे कुछ नही बोलता था पर सब पीठ पीछे उसे बोलते थे " काला नाग"।
Nayi kahani ki bhadhaai🌹🌹🌹. Kahani toh mast lag rahi hai. Puri jaroor karna aur update regularly dete rehna rehna.
 

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अध्याय २


अब मैं कुछ मुख्य किरदारों का आपसे परिचय करवा दू:

१. मैं यानी सविता, आपकी लेखिका और सबसे मुख्य पात्र इस कहानी का। अब खुद की तारीफ मैं क्या करू। एक दम सांचे में ढाला हुआ जिस्म हैं मेरा। सबसे दिलक्कश हैं मेरे वक्ष या मेरी चूचियां जो की एक दम सीना तान खड़ी हैं। मेरे नितंब या मेरी गांड़ एक दम भरी हुई और गोल हैं। केले के तने समान चिकनी और सुडौल झांगे जो मेरे खजाने यानी की मेरी चूंत को और हसीन बनाती हैं। मेरे काले नाग से पूछो तो वो कहेगा की में उसकी अप्सरा हूं जिससे वो हर समय अपने लन्ड पर बिठाए रखना चाहता हैं।

२. सुशांत सिंह मेरे पति। इनका कुछ ज्यादा रोल नहीं हैं बस ये एक नेक और अच्छे इंसान हैं। हर चीज से बहुत जल्दी संतुष्ट हो जाते हैं। ज्यादा मन मुटाव किसी से रखते नही।

३. अंजली सिंह मेरी बड़ी बेटी उम्र २६ वर्ष

४. अंजनी सिंह मेरी दूसरी बेटी उम्र २५ वर्ष

५. अवनी सिंह मेरी तीसरी बेटी उम्र २३ वर्ष

६. अदिति सिंह मेरी चौथी बेटी उम्र २२ वर्ष

इनमे से किसी का भी फिगर या खूबसूरती का विवरण मैने नही किया हैं क्युकी मेरी बेटियां एक से बढ़कर एक। सब इतनी सुंदर हैं की आस पास के गांव तक इनके रूप यौवन के चर्चे हैं। घर में रहकर अपनी प्राइवेट से पढ़ाई पूरी कर रही हैं। अभी तक किसी की भी शादी नही हुई क्यू नही हुई ये नही पता। पर आगे पता पड़ जायेगा।

७ अंतिम और आखिरी किरदार हैं हमारा काला नाग यानी की मेरा बेटा, पति या फिर कही खुद शाक्षत शैतान अथर्व। जानते हैं इस को काला नाग क्यू बुलाते हैं। काला तो ये हैं किसी नीग्रो की तरह इस लिए काला और नाग आता हैं इसके बिल में से जो बहुत ही भयानक, खतरनाक और ताकतवर हैं। जी हैं में इसके लोड़े की ही बात कर रही हूं। १२ इंच लंबा और ४ इंच मोटा हैं इसका लोड़ा। एक बार घुस जाए तो छटी का दूध याद दिला देता हैं। इसकी बात ज्यादा नहीं करते क्युकी जितना मैं इसके लन्ड के बारे में बात करूंगी उतनी ही मेरी चूत चुदासी हो जाऊंगी और मैं ज्यादा कुछ अभी कर भी नहीं सकती क्युकी मेरा नौवा महीना चल रहा हैं। अथर्व अभी कुछ २१ साल का हैं। उसकी हाइट पूरे ६ फीट हैं और शरीर एक दम कसा हुआ और ठोस। एक एक घंटे तक मुझे गोद में उठाकर पेलता रहता हैं।

बाकी के किरदार जब आएंगे तब उनका परिचय भी करवा दूंगी फिलहाल इस भाग में कहानी इन्ही किरदारों के आस पास घूमेगी। चलिए चलते हैं आगे की कहानी की और।

मेरे ससुर जी के स्वर्गवास होते ही रंजीत यानी मेरा देवर ने हमे हवेली से निकलकर फॉर्महाउस में रहने के लिए बोल दिया। मेरे अहिंसा वादी पति देव ने बिना किसी बहस के वहा से पलायन करने का निर्णय ले लिया और अब हम अपने नए घर आ गए। घर तो बुरा नही था छोटा भी नही था पर कहा वो हवेली और कहा ये फॉर्महाउस। मेरे मन में कसक बहुत थी और कही न कही आक्रोश भी।

तय समय पर मैंने अथर्व को जन्म दिया और दाई ने हो मुझे बताया कि इतना बड़ा हतियार उसने आजतक किसी भी बालक का नही देखा हैं। नवजात शिशु का लिंग किसी ने २ इंच का देखा है क्या। पर वही से उसका नाम काला नाग पढ़ गया। मेरे पति तो नुपांसक हो गए थे पर अथर्व के जन्म के बाद मुझे रोज चरमसुख की प्राप्ति होने लगी। जब भी स्तनपान करता न जाने क्यों मैं झड़ जाती। लेकिन अथर्व के जन्म के बाद मेरे रूप यौवन में और निखार आने लगा। मुझे ऐसा प्रतीत होता की जैसे मैं फिर जवान हो रही हूं। मेरे वक्ष जो थोड़े लटक गए थे एक दम सुडौल और तन गए। मेरे अंदर स्फूर्ति आ गई और मैं हद से ज्यादा चुदासी रहने लगी। हर रात को मुझे एक सपना आता की मैं एक बिस्तर पर निर्वस्त्र लेटी हूं और चूदाई की आग में जल रही हूं पर कुछ कर नही पा रही। तभी कही दूर से एक आवाज आई ठहर मेरी जान मेरी रांड़ तेरी तड़प मैं शांत करूंगा बस थोड़ा इंतजार कर। कुछ दिन तक ये सपना रोज आया फिर गायब हो गया पर मेरी चुदासी बढ़ती गई।

१० साल तक अथर्व स्तनपान करता रहा और मुझे रोज एक नए सुख की अनुभूति होती। पर एक दिन अचानक उसने स्तनपान करना छोड़ दिया। अचंभा तो हुआ मुझे पर मैं अतर्व रोक या टोक नही सकती थी।

अथर्व बहुत ही तेज़ तर्रार था। बुद्धिमान भी पर सही कामों में नही वो हर काम का टेड़ा हल निकल लेता। इस बात पर उसके पिता उससे नाराज रहने लगे और धीरे धीरे उनका रोश एक तरह की नफरत में बदल गया। वो अब घर भी काम आते ज्यादातर अपना समय वो खेतो या फिर मंदिर में ही व्यतीत करते क्युकी खेत की कमान मैने अपने हाथो में ले रखी थी। इनका अगर बस चलता तो ये भी सब दान दे देते। खैर एक दिन आठवी कक्षा के छात्र ने बारव्वी के छात्र को इतना पीटा की वो अधमरा हो गया। ये कोई और नही अथर्व था। उसकी शिकायत हुई और उसके पिता ने उसे घर में बहुत मारा इसी दिन उसने निर्णय ले लिया की वो अब आगे नहीं पड़ेगा। और मैं कुछ भी नही बोल पाई।


अथर्व अब न तो स्कूल जाता बस दिन भर इधर उधर भटकता। एक रात मुझे कुछ जलने की बू आई तो मैं उस दिशा में चल पड़ी। घर के पीछे की तरफ एक नदी बहती थी। वहा से बहुत तेज रोशनी आ रही थी। मैं भी उस तरफ चल दी। बहुत बड़ा अग्निकुंड और उसमे से तेज तर्रार आग की लपटे और सामने एक व्यक्ति जो पूरी तरह से भस्म में रमा हुआ उस अग्निकुंड मैं आहुति दे रहा हैं और बहुत तेज तेज मंत्रो का उच्चारण कर रहा हैं। फिर वो व्यक्ति खड़ा हुआ तो मैं एकदम से आश्चर्य में रह गई की वो व्यक्ति बिलकुल नितंग नंगा हैं और उसका लोड़ा हवा में झूल रहा हैं जो की बहुत ही विकराल लग रहा था। फिर उस व्यक्ति ने एक तलवार उठाई और अपनी उंगली काट कर अपने लहू की आहुति दी अग्नि कुंड में। कुछ ही क्षण में उसका घाव भर भी गया जैसे कुछ हुआ ही ना हो। फिर उसने तलवार से वहा बंधे बकरे की बलि दी और जो रक्त बहा उससे एक बर्तन में एकत्रित किया और फिर वो उस रक्त को पी गया और उस बकरे का कच्चा मांस खाने लगा। पूरा बकरा खा गया वो व्यक्ति और फिर उस बकरे की हड्डियों को अग्निकुंड में आहुति दी। फिर से कुछ मंत्र और उस व्यक्ति ने एक जोरदार हुंकार भरी जिसे सुन मेरा मूत निकल गया। फिर वो व्यक्ति नदी में स्नान करने के लिए रुक गयाऔर उस व्यक्ति ने नदी में डुबकी लगाई और गायब हो गया नदी के अंदर ही। मुझे समय तो नही पता पर यकीनन वो पूरे १५ मिनट तक जल समाधि में रहा और एक दम से बाहर आ गया। जब वो नदी से बाहर निकला तब उसके जिस्म से एक तेज प्रकाश बाहर निकल रहा था। उस तेज प्रकाश में उस व्यक्ति का चेहरे चमकने लगा और मेरे मुंह से निकला अथर्व यानी हमारा " काला नाग"।
Superb update👍👍👍. Yeh kahani bhout hi hat kar hai. Update jaldi jaldi dete raho.
 

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अध्याय २


अब मैं कुछ मुख्य किरदारों का आपसे परिचय करवा दू:

१. मैं यानी सविता, आपकी लेखिका और सबसे मुख्य पात्र इस कहानी का। अब खुद की तारीफ मैं क्या करू। एक दम सांचे में ढाला हुआ जिस्म हैं मेरा। सबसे दिलक्कश हैं मेरे वक्ष या मेरी चूचियां जो की एक दम सीना तान खड़ी हैं। मेरे नितंब या मेरी गांड़ एक दम भरी हुई और गोल हैं। केले के तने समान चिकनी और सुडौल झांगे जो मेरे खजाने यानी की मेरी चूंत को और हसीन बनाती हैं। मेरे काले नाग से पूछो तो वो कहेगा की में उसकी अप्सरा हूं जिससे वो हर समय अपने लन्ड पर बिठाए रखना चाहता हैं।

२. सुशांत सिंह मेरे पति। इनका कुछ ज्यादा रोल नहीं हैं बस ये एक नेक और अच्छे इंसान हैं। हर चीज से बहुत जल्दी संतुष्ट हो जाते हैं। ज्यादा मन मुटाव किसी से रखते नही।

३. अंजली सिंह मेरी बड़ी बेटी उम्र २६ वर्ष

४. अंजनी सिंह मेरी दूसरी बेटी उम्र २५ वर्ष

५. अवनी सिंह मेरी तीसरी बेटी उम्र २३ वर्ष

६. अदिति सिंह मेरी चौथी बेटी उम्र २२ वर्ष

इनमे से किसी का भी फिगर या खूबसूरती का विवरण मैने नही किया हैं क्युकी मेरी बेटियां एक से बढ़कर एक। सब इतनी सुंदर हैं की आस पास के गांव तक इनके रूप यौवन के चर्चे हैं। घर में रहकर अपनी प्राइवेट से पढ़ाई पूरी कर रही हैं। अभी तक किसी की भी शादी नही हुई क्यू नही हुई ये नही पता। पर आगे पता पड़ जायेगा।

७ अंतिम और आखिरी किरदार हैं हमारा काला नाग यानी की मेरा बेटा, पति या फिर कही खुद शाक्षत शैतान अथर्व। जानते हैं इस को काला नाग क्यू बुलाते हैं। काला तो ये हैं किसी नीग्रो की तरह इस लिए काला और नाग आता हैं इसके बिल में से जो बहुत ही भयानक, खतरनाक और ताकतवर हैं। जी हैं में इसके लोड़े की ही बात कर रही हूं। १२ इंच लंबा और ४ इंच मोटा हैं इसका लोड़ा। एक बार घुस जाए तो छटी का दूध याद दिला देता हैं। इसकी बात ज्यादा नहीं करते क्युकी जितना मैं इसके लन्ड के बारे में बात करूंगी उतनी ही मेरी चूत चुदासी हो जाऊंगी और मैं ज्यादा कुछ अभी कर भी नहीं सकती क्युकी मेरा नौवा महीना चल रहा हैं। अथर्व अभी कुछ २१ साल का हैं। उसकी हाइट पूरे ६ फीट हैं और शरीर एक दम कसा हुआ और ठोस। एक एक घंटे तक मुझे गोद में उठाकर पेलता रहता हैं।

बाकी के किरदार जब आएंगे तब उनका परिचय भी करवा दूंगी फिलहाल इस भाग में कहानी इन्ही किरदारों के आस पास घूमेगी। चलिए चलते हैं आगे की कहानी की और।

मेरे ससुर जी के स्वर्गवास होते ही रंजीत यानी मेरा देवर ने हमे हवेली से निकलकर फॉर्महाउस में रहने के लिए बोल दिया। मेरे अहिंसा वादी पति देव ने बिना किसी बहस के वहा से पलायन करने का निर्णय ले लिया और अब हम अपने नए घर आ गए। घर तो बुरा नही था छोटा भी नही था पर कहा वो हवेली और कहा ये फॉर्महाउस। मेरे मन में कसक बहुत थी और कही न कही आक्रोश भी।

तय समय पर मैंने अथर्व को जन्म दिया और दाई ने हो मुझे बताया कि इतना बड़ा हतियार उसने आजतक किसी भी बालक का नही देखा हैं। नवजात शिशु का लिंग किसी ने २ इंच का देखा है क्या। पर वही से उसका नाम काला नाग पढ़ गया। मेरे पति तो नुपांसक हो गए थे पर अथर्व के जन्म के बाद मुझे रोज चरमसुख की प्राप्ति होने लगी। जब भी स्तनपान करता न जाने क्यों मैं झड़ जाती। लेकिन अथर्व के जन्म के बाद मेरे रूप यौवन में और निखार आने लगा। मुझे ऐसा प्रतीत होता की जैसे मैं फिर जवान हो रही हूं। मेरे वक्ष जो थोड़े लटक गए थे एक दम सुडौल और तन गए। मेरे अंदर स्फूर्ति आ गई और मैं हद से ज्यादा चुदासी रहने लगी। हर रात को मुझे एक सपना आता की मैं एक बिस्तर पर निर्वस्त्र लेटी हूं और चूदाई की आग में जल रही हूं पर कुछ कर नही पा रही। तभी कही दूर से एक आवाज आई ठहर मेरी जान मेरी रांड़ तेरी तड़प मैं शांत करूंगा बस थोड़ा इंतजार कर। कुछ दिन तक ये सपना रोज आया फिर गायब हो गया पर मेरी चुदासी बढ़ती गई।

१० साल तक अथर्व स्तनपान करता रहा और मुझे रोज एक नए सुख की अनुभूति होती। पर एक दिन अचानक उसने स्तनपान करना छोड़ दिया। अचंभा तो हुआ मुझे पर मैं अतर्व रोक या टोक नही सकती थी।

अथर्व बहुत ही तेज़ तर्रार था। बुद्धिमान भी पर सही कामों में नही वो हर काम का टेड़ा हल निकल लेता। इस बात पर उसके पिता उससे नाराज रहने लगे और धीरे धीरे उनका रोश एक तरह की नफरत में बदल गया। वो अब घर भी काम आते ज्यादातर अपना समय वो खेतो या फिर मंदिर में ही व्यतीत करते क्युकी खेत की कमान मैने अपने हाथो में ले रखी थी। इनका अगर बस चलता तो ये भी सब दान दे देते। खैर एक दिन आठवी कक्षा के छात्र ने बारव्वी के छात्र को इतना पीटा की वो अधमरा हो गया। ये कोई और नही अथर्व था। उसकी शिकायत हुई और उसके पिता ने उसे घर में बहुत मारा इसी दिन उसने निर्णय ले लिया की वो अब आगे नहीं पड़ेगा। और मैं कुछ भी नही बोल पाई।


अथर्व अब न तो स्कूल जाता बस दिन भर इधर उधर भटकता। एक रात मुझे कुछ जलने की बू आई तो मैं उस दिशा में चल पड़ी। घर के पीछे की तरफ एक नदी बहती थी। वहा से बहुत तेज रोशनी आ रही थी। मैं भी उस तरफ चल दी। बहुत बड़ा अग्निकुंड और उसमे से तेज तर्रार आग की लपटे और सामने एक व्यक्ति जो पूरी तरह से भस्म में रमा हुआ उस अग्निकुंड मैं आहुति दे रहा हैं और बहुत तेज तेज मंत्रो का उच्चारण कर रहा हैं। फिर वो व्यक्ति खड़ा हुआ तो मैं एकदम से आश्चर्य में रह गई की वो व्यक्ति बिलकुल नितंग नंगा हैं और उसका लोड़ा हवा में झूल रहा हैं जो की बहुत ही विकराल लग रहा था। फिर उस व्यक्ति ने एक तलवार उठाई और अपनी उंगली काट कर अपने लहू की आहुति दी अग्नि कुंड में। कुछ ही क्षण में उसका घाव भर भी गया जैसे कुछ हुआ ही ना हो। फिर उसने तलवार से वहा बंधे बकरे की बलि दी और जो रक्त बहा उससे एक बर्तन में एकत्रित किया और फिर वो उस रक्त को पी गया और उस बकरे का कच्चा मांस खाने लगा। पूरा बकरा खा गया वो व्यक्ति और फिर उस बकरे की हड्डियों को अग्निकुंड में आहुति दी। फिर से कुछ मंत्र और उस व्यक्ति ने एक जोरदार हुंकार भरी जिसे सुन मेरा मूत निकल गया। फिर वो व्यक्ति नदी में स्नान करने के लिए रुक गयाऔर उस व्यक्ति ने नदी में डुबकी लगाई और गायब हो गया नदी के अंदर ही। मुझे समय तो नही पता पर यकीनन वो पूरे १५ मिनट तक जल समाधि में रहा और एक दम से बाहर आ गया। जब वो नदी से बाहर निकला तब उसके जिस्म से एक तेज प्रकाश बाहर निकल रहा था। उस तेज प्रकाश में उस व्यक्ति का चेहरे चमकने लगा और मेरे मुंह से निकला अथर्व यानी हमारा " काला नाग"।
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
ये काला नाग यानी अथर्व धीरे धीरे अपनी शैतानी शक्ती प्राप्त कर रहा हैं खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

mitzerotics

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बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
ये काला नाग यानी अथर्व धीरे धीरे अपनी शैतानी शक्ती प्राप्त कर रहा हैं खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
कोशिश जल्द से जल्द देने की हैं
 
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