monika
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Osm update pr un ma better ka Kya hua o dekhna pdegaकाल - सर्प
आह.... आह्ह.... आह....और जोर से बेटा और जोर से...फाड़ दे तेरी मां का भोसड़ा इस से पहले की तेरा बाप वापस आ जाए......
रात के 11.46 हो रहे थे लेकिन जंगल से गुजरती इस सुनसान रोड पर सिर्फ एक वाहन ही काफी देर से खड़ा हुआ था जिसकी पार्किंग लाइट जोरो शोरो से जल बुझ रही थी....वहीं रोड के किनारे झाड़ियों में से लगातार थप....थप...की आवाजे आए जा रही थी जैसे कोई तबले पे ताल दे रहा हो....
आह.....मजा आ गया मेरे बेटे.....मजा आ गया....आज इतने बरसों बाद तूने मेरी आग भुजाई है सच में आज तो मजा आ गया....
पूर्ण रूप से मादर जात नंगी औरत एक विशाल वृक्ष पे अपने हाथ टिकाकर घोड़ी बनी हुई थी, और और पीछे से घपा घप उसका सगा बेटा अपने हाहाकरी लौड़े से अपनी मां के पूरी तरह से खुले हुए भोसड़े मै अपना लन्ड पेले जा रहा था.....
कभी वो अपनी मां के लटकते हुए बोबे अपनी हथेलियों से दबाता और कभी घोड़ी बनी अपनी मां के चूतड़ अपने हाथो से चोडे करता....
तकरीबन पंद्रह मिनट चले इस खेल में दोनों की पोजिशन एक ही थी....अभी लड़के का पानी छूटने ही वाला था कि....
.... तड़ाक.....किसी ने एक मजबूत डंडे से उस लड़के के सिर पे प्रहार किया और चोट लगते ही वो लड़का किसी पर कटे पंछी की तरह जमीन पर आ पड़ा....
"" नहीं नहीं.... प्लीज मेरे बेटे को छोड़ दो.....इसमें इसका कोई कसूर नहीं है सारा किया धरा मेरा ही है.....""
लेकिन उस औरत की बात पे ध्यान ना देते हुए उस वयोवृद्ध ने अपने हाथ में पकड़ा हुआ फरसा नीचे बेसुध पड़े युवा के सीने पे गाड़ दिया.....
पसलियों के बीचों बीच फरसा गड़ा हुआ था और तभी उस वयोवृद्ध ने अपने झोले से एक चाकू जैसा हथियार निकाला और उस लड़के का लिंग पकड़ के एक झटके मै काट डाला....
ये दृश्य देख कर वो औरत तुरंत ही बेहोश हो गई....
एक महीने बाद
महानगर मुंबई.....
कहते है मुंबई की हवा भी निराली होती है अगर आप कुछ करना चाहे तो मुंबई किसी रण्डी की तरह अपनी टांगे खोल कर स्वागत करती है....लेकिन यदि आप सिर्फ मुंबई के स्वभाव के अनुरूप ढलते हो तो दो वक़्त की रोटी भी नसीब हो जाए ये बड़ी बात है....
लेकिन वहीं कुछ ऐसे लोग भी है जिन्होंने कभी अपने आप से समझौता नहीं किया.... खूद भले से भूखे सो गए हो लेकिन किसी गरीब को भूखा सोने ना दिया.....और ये बात तो आप भी जानते हो की कोन ऐसी कुव्वत रखता होगा जो किसी गरीब को भूखा सोने ना दे....कम से कम कोई गरीब तो ऐसा कारनामा नहीं कर सकता....
यहां बात हो रही है सेठ नरेंद्र अग्रवाल के ज्येष्ठ पुत्र अशोक की.....ईश्वर का दिया क्या नहीं था उस परिवार के पास...अरबों खरबों की सम्पत्ति....ना जाने कितनी जमीन और ना जाने कितने बाग़ बगीचे....लेकिन अशोक के पिता का बस एक सपना था कि जहां भी उसका घर हो उसकी एक किलोमीटर परिधिं में कोई भी जीव भूखा ना सोए....शायद अपने इन्हीं पुण्य कर्मों की वजह से ये परिवार इतना सुदृढ़ था....
तकरीबन दो वर्ष पहले नरेंद्र अग्रवाल की मृत्यु हृदयघात से हो गई थी....उसके बाद ही सारे काम काज कि जिम्मेदारी अशोक के उपर आ गई जो कि लगभग 52 साल का होने आया था.....
45 साल की अशोक की धर्म पत्नी सुमन जो कहीं से भी युवा नहीं लगती थी,
यहां मै पाठकों को बताना चाहता हूं कि सेक्स के लिए युवा होना बिल्कुल भी जरूरी नहीं है...
अक्सर सुमन ईश्वर की आराधना में ही अपना वक़्त लगाती थी.....कभी संतो को भोजन कभी निर्धनों को दान....या फिर एक तरह से कहे तो अपने ससुर नरेंद्र अग्रवाल की ही तरह दिव्यात्म्मा थी सुमन....
अशोक और सुमन की सबसे बड़ी लड़की आरोही.... कद तकरीबन 5 फीट 6 इंच .... संगमरमर की तरह आकर और वर्ण मै ढला उसका बदन जो किसी भी कमजोर दिल इंसान की सांसे रोक देने के लिए काफी था....
उसके बाद नंबर आता है सलोनी का जो कि अपने नाम के अनुरूप सांवला रूप लेकिन दीप्तिमान रूप में इस धरा पे प्रकट हुई है.....सिर्फ रंग की वजह से ही सलोनी आरोही से मात खाती है लेकिन अगर कोई उन दोनों बहनों की तुलना करने पे आए तो सलोनी जीते बल्कि उन लोगो का घमंड भी चकना चुर कर दे जो सिर नाप जोख कि दुनिया में विश्वास रखते है.....
मेरा नंबर सबसे आखिरी मै आता है....सलोनी से महज तीन मिनट छोटा हूं मैं....वैसे तो दिखने में मैं ठीक ठाक ही हूं लेकिन रंग मेरा सांवला बिल्कुल भी नहीं है....मुझे जन्म देते वक़्त शायद मां को कोई इंफेक्शन हुआ था जिस वजह से सलोनी सांवली और मेरी रंगत काली हो गई थी....
ये मेरा छोटा सा परिवार है.....होने को तो चाचा ताऊ या फिर मामा लोगो का भी परिवार है....लेकिन जो मैंने बताया वो सिर्फ मेरा परिवार है...
अगले अपडेट में मिलते है ।।