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Incest काल - सर्प

Vijay2309

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हॉस्पिटल में अब सब कुछ ठीक प्रतीत हो रहा था....आरोही अब पूरी तरह से ठीक थी और साथ ही साथ सलोनी भी अब थोड़ी नॉर्मल हो चुकी थी....

कॉटेज में पड़ी हुई एक पुरानी मैगज़ीन के पन्ने पलटते हुए मैंने आरोही से कहा....

"" कुछ ही देर में डाक्टर आ कर आपको डिस्चार्ज कर देगा....उसके बाद कल घर में पूजा भी रखी है इसलिए अब कोई ऐसी वैसी हरकत मत कर देना....""

मैंने अभी अपनी बात रखी ही थी कि काटेज का दरवाजा खोल नवीन चाचा अंदर दाखिल हुए....

"" काली अभी अभी तेरी चाची का फोन आया था...तेरी मम्मी को होश आ गया है और वो आज पहले से काफी ठीक भी महसूस कर रही है....""

में कुछ बोल पाता उस से पहले ही आरोही बोल पड़ी....

"" कल पूरे दिन के बाद आज कोई अच्छी खबर सुनने को मिली है चाचा.....अब मुझ से यहां नहीं रहा जाता अब मुझे जल्दी से घर ले चलो ""

चाचा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया....

"" हां मेरी गुड़िया हम सब अब जल्दी ही घर चलेंगे....मैंने तो सोच लिया है अब प्रीति( चाची ) को लेकर तुम सब लोगो के साथ ही शिफ्ट हो जाऊंगा.....भाभी के साथ साथ प्रीति तुम सब लोगो का भी ध्यान रख लेगी, बस अब ईश्वर से यहीं प्रार्थना है कि हमारे परिवार को मुसीबतों से दूर रखे....""

सलोनी ने भी चाचा द्वारा लाए गए टिफिन और बाकी सामान एक बैग में डालते हुए कहा....

"" सही कहा चाचा.....अब और मुसीबतें नहीं चाहिए , एक बार कल की पूजा हो जाए उसके बाद आरोही, काली और में मम्मी को लेकर कहीं बाहर कुछ दिन मन ठीक करने के लिए जाएंगे.....अगर पॉसिबल हो तो आप भी चाची को हमारे साथ लेकर चलना...""
अब तक चाचा मेरे पास आकर बैठ चुके थे....और मेरे कंधे पर किसी दोस्त की तरह हाथ रखते हुए बोलने लगे...

"" चाहता तो में भी यही हूं मेरी बच्ची....लेकिन तुम्हारे पापा मुझ पर बड़ी जिम्मेदारी डाल कर गए है....मेरे लिए अब कहीं भी निकलने की सोचना भी पॉसिबल नहीं है.... हां तुम लोग अगर चाहो तो प्रीति को अपने साथ ले जा सकते हो....हम लोगो की शादी को दो साल हो गए लेकिन में कहीं भी उसे घुमाने नही के जा पाया....""

आरोही अपने बिस्तर से अब उठ चुकी थी और साइड में लगे मिरर में अपने बाल दुरुस्त करते हुए बोलने लगी....

"" क्यों नहीं चाचा....हम लोग जरूर ले जाएंगे चाची को अपने साथ....वैसे आपको भी हम लोगो के साथ चलना चाहिए.....पापा कि वसीयत के अनुसार हम लोगो को अब पैसे के पीछे भागना बंद कर देना चाहिए....हमारे पास जो कुछ भी है वो काफी है हमारे साथ साथ उन लोगो की जिंदगी के लिए भी जिन्हें पापा हमारे भरोसे छोड़ गए है....""

चाचा ने एक ठंडी सांस लेते हुए कहा...

"" तुम लोगो के कहने से पहले ही में सारे इंतजाम कर चुका हूं आरोही....गरीबों और बेघर लोगो के लिए खाना और रहने के लिए एक ट्रस्ट की रूप रेखा मै पहले ही बना चुका हूं.....बिज़नेस से होने वाले फायदे से एम्प्लोई कि सैलरी के साथ साथ 20 करोड़ प्रतिमाह अलग से गरीबों के रहने खाने का इंतजाम के लिए एक ब्रांच का गठन जल्दी ही हो जाएगा.....इस सब की जिम्मेदारी पूरी तरह से प्रोफेश्नल लोगो के हाथ मै रहेगी जो क्वालिटी के साथ साथ गरीब लोगो को रोजगार भी मुहैया करवाने का काम करेंगे.....हमारे परिवार के प्रत्येक व्यक्ति को 25 लाख हर महीने खर्च के साथ साथ तुम तीनो भाई बहनों की शादी और तुम्हारे होने वाले बच्चों की आने वाली पीढ़ी भी इसी ट्रस्ट की जिम्मेदारी रहेगी....किंही विशेष परिस्थितियों में तुम लोगो को एक मुश्त रकम कि जरूरत होने पर भी ये ट्रस्ट तुम सभी को बिना किसी सवाल के वो रकम मुहैय्या करवाएगा चाहे रकम कितनी भी बड़ी क्यों ना हो....""

मै काफी देर से चाचा की बात सुन रहा था और ये बात सुन मै तपाक से बोला.....

"" अगर मुझे रकम खरबों में चाहिए तो क्या आपका वो ट्रस्ट उसे भी प्रोवाइड करा पाएगा....""
चाचा के पास मेरे इस सवाल का भी जवाब था.....

"" अगर कभी ऐसी नोबत आ भी गई तब भी तुम्हारे पास वो ताकत होगी जिस से तुम सब कुछ बेच भी सकते हो....अगर सीधे सीधे इस ट्रस्ट का उद्देश्य समझो तो वह सिर्फ इतना होगा की वहीं बिजनेस को संभाले और सब कुछ वैसे ही चलने दे जैसा चल रहा है, उसमे मालिकाना हक हमेशा तुम्हारा ही रहेगा....वैसे अगर मान भी लें कि तुम्हे इतनी बड़ी रकम की जरूरत पड़ गई तो तुम इतने पैसे का करोगे क्या...???""

चाचा अब सीधा सवाल मुझ पर दाग चुके थे......और उनके साथ साथ आरोही और सलोनी की नज़रे भी मेरी तरफ घूम चुकी थी....

"" वैसे मुझे नहीं लगता कभी भी मुझे इतनी बड़ी रकम की एक साथ जरूरत पड़ेगी लेकिन फिर भी जानकारी के लिए बस आपसे पूछा.....दुनिया में विश्वास के लोग कम ही मिलते है....क्या पता इस तरह का ट्रस्ट हमारे परिवार को आगे जाकर कुछ भी ना दे और हम सब सड़क पर आ जाए....""

चाचा ने मेरी बात सुनकर सिर्फ इतना ही जवाब दिया....

"" देख काली.....तेरे पापा का छोटा भाई हूं में.....में मर जाऊंगा लेकिन कभी अपने खानदान पर कोई आंच नहीं आने दूंगा.....ये ट्रस्ट एक तरह से हमारे ही काम करेगा....साफ शब्दों में हमारा एक मुनीम जो काम के साथ साथ वो सारी चीजें देखेगा जो अभी तक हम देखते चले आ रहे थे....मेरे ख्याल से तुझे इस बात से कोई ऐतराज नहीं होगा....""

चाचा की बात सुनकर मेरे चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ गई और मैंने उन्हें जवाब दिया....

"" पापा ने चाहे अपनी वसीयत मै कुछ भी लिखा हो चाचा....लेकिन घर के बड़े अब आप हो....आप जो फैसला लोगे वो मुझे मंजूर है....और वैसे भी मेरे ख्याल से आपका ये फैसला हम सभी को पूरी तरह से आजाद कर देता है बिज़नेस की भागमभाग से दूर रहने को....मुझे कोई दिक्कत नहीं है अगर ऐसा हो सकता है तो आप जरूर करिए बस पहले आरोही सलोनी और मम्मी से भी जरूर पूछ लेना....में कभी नहीं चाहूगा की इन सब से पूछे बिना कोई भी बड़ा फैसला घर में हो...""

मेरा इतना कहना ही हुआ था कि आरोही के हाथ मै थमी कंघी उड़ती हुई अाई और मेरे सर पर जा लगी....

"" खबरदार काली.....इस दुनिया मै पापा से ज्यादा प्यार मै किसी से नहीं करती हूं.....अगर पापा तुझे हमारी जिम्मेदारी दे कर गए है तो इसका मतलब तेरा हर फैसला मुझे मान्य होगा.....रही बात मम्मी की ओर सलोनी की तो वो तो वैसे भी तुझ पर जान छिड़कते हैं....""

आरोही का इतना कहना ही हुआ था कि तभी कॉटेज के दरवाजे पर दस्तक हुई और अंदर आने वाला शक्श डाक्टर था जो आरोही का ट्रीटमेंट कर रहा था.....

"" हैलो यंग लेडी.....तुम्हें देख कर ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा की तुमने कल खुदकुशी करने की कोशिश करी होगी.....मुझे उम्मीद है तुम दुबारा ऐसा कुछ भी नहीं करोगी और अपनी फैमिली के साथ हमेशा खुशियां बाटोगी....मिस्टर नवीन क्या आप थोड़ी देर के लिए मेरे केबिन में आ सकते है प्लीज़.....कुछ फॉर्मेलिटी है बस वो निपटाने मै आपकी मदद चाहिए.....""

इतना कह कर वो डाक्टर वापस बाहर निकल गया और चाचा उसके पीछे पीछे अभी आया कह कर चले गए.....

चाचा के जाते ही आरोही मुझ पर कूद पड़ी और मुझे कस कर अपने सीने से लगा लिया....

"" काली अब से बस मै तुझ से प्यार करती हूं.....मुझ से कभी अलग मत होना मेरे भाई...""

""अरे छोड़ मोटी....क्योंकि तेरी हिफाजत के लिए तेरा ये काली अभी जिंदा है .....दुबारा मरने की या मुझ से दूर जाने की कभी भी बात मत करना....जिस दिन जाने का मन करे उस दिन अपने इस भाई को ज़हर देकर जाना....""

अभी आरोही मुझ से चिपकी खड़ी हुई थी तभी सलोनी ने भी कुछ बोला....

"" एक थप्पड़ खाएगा मेरे हाथ से.....मेरे सामने कभी भी इस तरह की बात मात करना वरना तुझे यही से उठा कर बाहर फेंक दूंगी...…बड़ा आया ज़हर खाने वाला......""

इतना कह कर सलोनी भी मेरी बांहों मै आ गई और हम तीनो भाई बहन एक दूसरे में समा गए....

"" अब आप दोनों की आज्ञा हो तो घर चले...""

मैंने दोनों से कहा और दोनों ने बारी बारी एक एक चुम्बन मेरे गालों पर सरका दीए....


हम लोग अब कॉटेज से निकल कर कैंटीन क्रॉस करके लॉबी में आ चुके थे.... तभी कुछ ऐसा हुआ जिसे देख मेरी रूह अंदर तक कांप गई..........
 
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Rahul

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Chutiyadr

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हॉस्पिटल में अब सब कुछ ठीक प्रतीत हो रहा था....आरोही अब पूरी तरह से ठीक थी और साथ ही साथ सलोनी भी अब थोड़ी नॉर्मल हो चुकी थी....

कॉटेज में पड़ी हुई एक पुरानी मैगज़ीन के पन्ने पलटते हुए मैंने आरोही से कहा....

"" कुछ ही देर में डाक्टर आ कर आपको डिस्चार्ज कर देगा....उसके बाद कल घर में पूजा भी रखी है इसलिए अब कोई ऐसी वैसी हरकत मत कर देना....""

मैंने अभी अपनी बात रखी ही थी कि काटेज का दरवाजा खोल नवीन चाचा अंदर दाखिल हुए....

"" काली अभी अभी तेरी चाची का फोन आया था...तेरी मम्मी को होश आ गया है और वो आज पहले से काफी ठीक भी महसूस कर रही है....""

में कुछ बोल पाता उस से पहले ही आरोही बोल पड़ी....

"" कल पूरे दिन के बाद आज कोई अच्छी खबर सुनने को मिली है चाचा.....अब मुझ से यहां नहीं रहा जाता अब मुझे जल्दी से घर ले चलो ""

चाचा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया....

"" हां मेरी गुड़िया हम सब अब जल्दी ही घर चलेंगे....मैंने तो सोच लिया है अब प्रीति( चाची ) को लेकर तुम सब लोगो के साथ ही शिफ्ट हो जाऊंगा.....भाभी के साथ साथ प्रीति तुम सब लोगो का भी ध्यान रख लेगी, बस अब ईश्वर से यहीं प्रार्थना है कि हमारे परिवार को मुसीबतों से दूर रखे....""

सलोनी ने भी चाचा द्वारा लाए गए टिफिन और बाकी सामान एक बैग में डालते हुए कहा....

"" सही कहा चाचा.....अब और मुसीबतें नहीं चाहिए , एक बार कल की पूजा हो जाए उसके बाद आरोही, काली और में मम्मी को लेकर कहीं बाहर कुछ दिन मन ठीक करने के लिए जाएंगे.....अगर पॉसिबल हो तो आप भी चाची को हमारे साथ लेकर चलना...""
अब तक चाचा मेरे पास आकर बैठ चुके थे....और मेरे कंधे पर किसी दोस्त की तरह हाथ रखते हुए बोलने लगे...

"" चाहता तो में भी यही हूं मेरी बच्ची....लेकिन तुम्हारे पापा मुझ पर बड़ी जिम्मेदारी डाल कर गए है....मेरे लिए अब कहीं भी निकलने की सोचना भी पॉसिबल नहीं है.... हां तुम लोग अगर चाहो तो प्रीति को अपने साथ ले जा सकते हो....हम लोगो की शादी को दो साल हो गए लेकिन में कहीं भी उसे घुमाने नही के जा पाया....""

आरोही अपने बिस्तर से अब उठ चुकी थी और साइड में लगे मिरर में अपने बाल दुरुस्त करते हुए बोलने लगी....

"" क्यों नहीं चाचा....हम लोग जरूर ले जाएंगे चाची को अपने साथ....वैसे आपको भी हम लोगो के साथ चलना चाहिए.....पापा कि वसीयत के अनुसार हम लोगो को अब पैसे के पीछे भागना बंद कर देना चाहिए....हमारे पास जो कुछ भी है वो काफी है हमारे साथ साथ उन लोगो की जिंदगी के लिए भी जिन्हें पापा हमारे भरोसे छोड़ गए है....""

चाचा ने एक ठंडी सांस लेते हुए कहा...

"" तुम लोगो के कहने से पहले ही में सारे इंतजाम कर चुका हूं आरोही....गरीबों और बेघर लोगो के लिए खाना और रहने के लिए एक ट्रस्ट की रूप रेखा मै पहले ही बना चुका हूं.....बिज़नेस से होने वाले फायदे से एम्प्लोई कि सैलरी के साथ साथ 20 करोड़ प्रतिमाह अलग से गरीबों के रहने खाने का इंतजाम के लिए एक ब्रांच का गठन जल्दी ही हो जाएगा.....इस सब की जिम्मेदारी पूरी तरह से प्रोफेश्नल लोगो के हाथ मै रहेगी जो क्वालिटी के साथ साथ गरीब लोगो को रोजगार भी मुहैया करवाने का काम करेंगे.....हमारे परिवार के प्रत्येक व्यक्ति को 25 लाख हर महीने खर्च के साथ साथ तुम तीनो भाई बहनों की शादी और तुम्हारे होने वाले बच्चों की आने वाली पीढ़ी भी इसी ट्रस्ट की जिम्मेदारी रहेगी....किंही विशेष परिस्थितियों में तुम लोगो को एक मुश्त रकम कि जरूरत होने पर भी ये ट्रस्ट तुम सभी को बिना किसी सवाल के वो रकम मुहैय्या करवाएगा चाहे रकम कितनी भी बड़ी क्यों ना हो....""

मै काफी देर से चाचा की बात सुन रहा था और ये बात सुन मै तपाक से बोला.....

"" अगर मुझे रकम खरबों में चाहिए तो क्या आपका वो ट्रस्ट उसे भी प्रोवाइड करा पाएगा....""
चाचा के पास मेरे इस सवाल का भी जवाब था.....

"" अगर कभी ऐसी नोबत आ भी गई तब भी तुम्हारे पास वो ताकत होगी जिस से तुम सब कुछ बेच भी सकते हो....अगर सीधे सीधे इस ट्रस्ट का उद्देश्य समझो तो वह सिर्फ इतना होगा की वहीं बिजनेस को संभाले और सब कुछ वैसे ही चलने दे जैसा चल रहा है, उसमे मालिकाना हक हमेशा तुम्हारा ही रहेगा....वैसे अगर मान भी लें कि तुम्हे इतनी बड़ी रकम की जरूरत पड़ गई तो तुम इतने पैसे का करोगे क्या...???""

चाचा अब सीधा सवाल मुझ पर दाग चुके थे......और उनके साथ साथ आरोही और सलोनी की नज़रे भी मेरी तरफ घूम चुकी थी....

"" वैसे मुझे नहीं लगता कभी भी मुझे इतनी बड़ी रकम की एक साथ जरूरत पड़ेगी लेकिन फिर भी जानकारी के लिए बस आपसे पूछा.....दुनिया में विश्वास के लोग कम ही मिलते है....क्या पता इस तरह का ट्रस्ट हमारे परिवार को आगे जाकर कुछ भी ना दे और हम सब सड़क पर आ जाए....""

चाचा ने मेरी बात सुनकर सिर्फ इतना ही जवाब दिया....

"" देख काली.....तेरे पापा का छोटा भाई हूं में.....में मर जाऊंगा लेकिन कभी अपने खानदान पर कोई आंच नहीं आने दूंगा.....ये ट्रस्ट एक तरह से हमारे ही काम करेगा....साफ शब्दों में हमारा एक मुनीम जो काम के साथ साथ वो सारी चीजें देखेगा जो अभी तक हम देखते चले आ रहे थे....मेरे ख्याल से तुझे इस बात से कोई ऐतराज नहीं होगा....""

चाचा की बात सुनकर मेरे चेहरे पर एक मुस्कुराहट आ गई और मैंने उन्हें जवाब दिया....

"" पापा ने चाहे अपनी वसीयत मै कुछ भी लिखा हो चाचा....लेकिन घर के बड़े अब आप हो....आप जो फैसला लोगे वो मुझे मंजूर है....और वैसे भी मेरे ख्याल से आपका ये फैसला हम सभी को पूरी तरह से आजाद कर देता है बिज़नेस की भागमभाग से दूर रहने को....मुझे कोई दिक्कत नहीं है अगर ऐसा हो सकता है तो आप जरूर करिए बस पहले आरोही सलोनी और मम्मी से भी जरूर पूछ लेना....में कभी नहीं चाहूगा की इन सब से पूछे बिना कोई भी बड़ा फैसला घर में हो...""

मेरा इतना कहना ही हुआ था कि आरोही के हाथ मै थमी कंघी उड़ती हुई अाई और मेरे सर पर जा लगी....

"" खबरदार काली.....इस दुनिया मै पापा से ज्यादा प्यार मै किसी से नहीं करती हूं.....अगर पापा तुझे हमारी जिम्मेदारी दे कर गए है तो इसका मतलब तेरा हर फैसला मुझे मान्य होगा.....रही बात मम्मी की ओर सलोनी की तो वो तो वैसे भी तुझ पर जान छिड़कते हैं....""

आरोही का इतना कहना ही हुआ था कि तभी कॉटेज के दरवाजे पर दस्तक हुई और अंदर आने वाला शक्श डाक्टर था जो आरोही का ट्रीटमेंट कर रहा था.....

"" हैलो यंग लेडी.....तुम्हें देख कर ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा की तुमने कल खुदकुशी करने की कोशिश करी होगी.....मुझे उम्मीद है तुम दुबारा ऐसा कुछ भी नहीं करोगी और अपनी फैमिली के साथ हमेशा खुशियां बाटोगी....मिस्टर नवीन क्या आप थोड़ी देर के लिए मेरे केबिन में आ सकते है प्लीज़.....कुछ फॉर्मेलिटी है बस वो निपटाने मै आपकी मदद चाहिए.....""

इतना कह कर वो डाक्टर वापस बाहर निकल गया और चाचा उसके पीछे पीछे अभी आया कह कर चले गए.....

चाचा के जाते ही आरोही मुझ पर कूद पड़ी और मुझे कस कर अपने सीने से लगा लिया....

"" काली अब से बस मै तुझ से प्यार करती हूं.....मुझ से कभी अलग मत होना मेरे भाई...""

""अरे छोड़ मोटी....क्योंकि तेरी हिफाजत के लिए तेरा ये काली अभी जिंदा है .....दुबारा मरने की या मुझ से दूर जाने की कभी भी बात मत करना....जिस दिन जाने का मन करे उस दिन अपने इस भाई को ज़हर देकर जाना....""

अभी आरोही मुझ से चिपकी खड़ी हुई थी तभी सलोनी ने भी कुछ बोला....

"" एक थप्पड़ खाएगा मेरे हाथ से.....मेरे सामने कभी भी इस तरह की बात मात करना वरना तुझे यही से उठा कर बाहर फेंक दूंगी...…बड़ा आया ज़हर खाने वाला......""

इतना कह कर सलोनी भी मेरी बांहों मै आ गई और हम तीनो भाई बहन एक दूसरे में समा गए....

"" अब आप दोनों की आज्ञा हो तो घर चले...""

मैंने दोनों से कहा और दोनों ने बारी बारी एक एक चुम्बन मेरे गालों पर सरका दीए....

हम लोग अब कॉटेज से निकल कर कैंटीन क्रॉस करके लॉबी में आ चुके थे.... तभी कुछ ऐसा हुआ जिसे देख मेरी रूह अंदर तक कांप गई..........
Bahno ka pyar umad umad kar baher aa raha hai ,aur ye ek incest story bhi hai to bahut. Sambhawna hai ki jald hi :sex: bhi dekhne ko mile..
Waise bhi chachi to kholkar khadi hai...
Aur last me fir se ekata kapoor wala suspense creat kar diya hai,aur ise janne ke liye na jane kitna wait karna padega..:noo:
Thik hai ham khali adami hai wait kar lenge ..
Agale update ke intjar me :waiting:
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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pata nahin kyun ish chacha pe saq hain...
...
...
Ab kya huwa....
kahin goli toh nahin chal gayi.... ya koi chalane wala hain... aur kali ne dekh liya..
Let's see what happens next..
Brilliant update Vijay sir..... Great going.. :applause::applause::applause:
 
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