Chutiyadr
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Chacha bhi gayo,10......
धाड़... धाड....
नवीन चाचा अपने सर से हॉस्पिटल कि बालकनी का ग्लास तोड़ने की कोशिश कर रहे थे.....उनके माथे से होकर खून अब जमीन पर गिरना शुरू हो चुका था....
में भाग कर उनके पास पहुंच पाता उस से पहले ही एक तेज़ आवाज़ के साथ हॉस्पिटल कि सातवीं मंजिल की बालकनी का वो ग्लास भर भराकर गिर पड़ा....
में जोर से चिल्लाया....
"" चाचा रुक जाइए.....नहीं....नहीं....ऐसा मत करिए....""
मेरी आवाज़ सुनकर उन्होंने पलट कर मुझे देखा और जोर से चिल्ला कर कहा.....
"" ये मेरे दिमाग को खाए जा रहा है काली....में इसको निकाल नहीं पा रहा हूं अपने दिमाग से.....प्रीति का ख्याल रखना काली....""
इतना कह कर हॉस्पिटल कि सातवीं मंजिल से चाचा नीचे कूद गए.....
मेरे पैर इस वक़्त इतने भारी लग रहे थे जैसे किसी ने जंजीरों से इन्हें जकड़ रखा हो....चाचा को बस छलांग लगाते हुए देख पाया मैं और लड़खड़ा कर फर्श पर गिर पड़ा....
सलोनी और आरोही तेज़ी भाग कर मेरे पास पहुंचे लेकिन ना जाने मेरी सारी ताकत कहां चली गई जो में खड़ा भी नहीं हो पा रहा था.....
आरोही मेरे पास रुकी जबकि सलोनी फुर्ती से बालकनी की तरफ भागी लेकिन अब काफी देर हो चुकी थी.....
बालकनी के पास सलोनी को बस सुबकते हुए ही देख पाया मैं और मेरी आंखो के सामने अंधेरा सा छाने लग गया....
"" नहीं....नहीं......नहीं चाचा आप ऐसा नहीं कर सकते.....कोई मेरे चाचा को बचाओ....मम्मी चाचा को बचाओ....""
अचानक में चीखते हुए बिस्तर से उठा....मैंने देखा मै इस वक़्त घर पर हूं और मम्मी और आरोही मेरे पास बेड पर ही बैठे है....मम्मी को देखते ही मैं बोल पड़ा....
"" मम्मी चाचा....????""
मेरा इतना कहना हुआ ही था कि बड़ी मुश्किल से बांध के बैठी मम्मी की आंखो का सेलाब फूट पड़ा.....
"" सब ख़तम हो गया मेरे बच्चे सब उजड़ गया....आज पांच दिन बाद तू होश में आया है सब कुछ लूट गया मेरे बच्चे....तेरे पापा तेरे चाचा अब इस दुनिया में नहीं रहे....""
मुझे अब कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था....मम्मी की ऐसी हालत देख एक बार फिर से मेरी आंखो के सामने अंधेरा छाने लगा.....और एक बार फिर से में बेहोशी के अंधेरों में चला गया....
तीन दिन बाद.....
"" काली उठ....मत सो इतना, अगर आज नहीं उठेगा तो अब बारी तेरी मां की होगी....उठ खड़ा हो... कर हिम्मत...""
मैंने पूरा जोर लगा कर अपनी आंखे खोली और और बैठ गया बिस्तर पर....लेकिन मेरे आस पास कोई भी नहीं था...हाथ में ड्रिप लगी हुई थी और इस वक़्त में एक सफेद कुर्ते पयजामे में था....इधर उधर देखने से पता चला कि ये मेरा ही रूम है यानी कि में घर पर ही था....
मैंने देर ना करते हुए ड्रिप को अपनी कलाई से अलग किया और लड़खड़ाते हुए कदमों से बाहर हॉल की तरफ बढ़ गया.....
हाल में इस वक़्त काफी लोग बैठे हुए थे....बीच में हवन कुंड जल रहा था और हवन कुंड के पास सफेद साड़ी में मम्मी और चाची बैठी हुई थी और उनके ठीक पीछे आरोही और सलोनी....
""मम्मी""
मैंने आवाज लगाई....लेकिन मम्मी या कोई भी वाहा से उठ कर मेरे पास आ पाता उस से पहले ही वहां पूजा कर रहे साधु बाबा ने सबको बैठे रहने का इशारा किया और मुझे आवाज लगाई.....
"" आओ काली....यहां मेरे पास आकर बैठो....""
ये आवाज बिल्कुल वैसी ही थी जैसी अभी कुछ देर पहले मैंने नींद में सुनी थी....मै यंत्रवत उनके पास जाकर बैठ गया और उन्होंने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा....
"" विपत्ति अभी टली नहीं है बेटा.....लेकिन में जानता हूं तू अब तेरे परिवार पर कोई आंच नहीं आने देगा.....जैसा सोचा था वैसा ही करना.....ईश्वर तुझे राह दिखाएंगे...""
उसके बाद वो वहां सभी लोगों को संबोधित कर के कहते है.....
""सभी बंधुओ अब अपने अपने घर चले जाएं.....इस परिवार को अब आप लोग अकेला छोड़ दे क्योंकि अभी काफी कुछ बदलने वाला है इसलिए आप सब अब अपने अपने घर के लिए प्रस्थान करें""
साधु बाबा के कहते ही वहां आए सारे लोग एक एक कर के साधु बाबा का आशीर्वाद लेकर जाते चले गए....
सब के जाने के बाद साधु बाबा अपने झोले में से दो हांडिया निकालते है जो कि एक लाल रंग की थी और एक काली.....उसके बाद वह अपने झोले से कुछ पैकेट्स भी निकालते है जो कि हांडी के रंगानुसार ही थे...
कुछ देर तक हम सब ऐसे ही बैठे साधु बाबा को देखते रहे....हाल में इस वक़्त एक मात्र साधु बाबा ही वो व्यक्ति थे जो की हमारे परिवार का हिस्सा नहीं थे....अभी कुछ ही देर हुई थी कि साधु बाबा ने कुछ कहा.....
"" बुरी ताकत पूरी पूर्ण वेग के साथ अग्रसर है, अगर अभी भी कुछ नहीं किया तो फिर से एक बड़ी अनहोनी होने का अंदेशा है..""
अपनी बात कह कर उन्होंने अपने झोले मै से फिर कुछ निकालने के लिए हाथ डाला और मम्मी का नाम लेकर उन्हें अपने पास बुलाया.......
"" देवी ये धागा बड़ा पवित्र है......इसके होते हुए कोई भी प्रेत या किसी तरह का काला जादू तुझ पर या तुम्हारे परिवार पर असर नहीं करेगा....ये धागा अपने परिवार के लोगों के साथ साथ तुम्हे खुद भी ग्रहण करना होगा....""
मम्मी बाबा के के हाथो से वो धागा लेकर फिर से अपनी जगह आ कर बैठ गई....
उसके बाद बाबा ने प्रीति यानी चाची को अपने पास बुलाया और एक लाल रंग का पैकेट उनके हाथ मै देते हुए उनके कानो मै कुछ कहा जिसे सुन चाची कि आंखे आश्चर्य और दर्द से फैलने लगी.....वो चुप चाप वहां से उठ पुनः अपनी जगह पर जाकर बैठ गई....
उसके बाद बाबा ने आरोही और सलोनी को बुलाया और काले रंग का पैकेट दोनों को एक एक दे दिया.....वो दोनो पैकेट्स लेने के बाद काफी असमंजस में लग रही थी जैसे उन्हें समझ ही नहीं आया हो की बाबा ने उन्हें क्या कहा....
उसके बाद एक बार फिर से मम्मी को उन्होंने पुकारा और काले रंग का एक पैकेट उन्हें भी दे दिया और उनके कानों में भी कुछ कहा.....
में वहां पास मै ही बैठा था लेकिन उन सब लोगों के कान में बाबा ने क्या कहा ये मुझे बिल्कुल भी सुनाई नहीं दिया तभी बाबा मेरी तरफ घूम गए और मेरे हाथो में एक काला और एक लाल पैकेट देते हुए मेरे कानो में कुछ कहा.....
"" काली....काले पैकेट मै तुम्हारे पिता के जिस्म की भस्म है जबकि लाल पैकेट में तुम्हारे चाचा की भस्म है..... इन दोनों भस्मो में मैंने कुछ विशेष मिलाया है ताकि तुम सभी कुछ समय के लिए किसी भी मक्कड़ जाल से दूर रहो....काला वाला पैकेट की भस्म तुम्हे तुम्हारी मां के जिस्म पर लगानी है और लाल वाले पैकेट की भस्म तुम्हारी चाची के जिस्म पर....याद रहे बाहरी जिस्म का कोई भी भाग इस भस्म के स्पर्श से अछूता ना रहे....""
मेरे होश उड़ गए इतना सुनते ही....मैंने घबराते हुए बाबा से कहा ...
"" बाबा ऐसे कैसे हो सकता है....ये काम तो ये दोनों खुद भी कर सकती है....मुझे इन सब बातों मै मत घसीटो बाबा में आपके आगे हाथ जोड़ता हूं...""
बाबा ने मेरा कान पकड़ लिया और दूसरा हाथ मेरे सर पे रखते हुए बोलने लगे.....
"" दवाई तभी असर करती है जब परहेज की पालना की जाए.....ये भस्म खुद अपने हाथो से खुद के जिस्म पे नहीं लगा सकते....अगर ऐसा करने का प्रयास भी किया तो ये भस्म स्वयं विकराल विष का स्वरूप के लेगी....इसमें मिलाया गया पदार्थ साधारण नहीं है काली.... तेरी एक बहन तेरी दूसरी बहन के जिस्म पर ये भस्म लगाएगी....तेरी मां और तेरी चाची तेरे जिस्म पर....उसके बाद तू तेरी मां और तेरी चाची के जिस्म पर.....याद कर वो पल जब नवीन कूदने वाला था....तब क्या कहा था उसने तुझ से क्या मांगा था उसने....याद कर..""
मैंने तुरंत जवाब दिया....
"" प्रीति का ख्याल रखना ""
इतना कहते ही मुझे तेज़ झटका लगा.....मेरे दिमाग में इस दिन जो कुछ भी हुआ बड़ी तेज़ी से रिवाइंड होने लगा और आखिरकार मैंने बाबा से ये सवाल पूछ ही लिया.....
"" आपको कैसे पता चला कि नवीन चाचा ने उस वक़्त मुझ से क्या कहा था....आरोही और सलोनी दोनों मै से किसी ने आपको बताया होगा....""
इस बार बाबा ने मेरे कान मै कुछ कहने की बजाय सब के सामने कहा....
"" जिस वक़्त तेरे चाचा ने तुझ से ये शब्द कहे थे वो तो उस से पहले ही मर चुके थे.....लेकिन तेरे पुकारने पर उनकी आत्मा फिर से उस जिस्म मै अाई और अपनी अंतिम इच्छा तुझे बता कर छलांग लगा गए......
Akhir kon log hai is pariwar ke dushaman hai...
Ab kali ko jismo per bhasm ki malai karni hai kahi ye malai chudai me na badal jaawe...
Dekhte hai agale episode me