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Adultery किस्मत का फेर (New Updates )

Anchal ki chudai kiske sath dekhna chahte ho ?

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ekthadeewana

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Update 9


दूसरी तरफ समीर के लिए ये सब बहुत मुश्किल था । वो आँचल को बहुत प्यार करता था और उसका पूरा ख्याल
रखता था । आँचल की बात वो टालता नहीं था । लेकिन अपनी बहन के लिए शारीरिक आकर्षण जैसी कोई भावना उसके
मन में नहीं थी । कभी आँचल के माथे पर प्यार भरा किस कर लिया तो कर लिया वरना समीर , समझदार भाई
की तरह उससे एक शारीरिक दूरी बनाये रखता था । उसने कभी भी अपनी बहन की छाती , उसके नितम्बों और अक्सर
खुली रहने वाली लम्बी चिकनी टांगों की तरफ गलत नज़रों से नहीं देखा था । वो तो लाड़ली बहन की तरह उससे प्यार
करता था । उसका मन अपनी बहन के लिए शीशे की तरह साफ़ था और ये बात आँचल को अच्छी तरह से मालूम थी ।
लेकिन इससे आँचल की पीड़ा और भी बढ़ गयी क्योंकि वो जानती थी कि उसकी तड़प इकतरफा थी और ये भी कि समीर के
मन में उसके लिए ऐसी कोई तड़प नहीं है ।

वो शाम लम्बी खिंचती चली गयी । समय के साथ आँचल की उलझन बढ़ती जा रही थी । उसको लग रहा था
कि वो एक चक्रव्यूह में फंस चुकी है और बाहर निकलने का कोई रास्ता उसे नहीं सूझ रहा था ।

“आँचल ! आँचल !”

“कौन ? कौन है ?“ जोर जोर से अपना नाम पुकारे जाने की आवाज़ से उसकी तन्द्रा टूटी और वो हड़बड़ा के सोफे में उठ बैठी ।

“मैं कितनी देर से तुम्हें आवाज़ दे रहा हूँ । तुम्हें हो क्या गया है , होश में आओ आँचल ।“

“ सॉरी समीर ...कुछ दिनों से मैं ढंग से सो नहीं पायी हूँ इसलिए आँख लग गयी थी “ आँचल ने आँखें मलते हुए कहा ।

समीर ने उसके चेहरे से छलकता दर्द देखा वो तुरंत समझ गया कि आँचल किन ख़यालों में डूबी हुई थी । उन्हीं बातों को सोचते हुए
आँचल की सोफे पर ही आँख लग गयी होगी । रात को नींद न आने की बात तो सिर्फ एक बहाना थी ।

“ देखो आँचल , जो कुछ भी हुआ वो एक किस्मत की गलती थी और हम दोनों का ही इसमें कोई कसूर नहीं है । हमको इस बात को
भूल जाना चाहिए और फिर से आपस में पहले जैसा ही व्यवहार करना चाहिए ।"

“पहले की तरह ? ये संभव ही नहीं है । “

“ लेकिन जो कुछ भी हुआ उसको अब हम पलट तो नहीं सकते ना । इसलिए उसे भूल जाना ही ठीक है । "

“तुम क्या कह रहे हो समीर ? जो हुआ उसे भूल जाऊँ ? कैसे ? " आँचल की पीड़ा अब गुस्से में बदल रही थी ।
एक तो वो पहले से ही परेशान थी , ऊपर से समीर का बड़ों की तरह ऐसे बातें करना उसे अच्छा नहीं लग रहा था ।
गुस्से से उसका मुंह लाल हो गया ।

“ आँचल , प्लीज , पहले मेरी बात सुनो । मैं सिर्फ ये कह रहा हूँ कि भाई बहन के बीच मर्यादा की जो रेखा होती है ,
हमें उसे पहले जैसे ही बरक़रार रखना चाहिए । मैं तुम्हारा भाई , तुम मेरी लाड़ली बहन हो । जो कुछ हुआ उसे बुरा सपना समझकर
भुला देना चाहिए । तुम्हें मेरी इतनी सी बात समझ क्यों नहीं आ रही है ? उस घटना को भूल जाने में तुम्हें प्रॉब्लम क्या है ? "

“ इतनी सी बात ...... ? ये इतनी सी बात है ......? बकवास बंद करो समीर !! भाड़ में गयी तुम्हारी ये लेक्चर बाजी ।
तुम्हें कुछ अंदाजा भी है कि उस रात के बाद से मुझ पर क्या गुजरी है ? और तुमने कितनी आसानी से कह दिया ,
सब भूल जाओ । मैं कैसे भूल जाऊँ ? मर्यादा की जिस रेखा की तुम बात कर रहे हो , उसे तो तुम कब का पार कर चुके हो ।
समीर अब वो रेखा हम दोनों भाई बहन के बीच है ही नहीं क्योंकि उस रात के बाद अब हम दोनों उस रेखा के एक ही तरफ हैं ।
उस रात जो बदन तुम्हारे जिस्म के नीचे था , वो मेरा बदन था , तुम्हारी अपनी सगी बहन का । अब आँखें फेर लेने से क्या होगा ।
सच को झुठला तो नहीं सकते ना तुम । "
आँचल की आँखों से टपटप आँसू बहने लगे ।



“ बात सिर्फ उस रात के सेक्स की नहीं है । लेकिन उस रात बिताये पलों के बाद , जाने अनजाने में , मेरे मन में
जो आशाएं , उम्मीदें , जो इच्छाएं जन्मी थी , उनका क्या ? जो सपने रात भर मुझे बेचैन किये रहते थे , उनका क्या ?
मैं उन्हें भुला ही नहीं सकती , चाहे मैं कितनी ही कोशिश क्यों ना कर लूँ । समझे तुम ? "
आँचल के अंदर की इतने दिनों की पीड़ा , उसकी तड़प , लावा बनकर फूट पड़ी ।

“तुम सभी मर्द एक जैसे होते हो । तुम लोगों को इस बात का कुछ अंदाजा ही नहीं होता कि जब एक लड़की किसी लड़के को
अपना दिल दे बैठती है तो उस पर क्या बीतती है । लड़कों को लगता है कि लड़की पर थोड़ा पैसा खर्च कर दो , कुछ गिफ्ट
वगैरह दे दो और वो लड़की उनके लिए अपने कपडे उतार दे । क्यों ? क्योंकि वो ऐसा चाहते हैं , बस । वो किसी भी तरह सिर्फ
सेक्स करने की कोशिश में रहते हैं । लड़की की भावनाओं की उन्हें कोई क़द्र नहीं होती । उनका सिर्फ एक लक्ष्य होता है
कि कैसे भी पटाकर लड़की की टांगे फैला दी जाएँ और इससे पहले कि लड़की कहीं अपना इरादा ना बदल दे , झट से उसके
ऊपर चढ़के उसके अंदर अपना पानी गिरा दें । कई बेवक़ूफ़ लड़कियां इनके चक्करों में फंस भी जाती हैं और जब तक
उन्हें समझ आती है , लड़के अपना काम निकाल के , उनको छोड़ कर जा चुके होते हैं ।लेकिन ये बातें मुझे जल्द ही
समझ आ गयी थीं । मैं इन चक्करों में पड़ी ही नहीं । मेरा सिर्फ एक बॉयफ्रेंड बना था , लेकिन वो भी धोखेबाज ही निकला । “

आँचल बोलते बोलते थोड़ी साँस लेने के लिए रुकी । अपनी बहन की पीड़ा देखकर समीर का दिल भर आया । उसने आँचल को
आलिंगन में भरकर उसका सर अपनी छाती से लगा लिया । अपने भाई की मजबूत बाँहों के घेरे में आकर आँचल ने एक
गहरी सांस ली । उसकी आँखों से फिर आँसू बह चले ।



सुबकते हुए वो बोली ,
“ समीर उस रात मैं सिर्फ थोड़ा मज़ा लेना चाहती थी और कुछ नहीं । लेकिन जैसा प्यार उस अजनबी ने मुझे दिया
वैसा मैंने कभी महसूस ही नहीं किया था । मुझे पता ही नहीं था कोई ऐसा इतना प्यार देने वाला भी हो सकता है।
मैं उस रात के बाद से हर रात उस अजनबी के ही सपने देखती रही हूँ और एक बार फिर से उन आनंद के पलों को
पाने के लिए तड़प रही हूँ । मुझे रिया की कितनी खुशामद करनी पड़ी कि वो एक बार मुझे उस लड़के से मिला दे ।
लेकिन जब वो अजनबी मेरा भाई यानि तुम निकले तो मेरे ऊपर आसमान ही टूट पड़ा । मेरे सपनों का शहजादा
जिससे मिलने को मैं तड़प रही थी वो मेरा अपना भाई निकला तो इसमें मेरा क्या कसूर है । “

आँचल फिर चुप हो गयी और अपने भाई के सीने से लगी रही । समीर के आलिंगन से उसकी तड़प फिर बढ़ने लगी ।
वो फिर से बेचैन हो उठी ।

“ सिर्फ एक बार , बस एक बार, अगर तुम मुझसे वैसे ही प्यार करो , तो शायद मेरे मन की तड़प पूरी हो जाये और ये रोज़
रात में आकर तड़पाने वाले सपनों से मुझे मुक्ति मिल जाये । क्या पता । “
फिर उसने अपनी आँखें उठाकर समीर की आँखों में झाँका पर उनमे उसे वही भाव दिखे , जो पहले दिन पार्किंग में दिखे थे ।
वही पीड़ा, क्रोध , confusion के मिले जुले भाव ।

" समीर प्लीज , मैं जानती हूँ तुम मेरे भाई हो और ऐसा करना शायद तुम्हारे लिए बहुत मुश्किल होगा। लेकिन सिर्फ एक बार
मुझे वही प्यार दो । उसके बाद तुम अगर मेरे पास आना नहीं चाहोगे तो कोई बात नहीं । लेकिन सिर्फ एक बार मैं तुमसे वही
प्यार चाहती हूँ और फिर जैसा तुम चाहोगे वैसा ही होगा । अगर तुम चाहोगे तो फिर से हम पहले के जैसे भाई बहन
बन जायेंगे । लेकिन प्लीज एक बार , सिर्फ इस बार मेरा मन रखलो । सिर्फ एक बार के लिए मेरे बॉयफ्रेंड बन जाओ मेरे भाई ।"

अपनी सुबकती हुई बहन को सीने से लगाए हुए समीर गहरी साँसे लेते हुए चुपचाप खड़ा रहा ।
आँचल ने अपने को समीर के आलिंगन से अलग किया । अपनी आँखों से आँसू पोछे और समीर को उम्मीद भरी नज़रों से देखा ।

समीर की कुछ समझ मेँ नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले ।

" मैं अपने बेडरूम का दरवाज़ा खुला रखूंगी । तुम अगर अपना मन बना लोगे तो सीधे अंदर आ जाना । नॉक करने की कोई जरुरत नहीं ।
मैं तुम्हारा इंतज़ार करुँगी । अगर तुम नहीं आये तो मैं समझ जाऊँगी कि तुमने क्या decide किया है । "

इससे पहले कि समीर कुछ जवाब दे पाता , आँचल तेज तेज क़दमों से अपने बेडरूम में चली गयी ।

समीर की कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था । अपने बेडरूम में बेड पर लेटे हुए उसके दिमाग में पार्टी की उस रात
के दृश्य घूमने लगे । उस अँधेरे कमरे में वो मादक लड़की जिसने उसे जी भर के कामतृप्ति दी थी । लेकिन आँचल ने जो
बातें अभी कहीं थी , उनसे समीर उलझन में था । अगर वो उसकी बात मानकर उसका दिल रख लेता है तो भी उनके बीच
कुछ अलग नहीं होने वाला था । क्योंकि आपस में सेक्स तो वो पहले ही कर चुके थे । अब इससे ज्यादा और हो ही
क्या सकता था। लेकिन वो ये भी जानता था कि अगर ये किस्सा शुरू हुआ तो फिर ये एक बार ही नहीं होगा ।
ये होते रहेगा और उनकी लाइफ को और उनके आपसी रिश्तों को और उलझा देगा ।

समीर अभी कोई मन नहीं बना पा रहा था । उसको इन सब बातों पर सोचने के लिए कुछ और वक़्त की जरुरत थी ।
उसने सोचा कि अगर वो आँचल की बात नहीं मानता और उसको मना कर देता है तो फिर एक ही छत के नीचे वो
कैसे रह पायेंगे । उनके रिश्ते के बीच एक दरार पैदा हो जायेगी ।

समीर फिर उस रात की लड़की के बारे में सोचने लगता है । वो लड़की उसे भी बहुत पसंद आयी थी और उस रात को
याद करके उसका लंड भी कई बार खड़ा हो जाता था । पर अब हालत दूसरे थे , वो लड़की कोई अनजान नहीं ,
खुद उसकी बहन थी । अब अगर वो आँचल के बेडरूम में चला भी जाता है तो अपनी बहन के साथ वैसे सेक्स थोड़ी
कर पायेगा जैसे उसने उस रात अनजान लड़की के साथ उसको dominate करके किया था और जो submissive nature
की आँचल को बहुत पसंद आया था । वो वैसा कर ही नहीं सकता था क्योंकि उसे मालूम था , अपनी बहन आँचल के सामने
वो नर्वस हो जायेगा । समीर कुछ भी decide नहीं कर पाया । उसने सारी समस्या को वक़्त और किस्मत के भरोसे छोड़ दिया ।
जो किस्मत में होगा देखा जायेगा । उसने सोचा कि देखते हैं सुबह आँचल कैसा रियेक्ट करती है ।

उधर आँचल रात में अपने कमरे में समीर के आने का इंतज़ार करती रही । वो रात उसके लिए बहुत लम्बी और तड़पा देने वाली
वाली साबित हुई । जैसे जैसे समय बीतता गया , आँचल डिप्रेशन की गहराईयों में गिरते चली गयी ।

दूसरे दिन सुबह आँचल बहुत दुखी थी । अपनी पैंटी के ऊपर एक लम्बी ढीली टीशर्ट डालकर नाश्ता बना रही थी । नाश्ता करते समय दोनों भाई बहन में से कोई भी कुछ नहीं बोल रहा था । वो चुपचाप अपनी प्लेटों की तरफ देखकर खाना खा रहे थे । खा क्या रहे थे , बस प्लेट में खाना इधर उधर घुमा रहे थे । दोनों ही अपने अपने विचारों में खोये हुए थे ।

जब आँचल ने नाश्ता कर लिया तो उसने नज़रें उठाकर समीर को देखा , अपने हैंडसम भाई को ।लेकिन अब वो जानती थी कि उसे अपने भाई के प्रति शारीरिक आकर्षण को वहीँ पर ख़तम कर देना चाहिए । उन दोनों भाई बहन की नज़रें आपस में मिली । आँचल का दिल तड़प उठा । उसकी आँखों में दर्द उमड़ आया । समीर द्वारा ठुकरा दिए जाने की पीड़ा से उसके आँसू गालों पर बहने लगे ।

“ तुम्हारा निर्णय अब मुझे पता चल गया है ” वो बुदबुदायी और फिर एक झटके से उठी और अपनी प्लेट लेकर किचन में चली गयी ।

आंचल का दुःख देखकर समीर का दिल भर आया । आंचल के उदास और लटके हुए चेहरे को देखकर उसने उसी क्षण फैसला ले लिया ,
भाड़ में जाये , समाज के नियम - कानून । मेरी बहन मुझे इतना चाहती है और मैं उसे चाहता हूँ , तो हमें औरों से क्या लेना देना ।
 

Bakchod_Engineer

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