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Horror किस्से अनहोनियों के

motaalund

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Update 18C


दाई माँ ने डॉ रुस्तम की तरफ देखा.


दाई माँ : बात कर ज्याते. (बात कर इस से )


डॉ रुस्तम ने भी तुरंत मिर्चा संभाला.


डॉ : कौन है तू???


उस मिरर के पीछे से फिर हसने की आवाज आई.


मै कौन हु ये तू भी जानता है. और ये बुढ़िया भी. मुझसे क्यों पूछते हो.


दाई माँ ने तुरंत कुछ सरसो के दाने उस गुड्डे की पिठ पर फेक के मारे. उस मिरर के पीछे के अक्स से दर्द की आवाज आई.


ससससस मुजे क्यों मार रही है. ये बुढ़िया.


डॉ रुस्तम हसने लगा.


डॉ : तू इन्हे जानता नहीं है लगता है.


जानता हु. पर ये मुजे नहीं बाँध सकती. आज ये बुढ़िया भी मारेगी और तू भी मरेगा.


दाई माँ ने सरसो के दाने. और डॉ रुस्तम ने पानी के छींटे एक साथ उस गुड्डे की पिठ पर मारे. वो एनटीटी बहोत जोरो से चिखी.



आआआ.... देख बुढ़िया. तू सुन ले. मेरी तुजसे कोई दुश्मनी नहीं है. बस हमें ये लड़की चाहिये. हम इसे भोगेंगे और चले जाएंगे.


दाई माँ को गुस्सा आ गया. सवाल पूछने से पहले ही दाई माँ आगे होते एक किल उस गुड्डे की पिठ मे चुबूती है.


आआआ.......आ बुढ़िया ठीक है. मै जता हु.


दाई माँ : अब तोए कितउ मे ना जाने दाऊँगी. तोए अब मे ना छोडूंगी. बाबड़ चोदे. तू मोते मेरी ही बेटी मांग रओ है.
(अब तुझे मै कही जाने नहीं दूंगी. भोसड़ीके. तू मुझसे मेरी ही बेटी मांग रहा है.)


दाई माँ गुस्से मे कुछ भूल रही थी. पर डॉ रुस्तम अपना आपा नहीं खोए थे.


डॉ : एक मिनट. क्या कहा तूने हमें. मतलब तुम और भी हो.


दाई माँ बिच मे बोल पड़ी.


दाई माँ : हे अब जे तो 2 ही है. मेने पहले ही देख लओ.
(अब ये दो ही है. मेने पहले ही देख लिया है)


हा हम दो ही है. हम चले जाएंगे. ये बुढ़िया को बोल हमें जाने दे. वरना ये जिन्दा नहीं बचेगी.


दाई माँ जानती थी की वो दो जिन्न हे. वो तीन थे. जिनमे से एक को तो डॉ रुस्तम ने पकड़ लिया था. और एक सरिनडर कर चूका था. पर एक वही होने के बावजूद नहीं आ रहा था.


दाई माँ : तोए जाने तो ना दूंगी. चुप चाप ज्या मे आजा.
(तुझे जाने तो नहीं दूंगी. चुप चाप इसमें आजा).


दाई माँ ने उस गुड्डे की तरफ हिशारा किया. पर तभी डॉ रुस्तम बोल पड़ा.


डॉ : नई माँ. अगर ये अकेला आया तो वो नहीं आएगा. बहोत चालक है ये.


तभी वो अक्स वाला जिन्न हसने लगा.


जिन्न 1 : बेचारी बुढ़िया. बहोत चालक समज़ती है. अपने को. मेने बोला ना. मै तेरे बस का नहीं. जिन्दा रहना है तो भाग जा. भाग जा इसे छोड़ कर.


दाई माँ को गुस्सा आया. और वो उसे फिर कील चुबूती है.


जिन्न 1 : आआआ.....


दाई माँ : बाबड़ चोदे. बड़ो चालक समझ रओ है तू. बो ना आवे ता का हेगो. तू अब ना जा सके. ना तोए आमन दूंगी ना जाए दूंगी.
(भोसड़ीके. बहोत चालक समझता हे तू. वो नहीं आएगा तो क्या हुआ. मै ना तुझे आने दूंगी. और ना जाने दूंगी.)


दाई माँ समझ गई की दूसर जिन्न पहले वाले से जुडा हुआ है. दोनों को एक साथ पकड़ना पड़ेगा. कोई एक भी छूट गया तो दूसरे को छुड़वा लेगा. वो जिन्न चालाकी कर के दाई माँ को चुतिया बनाने की कोसिस कर रहा था. पर दाई माँ ने पहले वाले जिन्न को भी पकडे रखा था. आईने वो गुड्डा और मंत्रो के जरिये.


दाई माँ : रे तू ज्यापे जल फेकते रे. मे भी देखु. जे भी कब तक झेलेगो. (तू जल फेकते रहे. मै भी देखु. ये कब तक झेलेगा.)


दाई माँ उस जिन्न को वो कील चुबोती रही. और डॉ रुतम भी उसपर जल फेकता रहा. वो जिन्न चीखने लगा.


जिन्न 1 : आआआ...........


हैरानी वाली बात तो ये थी की मिरर के निचले हिस्से से खून तपकने लगा. एक पतली सी खून की लाल लकीर टपक कर गुड्डे की तरफ आ गई. दाई माँ चीखती है.


दाई माँ : बुला वाए. (बुला उसे ).


दाई माँ ने उस जिन्न को इतना परेशान कर दिया. और साथ मे वो तामसिक मंत्र पढ़े की उस जिन्न को आना ही पड़ा. उस अक्स के साथ आधी सी दिखने वाली एक और चीज सबको नजर आने लगी. साथ ही दूसरी पर भयानक डार्विनी आवाज सुनाई देने लगी.


जिन्न 2 : क्यों हमें परेशान कर रही हो. मेने बोला ना. हम जा रहे है.


दाई माँ : ना ना ना... तुम कितउ जाओगे वो मे बताउंगी. चुप चाप दोनों या मे आ जाओ. नई तो.
(नहीं नहीं..... तुम कहा जाओगे ये मे बताउंगी. चुप चाप दोनों इस गुड्डे मे आ जाओ. नहीं तो.)


वो दोनों जिन्न बड़ी आसानी से उस गुड्डे मे आ गए. उस काले कपडे के पूछे जैसे ही अक्स निचे की तरफ मिटने लगा. दाई माँ ने उसी काले कपडे से उस गुड्डे को ढक कर लपेट लिया. दाई माँ ने उस काले कपडे अच्छे से बांध दिया.


दाई माँ : रे डाक्टर. ला रे मटकी. मे ज्याए(इसे) दरगा छोड़ आउं.


कोमल हैरान रहे गई. दाई माँ 4 घंटे पहले तो आई. अब जाने को कहे रही है. कोमल दुखी भावुक हो गई.


कोमल : माँ तुम अभी तो आई हो. और मुजे छोड़ कर.


कोमल के मुँह को अचानक डॉ रुस्तम ने दबोच लिया.


डॉ : कुछ मत बोलना कोमल. उन्हें जाने दो.


दाई माँ : जे साईं के रो हे. तू चुप रहे. मै तोते बाद मे मिलूंगी.


कोमल समझ तो नहीं पाई. पर उसकी आँखों मे अंशू आ गए. वो दाई माँ को सामान समेट ते देखे ही जा रही थी. साथ रोए ही जा रही थी. देख्ग्ते ही देखते दाई माँ जाने के लिए तैयार हो गई. कोमल दाई माँ के जाने के गम मे रोए ही जा रही थी. पर दाई माँ रुक नहीं सकती थी. उन्हें उन जिन्नो को एक दरगा तक लेजाना था.

दाई माँ देश का हर वो कोना घूम चुकी थी. जो उसके मतलब की थी. वो सबसे नज़दीक की जगह के बारे मे जानती थी. वो उन जिन्नो को सारंगपुर दरगा लेजा रही थी. उस जगह की खासियत थी की वहां पर दरगा पर एक पेड़ हे. जिसपर ऐसी बहोत सारी एनटीटी लटक रही है. उन्हें वहां कैद कर के रखा जता है. क्यों की वो ख़तम नहीं होती. वो जब तक उनका वक्त है. जमीन पर ही रहती है.

दाई माँ अपना सामान झोला लेकर दरवाजे पर खड़ी हो गई. जाते जाते भी वो हिदायत देती है.


दाई माँ : जे सीसाए करो कर के फिर लाकडिया समेत पजार दीजो. ( इस मिरर को काला कर के लड़की समेत जला देना)



दाई माँ चली गई. कोमल ये गम बरदास नहीं कर पा रही थी. उसे बलबीर संभालता है. कोमल बलबीर की बाहो मे बहोत देर तक रोती ही रही.
आखिर दाई माँ और डॉ रुस्तम ने उस जिन्न को पकड़ हीं लिया..
अब दरगाह पर छोड़ने से क्या वो वापस नहीं आएगा...
 

Shetan

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100 gadaar dosto se ek saccha mitra accha,
100 bekaar photo se tera chitra accha,
Hum to aaye hai Shetan ki kahani padhne,
100 kahaniyo se teri kahani ka charitra accha. !!😊
वाह पंडितजी वह. क्या खाते हो. कहा से कटे हो ऐसे शब्द.
 

Shetan

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Shetan

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Kaha lagna hai bhai ye bhi bata dijiye :hehe:
Likhne me bhai, galat na samjho yar
कोई बात नहीं krishna. पंडितजी तो ऐसे ही सबकी टांग खींचते रहते है. वो मज़ाक मस्ती नहीं करें तो उन्हें यजमानी नहीं मिलती
 

Shetan

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Story ka behatreen update

Dai maa to kaafi experienced shaksh nikli in taantrik maantrik vidyaao me,
Wah dono napaak jinno me koi kasar nahi chhodi komal ka peechhe chhodne me, inko apne jaisi koi female jinnad nahi mili to insaan female ke peechhe pad gaye, mujhe lagta hai inhe inke boora karmo ke vajeh se inki biraadari se unhe rukhsat ( nikaal dena) kar diyaa hogaa.
बहोत बहोत धन्यवाद Logan
 

Shetan

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Shetan

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आखिर दाई माँ और डॉ रुस्तम ने उस जिन्न को पकड़ हीं लिया..
अब दरगाह पर छोड़ने से क्या वो वापस नहीं आएगा...
बहोत बहोत धन्यवाद. ये किस्से को लिखते वक्त मेने ऐसी बहोत सी चीजों को skip किया जिस से मुजे बेन होने का डर था. पूरा किस्सा तो पसीने छूटा देता.
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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वाह पंडितजी वह. क्या खाते हो. कहा से कटे हो ऐसे शब्द.
Ab kya kare.
Tere chehre me wo jadu hai..... :D
 

Raj_sharma

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बहोत बहोत धन्यवाद. ये किस्से को लिखते वक्त मेने ऐसी बहोत सी चीजों को skip किया जिस से मुजे बेन होने का डर था. पूरा किस्सा तो पसीने छूटा देता.
Ban kyu?
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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कोई बात नहीं krishna. पंडितजी तो ऐसे ही सबकी टांग खींचते रहते है. वो मज़ाक मस्ती नहीं करें तो उन्हें यजमानी नहीं मिलती
Tu.ne yajmani kab di ye bata :bat:
 
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