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Horror किस्से अनहोनियों के

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Are mene kab kaha. Par tumhe padhne me maza aaega. Bahot mast character hai ye Panditji
So to dekhte hai👍 waise ojha ji ko bhi kafi samay se dekh hi rahe hai, bohot hi must hai :D
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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Bas kab naraj ho jaye ye hi pata nahi:haha:
 

Shetan

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Bas kab naraj ho jaye ye hi pata nahi:haha:
Kya ye vahi he???
 

motaalund

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बहोत बहोत धन्यवाद. ये किस्से को लिखते वक्त मेने ऐसी बहोत सी चीजों को skip किया जिस से मुजे बेन होने का डर था. पूरा किस्सा तो पसीने छूटा देता.
Its better to follow forum rules.
 

motaalund

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Update 19A

दाई माँ चली गई. कोमल का रो रो कर बुरा हाल हो गया. दाई माँ उसके घर पहेली बार आई. और उसका भला कर के चली गई. ना उसके साथ रहने का मौका मिला और ना ही दाई माँ की सेवा करने का.

पर दाई माँ भी क्या करती. दो ख़तरनाक जिन्न उनके पास जो थे. दाई माँ अपने काम को लेकर मुल्क के वो सभी इलाके मे घूम चुकी थी. जिस से दाई माँ के पेशे से वास्ता था. सबसे नजदीक जगह दाई माँ को पता था.

गुजरात मे ही एक सारंगपुर नाम की जगह थी. जहापर एक पीर का स्थान था. वहां पर दरगाह के साथ ही एक पेड़ है. जिसपर कई सारी एनटीटी को बांध कर लटका दिया जता है. क्यों की पृथ्वी पर सभी जीवो का वक्त मुकरर है.

ऐसी एनटीटी जो दुसरो को तकलीफ पहोंचा सकती है. वो ऐसी जगह पर ही अपना वक्त बिताई यही सही है. ताकि कोई पजेश ना हो. दाई माँ एक लोकल ट्रैन पकड़ कर सारंगपुर के लिए तुरंत ही निकल गई.

वही कोमल बलबीर की बाहो मे मुँह छीपाए बस रोए ही जा रही थी. पर डॉ रुस्तम आगे की करवाई मे तुरंत ही जुट गए. उस ड्रेसिंग टेबल के शीशे को हवन की कलिक से काला किया. पर इतने बड़े टेबल को जलाने के लिए निचे ले जाना ज्यादा जरुरी था. वो अकेले नहीं लेजा सकते थे. ताकि उस एनटीटी का कोई लिंक ना रहे.


डॉ : ऐसे बैठे रहने से काम नहीं चलेगा. हमें काम ख़तम करना है. इस टेबल को निचे पहोंचाना होगा.


बलबीर तुरंत खड़ा हुआ. दोनों मिलकर टेबल निचे लेजाने लगे. कोमल ये सब खड़े खड़े देख रही थी. पर उसे भी लगा की उसे भी कुछ करना चाहिये. वो भी उनके साथ लग गई. कड़ी महेनत के बस वो तीनो मिलकर उस ड्रेसिंग टेबल को निचे पहोंचा देते है. कोमल की फ्लेट की बिल्डिंग के पास ही एक खाली प्लाट था. जिसमे झाड़िया जंगल टाइप हो गया था.

उस टेबल को वही लेजाकर जला दिया गया. वो तीनो थक गए. उस एनटीटी से जुडी सभी चीजे जल चुकी थी. वो तीनो ऊपर आए और थके हुए सोफे पर ही बैठ गए. कुछ देर कोई नहीं बोला.


डॉ : मेरे ख्याल से मुजे अब जाना चाहिये. मै रात की कोई फ्लाइट बुक कर लेता हु.


कोमल : प्लीज डॉक्टर साहब. आज तो रुक जाइये. देखो माँ भी मुजे छोड़ कर चली गई.


डॉ : उन्हें इस वक्त तो जाना ही बहेतर था. दो खतरनाक एनटीटी को लेकर किसी एक जगह रुकना ठीक नहीं है.


कोमल और सभी को काफ़ी अच्छा फील हो रहा था. माहोल मे एकदम से बदलाव आ चूका था. चारो तरफ पॉजिटिव वाइब्स आने लगी थी. हवन की खुशबु अब भी आ रही थी. कोमल डॉ रुस्तम के कहने का मतलब समझ भी गई. और उसका माइंड भी दाई माँ के दुख से डाइवर्ट हो चूका था.


डॉ : ठीक है. पर मै सिर्फ आज ही रुकूंगा. कल मे चले जाऊंगा.


कोमल : (स्माइल) इसी बात पे गरमा गरम चाय हो जाए.


कोमल तुरंत उठकर किचन मे चली गई. और चाय बनाने लगी. बलबीर और डॉ रुस्तम दोनों आमने सामने थे. कोमल भी उनकी बाते आसानी से सुन भी सकती थी. और बाते भी कर सकती थी.


बलबीर : डॉक्टर साहब आप इस पेशे मे कैसे आए??? मतलब ये सब भुत प्रेत आप ने पहेली बार कैसे देखे मतलब...


कोमल भी ये सब सुन रही थी. डॉ रुस्तम सोच मे पड़ गए. पर उन्होंने अपनी कहानी सुनना स्टार्ट किया.


डॉ : मै पहले एयर फोर्स मे था. मुजे जो सबसे पहेली एनटीटी मिली वो कुछ अलग ही थी. इस से पहले मेने कभी कोई पैरानॉर्मल एक्टिविटीज नहीं देखि थी. और ना ही मुजे किसी हॉरर स्टोरी मे इंटरस था.


कोमल : (किचन से ही) एयरफोर्स वाओ..


डॉ : उस वक्त मे सिर्फ 21 इयर्स का ही था. मै फ़्लाइंग लेफ्टनें की रैंक पर था.


कोमल : (किचन से ही) वाओ मतलब आप पायलट भी थे??


डॉ : जी बिलकुल. जयपुर एयर बेस पर मेरी पोस्टिंग थी. ये मेरी दूसरी पोस्टिंग थी. ये गर्मियों की बात है.

मै अपनी सोटी ख़तम कर के आ रहा था.
उस वक्त कैंप के चारो तरफ दिवार नहीं हुआ करती थी. बस तार से बाउंड्री फेंसिंग बनी हुई होती थी. कैंप हमेशा शहर के बहार की तरफ ही बनाए जाते है. और कैंप के पास कोई रेजिडेंस भी नहीं होते.

बस कुछ 10 या 12 घर ही होते है. जिसका दाना पानी कैंप की वजह से ही चलता है. फ्रेश, दूध, बहोत कुछ सप्लाई करने वाले ही कैंप के पास अपना घर बना लेते है. हा कैंप के बहार बाउंड्री की तरफ पोल लाइट जरूर होती है. बाउंड्री की उस तरफ कच्चा रस्ता भी था.

जिसपर हमारी पेट्रोल पार्टी, शहर जाने के लिए रोड तक का रस्ता हुआ करता था. जब मै अपनी सोटी कम्प्लीट कर के वापिस आ रहा था. मुजे बाउंड्री पर एक बच्चा दिखाई दिया. कुछ 4 या 5 साल का लग रहा था. मेरे आगे मेरे एक साथी भी चल रहे थे. जो मुझसे सीनियर थे. मेने उन्हें आवाज दि.



मै : संदीप सर.


उन्होंने पीछे मुड़कर मुजे देखा. मै उनके पास गया.


मै : सर मेने वहां एक 4,5 साल के बच्चे को देखा. जो बोल से खेल रहा है.


संदीप : हम्म्म्म होगा कोई घर पे माँ बाप सो रहे होंगे. बच्चा बहार निकल गया होगा.


मै : सर मै उसे उसके घर तक पहोंचाकर आता हु.


संदीप : गुड... जाओ मगर अपना बेल्ट और पिस्तौल मुजे दे दो. और छोड़ कर जल्दी आ जाना.


मेने उन्हें पिस्टल और बेल्ट दे दिया. और बाउंड्री की तरफ दोडते हुए जाने लगा. जब मै कैम्प की बाउंड्री की तरफ गया तो देखा की सच मे वो छोटा बच्चा ही था. और अकेला मस्त एक बोल के साथ खेल रहा था.


तभी वहां कोमल चाय की ट्रे लेकर आ गई.


कोमल : कैसे माँ बाप होंगे जिन्हे होश तक नहीं की उनका बच्चा इतनी रात को घर से बहार निकल गया. कितने बज रहे होंगे वो टाइम.


डॉ रुस्तम बस थोडा सा हसे कोमल ने उनकी तरफ चाय का कप बढ़ाया था. उसे ले लेते है.


डॉ : (स्माइल एक्क्सइटेड) रात के एक बज रहे थे उस वक्त.


सुनते ही कोमल के होश ही उड़ गए.


कोमल : फिर तो अच्छा ही हुआ की आप की नजर पड़ गई. कोई जानवर या किसी बदमाश के हाथ आ जाता तो...


डॉ रुस्तम को हसीं आने लगी.


डॉ : (स्माइल) जो दीखता है. हर बार ऐसा नहीं होता. जो तुम सोच रही हो.

मेने भी ऐसा ही सोचा था. मै बाउंड्री तक पहोच कर उस बच्चे को देखने लगा. वो तो मस्त होकर खेल रहा था. कभी बोल को उछालता और खुद ही कैच करने की कोसिस करता. मेने दए बाए भी देखा. वहां कोई नहीं था. मेने उस बच्चे को आवाज दि.


मै : हेलो बेटा हेलो हेलो.


आवाज देते ही वो रुक गया. और मुजे देखने लगा.


मै : हेलो बेटा तुम्हारा घर कहा है????


उसने उस रास्ते की तरफ बस हाथ दिखाया. वो रस्ता कैम्प के साइड से ही कैंप की बाउंड्री बाउंड्री गेट तक जाता है. बस वही सिविलियन के घर भी है. कुछ 10, 12 के आस पास. मै बाउंड्री मेसे बहार निकल गया. और उसके पास गया.


मै : बेटा इतनी रात को बहार नहीं निकलते. चलो मै तुम्हे तुम्हारे घर छोड़ देता हु.


मेने उसे गोदी मे उठा लिया. और कैंप के बहार की तरफ के कच्चे रास्ते पर चलने लगा. वो रस्ता कैंप के साथ साथ ही था. उस वक्त मुजे टॉफी खाने की बहोत आदत थी. चालू सोटी मे भी मै टॉफी खाया करता था. मेने जेब से एक टॉफी निकली और उसे दे दि.


मै : लो बेटा टॉफी खाओ.


उसने वो टॉफी ले ली. उसे गोद मे उठाए मै चले जा रहा था. मै उस से कुछ भी पूछता वो जवाब ही नहीं दे रहा था. पर जो मेरे साथ हो रहा था. वो कुछ अजीब था. उस बच्चे को जब मेने उठाया. वो एकदम हलका ही था. जैसे हर बच्चे का वजन होता है. पर धीरे धीरे मुजे एहसास होने लगा की उसका वेट बढ़ रहा है. अब जो मै बताऊंगा तो तुम्हारे होश उड़ जाएंगे. वो बच्चा धीरे धीरे बड़ा हो रहा था. गांव मे मेने लोगो से ऐसे किस्से सुने थे.

मै समझ गया की ये कोई गलत चीज है. मेने उसे जोर से पटका. और वो बच्चा एकदम बड़ा जमीन पर गिरा. और गिरते ही वो वहां से भागने लगा. मै देखता ही रहे गया. वो वहां से भाग गया.


बलबीर : वो तो फिर छलवा था.


बलबीर गांव का था. और उसने ऐसे किस्से सुन रखे थे. भले ही उसने ऐसा कुछ देखा नहीं था. पर उसे जानकारी थी.


डॉ : बिलकुल सही कहा. हम फौजी किसी चीज से डरते तो नहीं. पर मेरे साथ पहेली बार हुआ था. इस लिए मुजे डर लगने लगा.

मै वहां से कैंप मै आ गया. मै बाउंड्री से नहीं गया. बल्कि रास्ते से ही गेट तक आया. सुबह मेने अपने सीनियर संदीप सर को भी ये किस्सा सुनाया. पर सर बोले की उस वक्त मुजे कोई बच्चा नहीं दिखा. मेने तुम्हारी बात पर यकीन किया.

बाद मे मै और संदीप सर उन सिविल मकानों की तरफ गए. सर सायद किसी को जानते थे. वहां एक बंजारा भी रहता था. जो अपनी भेड़ बकरिया कैंप के पास चराया करता था. हमने उनसे बात करी. और उसने हमें बताया की वो एक छलवा था.


कोमल : चलावा??? वो क्या होता है???


बलबीर : छलवा वो होता है जो सुमसान रास्ते या खेत मे मिले लोगो को छल से फसता है. और उन्हें किसी ना किसी तरह मरवाता है. जैसे की एक्सीडेंट करवाएगा. किसी गाड़ी के निचे ले आएगा. या पानी मे डुबवा देगा. या खाई मे कुड़वा देगा.


कोमल : तो फिर उन्होंने डॉक्टर साहब को कैसे जिन्दा छोड़ दिया??.


बलबीर : क्यों की डॉक्टर साहब ने उसे टॉफी दि थी. अगर उसे कोई चीज दे दो तो वो उन्हें नहीं फसता है. पर डॉक्टर साहब उसे गोद मे लेकर चलने लगे तो उसे उनसे पीछा छुड़ाना था. इस लिए उस छालावे ने ऐसा किया.


कोमल : (स्माइल) वाह बलबीर तुम तो बहोत कुछ जानते हो. पर तुम छालावे के बारे मे इतना सब कैसे जानते हो?.?
डॉ की छलावे से भेंट..
ये तो मनपसंद था कोमल का...
आखिर दाई माँ के पास इसलिए तो जाती थी...
 

motaalund

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Update 19B


बलबीर ने डॉ रुस्तम की तरफ देखा. जैसे बलबीर उनकी परमिसन चाहता हो. डॉ रुस्तम ने भी गर्दन हिलाकर हा मे सहमति दे दि.



डॉ : हा बलबीर पर रुको. इस एनटीटी के बारे मे मै कुछ बताता हु.

ये अमूमन सुमशान रास्ते पर या जंगल या खाली खेतो मे ज्यादा मिलते है. ये लोहे और आग से दूर रहते है. लोग इस से ज़्यादातर पजेश तो गांव के बहार वाले रास्ते पर या खेतो मे अकेले ही होते है. इनकी सबसे खास बात ये है की ये किसी का भी रूप ले सकते है. कभी तो ये कुत्ता या गाय बन जाते है.

तो कभी बकरी. ये इंसान का भी रूप ले लेते है. कभी ये छोटा बच्चा बनाकर मिलेंगे तो कभी बुढ़िया बनकर. ये कभी कभी तो हमारे सामने हमारे माँ बाप भाई बहन या दोस्त के रूप मे भी मिल जाते है. इसी लिए इन्हे छलवा कहते है. बलबीर ने ऐसे किस्से गांव मे सुने ही होंगे. क्यों बलबीर क्या मे सही हु????


बलबीर : हा डॉक्टर साहब. हमारे गांव मे भी ऐसे किस्से हो चुके है. और वो भी मेरे बाबा मतलब मामा के साथ ही.


बलबीर गांव का भांजा था. वो अपने मामा के घर बड़ा हुआ था. छोटा था तब से ही वो अपने मामा मामी को ही माँ बाबा बोलता था.


बलबीर : उस वक्त मे काफ़ी छोटा था. कितनी उम्र होंगी याद नहीं. मेरे बाबा खेतो मे रात पानी देने गए थे.. ठंड बहोत थी. गेहूं का सबसे पहला पानी था. पानी देते वक्त उन्हें किसी ने पुकारा. आवज से जोरावर चाचा लग रहे थे.


जोरावर चाचा : रे भगवान सिंह. हुक्का पजार ले.
(भगवान सिंह हुक्का जला ले )


भगवान सिंह(मामा) : अब सबरे खेतन मे तो पानी हते. आयजा तोए बीड़ी पीबा दाऊ.


बाबा को जोरावर चाचा की आवाज तो सुनाई दि. पर वो दिखे नहीं थे. बाबा ने दो बीड़ी जला ली. पर जोरावर चाचा आए नहीं. बाबा ने आवाज भी दि.


भगवान सिंह : रे जोरावर... ओओ जोरावर. रे कहा रेह गो?? (कहा रहे गया???)


पर कोई नहीं आया. बाबा को शक हो गया. वो इस लिए नहीं आया क्यों की बाबा के हाथो मे फावड़ा था. वो हुक्का के बहाने बाबा से फावड़ा रखवाना चाहता था. वो आग जलाने से पहले बाबा को अपनी चपेट मे ले लेता. बाबा वहां से उसी वक्त चल दिये. ना तो उन्होंने अपना फावड़ा छोड़ा. और ना ही बीड़ी बूझने दी.

जब घर आए तो उन्होंने ये किस्सा माँ को सुनाया. मेने भी तब ही सुना. उन्होंने ये बात जोरावर चाचा को भी बताई. पर वो तो खेतो मे गए ही नहीं थे. अब इस बात के साल भर बाद. जोरावर चाचा बगल वाले गांव के एक लड़के से बात करते हुए गांव मे आ रहे थे. उस वक्त शाम थी. अंधेरा हो चूका था.


जोरावर : रे रामु सबेरे 4 बजे आ जाना. हम दोनों काम शुरू कर देंगे. हमें सुबह सुबह एक बिगा तो काम से काम खोदना ही पड़ेगा.


रामु : मै आ तो जाऊंगा चाचा. पर सबेरे सबेरे दरवाजा खट ख़तऊंगा चाची डांटेगी. पिछली साल भी मुजे खूब खरी खोटी सुनाई.


जोरावर : रे बावरे मै पहले ही कमरे मे सोऊंगा. तू बस आवज देना. दरवाजा मत खट खटाना.


रामु : ठीक है चाचा. 4 बजे मै आवाज लगा दूंगा. खेतो मे ही जंगल पानी( टॉयलेट) चले जाएंगे.


जोरावर : ठीक है.


अब जोरावर चाचा रात सो गए. उनके पास घड़ी थी नहीं. और उस वक्त मोबाइल कहा होता था. रात 2 बजे ही उन्हें रामु की आवाज आई.


रामु : चाचा.... चाचा...


जोरावर चाचा उठ गए. और दरवाजा खोल कर देखते है की रामु बहार खड़ा है.


जोरावर : रे रामु??? बड़ी जल्दी 4 बज गए रे. रुक मै औजार लेकर आता हु.


चाचा दो फावडे लेकर बहार निकले तो रामु आगे आगे चल दिया. अब चाचा को उसे फावडे पकड़वाने थे. मगर रामु तो आगे आगे चल रहा था. चाचा ने दो बीड़ी भी जलाई.


जोरावर : रे ले रामु. इतना तेज कहे चल रहा है. बीड़ी तो ले ले.


पर वो रुका नहीं.


रामु : अरे बीड़ी पिऊंगा तो यही लग जाएगी. जंगल पानी जाते वक्त ही लूंगा. जल्दी चलो सूरज माथे चढ़ गया तो काम होना मुश्किल है.


चाचा अपनी बीड़ी पीते चुप चाप चलने लगे. वो ट्यूबवेल के पास पहोचे और फावडे को अपने पास रखे बैठ कर दूसरी बीड़ी जलाकर पिने लगे. वो सोच रहे थे की पहले टॉयलेट जाए फिर काम शुरू करेंगे. पर आधा घंटा भी नहीं हुआ और रामु आ गया.


रामु : लो चाचा. पूरा खेत खोद दिया. अब चलो पोखर. जंगल पानी हो आए.


चाचा हैरान रहे गए. वो फावड़ा उठाकर खेतो मे गए. बात एक बिगा खोदने की थी. मगर 7 बिगाह खुद चूका था. चाचा हैरान रहे गए. अब चाचा को सक हुआ. पर रामु सामने ही खड़ा था.


रामु : अरे चलो ना चाचा. पोखर मे ही जंगल पानी हो जाएगा. वही धो लेंगे.


चाचा डर गए. और वो उसी के साथ चल पड़े. पर उन्हें ये ध्यान ही नहीं था की उनके हाथ मे फावड़ा है. जब पोखर के करीब पहोचे तब. वो दोनों खड़े हो गए.


रामु : चाचा ये फावड़ा यहाँ रखो. और जाओ हो आओ हलके.


चाचा : नहीं पहले तू जा आ.


रामु जैसे ही आगे गया. चाचा तुरंत वहां से गांव की तरफ चल पड़े. वो समझ गए थे की फावड़ा रखा तो वो जिन्दा नहीं बचेंगे. मगर जाती वक्त उन्हें आवाज भी सुनाई दीं. वो छलवा ही था.


छलावा : (हसना) जोरावर आज तू जिन्दा बच गया. मगर जिस दिन तू मेरे हाथ आया. तुझे जिन्दा नहीं छोडूंगा.


बलबीर शांत हो गया. मगर कोमल फटी आँखों से उसे ही देख रही थी. कोमल को ऐसे देख कर बलबीर डर गया.


बलबीर : कोमल... तुम ठीक...


कोमल : मुजे क्या हुआ. फट्टू हो तुम.


कोमल खड़ी हुई और किचन मे चली गई.


कोमल : मै डिनर बना रही हु. किसी को कुछ खाने का मन हो तो बता दो.



डॉ रुस्तम को हलकी सी हसीं आई. क्यों की बलबीर खुद कहानी सुनते हलका सा डर गया. मगर कोमल को तो बिलकुल डर नहीं था. उल्टा वो लीन होकर किस्सा सुन रही थी. जाने से पहले डॉ रुस्तम कोमल से पूछना चाहते थे की क्या वो इनके साथ पैरानॉरोल इन्वेस्टिगेशन मे काम करना चाहेगी या नहीं.
कोमल ने शायद इनका सामना नहीं किया था...
इसलिए वो बलबीर को फट्टू बोल रही....
 

motaalund

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Update 20A


डाइनिंग टेबल पर बैठे बलबीर और डॉ रुस्तम गरमा गरम खाने का लुफ्त उठा रहे थे. तब ही किचन से कोमल आई और डॉ रुस्तम की थाली मे गरमा गरम रोटी डाल देती है.


डॉ रुस्तम : अरे बस बस हो गया.


कोमल : अरे खाइये ना डॉ साहब.


डॉ : मै ज्यादा नहीं खाता. तुम तो मुजे ऑलरेडी 5 रोटी खिला चुकी हो.


कोमल : ये लास्ट है.


कोमल ने बलबीर की तरफ देखा. जो चुप चाप खा रहा था.


कोमल : बलबीर तुम कुछ लोगे???


बलबीर : नहीं. तुम भी आ जाओ ना.


कोमल : हा बस अभी आई.


कोमल भी कुछ देर मे अपनी थाली लेकर आ गई. और उन दोनों के साथ अपना खाना खाने लगी. वो दोनों खा चुके थे. बस कोमल को कंपनी देने के लिए बैठे हुए थे. डॉ रुस्तम भी सोच ही रहे थे की अपनी फिल्ड मे काम करने के लिए कोमल से कैसे पूछे. कोमल भी अपना डिनर ख़तम कर लेती है. बाकि बचा हुआ काम भी वो जल्द ही कम्पलीट कर देती है. और वो भी उनके सामने आकर बैठ गई.


डॉ : तो कोमल क्या सोचा आप ने????


कोमल : किस बारे मे.


डॉ : हमारे साथ पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेशन और रिसर्च के बारे मे. क्या आप हमारे साथ मे काम करना चाहोगी???


कोमल ने तुरंत ही बलबीर की ओर देखा. कोमल इन सब चीजों से इस लिए दूर रहना चाहती थी. क्यों की बलबीर के बच्चों को वो एक माँ की तरह प्यार कर रही थी. इसी लिए कही कोई बला उनके साथ आ गई. और उन बच्चों को पजेश करने की कोसिस करेंगी तो बलबीर से किया वादा पूरा नहीं हो पाएगा. कोमल बलबीर के बच्चों के एजुकेशन के लिए बहोत बड़ा पैसा खर्च कर रही थी.


कोमल : वो...... दरसल. मै अपने सोख के खातिर अपने लोगो को प्रॉब्लम मे नहीं डाल सकती. आप सायद समझ गए होंगे की मै कहना क्या चाहता हु.


कोमल बोलने के बाद बलबीर की आँखों मे देखती है. जैसे कहना चाहती हो की फ़िक्र मत करो.


डॉ : अगर बात सिक्योरिटी की है तो गजबराओं नहीं. हम अपने लोगो को कभी मुशीबत मे नहीं डालते. लोगो की मदद करते है. और जहा ऐसी कोई बात होती है तो हम खुद आगे रहते है..


कोमल को भले ही भूतिया किस्सों मे बहोत दिलचस्पी थी. मगर बच्चों और अपनी माँ बहन के मामले मे वो बिलकुल रिस्क नहीं लेना चाहती थी.


कोमल : माफ करना डॉ साहब. मेरी तरफ से साफ ना है. आप जानते है की मै खुद अभी क्या क्या भोग चुकी हु. आप प्लीज....


डॉ रुस्तम ने कोमल की बात बिच मे ही काट दीं.


डॉ : वही तो. मै तुमसे यही तो कहना चाहता हु.

आप खुद कितना कुछ सह चुकी हो. अपने अपने एक्स हसबैंड का अंजाम देखा ना. आप जैसे कितने लोग है. जिसने अपना एक्स नहीं फ्यूचर को गवा दिया. नजाने कितनी माँ ने बच्चों को गवा दिया. कितने परिवार इन जादू टोन और बहोत सी ऐसी चूजों से खो दिया. हम लोगो की मदद करते है.


ऐसी दिल को छू लेने वाली बातो से कोमल नहीं पिघली. क्यों की वो एक बेरहेम वकील थी. पर बलबीर बहोत जल्दी भावुक हो गया. क्यों की वो बेचारा गांव का सीधा सादा इंसान था.


बलबीर : ये तो भलाई का काम है कोमल. सायद तुम्हे करना चाहिये. और मै तो तुम्हारे साथ हार वक्त हु ही.


कोमल अब फस गई. वैसे तो ऐसे कोई मामले मे बलबीर के राज़ी हो जाने के बाद भी वो साफ मना कर देती. बलबीर को भी चुप करा देती. पर खुद की दिलचस्पी ही एक अलग ही रोमांच पैदा करने लगी. कोमल मुश्कुराते हुए अब भी यही सोच रही थी की क्या ये फेशला सही होगा.


डॉ : हम परसो शाम इलाहबाद जा रहे है. एक स्कूल है. जिसकी छत गिर जाने से कई बच्चे मर चुके थे. अगर तुम आना चाहो तो...???


डॉ रुस्तम भी बोलते बोलते रुक गए.


कोमल कुछ पल सोचने के बाद बोलती है.


कोमल : ठीक है. पर मुजे अपने काम के लिए जरुरत हुई तो मै बिच मे से ही चली जाउंगी. प्लीज इसके लिए आप को भी समझना होगा.


डॉ रुस्तम ने तुरंत ही स्माइल करते हुए अपना हाथ कोमल की तरफ बढ़ाया. कोमल भी खुश होकर डॉ रुस्तम से हाथ मिलती है. बलबीर भी खुश था की कोमल मान गई. वक्त आ गया सोने का. डॉ रुस्तम पहले की तरह ड्रॉइंगरूम मे ही सो गए. बलबीर कोमल के बेडरूम मे कोमल का इंतजार कर रहा था. उसके हाथ मे कोमल का मोबाइल था. वो कोमल के ही फोटोज देख रहा था.

वैसे तो कोमल ने पलकेश और शादी के सारे फोटोज डिलीट कर दिये थे. पर अपने सिंगल फोटोज को सेव रखा हुआ था. कोमल के साड़ी मे कई फोटोज थे. बहोत सारे फोटोज स्लिवलेस और डीप नेक ब्लाउज वाले थे. ब्रा जैसे दिखने वाले हॉट ब्लाउज मे कोमल बहोत हॉट लग रही थी. और भी कई फोटोज थे.

जिसमे कोमल ने वनपीस गाउन पहना हुआ था. जिसमे टांगो की तरफ लम्बा कट था. बलबीर सिर्फ कोमल की फोटोज देख कर ही अकर्षित हुआ जा रहा था. वो ऊँगली घुमाते हर एक फोटोज को बड़ी गौर से देख रहा था. तभि कोमल के कॉलेज टाइम के फोटोज भी आ गए. जिसमे कोमल की छोटी छोटी ड्रेस मे फोटोज थे.

उस वक्त कोमल भरी हुई महिला नहीं एक टीन गर्ल थी. कोमल तो पहले से ही लम्बी हाईट वाली लड़की थी. कोमल कभी झंगो तक या उस से भी छोटे ड्रेस मे. तो कभी छोटी स्कर्ट मे दिखाई देती. इंडियन आउटफिट मे भी कोमल के फोटोज थे. कोमल बहोत ब्यूटीफुल और हॉट थी. उन फोटोज को देखने के कारण बलबीर का प्यार और अरमान दोनों ही जाग गए. तभि कोमल अंदर आई.

उसके हाथ मे तौलिया था. और वो फुल ढीली ढली मैक्सी मे थी. बलबीर के एक हाथ मे अपना मोबाइल और दूसरे हाथ पाजामे के ऊपर से ही अपने खूंटे पर देख के कोमल के फेस पर भी स्माइल आ गई.


कोमल : (स्माइल) क्या देख रहे हो???


बलबीर ने तुरंत ही मोबाइल साइड रखा. और कोमल को लेटने की जगह दीं.


बलबीर : सब तुम्हारी ही फोटू(फोटोज) देख रहा था.


कोमल भी बलबीर के बगल मे लेट कर बलबीर की तरफ झूक गई. उसकी चेस्ट पर अपना हाथ रख कर हलका हलका साहलाते हुए बलबीर की आँखों मे देखने लगी.


कोमल : (स्माइल) अच्छा??? तो कैसे लगे मेरे..... फोटू(फोटोज)????


कोमल ने जानबुचकर फोटू कहा. उसे बलबीर का देहाती होना और साफ हिंदी बोलते वक्त कुछ ऐसे शब्दो को सुन ना बहोत अच्छा लगता था. वो जानती थी की बलबीर उसकी जब भी तारीफ करता है. जो फील करता है. वही बोलता है.


बलबीर : तुम ना किसी फ़िल्म की हीरोइन की तरह लगती हो.


बस कोमल को और क्या चाहिये था. जब इसे पता हो की वो किसी के लिए कितनी स्पेशल है. उसे केसी लगती है. तब उसे और क्या चाहिये. बलबीर का उस तरह देखना कोमल को मदहोश ही कर रहा था.


कोमल : (स्माइल) अब तो ये हीरोइन तुम्हारी है.


बलबीर कुछ बोलने ही वाला था. की कोमल ने लपक कर उसके होठो से अपने होंठ ही जोड़ दिये. और लिप्स को लॉक कर के उसके ऊपर ही चढ़ गई. पर बलबीर से इतनी जबरदस्त तारीफ मिली की कोमल कुछ ज्यादा ही एक्सएटमेंट फील कर रही थी. मस्ती मे आकर कोमल ने बलबीर की गंजी को ही दोनों हाथो से पकड़ा और जोर से झटका लगाकर फाड़ दिया.


बलबीर : ममममम... (किस तोड़ते) (सॉक) ये क्या किया. फाड़ दीं??? 4 दिन पहले ही तो लाया था. साला नई बनियान फाड़ दीं.


कोमल को हसीं आ रही थी. और बलबीर की हलत पर वो बड़ी जोरो से हस रही थी.


कोमल : अरे यार नई ले लेना. अभी छोडो.


कोमल ने बलबीर को अफ़सोस करने का बाद मे मौका नहीं दिया. और वो उसपर टूट पड़ी. बलबीर भी कोमल के फोटोज देख कर मस्त हो चूका था. आखिर वो उसके सपनों की सहेजादी थी. और सहेजादी भी उसकी खुद की बाहो मे. ब्यूटी और बिस्ट का मिलन हुआ. तंदुरस्त और सुंदरता के समागम मे दोनों ने ही खूब आनंद लेते खुशियाँ बटोरी. प्रेम और वासना के संगम मे कब नींद आई.

कब रात गुजरी पता ही नहीं चला. सुबह 8 बजे खट पट की आवाज से कोमल की नींद खुली तब कोमल बेड पर अकेली थी. कोमल ने एक बेडशीट ओढ़ रखी थी. जिसमे वो अंदर से नंगी थी. कोमल ने दए बाए देखा. उसे अपनी ब्रा तो मिल गई. पर पैंटी नहीं मिली. कोमल फटाफट ब्रा और ऊपर वही ढीली ढली मैक्सी पहन कर बहार आई.

वो दोनों की भी नजरें कोमल पर गई. कोमल के बिखरे हुए बाल हालत बहोत खुबशुरत भूतनी ही लग रही थी.


डॉ : कोमलजी अब मुजे जाना है. बलबीर मुजे छोड़ने जा रहा है.


कोमल : ओह गोड. बलबीर तुम्हे मुजे जगाना चाहिये था ना. डॉ साहब को कम से कम मै एयरपोर्ट तक ड्राप करने तक तो जा सकती थी ना.


बलबीर : हा तो अभी कोनसा ज्यादा टाइम बीत गया. जल्दी तैयार हो जाओ.


कोमल के फेस पर स्माइल आ गई. और वो फटाफट बाथरूम की तरफ भागी. बलबीर ने डॉ रुस्तम को बहोत बढ़िया नास्ता करवाया. और सही टाइम पर तीनो एयरपोर्ट के लिए निकल पड़े.


बलबीर कार ड्राइव कर रहा था. और डॉ रुस्तम उसके बगल मे ही आगे की फ्रंट शीट पर था. कोमल अकेली पीछे बैठी हुई थी. बलबीर शहर के ट्रैफिक को काट ते हुए कार एयरपोर्ट तक पहोंचा रहा था.


डॉ : कोमल मुंबई से हमारी कल दोपहर 3 बजे की फ्लाइट है. हम सायद 04:30 तक इलाहबाद एयरपोर्ट पहोच जाएंगे.


कोमल : मै यही से डाइरेक्ट पहोच जाउंगी. आप फ़िक्र ना करें.


डॉ रुस्तम ने अपने बैग से पहले से ही कुछ सामान निकला हुआ था. जो उसके हाथ मे ही था. वो पीछे मुड़कर कोमल को वो सामान देता है. कोमल ने उसे हाथ मे लिया. एक लाल कपडे मे कुछ 6 किले थी. एक विलचैंग था जो बंधा हुआ था. इसके आलावा नीबू और मिर्ची की छोटी सी मला थी.


डॉ : मेने बलबीर को सब समझा दिया है. वो सब अच्छे से कर लेगा. इसे संभल के रख दो.


कोमल और बलबीर डॉ साहब को एयरपोर्ट छोड़ देते है. और वो मुंबई के लिए निकल जाते है. कोमल और बलबीर घर के लिए वापिस जाने लगे.


बलबीर : तुम पागल तो नहीं हो. ट्रैन से ही 38,40 घंटे लग जाएंगे.
कोमल का मूड शारारत करने का हो रहा था. वो बलवीर के कंधे पर हाथ रख कर हलके हलके सहलाने लगी.


कोमल : (स्माइल) कोई बात नहीं ये परी तुम्हे उड़ाकर ले जाएगी.


बलबीर समझ गया की कोमल हवाइजहाज की बात कर रही है.


बलबीर : उसमे कितना पैसा लगता है.


कोमल समझ गई की बलबीर पैसा जान गया तो जाने को तैयार नहीं होगा.


कोमल : वो बॉयफ्रेंड के लिए फ्री होता है.


बलबीर : (स्माइल) एहहह... बस सुबह सुबह तुम्हे मे ही मिलता हु.


कोमल को भी हसीं आने लगी.


कोमल : (स्माइल) अरे सच मे. अगर कोई लड़की जाती है तो उसके बॉयफ्रेंड की टिकिट फ्री.


बलबीर : (स्माइल) और पति हुआ तो.


कोमल : नहीं उसका उल्टा है. पति के साथ पत्नी फ्री. और लड़की के साथ उसका बॉयफ्रेंड फ्री.


कोमल को बलबीर से ऐसा मज़ाक करना पसंद आ रहा था.


बलबीर : तो अगर जैसे की मै अपनी बीवी को लेजाऊंगा तो फ्री. और अगर गर्लफ्रेंड को ले गया तो???


कोमल : नई तो तो तुमसे डबल पैसा लेगा.


बलबीर : (स्माइल) ये क्या बात हुई. लड़की बॉयफ्रेंड को ले जाए तो बॉयफ्रेंड फ्री. और लड़का अपनी गर्लफ्रेंड को ले जाए तो डबल पैसे...


कोमल : (स्माइल) हा तुम्हे नहीं पता. ये सरकार की योजना है यार. लड़कियों को प्रोत्साहन देने के लिए.


बलबीर : ये कोनसी योजना है??? लड़का पटाओ योजना या लड़का घुमाओ योजना.


अपने मज़ाक से ज्यादा कोमल को बलबीर का मज़ाक ज्यादा मज़ेदार लगा. दोनों ही खिल खिलाकर हसने लगे. कोमल ने झट से मोबाइल निकला और 2 टिकिट बुक करने लगी. एक टिकिट की कॉस्ट 8500 रूपये थी. कोमल ने बिलकुल परवाह नहीं की और झट से टिकिट बुक कर दीं. एक तो कोमल को बलबीर के लिए कुछ करना अच्छा लगता था. और दूसरा अब भी कोमल के पास जमीन की दलाली वगेरा हराम के पेसो का बेलेंस था.

पर बलबीर पेसो की कीमत समाजता था. उसे अपनी गरीबी का एहसास था. उसके बच्चों की पढ़ाई का खर्चा कोमल दे रही है. उसके लिए यही बहोत था.


बलबीर : पर मेरे पास वो नहीं है.


कोमल को हसीं आ गई.


कोमल : (स्माइल) क्या वो नहीं है??


बलबीर : (स्माइल) अरे वो फिल्मो मे बोलते हेना वो पास पासपोट(पासपोर्ट).


कोमल को हसीं आ गई. बलबीर डोमेस्टिक ट्रेवल के लिए पासपोर्ट की बात कर रहा था. कोमल को उसके भोलेपन पर प्यार आने लगा. पर शारारत करने का मान बिलकुल काम नहीं हुआ.


कोमल : (स्माइल) देखो वो मेरे पास है तो तुम्हारी जिम्मेदारी मेरी हुई. वहां कोई कुछ भी पूछेगा तो बोलना की ये मेरी गर्लफ्रेंड है. समझे??? क्या बोलोगे????


बलबीर : क्यों सुबह सुबह मेरी खिंचाई कर रही हो.


कोमल : अरे बाबा नहीं बोलोगे तो वो तुमसे पैसे ले लेंगे.


बलबीर : कितना????


कोमल : सायद 2,3 लाख ले ले. पर तुम बोलोगे की ये मेरी गर्लफ्रेंड है. तो तुम्हे उल्टा अच्छे से बात भी करेंगे.


बलबीर : हा बाबा बोल दूंगा. पर देख लो. वहां मेरे पास हवाइजहाज वाले अच्छे कपडे नहीं है. फिर कुछ बोलना मत.


कोमल को एहसास हो गया की अब तक उसने क्या नहीं किया. वैसे तो बलबीर कैसा भी दिखे उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था. पर सब कोमल का मूड कुछ और ही प्लानिंग करने लगा.


कोमल : हा बाबा नहीं बोलूंगी. वहां उस मॉल मे ले चलो.


कोमल ने जैसे ही हाथो का इशारा दिया बलबीर ने एक मॉल की तरफ कार मोड़ दीं. कार पार्क करने के बाद कोमल निकली और मॉल के अंदर जाने लगी. पर बलबीर वही खड़ा रहा. तो कोमल को 4 कदम चल कर रुकना पड़ा. वो घूम कर बलबीर को देखती है.


कोमल : यहाँ क्यों खड़े हो गए. चलो अंदर.


बलबीर को मॉल मे अच्छा नहीं लगता था. अपने सिंपल पहनावे और जेब की हालत के कारण उसे बहोत छोटा महसूस होता. इस लिए वो अंदर नहीं जाना चाहता था.


बलबीर : तुम....... जाओ. मुजे अच्छा नहीं लगता अंदर.


कोमल : चुप चाप चलो अंदर. वरना.....


बलबीर : अरे यार वो इंग्लिश मे बाते करते है. मुजे कुछ तो समझ आता नहीं.


कोमल : (स्माइल) तो तुम्हे सिखाया तो है. जब कुछ समझ नहीं आए तो वही बोल देना.



बलबीर को भी हसीं आ गई. और सर खुजलता हुआ वो भी कोमल के साथ अंदर चलने लगा.
डॉ रुस्तम को खिला कर ...
कोमल शायद दाई माँ की भरपाई कर रही है...
और कोमल जैसे साथी हों तो डॉ के कई काम आसान हो जाएंगे...
 

motaalund

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कोमल बलबीर को एक अच्छे ब्रांड शॉप मे लेकर गई. जहा जेंट्सवेर ही था.


सेल्समेन : (स्माइल) yes mam??? May I help you??


कोमल : show me something formal for sir


सेल्समेन : (स्माइल) yesh mam.


वो सेल्समेन बहोत से फॉर्मल ड्रेस निकल लाया. वो पेंट शर्ट ही थे. बलबीर को समझ आ गया की कोमल ये सब उसके लिए ले रही है. पर उल्टा बलबीर को डर लगने लगा. वो समझ ही गया था की यहाँ कपडे बहोत महेंगे होंगे. पर कोमल तो चॉइस करते ही जा रही थी. कोमल ने कुछ 4 जोड़ी पेंट शर्ट ले लिए. जब वो बहार आए तो बलबीर भड़क गया.


बलबीर : तुम मुझपर इतना पैसा क्यों खरच रही हो.


कोमल भी मज़ाक कर सकती थी. मगर उसने ऐसा नहीं किया.


कोमल : बलबीर ऐसी तो क्या बात है जो मै तुम्हे कुछ दे नहीं सकती.


बलबीर : क्यों की मै बदले मे तुम्हे क्या दे रहा हु. मुजे ऐसी जिंदगी जीने की आदत नहीं है.


कोमल : ओह्ह्ह क्यों की मेने तुमसे शादी नहीं की. बस इस लिए.


बलबीर कुछ नहीं बोला. पर इस प्यार की गारंटी भी क्या थी. भरोसा करो तो बहोत कुछ हो सकता था. और सोचो तो कल कोमल का दिल भर गया या कोमल को बलबीर अपने लेवल का ना लगे तो. कोमल एक बार तो ऐसा कर भी चुकी थी. आखिर बलबीर और कोमल अपनी शादी से पहले भी प्यार कर चुके थे. पर दोनों ने ही अलग अलग शादी की. समझ ये भी कोमल को आ गया.

वो दोनों ही चुप चाप शांत खड़े थे. कोमल के थोडा जोर से बोलने के कारण आने जाने वाले लोगो ने भी जाते जाते कोमल और बलबीर की तरफ देखा. कोमल बलबीर के करीब आई. उसका हाथ पकड़ा.


कोमल : (भावुक) देखो बलबीर हमारी शादी नहीं हुई इसका मतलब ये नहीं की हम अब अलग हो जाएंगे. अब मेरी जिंदगी मे तुम्हारे सिवा और कोई नहीं आएगा बलबीर.


बलबीर शांत बस सर निचे रख कर खड़ा रहा. और कोमल खुलम खुला बलबीर को बाहो मे भर लेती है.


कोमल : मेने बस शादी तुमसे इसी लिए नहीं की क्यों की तुम मुजे किसी ऐसी चीज के लिए ना रोको जो मे करना चाहती हु.


बलबीर कोमल की भावना समझ चूका था. पर वो गांव का था. पब्लिक मे ऐसे चिपकने से उसे शर्म आने लगी.


बलबीर : हा पर समझ गया. ऐसे सब के सामने कोई क्या सोचेगा.


कोमल का मूड एकदम चेंज हो गया. उसे हसीं आ गई. और जानबुचकर वो बलबीर को बहोत जोर से हग कर देती है. बलबीर के सीने पर अपना सर रख कर आंखे बंद किये मुश्कुराते उसे सुकून मिल रहा था.


बलबीर : अरे बस बाबा हो गया.


कोमल बलबीर का हाथ पकड़ कर एक ब्राडेड शूज शॉप पर ले गई. उसने बलबीर एक लिए एक नहीं दो जोड़ी बहोत महेंगे जूते लिए. पर कोमल इतने से कहा मान ने वाली थी. लेदर बेल्ट और पर्स भी परचेस किया. उसके बाद कोमल उसे सालों में ले गई.

बालवीर तो बस कठपुतली की तरह इशारों पर नाच रहा था. कोमल ने उसके बहुत स्टाइलिस्ट हेयरकट करवाए. कहीं पर भी कोमल ने खरीदी किए हुए सामान का बालवीर को रेट नहीं पता चलने दिया. पर पूरा शॉपिंग का खर्चा 1 लाख पर कर गया था.

मज़े की बात ये थी की कोमल अपने कॉलेज टाइम पर कइयों के खर्चे करवा चुकी थी. उस टाइम वो ज्यादा सयानी हो चुकी थी. वो लड़को को ऐसे फुसलाती की लड़के उसे महेंगे महेंगे गिफ्ट देते. बढ़िया शॉपिंग करवाते. कोमल उन्हें बेस्ट फ्रेंड का लॉलीपॉप देती रहती.

लेकिन फिलहाल वही लालची कोमल लाख रूपए से ज्यादा बलबीर जैसे देसी पर कर चुकी थी. इतना सब करने के बाद भी कोमल रुकी नहीं. उसे लग रहा था की ये सब तो जिंदगी जीने की जरुरत है. बलबीर के लिए कोई अच्छा गिफ्ट तो लिया ही नहीं. कोमल ने बालवीर के लिए एक ब्रांडेड वॉच भी खरीदी. जिसकी कोस्ट कुछ 20,000 थी.

बलबीर ने सब कुछ चेंजिंग रूम मे जाकर बस फिटिंग चैक की थी. सब कुछ पहन कर नहीं देखा था. उसे हेयर कटिंग नई स्टाइल मे कटवाना बड़ा अजीब लगा. कोमल जानती थी की वो स्मार्ट लग रहा है. पर वो बार बार अपने बालो पर हाथ लगा रहा था.

तभि एक बढ़िया से शोरूम मे बलबीर को एक ड्रेस दिखी. वो ड्रेस एक भूथ को पहनई गई थी. बलबीर उस ड्रेस को बार बार देख रहा था. कोमल ने भी ये चीज नोटे की. जब कोमल ने बलबीर की नजरों का पीछा किया और उसे उस ड्रेस को निहारते देखा तो कोमल के फेस पर भी स्माइल आ गई. वो बहुत छोटा वन पीस ड्रेस था.

विदाउट शोल्डर. वो ड्रेस पुरे बूब्स को शो अप कर रहा था. और निचे से भी बस पैंटी के ख़तम होते ही वो ड्रेस भी ख़तम हो जाता.

(ऐसी ड्रेस)
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कोमल बलवीर को एक कैफ़े मे ले गई. उसे वहां बैठकर वापस आई. और उस शॉप मे जाकर वो ड्रेस ख़रीदा. सिर्फ वो ड्रेस ही नहीं ख़रीदा. वहां से सीधा एक ब्यूटी पार्लर मे चली गई. बलबीर अकेला बैठे बोर होने लगा. एक घंटे से ज्यादा हो गया. वो कोमल को call लगता है.


बलबीर : हेलो कोमल बहोत देर हो गई. कहा हो तुम???


कोमल : वह मुझे मेरा एक क्लाइंट मिल गया. तुम थोड़ा वेट करो प्लीज. मैं जल्दी आने की कोशिश कर रही हूं. पर थोड़ा टाइम लग सकता है.


अब बलबीर बेचारा क्या करता. इंतजार करते बलबीर को 3 घंटे बीत गए. शुक्र था की कोमल कॉफ़ी के साथ फूड भी आर्डर कर के गई थी. पर याद रहे की इंतजार का फल बहोत मीठा होता है. कोमल आई तो बलबीर की आंखे फटी की फटी रहे गई. कोमल उसी ड्रेस मे आई. जिसे बलबीर ने कुछ घंटो पहले शॉप मे किसी बूथ पर पहने देखा था. बलबीर ने ऐसे लुक मे बस कोमल की फोटोज ही देखि थी.

पर फिलहाल तो कोमल ऐसे हॉट लुक मे मुश्कुराती उसी की तरफ चलते हुए आ रही थी. इस बार कोमल फोटो से भी ज्यादा हॉट लग रही थी. क्यों की कोमल अब एक टीन नहीं परफेक्ट वूमेन थी. उसका हर पार्ट प्रॉपर था. बूब्स, हिप्स, कमर सब कुछ परफेक्ट. बालवीर का तो मुंह ही खुला रह गया. कोमल उसके पास आकर खड़ी हो गई.


कोमल : (स्माइल) कैसी लग रही हूं??



बालवीर बस टू गटक के रह गया. वह कुछ बोल ही नहीं पाया. बालवीर की ऐसी हालत पर कोमल को हंसी आ गई. वह खिल खिलाकर हंसने लगी.


कोमल : (स्माइल) फिल्म देखने चलोगे???


बलबीर बेचारा क्या बोलता. उसका तो मुँह खुला बंद भी नहीं हो रहा था. आँखे भी जैसे बहार गिरने वाली हो. कोमल ने अपने हाथो से उसकी थोड़ी को सपोर्ट देकर उसका मुँह बंद किया.


कोमल : (स्माइल शारारत) अब चलो.


कोमल जब चलने लगी तो आप समझ ही गए होंगे की बलबीर की नजरें कहा गई होंगी. वो दोनों साथ मे फ़िल्म देखने गए और फ़िल्म काम देखि. एक दूसरे को ज्यादा देखा. दोनों मे वो सब भी हुआ जो नए प्रेमी जोड़े जब फ़िल्म देखने साथ जाते तो क्या होता है. पर इन सब मे दोनों के शरीर का तापमान कुछ ज्यादा ही बढ़ गया.

फ़िल्म देखने के बाद दोनों ही घर आ गए. फ्लेट के निचे पहोचते दोनों ही लिफ्ट तक गए. लिफ्ट के लिए बॉटन प्रेस भी करने लगे. मगर लिफ्ट थी की बड़े आराम से आ रही थी.


कोमल : ससससस ऑफ़ फो.... ये लिफ्ट भी ना. कितनी स्लो है.


पर सायद बिच मे ही किसी ने बॉटन प्रेस कर दिया होगा. लिफ्ट बिच मे ही किसी मंज़िल पर रूक गई. कोमल सीधा सीढ़ियों की तरफ बढ़ गई. हाई हिल से सीढिया तेज़ नहीं चढ़ी जाती. पर कोमल टक टक टक आवाज करते सीढिया चढने लगी. पीछे बलबीर भी था. कोमल की सीढिया चढ़ते झंगे भर गई.

बहोत मुश्किल से वो अपने फ्लेट पर पहोची. डोर खोला अंदर आई. पर आते ही उसे बलबीर ने पकड़ लिया. कोमल इसी लिए तो जल्दी कर रही थी. उसे उसके प्रेमी बलबीर ने बाहो मे जोरो से जकड रखा था. कोमल ड्रेस की स्ट्रिप निचे उतरने लगी तो उसका हाथ बलबीर ने पकड़ लिया.


बलबीर : अह्ह्ह्ह ससस नहीं नहीं. इसे मत उतरो ऐसे ही.


कोमल समझ गई की बलबीर आज उसे पूरा nude नहीं करना चाहता. वो उसी ड्रेस मे उस से प्यार करना चाहता है. कोमल ने बलबीर के हाथ को अपने पीछे महसूस कर लिया. उसका ड्रेस पीछे की तरफ से ऊपर उठ रहा था. माहोल पल भर मे ही बदल गया. गर्माहट भी छा गई और कामुख आवाज भी निकालने लगी.


कोमल : अह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह... ससससस धीरे उफ्फ्फ.....


वो पूरा दिन और रात दोनों ने ऐसे ही प्यार करते बिता दिया.
बचपन का प्यार... पहला प्यार...
भुलाए नहीं भूलता...
 
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नया दिन निकल गया. कोमल को डॉ रुस्तम के टाइम से मैच होने वाली कोई फ्लाइट नहीं मिली. अहमदाबाद की सिर्फ 2 ही फ्लाइट थी. एक अर्ली मॉर्निंग के लिए. और दूसरी 12:30 के लिए. कोमल ने दोपहर 12:30 की फ्लाइट बुक की थी. कोमल तो सुबह उठी नहीं मगर बलबीर एक्सीइटेड था. आखिर पहेली बार हवाई जहाज मे जो बैठ रहा था. उसकी नींद सुबह चार बजे ही खुल गई.


कोमल की नींद 5 बजे टूटी. और उसने देखा बलबीर बाथरूम से टावल लपेटे बहार आ रहा है. कोमल ने तुरंत मोबाइल मे टाइम देखा. वो हालत समझ गई. और वापस सो गई. उसकी नींद सुबह 7 बजे खुली. बलबीर ने सारी तैयारी कर ली थी. घर भी साफ कर दिया था. दिया बत्ती भी कर दीं थी. दाई माँ ने तैयार की हुई वो किले भी बताए हुई जगहों पर लगा दीं थी. डोर पर वही छोटी सी नीबू मिर्ची की मला भी लगा दीं. इन सब लगाने पर बलबीर को ठोका पीटी भी करनी पड़ी. जिसकी वजह से कोमल की नींद भी बहोत टूटी.

मगर कोमल मे बदलाव आ चूका था. अब वो चिड़चिड़ी नहीं रही थी. जब कोमल उठी और उसने देखा सारा काम हो चूका है. घर एकदम साफ है. मंदिर मे दिया जल रहा है. वो खुश हो गई. उसे गरमा गरम परठो की खुसबू भी आ रही थी. कोमल ने बलबीर से कोई शिकायत नहीं की. वो सीधा बाथरूम मे घुस गई. कोमल ने भी सब काम कम्पलीट कर दिया. नहाना धोना फ्रेश होना.

इन सब काम कम्पलीट होने के बाद कोमल का भी मन पूजा करने का होने लगा. कोमल भगवान की मूर्ति के आगे खड़ी हो गई. ग*** भगवान के आगे हाथ जोड़े. और प्रार्थना की. हे भगवान मुजे और बलबीर को सारी बुराइयों से बचाना. भगवान के आगे साफ सच्चे मन से ये पहेली प्रार्थना थी. उसके बाद बलबीर से बाते करते उसने नास्ता भी किया. बलबीर को जल्दी थी.

वो समझ सकती थी. पर पेकिंग अब भी बाकि थी. कोमल ने देखा बलबीर ने अपने पुराने बैग को भर रखा था. कोमल सोच मे पड़ गई.


कोमल : ये क्या किया. हमें क्या वहां बसने जाना है. सिर्फ दो दिन लगेंगे.


बलबीर बेचारा क्या बोलता. वो बस कोमल को देखता ही रहा.


कोमल : तुम चुप चाप बैठो. मै सब कर लुंगी.


कोमल ने एक ट्रॉली बैग निकला. उसमे अपने और बलबीर के कपडे और जरुरी सामान डालने लगी. जब वो अपनी ब्रा और पैंटी डाल रही थी. तब उसकी नजरें निचे थी. कोमल नजरें निचे किये मुस्कुरा भी रही थी. वो जानती थी की बलबीर उसे देख रहा है. कोमल को शर्म भी आ रही थी और उसे मझा भी आ रहा था. कोमल सारी पेकिंग करने के बाद सबसे पहले खुद बलबीर को तैयार करती है.

उसे इसी पल का तो इंतजार था. बलबीर के लिए उसने जो नए कपडे ख़रीदे थे. वही कपडे उसने बलबीर को पहेन ने दिये. ब्राडेड वाइट शर्ट, क्रीम पेंट, ब्लेक ब्रांडेड जूते, बेल्ट पर्स सब कुछ बढ़िया. बलबीर उस लुक मे कोई अमीरजादा ही लग रहा था. जब कोमल ने उसे तैयार कर दिया और बाथरूम के मिरर के सामने खड़ा कर दिया.

वो अपने आप को फुल तो नहीं देख सकता था. मगर खुद के लुक को देख कर बलबीर हैरान था. तभि कोमल उसके पीछे आकर खड़ी हो गई. बलबीर की नजर मिरर से ही कोमल से मिली. कोमल ने एक मोटी गोल्डीचैन बलबीर के गले मे डाली. ऐसे सीन अक्सर पत्नी या प्रेमिका को प्रेमी या पति करता है. पर यहाँ उल्टा था.

यहाँ प्रेमिका प्रेमी को इस तरह से तोफे दे रही थी. कोमल ने गोल्ड चेन के बाद उसका हाथ पकड़ा. और महंगी घड़ी उसके हाथ मे बांध दीं. कोमल वहां से चली गई. बलबीर आईने मे अपने आप को कई देर देखता ही रहा. उसे भरोसा ही नहीं हो रहा था. वही कोमल ने अपने लिए साड़ी ही चुनी. एक हॉट ग्रीन नेट महंगी साड़ी और बहोत छोटा ब्लाउज. कोमल को थोडा टाइम लगा. बलबीर कोमल को भी देखता ही रहे गया. वो परफेक्ट मैरिड वुमन लग रही थी.

कोमल ने टेक्सी बुक की हुई थी. वो दोनों साथ एयरपोर्ट आ गए. बलबीर बहोत एक्साइटिड था. वो पहेली बार एयरपोर्ट को अंदर से देख रहा था. वो कोमल के साथ चलते हुए सब जगह देख रहा था. कोमल उसकी एक्साइटमेंट समझ सकती थी. कोमल ने खुद ही दोनों का बोर्डिंग पास लिया. पर कोमल को शारारत करने का मन होने लगा. वो चलते हुए बलबीर से जान बुचकर चिपक जाती है. वो जाताना चाहती थी की ये हैंडसम मेरे साथ है.


बलबीर : (धीमे से) क्या कर रही हो. ऐसे सब के सामने कोई क्या सोचेगा.


बलबीर बेचारा गांव का सीधा. और कोमल शहर की शरारती. देखने से तो दोनों हस्बैंड वाइफ ही लग रहे थे. क्यों की बलबीर का गेटप चेंज हो चूका था.


कोमल : (धीमी आवाज) ससससस.... तुम्हे बताया नहीं था. गर्लफ्रेंड के साथ बॉयफ्रेंड फ्री होता है. वरना उन्हें सक हो जाएगा.
आगे चेकिंग है.


बलबीर कुछ नहीं बोल पाया. वो कोमल की बातो को सच मान ने लगा. अब अंदर एंट्री लेने के लिए सिक्योरिटी चेकिंग स्टार्ट होने वाली थी. कोमल अपना मुँह घुमाकर बिना आवाज किये मुस्कुरा रही थी. उसे हंसी भी आ रही थी. पर उसे बालवीर को पता नहीं चलने देना था.


कोमल : (धीमी आवाज) देख लो. तुम्हे पता हेना कोई पूछे तो क्या बोलना है.


बलबीर थोडा डर गया. उसका थूक निगलना भी मुश्किल हो गया.


बलबीर : (घबराहट) ह ह हा हा..


कोमल मुश्कुराई वो दोनों साथ साथ चल रहे थे. ट्रे मे दोनों ने अपना अपना मोबाइल डाला, बेल्ट और पर्स भी. कोमल आगे गई. उसका मेटल डिटेक्टर से चेकिंग हुआ. कोमल ने जानबूकर दोनों बोर्डिंग पास अपने हाथ मे रखा. जब बलबीर आगे आया और उसके होलिये को देख कर सिक्योरिटी चेकिंग ऑफिसर ने उस से उसका बोर्डिंग पास माँगा.



सिक्योरिटी ऑफिसर : सर प्लीज शो योर बोर्डिंग पास???


अब बलबीर की फट गई. उस तरफ कोमल बलबीर की हालत पर खड़ी खड़ी मुस्कुरा रही थी. बलबीर कभी उस सिक्योरिटी देखा तो कभी कोमल को देखने की कोसिस करता. बालवीर ने सामने कोमल को देख लिया. और डरते हुए तुरंत ही बोल गया.


बलबीर : (डर) वो वो वो मेरी गर्लफ्रेंड हे.


कोमल तुरंत आगे आई. और दोनों बोर्डिंगपास ऊपर हाथ किये दिखाने लगी.


कोमल : yesh sir. This is their boarding pass.


सिक्योरिटी ऑफिसर ने तुरंत ही बालवीर को चेकिंग करके जाने दिया. बलबीर की हालत पर कोमल इस बार जोरो से हस पड़ी. कोमल बलबीर से एकदम चिपक कर चलने लगी. बलबीर की मजबूत बाजु मे हाथ डालकर चलना कोमल को बहोत रौनचक लग रहा था.

बलबीर ने पहेली बार एयरप्लेन को टेक ऑफ करते देखा. वो वो हैरान रहे गया. इतना बड़ा एरोप्लेन कैसे हवा मे उड़ गया. पर उसकी गति आवाज सुनकर बलबीर को थोडा डर भी लगा. कोमल सब सनाझती थी. जब वो फ्लाइट से पहेली बार ट्रैवलिंग किया.

उसे भी कुछ ऐसा ही फील हुआ था. पर मझा तब आया जब वो दोनों एरोप्लेन के अंदर गए. क्योंकि अंदर जाते ही सुंदर बालास से सामना हुआ. अंदर जाते ही एयर होस्टेस स्माइल किये सब को वेलकम कर रही थी. बलबीर को देखते ही एक एयर होस्टेस के फेस की स्माइल डार्क हो गई. बलबीर का लुक ही इतना जबरदस्त था.

वो एयर होस्टेस बलबीर से अट्रैक्ट हो गई. वो बहोत हॉट थी. छोटी सी स्क्रिट और ब्यूटीफुल फेस था. एक औरत इन चीजों को बहोत जल्दी भाप लेती है. कोमल ने भी ये सब भाप लिया. उसे बुरा ही नहीं लगा. उस एयर होस्टेस पर गुस्सा भी आने लगा. कोमल ने कोई रिएक्शन नहीं दिया. मगर हमारे बलबीर भाईसाहब तो नजरें चुराने लगे. जैसे ही एयर होस्टेस बलबीर को देख कर स्माइल करती है. बलबीर के पसीने छूटने लगे.



एयर होस्टेस : (स्माइल) वेलकम सर. गुड आफ्टरनून सर.


बलबीर तुरंत निचे देखने लगा. कोमल ने जताने के लिए तुरंत बलबीर का हाथ पकड़ लिया. कोमल और बलबीर दोनों अपनी शीट तक पहोच गए. कोमल ने जानबुचकर बलबीर को विंडो शीट पर बैठाया. ताकि वो उस खुबशुरत नज़ारे को देख सके. सारे पैसेंजर्स बैठ गए थे. एयर होस्टेस बार-बार चक्कर लगा रही थी. और चक्कर लगाते उसकी नजर बार-बार बालवीर पर भी जा रही थी.

कुमार को एयर होस्टेस की हरकत पर गुस्सा भी बहुत आ रहा था. कोमल शरारत किये बिना रहे नहीं पाई. वो बलबीर की तरफ थोडा खिसक कर बहोत धीमे से बोली.


कोमल : देख रहे हो ना. उसे सक है की हम गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड नहीं है. अगर पूछेगी तो बता देना.



तभी वह अरेस्ट आई. बलबीर को देख कर स्माइल करती है. और वही खड़ी होकर अपनी रटी रटाई स्पीच देने लगी. हिंदी और फिर इंग्लिश मे.


यात्रीगण कृपया ध्यान दें........


कोमल ने तुरंत ही अपनी और बलबीर दोनों की शीतबेल्ट लगा दिया. जब प्लेन टेक ऑफ हुआ तब बलबीर को बहोत डर लगा. उसने कस कर कोमल का हाथ पकड़ लिया.


कोमल : बलबीर छोडो. अब ठीक है. बलबीर बलबीर ससस.... मुजे दर्द हो रहा है.


जब कोमल का दर्द सुना तो बलबीर ने तुरंत उसका हाथ छोड़ दिया. बाद मे उसे अच्छा लगने लगा. विंडो से कुछ देर तो बदल भी दिखे. बलबीर के लिए ये सफर बड़ा रोमांचक रहा. और कुछ ही देर मे वो दोनों इलाहबाद एयरपोर्ट पर पहोच गए. ठीक फिर से वैसी ही हालत बलबीर की दोबारा भी हुई. जब प्लेन ने लेंड किया.


कोमल : (स्माइल) हम पहोच गए बलबीर. कैसा लगा??


बलबीर जैसे थक गया हो.


बलबीर : बहोत अच्छा. पर दोबारा नहीं बैठूंगा.


कोमल खिल खिलाकर हसने लगी. वो दोनों बहार जाने लगे. जाते हुए कोमल और बलबीर दोनों ने देखा एयर होस्टेस सब को गुड बाय ट्रीट कर रही थी.


कोमल : (धीमी आवाज) देखा ये कितना सक कर रही थी?? पुरे रास्ते तुम पर ही नजर रख रही थी.


बलबीर सोच मे पड़ गया. जब वो एयर होस्टेस के पास पहोंचा तो वो बलबीर से बात करने की कोसिस करती है.



एयर होस्टेस : (स्माइल) hello sir. How did you like our service???


बलबीर बेचारा इंग्लिश सुनकर डर गया. उसने कोमल का हाथ पकड़ा और हकलाते हुए बोल गया.


बलबीर : ये ये ये ये मेरी ग.. ग... गर्लफ्रेंड है.


कोमल बहोत जोरो से हसीं. उस एयर होस्टेस का मुँह देखने लायक था. स्माइल तो थी पर बहोत फीकी. कोमल बलबीर के साथ एरोप्लेन से बाहर आ गई. वो बहोत खुश थी. लड़कियों को भी लड़कों की तरह अपने वाले का शॉ अप करना पसंद है. पर उससे भी ज्यादा अपने वाले से सब के सामने एक्सेप्ट करवाना ज्यादा पसंद आता है. कोमल ने भी वही किया. वह दोनों डॉक्टर रुस्तम से पहले आ चुके थे. इसलिए उन दोनों को वेट करना पड़ा.

बलबीर के साथ जिंदा दिल की तरह जीने की चाहत ने एक नई कोमल को जनम दिया..
 
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motaalund

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Update 21/B

डॉ रुस्तम को आते आते बहोत देर हो गई. कोमल और बलबीर दोनों ही डॉ रुस्तम का एयरपोर्ट पर ही इंतजार कर रहे. कुछ शाम के 5 बजे कोमल के मोबाइल पर डॉ रुस्तम का फ़ोन आया.


कोमल : हेलो डॉ साहब आप कब पहोचोगे???


डॉ : फ्लाइट लैंड हो चुकी है. बस जल्दी ही. तुम इंट्रेस्ट पर आ जाओ. मै तुम्हे वही मिलूंगा.


कोमल और बलबीर दोनों एंट्रेंस तक पहुंचे. बस कुछ ही देर मे डॉ रुस्तम दिखाई दिये. उनके साथ पटनायक भी था. आते ही दोनों ने कोमल और बलवीर से हाथ मिलाया. पर डॉ रुस्तम बलबीर को देखते ही रहे गए.


डॉ रुस्तम : (स्माइल) वाह बलबीर मेने तो तुम्हे पहचाना ही नहीं. काफ़ी हैंडसम लग रहे हो.


डॉ रुस्तम ने सारा अरेंजमेंट पहले से ही करवा रखा था. उनको लेने के लिए एक मिनी बस पहले से ही खड़ी थी. वो चारो उस बस मे आराम से बैठ गए. और उनका एक नया ही सफर शुरू हो गया.


कोमल : डॉ साहब हम सिर्फ 4 ही. आप की बाकि टीम???


डॉ : मेरी टीम पहले ही पहोच चुकी है. वो पहले से ही सारा अरेंजमेंट कर के रखेंगे.


इस बार कोमल को इनफार्मेशन पटनायक देता है. सायद डॉ रुस्तम ने उसे पहले से कहे रखा हो.


पटनायक : हम जिस लोकेशन पर काम करने वाले है. वो इलाहबाद से कुछ 20 km दूर है. एक हिलोरी गांव मे आज से 5 साल पहले एक हादसा हुआ. जिसमे 35 बच्चे मर गए.


कोमल : क्या हुआ था???


पटनायक : स्कूल की छत गिर गई थी. मामला गंभीर था. स्कूल बंद हो गई. मगर एक साल बाद उस स्कूल को दोबारा से शुरू किया. सरकार ने बच्चों के माँ बाप को मुआवजा दिया. और स्कूल की नई छत भी डलवाई. फिर भी वो स्कूल कभी चालू नहीं हो पाई


कोमल : क्यों???


इस बार बिच मे डॉ रुस्तम आए.


डॉ : क्यों की वहां अजीबो गरीब घटना होने लगी.

ये सब मुजे उस स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया. वहां दिन मे ही पैरानॉर्मल एक्टिविटीज होने लगी. कभी स्कूल का फैन अचानक से गिर जाता. तो कभी चालू क्लास का डोर विंडो अचानक से धड धड बंद हो जाते. बच्चों का ही नहीं बड़ो का तक टॉयलेट जाना मुश्किल हो गया. स्टाफ रूम मे टीचर परेशान हो गए. उनके साथ भी कई घटनाए हो गई. लोगो ने अपने बच्चों को स्कूल भेजना छोड़ दिया.


कोमल : ओहह तो मामला बहोत गंभीर है.


पटनायक : सिर्फ इतना ही नहीं. उस स्कूल के दोबारा बंद होने के बाद कुल 12 लोगो ने सुसाइड भी अटेंम किया.


कोमल ये सुनकर सॉक थी???


कोमल : तो क्या उन 12 को किसी एंटीटी ने मारा होगा???


डॉ : (स्माइल) वाह रे पटनायक कोमल तो अपनी भाषा बोलने लगी.


कोमल भी मुस्कुरा देती है. बलबीर उनकी बस बाते सुन रहा था.


डॉ : उन 12 का एक दूसरे से कोई वास्ता नहीं था. और तक़रीबन 7 से 8 लोग तो बहोत सुखी जीवन जी रहे थे. पर ये कैसे हुआ. ये तो वही जाकर पता चलेगा. हमें रुकने के लिए जगह भी बढ़िया मिल गई है.


कोमल : कहा??? होटल मे??


डॉ : नहीं एक आश्रम है.


कोमल : पर आश्रम मे क्यों???


डॉ : क्यों की वहां कोई होटल नहीं है. हा अगर इमरजेंसी में तुम्हे कही जाना पड़े तो ये बस तुम्हे ड्राप कर देगी.


कोमल को थोड़ी राहत हुई. क्यों की अगले दिन उसके 2 केस थे. साथ ही एक कंपनी के साथ मीटिंग भी थी. किसी प्रॉपर्टी पेपर्स की लीगल एडवाइस के लिए. वो लोग पहले सीधा उस लोकेशन पर ही पहोचे. स्कूल एक भूतिया खंडर जैसी ही लग रही थी. वो दो मंज़िला स्कूल थी. बहार स्कूल के भूतपूर्व प्रिंसिपल भी खड़े थे.


होरी लाल श्रीवास्तव : आई ये डॉ साहब.


कोमल उन सब को ध्यान से देख रही थी. डॉ रुस्तम और होरी लाल बाते कर रहे थे. पटनायक कोमल के पास आया.


पटनायक : हम अभी सिर्फ काम देखने आए है.

आज रात हमारी पहेली रिसर्च होंगी. पर ध्यान रहे. अंदर कोई भी इनविटेशन देने वाले वर्ड्स नहीं बोलना. जैसे चलो. कोई मेरे साथ चलेगा. और हा कोई बात या कुछ सुनाई दे तो उसपर कोई रिएशन मत देना. हमने कैमरा और एकम्युलेट सेट किये हुए है.



कोमल ने पहले बलबीर को देखा और फिर पटनायक की तरफ देख कर हा मे गर्दन हिलाई. डॉ रुस्तम ने पीछे मुड़कर कोमल पटनायक बलबीर सभी को देखा. और हाथो से अंदर चलने का हिशारा किया. अंदर जाते गेट से ही कोमल और बलवीर हार चीज देख रहे थे. सेटअप तैयार था. गेट से ही कैमरे लगे हुए थे. स्कूल के अंदर का माहोल कुछ अलग ही था. बहार हवा चल रही थी. गरम लू.

और स्कूल के अंदर एकदम ठंडक थी. एकदम चिल्ड मौसम. जब की लकड़ी की विंडो और डोर भी टूटे हुए थे. कइयों के तो थे ही नहीं. मगर फिर भी विंडो और डोर से कोई हवा ही नहीं आ रही थी. हेरत की बात ये थी की अंदर का वातावरण इतना ज्यादा ठंडा था की कोमल तो अपने बाजुओं को मसलने लगी.

कोई बदबू वगेरा कुछ भी नहीं. फिर भी अजीब सी घुटन हो रही थी. कोमल और बलबीर दोनों ने चारो तरफ देखा. कई चीजों को तो कोमल दुखते ही समझ गई की ये इक्विपमेंट्स किस काम आते हैं. पर बलबीर के लिए समाजना मुश्किल था. वहां सेंसरस कैमरा बहोत कुछ था. कई अचीवमेंट्स तो आर्मी भी इस्तेमाल करती थी. जैसे कोई स्पीड नापने वाला तो कोई फिकवंशी नापने वाला इक्विपमेंट.

ऐसी चीजों जो इंसान नरी आँखों से ना देख पाए पर वो अब उन इक्विपमेंट्स के जरिए कैमरा मे कैद हो जाए. उन सब ने मिलकर पूरा स्कूल देखा. पहले निचे वाली मंज़िल.


डॉ : ये वो क्लास रूम हे.


सभी समझ गए की ये वही क्लास रूम हे जहा छत गिरने से बच्चे दब के मर गए थे. कोमल आगे बढ़ी और उस रूम मे टहलते हुए सब कुछ देखने लगी. एक खंडर जैसा क्लास रूम जो सालो से बंद पड़ा हुआ था. देखने मे तो कुछ भी अजीब नहीं लग रहा था. पर बार बार कोमल को ऐसा महसूस हुआ की उसके पीछे कोई है.

सभी उस क्लास रूम से बहार निकल गए. उसके बाद उपरी मंज़िल पर भी गए. लेजिन ऊपरी मंज़िल पर कुछ भी ऐसा किसी को महसूस नहीं हुआ. जब की सारे सुसाइड अटेम्प्ट वही ऊपर से ही हुए थे. सारी टीम डॉ रुस्तम के पीछे पीछे बहार आ गई.


डॉ : किसो को कुछ महसूस हुआ????


पटनायक : ना कुछ नहीं.


डॉ ने बलबीर की तरफ देखा. उसने ना मे सर हिलाया. फिर उसने कोमल की तरफ देखा.


कोमल : मुजे ऐसा तो कुछ नहीं लगा. पर उस क्लास रूम मे ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई पीछे खड़ा है


डॉ रुस्तम ने जेब से एक रेडियो सेट निकला.


डॉ : डॉ टू नवीन रिपोर्ट ओवर.



रेडियो सेट पर रिप्लाई मिला.


नवीन : ओके रोजर.


डॉ : क्या कुछ नोटे हुआ क्या???


नवीन : अभी तक कुछ भी नहीं. नो एनी फ्रीक्वेंसी.


डॉ ने कोमल और बाकि सभी को बस की तरफ चलने का हिशारा किया. सारे बस मे बैठ गए. वो बस ही उनके आराम करने के लिए बेस्ट थी. इस बार और भी कुछ डॉ रुस्तम के टीम मेम्बर्स थे. डॉ रुस्तम, पटनायक, कोमल बलबीर के आलावा और 7 लोग. वो सारे male ही थे.


डॉ : हम तक़रीबन एक एक घंटा स्कूल मे अकेले बिताने वाले है. और फील करना चाहते है की क्या फील होता है.


पटनायक : पर जो वालंटियर हो उसी को.


कोमल : क्या मुजे मौका मिलेगा.


डॉ : तुम ये कर सकती हो पर इस बार रहने दो. वैसे भी तुम हमारे साथ 1st टाइम आई हो.


पटनायक : 11 बजे से स्टार्ट करेंगे. 3 बजे तक.


डॉ : 11 बजे नवीन को भेज देंगे. फिर उसे कैमरा भी संभालना है.


पटनायक : 12 बजे मै चले जाता हु.


डॉ : एक बजे सतीश तुम.


सतीश : ओके.


कोमल तुरंत बोल पड़ी.


कोमल : तो फिर मै भी जाउंगी.


डॉ : ये तुम्हारा 1st टाइम है. प्लीज तुम देखो. एक्सपीरियंस लो.


कोमल : मेने लाइफ टाइम खुद खुदके ही एक्सपीरियंस की है. मै उसके बाद जाउंगी.


डॉ पटनायक का मुँह देखने लगा.


पटनायक : 12 सुसाइड एटम हो चुके है वहां. और इसे अभी इस रिसर्च का कोई आईडिया नहीं है.


कोमल : एक बार मौका तो दो. कई दिन मै खुद भूतों के बिच काट चुकी हु.


सभी हस पड़े. पर कोमल के वॉलिंटियर होने से बलवीर को डर लगने लगा.


डॉ : (स्माइल) पता नहीं पर मुजे कोमल पर भरोसा हो रहा है. वो आसानी से कर लेगी.


बलबीर : फिर मै भी करूँगा.


डॉ : नहीं तुम नहीं. या तो तुम या कोमल. अब आपस मे डिसाइड कर लो तुम.


कोमल ने बलबीर का हाथ पकड़ा.


कोमल : (धीमी आवाज) प्लीज बलबीर... तुम नहीं प्लीज.


बलबीर मान गया. कोमल ने घूम कर डॉ रुस्तत्म की तरफ देखा. और हा मे हिशारा किया.


डॉ : एक से दो कोमल जाएगी. और दो बजे मै जाऊंगा. Thats it.


सभी एक दूसरे को देखने लगे. डॉ ने सब से कोमल और बलबीर का इंट्रोडक्शन करवाया.


डॉ : आप लोग यही बस मे ही कुछ देर आराम कर लो. फिर हम अपना काम शुरू करेंगे.


डॉ रुस्तम बस से उतर गए. कुछ तो शीट पर ही लम्बे हो गए. कोमल बलबीर की गोद मे अपना सर रख कर लेट गई. कोमल को हलकी सी ज़बकी भी आई. उसकी नींद रात 9 बजे खुली. बलबीर भी बैठे बैठे ही सो गया था.


कोमल : बलबीर बलबीर उठो.


उन दोनों ने एक गलती ये की की पूरा दिन रेस्ट नहीं किया. अब उन्हें रात जगनी थी. बलबीर उठा. बस मे सिर्फ वो दोनों ही थे. वो दोनों बहार आए. डॉ रुस्तम और उनकी टीम के सब के पास टोर्च लाइट थी. उनके पास नाईटविजन एक्यूमैंट्स भी थे. टोर्च लिए डॉ रुस्तम कोमल और बलबीर के पास आए.


डॉ : ये लो टोर्च हमारे पास सिर्फ एक ही एक्स्ट्रा है.


कोमल ने टोर्च ले ली.


डॉ : आओ मेरे पास वहां.


कोमल और बलबीर स्कूल की दीवार से सटे एक वान के पास गए. वो एक मोबाइल वान थी. जिसमे छोटी छोटी कुछ स्क्रीन और कुछ रिसीवर लगे हुए थे. ये सारा डॉ रुस्तम की टीम का सेटअप था.


डॉ : हमारे पास टाइम है. अभी कुछ डेढ़ घंटा है हमारे पास.


डॉ ने कोमल की तरफ देखा.


डॉ : कोमल तुम पटनायक के साथ यही मोबाइल मे बैठो.


डॉ रुस्तम वहां से थोडा साइड मे खड़े बाते करने लगे. कोमल पटनायक के साथ बैठ गई. पटनायक सभी स्क्रीन और बाकि जानकारिया देने लगा. नेवीगेशन, फ्रीक्वेंसी वगेरा वगेरा. और तब टाइम हो गया.


डॉ : दोस्तों यहाँ क्लोज हो जाओ सारे.


टेक्निकल काम कर रहे लोगो के सिवा सारे डॉ रुस्तम के पास चले गए.


डॉ : दोस्तों टाइम हो गया है. कोई भी गलती नहीं होनी चाहिए. पहले पटनायक जाएगा. ये सभी जो अंदर जाने वाले है. वो खास ध्यान दे.

ऊपर कोई भी बुरे ख्याल आता है. डर लगता है. तो सीधा बहार आ जाए. और हमारी नजर के सामने वहां उस विंडो पर ही खड़े खड़े वक्त बिताना है. जैसे ही आप को रेडिओ सेट पर वापस लौटने का मैसेज मिले तुरंत वापस आ जाए. ऊपर कुछ दिखे तो कोई बात नहीं करेगा. कोई जवाब नहीं देगा.


डॉ रुस्तम की स्पीच ही डरवानी थी. ऊपर क्या होगा. कोमल यही सोच रही थी.
गंभीर मामला...
लेकिन रात के उस वक्त...
जब बुरी शक्तियां अपने चरम पे होती हैं...
तो अच्छे खासे लोगों का भी कलेजा कांप जाए...
 
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