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Horror किस्से अनहोनियों के

motaalund

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Update 22

चांदनी रात थी. स्कूल के बहार वैसे तो सब दिखाई तो दे रहा था. पर स्पस्ट नहीं. गांव के बहार की स्कूल थी. जिसके बाद खेत शुरू हो जाते थे. डॉ रुस्तम की टीम के आलावा कोई भी इंसान वहां नहीं था. पूरा सन्नाटा छाया हुआ था.

रात मे टिटहरी की आवाज भी सुनाई दे रही थी. और कल कल आवाज करने वाले किडो की भी आवाज आ रही थी. पटनायक जाने को तैयार हो गया.
वो दो मंज़िला स्कूल थी. कोमल और डॉ रुस्तम वान मे बैठ गए. स्क्रीन सारी ब्लॉक एंड वाइट ही थी. स्क्रीन मे ऊपर जहा खड़ा रहकर वक्त गुजरना है.

वो जगह साफ दिखाई दे रही थी. कैमरे के आगे घूमता मच्छर जो बड़े दाने जितना दिख रहा था. वो तक साफ नजर आ रहा था. तभि स्क्रीन मे पटनायक दिखाई दिया.


वो आकर चारो तरफ देखने लगा. वहां बैठने के लिए एक चेयर भी रखी गई थी. पर पटनायक आकर वहां खड़ा हुआ. वो बैठा बिलकुल नहीं. वो खड़ा खड़ा हर तरफ देखने लगा. डॉ रुस्तम ने रेडिओ सेट उठाया.


डॉ : पटनायक टू डॉक्टर रिपोर्ट ओवर.


स्क्रीन पर साफ दिखाई दे रहा था की पटनायक के हाथ मे जो रेडिओ सेट था उसकी छोटी सी लाइट जली. पटनायक सेट को अपने फेस के पास ले गया.


पटनायक : पटनायक ओके ओवर.


डॉ : क्या सब ओके है??


पटनायक : आल ओके ओवर.


डॉ : कुछ फील हो तो बता देना. तू पुराना है यार. तू कर लेगा.


वहां डॉ रुस्तम और स्क्रीन पर पटनायक दोनों ही मुस्कुरा रहे थे. कोमल भी पटनायक को आसानी से देख रही थी. धीरे धीरे वक्त बीतने लगा. 10 मिनट हुई.


कोमल : हम ऐसे एक इंसान को वहां मतलब क्यों???


डॉ : हम जान ना चाह रहे है की वहां इतने लोगो ने सुसाइड क्यों अटेंम किया.


कोमल : पर अगर हमारे किसी इंसान ने ऐसा किया तो???


डॉ : हम हमेशा बैकअप रेडी ही रखते है.


डॉ और कोमल को बाते करते 10 ही मिनट हुई थी. बाते करते दोनों देख तो स्क्रीन पर ही रहे थे. तभि पटनायक मे बदलाव आना शुरू हुए. उसके फेस के एक्सप्रेशन चेंज होने लगे.


डॉ : तुम्हे कुछ चेंज दिखा???


कोमल : हा जब पटनायक गए थे तब उनके फेस पर एक्साइटमेंट थी. अब ऐसा लग रहा है. जैसे वो थोडा सेड है.


डॉ : गुड. तुम राइट हो.


कोमल : पर ऐसा क्या हो रहा है. क्या वो नहीं करना चाहते थे??? उन्हें कोई प्रॉब्लम तो नहीं हे ना???


डॉ : सायद प्रॉब्लम बाद मे होंगी. मै बाद मे बताऊंगा. बस नोटे करते रहो.


और 10 मिनट गुजर गए. तभि पटनायक मे और ज्यादा बदलाव हुआ. धीरे धीरे पटनायक रोने लगे.


कोमल : (एक्साइ सॉक) सर सर वो तो रो रहे है.


डॉ : हा हा रुको. बस देखो.


तभि एकदम से पटनायक खड़ा हो गया. और उस तरफ जाने लगा. जहा से कूद कर 12 लोगो ने सुसाइड एटम किया था. डॉ और कोमल दोनों ही सॉक हो गए. डॉ ने तुरंत ही रेडिओ सेट उठाया.


डॉ : डॉ तो पटनायक रिपोर्ट ओवर.


पटनायक रुक गया. पर उसने सेट नहीं छुआ. वो बहोत दुखी ही दिखाई दे रहा था. वो कुछ बाड बड़ा रहा था. पर रेडिओ सेट प्रेस ना करने के कारण वो क्या बोल रहा है वो पता नहीं चल रहा था.


डॉ : पटनायक पटनायक प्लीज मेरी बात सुनो वापस आ जाओ. प्लीज पटनायक तुम स्ट्रांग हो. प्लीज वापस आ जाओ.


पटनायक वापस पीछे हुआ. और वापस आने वाले रास्ते से निचे आ गया. कोमल और डॉ दोनों ने हेडफोन पहेन रखे थे. वो तुरंत अपना हेडफोन उतार कर पटनायक के पास पहोचे. वो निचे आकर भी रो ही रहा था. पर जब डॉ और कोमल दोनों उसके पास पहोचे वो रोते हुए भी मुश्कुराने लगा.


पटनायक : (रोते हुए स्माइल) सॉरी डॉक्टर. मे पूरा घंटा नहीं रुक पाया. सायद अभी प्रेक्टिस करनी पड़ेगी.


कोमल को कुछ समझ नहीं आया. वो तीनो वापस वान तक आए. कोमल ने अपनी और डॉ ने अपनी जगह ले ली. पटनायक भी थोडा उन दोनों के पीछे खिसक कर बैठा. क्यों की वान छोटी थी. तभि रेडिओ सेट पर डॉ के लिए call आया.


नवीन तो डॉक्टर रिपोर्ट ओवर.


डॉ : डॉक्टर ओके.


नवीन : क्या सतीश को भेजू क्या??? ओवर.


डॉ : नो.. वो अपने टाइम पे ही जाएगा. तुम बैटरी की सिचुएशन बताओ ओवर.


नवीन : बैकअप तो बढ़िया है ओवर.


डॉ : मतलब अभी तक नो एनी फ्रीक्वेंसी.


नवीन : राइट डॉक्टर ओवर.


डॉ : ओके रोजर.


कोमल को अब तक कुछ समझ नहीं आ रहा था की यहाँ हुआ क्या.


डॉ : (स्माइल) साला पटनायक मुजे विश्वास नहीं हो रहा है. तू साला 47 मिनट निकल लिया. पर तू चल क्यों पड़ा???


पटनायक : (स्माइल) मै मराठा हु डॉक्टर. जाता भी तो कूदता नहीं.


डॉ : (स्माइल) रहने दे रहने दे. ये मराठा कूद ही जाता.


पटनायक : (भड़कना) अरे तुम्हारा बात सुना ना. भुरोसा करने का मुझपर.


डॉ : चल ठीक है.


डॉ ने फिर सेट उठाया.


डॉ : डॉक्टर तो नवीन रिपोर्ट ओवर.


नवीन : नवीन ओके ओवर.


डॉ : सतीश को भेजो ओवर.


अब सतीश की जाने की बारी थी. कोमल कुछ नहीं बोली. पर सवाल उसके मन मे बहोत थे. वो अपने आप को रोक नहीं पाई.


कोमल : सर मुजे प्लीज बताओगे की हुआ क्या???


डॉ : ससससस...


कोमलने देखा सतीश जो की 30,35 साल का मर्द था. वो स्क्रीन पर आ चूका था. डॉ उसपर नजर बनाए हुए थे. पटनायक थोडा अपना फेस कोमल के फेस के करीब ले गया. कोमल ने अपने हेडफोन उतार दिये.


पटनायक : ध्यान से सतीश के फेस को देखो.


कोमल ने फिर सतीश के फेस को देखा. उसे सिर्फ 10 ही मिनट हुए थे. और चेंज आना शुरू हो गया. वो हसने लगा. फिर रोने लगा. फिर रोते हुए हसने लगा. उसके अंशू गिर रहे थे. अचानक उसका रोना और ज्यादा हो गया. उसकी आवाज तो नहीं आ रही थी. मगर देखने से पता चल रहा था. सतीश ऐसे जोरो से रो रहा था.

जैसे कोई मर गया हो. पूरा मुँह खोले सायद उसकी शास अटक रही हो. उसके मुँह से लार भी तपने लगी.


कोमल : (सॉक) इसे हो क्या गया???


पटनायक : इसे अपना अतीत याद आ रहा है. ये अपनी लाइफ के कोई बुरे हादसे को याद कर रहा है.


सतीश कुछ बाड बड़ा भी रहा था. तभि वो खड़े हो गया. डॉ रुस्तम ने तुरंत ही रेडिओ सेट हाथ मे लिया.


डॉ : फ़ास्ट फ़ास्ट बैकअप... कोई जल्दी जाओ. वो पक्का कूदेगा.


कोमल ये सब देख कर सॉक थी. उसने स्क्रीन पर ही देखा. सतीश उस जगह पहोच गया था. जहा से कूद कर पहले 12 लोगो ने आत्महत्या की थी. डॉ रुस्तम की टीम के कुछ बन्दे तेज़ी से जाकर उसे रोक देते है. और उसे सारे पकड़ कर निचे लाने लगे. पर सतीश उनसे छूटने की कोसिस कर रहा था. वो लोग सतीश को निचे ले आए थे. डॉ रुस्तम तुरंत खड़ा होकर सतीश तक पहोच गया.

कोमल भी उसके पीछे पीछे चली गई. कोमल ने अपनी आँखों से सतीश की हालत देखि. वो बहार आने के बाद भी रो रहा था.


सतीश : (रोते हुए) मुजे नहीं जीना. मेरी अनीता मुजे छोड़ कर चली गई. मुजे मर जाने दो.


डॉ : शांत हो जाओ सतीश शांत हो जाओ. कुछ नहीं हुआ. तुम बिलकुल ठीक हो.


कुछ पल बाद सतीश शांत हो गया. टीम ने उसे पानी पिलाया. डॉ रुस्तम ने जो कोमल को बताया वो सुनकर कोमल भी हैरान रहे गई.


डॉ : 4 साल पहले इसकी बीवी ने इसे तालाख दे दिया. और किसी और से सादी कर ली. इसे वही पल याद आया. आओ चलो उसे मेरी टीम संभाल लेगी.


वो दिनों वापिस वान की तरफ जाने लगे.


डॉ : तुम्हे समझ आ गया की वहां जाते तुम्हे तुम्हारा दुख सूख याद आएगा. वहां की एनर्जी तुम्हे उकसाएगी. तुम्हे एहसास दिलाएगी की अब तुम्हारे जीवन मे कुछ नहीं बचा. तुम्हे मर जाना चाहिये. मतलब तुम्हे सुसाइड करने का मन होने लगेगा.


वो दोनों वान तक पहोच गए थे. कोमल की जगह पटनायक ने ले ली थी.


कोमल : एक मिनट तुमने एनर्जी कहां. क्या वहां कोई एनटीटी नहीं है??


डॉ : अभी तक तो कोई एनटीटी नजर नहीं आई. कोई फ्रीक्वेंसी तो नहीं मिली. फिर हम यह नहीं मान सकते कि वह सब एंटी नहीं करवाया है. या करवा रही है. यह गलत वास्तु भी हो सकता है. जमीन की खुद की भी अपनी एनर्जी होती है.



कोमल सोच में पड़ गई. अगली बारी उसकी खुद की थी. डॉ रुस्तम ने घड़ी देखि.


डॉ : कोमल सतीश तो पुरे 15 मिनट भी नहीं रुक पाया. याद रहे. जब ऐसी सिचुएशन आती है तब तुम्हे उसे याद करना है जिसे तुम सब से ज्यादा प्यार करती हो. उस नेगेटिव एनर्जी को अपने ऊपर हावी मत होने दो.


कोमल हामी भर्ती है. बलबीर भी जानता था की अब बारी कोमल की है. वो भी वहां आ गया. कोमल और बलबीर दोनों की नजरें भी मिली.


बलबीर : कोमल...


कोमल बस बलबीर का हाथ पकड़े हुए निचे देखने लगी.


डॉ : अगर तुम ना जाना चाहो तो मै किसी और को भेज दू.


कोमल : नहीं नहीं. मै कर लुंगी.


डॉ : गुड. वन, टू, थ्री. अब जओ.


कोमल ने उस स्कूल की तरफ देखा. फिर वो बलबीर को देखती है. और अंदर जाने लगी. इस बार कोमल की जगह बलबीर ने ले ली. हलाकि उसने हैडफोन नहीं लगाए. पटनायक और डॉ रुस्तम स्क्रीन पर हैडफोन लगाए बैठे थे. और बलबीर उनके पीछे.

वो भी स्क्रीन को देख रहा था. उन्होंने देखा कोमल स्क्रीन मे दिखने लगी थी. वो वहां पहोच कर दए बाए देख रही थी. वही कोमल जब ऊपर पहोची तो उसे वही ब्लैक एंड वाइट चीजे अब रियल मे दिख रही थी.

कोमल को वो जगह भी दिख गई. जहा से लोगो ने सुसाइड एटम करने की कोसिस की थी. मगर कोमल ने वहां से तुरंत नजरें हटा ली. वो उस चेयर पर बैठ गई. और सोचने लगी. उसे 10 मिनट हो गए. पर कोई ख्याल नहीं आया. दरसल कोमल खुद भी ये जान ना चाहती थी की उसके जीवन मे कोनसा ऐसा दुख है जो सबसे ज्यादा है.

15 मिनट हो गई. पर कोमल को कोई ख्याल नहीं आया. तभि कोमल खुद ही सोचने लगी. वो खुद अपनी लाइफ को रिमाइन करने की कोसिस करने लगी. उसे सबसे पहले पलकेश याद आया.

पर उस से कोमल को कोई फर्क नहीं लगा. फिर उसे याद आया की उसने बलबीर के साथ सेक्स किया था. वो भी पलकेश को डाइवोर्स लेने से पहले. कोमल के फेस पर स्माइल आ गई. उसका उसे कोई रिग्रेट नहीं था. फिर उसे याद आया कैसे उसने बलबीर के प्यार को धोए बिना पलकेश से वो चाटवा दिया. कोमल को हसीं ही आ गई. पर फिर उसे वो याद आया जब उसे पलकेश के शूट से किसी दूसरी लेडिस के परफ्यूम की खुशबू आई थी.

कोमल को गुस्सा आया. और उसने अपने दांत भींच दिये. वो पलकेश को गली भी देने लगी.


कोमल : ससस साला कुत्ता. पूरी जिंदगी चीटिंग की. और फिर मुझसे उम्मीद करेगा. भाड़ मे जा तू साले.


कोमल की ये सारी हरकते बलबीर भी देख रहा था. वहां कोमल ने अपनी आंखे बंद की. और उसे कॉलेज के लड़के याद आए. वो कैसे उन्हें चुतिया बनती. राइट टाइम पर बोल देती. मै तो तुम्हे अपना सबसे बेस्ट फ्रेंड समज़ती थी. तुम मेरे बारे मे ऐसा सोचते हो. शीट. कोमल का काटा हुआ बकरा जब तक पूरा हलाल नहीं हुआ तब तक कोमल से नहीं बच्चा. उनको याद करके तो कोमल खिल खिलाकर हसने लगी. और हस्ते हुए ताली भी बजा देती.


कोमल : (हसना) चूतिये साले.


कोमल इन सब को याद करते हुए गिनती करने लगी. पर उसे उसका पहला प्यार भी याद आया. सच्चा प्यार तो किया. पर उसे भूल गई. हलाकि कोमल की नजरों मे वो भी डंप करना ही था. इस लिए कोमल की आँखों से अंशू आ गए. वो बच्चों जैसा बिहेव करने लगी.


कोमल : ओओओ सॉरी बलबीर. मै बहोत बुरी हु ना. सॉरी..... अब मै तुम्हे कभी हर्ट नहीं करुँगी. I love you बलबीर.


प्यार का इज़हार करते कोमल के फेस पर स्माइल आ गई. कोमल खुद से इन्वॉल्व होती उस एनर्जी की चपेट में आ गई थी. पर अब तक उसकी लाइफ मे ऐसा कुछ भी उसे नहीं लगा. जिसके लिए वो सुसाइड एटम करें. पर फिर उसे याद आया की अहमदाबाद के बहार की तरफ एक छोटा प्लाट उसने बिकवाया था.

जिस बेचारे की वो जमीन थी. वो बेचारा गरीब था. और कोमल ने उसके हाथ से जमीन खिंच ली. जब कोमल जिस से डील की उस बिजनेसमैन के साथ वहां पहोची तब वो किसान हाथ जोड़ के रो रहा था. पर कोमल को कोई फर्क नहीं पड़ा. कोमल अंदर से गिल्टी फील करने लगी. उसे रोना आने लगा. उसका दिल बोलने लगा कि.


कैसी है तू. एक गरीब की जमीन छीन ली. तुझे तो मर जाना चाहिए. चल खड़ी हो कूद जाए यहां से. तू जीने के लायक ही नहीं है.


कोमल के मन मे ख्याल आया. और वो खड़ी हो गई. पर कमल 55 मिनट सरवाइव कर चुकी थी. वो चल कर सुसाइड वाली जगह की तरफ जाने लगी. उसके हाथो मे जो रेडियो सेट था. उसमे से डॉ रुस्तम की आवाज आने लगी.


डॉ : कोमल रुको प्लीज. तुम मुझे सुन सकती हो. कोमल रुको प्लीज रुको.


पर कोमल नहीं रुक रही थी. वो चलती ही जा रही थी. वहां जब डॉ रुस्तम की बात कमल ने नहीं सुनी तो बालवीर ने डॉ रुस्तम के हाथ से रेडियो सेट छीन लिया.


बलबीर : कोमल रुक जाओ प्लीज रुक जाओ मेरे खाते रुक जाओ



बालवीर की आवाज सुनकर अचानक से कोमल रुक गई. वह एकदम घबरा गई. उसे एहसास हो गया कि वह कहां जा रही थी. क्यों जा रही थी. कोमल ने भी सेट पर रिप्लाई किया


कोमल : हां बालवीर में सुन रही हूं ओवर



बालवीर : वापी सजाओ कोमल


डॉ रुस्तम ने बालवीर के हाथ से रेडियो सेट ले लिया


डॉ : गुड जॉब कोमल वापस आ जाओ.


कोमल : मैं कितना टाइम सरवाइव किया.


कोमल को डॉक्टर रुस्तम की खुशी वाली आवाज सुनाई दी.


डॉ : 5 मिनिट्स एक्स्ट्रा कोमल ग्रेट जॉब


कोमल के फेस पर हसीं छा गई. और वो वहां से निचे की तरफ आने लगी. पर स्कूल के अंदर की सीढ़ियां उतरते कोमल को कुछ दिखाई दिया. 15-7 साल का बच्चा उसे खड़ा हुआ दिखाई दिया. जिसने स्कूल यूनिफार्म पहन रखी थी. कोमल भी वही खड़ी हो गई और उसे देखने लगी. वह बच्चा भी उसे ही देख रहा था वह लड़का था. तभी वह लड़का वापस अंदर भाग गया. कोमल भी उसके पीछे जाने लगी. रेडियो सेट पर डॉक्टर की फिर आवाज आने लगी.


डॉ : कोमल नहीं कोमल नहीं वापस आओ ओवर.


वह बच्चा एक खंडहर जैसे क्लास रूम में घुस गया था. कोमल भी उसके पीछे गई. वह भी क्लास रूम में घुस गई. पर क्लास रूम में उसे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था. कोमल 1 मिनट खड़ी रही. उसके रेडियो सेट पर लगातार डॉक्टर रुस्तम बोल रहे थे. कोमल को एहसास हुआ वापस पीछे मुड़ गई. वह स्कूल के बाहर आ जाती है.

जब कोमल को वो छोटा लड़का दिखा. उस वक्त कैमरामैन नवीन की स्क्रीन भी blink हुई थी. उसे स्क्रीन पर बस एक ब्लू पिंक पट्टी सी नजर आई. ठीक वैसी ही स्क्रीन डॉ रुस्तम और पटनायक के सामने भी हुई. डॉ रुस्तम ने तुरंत नवीन को कॉल किया.


डॉ : डॉक्टर तो नवीन रिपोर्ट ओवर.



नवीन : नवीन ओके ओवर


डॉ : कुछ नोट हुआ क्या हुआ क्या? ओवर.



नवीन : सरवाइवर स्पीड कैच हुई है. ओवर.


डॉ : ओके नॉटेड ओवर.


जब स्क्रीन पर कोमल को वापिस आते देखा तो डॉ रुस्तम के फेस पर स्माइल आ गई. वो समझ गया की इस फिल्ड मे कोमल के रूप मे उसे रुपए का मिल गया है. पटनायक और डॉ रुस्तम की जगह किसी और ने ले ली. और वो दोनों कोमल के पास पहोचे. उसे बधाई दीं. उसके बाद डॉ रुस्तम की बारी थी. डॉ रुस्तम मजा हुआ खिलाडी था. उसने अपना टाइम पूरा किया और खुद ही वापिस आ गया. उसने आते ही सब क्लोज करने का आर्डर दिया.


डॉ : ओके गाइस बैकअप.


कोमल डॉ रुस्तम के पास आई. बलबीर भी उसके साथ था.


कोमल : डॉक्टर साहब कल 10:00 की मेरी फ्लाइट है अहमदाबाद के लिए.


डॉ : क्या तुम आगे नहीं करना चाहती????


कोमल : नहीं करना तो चाहती हु. कल मेरे केस की डेट है. तो शाम को मे वापिस आ जाउंगी.


डॉ : ठीक है. हम तुम्हे छोड़ देंगे एयरपोर्ट तक. पर देख लो. कल और परसो तक हम उन बच्चों की एंटीटी से कॉन्टेक्ट करने की कोसिस करने वाले है. अगर आ सको तो???


कोमल : नहीं सर में जरूर आऊंगी. मुजे आगे बढ़ना है.


डॉ रुस्तम ने स्माइल की.


कोमल : पर सर मे आपको कुछ बताना चाहती हु.


डॉ : हा बोलो??? कुछ देखा क्या???


कोमल : सर मेने एक छोटे बच्चे को देखा. उसने स्कूल यूनिफार्म पहनी हुई थी. और वो भाग कर किसी रूम मे चले गया. पर मै वहां गई तो मुजे कुछ नहीं दिखा.


डॉ रुस्तम समझ गए की उसी वक्त उनकी स्क्रीन blink हुई थी.


डॉ : हम इस बारे मे बादमे बात करेंगे. तुम्हे सुबह जाना है. तुम आराम कर लो.



कोमल बलबीर और सारी टीम बैकअप करके आश्रम में आ गए.
काफी खतरनाक माहौल...
डॉ और कोमल एक परफेक्ट सहयोगी हैं इन कामों के लिए...
 
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motaalund

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Update 23



रात बस से कोमल बलबीर के साथ बैठी हुई थी. बलबीर बोल रहा था. और कोमल सुन रही थी. लेकिन कोमल बहोत कुछ सोच कर थक गई. कोमल ने बलबीर के कंधे पर अपना सर रख दिया. वो बलबीर की आवाज तो सुन रही थी. मगर बलबीर क्या बोल रहा है. ये उसे पता ही नहीं चला. थकान की वजह से उसे नींद आ गई.

कोमल एक बच्ची के जैसे सो गई. उसे ये पता ही नहीं चला की वो कब कैसे आश्रम मे आई. और कैसे बिस्तर पर लेटी. दरसल बस मे जगाने से कोमल नहीं उठी तो उसे बलवीर अपनी गोद मे उठाकर आश्रम मे ले आया. कोमल का फोन डिस हो गया था. उसे भी चार्जिंग मे लगाया. उसका ही नहीं सब के फ़ोन डिस हो गए थे.

सुबह 8 बजे कोमल को खुद बलबीर ने उठाया. कोमल उठ ही नहीं पा रही थी. उसके गलो को हलकी हलकी थपकी मरते हुए. कोमल की नींद खुली और वो एकदम झटके से उठ कर बैठ गई.


कोमल : (हड़बड़ट) कितने बजे है???


बलबीर : 8 बज रहे है. फ़िक्र मत करो. मेने टाइम पे ही उठाया है. ये लो तुम्हारा फ़ोन.


कोमल ने देखा की वो निचे फर्श पर ही बिस्तर पर लेटी हुई थी. रूम एकदम साफ सुत्रा पर खाली ही था. पास पिने के पानी का मटका भी था. बलबीर की आंखे लाल हो रखी थी. देखने से ही पता चल रहा था की वो सोया नहीं था. कोमल ने तो 03:30 से 8 बजे तक की नींद ले ली. पर बलबीर 24 घंटे से ज्यादा वक्त से सोया ही नहीं था.


कोमल : तुम सोए नहीं. तुम्हारी आंखे लाल हो रखी है.


बलबीर : वो छोडो एयरपोर्ट तक तुम्हे बस छोड़ने जाने वाली है. तुम जल्दी तैयार हो जाओ. लेडिस बाथरूम उस तरफ है.


कोमल जल्दी से उठी और नहाना धोना नितक्रिया सब करने लगी. बलबीर कोमल चूक ना जाए इस लिए वो खुद नहीं सोया. ताकि कोमल को सही वक्त पर जगा सके. सब कुछ कर के वो रेडी हो गई. भूख भी लग रही थी. कोमल को खुशबु आ रही थी. कोमल ने देखा आश्रम मे ही डॉ रुस्तम की टीम का लंगर लगा हुआ है.

सब मैनेजमेंट किसी कैंप जैसा था. कोमल वहां गई तो पुरिया छन रही थी. उसे वहां डॉ रुस्तम भी दिखे. जो खुद काम कर रहे थे. उन्होंने भी देखा. कोमल वहां आ चुकी है.


डॉ : (स्माइल) कोमल आओ आओ. नाश्ता करो.


डॉ रुस्तम ने खुद एक डिश कोमल को बनाकर दीं. और उसके साथ बैठ गए. कोमल भूखी थी. वो फटाफट खाने भी लगी. वो दोनों ओपन मे ही चेयर पर बैठे हुए थे.


कोमल : (खाते हुए) आप भी कीजिये ना.


डॉ रुस्तम ने भी एक डिश ले ली. और खाते हुए ही दोनों आपस मे बाते करने लगे.


कोमल : मुजे समझ नहीं आया की वहां पर हमें सब अपनी लाइफ के दुख महसूस होते है. उसके बाद सुसाइड करने का ख्याल आता है. ऐसा क्यों??


डॉ : क्योंकि मौत मौत को खींचती है.


कोमल : यह तो दी मां ने भी बताया था. पर ऐसा क्यों मुझे कुछ समझ नहीं आया.


डॉ : जिसे हम एनटीटी कहते हैं वह एक आत्मा ही होती है. अब आत्मा कहीं जा नहीं सकती. उसे अपने साथ रहने वाला कोई चाहिए. इसलिए वह कोशिश करती है कि जिंदा इंसान.....


कोमल : हम्म्म्म समझ गई. तो क्या जो लोग ऐसे सुसाइड करके मर गए जो. क्या उन बच्चों के एनटीटी के साथ में रहेंगे???



डॉ : पता नहीं. पर ज़्यादातर तो आत्मा एक दूसरे के साथ रहे नहीं पति.


कोमल को सुन ने मे दिलचस्पी आ रही थी. दोनों ने ही नास्ता कर लिया.


डॉ : बस तैयार है तुम्हें एयरपोर्ट तक छोड़ने के लिए. तुम जल्दी आ जाओ.


कोमल जब वापस रूम में गई. देखा बालवीर सो रहा था. कोमल को बलबीर पर प्यार आने लगा. वो उसके लिए जानबुचकर नहीं सोया. ताकि कोमल सही वक्त पर जा सके. बेचारा बालवीर जैसे ही सुस्ताने गया वह सो ही गया. पर वह अपना काम कर चुका था. कोमल ने अपना सब सामान लिया. और बस मे आ गई.

डॉ रूस्तंबी बस में ही थे. वह कोमल को एयरपोर्ट तक छोड़ने आ रहे थे. बस एयरपोर्ट के लिए चल पड़ी. रास्ते पर दोनों ने खूब चर्चा विमष किया.


डॉ : क्या बालवीर अभी जाग रहा था.



कोमल समझ गई. बालवीर उसके लिए जाग रहा था. वह डॉक्टर साहब को भी पता है.


कोमल : (स्माइल) नहीं. मुजे जागते ही सो गया. बेचारा मुझे फोन देते ही सो गया.


डॉ : क्या तुम्हारा फोन फुल चार्ज है???


कोमल : हां शायद बालवीर नहीं चार्ज किया होगा.


डॉ : उसे मैं नहीं कहा था. तुम्हारा फोन पूरी तरीके से डिश हो गया था??



कोमल : पर यहां दीपक रास्ते में मैंने उसे फुल चार्ज किया था इतनी जल्दी कैसे डिश हो गया???


डॉ : तुम्हारा ही नहीं सबका फोन भी सो चुका था. यहां तक कि हमारे कैमरास की बैटरीस भी.


कोमल : कारण???


डॉ : तुम्हें शायद सुनने में अजीब लगेगा पर.

कोई भी पैरानॉर्मल एक्टिविटी होते वक्त. इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की बैटरीज जल्दी डिश हो जाती है. क्यों की आत्माए या सुपरनैचुरल एनर्जी मैग्नेटिक होती है. यह अर्थ का टच नहीं झेल पाती. यह ऊपर और में ही होती है. यार से जुड़ी किसी चीज में. इसलिए इन्हें इलेक्ट्रॉन पावर्स सूखने में मदद मिलती है. यह जानबूझकर ऐसा करते हैं. चेन्नई से एनर्जी मिलती है.


कोमल को एक नया ज्ञान मिला था.


कोमल : क्या उन सुसाइड अटेम्प्ट किया लोगों का उन बच्चों की एनटीटी से कोई वास्ता हो सकता है???


डॉ : शायद हां शायद नहीं. मैंने पहले ही बताया ना. मौत मौत को खींचती है.


कोमल : पर अपने वस्तु कहा था. जमीन की ऊर्जा. औरत की एनर्जी.


डॉ : इस बारे में हम बाद में बात करेंगे. एयरपोर्ट आ चुका है. तुम जल्दी जाओ बेबी बहुत टाइम है.


कोमल वहां से टाइम पर अपनी फ्लाइट मे बैठ गई. और अहमदाबाद पहोच गई. लंच ब्रेक के बाद उसके दो केस थे. लेकिन मोटी फीस देने वाली पार्टी आई ही नहीं. उसके पास एक छोटा सा कैसे बचा था. जिसके फीस डील बहुत कम थी. कोमल को गुस्सा आ रहा था. क्योंकि उसे अगली डेट मिली थी. दूसरा केश एक बूढ़े का था. जिसकी सरकारी पेंशन बंद हो चुकी थी. जिसे चालू करवाना था. वो बूढा फॉर डिविजन सरकारी कर्मचारी था.

जिसकी पेंशन भी बहुत कम थी. मुकेश जीत गया और उसकी पेंशन चालू हो गई. फेस कुछ 5000 तय हुई थी. प्रकाश जीतने के बाद वह बूढ़ा रिक्वेस्ट करने लगा. ऑफिस बाद में दे देगा. फिलहाल उसके पास पैसे नहीं है. कोमल अपना पैसा कभी नहीं छोड़ती थी. इस मामले में बहुत कमीनी थी. कोमल ने गुस्से में तुरंत उसकी गर्दन पकड़ ली.


कोमल : (गुस्सा) साले बुड्ढे. एक तो तेरा कैसे लिया. और तू पैसे देने में नाटक कर रहा है.


वो बूढा घबरा गया. और हाथ जोड़ने लगा. कोमल को याद आया कैसे उस से एक पाप हुआ. जिसे याद कर के उसे सुसाइड करने का मन होने लगा. कोमल अफसोस करने लगी.


कोमल : क्या हो गया चाचा पैसा क्यों नहीं है.



बुद्ध ने बताया उसकी बहू उसे मरते पीटीती है. उसे खाना भी नहीं देती. कोमल सारा मामला समझ गई. कोमल ने उस बूढ़े को खाने का पूछा. वो भूखा भी था. और जाने के लिए पैसे भी कम थे.


कोमल : फिक्र मत कर चाचा. तेरी बहू को भी हम देख लेंगे. ले 500 रूपए. खाना भी खा लेना. इससे हो जाएगा ना.


कोमल जैसी बेरहेम ने पहेली बार किसी पर दया दिखाई. और दान पुण्य भी किया. शायद उसने पहली बार दुआ कमाई थी. शाम 5:00 की उसकी एक और मीटिंग थी. कोमल एक कंपनी की डील के लिए वहां चली गई. उसने कंपनी को लीगल एडवाइस दी. अब जो पेमेंट मिला. कोमल की सोच से ज्यादा थी. कोमल ने सोचा था शायद उसे 25,000 तक मिलेगा. लेकिन उसे 2,00,000 दिए गए.

क्योंकि कंपनी का काम लंबे वक्त तक रुका हुआ था. और कोमल की एडवाइस से लग रहा था कि उनका काम अच्छे से होगा. साथ में कोमल ने कुछ और भी फ्री एडवाइस दी थी. उन्हें कोमल पॉजिटिव लगी. कमल का मूड खुश हो गया. उसने 5000 गावाए तो 2 लाख कमाए. शाम हो चुकी थी. कोमल को इलाहाबाद के लिए कोई फ्लाइट नहीं मिली. वह अपने घर चली गई. उसने डॉक्टर रुस्तम को कॉल लगाया. और बताएं कि वह नहीं आ सकती.


डॉ : हम दो दिन रिसर्च करेंगे. देख लो कल शाम तक तुम शायद आप आ पाओ तो.


कोमल मान गई. वह अपने फ्लैट में थी. उसने खाना खाया और सो गई. सोते वक्त उसे वह ख्याल जरूर आया. जिस गरीब परिवार की जमीन उसके कारण गई थी. कोमल उनके लिए कुछ करना चाहती थी. उस रात कोमल घोड़े बेच कर सोइ. सुबह उठी और पॉजिटिविटी के साथ सब काम किया. नहाना धोना दिया बत्ती करना प्रार्थना करना. और कोर्ट मे. कोमल के पास केस नहीं था.

पर काम बहोत थे. जिनसे पैसे आ सके. वो दूसरे वकीलों को तक एडवाइस देती थी. कोमल के पास केश कम होते. पर मोटी रकम देने वाले होते. वो सस्ते केश तब ही लेती जब वो उसके टाइम मे फिट बैठ रहे होते. टाइम जैसे एक केश लड़ लिया. तो दूसरा सस्ता केश भी एटैच टाइम में हो. कोमल दोपहर 3:00 बजे फ्री हुई.

वो अपने घर जा रही थी. पर उसे वो बूढ़े दम्पति बार बार याद आ रहे थे. कोमल ने अहमदाबाद के बहार की तरफ जाने वाले रास्ते पर कार दौड़ाड़ी. उसे ज्यादा दूर नहीं जाना था. क्यों की वो जगह अहमदाबाद से टच ही थी. कोमल कुछ 20 मिनट मे ही वो जगह पहोच गई. कोमल ने जिस जमीन को बिकवाया था. वहां मॉल बन गया था.

कोमल को बहोत अफ़सोस हुआ. वो खेती की जमीन थी. दए बाए नजर दोडाइ पर वो दम्पति कहा मिलते. वो रोड की जमीन थी. रोड पर एक गैरेज था. कोमल वहां गई. क्यों की वो गैरेज पहले भी था. कोमल उस गैरेज पर गई और उस बूढ़े बूढी के बारे मे पूछा. उस गैरेज वाले ने बताया की वो मॉल के पीछे वाले गांव मे ही रहते है.

वो बूढा इसी मॉल मे सिक्योरिटी का काम करता है. कोमल ने उस बूढ़े का नाम भी पूछा. उसका नाम किशोर भाई था. कोमल ने मॉल मे जाकर उस बूढ़े के बारे मे पता किया तो पता चला की वो नाईट सिफ्ट करता है. कोमल तुरंत ही अपनी कार लेकर उस गांव मे चली गई.

पूछ ताछ करने पर उसे किशोर भाई का घर मिल गया. उसका घर तो पक्का था. पर छत टीन शेड वाली. मतलब लोहे के पतरे. वो लोग कोमल को देखते ही पहचान गई. कोमल को डर था की उसे देख कर वो भड़क जाएंगे. गालिया देंगे. हो सकता है की अटैक भी कर दे. पर उस बुढ़िया ने उसे देखते ही पहचान लिया.


बुढ़िया : (स्माइल) अरे बेन आवो आवो.


कोमल गुजरती जानती थी. उसे विश्वास नहीं हो रहा था. उस बुढ़िया ने उसे बहोत प्रेम से बैठाया. चाय पानी भी पिलाया. किशोर भाई किसी के ट्रैक्टर पर काम करने गए थे. कोमल हैरान थी की किशोर भाई दो तीन गुनाह ज्यादा काम करते है. तभि किशोर भाई भी आ गए. किशोर भाई भी कोमल से खूब आदर सत्कार से पेश आए.

कोमल ने खुद ही बताया की उसी ने उनकी जमीन बिकवाई. पर उन दम्पति ने तो सब किश्मत का खेल बताया. कोमल को ये भी पता चला की उनका एक बेटा और बेटी थी. दोनों की शादी कर दीं. पर बेटा बीमारी के कारण मर गया. बेटे की एक बेटी थी. वो जो फिलहाल 12 क्लास साइंस मे पढ़ रही थी. सरकारी खर्चे पर.

वो पढ़ने मे होशियार थी. वो डॉक्टर बन ना चाहती थी. वो जमीन इसी लिए नहीं बेच रहा था. की वक्त आने पर पोती की पढ़ाई के लिए पैसों की जरूरत हुई तब वो जमीन बिक्री करेंगे. मगर कोमल ने बहोत सस्ते दाम पर वो जमीन बिकवा दीं थी. कोमल ने उन्हें 10,000 रुपये दिए. वादा किया की उनकी पोती की पूरी पढ़ाई का खर्च वो उठाएगी. साथ मे उसके मकान की छत भी वो डलवाएगी.

कोमल वहां से चली गई. कार चलाते उसे बहोत ख़ुशी हो रही थी. रास्ते मे एक सरकारी स्कूल दिखी. जिसमे से बच्चे बहार आ रहे थे. शायद स्कूल की छुट्टी हुई थी. कोमल ने भी वही गाड़ी रोक दी. और गेट पर चली गई. वही गुब्बारे वाला भी खड़ा था. कोमल ने उसे गुब्बारे वाले को पैसे दिए. और बोला कि सभी बच्चों को एक-एक गुब्बारा देते जाए. इस गुब्बारे वाले ने भी यही किया. वह भी बहुत गरीब था.

उसके सारे गुब्बारे बिक गए. वह भी खुश हो गया. और उसने खुशी से कोमल को एक गुब्बारे का पैकेट दे दिया. कोमल ने बोला. वो इन गब्बर का क्या करेगी. गुब्बारे वालों ने कहा किसी और बच्चों को दे देना. यह कर्म था. कमल के कर्म बैक होकर उसे मिल रहे थे.

उसे एक बड़ी दिल तो मिल गई. 2 लाख रुप जैसी बड़ी रकम भी मिली. कोमल अपने फ्लैट में वापस आई. उसने फ्लाइट बुक करी. उसकी शाम 06:00 बजे की फ्लाइट थी. कोमल ने मैसेज डॉ रुस्तम और बालवीर को भी कर दिया. और कोमल फ्रेश होकर एयरपोर्ट के लिए निकल गई. कोमल ने फ्लाइट मे बैठने से पहले डॉ रुस्तम को call किया.


डॉ : हेलो कोमल. तुम आ रही होना??


कोमल : हां मैं आ रही हूं. बालवीर कैसा है??


डॉ : वह ठीक है.


कोमल : कल कुछ हुआ??? मतलब मै नहीं थी. आप उन बच्चों की एंटीटी से कनेक्शन जोड़ने की कोशिश में थे जो...


डॉ : कुछ भी नहीं हुआ. वह बातें नहीं करना चाहते शायद. हमारे दो कैमरास भी ब्लास्ट हो गए. आज लास्ट कोशिश करेंगे. नहीं हुआ तो फिर दाई माँ को बुलाने की कोशिश करेंगे.


कोमल : मैं 8:00 बजे तक पहुंच जाउंगी.


डॉ : ठीक है. तुम्हें पिकअप करने के लिए बस वहीं पर मिलेगी.


कोमल : ओके फिर वहीं मिलते हैं.


कोमल ने फोन कट कर दिया. और फ्लाइट के लिए निकल गई. वह सही टाइम पर इलाहाबाद पहुंच गई. इलाहबाद पहोचते ही कोमल एयरपोर्ट से बहार निकली. उसे वही बस दिख भी गई. बस के साथ एक ड्राइवर और बालवीर भी खड़ा था. बालवीर कोमल कोई कॉल करने की कोशिश कर रहा था. उसने भी कोमल को देख लिया और हाथ हिलाया. कोमल स्माइल करती हुई उसकी तरफ चली गई.

करीब पहोचते दोनों की नजरें मिली. और दोनों के फेस पर खुशियों भरी स्माइल. वो बस मे बैठ गए और बस चल पड़ी. बलबीर उसे समझाने लगा. बहोत खर्चा हो रहा है. अब नहीं आएँगे. कोमल उसे समझाती है की कमाएंगे तभि तो खर्चा होगा. कोई बात नहीं.


कोमल : कल वहां क्या हुआ???


बलबीर : वहां जो छत गिरी थी. डॉ साहब गए. कैमरा वगेरा लगा हुआ था. मै तो निचे था. पर उन्होंने वो कान मे सुन ने वाला( हेडफोन) दिये थे. उस से डॉ साहब को देखा भी. और सुना भी. डॉ साहब वहां अकेले बैठ गए.


डॉ : क्या यहाँ पर मेरे सिवा कोई है??? अगर है तो हिशारा दे.


कुछ भी नहीं हुआ.


डॉ : क्या यहाँ पर बच्चों तुम हो. हो तो मुझसे बात करने की कोसिस करो. कोई हिशारा दो. वो टूटी हुई खिड़की को हिलाओ. मुजे पता चल जाएगा.


पर कुछ नहीं हुआ. डॉ साहब फिर भी बात करने की कोसिस कर रहे थे.


डॉ : देखो मै तुमसे बात करना चाहता हु. प्लीज कोई तो हिशारा दो.


तभि अचानक वहां जो एक बड़ी लाइट लगाई थी. वो एकदम से फुट गई. डॉ साहब तुरंत खड़े हो गए. उसके बाद जैसे वो खड़े हुए उनके सामने वाला कैमरा फूटा. डॉ साहब फिर भी खड़े रहे. फिर वो नवीन ने उनके फोन पे फोन( रेडियो सेट) किया. नवीन उन्हें बताने लगा की फ्रीक्वेंसी मिल रही है. स्पीड भी मिल रही है. वह कुछ कहना चाहते हैं.


डॉ : पूछो वह क्या कहना चाहते हैं???


नवीन : वह यहां से जाने को बोल रहे हैं. वह एक नई कई सारे है.


मेने भी देखा. छोटी सी टीवी पर गुलाबी नीला गुलाबी नीला होने लगा. तभी अचानक एक और कैमरा फूट गया. और डॉक्टर सब नीचे आ गए.



कोमल : किसी को कोई नुकसान तो नहीं हुआ?? किसी को कोई चोट???


बालवीर : नहीं वैसा तो कुछ नहीं हुआ.


बाते करते हुए वो दोनों उसी स्कूल वाली लोकेशन पर ही पहोच गए. पर वहां तो पैकअप की तैयारी हो रही थी. कोमल ने डॉ रुस्तम को देखा. और तुरंत उनके पास पहोच गई.


कोमल : डॉक्टर साहब मे आ गई. पर यहाँ क्या हो रहा है.


डॉ रुस्तम थोडा लम्बी शांस लेते मुश्कुराए.


डॉ : सायद वो हमसे बात नहीं करना चाहते. कल मे दाई माँ को call कर दूंगा. वो सब संभल लेगी. यहाँ विधि ही करनी पड़ेगी.


कोमल : प्लीज मै ट्राय करू???


डॉ : तुम पागल हो. तुम इस फिल्ड को जानती नहीं. अभी कल ही आई हो. तुम जानती हो कल मेरे साथ क्या हुआ????


कोमल : हा सर.. बलबीर ने मुजे बताया. पर मुजे एक कोसिस करने दो प्लीज.


डॉ : नहीं. कल हम मुंबई वापस जाएंगे. तुम भी वापस जाओ. प्लीज. तुम्हे कुछ हुआ तो दाई माँ मुजे माफ नहीं करेंगी. बड़ी मिन्नतो से मेने उनसे तुम्हे अपने साथ काम करवाने को राजी किया. वो बिलकुल नहीं चाहती थी.


कोमल : मै यहाँ आई. कोई तो ऊपर वाले की मर्जी होंगी. अब मेरे लिए इतना कुछ किया तो एक मौका दो. और पैदा होते कौन सिख जाता है.




बलबीर का कोमल को केयर करना अच्छा लगा..
लेकिन साथ हीं पिछली गलतियों को सुधार कर या उनका प्रायश्चित कर कोमल अपनी भूल की क्षतिपूर्ति कर रही है...
 

motaalund

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Update 23ब



डॉ : ना, नहीं नो. अब आगे कोई बात नहीं.


कोमल वकील थी. इतनी आसानी से मान जाती क्या.


कोमल : डॉ साहब आपने ही मुजे इस काम के लिए राज़ी किया. ये कहेके ना की ये लोगो की भलाई के लिए है.


एक पल वो कोमल को देखते रहे.


डॉ : मुजे तुम मे गौरव तिवारी नजर आ रहे है. ठीक है जाओ. पर याद रहे. हम किसी भी एनटीटी से कोई डील नहीं करते. कोई वादा कोई कसम प्रॉमिस मत करना. वरना प्रॉब्लम होंगी.


कोमल : हा ठीक है. पर ये गौरव तिवारी कौन है???


डॉ : वो मै बाद मे बताऊंगा. अभी तुम जाने की तैयारी करो.


डॉ रुस्तम ने घूम कर सब को वापिस सेटअप लगाने को कहते है. बलबीर भी कोमल के पास ही था.


कोमल : बलबीर मेरे पर्स मे एक गुब्बारो का पैकेट है. उसके प्लीज सारे गुब्बारो मे हवा भर दो. हो सके तो कुछ और भी लोगो को ले लो. ताकि जल्दी काम हो जाए.


बलबीर तुरंत बस मे गया. और अपने काम मे लग गया. ड्राइवर और दो लोग उसके साथ जूटे. मगर गुब्बारो मे मुँह से हवा भरना भी मामूली काम नहीं है. इसके लिए शरीर मे तंदुरस्त फेफड़े चाहिये. सब की हालत ख़राब हुई. मगर बलवीर एक गांव का तंदुरस्त नवजावान था.

हालत तो उसकी भी ख़राब हुई. पर वो जानता था की ये सब वो कोमल के लिए कर रहा है. वही कोमल को भी डॉ रुस्तम की टीम तैयार करने लगी. उसपर माइक्रोफोन माइक्रो कैमरा. सेंसर डिवाइस बहोत कुछ लगाया गया. कोमल जाने के लिए तैयार हो गई.


डॉ : क्या कोमल तुम तैयार हो???


कोमल ने हा मे सर हिलाया. डर उसे भी लग रहा था. उसकी दिल की धड़कने भी तेज़ थी. पर कोमल रोमांचित भी हो रही थी. उसे अंदर से फील हो रहा था की कुछ अच्छा भी होने वाला है.


डॉ : याद रखना किसी भी एनटीटी से नो डील. कुछ भी प्रॉमिस मत कर देना. वरना लेने के देने पड़ जाएंगे. तभि बस से दोनों हाथो मे गुब्बारे लिए बलबीर आने लगा.


बलबीर : कोमल....


उसके पीछे ड्राइवर और एक और बंदा भी था. गुब्बारे इतने ज्यादा थे की एक इंसान नहीं ला सकता था. डॉ रुस्तम गुब्बारो को देख कर हैरान रहे गए. पर फेस स्माइल भी करने लगा.


डॉ : (स्माइल) गुब्बारे.


कोमल : बलबीर जल्दी इन सारे गुब्बारो को वही उसी क्लास रूम मे पहोंचा दो.


बलबीर कोमल के किसी भी काम को रुकने नहीं देता. बाकि लोग जाने से डर रहे थे. पर बलबीर ने सारे गुब्बारे 3 चक्कर लगाकर क्लास रूम मे पहोचवा दिए. वो कोमल के पास वापस आया. स्पीड की वजह से वो पसीना पसीना भी हो गया था. थोडा हाफ भी रहा था.


बलबीर : (स्माइल) हो गया.


कोमल : (स्माइल) थैंक्यू बलबीर.


बलबीर के लिए तो वो थैंक्यू i love you ही था. डॉ रुस्तम फिर कोमल को हिदायत देने लगे.


डॉ : याद रहे कोमल. नो डील. सिर्फ कोसिस करो. वो कॉन्टेक्ट करें तो ठीक. वरना तुम वापस आ जाना.


कोमल ने हा मे सर हिलाया.


डॉ : अब जाओ. Best of luck.


कोमल स्कूल के अंदर जाने लगी. डॉ रुस्तम बलबीर को वही वान मे ले जाते है. वो जानते थे की कोमल बलबीर की बात जल्दी मानेगी. इस लिए उसे पास मे रखना जरुरी था.


डॉ : पटनायक बलबीर को हेडफोन दे दो


डॉ रुस्तम और बलबीर दोनों हैडफोन पहन कर स्क्रीन के सामने बैठ गए. उस बार वो कोमल की आवाज भी सुन सकते थे. जिस क्लास रूम मे बच्चे दब कर मारे थे. कोमल उस रूम मे पहोच गई. बलबीर को डर भी लग रहा था. वही कोमल जब रूम मे पहोची same ठंडा चिल्ड माहोल. हवा बिलकुल नहीं चल रही थी. सब कुछ शांत था.

कोमल रूम मे हार तरफ देखने लगी. हैलोजन लाइट से पूरा रूम देखा जा सकता था. गुब्बारे पुरे रूम मे बिखरे हुए थे. एक भी गुब्बारे की मूवमेंट नहीं थी. कोमल ने खडे होकर एक लम्बी शांस ली. फिर दोनों हाथ पीछे करके रूम मे ही चलने लगी. जैसे वो कोई क्लास टीचर हो.


कोमल : कैसे हो बच्चों... मै तुमसे मिलने आई हु. कौन कौन मुझसे बात करेगा...


डॉ रुस्तम स्क्रीन पर कोमल की एक्टिविटी देख कर हैरान रहे गया. डॉ रुस्तम ने सिर्फ एक गुब्बारे को थोडासा हिलते देखा. जो कोमल ने नहीं देखा. पर स्क्रीन पर एक हलकी सी पिंक लाइन जरूर उभरी थी. कोमल ने एक गुब्बारा उठाया और उसे बाकि सारे गुब्बारो को दूर कर के बिच मे रख दिया. वहां सिर्फ एक चेयर भी थी. कोमल उसपर जाकर बैठ गई.


कोमल : अगर कोई मुझसे बात करना चाहता है तो प्लीज इसे राइट तरफ ले जाए.


स्क्रीन पर भी डॉ रुस्तम और बाकि पूरी टीम एक्साइड थी. ये देखने के लिए. कुछ होता है या नहीं. मगर गुब्बारा पहले तो हल्का सा राइट तरफ झूका. फिर एक राउंड राइट तरफ लुढ़क गया. हल्का सा डर कोमल को भी लगा. मगर वो स्माइल करती है.


कोमल : वेरी..... गुड. वेरी गुड. अब मुजे बताओ तुम कितने बच्चे हो यहाँ??? मै काउंटिंग करूंगी. जो भी राइट आंसर आए. आप लोग गुब्बारे को लेफ्ट तरफ कर देना.


कोमल गिनती करने लगी.


कोमल : 1,2,3....


जब कोमल गिनती कर रही थी. तब सब हैरान और एक्साइड थे. डर सभी को लग रहा था. बलबीर कोमल के लिए कुछ ज्यादा ही डर रहा था. वही कोमल की गिनती बहोत स्लो भी थी.


कोमल 30..... 31..... नहीं 31 भी नहीं है??? तो फिर क्या 32 अममम 33.... या फिर......34.


जब कोमल ने 34 बोला वो गुब्बारा एकदम स्लो लेफ्ट तरफ लुढ़क गया. कोमल की भी डर से फटने लगी. वहां नवीन का डॉ रुस्तम को रेडियो सेट पर कॉल आता है.


नवीन : नवीन तो डॉक्टर रिपोर्ट ओवर.


डॉ : या डॉक्टर ओके ओवर.


नवीन : सर बहोत कुछ हो रहा है ओवर.


डॉ : वाह... क्या क्या???? ओवर.


नवीन : वेव्स, वॉइस, बच्चों की बाते करने की भी आवाज आ रही है.


उन बच्चों के शोर की आवाज डिवाइस में कैप्चर होने लगी. जैसे एक क्लास के सारे बच्चे आपस मे बात कर रहे हो. नवीन ने नोट किया की बच्चे आपस मे बात कर रहे है. आंटी बहोत अच्छी है. देखो हमारे लिए आंटी गुब्बारे लेके आई. नवीन ने ये बात जब डॉ रुस्तम को बताई तो डॉ रुस्तम के भी कान खड़े हो गए. ऊपर से उन्होंने कोमल के सवाल पर बच्चों की तरफ से जवाब आया की वो 34 है.

ये देख कर उनके होश ही उड़ गए. ये सब बलबीर भी देख सुन रहा था. बलबीर का डर भी धीरे धीरे ज्यादा बढ़ने लगा. डॉ रुस्तम कोमल को रेडियो सेट पर कॉल करता है.


डॉ : डॉक्टर तो कोमल रिपोर्ट ओवर.


कोमल : हा बोलिये डॉ साहब????


डॉ : बच्चों की आवाज कैप्चर हो रही है. वह तुम्हें रिप्लाई दे रहे हैं. वह तुम्हें पसंद कर रहे हैं. तुमने सवाल करो. उनका जवाब हमें मिल रहा है.


कोमल की हिम्मत बढ़ गई. वो स्माइल करती है.


कोमल : तो बच्चों यहां क्या हुआ था??? तुम यहां पर क्यों हो???



बच्चों की कैप्चर वॉइस : सब कुछ पंडित जी ने किया सब कुछ पंडित जी ने किया. वह बहुत गुस्से वाले हैं. वह किसी को नहीं छोड़ते.


डॉ ने ये बात कोमल को बताई.


कोमल : बच्चों पंडित जी कहां है???



कैप्चर वॉइस : वो वह स्कूल के नीचे है. पीछे की तरफ. वह हमें नहीं जाने देंगे.


कोमल : बच्चों मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकती हूं.


डॉ रुस्तम तुरंत भड़क गए.


डॉ : (गुस्सा) पागल लड़की. तुम्हें बोला था कोई दिल नहीं करनी है.


कोमल तो चुप हो गई. उसे एहसास हो गया की उस से गलती हो गई. पर बच्चों ने जो रिप्लाई दिया. वो दिल दहलाने वाला था.



कैप्चर वॉइस : आप हमें अच्छी लगती हो आंटी. आप मत जाओ. आप भी हमारे साथ आ जाओ. आप स्कूल की छत से कूद जाओ. आप हमारे साथ आ जाओगी.


वह बच्चे कोमल को सुसाइड अटेम्प्ट करने के लिए बोल रहे थे. यह सुनकर नवीन की भी हालत खराब हो गई और डॉक्टर रुस्तम की भी. यह सारी बातें बालवीर ने भी सुन ली. बालवीर की आंखों से तुरंत आंसू आने लगे.


कोमल : बच्चों अभी पंडित जी कहां है???



कैप्चर वॉइस : वह यहीं खड़े हैं. वह तुम्हें देख रहा है.


तभि नवीन के डिवाइस में एक बूढ़े की आवाज कैप्चर होती है



मेरी हस्तियों का विसर्जन करो. मुझे एक जगह दो. नहीं तो ऐसा ही लोग मरते रहेंगे. यह स्कूल का दान मैंने दिया था. मेरे नाम से भंडारा करने का वादा किया था. पुष्पा खंडी ने भंडारा नहीं किया. वह पैसे लेकर भाग गया.


नवीन ने ये बात डॉ रुस्तम को बताई. डॉ रुस्तम मामला समझ गए. वो कोमल को वापिस आने को कहते है.


डॉ : डॉक्टर तो कोमल रिपोर्ट ओवर.


कोमल : हां बोलिए डॉक्टर साहब.


डॉ : कोमल वापस आ जाओ ओवर.


कोमल : ओके.


कोमल खड़ी हुई और जाने लगी.


कोमल : तो ठीक है बच्चों अब मैं जा रही हूं.



नवीन के डिवाइस में फिर आवाज कैप्चर हुई


कैप्चर वॉइस : नहीं आंटी आप मत जाओ. आप हमारे साथ रहो. हमारे साथ आ जाओ. हम आपको लेने आएंगे.


ये बात बहोत कडराने वाली थी. कोमल स्कूल के बहार आ गई. डॉ उस्ताद में तुरंत ही बैकअप करने का ऑर्डर दे दिया. और वह लोग वापस आश्रम में आ गए
ट्रिक्स ऑफ द ट्रेड से कोमल अच्छी तरह वाकिफ हो चुकी है...
जल्द हीं सफलता उसके कदम चूमेगी....
 
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Shetan

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डॉ की छलावे से भेंट..
ये तो मनपसंद था कोमल का...
आखिर दाई माँ के पास इसलिए तो जाती थी...
हमारे मुल्क मे छालावे भी 2 प्रकार के है. जो एक खुद हत्या करते है. और एक एक्सीडेंट करवा कर मौत करवाते हैं. पहाड़ो मे छालावे ज्यातर एक्सीडेंट करवाते है. जब की प्लेन ऐरिया मे खेतो गांव के बहार जो छालावे मिलते है. वो खुद जान से मरते है. लेकिन मेरे जान ने वाले एक सयाने जो पहाड़ी है. उनके पास का केश ऐसा था की वो जादू और बीमारी इस्तेमाल कर रहा था.
 

Shetan

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बलबीर का कोमल को केयर करना अच्छा लगा..
लेकिन साथ हीं पिछली गलतियों को सुधार कर या उनका प्रायश्चित कर कोमल अपनी भूल की क्षतिपूर्ति कर रही है...
Thankyou very very much. आप आए बहार आई.
 

sunoanuj

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Waiting for next update…
 

Shetan

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Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Thankyou very very much. आप आए बहार आई.
Hamare aane se konsa sookha pad jaata hai? :beee:
 
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Darkk Soul

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Update 4

हाईवे पर तो अंधेरा ही होता है. सिर्फ गाड़ियों की लाइट ही होती है. हमारी गाड़ी की लाइट से मुझे उनकी मोटरसाइकिल दिख गई. मुझे वो लड़का तो नहीं दिख रहा था.

बस उस लड़की की पिठ ही दिख रही थी. वही उसके लम्बे बाल. मुन्ना को मेरे हाथ से गिलास लेना था. इस लिए हमरी गाड़ी की पीकप भी थोड़ी धीरे हो गई.


Aage ki kahani.

बलबीर : हमारी गाड़ी जब धीरे हुई. तब मुझे महसूस हुआ की उस लड़की की गर्दन थोड़ी हिल रही है. जैसे वो उस लड़के के गाल को चुम रही हो.


लेकिन हमारी हालत तब ख़राब हुई. जब हमारी गाड़ी उस मोटरसाइकिल के बराबर मे पहोची. मुन्ना तो बराबर मे देख नहीं पाया. लेकिन मे चिल्लाया तब उसे एहसास हुआ की जरूर कुछ हुआ है. रोड के सामने की तरफ से आने वाली गाड़ियों की लाइट से मुझे साफ साफ दिखा. वो पीछे बैठी वही लड़की उस लड़के का कन्धा खा रही थी. (चबा रही है.)


कोमल एकदम से सॉक हो गई. वो तुरंत जैसे उछाल पड़ी हो.


कोमल : (सॉक) क्या???


बलबीर की भी वो लम्हा याद करते आंखे फटी रहे गई हो. कुछ डर सा आभास उसके चहेरे पर भी साफ नजर आ रहा था. वो भी कोमल की आँखों मे देखता है.


बलबीर : (एक्ससिटेड डर) हा मे झूठ नहीं बोल रहा. वो सच मे उसका कन्धा खा रही थी. लड़का भी वही था. जिसे मेने उस लड़की को अपनी मोटरसाइकिल पर लेजाते देखा था. उसकी पिठ से निचे खून टपक रहा था. वो लड़की जो उसका कन्धा चबा चबा कर खा रही थी. उसका पूरा मुँह भी खून से सना हुआ था.

हेरत की बात ये थी की वो लड़का फिर भी पूरा होश मे था. और मोटरसाइकिल चला रहा था. जब मै देख कर चिल्लाया तब उस लड़के ने भी गर्दन घुमा कर मुझे देखा. लेकिन उस बेचारे को पता ही नहीं की पीछे बैठी लड़की उसका कन्धा खा रही है. हमारी गाड़ी उनसे आगे ही निकली. मुन्ना मुझसे पूछ रहा था.


मुन्ना : (घबराहट) क्या हुआ दद्दा????


मै : अबे गाड़ी जल्दी आगे यहाँ घुसा और खड़ी कर.


मुन्ना को ये पता नहीं था की हुआ क्या. पर उसने तुरंय ही गाड़ी उस मोटरसाइकिल के आगे खड़ी कर दी. क्यों की उसे मोटरसाइकिल साइड वाले कांच मे तो दिख रही थी. पर वो लड़की क्या कर रही थी. ये नहीं दिख रहा था. मुन्ना बार बार मुझसे पूछ पूछ कर रहा था.


मुन्ना : (हड़बड़ाट) दद्दा क्या हुआ बताओ तो सही???


हम जब गाड़ी लेकर रात मे चलते है तो बड़ी वाली टोर्च पक्का सामने रखते है. मेने तुरंत ही अपना हाथ उस टोर्च पर मरा. शीट के निचे भी तुरंत हाथ मरा. निचे से मेरे हाथ मे बड़ा वाला पाना ही हाथ लगा. मे तुरंत निचे उतर कर उनके सामने खड़ा हो गया. उस लड़के ने तुरंत अपनी मोटरसाइकिल रोकी. और उतर कर मेरी तरफ आने लगा.


विक्टिम लड़का : क्या हुआ भाईसहाब.....


वो बोलते बोलते मेरी तरफ आ ही रहा था की एकदम से गिर गया.


कोमल से रहा नहीं गया और बिच मे ही बोल पड़ी.


कोमल : (एक्ससिटेड dar) तो जो उसके पीछे बैठी लड़की का क्या हुआ.


बलबीर : वो लड़का तो बाइक खड़ी कर के मेरी तरफ आया. पर वो ऐसे आया जैसे वो बाइक पर अकेला हो.

वो लड़की तो उसके सामने ही खड़ी थी. और घूर कर मुझे देख रही थी. वो लड़का तो बेहोश हो गया. पर वो लड़की दोनों हाथो को खोले हुए लहेराते मुझे ही देख रही थी. पर वो अचानक से सडक से निचे उतर कर खेतो मे भाग गई. खेतो की तरफ बहोत ज्यादा अंधेरा था.

और बड़ी बड़ी शरसो खड़ी थी. मेने टोर्च भी मरी. पर वो आँखों से ओझल हो गई. ये सब तो मुन्ना ने भी देखा. मेने तुरंत ही मुन्ना को बोला. मेरा मोबाइल गाड़ी मे ही था. पर उसने अपने मोबाइल से 108 नंबर पर फोन कर दिया. हमने पोलिस को भी फ़ोन किया. पर हम चल दिए. उसका आगे क्या हुआ पता नहीं.


बलबीर ने अपनी कहानी ख़तम की. और निचे देखने लगा. कोमल कभी तो दाई माँ की तरफ देखती है. तो कभी बलबीर की तरफ. वो दुखी सी हो गई. क्यों की अब तक उसने जितने भी किस्से सुने. उसमे ऐसे किसी की जान पर खतरा आ जाए. ऐसी कहानी उसने नहीं सुनी थी. दाई माँ के आगे पीछे कोई नहीं था. पर कोमल से दाई माँ को बहोत प्यार था.

उन्होंने कोमल की बचपन मे कई बार नजर उतरी थी. नजर ना लगे इस लिए डोरा भी बंधा था. दाई माँ जब भी कोमल को देखती उनकी ममता जाग उठती. इस लिए वो ऐसे किस्सों को उसे कम ही बताना चाहती. पर कोमल थी की मानती ही नहीं थी.

उनका मान ना था की कोई नकारात्मक ऊर्जा कोमल को हानि ना पहोंचाए. क्यों की सिर्फ दाई माँ ही जानती थी की कोमल के नक्षत्र के हिसाब से उसे आत्मा दिखाई दे सकती है. कई बार कोमल ने कई आत्माओ को देखा भी. पर कोमल को ये पता ही नहीं चला की वो लोग मृत है या फिर जीवित. कोमल ने थोडा सा दाई माँ को झनझोड दिया.


कोमल : बताओ ना माँ. वो क्या था???


दाई माँ कुछ पल शांत ही हो गई. वो सोचती रही की वो कोमल को बताए या नहीं. पर जो कहानी अगर पहले पता होती तो कोमल को नहीं सुन ने देती. आगे की जानकारी दे ही देने मे भलाई थी.


दाई माँ : वा एक नीच कोटि की चुड़ैल थी. ऐसे तो चुड़ैले सिरफ(सिर्फ) खून ही पीवे है. पर या चुड़ैल जिन्दा इंसान को मांस खावे है. इंशाने पतों ही ना चले की वा चुड़ैल उसको मांस खा रही है.


दाई माँ के कहने का मतलब था की वो एक सब से नीच कोटि की चुड़ैल थी. जो जिन्दा ही इंसान का मांस खाती है. शिकार को पता ही नहीं चलता की वो चुड़ैल उसके जिन्दा रहते ही उसका मांस खा रही है. कोमल ये जानकर हैरान हो गई. ऐसा कैसे हो सकता है की एक इंसान का मांस खा रही हो. और उसे पता ही ना चले.


कोमल : (सॉक) माँ ऐसा कैसे हो सकता है. उसे दर्द तो होगा ही. फिर????...


दाई माँ समझ गई की कोमल के मन मे कई सवाल है.


दाई माँ : जई तो बात है. एसो चुआ भी करें. बे इंसान को मांस फुक मार् मार् के खाबे. काउए पतों ना चले.


दाई माँ का कहने का मतलब था की ऐसा चूहा(rat) भी करता है. वो सोते हुए इंसान की उंगलियां वगेरा खाने लगता है. और इंसान को पता ही नहीं चलता. क्यों की वो काटने के साथ फुक भी मरता है. दाई माँ ने अपने ब्लाउज मे हाथ डाला. और एक छोटा सा बटुआ निकला. जो चेइन वाला था. पुरानासा. उसमे से एक कार्ड निकला. उसे कोमल की तरफ किया.


दाई माँ : देखियो री छोरी. ज्यामे का लिखो हे?? (देखना इसमें क्या लिखा हे??)


कोमल ने कार्ड पर लिखा नाम देखा. और दाई माँ की तरफ हेरत से देखा.


कोमल : ये तो किसी डॉ रुस्तम नाम लिखा है. ये तो साइकेट्रिक है.


दाई माँ : जे तुझे बम्बई(मुंबई) मे मिलेगो. मेरो चेला है. या ते बात कर. मेरो नाम बता देना. तेरे सबरे सवालन के जवाब मिल जाएंगे.


दाई माँ बोलना चाह रही थी की डॉ रुस्तम उनका स्टूडेंट है. वो उसे सारी जानकारी दे देगा. दाई माँ की सिफारिस पर. दाई माँ खड़ी हो गई.


दाई माँ : चल छोरी मे अब जाऊ. सांझ ने मिलूंगी.


दाई माँ शाम को मिलने का बताकर वहां से चली गई. पर कोमल के मन मे बहोत सारे सवाल पैदा होने लगे. कोमल के हाथ मे दाई माँ का दिया हुआ कार्ड था. जो किसी डॉ रुस्तम का था. जो एक सैकेट्रिक स्पेशयालिस्ट था. कोमल सोच मे डूबी हुई थी. उसका ध्यान बलबीर ने तोड़ा.


बलबीर : क्या सोच मे डूब गई???


कोमल ने एकदम से बलबीर को देखा और फीकी सी मुश्कान दी. कोमल ने ना मे सर हिलाया. दोनों अपनी जगाह से खड़े हुए.


बलबीर : चल अब मे चलता हु. बच्चे मेरी राह देख रहे होंगे.


बलबीर जाने लगा. कोमल ने एक नजर बलबीर पर डाली. वो जा रहा था. कोमल के फेस पर एक शरारती स्माइल आ गई. कोमल अपनी लाइफ की पहेली किश भूली नहीं थी. जिसे उसने बलबीर को दी थी. कोमल ने बलबीर को आवाज लगाई.


कोमल : (शर्म हिचक स्माइल) बलबीर.....


बलबीर के तो मानो दिल के तार हिल गए. बरसो बाद कोमल ने उसे पुकारा. जब दोनों का प्यार परवान चढ़ा था. तब जब भी कोमल ने बलबीर को पुकारा. बलबीर भाग कर चला आता. वो पलट कर कोमल को देखता है. उसने एक पल भी की भी देरी नहीं की.

कोमल ने ये सब पलकेश मे कभी महसूस नहीं किया. पर अब दोनों ही शादीशुदा हो चुके थे. बलबीर कोमल को स्माइल कर के वैसे ही देखता है. जैसा पहले देखा करता था. और हलका सा सर ऊपर कर के पूछता है. क्यों पुकारा.


कोमल : (शर्म हिचक स्माइल) अपने बीवी बच्चों से नहीं मिलवाएगा क्या???


बलबीर की स्माइल थोड़ी फीकी हो गई. कोमल को लगा कही बलबीर की बीवी गलत ना समझे. इस लिए वो डर रहा होगा.


कोमल : (स्माइल) अरे सिर्फ मिलना है. मै भी तो देखु. मेरे आशिक ने अपना जीवन साथी किसे चुना है.


कोमल ने जिगर कर के बेशर्मी से बोल दिया. शुक्र था की बलबीर के आलावा किसी और ने वो नहीं सुना. बलबीर ने बस हलका सा सर हिलाकर उसे अपने साथ चलने का हिशारा दिया.

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Darkk Soul

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कोमल : (स्माइल) अरे सिर्फ मिलना है. मै भी तो देखु. मेरे आशिक ने अपना जीवन साथी किसे चुना है.


कोमल ने जिगर कर के बेशर्मी से बोल दिया. शुक्र था की बलबीर के आलावा किसी और ने वो नहीं सुना. बलबीर ने बस हलका सा सर हिलाकर उसे अपने साथ चलने का हिशारा दिया.

आगे की कहानी



कोमल और बलबीर दोनों एक साथ चल रहे थे. कोमल के फेस पर स्माइल थी. उसे मझा आ रहा था. क्यों की बलबीर का फेस डाउन था. कोमल को लग रहा था. गाउ की औरते थोड़ी शक्की किसम की होती है. इस लिए बलबीर डर रहा है. कोमल बलबीर को छेड़ते हुए मज़ाक करती है.


कोमल : (स्माइल शरारत) अरे फ़िक्र मत करो. तुम्हारी बीवी के सामने मै तुम्हे भैया बोल दूंगी.


बलबीर ने कोमल की तरफ देखा. वो मुस्कुरा जरूर रहा था. पर उसकी स्माइल मे जैसे गम छुपा हुआ हो. कोमल को कुछ समझ ही नहीं आया.


बलबीर : (फीकी स्माइल) जो मर्जी बोल देना. वो कभी बुरा नहीं मानेगी.


कोमल को बलबीर का चहेरा देख कर लगा की ज्यादा मज़ाक नहीं करना चाहिए. वो चुप हो गई. वो लोग बलबीर के घर पहोच गए. बलबीर का घर पक्का था. लेकिन प्लास्टर नहीं था. इट और सीमेंट दीवारों पर नजर आ रहा था. कोमल ने देखा बाहर एक छोटी सी खटिया पर एक 5 साल के आस पास का लड़का और उसकी गोद मे एक और छोटा सा बच्चा दिखा. वो समझ गई की ये बलबीर के बच्चे है. कोमल की एक प्रॉब्लम थी की वो माँ नहीं बन पा रही थी. इस लिए बच्चों को देख कर उसमे ममता जाग गई.


बलबीर : (स्माइल) ये मेरे बच्चे है. बेटा राजू 5 साल का है. और बेटी नीरा अभी 3 महीने की होने वाली है.


कोमल खुश हो गई. वो उन बच्चों के पास पहोच गई. उसे बच्चे बहोत प्यारे लगे. उनकी मिट्ठी मिट्ठी बाते बचपना कोमल की ममता जगा रहा था. कोमल उन बच्चों के पास ही बैठ गई. और खेलने लगी. बलबीर अंदर से पानी लेकर आया और कोमल को दिया. कोमल ने नोट किया की उसने अब तक बलबीर की वाइफ को नहीं देखा.


कोमल : (स्माइल) तुम्हारी बीवी कहा है. यार उनसे भी मिलवाओ. कही बाहर तो नहीं है???


कोमल को लगा बच्चे अकेले है. इस लिए सायद कोई काम से या आस पास पड़ोस मे गई होंगी. बलबीर ने स्माइल किये घर के अंदर की तरफ हिशारा किया.


बलबीर : (स्माइल) नहीं अंदर ही है. वो थोडा शर्माती है ना. इस लिए बाहर नहीं आती. जाओ मिल लो.


कोमल थोडा एक्सक्टेड हो गई. थोड़ी शर्म थोडा डर. वो खड़ी हुई. और अंदर जाने लगी. पानी का ग्लास उसके हाथ मे ही था. मकान के अंदर का प्लास्टर था. दीवारों पर चुना पता हुआ था. कुछ भगवान की ताशवीरे कुछ बच्चों की पेंटिंग दीवारों पर बनी हुई. पर घर सम्भला हुआ नहीं था. अचानक कोमल के हाथ से पानी का ग्लास छूट गया. उसने देखा एक जवान औरत का फोटो. जिसपर हार चढ़ा हुआ था. बड़ी कलरिंग फोटो थी. कोमल समझ गई की उसकी बीवी हाल ही मे गुजर चुकी है. कोमल को मानो सदमा ही लग गया हो.

उसकी आँखों से अंशू निकाल गए. उसे अंदाजा हो गया की बलबीर का फेस क्यों उतर गया जब कोमल ने उसे अपने बीवी बच्चों से मिलवाने को कहा था. तभी उसे पीछे से बलबीर की आवाज आई.


बलबीर : (भावुक) अभी 2 महीने पहले ही शारदा का इंतकाल हुआ. वो तो चली गई. इन छोटे छोटे बच्चों को मेरे भरोसे छोड़ कर.


कोमल रो पड़ी. और झट से बलबीर को बाहो मे भर लिया. कोमल ने तो शारदा को देखा तक नहीं था. पर बलबीर की ऐसी हालत देख कर वो बहोत ज्यादा दुखी हो गई. कभी कोमल ने भी बलबीर से बहोत ज्यादा प्यार किया था. वो समझ चुकी थी की बलबीर पर क्या गुजर रही होंगी. कुछ पल वो शांत हुई. और दोनों अलग हुए. दोनों मे से कोई कुछ नहीं बोल पाया. कोमल ने एक बार फिर शारदा के फोटो की तरफ देखा. कोमल ने उस फोटो की तरफ हाथ जोड़ लिए. और घर के बाहर निकाल गई. बाहर निकाल कर उसने उन बच्चों की तरफ देखा.

एक बार तो कोमल को ख्याल आया की वो उन बच्चों को अपने साथ ही ले जाए. पर ये सब इतना आसान भी नहीं. ये कोमल भी जानती थी. कोमल से रहा ही नहीं गया. और वो वहां से बिना कुछ बोले ही चली गई. उस रात कोमल यही सोचती रही की उसके दुख से ज्यादा दुनिया का दुख है. कोमल की निजी जिंदगी कुछ ठीक नहीं चल रही थी. उसने अपने पसंद के लड़के से शादी तो कर ली. पर उसके वैवाहिक जीवन से वो खुश नहीं थी. कोमल भी इस बात के लिए सोचने लगी की कही उसकी जिंदगी बलबीर से किये उस डंप की वजह से तो ऐसी नहीं. सायद ये कर्मा का दिया फल हो. कोमल को बलबीर भी याद आने लगा. वो बीते हुए पुराने वक्त को याद करने लगी.

दिल मे कुछ गुदगुदी सी होने लगी. जब की वो पलकेंस से शादी कर चुकी थी. वो सोचने लगी की अगर वो बलबीर की बीवी होती तो वो कैसे लगती. उसने शारदा का फोटो देखा था. वो उस फोटो मे खुद को इमेजिन करने लगी. अपने खयालो मे ही खुद को देहाती रूप मे कल्पना कर के उसे हसीं आ गई.

फिर उसने पलकेंस की जगाह पर बलबीर को इमेजिन किया. उसे वो भी थोडा अजीब ही लगा. खयालो मे ही बलबीर अच्छे कपड़ो मे भी देशी ही लग रहा था. कोमल को फिर हसीं आ गई. अब एक बार फिर वही देहाती बलबीर अच्छा लगने लगा. कास्ट के हिसाब से बलबीर की कोमल से शादी हो सकती थी.

क्यों की बलबीर उस गाउ का नहीं था. वो उस गाउ का भांजा लगता था. वो तो बचपन से ही अपने मामा के घर मे रहे रहा था. मामा के कोई बेटा नहीं था. और वो अपनी माँ का चौथा बेटा था. बलबीर के लिए तो मामा का गाउ ही अपना गाउ अपना घर बन चूका था.

वही खटिये पर पड़े बलबीर की आंखे भी रात मे खुली हुई थी. वो पल भूल ही नहीं पा रहा था. जब कोमल एकदम से उसकी बाहो मे आ गई. सुंदर दिखने वाली कोमल महंगी साड़ी मे उसे बहोत आकर्षक भी लग रही थी.


बलबीर ने भी कुछ ऐसी ही कल्पना की थी. पर बलबीर को अपनी गरीबी भी याद आ गई. सायद नींद तो उसे नहीं आई. पर अपने अपने घर दोनों ने ही अपनी आंखे बस इसी सोच से बंद कर ली की ये सोच गलत है.


Hmm... Emotions... :readnews:

Nice.
 
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