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कहानी रेडर्स के साथ पर ही निर्भर है.Try krunga
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Thankyou so much komalji. Lot of thanks. Abhi update post kar rahi hu.VOW Welcome back
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एक लम्बा इन्तजार ख़त्म हुआ और धमाकेदार शुरुआत के साथ नयी कहानी आपने प्रारम्भ की।Update 30
स्कूल की छत गिरने से मरे बच्चों की समस्या सॉल्व हो चुकी थी. मणिकर्णिका घाट पर मरे हुए सभी बच्चे, दिन दयाल के दोनों बेटे जिनकी बली दीनदयाल ने दिलवाई थी.
उसके आलावा जिन जिन लोगो ने आत्माओ की चपेट मे आकर आत्मा हत्या करी. वो सारे. और सबसे खास पडितजी की आत्मा की शांति के लिए पूजा करवाई. उसके बाद सारे प्रयागराज त्रिवेणी संगम पर नहाने गए.
कहावत है की प्रयागराज सारे तीर्थं का राजा है. तीन नदियों का संगम गंगा, जमना और सरस्वती नदियों के संगम पर जिन अस्तियों का वित्सर्जन होता है. उनको मुक्ति मिल जाती है. उन सब ने कशी विस्वनाथ के भी दर्शन किए.
काशी की भी एक मान्यता है. वहां विश्वनाथ जी के दर्सन कीजिये गंगा मईया के दर्सन कीजिये. मगर वहां से कुछ लेकर मत जाइये. वरना बहोत बड़े पाप के भोगी बनियेगा.
सारे काम पुरे करने के बाद वापस उसी गांव मे जाने की बारी आई. शाम हो गई थी. सभी बस मे सवार हो गए. सभी थके हुए थे. कइयों को नींद आ रही थी. बस मे अंदर लाइट बंद अंधेरा हो चूका था.
बस की हेडलाइट से काला रोड किसी नागिन के जैसा डरावना लग रहा था. आगे एक शीट पर दाई माँ. उनके पीछे डॉ रुस्तम. और उनके पीछे बलबीर के साथ कोमल बैठी हुई थी.
अपने प्रेमी के कंधो पर सर रखे कोमल ने आंखे बंद कर रखी थी. लेकिन वो सोइ नहीं थी. उसके दिमाग़ मे हर वक्त कोई ना कोई खुरापात चलती ही रहती. कोमल ने अपना सर ऊपर उठाया. और बलबीर की तरफ देखा. बलबीर विंडो पर अपना सर टेके सो रहा था.
सोते हुए उसका मुँह खुला हुआ. और हलके हलके वो खर्राटे भी ले रहा था. उसे ऐसे देख कर कोमल को हसीं आ गई. उसने अपना पर्स खोला. और उसमे से एक चविंगम निकली.
चविंगम का रेपर हटाया. और चविंगम खा गई. बड़ी आहिस्ता से बलबीर की तरफ झूकते हुए कोमल ने चविंगम का रेपर बलबीर के मुँह मे डाल दिया. बलबीर को जैसा खांसी आ रही हो. वो उठा और अपने मुँह से चविंगम का रेपर निकलता है.
अपना फेस थोडा गुस्से वाला किए उसने कोमल की तरफ देखा. उसकी हालत पर बिना आवाज किए. अपने मुँह पर हाथ रख कर कोमल हसने लगी.
बलबीर : अरे यार थोडा सो लेने दो यार.
बोल कर बलबीर फिर विंडो के सहारे आंख बंद कर के सोने लगा. लेकिन कोमल के पिटारे मे तो शारारत का भंडार था. वो दोबारा थोडा बलबीर की तरफ खिसकी. और अपना मुँह बलबीर के कान के पास ले गई.
कोमल : (धीमी आवाज) मै तुम्हारे बच्चे की माँ बन ने वाली हु.
बोल कर कोमल एकदम सीधी होकर बैठ गई. और बलबीर की तरफ देखते उसके रिएक्शन का वेट करने लगी. वही बलबीर एकदम से चौंक गया. उसकी तो एकदम से नींद ही उड़ गई. और वो हैरानी से कोमल की तरफ देखने लगा.
कोमल अपनी हसीं रोके एकदम खामोश थी. पर एक बात कोमल को भी नहीं मालूम थी की उसने कितना धीरे बोला की डॉ रुस्तम और उनकी एक शीट आगे दाई माँ ने भी ये सुन लिया. और वो दो भी बिलकुल पीछे नहीं देखते. बस सामने देख कोमल का मज़ाक सुनकर हस रहे थे.
बलबीर : (सॉक, धीमी आवाज) क्या सच मे???
कोमल अपने आप को रोक नहीं पाई. और वो एकदम से खिल खिलाकर हस पड़ी. पीछे सो रहे सभी की नींद टूट गई. दाई माँ के सिवा बाकि सब ने तुरंत कोमल की तरफ देखा. जब डॉ रुस्तम ने घूम कर स्माइल किए कोमल की तरफ देखा. तब जाकर कोमल शांत हुई.
और चुप चाप बैठ गई. मगर फिर भी उस से अपनी हसीं नहीं रुक रही थी. वो मंद मंद मुस्कुरा ही रही थी. बलबीर की नींद तो अब कोसो दूर भाग चुकी थी. लेकिन बलबीर को अब भी भरोसा नहीं हो रहा था की कोमल सच बोल रही थी.
या फिर वो बस मज़ाक था. वो कोमल की तरफ झूकते उसके कान मे बहोत धीरे से बोला.
बलबीर : (बहोत ही धीमी आवाज मे) क्या सच मे??? देखो मज़ाक मत करना.
कोमल : (धीमी आवाज) अरे यार तुम बड़े फट्टू हो यार. अगर हो गया तो क्या हो जाएगा. डरो नहीं. मै तो बस तुम्हारी टांग खिंच रही थी.
बलबीर : यार मुजे सोने दो यार. तुम माई से मज़ाक करो ना. वो तुम्हे कुछ नहीं करेंगी. क्या पता कुछ सुना दे.
कोमल ने मुँह बनाकर जैसे उसे गुस्सा आ रहा हो. वो बलबीर को घूरने लगी. और सीधा खड़ी होकर दाई माँ की तरफ जाने लगी. दाई माँ को भी पता थी. की कोमल उसके पास आ रही है. कोमल अपनी शीट से उठी और आगे दाई माँ के पास जाकर खड़ी हो गई.
दाई माँ : का ए री?? (क्या है??)
कोमल सीधा तपाक से दाई माँ की बाहो मे जबरदस्ती घुस गई. दाई माँ हलके फुल्के हाथ कोमल को मरने लगी.
दाई माँ : हे.. हट... ठाडी होय... (खड़ी होजा)
पर कोमल कहा मान ने वालों मे से थी. वो तो टेढ़ी होकर दाई माँ की गोद मे ही पसर गई. दाई माँ ने भी विरोध बंद कर दिया. दाई माँ बड़े प्यार से कोमल के बालो को सहलाने लगी. डॉ रुस्तम और कैमरामैन सतीश हसने लगे. सब जानते थे की दाई माँ के आगे किसी की नहीं चलती. पर कोमल तो कोमल थी.
दाई माँ भी कोमल के बालो को साहलाते कोमल के बचपन के दिन याद करने लगी. जब सभी माँ अपने बच्चों को दाई माँ के पास जाने से डरती. बच्चे भी उनके पास आने से डरते तब कोमल ही थी. छोटी सी प्यारी बच्ची. जो फ्रॉक पहने गोरी चिट्टी सुंदर मासूम खिल खिलाती दाई माँ के पास आकर खेलती. अपनी प्यारी आवाज से दाई माँ को पुकारती.
कोमल : (बचपन) दादी माँ...
वो बचपन मे दाई माँ को दादी माँ पुकारती थी. कोमल की माँ जयश्री भी कभी कोमल को नहीं रोकती थी. मगर कोमल जैसे जैसे बड़ी होती गई. वो दाई माँ से नई नई कहानियाँ सुन ने की फरमाइश करने लगी.
और हॉरर स्टोरी कोमल की पसंद कब बनी. ये दोनों मे से किसी को याद नहीं रहा. लेकिन कोमल हॉरर स्टोरी जरूर सुनती. पर वो सारी नार्मल होती. बड़ा होने के बाद कोमल ने हकीकत स्टोरीया जानी.
पर अब कोमल एक बार फिर दाई माँ के पास उनकी गोद मे थी. और वो जब भी आती कुछ सुने बिना नहीं जाती.
कोमल : माँ कुछ बताओ ना.
दाई माँ : री का बताऊ???
कोमल : अममम प्लीज बताओ ना.
दाई माँ हस्ती हुई कोमल के सर पर हाथ घुमाया. डॉ रुस्तम खड़े हुए और दाई माँ के बगल वाली रॉव की शीट पर आ गए. सायद दाई माँ के बिना कहे वो भी समझ जाते की दाई माँ क्या चाहती है. कोमल ने भी डॉ रुस्तम को देखा. पर वो दाई माँ के कंधे पर ही सर रखे उनकी गोद मे ही रही. जैसे वो छोटी बच्ची हो.
डॉ रुस्तम : हम्म तो कोमल तुम पहले ये जान लो की भगवान, भुत,प्रेत, पिशाज ये सब जो भी है. ये सब एनर्जी है. कोई नार्मल एनर्जी है तो कोई पावरफुल एनर्जी. तो कोई तो बिलकुल ही सुप्रीम एनर्जी है.
कोमल : सुप्रीम तो भगवान ही होंगे ना.
डॉ : बिलकुल. फिर चाहे तुम भगवान कहो या गॉड कहो हा फिर अल्लाह. एक ही बात है. ये सुप्रीम है. दूसरे धर्म मज़हब का तो मै प्रोपर नहीं बता सकता. लेकिन भगवान के तीन तरह के रूप होते है. सात्विक, तामशिक, राजशिक.
कोमल : हम्म थोडा बहोत आईडिया है. हम आम जिंदगी मे भगवान को सात्विक तरीके से पूजते है. भक्ति पूजा ये सब.
डॉ : बिलजुल. तामसिक तरीके मे तंत्र मंत्र का इस्तेमाल होता है. वैसे तो वो सब सात्विक मे भी होता है. मगर तामशिक अलग है. बली प्रथा. किसी जीव की और भी बहोत तरीके से सात्विक और तमश मे अंतर किया जा सकता है. मगर भगवान एक और रूप मे भी होते है.
कोमल : तामशिक के बारे मे तो आप पहले भी बता चुके हो. मतलब ब्रह्मांड से सीधा जुड़ना.
डॉ : (स्माइल) वाह... बहोत अच्छे. तुम्हे याद है. मगर मेने कभी राजशिक के बारे मे तुम्हे नहीं बताया.
कोमल : फिर देर क्यों.
डॉ : राजस्य रूप हम इंसानो के लिए तो है ही नहीं. नाही कोई जीवित जीव के लिए. ये मरे हुए लोगो की दुनिया मे भगवान अपना एक अलग ही रूप दिखलाते है. इस बारे मे फिर बाद मे बात करेंगे. अब आते है पावरफुल एनर्जी. ये भी तीन प्रकार की होती है. 1) जिसे भगवान या देवताओं द्वारा बनाया गया हो.
कोमल ये सुनकर सॉक हो गई.
कोमल : क्या??? भगवान और देवताओं के जरिये भी कोई भुत प्रेत हो सकते है???
डॉ : बिलकुल हो सकते है नहीं होते है. यक्षिणी कुछ पिशाज, गंधर्व, अपशरा, किन्नर, निशाचार, जोगिनिया, जिन्न बहोत से है. मगर दूसरा प्रकार जिसमे ये सारी एनर्जी (2) शेतान ने बनाई है.
कोमल : तो ये सारी एनर्जी तो भुत हेना??
डॉ : हा बिलकुल. ये सारे भुत ही है.
कोमल : तो भगवान ने क्यों बनाई है.
कोमल की बात पर डॉ रुस्तम हलका सा मुस्कुराए.
डॉ : क्यों की भगवान सबके ही है. तुमने सुना ही होगा. भगवान की सेवा मे यही भुत पिशाज रहते है. वो सब भी भगवान की ही आराधना करते है.
कोमल : तो दूसरे किसम के कैसे होते है??
डॉ : नंबर (2) वो एनर्जी जिसे शैतान ने बनाया है. शैतान मतलब अलग अलग धर्म, मजहब के लोगो ने उसे अलग अलग नाम दिये है. कोई कलीपुरुष कहता है. तो कोई इब्लिश, तो कोई शेटन, तो कोई लूसीफर. लेकिन है ये एक ही. कुछ लोग इसे हीरो या भगवान, खुदा गॉड भी मानते है. लेकिन शैतान ने भी कुछ ऐसी ब्लैक एनर्जी बनाई है.
जो अगर सही हाथो मे हो तो कइयों का भला हो सकता है. वरना तबाही मचा सकता है. जैसे खाविश, कई पिशाज है. जिनहे शैतान ने बनाया है. कई पाताल की एनर्जी है. जिसे शैतान ने जन्म दिया है. कई प्रकार की चुड़ैले है.
कोमल : बलबीर ने मुजे दो डायन की स्टोरी सुनाई थी. क्या वो भी शैतान ने बनाई है??
डॉ रुस्तम को कोमल का सवाल समझ नहीं आया. बलवीर का नाम आता तो सुनते ही उसने भी अपना सर ऊपर उठाया. डॉ रुस्तम ने हैरानी से दाई माँ की तरफ देखा.
दाई माँ : हे वा इंसानइ होते.
डॉ रुस्तम ने दाई माँ की बात क्लियर की.
डॉ : डायन वो होती है. जो शैतान की पूजा करती है. उसे बली देती है. और वक्त वक्त पर ताकतवर होती जाती है. इसके आलावा कई ऐसी एनर्जी है जो इंसान खुद बनता है. कोई भगवान की मदद से. तो कोई शैतान की मदद से. जैसे की कुछ क्रियाए. मरण क्रिया. मोहन क्रिया.
बहोत सारी तंत्र क्रिया. जिसमे सोल नहीं होती. पर ये एनर्जी होती है. और बहोत भयंकर एनर्जी होती है. इसके आलावा छोटे बच्चे. जो पैदा होते ही मर गए हो. या मर दिया हो. उनसे कच्चे कलुए जैसी बहोत ख़तरनाक एनटीटी मतलब एनर्जी बनाई जा सकती है.
कोमल : मुजे पहले डायनो के बारे मे कुछ बताइये ना.
डॉ : हम्म... ये वक्त के साथ ताकतवर होती जाती है. ये वक्त वक्त पर शैतानो को बली देती है. मुर्गा, बकरा, फिर और कोई जानवर, फिर इंसान, बच्चे, कवारी लड़की या लड़का.
कोमल : तो वो बली के लिए इंसानो को तैयार कैसे करती है.
डॉ : धोखे से. वशीकरण, सम्मोहन, या फिर और कोई धोखा. बहोत प्रकार से इंसानो को धोखे मे रखा जा सकता है. ये सब दुनिया की नजरों से बचाकर किया जाता है.
कोमल : कोई केस बताओ ना. आप ने पहले कोई केस तो देखा होगा??
डॉ रुस्तम मुश्कुराए. वो बस कोमल को ज्ञान देना चाहते थे. पर कोमल तो किस्से भी सुन ना चाहती थी. वो खुश हुए. वो कोमल को अपने साथ इसी काम मे आगे बढ़ाना चाहते थे. डॉ रुस्तम ने मुश्कुराते तुरंत ही घूम कर पीछे की तरफ देखा.
कोमल को पता नहीं चली. पर डॉ रुस्तम उनके कैमरामैन सतीश को देख रहे थे. जो बैठे बैठे गहेरी नींद मे सोया हुआ था.
कहानी शुरू हुयी और पहला अपडेट भी आ गया।A
Update 31
कोमल डायन की कोई कहानी सुन ने को बेक़रार थी. और वो डॉ रुस्तम को ही बेचैनी से देखे जा रही थी. मगर डॉ रुस्तम तो अपना सर घुमाकर पीछे किसी को देख रहे थे.
कोमल हैरान रहे गई की डॉ रुस्तम किसे देख रहे है. क्यों की बस मे तो सभी लगभग सो ही रहे थे. कुछ गांव के लोग और 4,5 डॉ रुस्तम की टीम मेम्बर्स थे. जिनहे लगभग कोमल पहचान ही चुकी थी.
कोमल : क्या देख रहे हो डॉ साहब. मुजे भी तो बताओ.
डॉ रुस्तम वास्तव मे सतीश को देख रहे थे. जो उनका सबसे खास कैमरामैन था.
डॉ : तुम सतीश को तो अब पहचान ही गई हो.
जब डॉ रुस्तम ने बोलते हुए सतीश से नजरें हटाई. और कोमल की तरफ देखा तो कोमल थोड़ी सी हैरान हुई. वो भी एक बार सतीश को और फिर डॉ रुस्तम की तरफ देखने लगी.
कोमल : हा ये जो आप का कैमरामैन है.
डॉ : हा बिलकुल. ये पंजाब फागवाडा का रहने वाला है. ये कैमरामैन के कोर्स के लिए दिल्ली गया था.
कोमक : क्या ये डायन का शिकार हो चूका है???
डॉ : हा. अब सुनो. सतीश के पापा नहीं है. वो बहोत छोटा था. तब ही गुजर गए थे.
उस वक्त उसकी माँ और दो बहने थी. दोनों की शादी की उम्र हो चुकी थी. एक की तो शादी पक्की भी हो चुकी थी. सतीश की माँ सरोज पर कभी किसी चुड़ैल का साया पड़ा था. जिसे अपनी दाई माँ ने ही उतरा था. इस लिए उसकी माँ सरोज दाई माँ को पहले से जानती थी.
कोमल : तो मतलब सतीश भी माँ को पहले से ही जानता था??
डॉ : नहीं. सतीश की माँ की जब नई नई शादी हुई थी. तब वो चुड़ैल की चपेट मे आई थी. मतलब की सतीश के पिता और उनके बुजुर्ग दाई माँ को बहोत पहले से मानते थे.
तब सतीश पैदा भी नहीं हुआ होगा. पर सतीश बड़ा हुआ तब तक उसके पिता, दादा दादी सब जा चुके थे. और उस वक्त सतीश दाई माँ को नहीं जानता था. सतीश का परिवार सुखी सपन्न था. उसे शुरू से ही कैमरे का बड़ा सोख था.
जब वो 19 साल का हुआ. वो कैमरामैन का कोर्स करने दिल्ली आ गया. दिल्ली आते उसने एक इंस्टिट्यूट ज्वाइन कर लिया. मगर उसके पास रहने की व्यवस्था नहीं थी. वो पहले तो कुछ दिन होटल मे रुका. फिर उसके पैसे ख़तम होने लगे तो वो pg के लिए कोई घर ढूढ़ने लगा.
कोमल : ये कब की बात होंगी??
डॉ : तक़रीबन 5 साल पहले की बात है.
कोमल : हम्म फिर??
डॉ : उसे दिल्ली सेंटर मे तो कोई घर नहीं मिला. तो वो आउटसाइड के एरिया तलाशने लगा. और पहोच गया वो भुंशी की तरफ. वो एरिया उस वक्त डेवलोप नहीं था. वहां कई खाली मैदान थे.
कुछ बने बनाए मकान तो थे. पर ज़्यादातर अंडर कंस्ट्रक्शन मे थे. आस पास कोई दुकान भी नहीं थी. सतीश घूम घूम कर थक गया. उसे एक मकान दिखा. जो बहार से तो देखने मे अंडर कंस्ट्रक्शन दिख रहा था. पर देखने से पता लग रहा था की उस मकान मे कोई रहे रहा है. सतीश ने सोचा की वही चलकर बात करनी चाहिये.
सायद कोई मकान मिल जाए. सतीश उस मकान के गेट पर पहोंचा. उस मकान का बस बहार से प्लास्ट नही हुआ था. पर वो रहने लायक था सायद. सतीश ने देखा की चारो तरफ मकान के दीवार बनी हुई है. काफ़ी बड़ा कंपउंड था. दीवारे भी कंपउंड की साढ़े चार फिट की थी. वो गेट को खोल कर अंदर आया और डोर के सामने खड़ा हो गया. उसे वो मकान बड़ा ही अजीब लग रहा था.
उस मकान का डोर बंद था. पर सारी विंडोस भी बंद थी. विंडो के ऊपर के हिस्से मे. जहा शीशा लगा होता है. उसपर भी अख़बार काट कर लगाया हुआ था. मतलब की बहार का उजाला अंदर ना जा सके. सतीश ने डोर के पास डोर बेल देखि. पर कही कोई दूरबेल्ल का स्विच नहीं था. वो डोर हाथो से ही नॉक करता है. अंदर से किसी लेडी की आवाज आई.
कौन????
सतीश : जी माफ कीजियेगा. मेरा नाम सतीश है. क्या मै दो मिनट बात कर सकता हु आप से.
जी रुकिए. खोलती हु.
सतीश इंतजार करने लगा. काफ़ी देर हो गई. पर दरवाजा नहीं खुला. सतीश इधर उधर देखने लगा. उसने देखा की कम्पउंड मे कोई पेड़ पौधा नहीं है. कुछ पेड़ पौधे सुख कर मरे हुए है. जबकि कंपउंड पर कोई पक्का फर्श नहीं था. फिर भी एक भी कोई पेड़ पौधा नहीं था. वही सतीश की नजर एक मरे हुए कबूतर पर गई. जिसपर बहोत सारी चीटियों ने कब्ज़ा किया हुआ था.
सतीश उस कबूतर को बड़ी ध्यान से देखने लगा. उसने देखा की कबूतर का सर ही नहीं है. जबकि बाकि पूरा कबूतर सबूत था. तभि एकदम से डोर खुला तो सतीश ने सामने देखा. एक सुंदर जवान औरत उसके सामने खड़ी थी. खुले बाल, खुबशुरत गोरा चहेरा, उसने साड़ी पहनी हुई थी. देखने से ऐसा लग रहा था की वो शादीशुदा है. और शादी को ज्यादा वक्त भी नहीं हुआ होगा.
जी कौन हो आप?? क्या चाहिये??
सतीश : जी नमस्ते. मेरा नाम सतीश है. मै यहाँ कोई घर तलाश रहा था.
औरत : पर मै किसी बिल्डर को नहीं जानती.
सतीश : जी माफ कीजिये. मै कोई घर खरीदने नहीं किराए पर लेना चाहता हु. PG पर.
सतीश बोल कर थोडा घबराते मुश्कुराया. वो औरत उसे ऊपर से निचे तक देखती है.
औरत : अकेले हो???
सतीश ने हा मे सर हिलाया.
औरत : जी अंदर आ जाओ.
उस औरत ने सतीश को अंदर आने को कहा. जब सतीश उस औरत के पीछे अंदर आया तो अंदर बस एक लैंप जल रहा था. जिस से पूरा रूम दिख रहा था. वो काफ़ी कम वोल्टेज का था. बाकि रूम मे अंधेरा ही लग रहा था. ऊपर फैन तो था. मगर बंद था. फिर भी अंदर काफ़ी शुकुन देने वाली ठंडक थी. घर अंदर से तो काफ़ी बढ़िया था. सोफा, टीवी, पोर्ट टेबलब, सब कुछ था.
जो घर बहार से अंडर कंस्ट्रक्शन लग रहा था. वो घर अंदर से बहोत ही अच्छा था. वो औरत ने सतीश को बैठने के लिए कहा. तो सतीश बैठ गया. सतीश ने आते ही देखा की उस ड्राइंग रूम से ही किचन, और बाकि दो रूम साफ नजर आ रहे थे. सायद उसमे से एक बाथरूम होगा. वो औरत सतीश के सामने खड़ी हो गई.
औरत : जाहिए क्या लेंगे आप?? ठंडा या गरम.
सतीश : जी कुछ नहीं. बस मुजे कोई घर चाहिये. PG के लिए.
औरत : ये घर ही तो है. मै आप के लिए शरबत लेकर आती हु.
वो औरत किचन मे चली गई. किचन से वो रूम साफ दिख तो रहा था. मगर सतीश नहीं देख सकता था. क्यों की उस औरत ने सतीश को जिस सोफे पर बैठाया था. उसके पीछे की तरफ किचन था. मतलब सतीश उस औरत को नहीं देख सकता था. पर वो औरत सतीश को देख सकती थी. वो औरत शरबत बनाते सतीश का मनो इंटरव्यू ले रही थी.
औरत : तो कौन कौन है तुम्हारे घर मे.
सतीश को बड़ा ही अजीब लग रहा था. उसे थोड़ा डर लगने लगा. सायद फ्लॉर्ड या चोरी का डर.
सतीश : जी... माँ है और दो बहने है.
औरत : ओह्ह्ह तो वो कहा है.
सतीश : जी वो... पंजाब मे. फगवादे.
औरत : ओह्ह्ह..
वो औरत सतीश के सामने ट्रे लेकर खड़ी हो गाइ. उस ट्रे मे एक ग्लास शरबत था. पर सतीश सोच रहा था. कही वो शरबत पीकर कही बेहोश ना हो जाए. वो औरत सतीश का डर समझ गई. और खिल खिलाकर हस पड़ी.
औरत : (स्माइल) अरे डरो नहीं. मेरा नाम माया है. मेरे पति दुबई मे काम करते है. वैसे यहाँ मेरे साथ मेरी सास भी रहती है. पर वो फिलहाल कुछ दिन के लिए गाजियाबाद गई है. मेरी ननंद के घर.
सतीश का थोड़ा डर निकल गया. और उसने चैन की सांस ली.
सतीश : ओह्ह्ह.. पर क्या आप की सासु माँ को कोई प्रॉब्लम नहीं होंगी. यहाँ वैसे कोई मेल भी नहीं है??
माया : (स्माइल) नहीं... दरसल मेरी सासु माँ ही चाहती थी की किसी स्टूडेंट को pg पर रख ले. कोई मेल होगा तो अच्छा रहेगा. तुम स्टूडेंट ही होना???
सतीश को भरोसा हो गया.
सतीश : ह हा हा. पर किराया कितना लोगे???
माया : जितना ठीक लगे उतना दे देना. आओ तुम्हे रूम दिखा दू.
सतीश ने वो शरबत से भरा ग्लास सामने टेबल पर रखा. और माया के पीछे चल दिया. उसने रूम देखा. वो बहोत बढ़िया था. एक डबल बेड था. एक बड़ा ड्रेसिंग टेबल था. जिसमे बड़ा मिरर था. अलमारी थी. कुल मिलाकर बहोत बढ़िया रूम था.
माया : कैसा लगा रूम तुम्हे???
सतीश को लगा रूम बहोत बढ़िया है तो सायद माया ज्यादा पैसे मांगेगी.
सतीश : रूम तो बहोत अच्छा है. पर मै सिर्फ 1500 रूपय ही दे पाउँगा. मेरे पास ज्यादा पैसे नहीं है.
माया : हम्म्म्म गर्लफ्रेंड भी होंगी. पैसे तो तुम्हे भी चाहिये होंगे. कोई बात नहीं सतीश. तुम एक हजार ही दे देना. अब आओ.
सतीश वापस अपनी जगह पर बैठा. माया ने शरबत की तरफ हिशारा किया. सतीश ने शरबत लिया. और पिने लगा. पहले उसे अजीब टेस्ट लगा. पर बाद मे उसे अच्छा लगने लगा. वो शरबत पी गया.
माया : तो ऐसा करो. शाम को ही आ जाओ. तुम नॉनवेज तो खाते होना. आज चिकन बना रही हूँ.
सतीश : (स्माइल) हा बिलकुल. तो मै चलू??
सतीश को ये एहसास ही नहीं था की वो माया की बात बड़ी आसानी से मान रहा है. वो खड़ा हुआ और जाने लगा. माया भी उसके पीछे आने लगी. घर के दरवाजे से बहार निकलते सतीश को ऐसा लगा जैसे घर का माहोल बहार के माहोल से ज्यादा बढ़िया है. जबकि जब वो आया था तो उसे घर का माहोल अजीब लग रहा था.
कोमल से रुका नहीं गया. और वो बिच मे बोल पड़ी.
कोमल : क्या वो माया डायन थी??? और और और सतीश क्या सच मे उसके हिसारो पर चलने लगा था.
डॉ रुस्तम ने लम्बी सांस ली. और हलका सा मुश्कुराए. कोमल हेरत भरी नजरों से सर घुमाकर दाई माँ को देखती है. वो भी मुश्कुराते हुए ना मे सर हिला रही थी.
दाई माँ : जा मे बिलजुलाऊ सबर ना है.
कोमल ने दए बाए नजरें घुमाई. बलबीर की भी नींद उडी हुई थी. और वो भी कहानी सुन रहा था. कोमल ने डॉ रुस्तम की तरफ देखा.
डॉ : तुम सिर्फ ये किस्सा सुनो. तुम्हे अपने सवालों के ज़वाब अपने आप ही मिल जाएंगे.
कोमल बेताबी से आगे सुन ने के लिए डॉ रुस्तम की तरफ देखने लगी.
बहोत बहोत धन्यवाद कोमलजी. हॉरर लवर्स वैसे भी बहोत कम ही होते है. मै ज्यादा नहीं जो पुराने रेडर्स जो स्टोरी रेगुलर पढ़ रहे थे. वो ही वापस आ जाए तो बहोत है. मै थोड़े से के लिए ही आगे स्टोरी लिख लुंगी. आप का साथ है तो फिकर ही क्या है.कहानी शुरू हुयी और पहला अपडेट भी आ गया।
सतीश और माया, शुरुआत बहुत ही जबरदस्त है। अब देखिये धीरे धीरे पाठक, लाइक्स और कमेंट्स का तांता लग जाएगा।
आपकी कहानी की बात ही अलग है, तंत्र मंत्र की दुनिया को जो आप उजागर करती हैं और किसी के बस का नहीं है।बहोत बहोत धन्यवाद कोमलजी. हॉरर लवर्स वैसे भी बहोत कम ही होते है. मै ज्यादा नहीं जो पुराने रेडर्स जो स्टोरी रेगुलर पढ़ रहे थे. वो ही वापस आ जाए तो बहोत है. मै थोड़े से के लिए ही आगे स्टोरी लिख लुंगी. आप का साथ है तो फिकर ही क्या है.
Thankyou very very much komalji. Lot of thanksआपकी कहानी की बात ही अलग है, तंत्र मंत्र की दुनिया को जो आप उजागर करती हैं और किसी के बस का नहीं है।
इतने अंतराल के बाद कहानी शुरू हुयी है तो पाठकों को पता चलने में भी समय लगेगा लेकिन धीरे धीरे कर के सभी वापस आ जाएंगे।
मैं अपने थ्रेड पर भी इस कहानी के फिर से शुरू होने का जिक्र करुँगी तो हो सकता है कुछ और लोगों को पता चल जाए।
बस थोड़ा वक्त लगेगा लेकिन सभी लोग लौटेंगे।