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कैसे कैसे परिवार: Chapter 72 is posted
पात्र परिचय
अध्याय ७२: जीवन के गाँव में शालिनी ९
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पात्र परिचय
अध्याय ७२: जीवन के गाँव में शालिनी ९
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स्नेहा और मेहुल का मिलान दिलचस्प होगा, रिश्ता भी इन दोनों का ही हो तो ज्यादा रोमांचक होगा। बेहतरीन अपडेट।
क्या बात कही है आपने।हिंदी में लिखने का और पढ़ने का अपना ही मजा है।आप की कहानी और "पाप ने बचाया" हिंदी में सबसे अच्छी कहानियों में से हैं।आप के अगले अद्यतन की प्रतीक्षा रहेगी। धन्यवाद।
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Shaandaar update
Lovely, mast aur dhansuकैसे कैसे परिवार
प्रस्तावना
एक बड़े शहर में एक सुंदर कॉलोनी थी. कुछ ८ घर ही घर थे इस कॉलोनी में. इनके मालिक ज़्यादातर या तो व्यवसाई थे या ऊँचे ओहदे पर काम करने वाले लोग. सारे आदमियों की आयु ४०-५० और औरतों की ३५-४५ के बीच थी. आदमियों की एक मित्र मंडली थी, और औरतों की किटी. आठों मकान दो पंक्तियों में थे. एक ओर इन्होने एक जिम, स्पोर्ट्स हाल और स्विमिंग पूल बनवाया था, और दूसरी ओर एक दो मंज़िला भवन जिसमे लगभग ४०० लोगों की पार्टी आराम से हो सकती थी. इसमें ही एक किचॅन था. पहले रेस्तराँ खोलने का प्लान था पर इतने कम लोगों के लिए उसका कोई औचित्य नहीं था. अमूमन किटी पार्टीस और जेंट्स पार्टीस यहीं होती थीं. हालाँकि सब अच्छे दोस्त थे पर एक दूसरे के जीवन में कोई दखलंदाजी नहीं करता था. ये पार्टीस ही थीं जिनमें कुछ बातें सामने आती थीं. पर कभी भी इस कमरे से बाहर किसी ने इसको दोबारा नहीं बोला.
६ लोग इन दोनों की देखभाल के लिए रखे थे, और एक सेक्यूरिटी एजेन्सी पहरेदारी के लिए. अब क्योंकि इस कॉलोनी का कोई नाम भी होना चाहिए, तो हम इसे "संभ्रांत नगर" से बुला लेगे. ये अलग बात है कि पर्दे के पीछे झाँकने पर कुछ और ही मिलेगा. ये तो अब समझ आता ही है कि ये सब धनाढ्य और संभ्रांत थे. सबके बच्चे या तो शहर के कॉलेज में पढ़ते थे, या विदेश में. इन परिवारों में से दो पुरुषों की ये दूसरी शादी थी,जबकि एक महिला की ये दूसरी. बच्चों की उम्र १८-२२ के बीच थी.
हम अब हर घर का लेखा जोखा लेंगे और देखेंगे की उन घरों में कब कब क्या क्या गुल खिलते हैं.
पहला घर: अदिति और अजीत बजाज: अध्याय १.१
इस घर में वैसे तो चार ही लोग रहते हैं, पर कुछ महीनों से अजीत की माँ शालिनी बजाज भी यहीं आ गई थीं. अपने पति के देहांत के बाद तीन साल तो उन्होंने काट लिए, पर अजीत की बहुत ज़िद के कारण उन्होंने अपना घर बेचकर यहीं रहना शुरू कर दिया था. अब लगभग साल भर निकालने के बाद वो अपने निर्णय से बहुत संतुष्ट थीं. न सिर्फ़ अदिति उनकी इज़्ज़त करती थी, बल्कि बच्चों के साथ रहने से उनका अकेलापन भी अब उन्हें सताता नहीं था. अजीत तो दिन में हमेशा बाहर ही रहता था, पर दोनों सास बहू की खूब पटती थी.
अदिति के बेटी अनन्या और बेटा गौतम भी अपनी दादी का बहुत ध्यान रखते थे. दोनों में बस १.५ साल का अंतर था और कॉलेज में थे. गौतम अनन्या से बड़ा था.
कुछ ही दिन पहले अदिति का एक ऑपरेशन हुआ था जिससे उसको शारीरिक संबंध बनाने की ३ महीने की मनाही थी. अजीत उसे पहले हफ्ते में लगभग तीन से चार दिन चोदता था, पर इस ऑपरेशन ने उस पर लगाम लगा दी थी.
अदिति और गौतम अक्सर अपने दोस्तों के घर रुक जाते थे, उनके भी दोस्त अक्सर ऐसा ही करते थे. सप्ताह में एक दिन तो वो बाहर ही रहते थे.
आज भी वो अपने दोस्तों के साथ बाहर थे. शाम को अजीत घर पहुँचा और फ्रेश होकर अदिति के साथ सोफे पर बैठ गया. अदिति ने उसे उसकी मनपसंद ड्रिंक हाथ में थमाई और एक अपने लिए भी ले ली. तभी किचन से शालिनी भी अपनी ड्रिंक के साथ आ गई. तीनों पूरे दिन की बातें करने लगे. ड्रिंक्स का एक और राउंड होने के बाद सब खाने के लिए बैठ गये. अजीत को इस सबमें कुछ पकता हुआ दिख रहा था. पर वो शांत रहा और उचित समय की प्रतीक्षा करने लगा. खाने के बाद अदिति ने एक और ड्रिंक की बात की तो अजीत चौंक गया. पर उसने हामी भारी और जाकर सोफे पर बैठ गया. तीनों अपनी ड्रिंक्स की चुस्कियाँ लेने लगे.
"हनी, मेरे ऑपरेशन के बाद तुमने बहुत धीरज रखा है." ये कहते हुए उसने अजीत के हाथ में एक गोली थमा दी. गोली देखते ही अजीत सकपका गया.
"पर तुम्हें तो अभी २ महीने तक कुछ भी नहीं करना है." अजीत ने अदिति की ओर देखकर कहा.
"वो तो है. पर मैं चाहती हूँ कि अब मैं भी तुम्हारी और शालिनी की प्रेम कहानी में भागीदार बन जाऊं."
अजीत का दिमाग़ चक्कर खाने लगा. उसकी पत्नी उसकी माँ को नाम से पुकार रही थी. न सिर्फ़ इतना बल्कि उसे संभवतः उन दोनों के बारे में पता था. अजीत ने अपनी माँ को ओर नज़र डाली तो वो मुस्कुरा रही थी.
"मैं तुम्हें हमेशा कहती हूँ कि मुझे इस घर में बहुत प्यार मिला है." शालिनी उठकर अदिति के पास बैठ गई और उसके होंठ चूम लिए. "अदिति को अपने बारे में मैने ही बताया, पर शायद तुम्हें हम दोनों के बारे में कुछ नहीं पता." शालिनी ने फिर से अदिति को चूमते हुए कहा.
"मैने तुम्हारे लिए एक यादगार शाम की तैयारी की है."
अजीत का ध्यान अपनी माँ की ओर गया, अभी तक उसने ध्यान नहीं दिया थे पर वो इस समय बहुत सुंदर लग रही थी. वो अपने शरीर का बहुत ध्यान रखती थी और इस आयु में भी लोगों को आकर्षित कर सकती थी. अजीत के दिमाग़ पर छाई धुन्ध छटने लगी. उसने बेध्यानी में अपने हाथ की गोली तो एक सिप के साथ खा लिया.
अब ऐसा नहीं था की अजीत इन तीन हफ्तों में सेक्स से वंचित रहा था. वो हफ्ते दो बार तो अपनी सेक्रेटरी को चोद लेता था. इसका लाइसेन्स उसे अदिति ने ही दिया था. दरअसल दोनों काफ़ी खुले विचारों के थे. जब वो कहीं बाहर जाता तो उसे और अदिति के बाहर जाने पर अदिति को कुछ हद तक दूसरों को चोदने की छूट थी. पर वो ऐसा कम ही करते थे. पर अपनी माँ के साथ संबंधों का अदिति को भी पता नहीं था, जैसा वो सोचता था.
"बेडरूम में चलें?" अदिति ने अचंभित अजीत का हाथ पकडकर उसे उठाया और अपनी सास को साथ आने का इशारा किया.
बिस्तर के पास पहुँचकर अदिति ने उसे जोरदार चुंबन दिया और उसे बिस्तर पर धकेल दिया.
"माँ जी आइए." अदिति बोली और उन दोनों ने मिलकर कुछ ही क्षणों में अजीत को नंगा कर दिया. अजीत का शरीर काफ़ी गठा हुआ था. जो गोली उसने खाई थी उसके असर से उसका लंड भी बुरी तरह से तना हुआ था. अदिति घुटनों के बल बैठ गई और उसने अजीत का लंड अपने मुँह में भर लिया और पूरे ज़ोर शोर से चूसने लगी.
अजीत ने कनखियों से देखा तो उसकी माँ अपने कपड़े उतार रही थी और जल्दी ही वो भी नंगी हो गई. उसने अपने आप को अजीत के चेहरे की ओर लाकर, अजीत के मुँह को अपनी पसीजी हुई चूत को रख दिया. अजीत उसकी चूत को चूसने लगा. जल्दी ही उसने अपनी जीभ अंदर डाल दी और घुमाने लगा. नीचे अदिति उसके लंड को चूस रही थी और ऊपर वो शालिनी की चूत.
"माँ जी, आपका बेटा तैयार है सवारी के लिए. चढ जाइए."
"और तुम?"
"मुझे ज़्यादा तनाव नहीं लेना है. मैं आपकी जगह ले लेती हूँ."
ये कहते हुए, अदिति ऊपर आ गई और शालिनी ने अजीत का भारी मोटा लंड अपने हाथ में लिया. २ मिनट के लिए चूसा और फिर दोनों ओर पाँव फैलाकर अपनी रसीली चूत को उस पर उतार दिया.
अदिति ने थोड़ा संभाल कर अपनी चूत को अजीत के मुँह पर रखा, अजीत की जीभ फिर हरकत में आ गई. पर अदिति के लिए इसमे थोड़ी मुश्किल हो रही थी. सो वो हट गई और एक तरफ बैठकर अपनी चूत को सहलाने लगी. अजीत को देखकर अच्छा नहीं लगा. उसने जानने के लिए पूछा, "तो तुम दोनों का क्या रहस्य है."
"हम दिन में एक दूसरे को सुख देते हैं." माँ ने बड़े नपे तुले शब्दों में कहा. अजीत को हँसी आ गई.
"अपने बेटे से यहाँ नंगी होकर अपनी बहू के सामने चुदवा रही हो और बातें ऐसी जैसे कोई सती सावित्री हो. कोई बात नहीं मैं समझ गया."
"अदिति, आओ तुम यहाँ लेट जाओ और माँ को तुम्हें सुख देने दो और मैं उन्हें घोडी बनाकर सुख दूँगा" अजीत ने व्यंग्य से कहा.
अदिति और शालिनी की हँसी छूट गई. पर शालिनी हट गई और उसने अदिति को बिस्तर पर लिटा दिया.
खुद घोड़ी बनकर, अदिति की चूत में अपना मुँह घुसा दिया. पीछे से अजीत ने उसकी चूत में लंड पेल दिया.
"ओह, माँ ! तुम्हारी चूत का कोई जवाब नहीं." अजीत ज़ोरदार धक्के लगता हुआ बोला. शालिनी भी पूरी मस्ती से इस तबाड़तोड़ चुदाई का आनंद ले रही थी. उसका मुँह उसकी बहू के चूत में था और अपनी जीभ पूरी अंदर कर रखी थी. अदिति भी इस समय एक अलग ही लोक में थी. अजीत ने ये दृश्य कभी सपने में भी नहीं सोचा था.उसने अपने धक्कों की गति तेज़ कर दी.
"अओऊउघह" अजीत की आँखों के आगे तारे से नाचने लगे. उसे अपने लंड में एक जबरदस्त फुलाव महसूस हुआ. वो झडने लगा था और उसने अपनी माँ की चूत में अपना रस भर दिया. ये दुनिया का संभवतः सबसे नीच काम था पर वो तीनों अपने वासना में ऐसे रंगे हुए थे कि इस सुख के आगे उन्हें कुछ न दिख रहा था.
तभी अदिति और शालिनी का भी पानी छूट गया. शालिनी बेझिझक अपनी बहू का स्वादिष्ट रस पी गई. अदिति भी इस समय निढाल सी हो गई.
"अपने पति और मेरे रस का एक साथ स्वाद लोगी?" शालिनी ने अदिति की चूत पर एक चुंबन लेते हुए पूछा.
अदिति की आँखों में एक चमक आ गई.
"क्यों नहीं"
"तुम लेटी रहो, मैं तुम्हारे मुँह में सीधे परोसती हूँ." ये कहकर उसने अजीत को हटने को कहा और अपने दोनों पाँव अदिति के सिर के पास रखकर अपनी चूत को उसके मुँह से लगा दिया.
अदिति सडप सडप कर शालिनी की चूत से बहता हुआ रस गटक गई.
तीनों एक संतुष्टि का अहसास करते हुए एक दूसरे से लिपट गए.
"आई लव यू" तीनों के मुँह से एक साथ निकला.
तीनों हँसते हुए आगे आने वाले नये रोमांच के बारे में सोचते हुए सो गये.
क्रमशः
Lovely, mast aur dhansu