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Incest कैसे कैसे परिवार

prkin

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Nasn

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Prkin bhai.....

Updated............
 
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prkin

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prkin

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Thank you everyone who has come here.

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Thank you again

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prkin

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हैलो दोस्तों,

मेरा अपडेट अभी लगभग ३५-४०% ही हुआ है. मैं चाहता हूँ कि मैं पूरा अपडेट एक ही पोस्ट में दूँ. ऐसा करने में ये शुक्रवार के पहले संभव नहीं है, बल्कि शनिवार भी हो सकता है क्यूंकि काम का बोझ बहुत ज्यादा है.

I hope you will support.
 

prkin

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prkin

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दोस्तों,
अपडेट काफी बड़ा है और आज क्या कल तक भी पूरा नहीं होगा। इसीलिए में इसे दो हिस्सों में बाँट रहा हूँ. एक आज रात और दूसरा रविवार रात तक पोस्ट हो पायेगा।
 
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WAITING FOR THAT
 

prkin

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कैसे कैसे परिवार
अध्याय ९: मिश्रण - दिंची क्लब और दो परिवार

दिंची क्लब: पहला साक्षात्कार (Interview) :- पुरुष आवेदक.


एक सुन्दर मध्यम उम्र की सहायिका ने रोमियो के नए आवेदक को कमरे में ले जाकर कपड़े उतार कर गाउन पहनने को कहा. निखिल ने निसंकोच वहीँ अपने कपड़े उतारे और गाउन पहन लिया. सहायिका जिसका नाम सोनम था, ने निखिल के मुरझाये लंड को देखकर अपने सूखे होंठों पर जीभ चलाई. पर वो जानती थी कि आज उसका दिन नहीं है. वो अपनी भावनाएं मन में दबाकर कमरे से चली गई. कुछ ही समय पश्चात् शोनाली ने कमरे में प्रवेश किया. उसने भी वही गाउन पहना हुआ था.

"नमस्ते, मैडम! " निखिल ने उसका अभिवादन किया.

"नमस्ते रोमियो, ये अचरज का विषय है न कि हम यहाँ मिल रहे हैं. पर जो होता है, अच्छे के लिए ही होता है.”

तभी सोनम ने कमरे में फिर प्रवेश किया. उसके हाथ में एक फीता था.

"हमें पहले औपचारिकता पूरी करनी होगी. सोनम, प्लीज इनके लंड को चूसकर खड़ा करो और उसका नाप लो."

सोनम की आँखों में चमक आ गई. उसने हाथ पकड़कर आवेदक को सोफे पर बैठाया और उसके गाउन को साइड में करते हुए बिना देरी किये हुए उसका लंड अपने मुंह में ले लिया. वो अपने भाग्य को धन्य कर रही थी, क्योंकि अधिकतर उसे मात्र देखने और नापने के लिए ही बुलाया जाता था. पर लगता है, आज शोनाली बहुत अच्छे मूड में है. वो लंड चूसने में पारंगत थी और चाट चाट कर और चूस चूस कर कुछ ही देर में निखिल के लंड को अपने प्रताप में ले आयी.

"शोनाली, ये तैयार है."

"ठीक है नापो."

"हम्म्म, 11.२ इंच लम्बाई।"

"३ इंच गोलाई।"

"शोनाली, ये मापदंड पर खरा है."

"ओके, सोनम. तुम रिकॉर्ड के लिए फोटो लो, और प्रविष्टि कर लो. ये अत्यंत लोकप्रिय होने वाला है."

सोनम अपना कार्य संपन्न करके चली गई. आवेदक खड़ा हो गया पर उसका लंड गाउन के बाहर अभी भी तन्नाया हुआ था. शोनाली ने उसे बाँहों में लेकर एक गहरा चुम्बन लिया.

"मुझे तो पता भी नहीं था कि तुम इतना बड़ा लंड लिया घूमते हो."

"हाँ,, इस विषय में हम दोनों भाई बहुत धनी हैं."

"तो क्या तुम्हारा भाई भी? वो छोटू भी?"

"बिल्कुल "

"हम्म्म्म शायद उसे भी सदस्य बनाया जा सकता है. पर वो बाद में. हम अपना इंटरव्यू शुरू करते हैं."

"पहली बात ये कि ये क्लब हमारी महिला सदस्यों के सुख और आनंद के लिए है. तुम्हारा दायित्व होगा कि जिस सदस्या ने तुम्हें चुना हो, उसे पूर्ण रूप से प्रसन्न करना. कुछ की विशेष रुचियाँ रहती हैं, परन्तु मुझे विश्वास है कि इसमें तुम्हें भी आनंद आएगा। पर पहले उनकी इच्छा पूरी करना तुम्हारा दायित्व है."

"जी"

"और उन सब से पहले तुम्हें मुझे संतुष्ट करना होगा।" शोनाली ने अर्थ भरी मुस्कान से कहा, “क्योंकि मैं इस साक्षात्कार में ये सुनिश्चित करुँगी कि न केवल तुम्हें एक शक्तिशाली लंड प्राप्त है, बल्कि तुम इसके उपयोग में भी पारंगत हो.”

निखिल उसके सामने घुटनों के बल बैठ गया. फिर उसने शोनाली का एक पांव उठाया और उसकी सैंडल निकाल दी. यही उसने दूसरे पांव के साथ किया. उसने शोनाली को सोफे पर बैठने का इशारा किया. फिर शोनाली के एक पैर को चूमने और चाटने लगा.

"ओह" शोनाली के मुंह से निकला.

"आपकी सेवा में निखिल प्रस्तुत है, देवी."

निखिल कुछ देर यूँ ही दोनों पांवों को चूमता और चाटता रहा. फिर वो खड़ा हो गया और शोनाली का हाथ पकड़कर उसे भी खड़ा कर दिया. उसने शोनाली का गाउन खोला और निकाल दिया. फिर दोबारा शोनाली को सोफे पर बैठा दिया और उसके पाँव फैलाकर अपने हाथ से उसकी चूत को सहलाने लगा. शोनाली एक तन्द्रा में आ गई. उसके बाद निखिल ने अपना मुंह उसकी एकदम चिकनी चूत पर लगाया और उसे चाटने लगा. उसने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डालकर उसे हलके हलके से चोदने लगा. साथ ही अपने मुंह से उसे चाटता जा रहा थे. फिर उसने अपने होंठों से भग्नासे को दबाया और मसलने लगा. शोनाली बेकाबू होकर झड़ने लगी. निखिल ने अपनी उंगली निकली और अपनी जीभ अंदर डाल दी और सडप सडप कर पानी पीने लगा.

"ओह माँ. क्या जादू है मेरी जीभ में. कहाँ से ट्यूशन ली है जो इस उम्र में इतना निपुण हो गया."

"कहीं नहीं आंटी , बस समझो होम ट्यूशन है."

"तू सुप्रिया को चोदता है?" शोनाली से आश्चर्य से पूछा.

"और नितिन भी. और हम दोनों नानी को भी चोदते हैं."

"ओह. शीलाजी तो अब ६५ की होगी ही. उसे भी तुमने नहीं बख्शा।"

"हम कौन हैं बख्शने वाले, उल्टा उन्होंने ने हमें प्रशिक्षित किया है."

ये सब बातें करते समय निखिल अपनी २ उंगलियां शोनाली की चूत में चला रहा था.

"और तेरे नाना?

"वो मां और मौसी को चोदते हैं."

"सुरेखा तो ऐसी नहीं लगती."

"अभी पिछले हफ्ते ही उनका उद्घाटन किया है. हम दोनों भाइयों को अभी तक अवसर नहीं मिला है. आंटी, आप मेरा लंड चूसोगी, प्लीज?"

"नेकी और पूछ पूछ. ला इधर ला" शोनाली ने उतावली होकर कहा.

निखिल खड़ा हो गया और अपना गाउन उतार फेंका. शोनाली सोफे पर आगे हुई और थोड़ी देर लंड को सहलाते हुए गपाक से में अपने मुंह में ले ली. पहले तो वो हल्के हलके से चूसी फिर भूखी शेरनी की तरह उसे चूमने और चाटने लगी. थोड़ी ही देर में निखिल का लंड लोहे की रॉड जैसा तन गया.

"चलो बिस्तर पर चलते है,"

दोनों बिस्तर की ओर बढे. वहां शोनाली ने एक तकिया अपनी गांड के नीचे लगाई और एक सिर के नीचे और पैर फैला दिए.

"आ जा मेरे घुड़सवार, चढ़ जा घोड़ी पर और दिखा कितना दम है तुझमें. मुझे ताबड़तोड़ और गहरी चुदाई पसंद है. है तेरे बस की?" शोनाली ने उसे उकसाते हुए कहा.

"मैं अपनी पूरी चेष्टा करूंगा. पर अभी तक किसी ने कमी नहीं निकाली. पर आप मुझे बीच में टोकना नहीं."

"अरे तेरे जैसे लौड़े दिन में तीन बार खाती हूँ. मैं क्यों टोकूंगी तुझे?"

निखिल ने अपना स्थान लिया, शोनाली की चूत पर अपने लंड को लगाकर, उसके दोनों मम्मों को हाथ में ले लिया.

"चलो आंटी, यात्रा पर चलते हैं."

कहते हुए उसने एक लम्बा शॉट मारा. धक्का इतना शक्तिशाली था कि पलंग हिल गया. और पूरा ११ इंच का मूसल एक ही बार में अंदर चला गया. शोनाली की तो आँखें बाहर आ गयीं और साँस रुक गयी. उसे लगा कि किसी ने उसकी चूत को चाकू से चीर दिया हो.

"अबे भोसड़ी के, कोई एक बार में पेलता है ऐसा मूसल."

"पर आंटी आप ही तो बोलीं थीं की आपको ऐसी चुदाई पसंद है और ऐसे लौड़े आप दिन में तीन बार लेती हैं. और मैं आज आपका सेवक हूँ. अपने जैसा चाहा था उसे पूरा किये बिना अब मैं नहीं रुकूंगा."

कहकर निखिल ने अपना पूरा लंड निकला और दोबारा उसी तेजी से पेल दिया. और फिर ये क्रम बिना रुके चलित हो गया. शोनाली संभल ही नहीं पा रही थी. गहरे, लम्बे और तेज धक्कों के आगे वो बेबस थी. पर उसकी चूत इस पर अनुकूल प्रतिक्रिया कर रही थी. उसका पानी छूटने लगा था. इससे हुआ ये कि निखिल के भीषण धक्के थोड़े आसान हो गए झेलने में.

"तू अपनी नानी को भी ऐसे ही चोदता है क्या, इस बेदर्दी से."

"अरे उन्हें तो हम तीनों को एक साथ चोदना पड़ता है. उनकी आयु पर मत जाओ वो आपके जैसी स्त्रियों को पानी पिला दे."

"देखती हूँ."

निखिल के धक्के अब असहज और भयावने हो रहे थे. पर अब शोनाली ने खेल समझ लिया था और पूरा साथ दे रही थी. वो रह रह कर झड़ रही थी और उसका शरीर अब एक गुड़िया की तरह उछल रहा था. कोई १० से १५ मिनट यूँ चोदने के बाद निखिल अपने शीर्ष पर पहुँच गया.

"मैं झड़ने वाला हूँ."

"शुक्र है" शोनाली ने मन में सोचा फिर बोली, "अंदर मत छोड़ना मेरे मुंह में छोड़ना."

"तो फिर उठिये."

निखिल ने अपने लंड को धीरे धीरे बाहर निकाला। जैसे ही उनका टोपा बाहर आया, शोनाली एक बार और झड़ गई. उसने निखिल को सोफे पर बैठाया और उसका लंड चूमने चाटने लगी. फिर मुंह में लेकर ऐसा दबाव बनाया कि निखिल का पानी छूटने लगा. शोनाली ने निसंकोच पूरा रस पी लिया और फिर उठकर सोफे पर बैठकर सुस्ताने लगी.

"तुमने सच में शक्तिशाली चुदाई की है, और मेरी हड्डियाँ हिला दीं. पर आनंद बहुत मिला. कुछ सदस्य तो तुम्हारे लिए पागल ही हो जाएँगी."

"आपने उकसाया न होता तो प्यार से करता."

"नहीं, मुझे क्लब में ऐसे ही चुदना पसंद है. क्या एक ड्रिंक लोगे? फिर इंटरव्यू का दूसरा चरण शुरू करेंगे."

"ठीक है."

शोनाली दोनों के लिए एक मंहगी व्हिस्की का पेग बनाकर आयी.

"हमारे परिवारों को मिलना चाहिए, एक बार." शोनाली मन में कुछ सोचते हुए एक घूँट लेकर बोली.

"नाना से पूछूंगा. मना तो नहीं करेंगे."

कुछ समय यूँ ही बातें करते हुए दोनों ने ड्रिंक ख़त्म की.

"मुझे तो अगले चरण से डर लग रहा है."

"क्यों आंटी?"

"क्लब की अधिकतर महिलाओं को गांड मरवाना अत्यधिक पसंद है. कुछ हैं जो केवल गांड ही मरवाती हैं, जो कुछ रोमियो को नहीं भाता। इसीलिए हमने ये टेस्ट रखा है. क्या तुम्हें गांड मारना पसंद है?"

"अत्यंत. नानी और मम्मी तो गांड मरवाने की रसिया हैं. जब तक दिन में एक बार उनकी गांड की खुजली नहीं मिटाई जाये वो बेचैन रहती हैं. आप चाहें तो उन सारी सदस्यों को जो सिर्फ गांड मरवाना पसंद करती है, मुझे दे सकती है."

"पर सुनो, ऐसी दरिंदगी से मत मारना कि चल न सकूं."

"आप बेफिक्र रहिये. इतने प्यार से मारूंगा कि आप मुझे मान जाएँगी."

"ठीक है. पर ठहरो, मुझे गांड मरवाते समय लंड चूसने अच्छा लगता है. मैं किसी को बुलाती हूँ. तुम्हे आपत्ति तो नहीं है."

"मुझे कोई आपत्ति नहीं है."

शोनाली ने सोनम को फोन लगाकर सचिन को भेजने के लिया कहा.

"दूसरे चरण के लिए लड़का फिट है?" सोनम ने पूछा. उसे शोनाली का स्वाद पता था.

"बिलकुल".

“चलो अब तुम मेरी गांड तैयार करो और सचिन की चिंता मत करना.”

"नो प्रॉब्लम, आंटी जी. बिस्तर पर चलें?"

"नहीं, यहीं कालीन पर. मुझे दो तकिये दो अपने घुटने के नीचे रखने के लिए. और टेबल पर पड़े जैल को भी ले लो."

निखिल बिस्तर पर से दो तकिये उठा लाया और जैल भी ले आया. शोनाली ने तकिये अपने घुटनों और हाथ के नीचे रखे और गांड को आसमान की ओर उठा दिया. निखिल उसके पीछे झुका और उसकी गांड पर अपना मुंह रखकर चाटने लगा. फिर दोनों हाथों से उसने उस रहस्यमई द्वार के पट खोले और अपनी जीभ से कुरेदने लगा. तभी शोनाली को कुछ याद आया. उसने निखिल से कहा कि ड्रावर के अंदर एक बट प्लग रखा है, उसे निकाल ले.

"जब मेरी गांड में अपना माल छोड़ोगे तो इसे लगा देना जिससे तुम्हारा माल अंदर ही रहे."

"ऐसा क्यों?"

"क्योंकि तुम्हारी सुमति आंटी को गांड से निकला हुआ वीर्य बहुत स्वादिष्ट लगता है. तो ये उनके लिए प्रसाद होगा. हर नए रोमियो के पानी को गांड में लेकर जाती हूँ. उन्हें कुछ समय तक गांड में रुका हुआ वीर्य तो और भी अधिक प्रिय है."

निखिल अचंभित हो गया, पर जाकर बट प्लग ले आया.

"ओके, अब शुरू हो जाये जहाँ पर छोड़े थे."

निखिल ने फिर अपना कार्यक्रम पुनरारंभ कर दिया. अपनी जीभ से शोनाली के गांड खोदने लगा और उसके आसपास के भूरे सिकुड़ी रेखाओं से बने हुए गांड के छेद को चाटने लगा. जब उसे लगा कि गांड अब लौड़ा खाने के लिए उपयुक्त है, तब उसने ट्यूब को शोनाली की गांड में डाला और ढेर सारा जैल उसमे भर दिया. फिर दो उँगलियों से उसे अच्छे से गांड के अंदर फैलाया और उसकी गांड को चौडाने लगा. तभी दरवाज़ा खुला और एक लड़का गाउन पहने हुए अंदर आया.

"हेलो शोनाली मैम! सोनम ने कहा आप गांड मरवाने वाली हो तो चूसने के लिए भी लंड चाहिए."

"आ जा सचिन. इससे मिल, ये निखिल है. और अब ये मेरी गांड मारने जा रहा है. तो तू सामने आ जा और दे दे अपना लंड मेरे मुंह में."

"हाय निखिल, आई ऍम सचिन." अपना गाउन उतारते हुए सचिन ने अपना परिचय दिया.

"हेलो सचिन." हाथ मिलते हुए निखिल ने उसे स्वीकार किया.

निखिल ने जब देखा की गांड मस्त तैयार है, तब उसने अपने लंड पर भी जैल लगाया और अच्छे से चिपड़कर चिकना कर दिया. उधर सचिन ने अपना लंड शोनाली के सामने प्रस्तुत किया जिसे शोनाली सहर्ष मुंह में लेकर पूरी तन्मयता से चूसने और चाटने लगी. निखिल ने अपने लंड को शोनाली लुपलुपाते हुए गांड के छेद पर रखा और हल्का सा दबाव बनाया. थोड़ा ठहर कर सुपाड़ा गप्प से अंदर चला गया. निखिल ने अत्यधिक संयम दिखते हुए अपने लंड को धीरे धीरे अंदर पेलना शुरू किया और लगभग ४-५ मिनट में जड़ तक समा दिया.



"ओह, वाह. क्या लंड है तेरा. बिलकुल गांड भर दी तूने अच्छे से. अब धीरे से पेलना, थोड़ा चलने के बाद तेज चुदाई करना." ये निर्देश देकर शोनाली वापिस सचिन के लंड पर पिल गई.

निखिल ने वैसा ही किया, हल्के धक्कों से प्रारम्भ करके धीरे धीरे गति बढ़ाने लगा. कुछ ही समय में वो अपना पूरा लंड तेजी के साथ शोनाली की गांड में पेल रहा था. तभी दरवाज़ा खुला और पार्थ अंदर आया, उसे शीघ्र ही कहीं जाना था तो वो थोड़ी ही बात करके निकल गया. निखिल ने अपना कार्यक्रम चलने दिया और लम्बे ताकतवर धक्कों से उसने शोनाली की गांड का कीमा बना दिया. शोनाली अब हर क्षण झड़ रही थी. सचिन ने बताया कि वो भी निकट है, पर शोनाली रुकी नहीं बल्कि और गहराई से चूसने लगी. तभी निखिल ने भी घोषणा की कि उसका भी निकलने वाला है.

"अंदर ही डालना और फिर बट प्लग से बंद कर देना गांड को मेरी." शोनाली ने उसे चेताया.

निखिल ने बगल से प्लग उठा लिया और एक हुंकार के साथ शोनाली की गांड में अपना पानी छोड़ दिया. लंड सिकुड़ने के बाद उसने बाहर निकला और प्लग से शोनाली की गांड का द्वार सील कर दिया. शोनाली ने अपनी गांड मटका कर और थोड़े अंदरूनी खिचांव से प्लग को ठीक से अंदर किया। उधर सचिन ने भी अपना माल शोनाली के मुंह में छोड़ा जिसे शोनाली ने एक अच्छी चुड़क्कड़ रंडी की तरह कुछ पिया और कुछ अपने चेहरे और वक्ष पर मल लिया.

सचिन ने शोनाली की ओर देखा, “लगता है निखिल ने भरपूर मॉल छोड़ा है आपकी सिस-इन-लॉ के लिए.”

“ओह, यस! शी विल बी वेरी हैप्पी!” शोनाली ने कहा.

फिर वो उठी और किसी पेशेवर विश्लेषक की तरह निखिल का फॉर्म लिया और उस पर उत्तीर्ण और आवेदन स्वीकृत लिखकर हस्ताक्षर कर दिए.

"निखिल, वेलकम टू दिंची क्लब." शोनाली ने उससे हाथ मिलाकर कहा.

सचिन ने भी हाथ बढ़ाया, "वेलकम ब्रो, तुम्हें यहाँ बहुत आनंद आएगा."

"धन्यवाद आप दोनों का. मुझे भी यही आशा है."

कहते हुए सब अपने कपडे पहनने के लिए निकल गए.


सुप्रिया सिंह का घर:

निखिल जब अपने घर पहुंचा तो बहुत रात हो चुकी थी. अपने कमरे की ओर बढ़ते हुए उसे अपनी माँ सुप्रिया के कमरे से सिसकारियों और फच फच की ध्वनि सुनाई दीं। वो मुस्क़ुराते हुए अपने कमरे में जाकर लेट गया. सम्भवतः नितिन उसकी माँ की चुदाई में व्यस्त था. उनकी माँ सच में एक अत्यंत कामुक स्त्री थी, चाहे जितना भी चुदे, अगली चुदाई के लिए सदैव तत्पर रहती थी. कभी कभी तो नितिन, वो और उनके नाना, तीनों भी उसे कम पड़ते थे. पर आज शोनाली आंटी को चोदकर बहुत आनंद मिला था. और अब तो उसकी झोली में और भी ऐसी ही गर्म और प्यासी औरतें गिरने वाली थीं।

उसकी माँ और नानी के सतत परिश्रम और प्रशिक्षण से नितिन और वो दोनों इस कला में अत्यंत पारंगत थे. ऐसा नहीं था कि वो और लड़कियों या महिलाओं को नहीं चोदते थे, पर उनके लंड को झेलना हर स्त्री के बस का नहीं था. इसी कारण उनकी ऑंखें हमेशा अपने दोस्तों की मम्मी या रिश्तेदार महिलाओ पर रहती थीँ . जहाँ उन्हें कोई भी लक्षण लगता कि वो उनकी चपेट में आ सकती है, तो वो अपना मोह जाल फैलाते थे और कुछ ही दिनों में वो आंटी अपने बिस्तर में उन्हें आमंत्रित कर लेती थी.

चूँकि उनकी माँ इतनी खुली थी तो उन स्त्रियों को वो अपने ही घर बुला लेते थे. अब ये समझना कठिन न होगा की नाना की कृपादृष्टि से उनका भी पूरा घर वीडियो से लैस था और कई बार जब उनमे से कोई नयी मुर्गी की चुदाई कर रहा होता था तो अन्य सब उनके नाना के घर में लाइव शो देखते. निखिल और नितिन अपनी पटायी औरत को वैसे तो अपने ही लिए पटाते थे, पर कभी कभी अधिक गर्म और प्यासी महिला उनके हत्थे चढ़ जाती तो वो दोनों एक साथ भी सवारी करते थे. जो भी स्त्री इन दोनों के बीच में पिस कर जाती, वो अपने जीवन का अनंत सुख पाती थी, हालाँकि उसकी चाल कुछ दिनों के लिए बदल जाती थी. यही सब सोचते हुए निखिल सो गया.

पर उसी घर के दूसरे कमरे में जैसे कोई घमासान युद्ध छिड़ा हुआ था. सुप्रिया घोड़ी के आसन में अपनी गांड उठाये और चेहरे को तकिये में दबाये हुए सिसक सिसक कर हल्की हल्की चीखें निकाल रही थी. अगर कोई सिर्फ उसका चेहरा देखता तो उसे दया आ जाती, पर उसकी गांड में अपना मोटा लम्बा लंड पेल रहे उस लड़के के मन में ऐसी कोई भावना नहीं थी. उसके लंड का हर वार लम्बा और वहशी था. वो अपना लंड लगभग पूरा बाहर निकलता और फिर बहुत तेज पाशविक गति से वापस गांड में ठूंस देता. उसकी गति इतनी तीव्र थी कि अंदर बाहर का एक चक्र पलक झपकते ही हो जाता था.

"क्यों मम्मी, मजा आ रहा है. कैसा लग रहा है मेरा लौड़ा अपनी गांड में लेकर?"

"तुम जानते हो मुझे तुम तीनों से गांड मरवाना कितना अच्छा लगता है तो पूछ क्यों रहा है. अपनी ताकत बातों में मत ख़राब कर, मेरी गांड पर ध्यान दे मादरचोद."

"वो तो मैं हूँ. मादरचोद. हम तीनों ही मादरचोद हैं. और नानीचोद भी." नितिन ने उसकी बात मानी और अब अपने पूरे जोश से गांड का माल हिलाने में लग गया.

उसे ये आश्चर्य था कि जो स्त्री औरत हर दिन चुदवाती हो और गांड मरवाती हो उसके दोनों छेद आज भी कैसे इतने तंग थे. वो स्त्रियों के राज से अनिभिज्ञ था. शीला ने सुप्रिया को चूत की मांस पेशियों के कुछ ऐसे व्यायाम सिखाये थे जिनके कारण उसकी चूत और गांड व्यायाम से लगभग २ घंटे में ही वापिस सिकुड़ जाती थी. शीला ने अपनी जवानी इसी प्रकार संभाले रखे थी. अनगिनत लौडों को अपने दोनों छेदों की यात्रा करवाने के बाद भी कोई उसकी चूत को भोसड़ा नहीं कह सकता था. नितिन अब चुदाई के उस चरण पर पहुँच चुका था जहाँ उसके लंड से पानी निकलने ही वाला था.

"मम्मी, मेरा होने वाला है. कहाँ छोडूं?"

"मू में, मू " सुप्रिया की आवाज़ धक्को से दब गयी थी.

नितिन ने अपनी गति कम की और फिर बहुत सावधानी से अपने लंड को बाहर खींचा और सुप्रिया के सामने जाकर खड़ा हो गया.

सुप्रिया ने करवट ली और बैठ गई, और लपक के नितिन के लंड को गपक लिया. वो एक भूखी भिखारन की तरह नितिन के लंड को चूस रही थी. उसे देखकर कोई वैश्या भी शर्मा जाती. कोई उसके इस रूप और उसके ऑफिस के रूप को देखकर सोच भी नहीं सकता थी कि वो दोनों एक ही स्त्री हैं. जैसे ही नितिन के लंड ने धार छोड़नी शुरू की सुप्रिया ने एक दो धारें अपने मुंह से पी लीं और फिर लंड निकालकर अपने चेहरे पर मलने लगी.

पिचकारियां उसके चेहरे के हर रोम को भिगा दे रही थीं. जब नितिन का रस ख़त्म हुआ तो सुप्रिया का पूरा चेहरा उसके वीर्य से ओतप्रोत था. सुप्रिया ने अपने हाथों से उसे इकठ्ठा किया और अपने मुंह में डाल लिया. कुछ उसने अपने स्तनों पर भी मल लिया. अब उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे. जैसे उसके अंदर का जानवर शांत हो गया हो.

"गांड फाड़ने में तुझे मजा आया?"

"अरे मम्मी, तुम्हारी गांड तो ऐसी ही कि हर समय अपने लौड़े को इसी में डाले रखूँ."

"तो तेरी नानी का क्या होगा?"

"अरे उनकी गांड के लिए निखिल है न."

दोनों हंसने लगे.

"निखिल से पता करेंगे क्या हुआ उसके नए काम का. कहीं इंटरव्यू के लिए गया था, किसी क्लब में."

"अब कल देखना, मुझे कालेज भी जाना है. मैं सोने जा रहा हूँ."

"चलो कल मिलते है."

थोड़ी देर में दोनों अपने अपने कमरों में तृप्ति की नींद में डूब गए.



शोनाली का घर:


कुछ समय पश्चात् सागरिका ने सबके लिए एक डबल ड्रिंक बनाया और इस बार खुद भी लिया.

"तो मॉम, कैसा रहा आज का इंटरव्यू?" सागरिका ने शोनाली से पूछा.

"एकदम फर्स्ट क्लास. और जॉय हमें सम्भवतः अपना पहला दामाद मिल गया है. सागरिका के लिए मुझे ऐसा लड़का मिला है जो हमारे परिवार के लिए बिल्कुल उपयुक्त है." कहकर उसने अपनी पूरी ड्रिंक एक ही साँस में समाप्त कर दी.

"और उसका नाम है ......”

सागरिका ने प्रश्न किया क्योंकि वो अब बहुत ज्यादा उत्सुक थी. उन लोगों की जीवन शैली में उपयुक्त बैठने वाला अगर कोई लड़का मिल जाये और वो भी जिसे उसकी माँ पसंद करे तो इससे अच्छा क्या हो सकता है.

"निखिल."

"कौन वो पार्थ का दोस्त?"

"और समर्थ और शीला का नाती."

"तीन नंबर वाले"

"हाँ, वही. और अब अच्छा समाचार. निखिल, उसका भाई नितिन और समर्थ भी हम ही लोगों के समान पारिवारिक सम्भोग में लिप्त हैं. सुप्रिया अपने घर में निखिल और नितिन से तो चुदवाती ही है और तो और समर्थ और शीला भी इसमें मिले हुए हैं. सुरेखा भी अभी कुछ ही दिनों पहले जुड़ी है. उसकी गाड़ी ५ दिन से यहीं है."

"शोनाली, ये तो बहुत ही शुभ समाचार है. पर क्या वो विवाह के लिए मानेंगे? हम बंगाली, वो ठाकुर, समर्थ मानेगें?"

"अरे ये भी तो समझो कि जिस प्रकार हमें सागरिका के लिए लड़का मिलने में समस्या आ रही ही, उसी प्रकार मुझे नहीं लगता कि उन्हें निखिल के लिए कम कठिनाई हो रही होगी."

"निखिल करता क्या है?"

"अरे अपने नाना का इतना बड़ा बिज़नेस है, उसी में जायेगा. पार्थ से पता करेंगे उसके बारे में."

"एक बात और, आज निखिल ने दिंची क्लब में रोमियो का काम ले लिया है."

सागरिका, उत्साह से, "मम्मी, तो क्या उसका लंड..."

"हाँ, ११ इंच से ज्यादा."

"और बहुत स्वादिष्ट भी. शोनाली की गांड के रस के साथ पिया था. ये अच्छा होगा, अपने दामाद से गांड मरवा कर उसकी पानी पियूँगी."

"दीदी, आपको अपनी गांड मरवाने के और दूसरों की गांड से पानी पीने के सिवाय कुछ और भी सूझता है?" जॉय ने थोड़ा चिढ़कर कहा. "हम लोग यहाँ गंभीर बात कर रहे हैं. प्लीज."

"सॉरी, मैं अपनी ख़ुशी नहीं संभल पायी." सुमति ने सहम कर कहा.

"अरे बुआ, तुम क्यों ऐसा सोचती हो. तुम्हे अपनी सुहागरात में अपनी गांड से कामरस पिलाऊंगी. चाहे वो जो भी हो." सागरिका सुमति के होंठ पर हल्का सा चुम्बन लेकर बोली.

"मेरी प्यारी गुड़िया." सुमति भाव विभोर हो उठी.

"तो करना क्या है?" जॉय ने पूछा.

"पहले पार्थ से बात करो. फिर समर्थ को उसके परिवार के सहित मिलने के लिए आमंत्रित करो. पर पार्थ की सहमति के पश्चात्."

"ठीक है. अब देर हो रही है, पार्थ से सुबह बात करेंगे. फिर देखते हैं."

"पापा, अगर आपको मेरी स्वीकृति चाहिए तो मैं अपनी हाँ अभी से देती हूँ. लड़का सुन्दर और सशक्त है, धनी परिवार से है, ११" लम्बा लंड लेकर घूमता है, अपनी माँ और नानी को चोदता है, और तो और मेरी मम्मी को पसंद है. प्यार साथ रहने से अपने आप ही पनप जायेगा."

"ठीक है. मुझे ख़ुशी है. अब कल पार्थ से समझ लें फिर निष्कर्ष निकालेंगे."



सुप्रिया का घर:


सुबह नाश्ते के लिए सुप्रिया निखिल और नितिन के साथ बैठी थी. तीनों अपने अपने काम पर जाने के लिए तैयार थे.

तभी सुप्रिया ने निखिल से पूछा, "तुम कहीं इंटरव्यू के लिए गए थे? नाना तुम्हें कब से हमारी कंपनी में आने को कह रहे हैं, वो क्यों नहीं करते."

"रिलैक्स मॉम. मैं आप लोगो के साथ ही काम करने वाला हूँ, बस कुछ दिन रुक जाओ. और जहाँ मैं गया था वो कोई नौकरी नहीं है."

"तो क्या है."

"एक क्लब है जहाँ जवान लड़के मध्यम आयु और उससे अधिक की महिलाओं का मनोरंजन करते हैं."

"और तुम उसमे कैसे चले गए?"

"पार्थ ने मुझे बताया था, वो क्लब में नए लड़कों को हर महीने शामिल कर रहे हैं, क्योंकि माँग बहुत है, तो उसने मुझसे पूछा था. और उस क्लब में प्रवेश के लिए लंड कम से कम १०" का होना चाहिए."

"और इस मानक पर तो तुम दोनों ही पूरे उतारते हो. फिर क्या हुआ?"

"क्या आप जानती हो कि उस क्लब में पार्थ की पार्टनर कौन है?"

"कौन?"

"उसकी मामी शोनाली."

"इंटरेस्टिंग."

"और मेरा इंटरव्यू शोनाली आंटी ने ही लिया था."

"ओके, वैरी वेरी इंटरेस्टिंग."

"इंटरव्यू क्या था मेरी चुदाई की क्षमता की परीक्षा थी. उनके मुंह, चूत और गांड तीनों को चोदना था."

"और उसमे तो तुम वैसी की बहुत काबिल हो."

"हाँ, पर मेरा कुछ और भी मानना है. शायद उनके घर में भी हमारी ही तरफ खुली चुदाई का वातावरण है."

"वैरी वैरी इंटरेस्टिंग."

"मुझे लगता है शोनाली या उनके घर से कोई संपर्क करेगा."

"तुमने क्या हमारे बारे में बता दिया?" सुप्रिया भड़क उठी.

"रिलैक्स, मॉम सामने वाले ने भी तो कुछ बताया होगा. वैसे भी उनका भी राज हमारे पास है."

"ओके. तुम्हारे नाना बहुत गुस्सा होने वाले हैं."

"मैं नानी से कहकर उन्हें मना लूंगा. नितिन से भी सहायता ले लूंगा मनाने के लिए."

"तुम्हारे मनाने का तरीका मुझे पता है. सौ प्रतिशत सफलता की कुंजी है. चलो मुझे देर हो रही है. शाम को मिलेंगे."



शोनाली का घर:


उधर शोनाली के घर भी सब नाश्ता कर रहे थे. सभी अच्छे मूड में थे और हंसी मजाक चल रहा था.

पार्थ ने सुमति से पूछा,"क्यों माँ, कल का स्वाद कैसा था?"

इससे पहले कि अन्य लोग समझते कि किस बारे में बात हो रही है, सुमति बोल पड़ी, "बहुत अच्छा था, शोनाली की गांड से पीकर मन खुश हो गया. किसका था?"

ये आखिरी सवाल उसने जॉय और सागरिका की ओर देखकर पूछा था, ये इशारा था कि बात करो.

"मेरा दोस्त है निखिल, क्लब में कल ज्वाइन किया है."

जॉय,"पार्थ, हम कल रात बात कर रहे थे. संभवतः निखिल के घर में भी हमारे जैसा पारिवारिक वातावरण है."

पार्थ, "मैं जानता हूँ. क्लब में लाने के पहले हम जो जाँच करते हैं, उसमे इसकी सम्भावना जताई गई है."

जॉय,"शोनाली का ये मानना है कि वो सागरिका के लिए उचित रहेगा. विवाह के लिए."

पार्थ, "क्या! मामी एक बार की चुदाई में ही शादी तक पहुँच गयी?"

शोनाली, "नहीं पार्थ, चुदवायी तो मैं बहुतों से हूँ क्लब में, पर अगर उनके घर में भी चुदाई का यही वातावरण है, तो दोनों परिवार एक दूसरे के लिए सही रहेंगे. किसी को भी अपनी जीवन शैली बदलनी नहीं होगी."

पार्थ,"मामी, आप बोल तो सही रही हो. बात बन भी सकती है. सागरिका ने क्या कहा?"

सागरिका, "दादा, मैं सहमत हूँ."

पार्थ कुछ सोचते हुए, "मम्मी और मामी मेरे विचार से आप दोनों एक बार निखिल की मम्मी से बात करो. हो सके तो उनके ऑफिस ही चली जाओ."

शोनाली, "सुप्रिया क्यों? समर्थ से न पूछें?"

पार्थ, "उसकी माँ सुप्रिया आंटी हैं, समर्थ अंकल नहीं. अगर उन्हें आवश्यक लगेगा तो वो पूछेंगी उनसे. और आप दोनों जाना, इससे उन्हें विश्वास होगा की आप गंभीर हो."

शोनाली, "फिर?"

पार्थ, "अगर उनकी प्रतिक्रिया सकारात्मक रही तो शुक्रवार को चाय पर बुलाओ. इस शनिवार क्लब में कोई कार्यक्रम नहीं है. तो मैं उसे सप्ताहांत के लिए बंद कर देता हूँ. अगर बात बनती लगे तो सप्ताहांत दोनों परिवार साथ गुजारेंगे। इससे अगर कोई भी संदेह हो कि आगे सम्बन्ध कैसे रहेंगे वो स्पष्ट हो जायेगा."

शोनाली, "ठीक है"

सुमति से अब रहा नहीं गया. वो बड़ी पुलकित स्वर में बोल ही पड़ी,"उड़ी बाबा, ये शनिवार तो मुझे खूब खाने मिलेगा."

सबने उसे एक अजीब निगाहों से देखा फिर हंसने लगे.



सुप्रिया का ऑफिस:


सुप्रिया अपने काम में व्यस्त थी जब उसका फोन बज उठा. उसने अनजान नंबर देखकर काट दिया. पर कुछ ही मिनटों में उसके ऑफिस का फोन घनघना उठा.

"हैलो। "

"सुप्रिया जी, मैं शोनाली बोल रही हूँ, संभ्रांत नगर के ५ नंबर घर से."

"हैलो शोनाली जी, कैसी हैं आप?" सुप्रिया ने पूछा. उसने निखिल से हुई उसकी सुबह की बात के बारे में सोचा,"वैरी इंटरेस्टिंग."

"मैं अच्छी हूँ. हम आपसे मिलना चाह रहे थे. क्या हम आ सकते हैं?"

"हम से आपका क्या मतलब है, और कौन."

"मेरी नन्द, सुमति भी आएंगी."

"ओके, आप लोग दोपहर ३ बजे आ जाएँ. तब चार बजे तक आपके साथ रह सकती हूँ."

"ठीक है, हम पहुँच जायेंगे. धन्यवाद."

"मुझे प्रसन्नता होगी." ये कहकर सुप्रिया ने फोन काट दिया।

वो सोचने लगी कि आखिर क्या बात हो सकती है. फिर अपनी सेक्रेटरी से तीन से चार बजे तक का समय बुक करने का बताकर उसने अपना ध्यान अपने काम की ओर लगा दिया. दोपहर के तीन बजे सेक्रेटरी ने बताया कि उससे मिलने दो महिलाएं आई है. सुप्रिया ने उन्हें भेजने का आग्रह किया और तीन कॉफ़ी लाने के लिया कहा. कुछ ही क्षणों में शोनाली और सुमति अंदर आये। शोनाली तो सुप्रिया से कई बार मिली थी और उसने आगे बढ़कर उससे हाथ मिलाया. पर सुमति सुप्रिया की सुंदरता से हतप्रभ रह गई. जब उसने सुप्रिया का हाथ अपने हाथ में महसूस किया तो वो अपनी तन्द्रा से निकली.

"क्या देख रही हैं, दीदी?" सुप्रिया ने उसे पुकारा.

"आप बहुत सुन्दर हो. बहुत सुन्दर."

"धन्यवाद, पर आपसे फिर भी कम ही लगूंगी इस मेकअप के बिना." सुप्रिया ने विनम्रता से कहा. "आइये बैठते हैं. अभी कॉफ़ी भी आ रही है. आप कॉफ़ी ही लेंगीं न, या कुछ और बोलूँ। "

"नहीं, कॉफ़ी ही सही है."

फिर तीनों बातें करने लगीं और जैसा स्त्रियों का स्वभाव है, बिना किसी विषय पर कॉफी आने तक उन्होंने १० मिनट बातें कर ली थीं. उसके बाद उन्होंने कॉफ़ी पीते हुए कुछ और हल्की फुल्की बातें की. कॉफ़ी समाप्त होने पर सुप्रिया ने सेक्रेटरी से ऑफिस बॉय से टेबल क्लियर करने को बोला। जब वो चला गया तो अपने पास पड़े रिमोट से सुप्रिया ने कमरा लॉक कर दिया.

"अब मेरी आज्ञा के बिना यहाँ कोई नहीं आएगा. अब बताइये आप मुझसे किसलिए मिलने के लिए उत्सुक थे." सुप्रिया ने शोनाली की आँखों में झांककर पूछा.

"हम अपनी बेटी सागरिका के लिए कोई योग्य लड़का देख रहे हैं." ये कहकर शोनाली ने अपने पर्स में से एक लिफाफा निकला और सुप्रिया को थमा दिया.

सुप्रिया ने खोला तो उसमें सागरिका के विभिन्न परिधानों में फोटो थे.

"आपकी बेटी बहुत सुन्दर है. जिस घर में जाएगी वहाँ चार चाँद लगा देगी."

"हमारा भी यही मानना है. और हम ये इच्छा रखते हैं कि वो आपके घर में चाँदनी लाये."

सुप्रिया भौंचक्की रह गई. उसने ये तो सोचा ही नहीं था.

"पर, पर.." सुप्रिया सोच रही थी कि उनके राज पर जो पर्दा इतने सालों से पड़ा है वो कहीं खुल न जाये.

"हम सब भी उसी प्रकार कौटुंबिक प्रेम में विश्वास रखते हैं, जिस तरह संभवतः आप." ये कहकर शोनाली थोड़ी झिझकी, फिर उसने सुमति की ओर देखा तो सुमति ने सहमति में सिर हिलाया. शोनाली ने अपने पर्स से एक और लिफाफा निकला और सुप्रिया के हाथों में दिया.

इस बार सुप्रिया और भी आश्चर्य चकित हो गई. ये सागरिका की नंगी तस्वीरें थीं जिसमे वो अपने ही परिवार के सदस्यों के साथ संभोगरत थी. इन तस्वीरों में सागरिका के हर छेद की चुदाई के दृश्य थे.

"हम्म्म्म" सुप्रिया ने उन तस्वीरों को वापिस लिफाफे में रख दिया और सोच में पड़ गई.

उनकी जीवन शैली के अनुरूप लड़की मिलना बहुत कठिन था. सागरिका का रूप देखकर उसकी आंखे चौंधिया गयी थी. उसे विश्वास था कि निखिल और नितिन दोनों को वो अच्छी आएगी. पापा और मम्मी को भी न अच्छी लगने जैसी कोई बात थी नहीं. फिर परिवार धनी था तो किसी प्रकार से कोई समस्या आनी नहीं चाहिए थी.

"मुझे निखिल और अपने परिवार में बात करनी होगी. मुझे स्वयं से कोई कठिनाई नहीं लगती. पर हमें उन दोनों की आपस में और हमारे परिवारों की अनुकूलता देखनी होगी."

"हम समझते है. समाज में हमारी जीवन शैली प्रकट न हो, इसके लिए हम भी बहुत सावधान रहते हैं. आप सोचें और विचार करें." ये कहकर शोनाली ने दूसरा लिफाफा अपने पर्स में रख लिया.

सुप्रिया: "ठीक है. अब एक बात बताइये."

शोनाली: "अवश्य"

सुप्रिया: "क्या ये आपके कल निखिल के साथ समय बिताने का परिणाम है."

शोनाली: "आप किस प्रकार की भाषा में सुनना पसंद करेंगी."

सुप्रिया: "गन्दी और सटीक."

शोनाली: "हाँ, कल जब निखिल ने मुझे चोदा तो मुझे ऐसा अनुभव हुआ जो अनुपम था. उसने मेरी चूत को जिस ढंग से चोदा उससे कुझे ये विश्वास हो गया कि इतना सामर्थ्य बिना घरेलू प्रशिक्षण के नहीं आ सकता. उसके बाद जब उसने मेरी गांड मारी तो सच बताऊँ, मुझे आकाश गंगा का भ्रमण करा दिया. क्या चोदता है, अभी भी उस समय को सोचकर मेरी चूत और गांड में खुजली हो रही है."

शोनाली ने बात जारी रखते हुए कहा: "तब मैंने ये निश्चय किया कि अगर संभव हुआ तो मैं अपनी बेटी से निखिल का विवाह कराऊंगी जिससे वो इस सुख को जब चाहे पा सके."

सुप्रिया: "आपकी बात सही है. मेरे बेटों के लंड का ध्यान आते ही, मेरी भी चूत और गांड खुजलाने लगते हैं. वैसे तो मैं इसके लिए अपने साथ एक डिल्डो रखती हूँ, पर आज सोच रही हूँ की लड़के की माँ होने का लाभ उठाऊँ."

सुप्रिया अपनी पैंट निकलकर एक ओर बहुत सजा कर रख देती है. फिर अपनी पैंटी भी उतार देती है. अपने ऊपर के कपडे वो नहीं छूती.

"आपने अच्छा किया कि आप दोनों साथ आये. आपमें से एक अपने मुंह और जीभ से मेरी चूत की गर्मी शांत करेगा और दूसरा मेरी गांड की. क्या आप ये करेंगी?"

"दीदी को गांड अधिक प्रिय है, तो वो आपकी गांड की शांति करेंगी. मैं आपकी चूत को चाटकर आपको आनंद दूंगी." शोनाली ने कालीन पर लेटते हुए कहा. "आइये."

सुप्रिया ने बिना देरी किये अपनी चूत को शोनाली के मुंह पर रख दिया और शोनाली उसे बहुत ही प्रेम से चाटने लगी. और कुछ ही क्षणों में उसकी जीभ सुप्रिया की गुलाबी चूत के अंदर विचरण कर रही थी. सुप्रिया ने एक संतुष्टि की सांस ली. तभी उसने अपनी गांड पर किसी की सांसों की दस्तक महसूस हुई. फिर किसी की जीभ ने उसकी गांड के भूरे सितारे पर अपनी जीभ फिराई। सुप्रिया के शरीर में एक आनंद की लहर दौड़ गई.

सुमति गांड चाटने में बहुत पारंगत थी. उसका विश्वास था कि वो किसी को भी (पुरुष या स्त्री) को बिना छुए सिर्फ उसकी गांड चाट कर झड़ा सकती थी. सुमति सुप्रिया की गांड चारों ओर चाटती फिर उस पर फूंक मारती और जब इस फूँक से गांड चुलबुला जाती तो फिर से चाटने लगती. फिर उसने दोनों नितम्बो को पकड़कर बाहर की ओर धकेला, जिससे की गांड का छेद खुल कर सामने आ आया. सुमति ने अपने मुंह से थोड़ी लार उस छेद में डाल दी. सुप्रिया कांप गयी. फिर सुमति ने अपनी जीभ को अंदर डालकर उसे घुमाना प्रारम्भ किया. सुप्रिया एक हल्की की चीख के साथ शोनाली के मुंह में झड़ गयी.

पर सुमति का मन कहाँ भरा था. वो किसी भूखी भिखारन की तरह सुप्रिया की गांड को अंदर बाहर से चूस और चाट रही थी. चाटना, चूसना, फिर फूँकना सब एक ऐसे कटिबद्ध क्रम में हो रहा था की सुप्रिया की स्थिति बेकाबू हो चुकी थी.

"बस बस, अब और नहीं. आप वाकई गांड चाटने में बहुत दक्ष हैं. मेरा पानी २ बार निकल गया है.”

नीचे से शोनाली ने हामी भरते हुए उसकी चूत पर अपना आक्रमण चालू रखा. होने वाली समधन को वो इस स्थिति में लाकर छोड़ना चाहते थे कि वो कुछ सोचने की अवस्था में न रह पाए. सुमति ने सुप्रिया की गांड पूरी फैलाई और अपना मुंह को उसके ऊपर लगा कर जोर से चूसा जैसे की कोई वैक्यूम क्लीनर करता है. अब सुप्रिया की हालत पस्त हो गई. वो भरभरा के एक बार और झड़ी और एक तरफ लुढ़क गयी.

कुछ देर अपने आप को सँभालने के बाद सुप्रिया ने कहा, "सुमति जी, आपके जैसा गांड का पारखी मैंने आज तक नहीं देखा. आप सच में अद्वितीय है."

सुमति: "आपके जैसी सुन्दर गांड को बिना चखे मैं कैसे रह सकती थी. आपकी गांड जितनी बाहर से सुन्दर है अंदर से उतनी ही स्वादिष्ट."

सुप्रिया: "आपको मम्मी बहुत पसंद करने वाली है. पर अब हमें उठना होगा थोड़ी ही देर में मेरी एक मीटिंग है."

शोनाली और सुमति उठे और अपने कपडे ठीक किये, उन्होंने उतारे तो थे ही नहीं. सुप्रिया ने जल्दी से अपनी पैंटी और पैंट पहने, और एक रूम फ्रेशनर से कमरे को सुगंधित कर दिया और सेक्स की गंध दबा दी.

"तो क्या हम शुक्रवार को मिल सकते हैं"

"लगभग तय समझिये. मैं आज रात या कल सुबह तक निश्चित कर दूँगी."

"ओके, बाय सुप्रिया जी. मुझे आशा है कि आप संतुष्ट हो गयी होंगीं."

"१००% से अधिक. मेरे विचार से हम शीघ्र ही संबंधी बन सकते हैं."

ये सुनकर शोनाली और सुमति आनंदित और संतुष्ट होकर अपने घर की ओर निकल पड़े.



शोनाली का घर:


सुप्रिया का फोन रात नौ बजे के आसपास आया. उसने बताया कि समर्थ, शीला और वो स्वयं शुक्रवार की शाम ७ बजे मिलने आएंगे. उसने ये भी बताया कि सुरेखा का आना अभी निश्चित नहीं है, अपितु संभव है. शोनाली के आग्रह पर उसने ड्रिंक्स और रात्रि भोज दोनों के लिए सहमति दे दी. निखिल की ओर से अभी स्वीकारोक्ति नहीं मिली थी पर उसने सीधे मना भी नहीं किया था, जो उसके विचार से सकारात्मक था. अभी केवल बड़े लोग मिलकर बातें करेंगे, वैसे भी शुक्रवार को अधिकतर युवा बाहर ही रहते हैं, तो उनकी खुल कर बातें हो सकेंगी.

शोनाली ने फोन रखकर ये शुभ समाचार प्रसारित किया तो सबके चेहरे प्रसन्नता से खिल उठे. शोनाली ने पार्थ से क्लब में पार्टी के आयोजन के लिए पुष्टि की. पार्थ ने उसे बताया कि उसने सोनम और नूतन को दोनों दिन के लिए बुला लिया है. ये दोनों क्लब में ही कार्यरत हैं और कुछ विशेष परियोजनों में बुलाई जाती हैं.साथ ही कुछ रोमियो भी सहायक के रूप में उपस्थित रहेंगे.

ये सब विश्वासपात्र थे, जिन्हें पार्थ और शोनाली भली भांति जानते थे. इसी के साथ उसने श्रीमती सिमरन खन्ना को २० लोगों (जिसमे सहायक और अन्य शामिल थे) के खाने पीने का प्रबंध के लिए भी कह दिया है. सिमरन, जो एक केटरिंग कंपनी चलती थीं, भी क्लब की ही सदस्य थीं और इस प्रकार के प्राइवेट और गुप्त आयोजनों में उन्हें ही व्यवस्था दी जाती थी. हालाँकि उनके केवल बावर्ची ही रहते थे और परोसने का काम क्लब के सहायक और सहायिकाएं सिमरन के साथ करते थे.

क्लब का किचन क्लब के दूसरे हिस्से में था और गोपनीयता पर आंच आने का प्रश्न नहीं था. हालाँकि उसे सिमरन को शुक्रवार को बताना होगा। जब शोनाली को विश्वास हो गया कि सब कुछ नियंत्रण में तो वो जॉय के पास जाकर बैठ गयी.

"सोचो, अब सागरिका की शादी हो जाएगी और वो चली जाएगी." उसकी ऑंखें भर आयीं।

"दूर नहीं है, और ये भी देखो कि हमें कितना अच्छा परिवार मिला है. अब सब कुछ पहले जैसा ही रहेगा, शायद पहले से अच्छा."

"सच कहते हो. सब कुछ कितनी जल्दी हो गया."

"अभी कुछ हुआ नहीं है, बहुत आगे की मत सोचो. ये सोचो कि सम्भावना है."

तभी सागरिका और पार्थ सबके लिए शराब और खानपान ले आये और सब बैठ कर आगे आने वाले समय के बारे में सोचते हुए ड्रिंक्स लेकर खाना खाये और फिर सोने के लिए चले गए.



क्रमशः
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