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Incest कैसे कैसे परिवार

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Update coming up now.

इंटरनेट की समस्या के कारण अपडेट पूरे नहीं हैं, इसीलिए मैंने इन्हें अभी दो भागों में विभाजित कर दिया है.
अगले भाग दो दिन में जायेंगे। लगभग पूरे थे पर सही स्थान पर काट नहीं पा रहा था.

पर आप इनका आनंद उठायें। वो भी शीघ्र ही प्रकाशित हो जायेंगे।
 

prkin

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अध्याय १९: पहला घर - अदिति और अजीत बजाज ३

**************************


अदिति एक ओर सोफे पर बैठ गयी. वो अपने सेक्स से वंचित दो और सप्ताह के बारे में सोच रही थी. इतने समय तक वो कभी चुदे बिना नहीं रही थी. पर ये दिन भी कट जायेंगे. और तो और इस बार उसे भी अपने बेटे के लंड का अनुभव होगा. उसकी सास तो वर्षों से ये सुख ले रही थी. अदिति ने स्वप्निल आँखों से सामने चल रहे कुकर्म पर दृष्टि डाली. अनन्या जिस प्रेम से अजीत के लंड को चाटने, चूमने और चूसने में व्यस्त थी उससे उसका अजीत की ओर प्रेम का आभास हो रहा था.

अजीत भी अनन्या के बाल सहलाकर उसे प्रोत्साहित कर रहा था. इस कली को फूल बने अभी २४ घंटे भी नहीं हुए थे. और उसके लंड चूसने में कला कम और प्रेम अधिक दिख रहा था. अदिति ने इस कमी को पूरा करने की प्रतिज्ञा की. फिर उसकी दृष्टि शालिनी की चूत में मुंह डाले अपने बेटे की ओर पड़ी. इस पूरे कार्यकलाप से गौतम का लंड भी अब तन चुका था. वो तो अदिति के बैठने का स्थान और कोण ऐसा था कि वो उस खड़े लंड को अच्छे से देख पा रही थी.

“इससे तो चुदना ही है. बस मैं ठीक हो जाऊं।” अदिति ने विचार किया.

अजीत ने कहा कि अब वो समुचित रूप से चुदाई के लिए उत्सुक है. अदिति ने एक बार और चाटकर लंड को प्रेम से देखा और फिर अपनी दादी की ओर मुड़ी जो अपनी कमर उछाल उछाल कर गौतम की योग्य जीभ के सञ्चालन से झड़ने की निकट थी. अजीत ने गौतम के सिर पर हाथ लगाया और गौतम ने अपने पिता को खड़ा देखा और समझ गया कि अब खिलाडी से दर्शक बनने का समय आ चुका है. वो अपने स्थान से उठा और अदिति की ओर बढ़ गया. अनन्या उसके लगभग साथ ही गयी और भाई बहन अपनी माँ को दोनों ओर बैठ गए.

अजीत आगे बढ़ा और शालिनी के होंठ चूमने लगा. दोनों जैसे एक दूसरे में समा जाने का प्रयास कर रहे थे. फिर अजीत ने चुम्बन तोड़ा और शालिनी के मम्मों पर अपना ध्यान केंद्रित किया. वो एक स्तन को चूसता तो दूसरे को दबाता. बदल बदल कर न जाने वो कितनी ही देर तक यही करता रहा. शालिनी कुनमुना रही थी और अपने कूल्हे हिला रही थी.

“दोनों एक दूसरे के साथ कितने सुन्दर लग रहे हैं न मॉम?” अनन्या बोल उठी.

अदिति जो इस संसर्ग को पहले भी देख चुकी थी आज भी इसकी अलौकिकता से प्रभावित हुए न रह सकी. उसका हाथ बेध्यानी से गौतम के लंड को सहलाने लगा. फिर वो गौतम के लंड को हाथ में लेकर उसकी मुठ मारने लगी. सामने के दृश्य में खोई हुई अदिति को इस बात का आभास नहीं था कि वो क्या कर रही थी.

“हाँ, मॉम, थोड़ा तेज करो.” गौतम की गुहार सुनकर उसने आश्चर्य से उसे देखा फिर अपने हाथ में गौतम के तने लंड को देखा तो जैसे वो नींद से जाग गयी.

“तुझे अच्छा लग रहा है?” अदिति ने मुस्कुराकर पूछा.

“इसमें पूछने की क्या बात है. बहुत अच्छा लग रहा है. मैं भी बस अब आपके ठीक होने की राह देख रहा हूँ.”

“तुझे कैसे पता कि मुझे कुछ हुआ है?”

गौतम को अपनी गलती का आभास हो गया. उसने तो ये उन वीडियो के द्वारा जाना था. उसने तुरंत बात को संभाला.

“कल दादी ने बताया था कि अभी आपको सेक्स से मना किया हुआ है.”

“तेरी दादी के पेट में कोई बात नहीं पचती. हाँ, अभी लगभग दो सप्ताह और हैं. उसके बाद ही डॉक्टर बताएँगे कि मैं सेक्स कर सकती हूँ या नहीं. मैं भी अब बहुत बेचैन हो रही हूँ. ठीक होने के बाद तेरे पापा के बाद तेरा ही नंबर लगने वाला है.”

“क्यों मॉम, पहले क्यों नहीं? पापा के पास तो दादी और अनन्या भी हैं.”

“नहीं. वो मेरे पति हैं. पहला भोग उन्हें ही चढ़ेगा. पर मुझे नहीं लगता कि अनन्या तुझे इतने दिन मना करेगी. क्यों अनन्या?”

“मॉम, मुझे तो अच्छा ही लगेगा। मेरा अपने कौमार्य के लिए पापा का चयन था पर मुझे तो गौतम भी उतना ही प्यारा है. और उसके लंड को देखकर तो लगता है कि वो भी मस्त चुदाई करेगा.”

अनन्या की भाषा सुनकर अदिति और गौतम के मुंह खुले रह गए. अनन्या खिलखिलाने लगी.

“क्या मॉम, अपने ही तो बोला था न कि चुदाई में संकोच नहीं करना चाहिए. और मुझे तो अब इस तरह की भाषा में बड़ा मजा आ रहा है.”

अदिति: “ये लड़की तो एक ही दिन में विशेषज्ञ बन गयी.” इस बात पर तीनों हंस पड़े और सामने चल रहे सहवास को देखने लगे.

अजीत अब अपने दोनों हाथों से अपनी माँ के मम्मे निचोड़ रहा था और उसका मुंह शालिनी की चूत में घुसा हुआ था. और जिस प्रकार से वो उसे चाट रहा था उसे देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे वो रसमलाई खा रहा हो. उसने अपने हाथ मम्मों से हटाए और शालिनी की चूत की पंखुड़ियों को फैलाकर अपनी जीभ अंदर डाल दी. शालिनी की कसमसाहट अब बहुत बढ़ चुकी थी. उससे अब ये दूरी सहन नहीं हो रही थी, पर वो ये जानती थी कि जब तक उसका बेटा उसके रस को पी नहीं लेगा उसे चोदने का कोई प्रश्न ही नहीं था. उसकी चूत अब इस रहस्य से भली भाँति परिचित थी और वो अब तेजी से अजीत के मुंह में पानी बहा रही थी.

फिर शालिनी का बांध टूट ही गया. उसकी आनंदभरी चीख कमरे के अन्यथा शांत वातावरण को चीरती हुई दीवारों को हिला गयी. तीनों दर्शक मूक बने इस उत्सर्ग को देख रहे थे. उन्होंने जीवन में ऐसा उन्माद कभी नहीं देखा था. चीखती शालिनी के नितम्ब और शरीर बिना किसी लय के मानो झूम रहा था. उसके छटपटाते शरीर को देखकर किसी मिर्गी के रोगी का ध्यान आ रहा था. उसकी चूत अविरल गति से अजीत के मुंह और चेहरे को जलमग्न कर रही थी. पर अजीत था की हटने का नाम भी नहीं ले रहा था. वो इस पावन जल की एक एक बूँद को अमृत के समान ग्रहण कर रहा था. शालिनी धीरे धीरे शांत हो गयी और उसका शरीर भी शिथिल पड़ गया. अजीत ने उसकी चूत को पूरा सूखने के पश्चात् ही अपना भीगा हुआ चेहरा ऊपर किया. शालिनी उसे देखकर मुस्कुरा उठी.

“जानता है? तेरा बेटा भी तुझसे कम नहीं है, इस कला में. पर आज तो तूने सच में सारे आयाम ही तोड़ दिए.”

शालिनी में फिर अदिति की ओर देखकर बोली, “ अदिति, पर एक ही बात का मुझे खेद है कि गौतम ने ये सब तुमसे नहीं, कहीं और सीखा है. मुझे इस बात का गर्व भी है कि अजीत को ये सब सीखने वाली मैं थी.”

अदिति: “माँ जी, अब समय बदल गया है. आजकल के बच्चे समय से पहले ही सब कुछ करने लगते हैं. मुझे तो अनन्या पर गर्व है कि उसने अपना कौमार्य कल तक सुरक्षित रखा था.” फिर उसने गौतम के लंड की मुठ मारते हुए उससे ही पूछा, “कहाँ से सीखा तूने ये सब जो दादी कह रही हैं. अगर सच में तू इतना अनुभवी है तो तेरी आयु की लड़की तो नहीं सीखा सकती. कौन है तेरी शिक्षिका?”

गौतम थोड़ा असहज हो गया. अजीत ने बात संभाली, “गौतम, हम सब अब किसी भी प्रकार की बातें गुप्त नहीं रखेंगे. हमें तुम्हारे इस ज्ञान से कोई आपत्ति नहीं है. न ही हम ये कहेंगे कि तुम बाहर अपने सम्बन्ध समाप्त करो. हाँ, परन्तु ध्यान अवश्य रहे कि किसी प्रकार का रोग या समस्या घर न लाना.”

गौतम को समझ नहीं आया. इस बार अदिति ने उसे समझाया, “तेरे पापा का कहना है कि ऐसा कुछ मत करना कि कोई लड़की माँ बन जाये और हमें उसे मजबूरी में बहू बनाना पड़े.”

गौतम सोचने लगा कि कितना बताये. उसने देखा कि सब उसकी ही ओर देख रहे हैं. अदिति का भी हाथ अब ठहरा हुआ था.

“मेरी दो प्रोफ़ेसर हैं, पहले तो उन्होंने ही मुझे इस सब में पारंगत किया, पर बाद में मेरे कुछ दोस्तों की मम्मियाँ भी मुझ पर आसक्त हो गयीं. ये समझो कोई पांच स्त्रियों ने सिखाया.”

सब उसके इस कथन से प्रभावित हो गए. पर गौतम अब सब बता देना चाहता था.

“फिर मेरे एक दोस्त की बहन भी है, अनन्या भी उसे जानती है. कोई दो महीने पहले से मैं उसे भी चोद रहा हूँ. पर मैं उसके साथ कंडोम प्रयोग में लाता हूँ, क्योंकि वो भी अभी किसी प्रकार के स्थायी सम्बन्ध में रूचि नहीं रखती.” गौतम रुका और फिर बोलने लगा, “तो कुल मिलकर छह अन्य स्त्रियों को मैंने चोदा है, दादी को छोड़कर.”

अनन्या उस लड़की का नाम जानने को उत्सुक थी, पर वो इसके लिए प्रतीक्षा कर सकती थी.

अजीत: “ ये कुछ सीमा तक अच्छा भी है कि तुम्हें पांच स्त्रियों से सीखने का अवसर मिला. मेरे विचार से ये तीनों इस ज्ञान और अनुभव का भरपूर उपयोग करने वाली हैं. पर अब मुझे तुम सबकी इच्छा पूरी करनी है जो मुझे तुम्हारी दादी की चुदाई करते देखने के लिए उत्सुक थे.”

अनन्या ने ताली बजाकर अपनी सहमति दिखाई और अजीत खड़ा होकर अपने लंड को शालिनी के मुंह से लगाते हुए बोला, “थोड़ा इसे अपनी चूत में जाने के लायक बना दो.”

शालिनी तुरंत उठकर उसके लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी और कुछ ही क्षणों में उसे लोहे के समान कड़ा कर दिया. अजीत ने अपने लंड को शालिनी की प्यासी चूत पर लगाया और एक ही बार में पूरा पेल दिया. शालिनी के मुंह से एक हल्की से आह निकली, पर अनन्या की आह उससे अधिक तेज थी. अब कल तक की कुंवारी कली जिसकी चूत में इंच इंच करके लंड जाने में भी दर्द हुआ हो ऐसी एक बार की ठुकाई से तो आश्चर्यचकित होना ही थी. अदिति भी तेजी से गौतम के लौड़े पर हाथ चलने लगी. अजीत बस कुछ ही क्षण के लिए रुका और फिर वो अपनी माँ को एक सही और सधी गति से चोदने लगा. शालिनी भी गांड उछाल कर उसका साथ से रही थी.

“ये दोनों सच में चुदाई करते हुए कितने सुंदर लग रहे हैं न, मॉम। “ अनन्या ने प्रतिक्रिया दी.

“हाँ, और मुझे उन्हें साथ देखने का कई बार सुअवसर मिला है. अधिक तो नहीं पर इतना अवश्य समझती हूँ कि इनके प्रेम का कोई सानी नहीं है. और मुझे इसमें कोई आपत्ति भी नहीं है, क्योंकि इनका और मेरा प्यार एक मजबूत नींव पर रखा है.”

“वैसे मॉम, आपकी सच में प्रशंसा करनी चाहिए, कि आपको जलन नहीं होती.”

“होनी भी नहीं चाहिए. कल जब गौतम ने दादी की चुदाई की तो इनको थोड़ी भी ईर्ष्या नहीं हुई. और जब गौतम कुछ दिन बाद मुझे चोदेगा तब भी ये किसी भी प्रकार से दुखी या चिंतित नहीं होंगे.”

अजीत ने अपनी गति अब काफी तेज कर दी थी और शालिनी भी उसका पूरा साथ दे रही थी. दोनों हाँफते हुए एक दूसरे में समाने की चेष्टा कर रहे थे.

“माँ, आज तो बड़ी उछलकर चुदवा रही हो, पहले तो जल्दी रुक जाती थीं.” अजीत ठहरते हुए स्वर में बोला।

“सब मेरे पोते का किया धरा है, कल इसने ऐसी चुदाई की थी की मेरी सारे जोड़ खोल दिए. बूढ़ी हड्डियों में नयी शक्ति आ गयी इसकी चुदाई से.”

अजीत ये सुनकर और भी तेज चुदाई करने लगा. वो शालिनी को दर्शना चाहता था कि वो गौतम से कुछ कम नहीं है. शालिनी उसका जोर जोर चिल्ला कर उत्साह बढ़ा रही थी. दोनों के मिलन में एक ऐसा सौहार्द्य था जैसे वे दो शरीर नहीं बल्कि एक ही हों. पर शालिनी इस आयु में कितना और भुगत पाती। उसकी चूत हाथ डालने के लिए आतुर थी और शालिनी की चिल्लाहट में एक नयापन आ गया. उसकी चीखें अब ठहर कर आ रही थीं और शरीर भी अब थरथरा रहा था. काँपते हुए शरीर ने अंततः सुख के शिखर पर अपने आपको समर्पित कर दिया और उसकी चूत ने अपनी धार खोल दी.

अजीत का लंड अब छप छप की आवाज से मानो एक नदी में चप्पू चला रहा था. पर इतनी चिकनाई और अपनी गति से वो भी हार ही गया और उसने अपना गाढ़ा सफ़ेद वीर्य से शालिनी की चूत को भर दिया. उसके बाद वो अपनी माँ पर ढह गया और कुछ देर दोनों माँ बेटे एक दूसरे को चूमते रहे. इस पूरे समय अजीत अपने लंड को शालिनी की चूत में हल्के से चलता रहा. फिर जब वो बिलकुल सिकुड़ गया तो उसने चुम्बन तोड़ा और शालिनी के शरीर पर से उठ गया. अनन्या खड़ी होकर ताली पीटने लगी.

अदिति: “अनन्या, अब तुम्हारा ये नया पाठ है. जाकर अपने पापा के लंड को चाटकर साफ करो. मैं तुम्हारी दादी की चूत साफ करती हूँ.”

ये कहते हुए अदिति ने अनन्या को उठाया और दोनों अपने अपने लक्ष्य की ओर चल दिए. गौतम जिसका लंड खड़ा था उसकी ओर किसी ने देखा भी नहीं और वो बेचारा मन मसोस कर ही रह गया.

***************

कुछ देर बाद सब उठे और साफ सफाई के बाद बैठक में लौट आये. अदिति चाय बनाने के लिए किचन में चली गई. शालिनी भी उसके पीछे गई और किचन के दरवाजे का लॉक खोला. पर ये क्या? ये तो पहले से ही खुला था. अब शालिनी को काटो तो खून नहीं. इसका मतलब कि राधा घर में थी! क्या देखा उसने? इस चिंता में डूबी वो बैठक में जाकर बैठ गयी. अदिति को कुछ पता नहीं था, न ही उसको शालिनी ने कुछ बताया ही. वो इस नयी समस्या को सुलझाने का रास्ता ढूंढ रही थी. वो अभी कुछ कह नहीं सकती थी. राधा के आने और उसके व्यवहार से ज्ञात होगा कि उसने क्या देखा. अगर वे सब कमरे में जा चुके थे तो उसे कुछ भी नहीं दिखा होगा.

पर शालिनी को इस बात पर शक था. उसे अपनी इस गलती पर बहुत ही शर्म आयी. क्योंकि राधा हमेशा बता कर जाती थी. आज उसने कुछ नहीं बोला था, अर्थात वो घर में ही थी. जो भी हो, उसे ही इस बात को संभालना होगा. गौतम भी उसे चोदने के लिए उतावला है, तो हो सकता है कि लंड की रिश्वत से उसका मुंह बंद हो जाये. शालिनी को अपनी इस बात पर हंसी आ गयी. “हाँ, मैं गौतम के लंड से उसका मुंह बंद करवा दूंगी.” उसने मन में सोचा.

“क्यों हंस रही हो दादी?” गौतम ने पूछा.

“कुछ अच्छी बात ध्यान में आयी है, जिससे तेरा भी मन खुश हो जायेगा। पर बताउंगी कल, पहले निश्चिंत हो जाऊं.”

“ओह दादी. कुछ हिंट दे दो?”

“नहीं. क्या आज रात जब तू मेरी गांड मारने आएगा?”

“ओह हो, मैं तो भूल ही गया. मेरी तो आज लॉटरी जो लगी है.

इतने में अदिति चाय ले आयी और सब चाय पीने में व्यस्त हो गए. हर व्यक्ति एक अलग चिंतन में था. पर एक विचार सब के मन में था. कि हम सब अब अधिक निकट आ चुके हैं. कुछ ही देर में राधा भी आ गयी. शालिनी उसे कनखियों से ताक रही थी. पर उसे देखकर लगता नहीं था कि उसने कुछ देखा था.

“हम्म्म, कैसे उगलवाऊं इससे.”

जब राधा चाय के कप लेकर किचन में गई और उन्हें धोने लगी तो शालिनी भी किचन में चली गई.

“अरे आज तू बोल कर नहीं गई कि जा रही है. कब गई थी?”

राधा सकपका गई.

“माँ जी, बैठक में कोई दिखा नहीं तो मैं बिना बोले ही चली गई आज. मैंने सोचा सब नहा धो रहे होंगे.”

“और कब गई थी? शालिनी इतनी सरलता से उसे छोड़ने वाली नहीं थी.

राधा ने समय बताया. उस समय तो हम सब कमरे में थे. हो सकता है इसने कुछ न देखा हो.

“मैं कमरे में जा रही हूँ. आज कुछ देर हो गई. काम समाप्त करके आ जाना.” ये कहकर शालिनी अपने कमरे में चली गई.

राधा ने लम्बी साँस ली. फिर उसके मन में ये विचार आया कि आज तो साहेब के लंड का स्वाद मिलेगा माँ जी की चूत से. यही सोचते हुए वो उत्साह से अपने काम को जल्दी समाप्त करने में व्यस्त हो गई.

***************

राधा जब काम समाप्त करके शालिनी के कमरे में आयी तो शालिनी सोफे पर ही बैठी हुई थी.

“क्या हुआ माँ जी, आज मालिश नहीं करवानी क्या?”

“नहीं, आज बस तू अपना दूसरा काम कर.”

“जैसा आप कहो. कपड़े तो उतार लीजिये.”

शालिनी ने कपड़े उतार कर एक ओर रखे, वहीँ राधा ने भी अपने कपड़े निकले और एक ओर रख दिए. शालिनी वहीँ सोफे पर ही बैठकर अपने पांव फैला ली. ताजी ताजी चुदाई के कारण उसकी चूत कुछ फूली हुई थी और लालिमा लिए हुई थी. राधा को ये समझते देर नहीं लगी कि इनकी अच्छी चुदाई हुई है, पर वो कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं थी. तभी शालिनी की चूत में से कुछ सफेद सा द्रव्य बाहर निकला. इससे पहले कि शालिनी कुछ भी कर पाती राधा ने जीभ बढाकर उसकी चूत पर से उस रस को चाट लिया. और ये तय हो गया की ये वीर्य ही है.

राधा ने अपना मुंह शालिनी की चूत में डाल दिया और एक भूखी भिखारिन के समान उसे सड़प सड़प कर चाटने और चूसने लगी. अजीत का रस उसके इस पराक्रम से उसके मुंह में बहे जा रहा था. शालिनी को लगा कि उसने सफाई न करके बहुत बड़ी गलती कर दी थी. पर अब तीर कमान से निकल चुका था. शालिनी ने राधा का सिर पकड़ कर उसे अपनी चूत पर दबा लिया. राधा पूरी तन्मयता से उनकी चूत पिए जा रही थी. अब वो समय था जब शालिनी उससे सच्चाई उगलवा सकती थी.

“कहाँ थी तू जाने के पहले?”

चूत पर से मुंह हटाकर राधा बोली, “माँ जी छत पर टहल रही थी.”

“गोकुल के क्या हाल हैं, आजकल दिखता ही नहीं?”

“बाबूजी ने काम पर लगाया हुआ है.”

“अच्छे से चुदाई करता है तेरी?”

इस बार राधा सोचने लगी. उसे अपनी आँखों के सामने अजीत का मोटा लम्बा लंड झूलते हुए दिखने लगा.

“जी माँ जी. बहुत अच्छे से.”

“हम्म्म, लगता है तेरी गर्मी नहीं निकाल पाता है वो. तेरी जैसी जवान औरत को कैसे संभालता होगा?”

गोकुल राधा से आयु में कोई ७-८ साल अधिक था. शालिनी ने इसी बात का लाभ उठाया. और राधा उसके बिछाये इस जाल में आ फंसी.

“माँ जी, जितनी निकाल पाता उतनी बहुत है. अब और कौन करेगा ये?” कहते ही राधा को अपनी गलती का आभास हो गया.

“मेरी चूत का स्वाद कैसा लग रहा है?”

“हमेशा के समान मीठा और कसैला।” पर अब राधा समझ चुकी थी कि उसे सच्चाई बतानी ही होगी. “माँ जी, मुझे क्षमा करना. मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गयी.”

“हुंह, क्या कर बैठी अब?”

“माँ जी, मैंने छत से नीचे आकर बैठक में चल रहे खेल को देख लिया था. पर कसम से माँ जी, में किसी को नहीं कहूँगी, इनको भी नहीं.”

“ठीक है, तू तो मेरी बेटी के समान है, मैं जानती हूँ तू मुझसे विश्वासघात नहीं करेगी. सुन, मैं अजीत से कहकर गोकुल को ५-६ दिन के लिए बाहर भिजवाती हूँ. तू रात को मेरे ही कमरे में रहना कल से. फिर देखेंगे कि तेरी इस जवानी की आग को कैसे बुझाएं. पर ये तय है, कि अगर ये बात बाहर निकली तो चाहे मैं फांसी चढ़ जाऊं, पर तुझे नहीं छोडूंगी. मैं किसी को अपना घर तोड़ने नहीं दूंगी.”

शालिनी की शब्दों के तरीके ने राधा को चेता दिया कि वो अत्यधिक गंभीर हैं.

“माँ जी, आप जानती हो. मैं झूठी कसम नहीं कहती. ये बात मेरे मुंह से मरते दम तक नहीं निकलेगी.”

“ठीक है, चल आज के लिए इतना ही रहने दे. मैं अजीत से कहती हूँ गोकुल को बाहर भेजने के लिए. और तू चिंता न कर, तेरा भी ये राज कभी इस घर से बाहर नहीं जायेगा.”

राधा माँ जी को प्रणाम करके अपने काम के लिए निकल गयी. शालिनी ने भी कपडे पहने और अजीत से बात करने के लिए चल पड़ी.

**************

शालिनी तेजी के साथ अजीत के पास पहुंची और उसे बोला कि कुछ आवश्यक बात करनी है इसीलिए वो उसके कमरे में चले. अजीत को साथ लेकर वो कमरे में गयी और दरवाजा बंद कर लिया.

“क्या हुआ माँ, ऐसी क्या बात है जो अदिति के सामने नहीं हो सकती थी.”

“वो कहीं घबरा न जाये, बात ये है कि जब आज हम सब बैठक में थे तो राधा ने सब कुछ देख लिया है.”

“ओह, शिट! अब क्या होगा.”

“पहली बात ये है कि उसने चुप रहने का वचन दिया है. और मुझे नहीं लगता कि वो कहीं कुछ कहेगी. गोकुल से भी नहीं.”

“चलो, ये समस्या तो दूर हो गयी.”

“हाँ, और उसकी बातों से ये भी पता चल गया कि गोकुल उसे पूरी संतुष्टि नहीं दे पाता है.”

“ओके.”

“मैं चाहती हूँ, की गोकुल को कल से ५-६ दिन या अधिक के लिए किसी काम से बाहर भेज दो. इसके बाद हम राधा को ठीक से समझा देंगे.”

“पर आप तो कह रही हैं कि वो समझ चुकी है.”

“हाँ, पर कल वो पलट न जाये किसी कारण इसका भी हमें कोई सही न कोई प्रयोजन करना होगा.”

“ऐसा हम क्या कर सकते हैं?”

“तुमने सुना नहीं, गोकुल उसे संतुष्ट नहीं कर पाता है.”

“ओह, तो आप चाहती हो की मैं उसकी चुदाई करूँ ?”

“सही समझे. पर कल रात से मैंने उसे मेरे कमरे में ही सोने के लिए कहा है. और कल तो गौतम उसकी चुदाई करेगा. वो भी बहुत उत्सुक है उसकी चूत के लिए.”

“जवान लड़का है, तो चूत के लिए तो तत्पर ही रहेगा. ठीक है, तो मेरी जब भी आवश्यकता हो मुझे बता देना.”

“ठीक है. अभी तुम पहले गोकुल को भेजने का प्रबंध करो.”

अजीत चला गया और फिर उसने अपने दूसरे शहर के एक मित्र से बात की जो उसे कई दिन से किसी विश्वासपात्र आदमी के लिए कह रहा था, हालाँकि काम कुछ ही दिन का था पर गोपनीयता आवश्यक थी. समय निर्धारित करने के बाद उसने ऑफिस फोन किया और गोकुल को घर आने की आज्ञा दी. गोकुल के आने पर अजीत ने उसे अपने मित्र के कार्य के बारे में समझाया और ये भी बताया की ये किसी को भी न कहे. न घर में, न बाहर. अजीत ने कहा कि ये नियम वो स्वयं भी मान रहा है. इसके बाद उसे जाने की तैयारी करने के लिए कहा.

गोकुल अपने कमरे पर गया और उसने राधा को बताया कि उसे कल से सप्ताह भर के लिए बाहर जाना है. राधा जानती तो थी, पर उसके मन में फिर भी एक टीस सी उठी कि वो अपने पति को धोखा देने वाली है. पर वो ये भी जानती थी कि उन्हें इतने आराम की नौकरी और सुविधाएँ कोई और नहीं देगा. और न ही कोई इतना वेतन ही देगा. तो इसके लिए वो जो भी होगा, करेगी. पति पत्नी एक दूसरे की बाँहों में कुछ देर तक बंधे रहे फिर बिस्तर पर चुदाई में व्यस्त हो गए. आज न जाने क्यों राधा को गोकुल की चुदाई बहुत सुखदाई लगी. चुदाई के बाद दोनों सो गए और फिर एक घंटे के बाद उठे. राधा अपने काम पर बंगले में चली गयी और गोकुल अपना सामान बांधने लगा.

*************

शाम के सात बजने को थे. अजीत दोपहर में ऑफिस गया था और कुछ देर पहले ही लौटा था. अदिति ने उसे मुंह हाथ धोने और कपड़े बदलने के बाद उसकी ड्रिंक दी. शालिनी ने भी अदिति से उसके लिए एक ड्रिंक बनाने को कहा. अदिति उसे भी ड्रिंक बना कर लाई और फिर उनके साथ बैठ गयी. अनन्या और गौतम अभी लौटे नहीं थे. पर आने ही वाले थे. राधा किचन में काम कर रही थी, उसे आज जल्दी जाना था. वो ये समय गोकुल के साथ बिताना चाहती थी क्योंकि वो बाहर जा रहा था. उसके रहते किसी भी प्रकार का प्रेमालाप नहीं हो सकता था. पर सांकेतिक वार्तालाप तो संभव था.

“क्या हुआ माँ जी, आपका ड्रिंक लेने का मन कैसे हो गया आज?”

“मन तो हर दिन करता है, पर लेती नहीं थी बच्चों के कारण. पर अब जब बच्चे बड़े हो गए हैं तो अब अपने आप को रोकने का कोई अर्थ नहीं है.”

सभी बच्चों के बड़े होने का अर्थ समझ गए और उससे सहमति जताई. गौतम और अनन्या भी लौट आये और अपने कमरे में जाकर कपड़े बदलकर लौटे. राधा ने भी आकर बताया कि उसने खाना बना दिया है और वो शेष कार्य कल कर देगी. अदिति ने उसे जाने के लिए कहा. अब केवल परिवार वाले ही थे अकेले।

शालिनी ने अदिति को सीमित बात बताने का निश्चय किया. उसने अजीत की ओर देखा और फिर अदिति से बोली, “मुझे तुमसे कुछ बात करनी है, थोड़ा किचन में चलो.”

शालिनी ने किचन में जाकर ये बात न बता कर कि राधा ने उन्हें देख लिया है, उसे बताया कि गौतम राधा की चुदाई करना चाहता था तो उसने राधा को मना लिया है और इसीलिए गोकुल को बाहर भेजा है.

अदिति: ‘अगर उसे बाहर भेजा है तो अवश्य ही आप उसे अजीत से भी चुदवाने का संकल्प ले चुकी हैं. है न?”

शालिनी: “मुझे तो राधा की बात से उसकी इच्छा केवल अजीत के ही लिए लगी थी. इसीलिए मैं कल रात गौतम से चुदवा दूंगी. इससे हो सकता है कि अजीत से उसका मन कम हो जाये. पर ये सोच, इतनी भरोसे की कोई और मिलेगी नहीं. तो उसकी आग मुझाने में ही हमारी भलाई है. और गौतम गर्म लड़का है, आसानी से हम सबको चोद सकता है. हाँ उसकी बाहर की चुदाई पर कुछ अंकुश अवश्य लग जायेगा.”

“ठीक है, माँ जी. अपने सोचा है तो सही ही होगा. पर ये बात अलग से बताने की क्या आन पड़ी थी.”

“मैं ये बात दोनों बच्चों से नहीं करना चाहती और न ही उन्हें कल रात से पहले कुछ भी भनक पड़नी चाहिए.”

“ओके.”

ये कहकर दोनों बैठक में आ गयीं.

************

जब दोनों वापिस सोफे पर बैठीं तो अनन्या चहकते हुए बोली, “मॉम, मैं आज भी आपके साथ सो जाऊं?”

सभी उसकी इस बात पर हंसने लगे.

अदिति हँसते हुए, “अब तुझे मैं कैसे मना करूँ पर ये बता कि मुझे क्या मिलेगा.”

अनन्या सोच में पड़ गयी फिर बड़ी धीमे स्वर में बोली, “मैं आपकी चूत चाटूँगी. पर आपको मुझे सीखना पड़ेगा.”

अदिति: “हाँ हाँ क्यों नहीं, तुझे तो मैं सिखाऊंगी और फिर दादी तेरी परीक्षा लेंगी कि क्या और कितना सीखा.”

शालिनी: “हाँ ये सही है. तो चलो अब खाना खा लिया जाये नहीं तो ठंडा हो जायेगा.”

अजीत: “कुछ देर और रुको, मैं एक ड्रिंक और लूंगा.”

अदिति उठी और अजीत के गिलास को ले जाने लगी. फिर वो शालिनी के सामने रुकी और पूछा क्या वो भी लेना चाहेगी? शालिनी ने अपना गिलास उसे देते हुए हामी भर दी. अदिति जाने लगी और उसके पीछे गौतम भी चला गया.

गौतम: “मॉम, क्या मुझे भी एक ड्रिंक मिल सकती है. मैं दोस्तों के साथ पी लेता हूँ कभी कभी.”

अदिति सोच में पड़ गई, फिर सोचा कि अगर ये चोद सकता हैं तो पीने से रोकना व्यर्थ है. उसने गौतम को एक ग्लास लाने के लिए कहा और ड्रिंक बनाने में लग गई. गौतम ग्लास लाया तो उसके लिए भी अदिति ने ड्रिंक बनाई.

फिर धीरे से बोली, “ये वाला यहीं पी ले, और फिर दूसरा वहां ले चलेंगे.”

गौतम खुश हो गया और दो ही घूँट में अपनी ड्रिंक समाप्त की और अदिति ने उसे नयी ड्रिंक बनाकर दी और फिर दोनों बैठक में चले गए. गौतम के हाथ में ग्लास देखकर सब चौंक गए. फिर अजीत ने अपनी ड्रिंक ली और गौतम को चियर्स कहकर उसके घूँट लेने लगा.

“आपको बुरा तो नहीं लगा कि मैंने गौतम को ड्रिंक दे दी?” अदिति ने अजीत से पूछा.

“मुझे पता है कि ये कभी कभार पीता है. और अब जब हम सब हर चीज़ खुल कर रहे हैं तो ये भी ठीक ही है. कम से कम ये सीमा में रहेगा.”

“थैंक यू, पापा.”

“फिर मैं? “ अनन्या ने पूछा.

“जब तेरा मन करेगा तब पी लेना. पर अभी तो तुझे इसका अनुभव नहीं है तो जितना हो सके इससे दूर ही रह.”

“ओके, पापा. मैं समझ सकती हूँ.”

ड्रिंक के बाद सब खाने के लिए गए और फिर बर्तन रखने के बाद नए प्रबंध के अनुसार अपने कमरों में चले गए. अनन्या अदिति के साथ उसके कमरे में और गौतम शालिनी के साथ उसके कमरे में.

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शालिनी का कमरा


शालिनी गौतम को लेकर अपने कमरे में पहुंची और कमरा लॉक कर दिया. फिर उसने गौतम की ओर देखा और बोली, “मैं बाथरूम से आती हूँ. तब तक चाहे तो दो ड्रिंक बना ले, मेरी उस अलमारी के अंदर रखी है बोतल.”

गौतम: “वाओ, दादी. आप तो बड़ी कलाकार निकलीं.”

शालिनी बाथरूम में गयी और गौतम ने दादी की बताई अलमारी खोली और बोतल ढूंढ निकाली। फिर उसने दो ड्रिंक बनाये और दादी के लिए रुक गया. फिर कुछ सोचकर अपने कपड़े भी उतार दिए और नंगा अपने लंड को सहलाते हुए बैठ गया. शालिनी बाथरूम से निकली तो वो भी निर्वस्त्र ही थी. गौतम को देखकर वो मुस्कुराई.

शालिनी: “हम दोनों के मन एक जैसा सोचने लगे हैं अब तो.”

ये कहते हुए वो भड़काती हुई चाल में गौतम के पास आयी और उसकी गोद में बैठ गयी. गौतम के चेहरे को पास लेकर उसने उसे चूमा और फिर उठकर अपनी ड्रिंक ली और उसके सामने बैठ गयी. नंगी दादी निर्लज्जता ने अपने पांव फैलाकर गौतम को अपनी चूत के दर्शन करा रही थी.

“बड़ी औरतें चोदी हैं तूने तो, फिर मेरी जैसी बुढ़िया पर क्यों मरता है?”

“क्योंकि आप मेरी दादी हो, और मेरे लिए आप उन सबसे अधिक सुंदर हो. और आपसे मेरा मन का भी सम्बन्ध है, जबकि उनके साथ केवल शरीर की भूख. और सच कहूँ तो मैंने किसी को नहीं फँसाया, बल्कि उन्होंने ही मुझे फँसाया था और बाद में मुझे इसमें बहुत मजा आने लगा तो रुकने का कोई प्रश्न ही नहीं उठा.”

“ये बात सच है, ये एक ऐसी भूख है जो मिटाने से और बढ़ती है. तेरे दादाजी और मैं एक दूसरे को संतुष्ट करते थे. पर मुझे फिर भी अजीत से अपनी प्यास बुझानी पड़ी. पर ये तय है, अगर अजीत न होता तो मैं किसी और के पास तो किंचित भी नहीं जाती. घर में बात रही तो सब ठीक ठाक चलता रहा.”

“दादाजी को कभी शक नहीं हुआ?”

“मुझे लगता है कि उन्हें पता चल गया था. हालाँकि उन्होंने कभी ये दर्शाया नहीं, पर उनका व्यव्हार अजीत के प्रति बदल गया था. पर तब तक उनकी बीमारी भी बढ़ गयी थी. वो हमेशा अजीत को एक बात कहते थे कि मेरे जाने के बाद शालिनी का पूरा ध्यान रखना, इसे किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं होने देना. इसीलिए मैंने उनके अंतिम दिनों में अजीत का साथ छोड़ दिया था. मैं नहीं चाहती थी कि वे किसी प्रकार के दुःख के साथ जाएँ। “

“बहुत अच्छे आदमी थे न दादी? हम दोनों को तो इतना प्यार करते थे कि हम हमेशा आप लोगों के पास आने को उत्सुक रहते थे.”

दादी के चेहरे पर एक दुःख की छाया सी आयी, जैसे उन्हें कुछ याद सा आया हो. उनकी ऑंखें भीग गयीं.

“क्या हुआ दादी?”

“मुझे अभी उनकी एक बात याद आयी. मुझे लगता है कि उन्हें पक्का पता चल गया था अजीत और मेरे बारे में?”

“कैसे?”

“जाने के कोई एक महीने पहले जब तुम और अनन्या वहाँ आये हुए थे, तो उन्होंने मुझसे कहा था.

“देखना शालू, तेरा जितना ध्यान अजीत रखता है न, उससे भी अधिक ध्यान तेरा ये पोता गौतम रखेगा. तुझे हर प्रकार का सुख देगा ये. और जब ऐसा हो तो मेरी ये बात याद करना.”

दादी उठी और जाकर दादाजी के चित्र के सामने खड़ी हो गयीं. उन्हें ये आभास भी नहीं हुआ कि वे इस समय निर्वस्त्र हैं.

“आप सच कहते थे. कल तो मैं आपकी बात भूल गयी थी, पर आज मुझे याद आ गयी है. और मैं आपकी स्मृति में इसे भी उतना ही सुख दूंगी जितना ये मुझे देगा.” ये कहकर हाथ जोड़कर वो लौट आयीं, उनकी ऑंखें अभी भी भीगी हुई थीं.

गौतम चुप रहा, उसने कुछ भी कहना उचित नहीं समझा. फिर शालिनी ने अपनी ड्रिंक एक घूँट में समाप्त की और गौतम की गोद में आकर बैठ गयी. शालिनी के गौतम के होंठों पर अपने होंठ रखे और उसे चूमने लगी. गौतम के हाथ उसकी नंगी पीठ पर रेंगने लगे और फिर उसने उन्हें थोड़ा नीचे शालिनी के नितम्बों पर रखा और उन्हें दबाने लगा.

शालिनी: “मेरी गांड में लंड गए हुए कई दिन हो चुके हैं. तेरा बाप कई बार गांड मारने के लिए कहता है, पर न जाने क्यों मेरा ही मन नहीं किया. हाँ राधा से मैं गांड चटवाती हूँ और वो बहुत स्वाद लेकर चाटती भी है. पर आज तेरे लंड ने इसका बहुत दिनों का उपवास तोडना है, तो बहुत जल्दी मत करना. कल तूने मेरी हड्डियां हिला दी थीं.”

गौतम: “नहीं दादी, मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूँगा. मैं तो कहता हूँ कि आप ऊपर से अपनी गांड में लंड लेना जिससे आप गति और गहराई दोनों पर नियंत्रण रख पाओ. फिर आप जैसे चाहोगी, वैसे ही करेंगे.”

“मेरा प्यारा बच्चा. पहले आकर मेरी चूत और गांड चाटकर थोड़ा मुझे भी गर्म कर दे, फिर मारना मेरी गांड. और फिर चूत , फिर गांड, फिर…”

गौतम हंस कर: “दादी, क्या आज रात भर चुदने का मन है? फिर कल क्या करोगी ?”

शालिनी: “कल क्या पता क्या होगा, आज की रात तो मेरी हर इच्छा पूरी करने की है. चल अब उठ.”

शालिनी गौतम के साथ बिस्तर पर गई और घुटनों और कहनी के बल घोड़ी के आसन में आ गयी. उसने अपने कूल्हे कुछ इस प्रकार से ऊँचे उठाये कि उसकी चूत और गांड दोनों ही सामने उभर कर आ गयीं. गौतम ने अपना स्थान लिया और शालिनी की चूत पर पानी उँगलियाँ चलाने लगा. फिर उसने एक ऊँगली अपने मुंह में डालकर उसे गीला किया और शालिनी की चूत में डाल दी. शालिनी की चूत की गर्मी और गीलेपन का उसे तुरंत ही आभास हो गया. वो हल्के से ऊँगली चलाने लगा और फिर उसे निकल कर अपना मुंह उसपर लगा दिया और बहते हुए स्त्राव को चाटने का प्रयास करने लगा.

चाटते हुए उसे अपनी जीभ को शालिनी की चूत में डाला और उसे अंदर घूमने लगा. शालिनी आनंद के सागर में बह रही थी. उसका शरीर इसके लिए कितनी देर से प्रतीक्षा कर रहा था, ये उसे भी नहीं पता था. गौतम की जीभ उसके अंदरूनी गीलेपन को सहेजने में लगी थी. जब उसे लगा कि उसने इस छेद पर पर्याप्त ध्यान दे लिया है तो उसने अपने चेहरे को ऊपर उठाया और शालिनी के नितम्ब चाटने लगा. वो एक गोलाई में चाट रहा था और उस गोलाई का केंद्र शालिनी की गांड का लुप्लप करता हुआ भूरा छेद था. और ये छेद ऐसे खुल बंद हो रहा था मानो जैसे साँस ले रहा हो.

गौतम कुछ ही समय में अपने केंद्र पर पहुँच गया और उसने शालिनी की गांड के सिलवट पड़े भूरे क्षेत्र को चाटकर उसे गीला कर दिया. फिर हल्के हल्के प्रहारों से वो जीभ से उस छेद पर प्रहार करते हुए उसे खोदने का प्रयत्न करने लगा. पर वो गुफा का द्वार इतने सरलता से खुलने वाला नहीं लग रहा था. अंततः गौतम को अपने दोनों हाथों का भी प्रयोग करना पड़ा और उसे फ़ैलाने के बाद उसे उसके अंदर प्रवेश का रास्ता दिखाई दे ही गया. उसकी जीभ एक सर्प की भांति उस गुफा में प्रवेश कर गई. और शालिनी का पूरा शरीर एक नयी संवेदना से सिहर उठा.

*************


अदिति का कमरा


अदिति, अजीत और अनन्या अपने शयनकक्ष में पहुंचे तो अदिति वहीँ अपने कपड़े निकालने लगी.

अनन्या: “मॉम, पर आपको डॉक्टर ने मना किया है.”

अदिति: “पर क्या तुम अपनी बात इतनी जल्दी भूल गयीं? तुमने मेरी चूत चाटने का वचन दिया था.”

अनन्या: “ओह, हाँ. पर आपको मुझे बताना होगा.”

अदिति: “तेरे पापा को देखना कि वे क्या क्या करते हैं और उसी का अनुशरण करना. इनके जैसा शिक्षक तुझे कभी नहीं मिलेगा.”

अनन्या: “ओके, मॉम.”

अदिति: “अब कपड़े उतार ले, नहीं तो तेरे पापा कैसे चोद पाएंगे तुझे.”

अनन्या ने तुरंत ही अपने कपड़े उतार फेंके. अजीत उसके इस उतावलेपन पर हंसने लगा. वो भी अब तक नंगा हो चुका था.

अजीत: “इसे देखकर मुझे तुम्हारी जवानी याद आ गयी, अदिति. याद है हम कमरे में अंदर भी नहीं आ पाते थे और तुम नंगी हो जाया करती थीं.”

अदिति: “याद क्यों नहीं होगा. आज भी तो वही करती हूँ, हाँ पर अब पहले बाथरूम में जाकर मुंह हाथ धोती हूँ. जैसे मैं अब जा रही हूँ.”

अदिति के आने के बाद पहले अजीत और फिर अनन्या भी बाथरूम से होकर आये. जब अनन्या बाहर आयी तो देखा कि अदिति बिस्तर के एक कोने के त्रिकोण पर लेटी हुई है और उसके पांव दोनों ओर फैले हुए हैं. अजीत ने अनन्या का हाथ लिया और उसे एक ओर बैठाया और स्वयं दूसरी ओर बैठ गया.

“अब जैसा मैं करूँगा, वैसा ही तुम्हे भी करना है.” अजीत ने उसे समझाया.

अनन्या को इस विचित्र आसन का अर्थ तब समझ में आया. इस प्रकार से बाप बेटी एक एक करके बिना हटे हुए अदिति की सेवा कर सकते थे. अजीत ने अदिति की चूत के ऊपर अपनी उँगलियाँ चलाईं और फिर कुछ तेजी से उसे सहला कर छोड़ दिया. अनन्या देख रही थी. जब उसने कुछ भी नहीं किया तो अजीत ने उसे टोका. अनन्या जैसे सोते से जगी और उसने भी उसी प्रकार से अदिति की चूत पर ऊँगली चलकर तेजी से सहला कर छोड़ दिया.

“ऐसा करने से चूत को आभास हो जाता है कि उसकी सेवा होने वाली है और वो भी उत्सुक हो जाती है. देखो.”

ये कहते हुए अजीत ने अदिति की चूत की फाँको को फैलाया तो अनन्या को उसपर कुछ नमी सी दिखी। इसके बाद अजीत ने अदिति के भग्नाशे पर ऊँगली चलाई और फिर अंत में उसे पकड़ कर हल्के से मसल दिया. फिर उसने अनन्या की ओर देखा तो अनन्या ने वही चरण दोहराये. भग्नाशे के छेड़ने से अदिति एकदम से उत्तेजित हो गयी. इस बार अजीत ने फिर अनन्या को चूत का निरीक्षण कराया. ये समझने में अनन्या को देर नहीं लगी कि अब चूत में नमी की मात्रा बढ़ गयी थी और वो अंदर से भीगी हुई प्रतीत हो रही थी.

“भग्नाशा, जिसे अंग्रेजी में क्लिट कहते हैं, किसी भी स्त्री की उत्तेजना भीषण रूप से बढ़ा देती है. कई स्त्रियां तो केवल इसके मसलने से ही स्खलित हो जाती हैं. ये समझो कि अगर इससे खेलने में निपुण हो गयीं तो तुम किसी भी स्त्री को अपने वश में कर सकोगी. अब जो हमने उँगलियों के माध्यम से किया वही तुम्हें अपनी जीभ के द्वारा करना है. पर ये समझो कि जीभ अत्यंत मुलायम होती है तो तेजी से सहलाने के लिए ये काम नहीं आएगी. अब चाटो। ”

जैसे ही अनन्या आगे झुकी तो अदिति की चूत की मादक सुगंध उसके नथुनों में भर गयी. उसने गहरी साँस लेकर उस का आनंद लिया और फिर अपनी जीभ अदिति की चूत पर चलाने लगी. अदिति सिहर उठी. हालाँकि अनन्या ने नया कुछ भी नहीं किया था, परन्तु बस इस भाव से कि उसकी बेटी ने आज पहली बार उसका स्वाद लिया है, अदिति आनंदित हो गयी.

अनन्या आरम्भ में तो बहुत हल्के हल्के चूत को चाटती रही फिर उसे उसका स्वाद और सुगंध इतनी भाई कि वो मन लगाकर कर उसमे रम गई. उसके चाटने से न केवल अदिति को आनंद आ रहा था पर साथ में बैठ कर अजीत भी अनन्या की अपनी माँ की चूत के प्रति निष्ठा को देख रहा था.

“अदिति, अपनी बेटी को तुम्हारा स्वाद बहुत भा रहा है लगता है. ये तो बिना कुछ और बताये ही देखो कितने प्यार से तुम्हे चाट रही है.”

“सच में, अगर बिना अनुभव के ये इतनी अच्छी है तो कुछ ही दिनों में तो पारंगत हो जाएगी. इसकी दादी बहुत गर्व करेंगी.”

अपनी प्रशंसा सुनकर अनन्या फूली न समायी और अपने प्रयास में और भी तेजी ले आयी. फिर उसे अपनी माँ के भग्नाशे का ध्यान आया और वो उस पर भी जीभ चलाने लगी. फिर न जाने उसे क्या मन में आया उसने उस उभरे हुए फुदकते भग्नाशे को अपने होठों में लिया और उसे होठों से ही मसलने लगी.

अदिति उछल गयी, “उई माँ.”

और उसने एक बड़ी धार अनन्या में मुंह पर छोड़ दी. अब अनन्या इस से परिचित नहीं थी तो वो समझी कि अदिति ने पेशाब कर दिया है. पर जैसे ही उसने अपना मुंह हटाया उसने पाया कि उसके पापा उस धार में मुंह लगा चुके हैं. उसे इस बात पर बड़ा अचरज हुआ.

“पापा! वो मम्मी का सूसू था.”

“नहीं, ये मम्मी का रस था जो उसके झड़ने का प्रमाण है. तुमने इतने कम समय में ही इसका रस निकाल दिया. तुम सच में बहुत भी प्रतिभावान हो.”

अब तक अदिति का झड़ना रुक चुका था. उसने अपनी संतुष्टि जताते हुए अनन्या को शाबाशी दी और फिर उठकर बैठ गई.

अदिति: “मेरा तो आज के लिए हो ही गया. अब बस मैं ठीक हो जाऊं तो इसके आगे कुछ होगा.”

अजीत: “वैसे तुम्हें अब कैसा लग रहा है.”

अदिति: “अब मुझे कोई समस्या नहीं है. मैं तो चाहूंगी कि हम डॉक्टर से इसी सप्ताह मिल लें तो ठीक रहेगा. निरीक्षण भी हो जायेगा और आगे के लिए भी पता लग जायेगा. कुछ नहीं तो दवाइयाँ तो बदलेंगी. इन दवाइयों से मुझे बहुत सुस्ती रहती है.”

अजीत: “ठीक है, मैं कल ही उनसे बात करके समय लेता हूँ. परसों जा सकेंगे मेरे विचार से.”

अदिति: “जैसा भी है. अब तुम दोनों खेलो, मुझे तो थकान होने लगी है. ये दवाइयां तो बदल ही दें तो अच्छा होगा.”

ये कहते हुए अदिति बिस्तर की एक ओर लेट गयी और कुछ ही क्षणों में उसकी आंख लग गयी. अजीत अपनी पत्नी की ओर देखता हुआ उसकी स्थिति पर चिंतित सा था.

अनन्या: “पापा, आप डॉक्टर से समय लीजिये. मम्मी मेरे विचार से अब ठीक हैं, अब उनके चलने और झुकने में मुझे कोई समस्या नहीं दिख रही है. और आप भी चिंता मत करो. वो अब ठीक हैं. आप तो बस उनकी चुदाई करने का सही समय देखो. बहुत तरस गयी हैं.”

अजीत: “ठीक तो हो जाये. मैं इसे दिन रात इतना चोदुँगा कि इसकी सारी कमी पूरी कर दूंगा इतने दिनों की.”

अनन्या: “ये मत भूलिए कि अब आपके पास गौतम भी होगा आपके बोझ बाँटने के लिए.” कहकर अनन्या हंस पड़ी.

अजीत भी हँसते हुए बोला, “हाँ जैसे तू अपनी माँ का बोझ बाँट रही है.” ये कहते हुए उसने अनन्या को चूमा और उसे बिस्तर पर लिटाकर उसकी चूत में अपना मुंह डाल दिया.

***************


शालिनी का कमरा


जिस तन्मयता से गौतम शालिनी की गांड चाट रहा था उसे देख कर ये प्रतीत होता था जैसे वो कोई छप्पन भोग कर रहा हो. उसकी जीभ जहाँ तक सम्भव था शालिनी की गांड में प्रवेश करके उसका रोम रोम को भिगा रही थी. शालिनी भी इस सुख से दुहरी हो रही थी. हालाँकि राधा हर दिन उसे ये सुख देती थी, पर जिस प्रेम और भक्ति से गौतम उसकी गांड को चाट रहा था वो उसमे नहीं थी. जब गौतम को लगा की दादी की गांड अब पूर्ण रूप से उसके लंड के लिए इच्छुक हो गयी है तो वो खड़ा होकर अपने बलशाली लंड को शालिनी के मुंह के पास ले आया.

“दादी, अब थोड़ा इसे भी अपनी गांड में जाने के लिए थोड़ा गीला कर दो.”

शालिनी ने आव देखा न ताव और तपाक से लंड को मुंह में लिया और चाट चाट कर थूक से रज दिया. गौतम ने अपने थूक से लिपटे हुए लौड़े को दादी के मुंह से निकाला और इस बार उन्हें घोड़ी के आसन में दोबारा लिटा दिया. शालिनी आंख और साँस बंद करके अपनी गांड में अपने पोते के मोटे लौड़े की प्रतीक्षा करने लगी. और उसे अधिक समय रुकना भी नहीं पड़ा. उसे अपनी गांड के छेद पर एक दबाव का आभास हुआ और फिर उसे लगा जैसे उसकी गांड चौड़ी होने लगी है. गौतम ये जानकर कि उसकी गांड बहुत दिन से बंद है और फिर वो गांड उसकी प्यारी दादी की है, एक कछुए की गति से उसमे लंड डाल रहा था.

पक्क की एक हल्की सी ध्वनि के साथ ही गौतम का सुपाड़ा शालिनी की गांड में प्रवेश कर गया. गौतम रुककर इस नए संवेदन का आनंद लेने लगा. चूत और गांड दोनों में बहुत अंतर होता है. जहां चूत अपना रस छोड़कर राह को सरल करने का प्रयास करती है, गांड के पास अपनी रक्षा का ऐसा कोई भी अस्त्र नहीं होता. और इसीलिए भी गांड मारने में बहुत महारथ की आवश्यकता होती है. अनावश्यक तीव्रता या बल दोनों को चोटिल कर सकती है. पर यहाँ गौतम का अन्य स्त्रियों से सीखे हुए गुर काम में आये. उसने मन ही मन अपनी उस प्रोफ़ेसर का धन्यवाद किया जिसने उसे इस राह का सफल यात्री बनाया था.

कुछ पल उस तंग, गर्म और मुलायम कैद का आनंद लेने के बाद उसने पाया कि उसकी दादी सामान्य ही थी तो उसने अपने लंड को धीमी गति से अंदर डालने लगा. शालिनी उसकी इस बाजीगरी पर अचरज में थी. उसे गौतम से इतने धैर्य की आशा नहीं थी. जब लंड ने ४-५ इंच की दूरी तय कर ली तो शालिनी से रहा नहीं गया.

शालिनी: “बेटा, ये ठीक है कि मेरी गांड कई दिन से मारी नहीं गयी है. पर ये ऐसी कोरी भी नहीं कि इतना संभाल के मारे। कुछ तो जोर दिखा. तूने तो कल मेरी हड्डियां चटखा दी थीं, तो आज क्यों ऐसी सुस्ती दिखा रहा है. प्यार से मार पर इतने भी प्यार से नहीं कि मैं यूँ ही मर जाऊं.”

गौतम ये सुनकर कुछ आश्वस्त हुआ और उसने दबाव बढ़ाया और कुछ ही पलों में उसका पूरा लौड़ा उसकी दादी की गांड की गहराई नाप चुका था. अपने लंड के चारों ओर से गर्म करती हुई दादी की गांड की मांस पेशियाँ उसे एक अन्य ही सुख प्रदान कर रही थीं.

“दादी, पूरा लंड खा लिया आपकी गांड ने.”

“तो फिर चोद, प्यार से चोद, पर रुकना मत.”

गौतम अपने लंड को शालिनी की गांड में एक पिस्टन की भांति चलाने लगा. कुछ देर के बाद गांड की पेशियाँ भी ढीली पड़ गयीं और उसकी राह पहले से सरल हो गयी. इस कारण उसने अपनी गति बढ़ा दी. शालिनी को आनंद की अनुभूति हो रही थी जो उसे कई दिनों से अनुभव नहीं हुई थी. पर वो जानती थी कि अब गौतम का लौड़ा उसकी गांड का नियमित यात्री हो जायेगा. उसके मन में ये विचार भी कौंधा कि कल राधा को उसकी गांड से भी नया स्वाद मिलने वाला है.

गौतम को भी अपनी दादी की गांड मारने में बहुत अधिक सुख मिल रहा था. अब गांड तो वो पहले भी मार चुका था, पर आज के इस सहवास का आनंद कुछ और था. कुछ दिन पहले वो स्वयं को इस परिस्थिति में होने का स्वप्न भी नहीं देख सकता था. उसने कभी सोचा भी न था कि एक दिन ऐसा आएगा जब वो न सिर्फ अपनी दादी को चोद पायेगा बल्कि उसकी गांड भी मार लेगा. यही कुछ भावनाएं थीं जिसने उसका मन भटका दिया और उसने अनअपेक्षित रूप से अपनी गति बढ़ा दी. शालिनी ने भी अब अपनी गांड में चल रहे मूसल की कुटाई की बढ़ती हुई चोटों अनुभव किया. पर वो अपने पोते के प्रेम से इतनी विव्हल थी कि उसने कोई आपत्ति नहीं की. बल्कि उल्टा वो उसे प्रोत्साहित करते हुए और तेजी से गांड मारने का आव्हान करने लगी.

दादी की इन सीत्कारों से गौतम का ध्यान चल रहे कुकर्म की ओर लौट आया और उसने पाया कि दादी तो उसे और तेज चुदाई के लिए पुकार रही है. गौतम समझ गया कि दादी का असली रूप अब निखर कर सामने आया है और उसे भी थोड़ी ताबड़तोड़ गांड तोडू चुदाई की इच्छा है. फिर क्या था गौतम ने अपने दोनों पांव जोर से जमाये और लम्बे गहरे धक्कों से शालिनी की गांड में लंड पेलने लगा. उसका लंड अब ऐसी तेजी से अंदर बाहर हो रहा था जिसे देख पाना भी असंभव था. शालिनी को भी अपनी गांड में ऐसे चल रहे अपने पोते के लंड से इतना आनंद आ रहा था जिसका वो वर्णन करने में असमर्थ थी.

शालिनी की चूत भी गौतम के लंड के प्रहार अनुभव कर रही थी. गांड और चूत के बीच की पतली झिल्ली इस दुविधा में थी कि चुदाई हो किसकी रही है. और जब शालिनी आनंद में झूमने लगी तो उसकी चूत भी अपनी स्वीकृति दिखाने के लिए रस छोड़ने लगी. अगर गौतम के धक्के थोड़े भी धीमे होते तो शालिनी अपनी चूत को सहलाने का प्रयास करती. पर इन धक्कों की शक्ति के कारण वो अपना आसन तोड़ने की स्थिति में नहीं थी. पर गौतम की ट्रेनिंग फिर काम में आयी और उसने पैंतरा बदला और बिना गांड में लंड की गति कम किये हुए अपने एक हाथ से शालिनी के भग्नाशे को मसलने लगा.

अब शालिनी से सहन नहीं हुआ और उसकी चूत झरने के समान बहते हुए झड़ने लगी. और जब उसका झड़ना रुका तो शालिनी भी ध्वस्त हो चुकी थी. गौतम भी अब अपने चरम के निकट था तो एक असामान्य गति और पाशविक शक्ति के साथ शालिनी की गांड पेलने लगा. और जब शालिनी ढहने लगी तभी गौतम भी झड़ने लगा और दादी की गांड सींचने लगा. अपनी गांड में गिरते हुए रस के आभास से शालिनी कुछ क्षणों के लिए फिर से जाग्रत हुई. पर आयु की सीमा ने उसे फिर शिथिल कर दिया. अपना पूरा रस दादी की गांड में डालने के बाद कुछ देर तक गौतम यूँ ही लंड चलाता रहा और फिर धीमे से बाहर निकालकर शालिनी की बगल में लेट गया.

“सच में बेटा, जिसने भी तुझे सिखाया, उसकी में सदा ऋणी रहूंगी. क्या दमदार चुदाई करता है रे तू. अब ये समझ ले कि मेरी गांड का रखवाला है तू. मेरी गांड मारने का इकलौता लाइसेंस तुझे है. पर थोड़ी देर मुझे अब आराम करने दे फिर मेरी चूत की भी कुछ सेवा कर देना. ”

“आप जैसा कहो, दादी.” कहकर गौतम ने उन्हें बाँहों में भर लिया.

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राधा के घर:


गोकुल अपने सामर्थ्य के अनुसार राधा की चुदाई में लगा हुआ था. आज न जाने क्यों राधा को भी इसमें बहुत आनंद आ रहा था. उसे ये आभास ही नहीं था कि वो कल गोकुल के जाने की राह देख रही थी. और तो और वो इस समय गोकुल से चुदवा तो रही थी पर उसकी आँखों के आगे अजीत का तगड़ा लंड झूल रहा था. कल रात शायद दादी उसे अजीत को समर्पित करने वाली हैं. इस विचार से राधा एक बार और झड़ गयी. कुछ देर में गोकुल भी अपने रस को उसकी चूत में छोड़कर शांत हो गया. पास में लेते हुए दोनों बात करने लगे.

गोकुल: “क्या हुआ रानी, आज तो तुम्हारा तीन चार बार हो गया.”

राधा बात छुपाते हुए बोली” “आप जा जो रहे हो इतने दिन के लिए. बस इन यादों के ही सहारे निकालने होंगे ये दिन.”

गोकुल: “चिंता न कर मैं जल्दी ही लौट आऊंगा.”

दोनों एक दूसरे की बाँहों में खोये हुए कुछ देर में सो गए.


क्रमशः
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कैसे कैसे परिवार
मिश्रण २.१
भाग B1


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कामिनी का पूर्ण सदस्यता का इंटरव्यू समापन


कामिनी ने अपने मोबाइल को बंद किया और शून्य में निहारने लगी. दिंची क्लब से फोन आया था और उसकी सदस्यता के लिए उसके बाकी के साक्षात्कार के लिए उसे कल बुलाया था. शून्य में देखती वो उस दिन की यादों में खो गयी जब पार्थ ने उसे सम्पूर्ण स्त्री बनाया था. पर उसे ये भी याद था कि अभी उसकी सदस्यता के निर्धारित होने के लिए उसे अपनी गांड समर्पित करनी शेष थी. गांड की सील तुड़वाने के विचार से उसका शरीर कांप गया. उसने कभी अपनी गांड में ऊँगली भी नहीं डाली थी. और कल उसे पार्थ के उस विशाल लंड को उसके अंदर लेना था. वो डर और रोमांच से व्यथित हो उठी. अचानक उसे कुछ याद आया और वो अपने कमरे में गई. अपनी अलमारी खोलकर एक छुपे हुए छोटे से बक्से को निकाला। उसमे एक गांड का प्लग था. उसके ही साथ उसमे एक तेल की बंद शीशी भी रखी थी.

उसे याद आया कि जब वो उस दिन क्लब से जाने को हुई तो सोनम ने उसे ये बक्सा दिया था. उसके बाद वो उसे बाथरूम में ले गयी थी और अपने साथ लाये एक दूसरे बक्से में से तेल और प्लग निकालकर कामिनी को दिखाया कि उसका प्रयोग कैसे किया जाता है.

“जब भी आपको क्लब से इंटरव्यू समाप्त करने का आमंत्रण मिले, उसी समय से आप इस प्लग को अपनी गांड में डाल लेना. हाँ अगर बाथरूम जाओ, तो निकाल अवश्य देना. अगर एक दिन लगा कर रखोगी तो युम्हारी गांड अभ्यस्त हो जाएगी और थोड़ी खुल जाएगी. अन्यथा पार्थ सर का लंड तो अपने देखा ही है. आपको बहुत कठिनाई होगी. दर्द भी होगा.”

इसके बाद उसने बक्से में से दूसरी लाल रंग की शीशी निकाली। “जब आप क्लब में आ जाएँ तो आपके निर्धरित कक्ष में जाकर आपको इस शीशी से तेल निकालकर उसी प्रकार से प्लग को लगा लेना ही.”

“इस शीशी में क्या है?”
“इसमें दवाई है जिससे की आपकी गांड की मांस-पेशियाँ कुछ समय के लिए ढीली पड़ जाएँगी. इससे आपको बिलकुल भी दर्द नहीं होगा. पर क्यूंकि इसका असर केवल १ घंटे ये उससे कम ही रहता है, इसीलिए आप इसे यहाँ अपने कमरे में हो लगाना.”

कामिनी ने उस बक्से को संभाल के छुपाया हुआ था. और आज उसके प्रयोग का समय आ चूका था. कामिनी उस बक्से के साथ बाथरूम में चली गई.

प्लग को अपनी गांड में डालना कामिनी के लिए सरल नहीं था. उसकी अछूती गांड इस आक्रमण के लिए किसी भी प्रकार से नहीं मान रही थी. दिए गए जैल ने रास्ता तो सरल किया था पर गांड इसे मानने के लिए तैयार नहीं थी. आखिर विचलित कामिनी ने अंतिम शास्त्र का उपयोग किया और जो क्रीम उसे कल के लिए दी गयी थी, उसने उसे ही अपनी गांड में लगाया. और १० मिनट रुकने के बाद प्लग को दोबारा अंदर डालने का प्रयास किया. इस बार उसकी गांड ने कोई प्रतिकार नहीं किया और उस प्लग का मानो अंदर स्वागत किया. एक बार अच्छे से अंदर बैठने के बाद कामिनी ने बची क्रीम को देखा तो उसमे बहुत कम मात्रा थी. उसे विश्वास था कि इस समस्या का हल कल उसे क्लब में मिल जायेगा.

जब तक क्रीम का असर रहा कामिनी को कोई असुविधा नहीं हुई, पर कुछ समय में ही उसे एक अनजाने सुख की अनुभूति हुई. जब वो चलती तो उसकी गांड का प्लग एक घर्षण करता जिसके कारण उसे एक नए सुख की अनुभूति होती. और इसी कारण वो अपने घर में ही न जाने कितनी देर यूँ ही चलती रही. एक खुजली थी जो अब मिटने का नाम नहीं ले रही थी. उसे पता था इस खुजली का उपचार क्या था, और वो था उसकी गांड में पार्थ का लौड़ा. इस विचार मात्र से वो न जाने आज कितनी बार झड़ चुकी थी.

शाम को भोजन के बाद कामिनी ने अपने पति को बताया कि उसे क्लब बुलाया गया है. उसके पति ने उसे अपनी स्वीकृति दी. वो देख रहा था कि वहां जाने के बाद से कामिनी का उसके प्रति व्यव्हार पहले से अच्छा हो गया है और वो इससे संतुष्ट था. हालाँकि उसे ये नहीं भा रहा था कि कामिनी अन्य किसी से संसर्ग कर रही थी परन्तु उसे अपनी कमी पता थी और वो इस एक तथ्य के सिवाय कामिनी से पूर्ण रूप से संतुष्ट था. कामिनी का भी यही विचार था. वो अपने पति से अत्यंत प्रेम करती थी और उसे पता था कि उसके लिए ये निर्णय सरल नहीं था.

कामिनी: “क्या आप आज मेरी चुदाई करेंगे?”
पति: “प्रयास करता हूँ.”
कामिनी: :मैं चाहूंगी कि आज आप मेरी गांड में अपना लंड डालें. मैं नहीं चाहती कि इसमें जाने वाला पहला लंड आपके सिवाय किसी और का हो.”
ये कहते हुए कामिनी ने उसे एक नील रंग की गोली दी, उसके पति ने इस भावनात्मक भेंट को स्वीकार किया, और वो गोली खा ली.
पति: “तुम्हें दर्द तो नहीं होगा न?”
कामिनी: “उन्होंने मुझे कुछ जैल दिए हैं जिसके कारण मेरी गांड खुल गयी है. वैसे भी अगर आप करोगे तो मुझे इस दर्द में भी आनंद आएगा. पर थोड़ा धीरे करियेगा.”

कामिनी के पति ने पहले भी वो गोली कई बार ली थी. समस्या ये नहीं थी कि वो चुदाई नहीं कर पता था, पर ये थी कि वो बहुत ही जल्दी झड़ जाता था और कामिनी प्यासी रह जाती थी.

पति: “तुम जानती हो कि मैं अधिक समय तक नहीं रुक पाता।”
कामिनी: “इसके बारे में मत सोचिए. बल्कि ये सोचिये कि आप अपनी पत्नी का अंतिम कुमारित्व भी भंग कर रहे हैं. जो भी हो, मैं किसी और को ये गांड आपके पहले भेंट नहीं करुँगी.”

कामिनी ये कहते हुए उठी और अपने पति के साथ शयनकक्ष में चली गयी जहाँ उसने अपने और अपने पति के वस्त्र उतारे और घोड़ी के आसन में अपने आपको प्रस्तुत किया.

“ये क्या है?” पति ने उसकी गांड में डले प्लग के बारे में पूछा.
“ये गांड को खोलने का खिलौना है. आप इसे धीरे धीरे बाहर निकाल दीजिये. और फिर अपने लंड से मेरी गांड का उद्घाटन कीजिये.”

पति ने यही किया और उसे ये देखकर अचम्भा हुआ कि अब कामिनी की कुंवारी गांड पूरी खुली हुई थी. उसने अपने लंड को साधा और बिना रुके उसकी गांड को भेद दिया. अपनी जवानी में पति ने बहुत औरतों को चोदा था परन्तु उस समय गांड मरना एक विकृति माना जाता था और उसकी किसी संगिनी ने उसे इस कृत्य के लिए स्वीकृति नहीं दी थी. और उसकी पहली पत्नी तो कारूँ के खजाने के समान अपनी गांड बचाकर रखी रही. पर आज कामिनी ने बिना संकोच के स्वयं ही उसे इस सुख से सक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया था. उसके लंड ने कामिनी की गांड को अबाधित भेद दिया. क्या आनंद था. इतनी कसावट और गर्माहट उसने पहले कभी अनुभव नहीं की थी.

कामिनी भी अब उस जैल के प्रभाव से निकल चुकी थी. हालाँकि उसकी मांस पेशियाँ अभी भी ढीली थीं, परन्तु उसकी संवेदना लौट चुकी थी. उसे अपनी पति के गांड में जाते हुए लंड का अनुभव एकदम नया लगा. और जब उसके पति अपने लंड से उसकी गांड मारने लगा तो उसकी आत्मा और शरीर एक नयी अनुभूति से झूम उठे. उसके पति के लंड से उसे एक नए ही संसार का दर्शन हो रहा था. इस समय उसके मन में उसके पति को अपने प्यार से विव्हल करना छह रही थी. वो उसे उत्साहित कर रही थी और ये प्रार्थना कर रही थी कि उसके पति को भी इसमें आनंद मिले और वो अधिक देर तक ठहर पाए.

पर चाहने और मिलने में अंतर होता है. जब कामिनी इस नए सुख में अपने आप को डुबा रही थी उसका पति अपने आपको झड़ने से रोकने का असफल प्रयत्न कर रहा था. और अंत में उसके शरीर ने उसे हरा दिया और उसने अपना पानी कामिनी को गांड में डाल दिया. कामिनी का दिल टूट गया, पर उसने इसे दर्शाया नहीं. उसने उठकर अपने पति के लंड को अपने मुंह से साफ किया जिसे उसका पति आश्चर्य से देखता रहा.

“आप तनिक भी विचलित न हों. मैंने आज अपना अंतिम कौमार्य आपको सौंप दिया है, जिसके लिए मुझे बहुत ख़ुशी है. आपका लंड चाहे जहां भी रहा हो, मेरे लिए ये सदैव मेरा प्रिय रहेगा. आज आपने मुझे पूर्ण कर दिया है. और मैं इसके लिए आपकी आभारी हूँ.”

उसका पति उसके इस अनुराग से बहुत ही प्रसन्न हो गया. फिर कामिनी ने अपने पति से कहा कि वो अपने वीर्य को अंदर रखते हुए उसकी गांड को वापिस उस प्लग से सील कर दे. इसके बाद दोनों पति पत्नी एक दूसरे को बाँहों में लेकर सो गए.

अगले दिन अपने पति के जाने के बाद कामिनी भी तैयार हो गयी. १० बजे के आसपास क्लब की कार आयी और कामिनी क्लब के लिए निकल गई. उसकी गांड और दिल में तितलियाँ मचल रही थीं. और उसे पार्थ से मिलने का रोमांच भी था. उसने कामिनी का दिल जीत लिया था. उसके पति के समान नहीं, परन्तु एक अन्य ही स्तर पर, जिसका वो वर्णन नहीं कर सकती थी. ११ बजने के कुछ पहले वे क्लब पहुँच गए. वहां पहुँच कर कामिनी ने रिसेप्शन पर बैठी मंजुला से बात की और उसे अपना बक्सा दिखाया और पूछा कि इसमें से सुन्न करने वाली क्रीम मिल सकती है क्या? मंजुला अंदर गई और लौट कर उसने कामिनी को एक दूसरा बक्सा दिया.

मंजुला: “अलग से इसमें से कुछ भी नहीं मिलता है, पूरा सैट ही मंगवाते हैं हम. आप ये नया साईट भी रख लीजिये.”
कामिनी ने खोला तो देखा तो जैल और क्रीम तो वहीँ थीं, पर इस बक्से में प्लग के स्थान पर एक मोटा और लम्बा नकली लंड था.
मंजुला: “ये भी आपके लिए ही है. आपकी सदस्य्ता के साथ एते हैं. पिछली बार ये समाप्त हो गए थे, इसीलिए नहीं दे पाए थे. इस नए स्टॉक के लंड पिछलों से लम्बे और मोटे हैं. आपको बहुत मजा आएगा.”

ये कहते हुए मंजुला ने कामिनी को उसके कक्ष की कुंजी सौंप दी और कामिनी धड़कते मन और फड़कती गांड को लेकर उस कमरे में चली गयी. अंदर जाकर उसने बाथरूम में कपड़े निकाले और फिर अपनी गांड से प्लग निकालकर क्रीम लगाई और फिर प्लग को दोबारा अंदर दाल दिया. कामिनी को इस बात से अब अचम्भा था कि कल से आज के बीच में उसकी गांड इतनी सरलता से इस प्लग को अंदर ले पा रही थी. और तो और उसके पति ने भी इस गांड का कल बिना किसी कठिनाई के उद्घाटन कर दिया था.

फिर वो बाथरूम में टंगा हुआ गाउन पहन कर बाहर कमरे में पार्थ के आने की राह देखने लगी.



क्रमशः
 
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