कैसे कैसे परिवार
मिश्रण २.१
भाग B1
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कामिनी का पूर्ण सदस्यता का इंटरव्यू समापन
कामिनी ने अपने मोबाइल को बंद किया और शून्य में निहारने लगी. दिंची क्लब से फोन आया था और उसकी सदस्यता के लिए उसके बाकी के साक्षात्कार के लिए उसे कल बुलाया था. शून्य में देखती वो उस दिन की यादों में खो गयी जब पार्थ ने उसे सम्पूर्ण स्त्री बनाया था. पर उसे ये भी याद था कि अभी उसकी सदस्यता के निर्धारित होने के लिए उसे अपनी गांड समर्पित करनी शेष थी. गांड की सील तुड़वाने के विचार से उसका शरीर कांप गया. उसने कभी अपनी गांड में ऊँगली भी नहीं डाली थी. और कल उसे पार्थ के उस विशाल लंड को उसके अंदर लेना था. वो डर और रोमांच से व्यथित हो उठी. अचानक उसे कुछ याद आया और वो अपने कमरे में गई. अपनी अलमारी खोलकर एक छुपे हुए छोटे से बक्से को निकाला। उसमे एक गांड का प्लग था. उसके ही साथ उसमे एक तेल की बंद शीशी भी रखी थी.
उसे याद आया कि जब वो उस दिन क्लब से जाने को हुई तो सोनम ने उसे ये बक्सा दिया था. उसके बाद वो उसे बाथरूम में ले गयी थी और अपने साथ लाये एक दूसरे बक्से में से तेल और प्लग निकालकर कामिनी को दिखाया कि उसका प्रयोग कैसे किया जाता है.
“जब भी आपको क्लब से इंटरव्यू समाप्त करने का आमंत्रण मिले, उसी समय से आप इस प्लग को अपनी गांड में डाल लेना. हाँ अगर बाथरूम जाओ, तो निकाल अवश्य देना. अगर एक दिन लगा कर रखोगी तो युम्हारी गांड अभ्यस्त हो जाएगी और थोड़ी खुल जाएगी. अन्यथा पार्थ सर का लंड तो अपने देखा ही है. आपको बहुत कठिनाई होगी. दर्द भी होगा.”
इसके बाद उसने बक्से में से दूसरी लाल रंग की शीशी निकाली। “जब आप क्लब में आ जाएँ तो आपके निर्धरित कक्ष में जाकर आपको इस शीशी से तेल निकालकर उसी प्रकार से प्लग को लगा लेना ही.”
“इस शीशी में क्या है?”
“इसमें दवाई है जिससे की आपकी गांड की मांस-पेशियाँ कुछ समय के लिए ढीली पड़ जाएँगी. इससे आपको बिलकुल भी दर्द नहीं होगा. पर क्यूंकि इसका असर केवल १ घंटे ये उससे कम ही रहता है, इसीलिए आप इसे यहाँ अपने कमरे में हो लगाना.”
कामिनी ने उस बक्से को संभाल के छुपाया हुआ था. और आज उसके प्रयोग का समय आ चूका था. कामिनी उस बक्से के साथ बाथरूम में चली गई.
प्लग को अपनी गांड में डालना कामिनी के लिए सरल नहीं था. उसकी अछूती गांड इस आक्रमण के लिए किसी भी प्रकार से नहीं मान रही थी. दिए गए जैल ने रास्ता तो सरल किया था पर गांड इसे मानने के लिए तैयार नहीं थी. आखिर विचलित कामिनी ने अंतिम शास्त्र का उपयोग किया और जो क्रीम उसे कल के लिए दी गयी थी, उसने उसे ही अपनी गांड में लगाया. और १० मिनट रुकने के बाद प्लग को दोबारा अंदर डालने का प्रयास किया. इस बार उसकी गांड ने कोई प्रतिकार नहीं किया और उस प्लग का मानो अंदर स्वागत किया. एक बार अच्छे से अंदर बैठने के बाद कामिनी ने बची क्रीम को देखा तो उसमे बहुत कम मात्रा थी. उसे विश्वास था कि इस समस्या का हल कल उसे क्लब में मिल जायेगा.
जब तक क्रीम का असर रहा कामिनी को कोई असुविधा नहीं हुई, पर कुछ समय में ही उसे एक अनजाने सुख की अनुभूति हुई. जब वो चलती तो उसकी गांड का प्लग एक घर्षण करता जिसके कारण उसे एक नए सुख की अनुभूति होती. और इसी कारण वो अपने घर में ही न जाने कितनी देर यूँ ही चलती रही. एक खुजली थी जो अब मिटने का नाम नहीं ले रही थी. उसे पता था इस खुजली का उपचार क्या था, और वो था उसकी गांड में पार्थ का लौड़ा. इस विचार मात्र से वो न जाने आज कितनी बार झड़ चुकी थी.
शाम को भोजन के बाद कामिनी ने अपने पति को बताया कि उसे क्लब बुलाया गया है. उसके पति ने उसे अपनी स्वीकृति दी. वो देख रहा था कि वहां जाने के बाद से कामिनी का उसके प्रति व्यव्हार पहले से अच्छा हो गया है और वो इससे संतुष्ट था. हालाँकि उसे ये नहीं भा रहा था कि कामिनी अन्य किसी से संसर्ग कर रही थी परन्तु उसे अपनी कमी पता थी और वो इस एक तथ्य के सिवाय कामिनी से पूर्ण रूप से संतुष्ट था. कामिनी का भी यही विचार था. वो अपने पति से अत्यंत प्रेम करती थी और उसे पता था कि उसके लिए ये निर्णय सरल नहीं था.
कामिनी: “क्या आप आज मेरी चुदाई करेंगे?”
पति: “प्रयास करता हूँ.”
कामिनी: :मैं चाहूंगी कि आज आप मेरी गांड में अपना लंड डालें. मैं नहीं चाहती कि इसमें जाने वाला पहला लंड आपके सिवाय किसी और का हो.”
ये कहते हुए कामिनी ने उसे एक नील रंग की गोली दी, उसके पति ने इस भावनात्मक भेंट को स्वीकार किया, और वो गोली खा ली.
पति: “तुम्हें दर्द तो नहीं होगा न?”
कामिनी: “उन्होंने मुझे कुछ जैल दिए हैं जिसके कारण मेरी गांड खुल गयी है. वैसे भी अगर आप करोगे तो मुझे इस दर्द में भी आनंद आएगा. पर थोड़ा धीरे करियेगा.”
कामिनी के पति ने पहले भी वो गोली कई बार ली थी. समस्या ये नहीं थी कि वो चुदाई नहीं कर पता था, पर ये थी कि वो बहुत ही जल्दी झड़ जाता था और कामिनी प्यासी रह जाती थी.
पति: “तुम जानती हो कि मैं अधिक समय तक नहीं रुक पाता।”
कामिनी: “इसके बारे में मत सोचिए. बल्कि ये सोचिये कि आप अपनी पत्नी का अंतिम कुमारित्व भी भंग कर रहे हैं. जो भी हो, मैं किसी और को ये गांड आपके पहले भेंट नहीं करुँगी.”
कामिनी ये कहते हुए उठी और अपने पति के साथ शयनकक्ष में चली गयी जहाँ उसने अपने और अपने पति के वस्त्र उतारे और घोड़ी के आसन में अपने आपको प्रस्तुत किया.
“ये क्या है?” पति ने उसकी गांड में डले प्लग के बारे में पूछा.
“ये गांड को खोलने का खिलौना है. आप इसे धीरे धीरे बाहर निकाल दीजिये. और फिर अपने लंड से मेरी गांड का उद्घाटन कीजिये.”
पति ने यही किया और उसे ये देखकर अचम्भा हुआ कि अब कामिनी की कुंवारी गांड पूरी खुली हुई थी. उसने अपने लंड को साधा और बिना रुके उसकी गांड को भेद दिया. अपनी जवानी में पति ने बहुत औरतों को चोदा था परन्तु उस समय गांड मरना एक विकृति माना जाता था और उसकी किसी संगिनी ने उसे इस कृत्य के लिए स्वीकृति नहीं दी थी. और उसकी पहली पत्नी तो कारूँ के खजाने के समान अपनी गांड बचाकर रखी रही. पर आज कामिनी ने बिना संकोच के स्वयं ही उसे इस सुख से सक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया था. उसके लंड ने कामिनी की गांड को अबाधित भेद दिया. क्या आनंद था. इतनी कसावट और गर्माहट उसने पहले कभी अनुभव नहीं की थी.
कामिनी भी अब उस जैल के प्रभाव से निकल चुकी थी. हालाँकि उसकी मांस पेशियाँ अभी भी ढीली थीं, परन्तु उसकी संवेदना लौट चुकी थी. उसे अपनी पति के गांड में जाते हुए लंड का अनुभव एकदम नया लगा. और जब उसके पति अपने लंड से उसकी गांड मारने लगा तो उसकी आत्मा और शरीर एक नयी अनुभूति से झूम उठे. उसके पति के लंड से उसे एक नए ही संसार का दर्शन हो रहा था. इस समय उसके मन में उसके पति को अपने प्यार से विव्हल करना छह रही थी. वो उसे उत्साहित कर रही थी और ये प्रार्थना कर रही थी कि उसके पति को भी इसमें आनंद मिले और वो अधिक देर तक ठहर पाए.
पर चाहने और मिलने में अंतर होता है. जब कामिनी इस नए सुख में अपने आप को डुबा रही थी उसका पति अपने आपको झड़ने से रोकने का असफल प्रयत्न कर रहा था. और अंत में उसके शरीर ने उसे हरा दिया और उसने अपना पानी कामिनी को गांड में डाल दिया. कामिनी का दिल टूट गया, पर उसने इसे दर्शाया नहीं. उसने उठकर अपने पति के लंड को अपने मुंह से साफ किया जिसे उसका पति आश्चर्य से देखता रहा.
“आप तनिक भी विचलित न हों. मैंने आज अपना अंतिम कौमार्य आपको सौंप दिया है, जिसके लिए मुझे बहुत ख़ुशी है. आपका लंड चाहे जहां भी रहा हो, मेरे लिए ये सदैव मेरा प्रिय रहेगा. आज आपने मुझे पूर्ण कर दिया है. और मैं इसके लिए आपकी आभारी हूँ.”
उसका पति उसके इस अनुराग से बहुत ही प्रसन्न हो गया. फिर कामिनी ने अपने पति से कहा कि वो अपने वीर्य को अंदर रखते हुए उसकी गांड को वापिस उस प्लग से सील कर दे. इसके बाद दोनों पति पत्नी एक दूसरे को बाँहों में लेकर सो गए.
अगले दिन अपने पति के जाने के बाद कामिनी भी तैयार हो गयी. १० बजे के आसपास क्लब की कार आयी और कामिनी क्लब के लिए निकल गई. उसकी गांड और दिल में तितलियाँ मचल रही थीं. और उसे पार्थ से मिलने का रोमांच भी था. उसने कामिनी का दिल जीत लिया था. उसके पति के समान नहीं, परन्तु एक अन्य ही स्तर पर, जिसका वो वर्णन नहीं कर सकती थी. ११ बजने के कुछ पहले वे क्लब पहुँच गए. वहां पहुँच कर कामिनी ने रिसेप्शन पर बैठी मंजुला से बात की और उसे अपना बक्सा दिखाया और पूछा कि इसमें से सुन्न करने वाली क्रीम मिल सकती है क्या? मंजुला अंदर गई और लौट कर उसने कामिनी को एक दूसरा बक्सा दिया.
मंजुला: “अलग से इसमें से कुछ भी नहीं मिलता है, पूरा सैट ही मंगवाते हैं हम. आप ये नया साईट भी रख लीजिये.”
कामिनी ने खोला तो देखा तो जैल और क्रीम तो वहीँ थीं, पर इस बक्से में प्लग के स्थान पर एक मोटा और लम्बा नकली लंड था.
मंजुला: “ये भी आपके लिए ही है. आपकी सदस्य्ता के साथ एते हैं. पिछली बार ये समाप्त हो गए थे, इसीलिए नहीं दे पाए थे. इस नए स्टॉक के लंड पिछलों से लम्बे और मोटे हैं. आपको बहुत मजा आएगा.”
ये कहते हुए मंजुला ने कामिनी को उसके कक्ष की कुंजी सौंप दी और कामिनी धड़कते मन और फड़कती गांड को लेकर उस कमरे में चली गयी. अंदर जाकर उसने बाथरूम में कपड़े निकाले और फिर अपनी गांड से प्लग निकालकर क्रीम लगाई और फिर प्लग को दोबारा अंदर दाल दिया. कामिनी को इस बात से अब अचम्भा था कि कल से आज के बीच में उसकी गांड इतनी सरलता से इस प्लग को अंदर ले पा रही थी. और तो और उसके पति ने भी इस गांड का कल बिना किसी कठिनाई के उद्घाटन कर दिया था.
फिर वो बाथरूम में टंगा हुआ गाउन पहन कर बाहर कमरे में पार्थ के आने की राह देखने लगी.
क्रमशः