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कैसे कैसे परिवार: Chapter 72 is posted
पात्र परिचय
अध्याय ७२: जीवन के गाँव में शालिनी ९
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पात्र परिचय
अध्याय ७२: जीवन के गाँव में शालिनी ९
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Jabardast मिलन समारोह... explanation of scene is just unbelievable...bhai..smita ki family m bs smita hi ay??कैसे कैसे परिवार
मिश्रण २.१
भाग A1
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समुदाय का मिलन समारोह
आज की सुबह :
समुदाय के ये आयोजन शहर के बाहर एक रिसोर्ट में होते थे. कुल मिलकर लगभग सौ लोग होते थे और इसके लिए कोई भी और स्थान उपयुक्त नहीं था. रिसोर्ट के मालिक समुदाय के सदस्य थे और वे सारा आयोजन बहुत गोपनीय रखते थे. जिस समय ये आयोजन होता था रिसोर्ट में समुदाय के सिवाय कोई नहीं होता था. सभी को छुट्टी दे दी जाती थी. सारे सदस्यों के आने के पश्चात् रिसोर्ट को बंद कर दिया जाता था. पूरे रिसोर्ट में CCTV लगे थे और किसी एक परिवार को लॉटरी द्वारा इन्हें देखने के लिए चुना जाता था. परिवार के एक सदस्य को सदैव कण्ट्रोल रूम में कैमरों पर निगरानी रखनी होती थी.
समुदाय की सबसे वरिष्ठ सदस्या जो रिसोर्ट मालिक की माँ थीं, प्रबंधन समिति की मुखिया थीं. ये कहा जाता है कि इस समुदाय की नींव इन्होने अपने पति के साथ रखी थी. प्रबंधन समिति में केवल वही एकमात्र थीं जिनके पास वीटो था, अर्थात वे किसी भी निर्णय को नकार सकती थीं, हालाँकि अकेले निर्णय लेने का अधिकार उन्हें भी नहीं था. प्रबंधन समिति के अन्य चार सदस्यों में दो पुरुष और दो महिलाएं थीं. कोई भी सदस्य एक परिवार से नहीं था. प्रति वर्ष अन्य चार सदस्य नए चुने जाते थे और इसके लिए भी एक निर्धारित पद्दति बनाई हुई थी. ये समुदाय का १२वां वर्ष था और आज तक इसे छोड़कर कोई भी नहीं गया था. समुदाय में विवाह अंदर ही करने का प्रचलन था, हालाँकि अगर बाहर विवाह होता था तो परिवार को एक वर्ष के लिए निष्काषित किया जाता था जिससे वे नए वर या वधु को अपने रंग में ढाल सकें. अगर वे इसमें सफल होते थे तो एक वर्ष के बाद वे समुदाय में लौट सकते थे. और जैसा कि बताया गया है, आज तक किसी को ये समुदाय छोड़ना नहीं पड़ा था.
प्रबंधन समिति की चर्चा प्रारम्भ हो चुकी थी. आर्थिक स्थिति को जांचने के पश्चात समुदाय की सदस्यता शुल्क में २०% की बढ़ोत्तरी का निर्णय हुआ. ये शुल्क प्रति सदस्य होता था, और स्त्रियों को इसमें १०% की छूट दी जाती थी. इसके बाद उन प्रस्तावों पर विचार किया गया जिसमें सदस्य अपने पुत्र या पुत्री को अगले महीने सम्मिलित करने के इच्छुक थे. इस बार कुल तीन नए प्रस्ताव थे. तीनों परिवार के सदस्यों को बुलाया गया और उनसे इस बात की पुष्टि की गयी कि उनके घर का एक और सदस्य सम्मिलित हो रहा है. जब उनके प्रस्ताव स्वीकार हो गए तो उनसे नए आने वाले सदस्य का शुल्क ले लिया गया. उन्हें बधाई देकर, आगे के कार्यक्रम के लिए सभा चलती रही.
एक नए सदस्य परिवार का आज परिचय दिया जाना था. और इस समय तक प्रबंधन समिति के पांच सदस्यों और उस परिवार के प्रायोजक के सिवाय किसी को भी इनके बारे में कुछ भी नहीं पता था. यहाँ तक कि सदस्यों के परिवार भी इस नए परिवार के बारे में नहीं जानते थे. ये बताया गया कि परिवार के छह सदस्य रिसोर्ट में पहुँच चुके थे और वे अपने उद्घाटन के लिए उत्सुक थे.
अन्य कई और विषयों पर चर्चा करने के बाद सभा समाप्त हुई. बाहर देखा तो बहुत सारे समुदाय के लोग आ चुके थे और लॉन में खड़े होकर चाय या जूस पी रहे थे. समुदाय के आयोजनों में शराब पर कठोर पाबन्दी थी. आयोजन १२ बजे प्रारम्भ होता था और १.३० पर खाने का समय होता था. चूँकि अभी समय शेष था तो पांचों आगे बढ़कर अन्य सदस्यों से मिलने में व्यस्त हो गए. कुछ देर में ११.३० बजने को आये और सभी लोग सभागृह में चले गए.
पहले सभी लोगों ने जाकर समुदाय की पोषक पहनी, जो एक चोगा और जिसे केवल एक डोर से बंधा हुआ था. ये रेशम के धागे से बने हुए थे और पुरुषों के गाउन नीले और स्त्रियों के लाल रंग के थे. अन्य किसी भी प्रकार के वस्त्र या आभूषण की अनुमति नहीं थी. स्त्रियां नाक और कान के आभूषण पहन सकती थीं, और कोई भी आभूषण, घडी, मोबाइल इत्यादि अपने लॉकर में ही छोड़ना था. गाउन में कोई जेब नहीं थी. वस्त्र बदलने के पश्चात् सभी लोग सभागृह में प्रविष्ट हो गए.
सभागृह में प्रवेश करने के बाद सभी दरवाजे बंद कर दिए गए, और रिसोर्ट में लगे कैमरों से ये स्थापित किया गया कि समुदाय के सिवाय वहां कोई और नहीं है. जिस परिवार का दायित्व कैमरों की निगरानी का था उस परिवार के लड़के ने, जो उनमे सबसे छोटा था पहले मोर्चा संभाला. इसके बाद सभी लोग अपने परिवार के साथ ही बैठ गए. प्रबंधन समिति के सदस्य सामने बने स्टेज पर एक ओर जाकर बैठे. आज उस स्टेज के दो छोर पर दो पलंग लगे हुए थे जो नए परिवार के सदस्यों के लिए थे. इस कमरे के पलंग केवल छह इंच ऊंचे थे, यानि बहुत ही कम ऊंचाई के थे. समय के साथ समुदाय ने सामान्य पलंग बदल कर उन्हें छोटा कर दिया था.
समिति की मुखिया श्रीमती चड्ढा खड़ी हुईं और माइक पकड़ लिया. श्रीमती मधुलिका चड्ढा (मधु) इस समय ६५ वर्ष की आयु पर कर चुकी थीं पर उनके चेहरे की कांति और शरीर का स्वरूप आज भी लोगों को आकर्षित करता था. उनके पति, बेटा, बहू अपने बच्चों के साथ नियत स्थान पर बैठे थे.
मधु: “साथियों आज हम फिर अपने मासिक समारोह के लिए एकत्रित हुए है. आप सबका स्वागत है.”
सभी ने तालियां बजाकर उनका उत्तर दिया.
“मुझे इस घोषणा करते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि हमारे समुदाय में एक और विवाह तय हुआ है. मैं चाहूंगी कि भावी पति और पत्नी सामने आएं और अपने इस सम्बन्ध के लिए आप सबका आशीर्वाद लें.” एक लड़का और एक लड़की निकल कर आये और स्टेज पर खड़े हो गए.
“जैसा कि हमारा प्रचलन है, हम सामाजिक विवाह को एक औपचारिकता मानते हैं. हम प्रबंधन समिति के सदस्य इन्हें आज ही विवाह सूत्र में बांध रहे हैं. इसके बाद सामाजिक विवाह अपने समय से होगा, पर हमारी दृष्टि में ये पति-पत्नी माने जायेंगे. इनके माता-पिता से भी यहाँ आने की विनती है.”
दोनों के माता पिता भी आकर अपनी संतान के साथ खड़े हो गए. इसके बाद समिति के अन्य चार सदस्य मधु जी के साथ खड़े हो गए. लड़की के पिता ने अपनी बेटी के शरीर के चोगे की डोर खींची और उसके चोगे को निकाल कर उसकी माँ को दे दिया. उधर लड़के की माँ ने उसका चोगा निकाला और उसके पिता को दे दिया. भावी वर वधू सबके सामने खड़े हो गए. लड़के की माँ ने फिर उसका चोगा लड़की की माँ को सौंप दिया. वहीँ लड़की के पिता ने उसका चोगा लड़के के पिता को दिया.
“समुदाय के इस प्रतीक के एक परिवार से दूसरे परिवार में देने से अब ये परिवार एक हो गए हैं. वधू की सभी खुशियों और इच्छाओं का उत्तरदायित्व अब वर के परिवार का है.”
वर-वधू ने अपने माता-पिता और फिर पांचों समिति के सदस्यों का आशीर्वाद लिया.
मधु जी: “अब इनका सामाजिक रूप से विवाह २ महीने बाद है. समाज के नियमों के अनुसार ये तब तक साथ नहीं रह सकते और जैसा कि हमारी परम्परा है, समुदाय अपने व्यय पर इन्हें एक सप्ताह के लिए बाहर भेज रहा है. अब आप इन दोनों परिवारों के एकीकरण के लिए इन्हें बधाई दें. वर और वधू आयोजन के समापन के पश्चात् आप सबको एक साथ विदा करेंगे.”
ये कहकर मधुजी ने कार्यक्रम के इस चरण का समापन किया.
मधुजी: “मेरे प्यारे साथियों, अब अगले चरण के लिए जैसा आप जानते हैं, आपको अपने परिवार को छोड़कर किसी अन्य के साथ बैठना है. इसके लिए हमारी पर्चियां बनी हुई हैं. पर्चियों पर स्त्रियों के नाम हैं, जैसा आप जानते हैं, अगर पर्ची आपके ही परिवार के सदस्य की होगी तो अंत में आप उसे बक्से में डालकर नई पर्ची निकाल सकते हैं. अगर ऐसा होगा तो आपको उस कोने में जाकर खड़ा होना होगा. हर स्त्री की पर्ची पर एक पलंग का नंबर है, पर्ची निकलने के बाद उन्हें अपने साथी के साथ उस निर्धारित पलंग पर जाना है. क्योंकि आज मिलन में पुरुष अधिक हैं तो उनके साथी का निर्णय बाद में एक लॉटरी से होगा. ”
इसके बाद उन्होंने एक लड़के को बुलाया और उसे पर्चियों से भरा एक कांच का बक्सा दिया. साथ में एक लड़की भी थी जो एक खाली कांच का बक्सा लिए हुए थी. इस बक्से में पढ़ने के पश्चात् स्त्रियों ने पर्ची लौटानी थी.
लड़के ने सबसे पहले समिति के पुरुष सदस्यों को अपनी पर्ची निकालने का आग्रह किया. पर्ची पर नाम देखकर वे अपनी साथी स्त्री के पास गए और निर्धारित स्थान पर बैठ गए. लड़के ने लगभग दस मिनट में सभी पर्चियां बाँट दीं. पर अभी भी ६ पुरुष शेष थे जिन्हें कोई साथी नहीं मिला था. और ४ पुरुष ऐसे थे जिन्हें उनके ही परिवार की सदस्य मिली थी. ये दस पुरुष एक ओर खड़े हो गए. चारों पर्चियां बक्से में लौटा दी गयीं और पहले उन ६ पुरुषों को निकालने के लिए दी गयीं. इस बार सबको सही साथी मिले और वे अपने साथी के साथ निर्धारित बेड पर बैठ गए. लड़की के हाथ के बक्से में अब सारी पर्चियाँ थीं और लड़के के हाथ का बक्सा अब खाली था.
कुल आठ पुरुष (बक्से वाले लड़के और निगरानी पर लगे को मिलाकर) बिना साथी के थे. लड़की ने सबसे पहले लड़के की और बक्सा बढ़ाया. यही प्रक्रिया उसने उपस्थित अन्य पांच पुरुषों के साथ भी की. छटवें पुरुष को लड़की ने अपनी पर्ची सौंप दी. फिर उसने निगरानी पर लगे लड़के के लिए एक पर्ची निकाली और उसकी घोषणा कर दी. इसके बाद उसने अपनी पर्ची को बक्से में डाला और अपने साथी के साथ अपन बेड पर चली गई. इस पूरे आयोजन में लगभग ३० मिनट निकल गए थे.
इस पूरी गतिविधि पर छह जोड़े ऑंखें गढ़ाकर देख रही थीं. ये वो परिवार था जिसे आज सम्मिलित किया जाना था. वो पूरे आयोजन के सञ्चालन से बहुत प्रभावित हुए थे. और अब समय था उनके स्टेज पर बुलाये जाने का. मधुजी, जो स्वयं एक पलंग पर बैठी हुई थीं खड़ी हो गयीं और प्रबंधन समिति के सदस्यों के साथ स्टेज पर लौट गयीं.
“अब आप सबको अपने साथी मिल चुके हैं. आशा है की आप सब लगे हुए बेड पर सुखद अनुभव कर रहे होंगे. मैं देख रही हूँ आज की उन सौभाग्यशाली महिलाओं को जिन्हें आज दो दो पुरुष साथियों का साथ प्राप्त हुआ है. मुझे विश्वास है कि इन सभी को आनंद आएगा. अब हम अपने अगले चरण के लिए अग्रसर होंगे. आज का दोपहर का खाना आधे घंटे देर से होगा, क्योंकि आज एक विवाह संपन्न करने और अब एक नए परिवार को परिचित करते हुए उन्हें समुदाय में सम्मिलित करने के कारण समय अधिक व्यतीत होगा. पर मुझे नहीं लगता कि किसी को खाने की इतनी तीव्र इच्छा होगी जब पकवान आपके साथ होगें.” इस बात पर सब खुल के हँसे और कुछ लोगों ने ताली भी बजाई।
“अब इस दूसरे चरण की समाप्ति के साथ हम आपको अपने से आज जुड़ने वाले एक नए परिवार से मिलवाते हैं. मैं समझती हूँ कि आपमें से कुछ उनके साथ के लिए उत्सुक होंगे.” ये कहते हुए मधुजी ने सभी परिवारजनों का बिना नाम लिए हुए परिचय कराया.
सभी लोग अपने स्थान पर खड़े हो गए स्वागत के लिए.
“तो आइये मिलते हैं हमारे समुदाय के नए सदस्यों से: राणा परिवार”
सभी लोग तालियां बजाने लगे.
सबसे पहले घर के मुखिया श्री जीवन राणा.
जीवन ने प्रवेश किया.
उनके बाद उनके बेटे श्री आशीष राणा.
आशीष स्टेज पर आ गया.
आशीष की पत्नी श्रीमती सुनीति राणा।
सुनीति स्टेज पर आयी.
आशीष और सुनीति की पुत्री अग्रिमा.
अग्रिमा ने स्टेज पर कदम रखे.
आशीष और सुनीति का बड़ा पुत्र असीम.
असीम स्टेज पर आया.
और उनका छोटा पुत्र कुमार.
कुमार भी स्टेज पर आ गया.
सबने समुदाय के चोगे पहने हुए थे. और जैसा कि उन्हें समझाया गया था. सबसे पहले जीवन आगे बढ़ा और उसने अपने चोगे को उतार कर एक ओर पड़ी कुर्सी पर डाल दिया. उसके बाद वो सबकी ओर मुंह करके खड़ा हो गया. अब आशीष आगे बढ़ा और उसने भी अपने चोगे को निकाला और कुर्सी पर डाल दिया और अपने पिता के साथ खड़ा हो गया. सुनीति ने जैसे ही अपना चोगा उतारा तो कई सारी “आह” की आवाज़ें सुनाई दीं. सुनीति ने मुस्कुराते हुए अपने चोगे को कुर्सी पर रखते हुए आशीष के साथ का स्थान ले लिया. इसी प्रकार अग्रिम, असीम और कुमार ने भी किया और अब छह परिवारजन पूरे समुदाय के समक्ष नंगे खड़े हुए थे. औरतों की चूतें पसीजने लगीं थीं तो वहीँ पुरुषों के लौड़े खड़े हो चुके थे.
इसके बाद मधुजी ने आगे बढ़कर सभी को समुदाय की शपथ दिलाई.
मधुजी: “मैं आज आप सबकी ओर से अपने नए सदस्यों का स्वागत करती हूँ. अब जैसा कि हमारा नियम है, ये सभी हमारे समक्ष अपने पारिवारिक सम्भोग का प्रदर्शन करेंगे. मैं जीवन जी से पूछना चाहूंगी कि वो ये किस प्रकार से प्रस्तुत करेंगे. आप किसी भी भाषा में इसे समझा सकते हैं. अर्थात अगर आप सम्भोग के स्थान पर चुदाई शब्द का उपयोग करेंगे तो भी इसे सही माना जायेगा.”
जीवन: “आप सभी को मेरा नमस्कार. मैं अपने परिवार की ओर से आप सबका धन्यवाद करता हूँ जो अपने हमें अपने समुदाय में शामिल होने का अवसर दिया. हम सभी समुदाय के नियमों का पालन करेंगे और किसी भी प्रकार से आपको गलत सिद्ध नहीं होने देंगे. आज मैं और मेरा बेटा मेरी पोती अग्रिमा की चुदाई करेंगे और मेरे दोनों पोते मेरी बहू सुनीति की. मुझे आशा है कि आपको हमारा ये प्रदर्शन आपको आनंदित करेगा.”
ये कहते समय आशीष अग्रिमा को लेकर जीवन के साथ खड़ा हो गया और असीम और कुमार सुनीति के दोनों ओर खड़े हो गए.
पर इन सबसे अलग कुछ लोग सुखद आश्चर्य से उन्हें देख रहे थे. ये कोई और नहीं बल्कि शेट्टी परिवार के पांचों सदस्य थे जो राणा परिवार के पड़ोसी थे और उनके समधी परिवार के चार सदस्य, जो उन सबसे पहले मिले हुए थे.
मधुजी: “और अब हम अपने मिलन समारोह का तीसरा चरण आरम्भ करेंगे. कृपया आनंद लें. हमारे सुमदाय का लक्ष्य यही है. मैं जीवन जी के परिवार को आमंत्रित करूंगी कि वे अपने पारिवारिक प्रेम का प्रदर्शन प्रारम्भ करें.”
जीवन और आशीष अग्रिमा के साथ एक ओर पड़े पलंग की ओर चले गए और सुनीति असीम और कुमार के साथ दूसरी ओर।
मधुजी: “मैं आशा करूंगी कि सभी सदस्य इस प्रदर्शन पर ध्यान देंगे और अपनी भावनाओं पर अंकुश लगाएंगे और स्वयं सम्भोग में लिप्त नहीं होंगे. आप जानते हैं की इस परिवार के ऐसे प्रदर्शन का ये एकमात्र अवसर है और ये हमारे मिलान में कभी दोबारा इस प्रकार से नहीं मिलेंगे.”
सभी सदस्यों ने इस बात पर स्वीकृति की मुहर लगा दी. ये उनके संयम की भी परीक्षा थी. उनके अपने शारीरिक उत्सव में अभी देरी थी पर वे जानते थे कि ये समय और दृष्टान्त उन्हें दोबारा कभी भी देखने को प्राप्त नहीं होगा.
अब तक जीवन और आशीष अग्रिमा को अपनी बाँहों में लेकर चूम रहे थे. जहाँ जीवन उसके होंठों का स्वाद ले रहा था, वहीँ आशीष उसके पीछे से उसकी गर्दन और कानों में अपने होठों से मिश्री घोल रहा था. सुनीति को भी उसके दोनों पुत्र अपने बाहुपाश में बाँधे हुए थे पर उनकी होंठों का लक्ष्य सुनीति के तने हुए स्तन थे. दोनों ने एक एक स्तन को अपने होंठों में लिया हुआ था. वहीँ जहाँ असीम के हाथ सुनीति की चूत को छेड़ रहे थे, कुमार ने अपने हाथ को सुनीति के नितम्बों पर रखा हुआ था और संभवतः उसकी एक या दो उँगलियाँ उसकी गांड को छेड़ रही थीं.
सभी देख रहे थे कि सुनीति पलंग पर बैठी और अपने दोनों बेटों के लौड़े अपने मुंह में लेकर एक एक करके चाटने लगी फिर उसने एक एक करके उन्हें अपने मुंह में लेकर चेतना शुरू किया. दर्शक दीर्घा उस दोनों के लंड देखकर बहुत प्रभावित थी. औरतें अपनी चूतें मसल रही थीं और लड़के सुनीति के हिलते मम्मों में खोये हुए थे. आदमियों का ध्यान दूसरी ओर चल रहे समागम पर था जहाँ अब अग्रिमा भी पलंग पर बैठी अपने नाना और पिता के लौड़े चूस रही थी. जब उन्हें ये निश्चित हो गया की अब लंड अपने सबसे कड़े स्तर पर पहुँच गए हैं तो अग्रिमा पलंग पर लेट गयी. जीवन उसके आगे झुका और उसकी चूत में अपना मुंह डालकर उसे चूसने लगा. दर्शकों को दूरी के कारण अधिक कुछ दिख नहीं रहा था, परन्तु उन्हें इस प्रेमालाप की भावना अधिक प्रिय थी.
सुनीति भी अब लेटी हुई थी और उसकी चूत में कुमार ने अपना मुंह डाला हुआ था.
आशीष ने ऊपर होते हुए अपने लंड को अग्रिमा के मुंह में डाल दिया जिसे वो बहुत प्रेम से चूस रही थी. असीम ने अपने लंड को सुनीति के मुंह में डाला हुआ था और वो अपने हाथों से सुनीति के बड़े बड़े मम्मे दबा रहा था. हालाँकि दर्शक सूक्ष्मता से कुछ भी नहीं देख रहे थे परन्तु उन्हें ये अवश्य चकित कर रहा था कि इस परिवार को इतने लोगों के सामने अपने प्रदर्शन में कोई भी कठिनाई नहीं हो रही थी. कई लोग अपने पहले प्रदर्शन की याद करके अचंभित थे, क्योंकि उन्हें बहुत ही कठिनाई हुई थी.
अब चूँकि समय सीमित था, इसलिए जीवन ने उठकर अपने लंड को अग्रिम की चूत में लगाकर अंदर धकेल दिया. जैसे ही उसका लंड अंदर प्रवेश किया हॉल तालियों की ध्वनि से गूँज उठा. और ये तालियाँ रुक नहीं पायीं क्योंकि कुमार ने भी अपने लंड को सुनीति की योनि में डाल दिया था. कुछ समय पश्चात् तालियॉँ थम गयीं, परन्तु चुदाई अभी प्रारम्भ ही हुई थी.
जीवन और कुमार अपनी समुदाय की अन्य स्त्रियों को अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए अच्छी गति से लम्बी और गहरी चुदाई कर रहे थे. और सच ये था कि उनके इस कौशल पर समुदाय की अधिकतर स्त्रियां अपनी चूत से बहते हुए पानी को रोक नहीं पा रही थीं. परन्तु इसका अर्थ ये नहीं था कि पुरुष वर्ग किसी भी प्रकार की ईर्ष्या से उद्विग्न था. सभी यहाँ पर सम्भोग को प्रेम का पर्याय मानते थे और जहाँ शक्तिशाली चुदाई अच्छी लगती थी, वहीँ प्रेम का सम्भोग ही इस पूरे समुदाय की नींव थी.
कुछ समय के बाद जीवन और आशीष ने अपने स्थान परिवर्तित किये और अब आशीष अपनी बेटी की चुदाई में व्यस्त हो गया वहीँ अग्रिमा अपने नाना के लंड पर से अपनी चूत के रस को चाटने के बाद चूसने लगी. परिवार के सामंजस्य की ये अति थी की जहाँ एक ओर कुछ भी परिवर्तन होता कुछ ही समय में बिना किसी आग्रह के दूसरी ओर वही होता था. इसीलिए असीम अब अपनी मन सुनीति की चुदाई कर रहा था और कुमार सुनीति को उसकी ही चूत के रस से लथपथ लंड चूसने के लिए प्रस्तुत कर रहा था. सुनीति ने उसे अपने मुंह में लेने में एक क्षण की भी देरी नहीं की.
हॉल का वातावरण अत्यंत ही वासनामयी हो चूका था. सभी लोग बहुत कामंतुक हो चुके थे परन्तु सामने चल रहे दृश्य पर से वे आंख नहीं हटा पा रहे थे. कुछ स्त्रियों अपने साथी के लंड अपने हाथ में लेकर हिला अवश्य रही थीं पर उनका पूरा ध्यान सामने चल रही चुदाई पर ही था. चूँकि प्रदर्शनी के लिए मात्र २० मिनट ही नियुक्त थे, एक घंटी ने खिलाडियों को सूचित किया कि अब केवल ५ ही मिनट बचे हैं. परन्तु इस सूचना की आवश्यकता नहीं थी, सुनीति और अग्रिमा की आनंदकारी सिसकारियां हॉल में गूंज रही थीं. और चारों पुरुष भी अपने चार्म पर पहुँच चुके थे. कुछ ही क्षणों में प्रेम के लावे ने सुनीति और अग्रिमा की चूतों को भर दिया। दूसरे छोर पर भी कुमार और जीवन ने अपने रस से दोनों के मुंह भर दिए.
जीवन, आशीष, कुमार और असीम उठकर खड़े हुए और सबके सामने झुकते हुए तालियों का अभिनन्दन किया. अभी दर्शक ये सोच ही रहे थे कि प्रदर्शनी समाप्त हुई है, कि अग्रिमा उठी और उसने जाकर अपनी माँ के मुंह पर अपनी चूत रखते हुए 69 की मुद्रा में सुनीति की चूत में अपना मुंह डाल दिया. माँ बेटी ने एक दूसरे की चूतों से बाह रहे रस को चाटकर और चूसकर ग्रहण किया. हॉल में तालियां अब रुक नहीं रही थीं. जब अग्रिमा ने अपने चेहरे को ऊपर किया तो सभी उसके चेहरे पर चमक रहे कामरस को देख पा रहे थे.
इस बार अग्रिमा उठ गयी और उसने झुकते हुए अभिनन्दन किया और उसके पीछे पीछे सुनीति ने भी आकर यही कार्य सम्पन्न किया. इसके बाद सबने अपने चोगे पहने और एक ओर खड़े हो गए.
इसके बाद मधुजी ने घोषणा की, “इसके साथ ही वो सारे कार्यक्रम जो आवश्यक तो हैं पर जिनसे आप सबके मिलन समारोह में रुकावट आती है, समाप्त हुए.”
पूरा हॉल इस टिप्पणी पर हंसने लगा.
“अब हम भोजन के लिए एक घंटे का विराम लेंगे. भोजन सदैव के समान उसी स्थान पर है. मैं प्रबंधन समिति के सदस्यों से आग्रह करूंगी कि वे आगे आएं और हमारे नए परिवार को भोजन के लिए ले चलें.”
भोजन भी एक प्रकार का मिलन समारोह ही था. सभी एक दूसरे के साथ मिल रहे थे. सबसे अधिक उत्सुकता राणा परिवार से मिलने की थी और उनके पास बहुत लोग जमा थे. एक दूसरे से परिचय हो रहा था पर चूँकि फोन या और कुछ भी उपलब्ध नहीं था तो सभी समुदाय की प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका की प्रतीक्षा कर रहे थे, जो समारोह के अंत में मिलती है. इसका प्रकाशन गुप्त रखा जाता था, हालाँकि इसमें ऐसा कुछ भी नहीं होता था जो आपत्तिजनक हो.
पलक झपकते और भोजन समाप्त होने में एक घंटा निकल गया और सभी लौट कर अपने निर्धारित स्थानों पर लौट गए. राणा परिवार भी स्टेज पर अपने पहले वाले स्थान पर पहुँच कर अगले कार्यक्रम की प्रतीक्षा करने लगा. हॉल को लॉक करने के पश्चात् मधुजी ने फिर से माइक संभाला, पर इस बार उनके साथ उनका साथी भी था जो २० २२ वर्ष का लड़का था. घुंघराले बालों और लम्बे चौड़े व्यक्तित्व के उस लड़के की आभा बहुत आकर्षक थी. सुनीति के मुंह में पानी आ गया. परन्तु उसे अभी समुदाय के नियम ठीक से पता नहीं थे और इसीलिए उसने अपनी भावनाओं को संयत किया. और मधुजी की घोषणा सुनने लगी.
मधुजी: “दोस्तों, आज मुझे बहुत प्रसन्नता है कि हमारा ये समुदाय अब २५ सदस्यों को छू चुका है. मैं ये भी बड़े गर्व से कहती हूँ, कि हमारे समुदाय से इन बारह वर्षों में आज तक कोई बाहर नहीं गया है. हम सब परिवार में स्वेच्छिक और बिना सीमा या ईर्ष्या के संबंधों में विश्वास रखते हैं. ये भी प्रसन्नता का विषय है कि आज हमारे दसवें जोड़े का विवाह संपन्न हुआ है. अर्थ ये है कि हमारे बीच में २० परिवार हैं जो अब सम्बन्धी भी बन चुके है. इससे हमारा समुदाय और भी निकट आएगा और आशा है कि हम सब एक दूसरे को इसी प्रकार से प्रेम करते रहेंगे.”
ये कहते हुए मधुजी ने अपने साथ खड़े लड़के की ओर देखकर सर हिलाया और स्वयं माइक पर बोलती रहीं. लड़के ने उनके चोगे की डोर खोली और उसे उतारकर एक ओर रख दिया. लड़के न अपना भी चोगा निकाला और मधुजी के चोगे के साथ रख दिया. सभी स्त्रियां उस कामदेव जैसे मोहक लड़के के देखकर आहें भरने लगीं. लड़का जिसने नाम सिद्धार्थ था मधुजी के पीछे खड़ा होकर उनके स्तन दबा रहा था. उसके पीछे खड़े होने के कारण उसका पूरा शरीर सबको दिख नहीं रहा था, पर जो औरतें उसके साथ समागम कर चुकी थीं वो जानती थीं कि वो एक पारंगत प्रेमी है और उन्हें मधुजी से जलन हो रही थी कि उन्हें आज उसका सामंजस्य प्राप्त हुआ है.
मधुजी के लिए ये नया नहीं था, वे बिना रुके अपनी बात कहे जा रही थीं, और अब उनकी बातें समाजिक परिपेक्ष में अश्लील होने लगी थीं. “मुझे आशा है कि ये समय एक बार चूत चुदवाने और एक बार गांड मरवाने के लिए पर्याप्त होगा. और आप में से कोई भी इस आनंद से वंचित नहीं रहेगा. मैं उन सदस्य महिलाओं को बधाई देती हूँ जिन्हे आज दो पुरुषों का संसर्ग प्राप्त हुआ है. मुझे आशा है कि वे इस अवसर का पूरा लाभ उठाएंगी और अपनी चूत और गांड दोनों में लौड़े लेकर अपनी शरीर और आत्मा की तृप्ति करेंगी. हमारा ये चरण सदैव के समान सवा घंटे का होगा और इसके बाद ३० मिनट का एक और विराम होगा. तो चलिए अब इस परस्पर प्रेम का आनंद उठायें.”
ये कहते हुए मधुजी ने माइक बंद किया और मुड़कर सिद्दार्थ के बाँहों में लेकर उसे चूम लिया. और ये चुम्बन चलता रहा और एक दूसरे को चूमते हुए वे अपने निर्धारित पलंग पर पहुँच गए. अन्य पलंगों पर भी यही गतिविधि चल रही थी. राणा परिवार जो ऊपर स्टेज पर बैठा था उसे सामने का पूरा सामूहिक चुदाई का दृश्य दिख रहा था. इस सबसे अलग एक महिला निकल कर उस कक्ष में गयी जहां पर निगरानी पर लगा हुआ लड़का CCTV देख रहा था. कमरा बंद करते हुए उसने अपना चोगा निकाला और फिर उस लड़के को अपनी बाँहों में लेकर उसके चोगे को भी अलग कर दिया और उसके लंड को चूसने में व्यस्त हो गयी.
मुख्य हॉल में अब जो दृश्य था वो वासना का तांडव ही था. हर पलंग पर जोड़े एक दूसरे को संतुष्ट करने का प्रयास कर रहे थे. मधुजी की चूत में इस समय उस लड़के का मुंह था और उनके चेहरे के भावों से वो उन्हें सुख देने में उत्तीर्ण होता हुआ प्रतीत हो रहा था. किसी पलंग पर चूत चाटी जा रही थी, तो कहीं पर लंड. कहीं गांड में मुंह डाले हुए आदमी अपनी साथिन को सुख दे रहा था तो कहीं स्त्रियां अपने पुरुष साथी के लंड चूस रही थीं. राणा परिवार ये सब देखते हुए स्वयं भी उत्तेजित हो रहा था. फिर जीवन ने अपना चोगा उतारा और सुनीति के सामने अपने लंड को हिलाया. परिवार के लिए ये संकेत पर्याप्त था. चंद पलों में ही सबके चोगे धूल चाट रहे थे. सुनीति के सामने चार लौड़े झूल रहे थे क्योंकि अग्रिमा तो सामने चल रही कामलीला से अपने आपको पृथक करने में असफल रही थी.
सुजाता के साथ उनकी ही आयु का एक पुरुष था जो उसकी चूत चाटने के बाद अब उसके मुंह में अपने लंड को पेल रहा था. सुजाता अपनी चूत अपने ही हाथों से मसल रही थी. विवेक को आज एक ५६ वर्ष की स्त्री का संसर्ग प्राप्त हुआ था जो उसके लंड पर जान न्योछावर कर रही थी. और उसने चूत से पहले अपनी गांड मरवाने की इच्छा की थी. विवेक को एक भले मानुस होने के कारण इसमें कोई आपत्ति नहीं थी. मोहन जिस स्त्री के साथ था उसकी आयु ४५ वर्ष के निकट थी और वो उन सौभाग्यशाली महिलाओं में थी जिन्हें दो पुरुष साथी लॉटरी में मिले थे. और वो मधुजी के सुझाव अनुसार इसका पूरा लाभ उठा रही थी. जहाँ उसने मोहन के लंड को अपने मुंह में लिया हुआ था वहीँ एक ५० वर्ष का पुरुष उसकी चूत और गांड चाटने में व्यस्त था. इस सज्जन से वो पहले भी कई बार चुद चुकी थी और वो चाटने और गांड मारने के ही इच्छार्थी थे. चूत पर वो कम ही ध्यान देते थे. इसी कारण आज वो अपने आप को दोनों ओर से चुदवाने की इच्छुक थी.
अग्रिमा के ध्यान को न बाँटते हुए सुनीति ने चारों को स्वयं ही संतुष्ट करने का निश्चय किया. उसने जीवन को लिटाते हुए उनके लंड को अपनी चूत में सरकाया और अच्छी सवारी गांठ ली. इस ताल में आने के बाद जब उसे लगा की लंड सही बैठ गया है वो आगे की और झुकी. असीम ऐसी ही स्थिति के लिए अपने आप को एयर किये हुए था और उसने कुमार से बाजी मारते हुए, अपने लंड को सुनीति की गांड में पेल दिया. सुनीति की आनंद भरी कराह निकल गयी. पर उसे सोचने के लिए अधिक समय नहीं मिला क्योंकि इस बार कुमार ने अपने पिता को हराते हुए अपनी माँ के मुंह में लंड पेल दिया. आशीष मन मसोस कर रह गया. पर सुनीति ने उसे पास बुलाया और वो कुमार और आशीष के लंड एक एक करके चूसने लगी. माँ, पत्नी और बहू का ये दायित्व वो बिना किसी कठिनाई के निभा रही थी. जीवन अब उसकी चूत पेल रहा था और असीम गांड. मुंह में दो दो लंड गोचर कर रहे थे. इससे अधिक किसी भी स्त्री को जीवन में और क्या चाहिए भला?
स्मिता के हाथ आज कुछ निराशा हाथ लगी थी. मधुजी के पति उसके साथी थे और ये विदित था कि वे अब इस मिलन में समय निकालने हेतु ही आते थे. वो चुदाई तो करने में सक्षम थे, परन्तु उनमे इतना बल नहीं था कि वे सुनीति या समुदाय की अन्य चुड़क्कड़ औरतों को संतोष कर पाते। इसकी कमी वे चूत और गांड चाटकर पूरी करने का प्रयास करते थे, पर जो औरत लौड़ा खाने के लिए आयी हो, उसे मुंह से वो सुख नहीं मिलता था. यही कारण था कि मधुजी के बिस्तर में उनका बेटा और बहू और उनके दो लड़के सोते थे. पलंग को इतना बड़ा बनवा लिया था कि सभी आसानी से उसमे समा जाते थे. सप्ताह में एक दो दिन मधुजी समुदाय के किसी लड़के या लड़की को बुला लेती थीं. उनके पति अब अलग कमरे में ही सोते थे. दोनों कमरों को कांच की दीवार से बाँटा था और वो जब तक इच्छा होती चुदाई देखते और सो जाते. उन्हें किसी भी प्रकार की कोई भी आपत्ति नहीं थी और वे अपने जीवन से संतुष्ट थे.
पर स्मिता के लिए ये दिन दुखदायक था. अन्य स्त्रियों का भी यही मत था परन्तु ये कहना नियमों के विरुद्ध था इसीलिए, कोई भी शिकायत नहीं करता था. स्मिता ने आज की रात किसी बहाने मेहुल के साथ बिताने का निश्चय किया. और इस निर्णय से उसकी आत्मा शांत हुई और वो अपनी चूत और गांड पर चलती हुई जीभ का आनंद लेने लगी. फिर उसने अगले आने वाले चरण के बारे में सोचा और एक नयी आशा से उसका मन भर गया.
हर पलंग पर एक नयी कथा लिखी जा रही थी. पर जो स्टेज पर चल रहा था उसका कोई सानी नहीं था.
जो भी स्टेज की ओर देख पा रहा था वो सुनीति की क्षमता से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पा रहा था. इस समय उसके शरीर में दो बड़े और मोटे लौड़े चूत और गांड की तीव्र और व्यग्र चुदाई कर रहे थे, पर वो इसके पश्चात् भी अपने सामने खड़े दो लौडों को अपने मुंह से समाप्ति की ओर लेकर रही थी.
पूरा हॉल इस समय सिसकारियों, आहों और चीखों से गुंजायमान था. मधुजी की चूत में एक बार रस गिराने के बाद सिद्दार्थ अब उनकी गांड की अच्छी गहरी चुदाई कर रहा था. मधुजी जो चुदाई की अग्रणी खिलाड़ी थीं उसका चीख चीख कर उत्साह बढ़ा रही थीं. अन्य सभी पलंग से भी अब इसी प्रकार की वासनामयी चीखों की ध्वनि आ रही थी.
जब इस चरण का समय समाप्त होना था उसके १० मिनट पहले एक घंटी बजी. जो लोग अपने चर्म पर थे उन्होंने अपने कार्य को शीध्र सम्पन्न किया. जो अभी भी दूर थे उन्होंने चुदाई में तीव्रता लाई और अंततः सभी समय समाप्ति पर कम से कम दो बार झड़ चुके थे. महिलाओं ने अपने साथी के लंड को मुंह में लेकर साफ किया और फिर सब अपने चोगे पहन कर बाहर जलपान के लिए निकल गए.
इस बार भी जीवन के परिवार से मिलने कई परिवार पहुंचे पर नवविवाहित जोड़े के दोनों परिवारों के पास भी लगभग उतनी ही भीड़ थी. और इसका एक विशेष कारण था. दूल्हे की माँ हर आने वाले पुरुष के हाथ पर कुछ लिख रही थी. वहीँ दुल्हन के पिता यही कार्य आने वाली स्त्रियों के हाथों पर कर रहे थे. आधा घंटा यूँ ही समाप्त हो गया और सभी लोग अंदर लौट गए.
क्रमशः
parsanshniyeHello Friends,
main apni pahli kahani yaha post kar raha hoon.
kahani main hindi mein likhoonga.
shayad mein ek hafte mein 2 se jyada update na de paoon.
Jo lekhak hindi mein likhate hain agar wo bata saken ki wo kaise likhte hain to shayad, mein thoda jyada bade update de paoonga. kyonki mujhe kafi time lag raha hai.
kahani mein lagbhag 40 se 50 tak updates honge.
mein koin intro nahin de raha hoon, jaise jaise log ayenge, unhe introduce karta rahoonga.
Aj aur kal mein is kahani ki 5 se 7 jhalakiyan post karoonga.
Kahani ki posting saturday se hogi.
Thank you every one.
I hope, mein apka manoranjan kar paoonga.
(103749 )
Jabardast मिलन समारोह... explanation of scene is just unbelievable...bhai..smita ki family m bs smita hi ay??
parsanshniye
Bhai jo mil raha hai usse khush hone ki bajay... Jo nahi mil raha... Uske liye dukhi....Almost No response.
Bhai jo mil raha hai usse khush hone ki bajay... Jo nahi mil raha... Uske liye dukhi....
Thoda dhairya rakhein