विलेन के मंगेतर आप ही होने वाले हैं सर जी।Abb etna bhi bujurg mat banwa do naina ji....haa side character jo 35 ya 40 year's ka ho to chalega.![]()
उम्र लगभग 25 वर्ष। फिकर नॉट
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Last edited:
विलेन के मंगेतर आप ही होने वाले हैं सर जी।Abb etna bhi bujurg mat banwa do naina ji....haa side character jo 35 ya 40 year's ka ho to chalega.![]()
धन्यवाद आपका सर जी और सभी पाठकों का।For completed 5k views on your story thread....
अब 1 बजने वाले हैं सर जी।Mere ghadi me 1 baj rahe hain... Update jaldi se chhap dijiye... Despitare waiting
Kahin ki ye gundi ho rahi hai... Falane ko bolun kya... Tujhe pahunch ka andaja nahi...ju ko badi hanshi aa rahi hai
lekhika ko bolu kya ju ko bhi add karne liye story pe as a kirdaar sanju kaka![]()
Iss par waise main apne 2 mitr kamdev99008 babu (gussa to na ho, baad me reply dekha mujhe laga bhavnao me jyada bol gaya... Solly) and the copyright owner of Kajal Chutiyadr ...Kahin ki ye gundi ho rahi hai... Falane ko bolun kya... Tujhe pahunch ka andaja nahi...
Lekhika mahoday pahle update me maa Naina Devi ko na dikha'kar jo sanket diye hain ki wo chaandaalni hogi... Bilkul karele aur mim mix juban... Aur chugli karna jiske rag rag me ho... Iss momentum ko maintain na kijiyega...
Aur haan ek event ye bhi daliye... Nayan jab paida hua tha... Uske upar haldi mirch aur namak laga'kar cooker me dalne hi wali thi ki tabhi naina ki saas aa gayi... Bole to nayan ki dadi... Wrna aaj naina devi ke 1 hi aulaad hoti... Kajrari kajal![]()
दूसरा भाग
दरवाज़ा खटखटाने पर अभिषेक की बहन पायल ने दरवाज़ा खोला और मैं घर के अंदर चला गया। आज रविवार का दिन था।
अभिषेक के घर में उस समय उसके मम्मी पापा कहीं बाहर गए हुए थे। घर में अभिषेक और उसकी बहन पायल ही थे उस समय। मैं जब अभिषेक के कमरे के पास पहुंचा तो मुझे भोजपुरी संगीत की धुन सुनाई पड़ी। मैं जाकर उसका दरवाज़ा खोला तो वो खुल गया।
अंदर अभिषेक बुफर पर पवन सिंह की फ़िल्म का भोजपुरी गाना " रात दीया बुता के पिया क्या क्या किया" बजाए हुए था और नृत्य कर रहा था। अरे माफ करना, इसे नृत्य कहना नृत्य का अपमान होगा। दरअसल अभिषेक इस गाने पर बंदर की तरह गुलाटी मार रहा था। कभी जमीन से कूदकर बिस्तर पर चढ़ जाता और उछलने लगता तो कभी बिस्तर से जमीन में कूदकर उछालने लगता। उसे देखकर मुझे हंसी आ रही थी।
जब उसने मुझे दरवाज़े के पास देखा तो उसी तरह उछलते कूदते मेरे पास आया और मुझे पकड़कर फिर से नृत्य करने में लग गया। मैंने उससे कहा।
मैं- अबे घोंचू क्या कर रहा है ये तू पागलों की तरह।
अभिषेक- अबे देख नहीं रहा है नृत्य कर रहा हूँ। ऐसा नृत्य कभी देखा नहीं होगा तुमने।
मैं- सही बोला तुमने। ऐसा नृत्य मैं अपने जीवन में पहली बार देख रहा हूँ। अबे घोंचू तू इसे नृत्य बोलता है। बंदर की तरह उछल रहा है। अगर इस गाने को आम्रपाली दुबे और पवन सिंह देख लें न तो वो दोनों अभिनय करना ही बंद कर दे तेरी प्रतिभा को देखकर और गलती से अगर बंदरों ने देख लिया तो वो तो बहुत खुश हो जाएंगे और तुझे अपने साथ ले जाएंगे।
अभिषेक- अबे तुझसे मेरी कोई खुशी बर्दास्त क्यों नहीं होती। जब भी मैं कुछ अच्छा करने की कोशिश करता हूँ तू बीच में टपक पड़ता है। अरे कम से कम प्रोत्साहित नहीं कर सकता मुझे तो हतोत्साहित तो मत किया कर।
मैं- अरे तू तो नाराज़ हो गया। चल आजा। तुझे खुश करता हूँ।
इतना कहकर मैंने अपना मोबाइल बुफेर से जोड़ा और लहू के दो रंग फ़िल्म का "मुझको राणा जी माफ़ करना गलती म्हारे से हो गई" चालू कर दिया और अभिषेक से बोला।
मैं- चल आजा मेरे जिगर के छल्ले। शमा रंगीन बनाते हैं।
उसके बाद मैंने और अभिषेक ने मिलकर इस गाने पर जो कमर लचकाई की बस पूछिये ही मत, यहाँ भी कमर तो सिर्फ मेरी लचक रही थी। अभिषेक का तो पूरा शरीर लचक रहा था। गाना खत्म होते ही हम दोनों धड़ाम से बिस्तर पर बैठ गए और जोर जोर से हँसने लगे। थोड़ी देर बाद जब हमारी हंसी रुकी तो मैंने अभिषेक से पूछा।
मैं- अच्छा ये बता। तू इतना नाच किस खुशी में रहा है। अभी तो परीक्षा का परिणाम भी नहीं आया है। जिससे लगे कि उसी की खुशी मना रहा है।
अभिषेक- देख भाई। परीक्षा का परिणाम आये उससे पहले ही खुशी मना ले रहा हूँ । क्या पता बाद में मौका मिले या न मिले।
मैं- मतलब। तू कहना क्या चाहता है।
अभिषेक- देख भाई। इस बार बोर्ड की परीक्षा दी है। और आज परिणाम आ रहा है तो सुबह से मैं बहुत नरवस हूँ। एक डर से लग रहा था। तो उसी डर को दूर करने के लिए मैंने सोचा कि कुछ ऐसा किया जाए के डर भी दूर हो जाए और मज़ा भी आए। तो मुझे ये आईडिया बहुत सही लगा। और परिणाम आने से पहले खुशी भी मना ली। क्या पता मैं लटक गया तो, इसलिए मैंने ये नृत्य करने की सोची।
मैं- क्या बात है भाई। तू तो बहुत दूर की सोचता है। और वैसे भी तुझे किस बात का डर है। कक्षा नर्सरी से लेकर कक्षा नौ तक तू हमेशा प्रथम आता रहा है। तो इसमें भी प्रथम ही आएगा। डर तो मुझे भी लग रहा है। लेकिन सच में तेरे आईडिया बहुत अच्छा था। डांस करके तो मेरा सारा डर चला गया है।
अभिषेक- भाई। अगर मैं प्रथम आता था तो तू भी तो मेरे पीछे ही रहता था। तेरा भी परिणाम अच्छा ही आएगा। बहुत अच्छा आएगा।
फिर हम दोनों बैठे अपने परीक्षा के परिणाम के बारे में इधर उधर की बातें करते रहे। इसी तरह अभिषेक के यहां बैठे बैठे शाम को 4.30 बज गए। परीक्षा का परिणाम किसी भी वक्त घोषित हो सकता था। मैं और अभिषेक मोबाइल में ही वेबसाइट खोलकर बैठे हुए थे। जैसे ही परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ। मैंने मोबाइल अभिषेक को पकड़ते हुए कहा।
मैं- ले भाई तू ही देख कर बता। मेरी तो हिम्मत जवाब दे रही है।
अभिषेक- चूतिये। तू हमेशा फट्टू ही रहेगा। बात तो ऐसे कर रहा है जैसे किसी लड़की को देखने जा रहा है। अरे परीक्षा का परिणाम देखना है। किसी लड़की से बात नहीं करनी है।
वैसे अभिषेक ने सच ही कहा था लड़कियों के मामले में मैं बहुत फट्टू किस्म का था, लड़कियों से बात करने में मुझे डर से लगता था। अगर कोई लड़की मुझसे 1-2 मिनट भी बात कर लेती थी तो मेरे पैर कांपने लगते थे। मेरा रक्तचाप बढ़ जाता था। मेरे शरीर से पसीने छूटने लगते थे। इसका कारण था मेरे पापा के अच्छे संस्कार। वो तो मुझसे बस इतना ही हमेशा कहते थे कि लड़कियों/महिलाओं का हमेशा सम्मान करना चाहिए। उनके साथ अभद्रता और जोर जबरदस्ती करने वाला सच्चा मर्द नहीं होता। याद रखना बेटा जो दूसरों की बहन-बेटियों पर बुरी नजर रखता है। उसकी भी बहन- बेटियां बुरी नजर से ही देखी जाती हैं।
बस पापा की इस बात को मैंने कुछ ज्यादा ही गंभीरता से ले लिया। जिससे मुझे लड़कियों में रुचि न के बराबर रह गई थी। यही कारण है कि कक्षा 10 तक की पढ़ाई के दौरान मैंने किसी भी लड़की को उस नजर से नहीं देखा। इसका मतलब ये नहीं कि मैं गे हूँ।इसके बिल्कुल उलट अभिषेक हमेशा हंसी मजाक करता रहता था कक्षा की लड़कियों के साथ मगर अभी तक किसी के साथ उसका चक्कर नहीं चला था। वो भी अधिकतर अपने आपको प्यार मोहब्बत के चक्करों से खुद को दूर रखता था।
बहरहाल अभिषेक की बात सुनकर मैंने अभिषेक से कहा।
मैं- अब तू ज्यादा प्रधान मत बन और चुपचाप देख कर बता कि मैं पास हुआ या नहीं।
अभिषेक- नहीं पहले मैं अपना देखूंगा। उसके बाद तुम्हारा।
मैं- (हाथ जोड़कर) ठीक है मेरे बाप। जैसा तुझे सही लगे।
उसके बाद अभिषेक ने अपना परिणाम देखा और खुशी से बिस्तर पर उछल पड़ा और जोर से चिल्लाया।
अभिषेक- हुर्रे। अरे घोंचू मैं प्रथम श्रेणी से पास हो गया।
मैं- अब अगर तेरा उछलना कूदना हो गया हो तो मेरा भी देख ले भाई।
उसके बाद अभिषेक ने मेरा परिणाम देखना शुरू किया, लेकिन उसे मेरा अनुक्रमांक मिल ही नहीं रहा था। वो मुझसे बोला।
अभिषेक- भाई तेरा अनुक्रमांक तो दिख ही नहीं रहा है यहां पर। लगता है तू फेल हो गया भाई।
अभिषेक की बात सुनकर मेरा चेहरा उतर गया। मैं रुंआसा जैसा हो गया। मैंने तुरन्त उससे मोबाइल छीन लिया और अपना अनुक्रमांक सर्च किया। तो उसमें प्रथम श्रेणी लिखा हुआ परिणाम नजर आ रहा था। मैंने दोबारा सर्च किया तो वैसा ही प्रथम श्रेणी परिणाम दिखा रहा था। जब मैंने अभिषेक की तरफ देखा तो वो मंद मंद मुस्कुरा रहा था। मैं समझ गया कि इसने मेरी फिरकी ली है जान बूझकर। मैं उसकी तरफ आंखे दिखाकर बोला।
मैं- कमीने। तूने तो मुझे डरा ही दिया था। तुझे पता है ये सुनकर की मैं फेल हो गया। मेरी तो जान ही निकल गई थी। रुक तुझे बताता हूँ अभी।
इतना कहकर मैं अभिषेक के ऊपर कूद गया और खुशी से उसके गले लग गया। हम दोनों वक दूसरे से लिपट हुए बिस्टेर पर अलटने पलटने लगे।इतने में पायल ने कमरे में प्रवेश किया और हम दोनों को ऐसे एक दूसरे के ऊपर लेते हुए देखकर कहा।
पायल- क्या हो रहा है ये सब। किस बात पर एक दूसरे से प्रेमियों की तरह चिपटे हुए हो आप दोनों
उसकी बात सुनकर हम दोनों एक दूसरे से अलग हो गए। अभिषेक जल्दी से उठकर उसके पास गया और पायल को बाहों में भरकर बोला।
अभिषेक- तुझे पता है मैं प्रथम श्रेणी में पास हो गया। और नयन भी प्रथम श्रेणी में पास हुआ है।
अभिषेक की बात सुनकर पायल उससे लिपट गई और उसके गाल को चूमते हुए बोली।
पायल- मुझे पता था आप जरूर प्रथम श्रेणी में पास होंगे।
फिर पायल अभिषेक को छोड़कर मेरे पास आई और मुझसे लिपटकर मेरे गालों पर दांत गड़ा दिए जिससे मेरे मुंह से आह की आवाज़ निकल गई। अभिषेक ये देखकर हंसने लगा पायल भी हंसने लगी। मैंने पायल को अपने से दूर करते हुए कहा।
मैं- क्या करती है पायल। कोई इतनी जोर से काटता है क्या। देख निशान बन गया है तेरे दांतों का। अगर पापा ने देख लिया तो सोचेंगे मेरा किसी के साथ चक्कर है।
पायल- अरे भैया ये तो ख़ुशी में हो गया। और वैसे भी चाचा को पता है आप कैसे हो लड़कियों के मामले में। वो अभिषेक भैया क्या बोलते हैं आपको। हां फट्टू। तो चाचा जी भी जानते हैं कि उनका बेटा लड़कियों के मामले में फट्टू है।
इतना कहकर पायल जोर जोर से हंसने लगी। अभिषेक भी उनके साथ हंसने लगा। मेरे चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गई। मैंने पायल से कहा।
मैं- तू किसी दिन मेरे हाथों पीटने वाली है सच में। चल भाग यहां से नहीं तो आज ही पिट जाएगी। और तू साले मेरी ये बात इसे बताने की क्या जरूरत थी।
अभिषेक- क्या हुआ जो बता दिया तो। कोई दुश्मन थोड़ी ही है। बहन है अपनी। समझ।
मैं- और बहन ही सबसे ज्यादा फिरकी लेती है चुतिये।
अभी हम बात कर ही रहे थे कि अभिषेक के मम्मी पापा भी आ गए। हम दोनों ने अपने परीक्षा के परिणाम के बारे में बताया तो वो बहुत खुश हुए और बोले।
अभिषेक पापा- मुझे पता था मेरे बच्चे प्रथम श्रेणी में जरूर पास होंगे। ये लो मैं तुम दोनों के लिए कपड़े लाया हूँ। पास होने की खुशी में।
मैं- लेकिन चाचा जी आपको लगता था कि हम प्रथम श्रेणी में पास होंगे।
अभिषेक पापा- अरे मुझे पूरा यकीन था कि तुम दोनों प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होंगे।
उसके बाद हम दोनों ने उनके और अभिषेक की मम्मी के पैर छुवे और चाचा को बोलकर अभिषेक के साथ अपने घर के लिए निकल पड़ा।
इसके आगे की कहानी अगले भाग में।
Nice and superb update....दूसरा भाग
दरवाज़ा खटखटाने पर अभिषेक की बहन पायल ने दरवाज़ा खोला और मैं घर के अंदर चला गया। आज रविवार का दिन था।
अभिषेक के घर में उस समय उसके मम्मी पापा कहीं बाहर गए हुए थे। घर में अभिषेक और उसकी बहन पायल ही थे उस समय। मैं जब अभिषेक के कमरे के पास पहुंचा तो मुझे भोजपुरी संगीत की धुन सुनाई पड़ी। मैं जाकर उसका दरवाज़ा खोला तो वो खुल गया।
अंदर अभिषेक बुफर पर पवन सिंह की फ़िल्म का भोजपुरी गाना " रात दीया बुता के पिया क्या क्या किया" बजाए हुए था और नृत्य कर रहा था। अरे माफ करना, इसे नृत्य कहना नृत्य का अपमान होगा। दरअसल अभिषेक इस गाने पर बंदर की तरह गुलाटी मार रहा था। कभी जमीन से कूदकर बिस्तर पर चढ़ जाता और उछलने लगता तो कभी बिस्तर से जमीन में कूदकर उछालने लगता। उसे देखकर मुझे हंसी आ रही थी।
जब उसने मुझे दरवाज़े के पास देखा तो उसी तरह उछलते कूदते मेरे पास आया और मुझे पकड़कर फिर से नृत्य करने में लग गया। मैंने उससे कहा।
मैं- अबे घोंचू क्या कर रहा है ये तू पागलों की तरह।
अभिषेक- अबे देख नहीं रहा है नृत्य कर रहा हूँ। ऐसा नृत्य कभी देखा नहीं होगा तुमने।
मैं- सही बोला तुमने। ऐसा नृत्य मैं अपने जीवन में पहली बार देख रहा हूँ। अबे घोंचू तू इसे नृत्य बोलता है। बंदर की तरह उछल रहा है। अगर इस गाने को आम्रपाली दुबे और पवन सिंह देख लें न तो वो दोनों अभिनय करना ही बंद कर दे तेरी प्रतिभा को देखकर और गलती से अगर बंदरों ने देख लिया तो वो तो बहुत खुश हो जाएंगे और तुझे अपने साथ ले जाएंगे।
अभिषेक- अबे तुझसे मेरी कोई खुशी बर्दास्त क्यों नहीं होती। जब भी मैं कुछ अच्छा करने की कोशिश करता हूँ तू बीच में टपक पड़ता है। अरे कम से कम प्रोत्साहित नहीं कर सकता मुझे तो हतोत्साहित तो मत किया कर।
मैं- अरे तू तो नाराज़ हो गया। चल आजा। तुझे खुश करता हूँ।
इतना कहकर मैंने अपना मोबाइल बुफेर से जोड़ा और लहू के दो रंग फ़िल्म का "मुझको राणा जी माफ़ करना गलती म्हारे से हो गई" चालू कर दिया और अभिषेक से बोला।
मैं- चल आजा मेरे जिगर के छल्ले। शमा रंगीन बनाते हैं।
उसके बाद मैंने और अभिषेक ने मिलकर इस गाने पर जो कमर लचकाई की बस पूछिये ही मत, यहाँ भी कमर तो सिर्फ मेरी लचक रही थी। अभिषेक का तो पूरा शरीर लचक रहा था। गाना खत्म होते ही हम दोनों धड़ाम से बिस्तर पर बैठ गए और जोर जोर से हँसने लगे। थोड़ी देर बाद जब हमारी हंसी रुकी तो मैंने अभिषेक से पूछा।
मैं- अच्छा ये बता। तू इतना नाच किस खुशी में रहा है। अभी तो परीक्षा का परिणाम भी नहीं आया है। जिससे लगे कि उसी की खुशी मना रहा है।
अभिषेक- देख भाई। परीक्षा का परिणाम आये उससे पहले ही खुशी मना ले रहा हूँ । क्या पता बाद में मौका मिले या न मिले।
मैं- मतलब। तू कहना क्या चाहता है।
अभिषेक- देख भाई। इस बार बोर्ड की परीक्षा दी है। और आज परिणाम आ रहा है तो सुबह से मैं बहुत नरवस हूँ। एक डर से लग रहा था। तो उसी डर को दूर करने के लिए मैंने सोचा कि कुछ ऐसा किया जाए के डर भी दूर हो जाए और मज़ा भी आए। तो मुझे ये आईडिया बहुत सही लगा। और परिणाम आने से पहले खुशी भी मना ली। क्या पता मैं लटक गया तो, इसलिए मैंने ये नृत्य करने की सोची।
मैं- क्या बात है भाई। तू तो बहुत दूर की सोचता है। और वैसे भी तुझे किस बात का डर है। कक्षा नर्सरी से लेकर कक्षा नौ तक तू हमेशा प्रथम आता रहा है। तो इसमें भी प्रथम ही आएगा। डर तो मुझे भी लग रहा है। लेकिन सच में तेरे आईडिया बहुत अच्छा था। डांस करके तो मेरा सारा डर चला गया है।
अभिषेक- भाई। अगर मैं प्रथम आता था तो तू भी तो मेरे पीछे ही रहता था। तेरा भी परिणाम अच्छा ही आएगा। बहुत अच्छा आएगा।
फिर हम दोनों बैठे अपने परीक्षा के परिणाम के बारे में इधर उधर की बातें करते रहे। इसी तरह अभिषेक के यहां बैठे बैठे शाम को 4.30 बज गए। परीक्षा का परिणाम किसी भी वक्त घोषित हो सकता था। मैं और अभिषेक मोबाइल में ही वेबसाइट खोलकर बैठे हुए थे। जैसे ही परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ। मैंने मोबाइल अभिषेक को पकड़ते हुए कहा।
मैं- ले भाई तू ही देख कर बता। मेरी तो हिम्मत जवाब दे रही है।
अभिषेक- चूतिये। तू हमेशा फट्टू ही रहेगा। बात तो ऐसे कर रहा है जैसे किसी लड़की को देखने जा रहा है। अरे परीक्षा का परिणाम देखना है। किसी लड़की से बात नहीं करनी है।
वैसे अभिषेक ने सच ही कहा था लड़कियों के मामले में मैं बहुत फट्टू किस्म का था, लड़कियों से बात करने में मुझे डर से लगता था। अगर कोई लड़की मुझसे 1-2 मिनट भी बात कर लेती थी तो मेरे पैर कांपने लगते थे। मेरा रक्तचाप बढ़ जाता था। मेरे शरीर से पसीने छूटने लगते थे। इसका कारण था मेरे पापा के अच्छे संस्कार। वो तो मुझसे बस इतना ही हमेशा कहते थे कि लड़कियों/महिलाओं का हमेशा सम्मान करना चाहिए। उनके साथ अभद्रता और जोर जबरदस्ती करने वाला सच्चा मर्द नहीं होता। याद रखना बेटा जो दूसरों की बहन-बेटियों पर बुरी नजर रखता है। उसकी भी बहन- बेटियां बुरी नजर से ही देखी जाती हैं।
बस पापा की इस बात को मैंने कुछ ज्यादा ही गंभीरता से ले लिया। जिससे मुझे लड़कियों में रुचि न के बराबर रह गई थी। यही कारण है कि कक्षा 10 तक की पढ़ाई के दौरान मैंने किसी भी लड़की को उस नजर से नहीं देखा। इसका मतलब ये नहीं कि मैं गे हूँ।इसके बिल्कुल उलट अभिषेक हमेशा हंसी मजाक करता रहता था कक्षा की लड़कियों के साथ मगर अभी तक किसी के साथ उसका चक्कर नहीं चला था। वो भी अधिकतर अपने आपको प्यार मोहब्बत के चक्करों से खुद को दूर रखता था।
बहरहाल अभिषेक की बात सुनकर मैंने अभिषेक से कहा।
मैं- अब तू ज्यादा प्रधान मत बन और चुपचाप देख कर बता कि मैं पास हुआ या नहीं।
अभिषेक- नहीं पहले मैं अपना देखूंगा। उसके बाद तुम्हारा।
मैं- (हाथ जोड़कर) ठीक है मेरे बाप। जैसा तुझे सही लगे।
उसके बाद अभिषेक ने अपना परिणाम देखा और खुशी से बिस्तर पर उछल पड़ा और जोर से चिल्लाया।
अभिषेक- हुर्रे। अरे घोंचू मैं प्रथम श्रेणी से पास हो गया।
मैं- अब अगर तेरा उछलना कूदना हो गया हो तो मेरा भी देख ले भाई।
उसके बाद अभिषेक ने मेरा परिणाम देखना शुरू किया, लेकिन उसे मेरा अनुक्रमांक मिल ही नहीं रहा था। वो मुझसे बोला।
अभिषेक- भाई तेरा अनुक्रमांक तो दिख ही नहीं रहा है यहां पर। लगता है तू फेल हो गया भाई।
अभिषेक की बात सुनकर मेरा चेहरा उतर गया। मैं रुंआसा जैसा हो गया। मैंने तुरन्त उससे मोबाइल छीन लिया और अपना अनुक्रमांक सर्च किया। तो उसमें प्रथम श्रेणी लिखा हुआ परिणाम नजर आ रहा था। मैंने दोबारा सर्च किया तो वैसा ही प्रथम श्रेणी परिणाम दिखा रहा था। जब मैंने अभिषेक की तरफ देखा तो वो मंद मंद मुस्कुरा रहा था। मैं समझ गया कि इसने मेरी फिरकी ली है जान बूझकर। मैं उसकी तरफ आंखे दिखाकर बोला।
मैं- कमीने। तूने तो मुझे डरा ही दिया था। तुझे पता है ये सुनकर की मैं फेल हो गया। मेरी तो जान ही निकल गई थी। रुक तुझे बताता हूँ अभी।
इतना कहकर मैं अभिषेक के ऊपर कूद गया और खुशी से उसके गले लग गया। हम दोनों वक दूसरे से लिपट हुए बिस्टेर पर अलटने पलटने लगे।इतने में पायल ने कमरे में प्रवेश किया और हम दोनों को ऐसे एक दूसरे के ऊपर लेते हुए देखकर कहा।
पायल- क्या हो रहा है ये सब। किस बात पर एक दूसरे से प्रेमियों की तरह चिपटे हुए हो आप दोनों
उसकी बात सुनकर हम दोनों एक दूसरे से अलग हो गए। अभिषेक जल्दी से उठकर उसके पास गया और पायल को बाहों में भरकर बोला।
अभिषेक- तुझे पता है मैं प्रथम श्रेणी में पास हो गया। और नयन भी प्रथम श्रेणी में पास हुआ है।
अभिषेक की बात सुनकर पायल उससे लिपट गई और उसके गाल को चूमते हुए बोली।
पायल- मुझे पता था आप जरूर प्रथम श्रेणी में पास होंगे।
फिर पायल अभिषेक को छोड़कर मेरे पास आई और मुझसे लिपटकर मेरे गालों पर दांत गड़ा दिए जिससे मेरे मुंह से आह की आवाज़ निकल गई। अभिषेक ये देखकर हंसने लगा पायल भी हंसने लगी। मैंने पायल को अपने से दूर करते हुए कहा।
मैं- क्या करती है पायल। कोई इतनी जोर से काटता है क्या। देख निशान बन गया है तेरे दांतों का। अगर पापा ने देख लिया तो सोचेंगे मेरा किसी के साथ चक्कर है।
पायल- अरे भैया ये तो ख़ुशी में हो गया। और वैसे भी चाचा को पता है आप कैसे हो लड़कियों के मामले में। वो अभिषेक भैया क्या बोलते हैं आपको। हां फट्टू। तो चाचा जी भी जानते हैं कि उनका बेटा लड़कियों के मामले में फट्टू है।
इतना कहकर पायल जोर जोर से हंसने लगी। अभिषेक भी उनके साथ हंसने लगा। मेरे चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गई। मैंने पायल से कहा।
मैं- तू किसी दिन मेरे हाथों पीटने वाली है सच में। चल भाग यहां से नहीं तो आज ही पिट जाएगी। और तू साले मेरी ये बात इसे बताने की क्या जरूरत थी।
अभिषेक- क्या हुआ जो बता दिया तो। कोई दुश्मन थोड़ी ही है। बहन है अपनी। समझ।
मैं- और बहन ही सबसे ज्यादा फिरकी लेती है चुतिये।
अभी हम बात कर ही रहे थे कि अभिषेक के मम्मी पापा भी आ गए। हम दोनों ने अपने परीक्षा के परिणाम के बारे में बताया तो वो बहुत खुश हुए और बोले।
अभिषेक पापा- मुझे पता था मेरे बच्चे प्रथम श्रेणी में जरूर पास होंगे। ये लो मैं तुम दोनों के लिए कपड़े लाया हूँ। पास होने की खुशी में।
मैं- लेकिन चाचा जी आपको लगता था कि हम प्रथम श्रेणी में पास होंगे।
अभिषेक पापा- अरे मुझे पूरा यकीन था कि तुम दोनों प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होंगे।
उसके बाद हम दोनों ने उनके और अभिषेक की मम्मी के पैर छुवे और चाचा को बोलकर अभिषेक के साथ अपने घर के लिए निकल पड़ा।
इसके आगे की कहानी अगले भाग में।
दूसरा भाग
दरवाज़ा खटखटाने पर अभिषेक की बहन पायल ने दरवाज़ा खोला और मैं घर के अंदर चला गया। आज रविवार का दिन था।
अभिषेक के घर में उस समय उसके मम्मी पापा कहीं बाहर गए हुए थे। घर में अभिषेक और उसकी बहन पायल ही थे उस समय। मैं जब अभिषेक के कमरे के पास पहुंचा तो मुझे भोजपुरी संगीत की धुन सुनाई पड़ी। मैं जाकर उसका दरवाज़ा खोला तो वो खुल गया।
अंदर अभिषेक बुफर पर पवन सिंह की फ़िल्म का भोजपुरी गाना " रात दीया बुता के पिया क्या क्या किया" बजाए हुए था और नृत्य कर रहा था। अरे माफ करना, इसे नृत्य कहना नृत्य का अपमान होगा। दरअसल अभिषेक इस गाने पर बंदर की तरह गुलाटी मार रहा था। कभी जमीन से कूदकर बिस्तर पर चढ़ जाता और उछलने लगता तो कभी बिस्तर से जमीन में कूदकर उछालने लगता। उसे देखकर मुझे हंसी आ रही थी।
जब उसने मुझे दरवाज़े के पास देखा तो उसी तरह उछलते कूदते मेरे पास आया और मुझे पकड़कर फिर से नृत्य करने में लग गया। मैंने उससे कहा।
मैं- अबे घोंचू क्या कर रहा है ये तू पागलों की तरह।
अभिषेक- अबे देख नहीं रहा है नृत्य कर रहा हूँ। ऐसा नृत्य कभी देखा नहीं होगा तुमने।
मैं- सही बोला तुमने। ऐसा नृत्य मैं अपने जीवन में पहली बार देख रहा हूँ। अबे घोंचू तू इसे नृत्य बोलता है। बंदर की तरह उछल रहा है। अगर इस गाने को आम्रपाली दुबे और पवन सिंह देख लें न तो वो दोनों अभिनय करना ही बंद कर दे तेरी प्रतिभा को देखकर और गलती से अगर बंदरों ने देख लिया तो वो तो बहुत खुश हो जाएंगे और तुझे अपने साथ ले जाएंगे।
अभिषेक- अबे तुझसे मेरी कोई खुशी बर्दास्त क्यों नहीं होती। जब भी मैं कुछ अच्छा करने की कोशिश करता हूँ तू बीच में टपक पड़ता है। अरे कम से कम प्रोत्साहित नहीं कर सकता मुझे तो हतोत्साहित तो मत किया कर।
मैं- अरे तू तो नाराज़ हो गया। चल आजा। तुझे खुश करता हूँ।
इतना कहकर मैंने अपना मोबाइल बुफेर से जोड़ा और लहू के दो रंग फ़िल्म का "मुझको राणा जी माफ़ करना गलती म्हारे से हो गई" चालू कर दिया और अभिषेक से बोला।
मैं- चल आजा मेरे जिगर के छल्ले। शमा रंगीन बनाते हैं।
उसके बाद मैंने और अभिषेक ने मिलकर इस गाने पर जो कमर लचकाई की बस पूछिये ही मत, यहाँ भी कमर तो सिर्फ मेरी लचक रही थी। अभिषेक का तो पूरा शरीर लचक रहा था। गाना खत्म होते ही हम दोनों धड़ाम से बिस्तर पर बैठ गए और जोर जोर से हँसने लगे। थोड़ी देर बाद जब हमारी हंसी रुकी तो मैंने अभिषेक से पूछा।
मैं- अच्छा ये बता। तू इतना नाच किस खुशी में रहा है। अभी तो परीक्षा का परिणाम भी नहीं आया है। जिससे लगे कि उसी की खुशी मना रहा है।
अभिषेक- देख भाई। परीक्षा का परिणाम आये उससे पहले ही खुशी मना ले रहा हूँ । क्या पता बाद में मौका मिले या न मिले।
मैं- मतलब। तू कहना क्या चाहता है।
अभिषेक- देख भाई। इस बार बोर्ड की परीक्षा दी है। और आज परिणाम आ रहा है तो सुबह से मैं बहुत नरवस हूँ। एक डर से लग रहा था। तो उसी डर को दूर करने के लिए मैंने सोचा कि कुछ ऐसा किया जाए के डर भी दूर हो जाए और मज़ा भी आए। तो मुझे ये आईडिया बहुत सही लगा। और परिणाम आने से पहले खुशी भी मना ली। क्या पता मैं लटक गया तो, इसलिए मैंने ये नृत्य करने की सोची।
मैं- क्या बात है भाई। तू तो बहुत दूर की सोचता है। और वैसे भी तुझे किस बात का डर है। कक्षा नर्सरी से लेकर कक्षा नौ तक तू हमेशा प्रथम आता रहा है। तो इसमें भी प्रथम ही आएगा। डर तो मुझे भी लग रहा है। लेकिन सच में तेरे आईडिया बहुत अच्छा था। डांस करके तो मेरा सारा डर चला गया है।
अभिषेक- भाई। अगर मैं प्रथम आता था तो तू भी तो मेरे पीछे ही रहता था। तेरा भी परिणाम अच्छा ही आएगा। बहुत अच्छा आएगा।
फिर हम दोनों बैठे अपने परीक्षा के परिणाम के बारे में इधर उधर की बातें करते रहे। इसी तरह अभिषेक के यहां बैठे बैठे शाम को 4.30 बज गए। परीक्षा का परिणाम किसी भी वक्त घोषित हो सकता था। मैं और अभिषेक मोबाइल में ही वेबसाइट खोलकर बैठे हुए थे। जैसे ही परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ। मैंने मोबाइल अभिषेक को पकड़ते हुए कहा।
मैं- ले भाई तू ही देख कर बता। मेरी तो हिम्मत जवाब दे रही है।
अभिषेक- चूतिये। तू हमेशा फट्टू ही रहेगा। बात तो ऐसे कर रहा है जैसे किसी लड़की को देखने जा रहा है। अरे परीक्षा का परिणाम देखना है। किसी लड़की से बात नहीं करनी है।
वैसे अभिषेक ने सच ही कहा था लड़कियों के मामले में मैं बहुत फट्टू किस्म का था, लड़कियों से बात करने में मुझे डर से लगता था। अगर कोई लड़की मुझसे 1-2 मिनट भी बात कर लेती थी तो मेरे पैर कांपने लगते थे। मेरा रक्तचाप बढ़ जाता था। मेरे शरीर से पसीने छूटने लगते थे। इसका कारण था मेरे पापा के अच्छे संस्कार। वो तो मुझसे बस इतना ही हमेशा कहते थे कि लड़कियों/महिलाओं का हमेशा सम्मान करना चाहिए। उनके साथ अभद्रता और जोर जबरदस्ती करने वाला सच्चा मर्द नहीं होता। याद रखना बेटा जो दूसरों की बहन-बेटियों पर बुरी नजर रखता है। उसकी भी बहन- बेटियां बुरी नजर से ही देखी जाती हैं।
बस पापा की इस बात को मैंने कुछ ज्यादा ही गंभीरता से ले लिया। जिससे मुझे लड़कियों में रुचि न के बराबर रह गई थी। यही कारण है कि कक्षा 10 तक की पढ़ाई के दौरान मैंने किसी भी लड़की को उस नजर से नहीं देखा। इसका मतलब ये नहीं कि मैं गे हूँ।इसके बिल्कुल उलट अभिषेक हमेशा हंसी मजाक करता रहता था कक्षा की लड़कियों के साथ मगर अभी तक किसी के साथ उसका चक्कर नहीं चला था। वो भी अधिकतर अपने आपको प्यार मोहब्बत के चक्करों से खुद को दूर रखता था।
बहरहाल अभिषेक की बात सुनकर मैंने अभिषेक से कहा।
मैं- अब तू ज्यादा प्रधान मत बन और चुपचाप देख कर बता कि मैं पास हुआ या नहीं।
अभिषेक- नहीं पहले मैं अपना देखूंगा। उसके बाद तुम्हारा।
मैं- (हाथ जोड़कर) ठीक है मेरे बाप। जैसा तुझे सही लगे।
उसके बाद अभिषेक ने अपना परिणाम देखा और खुशी से बिस्तर पर उछल पड़ा और जोर से चिल्लाया।
अभिषेक- हुर्रे। अरे घोंचू मैं प्रथम श्रेणी से पास हो गया।
मैं- अब अगर तेरा उछलना कूदना हो गया हो तो मेरा भी देख ले भाई।
उसके बाद अभिषेक ने मेरा परिणाम देखना शुरू किया, लेकिन उसे मेरा अनुक्रमांक मिल ही नहीं रहा था। वो मुझसे बोला।
अभिषेक- भाई तेरा अनुक्रमांक तो दिख ही नहीं रहा है यहां पर। लगता है तू फेल हो गया भाई।
अभिषेक की बात सुनकर मेरा चेहरा उतर गया। मैं रुंआसा जैसा हो गया। मैंने तुरन्त उससे मोबाइल छीन लिया और अपना अनुक्रमांक सर्च किया। तो उसमें प्रथम श्रेणी लिखा हुआ परिणाम नजर आ रहा था। मैंने दोबारा सर्च किया तो वैसा ही प्रथम श्रेणी परिणाम दिखा रहा था। जब मैंने अभिषेक की तरफ देखा तो वो मंद मंद मुस्कुरा रहा था। मैं समझ गया कि इसने मेरी फिरकी ली है जान बूझकर। मैं उसकी तरफ आंखे दिखाकर बोला।
मैं- कमीने। तूने तो मुझे डरा ही दिया था। तुझे पता है ये सुनकर की मैं फेल हो गया। मेरी तो जान ही निकल गई थी। रुक तुझे बताता हूँ अभी।
इतना कहकर मैं अभिषेक के ऊपर कूद गया और खुशी से उसके गले लग गया। हम दोनों वक दूसरे से लिपट हुए बिस्टेर पर अलटने पलटने लगे।इतने में पायल ने कमरे में प्रवेश किया और हम दोनों को ऐसे एक दूसरे के ऊपर लेते हुए देखकर कहा।
पायल- क्या हो रहा है ये सब। किस बात पर एक दूसरे से प्रेमियों की तरह चिपटे हुए हो आप दोनों
उसकी बात सुनकर हम दोनों एक दूसरे से अलग हो गए। अभिषेक जल्दी से उठकर उसके पास गया और पायल को बाहों में भरकर बोला।
अभिषेक- तुझे पता है मैं प्रथम श्रेणी में पास हो गया। और नयन भी प्रथम श्रेणी में पास हुआ है।
अभिषेक की बात सुनकर पायल उससे लिपट गई और उसके गाल को चूमते हुए बोली।
पायल- मुझे पता था आप जरूर प्रथम श्रेणी में पास होंगे।
फिर पायल अभिषेक को छोड़कर मेरे पास आई और मुझसे लिपटकर मेरे गालों पर दांत गड़ा दिए जिससे मेरे मुंह से आह की आवाज़ निकल गई। अभिषेक ये देखकर हंसने लगा पायल भी हंसने लगी। मैंने पायल को अपने से दूर करते हुए कहा।
मैं- क्या करती है पायल। कोई इतनी जोर से काटता है क्या। देख निशान बन गया है तेरे दांतों का। अगर पापा ने देख लिया तो सोचेंगे मेरा किसी के साथ चक्कर है।
पायल- अरे भैया ये तो ख़ुशी में हो गया। और वैसे भी चाचा को पता है आप कैसे हो लड़कियों के मामले में। वो अभिषेक भैया क्या बोलते हैं आपको। हां फट्टू। तो चाचा जी भी जानते हैं कि उनका बेटा लड़कियों के मामले में फट्टू है।
इतना कहकर पायल जोर जोर से हंसने लगी। अभिषेक भी उनके साथ हंसने लगा। मेरे चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गई। मैंने पायल से कहा।
मैं- तू किसी दिन मेरे हाथों पीटने वाली है सच में। चल भाग यहां से नहीं तो आज ही पिट जाएगी। और तू साले मेरी ये बात इसे बताने की क्या जरूरत थी।
अभिषेक- क्या हुआ जो बता दिया तो। कोई दुश्मन थोड़ी ही है। बहन है अपनी। समझ।
मैं- और बहन ही सबसे ज्यादा फिरकी लेती है चुतिये।
अभी हम बात कर ही रहे थे कि अभिषेक के मम्मी पापा भी आ गए। हम दोनों ने अपने परीक्षा के परिणाम के बारे में बताया तो वो बहुत खुश हुए और बोले।
अभिषेक पापा- मुझे पता था मेरे बच्चे प्रथम श्रेणी में जरूर पास होंगे। ये लो मैं तुम दोनों के लिए कपड़े लाया हूँ। पास होने की खुशी में।
मैं- लेकिन चाचा जी आपको लगता था कि हम प्रथम श्रेणी में पास होंगे।
अभिषेक पापा- अरे मुझे पूरा यकीन था कि तुम दोनों प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होंगे।
उसके बाद हम दोनों ने उनके और अभिषेक की मम्मी के पैर छुवे और चाचा को बोलकर अभिषेक के साथ अपने घर के लिए निकल पड़ा।
इसके आगे की कहानी अगले भाग में।
tujhse naaraz nahi zindgi... Hairaan hu meinIss par waise main apne 2 mitr kamdev99008 babu (gussa to na ho, baad me reply dekha mujhe laga bhavnao me jyada bol gaya... Solly) and the copyright owner of Kajal Chutiyadr ...
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