जय खुद को बिजी रखने लगा। सत्यप्रकाश भी अगले दिन जय के साथ घर घूम और उसने अपनी मुहर लगा दी। जय घर की खरीददारी, और अपने लिए शादी की मार्केटिंग करने लगा। ममता और कविता उधर अपनी मार्केटिंग खुद कर रहे थे। किसी तरह दिन निकले और रजिस्ट्री का दिन आ गया। चुकी रजिस्ट्री, कविता और ममता के नाम थी तो सत्य के साथ, वो दोनों सीधे रजिस्ट्री ऑफिस पहुंचे। जय और सरदारजी पहले से इंतज़ार कर रहे थे। जय ने जब दोनों को देखा तो मुँह से निकला," उफ़्फ़फ़"।
कविता और ममता की फिटनेस काफी इम्प्रूव हो गयी थी। ममता ने भी वजन कम किया था। कविता जीन्स और टॉप में थी, उसके उभार बहुत सही लग रहे थे। ममता ने रेड कलर की सारी पहनी थी। उसे समझ नही आ रहा था, की किसको देखे। उसने पहले ममता को निहारा, ममता के पेट की चर्बी में कमी आयी थी। चेहरे पर भी सुधार था। वो गोगल लगाए हुए थी। उसके चेहरा देखने से साफ पता चल रहा था, की ब्यूटी पार्लर से आ रही है। एक दम ग्लोइंग चेहरा शायद उसने फेसिअल वगैरह कराया था। बाल भी डिज़ाइनर स्टाइल में कटे हुए थे। भौएँ भी बनी हुई थी। होंठों पर लाल लिपस्टिक, पैरों में सैंडल। उसने कभी ममता को इस रूप में नहीं देखा था। उसकी माँ शायद ही उसके सामने ब्यूटी पार्लर गयी थी। उसे उम्मीद नहीं थी कि ममता एक हफ्ते में इतनी खूबसूरत लगने लगेगी। दूसरी तरफ उसकी बहन कविता थी, जिसको शायद ही उसने कभी जीन्स में देखा था। वो तो हमेशा शलवार सूट में रहती थी। उसने अपने गॉगल्स सर पर टिकाए थे। होंठों पर पिंक लिपस्टिक, आंखों में गहरा काला काजल। वो भी ब्यूटी पार्लर से सीधे रैंप पर मॉडल की तरह आ रही थी। पैरों में काली सैंडल थी। कानो में बड़े मैटेलिक रंग के गोल झुमके। दोनों की केमिस्ट्री भी पहले से अलग थी। ऐसा लग रहा था जैसे दोनों सहेलियां हो। दोनों बिल्कुल मस्त लग रही थी।
"भाईसाहब, चले। सरदारजी ने जय को कंधे से हिलाकर कहा। मुझे और भी काम हैगा।"
दोनों मुस्कुराई और फिर सब अंदर चले गए। रजिस्ट्री होते होते चार घंटे लग गए। फिर भी अभी एक अंतिम प्रक्रिया बाकी थी। दोनों मा बेटी एक दूसरे से बात कर रहे थे। जय उनको देख रहा था। तभी सत्य उसके पास आया और बोला," क्या बात है, जीजाजी सब चीज़ ठीक जा रहा है, आपके लिए तो, दो बीवियां ये घर। क्या किस्मत है आपकी।"
जय- अरे नहीं ये सब तो.... एक..एक मिनट आपने हमको जीजाजी बोला। आप क्या बोल रहे हैं?
सत्य- अरे जीजाजी, आपका साला हैं हम, हमको सब पता है, कविता के साथ ममता दीदी को खजुराहो में ... ऐं... ऐं. ऐं। और हसने लगा।
तभी उन लोगों को अंदर बुलाने लगे।
सत्य- शादी वाले दिन सब पता चल जाएगा।