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Mast update h bhaiजय अब कविता के गाँड़ को पूरी रफ्तार से चोद रहा था। वो उसके चुतरो को कसके दोनों हाथों से भींच रहा था। कविता की चुच्चियाँ भी धक्कों के साथ ज़ोर से हिल रही थी।
जय- क्या मस्त चीज़ होती है, औरत की गाँड़ चलती है तो मर्दों को लुभाने का काम करती है और चुदती है तो बुर से भी ज्यादा मज़ा देती है। लण्ड को पूरे गिरफ्त में ले लेती है ये गाँड़ महारानी। हमको औरत का यही हिस्सा मस्त लगता है।
कविता- इसका मज़ा तो हर औरत को लेना चाहिए, आखिर इसमें इतना मजा जो आ रहा है।
जय- सही कहा कविता रानी, तुमको भी ये बहुत अच्छा लग रहा है। मर्दों को औरतों की गाँड़ मारने में मजा आता है और औरतों को मरवाने में।
कविता- ऊफ़्फ़फ़फ़, आआहह सही कह रहे हो भैया, उम्म्म्म्ममम्ममम्म हम लगता है झड़ने वाले हैं, कितना मज़ा आ रहा है, हाय 10 मिनट में ही झड़ जाऊंगी। आआहह ऊउईईई झाड़ गई रे ओह्ह।
जय- हां दीदी तुम्हारी गाँड़ भी बहुत कसी हुई है। हम भी ज़्यादा देर नही टिक पाएंगे। पर तुम्हारी गाँड़ को अच्छे से चोद के फैला देंगे। आज के बाद तुम अपनी गाँड़ की साइज बढ़ते हुए महसूस करोगी। दीदीssss हम झड़ने वाले हैं, आआहह.... मुंह इधर करो अपना, तुमको मूठ पीना है ना।
कवीता- हाँ, भाई हमको मूठ पिलाओ अपना, तुम्हारा ताज़ा ताज़ा मूठ। हमको वही पीना है। अपनी प्यासी बहन को पिला दो ना।" कहते हुए कविता घुटनो पर बैठ गयी।और अपना मुंह खोलके बैठ गयी, जैसे कोई कुतिया खाने के लिए मुंह खोलके जीभ बाहर लटकाती है। जय ने कविता के खुले मुंह मे उसकी गाँड़ से निकला लण्ड दे दिया। कविता को जैसे इसीकी प्रतीक्षा थी। उसने लण्ड को बिना छुए, पहले उसे खूब चूसा, जिसमे उसकी गाँड़ का स्वाद भरा रस लगा हुआ था। उसे खुद की गाँड़ का रस खूब अच्छा लग रहा था। जय के लण्ड पर लगा उसकी गाँड़ का रस गाड़ियों में इस्तेमाल होनेवाले ग्रीज़ की तरह मुलायम और चिपचिपा था। कविता उसे पूरा मज़ा लेके चुस रही थी। जय ने देखा उसकी बहन बिल्कुल पोर्नस्टार्स की तरह बेहिचक, चूस रही है तो, उसने कविता के चेहरे पर ही मूठ निकाल दिया। जय ," आआहह आ गया दीदी ये लो, बुझाओ अपनी प्यास।"
कविता के खूबसूरत चेहरे पर, जय के लण्ड से निकल सफेद चिपचिपा मूठ पहले उसकी आँखों और पलको पर जा गिरा। अगला उसके होंठो पर, फिर, उसके गालों पर ढेर सारा मूठ चिपक गया। जय की जाँघे कांप रही थी। कविता उसके लण्ड को चूसकर उसमे बचा मूठ निकाल ली। फिर उसके लण्ड से अपने चेहरे पर फैला मूठ, पूरा रगड़ने लगी।
जय - ये क्या कर रही हो?
कविता- हम इसको पहले पूरे चेहरे पर मलेंगे, फिर इकठा करके पी लेंगे। चेहरे की खूबसूरती बढ़ती है मूठ लगाने से और पीकर भी।
जय हँसकर- अच्छा है, फिर तो पी जाओ।
कविता ने पूरा मूठ मलने के बाद इकठ्ठा किया और जितना मिला उसे मुंह मे रख ली। कविता अपना मुंह खोलके जय को दिखाने लगी। फिर अपने मुंह से बुलबुले बनाने लगी।
जय- तुम तो बिल्कुल पोर्नस्टार जैसे कर रही हो।
कविता एक घूंट में पूरा पी गयी, और बोली," हम किसी से कम थोड़े ही हैं। और खिलखिलाकर हंसने लगी।
जय- चल अपनी गाँड़ तो दिखाओ की क्या हाल है उसका?
कविता पीछे मुड़ गयी, और चूतड़ फैलाके दिखाई," हमको तो दिख नहीं रहा है, कैसी लग रही है हमारी चुदी हुई गाँड़, जय।
जय- वाह...... कितनी खूबसूरत लग रही है। चुदके पूरी खुल गयी है। अंदर का गुलाबी हिस्सा अभी दिख रहा है। हमारे लण्ड ने इसकी खूब खबर ले ली, 10 मिनट में ही। जय उसकी गाँड़ में उंगली घुसाके बोला।
कविता- एक तस्वीर ले लो, अच्छा रहेगा।
जय ने फौरन कैमरे से उसकी गाँड़ की तस्वीर ले ली। उसने कविता की गाँड़ को फैलाने को कहा, फिर कभी करवट लेके तो कभी पेट के बल लेटके तस्वीर निकली।
जय ने फिर कविता को बोला- खाना लगा दो। दीदी भूख लगी है।
कविता उठके बोली- अभी लगा देती हूँ। फिर बैंक भी जाना है, इस ढाई करोड़ को जमा भी तो करना है।
कविता गाँड़ मटकाते हुए, खाना लगाने चली गयी।
Niceजय ने उसके बाल को कसके खींचा, " साली देख अब तुम, कैसे तुम्हारी गाँड़ का गड्ढा बनाते हैं। इतना चोदूंगा की अपनी माँ को याद करोगी। बूझी तुम। रुक साली अभी बताते हैं, ये ले।
पूरा लण्ड एक साथ ममता की कसी हुई गाँड़ में उतर गया। ममता ने हालांकि गाँड़ बहुत मरवाई थी, पर इतना मोटा तगड़ा लौड़ा पहली बार ले रही थी। इसलिए उसकी चीख निकल गयी। वो लगभग रोते हुए बोली कि," जय आराम से तो डालते, कहीं गाँड़ फट जाती तो।
जय- तुमको अब पता चला, कैसा लगता है गाँड़ में लण्ड घुसता है तो। अब तो घुस गया, थोड़ी देर में गाँड़ उसको जगह दे देगी, और तुमको मज़ा आएगा।
ममता- अरे, हमारे सैयां बेटाजी, हम अपना सब तुमको दे चुके हैं और साथ में मज़ा लूटना है ना। आआहह ..... थोड़ा देर बस लण्ड को गाँड़ में स्थिर रखो, फिर खूब चोदना। तुम तो लण्ड ऐसे डाले हो कि, गाँड़ से लण्ड डालके मुंह से निकाल दोगे।
जय- ठीक है माँ, पर तुमने ही हमको उकसाया, एक तो तुम्हारी मस्त थुलथुली चूतड़ों को देखकर और दूसरी तुम्हारी गाँड़ की भूरी छेद।
कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद, ममता ने कहा," हैं अब लगता है, की गाँड़ अभ्यस्त हो गयी है। अब चोदो अपनी माँ की गाँड़ को जितना जी चाहे। अब मज़ा आएगा बेटा सैयांजी।
जय ने ममता की गाँड़ की छेद जिसमें उसका लण्ड ऐसे फंसा था, जैसे गूँथे हुए आंटे में किसीने लकड़ी गाड़ दी हो, पर थूक दिया। गाँड़ की छेद के किनारे गहरे भूरे रंग के थे। जय ने अपनी उंगली से थूक को छेद के चारों ओर पोत दिया। फिर उसने लण्ड को धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा। लण्ड को उसने बमुश्किल आधा इंच ही अंदर बाहर कर रहा था। धीरे धीरे उसने अपनी रफ्तार बढ़ानी शुरू की। उसे अपने लण्ड पर गाँड़ का कसाव मूंग के हलवे की तरह लग रहा था। लण्ड का एहसास, ममता को भी बहुत आनन्ददायक लग रहा था। गाँड़ के अंदर जो नर्व एन्डिंग्स होती है, इसलिए गाँड़ की चुदाई का मज़ा डबल हो रहा था। जय गाँड़ मारने में मस्त, ममता गाँड़ मरवाने में मस्त थी। धीरे धीरे उनकी मस्ती, अब आक्रामक कामुक जोश में बदलने लगी। जय अब आधे से भी ज़्यादा लण्ड अंदर बाहर कर रहा था। ममता भी अपनी गाँड़ पीछे करके लण्ड लेने में कोई कोतुआहि नहीं बरत रही थी। जय एक हाथ से ममता के बाल खींच रहा था, और दूसरे हाथ से उसके चर्बीदार चूतड़ को मसल रहा था। अब पूरी तेज़ी से गाँड़ मराई चल रही थी। ममता की गाँड़ से कुछ ग्रीज़ की तरह तरल पदार्थ रिसने लगा, और जय के लण्ड पर चिपकने लगा। चुकी वो गाँड़ की छेद पहले भी मरवा चुकी थी तो, गाँड़ से बाहर चूने लगी। जय ये सब देख रहा था, उसने सोचा," क्यों ना अब ममता को उसकी गाँड़ से चूते इस रस को चटवाया जाए।
जय ने ये सोचकर कमर की हरकत रोक दी। फिर दोनों चूतड़ों को फैलाके अपने लण्ड को धीरे धीरे बाहर निकाला। गाँड़ की छेद उसके लण्ड की गोलाई इतनी चौड़ी हो चुकी थी, और लण्ड पर वो पदार्थ ढेर सारा चिपक गया था। गाँड़ के अंदर का हिस्सा गुलाबी रंग का साफ दिख रहा था। लण्ड बाहर निकलने की वजह से गाँड़ के अंदर का हिस्सा ममता की सांस के साथ, ऊपर नीचे हो रहा था। जय ने गाँड़ के अंदर ही थूक दिया। वो ये दृश्य देखकर जैसे मदहोश हो रहा था, तभी ममता ने टोका," क्या हुआ क्यों निकाल लिया लण्ड बाहर बेटा सैयांजी ?
जय ने उसकी ओर मुस्कुरा के देखा और बोला," इधर आओ और चूसो इस लण्ड पर लगे अपने गाँड़ की रस को।
ममता पीछे घूम गयी और लण्ड को जड़ से पकड़ लिया, फिर जय की आंखों में देखते हुए, अपनी जीभ बाहर निकाली और लण्ड के निचले हिस्से को चाटने लगी। फिर, सुपाड़े को चूसी, फिर लण्ड के दांये बांये और फिर लण्ड के ऊपरी हिस्से पर अपनी जुबान फिराने लगी। जय उसके बालों को संवारते हुए उसकी ओर प्यार से देख रहा था। ममता ने उसकी ओर देखा और कहा," हमारी गाँड़ मीठी है, बहुत बेटा सैयांजी। और मुस्कुराई।
जय- क्यों ना होगी, तुम हो ही स्वीट, अब पता चला हम गाँड़ क्यों चाट रहे थे।
ममता के मुंह मे लण्ड था, पर हंसी रुक नही पाई। "अब रोज़ चटवाऊंगी और चाटूंगी, लंड से चुदवाने के बाद। राजाजी, ये एक नई चीज पता चली हमको।"
फिर जय ने लण्ड को छुड़ा लिया और बोला, अभी पहले तुम्हारी गाँड़ की चुदाई अधूरी है। तुम अपने बुर को मसलती रहना, तब तुमको और मज़ा आएगा।
फिर जय ने ममता को पीठ के बल अपने सामने लिटा दिया। उसके बाल बिखरे हुए थे। होंठों पर लण्ड चूसने के बाद चमक थी। आंखों में कामुकता की प्यास। चूचियों तनकर पहाड़ सी लग रही थी। जय ने उसके गाँड़ के नीचे तकिया, लगा दिया। और फिर उसकी गाँड़ में लण्ड घुसा दिया। ममता अपनी बुर मसलने लगी और जय उसकी दोनों चूचियों को अपने पंजों की गिरफ्त में ले लिया। अब फिर से घमासान चुदाई शुरू होने वाली थी।
Niceममता- उम्र 46 साल । ममता का बदन काफी भरा हुआ है। वो जवानी के किनारे को छोड़ चुकी है पर जवानी उसके बदन को नहीं छोड़ सकी है। ममता के बाल एकदम गहरे काले घने हैं जो कि उसकी गांड तक आते हैं। अपने बालों का खूब ख़्याल रखती है। उसका चेहरा अभी भी काफी आकर्षक है। गोरा रंग, आंखें गहरी काजल से सजी हुई। गोरे गाल उठे हुए बिल्कुल किसी रसमलाई की तरह। गुलाबी रसीले हल्के मोटे होंठ। चुचियां का साइज कोई 38 होगा।
ममता की बेटी कविता की उम्र 26 साल है और वो एक सी ए के पास असिस्टेंट का काम करती है। उसकी शादी ममता की बड़ी चिंता है। ऐसा नहीं है कि कविता शादी नहीं करना चाहती पर परिवार की सारी जिम्मेदारी सिर्फ उसी के कंधों पर है। उसके पिताजी की पेंशन कोई 26-27 हज़ार आती है। जिससे दिल्ली में गुज़ारा मुश्किल है। इसलिए वो 12वीं के बाद अस्सिस्टेंट का काम करने लगी जहां से उसे 15 हज़ार मिल जा रहे थे। कविता बिल्कुल अपनी माँ पर गयी है।मदमस्त जवानी, गोरा बदन, हर जगह सही उभार चुचियाँ, गांड सभी गदरायी हुई। मस्त कजरारे नैन, मक्खन जैसे गाल, लंबी घुंघराली ज़ुल्फें, रस से भरे गुलाबी होंठ, एक मदहोश करने वाली आवाज़, उफ्फ्फ क्या खूब दिखती थी वो? बिल्कुल परी सी।
जय - अभी 21 साल का है । वो अभी ग्रेजुएशन फाइनल ईयर में है। वो पढ़ने में काफी होशियार है । वो IAS की तैयारी भी कर रहा है। उसने अभी ही कुछ प्रतियोगी परीक्षाओं में पास भी किया था पर वो बस IAS बनना चाहता था इसलिए उसने कहीं और जाने का सोचा ही नहीं। उसके अंदर कोई बुराई नहीं थी ना वो सिगरेट और नाही शराब को हाथ लगाता था। वो शरीर से भी तन्दुरुस्त था। उसकी एक ही बुरी आदत थी वो लड़कियों के नंगे जिस्म के पीछे लाड़ टपकाता था। उसे पोर्न देखने का भी बहुत शौक था। उसके लैपटॉप में बहुत गंदी से गंदी पोर्न फिल्मों का संग्रह था। जिसे वो अकेले में बैठकर देखता था।
Niceजय ने अब ममता की फिर से गाँड़ मारनी शुरू की।ममता की गाँड़ भी ढीली हो चुकी थी। अब लण्ड के आवागमन में कोई दिक्कत नहीं थी। वो गाँड़ मरवाते हुए अपने बुर के दाने को छेड़ रही थी। जय ने उसकी बुर पर थूक दिया तो ममता उसे पूरे बुर पर मलने लगी।
ममता- आआहह, ऐसे ही आआहह उफ़्फ़फ़ चोदो इसस... हमको। लण्ड चाहे बुर में घुसे या गाँड़ में लड़की मस्त हो ही जाती है।
जय- माँ देखो ना तुम्हारी गाँड़ कैसे लण्ड को अपने अंदर समा रही है।जैसे लण्ड का स्वागत कर रही है, की आओ और हमको फैला दो।
ममता- औरत की गाँड़ चुदने के लिए ही बनी है राजा, ये बात समझ लो। तो क्यों ना स्वागत करे वो। उस पर इतना मस्त लौड़ा, आआहह हहहहहह। चोदो अपनी माँ की गाँड़ को और अपने लण्ड की मोहर लगा दो। उफ़्फ़फ़
जय- तुम फिक्र मत करो माँ, तुम्हारी गाँड़ की तबियत से चुदाई होगी, कोई कमी नहीं रहने दूंगा। अपनी बीवी की हर ख्वाइश पूरी करेंगे। टुंगरी गाँड़ ने पहले से ही लण्ड को जकड़ रखा है, जैसे उसे अंदर खींच रही है, उफ़्फ़फ़। आह हहहहह, ओह्ह।
ममता- मूठ गिरने वाला है क्या, बेटा ?
जय- हाँ, पियोगी । आहहहहहह...
ममता - अंदर ही गिरा दो। हमारा भी होने वाला है।
जय- ठीक है, ये लो।
करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद जय ने मूठ अपनी माँ की गाँड़ में निकाल दिया। करीब 5-7 पिचकारी मारते हुए जय चीखता हुआ, ममता के चूचियों पर सर रखकर लेट गया। उधर बुर के मसलने और गाँड़ में मूठ की धाराओं को महसूस करके, ममता भी झड़ गयी। और दोनों उसी तरह लेटे रहे। थोड़ी देर बाद जय का लण्ड धीरे से निकलने लगा, तो ममता ने अपनी गाँड़ में पास परी अपनी पैंटी घुसा ली। और फिर जय को गले से चिपका लिया।
जय जैसे बेहोश था। दोनों चुदाई से थक चुके थे। इसलिए दोनों को नींद ने अपने आगोश में ले लिया।
उधर कंचन को होश आया। उसने अपनी गीली पैंटी उतारी और ब्रा भी। पूर्ण नग्न होने से वो तराशी हुई मूर्ति लग रही थी। अनछुए कोमल यौवनांग किसी मर्द के एहसास के लिए तड़प रहे थे। वो इससे बेखबर थी कि कोई मर्द उसे इस हालात में देख ले तो उसे लड़की से औरत बना देगा। उसकी उम्र शादी के बराबर की हो भी तो चुकी थी। जो वो कहानी पढ़ रही थी, उसे ख्याल आया कि कोई उसका भी ऐसा ही भाई होता, जिसके साथ वो जवानी के मज़े लूटती। वो इस बात से बेखबर थी कि किस्मत ने उसके तार उसके भाई से ही जोड़े हुए हैं, पर उसमें शायद अभी देर थी। क्योंकि अभी तो उसकी माँ ही उसके भाई के साथ अपनी बची खुची जवानी के मज़े ले रही थी।
good writingजय ने कविता को फिर बिस्तर पर लिटा दिया, और जो नाईट बल्ब की मद्धिम रोशनी थी उसे बंद कर दिया । कविता को महसूस हुआ कि जय ने लाइट बंद कर दी है। उसने आंखें खोली, तो अंधेरा था। पर तभी जय ने बड़ी CFL लाइट जलाई, जिसकी रोशनी में दोनों के नंगे बदन नहा गए। कविता ने आंखों पर अपने हाथ रख लिए। और दूसरे से अपनी जवानी यानी चुचियाँ और बुर को ढकने की व्यर्थ प्रयास करने लगी। जय ने अपनी गंजी उतार फेंकी थी और बॉक्सर तो वो पहले ही उतार चुका था। वो बिस्तर पर कविता के बाजू में लेट गया। उसने कविता के अथक असफल प्रयास को अंत कर दिया जब उसने कविता के हाँथ जिससे वो अपने बुर और चुचियाँ ढकना चाह रही थी उसे अपनी गिरफ्त में ले लिया और किनारे दबा दिया।
कविता के 26 साल का यौवन अब अपने भाई के सामने बिल्कुल साफ नंगा था। कविता की चुचियाँ बिल्कुल दूधिया थी और उस पर हल्के भूरे रंग के चूचक मुंह मे लिए जाने के लिए बिल्कुल वैसे तने थे जैसे बारिश के बाद कुकुरमुत्ते खड़े हो जाते हैं। चुचियों कि शेप बिल्कुल आमों की तरह थी। इन आमों को अब तक किसीने नहीं चूसा या चबाया था। जो पर्वत के शिखर की तरह कविता के सीने से लटक रहे थे। जय ने बेसब्री नहीं दिखाई बल्कि कविता के जिस्म को आंखों से पी रहा था।
कविता ने हिम्मत जुटाई और हल्के आवाज़ में कहा कि, लाइट बंद कर दो।
जय ने उसकी आँखों से उसके हाथ को हटाते हुए, बोला क्यों दीदी??
कविता ने आंखें बंद करके कहा, शर्म आ रही है। उसकी आवाज़ में कंपन थी।
जय ने कहा, दीदी आंखें खोलो और हमको देखो सारी शर्म चली जायेगी। आंखे खोलो ना, देखो हमको तो कोई शर्म नही आ रही हैं।
कविता ने फिर भी आंखे नहीं खोली। जय ने ज़्यादा ज़ोर नहीं दिया बल्कि वो अपनी दीदी के यौवन को फिर से घूरने लग गया। उसने फिर कविता के पेट को सहलाते हुए चूमा। गुदगुदी की वजह से कविता कांप रही थी। उसने कविता की नाभि में भी चुम्मा लिया और उंगली से उसके कमर और नाभि के आसपास के हिस्से को छेड़ रहा था। कविता इस गुदगुदी से सिहरकर कांप जाती थी। फिर उसने अपनी जवान दीदी के उस हिस्से को देख जहां से इंसान पैदा होता है। यानी कविता की योनि, बुर, चूत, फुद्दी, पुसी, मुनिया इत्यादि। कविता के बुर पर हल्के कड़े छोटे बाल थे, ऐसा लगता था मानो 3 4 दिन पहले ही साफ किये हों। जिससे उसकी बुर का हर हिस्सा साफ दिख रहा था। बुर की लगभग 4 इंच की चिराई थी और रंग गहरा सावँला था।। बुर बिल्कुल फूली हुई थी, और चुदाई ना होने की वजह से अभी बुर की शेप बिल्कुल सही थी। बुर की पत्तियां हल्की बाहर झांक रही थी।उससे एक अजीब सी महक आ रही थी। जो उस के बुर के रस की थी। बुर से लसलसा पदार्थ चिपका हुआ था।