ममता भी आज काफी खुश थी। दिल्ली में गर्मी का मौसम था। इसलिए वो नहाने चली गयी दोबारा। ममता ने अपनी धुली हुई साड़ी उठायी। और गमछा उठाके बाथरूम चली गयी। ममता ने आईने के सामने अपने बाल खोल दिये और फिर अपनी साड़ी वहीं उतार दी। फिर अपनी ब्लाउज उतारकर हेंगर पर टांग दिया। अपने कमर पर साया कसके बंधने की वजह से उसकी कमर पे निशान बन गए थे। उसने साये की नाड़े को खींचकर ढीला किया और दोनों पैर उसमे से निकाला। ममता अब एक छोटी कच्छी और ब्रा में थी। कच्छी और ब्रा दोनों गुलाबी रंग के थे जिसपर फूल बने हुए थे। उसका गोरा चमकदार बदन बहुत ही मादक लग रहा था। फिर ममता ने शीशे में देखते हुए अपनी ब्रा की हुक खोल दी । ब्रा खुलते ही ममता की 38 की चुचियाँ फुदककर बाहर आ गयी। ममता के निप्पल/चूचक हल्के भूरे रंग के थे। उसके खूबसूरत कबूतरनूमा चुचियाँ किसी स्वच्छंद पक्षी की तरह उड़ना चाहती थी। इसके बाद उसने अपनी कच्छी को उतार दिया। और दोनों ब्रा और कच्छी को वहीं हुक से लटका दिया। फिर उसने अपनी बुर पर बढ़ी हुई केश की ओर देखा और मन में सोचा कि झाँठे काटे की ना। वैसे तो ममता 46 की थी पर तन बदन का कसाव अभी भी 35 का ही था। फिर उसने अपनी बुर को ऊपर से सहलाया। और बोली कल साफ करूँगी।
ममता फिर अपनी मस्त चौड़ी गांड को बाथरूम में रखे मचिया पे टिका दिया। और अपने नंगे बदन पर मग से पानी डालने लगी। पानी उसके बदन पर मक्खन की तरह फिसल रहा था। वो बिल्कुल अद्भुत स्त्री लग रही थी। एक औरत के बदन में जो हर मर्द चाहता है वो सब था ममता के पास। ममता ने नहाने के दौरान वहीं बैठे बैठे पेशाब भी कर दिया। पेशाब की वजह से पानी हल्का पीला हो गया। जिसे उसने पानी से ही बहा दिया।
कुछ देर बाद उसने अपने जिस्म पर साबुन लगाया। अपनी काँखों, गर्दन , चुचियाँ, गांड, गांड की दरार, और अंत में बुर पर भी। सब जगह लगाने के बाद उसने खूब बदन को रगड़ा। वैसे तो वो इतनी गोरी थी कि मैल भी उसपर बैठे तो इतरा के, पर वो ऐसा होने नहीं देती थी। इसके बाद उसने साबुन को पानी से साफ किया। और एक दम साफ हो गयी। चुकी घर में कोई नहीं था इसलिए बाथरूम से सिर्फ साया बांध के आ गयी।
साया उसके चुचियों के ठीक ऊपर बंधा था और गांड को बस ढके हुए था। उसकी जाँघे और गांड मोटी और हल्की चर्बीदार थी। उसका पेट भी ठीक ऐसे ही था।
अक्सर इस उम्र की औरतों को ये चीज़ें और कामुक बना देती हैं। भड़ी हुई चूतड़ों से औरतो की चाल निखर जाती है। क्योंकि जब वो चलती हैं तो चूतड़ों के हिलने से औरतें मर्दो के दिलों की धड़कने बढ़ाती हैं, ठीक वही चाल अभी ममता की हो चुकी है। अपने भाड़ी नितम्भों की उछाल उसके काबू में नहीं थी। ठीक वैसे ही उसकी चुचियो की चाल होती थी।पर ब्रा पहनने से उनकी हरकत काफी कंट्रोल रहती थी।
ममता ने फिर साड़ी पहनी और बिन ब्लाउज पहने ही खाना खाने लगी। वो मेज़ पर बैठी खा रही थी कि तभी घर की घंटी बजी।
ममता ने फौरन हाथ धोया और स्लीवलेस ब्लाउज पेहेन ली। जिसमे आगे आधी चुचियाँ साफ दिख रही थी और पीछे पूरी पीठ लगभग नंगी ही थी।
ये सब उसने दिल्ली में आकर ही पहना था। भले ही वो विधवा थी पर कविता उसे कभी भी ऐसा महसूस नही होने देती थी। बल्कि उसीने अपनी माँ को इस तरह के डिज़ाइनर ब्लाउज सिलवाया था।
ममता ने दरवाजा खोला सामनेउसका बेटा जय था जो कि अभी कोचिंग से आया था। ममता उसे देख मुस्कुराई। जय ने भी बदले में मुस्कुराया।
ममता बोली आ गए तुम??
जय बोला- हाँ माँ , आज बहुत पढ़ना है। तुम जल्दी खाना लगा दो।
ममता बोली आजा हाथ धो के।
ममता ने खाना निकालके लगा दिया। और दोनों साथ मे खाना खाने लगे।
दोनों खाना खा रहे थे , तभी ममता के हाथ के निवाला से दाल चावल छूट कर उसकी चुचियों पर गिर गया, जिसका उसे पता नहीं चला। पर जय की नज़र वहां पर चली गयी। उसकी माँ की चुचियों की दरार में वो 2 चावल के दाने जो दाल से लथपथ थे फंसे हुए थे। ममता बेखबर थी कि उसका बेटा उसकी चुचियाँ ताड़ रहा है।
जय एक बहुत ही कामुक लड़का था। वो पढ़ाई में भले ही अच्छा था पर उसको औरतों के नंगे जिस्म का बड़ा शौक़ था। वो हमेशा औरतो को एक ही नज़र से देखता था। उसका बस चलता तो अपनी आंखों से ही औरतों के कपड़े उतार देता। और सब औरतों को नंगा ही रखता। अब सामने अपनी माँ को ही देख रहा था, पर उसका लंड ये देखकर खड़ा हो रहा था।
ममता के बाल खुले हुए थे उसके होंठो के पास एक तिल था। तभी ममता ने जय से बोला कि कुछ और लोगे तुम??
जय- नहीं माँ।
ममता फिर उठी और थाली उठाके किचन की ओर चल दी। जय ममता की ओर ही देख रहा था। ममता के मटकते चूतड़ों से उसकी नज़र ही नहीं हट रही थी। जैसे किसी गाने की धुन पे ममता के चूतड़ थिरकन कर रहे हो?