• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest क्या.......ये गलत है?

Status
Not open for further replies.

Ristrcted

Now I am become Death, the destroyer of worlds
Staff member
Moderator
41,863
37,118
304
Last edited:
16
10
3
ये एक इन्सेस्ट स्टोरी है।ये कहानी है ममता उसके बेटे जय और उसकी बेटी कविता की।
बाकी के पात्र कहानी के साथ आएंगे।

ममता- उम्र 46 साल । ममता का बदन काफी भर हुआ है। वो जवानी के किनारे को छोड़ चुकी है पर जवानी उसके बदन को नहीं छोड़ सकी थी। ममता के बाल एकदम गहरे काले घने हैं जो कि उसकी गांड तक आते हैं। अपने बालों का खूब ख़्याल रखती है। उसका चेहरा अभी भी काफी आकर्षक था। गोरा रंग, आंखें गहरी काजल से सजी हुई। गोरे गाल उठे हुए बिल्कुल किसी रसमलाई की तरह। गुलाबी रसीले हल्के मोटे होंठ। चुचियां का साइज कोई 38 होगा।


कविता की उम्र 26 साल है और वो एक सी ए के पास असिस्टेंट का काम करती है। उसकी शादी ममता की बड़ी चिंता है। ऐसा नहीं है कि कविता शादी नहीं करना चाहती पर परिवार की सारी जिम्मेदारी सिर्फ उसीके कंधों पर है। उसके पिताजी की पेंशन कोई 26-27 हज़ार आती है। जिससे दिल्ली में गुज़ारा मुश्किल है। इसलिए वो 12वीं के बाद अस्सिस्टेंट का काम करने लगी जहां से उसे 15 हज़ार मिल जा रहे थे। कविता बिल्कुल अपनी माँ पर गयी है।मदमस्त जवानी, गोरा बदन, हर जगह सही उभार चुचियाँ, गांड सभी गदरायी हुई। मस्त कजरारे नैन, मक्खन जैसे गाल, लंबी घुंघराली ज़ुल्फें, रस से भरे गुलाबी होंठ, एक मदहोश करने वाली आवाज़, उफ्फ्फ क्या खूब दिखती थी वो? बिल्कुल परी सी
जय - अभी 21 साल का है । वो अभी ग्रेजुएशन फाइनल ईयर में है। वो पढ़ने में काफी होशियार है । वो IAS की तैयारी भी कर रहा है। उसने अभी ही कुछ प्रतियोगी परीक्षाओं में पास भी किया था पर वो बस IAS बनना चाहता था इसलिए उसने कहीं और जाने का सोच ही नहीं। उसके अंदर कोई बुराई नहीं थी ना वो सिगरेट और नाही शराब को हाथ लगाता था। वो शरीर से भी तन्दुरुस्त था। उसकी एक ही बुरी आदत थी वो लड़कियों के नंगे जिस्म के पीछे लाड़ टपकाता था। उसे पोर्न देखने का भी बहुत शौक था। उसके लैपटॉप में बहुत गंदी से गंदी पोर्न फिल्मों का संग्रह था। जिसे वो अकेले में बैठकर देखता था।
 
  • Like
Reactions: Sinturoy25
16
10
3
कविता आज काम जल्दी खत्म करना चाहती थी। क्योंकि आज उसके भाई जय का जन्मदिन था। वो जल्दी से नंदानी ग्रुप की फ़ाइल के कागज़ को इकट्ठा कर उन्हें सही क्रम से लगाने लगी जैसा कि उसके बॉस आरिफ ने कहा था। मन ही मन वो सोच रही थी कि आखिर जय के लिए क्या गिफ्ट ले? कविता ने अपने भाई को हमेशा अपना दोस्त माना था और वो उसके साथ दोस्तों जैसे ही बर्ताव भी करती थी। आखिर उसके जीवन में कोई और था ही नहीं। सारी सहेलियां तो बिहार में छूट गयी और उन सब की शादी के बाद 2 बच्चे भी हो गए। कविता के बाबूजी अमरकांत झा पटना से 17 कि मी दूर गांव मिठनपुरा के रहने वाले थे। जो कि सरकारी स्कूल में शिक्षक थे । उनका 8 वर्ष पूर्व देहांत हो गया था। जिसके बाद कविता के चाचा शशिकांत झा ने इन लोगों को गांव की कोई भी ज़मीन देने से इनकार कर दिया था। और नाहीं कोई हिस्सा दिया। एक तो पूरा परिवार सदमे में था उसपर ये बवाल। कविता के मामा ने उस समय इनको अपने साथ दिल्ली ले आये। जय तो बहुत छोटा था और ममता अभी अभी विधवा हुई थी। कविता ने उन दोनों को संभाला और मामा सत्यप्रकाश झा के साथ दिल्ली आ गयी और काम ढूंढने लगी। आखिरकार एकाउंटेंसी से 12वीं का फायदा मिला और आरिफ एसोसिएट्स में उसे जॉब मिल गयी। अब बीते 8 साल से वो पूरी ईमानदारी और लगन से काम करती आई है। उसने कभी किसी को शिकायत का कोई मौका नहीं दिया। सब उससे खुश थे। बीते दिनों की बातें किसी फिल्म की रील की तरह उसके सामने चल रही थी।
 
16
10
3
इसी बीच उसके बॉस आरिफ ने उसे आवाज़ लगाई। कविता....यहां आना ज़रा।
कविता अचानक से होश में आते हुए जी.. सर आये।
कविता ने दरवाजा खोला और बोली- सर ...
नंदानी ग्रुप की फ़ाइल तैयार हो गयी क्या? आरिफ ने सर झुकाये ही पूछा।
कविता- जी सर ....साथ में लेकर आये हैं हम।
ठीक है रख दो।
कविता- सर ...वो आज...हहम्म.... थोड़ा जल्दी छोड़ देते तो... आज कुछ काम है।
आरिफ ने घड़ी की ओर देखा 3 बजने में अभी 5 मिनट थे । फिर बोला ठीक है... ओके जाओ।

कविता झट से पीछे मुड़ी और उसका हाथ टेबल पर रखी किताबो से जा टकराया। जिससे सारी किताबे ज़मीन पर गिर गई।
कविता ने हड़बड़ा कर सारी चीज़ें उठानी शुरू की। आरिफ ने बोला कि आराम से कविता ऐसी भी क्या जल्दी है। आज कुछ खास है लगता है। कविता ने सारी किताबें टेबल पर रखते हुए कहा-आज हमारे छोटे भाई का जन्मदिन है सर।
आरिफ बोले ओक आराम से जाना और कल केक जरूर लाना।
जरूर सर कविता ने जवाब दिया।
कविता फिर लपककर अपनी पर्स और छाता लेकर आफिस से बाहर आ गयी। उसने बगल की इंडिया बैंक की शाखा में प्रवेश किया। जहां से उसे पैसे निकालने थे। शाखा में घुसते ही मैनेजर ने उसे अपने केबिन में बुला लिया। आइये कविताजी बताइये क्या मदद करुं आपकी?
कविता ने बोला कि मुझे कुछ पैसे निकालने हैं। माँ की शाइन करवाके लेके आयी हूँ चेक पर।
जी बिल्कुल बिल्कुल अरे मोहित ये ले जा करवाके ले के आ।
और बताइये क्या लेंगी आप ?
कविता- जी?
मतलब कुछ पियेंगी चाय ठंडा।
मैनेजर उसके साथ फ़्लर्ट करने की कोशिश कर रहा था।
कविता ने जवाब में कहा - जी नहीं कुछ नहीं।
मैनेजर कोई 38 40 साल का होगा। वो कविता के रूप को और यौवन को आंखों से चख रहा था। कविता के आंखों को काजल और मस्करा ने झील बना दिया था। उसके गालों पर लाली छाई थी और होंठो पर गुलाबी लिपस्टिक की परत थी। गला सुराहीदार था। कविता की चुचियाँ का कटाव सलवार सूट का गला डीप होने की वजह से साफ दिख रहा था।गर्मी की वजह से पसीना गले से टपकते हुए सीधे चुचियाँ की वादियों में ही गिर रहा था। कविता की गले की चैन भी चुचियो के बीच ही फसी थी। उसे शायद इसकी खबर नहीं थी।मैनेजर का बस चलता तो वहीं कविता को नंगी कर देता और अपनी टेबल पर उसे खूब रगड़के चोदता। कविता अपना मोबाइल देख रही थी। तभी मोहित ने पैसे लेकर दे दिए।
कविता ने पैसे लिए और चली गयी।
मैनेजर ने मोहित से बोला - क्या गज़ब की माल है रे मोहित? बहुत मज़ा आएगा कसम से...
मोहित हंसता हुए बोला- साहब आपके साइड की ही तो है। आप भी पटना के और ये भी पटा लो।
मैनेजर बोला - हाँ यार है तो पर शादी करके बीवी नही अपनी रंडी बनाना है ।
और दोनों ने जोर के ठहाके लगाए।
 
16
10
3
ममता भी आज काफी खुश थी। दिल्ली में गर्मी का मौसम था। इसलिए वो नहाने चली गयी दोबारा। ममता ने अपनी धुली हुई साड़ी उठायी। और गमछा उठाके बाथरूम चली गयी। ममता ने आईने के सामने अपने बाल खोल दिये और फिर अपनी साड़ी वहीं उतार दी। फिर अपनी ब्लाउज उतारकर हेंगर पर टांग दिया। अपने कमर पर साया कसके बंधने की वजह से उसकी कमर पे निशान बन गए थे। उसने साये की नाड़े को खींचकर ढीला किया और दोनों पैर उसमे से निकाला। ममता अब एक छोटी कच्छी और ब्रा में थी। कच्छी और ब्रा दोनों गुलाबी रंग के थे जिसपर फूल बने हुए थे। उसका गोरा चमकदार बदन बहुत ही मादक लग रहा था। फिर ममता ने शीशे में देखते हुए अपनी ब्रा की हुक खोल दी । ब्रा खुलते ही ममता की 38 की चुचियाँ फुदककर बाहर आ गयी। ममता के निप्पल/चूचक हल्के भूरे रंग के थे। उसके खूबसूरत कबूतरनूमा चुचियाँ किसी स्वच्छंद पक्षी की तरह उड़ना चाहती थी। इसके बाद उसने अपनी कच्छी को उतार दिया। और दोनों ब्रा और कच्छी को वहीं हुक से लटका दिया। फिर उसने अपनी बुर पर बढ़ी हुई केश की ओर देखा और मन में सोचा कि झाँठे काटे की ना। वैसे तो ममता 46 की थी पर तन बदन का कसाव अभी भी 35 का ही था। फिर उसने अपनी बुर को ऊपर से सहलाया। और बोली कल साफ करूँगी।

ममता फिर अपनी मस्त चौड़ी गांड को बाथरूम में रखे मचिया पे टिका दिया। और अपने नंगे बदन पर मग से पानी डालने लगी। पानी उसके बदन पर मक्खन की तरह फिसल रहा था। वो बिल्कुल अद्भुत स्त्री लग रही थी। एक औरत के बदन में जो हर मर्द चाहता है वो सब था ममता के पास। ममता ने नहाने के दौरान वहीं बैठे बैठे पेशाब भी कर दिया। पेशाब की वजह से पानी हल्का पीला हो गया। जिसे उसने पानी से ही बहा दिया।
कुछ देर बाद उसने अपने जिस्म पर साबुन लगाया। अपनी काँखों, गर्दन , चुचियाँ, गांड, गांड की दरार, और अंत में बुर पर भी। सब जगह लगाने के बाद उसने खूब बदन को रगड़ा। वैसे तो वो इतनी गोरी थी कि मैल भी उसपर बैठे तो इतरा के, पर वो ऐसा होने नहीं देती थी। इसके बाद उसने साबुन को पानी से साफ किया। और एक दम साफ हो गयी। चुकी घर में कोई नहीं था इसलिए बाथरूम से सिर्फ साया बांध के आ गयी।
साया उसके चुचियों के ठीक ऊपर बंधा था और गांड को बस ढके हुए था। उसकी जाँघे और गांड मोटी और हल्की चर्बीदार थी। उसका पेट भी ठीक ऐसे ही था।
अक्सर इस उम्र की औरतों को ये चीज़ें और कामुक बना देती हैं। भड़ी हुई चूतड़ों से औरतो की चाल निखर जाती है। क्योंकि जब वो चलती हैं तो चूतड़ों के हिलने से औरतें मर्दो के दिलों की धड़कने बढ़ाती हैं, ठीक वही चाल अभी ममता की हो चुकी है। अपने भाड़ी नितम्भों की उछाल उसके काबू में नहीं थी। ठीक वैसे ही उसकी चुचियो की चाल होती थी।पर ब्रा पहनने से उनकी हरकत काफी कंट्रोल रहती थी।
ममता ने फिर साड़ी पहनी और बिन ब्लाउज पहने ही खाना खाने लगी। वो मेज़ पर बैठी खा रही थी कि तभी घर की घंटी बजी।
ममता ने फौरन हाथ धोया और स्लीवलेस ब्लाउज पेहेन ली। जिसमे आगे आधी चुचियाँ साफ दिख रही थी और पीछे पूरी पीठ लगभग नंगी ही थी।
ये सब उसने दिल्ली में आकर ही पहना था। भले ही वो विधवा थी पर कविता उसे कभी भी ऐसा महसूस नही होने देती थी। बल्कि उसीने अपनी माँ को इस तरह के डिज़ाइनर ब्लाउज सिलवाया था।
ममता ने दरवाजा खोला सामनेउसका बेटा जय था जो कि अभी कोचिंग से आया था। ममता उसे देख मुस्कुराई। जय ने भी बदले में मुस्कुराया।
ममता बोली आ गए तुम??
जय बोला- हाँ माँ , आज बहुत पढ़ना है। तुम जल्दी खाना लगा दो।
ममता बोली आजा हाथ धो के।
ममता ने खाना निकालके लगा दिया। और दोनों साथ मे खाना खाने लगे।
दोनों खाना खा रहे थे , तभी ममता के हाथ के निवाला से दाल चावल छूट कर उसकी चुचियों पर गिर गया, जिसका उसे पता नहीं चला। पर जय की नज़र वहां पर चली गयी। उसकी माँ की चुचियों की दरार में वो 2 चावल के दाने जो दाल से लथपथ थे फंसे हुए थे। ममता बेखबर थी कि उसका बेटा उसकी चुचियाँ ताड़ रहा है।
जय एक बहुत ही कामुक लड़का था। वो पढ़ाई में भले ही अच्छा था पर उसको औरतों के नंगे जिस्म का बड़ा शौक़ था। वो हमेशा औरतो को एक ही नज़र से देखता था। उसका बस चलता तो अपनी आंखों से ही औरतों के कपड़े उतार देता। और सब औरतों को नंगा ही रखता। अब सामने अपनी माँ को ही देख रहा था, पर उसका लंड ये देखकर खड़ा हो रहा था।
ममता के बाल खुले हुए थे उसके होंठो के पास एक तिल था। तभी ममता ने जय से बोला कि कुछ और लोगे तुम??
जय- नहीं माँ।
ममता फिर उठी और थाली उठाके किचन की ओर चल दी। जय ममता की ओर ही देख रहा था। ममता के मटकते चूतड़ों से उसकी नज़र ही नहीं हट रही थी। जैसे किसी गाने की धुन पे ममता के चूतड़ थिरकन कर रहे हो?
 

nigga

Member
186
725
94
Bro ye story dusri side PR hai
 
  • Like
Reactions: kamdev99008
16
10
3
OK bro
 
  • Like
Reactions: kamdev99008
Status
Not open for further replies.
Top