अब वापस कहानी में :-
5 सालों में गांव काफी ज्यादा बदल चुका था सौरभ उन्हीं चीजों को देखवह रहा था. सौरभ जहां इधर-उधर देखने में बिजी था. वही औटो चला रहा लड़का उसे एक तक नजर से औटो के बगल में लगे आईने मैं उसे देखें जा रहा था.
सौरभ उसे खुद को ऐसे देखते हुए नोटिस कर लेता है और उससे कहता है - तुम रमेश हो ना
औटो चला रहा लड़का कोई और नहीं बल्कि सौरभ के बचपन का दोस्त रमेश था. रमेश भी सौरभ के मुंह से अपने नाम सुन से पहचान जाता है. जिसके बाद वो औटो को एक झटके के साथ रोक देता है.
औटो को रोकने के बाद रमेश सौरभ के तरह पीछे मुड़ते हुए कहता है - आर सौरभ तु कितने साल बाद वापस आया है. तेरा चेहरा तो काफी बदल गया. लेकिन फिर भी मेने तुझे पहचान लिया देखा.
फिर रमेश और सौरव मैं बचपन की बातें होने लगता है. और बातों ही बातों में रमेश सौरभ को उसके घर तक छोड़ देता है. रमेश सौरभ को उससे घर छोड़ने के बाद कल मिलते हैं केह कर चला जाता है.
रमेश के जाने के बाद सौरभ अपने घर की तरफ देखने लगता है.उसका घर अब कोई दो कमरों वाला झोपड़ी नहीं बल्कि एक बहुत बड़ा पक्का मकान बन चुका था.
सौरभ कुछ देर तक अपने घर को निहारता है और उसके बाद अपने सारे समान को उठा कर घर के दरवाजे के पास जाता हे और उसे अपने हाथ से पीटते हुए आवाज देता है. कुछ देर में दरवाजा खुलता है और वह देता है कि......
सौरव क्या देखता है यह जाने के लिए आप अगले अपडेट का इंतजार करें. तब तक के लिए लाइक करें और रिप्लाई करें