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सौरभ अपने घर के पास पहुंच के दरवाजे पर आवाज देता है, जिसके बाद कुछ ही देर में दरवाजा खुलता है. दरवाजे को खोलने वाला कोई और नही बल्कि सौरभ की माँ सुरभि थि.
सुरभि जोकि एक 42 साल की काफी सुंदर महिला है, हद से ज्यादा गोरा बदन, गोल चेहरा, काली आंखें, लंबे बाल जोकि कमर तक आती थी, उमर ज्यादा होने के कारण थोड़ी सी मोटी हो गई थी, हलाकी मोटी होने के कारण वो और भी ज्यादा सुंदर और आकर्षक लगती है.
सुरभि ने इस वक्त एक नीले रंग की साड़ी और एक नीले रंग का ब्लाउज पहना हुआ था, और हल्का सा मेकअप भी किया हुआ था. उसे देख कोई भी मदहोश हो जाता.
सुरभि अपने बेटे को 5 साल बाद देख खुश होते हुए उसे अपनी बाहों में भर लेती है. वह अपने बेटे को सीने से लगाते ही भावुक हो जाती है. इन 5 सालों में वो अपने बेटे के लिए काफी तड़पी थी.
वही सौरभ का भी कुछ ही हाल था वो भी अपनी मां को 5 साल बाद दिख भावुक हो जाता है. और उसे जोड़ से अपनी बाहों में भर लेता है.
कुछ देर एसे ही दोनों एक दूसरे के बाहों में बिना कुछ बोले खड़ा रहता है. जब कुछ देर बाद दोनों अलग होता है और एक दूसरे के चेहरे को देखता है तो पता हे कि दोनों का गाल आंसू भीग चुका था.
सौरभ सुरभि के आंसूओ को पोछते हुए कहता - मां मत रो अब मैं तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा.
सुरभि फिर से रोते हुए कहती है - बदमाश एक महीना कह के पूरे 5 साल के बाद आया है वापस. तुझे अंदाजा भी है मैं कितना रोती थी तेरे लिए तू तो मुझसे प्यार ही नहीं करता इसलिए तु मुझे छोड़ कर चला गया था.
इतना कहने के बाद सुरभि फिर से सौरभ के सीने से लग जाती है और रोने लगती है. सौरभ जानता था उसने अपनी मां को झूठ बोल के गया था. जिसके कारण उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले. बस सौरभ भी अपनी मां को अपनी बाहों में दबोच लेता है.
तभी एक आवाज आता है - अरे इतने सालों बाद आया है कम से कम इस के घर के अंदर तो आने दो.
इस आवाज को सुन सौरभ और सुरभि अलग हो जाता है और, जिस तरफ से आवाज आया था उस तरफ देखने लगता है. सामने आंगन में सौरभ के पिता खड़े मुस्कुरा रहे थे.
सुरभि अपने पति की बात को मानते हुए सौरभ को छोड़ देती है और उसे घर के अंदर आने के लिए कहती है. सौरभ के घर के अंदर घुसते ही सुरभि घर के दरवाजे को अंदर से बंद कर देती है.
घर के अंदर जाने के बाद सौरभ सीधा अपने पिता के पास जाता है और उसके पैर को छूने की कोशिश करता है लेकिन तभी सौरभ के पिता उसके कंधों को पकड़ उठाते हुए कहता है - इतने साल बाद आया है मेरा बेटा तेरा जगह मेरे पैरों में नहीं मेरे दिल में है.
उसके बाद सौरभ के पिता यानी जगदीश सौरभ को उसका कमरा दिखाते हुए कहता है - पहले तुम जाकर फ्रेश हो जाओ उसके बाद हम लोग बात करेंगे.
सौरभ भी अपने कमरे में चला जाता है. इससे पहले उसने कभी भी इस कमरे को नहीं देखा था
5 साल पहले जब वह अपने घर में रहता था तब उसका घर दो कमरों वाला एक झोपड़ी था जिसमें वह अपने माता पिता के साथ सोया करता था.
सौरभ के माता-पिता पुराने ख्यालों वाला इंसान था. इसलिए सौरभ जब बड़ा होने लगता है समझदार होने लगता है तब वह दोनों एक साथ सोना भी छोड़ देते हैं.
सौरभ के पुराने घर में दो ही खाट था जिसमें से एक पर जगदीश सोता था और दूसरे पर सुरभि, सौरभ अपने माता पिता के पास में से किसी के पास भी सो सकता था किसी दिन वह अपने पिता के साथ सोता तो किसी दिन अपनी मां के साथ.
लेकिन अब हालात बदल चुका था, आज उसका घर दो मंजिलों वाला मकान था, जिसमें कई कमरे थे उसका कमरा घर का सबसे बड़ा कमरा था, उसके कमरे में एक बड़ा अलमारी, बड़ा पलंग, एक स्मार्ट टीवी, ऐसी, और अटैच बाथरूम था.
सौरभ कमरे को देख काफी खुश होता है सबसे पहले वो अपने बैग में लाया सारा सामान को बाहर रखता है उसके बाद वह बाथरूम में नहाने चला जाता है.
नहाने के बाद वह बस एक टावल में से बाथरूम से बाहर निकलता है और बिस्तर के पास जाकर अपने टावर को खोल बिस्तर पर रख देता है.
टॉवेल को खुलते ही सौरभ का 8 इंच का लंड जो खड़ा था, हवा में सलामी देने लगता है. सौरभ अपने खड़े लंड को कुछ देर देखने के बाद उसपे अपना हाथ फरने लगता है. कुछ देर अपने लंड पर हाथ फेरने के बाद, कुछ सोचते हुए वह अपने लंड को छोड़ कपड़े पहनने लगता है.
कपड़े पहनने के बाद वह अपने कमरे से बाहर चला जाता है. बाहर आने के बाद उसे अपने घर में कोई भी नहीं दिखाई दे रहा था. कुछ देर खोजने के बाद उसे उसकी मां किचन में काम करते हुए दिखाई देता है.
किचन के दरवाजे पर खड़ा हो पहले तो सौरभ अपनी मां को निहारता है. उसके बाद उसके दिमाग में एक शैतानी आता है, जिसे अंजाम देने के लिए वह दबे पांव बीना कोई आवाज कीये सुरभि के नजदीक जाने लगता है.
सुरभि के पास पहुंचने के बाद सौरभ अपने हाथ को झट से आगे बढ़ाता है और सुरभि के पेट को पकड़ उसके पीठ से जा चिपकता है.
इस अचानक हमले से सुरभि जरा सा भी नहीं डरती उल्टा वह हंसते हुए कहती है - आ गया बदमाश.
सौरभ चौकते हुए कहता है - मां तुम्हें कैसे पता ये मैं ही था.
सौरभ के सवाल को सुन सुरभि उसकी तरफ अपना मुंह करके मुड़ जाती है सौरभ का हाथ जो कि पहले उसकी मां के पेट पर था अब वह सुरभि की कमर पर हो गया था.
दोनों इस वक्त जिस तरह खड़ा था उसे देख कोई भी नहीं कह सकता था कि दोनों माँ बेटा हो. दोनों को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे एक अधेड़ उम्र की महिला जो किसी जवान लड़की की प्यार में पड़ गई हो.
सुरभि - में अच्छे से जानती हु तुझे मुझे पता था ये तु ही होगा. और में भी तेरा ही इंतजार कर रही थी.
सौरभ, सुरभि की बात को सुन उसके मुलायम कमर पर हाथ फेरते हुए कहता है - इसका मतलब तुम मेरा इंतजार कर रही थी.
सुरभि - मैं तो तेरा इंतजार 5 सालों से कर रही थी तू तो अब आया है. यह कहते हुए सुरभि का आवाज भारी हो जाता है.
सौरभ अपनी मां को भाउक देख तुरंत उसे अपने सीने से दबा लेता है और अपने हाथ को उसके कमर और पीठ पर हल्का हल्का फेरते हुए कहता है - मैं भी तुम्हारे लिए बहुत तड़पा हूं माँ अब मैं तुम्हें छोड़कर कभी नहीं जाऊंगा. मैं तो तुम्हारे लिए ही गया था मां ताकि मैं तुम्हें सारी खुशियां दे सकूं.
सुरभि - अगर तुम मुझे खुशियां ही देना चाहते हो तो तुम शादी कर लो ताकि मैं जल्दी से ज्यादा दादी बन सकूं.
सुरभि की बात को सुन सौरभ का हाथ जो कुछ देर पहले अपनी मां की कमर और पीठ पर घूम रहा था वह एक जगह पर रुक जाता है. सुरभि ने जो सोचा था ठीक वैसे ही सौरभ रिएक्ट करता है. लेकिन सुरभि कुछ बोलती नहीं है.
कुछ देर दोनों खामोश रहने के बाद सौरभ सुरभि को अपने आप से दूर करते हुए कहता है - मां वो मां
सौरभ ने अभी इतना ही बोला था कि तभी जगदीश का आवाज आता है जिसे सुन सुरभि उसे बीच में रोकते हुए कहती है - तुझे जो बोलना है वह बाद में बोल देना अभी तेरे पापा आ गए हैं.
आखिर सौरभ और सुरभि के बीच क्या चल रहा था यह जाने के लिए आप अगले अपडेट तक बने रहे तब तक के लिए लाइक करें और अप्लाई करें