kamdev99008
FoX - Federation of Xossipians
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आप जैसी अप्सराओं की कृपा से ही मैं कामदेव हूं
ऐसे ही कृपादृष्टि बनाए रखें
मेरे वजूद को बचाए रखें
आप जैसी अप्सराओं की कृपा से ही मैं कामदेव हूं
ThenkJi friend
Kal se ye kahaani shuru ho jayegi
Ummid hai ki aap mere sath bane rahogi.....
प्रथम अध्याय के इंतज़ार में....दोस्तों
आप लोग अच्छे होंगे मै भी अच्छी हु|
सब से पहेले मै आप सब का “आभार” मान रही हु की आप सभी ने मेरी कहानी “तीनो की संमति से...” को बहोत सराहा और आप सभी ने मेरी कहानी को प्रेम दिया और उस प्रेम से मेरी कहानी को पढ़ा| लेकिन उतना ही दुःख हुआ की एक इगो की वजह से वो कहानी अधूरी रह गई और उस कहानी का सस्पेंस पाठको को पढ़ना नहीं मिला की कौन थे वो “तीनो”!!!! खेर अभी वो कहानी यहाँ पर फ्रिज कर दी गई है लेकिन अन्य भाषा में चालु है| (पता नहीं ये कैसे नियम है, एक भाषा में फ्रिज कर दी गई है और दूसरी भाषाओं में चालू रखने की मंजूरी दी गई है)|
खेर अभी वो कहानी तो मैंने लिखना छोड़ दिया है, लकिन आप लोगो के लिए एक और कहानी लेके आई हु शायद आप को पसंद आये और जो प्यार मेरी उस कहानी को मिला वैसा ही प्यार इस कहानी को भी मिले ऐसी उम्मीद के साथ लिख रही हु|
ये कहानी ऐसी कहानी है की जिस में रोमांच, प्रेम, थ्रिल, और ऑफकोर्स सेक्स है....कैसे एक ससुर और बहु अपने दुश्मन से लड़ते है और अपनी जिंदगी में से कैसे कैसे कांटे हटाते है.........
वैसे इस कहानी में सेक्स होगा लेकिन उतनी मात्रा में शायद ना हो जितनी के पाठको को उम्मीद हो....फिर भी कोशिश करुँगी......
आपके कोमेंट पे आधारित हु.....
शुक्रिया दोस्तों
जल्द ही अपडेट दूंगी......
Friends,
You all will be good and I am also good.
First of all I am “thankful” to all of you that you all appreciated my story “Tino ki Sammati se…” and you all loved my story and read it with that love. But I am equally saddened that due to an ego that story remained incomplete and the readers did not get to read the suspense of that story about who were those “three”!!!! Well, right now that story has been frozen here but is running in other languages. (I don’t know what kind of rule is this, it has been frozen in one language and permission has been given to continue in other languages).
Well, right now I have stopped writing that story, but I have brought another story for you all, maybe you will like it and I am writing with the hope that this story will also get the same love as my that story got. This story is such that it has adventure, love, thrill, and of course sex... How a father-in-law and daughter-in-law fight their enemy and how they remove the thorns from their life.........
Although there will be sex in this story, but it may not be as much as the readers expect....still I will try......
I am based on your comments.....
Thank you friends
I will update soon......
आप जैसी अप्सराओं की कृपा से ही मैं कामदेव हूं
ऐसे ही कृपादृष्टि बनाए रखें
मेरे वजूद को बचाए रखें
Congratulations for starting new story sis. Milti rha kro kabhi kabhi raji bhabhi se. Okay
kokua kalihi valley
प्रथम अध्याय के इंतज़ार में....
बहोत ही सुंदर पृष्ठभू में कहानी का आगाज हुआ है.. पात्र निरूपण भी उमदा है.. आशा है की यह एक लंबी कहानी होगी.. !!आज राजपुरा गाव के राजा यशवीरसिंग का महल दुल्हन की तरह सज़ा हुआ है और क्यू ना सजता, आज राजासाहब का बेटा विश्वजीत शादी करने के बाद अपनी नयी-नवेली दुल्हन को लेकर आया था| राजासाहब के घर मे अरसे बाद खुशियों ने कदम रखा था वरना पिछले दो सालों मे तो उन्हे बस दुख ही देखने को मिले थे|
मेहमानों की भीड़ हवेली के बड़े से बाग मे दूल्हा-दुल्हन को बधाई दे रही थी और पार्टी का लुत्फ़ उठा रही थी| राजासाहब ने मेहमानों की खातिरदारी मे कोई कसर भी नही छोड़ी थी|
जब तक राजासाहब मेहमानों की खातिरदारी करते हैं, आइए तब तक हम उनके बारे मे कुछ जान लेते हैं|
राजासाहब अपने पिता की एकलौती औलाद थे| उनके पिता पूरे राजपुरा के मलिक थे| उन्होने राजासाहब को विदेश मे तालीम दिलवाई पर हमेशा से एक बात उन्होने यशवीरसिंग के दिमाग़ मे डाली कि चाहे कुछ भी हो जाए रहना उन्हे राजपुरा मे अपनी जनता के बीच मे ही रहना होगा| पर फिर रजवाड़ों का चलन ख़तम हो गया तो बाप-बेटे ने बड़ी होशियारी से अपने आप को बिज़्नेस्मेन मे तब्दील कर लिया| जहा कई राजाओं की हालत आम आदमियो से भी बदतर हो गई वही राजासाहब और उनके पिता ने अपनी पोज़िशन और भी मज़बूत कर ली|
गाव मे गन्ने की खेती होती थी तो राजासाहब ने शुगर मिल लगा दी और गाव वालों को उसमे रोज़गार दे दिया| उनकी ज़मीन पे बड़े जंगल थे तो एक पेपर मिल भी स्टार्ट कर दी, वहा भी गाववाले ही काम करते थे| खेतों मे तो वो पहले से ही लगे हुए थे| इस तरह पिता की मौत के बाद राजा यशवीर राजपुरा के बेताज बादशाह बन गये| लोकल MLA और MP भी उनके आगे हाथ जोड़े खड़े रहते थे| वक़्त के साथ-साथ राजासाहब करीब 5 मिल्स के मलिक बन गये|
राजासाहब का विवाह एक बड़ी ही धर्म परायण महिला सरिता देवी से हुआ| राजासाहब व्यभिचारी तो नही थे फिर भी आम मर्दों की तरह सेक्स मे काफ़ी दिलचस्पी रखते थे, पर पत्नी के लिए चुदाई बस वंश बढ़ने का ज़रिया था और कुछ नही| इसलिए राजासाहब अपने शौक शहर मे पूरे करते थे| पर उन्होने अपनी पत्नी को कभी इसकी भनक भी नही लगने दी ना ही उन शहरी वेश्याओ से कोई बहुत गहरा संबंध बनाया| वो तो बस उनके कुछ शौक पूरे करती थी जो उनकी पत्नी नही करती थी| अगर रानीसाहिबा राजासाहब की इच्छायें पूरी करती तो राजासाहब कभी किसी और औरत के पास नही जाते| राजासाहेब अपने गाव के किसी औरत को कभी भी गंदी दृष्टि से नही देखते थे| ये सब उनकी विशेषता या विशिष्टता थी|
पर इस अच्छे इंसान को पहला बड़ा झटका उपरवाले ने आज से दो साल पहले दिया| राजासाहब का बड़ा बेटा यूधवीर एक कार आक्सिडेंट मे मारा गया| लोग कहते हैं कि वो ऐक्सिडेंट नही बलकी मर्डर था- किसी ने यूधवीर की कार के साथ छेड़खानी की थी| खैर इस बारे मे हम कहानी मे आगे बात करेंगे| बेटे की मौत का सदमा रानी सरितादेवी सह नही पाई और उसका नाम ले-ले कर भगवान को प्यारी हो गई| यह सब एक साल के भीतर दो घटनाए घट गई| उस समय विश्वजीत विदेश से पढ़ाई करके लौटा था और आते ही उसे पिता का सहारा बनना पड़ा|
ऐसा नही है कि राजपुरा मे राजासाहब का एकछत्र राज्य है| जब्बार सिंग नाम का एक ठाकुर बहुत दिनों से उनसे उलझता आ रहा है| लोग तो कहते है की यूधवीर की मौत मे उसी का हाथ था| जब्बार राजासाहब के दबाव को ख़तम कर खुद राजपुरा का बेताज बादशाह बनना चाहता है| पर राजासाहब ने अभी तक उसके मन की होने नही दी है|
Well begunआज राजपुरा गाव के राजा यशवीरसिंग का महल दुल्हन की तरह सज़ा हुआ है और क्यू ना सजता, आज राजासाहब का बेटा विश्वजीत शादी करने के बाद अपनी नयी-नवेली दुल्हन को लेकर आया था| राजासाहब के घर मे अरसे बाद खुशियों ने कदम रखा था वरना पिछले दो सालों मे तो उन्हे बस दुख ही देखने को मिले थे|
मेहमानों की भीड़ हवेली के बड़े से बाग मे दूल्हा-दुल्हन को बधाई दे रही थी और पार्टी का लुत्फ़ उठा रही थी| राजासाहब ने मेहमानों की खातिरदारी मे कोई कसर भी नही छोड़ी थी|
जब तक राजासाहब मेहमानों की खातिरदारी करते हैं, आइए तब तक हम उनके बारे मे कुछ जान लेते हैं|
राजासाहब अपने पिता की एकलौती औलाद थे| उनके पिता पूरे राजपुरा के मलिक थे| उन्होने राजासाहब को विदेश मे तालीम दिलवाई पर हमेशा से एक बात उन्होने यशवीरसिंग के दिमाग़ मे डाली कि चाहे कुछ भी हो जाए रहना उन्हे राजपुरा मे अपनी जनता के बीच मे ही रहना होगा| पर फिर रजवाड़ों का चलन ख़तम हो गया तो बाप-बेटे ने बड़ी होशियारी से अपने आप को बिज़्नेस्मेन मे तब्दील कर लिया| जहा कई राजाओं की हालत आम आदमियो से भी बदतर हो गई वही राजासाहब और उनके पिता ने अपनी पोज़िशन और भी मज़बूत कर ली|
गाव मे गन्ने की खेती होती थी तो राजासाहब ने शुगर मिल लगा दी और गाव वालों को उसमे रोज़गार दे दिया| उनकी ज़मीन पे बड़े जंगल थे तो एक पेपर मिल भी स्टार्ट कर दी, वहा भी गाववाले ही काम करते थे| खेतों मे तो वो पहले से ही लगे हुए थे| इस तरह पिता की मौत के बाद राजा यशवीर राजपुरा के बेताज बादशाह बन गये| लोकल MLA और MP भी उनके आगे हाथ जोड़े खड़े रहते थे| वक़्त के साथ-साथ राजासाहब करीब 5 मिल्स के मलिक बन गये|
राजासाहब का विवाह एक बड़ी ही धर्म परायण महिला सरिता देवी से हुआ| राजासाहब व्यभिचारी तो नही थे फिर भी आम मर्दों की तरह सेक्स मे काफ़ी दिलचस्पी रखते थे, पर पत्नी के लिए चुदाई बस वंश बढ़ने का ज़रिया था और कुछ नही| इसलिए राजासाहब अपने शौक शहर मे पूरे करते थे| पर उन्होने अपनी पत्नी को कभी इसकी भनक भी नही लगने दी ना ही उन शहरी वेश्याओ से कोई बहुत गहरा संबंध बनाया| वो तो बस उनके कुछ शौक पूरे करती थी जो उनकी पत्नी नही करती थी| अगर रानीसाहिबा राजासाहब की इच्छायें पूरी करती तो राजासाहब कभी किसी और औरत के पास नही जाते| राजासाहेब अपने गाव के किसी औरत को कभी भी गंदी दृष्टि से नही देखते थे| ये सब उनकी विशेषता या विशिष्टता थी|
पर इस अच्छे इंसान को पहला बड़ा झटका उपरवाले ने आज से दो साल पहले दिया| राजासाहब का बड़ा बेटा यूधवीर एक कार आक्सिडेंट मे मारा गया| लोग कहते हैं कि वो ऐक्सिडेंट नही बलकी मर्डर था- किसी ने यूधवीर की कार के साथ छेड़खानी की थी| खैर इस बारे मे हम कहानी मे आगे बात करेंगे| बेटे की मौत का सदमा रानी सरितादेवी सह नही पाई और उसका नाम ले-ले कर भगवान को प्यारी हो गई| यह सब एक साल के भीतर दो घटनाए घट गई| उस समय विश्वजीत विदेश से पढ़ाई करके लौटा था और आते ही उसे पिता का सहारा बनना पड़ा|
ऐसा नही है कि राजपुरा मे राजासाहब का एकछत्र राज्य है| जब्बार सिंग नाम का एक ठाकुर बहुत दिनों से उनसे उलझता आ रहा है| लोग तो कहते है की यूधवीर की मौत मे उसी का हाथ था| जब्बार राजासाहब के दबाव को ख़तम कर खुद राजपुरा का बेताज बादशाह बनना चाहता है| पर राजासाहब ने अभी तक उसके मन की होने नही दी है|