(मुझे लगा आज अगर ये फिर से फूल सी मेडम वाला गाना शुरू करेगा तो भगा दूंगा साले को....लेकिन उस दिन उसका अलग राग था...)
मैं – हाँ काका ठीक कह रहे हो...मुझे भी बहुत भली लगती हैं..पता नहीं कौन सा पाप किया जो ये हाल हो गया उनका...
चंदू – अरे उनका क्या पाप...वो तो दिल की बड़ी साफ़ हैं...उनका मरद हराम का जना निकला...फंसा गया उनको...
मैं – काका मेडम की बेटी नहीं दिखी कभी...
(बेटी का जिक्र आते ही चंदू की आँखें लाल होने लगी..पता नहीं दारू का असर था या मेडम की बेटी का..)
चंदू – अरे भैया..बहुत नेक लड़की है..इस उम्र में अपनी माँ की पूरी सेवा करती है...वो तो अब बिस्तर पर हैं..उनका सब काम करती है उनकी बेटी...लेकिन कहीं बाहर आती जाती नहीं..
मैं – क्यों काका..
चंदू – नेता ने मना कर के रखा है..वो तो नेता की बेटी और पूजा बिटिया एक ही क्लास में हैं बहुत अच्छी सहेली हैं इसलिए सिर्फ नेता की बेटी के साथ बाहर जाती हैं...और बाकी कहीं नहीं जाती...घर में ही रहती है..
मैं – फिर तो बोर हो जाती होगी...
चंदू – अरे काहे का भैया...कमरे में टीवी में लगा है..वीसीआर लगा है..वो भी फिल्म देखती रहती है..
मैं – कौन सी फिल्म देखती है काका..
चंदू – मुझे क्या पता भैया..देखती होगी कुछ...वैसे मेडम जितनी दिल की साफ़ हैं न वैसे ही पूजा भी दिल की बड़ी साफ़ है....हमें बड़े प्यार से काका कहती थी..अब तो गुमसुम रहती है..
मुझे लगा की आज बेकार में ही इसे बुला लिया मैंने...साला पूरा मूड ख़राब किये दे रहा था...उसे किसी तरह से रवाना किया मैंने और फिर से सोचने लगा उन दोनों माँ बेटी के बारे में...मुझे लगा की दोनों पर एक साथ हाथ साफ़ किया जाये...दोनों में कोई एक तो मान ही जाएगी,...फिर आगे जो होगा सो देखा जायेगा...मैंने उस रात दो तीन केसेट ऐसी फिल्मो की अलग रख ली जिसमे ज्यादा कुछ नहीं दिखाते थे बस थोडा चूमा चाटी होती रहती थी पूरी फिल्म में...मुझे अंग्रेजी तो समझ में आती नहीं थी...मैं एक दो दिन रुका और फिर से मेडम के घर चला गया...इस बार भी रात में गया था...मेडम अपने कमरे में लेटी थी और टीवी चल रही थी...मुझे आता देख के मेडम टीवी को पॉज कर दिया था....लेकिन टीवी बंद नहीं की थी..मैं कमरे में गया...उनको जो केसेट दी थी उसमे से एक चल रही थी...उसे रहने दिया और बाकी की ले के और नयी रख के कुछ पल वहीँ खड़ा रहा...सोचा की शायद मेडम कुछ कहें...लेकिन वो खामोश रही...मेरी तरफ देखा भी नहीं..मैंने जल्दी से एक नजर टीवी पर डाली तो समझ गया की ये कौन सी वाली फिल्म है.....
मैं चुपचाप वापस निकल के चल दिया...कमरे के बाहर आया तो हलकी आवाज सुनाई दी....मुझे पुकारा था मेडम ने...मन खिल उठा...तुरंत वापस पलटा और उनके कमरे में गया...
मेडम- तुमसे कहा था न की रात में नहीं आया करो.
मैं – जी वो दिन में दूकान बंद कर के आता हूँ तो ग्राहक चले जाते हैं
मेडम –इतनी तकलीफ होती है तो मत आया करो. मैंने थोड़ी न कहा की तुम बार बार आओ...मुझे इतनी लत नहीं है फिल्म देखने की. अब तुम्हें आने की जरुरत नहीं है.
मैं = जी मैं आपको नाराज नहीं करना चाहता था.आईंदा मैं दिन में ही आया करूँगा...
मेडम- मैं कह रही हूँ आने की जरुरत नहीं है. न दिन में न रात में. ये केसेट भी लेते जाओ और नहीं चाहिए है मुझे.
मैं – मुझसे कोई गलती हो गयी क्या?
मेडम= नहीं. वो बात नहीं है. मैं बस अब और फिल्म नहीं देखना चाहती. बोर हो गयी हूँ. और मुझे किसी अजनबी का मेरे घर रात में आना पसंद नहीं है.
मैं – मैं अजनबी नहीं हूँ. आपको बताया तो था की मेरा नाम राजेश है.
मेडम= देखो राजेश..मुझे ज्यादा होशियारी करने वाले लोग पसंद नहीं हैं. तुम जानते हो की मैं क्यों तुम्हें आने से मना कर रही हूँ. बेकार में नाटक मत करो.
मैं – नहीं मेडम जी...मैं नहीं जनता हूँ..मैं तो यही समझ रहा हूँ की मुझसे कोई गलती हो गयी है और आप नाराज हैं..
मेडम = तुम्हें लगता है मैं बहुत भोली हूँ और तुम बहुत चालू हो...मैं कमजोर हूँ...बिस्तर पर हूँ इसलिए कुछ कर नहीं सकती...तुम मुझे जानबूझ के ऐसी फ़िल्में दिखाते हो...खुद भी देखते होगे...मेरे बारे में सोचते होगे की ये कोई ऐसी वैसी औरत है...इसे ऐसी चीजें पसंद हैं इसलिए तुम रात में मेरा फायदा उठाने की नीयत से आते हो...