मैं – हाँ...नींद नहीं आ रही..
सीमा – मुझे तो बहुत तेज आ रही है लेकिन एक राउंड सेक्स का बहुत मन कर रहा है. एक तो ये कहानी सुन सुन के दिन भर चूत से पानी बहता रहता है...जानते हो आज तीन बार पेंटी चेंज करनी पड़ी...बार बार गीली हो जाती है....तुम भी तो दो दिन से एक बार भी नहीं झाडे हो....आओ एक एक राउंड हो जाये..
मैं – नहीं सीमा आज नहीं..
सीमा – अरे कोई चूमा चाटी नहीं...एकदम सीधे चुदाई...चाहो तो जल्दी निकाल देना पानी...जैसा चाहो वैसा कर लो बस एक बार पेल दो यार,...जब तक चूत में कुछ जाएगा नहीं तब तक सो नहीं पाऊँगी...प्लीज़ यार...
मैं – सीमा तुम्हें कभी मना किया है मैंने चोदने से....लेकिन यकीन मानो आज तुम कुछ भी कर लो मेरा लंड खड़ा नहीं होगा...जब तुम लोग अन्दर सो रहे थे तो मैं और पापा बाहर टहल रहे थे...उन्होंने आज साफ़ साफ़ कह दिया की वो चाहते हैं की मैं घर जमाई बन के रहूँ और उनका सारा काम मेरे जिम्मे कर देना चाहते हैं...
सीमा – जानती हूँ. ये आज की बात नहीं है. ये तो मेरे और पापा के बीच बहुत पहले से तय था की मेरा पति ही उनका वारिस होगा बिज़नस में और घर में मुखिया मैं बनूँगी...मुझे लगा मैं तुमसे घर जमाई वाली बात कहूँगी तो तुम्हारा ईगो हर्ट होगा...इसलिए पापा ने बात की..
मैं – उनके कहने से क्या मेरा ईगो हर्ट नहीं हुआ? तुम्हें लगता है की मैं इतना नहीं कमा सकता की हमारा जीवन चल सके.
सीमा – कमा सकते हो. जीवन चला सकते हो लेकिन तुम भी जानते हो की तुम सात जन्मों में भी मेरे पापा जितना नहीं कमा सकते...इसलिए बेकार में ईगो वाली बात मत लाओ. जो सच है वो सच है.,,मुझे नहीं लगता की किसी का घर जमाई बन के रहना कोई बुरी बात है...यहाँ सब तुम्हें कितना प्यार करते हैं...वो तो अभी तुम इनके साथ खुले नहीं हो...एक बार खुल जाओगे तो जन्नत ही जन्नत दिखेगी तुम्हें...
उसका इशारा पैसे और सेक्स की तरफ था,....ये बात मुझे बुरी लगी...मैं जवाब देने ही वाला था की उसने मुझे चुप रहने का इशारा किया और कुछ सुनने की कोशिश करने लगी...फिर बोली की सुनो दुसरे कमरे में पापा मम्मी को पेल रहे हैं....चलो देखते हैं....मैंने साफ़ मना कर दिया...सीमा ने जिद की...बोली की वो तो बचपन से पापा की चुदाई देखती आई है...और ये उसे बहुत पसंद है...उसने जिद की और मुझे बिस्तर से खीच के बाहर ले आई...हम उनके कमरे के बाहर गए...कमरे का दरवाजा खुला हुआ था...मुझे कोई आश्चर्य नहीं हुआ..जैसे ये लोग हैं उन्हें तो घर में दरवाजा लगवाना ही नहीं चाहिए था..खैर...सीमा बड़े आराम से दरवाजे पर जा के कड़ी हो गयी...मुझे लगा था की छुप के देखेगी लेकिन ये तो एकदम सामने से देख रही थी...मैं भी उसके पीछे आया और अन्दर देखा...और एक ही पल में दुनिया ऊपर निचे सी होती महसूस हुई मुझे....
सामने कमरे में पर्याप्त रौशनी थी...बिस्तर पर वो तीनो नंगे थे...पापा और दोनों मम्मियां...तीनो घुटने के बल बिस्तर पे बैठे हुए थे...रैना पापा के सामने थी और मोना पापा के पीछे..पापा अभी रैना को चोद रहे थे...बहुत ही बढ़िया सीन था...मैंने बहुत पोर्न देखा था लेकिन इस सीन के आगे सब फ़ैल था...सीमा ने मेरा एक हाथ खीच के अपने आगे किया और अपनी चड्डी में डाल दिया...मैं उसके पीछे से चिपक के उसकी गांड में अपना लंड रगड़ने लगा और हाथ से उसकी चूत को दाने को सहलाने लगा...मैंने पाया की सीमा सच में पूरी गीली थी....अन्दर पापा और मम्मी दोनों किसी समंदर की लहर की तरह आगे पीछे हो रहे थे..जैसे एक लहर आ के चट्टान से टकराती है और पानी इधर उधर फ़ैल जाता है...वैसे ही दोनों एक साथ पीछे होते और फिर एक साथ आ के एक हो जाते..लंड का धक्का लगते थे ही मम्मी की दोनों चूचियां इधर उधर उछल रही थी...दोनों की स्पीड बहुत तेज नहीं थी..आराम से दोनों पीछे जाते...और फिर एक साथ एक दुसरे के शरीर से टकरा जाते...मम्मी के बाल खुले हुए थे...और हर टक्कर पर उनकी चूची और बाल उड़ रहे थे..पीछे से मोना अपनी चूची पापा की पीठ पर रगड़ रही थी.....कुछ देर इसी मोशन में रैना को पेलने के बाद पापा पलटे और पापा के पलटते ही मोना भी पलट गयी...अब वो बिस्तर पैर पीठ के बल लेटी हुई थी...पापा का लंड जैसे किसी जीपीएस नेविगेशन से चल रहा हो इस प्रकार से एक ही फ्लो में रैना की चूत से निकला...और पलट के मोना की चूत में घुस गया...ये सब ऐसे हुआ जैसे कोई जिमनास्ट अपना मूव करता हो....एक इंच भी इधर उधर नहीं.....उस एक मोशन में मुझे एक मौका मिला पापा के लंड को देखने का..मेरा हाथ जो की सीमा की चूत से चिपका हुआ था एक दम से मैंने सीमा की चूत को दबोच दिया था...क्योंकि मैंने जिंदगी में पहली बार ऐसा लंड देखा था...दुनिया की पोर्न मूवीज देखने के बाद भी वो लंड देख के मुझे लगा की ऐसा लंड पहले कभी नहीं देखा है....एकदम सही लम्बाई और उतनी ही सही मोटाई...जितना लम्बा था उतना ही मोटा भी था...और रैना की चूत के पानी में सना हुआ चमक रहा था...अब पापा मोना के ऊपर आ के उसे पेल रहे थे...और इस बार धक्के की स्टाइल बिलकुल अलग थी...वो लंड को अन्दर तक ठांप के बिना बाहर निकाले ही कमर को गोल गोल घुमा रहे थे..जैसे गिलास में हाथ डाल के घुमा के गिलास धोया जाता है वैसे ही वो लंड डाल के घुमा घुमा के चूत की धुलाई जैसी कर रहे थे....सीमा और मैं दोनों खोये हुए थे...पता नहीं उन लोगों ने हमें देखा था या नहीं....की तभी एक आवाज सुनाई थी....पापा साइकिल पंप...पापा साइकिल पंप....मैं और सीमा दोनों चौकें...हमने आवाज को पहचान लिया था...ये रेनू थी...हमने पीछे देखा तो रेनू दिखी नहीं...फिर कहाँ थी...थोडा झाँक के अन्दर देखा तो पाया की रेनू दिवार से लगे सोफे में पसरी हुई थी...एकदम नंगी...एक टांग सोफे के निचे फर्श पर और दूसरी टांग सोफे के ऊपर....पूरी चूत खुली हुई....और उसकी दो उँगलियाँ अपनी चूत में चल रही थी...साफ़ दिख रहा था की उसने इतना पानी छोड दिया है की पूरी गीली है....उसे देख के मैं हैरान हुआ...मैं जनता था की ये लोग सेक्स में खुले हैं लेकिन आज पहली बार देख रहा था...इसके पहले उनकी चुदाई नहीं देखि थी कभी...