• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery गांड बचा के आये हैं......INCEST + ADULTARY

Studxyz

Well-Known Member
2,933
16,287
158
अगले ताबड़तोड़ रोमांचक शाहकार का बेसब्री से इंतज़ार है और अपडेट जल्दी दें आधी रात के भी बाद में आता है
 

big love

Member
268
1,991
123
बहुत बहुत धन्यवाद दोस्तों...रात में ११ बजे से अपडेट लिखना शुरू करता हूँ...बड़ा अपडेट लिखने में थोडा टाइम लग जाता है....जैसे ही अपडेट रेडी होता है मैं पोस्ट कर देता हूँ...आपमें से कुछ को रात में ही मिल जाता है और कुछ दोस्तों को अगली सुबह...आज भी अपडेट आधी रात के करीब ही हो पायेगा...पर होगा जरुर...आज भी और आगे भी....अगर किसी दिन कुछ करणवश अपडेट नहीं कर सकूँगा तो पहले ही बता दूंगा....अन्यथा इस बात की गारंटी है हर रात बड़े बड़े अपडेट होंगे....
आप लोगों के कमेंट्स बहुत पॉजिटिव हैं....कहानी पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
 

big love

Member
268
1,991
123
यहाँ तक आने के बाद पापा रुक गए...हमने फिर से हॉल में सबपर नजर डाली तो पता चला की उनके और मेरे सिवा बाकि सभी लोग सो गए हैं.....हम लोग उन सबको वैसे ही सोता छोड़कर बाहर आये...रात तो काफी हो ही चुकी थी...गार्डन में आने पर फूलों की खुशु और चांदनी रात ने हमारा स्वागत किया...पापा और मेरे हाथ में एक एक पेग था...हम धीरे धीरे सिप ले रहे थे और वहां टहल रहे थे...शायद वो अपनी पुराणी बातो को याद करते करते थोड़ी देर के लिए रुक के उन्हें फिर से फील करना चाह रहे थे...मैंने भी कुछ नहीं बोला,....फिर पापा ही बोले –

पापा – राजेश मैंने बहुत जिंदगी देखि है...बहुत ऊपर नीचे मोड़ भी देखे हैं..लेकिन कभी अपनी फॅमिली से झूट नहीं बोला...जब मेरे माता पिता ने मुझे मेरी अपनी बहन के साथ पकड़ा था...तब भी मैंने कोई सफाई नहीं दी थी...कोई झूटी कहानी नहीं सुनाई.....अपने बच्चों को अपने बारे में एक एक बात बताई खुद.....ताकि उन्हें सब पता रहे...मैं तुमसे भी यही उम्मीद करता हूँ....तुम्हारी फॅमिली और तुम्हारा बैकग्राउंड मेरे लिए जरुरी नहीं है. मैं अब भी तुमसे एक सच कह रहा हों...तुम्हारी फॅमिली से मुझे कुछ लेना देना नहीं है...मैंने तो आज तक सीमा से पूछा भी नहीं की राजेश की फॅमिली में कौन कौन है...मैं सिर्फ तुम्हें जानता हूँ...मैंने सीमा के लिए और अपने बच्चों के लिए इतना सब कुछ तैयार किया है की वो आराम से इस सबका लुत्फ़ ले सकते हैं और उन्हें कभी काम नहीं करना पड़ेगा...लेकिन मैं उन्हें निकम्मा भी नहीं बनाना चाहता...भले ही उनके पास साधन हैं लेकिन उन्हें मेहनत करना आना चाहिए...मैं चाहता हूँ की मेरे बाद तुम मेरी फॅमिली का ख्याल रखो...अब तक तुमने देख लिया होगा की हम सेक्स में भले ओपन हैं लेकिन बिज़नस के टाइम पर हम कोई समझौता नहीं करते...काम के टाइम काम और उसके बाद काम के टाइम काम....हम दोनों कामों में एक सामान माहिर हैं...लेकिन ये तब तक है जब तक मैं हूँ...मेरे बाद सीमा इनका एक काम का हिस्सा सम्हाल लेगी लेकिन दुसरे काम का हिस्सा सम्हालने के लिए उसे किसी की मदद चाहिए...समझ रहे हो?

मैं – जी थोडा थोडा...

पापा –हम्म,...सीधे बता देता हूँ...हम बिज़नस भी करते हैं और चुदाई भी...मेरे बाद मेरे बच्चों की चुदाई वाली जिंदगी तो सीमा सम्हाल लेगी लेकिन बिज़नस वाली जिंदगी नहीं सम्हाल पायेगी...उसके लिए उसे किसी की मदद चाहिए..मैं चाहता हूँ की मेरे बाद मेरी फॅमिली का बिज़नस तुम सम्हालो और सीमा के साथ इसी घर में रहो...

घर जमाई बन के रहने का ये पहला ओपन ऑफर था...इसके पहले भी सीमा और इन लोगों की बातो से मुझे ऐसा शक हुआ तो था लेकिन अब ये बात एकदम डायरेक्ट सामने आ गयी थी...मैंने कोई जवाब नहीं दिया...हम कुछ देर के बाद अन्दर आ गए...देखा की बाकी के सभी लोग जाग गए थे...लेकिन हमें आगे कंटिन्यू करना ठीक नहीं समझा और सब अपने अपने कमरे में सोने चले गए...मैं और सीमा अपने कमरे में आ गए...हम बेड पर लेट तो गए लेकिन मेरी आँखों में नींद नहीं थी...सीमा का भी यही हाल था...

सीमा – जाग रहे हो..
 

big love

Member
268
1,991
123
मैं – हाँ...नींद नहीं आ रही..

सीमा – मुझे तो बहुत तेज आ रही है लेकिन एक राउंड सेक्स का बहुत मन कर रहा है. एक तो ये कहानी सुन सुन के दिन भर चूत से पानी बहता रहता है...जानते हो आज तीन बार पेंटी चेंज करनी पड़ी...बार बार गीली हो जाती है....तुम भी तो दो दिन से एक बार भी नहीं झाडे हो....आओ एक एक राउंड हो जाये..

मैं – नहीं सीमा आज नहीं..

सीमा – अरे कोई चूमा चाटी नहीं...एकदम सीधे चुदाई...चाहो तो जल्दी निकाल देना पानी...जैसा चाहो वैसा कर लो बस एक बार पेल दो यार,...जब तक चूत में कुछ जाएगा नहीं तब तक सो नहीं पाऊँगी...प्लीज़ यार...

मैं – सीमा तुम्हें कभी मना किया है मैंने चोदने से....लेकिन यकीन मानो आज तुम कुछ भी कर लो मेरा लंड खड़ा नहीं होगा...जब तुम लोग अन्दर सो रहे थे तो मैं और पापा बाहर टहल रहे थे...उन्होंने आज साफ़ साफ़ कह दिया की वो चाहते हैं की मैं घर जमाई बन के रहूँ और उनका सारा काम मेरे जिम्मे कर देना चाहते हैं...

सीमा – जानती हूँ. ये आज की बात नहीं है. ये तो मेरे और पापा के बीच बहुत पहले से तय था की मेरा पति ही उनका वारिस होगा बिज़नस में और घर में मुखिया मैं बनूँगी...मुझे लगा मैं तुमसे घर जमाई वाली बात कहूँगी तो तुम्हारा ईगो हर्ट होगा...इसलिए पापा ने बात की..

मैं – उनके कहने से क्या मेरा ईगो हर्ट नहीं हुआ? तुम्हें लगता है की मैं इतना नहीं कमा सकता की हमारा जीवन चल सके.

सीमा – कमा सकते हो. जीवन चला सकते हो लेकिन तुम भी जानते हो की तुम सात जन्मों में भी मेरे पापा जितना नहीं कमा सकते...इसलिए बेकार में ईगो वाली बात मत लाओ. जो सच है वो सच है.,,मुझे नहीं लगता की किसी का घर जमाई बन के रहना कोई बुरी बात है...यहाँ सब तुम्हें कितना प्यार करते हैं...वो तो अभी तुम इनके साथ खुले नहीं हो...एक बार खुल जाओगे तो जन्नत ही जन्नत दिखेगी तुम्हें...

उसका इशारा पैसे और सेक्स की तरफ था,....ये बात मुझे बुरी लगी...मैं जवाब देने ही वाला था की उसने मुझे चुप रहने का इशारा किया और कुछ सुनने की कोशिश करने लगी...फिर बोली की सुनो दुसरे कमरे में पापा मम्मी को पेल रहे हैं....चलो देखते हैं....मैंने साफ़ मना कर दिया...सीमा ने जिद की...बोली की वो तो बचपन से पापा की चुदाई देखती आई है...और ये उसे बहुत पसंद है...उसने जिद की और मुझे बिस्तर से खीच के बाहर ले आई...हम उनके कमरे के बाहर गए...कमरे का दरवाजा खुला हुआ था...मुझे कोई आश्चर्य नहीं हुआ..जैसे ये लोग हैं उन्हें तो घर में दरवाजा लगवाना ही नहीं चाहिए था..खैर...सीमा बड़े आराम से दरवाजे पर जा के कड़ी हो गयी...मुझे लगा था की छुप के देखेगी लेकिन ये तो एकदम सामने से देख रही थी...मैं भी उसके पीछे आया और अन्दर देखा...और एक ही पल में दुनिया ऊपर निचे सी होती महसूस हुई मुझे....

सामने कमरे में पर्याप्त रौशनी थी...बिस्तर पर वो तीनो नंगे थे...पापा और दोनों मम्मियां...तीनो घुटने के बल बिस्तर पे बैठे हुए थे...रैना पापा के सामने थी और मोना पापा के पीछे..पापा अभी रैना को चोद रहे थे...बहुत ही बढ़िया सीन था...मैंने बहुत पोर्न देखा था लेकिन इस सीन के आगे सब फ़ैल था...सीमा ने मेरा एक हाथ खीच के अपने आगे किया और अपनी चड्डी में डाल दिया...मैं उसके पीछे से चिपक के उसकी गांड में अपना लंड रगड़ने लगा और हाथ से उसकी चूत को दाने को सहलाने लगा...मैंने पाया की सीमा सच में पूरी गीली थी....अन्दर पापा और मम्मी दोनों किसी समंदर की लहर की तरह आगे पीछे हो रहे थे..जैसे एक लहर आ के चट्टान से टकराती है और पानी इधर उधर फ़ैल जाता है...वैसे ही दोनों एक साथ पीछे होते और फिर एक साथ आ के एक हो जाते..लंड का धक्का लगते थे ही मम्मी की दोनों चूचियां इधर उधर उछल रही थी...दोनों की स्पीड बहुत तेज नहीं थी..आराम से दोनों पीछे जाते...और फिर एक साथ एक दुसरे के शरीर से टकरा जाते...मम्मी के बाल खुले हुए थे...और हर टक्कर पर उनकी चूची और बाल उड़ रहे थे..पीछे से मोना अपनी चूची पापा की पीठ पर रगड़ रही थी.....कुछ देर इसी मोशन में रैना को पेलने के बाद पापा पलटे और पापा के पलटते ही मोना भी पलट गयी...अब वो बिस्तर पैर पीठ के बल लेटी हुई थी...पापा का लंड जैसे किसी जीपीएस नेविगेशन से चल रहा हो इस प्रकार से एक ही फ्लो में रैना की चूत से निकला...और पलट के मोना की चूत में घुस गया...ये सब ऐसे हुआ जैसे कोई जिमनास्ट अपना मूव करता हो....एक इंच भी इधर उधर नहीं.....उस एक मोशन में मुझे एक मौका मिला पापा के लंड को देखने का..मेरा हाथ जो की सीमा की चूत से चिपका हुआ था एक दम से मैंने सीमा की चूत को दबोच दिया था...क्योंकि मैंने जिंदगी में पहली बार ऐसा लंड देखा था...दुनिया की पोर्न मूवीज देखने के बाद भी वो लंड देख के मुझे लगा की ऐसा लंड पहले कभी नहीं देखा है....एकदम सही लम्बाई और उतनी ही सही मोटाई...जितना लम्बा था उतना ही मोटा भी था...और रैना की चूत के पानी में सना हुआ चमक रहा था...अब पापा मोना के ऊपर आ के उसे पेल रहे थे...और इस बार धक्के की स्टाइल बिलकुल अलग थी...वो लंड को अन्दर तक ठांप के बिना बाहर निकाले ही कमर को गोल गोल घुमा रहे थे..जैसे गिलास में हाथ डाल के घुमा के गिलास धोया जाता है वैसे ही वो लंड डाल के घुमा घुमा के चूत की धुलाई जैसी कर रहे थे....सीमा और मैं दोनों खोये हुए थे...पता नहीं उन लोगों ने हमें देखा था या नहीं....की तभी एक आवाज सुनाई थी....पापा साइकिल पंप...पापा साइकिल पंप....मैं और सीमा दोनों चौकें...हमने आवाज को पहचान लिया था...ये रेनू थी...हमने पीछे देखा तो रेनू दिखी नहीं...फिर कहाँ थी...थोडा झाँक के अन्दर देखा तो पाया की रेनू दिवार से लगे सोफे में पसरी हुई थी...एकदम नंगी...एक टांग सोफे के निचे फर्श पर और दूसरी टांग सोफे के ऊपर....पूरी चूत खुली हुई....और उसकी दो उँगलियाँ अपनी चूत में चल रही थी...साफ़ दिख रहा था की उसने इतना पानी छोड दिया है की पूरी गीली है....उसे देख के मैं हैरान हुआ...मैं जनता था की ये लोग सेक्स में खुले हैं लेकिन आज पहली बार देख रहा था...इसके पहले उनकी चुदाई नहीं देखि थी कभी...
 

big love

Member
268
1,991
123
रेनू की बात सुन के तीनो ने रेनू की तरफ देखा और तभी उन्हें हम भी दिखे...वहीँ दरवाजे पर खड़े हुए...रेनू तो खोयी हुई थी..हमें देख के उनमे कोई परिवर्तन नहीं आया...बल्कि शायद और ज्यादा जोश आ गया था...और फिर पापा ने जो हरकत की उसे देख के समझ आया की साइकिल पंप का क्या मतलब है......आप लोगों ने कभी साइकिल में पंप से हवा भरी होगी तो जानते होंगे की पहले दो बार हैंडल को उपर नीचे कर के प्रेसर बनाया जाता है और फिर पूरा हैंडल निच्चे तक जाने दिया जाता है तब हवा भारती है...पापा ने अपना लंड सुपाडे तक बाहर निकला...दो धक्के धीरे धीरे लगाये...थोडा सा ही लंड अन्दर किया बस और फिर एकदम से हुमच के पूरा लंड जड़ तक अन्दर ठांप दिया....मोना की पूरी बॉडी उस झटके से उछल सी गयी.....और फिर वही मोशन...फिर से लंड सुपाडे तक बाहर...दो हलके धक्के और फिर पूरा लंड जड़ तक अन्दर...इस मूव को तो मैंने पहले कभी नहीं देखा था..कहीं भी नहीं....इतना शानदार लंड...और दोनों मम्मियां पूरी नंगी...और दाद देनी पड़ेगी दोनों की...इस उम्र में भी शरीर ऐसा की एक इंच कहीं मोटापा नहीं...इधर रेनू अपनी उँगलियों के साथ पूरे मजे ले रही थी...और कुछ देर में शायद पापा का पानी निकलने वाला था....उन्होंने आवाज दी...रेनू कैच....

रेनू जो टांग फैलाये खुद ही अपनी चूत पेल रही थी...सोफे पर फुर्ती से उठ बैठी...और तभी पापा ने मोना की चूत से लंड बाहर निकाला...और हाथ में ले के उसे रेनू की तरफ किया और उनके पानी की पहली पिचकारी निकली...जैसे तोप से गोला निकलता है...एक धार में वो पानी उड़ता हुआ आया और रेनू के खुले हुए मुंह में गिरा....उसके बाद तीन पिचकारियाँ और आई...रेनू ने सब अपने मुंह में कैच की.....ये देख के मेरी हालत ख़राब हो गयी...एक बाप अपनी बेटी के सामने अपनी दो दो बीवियों को पेल रहा था...बेटी बता रही थी की किस पोज़ में पेलो और फिर बाप के लंड का पानी सीधा बेटी के मुंह में....बाप रे....इतना गरम सीन...मेरा लंड एकदम कड़क हो चूका था...लेकिन मेरी हैरानी की ये पराकाष्टा थी की मैं सीमा को चोदने के बारे में नहीं सोच रहा था...मैं तो बस वो देखना चाह रहा था जो सामने था..खुद चोदने का तो ख्याल ही नहीं आया....उनको देखना खुद चोदने के सुख से कहीं ज्यादा था....जब सीमा ने अपनी चूत का पानी मेरी हथेली में गिरा दिया उसके बाद हम लोग वापस अपने कमरे में आ गए...आते आते मैंने देखा की वो तीनो अभी भी लगे हुए थे..शायद एक राउंड चुदाई और होने वाली थी.....चलते चलते मुझे मोना की आवाज सुनाई दी,....इस बार पानी रैना के मुंह में डालिए मैं और मेरी बेटी उसके मुंह से आपका पानी चूसेंगे.......मुझे लगा की यह लोग एक ही रात में पागल कर देंगे क्या मुझे...मैं लौट के आया...सीमा और मैं बिस्तर पर लेट गए...सीमा मुझसे चिपक के लेटी....मैं वही सीन याद करता रहा जो देख के आया था और फिर सो गया.....

अगली सुबह मैं फिर से देरी से उठा...बहार आया तो देखा की सभी लोग जग चुके थे और धुप सेंक रहे थे..मैं भी वहीँ बैठ गया..कपडे सबके ठीक ही थे...कोई खास नंगापन नहीं था..मुझे लगा की शायद ये लोग सुबह नार्मल तरीके से करते हैं और रात में कैच कैच खेलते हैं....लेकिन मैं गलत था क्योंकि जब मैं वहां बैठा तो पता चला की बात तो चुदाई की ही चल रही थी....रैना सोम को बता रही थी की कल रेनू ने पापा का कैच लिया...सोम शिकायत कर रहा था की वो दोनों भाई न तो कहानी सुन पाए न कैच देख पाए न कैच करवा पाए....और पापा कह रहे थे की मैं तो पहले सीमा को कैच देने वाला था लेकिन वो थोड़ी दूर खड़ी थी मुझे लगा की उतनी दूरी तक मेरा शॉट नहीं जायेगा...इसलिए रेनू को कैच दे दिया...लेकिन रेनू ने भी बहुत अच्छा कैच किया....धीरे धीरे वो भी अपनी दीदी की तरह एक्सपर्ट कैचर हो गयी है.....मैं सुबह सुबह कुछ रिलैक्स फील कर रहा था लेकिन इन लोगों की इस पांच मिनट की बात ने मेरे पूरे शरीर में पता नहीं कौन सी बिजली भर दी....उस दिन मुझे पहली बार लगा की भाड़ में गया ईगो और इमेज....साला यहाँ इनके बीच रहने का मजा अलग है...और क्या पता कल को ये सब अपनी अपनी चूत खोले मेरा कैच पकड़ रही हों...वाह कितना मजा आएगा..मैं घर का मुखिया और ये सब मेरी दासियाँ....सब को पेलूँगा...सब को पेल पेल के बुर का भोसड़ा बना दूंगा....

ये सब सोच तो मैं अपने मन में रहा था लेकिन इसका असर मेरे पेंट में हो रहा था...मैंने किसी तरह से बात को टालना चाहा क्योंकि मैं नहीं चाहता था की कोई मेरे लंड को वो टेंट देखे...वो टेंट जो की अपने पूरे आकार में भी मुझे पापा के सोये हुए लंड से भी छोटा दिख रहा था....लेकिन आज तो उनकी सुई अटकी हुई थी...राज ने बताया की उनकी मीटिंग बहुत अच्छी रही..उन्होंने बहुत बड़ी डील कल क्लोज़ की है इसलिए आज उनकी ऑफिस से छुट्टी है...और आज कहानी दिन में ही सुनाई जाएगी क्योंकि रात में सब सो जाते हैं और सुन नहीं पाते हैं...मुझे लगा की बेहतर होगा की मैं जा के मुट्ठ मार लूं...क्योंकि दिन भर कहानी चलेगी तो मेरा लंड कहें खड़े खड़े फट ही ना जाए...खैर कुछ देर के बाद हम लो उसी हॉल में आ गए,....

मैंने याद दिलाया की कहानी कहाँ तक पहुच गयी थी...उसके बाद पापा ने कहानी शुरू की...( यहाँ से मैं मतलब पापा है )
 

big love

Member
268
1,991
123
मैं – हाँ तो मेडम ने मुझे चड्डी दी...मैंने हाथ में ली तो पाया की एकदम तर बतर भीगी हुई थी.बिलकुल गीली...मुझे लगा की मौका छोड़ना ठीक नहीं है....तो मैंने मेडम से कहा की मेडम ये तो बिलकुल गीली है.

मेडम – हाँ

मैं – इतनी गीली कैसे हो गयी ? आपने कहीं इसे सु सु तो नहीं कर दी है.

मेडम – नही.

मैं – तो फिर ये कहाँ का पानी है...बहुत सारा है..

ये कह के मैंने मेडम की चड्डी को नाक के पास ले जा के सूंघ लिया.....वहां बैठे बैठे मुझे लगा की चक्कर खा के गिर जाऊंगा...उस चड्डी की गंध बहुत तेज थी....मुझे ऐसा करते देख मेडम भी शायद हैरान हो गयी...थोडा तेज आवाज में बोली...

मेडम – ये क्या कर रहे हो राजेश.

मैं – जी वो गलती हो गयी. एक फिल्म में देखा था हीरो करता है ऐसा. मुझे तो कभी किसी लड़की की चड्डी नहीं मिली न तो इसलिए सूंघ लिया. गलती हो गयी मेडम माफ़ कर दीजिये...

वो अभी भी मेरे पीछे ही खड़ी थी...वहां से गयी नहीं थी...मुझे याद आया था की आज ही चंदू ने चड्डी धोने का जिक्र किया था...और आज ही मेरे पास चड्डी आ गयी...यानी शायद मेडम आज कुछ मूड में है...मुझे भी पीछे नहीं हटना चाहिए...और मैं ये भी चाहता था की अब इतने दिनों के बाद आज कुछ तो आगे का रास्ता दिखना ही चाहिए नहीं तो इतनी मेहनत करने का क्या फायदा...

मैं – मेडम जी कुछ और भी है धोने को तो दे दीजिये. हम धोये देते हैं.

मेडम – नहीं आज इतना ही है. हाँ एक काम और था.

मैं – जी कहिये न मेडम जी.

मेडम – आज पूजा को अपनी सहेली के घर जाना था. इसलिए वो थोडा देरी से आएगी..मैं घर में अकेली हूँ और मुझे अकेले में बहुत डर लगता है...तो अगर तुम्हें परेशानी न हो तो पूजा के आने तक रुक जाओ...

मैं – जी जी मेडम मैं रुक जाऊंगा. मुझे कोई दिक्कत नहीं है. इसीलिए कह रहा हूँ कुछ और कपडे हों तो दे दीजिये लगे हाथ धो देता हूँ.

मेडम – राजेश तुम एकमात्र लड़के हो जिसे मैं घर में आने देती हूँ. मुझे उम्मीद है तुम मेरे घर के बारे में बाहर किसी से कुछ कहते नहीं होगे.

मैं – मेडम मैं किसी से क्या कहूँगा....मैं तो यहाँ शहर में किसी को जनता भी नहीं हूँ.

मेडम – देखो मुझे अभी जमीन में बैठने में दिक्कत होती है पैर दुखने लगता हिया इसलिए तुमसे अपनी चड्डी धोने को कह रही हूँ. वरना मुझे कोई शौक नहीं है की मेरी गीली चड्डी कोई धोये.

उनकी बात सुन के मुझे लगा की आज मेडम कुछ दुसरे ही मूड में है. और घर में अकेली भी है तो मुझे भी पीछे नहीं हटना चाहिए.

मैं – तो इसमें क्या बड़ी बात हो गयी मेडम जी. आप भी तो मेरे लिए इतना कुछ करती हैं. मैं क्या इतना भी नहीं कर सकता.

मेडम – ठीक है. लेकिन तुमने मेरी चड्डी क्यों सूंघी? ये तो कितनी बुरी बात है.

मैं – जी वो जोश जोश में आ के सूंघ ली.
 

big love

Member
268
1,991
123
मेडम – तुम्हें जोश बहुत आता है. अपने जोश को काबू में रखना सीखो. नहीं तो ये जोश बहुत जल्दी ख़त्म होने लगेगा.

मैं – नहीं मेडम जी. मेरा जोश तो बहुत देर तक चलता है.

मेडम – (हँसते हुए) अच्छा ठीक है. कपडे धो के कमरे में आ जाना...वहीँ बैठ के बातें करेंगे...

जल्दी जल्दी सब काम ख़त्म केर के मैं उनके कमरे में गया....मैंने सोच लिया था की आज जो होना होगा हो जायेगा...

मेडम – आओ बैठो..अपने बारे में कुछ बताओ राजेश.

मैं – मैं क्या बताऊँ मेडम मैं तो अकेला ही रहता हूँ...शहर में किसी को नहीं जनता..

मेडम – ठीक है लेकिन इस शहर में आने के पहले तो तुम्हारा घर रहा होगा न...

मैं – जी. लेकिन अब मैंने घर छोड़ दिया है.

मेडम – घर छोड़ दिया है या घर वालों ने निकाल दिया है.

मैं – घर वाले क्यों निकालेंगे मुझे...?

मेडम – मुझे क्या पता...वो तो तुम ही बताओगे..

मैं – मुझे घर से निकला नहीं है बल्कि मैंने ही घर छोड़ दिया है...

मेडम – तुम्हारी उम्र के लड़के घर छोड़ते नहीं हैं...बल्कि घर से निकाले जाते हैं...चलो मत बताओ..मैं खुद ही अंदाजा लगा लेती हूँ....तुमने घर में कुछ ऐसा किया जिससे वो लोग नाराज हो गए....अगर चोरी वगैरह कुछ किया होता तो इसमें घर से निकालने वाली बात नहीं होती...माल का नहीं बल्कि तुम्हारे घर से निकाले जाने के पीछे समाज और इज्जत का कारण है...

मैं – ऐसी कोई बात नहीं है.

मेडम – मैंने कहा न राजेश मेरे घर में तुम्हारे सिवा को आने नहीं देती मैं. किसी और से इतनी बात भी नहीं करती हूँ. लेकिन दुनिया मैंने भी देखि है.और अपने अनुभव से कह सकती हूँ की तुम्हें घर से निकाला गया है..इसलिए तुम फाटे हाल हो...खुद घर से बाहर आये होते तो कुछ तयारी कर के आते,....जैसे रह रहे हो वैसे नहीं रहते..

मैं – जी...आप सही कह रही हैं...

मेडम- वो तो मुझे पता है मैं सही कह रही हूँ. तुम ये समझ जाओ की तुमसे बात करने के लिए और तुम्हें अपने घर में आने देने के लिए मुझे ये जानना जरुरी है की तुम्हारी हिस्ट्री क्या है...हिस्ट्री समझते हो?

मैं – जी.

मेडम – मतलब पढ़े लिखे हो. लेकिन ज्यादा नहीं पढ़े हो...ठीक है...तो बताओ तुम्हारी किस हरकत से तुम्हारे घर वालों की इतनी बेइज्जती हुई की उन्होंने तुम्हें घर से ही निकाल दिया...

मैं – मैं इस बारे में बात नहीं करना चाहता हूँ..

मेडम – लेकिन मैं करना चाहती हूँ. तुम चाहो तो कल को बाहर जा के सबको बता दोगे की मेडम जी रोज चुदाई की फिल्म देखती हैं.

(मेडम ने पहली बार कोई गन्दा शब्द बोला था...एक बार गाली दी थी उन्होंने लेकिन कभी बातचीत में ऐसा कोई शब्द नहीं बोला था...उनके मुंह से चुदाई सुन के मेरे लंड ने ठुनकी मार दी...शायद वो यही चाहती थी)

मैं – मैं ऐसा कुछ कही कहूँगा किसी से. आप यकीन कीजिये.

मेडम – जब तुम मुझसे कुछ शेयर ही नहीं करोगे तो मैं कैसे यकीन करूँ. मैं तुम पर यकीन नहीं करती तो क्या तुम्हें अपनी चड्डी धोने को देती. वो भी वो चड्डी जिसमे मेरा पानी निकल निकल के पूरी चड्डी गीली थी...बताओ कोई भी मेरी वो गीली चड्डी देख के मेरे बारे में क्या सोचेगा..यही सोचेगा न की ये औरत लार टपकाती फिरती है....बोलो?
 

big love

Member
268
1,991
123
मैं – जी.

मेडम – तो मैं तो तुम पर इतना भरोसा कर रही हूँ लेकिन तुम मुझ पर भरोसा नहीं कर रहे और झूट बोल रहे हो. सच सच बताओ अपने बारे में.. और अगर नहीं बता सकते हो तो हमारी दोस्ती यहीं तक थी कल से आने की जरुरत नहीं है.

मैं – जी मैं बता दूंगा. आप पूछिए मैं सब बता दूंगा. मैं शहर में आपके सिवा किसी को नहीं जानता,. आपके यहाँ आना मुझे बहुत अच्छा लगता है. आप मुझे आने से मना मत कीजियेगा

मेडम – मैं कब मना करता चाहती हूँ...मैं भी चाहती हूँ की तुम आओ...खुद ही सोचो अगर मैं अपनी गीली चड्डी पूजा को देती तो वो क्या सोचती मेरे बारे में...लेकिन अगर तुम मुझ पर भरोसा नहीं करोगे तो फिर मुझे तुमसे दोस्ती करने में दिक्कत होगी...

मैं – मैं भरोसा करता हूँ अप पर...मैं आपको सब बता दूंगा. सच सच.

मेडम – ठीक है...तो बताओ तुमने किसकी इज्जत ले ली जो तुम्हें घर निकाल दिया...

मैं – ये कैसे कह सकती हैं आप की मैंने किसी की इज्जत ले ली...

मेडम – मैंने कहा न बहुत दुनिया देखि है....इज्जत ही ऐसी चीज है जो खो कर पायी नहीं जा सकती...कोई और गलती किये होते तो तुम्हारे माँ बाप तुम्हें मार पीट के माफ़ कर देते. घर से निकाल दिए मतलब कोई बड़ा काण्ड किये हो....मेरे हिसाब से तुमने किसी ऐसे की इज्जत ले ली जिसकी नहीं लेनी चाहिए थी.

मैं – इज्जत तो किसी की भी नहीं लेनी चाहिए न मेडम जी..

मेडम – हाँ ये भी सही है..फिर भी मैं सही कह रही हूँ..ये इज्जत वाला मामला ही है न तुम्हारे साथ...

मैं – जी मेडम जी...

मेडम – तो बताओ क्या हुआ...

मैं – जी मेरा किसी से सम्बन्ध बन गया था...और घर वालों को पता चला तो उन्होंने मुझे घर से निकाल दिया...

मेडम – सम्बन्ध बन गया था मतलब प्यार कर लिए थे?

मैं – जी.

मेडम – नहीं. झूठ है. प्यार कर लिए तो ज्यादा से ज्यादा तुम्हारा मिलना जुलना बंद करवा देते. तुम्हें घर निकालने की जरुँत नहीं थी. मतलब तुम किसी ऐसे ही प्यार कर लिए जिससे नहीं करना चाहिए था...कौन थी वो ?

मैं – जी थी एक लड़की.

मेडम – उस लडकी का क्या हुआ फिर?

मैं – जी उसकी तो शादी हो गयी...

मेडम – तो तुमने उसे रोका क्यों नहीं? तुम प्यार करते थे तो तुम्हें रोकना चाहिए. घर वालों से लड़ के उससे खुद शादी करनी चाहिए.

मैं- जी ऐसा नहीं हो सकता था...

मेडम – नहीं हो सकता था मतलब या तो लड़की तुम्हारे समाज की नहीं थी...या समाज की तो थी लेकिन कोई ऐसी थी जिससे तुम शादी नहीं कर सकते थे...

मैं – जी.. मैं उसे रोक नहीं सकता था शादी करने से क्योंकि मेरे साथ उसकी शादी नहीं हो सकती थी और उसके लिए किसी से शादी कर लेना ही सही था.

मेडम – उसकी इतनी परवाह कर ली तुमने की अपना घर छोड़ दिया लेकिन उसके लिए क्या सही था क्या गलत इसका ख्याल रहा तुम्हें...मतलब ये समाज के अमीर गरीब का फर्क नहीं है...वो कोई ऐसी लड़की थी जिससे शादी करना संभव ही नहीं था....शादी करना किस्से संभव नहीं होता...कोई ऐसा जिससे शादी की इजाजत समाज नहीं देता...मैं सही जा रही हूँ न?

मैं – जी...
 
Top