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पूजा – और जब नेता विभाग वालों से सेटिंग कर के बाहर आएगा तो हमारी दुर्गति कर देगा और सबसे पहले तो वो तुम्हें ही पकड़ेगा..
मैं – कहीं न कहीं कभी न कभी कुछ तो करना पड़ेगा न...तुम्हारी मम्मी बता रही थी की तुम टोपर हो अपने क्लास की...जरा सोचो...अगर नेता के चंगुल में फंसी रह गयी तो क्या काम आएगी तुम्हारी डिग्री ? क्या तुम नहीं जानती की वो मेडम के साथ क्या क्या करता है और तुम्हारे साथ क्या करना चाहता है...
पूजा – माँ ये बात तो सही है...आपके बारे में तो सब लोग मुझे ताना मारते थे लेकिन अब तो मुझे मेरे बारे में भी बहुत कुछ सुनना पड़ता है...कभी कभी तो कॉलेज के टीचर भी कह देते हैं की तुम्हें पढने लिखने की क्या जरुरत है तुम्हारा तो लाइफ नेता के यहाँ सेट है..
मेडम – लेकिन जो ये कह रहा है उससे भी अगर नेता का इलाज नहीं हुआ तो सोचो हमारा क्या हश्र करेगा...मैंने उसे पिछली बार सिर्फ इतना कहा था की अब हमें बख्श दे...और देख लो मैं तीन महीने के लिए बिस्तर पर पहुच गयी...इस बार अगर उसे पता चला तो हम कभी अपने पैरों पर चलने लायक नहीं बचेंगे...
मैं – अभी आपके पैर ठीक हैं लेकिन क्या आपकी जिंदगी ठीक है? जरा सोचिये...अगर ये दांव कामयाब हो गया तो आपको अपनी खोयी हुई जिंदगी वापस मिल जाएगी...मेरे ख्याल से ये फैसला आपको पूजा के ऊपर छोड़ देना चाहिए..
पूजा – मेरे ऊपर क्यों?
मैं – क्योंकि तुम्हारी माँ की जिंदगी तो लगभग पूरी हो चुकी है...चोरी का प्लान में वो भी शामिल थी...तो एक तरह से वो अपने कर्मों का फल ही पा रही हैं...लेकिन तुम्हारी तो जिंदगी अभी शुरू भी नहीं है...शुरू होने के पहले ही ख़त्म हो जाएगी...इसलिए इसका फैसला तुम्हें करना चाहिए की ये रिस्क लेना है या नहीं...
मेडम – जितनी आसानी से तुम ये सब कह रहे हो उतनी आसानी से ऐसा कुछ होगा नहीं..
मैं – तो अभी कौन सी आसानी से जी रही हैं आप लोग? बुरा मत मानियेगा लेकिन पूरा शहर आप दोनों माँ बेटी को रंडी से ज्यादा कुछ नहीं समझता...और वो दिन दूर नहीं जब नेता मर जायेगा और आपके बाद आपकी बेटी का क्या होगा? क्या नेता के घर वाले पूजा को अपने घर में रहने देंगे? फिर वो कहाँ जाएगी? किसके साथ रहेगी? नेता की रखैल की क्या कीमत होगी समाज में? कौन सा समाज इसे रहने देगा...
पूजा – तुम हमारे बारे में इतनी फ़िक्र क्यों कर रहे हो? मैं तो तुम्हें ठीक से जानती भी नहीं.
मैं – कहीं न कहीं कभी न कभी कुछ तो करना पड़ेगा न...तुम्हारी मम्मी बता रही थी की तुम टोपर हो अपने क्लास की...जरा सोचो...अगर नेता के चंगुल में फंसी रह गयी तो क्या काम आएगी तुम्हारी डिग्री ? क्या तुम नहीं जानती की वो मेडम के साथ क्या क्या करता है और तुम्हारे साथ क्या करना चाहता है...
पूजा – माँ ये बात तो सही है...आपके बारे में तो सब लोग मुझे ताना मारते थे लेकिन अब तो मुझे मेरे बारे में भी बहुत कुछ सुनना पड़ता है...कभी कभी तो कॉलेज के टीचर भी कह देते हैं की तुम्हें पढने लिखने की क्या जरुरत है तुम्हारा तो लाइफ नेता के यहाँ सेट है..
मेडम – लेकिन जो ये कह रहा है उससे भी अगर नेता का इलाज नहीं हुआ तो सोचो हमारा क्या हश्र करेगा...मैंने उसे पिछली बार सिर्फ इतना कहा था की अब हमें बख्श दे...और देख लो मैं तीन महीने के लिए बिस्तर पर पहुच गयी...इस बार अगर उसे पता चला तो हम कभी अपने पैरों पर चलने लायक नहीं बचेंगे...
मैं – अभी आपके पैर ठीक हैं लेकिन क्या आपकी जिंदगी ठीक है? जरा सोचिये...अगर ये दांव कामयाब हो गया तो आपको अपनी खोयी हुई जिंदगी वापस मिल जाएगी...मेरे ख्याल से ये फैसला आपको पूजा के ऊपर छोड़ देना चाहिए..
पूजा – मेरे ऊपर क्यों?
मैं – क्योंकि तुम्हारी माँ की जिंदगी तो लगभग पूरी हो चुकी है...चोरी का प्लान में वो भी शामिल थी...तो एक तरह से वो अपने कर्मों का फल ही पा रही हैं...लेकिन तुम्हारी तो जिंदगी अभी शुरू भी नहीं है...शुरू होने के पहले ही ख़त्म हो जाएगी...इसलिए इसका फैसला तुम्हें करना चाहिए की ये रिस्क लेना है या नहीं...
मेडम – जितनी आसानी से तुम ये सब कह रहे हो उतनी आसानी से ऐसा कुछ होगा नहीं..
मैं – तो अभी कौन सी आसानी से जी रही हैं आप लोग? बुरा मत मानियेगा लेकिन पूरा शहर आप दोनों माँ बेटी को रंडी से ज्यादा कुछ नहीं समझता...और वो दिन दूर नहीं जब नेता मर जायेगा और आपके बाद आपकी बेटी का क्या होगा? क्या नेता के घर वाले पूजा को अपने घर में रहने देंगे? फिर वो कहाँ जाएगी? किसके साथ रहेगी? नेता की रखैल की क्या कीमत होगी समाज में? कौन सा समाज इसे रहने देगा...
पूजा – तुम हमारे बारे में इतनी फ़िक्र क्यों कर रहे हो? मैं तो तुम्हें ठीक से जानती भी नहीं.