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मैं – जी इतना काफी है...मैं नहीं जनता था की नेता के कारण आपको इतना जलील होना पड़ रहा है...
मेडम – जो है सो है..उसे बदल नहीं सकते...जिंदगी में हालातों के हिसाब से खुद को बदल लेने वाला ही जिन्दा रह सकता है...मैं भी अब ये सोचने लगी हूँ की अगर मुझे अपनी बुर की खुजली मिटाने के लिए नेता को अपनी बेटी की बुर देनी पड़ी तो मैं मंजूर नहीं करुँगी...उसे मैं बचा लूंगी भले उसके लिए मेरी जान ही क्यों न चली जाए..मेरी बेटी की बुर को उसका पति ही खोलेगा....कोई हराम का जना नहीं...नेता जैसा तो बिलकुल भी नहीं......अच्छा सुनो मुझे अपनी बहन के बारे में बताओ...
( इस पूरी बात के दौरान मैं देख रहा था की मेडम बार बार अपनी टांगों को कसा करती थी...और कुर्सी के किनारे को रगडा करती थी....मुझे लग रहा था की वो कुर्सी की लकड़ी को अपनी चूत पर फील कर के उसे रगड़ रही थी...अब बात मेरी बहन पर आ गयी थी..)
मैं – क्या बताऊँ उसके बारे में...आपको तो बता ही दिया था कल...
मेडम – हाँ लेकिन आज थोडा खुल के बताओ न...मुझे सुनना है की कोई कैसे बहनचोद बनता है...
मैं – ठीक है...आप पूछिये मैं बताता जाता हूँ...
मेडम – तुमने उसे कैसे राजी किया चुदने के लिए?
मैं – मैंने राजी नहीं किया...बस वो कुछ हालत ऐसे बन गए की हम दोनों खुद ही राजी हो गए करने के लिए...
मेडम – करने के लिए नहीं....चुदने के लिए...गन्दा गन्दा बोलो न...एकदम गन्दा गन्दा...
मैं – जी...
मेडम – क्या तुम्हारी बहन औरों से चुदती थी? रंडी टाइप थी क्या>
मैं- नहीं. वो किसी से नहीं चुदती थी..वो बहुत भोली थी.
मेडम – इतनी भोली थी की अपने भाई का ही लंड खा लिया? वाह वाह...ऐसा भोलापन तो सबको मिले...ठीक से बताओ कैसे हालात बने थे चुदाई वाले...
मैं – उसकी शादी होने वाली थी..उसकी सहेलियों ने शरारत कर के उसके मन में बहुत सी गलत बातें भर दी थी की शादी के बाद उसका पति उसके साथ क्या क्या करेगा...वो बहुत परेशान रहने लगी थी...घबरा गयी थी...मुझसे पूछने लगी की शादी के बाद क्या क्या होगा...
मेडम – तुमने सुहागरात बताते बताते उसे पेल ही दिया ?>
मैं – नहीं. ऐसा नहीं था. हम लोग बचपन से एक दुसरे के बहुत क्लोज थे....
मेडम – चिपका करते थे उससे ?
मेडम – जो है सो है..उसे बदल नहीं सकते...जिंदगी में हालातों के हिसाब से खुद को बदल लेने वाला ही जिन्दा रह सकता है...मैं भी अब ये सोचने लगी हूँ की अगर मुझे अपनी बुर की खुजली मिटाने के लिए नेता को अपनी बेटी की बुर देनी पड़ी तो मैं मंजूर नहीं करुँगी...उसे मैं बचा लूंगी भले उसके लिए मेरी जान ही क्यों न चली जाए..मेरी बेटी की बुर को उसका पति ही खोलेगा....कोई हराम का जना नहीं...नेता जैसा तो बिलकुल भी नहीं......अच्छा सुनो मुझे अपनी बहन के बारे में बताओ...
( इस पूरी बात के दौरान मैं देख रहा था की मेडम बार बार अपनी टांगों को कसा करती थी...और कुर्सी के किनारे को रगडा करती थी....मुझे लग रहा था की वो कुर्सी की लकड़ी को अपनी चूत पर फील कर के उसे रगड़ रही थी...अब बात मेरी बहन पर आ गयी थी..)
मैं – क्या बताऊँ उसके बारे में...आपको तो बता ही दिया था कल...
मेडम – हाँ लेकिन आज थोडा खुल के बताओ न...मुझे सुनना है की कोई कैसे बहनचोद बनता है...
मैं – ठीक है...आप पूछिये मैं बताता जाता हूँ...
मेडम – तुमने उसे कैसे राजी किया चुदने के लिए?
मैं – मैंने राजी नहीं किया...बस वो कुछ हालत ऐसे बन गए की हम दोनों खुद ही राजी हो गए करने के लिए...
मेडम – करने के लिए नहीं....चुदने के लिए...गन्दा गन्दा बोलो न...एकदम गन्दा गन्दा...
मैं – जी...
मेडम – क्या तुम्हारी बहन औरों से चुदती थी? रंडी टाइप थी क्या>
मैं- नहीं. वो किसी से नहीं चुदती थी..वो बहुत भोली थी.
मेडम – इतनी भोली थी की अपने भाई का ही लंड खा लिया? वाह वाह...ऐसा भोलापन तो सबको मिले...ठीक से बताओ कैसे हालात बने थे चुदाई वाले...
मैं – उसकी शादी होने वाली थी..उसकी सहेलियों ने शरारत कर के उसके मन में बहुत सी गलत बातें भर दी थी की शादी के बाद उसका पति उसके साथ क्या क्या करेगा...वो बहुत परेशान रहने लगी थी...घबरा गयी थी...मुझसे पूछने लगी की शादी के बाद क्या क्या होगा...
मेडम – तुमने सुहागरात बताते बताते उसे पेल ही दिया ?>
मैं – नहीं. ऐसा नहीं था. हम लोग बचपन से एक दुसरे के बहुत क्लोज थे....
मेडम – चिपका करते थे उससे ?