• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest गांव की कहानी ( कॉपी )

devraja

New Member
34
8
9
धीरे-धीरे रात गहराने लगी खाना खाकर रूपाली और उसका पति रविकुमार अपने कमरे में चले गए,,, मंजू और सुरज दोनों बाहर बैठे हुए थे,,,, दोनों का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि अभी दोनों की प्यास बुझी नहीं थी अभी तो सिर्फ एक ही रात बीती थी अभी तो शुरुआत थी सुरज को मालूम था कि आज भी उसे मौसी की बुर चोदने को मिलेगी जो कि उसका लंड पूरी तरह से मचल रहा था और खड़ा भी हो चुका था,,,, वह अपनी बुआ मंजू से बोला,,,)


चलो ना मौसी कमरे में अब यहां क्यों बैठी हो,,,,



क्यों तुझसे रहा नहीं जा रहा है क्या,,,,


नहीं बिल्कुल भी नहीं रहा जा रहा है,,,


नहीं मौसी देखो ना कितना तड़प रहा है,,,(इतना कहने के साथ ही सुरज एकदम बेशर्म बनता हुआ अपनी मौसी का हांथ पकड़ कर उसे अपने लंड पर रख दिया,,, जिसके कड़क पन का एहसास मंजू को अपने हथेली पर होते ही उसकी बुर फुदकने लगी,,, उसका मन तो पहले से ही कर रहा था लेकिन वो थोड़ा अपने भतीजे को तड़पाना चाहती थी,,, लेकिन उसके भतीजे की हरकत ने उसके तन बदन में एक बार फिर से काम ज्वाला को भड़का दिया था,,, अब उससे भी रहा नहीं जा रहा था,,, इसलिए वह बोली,,,)


ठीक है तु कमरे में चल मैं थोड़ी देर में आती हूं,,,,


अब कहां जा रही हो,,,?


अरे आ रही हूं तु चल तो सही,,,,

(इतना कहकर वह खटिया से खड़ी हो गई और सुरज भी पजामे के ऊपर से अपने खड़े लंड को सहलाते हुए कमरे के अंदर चला गया,,,, और मंजू घर के बाहर पेशाब करने को चली गई उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी,,, थोड़ी देर में पेशाब करके वह कमरे के अंदर आ गई,,, जहां पर सुरज खटिया के ऊपर लेटा हुआ था और पैजामा नीचे सरका कर अपने खड़े लंड को हिला रहा था,,, जिसे देखते ही मंजू की बुर फुदकने लगी और उसके मुंह में पानी आ गया,,



मंजू पेशाब करके वापस कमरे में आ चुकी थी उसे जोरों की पेशाब तो नहीं लगी थी लेकिन वो जानती थी कि एक बार लंड लड़की बुर में जाएगा तो उसे अपने आप ही पेशाब लग जाएगी और वह बाहर आकर अपना मजा किरकिरा नहीं करना चाहती थी क्योंकि पहली चुदाई का अनुभव उसे यह सब एक नई सीख दे रहा था,,,, वैसे तो मंजू को पेशाब करते हुए देखना अपने एक अपना अलग ही रोमांच का अनुभव था लेकिन सुरज इस अद्भुत रोमांच से चूक गया था क्योंकि उसे तो मंजू को चोदने की प्यास थी इसलिए वह कमरे में जाते ही अपने पजामे को घुटनों तक सरका कर,,, अपने खड़े लंड को हिला हिला कर अपनी मौसी की बुर में डालने के लिए तैयार कर रहा था वैसे तो सुरज हट्टा कट्टा जवान लड़का था उसे चोदने से पहले तैयारी करने की जरूरत नहीं थी क्योंकि चोदने के ख्याल मात्र से ही उसका लंड लोहे के रोड की तरह एकदम टाइट हो जाता था,,,,,

पेशाब करके कमरे में जाते ही वह दरवाजा बंद करके सीट के लिए भी नहीं लगाई थी कि उसकी नजर खटिया पर पड़ी और खटिया पर के नजारे को देखते ही उसकी बुर में खुजली होने लगी क्योंकि सुरज अपने खड़े लंड को हिला रहा था और यह नजारे जवान लड़की के लिए कामुकता और वासना से भरा होता है जिसे देखते ही मंजू की गुलाबी बुर फुदकने लगी थी,,,, वह सिटकनी लगाकर दरवाजे पर खड़ी होकर सुरज के लंड को देख रही थी,,,, एक गजब का आकर्षण था उसके लंड में जिससे मंजू भलीभांति परिचित हो चुकी थी,,,, वह अभी तक अपने बड़े भैया के ही लंड को देखते आ रही थी,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसके भैया से भी बड़े बड़े लंड होते हैं और उसकी धारणा अपने भतीजे के लंड को देखकर टूट गई,,, जिसे वह अपनी बुर में भी लेकर चुदवा चुकी थी,,,,

इस समय उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी,,,, वह धीरे-धीरे आगे बढ़ते हुए सुरज से बोली,,,।


तू तो एकदम तैयारी में लगा है,,,


क्या करूं मौसी रहा नहीं जा रहा है एक बार फिर से तुम्हें नंगी देखने का मन कर रहा है,,,,


बड़े जल्दी में हैं,,,,


क्या करूं,,,, मन कर रहा है कि कब तुम नंगी हो और मैं तुम्हारी बुर में अपना लंड डालकर चोद दु,,,,(सुरज जोर-जोर से अपने लंड को हीलाते हुए बोला,,,)

और फिर इसके बाद,,, पानी निकल जाता और काम खत्म,,, ऐसा तो तू हाथ से हिला कर भी कर सकता है,,,,,,,,, लेकिन वह मजा नहीं आएगा जैसे कि आना चाहिए,,,,,,,


क्या करूं मौसी मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,,,,


मैं जानती हूं तड़प ही ऐसी है,,,,लेकिन अपने आप को संभाल कर अपने आप पर काबू करके इस खेल में आगे बढ़ा जाता है तभी तो मजा आता है मैंने यह सब तेरी मामी और तेरे मामा से सीखी हुं,,,, इस समय भी दोनो चुदाई कर रहे होंगे,,,,,(धीरे-धीरे मंजू खटिया के करीब पहुंच गई लालटेन की की की रोशनी सुरज का संपूर्ण वजूद एकदम साफ नजर आ रहा था जिसे देखकर मंजू की आंखों में वासना की चमक बढ़ती जा रही थी उसकी दोनों टांगों के बीच कंपन हो रहा था,,,, जिस तरह का उतावलापन सुरज दिखा रहा था वह चाहती तो वह भी इसी उतावले पन के चक्कर में सीधे सीधे उसके लंड पर चढ जाती और अपनी गर्मी शांत कर लेती,,, लेकिन मंजू धीरे से काम ले रही थी क्योंकि वह रोज रोज छोटे से छेद में से यही सब तो देखती थी उसके भैया और भाभी का धैर्य उन दोनों के बीच पारस्परिक समझदारी और बिल्कुल भी उतावलापन ना दिखाने की जल्दबाजी इसीलिए तो वह दोनों आज भी पहली रात की तरह ही हर रात सुहागरात मना रहे थे,,,, मंजू लंड देखते ही खटिया के नीचे घुटनों के बल बैठ गई,,, सुरज के मोटे तगड़े लंबे लंड का आकर्षण उसकी आंखों की चमक और ज्यादा बढ़ा रहा था,,, उसकी बुर लगातार पानी छोड़ रही थी,, इसके बावजूद भी उसे अपने अंदर ले लेने की जल्दबाजी वह नहीं दिखा रही थी,,,क्योंकि अपने भैया भाभी को देखकर वह इतना तो समझ गई थी कि इस खेल को धीरे-धीरे खेला जाता है तभी इस खेल में मजा आता है,,,। सुरज की सांसें उपर नीचे हो रही थी,,,। उसे लगा था कि उसकी मौसी अपने कपड़े उतार कर नंगी हो जाएगी लेकिन वह ऐसा कुछ भी नहीं की थी,,,,, क्योंकि उसके दिमाग में कुछ और चल रहा था,,,, वो धीरे से अपना हाथ आगे बढ़ाकर,, सुरज के लंड को थाम ली,,,, एक अजीब सी कशक की आवाज के साथ सुरज एकदम मस्त हो गया और मंजू धीरे-धीरे अपने प्यासे होठों को उसके लंड के सुपाड़े की तरफ आगे बढ़ाने लगी,,,, और देखते ही देखते अपने प्यासे होठों को उसके लंड के सुपाड़े पर रख दी,,,,,,



आहहहह मौसी,,,,,,(सुरज गरम सिसकारी की आवाज के साथ ही अपनी कमर को उत्तेजना के मारे ऊपर की तरफ उठा दिया और उसका छुपाना मंजू के लाल-लाल होठों के बीच प्रवेश कर गया जिसे मंजू खुद ही अपने मुंह में लेकर अपने प्यासे होठों के बीच कस ली,,,,


सहहहहह,,,,,, मौसी,,,,,(एक बार फिर से सुरज एकदम से मस्त हो गया और धीरे-धीरे मंजू अपनी भाभी की तरह ही अपने भतीजे के लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,, यह क्रिया मंजू बड़ी मध्यम गति से कर रही थी बहुत ही धीरे-धीरे सुरज की मस्ती और ज्यादा बढ़ती जा रही थी,,,। धीरे धीरे मंजू सुरज के डंडे जैसे लंड को पूरा अपने गले के नीचे तक उतार ले रही थी,,,,यह बेहद अविश्वसनीय कार्य था जिस पर सुरज को भी यकीन नहीं हो रहा था इसलिए तो वह अपने हाथों की कोहनी का सहारा देकर अपना सिर उठाकर अपनी दोनों टांगों के बीच देख रहा था,,,,,,, क्योंकि उसके लिए यकीन कर पाना मुश्किल हुआ जा रहा था,,,,,,जो अच्छी तरह से जानता था कि उसके लंड की मोटाई और लंबाई दूसरों से कुछ ज्यादा ही थी,,,,लेकिन जो उसकी आंखों ने देखा था उस पर यकीन कर पाना मुश्किल था मंजू बड़े आराम से उसके मोटे तगड़े लंबे मुसल को अपने गले तक उतार कर चूस रही थी हालांकि रह-रहकर उसकी सांसे अटक जाती थी लेकिन फिर भी वह इस मजे को छोड़ना नहीं चाहती थी क्योंकि गले तक ले जाकर उसे चूसने में उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी,,,,,,,

मंजू की अविश्वसनीय कार्य क्षमता को देखकर सुरज अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव करने लगा उसके तन बदन में आग लगने लगी और वह हल्के रंग के नीचे से अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठाने लगा मानो कि जैसे वह नीचे से ही उसके मुंह को चोद रहा हो,,,, मदहोशी के आनंद के सागर में डूबते हुए सुरज की आंखें मुंदने लगी थी उसे असीम सुख की प्राप्ति हो रही थी,,, ऐसा सुख वह कभी नहीं प्राप्त किया था,,,, अद्भुत आनंद के सागर में सुरज और मंजू दोनों डुबते चले जा रहे थे,,,, मंजू को यकीन नहीं हो रहा था कि जो कुछ भी वह अपनी आंखों से देखती आ रही थी वही क्रिया को वह खुद करेगी,,,, लेकिन यह सपना नहीं हकीकत ही था उसकी सोच से भी कहीं ज्यादा उत्तेजक और मनमोहक,,,, मंजू अपने ख्यालों को अंजाम दे रही थी अपनी भैया और भाभी की,,, अद्भुत संभोग लीला को देखकर वह अक्सर कल्पना की दुनिया में खो जाती थी और उसकी कल्पना की दुनिया का राजकुमार कोई और ही होता था लेकिन वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसके जीवन में आने वाला पहला मर्द पहला राजकुमार उसका सगा भतीजा होगा जो उसे इस अद्भुत चुदाई की दुनिया में ले जाकर आनंद के सागर में डुबकी लगवाएगा,,,,।

सुरज मस्ती से बंद आंखों को खोल कर बार-बार अपनी दोनों टांगों के बीच देख ले रहा था जहां पर मंजू अपनी पूरी जवानी बिखेर कर उस पर छाई हुई थी,,,,ऐसा लग रहा था कि मानो आज मंजू सावन की घटा बन गई थी और उसके ऊपर बरस रही थी,,, मंजू रुपी सावन की बौछार में,,, सुरज का पूरा वजूद भीग रहा था डूब रहा था और उसे ढूंढने में भी मजा आ रहा था भला ऐसा कौन सा दर्द होगा जो खूबसूरत जवानी के सागर में डूब ना ना चाहता हो,,,


सपर ,,,सपर,,,,की आवाज के साथ मंजू बड़े मजे लेकर सुरज के लंड कै सुपाडे को चाट रही थी,,,, ऐसा लग रहा था कि मानो जैसे कोई उसकी पसंदीदा चीज उसके हाथ लग गई हो,,,, और उसे जी जान से प्यार करने में लगी हो,,,,,,

ओहहहह ,,,, मौसी तुम कितना अच्छा कर रही हो मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि ऐसा भी किया जाता है,,,,



कल भी तो मुंह में ली थी,,,,(मंजू अपनी मुंह में से सुरज के लंड को बाहर निकाल कर बोली,,, और इतना बोलने के साथ ही वापस फिर से मुंह के अंदर गटक ली,,,)


हां मौसी,,, लेकिन कल से ज्यादा आज मजा आ रहा है,,,ओहहहह मौसी बहुत अच्छे हैं,,,,(इतना कहने के साथ ही वह एक हाथ आगे बढ़ा कर अपनी हथेली को अपनी मौसी के सर पर रख दिया और उसे हल्के -हल्के अपने लंड पर दबाने लगा,,,,,,) सहहहहह ,,,,आहहहहहहह,,,,,ऊफफफ,,,,,ऊमममममममम,,,,

(सुरज को बहुत मजा आ रहा था उसके मुंह से सिसकारी की आवाज फूट नहीं थी जो कि बयां कर रही थी कि उसे कितना मजा आ रहा है मंजू थी कि सुरज के लंड को छोड़ने का नाम नहीं ले रही थी उसे लंड चूसने में बहुत मजा आ रहा था,,,,, सुरज को इस बात का डर था कि कहीं उसका पानी ना निकल जाए क्योंकि मंजू की नरम नरम जीभ लंड को और ज्यादा गर्म कर रही थी,,,, पर इसीलिए उसे इस बात का डर था कि गर्माहट पाकर कहीं उसका लंड पिघल ना जाए,,,, सुरज का सुपड़ा मंजू कि थुक और लार से पूरी तरह से सन गया था,,,,,,,


अत्यधिक उत्तेजना का असर सुरज और मंजू दोनों के बदन पर दिखाई दे रहा था वैसे भी गर्मी का महीना था और ऐसे गर्मी के महीने में मंजू की गर्म जवानी और ज्यादा भौकाल मार रही थी,,,, सुरज के माथे पर पसीने की बूंदें उपसने लगी थी,,,,,लालटेन की पीली रोशनी में पूरा कमरा जगमगा रहा था सब कुछ साफ नजर आ रहा था,,, मौसी और भतीजा पहली बार में ही इतनी ज्यादा खुल जाएंगे यह दोनों के लिए गजब ही था क्योंकि वह दोनों कभी सपने में भी नहीं सोचे थे कि इस तरह से पवित्र रिश्ता के बीच उन दोनों को संभोग सुख का आनंद मिलेगा,,,,


मंजू अपने लाल-लाल होठों को सुरज के लंड की गोलाई पर कसी हुई थी जिसे सुरज को अपना लंड उसके मुंह में अंदर बाहर करने में बुर का ही मजा मिल रहा था,,,। बड़े आराम से मध्यम गति से सुरज अपनी कमर को ऊपर नीचे कर रहा था उसे ऐसा करने का बहुत मजा आ रहा था,,,, कुछ देर तक दोनों इसी तरह से मजा लेते रहे मंजू की बुर पानी पानी हो रही थी,,,,,,, उसकी बुर कुल बुला रही थी वह चाहती थी कि सुरज भी जिस तरह से उसने उसके लंड की सेवा करी है उसी तरह से वह भी उसकी बुर की सेवा करें उसकी खातिरदारी करें ताकि बुर उसे अद्भुत सुख दे,,,,।
यही सोचकर वह सुरज के लंड को मुंह में से बाहर निकाल दी,,, और सुरज का लंड पूरी तरह से थुक में सना हुआ पकक की आवाज के साथ बाहर आ गया,,,, मंजू की जीभ और मुंह की गर्माहट भाप बनकर सुरज के लंड से उठ रही थी,,,, मंजू के साथ खड़ी हुई थी इसलिए वह वहीं बैठे बैठे अपनी सांसो को दुरुस्त करते हुए सुरज की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी दोनों के बीच मौसी और भतीजे वाला पवित्र रिश्ता बिल्कुल भी नहीं रह गया था यह रिश्ता पूरी तरह से खत्म हो चुका था और वह दोनों अब केवल एक मर्द औरत ही थे जिनके बीच केवल संभोग का ही रिश्ता रहता है,,, और वह दोनों इस रिश्ते से खुश भी थे,,,,


मंजू अपने होठों पर लगे थुक को अपने दुपट्टे से साफ करते हुए बोली,,,,।



कैसा लगा सुरज,,,,


पूछो मत मौसी बहुत मजा आया,,,,ईतना मजा कि मैं बता नहीं सकता कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि इतना मजा आएगा,,,,(गहरी गहरी सांस लेते हुए सुरज बोला और उसकी बातें सुनकर मंजू को भी संतुष्टि हुई वह मंद मंद मुस्कुरा रही थी,,, )


अब तो एक जो मैं तेरे साथ की हूं तुझे भी वही मेरे साथ करना होगा मेरी बुर चाट ना होगा और वह भी एक दम मजे लेकर,,,,



ठीक है मौसी मैं भी वही करूंगा जो तुम मेरे साथ की थी,,,



बहुत समझदार है,,,(इतना कहकर वह मुस्कुराने लगी और उठ कर खड़ी हो गई तभी बगल वाले कमरे से आवाज आई,,,)

आहहहहहह,,,,


इस कराहने की आवाज को सुनते ही,,, मंजू मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए सुरज से बोली,,,,।



लगता है तेरी भाभी की बुर में भैया का लंड घुस गया है,,,।


(यह बात सुनकर सुरज भी मुस्कुरा दिया क्योंकि उसे भी अपनी मामी की कराहने की आवाज साफ सुनाई दी थी,,, और जिस तरह की आवाज उसके कानों में पड़ी थी उसे भी एहसास था कि जरूर उसके मामा का लंड उसकी मामी की बुर में घुस गया होगा,,,, लेकिन उस छोटे से छेद से उन दोनों को झांकने का कोई मतलब नहीं था क्योंकि उन दोनों ने खुद अपनी दुनिया में ही उस तरह की मस्ती का इंतजाम कर लिया था,,,,अपनी आंखों के सामने मदहोश कर देने वाली जवानी से भरपुर मंजू खड़ी थी जो कि उसके साथ सब कुछ कर रही थी फिर भी पल भर में ही आहहहह की आवाज के साथ ही उसके जेहन में उसकी मामी का नंगा बदन नाचने लगा वह सबकुछ नजर आने लगा तो उसने छोटे से छेद से देखा था,,,उसकी मामी की मदमस्त कर देने वाली अंगड़ाई उसकी छेड़खानी अपने हाथों से अपने कपड़े उतार कर नंगी होना उसकी बड़ी बड़ी गांड,,, उसकी रसीली बुर और बुर में अंदर बाहर होता हुआ उसके मामा का लंड,,,, यह सब याद करते हैं सुरज का लंड और ज्यादा कड़क हो गया ना जाने क्यों उसे इस बात का एहसास नहीं होता था कि जब जब वह अपनी मामी के बारे में कल्पना करता था उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर कुछ ज्यादा ही उफान मारने लगती थी,,,,,इसीलिए वह अपने लंड को पकड़ कर हीलाना शुरू कर दिया था और पास में खड़ी मंजू सुरज की तरफ देखते हुए अपनी सलवार की डोरी खोलने लगी थी यह सुरज के लिए अद्भुत था,,,, कुछ ही दिनों में वह यह समझ गया था कि औरतों का इस तरह से अपने हाथ से कपड़े उतारते हुए देखने में कितना मजा आता है इसलिए मंजू का इस तरह से अपनी सलवार की डोरी खोलते हुए देखने में उसे अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,,, अगले ही पल मंजू अपनी नाजुक उंगलियों का कमाल दिखाते हुए अपने सलवार की डोरी को उसकी गिठान को खोल दी और उसे उसी स्थिति में अपने हाथ से छोड़ दी और उसकी सलवार भरभरा कर नीचे उसके कदमों में जा गिरी और उसकी घटना से नीचे उसकी नजर आने लगी हालांकि कुर्ती होने की वजह से अभी तक उसका बेशकीमती खजाना नजर नही आया था,,,। सुरज का दिल जोरों से धड़क रहा था अपनी मौसी की बुर अपनी आंखों से देखने के बावजूद उसे प्यार करने के बावजूद उसने अपना लंड डालकर चुदाई करने के बावजूद भी उसे एक बार फिर से नंगी देखने के लिए उसका मन तड़प रहा था,,,,,


मंजू उसकी तड़प को खत्म करते हुए अपनी कुर्ती को पकड़ कर उसे ऊपर की तरफ उठाने लगी,,,जैसे-जैसे अपनी कुर्ती के ऊपर की तरफ उठा रही थी वैसे कैसे सुरज दिल की धड़कन तेज हो जा रही थी और वह अपनी धड़कन को संभालना पाने की स्थिति में खटिया पर उठ कर बैठ गया और मंजू की हरकतों को देखने लगा उसका बदन एक अंतर आशा हुआ था चर्बी का नामोनिशान नहीं था बेहद खूबसूरत गोरा रंग पतली कमर सुडोल चिकनी चाहे जिसे देखकर किसी का भी इमान फिसल जाए,,,,, देखते-देखते मंजू कुर्ती को अपनी छातियों तक उठा दी जिससे उसकी दोनों नारंगीया एकदम साफ नजर आने लगी जिसे देखते ही सुरज के मुंह में पानी आ गया और मंजू अपनी कुर्ती को अपने सिर से बाहर निकाल पाती इससे पहले ही सुरज खटिया पर से उठ कर खड़ा हो गया और तुरंत उसकी कमर को अपने दोनों हाथों से काम कर अपने प्यासे होठों को उसकी चूची पर रख कर उसकी निप्पल को चुसना शुरु कर दिया,,,,,,, जिस आवेश और उत्तेजनात्मक स्थिति से सुरज जल्दी से उठ कर उसकी कमर पकड़कर उसकी चूची को मुंह में लेकर पीना शुरु किया था उसी से मंजू के बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी,,,, आनंद की अद्भुत अनुभूति में वह पूरी तरह से देखने लगी और वह तुरंत अपनी कुर्सी को उतार कर नीचे फेंक दी और अपने भतीजे की आंखों के सामने एकदम मादरजात नंगी हो गई,,,,,, सुरज के घुटनों में अभी तक उसका पैजामा फंसा हुआ था,,, जिसे निकालने तक की सुध उसके अंदर नहीं थी,,,,पागलों की तरह मंजू की दोनों चुचियों का मजा लेते हुए उसे बारी-बारी से पी रहा था और मंजू उसे रोक नहीं रही थी क्योंकि उसे भी बहुत मजा आ रहा था,,,, रह रहकर सुरज इतनी जोर से उसकी चूचियों को दबाता की मंजू के मुंह से कराहने की आवाज निकल जाती थी लेकिन फिर भी वह उसे रोक नहीं रही थी क्योंकि उसे इस तरह से और ज्यादा मजा आ रहा था,,,,सुरज पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगाते हुए अपने मौसी की चूची से खेल रहा था हालांकि उसकी चुची बड़ी-बड़ी तो बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन इतने व्यस्त थी नारंगी के आकार की जो कि अभी अभी किसी दूसरों के हाथ में जाना शुरू हुई थी और वह भी उसके खुद के सगे भतीजे के हाथों में और उसके भतीजे के हाथों में उसके बदन में दम बहुत था और वह पूरा दम ऐसा लग रहा था कि जैसे अपनी मौसी की चुचियों पर ही उतार देना चाहता हो,,, वह बड़ी बेरहमी के साथ अपनी मौसी की चूचियों को मसलते हुए आनंद ले रहा था,,,,,


आहहहहह,,,,सईईईईईईईईई,,,,ऊमममममममम,,, सुरज,,,,आहहहहहह,,, दांत से नहीं,,,,, दर्द होता है,,,,,आहहहहहह फिर से काटा,,,,,



क्या करू मौसी तुम्हारी चुचियों के साथ खेलने में बहुत मजा आ रहा है,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह वापस उसे अपने मुंह में भर लिया,,,, तो फिर से चूसना शुरू कर दिया मंजू इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई थी कि खड़े-खड़े ही उसकी बुर से पानी नीचे जमीन पर बह रहा था,,, बार-बार उसकी बुर की कटोरी पानी से डुब जा रही थी जो कि उसकी पतली दरार से बाहर निकल कर जमीन को गिला कर रही थी,,,,, सुरज के दोनों हाथ मंजू की चूचियों पर व्यस्त थे और मंजू अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर हल्के हल्के दबा रही थी जिस तरह के दर्द का अनुभव मंजू अपनी चुचियों पर करके मस्त हो रही थी उसी तरह के दर्द का अनुभव सुरज अपने लंड पर करके मस्त हुआ जा रहा था दोनों किसी भी तरह से कम नहीं थे दोनों एक दूसरे के अंगों से बराबर मजा ले रहे थे,,,,,पल-पल दोनों की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी दोनों का बदन पसीने से तरबतर हो चुका था,,,,,


रविकुमार और रूपाली को तो इस बात का अहसास तक नहीं था कि उनके पीठ पीछे उनके बगल वाले कमरे में उनका भांजा अपनी ही मौसी के खूबसूरत बदन से खेल रहा है और उसकी मौसी भी मजे ले कर अपने भतीजे को इस लीला में शामिल करके मदहोशी के सागर में डूबोए लेकर चली जा रही हैं,,,,,, मौसी और भतीजा के बीच का पवित्र रिश्ता तार-तार हो रहा था लेकिन इस रिश्ते के तार तार होने में ना तो मौसी को कोई अफसोस था और ना ही सुरज को ऐतराज,,,, दोनों अपनी अपनी रजामंदी सहमति और जिस्म की जरूरत के हिसाब से आगे बढ़ रहे थे,,,,,

जिस तरह से मंजू की बुर पानी छोड़ रही थी मंजू का मन मचल रहा था उसे सुरज के होठों पर लगाने के लिए वह चाहती थी कि सुरज अपनी जीभ अंदर तक डालकर उसकी मलाई को चाटे,,, लेकिन वह कुछ बोलती से पहले ही सुरज उसकी दोनों कबूतरों को छोड़कर खटिया के पाटी पर बैठ गया और अपने दोनों हथेली को उसकी गांड पर पीछे की तरफ रखकर उसे जोर से दबाते हुए उसकी बुर को अपने होठों से लगा दिया यह अंदाज सुरज का इतना कामरूप था कि इसकी मादकता में मंजू अपने आप को संभाल नहीं पाई और सुरज का होठ बुर पर लगते ही भला भला कर वह झढ़ने लगी,,,,, यह एहसास मंजू के लिए बहुत ही खास था उसे अंदाजा नहीं था कि वह पल भर में ही झड़ जाएगी,
सुरज की कामुक हरकत उसे पूरी तरह से मदहोश कर गई थी,,, मंजू की गुलाबी बुर की पतली दरार में से मदनरस का सैलाब बह रहा था,,, लेकिन सुरज अपने होठों को पीछे नहीं हटाया था वह कार्यरत होते हुए अपनी जीभ को उसके मंजू की बुर के अंदर डाल कर चाटना शुरू कर दिया,,,, यह कार्य उसने अपने ही मामा जी से सीखा था उसके मामा भी इसी तरह से खटिया के पाटी पर बैठकर उसकी मामी की बुर चाट रहे थे,,,। और इसी क्रिया को वह अपनी मौसी मंजू के साथ दोहरा रहा था,,,, पल भर में भी मंजू दोनों से गर्म सिसकारी की आवाज फुटने लगी लेकिन मंजू रूपाली की तरह बे परवाह नहीं थी वह सतर्क थी वह जानती थी कि अगर वह जोर से आवाज करेगी तो बगल वाले कमरे में उसकी आवाज सुनाई देगी और उसके भैया और भाभी इस तरह की आवाज से भलीभांति परिचित है और वह नहीं चाहती थी कि इस तरह की आवाज इन दोनों के कानों में पड़े इसलिए वह अपनी उत्तेजना के शोर को दबाने की पूरी कोशिश कर रही थी,,,, लगभग लगभग कामयाब भी होती नजर आ रही थी वह अपनी उत्तेजना को दबाने के लिए सुरज के सर पर दोनों हाथ रख कर उसके बालों को अपनी मुट्ठी में भिंचते हुए जोर-जोर से उसकी होंठों पर अपनी बुर को रगड़ रही थी,,,और सुरज भी पागलों की तरह जितना हो सकता था उतना अपनी जीभ अंदर डालकर उसकी मनाई को चाट रहा था कसैला स्वाद भी उसे दशहरी आम के रस की तरह मधुर लग रहा था,,,।


ओहहहहह सुरज मेरे राजा,,,,सईईईईईईई,,,,आहहहहहह,,,, बहुत मजा आ रहा है,,,,,ऊफफफ तेरी जीभ तो पूरा कमाल दिखा रही है,,,, तेरी जीभ में जादू है,,,आहहहहहहह,,, ऐसे ही जोर जोर से पूरा अंदर डाल कर चाट,,,,,,(मंजू गरम सिसकारी की आवाज के साथ ऐसा बोलते हैं अपनी मत मस्त गांड को अपनी कमर को गांड को घुमा रही थी और सुरज उसके नितंबों की दोनों फांकों को जोर से अपनी दोनों मुट्ठी में दबाए हुए था,,, जोर मसलते हुए उसकी बुर चाटने का मजा ले रहा था,,,,, मंजू की हालत खराब होती जा रही थी,,,, जब-जब सुरज पूरा जोर लगा कर अपनी जीभ को मंजू की गुलाबी बुर के अंदर उतारता तब तक मंजू का पूरा बदन कांप उठता था,,,,मंजू को भी लगने लगा था कि उसकी ही तरह उसका भतीजा भी धीरे-धीरे सब कुछ सीख रहा है आज वह बड़े अच्छे से उसकी बुर की चटाई कर रहा था,,,, मंजू उन्माद भरी सांसे ले रही थी साथ ही उसकी छोटी-छोटी नारंगिया ऊपर नीचे हो रही थी जिसे वह खुद ही रह रह कर अपने हाथ से दबा देती थी,,,, मंजू अपने बदन की स्थिति को कंट्रोल कर रही थी क्योंकि सुरज की हरकत की वजह से उसकी दोनों टांगों के बीच बेहद कंपन हो रही थी उस ऐसा लग रहा था कि वह कभी भी गिर जाएगी,,, वह तो अच्छा था कि सुरज ने पूरी ताकत के साथ उसे अपनी हथेली से जकड़ रखा था उसकी नरम नरम गांड से खेलते हुए सुरज की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी,,,, सुरज का लंड उबाल मार रहा था
मंजू की हथेली की गर्माहट पाकर वह और ज्यादा गर्म हुआ जा रहा था,,,,।


आहहहहह सुरज,,,, मेरे राजा मुझसे रहा नहीं जा रहा मेरी बुर में खुजली हो रही है,,,,(वह इतना कह ही रही थी कि सुरज अपनी बीच वाली उंगली धीरे से उसकी बुर के अंदर प्रवेश करा दिया जिसकी वजह से मंजू के सब्र का बांध अब टूटने लगा,,,, सुरज को तो उसकी बुर चाटने का बहुत मजा आ रहा था ,,,उसका भी मन अपने लंड को उसकी बुर में डालने को कर रहा था लेकिन इस समय उसका इरादा कुछ और था वह मंजू कि बुर में पूरी तरह से जुट चुका था,,,,,) आहहहहह सुरज तुम्हारे बदन में आग लगा रखा है उंगली नहीं मेरे बुर में लंड डाल मुझे तेरे मोटे लंड की जरूरत है उंगली से मेरी प्यास बुझने वाली नहीं है,,,, डाल दें,,, अपने लंड को मेरी बुर में ओहहहहह मेरे राजा क्यों तड़पा रहा है मुझे,,,,आहहहहहहह,,,,(उसके कहते-कहते सुरज बार-बार अपनी जीभ को उसकी दिल की गहराई में डालकर मलाई निकाल ले रहा था जिसकी वजह से उसके बदन की आग और ज्यादा बढ़ती जा रही थी,,,, अब उससे सहन कर पाना मुश्किल हुआ जा रहा था,,,, वह सुरज के कंधों को पकड़कर उसे ऊपर की तरफ उठाने लगी,,,,

सुरज का मन बिल्कुल भी नहीं था वह तो ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी आंखों के सामने खीर से भरी हुई कटोरी रखी हुई है,,, और वह उसे गटक जाना चाहता है इसलिए वह बुर रुपी खीर की कटोरी छोड़ना नहीं चाहता था,,,, फिर भी अपनी मौसी की जरूरत का सम्मान करते हुए उसे उठना ही पड़ा,,, दोनों के तन बदन में आग लगी हुई थी और यह आग दोनों के अंगों से निकले मदन रस से ही बुझने वाली थी,,,, इसलिए सुरज वासना और खुमारी भरी नजरों से अपनी मौसी के खूबसूरत चेहरे को देखने लगा मंजू भी उसकी आंखों में डूबने लगी,,, सुरज अपने प्यासे होठों को आगे बढ़ाने लगा मंजू भी अपने तपते हुए होठों को आगे कर दी और देखते ही देखते दोनों एक दूसरे को प्रधान चुंबन करने लगे और सुरज अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर उसकी गांड को जोर से पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया गांड दबाने का सुख उसे पूरी तरह से सम्मोहित किया जा रहा था वह पूरी तरह से उत्तेजना के साथ में डूबते तो नहीं जा रहा था और उसकी यादों को और ज्यादा बढ़ाते हुए मंजू अपना एक हाथ नीचे की तरफ लाकर उसके लंड को पकड़ लिया और उसके सुपाड़े को अपनी मंजू बुर की दरार में रगड़ने लगी यह हरकत सुरज की तन बदन में आग लगाने लगा,,,, मंजू की प्यास और ज्यादा बढ़ने लगी थी वह बार-बार खड़े-खड़े ही सुरज के लंड को अपने हाथ से पकड़ कर ही अपनी बुर में डालने की कोशिश कर रही थी लेकिन इस तरह से खड़े खड़े शायद अंदर घुस पाना संभव नहीं था,,,, और सुरज अपनी मौसी को इस तरह से तड़पता हुआ नहीं देख सकता था,,,,।

सुरज की भुजाएं बलिष्ठ थी उसका बदन ताकत से भरा हुआ था इसलिए वह अपनी मौसी की गांड को जोर-जोर से दबाते हुए उसे अपनी गोद में उठा लिया उसका पैजामा अभी भी घुटनों में टिका हुआ था इसलिए वह पैर के ही सहारे से उसे बाहर निकाल कर फेंक दिया,,,, अब दोनों कमरे में एकदम नंगे थे मंजू के बदन पर कपड़े का रेशा भी नहीं था और यही हाल सुरज का भी था,,, संभोग के खेल को खेलने के लिए शायद यही अवस्था ठीक रहती है,,,, मंजू एकदम हैरान थी क्योंकि उसका भतीजा उसे गोद में उठा लिया था उसकी ताकत को उसकी बलिष्ठ भुजाओं को देखकर वह पूरी तरह से अपने भतीजे पर मोहित हो गई अपनी जवानी को उसके पैरों में समर्पित कर दी थी जिस का सही उपयोग करते हुए सुरज गोद में उठाए हुए ही,,,, एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर अपने लंड को थाम कर अपने लंड कै सुपाडे को गुलाबी छेद में डालने की कोशिश करने लगा और जल्द ही उसे मंजू का गुलाबी छेद मिल गया जो की पूरी तरह से गिला था,,,, अब देर करना ना मुमकिन था सुरज के बदन में उत्तेजना बढ़ती जा रही थी पर वह धीरे-धीरे अपने लंड को अपनी ‌मौसी की बुर में डालना शुरू कर दिया,,,।


मंजू को तो यकीन नहीं हो रहा था जिस आसान में वह उसकी चुदाई करने जा रहा था इस आसन के बारे में वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी,,,,,, और ना ही कभी अपने भैया भाभी को इस अवस्था में देखी थी,,,इसलिए यह आसन उसके समझ के बिल्कुल पर ही था वैसे तो यह आसन के बारे में सुरज भी नहीं जानता था लेकिन उत्तेजना के मारे उसे रहा नहीं जा रहा था और अपनी मौसी को गोद में उठा दिया था तब अचानक ही उसके मन में ख्याल आया था कि इस तरह से भी उसका लंड उसकी बुर में डाला जा सकता है,,,,और वहां प्रयास करना शुरू कर दिया था जिसमें उसे कामयाबी प्राप्त हो चुकी थी देखते ही देखते अपनी मौसी को अपनी भुजाओं के बल पर गोद में उठाए हुए वह अपने संपूर्ण लंड को अपनी मौसी की बुर की गहराई में डाल चुका था,,,,, मंजू की उत्तेजना के मारे सांस अटक रही थी उसके लिए यह सब आश्चर्यजनक था वह तो खटिया पर लेट कर चुदवाना चाहती थी लेकिन इस समय वह अपने भतीजे के गोद में थी जो कि बिना परेशानी के बड़े आराम से उसे अपनी गोद में उठाए हुए था और धीरे-धीरे अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था,,,,।


आहहहहह ,,,,, सुरज मुझे गिरा मत देना,,,, तु जिस तरह से मुझे चोद रहा है मुझे डर लग रहा है,,,


चिंता मत करो मौसी,,,मैं तुम्हें गिरने नहीं दूंगा लेकिन देखो कितना मजा आ रहा है,,,,आहहहहह आहहहहह मौसी,,,(सुरज होने वाली अपनी कमर आगे पीछे करते हुए सिसकारी लेते हुए बोल रहा था,,,)


मुझे भी बहुत मजा आ रहा है बस थोड़ा डर लग रहा है,,,,,


डर लग रहा है,,,,,मौसी,,,,(इतना कहने के साथ ही अपने होठों को उसके लाल-लाल होठों पर रखकर चूसना शुरू कर दिया ऐसा करके,,, वह अपनी मौसी के मुंह को और उसके दर्द को खत्म करना चाहता था और उसकी मौसी को भी मजा आने लगा है मंजू अपनी बुर की गहराई में अपने भतीजे के लंड को महसूस कर रही थी यह आसन में उसे ज्यादा ही मजा आ रहा था,,,,, सुरज मंजू को झूला झूलाते हुए चोद रहा था,,,,


अद्भुत संभोग की कामलीला दोनों मौसी और भतीजे खेल रहे थे दोनों को अत्यधिक मजा आ रहा था दोनों ने कभी सपने में नहीं सोचा था कि उन दोनों के बीच इस तरह से शारीरिक संबंध बन जाएगा जिसका आनंद लूटते हुए वह दुनिया को भूल जाएंगे,,,, सुरज की रफ्तार बढ़ने लगी थी उसे किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं हो रही थी भले ही उसकी मौसी मोटी नहीं थी लेकिन फिर भी वजनदार तो थी ही लेकिन बड़े आराम से वहां उसे अपनी भुजाओं के सहारे उठाए हुए अपनी कमर हिला रहा था,,,, मंजू सुरज के दम को मान गई थी वह अपने भतीजे के आगे घुटने टेक दी थी,,, फच फच की आवाज से कमरा गूंजने लगा था मंजू को इस बात का डर था कि कहीं हम आज बगल वाले कमरे में ना पहुंच जाए,,,,।


दोनों के बीच अभी भी प्रगाढ चुंबन चालू था जिसका दोनों ही आनंद ले रहे थे,,,, मंजू की दोनों नारंगीया सुरज की छाती से दबी जा रही थी,,,, जिससे सुरज का मजा और बढ़ जा रहा था,,,,,सुरज अपनी मौसी को और तेजी से चोदना चाह रहा था लेकिन इस आसन में संभव नहीं हो पा रहा था वह कितना भी कोशिश करता था १५,,,,,,,२० धक्कों के बाद शांत हो जाता था,,,,, वह समझ गया था कि जबरदस्त चुदाई करने के लिए उसे उसकी मौसी को खटिया पर ले जाना ही होगा,,,,लेकिन वहां अपनी मौसी को अपने से अलग नहीं होने देना चाहता था क्योंकि उसका लंड बार-बार उसकी बुर की गहराई नाप रहा था बार-बार उसकी बुर की गहराई को चूम ले रहा था उसके बच्चेदानी का चुंबन पाते ही उसकी ताकत और ज्यादा बढ़ जा रही थी इसलिए वह अपनी गोदी में उठा धीरे-धीरे खटीए तरफ बढ़ने लगा,,,
अब तो मंजू और ज्यादा हैरान होने लगी क्योंकि वह उसे गोद में उठाए हुए चल रहा था और बड़े आराम से चल रहा था जरा सा भी झुक नहीं रहा था बल्कि उसे खुद डर लग रहा था,,,, लेकिन जवानी के जोश में बहुत ताकत होती है यही सुरज को जब उसकी मामी आलू से भरे हुए बोरे उठा कर घर ले जाने के लिए कहती थी तो उसे उठता नहीं था,,, और उसे हमेशा पूरा उठाने के लिए अपनी मौसी का सहारा लेना पड़ता था लेकिन आज बिना सहारे के खुद ही वह अपनी मौसी को उठाकर उसकी चुदाई कर रहा था,,,।

देखते ही देखते वह अपनी मौसी की बुर में लंड डाले हुए ही उसे खटिया पर लेटा दिया,,,और उसकी दोनों टांगों को थोड़ा सा फैला कर अपने लिए और अच्छे से जगह बनाकर अपनी कमर चलाना शुरू कर दिया देखते ही देखते उसकी कमर की रफ्तार बढ़ने लगी उसका मोटा तगड़ा लंड मंजू कि बुर,,, में बड़ी तेजी से अंदर बाहर होने लगा ,,, सुरज ताबड़तोड़ अपनी मौसी की चुदाई करना शुरू कर दिया मंजू की बुर से फच फच की आवाज के साथ खटिया की चरर मरर कर रही थी,,,,, जिसकी आवाज को सुनकर मंजू बोली,,,,

ओहहहहहह,,,, तेरे धक्कों से कहीं खटिया टूट न जाए थोड़ा आराम से धक्का मार,,,,


नहीं पूरा धीरे-धीरे चोदने का मजा नहीं आता मजा तो जोर जोर से चोदने में आता है और मुझे भी पूरा विश्वास है कि तुम्हें भी जोर-जोर से चुदवाने में हीं मजा आता, है,,,

हारे तो ठीक कह रहा है जब-जब तू तेजी से अपने लंड को अंदर बाहर करते हैं मुझे कुछ कुछ होने लगता है बहुत मजा आता है,,,।



फिर क्या हुआ टूट जाने दो खटिया,,,, लेकिन यह मजा कम नहीं होना चाहिए,,,,(इतना कहने के साथ ही सुरज मंजू की चूची को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया और अपनी कमर को जोर-जोर से ही लाना शुरू कर दिया,,,, मंजू पूरी तरह से ध्वस्त हुए जा रही थी,,,मंजू अपने भतीजे के अद्भुत पर आकर मैं को देख कर हैरान हो जा रही थी वह पूरी तरह से उसके आकर्षक में खोती ही चली जा रही थी उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि कोई इतनी देर भी चुदाई कर सकता है क्योंकि वह अपने भैया को अपनी भाभी की चुदाई करते हुए रोज देखा करती थी लेकिन इतनी देर तक उसका भाई टिकता नहीं था लेकिन सुरज बिना थके बिना हारे डटा हुआ था,,,, इस अद्भुत चुदाई से वह खुद दो बार झड़ चुकी थी,,,,

फच फच की आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था,,,, अंधेरी रात में कमरे के अंदर लालटेन अपनी रोशनी बिखेरे हुए था,,,, और उसकी पीली रोशनी में मंजू अपने भतीजे के साथ काम क्रीड़ा कर रही थी,,,।


ओहहहह ,,, मौसी तुम्हारी बुर कितनी गरम है मुझे बहुत मजा आ रहा है,,,


मुझे भी बहुत मजा आ रहा है,,,, और जोर से धक्के लगा चोद मुझे,,, फाड़ दे मेरी बुर,,, आहहहहह सुरज मेरे राजा,,,,(इतना कहने के साथ मंजू अपनी दोनों हथेली को सुरज की गांड पर रखकर उसे जोर जोर से दबाने लगी वह काफी उत्तेजित थी और उसकी उत्तेजना को देखकर सुरज की भी उत्तेजना बढ़ने लगी थी और वह जोर जोर से धक्के लगाते हुए बोला,,,)


और मौसी मेरी रानी आज तो तुम्हें मस्त कर दूंगा आज तुम्हारी जुदाई करके तुम्हें जन्नत का मज़ा दूंगा आज देखना कितना मजा आता है तुम्हें,,,,ओहहहह मौसी,,,।
(फिर क्या था अब सुरज को रोक पाना किसी के बस में नहीं था सुरज बड़ी जोर से बड़ी तेजी से अपनी कमर हिला रहा था उसका लंड बार-बार उसके बच्चेदानी से टकरा जा रहा था जिससे उसका मजा दुगुना होता जा रहा था,,,,, देखते ही देखते कुछ देर बाद दोनों की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगे दोनों अपने अपने मंजिल के करीब थे दोनों अपनी मंजिल पर पहुंचने वाली थी चरम सुख की तरफ बढ़ते हुए दोनों एक दूसरे को संपूर्ण सुख देने की भरपूर कोशिश कर रहे थे सुरज बार-बार तभी उसके होंठों को चूसना तो कभी उसकी दोनों चूचियों को दबाने लगता है तो कभी दोनों चूचियों को बारी-बारी से मुंह में लेकर पीना शुरु कर देता सुरज किसी भी तरह से मंजू को छोड़ नहीं रहा था वह हर तरह से एक मंजू को मजा देना चाहता था और खुद भी आनंद के सागर में डूब ना चाहता,,, था,,, मंजू को सुरज की चुदाई अविश्वसनीय लग रही थी किसी भी तरह से सुरज हार मानने वाला नहीं था,,,,,,मंजू को भी ऐसे ही योद्धा की जरूरत थी जो किसी के भी सामने हार ना माने बस मैदान में डटा रहे,,,,,


और देखते ही देखते दोनों का बदन अकड़ ने लगा,,,सुरज तुरंत अपना दोनों हाथ उसके पीछे ले जाकर उसे कसके अपनी बाहों में भर लिया,,,और जोर जोर से धक्के लगाने लगा और अगले ही पल ,,,मंजू के नाजुक अंग से और सुरज के कड़क बाहों में एक दूसरे में समाने की पूरी कोशिश कर रहे थे दोनों से गर्म लावा फूट पड़ा दोनों झड़ चुके थे सुरज के लंड से निकली पिचकारी मंजू के बच्चेदानी को पूरी तरह से भिगो रही थी जिसका अनुभव उसे किसी और ही दुनिया में लिए जा रहा था,,,

दोनों एक दूसरे की बाहों में हांफने लगे,,,,,सुरज अपनी मौसी को कुछ करते हुए उसके गाल पर उसके माथे पर उसके होठों पर चुंबन करने लगा और मंजू उसे सांत्वना देते हुए उसकी ताकत को सम्मान देते हुए उसकी पीठ को सहला रही थी,,,, दोनों गहरी गहरी सांसे ले रहे थे,,,,
दोनों की यह संभोग लीला अद्भुत थी अविश्वसनीय अतुलनीय,,, जिसकी तुलना कर पाना शायद नामुमकिन था,,,, दोनों तृप्त होकर एक दूसरे की बाहों में गहरी नींद में सो गए सुबह जब नींद खुली तो सुरज का लंड,, मंजू की गांड के बीचो बीच फंसा हुआ था जिसमें सामान्य तौर पर सुबह के समय कड़क पन बहुत ज्यादा था मंजू अपनी आंखों को मलते हुए उठी तो अपने भतीजे के कड़क लंड को अपनी गांड के बीचो बीच महसूस करके एक बार फिर से उत्तेजित हो गई,,,, सुरज की आंखों में अभी भी नींद छाई हुई थी,,,, वह ऊठने की कोशिश कर रहा था लेकिन नींद नहीं उसे अपनी आगोश में जकड़े हुई थी,,,, मंजू जानती थी कि अभी सुबह होने में कुछ समय बाकी है उसके भैया भाभी भी अभी सो रहे होंगे इसलिए वह इस मौके का फायदा उठाना चाहती थी और सुरज को भी नजर आए उसे पीठ के बल कर दी और उसके खड़े लंड पर अपनी दोनों टांगों को उसके कमर के इर्द-गिर्द रखकर,,, अपना हाथ नीचे की तरफ ले गई और उसके लंड को पकड़ कर उसके सुपाडे को अपनी मंजू बुर के गुलाबी छेद पर टिका दी,,,, एक बार फिर से मंजू की सांसे ऊपर नीचे हो गई और वह धीरे-धीरे अपनी गांड का दबाव,,, सुरज के लंड पर बढ़ाने लगी मंजू की बुर अभी भी पनीयाई हुई थी इसलिए सुरज का लंड बड़े आराम से सरकता हुआ अंदर की तरफ जाने लगा,,, अभी तक सुरज की नींद पूरी नहीं थी और देखते ही देखते मंजू उसके लंड पर बैठकर पूरी तरह से उसके लंड को अपनी बुर के छेद में छुपा ली,,,, मंजू को अपनी हरकत पर बेहद उत्तेजना का अनुभव हो रहा था सुबह होने वाली थी उसके भैया भाभी जगने वाले और ऐसे में वह बगल वाले कमरे में अपने भतीजे के साथ रंगरेलियां मना रही थी उसके लंड पर बैठ कर उसकी चुदाई कर‌ रही थी देखते ही देखते मंजू सुरज के लैंड पर उठक बैठक करने लगी उसे मजा आने लगा और जैसे ही वह आगे की तरफ झुक कर अपने भतीजे के कंधों को पकड़ कर अपनी गांड को हिलाना शुरू की वैसे ही सुरज की नींद उड़ गई और अपने ऊपर अपनी मौसी को सवार हुआ देखकर वह भी पूरी तरह से जोश में आ गया और अपने हाथ को आगे बढ़ा कर उसकी चूचियों को पकड़ लिया और जोर-जोर से लगाते हुए जितना हो सकता था नीचे से भी धक्के लगाने की कोशिश करने लगा उसकी मौसी जोर-जोर से उसके लंड पर उछालना शुरू कर दी एक बार फिर से दोनों के बीच अद्भुत संभोग देना शुरू हो गई थी सुरज नीचे से तो मंजू ऊपर से पूरी तरह से छाई हुई थी,,,, देखते ही देखते एक बार फिर से दोनों चरम सुख को प्राप्त करते हुए झड़ गए,,,।



मंजू के दिन और रात रंगीन होने लगी थी । वह कभी सपने में भी नहीं सोचते कि उसकी जिंदगी में इस तरह से बहार आएगी,,,,,,,रात को जिस तरह से सुरज ने उस की चुदाई किया था वह उसे जिंदगी भर याद रहने वाला था उसकी बुर की अंदरूनी नसे अभी भी मीठा मीठा दर्द कर रही थी जिसकी वजह से वह काम करते समय थोड़ा सा लंगड़ा कर चल रही थी,,,,,,, मंजू को अपने भतीजे और उसके लंड पर गर्व महसूस हो रहा था क्योंकि आज तक वह अपने भैया और भाभी की चुदाई देखते आ रही थी लेकिन जिस तरह की चुदाई सूरज ने इसकी किया था उस तरह से उसके भैया कभी भी उसकी भाभी की चुदाई नहीं करते थे भले ही उसकी भाभी संतुष्ट हो जाती थी लेकिन जिस तरह की संतुष्टि का अहसास सुरज ने घंटों तक चुदाई करके उसे कराया था शायद उसे सुख से उसकी भाभी अभी भी वंचित थी,,,, मंजू को सुरज का लंड की रगड़ अपनी बुर की अंदरूनी दीवारों पर साफ महसूस होती थी,,, उसके लंड की मोटाई का एहसास मंजू के साथ-साथ उसकी कोमल बुर को भी अच्छी तरह से हो गया,, था,,,। एक तरह से मंजू की बुर में सुरज के लंड का सांचा बन गया था जो कि उसे बड़े आराम से अंदर बाहर कर लेती थी पहली बार जब मंजू ने अपने भतीजे के लंड के दर्शन किए थे तब उसकी लंबाई और मोटाई को देखकर सिहर उठी थी क्योंकि वह जानती थी कि उसकी मंजू गुलाबी छेद उसके लंड की मोटाई के मामले बहुत छोटा था,,,, खास करके उसके सुपाड़े के मुताबिक तो उसके मंजू बुर का छेद बिल्कुल भी नहीं था,,, जिसके बारे में सोच सोच कर ही घबरा जाती थी हालांकि वह कभी नहीं सोची थी कि वह कभी अपने भतीजे से चूद जायेगी लेकिन फिर भी उसके लंड के सुपाड़े की मोटाई को लेकर उसके मन में हमेशा से आशंका बनी रहती थी लेकिन सारी शंकाओं पर पुणविराम लग चुका था,,,, क्योंकि वह अब बड़े आराम से अपने भतीजे के वही बमपिलाट लंड को अपनी बुर के अंदर गहराई तक ले लेती थी,,,,।
 

devraja

New Member
34
8
9
रात भर की जबरदस्त घमासान चुदाई के बाद संभोग के प्रकरण के शुरुआती दौर से गुजर रही मंजू अपने भतीजे के लिए उनके जबरजस्त प्रहार को तो जेल गई थी लेकिन उसकी चाल में बदलाव आ गया था वह हल्के हल्के लंगड़ा कर चल रही थी झाड़ू लगाते समय,,,, वह धीरे-धीरे अपना पांव रख रही थी यह देख कर उसकी भाभी बोली,,,।


क्या हुआ मंजू रानी आज तुम्हारी चाल बदली बदली क्यों लग रही है,,,,(रूपाली अपनी कमर पर हाथ रखते हुए बोली रूपाली का यह रूप औपचारिक रूप से एकदम सरल था लेकिन कामुकता से भरा हुआ था कि ऐसा करने पर उसकी कमर की गहरी लकीर और ज्यादा गहरा जाती थी,,,, उसकी उन्नति चुचीया किसी पहाड़ी की चोटी की तरह आसमान को छूने के लिए लालायित नजर आती थी,,,,अपनी भाभी का यह सवाल सुनकर पहले तो मंजू को कुछ समझ में नहीं आया तो वह बोली,,,)


मेरी चाल को क्या हुआ भाभी मेरी तो चाल वैसे ही है जैसे पहले थी,,,,,(झाड़ू लगाते लगाते खड़ी होकर बोली)


लंगड़ा कर चल रही हो इसलिए कह रही हूं,,,,इस तरह से लड़की का तो तभी चलती है जब शादी के बाद उनकी सुहागरात होती है सुहागरात के दूसरे दिन से इसी तरह से चलने लगती हैं,,,,
(मंजू को अपनी भाभी की बात समझ में आते ही वह एकदम शर्म से पानी पानी होने लगी क्योंकि जिस तरह उसकी भाभी बात कर रही थी एक तरह से सुरज के साथ उसकी सुहागरात ही थी क्योंकि रात भर सुरज ने जबरदस्ती चुदाई किया था मानो कि जैसे वह उसकी मौसी ना हो करके उसकी बीवी हो,,,, मंजू lको समझ नहीं आ रहा था कि अपनी भाभी के सवाल का क्या जवाब दें,,,, फिर भी अनजान बनते हुए बोली,,,,)


क्या भाभी सुहागरात के दूसरे दिन लड़किया इसी तरह से चलती है,,,,।


हां जैसा कि तू चल रही है,,,,


मैं माफी चाहती हूं भाभी लेकिन तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूं कि मैं अभी पूरी कुंवारी हूं मेरी शादी नहीं हुई है,,,,।



मैं जानती हूं मेरी मंजू रानी लेकिन जिस तरह से तुम लंगड़ा कर चल रही हो मुझे तो ऐसा ही लग रहा है,,,,,,



क्या भाभी सुहागरात और लंगड़ा का चलने के बीच क्या रिश्ता है,,,(मंजू सब कुछ जानती थी फिर भी अनजान बनते हुए बोली,,,क्योंकि वह ऐसा कुछ भी नहीं बोलना चाहती थी जिससे उसकी भाभी को थोड़ा भी शक हो क्योंकि एक जवान लड़का उसके साथ सोता था,,,,)


मेरी मंजू रानी,,,, सुहागरात वाली रात को लड़की अपने आदमी से चुदवाती है लड़के का मोटा लंड उसकी बुर में जाकर खलबली मचा देता है,,,, और इसी वजह से पहली बार की चुदाई के बाद लड़की लगड़ा कर चलती है,,,,।


ओहहह यह बात है,,,, लेकिन मेरे मामले में ऐसा कुछ भी नहीं है,,,,(मंजू इतराते हुए बोली और वापस झाड़ू लगाने लगी क्योंकि वह अपनी भाभी से नजर मिलाने में शर्म आ रही थी उसे इस बात का डर था कि कहीं जो बात उसकी जुबान पर लाने से वह डर रही है कि उसकी आंखें बयां ना कर दे,,,,,,,,,)


क्यों तेरे पास बुर नहीं है क्या,,,, खूबसूरत है जवानी किसी का भी दिल मचल जाएगा,,,,



क्या भाभी आप भी कैसी बातें करती हो,,,, मै कभी सोच भी नहीं सकती कि तुम इतनी गंदी-गंदी बातें करती हो,,,,,,


शर्मा रही है मेरी मंजू रानी,,,,, लंगड़ा कर चल रही है इसलिए बोल रही हूं,,,,, वैसे भी तु एक जवान लड़के के साथ सोती है,,,,,,, कहीं ऐसा तो नहीं कि तुम दोनों के बीच चुदाई का खेल शुरू हो गया हो,,,,(रूपाली हंसते हुए बोली और मंजू की तो हालत खराब हो गई क्योंकि जिस बात का अंदाजा जो कि वह मजाक में ही लगा रही थी लेकिन फिर भी यह मजाक मंजू के लिए जानलेवा था उसे कभी भी इस बात की उम्मीद नहीं थी उसकी भाभी सुरज को लेकर उसके साथ इस तरह की मजाक करेगी और यह मजाक उसके साथ दूसरी बार हो चुकी थी,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी भाभी के इस सवाल का क्या जवाब दें क्योंकि जिस तरह का अंदाजा लगा रही थी वह सच ही था,,,,,मंजू को अपने आप पर गुस्सा आने लगा था लेकिन इस बात पर ध्यान नहीं दी थी,,,, फिर भी जानबूझकर थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए वह अपनी भाभी से बोली,,,)


क्या भाभी फिर तुम शुरु हो गई अपने भांजे को लगाकर इस तरह का मजाक किया अच्छा लगता है तुम क्या सुरज को नहीं जानती कितना सीधा साधा है और वह मेरा भतीजा है इस तरह का मजाक के समय भी थोड़ा सोच लिया करिए,,,, ऐसी बातें करके तुम,, गुस्सा दिलाती हो,,, अगर ऐसी बात है तो आज रात से मैं अकेले ही सोऊंगी उसे अपने पास सुला लेना,,,,
(मंजू की बात सुनते ही रूपाली एक दम से हड़बड़ा गई और झट से बोली,,,)


अरे मेरी मंजू रानी नाराज हो गई अरे मैं तो मजाक कर रही थी भला मैं अपने भांजे को लगाकर इस तरह की मजाक क्यों करूंगी ,,, और वैसे भी मैं कहां किसी और से मजाक कर पाती हूं,,,, एक तू ही तो है ,,,,, मुझे नहीं मालूम था कि तुझे बुरा लग जाएगा वह तो तू लंगड़ा कर चल रही थी इसलिए तुझसे मजाक की,,,,(रूपाली अपनी कही बात को संभालते हुए बोली क्योंकि वह जानती थी अगर मंजू गुस्सा हो जाएगी तो सुरज को उसके कमरे में सोने के लिए भेज देगी और ऐसा वह कभी नहीं चाहती थी क्योंकि रात को अपने पति का लंड अपनी बुर में लिए बिना उसे भी नींद नहीं आती थी,,,, ,, और अगर सुरज उसके कमरे में आ गया तो उसकी यह इच्छा और उसकी प्यास अधूरी रह जाएगी और ऐसा कभी भी नहीं चाहती थी इसीलिए अपनी बात को संभाल ले गई थी अपनी भाभी की बातें सुनकर मंजू को भी थोड़ी राहत हुई और वह अपने लंगडाने का कारण बताते हुए बोली,,,।)


कल रात को जब मैं बाहर गई थी,,, तब मेरे पैर में कांटा लग गया था इसीलिए चलने में दिक्कत हो रही है और तुम हो कि बात का बतंगड़ बना रही हो,,,।



अरे यार मैं तो मजाक कर रही थी और वैसे भी रात को बाहर जाने की क्या जरूरत है,,,


पेशाब करने गई थी घूमने नहीं गई थी,,,


अच्छा ठीक है जल्दी से झाडू लगा दे अभी और भी काम बाकी है,,,,।(इतना कहकर रूपाली रसोई में चली गई और मंजू राहत की सांस लेते में बाकी का काम करने लगी रोटी पकाते समय रूपाली के मन में एक ही सवाल उठा था कि जिस तरह से उसकी ननद मंजू बता रही थी कि सुरज कितना मासूम है,,, सीधा-साधा है तो कुएं में से बाल्टी खींचते समय जिस तरह की हरकत उसने किया था,,, वह उसने क्यों किया और उस समय उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था,,,, रूपाली एकदम खेली खाली औरत थी इसलिए उस समय अपने भांजे के खड़े लंड कि सिहरन को अच्छी तरह से पहचान लेती हो और समझ गई थी कि उसके पजामे के अंदर एक संपूर्ण मर्द का औजार,,,, उस दिन वाली घटना को याद करके रूपाली को ना जाने क्यों अपनी दोनों टांगों के बीच सिहरन सी महसूस होने लगी और पल भर में ही उसकी बुर में पानी भर गया,,,,जानबूझकर अपना ध्यान खाना बनाने में लगाने लगी ताकि उस दिन की बात उसे और याद ना आए ,,,, क्योंकि कुछ भी हो वह उसका भांजा था और ना जाने क्यों उसके मन में उसके लंड को लेकर ना जाने कैसे-कैसे ख्याल आने लगते थे,,,,,,,, और रूपाली का मन बहकने लगा था इसीलिए अपने मन को दूसरी तरफ केंद्रित करने लगी,,,।


सुरज रात भर चुदाई करती हुई और सुबह में खुद मंजू ने जिस तरह से मंजू बुर का मजा उसे दी उस अनुभव से सुरज पूरी तरह से मस्त हो चुका था,,, और वह सुबह-सुबह खेतों की तरफ जा रहा था,,,, कि उसे सुधियां काकी नजर आ गई वह अपने घर के बाहर पेड़ पकड़ कर खड़ी होकर नीम का दातुन कर रही थी और उसकी पीठ सुरज की तरफ थी जैसे-जैसे दातुन करते समय अपना हाथ हटा रही थी उसके हाथ के साथ-साथ उसकी भारी-भरकम गांड भी हील रही थी जिसे देखकर सुरज का मन फिर से डोलने लगा,,, सुधियां काकी अपनी मस्ती में दातुन कर रही थी इस बात का ज्ञात भी होता कि उसकी गांड भी बड़े जोर जोर से हिल रही है तो वह भी उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था,,, लेकिन उसकी बड़ी गांड तो ना जाने कितनों का लंड खड़ा हो जाता था भले ही सुधियां काकी उम्र के इस पड़ाव पर क्यों ना हो लेकिन फिर भी उनकी जवानी इस उम्र में भी बरकरार थी बड़ी बड़ी गांड के साथ-साथ खरबूजे जैसी चूचियां उसकी जवानी में चार चांद लगा रहे थे,,,,,,।


और काकी नमस्कार,,,,
(सुरज की आवाज कानों में पड़ते ही सुधियां काकी की बुर काम रस बहाने लगी तुरंत पलट कर पीछे की तरफ देखिए तो सुरज खड़ा था सुरज को देखते ही उसे खेत वाला दृश्य याद आने लगा जिस तरह से हो जोर-जोर से भी मर के धक्के लगा रहा था उस पल को याद करके सुधियां काकी की बुर आज भी काम रस बहा देती थी,,,,)


अरे सुरज तु,,,उस दिन के बाद से तो यहां आना ही बंद कर दिया मन भर गया क्या तेरा,,,


काकी मन भर गया होता तो इधर आता क्या,,,,(पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को सहलाते हुए सुरज बोला,,, सुरज की इस हरकत पर सुधियां काकी पूरी तरह से फिदा हो गई,,, वह समझ गई थी कि उसके साथ चुदाई करके सुरज खुल गया है,,,, उसका मन गया कि नहीं लगा था वह अपनी भारी-भरकम गांड खटिया पर रखकर बैठ गई और लोटे के पानी से मुंह धो कर इधर-उधर देखने लगी चारों तरफ देखने के बाद वह बोली,,,)


सुरज बहु गई है घास काटने घर में कोई नहीं है,,,,(यह कहते हुए सुधियां काकी के चेहरे पर चमक आ गई थी और सुरज भी खुश हो गया था,,, इसलिए वो खुश होता हुआ बोला,,,)


तो काकी इरादा क्या है,,,!


चल अंदर,,,,,(घर के दरवाजे की तरफ आंख से इशारा करते हुए वह बोली,,,)



नीलम भाभी आ गई तो,,,,


वह भी नहीं आएगी उसे समय लग जाएगा तब तक तो अपना काम हो जाएगा,,,,
(सुधियां काकी की कामुकता और उसकी व्याकुलता को इस उम्र में भी देखकर सुरज का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा था उसे लगने लगा था कि औरत हो या मर्द उनकी जिंदगी में चुदाई का एक किरदार है जिसे वह अपने तरीके से जीना चाहते हैं,,,)

चलो फिर,,,,(सुरज आनंदित होता हुआ बोला,,, सुधियां काकी खटिए पर से उठी और अंदर कमरे की तरफ चल दी पीछे-पीछे सुरज भी घर के अंदर प्रवेश कर गया,,,, सुधियां काकी आंगन में नहीं बल्कि सीधे अपने कमरे में घुस गई और पीछे पीछे सुरज भी चला गया अपने दो बाकी रात भर चुदाई करने के बाद भी उसका जोश बरकरार था उसकी उत्तेजना बरकरार थी उसके में काम की भावना बहुत ही ज्यादा तीव्र थी,,,,,इसलिए कमरे में प्रवेश करते ही वह सुधियां काकी को पीछे से पकड़ लिया उसकी बड़ी बड़ी गांड पर पजामे के ऊपर से ही धक्के लगाने लगा,,,,)


आहहहहह,,, एक ही बार में बहुत कुछ सीख गया है तू,,,,


हां काकी तुमसे मैंने बहुत कुछ सीख गया हूं,,,(इतना कहने के साथ ही वह सुधियां काकी की गर्दन पर चुंबनो का बौछार कर दिया,,,, सुधियां काकी के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,, सुधियां काकी को लग रहा था कि यह सब कुछ नहीं सीखा है जबकि वह अपनी मौसी से सब कुछ सीख चुका था सुधियां काकी से केवल बुर में लंड डालना ही सीखा था बाकी सब संभोग कि क्रीडा को वह अपनी मौसी से सीखा था,,,। सुधियां काकी कमरे में आते समय मन में यही सोच कर आई थी कि सिर्फ अपनी सारी को कमर तक उठा देगी और चुदवा लेगी,,, लेकिन सुरज के मन में कुछ और चल रहा था जो कुछ भी वह अपनी मौसी से सीखा था वह सब कुछ सुधियां काकी पर आजमाना चाहता था इसलिए वह पीछे से ही अपने हाथ को आगे बढ़ाकर ब्लाउज के ऊपर से ही सुधियां काकी के बड़े-बड़े खरबूजे को हाथ में लेकर दबाना शुरू कर दिया था,,,,तो इतनी जोर जोर से दबा रहा था कि सुधियां काकी के मुंह से कराहने के साथ-साथ गरम सिसकारी की आवाज फूट पड़ रही थी,,,, लेकिन आज सुरज किसी भी हाल में सुधियां काकी को छोड़ना नहीं चाहता था,,,, सुधियां काकी कुछ बोल पाती इससे पहले ही वह सुधियां काकी के ब्लाउज के बटन को खोलने लगा,,,।


अरे मत खोल सुरज अपने पास समय नहीं है तेरी नीलम भाभी किसी भी वक्त आ जाएगी,,,,(यह कहते हुए सुधियां काकी उसे रोकने की कोशिश करती रही लेकिन सुरज नहीं माना और अपनी ताकत दिखाते हुए सुधियां काकी के ब्लाउज के सारे बटन को खोल दिया और ब्लाउज के बटन खुले थे सुधियां काकी की चूचियां एकदम नंगी हो गई जिसे वह अपने दोनों हाथ में लेकर दबाना शुरू कर दिया ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके हाथों में बाजार का सबसे कीमती आम आदमी आ गया और वह किसी भी कीमत में उसे छोड़ना नहीं चाहता है ,,,,जोर जोर से दबाते हुए और सुधियां काकी की चूचियों से सारा रस निचोड़ लेना चाहता था,,,।)


आहहहहह सुरज बड़ी ताकत आ गई है तेरे में,,,,


काकी तुम्हारी चुचियों को देखकर मेरी ताकत बढ़ गई है,,,,


लेकिन जल्दी कर बहू आ गई तो गजब हो जाएगा,,,


कुछ नहीं होगा काकी,,,( इतना कहते हुए वहां जोर-जोर से चुचियों को दबाते हुए सुधियां काकी की साड़ी को एक हाथ से खोलने लगा था,,,सुधियां काकी को इस बात का क्या था अच्छी तरह से जानती थी सुरज क्या कर रहा है वह उसे रोकना चाहती थी लेकिन ना जाने क्यों उसे रोक नहीं पा रही थी क्योंकि वह जानती भी थी कि उसके पास वक्त कम है किसी भी वक्त उसकी बहू घर में आ सकती थी लेकिन फिर भी वह ना जाने क्यों मजबूर हो गई थी और देखते ही देखते था जो अपनी ताकत को दिखाते हुए उसकी चूचियों को दबा दें इसके साड़ी को उतार कर नीचे जमीन पर फेंक दिया था,,, सुरज को सुधियां काकी की चूचियां दबाने बहुत मजा आ रहा था वह अभी तक उसके पीछे का लेकिन अगले ही पल उसके आगे आकर उसकी दोनों चूचियों को बारी-बारी से मुंह में लेकर पीना शुरु कर दिया सुरज की इस हरकत पर सुधियां काकी को भी तरह से न्योछावर हो गई थी वह पूरी तरह से मस्त हो गई थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि सुरज अपनी तरफ से यह सब हरकत कर रहा है वह बहुत कुछ सीख चुका था उसे यकीन भी नहीं हो रहा था कि मात्र दो ही बार की चुदाई में वह उससे इतना ज्यादा खुल गया है,,,।


ओहहहहहह,,, सूरज,,,,आहहहहहह कितना मजा आ रहा है बहुत अच्छे से पीता है तू,,,,,
(सुधियां काकी का मजा भी आ रहा था और इस बात का डर भी था कि कहीं उसकी बहु ना आ जाए और सुरज आज अपनी मनमानी करने पर पूरी तरह से तुल चुका था,,,, सुरज का लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ चुका था,,, अगर सुरज अपनी मौसी के साथ संभोग क्रिया को ना सीखा होता तो शायद आज भी वह वही करता जो उस दिन सुधियां काकी के कहने पर खेत में कर रहा था,,, सिर्फ चुदाई और कुछ नहीं,,,, सुधियां काकी पूरी तरह से मदहोश हो गई थी वह भी इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा लेना चाहती थी इसलिए अपना हाथ नीचे की तरफ लाकर पजामे के ऊपर से ही सुरज के लंड को टटोलने लगी जो कि अपने भीषण आकार में आ चुका था,,,। सुधियां काकी से रहा नहीं गया और वह उसके पजाम के अंदर हाथ डाल दी,,, लंड की गर्माहट पाते ही सुधियां काकी की बुर कामरस से भीग गई,,,,,, सुरज भी उतावला हो चुका था लेकिन फिर भी अपनी मौसी से सीखा हुआ सब कुछ आज सुधियां काकी पर आजमाना चाहता था इसलिए सुधियां काकी की चूचियों को पीते हुए बाया हाथ नीचे की तरफ लाकर सुधियां काकी की पेटीकोट की डोरी को खोलने लगा हालांकि पेटीकोट की डोरी को खोलने का उसको कोई भी अनुभव नहीं था लेकिन फिर भी वह जान हीं गया था औरतों के कपड़े को कैसे उतारते हैं अगले ही पल पेटिकोट की डोरी को खींचने लगा और सुधियां काकी उसे रोकना चाहती थी पेटिकोट की डोरी पर हाथ पडते हैं सुधियां काकी के मन में हुआ कि वह उसे रोक दें वह अंदर ही अंदर गरम हो गई थी क्योंकि वह जानती थी कि सुरज उसे धीरे-धीरे पूरी तरह से नंगी कर देगा और अगर वह पूरी तरह से नंगी हो गई और इस हाल में अगर उसकी बहू आ गई तो कपड़े पहनने तक का उसके पास समय नहीं बचेगा लेकिन फिर भी ना जाने कैसा आकर्षण था मदहोशी थे कि वह सुरज को रोक नहीं पाए और अब यहीं पर पेटीकोट की डोरी एकदम से सुरज ने खींच दिया जिसकी वजह से काकी की पेटीकोट भरभरा कर उसके कदमों में गिर गई,,,, पल भर में ही सुधियां काकी एकदम नंगी होगी सुरज के लिए यह पहला मौका था जब वह सुधियां काकी को पूरी तरह से नंगी देख रहा था भले ही वह सुधियां काकी की चुदाई दो बार कर चुका था लेकिन पूरी तरह से नंगी करके नहीं वह सिर्फ साड़ी उठाकर ही उनकी बड़ी बड़ी गांड को देखकर उसकी बुर में लंड डाला था,,,, लेकिन आज का दिन कुछ और था करना चाहती के सामने अनुभवहीन कच्चा खिलाड़ी सुरज नहीं बल्कि इस खेल में धीरे-धीरे होशियार होता हुआ सुरज खड़ा था जो कि अपनी हरकतों से औरतों को अपने बस में कर लेने की कला सीख गया था,,,,सुधियां काकी पूरी तरह से नंगी हो गई थी और इस बात का अहसास होते ही सुधियां काकी एकदम से शरमा गई भले ही वो सुरज से दो बार चुदवा चुकी थी लेकिन इस बात से हो शर्मसार होने जा रही थी कि सुरज उनके बेटे की उम्र से भी छोटा था और इस उम्र का लड़का उसे अपने हाथों से पूरी तरह से नंगी कर दिया था और वह भी चोदने के लिए इस बात का एहसास से वह पूरी तरह से गर्म भी हो चुकी थी और शर्म से गड़ी भी जा रही थी,,,।

यह क्या कर दिया सुरज तुमने तो मुझे पूरी तरह से नंगी कर दिया अगर बहू आ गई तो,,,,


कुछ नहीं होगा काकी तुम्हारी बहू को कुछ पता नहीं चलेगा और अपना काम भी हो जाएगा,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह भी फुर्ती दिखाता हुआ तुरंत सुधियां काकी के सामने घुटनों के बल बैठ गया और अपने हाथ को उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर रखकर उसकी बुर को अपने होठों की तरफ खींच लिया,,,, सुधियां काकी को समझ पाती इससे पहले ही उसकी काम रस से भीगी हुई बुर सुरज के होठों पर थी जिसे वह जीभ निकाल कर चाटना भी शुरू कर दिया था,,,सुधियां काकी की तो हालत खराब हो गई उसे यकीन नहीं हो रहा था कि जो कुछ भी हो रहा है वह हकीकत है या कोई सपना है क्योंकि वह सपने में भी कभी नहीं सोची थी कि कोई जवान लड़का उसकी बुर के साथ इस तरह से खेलेगा,,,,सुधियां काकी उम्र के इस पड़ाव पर पहुंच चुकी थी चुदाई में बहुत मजा किया था लेकिन किसी ने भी आज तक सुधियां काकी के बुर पर अपने होंठ रख कर उसे चांटा नहीं था सुरज पहला जवान लड़का था जिसने सुधियां काकी काकी के साथ इस तरह की हरकत किया था,,,,सुधियां काकी उसे रोक पाते इससे पहले ही सुधियां काकी को पूरी तरह से मदहोश इसमें मिलेगी क्योंकि सुरज अपनी जीभ का कमाल दिखाते हुए सुधियां काकी की बुर के अंदर अपनी जीभ डाल कर चाटना शुरू कर दिया था,,,सुधियां काकी का पूरा बदल कंपनी रंगा उत्तेजना की परम शिखर पर पहुंचते ही वह पूरी तरह से मदहोश हो गई,,, अपनी मदहोशी पर सुधियां काकी को खुद यकीन नहीं हो रहा था,,,, सुरज इतना कुछ जानता है इस बारे में सुधियां काकी को विश्वास ही नहीं हो रहा था अगर यह सब जानता है तो क्या तो मैं अपनी तरफ से किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया क्यों नहीं किया था लेकिन जो भी हो सुधियां काकी को इस समय स्वर्ग का सुख प्राप्त हो रहा था सुधियां काकी अपने कमरे के बीचो-बीच एकदम नंगी खड़ी थी और उसकी दोनों टांगों के बीच बैठकर सुधियां काकी को बुर चटाई का मजा दे रहा था,,,, सुधियां काकी सुरज की हरकत से तुरंत झड़ गई,,, वह हांफने लगी,,,,सुरज ने अपना काम कर दिया था आप सुधियां काकी से अपना काम करवाना था इसलिए वह सुधियां काकी की दोनों टांगों के बीच से खड़ा हो गया और सुधियां काकी के कंधे को पकड़कर उसे धीरे-धीरे नीचे की तरफ दबाने लगा सुधियां काकी को तो पहले समझ में नहीं आया कि क्या करना है लेकिन जैसे ही सुधियां काकी के होठ सुरज के टनटनाते हुए लंड की करीब पहुंचे तो सुधियां काकी समझ गई कि उसे क्या करना है क्योंकि यह क्रिया को वह पहले भी बहुत बार कर चुकी थी,,, और अगले ही पल सुरज के लंड को गप्प से अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,,,


पल भर में सुरज एकदम मस्त हो गया और अपनी आंखों को बंद करके मजा लेने लगा सुधियां काकी पूरी तरह से खेली खाई हो रहे थे इसलिए वह जानती थी कि क्या करना है सुरज को स्वर्ग का सुख प्राप्त हो रहा था पूरी तरह से मस्त होकर वापस कि उनकी अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया था,,, एक तरह से वह सुधियां काकी के मुंह को भी चोदना शुरू कर दिया था,,,, सुधियां काकी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी सुबह-सुबह इस तरह से शुरुआत होगी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी अपने मन में सोचने लगी कि अच्छा हुआ कि आज सही समय पर सुरज घर पर आ गया और उसकी बहु घर पर नहीं है इसी का फायदा उठाते हुए सुधियां काकी स्वर्ग का सुख भोग रही थी,,, मदहोश होकर सुधियां काकी भी अपनी कमर हिला रही थी और जोर-जोर से अपनी बुर को सुरज के चेहरे पर रगड रही थी उम्र के इस पड़ाव पर सुधियां काकी की यह हरकत बेहद कामुक लग रही थी,,,।


कुछ देर तक सुरज इसी तरह से अपनी जीभ का कमाल दिखाते हुए सुधियां काकी को पूरी करना समस्त करता रहा लेकिन सुधियां काकी की सिसकारी की आवाज बढ़ने लगी थी उन्हें मोटा लंड चाहिए था इसलिए मौके की नजाकत को समझते हुए खड़ा हो गया और तुरंत अपने पैजामा को उतार कर नंगा हो गया,,,,सुधियां काकी के कमरे में सुधियां और सुरज दोनों पूरी तरह से नंगे हो चुके थे दोनों संभोग सुख प्राप्त करने के लिए मचल रहे थे आज सुरज सुधियां काकी की पीछे से लेना चाहता था जैसे कि उस दिन खेत में लिया था,,,


बिस्तर पर झुक जाओ काकी,,,,


पीछे से करेगा क्या,,,,


हां तुम्हारी गांड देख कर आज फिर से पीछे से करने का मन कर रहा है,,,,(सुरज अपने लंड को हिलाते हुए बोला और सुधियां काकी है उसके लंड को देखकर पूरी तरह से व्याकुल हो गई मदहोश हो गई यह जानते हुए भी कि किसी भी वक्त उसकी बहू आ सकती है फिर भी सुरज के कहे अनुसार बिस्तर पर झुकने के लिए आगे बढ़ गई ऐसा लग रहा था कि जैसे सुधियां काकी को अब किसी भी चीज का डर नहीं है किसी के भी आने का भय बिल्कुल भी नहीं है,,,, मैं तुरंत जाकर बिस्तर पर हाथ से ठेका लेकर झुक गई पर अभी भी बिस्तर के नीचे ही थे हां तो उसके बिस्तर पर एक और वह अपनी बड़ी-बड़ी गांड को हवा में उछलकर नीचे की तरफ हाथ की कोहनी का सहारा लेकर झुक गई,,,,।

इस स्थिति में सुधियां काकी की बड़ी बड़ी गांड देखकर सुरज पूरी तरह से उत्तेजित हो गया और वह तुरंत सुधियां काकी की गांड के पीछे पहुंच गया सुधियां काकी की गांड बहुत बड़ी-बड़ी थी जिससे छोटे लंड वाला कभी भी पीछे से सुधियां काकी को चोदा नहीं पाता था लेकिन सुरज का लंड लंबा बड़े आराम से वह सुधियां काकी को पीछे चोद सकता था,,, सुरज को अपने लंड कै सुपाडे पर थूक लगाने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं थे क्योंकि पहले से ही सुधियां काकी की बुर पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,, इसलिए वह सुधियां काकी की गांड पर जोर जोर से चपत लगाते हुए सुधियां काकी की गांड को एकदम लाल कर दिया सुधियां काकी को दर्द हो रहा था लेकिन ना जाने क्यों मजा भी आ रहा था इसलिए वह रोक नहीं पाई,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे सुधियां काकी की जवानी वापस आ गई हो,,,, बहु बच्चे वाली होने के बावजूद भी सुधियां काकी में कामुकता बरकरार थी,,,,।

सुरज अपने हाथ में लंड पकड़ कर नीचे की तरफ नजर करके वहां सुधियां काकी की गुलाबी बुर को देखने लगा जो कि काम रस से भीगी हुई थी,,, सुरज को अपनी मंजिल मिल चुकी थी और वह अपने लंड की सुपारी को सुधियां काकी की बुर की गुलाबी छेद पर लगा दिया और हल्के से धक्का मारा पहली बार में ही लंड का मोटा सुपाड़ा बुर के अंदर प्रवेश कर गया,,,, सुधियां काकी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी क्योंकि वह पहली बार बहू आने के बाद अपने कमरे में किसी गैर से लड़के के साथ चुदाई का सुख भोग रही थी और सुरज के लिए भी यह पहला मौका था जब वह किसी के घर जाकर उसकी चुदाई कर रहा था सुरज अपने दोनों हाथों से सुधियां काकी की कर लिया और जोर से अपनी कमर को आगे की तरफ ठेला इस बार सुरज का पूरा लंड एक बार में ही पूरा का पूरा सुधियां काकी की बुर में धंस गया,,,,।

आहहहहहहहह,,, सुरज,,,

सुधियां काकी एकदम से मस्त होते हुए बोली,,,, और एक मर्द के लिए औरतों की यही गरम सिसकारी उनके कराने की आवाज ही उनके कर्म का फल होता है,,, सुरज भी सुधियां काकी की गरमा गरम सिसकारी की आवाज सुनकर संतुष्ट हो गया कि सुधियां काकी को मजा आया है और वह धक्के लगाना शुरू कर दिया,,,, सुधियां काकी को पीछे से चोद पाना किसी के बस में नहीं था कारण था सुधियां काकी की बड़ी बड़ी गांड,,, लेकिन इसी बड़ी बड़ी गांड को देखकर सुरज की उत्तेजना और विश्वास और ज्यादा बढ़ गया था तभी तो वह सुधियां काकी को पीछे से चोदने का मन बना लिया था और यह पराक्रम दिखाते हुए वह सफल भी हो रहा था सुधियां काकी को बहुत मजा आ‌ रहआ था क्योंकि इस स्थिति में,,, सुरज का लंड सुधियां काकी को अपनी बुर की गहराई में जाता हुआ महसूस होता था,,,।


सुरज धड़ाधड़ धक्के लगा रहा था सुधियां काकी हवा में उड़ रही थी बहुत मजा आ रहा था सुरज अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर सुधियां काकी के दशहरी आम को पकड़कर जोर-जोर से दबाते हुए उसकी चुदाई कर रहा था जिससे सुधियां काकी का मजा दोगुना होता जा रहा था,,, दोनों इस बात को पूरी तरह से भुल चुके थे कि वह दोनों घर में चोरी छुपे चुदाई का खेल खेल रहे हैं इस बात को जानते हुए भी कि उसकी बहू किसी भी वक्त घर पर आ सकती है लेकिन चुदाई के सुख के आगे वह दोनों सब कुछ भूल चुके थे दोनों संभोग क्रीडा में पूरी तरह से मुक्त हो चुके थे और बाहर नीलम घास काट कर वापस आ चुकी थी,,,, घर पर पहुंचते ही देखी थी घर का दरवाजा खुला हुआ है उसे लगा कि उसकी सांस अंदर होंगे इसलिए वह बिना आवाज किए वह घर में प्रवेश कर गई,,, उसे तो इस बात का अंदाजा ही नहीं था कि उसके पीठ पीछे उसकी सास चुदाई का असीम सुख भोग रही है,,,,वह घर के अंदर प्रवेश करते ही ईदर-ऊदर देखा लेकिन उसे कहीं भी उसके सास नजर नहीं आई तो वह सोचने लगी कि घर खुला छोड़ कर उसकी सास आखिर कहां चली गई,,,, वह खड़ी होकर कुछ सोच ही रही थी कि उसे अपनी सास की कमरे से हल्की हल्की आवाज आने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसी आवाज है क्योंकि आवाज पूरी तरह से साफ नहीं थी इसलिए धीरे-धीरे उस आवाज की तरफ कदम बढ़ाने लगे जैसे जैसे वह आगे कदम बढ़ा रही थी वैसे वैसे वह आज उसके कानों में और भी साफ सुनाई दे रही थी मुझे समझते देर नहीं लगी कि वह आवाज किस तरह की है,,,,

उस कराहने की आवाज को सुनकर उसका दिल जोरो से धड़कने लगा उसे समझ में आ गया कि जरूर दाल में कुछ काला है धीरे-धीरे आगे बढ़ी तो कमरा बंद था लेकिन खिड़की खुली हुई थी और खिड़की में से कमरे के अंदर का नजारा देखी तो देखती रह गई एकदम दंग रह गई कमरे के अंदर उसकी सास पूरी तरह से नंगी होकर बिस्तर पर झुकी हुई थी और पीछे वही लड़का सुरज अपना लंड उसकी बुर में डालकर उसकी जबरदस्त चुदाई कर रहा था,,,,,।

सुधियां काकी की बहू के तो होश उड़ गए उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें कमरे के अंदर जिस तरह का दृश्य देख रही थी उस बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी लेकिन अंदर का गरमा गरम नजारा देखकर खुद उसकी हालत खराब होने लगी,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी यकीन नहीं हो रहा था कि इस उम्र में भी उसकी सास इस तरह से चुदाई का मजा लेती है,,, कमरे के अंदर के गरमा-गरम दृश्य को देखकर सुधियां काकी की बहू को समझते देर नहीं लगी कि,,,उस दिन खेत में काम कराने के बहाने उसके साथ सुरज को खेत पर ले गई थी और वह ना हो उस दिन भी वह दोनों यही कर रहे थे,,,यह ख्याल मन में आते ही सुधियां काकी की बहू की सांसे ऊपर नीचे होने लगी वह बड़े गौर से अंदर के दृश्य को देख रही थी और धीरे-धीरे गर्म भी होने लगी थी अंदर का दृश्य ही कुछ इतना ज्यादा कामुकता से बना हुआ था कि वह उन्हें रोकने के लिए कुछ कर नहीं पाई बल्कि खुद भी पूरी तरह से मस्त होने लगी दोनों पूरी तरह से नंगी थे अपनी सास के बदन से तो अच्छी तरह से वाकिफ थी लेकिन बिना कपड़ों के वाह सुरज को पहली बार देख रही थी जब गठीला बदन दमदार शरीर लेकिन अभी तक उसके लंड के दर्शन हुए थे उसके मन में यही ख्वाहिश थी कि उसके लंड को देख पाती क्योंकि जिस तरह से उसकी सास को चोद रहा था किसी के बस में नहीं था कि इस तरह से पीछे से उसकी सास को चोद पाए क्योंकि भारत होने के नाते वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि बड़ी बड़ी गांड वाली औरत को पीछे से चोदने में दम निकल जाता है,,,।

और सुरज के जबरदस्त धक्कों को देखकर सुधियां काकी की बहू समझ गई कि सुरज का लंड एक दम दमदार होगा तभी तो वह इस चुनौती पर खरा उतर रहा था,,,,सुधियां काकी की गरम सिसकारियां की आवाज उसकी बहू एकदम साफ तौर पर सुन रही थी जिसे सुनकर उसकी खुद की बुर गीली होने लगी थी,,,,।

सुधियां काकी की बहू के मन में पहले तो आया कि वह जोर से आवाज लगाकर दोनों की कामलीला को रोक दें और उन्हें डराया धमकाया लेकिन तभी उसके दिमाग में युक्ति आने लगी कि जिस तरह से उसकी सांस इस उम्र में भी इतना मजा लूट रही है तब तो वह भी पूरी तरह से जवान है वह क्यों ना एक जवान लड़के का मजा ले,,, इसलिए उसके मन में नहीं विचारों का जन्म हो रहा था और वह युक्ति लगाने लगी और बहुत ही जल्द उसे इस काम के लिए जा से पूरी तरह से फायदा उठा लेने की युक्ति नजर आने लगी उन्हें रोकने के बजाय वह वही खड़ी होकर हम दोनों की कामलीला को पूरी तरह से देखने लगी,,,,।

आहहहहह,,,आहहहहह सुरज और जोर से जोर जोर से धक्के लगा चोद मुझे मेरे राजा,,, मेरा निकलने वाला है मैं झड़ रही हूं बहुत मजा आ रहा है सुरज,,,,
(सुधियां काकी की बहू अपनी सास की इस तरह की बातें सुनकर एकदम हैरान हो गई थी क्योंकि वह सुरज की उम्र से पूरी तरह से वाकिफ थी वह उसके लड़के की उम्र से भी छोटा था लेकिन दमदार गठीला बदन का मालिक था जोकि उस की जबरदस्त चुदाई करते हुए पानी पानी कर रहा था,,,,)

मैं भी झड़ने वाला हूं काकी,,,, बहुत मजा देती हो तुम,,,,आहहहह आहहहहह आहहहहहहह,,,, नहीं गया मैं गया,,,,,,,आहहहहहहहहह,,,,(और इतना कहने के साथ ही अपना पानी निकाल कर सुधियां काकी को पीछे से पकड़ कर उनके ऊपर लेट गया सुधियां काकी का भी पानी निकल गया था दोनों एक साथ संतुष्ट हुए थे और सुधियां काकी की बहू वहां और देर खड़ी नहीं रहना चाहती थी क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उन दोनों को पता चले कि उसने देख लिया है,,, वह अपने तरीके से मजा लेना चाहती थी इसलिए वह तुरंत उस जगह को छोड़ कर घर से बाहर निकल गई और थोड़ा दूर चली गई ताकि उसकी सास को बिल्कुल भी शक ना हो कि उसने देख लिया है,,,।

चुदाई का भरपूर मजा लूट कर दोनों अपने अपने कपड़े पहनने लगे और कपड़ों को पहनते हुए सुरज मस्ती करते हैं सुधियां काकी की गांड पर जोर से चपत लगाते हुए बोला,,,।


तुम्हारी गांड में बहुत दम है काकी,,,,


और तेरे लंड मे भी बहुत दम है,,, नहीं तो पीछे से मेरी चुदाई कर पाना मुमकिन ही नहीं नामुमकिन है,,(सुधियां काकी अपनी पेटीकोट की डोरी को बांधते हुए मुस्कुरा कर बोली,,,)


मैं बोला था ना काकी कि तुम्हारी बहू इतनी जल्दी नहीं आ पाएगी और अपना काम भी हो जाएगा,,,,


अच्छा हुआ कि वह नहीं आई नहीं तो तो जिस तरह से मेरे कपड़े उतार कर मुझे नंगी किया था अगर वह आ जाती तो कपड़े भी नहीं पहन पाती और आज हम दोनों पकड़े जाते,,,।



ऐसा कभी नहीं होगा काकी,,,,(सुरज अपने कपड़े पहनते हुए बोला)


ठीक है अब काम हो गया है अब तु जा किसी भी वक्त बहू आ जाएगी,,,,


ठीक है काकी चलता हूं,,,(इतना कहने के साथ ही जाते जाते सुरज ब्लाउज के ऊपर से ही सुधियां काकी की चूची को जोर से दबा कर भी हंसने लगा और हंसते हुए घर से बाहर निकल गया सुधियां काकी भी उसे घर से बाहर जाते हुए दे
ख कर मुस्कुराती रहें क्योंकि इस उम्र में उसके जीवन में बहार आ गई थी,,,, वह पूरी तरह से संतुष्ट थी,,,,इस बात से अनजान की उन दोनों की संभोग लीला को उनकी बहू अपनी आंखों से देख चुकी है,,,,)



अपनी आंखों से अपनी सास की कामलीला देखने के बावजूद भी सुधियां काकी की बहू नीलम बेहद खुश थी उसकी खुशी के पीछे एक राज छिपा हुआ था जो कि उसके मन में एक युक्ति को आकार दे रहा था,,,,भले ही वह सुरज के लंड के दर्शन नहीं कर पाई थी लेकिन उसकी अद्भुत जबरदस्त धक्कों को देखकर और अपनी सास की बड़ी-बड़ी गांड को देखकर जिस तरह से वह बड़े आराम से अपने लंड को उसकी गांड के बीचोबीच उसकी बुर में डालकर अंदर बाहर कर रहा था उसे देख कर नीलम को इस बात का एहसास हो गया था कि सुरज के पास जबरदस्त औजार है अगर वह अपनी बुर में ले ली तो एकदम मस्त हो जाएगी,,,,,, नीलम चाहती तो अपनी सास और सुरज के खेल को बिगाड़ सकती थी लेकिन वह ऐसा जानबूझकर नहीं की,,,, जिसमें उसका खुद का स्वार्थ छिपा हुआ था,,,,

औरत अपनी काम भावना के अधीन होकर एकदम मजबूर हो जाती है फिर वह चाहे कोई भी हो बड़े घर की औरत हो या झोपड़े की,,,, फिर वह ऊंच-नीच छोटा बड़ा अमीर गरीब किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं देखती बस अपनी प्यास बुझाने में लग जाती है जिस तरह से सुधियां काकी कर रही थी अपनी उम्र का भी ख्याल नहीं था उन्हें नाती पोते वाली हो चुकी थी लेकिन बदन की गर्मी शांत करने के लिए उसे हमेशा एक मोटे और लंबे लंड की आवश्यकता थी जो कि आप उसे सुरज से पूरी होने लगी थी,,,।

इस बात का आभास अच्छी तरह से होने के बावजूद भी कि उसकी बहू किसी भी वक्त घर पर आ सकती है फिर भी वह अपनी बहू के घर आने के बीच के समय का पूरा का पूरा फायदा उठाते हुए सुरज के साथ संभोग जिला में मस्त हो गई चुदाई के अद्भुत सुख को प्राप्त करके वह पूरी तरह से संतुष्ट तो हो चुकी थी लेकिन वह इस बात से अनजान थी की खिड़की पर खड़ी होकर उसकी बहू उन दोनों की कामलीला को अपनी आंखों से देख चुकी है,,,, सुरज के हर एक धक्के से सुधियां काकी इस उमर में भी मस्त हो जा रही थी पहली बार किसी का लंड वह अपने बच्चेदानी के ऊपर महसूस कर पा रही थी,,,सुरज की एक बात सुधियां काकी को बहुत अच्छी लगती थी कि वह चाहे जितनी भी तेजी से जितनी देर तक धक्के लगा ले लेकिन थकता नहीं था,,, बल्कि वाह खुद उसके ही पसीने छुड़ा दे रहा था सुरज से चुदवाते समय सुधियां काकी पसीने से तरबतर हो चुकी थी और पसीना उनके बदन के हर एक अंग से मोती के दाने की तरह टपक रहा था,,,, जोर-जोर से चपत लगाकर सुधियां काकी की गोरी गांड को टमाटर की तरह लाल कर दिया था,,,,,,


सुरज के जाने के बाद थोड़ी देर बाद नीलम घर के अंदर प्रवेश की तो देखी के सामने हेड पंप के नीचे बैठ कर उसकी सास नहा रही थी,,,, नीलम को देखते ही वह बोली,,,।


अरे बहु आज बहुत देर लगा दी,,,, कहां रह गई थी,,,


कहीं नहीं माजी घास काटने में देर हो गई,,,,
(अपनी सास को देखकर अपने होठों पर मंद मुस्कान लाते हुए वह बोली अपने मन में बोल रही थी कि आई तो मैं ठीक समय पर ही थी तुम दोनों की कामलीला देखकर वापस चली गई थी,,,,, बड़ी मासूमियत के साथ हेड पंप के पास बैठ कर नहा रही अपनी सास को देखकर नीलम अपने मन में यही सोचने लगी थी इस उमर में पहुंचने के बावजूद भी उसकी सास का जोश एकदम कायम है,,,, और मन में इस बात से इर्षया करने लगी की,,, इस उम्र में भी उसे जवान लंड नसीब हो रहा है,,,, और एक वह है कि शादी के २ साल में ही उसका पति एकदम से थका थका रहने लगा है,,,,अपनी सांस पर उसे हैरानी भी हो रहा था कि सुरज के जबरदस्त धक्कों को भी वह बड़े आराम से झेल रही थी,,,,,।)
 
  • Like
Reactions: Sing is king 42

devraja

New Member
34
8
9
दूसरी तरफ सुरज दोपहर के समय अपने घर पहुंचा तो उसे बड़े जोरों की भूख लगी हुई थी,,,,,,,घर पर उसकी मामी और मौसी दोनों थी उसकी मामी अपने कमरे में आराम कर रही थी,,, और उसकी मौसी खाना खा रही थी,,, अपनी मौसी को खाना खाते हुए देखकर सुरज बोला,,,)


क्या मौसी अकेले अकेले खा रही हो मुझे तो बुला ली होती,,,,,,


अब खाना खाने के लिए भी तुझे निमंत्रण देना पड़ेगा जा जल्दी से हाथ मुंह धो कर आ जा मैं खाना निकाल देती हूं,,,,(अपनी मौसी को देखकर और उसकी बातों को सुनकर सुरज के दिमाग में कुछ और चलने लगा है और वह धीरे से आगे बढ़कर उसके कान में बोला)


मामी घर पर नहीं है क्या,,,,(सुरज के कहने का मतलब को मंजू अच्छी तरह से समझ गए इसलिए उसे बोली,,)

धत्,,,,, भाभी अपने कमरे में ही है,,,,, और इस समय जैसा तू सोच रहा है वैसा कुछ भी होने वाला नहीं है इसलिए उस बारे में सोचना बंद कर दें,,,,


क्या मौसी तुम भी,,,(इतना कहने के साथ ही वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर कुर्ती के ऊपर से ही अपनी मौसी की चूची को दबा दिया और मुस्कुराने लगा,,,)

आहहह क्या कर रहा है कुछ तो लिहाज कर तेरी मामी बगल में आराम कर रही है,,,


तो क्या हुआ मौसी ,,रात में भी तो वह बगल वाले कमरे में ही रहती है ना फिर भी तो हम दोनों चुदाई करते हैं,,,


चल भाग यहां से जल्दी से हाथ मुंह धोकर आजा,,,,

(अपनी मौसी की बात सुनकर,,,सुरज समझ गया था कि इस समय उसकी दाल गलने वाली नहीं है इसलिए वह हाथ धोने चला गया था, ऐसा नहीं था कि इस समय मंजू का मन नहीं कर रहा था सुरज की हरकत और उसकी बात को सुनकर उसका भी मन करने लगा था लेकिन वह किसी भी प्रकार का खतरा मोल लेना नहीं चाहती थी क्योंकि बगल में ही उसकी भाभी आराम कर रही थी अगर जरा सा भी भनक लग जाती तो और दोनों का खेल यहीं समाप्त हो जाता और ऐसा वह बिल्कुल भी नहीं चाहती थी वह इस मामले में बेहद सतर्कता से आगे बढ़ना चाहती थी,,,, जिस तरह से सुरज ने जाते-जाते कुर्ती के ऊपर से उसकी चूची को दबाया था उसे से मंजू के बदन में सिहरन सी दौड़ गई थी,,, लेकिन दोपहर के समय वह भी मजबूर भी चाह कर भी कुछ कर सकने की हिम्मत उसमें नहीं थी,,,, थोड़ी देर में सुरज हाथ धोकर आ गया और वहीं पास में बैठ कर खाना खाने लगा,,,, मंजू तो जैसे तैसे अपने आप को संभाल लेती थी लेकिन सुरज से रहा नहीं जाता था खाना खाते समय भी वह मंजू के अंगों से छेड़खानी कर रहा था जिससे बार-बार मंजू उसका हाथ झटक देती थी लेकिन सुरज कि वे छेड़खानी उसके बदन में उत्तेजना जगा रही थी उसे भी सुरज की यह छेड़खानी अच्छी लग रही थी,,,,,,, सुरज की उत्सुकता और उत्तेजना उम्र के इस दौर में एकदम लाजमी थी,,, उसके जीवन की संभोग गाथा की अभी तो शुरुआत हुई थी,,, ऐसे में बदन की गर्मी शांत हो जाए ऐसा हो ही नहीं सकता अगर ऐसा शुरुआती दौर में हो जाए तो समझ लो कि वह मर्द किसी काम का नहीं,,, है,,,।
इसीलिए तो वह मुंह में निवाला डालते डालते हैं बार-बार उसकी चूची को दबा दे रहा था और मंजू उसे रोकने की कोशिश कर रही थी क्योंकि वह जानती थी कि बगल में ही उसकी भाभी सो रही है जो कि सो नहीं रही थी आराम ही कर रही थी,,,, ।



रहने दे तेरी मामी का पता चल गया ना तो लेने के देने पड़ जाएंगे,,,


अरे मौसी कुछ भी पता नहीं चलेगा,,, चलो ना अंदर चलते हैं,,,

(सुरज की हिम्मत और उसका उतावलापन देखकर मंजू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी एक तरफ उसका मन अंदर जाने के लिए कर भी रहा था लेकिन उसे डर भी लग रहा था,,,,)

नहीं पागल हो गया क्या अभी कुछ भी नहीं वैसे भी तो रात अपनी ही है,,,


लेकिन मौसी मेरा तो खड़ा हो गया है,,,


खड़ा हो गया है तो इसे बिठा ले ,,, लेकिन अभी कुछ भी नहीं,,,,(मंजू उसकी दोनों टांगों के बीच उठे हुए भाग को देखते हुए बोली,,,)

क्या हुआ मौसी तुम डरती बहुत हो,,,


डरना पड़ता है क्योंकि आगे भी मजा लेना है इसलिए अगर अभी पकड़े गए तो सब कुछ बंद हो जाएगा बदनामी अलग से होगी,,,,।


अच्छा एक बार दिखा तो दो,,,,(मंजू की चूची को जोर से मसलते हुए बोला,,)


धत् पागल हो गया क्या तू,,,,,(फिर से सुरज का हांथ हटाते हुए बोली,,,)


मौसी एकबार कुर्ती उपर करके दिखा दो ना,,,,


सच में तो बहुत शैतान है मैं कभी सोच नहीं थी कि तू ईतना बड़ा हारामी होगा,,,,


अब जो भी हूं जैसा भी हूं तुम्हारा ही हूं मौसी ,,, मैं तो तुम्हारा दीवाना हो गया हुं,,,,
(सुरज की बात पर मंजू मुस्कुराने लगी और चारों तरफ देखते हुए बोली,,,)


चल ठीक है एक बार दिखा देती हो लेकिन इस से ज्यादा कुछ भी नहीं जो कुछ भी करना है रात को करना,,,


ठीक है मौसी कुछ नहीं तो देख कर ही काम चला लूंगा,,,
(सुरज मुंह में निवाला डालते हुए बोला,,, सुरज की हरकतों ने मंजू का भी मन मचल ने को मजबूर कर दिया था उसके तन बदन में गर्माहट जाने लगी थी एक बार तो उसका मन किया कि कमरे में जाकर एक बार दोपहर के समय ही चुदाई का मजा ले लिया जाए लेकिन दूसरा मन उसे ऐसा करने से रोक रहा था,,,, फिर भी ज्यादा कुछ नहीं वह सुरज की बात मानते हुए उसे अपनी चूची दिखाने के लिए राजी हो गई थी,,,,, और एक बार फिर से घर के चारों तरफ नजर डालकर धीरे से अपनी कुर्ती को ऊपर की तरफ उठाने लगी,,, यह देखकर सुरज का दिल जोरों से धड़क रहा था वह उसी तरह से बैठा रह गया और अपनी मौसी को देखता रह गया धीरे-धीरे उसकी अपनी कुर्ती को अपनी छाती के ऊपर तक उठा दी और उसकी दोनों चूंचियां खुली हवा में सांस लेने लगी,,,,



अपनी मौसी की मदमस्त चूचियों को देखकर सुरज के मुंह में पानी आ गया और लंड की अकड़न बढ़ने लगी,,,वह अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मौसी की चूची को पकड़ लिया और उसे दबाना शुरू कर दिया मंजू भी उत्तेजित हो रही थी इसके लिए उसकी चूची की निप्पल अंगूर के दाने की तरह एकदम कड़क हो गई थी,,,।

सहहहहह आहहहहहह,,, धीरे से तू तो बहुत जोर जोर से दबाता है,,,,।


धीरे-धीरे दबाने वाली चीज नहीं है मौसी ,,, जितना जोर जोर से दबाऊंगा उतना मजा आएगा,,,,


दर्द भी बहुत करता है,,,,,


तो क्या हुआ मजा भी तो आता होगा,,,,(और इतना कहने के साथ ही भोजन की थाली को एक तरफ करके घुटने के बल आगे बढ़ा और अपनी मौसी की चूची को मुंह में भर कर पीना शुरु कर दिया,,,,,)

आहहहह सुरज क्या कर रहा है,,,,


पीने दो ना मौसी बहुत मजा आ रहा है,,,,


अरे हरामि रात को पी लेना,,,,


नहीं मौसी चोदने नहीं दे रही हो तो कम से कम पीने तो दो,,,,


तू बहुत शैतान हो गया है मानने वाला नहीं है,,,।
(इतना कहकर मंजू उसके सर पर हाथ रख दी और इधर-उधर देखने लगी कि कहीं कोई आ ना जाए वैसे किसी और के आने की आशंका बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि बाहर दरवाजा बंद था और अंदर उसकी भाभी आराम कर रही थी अगर वह बाहर निकलती तो दरवाजा खुलने का आवाज साफ सुनाई दे देता,,,, लेकिन फिर भी मंजू पूरी तरह से सतर्क दी नानू करने के बावजूद भी सुरज की मनमानी को देखते हुए उसे भी मजा आ रहा था जिस तरह से सुरज ने उसकी दोनों चूचियों को बारी-बारी से अपनी मुंह में लेकर पी रहा था मंजू पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी उत्तेजना के मारे बीच-बीच में सुरज उसकी चूचियों को दांतों से काट भी रहा था,,,,,)


बस कर अब बहुत हो गया,,,,,(सुरज के मुंह को हटाने की कोशिश करते हुए बोली लेकिन सुरज माना नहीं और थोड़ी देर बोल कर फिर से जुट गया मानो कि जैसे कोई छोटा बच्चा दूध पी रहा हो और उसका मन भरा ना हो,,,, सुरज पूरी तरह से मस्त हो चुका था अगर उसकी मौसी थोड़ा सा भी इजाजत देती तो इसी समय वह उसकी चुदाई कर देता,,, लेकिन वह भी जानता था कि समय ठीक नहीं है,,,, इसलिए थोड़ी देर और मंजू की चूची से मस्त होते हुए वह उसे छोड़ दिया और लंबी सांसे भरने लगा,,,, मंजू को भी बहुत मजा आ गया था उसकी बुर बहुत पानी छोड़ रही थी,,,। अपनी चूचियों की तरफ देखते हुए बोली,,,)


देख तूने कैसा लाल कर दिया है,,,,


चुसने से तो लाल हो ही जाएगा ना,,,,(अपनी तरफ से सफाई देते हुए बोला)


तू बहुत हारामी है,,,,(इतना कहकर अपनी कुर्ती को नीचे करके व्यवस्थित कर दी और खाना खाने लगी,,,, बगल वाले कमरे में सो रही रूपाली को इस बात की भनक तक नहीं लगी कि उसके पीठ पीछे उसका भांजा और उसकी ननद क्या गुल खिला रहे हैं,,,,, दिनभर की गरमा गरम मस्ती से गर्म होकर दोनों को अंधेरा होने का इंतजार था और रात को रूपाली खाना बनाने में वस्त थी,, और रविकुमार भी अभी तक नहीं आया था,, इसी का फायदा उठाकर सुरज ओर मंजू ने चूदाई का कार्यक्रम चालू कर दिया एक बार फिर से एक दूसरे में समाने की पूरी कोशिश करने लगे एक दूसरे को संतुष्ट करने के बाद एक दूसरे कर बाहों में सो आराम करने लगे,,,,,

तभी बैलगाड़ी की आवाज से दोनों की निंद्रा भंग हुई,, दोनों समज गए थे कि रविकुमार आ गया है,, दोनों ने जल्दी से अपने अपने कपड़े पहन कर रसोई में जा कर रविकुमार के साथ खाना खाने बैठ गए,,,
 

devraja

New Member
34
8
9
खाना खाते वक्त रविकुमार ने सुरज से कहा कि आज रात की तुम्हे खेतों में पानी देने जाना है में आज दिनभर बैलगाड़ी चलाकर थक गया हूँ नहीं तो में ही चला जाता ( दरअसल रविकुमार को रात भर अपनी बीवी की चूदाई करके अपनी थकान मिटानी थी,,, इसी वजह से वह सुरज को जाने के लिए बोला,,)

सुरज जो आज रात भर अपनी मौसी को चोदने के सपने देख रहा था,, उसपे तो पानी फिर गया था,, अब उसे खेतों में पानी देने जाना था,, सुरज ने बेमन से हा कह दिया,,

अब इस बात से मंजू भी नाराज थी क्योंकि उसकी बुर आज रात को बिना लन्ड लिए ही रह जाएगी,, वह भी क्या कर सकती है,,

उसके बाद रविकुमार बोला अगर रात भर वही रुकना पड़े तो चलेगा लेकिन खेतों की सिंचाई अच्छे से कर के आना इस बार फसल अच्छी आजाएं तो अच्छा मुनाफा होगा और मंजू शादी इस साल अच्छे से कर सकूंगा,,

सुरज ने हा में सर हिलाया,, उसका आज खाना खाने का बिल्कुल मन नहीं था,, वह आधे पेट खाना खाकर खेतों की और निकल पड़ा,,,

मंजू भी अपने कमरे में प्यासी ही सो गई,, दूसरे कमरे में रविकुमार और रूपाली का चूदाई का घमासान चालू हो गया,,,

सुरज खेतों में पहुंच कर अच्छे से बांध के जरिए फसल को पानी दे रहा था,, पानी अच्छे से खेतों में जा रहा था,,
तभी सुरज का लन्ड फ़नफ़ने लगा,, अब इसे शांत करने के लिए सिर्फ चूदाई की जरूरत थी,,,

सुरज ने सोचा पानी तो अच्छे से खेतों में जा रहा है,, क्योंना चुपके से घर जा कर मंजू मौसी की चूदाई कर के सुबह होने से पहले वापस खेतों में आ जाऊंगा तो किसी को पता नहीं चलेगा,,,

इसी उसकुकता के साथ अपना लन्ड मसलते हुए सुरज गांव की तरफ निकल पड़ा,,,
 
  • Like
Reactions: Sing is king 42

Raja jani

Active Member
872
1,948
139
रॉनी भाई की बैलगाड़ी इसी फोरम में है यार काहे को वक्त बर्बाद कर रहे यार।
 

Mrxr

Member
214
306
63
यह उस समय की कहानी है जब यातायात के लिए मोटर गाड़ियां ना के बराबर थी उस समय केवल तांगे या बेल गाड़ियां चला करती थी,,,,,,,, यातायात के लिए यही एक रोजगारी का साधन था,,,। और यही एक जरिया भी था एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचने का,,,।


बेल के पैरों में बंधे घुंघरू और गले में बजी घंटी की आवाज से पूरी सड़क गूंज रही थी,,, रविकुमार अपने बेल को जोर से हंकारते हुए रेलवे स्टेशन की तरफ ले जा रहा था,,,, क्योंकि स्टेशन पर गाड़ी आने वाली थी और समय पर पहुंच जाने पर सवारियां मिल जाया करती थी जिससे उसका गुजर-बसर हो जाता था,,,, लेकिन आज थोड़ी देर हो चुकी थी इसलिए समय पर पहुंचने के लिए रविकुमार बेल को जोर-जोर से हंकार रहा था लेकिन उस पर चाबुक बिल्कुल भी नहीं चला रहा था,,,, क्योंकि रविकुमार के लिए बेल उसकी रोजी-रोटी थी जिसकी बदौलत वह अपने बच्चों का पेट भर रहा था,,,,।


चल बेटा मोती आज बहुत देर हो गई है अगर समय पर हम स्टेशन नहीं पहुंचेंगे तो हमें सवारी नहीं मिलेगी ,,, सवारी नहीं मिली तो पैसे नहीं मिलेंगे पर पैसे नहीं मिले तो तू तो अच्छी तरह से जानता है,,,,, नामदेवराय साहूकार के पैसे चुकाने,, बड़ी बेटी की शादी के लिए जो पैसे दिए थे उसके एवज में, जमीन गिरवी पड़ी है और तुझे भी तो नामदेवराय से पैसे उधार लेकर ही खरीद कर लाया हुं,,, और अगर पैसे नहीं कमाऊंगा तो नामदेवराय को क्या चुकाऊंगा,,,,
(इतना सुनते ही रविकुमार का बेल जान लगा कर दौड़ने लगा ,,,)


शाबाश बेटा,,,, एक तेरा ही तो सहारा है ,,,, ऊपर भगवान और नीचे तु,,,, शाबाश मोती यह हुई ना बात,,,, शाबाश बेटा,,,,
(और थोड़ी ही देर में रविकुमार की बेल गाड़ी स्टेशन के बाहर खड़ी हो गई और रविकुमार खुद बैलगाड़ी से नीचे उतर कर,,, सवारी लेने के लिए आगे बढ़ चला गाड़ी आ चुकी थी और धीरे-धीरे सवारी स्टेशन से बाहर निकल रही थी,,,, रविकुमार की किस्मत अच्छी थी जल्द ही उसे सवारी भी मिल गई,,, और सवारी को उसके गंतव्य स्थान पर ले जाने के लिए ८ आना किराया तय किया गया,,,, खुशी-खुशी रविकुमार उस सवारी का सामान लेकर बैलगाड़ी में रखने लगा,,,)


अरे वाह रविकुमार तुझे तो सवारी भी मिल गई मुझे तो लगा था कि आज तु नहीं आएगा,,,,,,,(दूसरा बैलगाड़ी वाला जो कि काफी समय से वहीं बैठा था उसे सवारी नहीं मिली थी वह बोला)


अरे कैसे नहीं आता यही तो हमारी रोजी-रोटी है ,,अगर नहीं आएंगे तो फिर काम कैसे चलेगा और तू चिंता मत कर तुझे भी सवारी मिल जाएगी,,,,(उस सवारी के आखिरी सामान को भी बैलगाड़ी में रखते हुए रविकुमार बोला,,,,, सवारी भी बेल गाड़ी में बैठ गया था,,, और वह बोला,,)


अरे भाई जल्दी चलो देर हो रही है,,,।


हां हां साहब चल रहा हूं,,,(इतना कहने के साथ ही रविकुमार बेल गाड़ी पर बैठ गया और बैल को हांकने लगा,,,, एक तरफ कोयले का इंजन सीटी बजाता हुआ और काला काला धुआं उगलता हुआ आगे बढ़ने लगा और दूसरी तरफ रविकुमार का बेल कच्ची सड़क पर अपने पैरों में बंधे घुंघरू को बजाने लगा,,,,,, सवारी और गाड़ीवान का वैसे तो किसी भी तरह से रिश्ता नहीं होता लेकिन फिर भी दोनों के बीच औपचारिक रूप से बातचीत होती रहती है उसी तरह से रविकुमार और सवारी के बीच भी औपचारिक रूप से बातचीत हो रही थी ताकि समय जल्दी से कट जाए और अपने गंतव्य स्थान पर जल्द से जल्द पहुंचा जा सके,,,,। रविकुमार उस सवारी को लेकर उसे गंतव्य स्थान पर पहुंच चुका था और अपने हाथों से उसका सारा सामान उतार कर उसके घर के आंगन में भी रख दिया था और उस से किराया लेकर,,, मुस्कुराते हुए वापस फिर गाड़ी पर बैठ गया और उसे अपने घर की तरफ हांक दिया,,, घर पर पहुंचते-पहुंचते रात हो चुकी थी,,, वैसे तो रविकुमार को कोई भी बुरी लत नहीं थी केवल बीड़ी पीता था जिसकी वजह से उसे खांसी की भी शिकायत थी,,, ४२ वर्षीय रविकुमार बेहद चुस्त पुस्ट तो नहीं था फिर भी गठीला बदन का जरूर था,,,,,,,


बैलगाड़ी को खड़ी करके उसमें से बेल को अलग करके उसे छोटी सी झोपड़ी में जो की बेल के लिए ही बनाया था उसने काम किया और उसके आगे चारा रख दिया और एक बाल्टी पानी भी,,,।


का बेटा और आराम कर,,,,
(इतना कहकर वह अपने घर के आंगन में खटिया गिरा कर बैठ गया और बीडी निकालकर दिया सलाई से उसे जला लिया और पीना शुरू कर दिया,,,, और अपनी बीवी को आवाज लगाया,,,,)


रूपाली ओ रूपाली ,,,,, कहां हो एक गिलास पानी लेते आना तो,,,
(इतना कहकर बीड़ी फूंकने लगा,,,, रूपाली उसकी बीवी का नाम था जो कि २ बच्चों की मां थी और बड़ी बेटी की शादी भी कर दी थी और एक बच्चा ५ साल का था,,,, अपने पति की आवाज सुनते ही रसोई बना रही रूपाली ,,, अपनी ननद मंजू को आवाज देते हुए बोली,,, जो की सूखी लकड़ियां लेने के लिए बगल वाले इंधन घर में गई हुई थी,,, रूपाली की आवाज सुनते ही सूखी लकड़ियों को दोनों हाथों में उठा कर बोली,,,)


आई भाभी,,,(और ईतना कहते ही वह जल्दी से सूखी लकड़ी के पास पहुंच गई और उसे नीचे रखते हुए बोली,,)


लो भाभी आ गई,,,।


अरे आ नहीं गई,,, देख तेरे भैया आए हैं और पानी मांग रहे हैं,,जा जरा एक गिलास पानी दे देना तो,,,,,,


ठीक है भाभी,,,,( और इतना कहने के साथ ही वह एक गिलास पानी लेकर अपने बड़े भाई रविकुमार के पास आ गई और बोली,,)


लो भैया पानी,,,,


अरे मंजू तू,,,,,(इतना कहने के साथ ही बची हुई बीडी को बुझा कर फेंकते हुए पानी का गिलास थाम लिया और बोला,,) मुन्ना कहां है,,,?


वह तो सो रहा है,,,,


और सुरज,,,





Reactions:Rahul, Hamaru and abhisngh21


S


Suryadeva


Member



289108


Jan 31, 2024


#3


सुरज रविकुमार का सगा भांजा था बचपन में ही उसकी मां के गुजर जाने के बाद उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली सौतेली मां का प्यार उसे अच्छे से नहीं मिलेगा इसी कारण रविकुमार ने सुरज को अपने गांव लेकर आया,, तबसे वह अपने मामा साथ ही रहता है,, जो कि अभ जवान हो रहा था,,, लेकिन एकदम भोला भाला,,,,,, दिनभर यहां वहां घूमता ही रहता था घर में उसके पैर कम ही टिकते थे,,,,, इसीलिए तो अंधेरा हो चुका था लेकिन अभी तक घर पर नहीं आया था,,,। सुरज की चिंता रविकुमार को हमेशा रहती थी,,, क्योंकि वह जानता था कि उसके घर की माली हालत इतनी अच्छी नहीं थी कि वह अपने बच्चों की अच्छे से परवरिश कर सके उन्हें पढ़ा लिखा सके लेकिन फिर भी वह उन्हें अच्छा इंसान बनना चाहता था लेकिन इसके विपरीत सुरज दिन भर घूमता फिरता रहता था कभी यहां कभी वहां,,,,,, घर का कोई काम भी नहीं करता था,,,, ऐसा नहीं था कि वह रविकुमार की बात नहीं मानता था,,, बस थोड़ा सा लापरवाह जो कि इस उम्र में लगभग सभी लड़के होते हैं,,, पानी का गिलास मुंह से लगाने से पहले रविकुमार बोला,,,।


मंजू तू ही बता क्या करूं इस लड़के का,,,,,,(इतना कहकर वह पानी पीने लगा,,, पानी पीकर पानी का गिलास नीचे रख दिया जिसे मंजू नीचे झुककर उठाते हुए बोली,,,)


सब सही हो जाएगा भैया अभी लड़का है खेलने खाने के दिन है,,,


यह तो ठीक है मंजू लेकिन अब उसे मेरा हाथ बढ़ाना चाहिए,,,, मेरे साथ रेलवे स्टेशन पर आना चाहिए सवारियां ढोना चाहिए,,, कुछ सीखना चाहिए कल को अगर मैं नारहा तो क्या होगा अगर कुछ सीखा रहेगा तभी तो घर की बागडोर संभाल पाएगा,,,,।


ना ,,,,ना,,,, भैया भगवान के लिए ऐसा मत कहो तुमको कुछ नहीं होगा,,,,,,,,
(अपने बड़े भाई की बात सुनकर मंजू चिंतित हो गई थी,, उसकी चिंता भरे मुखड़े को देखकर रविकुमार मुस्कुराता हुआ बोला,,,)


चल पकड़ी इस दुनिया में जो आया है वह तो जाएगा इसमें चिंता करने वाली कौन सी बात है और जा जरा उसे ढूंढ कर तो लिया ना जाने कहां खेल रहा है रात को भी ईसे चैन नही
है,,,,


ठीक है भैया मैं अभी बुला कर लाती हूं,,,,
(इतना कहकर मंजू घर से बाहर सुरज को ढूंढने के लिए चली गई और रविकुमार खटिया से उठकर रसोई घर मैं आ गया जहां पर उसकी बीवी रूपाली खाना बना रही थी,,, रविकुमार रसोई घर में खड़ा था और रूपाली चूल्हे के सामने बैठकर रोटियां पका रही थी,,,, गर्मी का मौसम ऊपर से चूल्हे की आंच से रूपाली का बदन पसीने से तरबतर हो चुका था,,, उसका ब्लाउज पसीने में भीगा हुआ था जिसकी वजह से उसकी गोलाकार चुचियों की निप्पल भीगे हुए ब्लाउज में से बाहर झांक रही थी गर्मी की वजह से रूपाली भी,,, अपनी साड़ी के पल्लू को कंधे से नीचे गिरा दी थी जिससे उसकी भारी भरकम छातियां एकदम साफ नजर आ रही थी,,, खरबूजे जैसी बड़ी बड़ी गोल चुचियों के बीच की पतली दरार बेहद गहरी और किसी नदी की भांति लंबी नजर आ रही थी,, जिसे देखकर रविकुमार के मुंह में पानी आ रहा था वैसे तो वह संभोग का आदि बिल्कुल भी नहीं था,,, नहीं किसी के औरत को देखना उसे पसंद था लेकिन अपनी बीवी रूपाली की खूबसूरती देखते ही उसके तन बदन में हलचल सी होने लगती थी,,,, रूपाली खाना बनाते समय कपड़ों के मामले में एकदम लापरवाह हो जाती थी,,, वह घुटना मोड़ के नीचे जमीन पर सटाकर और एक पैर को घुटने से मोड़कर बैठी हुई थी जिसकी वजह से उसकी साड़ी घुटनों से ऊपर चढ़ चुकी थी इसलिए उसकी गोरी गोरी मांसल पिंडलिया नजर आ रही थी और अपनी बीवी की गोरी गोरी चिकनी मांसल टांगों को देखकर रविकुमार के मुंह के साथ-साथ,, उसके लंड में भी पानी आ रहा था जिसकी वजह से उसकी धोती में हलचल होना शुरु हो गया था,,, पसीने की बूंदें उसके माथे से होते हुएकिसी मोती के दाने की तरह उसके गोरे गोरे भरे हुए गाल को छेड़ते हुए उसकी गर्दन से होकर उसकी चुचियों के उभार पर फिसलते हुए ब्लाउज की धारी को भिगो रही थी बालों की लट उलझी हुई थी जिसे वह बार-बार आटा ऊंगलियों से सुलझाने की कोशिश कर रही थी,,, बेहद खूबसूरत और अद्भुत नजारा था इसे देखकर रविकुमार के दिन भर की थकान दूर हो रही थी,,,। रोटी को बेल कर उसे गर्म तवे पर रखते हुए रूपाली बोली,,,।


आप यहां क्या कर रहे हैं जी,,,, अभी खाना बनने में थोड़ा समय लगेगा,,, अब खटिया पर बैठ कर इंतजार करिए मैं खाना तैयार कर लेकर आती हूं,,,,।


क्या करती हो रूपाली,,,,, दिन भर पैसे कमाने के चक्कर में घर से बाहर रहता हूं तुमसे दूर रहता हूं और यही तो मौका मिलता है तुम्हें जी भर के देखने का वह भी मुझसे छीन ना चाहती हो,,,(ऐसा कहते हुए रविकुमार वही नीचे बैठ गया और अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) दिन भर की थकान तुम्हारा खूबसूरत चेहरा देखते ही दूर हो जाती है,,,


(अपने पति की बातें सुनकर रूपाली को शर्म आ रही थी,,, वह शर्मा रही थी और अपने चेहरे को छुपाने की कोशिश कर रही थी,,,, लेकिन रविकुमार अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाकर जैसे किसी गुलाब के फूल को अपनी हथेली में लेता हो इस तरह से अपनी बीवी की खूबसूरत चेहरे को अपने हथेली में लेते हुए बोला,,,)


क्या रूपाली दो बच्चों की मां हो गई हो फिर भी मुझसे शर्मारही हो,,,,,,


छोड़ो जी क्या करते हो,,, बच्चे आ जाएंगे,,,,(रूपाली अपने चेहरे को दूसरी तरफ घुमाते हुए बोली,,,)


अरे कोई नहीं आएगा,,,,(इतना कहते ही जैसे ही वह अपनी बीवी रूपाली के ब्लाउज पर हाथ रखकर उसकी चूची को दबाया ही था कि आंगन से मंजू की आवाज सुनाई दी और वह तुरंत उठ कर खड़ा हो गया,,,।)


देखो भैया सुरज आ गया,,,,
(एकाएक मंजू की आवाज सुनते ही रविकुमार सकपका गया था,,, और यही हाल रूपाली का भी था,,, वह एकदम से शरमा गई थी,,, गनीमत यही थी कि,, मंजू ने कुछ देखी नहीं थी,,,, रविकुमार तुरंत आंगन में आ गया,,,,, और अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर,,,, थोड़ा शांत होता होता हुआ बोला,,,।)


क्या सुरज,,,,, यह सब क्या हो रहा है,,,,,,,


कककक,,, कुछ नहीं मामा ,,,,(सुरज घबराते हुए बोला,,,,, सुरज अपने मामा की बहुत इज्जत करता था और उनसे डरता भी था,,,)


कुछ नहीं क्या दिन भर आवारा लड़कों की तरह घूमते रहते हो,,,, तुम अब बडे़ हो गए हैं तुम्हें तो घर की जिम्मेदारी संभालना चाहिए,,, घर के काम में हाथ बंटाना चाहिए,,,।
( अपने मामा की बातों को सुनकर सुरज कुछ बोला नहीं बस अपनी नजरों को नीचे झुकाए खड़ा रहा,,,)


देख रही हो मंजू अब ये कुछ बोलेगा भी नहीं,,,,


रहने दो भैया समय के साथ सब सीख जाएगा,,,,(मंजू सुरज का बीच बचाव करते हुए बोली,,,) अभी तो इसके भी खेलने खाने के ही दिन है,,,(सुरज के कंधों पर अपने दोनों हाथ रखते हुए उसके पीछे आकर बोली) ,,,,,,,


जाओ जाकर हाथ मुंह धो कर जल्दी से आओ खाना तैयार हो रहा है,,,,।


ठीक है मामा ,,,(इतना कहकर राजु खुश होता हुआ,, बाहर हाथ मुंह धोने के लिए चला गया,,, तभी रूपाली खाना बनाकर अपने कपड़ों को ठीक करते हुए बाहर आंगन में आ गई और अपनी साड़ी के पल्लू से अपने माथे के पसीने को पोछते हुए बोली,,,)


आप तो ठीक से डांटते ही नही है,,, तभी तो आवारा की तरह घूमता रहता है,,,
( ऐसा नहीं था की रूपाली सूरज से प्यार नहीं करती थी,, रूपाली ने सुरज को बचपन से अपने सगे बेटे के जैसा प्यार देकर बड़ा किया था पर गांव के आवारा लड़को के साथ घूमकर वह बिगड़ने लगा था,,, और घर के कामों पर उसका जरासा भी ध्यान नहीं था,,, इसी चिंता के कारण रूपाली ऐसा बोली,,,)


बिन मां का लड़का है और अब सुरज मेरे बराबर हो गया है इस तरह से डांट ना ठीक नहीं है वैसे भी आज नहीं तो कल सब कुछ सीख ही जाएगा,,,,,,


भाभी भैया ठीक कह रहे हैं,,,


हां तुम तो अपने भैया का ही पक्ष लोगी,,,,,
(रूपाली की बात से मंजू मुस्कुराने लगी और उसे मुस्कुराता हुआ देखकर रूपाली बोली,,,)


चलो जल्दी से खाना परोसने में मेरी मदद करो,,,।


तुम रहने दो भाभी में सबके लिए खाना परोस कर लेकर आती हूं,,,,,, आप भी भैया के साथ बैठ जाओ खाना खाने,,,,
(इतना कहकर मंजू रसोई घर में चली गई और रूपाली मुस्कुराते हुए अपने पति रविकुमार के पास बैठ गई,,,, रविकुमार अपनी छोटी बहन मंजू को जाते हुए देख रहा था,,, और बोला,,,)


कोई अच्छा सा लड़का देखकर मंजू के भी हाथ पीले कर दु तो समझ लो गंगा नहा लिया,,,,,


आप सही कह रहे हो मुन्ना के बाबु,,,,(रूपाली अपने पति की बातों में सुर मिलाते हुए बोली,,)


वैसे तो मुझे सबसे पहले मंजू की शादी करनी चाहिए थी लेकिन हालात ही कुछ ऐसे बन गए थे कि मुझे अपनी बड़ी बेटी की शादी करना पड़ा,,,, उसके विवाह के लिए लिया हुआ कर्ज अभी तक चुका रहा हूं कल साहूकार को उसके ब्याज के पैसे भी देने जाने हैं,,, नामदेवराय का कर्ज चुकाऊ तो मंजू के विवाह के लिए पैसे ले लु और वैसे भी बैलगाड़ी का भी कर्जा चुकाना है,,,,(रविकुमार आंगन में से आसमान को देखते हुए बोली,,,)


तुम चिंता मत करो मुन्ना के बाबू,,, सभ कुछ ठीक हो जायेगा,,,,
(इतने में सुरज भी आकर वहीं बैठ गया और मंजू एक-एक करके सबके आगे थाली रखने लगी,,, और रूपाली अपने साड़ी के पल्लू को ठीक करने लगी क्योंकि चुचीया कुछ ज्यादा बड़ी होने की वजह से ब्लाउज में से चूचियों के बीच की लकीर कुछ ज्यादा ही बड़ी नजर आती थी,,,, और यही रविकुमार को बेहद पसंद थी,,,, सब लोग खाना खाने लगे,,और, खाना खाने के बाद सोने की तैयारी करने लगे,,, सुरज अपनी मौसी मंजू के साथ सोता था और रविकुमार उसकी बीवी रूपाली और छोटा लड़का मुन्ना एक साथ सोते थे,,,,,,, मंजू जब सुरज को लेकर बगल वाले कमरे में जाने लगी तो रूपाली मंजू को आवाज देते हुए बोली,,,)


अरे मंजू,,,


क्या हुआ भाभी,,,?


ले आज मुन्ना को अपने पास सुला ले,,, रात को बहुत परेशान करता है और तुम्हारे भैया सो नहीं पाते,,,,


ठीक है भाभी लाइए मुन्ना को मुझे दो,,,(इतना कहते हुए मंजू मुन्ना को अपनी भाभी की गोद में से अपनी गोद में ले ली,,, और कमरे में चली गई सुरज को नींद आ रही थी इसलिए चारपाई पर पडते ही वह सो गया,,, मंजू को नींद नहीं आ रही थी,,,, क्योंकि वह मुन्ना को अपने पास सुलाने का मतलब अच्छी तरह से जानती थी,,,,


दूसरी तरफ रविकुमार रूपाली से बोला,,,,)


बड़ी सफाई से बहाना करके मुन्ना को मंजू के पास सोने के लिए भेज देती हो,,,


तो क्या मुन्ना को मंजू के पास ना भेजु तो और क्या करूं,,,


चलो ठीक है लेकिन जिस काम के लिए मुन्ना को उसकी बुआ के पास भेजी हो वह काम शुरु तो करो,,,,(रविकुमार चारपाई पर लेटता हुआ बोला,,,)


मुझे शर्म आती है जी,,,,(रूपाली शर्म के मारे अपने हाथों से अपने चेहरे को ढंकते हुए बोली,,,)


अरे मुझसे क्या शर्माना,,, चलो जल्दी करो कपड़े उतारो,,,,


आप कहते हो तो उतारती हूं वरना तो मुझे तो नींद आ रही थी,,,,(इतना कहने के साथ ही है रूपाली अपने हाथों से अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी,,,, उत्तेजना के मारे उसकी सांसे भारी हो चली थी,,,,, उसका खुद का मन चुदवाने के लिए कर रहा था क्योंकि रसोई में रविकुमार ने अपनी हरकत की वजह से उसको उत्तेजित कर दिया था,,, देखते ही देखते रूपाली अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल कर अपने ब्लाउज को उतार फेंकी,,,रविकुमार की नजर जेसे ही अपनी बीवी के भारी भरकम गोल गोल खरबूजे जैसे चुचियों पर पड़ी उसके मुंह के साथ-साथ उसके लंड में भी पानी आ गया और वह अपनी धोती खोलने लगा,,,, रूपाली को अपने पति का खड़ा लंड देखने की इच्छा हो रही थी अच्छी तरह से जानती थी कि ईतनी देर में उसके पति का लंड खड़ा हो गया होगा,,,



वह जल्दी जल्दी अपनी साड़ी भी उतार कर नीचे फेंक दी,,, अब वह अपने पति की आंखों के सामने केवल पेटीकोट में खड़ी थी,,, रविकुमार पूरी तरह से मस्त हो चुका था वह अपनी धोती खोल चुका था उसका लंड आसमान की तरफ मुंह उठाए खड़ा था,,, रविकुमार अपना एक हाथ आगे बढ़ाते अपनी बीवी के पेटीकोट की डोरी को खींच दिया जिससे रूपाली को बिल्कुल भी संभलने का मौका नहीं मिला और उसकी पेटीकोट उसकी कमर से नीचे उसके पैरों में जाकर गिर गई,,, रविकुमार के साथ-साथ रूपाली की पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी तीन तीन बच्चों की मामी होने के बावजूद भी रूपाली एकदम खूबसूरत और गठीला बदन की मालकिन थी क्योंकि अभी भी वह खेतों में सारा काम अकेले ही करती थी,,,, रूपाली के नंगे बदन को देख कर रविकुमार के मुंह में पानी आ रहा था उससे रहा नहीं गया और वह खुद अपने हाथों को आगे बढ़ाकर रूपाली के कमर को थाम लिया और उसे अपने ऊपर चारपाई पर खींच लिया,,, रूपाली का मखमली खूबसूरत बदन उत्तेजना से तप रहा था,,, रविकुमार तुरंत उसे अपनी बाहों में भर लिया जैसे कि कहीं वह भागी जा रही हो,,, रूपाली भी पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी वह भी अपनी पती को अपनी बाहों में लेकर चूमना शुरु कर दी,,,।
रविकुमार अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हुए असली बीवी रूपाली को तुरंत अपनी बाहों में लिए हुए ही पलटी मार दिया और उसे नीचे और खुद ऊपर आ गया,,,,,, दोनों की सांसें बड़ी तेजी से चल रही थी,,,,,, पल भर में ही मौसम की गर्मी और बदन की तपन से रूपाली पसीने से तरबतर हो गई,,,, पसीने में तर बतर रूपाली का खूबसूरत बदन और भी ज्यादा मादक और उत्तेजक लग रहा था,,,,,,,, रविकुमार पूरी तरह से बाजी अपने हाथों में ले लिया था,,, वैसे भी बिस्तर पर मर्दों की अगुवाई ही ज्यादा मायने रखती है,,,,,,


दिन भर की थकान वह अपनी बीवी की चुदाई करके मिटाना चाहता था,,,, पसीने से तरबतर चुचीया रविकुमार के हाथों में ठीक से समा नहीं पा रही थी,,। बार-बार उसकी हथेली फिसल जा रही थी मानो किसी टेकरी को पकड़ रहा हो,,,, फिर भी रविकुमार बड़े जोर लगाकर रूपाली की चूचियों को दबा रहा था और रूपाली को बहुत मजा आ रहा था,,।
रूपाली के लिए यही एक पल होता था जब वह पूरी तरह से खुल जाती है और अपनी जिंदगी का भरपूर आनंद लुटती थी,,, रविकुमार पागलों की तरह अपनी बीवी की चुचियों को मुंह में भर कर पी रहा था रूपाली की सिसकारी कमरे में गूंजने लगी थी,,,, रविकुमार का खड़ा लंड बार-बार रूपाली की जांघों के लिए रगड़ खा जा रहा था,,। जिससे रूपाली की आनंद और तड़प दोनों बढ़ जा रही थी,,।
अब दोनों से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था इसलिए रविकुमार अपनी बीवी की दोनों टांगों को फैला कर अपनी खड़े लंड को उसकी बुर में डाल दिया और अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया रूपाली चुदाई से पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,, वह भी गर्म सिसकारी के साथ अपने पति का पूरा साथ दे रही थी,,, रविकुमार कमर हिलाता हुआ अपनी बीवी को चोद रहा था,,,। रूपाली के मुंह से उसकी गरम सिसकारी बड़ी तेजी से निकल रही थी,,,रूपाली इस बात से पूरी तरह से बेखबर थी कि उसके बाजू वाले कमरे में उसकी ननद मंजू उसकी गरम सिसकारियां को सुन रही है सुरज और मुन्ना दोनों सो चुके थे,,,लेकिन मंजू अच्छी तरह से जानती थी कि आज रात क्या होने वाला है इसलिए उसकी आंखों में नींद नहीं थी,,, यह उसके लिए पहली बार नहीं था,,। आए दिन उसे उसके भैया भाभी की गरम आवाजें सुनाई देती थी जिसे सुनकर वह गर्म हो जाती थी क्योंकि उसकी भी शादी की उम्र हो चुकी थी जवान हो चुकी थी उसके तन बदन में भी भावनाएं जोर मारने लगी थी उसकी जवानी बदन में चीकोटी काटने लगी थी,,,। इसलिए तो अपनी भाभी की चुदाई की गरमा गरम आवाज सुनकर उसने भी अपनी सलवार की डोरी को खोल कर उसने अपना हाथ डाल दी थी और अपनी उंगली को अपनी मंजू बुर की छेंद में डालकर उसे छेड़ रही थी,,,,


दूसरी तरफ रविकुमार पूरा जोर लगा दिया था अपनी बीवी को चोदने में,,, और थोड़ी देर बाद दोनों हांफने लगे,,,, दूसरी तरफ मंजू का भी पानी निकल गया,,, रविकुमार और रूपाली नग्न अवस्था में ही एक दूसरे की बाहों में चारपाई मैं गहरी नींद मे सो गए,,,
Bhai kya ye sirf ek copy paste story hai ya aap kuch aapna taraf se badlao kar rahe hai ,,, aur agar nahi kar rahe hai to copy karne ka koi fayda hi nahi hai kyon ki original story padi hui hai forum pe.
 
Top