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Incest गांव की गदराई औरते

King123@

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आज जया देवी एकदम पानी पानी हो रहीं थीं अभी कुछ देर पहले हुई घटना ने इस उम्र में भी उनको पागल बना दिया कुछ देर बाद वो वही सफेद रंग की साड़ी पहन कर के अपने रूम से बाहर निकल कर हर्ष के सामने पहुंची

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जया देवी एकदम कड़क माल लग रही थीं वो सफेद साड़ी उनपे खूब जच रही थीं सफेद रंग की ब्लाउज और बाड़ी में कैद बड़ी बड़ी चूचियां जैसे अभी फाड़ कर बाहर आ जायेंगी वो धीरे से
आकर हर्ष के पास बैठी पर उनकी ओर हर्ष की नजरे नही मिल पा रही थी दोनो एक दूसरे से कुछ भी नहीं बोल रहे थे तो जया देवी ने खुद पहल करने की सोची और बोली बेटा त्रिभुवन कहा हैं
हर्ष_अपने रूम मे आराम कर रहा है आंटी जी
जया देवी •बेटा तुम्हें भुख तो लगी होगी ना रुको मैं तुमलोगों के लिए खाना बनाती हु इतना बोलकर वो जैसी ही उठन की कोसिस की अचानक से उनका पल्लू फिर से नीचे गिर पड़ा और एक बार फिर हर्ष के सामने जया देवी के गदराये अर्द्ध नंगे बड़े बड़े खरबूजों के दर्शन हो गए

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जया देवी ने जल्दी से अपनी साड़ी संभाल लिया लेकिन तब तक हर्ष को जया देवी के मादक गुदाज़ पेट और गहरी नाभी के दर्शन भी हो गए

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जया देवी वहा से जाने लगीं तो हर्ष ने कहा आंटी जी मेरा पेट भर गया आप कष्ट मत करिए हर्ष के ऐसी बातों से जया देवी की जवानी हिलोर मारने लगी और वो जल्दी से बिना कुछ बोले किचन में चली गईं
 
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Kapil Bajaj

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भाई नई कहानी के लिए बहुत-बहुत बधाई भाई हिंदी में लिखने के लिए बहुत ही बहुत बधाई चौबे हिंदी स्टोरी बहुत कम चल रही है इस साइट पर बस भाई आप से निवेदन है कि आप दूसरों के कहे पर इसको इंग्लिश में मत करिएगा आपका दोस्त कपिल और भाई अब डेट भेज दीजिए बड़े से बड़े
 

King123@

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इधर कलकत्ता में हर्ष के कई दोस्त हो गए थे जिनमें से त्रिभुवन उसका सबसे जिगरी दोस्त था वे दोनो खूब मस्ती करते कॉलेज भी साथ में जाते थे समय के साथ हर्ष पे जवानी का जोश चढ़ने लगा और शहर के दोस्तों के बीच रहकर वो थोड़ा बिगड़ भी गया था
त्रिभुवन का जिगरी दोस्त होने के बावजूद भी हर्ष कभी उसके घर नहीं गया था ऐसा नहीं था की त्रिभुवन ने उससे कभी अपने घर चलने का जिक्र नहीं किया था पर वो मना कर देता था ।
ऐसे ही एक दिन एग्जाम के दिन थे कॉलेज बंद होने वाला था तो त्रिभुवन के काफी ज़िद्द करने पर हर्ष मान गया दोनों त्रिभुवन के घर आ गए अंदर से दरवाजा बंद था तो त्रिभुवन ने कॉलबेल बजाई तो कुछ देर बाद एक खूबसूरत औरत ने दरवाजा खोला
"अरे बेटा तुम आ गए तुम्हारे साथ ये कौन है ?
त्रिभुवन>मां ये मेरा जिगरी दोस्त हर्ष है जिसके बारे मे मैं आपसे बात करता रहता हूं
महिला>अच्छा तो ये हर्ष है आओ बेटा अंदर आओ
हर्ष _मन ही मन ओ तो ये त्रिभुवन की मां है कितनी सुंदर है
नमस्ते आंटी
नमस्ते बेटा जल्दी से अन्दर आओ त्रिभुवन की मां ने बोला
और अंदर की तरफ जाने लगीं वो एक बड़े कद काठी और गदराए बदन की महिला थी उनके चलने से उनके बड़े बड़े चूतड थिरकन
पैदा कर रहे थे जिसपे ना चाहते हुए भी हर्ष की निगाह बार बार पड़ ही जा रही थी
हर्ष_अपने मन मे ही ये मुझे क्या हो रहा है मेरे दिमाग मे ऐसे खयाल तो कभी नहीं आए थे
दराशल हर्ष की जवानी अब अपना रंग दिखाना शुरू की
और ऐसा हो भी क्यूं ना त्रिभुवन की मां का गदराया बदन था ही ऐसा जिसे देख कर बूढ़े भी आहे भरने लगते और हर्ष तो अभी अभी जवानी के दहलीज पे कदम रखा था

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त्रिभुवन की मां_जया देवी
उम्र 5०
साइज_34 31 38 एक भरे हुए गदराये बदन की महिला
जया देवी एक बहुत ही खुले विचारों वाली महिला है इनके हसबैंड अब नही है ये एक विधवा है और एक स्कूल टीचर है ये एक टिपिकल बंगाली औरत है माथे पे बडी सी बिंदी होठों पे गहरी लाली बदन पे साड़ी इनके सुंदरता में चार चांद लगा देता है
इनके स्कूल के सभी टीचर इनकी जवानी के कायल है पर क्या मजाल कि किसी को भी जया देवी ने घास डाली हो इन्होंने
त्रिभुवन के पिता के देहांत के बाद से ही अपना सारा जीवन त्रिभुवन के साथ ही उसके खुशी मे ही बिताने की सोच ली थी
खैर हर्ष और त्रिभुवन जया के साथ घर के अंदर आ गए

जया देवी_बेटा मैं तुमलोगो के लिए नाश्ता लाती हूं इतना बोलकर अपना बड़ा सा चूतड मटका के रसोई मे चली गई

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हर्ष _त्रिभुवन यार तेरा घर बहुत अच्छा है
त्रि_थैंक यू
हर्ष और त्रिभुवन कुछ देर इधर उधर की बाते कर रहे थे तभी जया देवी उनलोगो के लिए नाश्ता लेकर आई
और टेबल पे रखने लगी तभी उनके साड़ी का पल्लू नीचे सरक गया जिससे उनके खरबूजे जैसी आधे स्तन पे हर्ष की नजर पड़ गई तभी जया देवी की नज़र भी हर्ष पे पड़ी जिसकी निगाह उनके स्तन पे ही था जया देवी ने जल्दी से अपना पल्लू सही किया और वहां से जानें लगीं

saree-dropped
जाते हुए जया देवी _ बच्चों तुम लोग नाश्ता करके आराम कर लो मैं नहाने जा रही हूं
त्रि_ठीक है मां
इधर जया देवी के बड़े बड़े अध्नगे स्तन को देखकर हर्ष के पेंट अपने आप कब तब्बू बन गया उसे खुद नही समझ आ रहा था किसी तरह उसने अपने तब्बू को एडजस्ट किया और नाश्ता करने लगा
कुछ देर बाद
यार हर्ष मुझे नींद आ रही है मैं थोड़ी देर के लिए आराम कर लेता हु तुझे भी चलाना है तो चल ये कह कर त्रिभुवन जानें लगा
हर्ष_नही यार मुझे नींद नहीं आ रही है तू आराम कर ले मैं तब तक टीवी देखता हु
ठीक है कहकर त्रिभुवन अपने रूम मे चला गया

इधर बाथरूम मे आने के बाद जया देवी खुद पे लज्जित होने लगीं
की कैसे उनका पल्लू नीचे सरक गया और हर्ष की निगाहें तो मेरे
छातियों पर ही थी कैसे घूर रहा था हर्ष यही सब सोचते ही अचानक उन्हें अपने साड़ी के अंदर अपने कच्छी के अंदर कुछ चिपचिपाने का आभास हुआ उन्हें समझते देर नहीं लगी की ये उनके भोसड़े का रस है जो धीरे धीरे उनके भोसड़े की दीवारों से रिस रहा है आज कई वर्षो बाद जया देवी को ऐसी कामुकता का एहसास हो रहा था त्रिभुवन के पापा के जाने के बाद आज पहली बार उनके भोसड़े ने रस छोड़ा था वो भी सिर्फ अपने बेटे के उम्र के लड़के द्वारा अपनी अर्धनंग उरोजों के देखे जाने से मात्र
जया देवी को अजीब सी खुमारी छा रही थी जिसको वो संभालना तो चाहती थी पर मन बेकाबू हो रहा था पर जैसे तैसे जयादेवी ने अपने भावनाओं पर नियंत्रण प्राप्त किया और साड़ी पहने हुए ही नहाने लगी

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जया देवी के गरम जिस्म पे पड़ती हुई पानी की बूंदे भी बदन के तपन सुलग जा रही थी

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धीरे धीरे ब्लाउज को निकलती हुई जया देवी

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जया देवी का तराशा हुआ बदन कच्छी और बॉडी में
 
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Lutgaya

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इधर कलकत्ता में हर्ष के कई दोस्त हो गए थे जिनमें से त्रिभुवन उसका सबसे जिगरी दोस्त था वे दोनो खूब मस्ती करते कॉलेज भी साथ में जाते थे समय के साथ हर्ष पे जवानी का जोश चढ़ने लगा और शहर के दोस्तों के बीच रहकर वो थोड़ा बिगड़ भी गया था
त्रिभुवन का जिगरी दोस्त होने के बावजूद भी हर्ष कभी उसके घर नहीं गया था ऐसा नहीं था की त्रिभुवन ने उससे कभी अपने घर चलने का जिक्र नहीं किया था पर वो मना कर देता था ।
ऐसे ही एक दिन एग्जाम के दिन थे कॉलेज बंद होने वाला था तो त्रिभुवन के काफी ज़िद्द करने पर हर्ष मान गया दोनों त्रिभुवन के घर आ गए अंदर से दरवाजा बंद था तो त्रिभुवन ने कॉलबेल बजाई तो कुछ देर बाद एक खूबसूरत औरत ने दरवाजा खोला
"अरे बेटा तुम आ गए तुम्हारे साथ ये कौन है ?
त्रिभुवन>मां ये मेरा जिगरी दोस्त हर्ष है जिसके बारे मे मैं आपसे बात करता रहता हूं
महिला>अच्छा तो ये हर्ष है आओ बेटा अंदर आओ
हर्ष _मन ही मन ओ तो ये त्रिभुवन की मां है कितनी सुंदर है
नमस्ते आंटी
नमस्ते बेटा जल्दी से अन्दर आओ त्रिभुवन की मां ने बोला
और अंदर की तरफ जाने लगीं वो एक बड़े कद काठी और गदराए बदन की महिला थी उनके चलने से उनके बड़े बड़े चूतड थिरकन
पैदा कर रहे थे जिसपे ना चाहते हुए भी हर्ष की निगाह बार बार पड़ ही जा रही थी
हर्ष_अपने मन मे ही ये मुझे क्या हो रहा है मेरे दिमाग मे ऐसे खयाल तो कभी नहीं आए थे
दराशल हर्ष की जवानी अब अपना रंग दिखाना शुरू की
और ऐसा हो भी क्यूं ना त्रिभुवन की मां का गदराया बदन था ही ऐसा जिसे देख कर बूढ़े भी आहे भरने लगते और हर्ष तो अभी अभी जवानी के दहलीज पे कदम रखा था

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त्रिभुवन की मां_जया देवी
उम्र 5०
साइज_34 31 38 एक भरे हुए गदराये बदन की महिला
जया देवी एक बहुत ही खुले विचारों वाली महिला है इनके हसबैंड अब नही है ये एक विधवा है और एक स्कूल टीचर है ये एक टिपिकल बंगाली औरत है माथे पे बडी सी बिंदी होठों पे गहरी लाली बदन पे साड़ी इनके सुंदरता में चार चांद लगा देता है
इनके स्कूल के सभी टीचर इनकी जवानी के कायल है पर क्या मजाल कि किसी को भी जया देवी ने घास डाली हो इन्होंने
त्रिभुवन के पिता के देहांत के बाद से ही अपना सारा जीवन त्रिभुवन के साथ ही उसके खुशी मे ही बिताने की सोच ली थी
खैर हर्ष और त्रिभुवन जया के साथ घर के अंदर आ गए

जया देवी_बेटा मैं तुमलोगो के लिए नाश्ता लाती हूं इतना बोलकर अपना बड़ा सा चूतड मटका के रसोई मे चली गई

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हर्ष _त्रिभुवन यार तेरा घर बहुत अच्छा है
त्रि_थैंक यू
हर्ष और त्रिभुवन कुछ देर इधर उधर की बाते कर रहे थे तभी जया देवी उनलोगो के लिए नाश्ता लेकर आई
और टेबल पे रखने लगी तभी उनके साड़ी का पल्लू नीचे सरक गया जिससे उनके खरबूजे जैसी आधे स्तन पे हर्ष की नजर पड़ गई तभी जया देवी की नज़र भी हर्ष पे पड़ी जिसकी निगाह उनके स्तन पे ही था जया देवी ने जल्दी से अपना पल्लू सही किया और वहां से जानें लगीं

saree-dropped
जाते हुए जया देवी _ बच्चों तुम लोग नाश्ता करके आराम कर लो मैं नहाने जा रही हूं
त्रि_ठीक है मां
इधर जया देवी के बड़े बड़े अध्नगे स्तन को देखकर हर्ष के पेंट अपने आप कब तब्बू बन गया उसे खुद नही समझ आ रहा था किसी तरह उसने अपने तब्बू को एडजस्ट किया और नाश्ता करने लगा
कुछ देर बाद
यार हर्ष मुझे नींद आ रही है मैं थोड़ी देर के लिए आराम कर लेता हु तुझे भी चलाना है तो चल ये कह कर त्रिभुवन जानें लगा
हर्ष_नही यार मुझे नींद नहीं आ रही है तू आराम कर ले मैं तब तक टीवी देखता हु
ठीक है कहकर त्रिभुवन अपने रूम मे चला गया

इधर बाथरूम मे आने के बाद जया देवी खुद पे लज्जित होने लगीं
की कैसे उनका पल्लू नीचे सरक गया और हर्ष की निगाहें तो मेरे
छातियों पर ही थी कैसे घूर रहा था हर्ष यही सब सोचते ही अचानक उन्हें अपने साड़ी के अंदर अपने कच्छी के अंदर कुछ चिपचिपाने का आभास हुआ उन्हें समझते देर नहीं लगी की ये उनके भोसड़े का रस है जो धीरे धीरे उनके भोसड़े की दीवारों से रिस रहा है आज कई वर्षो बाद जया देवी को ऐसी कामुकता का एहसास हो रहा था त्रिभुवन के पापा के जाने के बाद आज पहली बार उनके भोसड़े ने रस छोड़ा था वो भी सिर्फ अपने बेटे के उम्र के लड़के द्वारा अपनी अर्धनंग उरोजों के देखे जाने से मात्र
जया देवी को अजीब सी खुमारी छा रही थी जिसको वो संभालना तो चाहती थी पर मन बेकाबू हो रहा था पर जैसे तैसे जयादेवी ने अपने भावनाओं पर नियंत्रण प्राप्त किया और साड़ी पहने हुए ही नहाने लगी

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जया देवी के गरम जिस्म पे पड़ती हुई पानी की बूंदे भी बदन के तपन सुलग जा रही थी

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धीरे धीरे ब्लाउज को निकलती हुई जया देवी

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जया देवी का तराशा हुआ बदन कच्छी और बॉडी में
सबका परिचय एक साथ देकर राश्नकार्ड मत छापो भाई
सब भूल गए एक साथ पढकर
जरूरत के अनुसार पात्र परिचय दीजिए।
उम्र का अन्तर देखिए मां 65वर्ष की बेटा 55 वर्ष का 🤣😂
 
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