SKYESH
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Behad shaandaar lajawab update bhai#13
मैंने देखा बावड़ी में पानी उसी तरह लहरा रहा था .
“ये पानी नहीं तो क्या है ” मैंने निचे जाकर हथेली में पानी भरा और उसके पास लाया. मैंने हथेली उसके आगे की . उसने हिकारत से मुझे देखा और बोला- चला जा यहाँ से .दुबारा मत आना .
मैं- वो मेरा मामला है दुबारा आना या न आना तुम्हे इससे क्या लेना देना
“उम्र छोटी है और बाते आसमान जितनी, जिसे तू खेल समझ रहा है न वो .......” उसने बात अधूरी छोड़ दी .
मैं - वो क्या ..
उसने अपनी बेंत मेरी छाती पर लगाई और बोला- निकल जा यहाँ से
मैंने भी बात आगे नहीं बढाई और वहां से बाहर निकल आया. बाहर खड़े तमाम लोगो की नजरे मुझ पर थी पर किसी ने मुझे रोका नहीं . कुछ दूर चल कर मैंने माथे का पसीना पोंछा तो कुछ रुखा सा महसूस हुआ मैंने अपने हाथ देखे, हथेलिया राख में सनी हुई थी .
मैंने अपने मुह पर हाथ रख लिया , हाथो पर ये राख कैसे आई, हलकी सी तपिश महसूस की . मैंने शर्ट से ही हाथ साफ़ किये और रुद्रपुर से अपने गाँव वापिस आ गया. शाम ढलने लगी थी . दिल में मेरे न जाने कितने सवाल थे जिनके जवाब दे सके ऐसे इन्सान को तलाश करना ही मेरा मकसद था अब .
चोबारे की छत पर लेटे हुए मैं रीना के बारे में सोच रहा था , आज वो उदयपुर चली गयी थी . बचपन से ऐसा कोई लम्हा नहीं था जो हमने साथ नहीं बिताया हो. इस दुनिया में सबसे पहले मेरे लिए कोई था तो वो बस . जबसे उसने उसकी माँ से हुई बात बताई थी , दिल में हलचल सी मची हुई थी . बहुत सी बाते थी जो उससे कहनी थी , हर सुबह जब वो तालाब पर पानी भरने आती थी , तो ग्राम देवता के मंदिर में समाधी के साथ चक्कर लगाना, थोड़ी देर हम सीढियों पर बैठते . वो मुझे मैं उसे देखता .उसके गेहुवे रंग पर लाल चुन्नी बड़ी फब्ती . कानो में सोने की बालिया गले में ॐ का लाकेट जो मैंने मेले में खरीद कर दिया था उसे.
ये रात भी जाने क्यों बेवफाई पर उतर आई थी , आँखे मूंदु तो भी आँखों को रीना की सूरत ही दिखे . हालत जब काबू से बाहर हो गयी तो मैंने शर्ट पहनी और घर से बाहर आ गया. चारो दिशाए सन्नाटे में डूबी थी . पैदल चलते चलते मैं खेतो को पार करके पुलिया की तरफ आ पहुंचा था की मैंने देखा की इकतारा लिए वही लड़की पुलिया पर बैठी है . हमारी नजरे मिली, उसने इकतारा साइड में रख दिया.
“मेरा पीछा क्यों करता है ” उसने उलाहना दिया.
मैं- क्यों इन रातो पर बस तेरा हक़ है क्या.
वो- हक़ तो नहीं है , पर इन रातो से बढ़िया कोई साथी भी तो नहीं
मैं- तेरी बाते मेरे जैसी क्यों है
मैं उसके पास बैठ गया .
वो- बाते है बातो का क्या . तू बता कुछ परेशां सा लगता है .
मैं - चलो तुमने इसी बहाने मेरा हाल तो पूछा
वो- क्या परेशानी हुई तुझे
मैं- जब से तुझे देखा है , नजरे हट टी नहीं तेरे चेहरे से, दिन हो या रात हो तेरा ख्याल मेरे मन से जाता नहीं . जी करता है बस तुझे देखता रहूँ
वो- कुछ नया बोल , ये लाइन पुरानी हुई , आजकल की लडकिया इन फ़िल्मी बातो से नहीं बहलती .
मैं- तो तू ही बता तुझे कैसे मना पाउँगा
वो- भला किसलिए
मैं- तुझसे दोस्ती करनी है
वो- दोपहर को मैंने तुझे कहा था न की हम में दोस्ती नहीं हो सकती
मैं- तो क्या हो सकता है
वो- कुछ नहीं , कुछ भी नहीं आखिर हम एक दुसरे को जानते ही कितना है .
मैं- चार मुलाकातों से जानते है .
वो- मैं क्या दोस्ती करू तुझसे, , मैं कौन हूँ ये भी नहीं जानता . चल बता मैं तुझसे दोस्ती कर भी लू तो तू क्या कर सकता है मेरे लिए.
मैं- दोस्ती में शर्ते नहीं होती सरकार. तू क्या है मैं कौन हु ये नहीं देखा जाता दोस्ती में ओई उम्मीद नहीं होती, दोस्ती में उम्मीद हुई तो वो लालच हुआ, दोस्ती निस्वार्थ है, मैंने तुझसे मोहब्बत नहीं मांगी , वादे मोहब्बत में किये जाते है की चाँद तारे तोड़ लाऊंगा .
वो- मैं कैसे मानु की तू मेरा सच्चा दोस्त बनेगा. कल को तूने मेरा फायदा उठाया . मुझे बदनाम किया तो .
मैं- तो फिर रहने दे . तेरे बस की नहीं है . मैंने अपने मन की बात तुझे बताई,अब तेरी मर्जी है जब तेरा दिल करे तो मुझे बता देना बाकी तेरी किस्मत तू जाने तूने क्या खोया .
वो- हाँ मेरी किस्मत.
उसने एक ठंडी साँस छोड़ी और बोली- ये किस्मत भी बड़ी अजीब होती है न राजा के घर पैदा हुए तो किस्मत, गरीब के घर पैदा हुए तो किस्मत. सुख मिले तो किस्मत, दुःख मिले तो किस्मत.
मैं- तू मुझे मिली ये भी तो किस्मत ही है न .
“तुझसे दोस्ती नहीं कर सकती ये भी तो किस्मत ही है न , ” उसने कहा
मैं- इस दुनिया, इस समाज का डर है क्या तुझे .
वो- मुझे डर होता तो यहाँ इस समय तेरे साथ न बैठी होती .
मैं- तो क्या रोक रहा है तेरे मन को
वो- मेरा मन ही रोक रहा है मुझे .
मैं- चल कोई न , हम भी क्या बाते लेके बैठ गए ये बता आज ये सितारे क्या कहते है .
उसने आसमान में देखा और बोली- खून बहने वाला है .
मैं- किसका
वो- ये तो वो ही जाने .
उसने आसमान में सितारों को देखते हुए बोला .
मैं- तेरी बाते समझ में कम आती है मुझे .अपने बारे में बता कुछ
वो- क्या बताऊँ कहने को सब कुछ है कहने को कुछ भी नहीं . मैं भी तेरे जैसी ही हूँ .कल दोपहर तू मुझे ग्यारह पीपल के पास मिलना मैं तब तुझे बताउंगी मैं कौन हूँ .
उसकी आँख से गिरते आंसू के कतरे को अपनी कलाई पर गिरते महसूस किया मैंने
nice update..!!#13
मैंने देखा बावड़ी में पानी उसी तरह लहरा रहा था .
“ये पानी नहीं तो क्या है ” मैंने निचे जाकर हथेली में पानी भरा और उसके पास लाया. मैंने हथेली उसके आगे की . उसने हिकारत से मुझे देखा और बोला- चला जा यहाँ से .दुबारा मत आना .
मैं- वो मेरा मामला है दुबारा आना या न आना तुम्हे इससे क्या लेना देना
“उम्र छोटी है और बाते आसमान जितनी, जिसे तू खेल समझ रहा है न वो .......” उसने बात अधूरी छोड़ दी .
मैं - वो क्या ..
उसने अपनी बेंत मेरी छाती पर लगाई और बोला- निकल जा यहाँ से
मैंने भी बात आगे नहीं बढाई और वहां से बाहर निकल आया. बाहर खड़े तमाम लोगो की नजरे मुझ पर थी पर किसी ने मुझे रोका नहीं . कुछ दूर चल कर मैंने माथे का पसीना पोंछा तो कुछ रुखा सा महसूस हुआ मैंने अपने हाथ देखे, हथेलिया राख में सनी हुई थी .
मैंने अपने मुह पर हाथ रख लिया , हाथो पर ये राख कैसे आई, हलकी सी तपिश महसूस की . मैंने शर्ट से ही हाथ साफ़ किये और रुद्रपुर से अपने गाँव वापिस आ गया. शाम ढलने लगी थी . दिल में मेरे न जाने कितने सवाल थे जिनके जवाब दे सके ऐसे इन्सान को तलाश करना ही मेरा मकसद था अब .
चोबारे की छत पर लेटे हुए मैं रीना के बारे में सोच रहा था , आज वो उदयपुर चली गयी थी . बचपन से ऐसा कोई लम्हा नहीं था जो हमने साथ नहीं बिताया हो. इस दुनिया में सबसे पहले मेरे लिए कोई था तो वो बस . जबसे उसने उसकी माँ से हुई बात बताई थी , दिल में हलचल सी मची हुई थी . बहुत सी बाते थी जो उससे कहनी थी , हर सुबह जब वो तालाब पर पानी भरने आती थी , तो ग्राम देवता के मंदिर में समाधी के साथ चक्कर लगाना, थोड़ी देर हम सीढियों पर बैठते . वो मुझे मैं उसे देखता .उसके गेहुवे रंग पर लाल चुन्नी बड़ी फब्ती . कानो में सोने की बालिया गले में ॐ का लाकेट जो मैंने मेले में खरीद कर दिया था उसे.
ये रात भी जाने क्यों बेवफाई पर उतर आई थी , आँखे मूंदु तो भी आँखों को रीना की सूरत ही दिखे . हालत जब काबू से बाहर हो गयी तो मैंने शर्ट पहनी और घर से बाहर आ गया. चारो दिशाए सन्नाटे में डूबी थी . पैदल चलते चलते मैं खेतो को पार करके पुलिया की तरफ आ पहुंचा था की मैंने देखा की इकतारा लिए वही लड़की पुलिया पर बैठी है . हमारी नजरे मिली, उसने इकतारा साइड में रख दिया.
“मेरा पीछा क्यों करता है ” उसने उलाहना दिया.
मैं- क्यों इन रातो पर बस तेरा हक़ है क्या.
वो- हक़ तो नहीं है , पर इन रातो से बढ़िया कोई साथी भी तो नहीं
मैं- तेरी बाते मेरे जैसी क्यों है
मैं उसके पास बैठ गया .
वो- बाते है बातो का क्या . तू बता कुछ परेशां सा लगता है .
मैं - चलो तुमने इसी बहाने मेरा हाल तो पूछा
वो- क्या परेशानी हुई तुझे
मैं- जब से तुझे देखा है , नजरे हट टी नहीं तेरे चेहरे से, दिन हो या रात हो तेरा ख्याल मेरे मन से जाता नहीं . जी करता है बस तुझे देखता रहूँ
वो- कुछ नया बोल , ये लाइन पुरानी हुई , आजकल की लडकिया इन फ़िल्मी बातो से नहीं बहलती .
मैं- तो तू ही बता तुझे कैसे मना पाउँगा
वो- भला किसलिए
मैं- तुझसे दोस्ती करनी है
वो- दोपहर को मैंने तुझे कहा था न की हम में दोस्ती नहीं हो सकती
मैं- तो क्या हो सकता है
वो- कुछ नहीं , कुछ भी नहीं आखिर हम एक दुसरे को जानते ही कितना है .
मैं- चार मुलाकातों से जानते है .
वो- मैं क्या दोस्ती करू तुझसे, , मैं कौन हूँ ये भी नहीं जानता . चल बता मैं तुझसे दोस्ती कर भी लू तो तू क्या कर सकता है मेरे लिए.
मैं- दोस्ती में शर्ते नहीं होती सरकार. तू क्या है मैं कौन हु ये नहीं देखा जाता दोस्ती में ओई उम्मीद नहीं होती, दोस्ती में उम्मीद हुई तो वो लालच हुआ, दोस्ती निस्वार्थ है, मैंने तुझसे मोहब्बत नहीं मांगी , वादे मोहब्बत में किये जाते है की चाँद तारे तोड़ लाऊंगा .
वो- मैं कैसे मानु की तू मेरा सच्चा दोस्त बनेगा. कल को तूने मेरा फायदा उठाया . मुझे बदनाम किया तो .
मैं- तो फिर रहने दे . तेरे बस की नहीं है . मैंने अपने मन की बात तुझे बताई,अब तेरी मर्जी है जब तेरा दिल करे तो मुझे बता देना बाकी तेरी किस्मत तू जाने तूने क्या खोया .
वो- हाँ मेरी किस्मत.
उसने एक ठंडी साँस छोड़ी और बोली- ये किस्मत भी बड़ी अजीब होती है न राजा के घर पैदा हुए तो किस्मत, गरीब के घर पैदा हुए तो किस्मत. सुख मिले तो किस्मत, दुःख मिले तो किस्मत.
मैं- तू मुझे मिली ये भी तो किस्मत ही है न .
“तुझसे दोस्ती नहीं कर सकती ये भी तो किस्मत ही है न , ” उसने कहा
मैं- इस दुनिया, इस समाज का डर है क्या तुझे .
वो- मुझे डर होता तो यहाँ इस समय तेरे साथ न बैठी होती .
मैं- तो क्या रोक रहा है तेरे मन को
वो- मेरा मन ही रोक रहा है मुझे .
मैं- चल कोई न , हम भी क्या बाते लेके बैठ गए ये बता आज ये सितारे क्या कहते है .
उसने आसमान में देखा और बोली- खून बहने वाला है .
मैं- किसका
वो- ये तो वो ही जाने .
उसने आसमान में सितारों को देखते हुए बोला .
मैं- तेरी बाते समझ में कम आती है मुझे .अपने बारे में बता कुछ
वो- क्या बताऊँ कहने को सब कुछ है कहने को कुछ भी नहीं . मैं भी तेरे जैसी ही हूँ .कल दोपहर तू मुझे ग्यारह पीपल के पास मिलना मैं तब तुझे बताउंगी मैं कौन हूँ .
उसकी आँख से गिरते आंसू के कतरे को अपनी कलाई पर गिरते महसूस किया मैंने
मतलब बावड़ी में पानी की जगह राख थी परंतु हमारे हीरो को वो पानी लगा , इकतारा वाली कि अलग ही कहानी सामने आ रहीं हैं, अगले भाग का बेसब्री से इंतजार , इस बढ़िया update के लिए धन्यवाद मुसाफिर भाई#13
मैंने देखा बावड़ी में पानी उसी तरह लहरा रहा था .
“ये पानी नहीं तो क्या है ” मैंने निचे जाकर हथेली में पानी भरा और उसके पास लाया. मैंने हथेली उसके आगे की . उसने हिकारत से मुझे देखा और बोला- चला जा यहाँ से .दुबारा मत आना .
मैं- वो मेरा मामला है दुबारा आना या न आना तुम्हे इससे क्या लेना देना
“उम्र छोटी है और बाते आसमान जितनी, जिसे तू खेल समझ रहा है न वो .......” उसने बात अधूरी छोड़ दी .
मैं - वो क्या ..
उसने अपनी बेंत मेरी छाती पर लगाई और बोला- निकल जा यहाँ से
मैंने भी बात आगे नहीं बढाई और वहां से बाहर निकल आया. बाहर खड़े तमाम लोगो की नजरे मुझ पर थी पर किसी ने मुझे रोका नहीं . कुछ दूर चल कर मैंने माथे का पसीना पोंछा तो कुछ रुखा सा महसूस हुआ मैंने अपने हाथ देखे, हथेलिया राख में सनी हुई थी .
मैंने अपने मुह पर हाथ रख लिया , हाथो पर ये राख कैसे आई, हलकी सी तपिश महसूस की . मैंने शर्ट से ही हाथ साफ़ किये और रुद्रपुर से अपने गाँव वापिस आ गया. शाम ढलने लगी थी . दिल में मेरे न जाने कितने सवाल थे जिनके जवाब दे सके ऐसे इन्सान को तलाश करना ही मेरा मकसद था अब .
चोबारे की छत पर लेटे हुए मैं रीना के बारे में सोच रहा था , आज वो उदयपुर चली गयी थी . बचपन से ऐसा कोई लम्हा नहीं था जो हमने साथ नहीं बिताया हो. इस दुनिया में सबसे पहले मेरे लिए कोई था तो वो बस . जबसे उसने उसकी माँ से हुई बात बताई थी , दिल में हलचल सी मची हुई थी . बहुत सी बाते थी जो उससे कहनी थी , हर सुबह जब वो तालाब पर पानी भरने आती थी , तो ग्राम देवता के मंदिर में समाधी के साथ चक्कर लगाना, थोड़ी देर हम सीढियों पर बैठते . वो मुझे मैं उसे देखता .उसके गेहुवे रंग पर लाल चुन्नी बड़ी फब्ती . कानो में सोने की बालिया गले में ॐ का लाकेट जो मैंने मेले में खरीद कर दिया था उसे.
ये रात भी जाने क्यों बेवफाई पर उतर आई थी , आँखे मूंदु तो भी आँखों को रीना की सूरत ही दिखे . हालत जब काबू से बाहर हो गयी तो मैंने शर्ट पहनी और घर से बाहर आ गया. चारो दिशाए सन्नाटे में डूबी थी . पैदल चलते चलते मैं खेतो को पार करके पुलिया की तरफ आ पहुंचा था की मैंने देखा की इकतारा लिए वही लड़की पुलिया पर बैठी है . हमारी नजरे मिली, उसने इकतारा साइड में रख दिया.
“मेरा पीछा क्यों करता है ” उसने उलाहना दिया.
मैं- क्यों इन रातो पर बस तेरा हक़ है क्या.
वो- हक़ तो नहीं है , पर इन रातो से बढ़िया कोई साथी भी तो नहीं
मैं- तेरी बाते मेरे जैसी क्यों है
मैं उसके पास बैठ गया .
वो- बाते है बातो का क्या . तू बता कुछ परेशां सा लगता है .
मैं - चलो तुमने इसी बहाने मेरा हाल तो पूछा
वो- क्या परेशानी हुई तुझे
मैं- जब से तुझे देखा है , नजरे हट टी नहीं तेरे चेहरे से, दिन हो या रात हो तेरा ख्याल मेरे मन से जाता नहीं . जी करता है बस तुझे देखता रहूँ
वो- कुछ नया बोल , ये लाइन पुरानी हुई , आजकल की लडकिया इन फ़िल्मी बातो से नहीं बहलती .
मैं- तो तू ही बता तुझे कैसे मना पाउँगा
वो- भला किसलिए
मैं- तुझसे दोस्ती करनी है
वो- दोपहर को मैंने तुझे कहा था न की हम में दोस्ती नहीं हो सकती
मैं- तो क्या हो सकता है
वो- कुछ नहीं , कुछ भी नहीं आखिर हम एक दुसरे को जानते ही कितना है .
मैं- चार मुलाकातों से जानते है .
वो- मैं क्या दोस्ती करू तुझसे, , मैं कौन हूँ ये भी नहीं जानता . चल बता मैं तुझसे दोस्ती कर भी लू तो तू क्या कर सकता है मेरे लिए.
मैं- दोस्ती में शर्ते नहीं होती सरकार. तू क्या है मैं कौन हु ये नहीं देखा जाता दोस्ती में ओई उम्मीद नहीं होती, दोस्ती में उम्मीद हुई तो वो लालच हुआ, दोस्ती निस्वार्थ है, मैंने तुझसे मोहब्बत नहीं मांगी , वादे मोहब्बत में किये जाते है की चाँद तारे तोड़ लाऊंगा .
वो- मैं कैसे मानु की तू मेरा सच्चा दोस्त बनेगा. कल को तूने मेरा फायदा उठाया . मुझे बदनाम किया तो .
मैं- तो फिर रहने दे . तेरे बस की नहीं है . मैंने अपने मन की बात तुझे बताई,अब तेरी मर्जी है जब तेरा दिल करे तो मुझे बता देना बाकी तेरी किस्मत तू जाने तूने क्या खोया .
वो- हाँ मेरी किस्मत.
उसने एक ठंडी साँस छोड़ी और बोली- ये किस्मत भी बड़ी अजीब होती है न राजा के घर पैदा हुए तो किस्मत, गरीब के घर पैदा हुए तो किस्मत. सुख मिले तो किस्मत, दुःख मिले तो किस्मत.
मैं- तू मुझे मिली ये भी तो किस्मत ही है न .
“तुझसे दोस्ती नहीं कर सकती ये भी तो किस्मत ही है न , ” उसने कहा
मैं- इस दुनिया, इस समाज का डर है क्या तुझे .
वो- मुझे डर होता तो यहाँ इस समय तेरे साथ न बैठी होती .
मैं- तो क्या रोक रहा है तेरे मन को
वो- मेरा मन ही रोक रहा है मुझे .
मैं- चल कोई न , हम भी क्या बाते लेके बैठ गए ये बता आज ये सितारे क्या कहते है .
उसने आसमान में देखा और बोली- खून बहने वाला है .
मैं- किसका
वो- ये तो वो ही जाने .
उसने आसमान में सितारों को देखते हुए बोला .
मैं- तेरी बाते समझ में कम आती है मुझे .अपने बारे में बता कुछ
वो- क्या बताऊँ कहने को सब कुछ है कहने को कुछ भी नहीं . मैं भी तेरे जैसी ही हूँ .कल दोपहर तू मुझे ग्यारह पीपल के पास मिलना मैं तब तुझे बताउंगी मैं कौन हूँ .
उसकी आँख से गिरते आंसू के कतरे को अपनी कलाई पर गिरते महसूस किया मैंने
Thanks2 updates....
Bro........maza aa gaya....
Ye to upcoming update me hi malum hogaBehad shaandaar lajawab update bhai
Ab kiska khoon behne wala h jo ek tara wala ldkin bataya or dekhte 11 pipal per kia batane wali h
Badhiya lajawab
Reena ki kahani ka level alag hoga is bar bhainice update..!!
hero reena ko bahot miss kar raha hai..pyaar toh usse jarur karta hai lekin kaise uski shaadi hone de sakta hai..!! aur yeh ladki hamesha kuchh na kuchh sawal chhod ke jarur jati hai..!!