Ajju Landwalia
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Lajawab update Fauji Bhai, Pandit ne bhi nayi paheli sunakar apne haath khade kar diye, aur is kadkati bijli ne naa jaane kya dikha diya Dev ko??
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Sahi dev n naani se jab itni nafrat kerti ho apni beti se tow iski batsi kyon manati ho aur dev babu n kia dekh lia roshni m#37
रानी साहिबा अपनी बात कह कर इस तरह आगे बढ़ गई जैसे कोई सरोकार ही नहीं हो, मैंने उन्हें इतनी बड़ी बात बताई थी, उनकी बेटी की एक मात्र निशानी उनके सामने थी पर फिर भी उनका व्यावहार समान्य था. खैर मैं वापिस मोना के पास आया.
मोना - क्या हुआ
मैं - कुछ नहीं
मोना - बात हुई
मैंने ना मे सर हिला दिया.
"कोई बात नहीं अभी हम पुजारी से मिलते है " मोना बोली
हम अंदर गए
पुजारी - अब बताओ मैं तुम लोगों की किस प्रकार सहायता कर सकता हूं
मैंने पुजारी को तमाम बात बताई और इलाज पूछा.
मेरी बात सुनकर उसके ललाट पर जैसे शोक छा गया.
"कभी सोचा नहीं था कि इस प्रकार दुविधा मेरे सामने आ खड़ी होगी " पुजारी ने कहा
मैं - बाबा समस्या होती है तो उसका समाधान भी होता है, आप राह दिखाओ
पुजारी - कुछ चीजें बड़ी दुष्कर होती है, ये दुनिया ये जीवन वैसा नहीं है जैसा हमे दिखता है यदि सच है तो झूठ है, यदि अच्छाई है तो बुराई है, इस संसार मे ना जाने कितने संसार है, मनुष्य तो बस एक कण है इस रेगिस्तान का. तुम जो अपने साथ लाए हो ये मौत का वार है, जहां तुम इस से मिले वहाँ अवश्य ही कोई संरक्षित वस्तु थी, जिसकी सुरक्षा जागृत हो गई, चूंकि तुम अधिकृत नहीं थे सो तुम्हें झेलना प़डा, नागेश के बांधे मंत्र का वार है ये, और नागेश आज भी सर्वश्रेष्ठ है, परंतु हैरानी की बात ये है कि मृत्यु ने उसी क्षण तुम्हारा वर्ण नहीं किया, तो तुम भी कुछ खास हो, इसका इलाज तो मेरे पास नहीं है पर मैं तुम्हें एक आस दिखा सकता हूं यदि तुम मुझे अपना असली परिचय दो, क्योंकि मैंने देख लिया है, बस सुनने की इच्छा है.
पुजारी ने मंद मंद मुस्काते हुए अपनी बात कही और साथ ही मुझे दुविधा मे डाल दिया. क्योंकि मेरे साथ मोना थी और मोना के सामने अपनी पहचान बताने का मतलब था कि उसे मेरे और उसके छिपे रिश्ते के बारे मे भी मालूम हो जाता.
पुजारी - कोई संकोच
मैं - बाबा मैं सुहासिनी का बेटा हूं
मेरी बात सुनकर उन दोनों के चेहरे पर अलग अलग भाव थे, मोना के चेहरे का रंग उड़ गया था, पर बाबा ने अपनी आंखे मूंद ली.
"कोई ऐसा जो शापित भी हो जो पवित्र भी हो, जो आमंत्रित भी हो जो बहिष्कृत भी हो, जो अमावस मे चंद्र हो और पूनम मे रति, उसका रक्त तब सहारा दे जब मृत्य की टोक लगे. प्रीत ने पहले भी रोका था प्रीत अब भी रोकें तेरी डोर किधर उलझी तू जाने या वो शंभू जाने " बाबा ने कहा
मंदिर से निकल कर हम बाहर आए, अचानक से ही मेरे और मोना के बीच एक गहरी खामोशी छा गई थी. क्योंकि हमारा जो नाता था उसे पीछे छोड़ कर मैंने एक नया रिश्ता कायम किया था मोना से. चबूतरे पर बैठे वो बस शून्य मे ताक रही थी.
" तुमने मुझे सच क्यों नहीं बताया "पूछा उसने
मैं - कुछ था भी तो नहीं मेरे पास तुम्हें बताने को, और मैं कहता भी तो क्या. तुम ऐसे मेरे जीवन मे आयी इससे पहले कोई आया नहीं था. और फिर हमे दुनिया से क्या मतलब हम जानते हैं हमारी हकीकत तो कोई फर्क़ नहीं पड़ना चाहिए
मोना - फर्क़ पड़ता है देव, बहुत फर्क़ पड़ता है, क्योंकि बात अगर अब खुल ही गई है तो पूरा खुले, सुहासिनी मेरी बुआ थी. तो हमारे रिश्ते के मायने बदल जाते है,
मैं - मैंने तुम्हें इस रिश्ते मे नही जाना, तुम मेरे लिए क्या हो तुम भी जानती हो और फिर जिस रिश्ते की अब बात करती हो वो तब कहाँ था जब मुझे अपनों की जरूरत थी, तब मेरा कोई अपना नहीं आया, सोच के देखो मैं कैसे जिया हूं, तुम्हारे आने से पहले हर रोज ही अकेला था मैं, तुम साथी बनकर मेरे जीवन मे आयी. तुम्हारे साथ मैंने मुस्कुराना सीखा अपने मन की बात किसी से करना सीखा. पर फिर भी तुम्हें लगता है कि अब मायने इसलिए बदल जाते है कि मेरी माँ तुम्हारी बुआ थी तो फिर मुझे नहीं चाहिए ये ढकोसला, ये आडंबर.
मेरी आँखों मे आंसू भर आए थे और मैं किसी को अपना दर्द दिखाना नहीं चाहता था तो मैं चबूतरे से उठा और पैदल ही वहां से चल प़डा. एक बार भी मैंने मुड़ कर ना देखा. ना मोना ने कोई आवाज दी. चौपाल की तरफ आते समय मुझे एक लड़का मिला
"सुनो, चौखट पर जाना है मुझे " मैंने कहा
लड़का - गाँव की सीम पर एक बगीचा है उसे ही चौखट कहते है
मैं उस तरफ ही चल प़डा. करीब बीस मिनट बाद मैं वहां पहुंचा तो देखा नानी पहले से ही मौजूद थी
"नानी " मैंने कहा
नानी - हम जानते थे किसी रोज़ तुम जरूर आओगे, पर आज के दिन ऐसे मुलाकात होगी सोचा नहीं था.
आज ही तुम्हारी माँ हमे छोड़ कर गई थी. जी तो करे है कि तुम्हें गले लगा ले पर क्या करे हम बंधे है
मैं - क्या फर्क़ पड़ता है नानी, आदत है मुझे वैसे भी मोना नहीं बताती तो मुझे मालूम भी नहीं होता कि मेरी नानी भी है और जिसके माँ बाप नहीं होते उसका कैसा परिवार.
मेरी बात चुभी नानी को पर उसने बात बदली.
नानी - मोना को कैसे जानते हो तुम.
मैं - दोस्त है मेरी, पर फ़िलहाल आपसे मैं अपनी माँ के बारे मे बात करने आया हूं, वो कैसे मरी कौन है उनका कातिल
"हमारे लिए तो वो उसी दिन मर गई थी जब उसने हमारी दहलीज लांघने की हिमाकत की थी, मैं माँ थी उसकी, मेरी भी नहीं मानी उसने, ना जाने क्या देख लिया था उस आवारा युद्ध मे उसने जो महल छोड़ चली एक बार जाने के बाद ना वो आयी ना हमने देखा उसे, वैसे भी उसकी हरकत अजीब थी, आधे से ज्यादा गांव तो उसे पागल समझता था " नानी ने कहा
मैं - मंदिर मे मैने जब आपको अपना परिचय दिया तब लगा था कि आप से मिलके मुझे ऐसा लगेगा जैसे मुझे अपनी मां की झलक मिली, और जब ये नफरत है तो वो ढोंग क्यों मंदिर मे बरसी का. मैंने तो सोचा था ना जाने परिवार कैसा होता होगा पर यदि ऐसा है तो अनाथ होकर खुश हूं मैं.
दिल बड़ा भारी हो गया था. अब यहां रुकना मुनासिब नहीं था मैं पैदल ही वहां से चल प़डा, रात होते होते मैं अपने गांव की सीम मे आ गया था, एक मन किया कि घर चल पर फिर सोचा कि बाबा के पास चल, मैंने कच्ची पगडण्डी का रास्ता पकड़ लिया, कि अचानक बरसात शुरू हो गई.
"बस तुम्हारी ही कमी थी, तुम भी कर लो अपनी " मैंने उपरवाले को कोसा और आगे बढ़ गया. बारिश की वज़ह से अंधेरा और घना लगने लगा था पगडंडी के चारो ओर खड़ी फसल किसी सायों सी लग रही थी. मैंने एक मोड़ लिया ही था कि बड़े जोर से बिजली गर्जी, जैसे हज़ारों बल्ब एक साथ जला दिए हो और उस पल भर की रोशनी मे मैने कुछ ऐसा देखा कि दिल जैसे सीने से निकल कर गिर गया हो.
Ha HalfbludPrince. Is baat se mai bhi sahmat hu thoda bada update do na bhaiमुसाफ़िर भाई अपडेट तो गजब का है लेकिन फिर वही बात की अपडेट बहुत छोटा होता है । बस शुरू होते ही खत्म। प्लीज भाई अपडेट थोड़ा बड़ा दिया करो।