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Adultery गुजारिश

Himanshu630

Reader
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Bhai please puri karo ye kahani ya koi nayi kahani
Apki kahaniyan padhne ka ek junoon sa ho gya hai

Bhai main Naya reader hoon yhi par apki 2 kahaniyon padhi hai agar apne kahi aur koi kahani likhi hai to please uska link de de
Please Bhai reply jarur Dena
 
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Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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आप सब पाठकों की भावनायें समझता हूं मैं परंतु मेरी भी मजबूरी है, क्योंकि इस लैपटॉप मे ये कहानी थी वो टूट गया,
मुझे भी दुख है, आशा है आप समझेंगे इस बात को
Bhai ye kahani poori karo
Dubara fir se padh rahe hai
 
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Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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इसका जवाब है thought प्रोसेस, कहानी के कयी अपडेट मैं पहले ही लिख चुका था, मोना को नागिन के रूप मे दिखाने के बाद मुझे रूपा के लिए भी एक damdar रोल लिखना था, हीरो को उस जादुई मायावी दुनिया मे ले जाना था जहां पर Suhasini के साथी हीरो से बहुत उम्मीद लगाए हुए थे, कहानी के विलेन को define करना था,

समस्या ये हुई कि अब मैं समझ नहीं पा रहा कि मैंने क्या क्या लिख लिया था
Aap dubara bhi likhne sakte ho bhi
Hum Jaisa aapke kadardan aapki kahani ko dil se padhte hai.
Oro se aapki Koi tulna nahi ho sakti Manish bhai
 
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Incest olny

A True Villager
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I have found two masterpiece stories with no ending. And ofcourse both stories have little bit disappointed me . First story is काजल जासूसी और मजा written by Chutiyadr bhai and second one is this.
 
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ellysperry

Humko jante ho ya hum bhi de apna introduction
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#2

रात अचानक से बहुत भारी हो गयी , ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था , छोटे मोटे झगडे मारपीट तो खैर चलती रहती थी पर ऐसे कभी किसी की लाश नहीं मिली थी, धीरे धीरे करके पूरा गाँव ही जमा हो गया था. एक दो लोगो ने मुनीम की लाश को देखा कोई जख्म नहीं, कोई मारपीट नहीं तो फिर ये मरा कैसे.

“लगता है हार्ट अटैक हो गया होगा ” किसी ने कहा

मुनीम की उम्र कोई ६५ के आस पास होगी तो ऐसा हो सकता था पर न जाने क्यों मुझे लग रहा था की उसे किसी ने मारा है . इस बखेड़े में एक बात छुट गयी थी की वो औरत कौन थी . और अब तो इतनी भीड़ हो गयी थी की कुछ भी अनुमान लगाना मुश्किल था .

अनुमान , हाँ पर इतना जरुर था की वो हो न हो मेरे ही मोहल्ले की थी की क्योंकि जिस गली में वो मुड़ी थी उधर हमारे ही घर थे . बाकि बची रात मैंने उस औरत के बारे में सोच सोच कर काटी की कौन हो सकती है वो , खैर सुबह मुझे करतार (कट्टु )मिला

मैं- साले कल कहाँ मरवा रहा था मैंने कितना ढूंढा तुझे

कट्टु- यार भाई, वो कल बापू साथ सो गया था तो मैं निकल नहीं पाया

मैं कट्टु को उस औरत के बारे में बताना चाहता था पर न जाने क्यों मैंने खुद को रोक लिया और हम बाते करते हुए जोहड़ की तरफ चल पड़े.

मैं- तुझे क्या लगता है मुनीम को हार्ट अटैक आया या किसी ने मारा उसे .

कट्टु- जो भी हुआ ठीक ही हुआ , साला मर गया लोगो के बही खाते में बहुत बढ़ा कर हिसाब लिखता था वो .

मैं- पुलिस को सुचना देनी चाहिए थी , वो तहकीकात करती

कट्टु- आजतक कभी पुलिस आई है क्या गाँव में , पंच लोग ही पुलिस बने फिरते है . वैसे माँ बता रही थी की तू आजकल मजार पर बहुत जाने लगा है . क्या करता है तू उधर ,

मैं- कुछ नहीं यार बस वैसे ही .

कट्टु- तुझे मालूम है न की अपने गाँव वाले उधर कम ही जाते है

मैं- यार अब इसमें क्या है , सब तो जाते है

कट्टु- चल छोड़, सुन मैं आज शहर जा रहा हूँ तू भी चल

मैं- ना रे

कट्टु- चल न , बस अड्डे होकर आयेंगे कोई नयी किताब आई होगी तो देख लेंगे .

मैं- फिर कभी

कट्टु- ठीक है मैं तो जाऊंगा ही सुन तेरी साइकिल ले जाऊ

मैं- ठीक है .

करतार के जान के बाद भी मैं बहुत देर तक जोहड़ पर बैठा रहा , घुटनों तक पैर पानी में दिए मैं बस उस औरत के बारे में सोचने लगा, काश वो मुनीम की लाश नहीं मिलती तो मेरे नसीब में एक चूत मिल गयी थी .

न जाने क्यों मेरे अन्दर एक तन्हाई थी, एक अजीब सी बेताबी ,एक उदासी मैं बस इन दिनों अकेला रहना चाहता था .

शायद इसका एक कारण चढ़ती जवानी भी हो सकती थी , जब इस उम्र में हार्मोन बदलते है , पर बस ऐसा ही था , एक बार फिर उस शाम मैं मजार के पास पहुँच गया था , पर आज वो बाबा इकतारा नहीं बजा रहा था , लोगो ने इंतज़ार किया पर उसका मूड नहीं हुआ . धीरे धीरे करके लोग जाने लगे. मैं उसी पेड़ के निचे बैठा था कम्बल ओढ़े.



“ओये मुसाफिरा ओथे क्यों बैठा है आज पास जरा ” बाबा ने आवाज दी .

मैं उसके पास गया .

मैं- आज इकतारा नहीं बजाया

बाबा- उसकी मर्जी, जब उसका मन हो बजे

मैं- आओ चा पीते है

बाबा- ठीक है .

मैंने चाय वाले को आवाज दी .

बाबा- कुछ परेशां लगता है मुसफिरा

मैं- मालूम नहीं , आजकल मेरा मन नहीं लगता कही भी ,

बाबा- होता है , भरोसा रख उस रब्ब पर . तेरे लिए भी कुछ लिखा होगा उसने .

मैंने बाबा को चाय का कप दिया और खुद भी चुस्की ली, बरसती ठण्ड में जैसे रूह को करार आ गया.

मैं- जानते हो बाबा मैं रोज यहाँ आकर क्यों बैठता हूँ .

बाबा- जानता हु मुसाफिरा भला मुझसे क्या छिपा है .

“तुमने देखा होगा उन्हें, वो आते थे न यहाँ ” मैंने कहा

बाबा- ठण्ड बढ़ रही है मुसफिरा घर जा .

मैं- तुम जानते थे न उन्हें

बाबा- सब जानते थे उन्हें, वो जो पेड़ हैं न जिसके निचे तो घंटो बैठता है तेरी माँ ने लगाया था . बड़ा शौक था उसे , कहती थी मैं रहू न रहू ये पेड़ जरुर रहेगा. बड़ी नेक थी वो.



अपनी माँ के बारे में सुन कर मेरी आँखों से आंसू गिर गए.

“ना मुसाफिरा न , इनको संभाल कर रख बड़े अनमोल है ये , रात गहरी हो रही है तू जा ” बाबा ने कहा

मैं- मुझे बताओ न मेरे माँ-बाप के बारे में बाबा

बाबा ने इकतारा उठाया और बजाने ;लगा. आंसू उसकी सफ़ेद दाढ़ी में कही खो गए.

ठण्ड बहुत बढ़ गयी थी , खेत पर पहुँच कर मैंने अलाव जलाया तो कुछ राहत मिली , मैंने पानी की मोटर चलाई और खेत में पहुँच गया ,, आज बिजली पूरी रात आने वाली थी , सरसों में पानी लगाना था . जैसे ही पानी आया मेरे पैर सुन्न से हो गए. ऐसा नहीं था की खेतो पर काम करने वाले नहीं थे, लोग काम करते भी थे पर न जाने क्यों मुझे इस मिटटी से बड़ा लगाव था .

बरसती ओस में भीगते हुए मैं पानी की लाइन बदलते हुए दूर अपनी झोपडी के पास जलते अलाव को देख रहा था , हौले से जलती आंच इस अँधेरी रात में बड़ी खूबसूरत लग रही थी . मैं पानी की लाइन बदल कर कस्सी उठाये अलाव की तरफ बढ़ ही रहा था की “छन छन ” की तेज आवाज ने मेरा ध्यान खींच लिया .

पाजेब की आवाज थी ये इतना समझ गया था , पर इस समय इस उजाड़ में कौन औरत आएगी,

“कोई है क्या ” मैंने आवाज दी .


कोई जवाब नहीं आया . आई तो बस पाजेब की आवाज .
Jabardast update 🔥 🔥
 
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